kamuk kahani-मैं मेरी माँ -मेरी सत्य कथा

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kunal
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kamuk kahani-मैं मेरी माँ -मेरी सत्य कथा

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मैं मेरी माँ -मेरी सत्य कथा

आज जो कहानी मैं सुनाने जा रहा हूँ, वो मेरे साथ बीती हुई सच्ची कहानी है। यह वाकिया आज से क़रीब एक महीने पहले की है। सबसे पहले मैं आपको मेरे परिवार से परिचित करा दूं ताकि आप मेरी सत्य कथा का आनन्द ले सके।

मैं अपने माँ बाप का एकलौता बेटा हूँ। अभी मेरी उम्र 19 साल की है और मैं सभी बैंकों का एग्जाम दिया है। मेरा शरीर हट्टा कट्टा बलिस्ट है पर मेरा रंग सांवला है। हम मुंबई के चोल मे सिंगल रूम में रहते हैं। जब मैं 5 साल का था पिताजी का स्वर्गवास हो गया था।

मेरी माँ अब जो कि 38 साल की हैं और शरीर सांवला और मोटा है। जिसके कारण जब वो चलती है तो उसके चूतड काफ़ी हिलते हैं।

उन्होंने फैक्ट्रीज में काम कर कर मेरी पड़ाई लिखाई करा रही थीं और पिछले 2 साल से मैं एक प्राइवेट कम्पनी में पार्ट टाइम को-ओपेरटोर का काम करता हूँ और कॉलेज भी जाता हूँ।

हमारे घर में अब केवल 3 सदस्य रहते हैं मैं मेरी माँ और मेरी मौसी। मेरी मौसी की उम्र 36 साल की हैं और वो भी विधवा हैं।

उनके पति का देहांत क़रीब 3 साल पहले हुआ था और उनकी कोई औलाद नहीं थीं। इसलिए माँ ने मौसी को अपने पास बुला लिया और दोनों साथ साथ फैक्ट्री में काम करने लगे।

एक ही रूम होने के कारण हम तीनों साथ साथ सोते थे। मेरे बाजू में मौसी सोती थीं, मौसी के बगल में माँ सोती थीं।

सोते समय माँ और मौसी अपने ब्रा और लहंगा उतार कर केवल नाईटी पहनती थीं (वो दोनों नाईटी यूज़ नहीं करती थीं दिन में साड़ी ब्लाउज और इनर गारमेंट्स में ब्रा और लहंगा पहनती थीं।) और मैं केवल लूंगी और अंडरवियर पहनकर सोता था।

एक दिन अचानक क़रीब 12:30 बजे रात को मेरी नींद खुली, क्यों कि मुझे पेशाब लगी थी पर मैंने देखा कि मौसी की नाईटी कमर तक उठी हुई थी।

वह धीरे धीरे आहह उईई की आवाज़े निकाल रही थी और वह अपने दाहिने हाथ की उंगलियों से अपने चूत के अन्दर बाहर कर रही थीं और उनका बायां हाथ माँ की चूत को सहला रहे थें।

यह देखते ही मेरा लण्ड तन कर 6 इंच लंबा और क़रीब 2.75 इंच मोटा हो गया था। कुछ देर के बाद मौसी सो गई थीं शायद उनका पानी झड़ गया था और वो सो गई थीं, लेकिन मुझे नींद नहीं आ रही थी और बार बार मौसी की हरकत मेरे नज़ारो के सामने नाच रहा था।

खैर कुछ देर बाद उठ कर मैं पेशाब करने चला गया और ना जाने कब नींद आ गई।

अब मैं मौसी को वासना की नज़रों से देखता था। अगले दिन शनिवार था मैंने माँ से कहा कि ‘माँ शाम को चिकन बनाना।’

माँ ने कहा- ‘ऑफिस से आते समय चिकन ले आना।
मैंने कहा- ‘ठीक हैं माँ।’

एक बात मैं आपको बताना भूल गया कि 1-2 महीने में माँ और मौसी कभी कभी व्हिस्की का 1-1 पेग पीती थीं।

एक दिन मैं दोस्तो के साथ होटल में पी कर घर आया तो माँ ने आते ही पूछा- ‘बेटा क्या तुमने शराब पी है?’

मैंने कहा- ‘हाँ’ माँ, एक दोस्त मुझे होटल ले गया और वहाँ हम लोगो ने व्हिस्की पी।’

माँ ने कहा- ‘बेटा अब तू बड़ा हो गया है और अगर तुझे पीना है तो घर पर पिया करो’

‘क्यों कि बाहर पीने से पैसे ज़्यादा लगते हैं और आदत भी ख़राब होती है।’

मैंने कहा- ‘ठीक है! माँ, अब से मैं घर में ही पिया करूँगा।

उस दिन के बाद जब भी मेरा मन 1-2 महीने में पीने का होता है, तो मैं घर पर ही व्हिस्की पिया करता हूँ और पीते समय माँ और मौसी भी मेरा साथ देती हैं।

शनिवार के शाम को ऑफ़िस से आते समय मैं चिकन लाया और साथ में व्हिस्की की बोतलें भी लाया। क़रीब 9:30 बजे माँ ने आवाज़ दीं ‘चलो खाना तैयार है आ ज़ाओ।’

मौसी 3 गिलास और व्हिस्की ले आई और हम तीनों पीने लगे माँ और मौसी केवल 1-1 पेग पिये और मैंने 3 पेग पिया।

खाना खाने के बाद माँ और मौसी ने सब काम ख़त्म करके सोने की तैयारी करने लगी। रोज़ाना की तरह हम तीनो सो गए।


रात क़रीब 1:15 बजे मैं पेशाब करने उठा तो देखा कि मौसी, माँ की तरफ़ करवट करके लेटी थीं और उनका दाहिना पैर माँ के पैर पर था और माँ की नाईटी घुटनो के थोड़े उपर सी उठी हुई थीं जबी मौसी की नाईटी चूतड़ों से थोड़ी नीचे तक सरकी हुई थीं।

मैंने बिना आवाज़ किए पेशाब करके लेटा तो देखा कि दोनों गहरी नींद में सोए थे शायद व्हिस्की के असर से उन्हे गहरी नींद आ गई थीं। मैंने धीरे से मौसी की नाईटी को कमर तक उठा दिया। अब मौसी की झांटों से भरी चूत साफ़ नज़र आ रही थीं।

मौसी का दाहिना पैर माँ के पैर पर होने के कारण मौसी की चूत की दोनों काली फांकें फैली थीं और अन्दर का गुलाबी भाग साफ़ नज़र आ रहे थें। उनकी चूत को देख कर मेरा लण्ड खड़ा हो गया और अंडरवियर से बाहर आ गया।

मुझसे रहा नहीं गया और सोचा कि मौसी की चूत में लण्ड पेल दूं पर हिम्मत नहीं हो रही थी, फिर मैंने मौसी की तरफ़ करवट करके सोने का नाटक करने लगा और मैंने मेरा लण्ड हाथ से पकड़ कर मौसी की चूत के पास रख दिया।

डर की वजह से मैं लण्ड को उनकी चूत में घूसा नहीं सका क्यों कि अगर मौसी जाग जाएगी तो शायद नाराज़ हो कर माँ से शिकायत कर देगी। इसलिए लण्ड को चूत के पास लगा कर धीरे धीरे लण्ड को रगड़ने लगा।

ऐसा करते हुए कुछ ही देर के बाद मेरे लण्ड ने बहुत सारा वीर्य मौसी की चूत पर और झांटो पर जा गिरा।

सुबह सुहावना होने के कारण मैं क़रीब 11 बजे उठा, तो मैंने मौसी और माँ को धीमे आवाज़ में बात करते सुना।

मुझे लगा शायद मौसी मेरी शिकायत माँ से कर रही है इसलिए मैं ध्यान लगाकर उनकी बातें सुनने लगा।
मौसी- दीदी पता है रात को क्या हुआ?

माँ: क्या हुआ?

मौसी- रात जब मैं क़रीब 2:30 बजे पेशाब के लिए उठी तो देखा कि दिनू बेटा का लण्ड बाहर निकला हुआ था।

माँ- शायद उसका अंडरवियर ढीला होगा इसलिए उसकी नूनी बाहर निकल आई होगी?

मौसी- दीदी अब उसकी नूनी, नूनी नहीं रही, अब तो मर्दों की तरह लण्ड बन चुका है।

माँ- अच्छा, तब तो उसकी शादी की तैयारी करनी पड़ेगी, खैर यह बताओ कितना बड़ा लण्ड था उसका।

मौसी- उसका सिकुड़ा हुआ लण्ड ही काफ़ी बड़ा लग रहा था।

माँ: ‘आश्चर्य से’ अच्छा, तब तो जब उसका लण्ड खड़ाा होगा तो काफ़ी बड़ा होगा!

मौसी- दीदी और जब मैं पेशाब करके उठी और चूत को साफ़ करने लगी तो मेरी हाथेली पर झांटों से और चूत की फांको से कुछ चिपचिपा सा चीज लग गया था। शायद नींद में बेटे का लण्ड का पानी गिरा होगा।

माँ- इसलिए कहती हूँ, रात में नींद में अपनी नाईटी का ख्याल रखाना चाहिए तुझे। क्यों कि अक्सर मैं देखती हूँ तेरी नाईटी कमर पे आ जाती है।

अब मैं समझ गया कि रात को जो कुछ भी मैंने किया उसका मौसी ने बूरा नहीं माना, और मैं उठ कर नाहा धोकर नाश्ते का वेट करने लगा। इतने में माँ ने मौसी से कहा, ‘दिनू को नाश्ता दे दो में कपड़े सुखाने जा रही हूँ।

मौसी मेरे लिए नाश्ता लेकर आई और पास ही बैठ गई रात की घटना के बाद मैं मौसी को कामुक निगाहों से देखता था।

जब मेरी नज़र उनकी चूची पर पड़ी, तो उन्होंने पूछा ‘क्या देख रहे हो बेटा?’


मैंने कहा- ‘मौसी आज आप खूबसुरत लग रही हो।’ मौसी हँसी और उठकर चली गईं।

रात को खाना खाने के बाद हुम सब सोने की तैयारी में लग गए, पर मुझे नींद नहीं आ रही थी। मैं केवल सोने का नाटक कर रहा था और मौसी को कैसे चोदा जाए यह प्लानिंग बना रहा था।

करिब 12:45 को मैं आँख खोल कर देखा तो मौसी आज रत भी कल रात की तरह सोई थीं लेकिन आज उनकी नाइटी पूरी कमर के उपर थी और उनकी चूत मुझे साफ़ नज़र आ रही थी।

उनकी चूत देख कर मेरा लण्ड खड़ा होकर चोदने के लिए तैयार हो चूका था। इतने में मेरे दिमाग में एक आईडिया आया। मैंने उठ कर लाइट बंद कर दी और मेरे लण्ड पर ढेर सारा तेल लगा के आया।

अब मैं मौसी की ओर करवट कर कल रात की तरह उनकी चूत के मुख पर लण्ड रख दिया। मेरा लण्ड का सुपाड़ा चिकना होने के कारण थोड़ा मौसी की चूत में चला गया।

मुझे मौसी की चूत का एहसास लण्ड पर महसूस हुआ। जिस कारण मैं और उत्तेजित हो गया और धीरे से जोर लगा कर आधा सुपाड़ा मौसी की चूत में डाल दिया।

आधा सुपाड़ा जाते ही मौसी के शरीर में कुछ हरकत हुई। मैंने सोचा शायद मौसी जाग गई होंगी इसलिए कुछ देर तक ऐसे ही सोने का नाटक करने लगा।

जब कुछ देर तक मेरे शरीर से कुछ हरकत ना होने पर मौसी ने थोड़ी गांड मेरी ओर सरका दी जिस कारण मेरा पूरा सुपाड़ा उनकी चूत में घुस गया।

मैं समझ नहीं पाया कि मौसी ने नींद में यह हरकत की या जानबूझ कर रखीं। मैंने हिम्मत जुटाई और एक हाथ उनकी बूब्स पर रख दिया और हौले हौले दबाने लगा। इतने में मौसी सीधी होकर सो गई जिस कारण मेरा लण्ड चूत से बाहर निकल गया।
थोड़ी देर बाद मैंने मौसी का हाथ मेरे लण्ड पर महसूस किया। वह मेरे लण्ड को पकड़ कर आगे पीछे कर रही थीं। मैं भी एक हाथ से उनके बूबस दबा रहा था और दुसरे हाथ से उनकी चूत सहला रहा था।

यह काम हुम लोग करिब 5 मिनट्स तक करते रहे फिर मौसी ने मेरे कान में कहा- ‘बेटा तुम मेरी चूत की ओर मुंह रख कर मेरी चूत को चाटो मैं तुम्हारा लण्ड चाटूंगी। अब हुम 69 कि पोजीशन में होकर एक दुसरे के चूत और लण्ड चुमने चाटने लगे।

मैं जब अपनी जीभ से उनकी चूत के फ़न को रगड़ रहा था तो वह आआह्ह ऊऊईई माँआ की धीरे धीरे आवाजें करती थीं। कुछ देर बाद उनकी चूत से सफ़ेद पानी आ गया और उस वक़्त उन्होंने मेरा सिर पूरी तरह से चूत पर दबा रखा था जिस कारण मेरे मुंह पर पूरा चूत का पानी लग गया।

फिर मौसी ने मुझे अपनी तरफ़ करते हुए कहा- ‘बेटा अब रहा नहीं जाता है जल्दी से तुम्हारा यह मोटा लण्ड मेरी चूत में डाल दे।’

मैं भी जोश में आ गया था और मौसी की चूतड के नीचे तकिया रख कर उनकी चूत को थोड़ा उठा दिया और अपने लण्ड का सुपाड़ा चूत के मुंह पर रख कर एक जोरदार धक्का लगाया।

एक ही धक्के में मेरा आधा लण्ड उनकी चूत में चला गया था और जोरदार धक्के के कारण उनकी मुंह से हल्की सी चींख निकल गई।

‘ऊऊईई माँआ धीरेरेए डालोओ!’ उनकी हल्की चींख सुन कर माँ जाग चुकी थीं लेकिन अँधेरा होने के कारण वह हमें या हमारे चुदाई को देख ना सकी और पुछा ‘क्या हुआ?’

मौसी ने धीमे से माँ के कान में कहा- कुछ नहीं मैं अपनी चूत में उंगली डाल कर अन्दर बाहर कर रही थी कि मुझसे रहा नहीं गया और मैं हल्की सी चींख उठी।

माँ ने कहा- ‘ठीक है आवाज़ धीरे करो क्योंकि बगल में दिनु सोया है।’ हालांकि उन दोनों ने इतनी धीमी आवाज़ में बात चीत की, फिर भी रात होने के कारण मुझे उनकी बात चीत सुनाई पड़ी।

अब मैं कुछ देर रुक गया था। मेरा आधा लण्ड अभी भी मौसी की चूत में घुसा था। थोड़ी देर बाद मैं मौसी के होंठों को चूसना शुरु किया और फ़िर से एक जोरदार धक्का मारा तो मेरा लण्ड पूरा चूत में चला गया।

मेरा लण्ड जड़ तक घुसते ही मौसी चिल्लाने की कोशिश की, लेकिन मेरा मुँह मौसी के मुँह में था इसलिए वह चिल्ला ना सकी।

थोड़ी देर बाद मैं अपना लण्ड अन्दर बाहर करने लगा जिससे मौसी को जोश आ गया और धीरे धीरे ‘ऊऊईई ऊऊफ़्फ़!!’ और चोदो मुझे कहने लगी।

मैं करीब 20 मिनट्स तक उन्हें चोदता रहा इसी बीच मौसी 4 बार झड़ चुकी थी जब मेरा पानी निकलने वाला था।


मैं अपना लण्ड उनकी चूत से निकाल कर मुँह में दे दिया और मेरा पानी मौसी के मुँह में पूरा भर गया और वह मेरे पानी तो गटगट पीने लगी। फिर मैं मौसी के बगल में आकर लेट गया।

कुछ देर बाद मैंने मौसी के हाथ में अपना सिकुड़ा हुआ लण्ड पकड़ा दिया।

मौसी मेरे लण्ड को सहलाने लगी और पूछा कि ‘अभी भी पेट भरा नहीं क्या मुझे चोद कर?’

मैंने कहा- ‘मौसी मैं अब आपकी गांड भी मारना चाहता हूँ।
उन्होंने कहा- ‘बेटा मैंने आज तक गांड नहीं मरवाई और तुम्हारा लण्ड भी काफी बड़ा और मोटा है मुझे तकलीफ होगी।’

मैंने कहा- ‘डरो मत मैं आहिस्ता आहिस्ता डालूंगा।’

तो मौसी बोलीं- ‘बेटा पहले अपने लण्ड पर और मेरी गांड में ढेर सारा तेल लगा लो तो लण्ड आसानी से गांड में चला जाएगा।’

मैंने कहा- ‘ठीक है मैं तेल की बोतल ले के आता हूँ तुम पेट के बल अपनी गांड फैला कर रखना’ और मैं तेल लेने चला गया।

अँधेरा होने के कारण मुझे तेल की शीशी नहीं मिल रही थी। तेल की शीशी जब लेकर आया तो काफी समय लग गया तो देखा कि मौसी पेट के बल लेटी हुई थीं।

मैंने कहा- ‘अपने दोनों हाथों से अपनी गांड फैला दो ताकि मैं गांड में अच्छी तरह से तेल लगा सकूं।’

उन्होंने कुछ नहीं कहा और अपने दोनों हाथों से चूतड़ पाकर गांड फ़ैला दी, मैंने अपनी हथेली पर ढेर सारा तेल डाल कर उसकी गांड के छेद में तेल लगाने लगा।

जब ढेर सारा तेल लगा चुका तो मैंने अपनी एक उंगली उनकी गांड में डाल दी।

उंगली में तेल लगा होने के कारण मेरी बीच की उंगली आसानी से आराम से घूस गई, लेकिन उनहोने मेरा हाथ पकड़ कर बाहर खींचा जिस वजह से मेरी उंगली गांड से बाहर निकल आई शायद उनको दर्द हुआ होगा।

अब मैं अपने लण्ड पर भी काफी तेल लगा लिया था। मेरे लण्ड के सुपाड़े पर भी काफी तेल लगा लिया था ताकि सुपाड़ा आसानी से उनकी गांड में जा सके।

अब मैं उनसे कहा कि, ‘अपने दोनों हाथों से चूतड को फ़ैला लो ताकि गांड में लण्ड डालने मे आसानी हो जाएगी।’

उसने अपने दोनों हाथों से अपनी चूतड उठा कर फ़ैला दी।

अब मैं अपने लण्ड का सुपाड़ा उनकी गांड की छेद पर रख कर हल्का सा पुश किया थोड़ा सा सुपाड़ा जाते ही उन्होंने अपनी गांड सिकोड़ ली, जिस कारण मेरा सुपाड़ा गांड से बाहर निकल गया।

मैंने पूछा- ‘गांड क्यों सिकोड़ी? ‘क्या दर्द हो रहा है?’

उन्होंने केवल अपना सिर हिला कर ‘हाँ’ का जवाब दिया।

मैंने कहा- ‘आप अपने मुँह में नाईटी का कुछ हिस्सा दबालें’ ताकि दर्द होगा तो आवाज़ नहीं निकालेंगी वरना आवाज़ सुनकर माँ जाग जाएंगी।’

उन्होंने अपने मुँह में नाईटी का कुछ भाग डाल लिया, अब मैंने दुबारा उनसे चूतड़ फैलाने को कहा और उनकी गांड की छेद पर लण्ड का सुपाड़ा लगा कर एक जोर का धक्का मारा।

मेरा लण्ड का सुपाड़ा पूरा गांड में घुस गया और उनके मुँह से गूं गूं की आवाज़ आने लगी क्योंकि मुँह में कपड़ा दबा हुआ था।

कुछ देर बाद मैं फिर से एक जोरदार धक्का मारा। मेरा पुरा लण्ड गांड में घूस गया था और दर्द के मारे उनका शरीर कांप रहा था।


अब मैं अपने लण्ड को अन्दर बाहर करने लगा। अभी गांड मारते हुए मुझे 10 मिनट्स ही हुए थे कि अचानक किसी ने लाइट जला दी और रोशनी में मैंने देखा कि मौसी की जगह माँ लेटी हुई थीं और मैं माँ की गांड मर रहा था।

अचानक लाइट जलाने वाली मौसी पास ही नंगी खड़ी मुझे माँ की गांड मारते हुए देख रही थीं।

अचानक माँ को देख कर मैंने अपना लण्ड माँ की गांड से निकाल लिया, और माँ ने भी अपने मुँह से कपड़ा निकाल लिया और कहने लगी।

‘फिर से मेरी गांड मारो जब तुमने गांड में पुरा लण्ड डाल दिया था तो अब क्या डरना!’
माँ से अनुमति लेकर मैंने फिर अपना लण्ड माँ की गांड में घूसा दिया और माँ की गांड मारने लगा। मैं जब माँ की गांड मार रहा था।

माँ कह रही थीं- ‘बेटा आज तुमने अपने माँ की गांड की सील तोड़ दी।’

‘और जोर जोर से अन्दर बाहर करो अपना यह घोड़े जैसा लण्ड।’

अब मैं माँ से पूछा- ‘अच्छा माँ यह तो बताओ कि तुम मौसी के जगह कैसे आ गई?’

उन्होंने कहा- ‘उस दिन जब तुम मौसी को चोद रहे थे तब मुझे कुछ शक हो गया क्यों कि तुम्हारी मौसी के मुँह से ऊउईई म्माँआ की आवाजें निकाल रही थी और आज जब तुम तेल लेने गए तब तुम्हारी मौसी ने मुझे सब बता दिया।’

‘इस तरह मौसी की जगह में मैं आ गई तुमसे गांड मरवाने।’

‘चल जल्दी से अब मेरी चूत में अपना लण्ड पेल दे अब रहा नहीं जाता।’

मैंने तुरंत ही अपना लण्ड निकाल कर माँ की चूत में डाल कर पेलने लगा और जब मैं माँ को चोद रहा था तब मौसी माँ की मुँह पर अपनी चूत रख कर रगड़ रही थीं।

करिब 20 मिनट्स के बाद मैंने अपना वीर्य माँ की चूत में डाल दिया।

इसी दरमियान माँ 3 बार झड़ चुकी थीं।

अब 2 महीने से मैं माँ और मौसी को रोज़ रोज़ नई नई स्टाइल में चोदता हूँ।

समाप्त
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