लक्की चादर

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rajsharma
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लक्की चादर

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लक्की चादर

दोस्तो मैं यानी आपका दोस्त राज शर्मा एक और छोटी सी कहानी आपके लिए लेकर हाजिर हूँ . दोस्तो ये कहानी एक ऐसी लड़की की है जो मामा समझ कर अपने सगे भाई से ही चुद गई . और जिस चादर पर उसकी भाभी की सुहाग मनी थी उसी चादर पर उसने अपने भाई से चुदाई करवाई . तो दोस्तो आपको ज़्यादा बोर ना करते हुए ये कहानी साना की ज़ुबानी ही आपको सुनाता हूँ


अभी दो महीने पह'ले ही मैं 20 साल की हो गयी हूँ. मेरे से 12 साल बड़ा मेरा एक भाई है जिस'की चार साल पह'ले शादी हो गयी है. हमारे घर में बहुत ही खुश नुमा माहॉल है. पिकनिक्स में जाना, अच्छे रेस्तराँ में जाना, कह'ने का मत'लब जिंद'गी का हर लुफ्त हम खुल के उठाते हैं. आज फिर पिक्निक का प्रोग्राम था. हम'ने एक आलीशान फार्म हाउस बुक कर'वा लिया. पिक्निक में मेरे सगे मामा और दूस'रे करीबी रिस्तेदार भी शिरक़त कर रहे थे.

मैं अपनी दूसरी रिस्ते की बहनों के साथ फार्म हाउस के स्विम्मिंग पूल में तैराकी कर रही थी. मामा हम सब को तैराकी सिखा रहे थे. हम लड़'कियों ने शलवार क़मीज़ पहनी हुई थी. मामा हम सब को बारी बारी तैराकी सिखा रहे थे. चूँकि फार्म हाउस मामा ने बुक कराया हुआ था इस वजह से हमारी फॅमिली के अलावा कोई और नहीं था. शाम का समय और हल्के हल्के बादल की वजह से मोसम (सीज़न) बहुत ही खुश गवार था. मम्मी अपनी बहनों और दूसरे रिलेटिव के साथ और पापा अपने रिलेटिव के साथ तैराकी कर रहे थे. कुच्छ फ़ासले पर भाई जान भाबी के साथ पानी में खेल रहे थे.

पानी काफ़ी ठंडा और गहरा था और ब्लू कलर के बारे स्विम्मिंग पूल की वजह से पानी भी नीले रंग का बहुत ही दिलकश लग रहा था. जहाँ हम लोग पानी मे खेल रहे थे वहाँ पानी हमारी कमर(वेस्ट) के ऊपेर था. मामा ने अब मुझे तैराकी के बारे में बताया और मेरी मदद कर ने के लिए मेर पेरो के नीचे से मुझे उठा कर हाथ और पैर की मदद से तैराकी करा रहे थे. मामा की शादी नही हुई थी और वो मेरे नाना नानी के साथ ही डिफेन्स में रह'ते थे. सब लोग अपनी बीवियों के साथ खेल रहे थे जब कि वो हम लोगों के साथ तैराकी में मसरूफ़ थे. मामा ख़ास तोर पर हमसे बहुत ही मोहब्बत कर ते थे. चूँकि मेरी मम्मी उनकी एकलौती बहन थी.

मामा ने मेरे पेरो के नीचे हाथ रखा हुआ था और मैं तैराकी के लिए हाथ पैर हिला रही थी. मामा ने अचानक हाथ हटा लिया और मैं डिसबॅलेन्स होकर गिरने लगी तो मैने मामा को पकड़ना चाहा और गल'ती से मेर हाथ मामा के लंड पर लग गये. मैं घबरा गयी लेकिन कोई ध्यान नहीः दिया. मामा ने फिर मुझे तैराकी करने को कहा और मैं फिर से तैराकी करने लगी. मामा ने अब जो हाथ रखा तो वो ऐक हाथ मेरे मम्मों के नीचे और दूसरा मेरी चूत के नीचे था. मैं अभी 17 साल की थी और मैं ना तो मम्मों पर कुच्छ पहेन'ती थी और ना ही मुझे अंडरवेर की आदत थी. मामा के हाथ मेर कपड़े गीले होने की वजह से ऐसे लग रहे थे कि मेरे मम्मे नंगे हैं.

यह पह'ली बार था कि किसी के हाथ ने मेरे मम्मों और चूत को स्पर्श किया था. मुझे मामा का हाथ बहुत अच्छा लगा. मैं तैराकी की कोशिश कर रही थी और मामा का हाथ वहीं लगा हुआ था. मामा ने कहा कि वो हाथ हटा रहे हैं और उन्हों ने हाथ हटाया कि मैं फिर अस्थिर होगयी और ज्योन्ही मैने उनको पकड़'ना चाहा, मेरा हाथ फिर मामा के लंड पर लगा. इसबार मैने खुद ही हाथ वहीं लगाया था. मैने हाथ से महसूस किया कि मामा का लंड अब कुच्छ तना हुआ था. मैं मामा के सामने खड़ी थी और मैं ने पार'दर्शी (ट्रॅन्स्परेंट) पानी से देखा कि मामा का लंड खड़ा हुआ था. ईत'ने मैं मेरी ऐक कज़िन ने कहा कि अब मैं सीखूँगी लेकिन मैने माणा कर दिया और कहा कि मैं कुच्छ देर और सीखूँगी.

मैं फिर तैराकी करने लगी अब मैं जान बूझ कर बार बार अस्थिर होने लगी और मामा का लंड अब खूब सॉफ नज़र आ रहा था कि वो बिल्कुल सीधा खड़ा हुआ था. मैं ऐक बार तैराकी कर'ते हुए डूबने लगी. मामा ने मुझे थाम लिया और मैं खड़ी होकर मामा के सीने से लग गयी. मामा का लंड मेरे पेरो से टकरा रहा था. इस मंज़र ने मुझे बहुत ही सेक्सी कर दिया. मैने ऐक बार फिर तैराकी की कोशिश की और अब मामा ने मुझे पानी पर सीधा करके खुद मेरी टाँगों को फेला कर मेरे पीछे आ गये. अब उन्हों ने मेर पीछे से दोनो टाँगों के बीच होकर मेर पैरो को पकड़ लिया और कहा,पहले हाथों की प्रॅक्टीस करो फिर पैरों से करना. मैं मामा को दोनो टाँगों के बीच पाकर हाथों से प्रॅक्टीस करने लगी और मामा का लंड मेरी चूत के क़रीब महसूस हो रहा था जो कि बहुत ही लाजवाब लग रहा था. मैं हाथों से प्रॅक्टीस कर रही थी और दर असल मामा के लंड को चूत के क़रीब पाकर खुश हो रही थी या सेक्स में गरम हो रही थी.

मामा का लंड हिल'ता हुआ महसूस हो रहा था और उसने मेरे ठंडे पानी में डूबे हुवे बदन में आग लगा रहा था. यह एहसास मुझे पह'ली बार हुआ था और बहुत ही खुस गवार था.. मैं तैराकी तो क्या सीख'ती किसी और आग मैं जलना सीख रही थी. मैं थक गयी तो मैं खड़ी हो गयी. मामा का हाथ अब भी मेर पैरो पर था और खड़े होते ही मेरे चूतड़ के ऊपर मामा का लंड महसूस हुआ. मैं पलट कर सीधी हो गयी और मैने मामा की आँखों मे ऐक नई चमक देखी और खुद मेरे जिस्म के अंदर भी ऐक नया पैगाम था. शाम ढल चुकी थी और मैं ऐक नई ख्वाहिस महसूस कर रही थी.

मामा ने पूछा, और प्रॅक्टीस करो गी लेकिन उनका हलक खुश्क हो चुका था और बड़ी मुश्किल से उनकी आवाज़ निकल रही थी. अभी मैं जवाब ही देने वाली थी कि पापा और भैया की आवाज़ आई कि चलो अब रात हो रही हैं. मैं आवाज़ सुन कर ना चाहते हुए पानी से बाहर निकल आई

लेकिन मामा ने कहा, मैं अभी ठहर कर आ रहा हूँ. मैं समझ गयी कि वो खड़े लंड के साथ कैसे बाहर आ सकते हैं. हमलोंग फार्म हाउस के हॉल मे आ गये और थोड़ी ही देर के बाद मामा भी आ गये. वो कुच्छ चुप चुप थे.

हॉल मे भैया और मामा के साथ साथ सब ही ने हाफ पैंट पहनी हुई थी जबकि हम लड़'कियों और लॅडीस ने शलवार कमीज़ पहनी हुई थी. मम्मी और भाबी वाघिरा खााना लगा रही थी. मैं बार बार मामा को देख रही थी और जब उनकी तरफ देखती तो उनको अपनी ही तरफ देखते हुवे ही पाती. मेरे अंदर आग लगी हुई थी और मामा के लंड और हाथो की तपिश अब भी महसूस हो रही थी.

सब खाना खा रहे थे लेकिन मैं बेदिली से खा रही थी. ऐक आग जो मेरे बदन में लगी हुई थी कम नहीं हो रही थी. मामा भी दूसरी तरफ चुप चुप थे और वो भी वही सोच रहे होंगे जो मैं सोच रही थी. मामा ऐक लंबे क़द और सेहत मंद जिस्म के मालिक थे. वो और भैया दोनो ही डेली जिम जाया कर'ते थे और इसी वजह से दोनो में बहुत दोस्ती थी. मेरी कज़िन्स मुझ से बातें कर रही थी लेकिन मुझे कोई दिलचस्पी नही हो रही थी. मैं अपने बारे में गौर कर रही थी कि मैं ऐक दुबली पतली परंतु लंबी थी. मेरी आँखे ब्राउन और स्किन कलर फेर था जबकि बाल बहुत ही सिल्की और बड़े थे. मैं अपने बारे में सोच ही रही थी कि खाना ख़तम हुआ और अब हमलोग चाय का लुफ्त उठा रहे थे और सब ही गॅप शॅप कर रहे थे. रात के अब 11 हो गये थे और आख़िर पापा ने कहा, अब सब सो जाएँ क्योंकि मॉर्निंग मे ब्रेक फास्ट कर के सब को वापिस जाना है. हॉल मने कार्पेट पर बिस्तर सेट होने लगे और मैं हॉल की दीवार के पास खिड'की के नीचे अपने बिस्तर पर लेट गयी. तमाम जेंट्स के बिस्तर हॉल में ऐक साथ सेट हुए और उनके पैरों की तरफ कुच्छ फ़ासले के बाद लॅडीस के बिस्तर सेट हुए. मैने देखा कि मामा मेरी खिड'की के बाद ऐक खिड'की छोड़ कर दूसरी खिड'की के पास बेड पर थे और उनके बराबर पापा का बेड था... हम सब के लेटने के बाद हॉल की लाइट ऑफ कर दी गयी. मेरी विंडो से चाँदनी रात छन छन कर मेरे बेड पर गिर रही थी और खिड'की के नीचे लगी हुई रात की रानी की खुश्बू ने मुझे मस्त कर दिया था.
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(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......


साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
मंदिर जाकर जाप भी कर लेता हूँ ..
मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
बस यही सोचकर थोडा सा पाप भी कर लेता हूँ
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लक्की चादर--2

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मैं लेटे लेटे मामा के बारे मैं सोच रही थी कि जो कुच्छ आज स्विम्मिंग पूल मैं हुआ था वो कितना हस्सीन था. मुझे अब भी ख़यालों में मामा का लंड चूत के क़रीब और हाथ मम्मों पर महसूस हो रहा था. मैं ने अपने हाथ शर्ट के अंदर से अपने मम्मों पर लगाए तो महसूस हुआ कि मेरे मम्मे अब भी खुशी में खूब तने हुवे थे.. मैने दूसरे हाथ को शलवार के अंदर डाला और चूत को छुआ तो मज़ा आ रहा था. मैं ने सोने की कोशिस की लेकिन मुझ से तो लेटा भी नहीं जा रहा था, बस करवट बदल रही थी. मैं तो बेड पर फॉरन सोने की आदी थी लेकिन आज तो नींद नाराज़ हो गयी थी.

हॉल मे ख़र्राटों की आवाज़े आ रही थी और ठंडी चाँदनी मेरे ऊपेर थी. मैं मामा के बारे में सोच रही थी कि वो सोते हुए मेरे बारे मे ख्वाब ज़रूर देख रहे होंगे. मेरी हालत आज के वाक़्'ये के बारे में सोच कर बर्दाश्त से बाहर हो रही थी. कम्बख़्त नींद भी नही आ रही थी.. मैने अपने ऊपेर से चादर (शीट) हटाई और अपनी शर्ट ऊपर कर के अपने जिस्म को नंगा किया. हल्की हल्की चाँदनी में कुच्छ नज़र तो आ रहा था लेकिन सॉफ नहीं था. मैने शर्ट और सलवार दोनो उतार दी और अब मैं नंगी हो गयी. मैं अपने हाथों से अपने जिस्म को सहलाने लगी और मुझे मज़ा आने लगा. अपनी उंगलियों से चूत को छुआ तो और भी मज़ा आने लगा. मेर अंदर से भाप(स्टीम) निकल रही थी और लग रहा था कि मेरा जिस्म आग से पिघल(मेल्ट) ना जाय.चैन नहीं आ रहा था और समझ में नहीं आ रहा था कि क्या करूँ बस दिल चाह रहा था कि मामा मेरे पास आ जाए और मेर साथ लेट जाएँ.यह सोच'ते ही मेरे ज़हन में ऐक ख्याल बिजली की तरह आया कि क्यों ना मैं खुद ही मामा के पास चली जाऊं. फिर सोचा कि कहीं गड़बड़ ना हो जाय और मामा कुच्छ और ही ना कर दें. जिस्म था कि ज़ालिम सुकून नहीं पा रहा था. मैं अपने हाथों से अपनी चूत और बूब को सहला रही थी लेकिन ज्यों ज्यों मैं सहलाती आग और भड़क उठ ती.

मैं ऐक दम नंगी ही खड़ी हो गयी और हॉल में देखा कि हर तरफ अंधेरा ही छाया हुआ है. मामा वाली खिड'की पर शायद परदा था जो कि बहुत ही मुश्किल से नज़र आ रहा था. मैने सोचा कि आज या फिर कभी नहीं. यह सोचना था कि सारा खोफ़ ख़तम और मैं ऐक निडर और बेखौफ़ लड़की की तरह हो गयी. मैं आहिस्ता आहिस्ता मामा की तरफ बढ़ रही थी. ऐक विंडो छोड़ी और दूसरी खिड'की तक पहुँच गयी. इसी खिड'की के किनारे मामा थे.

मैं नंगी ही थी और मामा के बराबर लेट गयी. मामा ने चादर ओढ़ रखी थी. मामा सो रहे थे और उनकी साँसों की आवाज़ें आ रही थी. मुझे दुख हुआ कि मेर अंदर आग लगा कर खुद किस मज़े से सो रहे हैं. मैने आहिस्ताः से उनकी चादर उठाई और उनके बराबर ही लेट गयी. मामा के जिस्म की गरमी मेरे जिस्म पर महसूस हो रही थी. मामा गहरी नींद में थे और सीधे लेटे हुवे थे.

मैने अपना हाथ मामा की हाफ पैंट पर से लंड पर रखा तो मामा की तरह वो भी सोया हुआ था. मैं करवट लेकर उनके और क़रीब हो गयी और अपने हाथों से उनके सीने को हाथ लगाया और उंगलिओ से सहलाने लगी लेकिन क्या नींद थी कि उन पर कोई असर नहीं हुआ. मैने अपने हाथ बढ़ाए और उनकी हाफ पैंट मे, जो कि बिल्कुल लूस थी, अपने हाथ डाल कर लंड तक पहुँच गयी. उनका लंड ऐसा लग रहा था कि जैसे कोई ठंडा गोश्त हो. मैं ने अपनी उंगलियो से उनके लंड को सहलाना शुरू कर दिया.

चन्द ही लम्हों मे उनका लंड कुच्छ हरकत में आ गया. मेरी उंगलियाँ उनके लंड को जगा रही थी और उनका लंड भी रफ़्ताह रफ़्ताह जाग रहा था. तभी अचानक मामा ने करवट बदली और उनका चेहरा मेरी तरफ हो गया. मैने हाथ निकाला नहीं और सहलाती ही रही. मेरे होन्ट मामा के होन्ट के क़रीब हो गये और मेरे मम्मे उनकी छाती पर लग गये. मैने उनके होंटो से अपने होन्ट चिपका लिए और उंगलिओ से उनका लंड सहलाती रही. उनका लंड काफ़ी बड़ा हो चुका था मगर अब भी वो लेटा ही हुआ था. मैने मामा के होंटो को अपने होंटो मे ले लिया.उनके होंटो को चूसा तो ऐसा लगा कि मेरे होंटो मैं कोई मीठी और गरम सी चीज़ आ गयी. होंटो को चूमा तो मेरा जल'ता हुआ जिस्म और दहक गया.

मामा का लंड तेज़ी से और बड़ा हो रहा था और अब खड़ा होने लगा था. मैने अपने हाथों से लंड को पकड़ लिया. मेरे हाथों ने पह'ली बार किसी लंड को छुआ था. लंड इतना मोटा था कि मेरी हथेली में नहीं आ रहा था और लंबा कितना था उसका अंदाज़ा ही मुश्किल था. लंड मेरी हथैली मे ऐसा मचल रहा था कि हाथों से बाहर निकलना चाहता हो. मामा के लंड की तपिश से मेरी हथैली गीली हो रही थी और लंड की वेन्स तैज़ी से हिल रही थी. काश मैं मामा का लंड देख सक'ती.

मैं होंटो को चूस रही थी कि अचानक मामा की सोने वाली साँसे रुक गयीं. वो यक़ीनन जाग चुके थे लेकिन मैं डर नहीं रही थी और बिल्कुल नॉर्मल थी. मामा ने अपने हाथों से मुझे हटाना चाहा तो उनको महसूस हुआ कि मैं तो नंगी हूँ. उनका हाथ मेरी कमर पर रुक गया. अब उनके हाथों ने मेरे जिस्म को नीचे की तरफ टटोला तो मेरा पूरा बदन ही नंगा मिला. उनका लंड और सख़्त हो गया और उन्हों ने कुच्छ देर तक रुकने के बाद मुझे अपने हाथों से सीने पर चिप'का लिया और खुद ही प्यार कर''ने लगे.

मेरा काम ख़तम हुआ और अब मैं मामा की मर्ज़ी पर थी. मामा मुझे प्यार कर रहे थे और अपने मज़बूत हाथों से मेरे 15 साल के सिल्की, बैदाग और गरम जिस्म को मसल रहे थे. मैं खुश थी और मामा की आगोश में बहुत ही महफूज़ महसूस कर रही थी. मामा के बराबर पापा की ख़र्राटों की आवाज़े मुसलसल आ रही थी. मैने हाथ बढ़ा कर मामा को गले लगा लिया और कुच्छ ज़ोर से उनसे चिमट गयी. मामा ने अपनी हाफ पैंट उतार दी और शर्ट तो थी ही नहीं. मामा का लंड मेरी चूत पर था और मेरी थाइस के अंदर जाने की कोशिस कर रहा था. मैने अपनी ऊपेर वाली जाँघ को ज़रा ऊपेर किया और मामा का लंड अंदर चला गया. लंड को अंदर पाया तो मैने अपनी जाँघ वापिस रख दी और मामा का पूरा लोहे की तरह सख़्त लंड मेरी जाँघ को क्रॉस करता हुआ बाहर झाँक रहा था.

मामा मेरे होंटो, गालों और आँखों को चूम रहे थे और मैं भी उनको चूम रही थी जबकि उनका लंड मेरी चूत के दाने को मसल रहा था. मेरे पेरो मैं ऐक आग का गोला था जो अंदर ही अंदर घूम रहा था. मैं मामा को चूमते हुए पागल हो गयी और उनके मूँह मे अपनी नाज़ुक ज़ुबान डाल दी. मामा ने मुझे अपनी बाँहो में जकड़ा हुआ था और मैं ऐक कंवारी लड़की मामा को अपने सीने से चिप'का कर उनकी ज़ुबान को काट रही थी.मामा ने मुझे सीधा लिटा दिया और खुद मेरी टाँगों के बीच आ गये. पूरे हॉल मे खामोशी थी और सब ही गहरी नींद सो रहे थे. मामा ने अपना लंड मेरी चूत पर रखा. मेरी चूत तो वैसे ही इत'नी देर मे गीली हो चुकी थी. उन्होने लंड को मेरी चूत पर रख कर अंदर डालने की कोशिस की. उनका तपता (हॉट) हुआ लंड मेरी चूत पर रखा तो चूत पर नई लज़्ज़त सी महसूस हुई. उनका लंड ज्योन्ही मेरी चूत के दरवाज़े को खोल कर ज़रा सा ही अंदर दाखिल हुआ तो मेरी चूत मे दर्द शुरू हो गया.

ऐसा लग रहा था कि कोई पहाड़ मेरी चूत के अंदर आ रहा है.चूत में मामा का लंड फँस गया और ज्योन्ही कुच्छ और अंदर आया मेरी तो चीख निकल ने लगी और दर्द बर्दाश्त नहीं हो रहा था. मैने चादर अपने मूँह में ठूंस ली जबकि मामा को कुच्छ पता ही नहीं था कि मुझ पर कैसी क़यामत टूट रही है. ऐक लम्हे को दिल चाहा कि वहाँ से भाग जाऊं लैकिन फिर सोचा कि ऐसा मोक़ा कभी नही आएगा. सोचा, 'आज या फिर कभी नहीं'. मामा का लंड और अंदर आया और अब मेरी बर्दाश्त ने जवाब दे दिया और चादर मूँह मे ठूँसने के बाव'जूद ऐक हल्की सी चीख निकल गयी. मामा ने चीख सुनी तो ऐक दम मेरे ऊपेर आ गये.

उन्हों ने मेर होंटो को चूम'ना चाहा तो वहाँ चादर थी. वो समझ गये कि उनके लंड ने क्या कर दिया हे. उन्हों ने मेरी आँखों पर हाथ लगाया तो वहाँ आँसू बह रहे थे. मामा ने अपना मूँह मेरी आँखों पर रखा और आँसू को पीने लगे. उनका लंड अब भी वहीं था. मामा मेर ऊपेर लेटे हुवे थे और मैं उनके बोझ(वेट) के नीचे दबी हुई थी लेकिन उसकी तकलीफ़ लंड से पैदा होने वाली चूत की तकलीफ़ के साम'ने कुच्छ भी नहीं थी.
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साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
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लक्की चादर--3

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मामा मुझे प्यार कर'ने लगे और आहिस्ताः आहिस्ता लंड को अंदर डालने लगे. मेरा अंदाज़ा था कि ऐक इंच फी मिनिट की रफ़्तार से लंड अंदर जा रहा था. मैने मामा को दर्द की शिदत से अपनी बाँहों मे लिपटा लिया था. मेरी चूत मे मिर्ची सी लग रही थी और लग रहा था कि कंवारी चूत लंड की वजह से टुकड़े टुकड़े(पीस) हो जाए गी. मामा के होंटो ने मेरे होंटो को चूस'ते हुवे मेरी तकलीफ़ देह चीखों को बंद कर दिया था.

लंड अंदर जा रहा था जैसे कोई साँप(स्नॅक) अपने बिल मे दाखिल हो रहा हो. ऐक मुक़ाम पर आ कर उनका लंड रुक गया और मैं महसूस कर रही थी कि ऐक परदा है जिसने उनके लंड को रोका हुआ है. यह मैं जान'ती थी कि कंवारी लड़'कियों मे अक्सर ऐक परदा होता है. मामा का लंड रुका हुआ था और ना मालून कितना अंदर गया था और कितना बाहर रह कर अंदर जाने के लिए बैताब था. मामा ने मेरी गर्दन के नीचे हाथ डालकर मुझे और ज़ोर से अपने से चिमटा लिया और मेर दोनो होंटो को अपने मूँह में ले लिया. मामा इसी तरह मेरे ऊपेर से ज़रा ऊपेर उठे. उनका पैर ऊपेर हुआ जिस'से उनका लंड थोड़ा सा बाहर निकला और फिर उन्हों ने मेरी गर्दन को खूब ज़ोर से भींचा और फिर ऐक दम उन्हों ने अपने लंड को खोफ़नाक झटका दिया और मेरी चूत के पर्दे को पाश पाश (पीस) कर दिया.

मेरी आँखे उबल पड़ी, मेरी चीख निकल गयी, मेरी चूत मे जैसे बॉम्ब फॅट गया. पूरा हॉल रोशन लग रहा था. मेरी आँखों में तारे नाचने लगे. मेरा जिस्म काँप'ने लगा और मामा का लंड पूरी तरह अंदर जा चुका था. मैं रो रही थी और मैं अपने हाथों से मामा को धकैल रही थी. लेकिन कहाँ मैं दुबली सी सिर्फ़ 17 साल की लड़की और कहाँ लहीम शाहेम मामा. मुझे पेन नहीं बल्कि मेरा पूरा जिस्म टुकड़े टुकड़े हो चुका था.

मैने मामा को अपनी बाँहों से जकड लिया और अपने होंटो को मामा के होंटो से आज़ाद कर के दर्द की शिदत से मामा के राइट साइड के शोल्डर को जो कि मेरे होंठो के क़रीब था पर अपने दाँत (टीत) गाढ (काट) दिया. मुझ में जित'नी ताक़त थी उत'नी शिदत से मामा के कंधे पर अपने दाँतों को गाढ दिया. मैं उनके कंधे को इस ज़ोर से काट रही थी कि मुझे मामा के कंधे से नमकीन खून (ब्लड ) का स्वाद महसूस हो रहा था. मामा की भी दर्द के मारे सिसकियाँ निकल रही थी.

इसी दोरान मुझा अपनी चूत मे से कोई गरम गरम पदार्थ बहता हुआ महसूस हुआ. यक़ीनन यह मेरी कंवारी चूत से बहता हुआ खून था जोकि रह रह के बह रहा था. मामा मेरे मम्मों को चूस रहे थे और मैं उनके कंधे को ही काट रही थी. अब मेरे पेन में रफ़्ता रफ़्ता कमी हो रही थी. मैने मामा के होंटो पर अपने होन्ट रख दिए और उनको चूसने लगी. दर्द की कमी के बाद मेरी चूत मे सज़ा हुआ मामा का लंड अच्छा लग रहा था.

मामा ने मुझे प्यार करता हुआ पाया तो वो शायद कुच्छ मुत्मिन (बेफ़िक्र) हो गये और जवाब मे मुझे भी प्यार कर'ने लगे. मैं लंड के बारे मे सोच रही थी कि कितना बड़ा होगा काश मैं देख सक'ती. अब मामा ने लंड को आहिस्ताः आहिस्ताः बाहर निकाल कर अंदर डालना शुरू कर दिया. मामा का खोफ़नाक लंड अब दर्द की मंज़िल तय कर चुका था और मेरे जिस्म मे हल्की हल्की लज़्ज़त और मज़ा मिल रहा था. अभी मैं इस लज़्ज़त को महसूस ही कर रही थी कि बराबर लेटे हुवे पापा का हाथ मेर सीने पर आ गया.

मेरे पापा का हाथ उनकी बेटी के सीने पर था मैं मुस्कुरा दी लेकिन वो खर्राटे ले रहे थे. मैने उनका हाथ सीने पर से हटा दिया और मामा के लंड की तरफ मुतवजह हो गयी. मामा का लंड अंदर बाहर हो रहा था और गोया कि मीठा मीठा दर्द महसूस हो रहा था लेकिन मज़ा ज़्यादा आ रहा था. मैं मामा को प्यार कर रही थी और वो मेरे मम्मों और होंठो को चाट रहे थे. मैने मामा को अपनी बाँहों (आर्म्स) से क़रीब किया हुआ था. मामा के लंड में अब तैज़ी आ रही थी और मैं भी अपनी चूत से उनके लंड को अंदर बाहर कर रही थी. चारो तरफ खामोशी थी और रात की रानी ने पूरे हॉल को महका दिया था.

मैने मामा के गालों को प्यार किया और फिर उनके मूँह मे अपनी ज़ुबान डाल दी. मामा की ज़ुबान ने मेरी ज़ुबान को चूसना शुरू कर दिया और लंड ने मेरी चूत मे सेक्स की चिंगारी जला रखी थी.मामा की रफ़्तार और तेज हो गयी थी और रफ़्ताह रफ़्ताह तेज़ी मे इज़ाफ़ा हो रहा था. मैने अपनी दोनो टाँगों को मामा की कमर के गिर्द फेला दिया था और खुद भी धक्के लगा रही थी. अब हम दोनो ही एज हो गये थे. दर्द तो था लेकिन बहुत ही कम. मामा ने एक बार फिर मुझे भींच लिया और लंड की रफ़्तार खूब तेज हो गयी थी. मेरी चूत भी लंड को पाकर पागल हो चुकी थी. मामा के लंड मे कुच्छ देर तक तेज़ी रही और हम दोनो के किस भी गहरे और लंबे होते गये. मामा के लंड से गरम गरम गाढ़ा पदार्थ निकला और उसने मेरी चूत के अंदर तमाम हिस्सों को भर दिया. मेरी चूत इस नयी और सेक्सी तब्दीली को महसूस कर के खुद भी निढाल हो गयी और अंदर से एक नया सैलाब बहने लगा. मेरा पूरा वुजूद सुकून और राहत में डूब गया. मैने मामा की तरह इस लम्हे एक दूसरे को खूब ज़ोर ज़ोर से किस किया.

मामा का लंड मेरी चूत के अंदर ही अपने अंदर से एक एक क़तरे को बाहर निकाल रहा था और मेरी चूत का जूस भी निकल रहा था. मामा मेरे ऊपेर लेटे हुए प्यार कर रहे थे. मैने ऊपेर लेटे मामा की कमर पर 3 टाइम एसएसएस लिखा और वो थोड़ी देर के लिए मेरे लिखने पर कुच्छ रुके और फिर प्यार करने लगे. मामा का लंड अब वापिस आने लगा था और थोड़ी देर बाद जब बाहर निकला तो चूत मे बंद हम दोनो का निकला हुआ वीर्य निकल ने लगा. मामा मेरे पहलू मे आ गये और मुझे गले लगा लिया. मैने मामा के मुक़ाबले मे उनको खूब किस किया और काफ़ी देर तक उनके साथ चिमटी रही. मैने एक बार फिर मामा के सीने पर अपनी नाज़ुक उंगलिओ से 3 बार एसएसएस लिखा यानी कि मेरा पूरा नाम समा सलमान सुरती.

मैने देखा कि दूर कहीं सूरज निकल रहा है. मैने मामा के होंठो पर उस रात का आखरी किस किया और नंगी ही अपने बेड पर चली गयी. मामा को शायद यह मालूम था कि नहीं कि मैं कॉन हूँ. उन्होने हॉल में मोजूद किस लड़की की जवानी को अपने लंड से क़ुबूल किया है. मैं अपने बिस्तर पर नंगी लेटी हुई थी और खुश गवार यादें मेरी रूह मे मुस्तक़िल जगह बना चुकी थी. मेरी चूत के अंदर और बाहर अब भी हल्का हल्का दर्द था मगर सुरूर मे डूबा हुआ महसूस हो रहा था. मैने चादर ओडी और कुच्छ देर बाद नींद की आगोश मे नंगी ही चली गयी.
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(वापसी : गुलशन नंदा) ......(विधवा माँ के अनौखे लाल) ......(हसीनों का मेला वासना का रेला ) ......(ये प्यास है कि बुझती ही नही ) ...... (Thriller एक ही अंजाम ) ......(फरेब ) ......(लव स्टोरी / राजवंश running) ...... (दस जनवरी की रात ) ...... ( गदरायी लड़कियाँ Running)...... (ओह माय फ़किंग गॉड running) ...... (कुमकुम complete)......


साधू सा आलाप कर लेता हूँ ,
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मानव से देव ना बन जाऊं कहीं,,,,
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लक्की चादर--4

Post by rajsharma »


हाल मे लोगों के शोर पर उठी तो मालूम हुआ कि लोग जागना शुरू हो गये थे. मैने चादर के अंदर ही अपने कपड़े पहने और बेड पर बैठ गयी. मामा पापा और दूसरे लोगों के साथ ब्रेक फास्ट की तैयारी कर रहे थे जबकि भाई सब लोगों को जगा रहे थे. मामा समेत काफ़ी लोगों ने अपना समान पॅक कर लिया था. चूँकि नाश्ते के बाद सब का वापिस जाने का प्रोग्राम था. मैं वॉश रूम से फारिघ् होकर मामा के पास बैठ गयी. मामा ने पूछा,

रात कैसी गुज़री, नींद अच्छी से आई या नहीं.

मैने कहा, ज़बरदस्त, ऐसी मुबारक रात सब को मिले. यह सुन कर सब ही मुस्कुराने लगे.

भाई ने पूछा,
समा ! तैराकी अच्छे से सीख'ली ना.

मैने जवाब दिया,
बहुत कुच्छ सीख लिया. हम लोग घर पहुँच गये और मामा हमलोगों को छोड़ कर अपने घर चले गये. उन्हे जाते हुए देख कर मैने मुस्कुरा कर शुक्रिया अदा किया और वो मुस्कराते हुए चले गये.

मैं दिल मे सोच रही थी कि अब अगली बार मामा से किस तरह मज़ा लूँगी और अब तो कोई मुश्किल भी नही. मैं अपने कमरे मे चली गयी और शवर लेकेर सो गयी. सारी रात तो जागी थी. मैं ने तो फार्म हाउस मे अपनी ज़िंदगी की सब से सुहानी रात गुज़ारी थी. शाम को सो कर उठी और भाबी के कमरे मे चली गयी. वो भी अभी सो कर उठी थी. शायद उन्हों ने भी भाई के साथ फार्म हाउस का लुफ्त उठाया था. भैया शवर ले रहे थे.

भाबी ने मुझ से कहा,
समा ! तुम पिक्कनीक के बाद कित'नी खुश ओर फ्रेश नज़र आ रही हो. मैं सिर्फ़ मुस्कुरा दी. भाबी ने फार्म हाउस वाला बेग निकाला कि समान सेट कर लें और इत'ने में भैया हस्बे आदत बनियान और शॉर्ट पहने हुए हाथ में तोलिआ (टवल) लिए हुए आ गये. उन्हों ने मुझे देख कर पूछा,

पिक्निक कैसी रही \

मैं ने कहा,
भैया बहुत मज़ा आया. मैं भाबी का हाथ बटा रही थी.

ईत'ने में भाबी ने भाई की तरफ चीख कर कहा,
यह आपको क्या हुआ.

मैं भी चोन्की तो देखा कि भैया के कंधे पर नील पड़ा हुआ हैं. मैने देखा तो भीतर तक हिल गयी और सोच'ने लगी कि कहीं रात को मामा की जगह भाई तो नहीं थे. भाई थोड़े से घबरा गये और मैने भी भैया के क़रीब जाकर देखा तो वहाँ दाँतों के निशान सॉफ नज़र आ रहे थे. मुझे अच्छी तरह याद आया कि मैने मामा के दाहिने कंधे को बुरी तरह काटा था, जब उनका लंड मेरी चूत के पर्दे को फाड़ रहा था. भाई भाबी को तसल्ली दे रहे थे, कि मैं फार्म हाउस पर खिड'की के किनारे लेटा हुआ था सो हो सकता है कि किसी कीड़े ने काट लिया हो.

भाबी ने कहा,
मैने मना किया था ना और कहा था ना कि हॉल के बीच मे सो जाओ. पर मेरी कौन सुन'ता है.

भैया ने कहा, मामा को खिड'की के पास ठंड लगी तो उन्होने बिस्तर खिड'की से दूर लगा लिया, तब मैं पापा के सामने वाले हिस्से मे लेट गया कि कहीं पापा को रात को कोई ज़रूरत हो तो मैं वहीं रहूँ.

मेरी पेशानी पर पसीना आ गया और अभी मैं खोफ़ जदा हो ही रही थी कि भाबी की और हल्की सी चीख ने मुझे चौंका दिया. वो भैया पर नाराज़ हो रही थी और पूच्छ रही थी, वो चादर कहाँ हें जिसपेर आप सोए थे.

भैया ने कहा,
चादर पर चाय गिर गयी थी सो मैने ड्राइ क्लीनर को धोने के लिए भिज'वा दी है और कल मिल जाएगी. भाभी को वह चादर बहुत अज़ीज़ थी चूँकि ये वही शीट थी जिस पर भाबी ने दुल्हन बनकर पह'ली बार भैया के साथ अपनी सुहाग रात मनाई थी और चुदी थी.
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लक्की चादर--5

Post by rajsharma »

मुझे काटो तो खून नहीं. मैं थर थरा ने लगी और अपने कमरे मे चली गयी. अब तो कोई शक नही था कि बीती रात मेरे साथ मामा नही थे. मैने अपने सगे बड़े भैया के साथ उसी चादर पर अपनी जवानी का लुफ्त उठाया था जोकि भैया और भाबी की सुहाग रात की थी. भाई ने सोचा उस रात उनकी कोई कज़िन होगी जो रात में अप'ने तन की आग ठंडी कर'ने उन'के पास आ कर सो गयी. सुबह जब चादर पर खून देखा होगा और फिर उसे राज़ खुल जाने की वजह से नोकर के हाथों ड्राइ क्लीनर को भिजवा दिया . भैया को क्या मालूम कि उन्हों ने रात को अपनी छोटी बहेन की चूत को चोदा था और वही चादर थी जिसपर उन्हों ने पह'ली बार भाबी को चोदा था. मैं अब कुच्छ नॉर्मल हुई और तमाम बातों को सोचने लगी. डिन्नर मैं चुप चुप रही और मेरा ज़मीर मालमत कर रहा था कि यह क्या हो गया.

रात को बेड पर लेटे हुए मैं सब कुच्छ सोच'ती रही और भाई ने किस तरह मुझे चोदा था एक एक तफ़सील याद आ रही थी. भाई के बारे मे सोचते हुए मुझे उन यादों मे एक नया पन लगा और मैं सोचने लगी कि भाई ने किस मोहब्बत से मुझे पह'ली बार चोदा था और सोच रहे होंगे कि वो कौन थी. यह सोचते सोचते मैं सो गयी और सुबह बहुत देर से आँख खुली. मैं कॉलेज भी नहीं गयी और तमाम दिन सोच ती ही रही. अम्मी पापा सब ने पुछा और शाम को मामा आया तो उन्हों ने भी पूछा मैने कह दिया कि मैं थक चुकी हूँ. मैं सोच रही थी कि मामा आप क्यों वहाँ से हटे और यह भी सोचा कि मामा आप कितने बदनसीब हैं कि ऐसा हसीन वक़्त गँवा दिया. मैं इसी फिकर मे थी और भाई का सेक्स का अंदाज़ कुच्छ ज़्यादा ही याद आ रहा था.

अब मैं बिल्कुल फ्री हो गयी थी मैं कोई अनोखी लड़की नहीं हूँ जिसने अपने भाई से चुद'वाया है. मैने सुना है और इंटरनेट पर; राजशर्मास्टॉरीजडॉटकॉम में पढ़ा भी है कि हज़ारों लड़'कियों ने अपने पापा या भाइयों के साथ चुद'वाया है. ये सोच कर कुच्छ सुकून हुआ और एक नई तब्दीली आई कि मैं भाई से सेक्स की. यादों को याद कर के खुश हो रही थी. दो तीन दिन में मेरी काफियत बदल गयी और अब भैया की एक एक बात और एक एक चीज़ पहले से भी ज़्यादा अच्छी लगने लगी. दिन गुज़र'ते रहे और मैं खुश होती रही कि मेरे भाई ने मेरे को चोदा. भाई जब सामने आते तो मुझे वो शोल्डर वाला निशान नज़र आता और वह इतना गहरा था कि अब भी मौजूद था.

मेरे बेड की शीट मैली(डर्ट) हो गयी थी मैं भाबी के पास चादर माँगने गयी तो भाबी ने वही चादर मुझे देदी. मैने अपने बेड पर वो चादर बिच्छा दी और मैं खुश थी कि यह वही चादर है जिस पर मैने और भाबी ने ज़िंदगी का पहला सेक्स किया था. इन्हीं यादों में कुच्छ दिन गुजर गये. इस बीच भाभी भी कुच्छ दिनों के लिए पिहर चली गयी.

फिर एक दिन मैं अपने कमरे में बैठी टीवी देख रही थी कि भाई आ गये और मेरे बाथ रूम मे शवर लेने चले गये. जब भाई शवर ले रहे थे तो मैं सोच रही थी कि भैया नंगे हो कर कैसे लग रहे होंगे और भाबी कित'नी खुश नसीब हैं कि भैया जैसा सेहत मंद शोहर मिला है और मज़े से सेक्स करने वाला मिला है. बाथ रूम से शवर की आवाज़ सुनकर मेरे दिल मे एक ख्याल आया और मैं जल्दी से बाथ रूम के वेंटिलेशन का पास पहून्च गयी जो कि गेलरी मे खुल'ता था. वहाँ स्टूल क़रीब था और उस पर खड़ी होकर झाँका तो भैया नंगे शवर ले रहे थे.

क्या हसीन पुर कशिस जिस्म था भाई का और वहाँ से भैया का वो लंड नज़र नही आ रहा था जो कुच्छ दिन पहले मेरी चूत के आगोश मे था. भैया के भरे भरे बाज़ू और चौड़ा चकला सीना बस दिल चाह रहा था कि उनके सीने से लिपट जाऊं. भैया ने शवर बंद किया और मैं जल्दी से बेड पर आ गयी. मेरा दिल बाल्यूम उच्छल रहा था और मैं सोच ही रही थी कि काश भैया खुद ही मेरे पास आ जाएँ और अपनी प्यारी छोटी बहेन को एक बार फिर वही मज़ा दे लेकिन ऐसा मुमकिन नहीं था. भैया हस्बे आदत शॉर्ट पहने हुए और बगैर बनियान के टवल हाथ मे झूलाते हुए कमरे मे आ गये. मैं बेड पर सिर'हाने तकिया लगा कर लेटी हुई थी.

टेलिविषन पर भैया का पसंदीदाः प्रोग्राम आ रहा था. भैया मेरे बेड पर बैठ गये और प्रोग्राम देखने लगे. मैं भैया का गीला गीला नोजवान जिस्म देख रही थी जो मुझ से एक इंच के फ़ासले पर था. यह वही पुर कशिश और सेक्सी जिस्म था जो मुझे अपने से चिप'का चुका था. वही जिस्म मेरे सामने था और सिर्फ़ शॉर्ट में था लेकिन मैं इस जिस्म की होकर भी उस से चिमटने तो कहाँ मैं हाथ भी नहीं लगा रही थी. भाई टीवी प्रोग्राम देख रहे थे और मैं भैया के कंधे को जिस पर अब भी वहीं मेरे दाँतों के निशान थे. मेरे तसवुर मे भैया मेरे ऊपेर लेटे हुए और मुझ से सेक्स कर'ते हुए नज़र आ रहे थे. मैं दिल ही दिल मे खुश थी कि भैया के शोल्डर पर मेरे दाँतों के निशान थे. मैं अंदर ही अंदर पीघल रही थी और बहुत दिल चाह रहा था कि भैया मुझे गले लगा ले. मैने कहा कि----

"भैया यह इन्सेक्ट का निशान तो बहुत ही गहरा है आप कोई मल'हम नहीं लगा रहे"

भैया ने कहा अरे छोड़ो ! यह मामूली घाव अप'ने आप ठीक हो जाएगा.

मैने फिर कहा,
आप भाबी से कहे कि कम अज कम इसे हाथों से सहलाएँ ताकि जल्द ठीक हो जाय.

भैया ने कहा,
ठीक है आज तो तुम्हारी भाबी मेके (पेरेंट्स होम) गयी हुई हैं.

मैं बहुत ही गरम हो रही थी और दिल भी तैज़ी से धड़क रहा था. मैं बेड पर से उठी और खुद ही कहा कि लाइए मैं सहला देती हूँ. मैं भैया के पीछे बैठ गयी और सहलाना शुरू कर दिया. भैया टीवी मे मगन थे. मैने हल्के हल्के अपने दाँतों के निशान को सहलाना शुरू कर दिया और वो रात मेरे सामने थी जब भैया का लंड मेरी चूत के अंदर था और मैने पेन की वजह से उनके शोल्डर पर खूब ज़ोर से काटा था.

भैया का जिस्म नहाने के बावजूद गरम था और उनके शोल्डर को सहलाना बहुत ही अच्छा लग रहा था. मैने सहलाते हुए उस निशान पर अपनी ज़ुबान रख दी. भाई ने एक दम कहा कि अर्रे यह क्या कर रही हो. मैने कुच्छ जवाब नहीं दिया और धड़कते दिल के साथ मैने उनकी कमर पर 3 टाइम एसएसएस लिख दिया. भैया एक दम चोन्के और टीवी से उनकी तवज्जो हट गयी. मैने एक बार फिर अपनी उंगलिओ से उनकी नंगी कमर पर पहले एक एस फिर दूसरा एस और फिर तीसरा एस लिखा. ज़्योन्ही मैने तीनों एस लिखे भैया एक दम चोंक गये और बेड पर से बैठे बैठ इस तरह मेरी तरफ रुख़ किया जैसे उन्हे बिच्छू ने काट लिया हो. उन्होने मेरी तरफ रुख़ किया और मैने उनकी तरफ देखा और कहा,

भैया सॉरी उस रात मैने ज़ोर से काट लिया था. यह सुनना था कि भाई के चेहरे पर एक रंग आ रहा था और दूसरा जा रहा था. उनको शक हो गया था वो मेरी तरफ देख रहे थे और मैं निगाहे नीची किए बेड की तरफ देख रही थी. कोई एक मिनिट तक कमरे मे टीवी की आवाज़ के अलावा खामोशी थी. मेरा दिल बुरी तरह धड़क रहा था कि दिल हलक़ से बाहर निकल ने को था. भैया एक दम बढ़े और मुझे गले लगा लिया और मुझे चूमने लगे. भाई ने मेरी घबराहट और मुश्किल आसान कर दी. मैं भी भैया से लिपट गयी और उन्हे प्यार करने लगी. इसी दोरान भैया ने मुझे बेड पर लिटा दिया और मेरे पहलू मे आकर मेरे होंठो को किस कर'ने लगे.
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