बहन भाई की मस्तियाँ
- mastram
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- Joined: 01 Mar 2016 09:00
Re: बहन भाई की मस्तियाँ
जैसे ही वेटर वापस गया, मैंने कमरे के दरवाज़े को अच्छी तरह से बंद किया। मैंने कमरे की खिड़की को भी चेक किया और उनमें पर्दा डाल दिया। तब तक बाजी कमरे में घुस कर कमरे के बीच में खड़ी हो गई।
बाजी को कुछ समझ में नहीं आ रहा था और वो चुपचाप खड़ी थी। मैं तब बाथरूम में गया और बाथरूम की लाइट को जला करके बाथरूम का दरवाज़ा आधा बंद कर दिया, जिससे कि कमरे में बाथरूम से थोड़ी बहुत रोशनी आती रहे। फिर मैंने कमरे की रोशनी को बंद कर दिया।
बाजी आराम से बिस्तर के एक किनारे पर बैठ गई। कमरे में रोशनी बहुत कम थी, लेकिन हम लोग एक दूसरे को देख पा रहे थे। मैं अपनी शर्ट के बटन खोलने लगा और बाजी से बोला- तुम भी अपने कपड़े उतार दो। बाजी ने भी कपड़े उतारने शुरू कर दिए। जैसे ही अपना पैंट खोला तो मैंने देखा की बाजी भी अपनी ब्रा और पैन्टी उतार रही हैं। अब बाजी मेरे सामने बिल्कुल नंगी हो चुकी थी। मैं समझ गया कि बाजी भी आज अपनी फुद्दि चुदवाना चाहती हैं। अब मैं धीरे-धीरे बिस्तर की तरफ़ बढ़ा और जा कर बाजी के बगल में बैठ गया। पलंग पर बैठ कर मैंने बाजी को अपनी बाहों में भर लिया और उनको अपने पैरों के बीच खड़ा कर दिया।
कमरे की हल्की रोशनी में भी मुझे अपनी बाजी की नंगी जवानी और मादक बदन साफ़-साफ़ दिख रहा था और मुझे उनकी नंगी चूचियों को पहली बार देख कर मज़ा आ रहा था। मैंने अब तक बाजी को सिर्फ़ कपड़ों के ऊपर से देखा था और मुझे पता था की बाजी का बदन बहुत सुडौल और भरा हुआ होगा, लेकिन इतनी अच्छी फिगर होगी ये नहीं पता था। बाजी की गोल संतरे सी चूची, पतली सी कमर और गोल-गोल सुंदर से फुद्दिड़ों को देख कर मैं तो जैसे पागल ही हो गया। मैं धीरे से अपने हाथों में बाजी की चूचियों को लेकर के धीरे-धीरे बड़े प्यार से दबाने लगा।
“बाजी तुम्हारी चूचियाँ बहुत प्यारी हैं बहुत ही सुंदर और ठोस हैं।” मैंने बाजी से कहा और बाजी ने मुस्कुरा कर अपने हाथ मेरे कंधों पर रख दिए।
मैंने झुक करके अपने होंठ उनकी चूचियों पर रख दिए। मैं बाजी की चूचियों के निप्पलों को चूसने लगा और बाजी सिहर उठी। मैं अपने मुँह को और खोल करके बाजी की एक चूची को और मेरे मुँह में भर लिया और चूसने लगा।
मेरा दूसरा हाथ बाजी की दूसरी चूची पर था और उसको धीरे-धीरे दबा रहा था। फिर मैं अपना मुँह जितना खुल सकता खोल करके बाजी की चूची को अपने मुँह में भर लिया और चूसने लगा।
अपने दूसरे हाथ को मैं धीरे से नीचे लाकर के बाजी फुद्दि को पहले सहलाया और फिर धीरे से अपनी एक उंगली फुद्दि के अंदर कर घुसेड़ दी। मैं कुछ देर तक अपने मुँह से बाजी की मुसम्मी चचोरता रहा और अपने दूसरे हाथ की उंगली बाजी की फुद्दि के अंदर-बाहर करता रहा। मुझे लगा रहा था कि बाजी आज अपनी फुद्दि मुझसे ज़रूर चुदवायेंगी।
थोड़ी देर के ब्द मैंने अपना मुँह बाजी की चूची पर से हटा कर बाजी को इशारे से पलंग पर लेटने के लिए बोला। बाजी चुपचाप पलंग पर लेट गई और मैं भी उनके पास लेट गया। फिर मैं बाजी को अपने बाहों में भर कर उनकी होठों को चूमने और फिर चूसने लगा।
मेरा हाथ फिर से बाजी की चूचियों पर चला गया और बाजी की बड़ी-बड़ी चूचियों को अपने हाथों ले कर बड़े आराम से मसलने लगा। इस वक़्त बाजी की चूचियों को मसलने में मुझे किसी का डर नहीं था और बड़े आराम से बाजी की चूचियों को मसल रहा था।
चूची मसलते हुए मैंने बाजी से बोला- तुम्हारी चूचियों का जबाब नहीं, बड़ी मस्त मुस्म्मियाँ हैं। मन करता है कि मैं इन्हें खा जाऊँ।
मैंने अपना मुँह नीचे करके बाजी की चूची के एक निप्पलों को अपने मुँह में भर कर धीरे-धीरे चूसने लगा। थोड़ी देर के बाद मैंने अपना एक हाथ नीचे करके बाजी की फुद्दि पर ले गया और उनकी फुद्दि से खेलने लगा, और थोड़ी देर के बाद अपनी एक उंगली फुद्दि में घुसेड़ कर अंदर-बाहर करने लगा। बाजी के मुँह से मादक सिसकारियाँ निकलने लगीं।
थोड़ी देर के बाद बाजी की फुद्दि ने पानी छोड़ना शुरू कर दिया। मैं समझ गया की बाजी अब चुदवाने के लिए तैयार हैं। मैं भी बाजी के ऊपर चढ़ कर उनको चोदने के लिए बेताब हो रहा था। थोड़ी देर तक मैं बाजी की चूची और फुद्दि से खेलता रहा और फिर उनसे सट गया।
मैंने बाजी के ऊपर झुकते हुए बाजी से पूछा- तुम तैयार हो? बोलो ना बाजी क्या तुम अपनी छोटे भाई का लौड़ा अपनी फुद्दि के अंदर लेने के लिए तैयार हो?
उस समय मैं मन ही मन जानता था कि बाजी की फुद्दि मेरा लंड खाने के लिए बिल्कुल तैयार है। और बाजी मुझे चोदने से ना नहीं करेंगी।
बाजी तब मेरी आँखों में झाँकते हुए बोली- नफीस, क्या मैं इस वक़्त ना कर सकती हूँ? इस समय तू मेरे ऊपर चढ़ा हुआ है और हम दोनों नंगे हैं।
बाजी ने अपना हाथ बढ़ा कर मेरे लंड को पकड़ लिया और उसे सहलाने लगी। तब मैंने अपने लंड को अपने हाथ में लेकर बाजी की फुद्दि से भिड़ा दिया।
फुद्दि पर लंड लगते ही बाजी “आह! अहह्ह्ह ! नफीस ओहह्ह्ह्ह!” करने लगी।
मैंने हल्के से अपने कमर हिला कर बाजी की फुद्दि में अपने लंड का सुपाड़ा फँसा दिया। बाजी की फुद्दि बहुत टाइट थी लेकिन वो इतना रस छोड़ रही थी कि फुद्दि का रास्ता बिल्कुल चिकना हो चुका था।
जैसे ही मेरा लंड का सुपाड़ा बाजी की फुद्दि में घुसा, बाजी उछल पड़ीं और चीखने लगीं- “मेरिई चूऊत फटीईईए जा रहिईई हैंईई निकाल अपना लंड नफीस मेरी चूऊऊत से ईईए है मैं मर गईई मेरिईई चूऊऊओत फआआट गईई”
मैंने बाजी के होठों को चूमते हुए बोला- बाजी, बस हो गया और थोड़ी देर तक तकलीफ़ होगी और फिर मज़ा ही मजा है। लेकिन बाजी फिर भी गिड़गिड़ाती रही।
मैंने बाजी की कोई बात नहीं सुनी और उनकी चूचियों को अपने हाथों से मज़बूती से पकड़ते हुए एक और ज़ोरदार धक्का मारा और मेरा पूरा का पूरा लंड बाजी की फुद्दि की में घुस गया। बाजी की फुद्दि से खून की कुछ बूँद निकल पड़ीं।
मैं अपना पूरा लंड डालने के बाद चुपचाप बाजी के ऊपर लेटा रहा और बाजी की चूचियों को मसलता रहा। थोड़ी देर के बाद बाजी ने मेरे नीचे से अपनी कमर उठाना शुरू कर दी। मैं समझ गया कि बाजी की फुद्दि का दर्द खत्म हो गया है और वो अब मुझसे खुल कर चुदवाना चाहती हैं।
मैंने भी धीरे से अपना लौड़ा थोड़ा सा बाहर खींचा और उसे फिर बाजी की फुद्दि में हल्के झटके के साथ घुसेड़ दिया। बाजी की फुद्दि ने मेरा लंड कस कर पकड़ रखा था और मुझे लंड को अंदर-बाहर करने में थोड़ी सी मेहनत करनी पड़ रही थी। लेकिन मैं भी नहीं रुका और धीरे-धीरे अपनी स्पीड बढ़ाना शुरू कर दी।
बाजी भी मेरे साथ-साथ अपनी कमर उठा-उठा कर मेरे हर धक्कों का जबाब बदस्तूर दे रही थी। मैं जान गया कि बाजी की फुद्दि रगड़-रगड़ कर लंड खाना चाहती है। मैंने भी बाजी को अपनी बाहों में भर कर उनकी चूचियों को अपने मुँह में भर कर धीरे-धीरे लंड उठा-उठा करके धक्के मारना शुरू किया। अब मेरा लंड आसानी से बाजी की फुद्दि में आ-जा रहा था।
बाजी भी अब मुझे अपने बाहों में भर करके चूमते हुए अपनी कमर उचका रही थी और बोल रही थी, “भाई, बहुत अच्छा लग रहा है और ज़ोर-ज़ोर से चोदो मुझे। मेरी फुद्दि में कुछ चींटियाँ सी रेंग रही हैं। अपने लंड की रगड़ से मेरी खाज दूर कर दो। चोदो और ज़ोर-ज़ोर से चोदो मुझे।
मैं अब अपना लंड बाजी की फुद्दि के अंदर डाल कर कुछ सुस्ताने लगा।
बाजी तबा मुझे चूमते हुए बोली- क्या हुआ, तू रुक क्यों गया? अब मेरी फुद्दि की चुदाई पूरी कर और मुझे रगड़-रगड़ कर चोद करके मेरी फुद्दि की प्यास बुझा नफीस, मेरे जालिम भाई।
मैं बोला- चोदता हूँ बाजी। थोड़ा मुझे आपकी फुद्दि में फँसे लौड़े का आनंद तो उठा लेने दो। अभी मैं तुम्हारी फुद्दि चोद-चोद कर फाड़ता हूँ।
मेरी बाजी बोली- साले तुझे मजा लेने की पड़ी है, अभी तो तू मुझे जल्दी-जल्दी चोद। नफीस, मैं मरी जा रही हूँ।
मैं उनकी बात सुन कर ज़ोर-ज़ोर से धक्के लगाने लगा और बाजी भी मुझे अपने हाथ और पैरों से जकड़ कर अपने फुद्दिड़ उछाल-उछाल कर अपनी फुद्दि चुदवाने लगी।
मैंने थोड़ी देर तक बाजी की फुद्दि में अपना लंड पेलने के बाद बाजी से पूछा- कैसा लग रहा है, अपने छोटे भाई का लंड अपनी फुद्दि में डलवा कर?
मैं अब बाजी से बिल्कुल खुल कर बातें कर रहा था। और उन्हें अपने लंड से छेड़ रहा था।
“नफीस, यह काम हम लोगों ने बहुत ही बुरा किया। लेकिन मुझे अब बहुत अच्छा लग रहा है।” बाजी मुझे अपने सीने से चिपकाते हुए बोली।
थोड़ी देर के बाद मैं फिर से बाजी की फुद्दि में अपना लंड तेज़ी से पेलने लगा। कुछ देर के बाद मुझे लग रहा था कि मैं अब झड़ने वाला हूँ। इसलिए मैंने अपना लंड बाजी की फुद्दि से निकाल कर अपने हाथ से पकड़ लिया और पकड़े रखा।
मैंने बाजी से कहा- अपने मुँह में लोगी?
बाजी ने पहले कुछ सोचा फिर अपना मुँह खोल दिया। मैंने लौड़ा उनके मुँह में दे दिया और अपना वीर्य उनके मुँह में छोड़ दिया। बाजी ने मेरा माल अपने मुँह में भर लिया और उसको गुटक लिया। बाजी ने आसक्त भाव से मेरी तरफ देखा और मैंने अपने होंठ उनके होंठों से लगा दिए।
भाई बहन की इस चुदाई ने भले ही समाज की मर्यादाओं को भंग कर दिया हो, पर मेरी और मेरी बाजी की कामनाओं को तृप्त कर दिया था। अब बाजी मेरी दीवानी हो चुकी थी हम दोनों में कोई पर्दा नहीं था.
// समाप्त //
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