एक कुँवारी एक कुँवारा

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Rohit Kapoor
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Re: एक कुँवारी एक कुँवारा

Post by Rohit Kapoor »

चूत तो रस पहले से ही छोड़ रही थी और मेरे चाटने से पानी और तेज़ी से बहने लगा जो मैं चटकारे ले कर पी रहा था।
उसकी कमसिन चूत का नमकीन पानी में एक अलग ही स्वाद था.. जो मेरा भी पहला अनुभव था।
पायल भी अपने चूतड़ उछालने लगी.. मेरे बालों को नोंचने लगी, मेरे हाथ उसकी चूची को मसलने लगे।
उसके मुँह से ‘आह्ह्ह.. उह्ह्ह..’ की आवाज़ निकल रही थी, मैं पायल के चूचुक जोर-जोर से मसलने लगा।
कुछ ही देर में पायल चूचे एकदम लाल हो गए और उन पर मेरे दांतों के निशान साफ़ दिखाई दे रहे थे।
जो कुछ देर पहले उसकी चूची को ज़बरदस्त चूसने के परिणाम स्वरूप बन गए थे।
पायल बस सिसकारियाँ भर रही थी और आआहह.. उफ्फ़.. सीईईई..की आवाज़ से कमरा गूंज रहा था।
साथ ही पायल अपने हाथों से मेरे सर को अपनी चूत पर दबा रही थी। मुझे सांस लेने में दिक्कत हो रही थी.. पर मुझे वो दिक्कत में मजा भी आ रहा था।
अचानक मुझे लगा कि पायल झड़ने के करीब है.. तो मैंने अपना मुँह वहाँ से हटा लिया.. क्योंकि मैं जानता था कि एक बार पायल झड़ गई.. तो उसकी कुंवारी चूत में लण्ड डालना मुश्किल हो जाएगा।
पायल मेरे बालों को पकड़ कर अपनी चूत के पास खींच रही थी.. पर मैंने भी थोड़ा सा ब्रेक लगा कर उसकी उत्तेजना को कम कर दिया और फिर से बुर को चूसने लगा।
फिर से पूरे कमरे में पायल की ‘आह्ह्ह्ह.. ओह्ह्ह्ह्ह..’ की आवाज़ गूंज रही थी, पायल के कंठ से मदहोशी के आलम में मादक आवाजें निकल रही थीं।
पर जब भी वो अपने चरम पर आती.. तब मैं मुँह हटा लेता।
पायल- क्या कर रहे हो रोहित.. करो न।
मैं- अभी रुको करता हूँ।
पायल- रोहित कुछ करो मेरे अन्दर अजीब सी सिहरन है.. ऐसा लगता है कि कुछ बाहर आने वाला है.. पर तब तुम रुक जाते हो.. मुझसे बर्दाश्त नहीं होता.. कुछ करो रोहित।
यह कह कर उसने मेरा लण्ड पकड़ लिया और उसको जोर-जोर से मसलने लगी।
मैंने भी उसका सर लण्ड पर झुका दिया उसने भी मेरी मंशा समझ कर पूरा लण्ड मुँह में लेकर अपने थूक से गीला-गीला करके चूसने लगी।
थोड़ी ही देर में लण्ड अपनी पर लम्बाई और मोटाई में आ गया। अब मैं उठा और जैली निकाल कर उंगली में लेकर उसकी चूत के मुहाने पर लगाने लगा, धीरे से उंगली छेद में डाल दी।
‘आई ओह्ह्ह्ह..’ वो दर्द से उछल पड़ी।
छेद छोटा था.. पर वो 20 साल की भरपूर यौवना थी.. जो मेरे लण्ड को आराम से चूत में ले सकती थी।
मैंने उसके दर्द की परवाह किए बगैर उंगली से चोदना चालू कर दिया, थोड़ी देर में उसको भी मज़ा आने लगा।
चूत का रस और जैली का कमाल था कि उसकी चूत का छेद बड़ा हो कर सटासट उंगली को अन्दर-बाहर कर रहा था।
फिर दूसरी उंगली भी धीरे-धीरे करके उसकी चूत में डाल दी।
‘आह्ह्ह्ह..’ की हल्की आवाज़ आई.. पर वो आराम से दो उंगलियों को बर्दाश्त कर गई। मैंने थोड़ी जैली को और ले कर अच्छे से उसकी चूत की मालिश की।
दोस्तो, ये वाली जैली एक ऐसी मेडिसिन है.. डॉक्टर्स भी इसकी सलाह देते हैं। इससे चूत की मांशपेशियों में लचीलापन आ जाता है और चूत को लण्ड लेने में ज्यादा दिक्कत नहीं आती और दर्द भी कम होता है।
पायल अपने चरम पर थी.. पर मैं उसको अंत तक नहीं पहुंचने दे रहा था।
पायल- रोहित कुछ करो न.. मेरे से अब सहन नहीं होता.. डाल दो अब अपना..
मैं- क्या?
पायल- रोहित मुझे पता है कि तुम मुझको क्यों तड़पा रहे हो.. बस मेरी भी अब इच्छा है कि तुम मेरे अन्दर आ जाओ.. डाल दो अपना..
यह कह कर उसने मेरा लण्ड जोर से दबा दिया।
मैं- पक्का ना.. बाद में शिकायत ना करना।
पायल- नहीं करूँगी.. बस अब तुम जल्दी से अपना डाल दो.. और मुझे भी शांत कर दो।
मैंने भी सुन कर देर नहीं की.. उसके पैरों के बीच में आ कर अपना मूसल जैसे लण्ड का सुपारा उसकी चूत की लकीर में ऊपर से नीचे और नीचे से ऊपर रगड़ने लगा.. जिसके परिणाम स्वरूप उसकी चूत के रस से मेरा लण्ड भी चिकना हो गया।
फिर मैं लण्ड को उसकी चूत के भगनासे से रगड़ कर उसे बेचैन करने लगा क्योंकि मुझे मालूम था कि वो जितना अधिक बेचैन होगी.. जितना उत्तेजित होगी.. उतना ही वो कम दर्द महसूस करेगी।
मेरा लण्ड पूरी तरह से और भी गीला हो चुका था चूत के रस से.. जो लगातार उसकी चूत से बह रहा था। उसकी चूत का ये रस चूत और लण्ड को गीला कर रहा था।
अब वो पूरी तरह छटपटाने लगी, उसकी चूत काफ़ी गर्म थी और पूरी तरह से गीली हो गई थी।
वो ‘उउउ एयेए उउउ एयेए..’ की आवाज़ निकालने लगी।
मैंने भी लण्ड को छेद पर सैट किया और उसके हाथों को जोर से पकड़ा और एक जोरदार शॉट लगाया.. पर लण्ड चूत के चिकनापन से फिसल गया।
मैंने फिर से लण्ड को सैट किया और पायल के हाथ को पकड़ कर लण्ड पर रख दिया। पायल ने भी समझदारी दिखाई.. अपनी कमर हिला कर लण्ड को अच्छे से चूत पर सैट कर लिया।
मैंने उसके कन्धों को पकड़ा और करीब-करीब उस पर लेट ही गया, फिर मैंने अपने चूतड़ को पीछे करके शॉट लगाया।
अबकी बार सुपारा अन्दर चला गया।
उसकी चीख निकल गई ‘ऊऊऊ ईईईई.. रोहित उई..’
पर मैं तैयार था.. मेरे हाथ उसके कन्धों पर.. और होंठ उसके होंठ पर.. शरीर का भार उसके जिस्म पर था।
वो तड़प रही थी.. मचल रही थी.. पर वो बेबस थी।
अगली बार फिर से कोशिश की.. कुछ सेकंड के बाद का जोरदार धक्का उसकी बुर की झिल्ली को फाड़ता हुआ मेरा लण्ड उसकी बुर में आधा समां गया।
पायल की घुटी हुई चीख उसके मुँह में ही रह गई ‘ओऊह्ह्ह.. ह्ह्ह्ह.. ऊईईईई.. मम्मीईई रे.. आह्ह्ह्ह.. मर गईई..’
एक और कोशिश में पूरा लण्ड समां गया था।
जिससे उसकी फिर से भयानक चीख निकली.. पर मुँह बंद होने के कारण आवाज़ कमरे के बाहर नहीं जा सकी।
‘नहीं.. नहीं.. प्लीज़.. बाहर.. निकालो.. निकलो बाहर.. मुझे नहीं करना.. मैं मर जाऊँगी.. निकालो निकालो..’
उसकी आवाज़ दर्द का बखान करने लगी।
उसकी आँखों में आंसू.. चूत से बहता गर्म खून.. दर्द की लकीर चेहरे पर थी।
वह एक बिन पानी की मछली की तरह तड़पने लगी और मुझे धक्का देने की कोशिश करने लगी।
पायल- रोहित प्लीज.. बहुत लग रही है प्लीज बाहर निकलो.. मम्मीइइई..
मैंने उसे जोरदार मजबूती से पकड़ रखा था.. जिसके कारण वह नाकाम रही।
उसकी आंखों से आंसू बहने लगे।
तरस तो बहुत आया मुझे.. उसके दर्द पर.. लण्ड मेरा भी जकड़ सा गया था उसकी चूत में.. पर दोस्तो, यही वो पल होता है जब एक लड़का बिल्कुल बेदर्दी हो जाता है, दया बिल्कुल नहीं दिखाता क्योंकि अगर अभी दया दिखाई.. तो ज़िंदगी भर पछताना होगा।
मैं भी थोड़ा रुक गया और पायल के गाल को सर को बदन को सहलाने लगा, उसकी चूची को मुँह में भर कर चूसने लगा।
पायल मुझको लगातार धकेल रही थी। वो मेरी गिरफ्त से निकलना चाहती थी।
मैं- पायल बस हो गया.. देखो पूरा अन्दर जा चुका है।
पायल ने रोते हुए कहा- रोहित तुम बहुत गंदे हो.. मेरा क्या हाल कर दिया.. कितना दर्द हो रहा है।
मैं- पायल जो दर्द होना था.. हो गया.. यकीन करो मेरा.. अब दर्द नहीं होगा और जो थोड़ा सा होगा भी.. तो वो भी गायब हो जाएगा।
पायल- मुझे पता था दर्द होता है.. पर इतना दर्द होगा ये नहीं पता था। शायद तुम्हारा बहुत बड़ा और मोटा है और मेरा छेद छोटा है।
मैंने उसके गाल पर चुम्मी लेते हुए उसके होंठों को चूसने लगा और कहा- नहीं यार अब बिल्कुल दर्द नहीं आएगा.. तुमको भी अब अच्छा लगेगा।
अब पायल ने चुदास की अतिरेकता के चलते मेरे साथ चुदाई का मन बना सा लिया था और मैं भी उसके अन्दर पहली चुदाई से होने वाले दर्द को लेकर उसको समझा रहा था.. उसको मना रहा था।
पायल भी संभल चुकी थी.. मेरे होंठों और चूची की चुसाई ने उसकी दर्द को काफी हद तक गायब कर दिया था।
मैंने भी धीरे-धीरे अन्दर-बाहर करना शुरू किया, मैं पूरा लण्ड नहीं निकाल रहा था मुझे डर था कि कहीं वो मना ही ना कर दे।
हर धक्के पर उसकी ‘आह’ निकलती ‘आआ आह्ह्ह हहह.. ऊऊऊह्ह्ह ह्ह्ह.. मर गई रे.. उम्हाआआ आआआ.. धीरे से करो दर्द हो रहा..’
पायल भी थोड़ा सहयोग करने लगी थी, उसकी चूत लण्ड के हिसाब से सैट हो चुकी थी, मेरे लण्ड को उसकी चूत जोरदार तरीके से जकड़े हुए थी।
अबकी बार पूरा लण्ड मैंने पूरा बाहर निकाला और एक जोरदार शॉट के साथ एक ही बार में चूत के अन्दर कर दिया। पायल की तेज स्वर में चीख निकल पड़ी ‘ऊक्क्.. हाआआम्म.. म्ममम्मीईई..’ पायल फिर से रो दी।
अब लण्ड के हर धक्के पर पायल की चीखें लगातार निकलने लगीं।
थोड़ी देर की अन्दर-बाहर में पायल को आराम मिला और वो अब अपने चूतड़ उछालने लगी और गाण्ड को उठा-उठा कर मेरा साथ देने लगी।
मैंने लण्ड को धीरे-धीरे से अन्दर-बाहर करना चालू कर दिया, पायल अब भी थोड़ा कराह रही थी ‘ऊऊ कक्क.. ओह्ह्ह्ह्ह् होकक..’
मेरी शॉट की स्पीड ने पायल की कराह को सिसकारियों में बदल दिया, पायल और भी जोर-जोर से आवाज़ निकालने लगी- ऊऊऊह्ह्ह रोहित.. उफ्फ्फ अब अच्छा लग रहा है.. रोहित और तेजी से करो और जोर-जोर से करो.. ऊक्क्क्क हाआआम्म म्मम्मम्म..’
थोड़ी ही देर में मैंने स्पीड तेज कर दी और पायल का जिस्म अकड़ने लगा.. जो लावा पायल के जिस्म में इतनी देर से रुका हुआ था.. वो अब बाहर आने को तैयार था।
मेरी भी स्पीड बढ़ गई.. मैं हाथों से उसके चूचुक मसलने लगा।
कमरे में सिर्फ मादक और कामुक सिसकारियाँ.. कराहट.. का शोर था ‘आआआह्ह ह्ह्ह्ह.. फ़क मी.. फ़क मी..’
जैसे पूरा लण्ड बाहर निकाल कर अन्दर डालता.. तो उसके मुँह से सिसकारी निकल जाती और साथ में चूत से आती ‘फच्च.. फच्च..’ की ध्वनि की आवाज़.. जो माहौल को और रोमाँटिक बना रही थी।
पायल की मदहोशी के आलम में मादक आवाजें निकल रही थीं।
अचानक पायल ने अपने नाख़ून मेरी पीठ में गड़ा दिए और पैरों को कस कर बांध लिया और अपने ऊपर खींच कर मेरे होंठों को अपने मुँह में भर कर दांतों को होंठों पर दबा दिया।
वो मछली की तरह छटपटाई.. उसके चूतड़ उछले और वो शांत हो गई, चूत का गर्म कामरस मुझे लण्ड पर महसूस हुआ, चूत की जकड़न भी महसूस हुई.. खुलती और बंद होती चूत.. मेरे लण्ड को महसूस हो रही थी।
उसके चेहरे पर पसीने की बूँदें मुंदी हुई आंखें.. गहरी साँसें.. उठते-गिरते उसके चूचे।
पायल अपने चरम को दुबारा पा चुकी थी.. पर मेरा अभी बाकी था।
कुछ पलों में जब उसने आँख खोली और मुस्कुरा कर मुझे चुम्बन करने लगी।
मैं समझ गया कि अब वो तैयार है और अब उसको फिर से चोदना शुरू कर सकता हूँ।
मैंने धीरे से लण्ड निकाला और एक साथ चूत में डाल दिया और एक समान स्पीड में चोदने लगा और फिर धीरे से उसको लिए लिए पलट गया। मुझे इस बात का ख्याल रखना था कि लण्ड बाहर ना आए।
अब पायल मेरे ऊपर थी।
मैंने नीचे से धक्के लगाने शुरू किया, उसकी कमर को पकड़ कर ऊपर-नीचे करने लगा, ‘फच्च.. फच्च. पट पट..’ की आवाज़ मेरा हौसला बढ़ा रही थी।
मेरे धक्के पर पायल की उछलती चूचियाँ.. और ‘उफ्फ्फ्फ़ आह्ह’ का शोर वो फिर से मस्ती करने लगी।
पायल फिर चीखने लगी- यस रोहित फक मी.. फास्ट आअहहा!
मैं उसकी बहुत ही प्यारी से चूचियों को देख कर पागल हुए जा रहा था.. इसलिए मैंने भी पायल की चूचियों को मुँह में भर लिया और जोर-जोर से चूसने लगा। एक चूची मेरे मुँह में थी और दूसरी चूची के चूचक को मैं हाथ से मसल रहा था।
पायल अब मुझे चोद रही थी।
कुछ देर बाद पायल ने कहा- रोहित वैसे ही करो.. जैसी पहले कर रहे थे.. उसमें अच्छा लग रहा था।
पायल को फिर से लिटा कर मैंने अपना लण्ड एक बार फिर एक ही बार में चूत के अन्दर कर दिया।
पायल- उफ्फ्फ्फ़ धीरे से.. ओह्ह्ह्ह्ह् आह अच्छा लग रहा है।
मैंने भी जोरदार तरीके से फिर से चोदना चालू कर दिया, हर शॉट पर पायल मचल जाती.. चीख पड़ती ‘उफ़ रोहित.. आह्ह.. आह यह.. हाँ जोर से.. रोहित.. बहुत अच्छा लग रहा है।’
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Rohit Kapoor
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जैसे मैं पूरा लण्ड बाहर निकाल कर अन्दर डालता.. तो उसके मुँह से सिसकारी निकल जाती। साथ में चूत से आती ‘फच्च.. फच्च..’ कामुक ध्वनि की आवाज़.. जो माहौल को और रोमाँटिक बना रही थी।

‘आहह.. ओफफ्फ़.. सीईई.. मैं मर गईईईई.. अहहूऊ.. ओहुचह..’ मदहोशी के आलम में मादक आवाजें निकल रही थीं।
कुछ देर की चुदाई के बाद चुदाई चरम सीमा पर पहुँच गई थी और वो मुझसे कहने लगी- रोहित मेरा फिर से कुछ निकलने वाला है.. और जोर-जोर से झटके मारो.. फक मी हार्ड.. जोर से.. आह्ह्ह्ह और जोर से..
मैं भी अपने चरम की तरफ था.. मेरी स्पीड भी बढ़ गई थी, ऐसा लग रहा था कि सारा खून एक जगह इकट्ठा हो गया है, हर तेज धक्के में मेरा लंड पायल की चूत की जड़ तक पहुंच जाता था और पायल तेज सिसकारी ले लेती थी ‘अह्ह्ह्ह आहह.. हई याह्ह्ह…’
इसके साथ ही अपनी कमर और चूतड़ पूरे हवा में उठा कर मेरे लंड का स्वागत किया।
पायल- अह्हह ह्ह्हहा हयी..
उसने काफ़ी ज़ोर से सीत्कार भरी.. मेरा लंड उसकी चूत को छेदता जा रहा था।
पायल भी अपनी चूत को बार-बार सिकोड़ रही थी। मेरे लण्ड में मेरा सारा खून एक जगह एकत्र हो गया था.. कभी भी मेरा लावा फूट सकता था, दोनों ही एक-दूसरे में समां जाने को आतुर थे, कमरे में सिसकारियों का.. एक-दूसरे के जिस्म की रगड़ से निकलती आवाज़ों से.. और चुदाई की ‘फ़चाफ़च-फ़चाफ़च’ आवाजें गूंज रही थीं।
हम दोनों अपने चरम की ओर बढ़ रहे थे। करीब 8-10 धक्कों के बाद मैंने जोर की ‘आआह्ह्ह्ह’ की और अपना लावा उसकी चूत के अन्दर भर दिया और उसी समय पायल ने भी जोर से मुझको जकड़ कर अपना पानी छोड़ दिया, उसकी चूत खुल और बंद हो रही थी। लण्ड भी रह-रह कर तुनके मार रहा था।
मैं निढाल सा उस पर गिर गया, पायल ने भी मुझको अपनी बाँहों में समेट लिया हम दोनों की ऐसी हालत थी.. जैसे जिस्म में कोई भी जान अब बाकी बची ही न हो।
उसकी चूचियों पर सर रख कर मैं लेट गया।
हम दोनों ही अपनी साँसें स्थिर करने में लगे थे कि न जाने कब हमारी आँखें नींद की आगोश में समां गईं।
काफी देर बाद मेरी नींद खुली, उस वक्त करीब 3 बज रहे थे, पायल पूरी नंगी मेरे से लिपटी सो रही थी, वो मासूम सी लग रही थी। उसके चेहरे की चमक और निखार बता रहा था कि वो पूरी तरह से संतुष्ट हो कर सो रही थी।
मैंने उसके माथे को हौले से चूम लिया। उसके चेहरे पर जो बाल आ गए थे.. उनको भी हटा दिया.. और मैं उसको प्यार भरी नजरों से देख रहा था।
मुझे यकीन ही नहीं हो रहा था कि पायल का नंगा जिस्म मेरी बाँहों में है और उसको मैंने कली से फूल बना दिया है।
मैं उसकी चूचियों पर हाथ रख कर सहलाने लगा। पायल भी मेरे गर्म हाथों का स्पर्श पाकर कुनमुनाई.. उसने मुझको और जोर से बाँहों में जकड़ लिया।
मेरा लण्ड फिर से सुगबुगाने लगा, पायल की जांघों से टकराने लगा।
पायल को मेरे लण्ड की गर्मी और सांसों की मादक महक से नींद के आगोश से बाहर निकाल दिया।
उसने आँख खोल कर मुझको देखा और शर्मा कर मुस्कुराई।
मैंने उसको बाँहों में भर कर उसके रसीले होंठों को चूमना शुरू कर दिया, पायल ने भी मेरा साथ दिया।
करीब 10 मिनट के बाद हम जब अलग हुए तो वो बोली- मुझको टॉयलेट जाना है।
मैंने उसको अपनी बाँहों से आज़ाद कर दिया.. पर वो जैसे ही खड़ी हुई कि लड़खड़ा कर बिस्तर पर गिर गई।
मैं- क्या हुआ?
पायल धीरे से बोली- नीचे बहुत दर्द है.. चला नहीं जा रहा है।
मैं उठा और उसको बाँहों में उठा कर टॉयलेट में ले गया और उसे कमोड पर बैठा दिया, फिर बाथटब का नल खोल दिया।
मैं- मुझे आवाज़ दे देना.. मैं आ जाऊंगा।
कह कर मैं बाहर आ गया।
मैंने एक नज़र बिस्तर पर डाली.. जो कुछ घंटों पहले की चुदाई की दास्तान बयान कर रहा था। जगह-जगह दाग थे पायल के नीचे बिछी तौलिया पर भी खून के दाग.. उसके कुंवारेपन का सबूत दे रहे थे।
मैंने बिस्तर ठीक किया ही था कि पायल की आवाज़ आई ‘रोहित..’
मैं अन्दर गया तो पायल दीवार का सहारा लेकर खड़ी थी। उसको उठा कर मैंने बाथटब में लिटा दिया। टब का पानी हल्का गर्म था.. उसके जिस्म को अच्छे से साफ किया, उसकी चूत को अच्छे से धो दिया, टॉवेल से चूत की सिकाई भी कर दी।
पायल अब कुछ तरोताज़ा महसूस कर रही थी पर उसकी आँखों की हया बार-बार दिख रही थी।
मैं जिस तरह से उसका ख्याल रख रहा था.. उसको भी अच्छा लग रहा था।
पायल को उठा कर उसका जिस्म अच्छे से पोंछकर उसको बिस्तर पर ले जाकर बिठा दिया, उसको पानी पिलाया और फिर बिस्कुट खिला कर एक पेनकिलर दवा भी खिला दी।
यह सब देख कर पायल ने बोला- रोहित मेरा ऐसा ही ख्याल रखोगे न हमेशा।
मैं मुस्कुरा कर बोला- यस माय लव।
पायल मेरे साथ चुद चुकी थी और अब वो मुझसे स्त्रीसुलभ बातें करने लगी थी।
कुंवारी पायल की अनछुई चूत को चोद कर मुझे मजा आ गया था।
फिर मैं भी शावर लेने चला गया, अपने जिस्म को अच्छे से साफ करके तरोताज़ा होकर बिना कपड़ों के ही बाहर आ गया।
पायल बिस्तर पर लेटी थी.. तौलिया पास ही पड़ा था, उसके जिस्म पर मेरी गिफ्टेड नाइटी थी.. पर ब्रा और पैंटी उसने नहीं पहनी थी। नाइटी के अन्दर उसका दमकता जिस्म पूरा ही दिख रहा था।
मैं वैसे ही आकर उसके सीने में सर रख कर में लेट गया। पायल की जांघों पर मेरी जांघ थी। वो मेरे सर पर प्यार से हाथों को ऐसे फिरा रही थी कि मानो मेरे बालों को कंघी कर रही हो।
मैं- अब कैसा लग रहा है?
पायल- बहुत अच्छा लग रहा है.. मैं फ्रेश सा महसूस कर रही हूँ।
मैं- पायल एक बात पूछूँ?
पायल- हाँ पूछो..
मैं- जो कुछ भी अभी हम दोनों के बीच हुआ उसका तुमको कोई अफ़सोस तो नहीं है।
पायल- रोहित जो भी हुआ, उसमें मेरी भी सहमति थी.. तो अफ़सोस किस बात का.. आज तुमने मुझे वो सुख और जो प्यार दिया.. वो शायद ही कोई मुझे देगा और मैं अब इस ट्रिप को अपने जीवन का सब से अनमोल ट्रिप बना लेना चाहती हूँ.. जो जीवन भर मुझे याद रहे। मेरी आखिरी सांस तक तुम मेरे पहले पुरुष रहोगे.. जिसे मैंने प्यार किया।
मैंने सर उठा कर उसकी आँखों में देखा तो पायल ने मुझे खींच कर मेरे होंठों को अपने होंठों में कैद कर लिया और मुझे चूमने लगी।
मैं भी उसका पूरा साथ दे रहा था।
फिर मैं उठ कर बैठा और उसे खींच कर सीने से लगा लिया। पूरी ताकत से हमने एक-दूसरे को जकड़ लिया.. दोनों की सांसें तेज हो गईं।
मैं लेट गया और वह मेरे ऊपर थी, मैंने उसके होंठों को चूसना शुरू किया, एक हाथ से उसकी पीठ सहलाता रहा और दूसरे हाथ से उसकी जुल्फों को सहलाता रहा।
पायल मेरा पूरा साथ दे रही थी.. उसकी सांसें और तेज हो गईं, उसने अपना चेहरा मेरे सीने में छुपा लिया और मैं उसके गालों पर और कंधे पर चुम्बन देने लगा।
अब दोनों के लिए नियंत्रण रखना मुश्किल था.. मैंने अपने हाथों से उसकी नाइटी को सरका दिया।
पायल ने शरमा कर अपनी आँखें बंद कर लीं और मुझसे लिपटी रही।
मैंने उसकी पीठ पर हाथ फेरा, गोरी मखमली पीठ के स्पर्श का एहसास अद्भुत था।
मेरे हाथ जैसे ही उसके नितम्ब तक पहुँचे.. वह कसमसाने लगी।
मैंने हाथ ऊपर खींच लिए और उसकी पीठ के किनारे पर से उसके स्तन तक सहलाने लगा। उसके स्तन मेरे सीने पर दबे हुए थे.. इसलिए बगल से उसके स्तन अर्ध गोलाकार से उभर गए थे.. जिसे सहलाने में बहुत मजा आ रहा था।
मैंने बारी-बारी से दोनों स्तनों को सहलाया, फिर एक झटके मैं मैंने उसे पकड़े हुए ऐसे करवट बदली कि वो मेरे नीचे आ गई और मैं उसके ऊपर हो गया।
उसकी सांसें बहुत तेज हो चली थीं और चेहरा शर्म से एकदम लाल गुलाब की पंखुड़ियों सा हो गया था।
उसके होंठ इस कदर रक्तिम हो गए थे कि लगता था कि छू लो तो खून छलक आए।
मैं उसकी गर्दन पर और गालों पर चुम्बन कर रहा था और मेरे हाथ उसके स्तनों को सहला रहे थे। अपनी उंगलियों को उसके स्तनों की परिधि में घुमा रहा था.. जिससे उसकी उत्तेजना और बढ़ रही थी।
फिर मैं उसके चुचूकों के चारों तरफ उंगलियों को घुमाने लगा और फिर जैसे ही उसके चूचक को चुटकी में पकड़ कर हल्का सा दबाया.. पायल सिहर सी गई और उसने मेरा हाथ ही पकड़ लिया।
मैंने उससे हाथ छुड़ाया और थोड़ा नीचे सरक कर उसका स्तनपान करने लगा।
‘अह्ह्ह्ह्ह.. ऊऊऊम्म्म..’
धीरे-धीरे मैं नीचे आया और उसकी चूत ऊपर अपना मुँह लगा दिया।
पायल ने भी हाथ बढ़ा कर मेरा लण्ड पकड़ लिया और उसे जोर-जोर से दबाने और खींचने लगी।
मैं उठा और उसकी गर्दन के दोनों तरफ पैर करके उसकी चूत को मुँह में भर लिया।
मेरा लण्ड पायल के होंठों को छू रहा था। पायल का मुँह आह्ह.. की सिसकारी से खुला और मेरा लण्ड उसके मुँह में प्रविष्ट हो गया था।
अब हम दोनों ही का दूसरे के अंगों को चूस रहे थे।
उसकी चूत से भर-भर कर पानी निकल रहा था.. जो मैं मजे से पी रहा था।
मेरा लण्ड उसकी मुँह की लार से पूरा गीला था।
मैंने भी देर नहीं की और उसकी टांगों के बीच में आ गया और दोनों टाँगों को कंधे पर रख लिया। लण्ड को चूत पर एक बार रगड़ा और एक जबरदस्त शॉट लगाते हुए पूरा लण्ड पायल की चूत के अन्दर पेल दिया।
‘आआआअ ह्ह्ह्ह्ह रोहित.. ओउइ.. माँमआ.. अह्ह..’ उसकी दर्द भरी चीख उसके मुँह से निकली।
मैं थोड़ा रुक गया और पायल को देखा.. उसने भी मेरी तरफ ऐसे देखा जैसे पूछ रही हो कि जान रुक क्यों गए.. करो न.. दर्द है मुझको.. पर ये दर्द मीठा वाला है।
मैंने भी लण्ड को चूत के अन्दर-बाहर करना शुरू कर दिया, पायल की सिसकारियों से कमरा फिर से संगीतमय हो गया ‘आह्ह्ह.. रोहित मेरी जान ऊऊम्म्म.. चोदो.. आज्ज्ज् ईईइस्स्स ऊऊईई म्म्म्म्म्माआ..’
करीब दस मिनट की चुदाई के बाद मैंने लण्ड बाहर निकाला और उसको पेट के बल लिटा दिया, उसके सर के नीचे दो बड़े नर्म पिलो रख दिए, फिर उसके चूतड़ को पकड़ कर उठा लिया और उसको पैर के बल खड़ा सा कर दिया।
उसका सर पिलो पर था.. अब मैंने अपना लण्ड पीछे से उसकी चूत में डाल दिया और पायल के चूतड़ पकड़ कर सटासट लण्ड को अन्दर-बाहर करने लगा।
पायल मज़े से सिसकारी भर रही थी ‘आह आह आह्ह्ह्ह्..’

मैं एक समान स्पीड से लण्ड को अन्दर-बाहर कर रहा था। उसकी चूत से पानी ऐसे निकल कर मेरी जांघ और उसकी टांगों में बह रहा था.. जैसे वो कई बार झड़ चुकी हो।
‘ओह्ह रोहित.. बहुत अच्छा आहह.. लग रहा है.. उफ्फ्फ ओ उह..’
मैं उसकी चूचियों को मसल रहा था, कभी मैं उसके चूतड़ मसलता तो कभी चूची को भींचता।
मेरे मुँह से भी ‘उफ़ह…हह.. आअह्ह..’ की आवाज़ निकल रही थी।
अचानक पायल जोर से मचलने लगी, मैं समझ गया कि अब वो और मेरा लण्ड नहीं झेल पाएगी। मैंने भी स्पीड बढ़ा दी करीब 10-12 शॉट्स के बाद से मैंने उसकी चूत अपने कामरस से भर दी।
इसी बीच वो भी किलकारी भरती हुई बिस्तर पर निर्जीव सी गिर पड़ी और मैं उसके ऊपर गिर गया।
मेरा लण्ड सिकुड़ कर सामान्य हो गया। थोड़ी देर में हम दोनों के साँसें सामान्य हो गईं.. तो मैंने तौलिया उठा कर उसकी चूत.. टाँगें.. अपना लण्ड और टाँगें साफ की.. और फिर उसकी बगल में लेट कर उसे बाँहों में भर लिया।
पायल भी मेरी बाँहों में सर रख कर मेरे से लिपट गई।
उस रात करीब एक घंटे के बाद मैंने उसको फिर से चोदा और फिर दोनों सो गए।
करीब दस बजे जब सो कर उठे तो पायल का चेहरे में एक निखार सा आ गया था।
फ्रेश होने के बाद हम दोनों ने नाश्ता किया।
बारह बजे तक हम लोग एक बार ओरल और एक राउंड चुदाई कर चुके थे।
फिर तैयार होकर मैं उसके साथ एग्जाम दिलाने ले गया और शाम को जब हम होटल आए.. तो हमारे पास बहुत टाइम था।
अब तो पायल को भी चुदाई का चस्का लग गया था, कमरे में घुसते ही मैं जब दरवाज़ा बंद कर रहा था.. तो वो मेरे पीछे से लिपट गई और मेरी टी-शर्ट उठा कर मेरी पीठ पर अपने रसीले होंठ रगड़ने लगी और चूमने लगी।
उसके हाथ मेरे निप्पल को वैसे ही मसल रहे थे.. जैसे मैं रात को उसकी साथ कर रहा था, वो मेरे निप्पल को जोर से दबा कर खींच लेती थी। इससे मेरे अन्दर दर्द सा दौड़ जाता था।
उसकी बेचैनी देख कर मैंने उसको बांहों में उठाया और फिर बिस्तर पर उछाल दिया।
मैं अपने सारे कपड़े उतार कर नग्न अवस्था में उसके ऊपर चढ़ गया और उसे भी फिर से नग्न कर दिया।
काम की ज्वाला में उसका बदन गर्म था.. चूत से रस बरस रहा था.. थोड़ा सा लण्ड चुसा कर गीले लण्ड को उसकी चूत में डाल दिया।
‘उइ मा उफ्फ्फ्फ़..’ पायल की किलकारी ने मेरा हौसला बढ़ाया और बीस मिनट की धुआंधार चुदाई के बाद फिर से एक-दूसरे की बाँहों में झड़ कर पस्त हो गए।
फिर हम दोनों ने उसी नग्न अवस्था में अपनी पैकिंग की.. पायल ने मेरा गिफ्ट मेरे पास ही रखवा दिया.. क्योंकि अभी वो उसको घर नहीं ले जा सकती थी।
फिर हम दोनों नहा कर एक-दूसरे के बदन से खेलते हुए तैयार हुए और चेक आउट करके स्टेशन आ गए।
उसके बाद भी मैंने उसे बहुत चोदा.. क्योंकि वो दिन भर अकेली होती थी और मैं दिन में उसको हर तरह से चोदा करता था।
इस बीच उसका रिजल्ट आ गया.. उसको भोपाल में एडमिशन मिल गया और वो चली गई।
फिर मेरा भी ट्रांसफर कानपुर हो गया।
मैंने भोपाल भी जाकर उसको चोदा.. पर धीरे-धीरे हम दोनों में दूरी बढ़ गई।
मेरे पाठको, यह थी मेरी और पायल की पहली चुदाई।
आज भी जब ये सब याद करता हूँ.. तो मेरा लण्ड खड़ा हो जाता है।

cool_moon
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Re: एक कुँवारी एक कुँवारा

Post by cool_moon »

बढ़िया कहानी..
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