एक कुँवारी एक कुँवारा

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Rohit Kapoor
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एक कुँवारी एक कुँवारा

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एक कुँवारी एक कुँवारा

यह मेरे और पायल के बीच के पहले सम्भोग की गाथा है। आज भी जब उन पलों को याद करता हूँ.. तब मेरा लण्ड खड़ा हो जाता है और उसको याद करके मुठ मार लेता हूँ।
आज मुझे पता नहीं वो कहाँ है.. पर यदि वो इस कहानी को पढ़ रही हो.. तो वो भी उन पलों को याद कर रही होगी।
आगरा के सिकंदरा में किराए का मकान लिया.. जिसमें ऊपरी मंजिल में मकान-मालिक का परिवार और नीचे के दो रूम के सैट में मैं और पीछे के दो रूम के सैट में एक अरोरा परिवार रहता था।
अरोरा साहब के परिवार में मियां-बीवी, एक लड़का और एक लड़की पायल (उम्र 19 साल) रहते थे। उनका लड़का इंग्लैंड में रहता था। हम दोनों के बीच में मकान का आँगन कॉमन था।
पायल एक अल्हड़ सी.. कमनीय काया की स्वामिनी थी। तकरीबन 5’3″ लम्बे कद की उस हिरनी का फिगर 32B-28-30 का था। वो पंजाबी थी.. तो गोरी और मस्त थी जैसा कि ज्यादातर पंजाबी लड़कियाँ होती हैं।
पायल हर समय घर पर ही रहती थी और मैंनेजमेंट के एंटरेन्स एग्जाम की तैयारी कर रही थी।
पिता जॉब पर जाते और देर रात लौटते थे, उसकी माँ एक स्कूल में टीचर थीं और शाम के वक़्त ट्यूशन पढ़ाती थीं।
हम दोनों अक्सर बातें करते थे, मेरा उनके घर पर बहुत आना-जाना था, अक्सर मैं उनके घर पर ही खाना खाता था।
सच कहूँ तो मेरा दिल पायल पर आ गया था, मैं उसको चोदना चाहता था.. पर उसकी इच्छा का मुझको पता नहीं था।
बस इतना मालूम था कि उसको मेरा साथ अच्छा लगता है।
कभी-कभी मैं उसको इधर-उधर छूने भी लगा था.. वो बिल्कुल बुरा नहीं मानती थी.. बल्कि वो एक स्माइल भी देती थी।
एक दिन मैं अपने काम पर नहीं गया और घर पर ही था.. पर यह बात उन सब को पता नहीं थी।
करीब 11 बजे जब मैं आँगन में गया.. तो देखा कि पायल सिर्फ तौलिया में खड़ी थी, वो अभी नहा कर ही निकली थी, तौलिया उसके सीने पर बंधा था और वो जाँघों तक ही था।
मैं सन्न रह कर सिर्फ उसको देखता रह गया।
वो भी सन्न रह गई।
कुछ पलों में उसको होश आया और वो अन्दर भाग गई।
मैं भी कुछ समय के लिए समझ नहीं सका कि क्या करूँ। फिर मैं भी उसके पीछे उसके कमरे में गया और देखा कि वो वैसे ही खड़ी है और उसकी सांसें तेज-तेज चल रही हैं।
मेरे मन में काम-वासना का संचार हो गया। मेरा लण्ड खतरनाक तरीके से खड़ा हो गया था। मैं धीरे से उसके पीछे गया और उसकी नग्न गर्दन पर अपने होंठ रखा कर हल्का सा चुम्बन दिया।
वो काँप से गई और कहने लगी- आप जाओ यहाँ से..
मैं कुछ बोलता तभी किसी ने उसके घर की घंटी बजाई और मैं जल्दी से अपने कमरे में चला गया।
थोड़ी देर बाद मैंने बहुत कोशिश की.. पर उसने अपना दरवाज़ा नहीं खोला।
फिर बात आई-गई हो गई।
पर इसके बाद वो मेरे सामने ज्यादा नहीं आती थी। अकेली तो बहुत कम आती थी.. पर हम दोनों की नज़रें बदल गई थीं।
वो अब मुझको बहुत प्यार भरी नज़रों से देखती थी, मैं भी रोज़ उसकी याद में लण्ड का रस निकल देता था।
पर मुझको कोई मौका नहीं मिल रहा था कि मैं कुछ कर पाऊँ।
मैं हर संभव कोशिश कर रहा था कि कोई मौका मिले और इत्तफ़ाक़ से ऐसा मौका मिल भी गया।
हुआ यह कि पायल को दो एग्जाम पेपर देने दिल्ली जाना था। पर उन लोगों को पंजाबी होने के बावजूद दिल्ली का कुछ भी नहीं पता था।
तब उसकी माँ ने मेरे को बुलाया- बेटा, तुम तो दिल्ली बहुत जाते हो.. क्या तुम रोहणी नाम की जगह जानते हो?
मैं- हाँ क्यों?
पायल की माँ- बेटा पायल के एग्जाम का सेंटर है वहाँ.. क्या तुम पायल और अंकल के साथ जाकर उसे एग्जाम दिला दोगे?
मैं- हाँ क्यों नहीं..
मैं मन ही मन बहुत खुश हो गया कि चलो कुछ पल साथ रहने का मौका मिलेगा और पायल के दिल की बात जानने में भी आसानी होगी।
पायल की माँ- ठीक है फिर मैं तुम तीनों का रिजर्वेशन करवा देती हूँ।
मैं- ठीक है।
हम सबको एक हफ्ते बाद निकलना था।
मैं खुश था.. मैं भी तैयारी में जुट गया।
मैंने एहतियातन एक कंडोम का पैकेट.. नारियल के तेल की शीशी.. आई पिल का पैकेट रख लिया था.. शायद जरूरत पड़ जाए।
आखिर वो पल भी आ गया जब हमको निकलना था, रात की ट्रेन दादर अमृतसर एक्सप्रेस थी, हम सब स्टेशन आ गए।
हम सबकी 2 AC में सीट बुक थीं।
सुबह हम लोग जब दिल्ली पहुँचने वाले थे.. तभी पायल के घर से मकान-मालिक का फ़ोन आया कि पायल की माँ गिर गई हैं.. उनके पैर में काफी चोट आई है।
यह सब सुन कर हम सब घबरा गए.. पर जब मैंने अपने मकान-मालिक से बात की.. तब पता चला कि वो लोग उनको हॉस्पिटल ले गए हैं और अब वो ठीक हैं, दोपहर के बाद उनके पैर का ऑपरेशन होगा.. और उन्होंने बोला कि अंकल का आना जरूरी है।
यह सोच कर हम सबने लौटने का प्लान बनाया.. पर अंकल बोले- अकेला मैं लौट जाता हूँ.. तुम पायल को एग्जाम दिला कर कल आ जाना।
पर मैंने कहा- नहीं.. हम सब वापस चलते हैं।
तब अंकल बोले- बेटा अब जो होना था.. वो हो गया और पायल की पूरे साल की मेहनत बेकार हो जाएगी.. इसका साल भी ख़राब होगा।
पायल- पर पापा ऐसा कैसे हो सकता है.. मैं कैसे रोहित के साथ..
पर उसके पापा ने उसे बीच में ही रोक के समझाया- बेटा देखो, साल मत ख़राब करो और मैं तो वापस जा ही रहा हूँ न?
मैं- अंकल मैं कैसे पायल के साथ रुकूँगा?
अंकल- देखो रोहित तुम समझदार हो और जिम्मेदार भी हो.. तुम जरूर ठीक से एग्जाम दिला दोगे और फिर एक दिन की ही तो बात है.. कल तो रात तक तुम आ ही जाओगे।
फिर हम दोनों ने मिल कर अंकल को आगरा की ट्रेन में बिठा दिया और वो ट्रेन के जाने के बाद हम दोनों ने एक-दूसरे की तरफ देखा।
मैंने देखा कि पायल अपनी माँ के लिए बहुत परेशान है।
मैं- देखो घबराओ नहीं.. सब ठीक हो जाएगा.. और तुम सिर्फ अपने एग्जाम पर ध्यान दो और बाकी सब भगवान पर छोड़ दो.. जो होगा वो अच्छा ही होगा।
पायल- हाँ पर..
मैं- देखो अंकल गए हैं . और भी लोग है वहाँ.. वो सब उनकी ठीक से देखभाल करेंगे। तुम परेशान होगी.. तो तुम्हारा पेपर भी ख़राब होगा और फिर माँ क्या सोचेगी.. इसलिए तुम सिर्फ एग्जाम में ध्यान दो और फिर मैं हूँ ना।
पायल- हाँ तुम साथ तो हो।
यह कह कर उसके मासूम से चेहरे पर मुस्कान आ गई। यह देख कर मैं खुश हो गया और उसका हाथ हल्के से पकड़ कर बाहर चल दिया।
जैसे ही मैंने उसका हाथ पकड़ा.. उसने मेरी तरफ देखा.. पर बोली कुछ नहीं।
मैंने पहाड़गंज में होटल श्री राम में एक AC रूम ले लिया। यह वही होटल था जहाँ मैं अक्सर दिल्ली आकर रुकता था.. सो हमको रूम आसानी से मिल गया।
एग्जाम पेपर दिन में 3 बजे से था और हमको 2 बजे तक वहाँ पहुँचना था।
मैंने टाइम देखा तो सिर्फ 6 बज रहे थे मेरे पास उसको पटाने के लिए बहुत टाइम था।
कमरे में आकर मैंने चाय आर्डर की और हम दोनों बैठ कर उसकी मम्मी के बारे में बात करने लगे।
मैंने देखा कि पायल बहुत ही ज्यादा परेशान थी और नर्वस भी थी।
शायद मेरे साथ अकेले कमरे में होने की बात को जान कर वो ज्यादा दिक्कत में थी।
यह देख कर मैंने भी उसको प्रभावित करने के लिए एक चाल चली, मैंने उससे कहा- देखो पायल, तुम इस तरह परेशान होगी तो तुम्हारा पेपर ख़राब हो जाएगा और तुम मैंनेजमेंट नहीं कर पाओगी।
वो चुप रही।
फिर मैं थोड़ा रुक कर बोला- और एक बात.. इस बात के लिए मत परेशान हो कि तुम मेरे साथ अकेली हो और मैं तुम्हारे साथ कुछ कर दूँगा। तुम मेरी जिम्मेदारी हो और मैं उसको बखूबी निभाऊँगा।
मेरी इस बात का असर तुरंत हुआ, वो हल्के से मुस्कराई और मेरी तरफ देख कर बोली- मैं जानती हूँ।
जहाँ तक मेरा मन था.. मैं यह बात जानता था कि इससे अच्छा मौका मेरे को कभी नहीं मिलेगा। जब मैं इस अल्हड़ से कुंवारी पंजाबी कन्या को चोद सकता हूँ।
अचानक पायल बोली- तुम्हारी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है क्या?
मैं- नहीं..
पायल- क्यों?
मैं- क्या करूँ.. कोई मुझको पसंद ही नहीं करता।
पायल- अच्छा..
मैं- तुम्हारा कोई बॉयफ्रेंड नहीं है क्या?
पायल- नहीं..
‘ओह्ह..’
पायल से इस तरह बात शुरू हुई और मुझको कुछ तसल्ली हुई।
मेरी आँखें उसकी मस्त और सेक्सी बॉडी को घूर रही थीं। उसके छोटे-छोटे से उरोज़.. गालों की लाली.. मुझको दीवाना बना रही थी।
मेरे बॉक्सर में मेरा लण्ड आकार लेने लगा था.. सो मैंने किसी भी तरह के परेशानी से बचने के लिए उस पर एक तकिया रख लिया ताकि पायल मेरे उठे हुए लण्ड को न देखे।
पायल मेरे को इस तरह से घूरते देख कर शर्माने लगी और उसके गालों की लाली बढ़ गई.. जो मुझको और वासना की आग में झोंक रही थी।
वो बोल- क्या देख रहे हो रोहित.. क्या मेरे को पहले कभी देखा नहीं है?
मैं- तुम बहुत खूबसूरत हो पायल.. देखा तो बहुत बार है.. और एक बार तो बहुत अच्छे से भी देखा है (मेरा इशारा उस तौलिया वाली घटना की तरफ था) पर इतना पास से.. और इतने इत्मीनान से पहली बार देख रहा हूँ।
पायल मेरी इस बात को समझ कर और भी शर्मा गई, उसके गाल और लाल हो गए।
शायद पायल के दिमाग में भी मेरे जैसा ही शायद चल रहा था.. पर उसकी हिचकिचाहट उसे आगे बढ़ने से रोक देती थी।
पायल- ऐसा क्या देखा मेरे अन्दर.. जो किसी और में नहीं देखा?
मैं- आज तक इतने ध्यान से किसी को देखा ही नहीं यार.. जितने पास से तुमको देखा। क्या नहीं है तुम्हारे पास.. और जो तेरे पास है.. उस जैसा शायद ही किसी लड़की के पास हो।
यह कह कर मैंने उसकी आँखों में झाँका.. तो उसने शर्मा कर नजरें झुका लीं।
इस एक झलक में उसने मेरी आँखों में खुद के लिए अपनापन और प्यार को अच्छे से देख लिया था।
मैं जानता था कि मैं आगे बढ़ सकता हूँ.. पर मन के किसी कोने में डर भी था कि वो कहीं भड़क न जाए।
बिस्तर पर तकिये के सहारे दीवार से लगकर मैं आधा लेटा हुआ था और पायल मेंरे पैर की तरफ बिस्तर के एक कोने में बैठी थी।
मैं- पायल एक बात पूछूँ?
पायल- पूछो..
मैं- तुमको मैं कैसा लगता हूँ.. मेरा मतलब है कि तुम मेरे बारे में क्या फील करती हो?
पायल मेरे सवाल पर कुछ नहीं बोली.. एकदम चुप से हो गई। उसने मेरी तरफ एक बार देखा और नजरें झुका लीं।
‘बोलो न पायल..’
पायल- रोहित तुम एक अच्छे लड़के हो.. मेरे दिल में एक सॉफ्ट कार्नर भी तुम्हारे लिए है.. पर मैं वैसा नहीं सोचती जो किसी लड़की को एक लड़के के लिए सोचती है। तुम समझ रहे हो न रोहित?
पायल से एक लम्बी चुप्पी के बाद बड़ा सा स्टेटमेंट दिया.. जो मेरे लिए एक शुभ संकेत था। मैं भी कोई रिलेशन में नहीं जाना चाहता था। मेरा ध्यान सिर्फ और सिर्फ उसको चोदना था।
मैं- देखो पायल मैं तुमको बहुत पसंद करता हूँ.. पर मैं भी कोई रिलेशनशिप अभी नहीं चाहता.. क्या तुम मेरी गर्लफ्रेंड बनोगी? देखो तुम पर कोई दबाव नहीं है.. तुम चाहो तो मना भी कर सकती हो। मुझको बुरा नहीं लगेगा। देखो जो मेरे दिल में होता है.. वही मेरी जुबान पर भी होता है। मैं बहुत साफ और खुले दिल का इंसान हूँ।
पायल- वो मैं जानती हूँ।
फिर थोड़ी से चुप्पी के बाद बोली- मुझे आपकी गर्लफ्रेंड बन कर अच्छा लगेगा.. पर मैं कोई आपको वादा नहीं कर सकती।
मैं- मैंने कब कहा तुम कोई वादा करो.. देखो हम दोनों का ही कोई बॉयफ्रेंड या गर्लफ्रेंड नहीं है.. सो हम दोनों एक-दूसरे के बन सकते हैं और भविष्य किसने देखा है?
पायल मेरी बात सुनकर मुस्कराई.. शायद वो भी समझ चुकी थी कि मैं क्या कहना चाहता हूँ.. फिर भी वो अनजान बनी रही।
मैंने टाइम देखा अभी सिर्फ 8 बजे थे। अब भी बहुत टाइम था हमारे पास और मैं चाहता था कि वो बात करती रहे। मैं इस बात को किसी तरह सेक्स चैट की तरफ ले जाना चाहता था।
‘पायल मेरे पास आकर बैठो न..’
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Rohit Kapoor
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मेरी बात सुन कर पायल ने एक अजीब सा फील करके मेरी तरफ देखा।
उसके चेहरे से मैंने अंदाज़ा लगा लिया कि वो हिचकिचा रही है.. शायद उसके मन कुछ डर सा भी था।
मैं उठा और उसका हाथ पकड़ कर अपनी तरफ बुलाया, वो धीरे से मेरे पास खिसक कर बैठ गई।
हम दोनों ही बहुत अजीब सा फील कर रहे थे, मेरे दिल की धड़कन तेज़ थीं, जिस्म में कंपकपाहट थी।
आप जानते ही होंगे कि किसी लड़की के साथ बंद कमरे में अकेले होना.. दोनों को कितनी घबराहट से भर देता है। वो भी तब.. जब दोनों का ही पहली बार हो।
हम दोनों के बीच एक लम्बी चुप्पी से छा गई.. सिर्फ रुक-रुक कर एक-दूसरे को गहरी नजरों से देख लेते थे।
तभी पायल एकदम से उठी और बोली- मैं फ्रेश हो तैयार हो जाती हूँ।
वो उठी ही थी कि अचानक मैंने उसका हाथ पकड़ कर बोला- रुको न.. अभी बहुत टाइम है.. थोड़ी बात करते हैं।
मेरे अचानक हाथ खींचने से वो एकदम से मेरे ऊपर गिर गई, मेरे सीने में उसके प्यारे-प्यारे मस्त चूचों के गड़ने से मेरे मुँह से ‘आह..’ की आवाज़ निकली।
हाय.. कितना सॉफ्ट सा टच था.. मेरे हाथ उसकी कमर में थे.. कुछ पल तो हम दोनों ही सब भूल गए।
उसने सर उठा कर मेरी आँखों में देखा, मुझे उसकी आँखों में वो ही नज़र आया.. जो मेरे दिल में था।
वो उठने लगी.. मैंने भी उसे जाने दिया पर उसकी पूरी पीठ में एक बार उसकी ब्रा का स्ट्रेप फील करते हुए हाथ फेर दिया।
मेरे इस सेंसुअल टच से उसके जिस्म की थरथराहट को मैंने महसूस कर लिया था।
‘सॉरी..’
एक छोटा सा शब्द मैंने बोला.. पर वो चुप रही..
मैंने फिर से बोला- सॉरी ना..
‘ओके..’ पायल एक हल्की से मुस्कान के साथ बोली।
मैं- सो नाऊ वी आर कपल?
यह सुन कर पायल ने मेरी तरफ देखा और कुछ पल रुक कर धीरे से अपना सर धीरे से हिला कर ‘यस’ कहा।
दोस्तो, अचानक मैंने अपने आपको काफी हल्का सा महसूस किया। मैं उसको चोदने की दिशा में एक कदम बढ़ा चुका था। वो पल दूर नहीं था जब मैं उसकी न्यूड बॉडी को महसूस कर पाउँगा.. उसके मस्त चूचों को चूस पाऊँगा.. उसकी कुंवारी चूत का पहला पानी पी सकूंगा।
उसका हाथ अपने हाथ में लेकर उसे सहलाते हुए बोला- पायल आई लाइक यू सो मच.. आई एम वेरी हैप्पी नाउ।
पायल हल्के से मुस्कराई और बोली- मैं भी..
मैंने फिर हल्के से उसके हाथों में प्यार से भरा चुम्बन किया। वो एकदम से काँप गई और हाथ को छुड़ाने लगी। पर मेरी पकड़ मज़बूत थी.. मैंने उसका हाथ नहीं छोड़ा और उसको अपने और नज़दीक खींच लिया।
वो धीरे से मेरे और पास आ गई।
उसके हाथों से मैं उसकी घबराहट महसूस कर रहा था.. दोनों की ही हथेली पसीने से भीग गई थी। हम दोनों एक-दूसरे की आँखों में देखते हुए ना चाहते हुए भी बहुत कुछ कह रहे थे, बिना बोले एक-दूसरे की मानसिक स्थिति महसूस को कर रहे थे।
मैं अपने होंठ उसकी हथेली पर रख कर रगड़ने लगा। पायल ने अपने आपको छुड़ाने की एक नाकामयाब कोशिश के बाद अपनी आँखें बंद कर लीं।
मेरे हाथ धीरे से उसकी पतली कमर को पकड़ कर अपने पास खींच कर बाँहों में हल्के से भर लिया। पायल की साँसें तेज हो रही थीं, उसका बदन कांप रहा था, मेरे हाथों का जादुई स्पर्श उसको भी अच्छा लग रहा था।
धीरे से मैंने उसके गालों पर एक चुम्बन किया। उसके मुँह से हल्की ‘आअह..’ निकली, उसके बदन में कंपकंपाहट थी।
मेरे होंठों ने उसको धीरे-धीरे किस करना शुरू किया। कभी उसकी गर्दन पर.. और कभी गालों पर.. आँखों पर..
मेरे होंठों का स्पर्श मेरे और उसके अन्दर एक आग को जला रहा था- आअह्ह रोहित.. आआह्ह प्लीज़.. छोड़ो.. आअह्ह्ह मत करो.. रुकोओओ..
पर मैं कुछ सुनने को तैयार नहीं था, मैं लगातार उसको चूम रहा था, मेरे हाथ उसकी पीठ में इधर-उधर हो रहे थे।
मैं उसके बदन की मुलायमियत.. कोमलता.. और पवित्रता को महसूस कर रहा था।
पायल की आवाजें बढ़ रही थीं- रोहित प्लीज़ छोड़ो.. रुकोओ.. मत करो.. आआह्ह..
मैं- पायल मुझे मत रोको ना.. तुमको अच्छा लगेगा..
पायल- नहीं.. ये सही नहीं है.. रुको.. आअह्हह्हह.. क्या कर रहे हो.. आआह्ह्ह मत करो.. मुझे कुछ हो रहा है.. आअह्ह्ह.. रोहित क्या कर रहे हो।
मैं- पायल हम दोनों अब कपल हैं ना.. और यह कपल के बीच सब सही होता है।
पायल- नहीं.. मैं नहीं कर सकती ये सब.. ये गलत है।
मैं- क्या गलत है और क्या नहीं कर सकती?
पायल- वही.. जो तुम कर रहे हो.. बहुत अजीब सा महसूस हो रहा है। मैंने कभी ऐसा महसूस नहीं किया.. हम दोनों के बीच यह सब सही नहीं है।
उसकी हल्की और धीरे आती आवाज़ से मैं अंदाज़ा लगा सकता था कि उसको अच्छा लग रहा है.. पर कहीं ना कहीं वो दिल से भी सब चाहती है.. पर डर के वो मना कर रही है, उसको उसके संस्कार और एथिक्स उसको रोक रहे थे।
मैंने उसको अपनी बाँहों में लेकर एक हाथ से उसकी ठोड़ी को उठा कर उसकी आँखों में देखा।
पायल ने भी प्यार से भरी निगाहों से एक बार मेरी तरफ देखा और आँख बंद कर लीं।
मैंने अपने होंठों को उसके सॉफ्ट और रसीले होंठों पर रख दिए।
आअह क्या पल था.. ऐसा पल जिसे सिर्फ हम और आप महसूस कर सकते हैं।
पायल ने काम्प कर मुझको कस के पकड़ लिया.. पर प्रतिउत्तर में कुछ नहीं किया। उसने एक बार फिर दूर जाने की कोशिश की.. पर वो मेरी बांहों से निकल नहीं पाई।
मेरे होंठ उसके नीचे के होंठों को चूस रहे थे।
मैंने कोशिश की उसके होंठों के अन्दर तक किस करने की.. पर पायल ने कस कर अपने होंठों को बंद कर लिया। मैं कभी नीचे का होंठ तो कभी ऊपर का होंठ चूस रहा था।
मेरे हाथ उसकी नर्म काया को सहला कर उसमें उत्तेजना का संचार कर रहे थे, वो कस के मुझे पकड़ रही थी।
थोड़ी कोशिश के बाद उसने उसने रेस्पॉन्स करना शुरू किया और मेरे होंठों को ठीक से किस करने की इज़ाज़त दे दी।
आअह्ह्ह.. क्या पल था.. लगता था ये समय यहीं रुक जाए.. हम दोनों का पहला चुम्बन..
उसने मेरी जीभ का अपनी मुँह में स्वागत किया।
अब हम दोनों एक-दूसरे को पूर्ण तन्मयता से चुम्बन कर रहे थे, एक-दूसरे की जीभ को चूस रहे थे।
‘ऊओह्ह्ह.. आआअह.. हम्म..’ की मुँह से निकलती आवाज़.. हम दोनों को और उत्तेजित कर रही थी।
पायल ने मुझको कस के पकड़ रखा था। काफी देर बाद जब हम दोनों का ‘लिपलॉक’ अलग हुआ.. तो पायल की साँसें तेज चल रही थीं। उसका सर मेरे सीने पर था.. उसकी सॉफ्ट से चूचे मेरे बदन को छू रहे थे।
आअह क्या नज़ारा था.. सच में ईश्वर की बेहतरीन रचना मेरी बांहों में थी।
सुर्ख लाल चेहरा.. तेज साँसें.. बिखरे बाल.. भीगे होंठ.. वो सिर्फ काम की देवी की तरह लग रही थी। लगता था कि ईश्वर ने बहुत फुर्सत में बनाया था।
‘पायल..’ मैंने उसको धीरे से पुकारा।
पायल ने ‘हम्म..’ के साथ जबाव दिया।
मैं- पायल मेरी तरफ देखो।
यह सुन कर उसने सर उठा कर मेरी तरफ देखा और फिर से नजरें नीचे कर लीं।
मैंने भी उसकी इस अदा पर उसको सीने से चिपका लिया और उसको धीरे से बिस्तर पर लिटा कर उसके ऊपर आ गया।
आअह.. इस पल का मैं कब से इंतज़ार कर रहा था.. ऊओह माय गॉड… एक अल्हड़ सी कमनीय कंचन सी पंजाबी कन्या मेरे नीचे थी… मुझे यकीन ही नहीं हो रहा था।
पायल जिसकी याद में मैं रोज़ मुठ मारा करता था.. अब वो मेरे नीचे थी।
मेरा एक पैर उसकी जाँघों पर था और मैं हल्का सा उसके ऊपर था। मैंने फिर उसको लब-चुम्बन करना शुरू किया। कभी निचला होंठ.. तो कभी ऊपर का होंठ चूसता!
उसका एक हाथ मेरे सर को सहला रहा था.. दूसरे हाथ से उसने मुझको कस के पकड़ रखा था।
हम दोनों काफी देर तक चुम्बन करते रहे, फिर मैंने अपने हाथ को उसकी चूची पर रख दिया।
आअह्ह्ह क्या अहसास था.. कितने नर्म.. जैसी रुई का गोला हल्के से दबाया हो।
तभी पायल ने मेरा हाथ पकड़ कर मुझे धक्का दे दिया, वह पायल बिस्तर से एकदम से खड़ी हो गई।
मैं- क्या हुआ?
पायल- नहीं ये ठीक नहीं है.. तुम यह कहाँ टच कर रहे थे?
मैं- क्यों क्या हुआ यार.. कुछ भी तो नहीं टच किया.. सिर्फ किस ही तो किया था।
पायल- इतने भोले मत बनो.. तुमको पता है तुमने क्या टच किया और यह गलत है.. मैं ऐसा नहीं कर सकती.. सॉरी रोहित।
मेरा तो सारा नशा ही उतर गया, मैं बहुत डर गया.. धीरे से बोला- सॉरी पायल..
मेरे दिमाग का दही हो गया था।
पायल- देखो रोहित मैं जानती हूँ कि तुम मुझे बहुत पसंद करते हो और मैं भी उतना पसंद करती हूँ तुमको.. पर जो तुम चाह रहे हो.. उसके लिए शायद मैं दिल और दिमाग से तैयार नहीं हूँ।
मैं- पायल मैं ऐसा कुछ नहीं चाहता हूँ.. जिसमें तुम्हारी सहमति नहीं हो। तुम साथ हो.. यही बहुत है और तेरे साथ के आगे.. ‘उस’ चाह की अहमियत नहीं है। मैंने फिर धीरे से उसे अपनी बांहों में भर कर उसके माथे पर एक हल्का चुम्बन किया।
पायल भी मेरे प्यार के आगे झुक गई.. और उसने मेरे सीने में सर छुपा लिया, वो मेरे सीने में सर रख कर मेरे को बाँहों में लिए रही।
मैं भी धीरे-धीरे उसको बाँहों में लिए-लिए उसकी पीठ को सहलाता रहा, उसकी ब्रा स्ट्रिप के ऊपर और उसकी चूतड़ के ऊपर से थोड़ा दबाव डाल कर सहलाता रहा।
उसके शरीर की गर्मी का उसकी हर पल कांपते बदन.. उसके शरीर में होती हरकत का अहसास कर रहा था।
मेरी गर्म सांसों को वो महसूस कर सकती थी और इस गरम जिस्म की गर्मी से मेरे लंड की अंगड़ाई को शायद वो भी महसूस करने लगी थी क्योंकि मेरा लंड उसको टच कर रहा था।
उसके हाथों का कसाव बढ़ गया था। उसके जिस्म में भी हल्की हरकत होने लगी थी।
अचानक पायल ने सर उठाया और मेरे लबों पर अपने लब रख दिए। मैं भी कुछ पलों के बाद बहुत अजीब सा महसूस करते हुए उसके चुम्बन का जवाब देने लगा।
ऐसा लगता था.. वक़्त थम सा गया है, दिल की धड़कन जोर से बजने लगी थी, हम दोनों बेसुध हो गए थे।
मैंने उसको बाँहों में उठा लिया, उसने भी समर्पण करते हुए मेरे गले में बाँहें डाल दीं।
उसको उठा कर फुल साइज शीशे के सामने खड़ा करके उसको पीछे से खुद से चिपका लिया।
उसकी आँखें बंद थीं.. तब मैंने धीरे से उसके कान में बोला- पायल.. देखो हमारी-तुम्हारी जोड़ी कितनी अच्छी लग रही है।
पायल ने धीरे से नशीली आँखों को खोल कर देखा और शर्माते हुए घूम कर मेरे सीने में अपना सर छुपा लिया.. मैंने भी उसको चिपका कर उसके गले पर अपने गर्म होंठ रख दिए।
पायल- आआह..
मैं उसके खुले गले पर अपने गर्म होंठ रगड़ने लगा। मैं अपने हाथों से उसकी पीठ को सहला रहा था.. चूतड़ को दबा रहा था।
पायल की सांसों की गर्मी मुझको पागल कर रही थी, मैं उसके हाथों का कसाव अपने शरीर पर महसूस करने लगा था।
मैं- पायल..
पायल- हम्म्म..
मैं- आई लव यू..
पायल- मैं भी तुमको प्यार करती हूँ रोहित..
इतना सुनने के बाद मेरे को समझ नहीं आ रहा था कि मैं आगे कोई स्टेप लूँ कि नहीं.. क्योंकि मैं पायल को हर्ट नहीं करना चाहता था। उसके अकेले साथ होने का कोई फायदा नहीं उठाना चाहता था।
उसको मैंने फिर से बाँहों में उठा कर बिस्तर पर लिटा दिया और उसके ऊपर आकर चुम्बन करने लगा।
पायल भी अब पहले से ज्यादा और प्यार के साथ मेरे चुम्बन का जवाब दे रही थी।
कभी मैं उसके ऊपर के होंठों को चूमता.. कभी नीचे के होंठों को चूसता। उसकी जीभ को मैं अच्छे से चूस रहा था।
प्यार और वासना दोनों साथ-साथ बढ़ने लगी थीं।
मेरा जिस्म उसके जिस्म पर था। उसकी फूल सी कमनीय काया.. मेरे जिस्म के नीचे थी। उसके उभार को अपने सीने में महसूस कर सकता था।
जब मैं अलग हुआ तो मैंने अपनी शर्ट उतार दी, अब मैं फिर से उसके ऊपर आ कर उसकी गर्दन पर किस करने लगा।
पायल- आह रोहित.. प्लीजज.. रुको रोहित रुको..
पर रोहित को रुकना नहीं था। कभी गर्दन पर कभी कानों पर कभी कानों की लौ पर.. मेरा हर एक चुम्बन पायल की अंदरूनी चाहत को जगा रही थी।
उसका जिस्म धीरे-धीरे पिघल रहा था.. जैसे की कोई मोमबत्ती पिघलती है। उसके जिस्म को फूल सा हल्का होता हुआ मैं महसूस कर सकता था।
मेरे चुम्बन का जवाब वो चुम्बन से दे रही थी।
पायल- ओह रोहित.. क्या कर रहे हो.. मत करो.. प्लीजज्ज.. रुक जाओ.. कुछ हो रहा है मुझको.. मान भी जाओ न रोहित..
तभी मैंने उसकी गर्दन पर जोर से काट लिया।
पायल- आउच.. क्या करते हो रोहित..
मैं- कुछ नहीं.. अपनी गर्लफ्रेंड को प्यार कर रहा हूँ।
पायल- अच्छा निशान दे कर? कोई सहेली देखेगी आगरा में.. तो क्या सोचेगी?
मैं- अरे तेरी सहेली पूछेगी.. तो कह देना.. मेरे बॉयफ्रेंड का निशान है।
पायल- धत..
मैं अभी भी उसके ऊपर था, उसके हाथ मेरी पीठ को सहला रहे थे, अबकी बार मैंने उसकी गर्दन पर फिर से किस करना शुरू कर दिया और किस करते-करते उसके उभारों के पास के कटाव के ऊपर चुम्बन करना शुरू किया था कि उसका शरीर कांपने लगा, उसकी बाँहों की पकड़ मज़बूत होने लगी। मेरे हाथ उसके मस्त चूचों पर था।
मेरे हाथ उसको हल्के-हल्के सहला रहे थे। उसकी बाँहों को उसकी गर्दन पर मेरे चुम्बन का प्रहार चालू था।
पायल- रोहित, यह मुझको क्या हो रहा है?
मैं- क्या हुआ तुमको?
पायल- पता नहीं अन्दर से कोई करेंट सा दौड़ रहा है.. कुछ बेचैनी सी है.. ऐसा लगता है कि कुछ बाहर आने को है।
यह कह कर उसने हमको जोर से जकड़ लिया और मेरे बाल को पकड़ कर खींच कर मुझे चूमने लगी। उसके अचानक इस हमले ने मुझे भी चकित कर दिया।
उसके चुम्बन का जवाब मैंने भी देना शुरू कर दिया, मेरा लंड भी सख्त हो गया था, मेरे हाथों का दबाव उसकी चूचों पर बढ़ गया।
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Rohit Kapoor
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Re: एक कुँवारी एक कुँवारा

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अब मैं उत्तेजना में उसकी चूची को जोर से मसलने लगा। मेरा दूसरा हाथ धीरे से नीचे जा कर ‘लव ट्रैंगल’ के बीच में यौवन के द्वार पर दस्तक देने लगा। पायल के जिस्म का तनाव बढ़ गया था। मेरे दोनों हाथ सही जगह पर अपना काम कर रहे थे। कपड़ों के ऊपर से योनि द्वार को सहलाना एक ऐसा सुख था.. जिसको शब्दों में बयान नहीं किया जा सकता।
पायल- रोहित मुझको कुछ हो रहा है.. अच्छा लग रहा है.. ऊह अह्ह्ह अआह्ह्ह ओह.. धीरे से.. दर्द होता है.. रुको रोहित कुछ होने वाला है मुझको.. ऊह्ह्ह्ह्ह् राहुल्ल्ल.. ऊऊऊ..
इतना कह कर उसने मुझको जोर से बाँहों में जकड़ लिया, उसके नाख़ून मेरी पीठ के माँस के अन्दर तक चले गए थे, दर्द की एक पीड़ा करंट बन कर दौड़ गई, उसने मेरे होंठों को काट खाया।
और फिर.. उसका जिस्म हल्का होता गया.. पकड़ ढीली होती गई.. कुछ बचा था.. तो शोर पायल के सांसों का..
मैं समझ चुका था कि उसका यह ज़िंदगी का पहला ऑर्गेस्म हुआ है।
वो अभी भी मेरी बाँहों में थी.. उसकी तेज सांसों से उठते-गिरते उसके सीने के दो उभार.. गालों की लाली.. भिंची हुई जाँघें इस बात का गवाह थीं कि उसको परमसुख.. नारीत्व का अहसास हो चुका था।
उसको पहली बार एक लड़के के स्वर्णिम.. सेंसुअल टच को महसूस हो चुका था।
मेरा लंड पूरी तरह तैयार था.. मेरी पैंट में सर उठा के खड़ा था। जो उसकी लव ट्रैंगल को टच करवा कर अपने होने का अहसास दिला रहा था।
कुछ देर में पायल नार्मल हो गई तो मैंने उसका हाथ लेकर अपने लंड के ऊपर रख दिया।
पायल ने तुरंत अपना हाथ हटा लिया।
मैंने फिर उसका हाथ वहाँ ले जाकर रख दिया। इस बार मैंने उसका हाथ को छोड़ा नहीं.. उसके हाथ से मैं अपने लंड को सहला रहा था.. दबा रहा था।
पायल ने मेरी तरफ एक बार प्रश्नवाचक नजरों से देखा।
मैं- करो न यार..
पायल- रोहित मुझे डर लग रहा है।
मैं- किस बात का डर..?
पायल- तुम्हारा काफी बड़ा है.. दूसरा मैं इसके आगे नहीं बढ़ सकती।
पायल ने मुझसे ऊपरी तौर पर सब कुछ करने की इजाजत दे दी थी पर अब भी वो चुदाई से डर रही थी।
मैं- डरने की क्या बात है.. तुमको अच्छा लगेगा।
पायल- हाँ जो कुछ तुमने किया और जो मैंने महसूस किया.. वैसा मैंने कभी महसूस नहीं किया है, ऐसा लग रहा था कि मैं सातवें आसमान में उड़ रही थी।
जब पायल अपनी बात बता रही थी.. तो मैंने अपनी पैंट के बटन खोल दिए और उसका हाथ मैंने पकड़ कर पैंट में डाल दिया।
पायल ने फिर भी कुछ नहीं किया, शायद वो झिझक रही थी.. पर उसने हाथ भी नहीं हटाया।
मेरा लण्ड पूरी तरह से खड़ा था.. मैं उसे अभी चोदना चाहता था.. पर सुबह से अब तक जो भी बात हम दोनों के बीच हुई थी.. उससे मेरे दिल में उसके प्रति प्यार पनप गया था।
अब मैं उसे प्यार करता था और बगैर उसकी मर्ज़ी के कुछ नहीं करना चाहता था।
मैं धीरे से उसके ऊपर आकर उसे होंठों पर चुम्बन करने लगा।
पायल का हाथ अभी भी मेरी जॉकी के अन्दर था।
मैं- पायल क्या हुआ.. सहलाओ ना..
पायल- रोहित तुम क्या चाहते हो मेरे से?
मैं- कुछ नहीं.. बस तुमको चाहता हूँ और तुमको महसूस करना चाहता हूँ। तेरे हाथों का स्पर्श महसूस करना चाहता हूँ।
पायल- पर ये गलत है.. एक-दूसरे को ऐसा छूना क्या सही है? क्या हम दोनों को आगे बढ़ना चाहिए?
मैं- देखो तुमको जो आनन्द मिला वो कैसा था.. कैसा लगा तुमको?
पायल- बहुत अच्छा लगा.. अजीब सी फीलिंग थी.. पर ऐसा मैंने कभी नहीं महसूस किया.. मेरे बदन में करंट सा दौड़ रहा था.. बहुत अच्छा लग रहा था।
मैं- देखो हम दोनों के लिए पहली बार है। तुमको तो सुख मिल गया.. क्या मेरी गर्लफ्रेंड अपने बॉयफ्रेंड को वैसा आनन्द नहीं देना चाहेगी?
पायल से हल्की स्माइल के साथ बोली- तुम से बातों में कोई जीत नहीं सकता।
यह कह कर वो मेरे होंठों को चूमने लगी, मैं भी अपने शरीर का पूरा भार उस पर डाल कर उसके चुम्बन का जवाब देने लगा।
मेरे हाथ उसकी टी-शर्ट के अन्दर जाकर उसकी ब्रा के ऊपर से उसके उभारों को सहलाने लगे। पायल फिर से अपना होश खोकर मेरे रंग में रंगने लगी।
मुझे इंतज़ार था उसके हाथों की हरकत का.. जो अभी भी मेरी जॉकी के अन्दर था। मेरे लण्ड पर उसके मुलायम हाथों की गर्मी आ रही थी.. लण्ड अकड़ सा गया था.. दर्द भी हो रहा था, लण्ड बाहर आना चाहता था।
मैंने धीरे से उसकी टी-शर्ट को ऊपर उठाना शुरू किया था, पायल ने मेरा हाथ पकड़ लिया- नहीं रोहित!
मैं- पायल मुझे तुमको देखना है.. पूरा देखना है.. और मैं कुछ भी तुम्हारी मर्ज़ी के बगैर नहीं करूँगा.. जहाँ तुम चाहोगी वहीं तक मैं आगे बढूंगा और जहाँ न करोगी.. वहीं रुक जाऊंगा.. मुझे मत रोको।
यह कह कर मैंने उसके बैक में हाथ डाल कर उसे थोड़ा उठाया, फिर उसकी टी-शर्ट को पूरा निकाल दिया।
अहह.. क्या खूबसूरती थी.. गोरा बदन.. दाग रहित.. उस पर पिंक ब्रा.. ना चाहते हुए भी मेरी आंखें बड़ी हो गईं.. मुँह खुला का खुला रह गया।
मेरे चेहरे के भाव देख कर पायल के गोरे गाल गुलाबी हो गए और शरमा कर उसने दोनों हाथों से अपना चेहरा ढक लिया।
मौका देख कर मैंने अपना पैन्ट उतार दिया। मैंने फिर से उसके दोनों हाथों को उसके चेहरे से हटाया और उसका एक हाथ अपने लण्ड के ऊपर रख दिया और उसका हाथ दबा दिया।
‘अआह्ह्ह.. ओह्ह्ह.. नहीं रोहित प्लीज.. रुक जाओ।’
रोहित तो उसके हुस्न पर दीवाना हो गया था। रोहित ने अपना चेहरा उसकी गर्दन पर रख कर अपने भीगे होंठों को उसकी गर्दन पर रगड़ना शुरू कर दिया।
‘रोहित रुक जाओ प्लीजज्ज.. रुक जाओ।’ हम दोनों के वस्त्रविहीन शरीर के ऊपरी भाग एक-दूसरे से रगड़ने लगे थे। उसकी चूचियां मेरी विशाल छाती पर मसली जा रही थीं। मेरे पैरों की उंगलियां उसके पैरों को सहला रही थीं।
‘ओह्ह्ह्ह.. रोहित.. ये क्या कर रहे हो.. प्लीज मान जाओ.. मत करो ना.. मुझे कुछ फिर से हो रहा है।’
मैंने उसके कान में धीरे से कहा- पायल मेरी जॉकी के अन्दर हाथ डाल कर सहलाओ ना।
पायल- नहीं.. मुझे शर्म आती है।
मैंने उसका हाथ अपनी जॉकी में डाल दिया। मेरा लम्बा लण्ड लोहे की रॉड के माफिक पूरी तरह से खड़ा था।
मैंने फिर से पायल से बोला- मेरी गर्लफ्रेंड.. प्लीज़ सहलाओ ना।
पायल के ब्रा के ऊपरी हिस्से को मैं लगातार किस कर रहा था या ये कहो कि मैं चूस रहा था। उसके गोरे बदन पर जहाँ मैं चूमता.. वहाँ का हिस्सा लाल हो जाता था।
शायद उत्तेजना में या फिर मेरी बात मान कर वो पहली बार मेरा लण्ड अपने हाथों में ले कर सहलाने लगी।
ओह माय गॉड.. क्या फीलिंग थी.. क्या तरंग सी मेरे जिस्म में दौड़ गई।
‘ओह्ह्ह्ह पायल.. आई लव यू.. हाँ ऐसे ही सहलाओ.. अच्छा लग रहा है।’
मेरी उत्तेजना चरम पर थी.. कभी भी मैं ब्लास्ट हो सकता था।
मैंने उसकी ट्रैक पैन्ट को नीचे सरकना शुरू किया।
उत्तेजना का आलम ये था कि पायल ने खुद ही अपने हिप्स उठा कर सहयोग कर दिया।
अब वो सिर्फ ब्रा और पैंटी में थी।
जस्ट लाइक अ हॉर्स बॉटल.. उसके पूरे बदन पर एक भी दाग नहीं था। निर्मल सी काया.. पतली कमर.. चौड़े कूल्हे मांसल भरी हुई जाँघें.. वाओ क्या हुस्न था पायल का.. मेरी उम्मीद से कहीं ज्यादा निर्मल पवित्र, निश्छल.. चिकना.. सॉफ्ट एंड सिल्की.. बाल रहित यौवन.. उसकी देह पर एक भी बाल नहीं.. एक भी दाग नहीं था।
उसकी पैंटी उसके रस से पूरी भीगी थी बड़ा सा गीलापन का धब्बा साफ महसूस हो रहा था।
पायल पूरी तरह से उत्तेजना में थी। उसका एक हाथ मेरे लण्ड को सहला रहा था.. तो दूसरा हाथ कभी मेरे बालों पर.. तो कभी मेरी पीठ पर घूम रहा था।
मैंने भी अपना जॉकी उतार दिया, मैं पूर्ण रूप से नग्न था, उसकी ब्रा को ऊपर उठा कर मैं उसके एक चूचे को मुँह में भर कर चूसने लगा।
‘ओह्ह रोहित.. अह.. आअह्ह.. अच्छा लग रहा है.. आआआह्ह ह्ह्ह्ह..’
मैं हाथ पीछे ले गया और ब्रा का हुक खोल दिया और उसको बाहर निकाल दिया। अह्ह्ह.. पिंक निप्पल.. एक रुपये के पुराने सिक्के के बराबर निप्पल के चारों तरफ हल्का ब्राउन ऐरोला… माशाअल्लाह.. उसकी 32B की चूचियाँ क्या मस्त थीं।
मेरे भीगे होंठों ने खुदबखुद झुक कर उसके पिंक निप्पल को मुँह में भर लिया और चूसने लगा।
पायल का बदन मचल गया.. उसके मुँह से सिसकारी और कराहट का शोर निकलने लगा ‘अह्ह्ह.. ओह्ह्हउ.. उह.. रोहित अच्छा लग रहा है.. ओह्ह धीरे से.. न काटो नहीं.. दर्द होता है..’
वो ये कह कर मेरे सर को चूची पर दबाने लगी, मैं और जोर से चूसने लगता.. कभी काट भी लेता।
पायल की उत्तेजना का आलम यह था कि मैंने चूची चूसते हुए उसकी पैंटी को भी निकाल दिया। अब पायल और मेरा जिस्म पूरा ही नग्न था।

‘आअह्ह्ह ऊऊह्ह्ह्ह्ह..’ वो उत्तेजना से कांपने लगी।
कभी मैं उसके निप्पल पर अपनी जीभ घुमाता तो कभी उसको काट लेता।
‘आउच आह रोहित.. धीरे ना.. दर्द होता है.. मत करो ओह्ह धीरे से करो ना..’ उसका एक हाथ लगातार मेरे जिस्म पर घूम रहा था। वो लण्ड को कभी सहलाती तो कभी दबा देती।
हर बार मेरे मुँह से उत्तेजक आवाज़ निकल जाती ‘आउच आह आह.. ह्हआ’
मेरा हाथ उसकी चूत में था और उसकी चूत पर हल्के सुनहरे रोएँ जैसे बाल थे।
उसकी चूत के कटाव पर मेरी उंगली ने सहलाया, पूरी गीली चूत मेरी इस हरकत पर पायल उछल सी गई, उसने अपनी पूरी कमर उठा दी।
उसने मेरे लण्ड को जोर से दबा दिया, दर्द की लहर जिस्म में दौड़ गई.. पर कुछ दर्द अच्छे लगते हैं।
उसके छोटे से छेद के पास मेरी उंगलियाँ इधर-उधर हो रही थीं। चूत से नदी के बहाव की तरह रस बह रहा था।
उसने मेरा सर पकड़ कर अपनी चूची की तरफ कर दिया, मैं बच्चों की माफिक चूसने लगा.. चाटने लगा.. काटने लगा।
‘आअहहा हहुउऊउ.. आअहहुउ ओह्ह्ह राहुल्ल.. कुछ निकलने वाला है.. ओह्ह। उसके हाथ में लण्ड आगे-पीछे हो रहा था।
हम दोनों ही उत्तेजना के चरम स्तर पर थे और जोर की आवाज़ के साथ उसने मेरे लण्ड को जोर से दबा दिया और अपने पैरों को मेरी कमर में बांध कर जकड़ लिया।
मैं भी उसके लण्ड के दबाने के साथ अपना सारा माल उसकी हथेली पर गिराने लगा, मेरा रस कुछ उसके जिस्म पर.. कुछ बिस्तर पर गिर रहा था।
इतना रस तो मेरे लण्ड से कभी नहीं निकला था।
पायल भी दोबारा झड़ गई थी।
कमरे में सिर्फ और सिर्फ हम दोनों की सांसों का शोर था। दोनों ने एक-दूसरे के नग्न जिस्म को जकड़ रखा था। उसकी फूल सी काया मेरे जिस्म के बोझ तले दबी थी।
काफी देर तक हम दोनों कुछ पता नहीं था और कब दोनों नींद के आगोश में चले गए.. पता ही नहीं चला।
तकरीबन एक घंटे के बाद पायल की आँख खुली। मेरा जिस्म अभी भी आधा उसके ऊपर था। पायल धीरे-धीरे मेरे बालों को सहला रही थी।
तभी मेरी आँख खुली.. उसके होंठों पर प्यारा सा हल्का चुम्बन किया।
मैंने उसकी आँखों में देखा.. वो शरमा कर दूसरी तरफ देखने लगी।
हम दोनों अभी भी नग्न अवस्था में थे, दोनों के जिस्म पर मेरे रस के निशान थे, उसके जिस्म में जगह-जगह लाल-लाल निशान थे.. जो हम दोनों के प्यार की कहानी को बयान कर रहे थे।
मैं धीरे से उठा और खड़ा होकर उसको गौर से देखने लगा।
पायल ने शर्म से अपने ऊपर चादर को खींच लिया.. पर मैंने चादर हटा कर उसको बाँहों में उठा लिया।
आज ऊपरी तौर पर मैंने पायल के साथ सब कुछ कर लिया था और वो मेरे साथ सब कुछ अपनी ख़ुशी से कर रही थी।
अब देखना यह था कि कि वो मुझसे चुदती कब है।
ओह्ह्ह्ह्ह् कितनी फूल से हल्की काया थी उसकी.. नर्म सी.. रुई के माफिक… उसको बाथरूम में ले जाकर शावर चला दिया।
ठंडे पानी की फुहार ने हम दोनों के जिस्म को पानी से सराबोर कर दिया, मैं उसको नहलाने लगा, मैंने बॉडी वाश से उसको और उसने मुझे नहला दिया।
हम दोनों काफी हल्का और सकून महसूस कर रहे थे, एक-दूसरे को तौलिये से सुखा कर वापस कमरे में आ गए।
पायल शर्म से लाल हो रही थी, बार-बार अपने में सिमट रही थी।
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Re: एक कुँवारी एक कुँवारा

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अब करीब 11 बज गए थे। वो अपने कपड़े निकाल कर पहनने लगी।
मैं बिस्तर पर लेटा-लेटा उसको कपड़े पहनते देख रहा था, उसने पहले ब्रा फिर पैंटी फिर जींस और उसके ऊपर टी-शर्ट पहन ली।
आह्ह क्या मस्त माल लग रही थी।
उसके निप्पल उत्तेजना से अभी भी खड़े थे.. जो टी-शर्ट पर ठीक से दिख रहे थे। पायल की आँखों की शर्म.. और गालों की लाली मेरे को उत्तेजित कर रही थी।
पर हमको सेंटर भी पहुंचना था। मैं यह भी जानता था कि हम दोनों का यह पहली बार है और पायल अनछुई कुंवारी कमसिन चूत है.. तो उसको दर्द भी बहुत होगा, मैंने कोई जल्दबाज़ी करना उचित नहीं समझा।
मैं ये भी जानता था कि आज रात उसकी कुंवारी चूत में मेरा लण्ड घुस ही जाएगा।
मैंने भी उठ कर अपने कपड़े निकाले।
मेरा लण्ड पूरा 90 डिग्री पर खड़ा था, मेरे उठते ही पायल की नज़र मेरे लण्ड पर गई, उसकी आँखें लण्ड को देख कर चौड़ी हो गईं और उसको एकटक देखने लगी।

मैं- क्या हुआ?
पायल- ये क्या है?
मैं- वही है.. जो तुम्हारे हाथ में था.. तुम्हारा दीवाना।
पायल- इतना बड़ा.. बाप रे मैं इसको पकड़े थी।
मैं- हाँ जान.. अब ये तुम्हारा है.. चाहो तो फिर पकड़ लो।
पायल पास आई और एक बार फिर से पकड़ कर देखने लगी.. और बोली- कितना सख्त और बड़ा है।
मैं- जैसा भी है.. अब तेरा है जान।
यह कह कर उसको बाँहों में लेकर उसके रसीले होंठ को चूमने लगा।
पायल की शर्म अब मिट चुकी थी, वो भी मेरे साथ को अब खूब एन्जॉय कर रही थी।
हम दोनों ने होटल से निकल कर हल्का ब्रेकफास्ट किया और फिर उसके सेंटर पहुंचे.. जहाँ वो एग्जाम देने चली गई और मैं उसका इन्तजार करने लगा।
इस बीच मैंने एक मेडिकल स्टोर में जाकर एक पेनकिलर और जैली खरीद ली.. बाकि सामान तो मैं आगरा से लेकर ही आया था।
हाँ कंडोम का एक बड़ा वाला पैकेट और खरीद लिया क्योंकि मैं जानता था कि अब इसकी हमको अक्सर जरूरत पड़ेगी।
वहीं पास की एक लेडीज़ शॉप से एक ब्रा पैंटी का खूबसूरत सैट और एक सेक्सी नेट वाली नाइटी खरीदी.. जो सिर्फ उसके चूतड़ों तक ही आ पाती और उसका गोरा बदन और उसकी ब्रा पैंटी सब कुछ दिखता। वहीं से उस ड्रेस को गिफ्ट पैक करवा लिया।
कुल मिला कर अपनी रात को रंगीन बनने का पूरा इंतज़ाम कर लिया था।
फिर जब उसका एग्जाम खत्म हुआ.. तो हम दोनों चांदनी चौंक और कनॉट प्लेस घूमने चले गए।
वहाँ बिल्कुल लव बर्ड्स के जोड़े की तरह खूब मस्ती की, बीच में उसके घर पर भी बात की, ऑपरेशन हो चुका था.. उसकी मम्मी अब अच्छी थीं, उनसे भी बात हुई.. वो भी बहुत खुश थीं कि पायल का एग्जाम बहुत अच्छा हुआ।
करीब 8 बजे हम खाना खा कर होटल आ गए।
मैं- आज कैसा लगा पायल?
पायल- रोहित आज मैं बहुत खुश हूँ एक आज़ाद परिंदे की तरह.. रोहित आज का दिन मैं कभी नहीं भूलूंगी।
यह कह कर मेरे से लिपट गई।
मैं भी बाँहों में ले कर उसको चूमने लगा, पायल भी मेरा साथ दे रही थी, काफी देर तक हम दोनों के होंठ एक-दूसरे से चिपके रहे, उसकी चूचियाँ मेरे सीने पर दब रही थीं।
फिर पायल ने खुद को अलग करके कहने लगी- मुझे नहाना है।
मैं- हाँ हाँ… चलो नहा लेते हैं।
पायल- क्या तुम भी साथ में?
मैं- हाँ क्यों नहीं.. सुबह भी तो साथ नहाया था न..
यह सुन कर पायल की आँखों में.. गालों में शर्म की लाली उभर आई, सुबह की बात को याद कर के उसकी आँखें शर्म से झुक गईं।
मैंने उसको अपने पास खींचा और बाँहों में ले लिया। पायल भी मेरी बाँहों में सिमटी से खड़ी रही।
मैंने धीरे से उसकी टी-शर्ट को ऊपर उठाया.. उसने मेरा हाथ पकड़ लिया।
मैं- नहाना नहीं है क्या.. अन्दर सब गीला हो जाएगा।
पायल- पहले तुम उतारो।
मैंने भी देर नहीं की और सारे कपड़े उतार कर सिर्फ जॉकी में उसको बाँहों में ले लिया और किस करते हुए उसको निवस्त्र करने लगा। पायल भी एन्जॉय कर रही थी।
पहले उसकी टी-शर्ट.. फिर जींस.. अब वो सिर्फ ब्रा और पैंटी में थी।
वो काली ब्रा पैंटी सैट में क्या लग रही थी… दाग रहित गोरा बदन.. निश्छल.. पवित्र.. कमनीय उत्तेजक.. सब कुछ एक जिस्म में..
उसकी मतवाली काया ने मेरे दिमाग और बदन में हलचल मचा दी.. मेरा लण्ड पूरा खड़ा हो चुका था। मैंने उसको पीछे से बाँहों में लेकर अपना पूरा लण्ड उसकी गाण्ड की दरार में लगा दिया और गर्दन पर अपने भीगे होंठ फिराने लगा।
पायल- अह्ह्ह उउहह.. रोहित.. रुको न उफ्फ्फ तुम भी न सब्र नहीं करते हो।
मैं- जब तेरे जैसी गर्लफ्रेंड हो.. तो सब्र किसको होगा।
उसके बदन से परफ्यूम और पसीने के मिली-जुली गंध मुझे भड़का रही थी।
पायल- मिस्टर रोहित, हम शायद नहाने वाले थे ना..
मैं- हम्म्म..
मुझे भी कोई जल्दी नहीं थी, पूरी रात मेरी थी, मैं कोई भी जल्दबाज़ी नहीं करना चाहता कि पायल ना कर दे।
मैं उसकी आग इतना भड़का देना चाहता था कि वो खुद कहे कि रोहित अब मेरी चूत में लण्ड डाल दो।
मैंने उसको गोद में उठाया तो पायल ने भी अपनी बाँहें मेरी गर्दन में डाल दीं।
उसको लेकर मैं बाथरूम में गया और धीरे से खड़ा कर दिया।
पायल भी अब शायद दिल और दिमाग से इस बात के लिए तैयार थी और मुझे वो सब करने दे रही थी.. जो मैं करना चाहता था।
अब उसकी हर बात में सहमति थी कि मैं उसके तन से जैसे चाहूँ.. खेलूँ।
दोस्तो, 18-20 साल की उम्र ही ऐसी होती है.. एक बार तन की आग भड़क जाए तो उसको दबाना आसान नहीं होता है। कुछ ऐसा ही पायल के साथ हुआ था। जो कुछ हम दोनों के बीच सुबह में हुआ था और उसके दो बार के स्खलन ने उसके जिस्म की प्यास बहुत बढ़ा दी थी, अब वो पूरा सुख चाहती थी।
मेरा भी यह पहला अवसर था.. पर मैंने कहानी पढ़ कर और पोर्न फिल्म देख कर काफी ज्ञान अर्जित कर रखा था.. जो आज काम आने वाला था।
मैंने शावर चला दिया.. हल्के गर्म पानी की फुहार ने हम दोनों के जिस्म की दिन भर की थकान को भी पानी के साथ बहा दिया।
पायल के होंठों में मेरे होंठों का मिलन एक नई उत्तेजना प्रदान कर रहा था। मैं उसको चुम्बन कर रहा था.. जिसका वो भी पूरा साथ दे रही थी।
मैंने अपनी जॉकी उतार कर लण्ड को उसके हाथ में दे दिया, वो उसको बेहिचक सहलाने लगी।
लण्ड पूरे जोश से खड़ा था, उसको आज पहली बार चूत मिलने वाली थी।
मैं पायल को हर जगह चुम्बन कर रहा था।
मैं- पायल एक किस दो न..
पायल ने मुझको होंठों पर एक किस दिया।
मैं- यहाँ नहीं.. नीचे..
पायल- क्या?
मैं- हाँ पायल.. वो तुम्हारा इतज़ार कर रहा है।
पायल ने अजीब से नज़रों से मुझे देखा और बोली- वहाँ किस?
मैंने पायल को धीरे से बैठा दिया और लण्ड को उसके होंठों के पास कर दिया।
पायल समझ गई कि मैं क्या चाहता हूँ,पायल ने धीरे से मेरा लण्ड पकड़ा और एक मादक सा चुम्बन मेरे लण्ड के ऊपर कर दिया।
मैं- ओह पायल.. अह ओह्ह और करो ना।
पायल ने फिर मेरे तरफ देखा और फिर से किस किया।
मैंने उसके सर को जोर से पकड़ कर पूरे लण्ड का दबाव उसके होंठों पर दिया। मेरे जोर देने से उसका मुँह खुल गया और मेरा लण्ड उसके मुँह के अन्दर हो गया।
मैं धीरे-धीरे अन्दर-बाहर करने लगा। फिर मैं अचानक रुक गया.. तो पायल ने फिर से मेरी तरफ देखा और खुद ही लण्ड को पकड़ कर मुँह में ले कर चूसना शुरू कर दिया।
‘ओह्ह्ह उफ्फ्फ्फ़.. याह्ह्ह.. ओह्ह या पायल ऐसे ही चूसो।’
पायल के मुँह की गर्मी और उसके मुँह के अन्दर की लार ने मेरे जिस्म में उत्तेजना की लहर दौड़ा दी। मैंने उसके सर को जोर से पकड़ रखा था।
कभी वो लण्ड की चमड़ी पीछे करके मेरे सुपाड़े पर जीभ से चारों तरफ चाटती या फिर लण्ड को मुँह में ले कर चूसने लगती।
‘ओह्ह आह उफ़.. मेरी जान ऐसी ही चूसो.. ओह्ह आह्ह्ह्ह्ह..’
मैंने हाथ बढ़ा कर उसकी ब्रा का हुक खोल दिया.. उसको उठाया और ब्रा निकाल कर उससे लिपट गया.. पायल भी मुझसे लिपट गई। पानी की गिरती फ़ुहार भी हमारी उत्तेजना की बढ़ती आग को कम नहीं कर पा रही थी।
अचानक पायल ने मेरा सर पकड़ कर अपनी चूची की तरफ कर दिया। मैंने भी देर ना करते हुए उनको मुँह में भर कर चूसना चालू कर दिया।
पायल- ओह्ह रोहित.. तुम बहुत नॉटी हो.. ओ आह उफ्फ्फ.. ये क्या कर दिया तुमने.. उफ़ नहीं.. काटो नहीं.. धीरे से रोहित दर्द होता है..
पायल की सिसकारियाँ मेरा जोश बढ़ा रही थीं, मेरे हाथ उसकी पैंटी में थे और उसकी चूत को सहला रहे थे, पायल भी मेरा लण्ड को लगातार सहला रही थी।
मैंने उसकी पैंटी भी उसके जिस्म से अलग कर दी, अब हम दोनों ही पूर्णत: वस्त्रविहीन थे।
मेरे होंठ पायल की चूची बदल-बदल कर चूस रहे थे।
दोनों ही चरम की तरफ बढ़ रहे थे।
मेरी उंगली उसकी चूत को रगड़ रही थीं कि अचानक मैंने एक उंगली उसकी चूत के छेद में डाल दी।
अचानक इस हमले के लिए वो बिल्कुल तैयार नहीं थी।
वो दर्द से चिल्ला उठी- ओह्ह्ह माँ.. उफ्फ्फ आआई.. उफ्फ्फ्फ़..
अभी तो मेरी उंगली ही पायल की चूत में गई थी। बहुत जल्द पायल मेरी उंगली के बाद मेरा लौड़ा भी मुझसे अन्दर डालने के लिए कहेगी।
इस बार मैंने पायल की चूत में अपनी एक उंगली घुसेड़ दी थी जिसके कारण उसकी एक आह्ह निकल पड़ी थी।
एक दर्द भरी सिसकारी उसके मुँह से निकल पड़ी लेकिन मैंने उंगली निकाली नहीं.. धीरे-धीरे मेरी उंगली अन्दर-बाहर होने लगी।
उसके बदन में सिहरन होने लगी.. वो भी उसी स्पीड से मेरे लण्ड को हिलाने लगी।
दोनों ही चरम पर थे और कुछ ही पल में दोनों ने एक साथ जोर से ‘ओह्ह्ह..’ की आवाज़ के साथ अपने चरम को पा लिया।
जहाँ एक तरफ पायल निढाल हो कर मेरी बाँहों में झूल गई.. वहीं मेरे लण्ड का रस उसके हाथों में फ़ैल गया.. जिसको देख कर वो आश्चर्य से मेरी तरफ देखने लगी.. पर मैं भी अभी उसको समझने की हालत में नहीं था।
फिर दोनों ही शॉवर लेकर एक-दूसरे का बदन पोंछते हुए बाहर आ गए।
हम अभी भी नग्न अवस्था में थे
मैंने बैग से गिफ्ट निकाल कर उसको दे दिया। उसने एक बार मेरी तरफ देखा.. मैं बस मुस्कुरा दिया। उसने पैकेट को खोल कर देखा। जैसे ही उसने ब्रा और पैंटी एवं नाइटी देखी.. उसके चेहरे का रंग बदल गया।
पायल- रोहित ये क्या है?
मैं- गिफ्ट है..
पायल- वो मैं जानती हूँ.. पर ऐसा गिफ्ट..
मैं- एक बॉयफ्रेंड का गिफ्ट ऐसा ही होता है वेरी पर्सनल।
पायल- पर..
मैं- पर-वर नहीं.. पहन कर दिखाओ न..
पायल- रोहित, तुम्हारे सामने मैं इसको पहनूँ?
मैं- और क्या अब भी हम दोनों के बीच कोई सीक्रेट बचा है?
पायल- वो तो है.. पर तुम्हारे सामने नहीं पहन सकती.. तुम टॉयलेट में जाओ.. तब मैं पहनूंगी।
मैं- ओके ठीक है मैं जाता हूँ।
पायल- और जब तक मैं न बुलाऊँ.. आना मत।
थोड़ी देर बाद पायल की आवाज़ आई- रोहित.. आ जाओ..
मैं बाहर आया तो देखा वो बिस्तर के पास खड़ी थी। मेरे मुँह से एकदम से निकल गया- अह्ह्ह वाओ..
मेरी आवाज़ को सुन कर वो चौंक गई.. उसने मेरी तरफ देखा और शर्म से आँखें झुका लीं।
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Re: एक कुँवारी एक कुँवारा

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हाय मैं मर जावां.. कितनी खूबसूरत लग रही थी वो.. ब्लैक नाइटी में अन्दर दिखती उसकी लाल ब्रा और पैंटी और गोरा स्वच्छ.. निर्मल और बेदाग बदन… उसकी उठी हुई चूचियां.. हल्की उभरी हुई गाण्ड.. कमरे की दूधिया रोशनी में उसका दमकता हुस्न.. मेरा लण्ड तो तुरंत खड़ा हो गया।
मैं उससे थोड़ी दूर पर रुक गया और जी भर के उसके जिस्म का दीदार करने लगा। उसके मासल चूतड़ जो नाईटी से छिप नहीं पा रहे थे.. गोरी-गोरी जाँघें.. माँसल बाँहें.. झीनी नईटी से दिखता उसका गोरा पेट और नाभि.. उफ़ क़यामत लग रही थी वो.. जितना लिखूँ उसके सौन्दर्य पर.. वो कम है।
एक बात और.. पायल इस ड्रेस में जरा शर्म से सिमटी सी लग रही थी, शायद उसने ऐसी ड्रेस कभी नहीं पहनी थी।
वो बार-बार मेरी तरफ देख कर शर्माती सी आँखों को नीचे कर लेती।
मैंने आगे बढ़ कर उसकी कन्धों पर हाथ रखा तो वो काँप सी गई।
मैं- पायल तुम बहुत सुन्दर हो.. आज तक मैंने ऐसी सुंदरता नहीं देखी।
पायल- रोहित मुझे बहुत अजीब सा लग रहा है.. मैंने ऐसी ड्रेस न कभी देखी और न कभी पहनी है।
मैं- मेरी जान.. तुम इस ड्रेस में बहुत खूबसूरत लग रही हो।
ये कह कर उसको बाँहों में भर कर उसके माथे पर एक हल्का चुम्बन कर दिया। उसके हाथ पकड़ कर शीशे के सामने ले गया और कहा- देखो कितनी सेक्सी लग रही हो।
पायल ने शीशे में देख कर शर्मा कर आँख बंद कर लीं।
उसने फिर से आँख खोलीं और उसका बदन और मेरा नग्न बदन एक साथ बहुत अच्छा लग रहा था।
पायल- रोहित यू आर अ वंडरफुल लवर.. आई लव यू..
उसने काँप कर मुझको कस कर पकड़ कर मेरे सीने पर सर रख दिया, उसने एक तरह से समर्पण कर दिया था।
अब मुझे अहसास हो गया कि वो भी दिल से दिमाग से अपने पहले सम्भोग के लिए राजी है, मैंने उसको गोद में उठाया और बिस्तर पर लिटा दिया।
पायल- रोहित लाइट बंद कर दो.. मुझे शर्म आ रही है।
मैं- नहीं जान.. आज हमारी सबसे महत्पूर्ण रात है.. और इस रात को इस रात के हर पल को मैं तुम्हारे साथ यादगार बनाते हुए अपनी आँखों में बसा लेना चाहता हूँ।
यह कह कर मैंने उसके कुछ कहने के पहली अपने होंठ उसके होंठों पर रख कर चुम्बन करना शुरू कर दिया।
पायल ने थोड़ी देर में मेरे चुम्बन जवाब चुम्बन से देना शुरू कर दिया।
धीरे-धीरे मैं उसके पूरा ऊपर आ गया और हम दोनों के बीच जबरदस्त चुम्बन का दौर शुरू हो गया। मैं कभी निचला तो कभी ऊपर वाला होंठ चूसता.. पायल भी मेरा साथ दे रही थी।
नाइटी के अन्दर से उसका गोरा बदन दिख रहा था। उसके गले के आस-पास के खुले हिस्से को मैं चूम रहा था.. जोर-जोर से चाट रहा था।
पायल के बाँहें मेरे चारों तरफ लिपटी थीं, वो कस के कभी मेरी नग्न पीठ सहलाती.. कभी बालों को.. तो कभी कंधे पर चूमती और उत्तेजनावश वो मेरे कन्धों को चूमते हुए कभी जोर से काट ले रही थी।
उसकी ‘ओह्ह रोहित.. अआउफ्फ्फ.. रोहित आउच..’ जैसी आवाजें मुझको उत्तेजित कर रही थीं।
मेरे हाथ अब उसकी नाइटी के अन्दर जाकर उसके चिकने माँसल यौवन का स्पर्श कर रहे थे।
मैंने उसकी नाइटी उतार दी और अब वो सिर्फ और सिर्फ ब्रा पैन्टी में थी।
उजले बदन पर लाल ब्रा और पैंटी कितनी मादक लगती है.. ये बात वो ही समझ सकते हैं.. जिन्होंने ऐसा देखा होगा।
मैंने फिर से ब्रा के ऊपर से ही उसकी चूचियों को चूसना चालू कर दिया।
‘ओह्ह राआहलललल.. धीरे से करो न.. दर्द होता है..’
मैं- पायल इसी दर्द में मज़ा भी है।
पायल- हाँ बहुत अच्छा लगता है.. जब तुम जोर से करते हो.. उफ्फ्फ्फ़ मैंने ऐसा कभी नहीं महसूस किया.. आज तुमने मेरे ऊपर जादू सा कर दिया है।
मेरा दूसरा हाथ उसकी जांघों को सहलाता हुआ पैंटी पर आ कर रुक गया।
पायल ने अपनी जांघें जोर से भींच लीं और मेरा हाथ पकड़ लिया- रोहित प्लीज वहाँ नहीं..
मैं- क्यों अब क्या हुआ?
पायल- नहीं मुझे डर लगता है।
मैं- डरो मत पायल.. तुमको अच्छा लगेगा.. मुझे पता है तुम्हारा भी मन है।
पायल- नहीं, मैं सेक्स नहीं करूँगी.. मैंने कभी भी नहीं किया है और तुम्हारा बहुत बड़ा है बहुत दर्द होगा।
मैं- पायल मैंने भी कभी नहीं किया है.. और दर्द तो कभी न कभी तो होगा.. तो उससे डरना क्या.. तुम मेरा प्यार हो तुमको मैं कैसे दर्द दे सकता हूँ.. मैं बहुत प्यार से करूँगा और यदि बहुत दर्द हुआ तो नहीं करूँगा.. बोलो?
पायल- नहीं रोहित मैं सेक्स नहीं करूँगी.. सिर्फ वही करेंगे जो सुबह किया था।
मैं- ओके जैसा तुम कहो.. मैं अपने प्यार की कोई भी बात से सहमत हूँ.. बगैर तेरी मर्ज़ी से मैं अन्दर नहीं डालूंगा वादा है मेरा.. अपनी पायल से जब तक तुम नहीं कहोगी.. तब तक हम तुम्हारे अन्दर नहीं आएंगे।
पायल मेरी बात सुन के खुश हो कर मुझे यहाँ वहाँ चूमने लगी- रोहित, तुम कितने अच्छे हो.. तुमसे प्यार करके मैंने कोई गलती नहीं की.. तुम मेरा कितना ख्याल रखते हो..
मैं- अब तो मेरे को वहाँ टच करने दो..
पायल से अपनी टाँगें खोल कर मुझे इजाजत दे दी।
मैंने भी सोच लिया कि कब तक मेरे लण्ड से दूर रहेगी.. इतना तड़पा दूंगा कि खुद ही चूत खोल कर मेरा लण्ड ले लेगी।
मैंने अब उसकी ब्रा और पैंटी उतार कर उसको बिल्कुल नग्न कर दिया।
बल्ब उजाले में उसका उजला गुलाबी बदन दमक रहा था।
मैंने उसकी चूची को मुँह में भर लिया और उसको चूसने लगा, कमरे में सिसकारियों का मधुर संगीत फिर से गूंजने लगा ‘ओऊह्ह्ह.. ह्ह्ह्ह.. ईईई..’
काफी देर तक मैंने उसकी दोनों चूचियों को चूस-चूस कर लाल कर दिया। मैं कभी उसकी चूची को दांत से काटता.. कभी अंगूठे उसके चूचक मसल देता।
हर बार पायल की चीख निकल जाती ‘अहहा हहुउऊउ.. आअहहुउ. उफ़ रोहित धीरे से.. ओह्ह काटो मत.. दर्द होता है.. आह्ह.. अच्छा लग रहा है.. ओह्ह धीरे ओह्ह.. उफ़ आउच रोहित रोहित.. बस करो न.. कितना प्यार करोगे..’
करीब 15-20 मिनट्स तक खूब चूस कर मैं नीचे के तरफ बढ़ा।
मेरी जीभ उसके बदन को चाटते हुए उसकी गहरी नाभि पर आकर रुक गई, मेरी जीभ उसकी नाभि की गहराई में जाकर गोल-गोल घूमने लगी।
पायल ने कंपकंपाते हुए अपने चूतड़ ऊपर उठा लिए.. मेरे बालों को उसने जोर से खींच लिया।
मेरे मुँह से दर्द भरी सिसकारी निकल गई- अह्ह्ह्ह्ह्.. अह्ह्ह्ह..
नीचे आकर मैं उसकी माँसल जांघों को चाटने लगा। पायल की चूत के आस-पास की सब जगह को चाट रहा था.. पर उसकी चूत को नहीं छू रहा था और पायल बार-बार अपनी चूत को ऊपर उठा रही थी।
उसकी चूत बहुत गीली हो रही थी, चूत रस निकल कर बह रहा था। उसकी दोनों टांगों को और खोल कर देखा और चूत के आस-पास के जिस्म को मैं चाटने लगा।
तभी पायल ने मेरा लण्ड अपने हाथों में ले लिया और वो उसको सहलाने लगी।
पायल की सिसकारियों ने मुझको इतना उत्तेजित कर दिया था कि मुझको लगा कि मेरा माल निकल जाएगा।
मैंने उसको अपने ऊपर ले लिया और पायल की तरफ देखा, वो मेरा मतलब समझ गई।
दोस्तो, कुंवारी लड़की बहुत जल्दी सीख जाती है।
वो मेरे ऊपर आ कर मेरे होंठों को चूसने लगी.. कभी गर्दन और कभी कन्धों पर अपने दांत गड़ा देती।
मेरे मुँह से दर्द भरी आवाज़ निकल जाती ‘आईईईइ.. आउच..’ मेरे भी हाथ उसके चूतड़ पर कस जाते.. और मैं जोर से दबा देता।
इस हरकत में मेरा लण्ड उसकी बुर से सट जाता और पायल भी कांप जाती। धीरे-धीरे वो नीचे आई और मेरा लण्ड हाथ में पकड़ कर सहलाने लगी और फिर मुस्कुरा कर मेरी तरफ देखा।
मैं बेचारा तड़प रहा था कि कब वो मेरा लण्ड चूसे… तभी उसने मेरे लौड़े के टोपे पर चुम्बन किया।
‘अह्ह्ह्ह आह्ह्ह..’ क्या अनुभूति थी।
अब वो मेरा पूरा लण्ड.. एक झटके से मुँह में लेकर चूसने लगी।
‘अह्ह्ह.. उफ्फ्फ आह अहह.. ओह्ह पायल.. तुम कितनी अच्छी हो.. चूसो मेरी जान.. हाँ ऐसे ही ओह्ह उफ्फ्फ.. अच्छा लग रहा पायल.. और जोर से..’
मेरा लण्ड पूरा उसके मुँह में नहीं जा रहा था.. फिर भी वो पूरी शिद्दत से उसको चूस रही थी, कभी चमड़ी पीछे करके अपनी जीभ मेरे सुपारे के चारों तरफ घुमाती.. और मेरी सिसकारी निकल जाती।
दोस्तो, इस बार पायल ने मेरे लौड़े को अपने मुँह में स्थान दे दिया है और मुझे पूरा विश्वास है कि इसका स्वाद पाकर वो जल्द ही अपनी चूत में भी मेरे लवड़े को जगह दे देगी।
पायल मेरा लण्ड पूरी शिद्दत से चूस रही थी और मैं लण्ड चुसाई का भरपूर आनन्द ले रहा था ‘अह्ह्ह्ह् उफ्फ्फ अह्ह्ह्ह्ह..’
उसके होंठों की.. और मुँह की गर्माहट ने मेरी उत्तेजना को जल्दी ही चरम पर ला दिया। मैं नीचे से कमर हिला कर उसके मुँह को चोदने लगा।
पायल भी तेजी से लण्ड को अन्दर-बाहर करने लगी।
‘अह्ह्ह पायल मेरा निकलने वाला है.. उफ़ पायल मेरा हो जाएगा।’
यह सुन कर पायल ने तुरंत लण्ड को मुँह से निकाल कर जोर-जोर से आगे-पीछे करने लगी।
मैंने भी एक जोर से सिसकारी भरते हुए अपना सारा रस निकाल दिया ‘आआ आआह्ह्हह.. ऊऊऊह्ह्ह ह्ह्ह..’
मेरा रस उछल कर उसके मुँह के ऊपर उसकी चूची पर गिरने लगा।
पायल भी तब तक लण्ड को हिलाती रही.. जब तक मेरा पूरा रस निकल नहीं गया।
मैं पायल को खींच कर उसके होंठों का चुम्बन लेने लगा।
दोनों ही कुछ देर शांत पड़े रहे.. अपनी सांसों को ठीक करने की कोशिश करते रहे। पायल की आँख पूरी लाल थी.. पायल उठी और पास पड़े तौलिये से अपना और मेरा शरीर साफ किया और मेरी बाँहों में लेट गई, फिर मेरी तरफ देखने लगी।
दोस्तो, मैंने अपना रस इसलिए निकाल दिया क्योंकि मैं बहुत उत्तेजित हो चुका था, मैं नहीं चाहता था कि कुंवारी चूत को चोदते वक़्त मैं जल्दी ढेर हो जाऊँ।
मैं- पायल बोलो करना है सेक्स?
पायल- नहीं मुझे नहीं करना।
मैं- फिर?
पायल- वो करो न.. जो सुबह किया था नीचे..
मैं समझ गया कि वो बुर चटवाना चाहती है.. मैंने भी ज्यादा जिद नहीं की और उसको बाँहों में लिया और उसके रेशमी बदन को सहलाने लगा।
जल्दी ही हम दोनों ही फिर से उत्तेजना के सागर में गोते लगाने लगे।
पायल- क्यों तड़पा रहे हो.. रोहित वो करो न.. वहाँ करो न.. आह्ह्ह.. ऊउह्ह्ह।
मैंने भी देर नहीं की और नीचे खिसक कर आया और उसकी टांगों के बीच में बैठ गया और उसके चूतड़ के नीचे एक बड़ा सा तकिया लगा दिया।
अब पायल की चूत मेरे सामने थी।
ओह्ह.. क्या मस्त चूत थी.. हल्के-हल्के रोंये थे.. चूत में एक लम्बी से लकीर.. उसमें से दिखते चूत के होंठ..
मैंने धीरे से उस लकीर पर हाथ फेर दिया।
हाथ फेरते ही पायल के मुँह से सिसकारी निकली- आह आहाअह.. उसकी सिसकारी सुन कर मुझे आनन्द आ गया।
मैंने उसकी टांगों को चौड़ा किया और अपना सर उसकी चूत पर झुका कर जीभ से उसकी चूत की लकीर पर धीरे से चाटा.. तो पायल उछल सी गई और उसकी पूरी चूत मेरे मुँह में समां गई।
पायल ने भी मेरा सर चूत में दबा कर दोनों टांगों को मेरी कमर पर बांध लिया.. मैं भी मदहोश होकर उसकी कमसिन कुंवारी बुर को चाटने लगा।
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