दीदी ने चुदवाइ दोस्त की बहन

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jay
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दीदी ने चुदवाइ दोस्त की बहन

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दीदी ने चुदवाइ दोस्त की बहन

मेरा एक दोस्त है अविनाश, हम दोनों बचपन से ही साथ रहे हैं। कुछ दिन पहले उसका पूरा परिवार पटना में मेरे घर के पास ही शिफ्ट हुआ। उसके घर में उसकी माँ-पापा के अलावा उसकी 3 बहनें हैं। सबसे बड़ी बहन का नाम नीता है.. उम्र 26 साल, उससे छोटी बहन का नाम दिव्या है.. उम्र 24 साल, फिर मेरा दोस्त है, उसका नाम अविनाश है। अविनाश की उम्र 21 साल है, इसके बाद उसकी सबसे छोटी बहन पायल है, जिसकी उम्र 19 साल है। मतलब अविनाश की तीनों बहने पका हुआ माल थीं। चूंकि दोनों के घर आस-पास होने के कारण हमारा परिवार उसके परिवार से बहुत क्लोज़ हो गया।
मेरे दोस्त की तीनों बहनें मेरे घर काफ़ी आने-जाने लगीं। मेरी भी दोनों बहनें उसके घर जाने लगीं। मेरी फैमिली और मेरे दोस्त की फैमिली में काफ़ी मेल-जोल हो गया था।
उसकी तीनों बहन एकदम ग़ज़ब की पटाखा दिखती हैं, जब मैं उन्हें देखता हूँ तो मेरा मन करता है कि अभी पकड़ कर चोद दूँ। सो मैं तीनों की चूत मारने की प्लानिंग करने में लग गया। इसी फिराक में मैं भी उसके घर जाने लगा, मतलब मेरा ज्यादा टाइम उसके घर में ही बीतने लगा। उसकी तीनों बहनों से मेरी खूब बातें होने लगीं।
उसकी बड़ी बहन एक नजदीक के गाँव में ही टीचर थी, दूसरी दिव्या जिस पर मेरी सबसे ज्यादा नज़र थी, उसे पटना की ही एक कंपनी में जॉब मिला था। मैं आपको दिव्या के बारे में थोड़ा बता दूँ। ये अपनी तीनों बहन में सबसे खूबसूरत थी। उसका फिगर 34बी-28-32 का था। वो हमेशा नॉर्मल ड्रेस, जैसे सलवार-कुरती या कभी कभी जीन्स-टॉप भी पहन लेती थी। उसका दूध सा गोरा बदन, भरा-पूरा शरीर देखने के बाद उसे उसी वक्त चोदने का मन करने लगता है।
पायल अभी पढ़ रही थी।
एक दिन की बात है, जब मैं सुबह बाइक से ऑफिस जा रहा था.. तो मैंने देखा कि दिव्या बस स्टैंड पर खड़े होकर बस का वेट कर रही है। मैं बिना उससे कुछ बोले आगे चलता गया, तभी दिव्या ने मुझे आवाज़ दी।
‘सुशान्त..!’
मैं तो इसी फिराक में था, झट से रुक गया और उसके नजदीक जाकर कहा- बोलो दिव्या?
उसने कहा- तुम कहाँ जा रहे हो?
मैंने कहा- ऑफिस जा रहा हूँ।
उसने कहा- मुझे रास्ते में ड्रॉप कर दोगे.. इधर से मुझे बस नहीं मिल रही है।
मैंने कहा- ठीक है.. कर दूँगा।
फिर मैंने उसे बाइक पर बिठा लिया। वो दोनों तरफ टांगें करके बाइक पर बैठ गई। मैं सिर्फ़ बाइक चला रहा था, अचानक मेरी बाइक के आगे से एक कुत्ता निकला.. जिससे मैंने घबरा कर बाइक के डिस्क ब्रेक दबा दिए। इससे दिव्या एकदम से मेरे से बिल्कुल सट गई और उसकी चुची मेरी पीठ से चिपक कर दब गई.. मुझे उस वक़्त बहुत मजा आया।
फिर मैंने रास्ते में 2-3 बार ब्रेक मारे और इसी तरह खूब मजा लिया।
फिर दिव्या का स्टॉप आ गया, तो दिव्या ने कहा- मुझे यहीं उतार दो, मैं यहाँ से चली जाऊँगी।
मैंने कहा- मैं तुम्हें छोड़ देता हूँ।
उसने कहा- नहीं.. मैं चली जाऊँगी.. तुम चले जाओ वरना ऑफिस के लिए देर हो जाओगे।
मैंने कहा- मेरे पास अभी काफ़ी टाइम है.. आप टेंशन मत लो।
मैंने उसे उसकी कंपनी में छोड़ दिया।
अब दिव्या मुझे काफ़ी मिलने लगी और मैं उसे बार-बार ऑफिस तक ड्रॉप कर देता था।
एक दिन दिव्या ने मुझसे कहा- सुशान्त आप रोज-रोज मुझे ड्रॉप करते हो अगर तुम्हारी गर्लफ्रेंड ने देख लिया तो क्या सोचेगी वो?
मैंने कहा- क्यों मज़े ले रही हो यार, मेरी कोई गर्लफ्रेंड नहीं है।
उसने कहा- झूट मत बोलो.. मुझे सब पता है कि तुम्हारी गर्लफ्रेंड है।
मैंने बोला- नहीं है.. लेकिन बनाने की सोच रहा हूँ। अगर तुम्हारी नज़र में कोई अच्छी सी लड़की हो तो दोस्ती करवा दो।
उसने मुस्कुरा कर कहा- चल देखती हूँ.. कोई होगी तो बता दूँगी।
कई दिनों तक ऐसे ही चलता रहा। फिर एक दिन में घर पर बैठकर लैपटॉप पर काम कर रहा था, तभी मुझे घर में दिव्या की आवाज़ सुनाई दी। वो मेरी दीदी से बात कर रही थी।
मैंने उसकी आवाज़ सुनते ही लैपटॉप में गाना बजा दिया।
वो गाने की आवाज़ सुनकर मेरे कमरे में आ गई और मुझसे पूछने लगी- क्या कर रहे हो सुशान्त?
मैंने कहा- बस काम कर रहा हूँ।
उसने कहा- ज्यादा अर्जेंट काम है क्या?
मैंने कहा- नहीं..
उसने कहा- एक मिनट में तुम्हारा लैपटॉप यूज कर सकती हूँ, मुझे कुछ सर्च करना है।
मैंने उसे लैपटॉप दे दिया, उसने यू-टयूब खोला और गाना सर्च करने लगी।
गाना मिलते ही वो बोली- ये गाना मुझे ऑडियो में चाहिए.. मिल सकता है क्या?
मैंने कहा- मिल तो जाएगा पर सर्च करना पड़ेगा।
उसने कहा- प्लीज़ मुझे ये गाना सर्च करके दे दो।
फिर मैं वो गाना सर्च करने लगा, सर्च करने पर कई साइट खुली और एक वेबसाइट पर पोर्न एड चल रहा था, उसे देखते ही मैं झटका खा गया और कुछ भी ना कर सका। वो भी एड देखकर घबरा सी गई और चुप हो गई।
फिर उसने मुझसे कहा- ये क्या देख रहे हो.. इसे हटाओ ना!
मैंने कहा- मैं देख नहीं रहा हूँ, ये अचानक आ गया।
फिर वो बोली- ठीक है, मैं जा रही हूँ तुम गाना सर्च करके मुझे दे देना।
वो चली गई और फिर अगले दिन वो मेरे घर आई। उस वक़्त मैं नहा रहा था और दीदी किचन में खाना बना रही थीं।
उसने दीदी से पूछा- सुशान्त कहाँ है?
तो दीदी ने कहा- बाथरूम में नहा रहा है।
वो बाथरूम के पास आकर खड़ी हो गई।
जैसे ही मैं नहा कर निकला, उसने कहा- तुमने वो गाना डाउनलोड कर दिया?
मैंने कहा- अभी नहीं किया.. अब कर दूँगा।
उसने कहा- प्लीज़ मुझे अभी करके दे दो।
मैंने कहा- ओके तुम बैठो, अभी कर देता हूँ.. पहले कपड़े पहन लूँ।
उसने कहा- कौन सा कोई तुम्हारे कपड़े लेकर भाग रहा है.. बाद में पहन लेना यार, पहले गाना डाउनलोड कर दो।
मैं उस वक़्त सिर्फ़ तौलिया में था।
मैंने ‘ओके’ कहा और हम दोनों मेरे रूम की तरफ चल दिए। कमरे में घुसते ही न जाने कैसे मेरा पैर फिसला और मैं गिर गया। एकदम से गिरने से मेरा तौलिया खुल गया। मेरे मुँह से एक तेज आवाज भी निकल गई।
अब मैं उसके सामने बिल्कुल नंगा पड़ा था.. मेरे पैर में मोच भी आ गई थी।
वो मुझे इस हालत में देखकर एकदम शांत पड़ गई और मैं ऐसे ही गिरा हुआ पड़ा रहा।
इतनी देर में दीदी की आवाज़ आई- क्या हुआ?
फिर उसने मेरी तरफ देखा और दीदी को जबाब दिया- कुछ नहीं..
फिर उसने आकर मुझे उठाया और बिस्तर पर बिठा दिया.. तौलिया मेरे ऊपर डाल दी।
दिव्या ने कहा- सॉरी सुशान्त मेरी जल्दबाजी की वजह से तुम्हें लग गई।
मैंने कहा- इट’स ओके.. मैं ठीक हूँ।
फिर उसने कहा- पहले आप कपड़े पहन लो.. बाद में डाउनलोड कर देना।
मैंने कहा- अब कपड़े पहन कर क्या करूँगा, तुमने तो सब देख ही लिया है।
वो शर्मा कर बोली- मैंने कुछ नहीं देखा ओके.. मैंने अपनी आँखें बंद कर ली थीं।
मैंने कहा- नहीं देखा तो अब देख लो।
यह कह कर मैंने तौलिया अपने ऊपर से हटा दिया।
उसने मेरा लंड देखते ही अपनी आँखें बंद कर लीं और बोलने लगी- मुझे कुछ नहीं देखना.. तुम कपड़े पहन लो प्लीज़।
फिर मैंने उसकी आँखों से उसका हटा हाथ हटाया और कहा- अब देख ही लिया तो क्यों शर्मा रही हो, जब मुझे दिखाने में शर्म नहीं आ रही है, तो तुम्हें देखने में क्यों आ रही है।
तो उसने मुझे रिप्लाइ दिया- लड़के तो होते ही बेशर्म हैं।
बस यही बात सुनते ही मैंने कहा- अच्छा ये बात.. अब मैं तुम्हें बेशरमाई दिखाता हूँ।
फिर उसे मैंने बेड पर धक्का दिया और उसके ऊपर नंगे ही चढ़ गया और उसे किस करने लगा ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’ मजा आ गया…
ये सब देखकर वो भी थोड़ी गर्म होने लगी थी। उसने मेरी हरकतों का बुरा नहीं माना और बस बोलने लगी- सुशान्त मुझे जाने दो.. कोई देख लेगा।
लेकिन मैं नहीं माना और उसकी चुची दबाने लगा।
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(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).


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(फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complet))........(कोई तो रोक लो)......(अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ)............. (ननद की ट्रैनिंग compleet)..............( सियासत और साजिश)..........(सोलहवां सावन)...........(जोरू का गुलाम या जे के जी).........(मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन)........(कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास)........(काले जादू की दुनिया)....................(वो शाम कुछ अजीब थी)
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jay
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तभी मुझे किसी के आने की आवाज़ आई, तो उसने मुझे जल्दी से हटाया और खड़ी हो गई।
मैंने जल्दी से तौलिया लपेटा और लैपटॉप निकाल कर ऑन कर दिया।
तभी दीदी कमरे में आ गईं और दीदी मेरे कमरे में ही बैठ गईं।
मैंने कुछ ही देर में दिव्या को वो गाना डाउनलोड करके दे दिया और वो चली गई।
उस वक़्त उसे चोदने का मेरा बहुत मन कर रहा था लेकिन मौका हाथ से निकल गया।
उसके जाते ही दीदी हँसने लगीं।
मैं- हंस क्यों रही हो?
दीदी- क्या बात है.. चान्स मार रहे थे!
मैं मुस्कुराते हुए बोला- हाँ..
दीदी- तो रुक क्यों गए थे?
मैं- मुझे लगा माँ या पापा हैं.. सो अलग हो गया था।
दीदी- माँ-पापा तो कब के ऑफिस चले गए।
मैं- और तुम भी आकर बैठ गईं।
दीदी- मतलब मैं कवाब में हड्डी बन गई थी क्या?
मैं- शायद!
दीदी- तो ठीक है.. मैं जा रही हूँ।
ये बोल कर वो जाने लगीं तो मैंने उनका हाथ पकड़ लिया और अपनी तरफ़ खींच लिया। वो सीधे मेरे गोद में बैठ गईं और बोलीं- सॉरी बाबा.. मैं तो मज़ाक कर रही थी।
इस वक्त सुरभि दीदी ने कैपरी और टॉप पहन रखा था। दिव्या ने मेरे लंड को खड़ा कर ही दिया था.. सो मेरा लंड दीदी के दोनों चूतड़ों के पास घुसता सा महसूस हो रहा था।
मैंने दीदी के बालों को हटा कर उनकी गर्दन पर किस करते हुए बोला- सॉरी मेरी जान.. नाराज हो गईं क्या?
दीदी बोलीं- मैं क्यों नाराज़ होऊँगी.. नाराज़ तो तुम्हारी वो मैडम होंगी ना..!
मैं बोला- मुझे कहीं से जलन की बू आ रही है..!
ये कह कर मैं हँसने लगा तो दीदी का चेहारा उदास सा दिखने लगा।
मैंने दीदी को समझाया- अरे यार ये सब तो टाइम पास है.. मेरी असली रानी तो तुम हो।
तो वो बोलीं- झूठ..
और उठ कर जाने लगीं।
मैं भी उनके पीछे खड़ा हुआ और सीधा उनको पकड़ लिया। इसी पकड़ा-धकड़ी में मेरे हाथ में उनकी एक चुची आ गई.. जो कि पूरे हाथ में तो नहीं आती, लेकिन चुची का कुछ भाग आ गया।

दीदी बोलीं- मूड बन गया है.. तो पहले दरवाजा बंद कर दूँ.. वरना कोई आ जाएगा।
मैंने ‘हम्म..’ कहा तो दीदी दरवाजा बंद करने चली गईं। मैं भी उनके पीछे-पीछे दरवाजा तक चला गया। जैसे ही दीदी ने दरवाजा बंद किया.. मैंने सुरभि दीदी को अपनी बांहों में ले लिया।
इस वक्त दीदी ने कैपरी और केवल टी-शर्ट पहन रखी थी.. क्योंकि जब भी वो घर में होती हैं तो ब्रा और पेंटी तो पहनती ही नहीं हैं।
हम दोनों ने गेट के पास ही थोड़ा रोमान्स करने के वहीं एक-दूसरे को नंगा कर दिया। मैंने दीदी को अपनी तरफ़ घुमा लिया और सीधे उनके मुँह में अपना मुँह डाल कर पागलों की तरह किस करने लगा।
वो भी जोश में आ गई थीं ‘आहह उह..’
मैं उनके एक चूचे को अपने मुँह में भरने की कोशिश कर रहा था.. लेकिन दीदी के चूचे इतने बड़े थे कि यह नामुमकिन था।
वो उधर मादक सिसकारियां भर रही थीं- एमेम आहह आह ओमम्म..!
मैं भी जोश में आ गया और तौलिया भी खोल दिया। मेरा लंड पूरी मस्ती से खड़ा था.. लंड देखकर दीदी मेरे लंड को अपनी हथेली से सहलाने लगीं। कुछ देर बाद दीदी को लंड से मजा आने लगा तो उन्होंने किस करते हुए मेरे लंड को ज़ोर से दबा दिया।
फिर मैंने कहा- चलिए हम आज सुहाग दिन ही मनाएँगे।
मैंने उनको अपने बांहों में उठा लिया और ले जाके बेड पर लिटा दिया।
उनको किस किया तो वो बोलीं- किस में ही टाइम खराब करोगे या कुछ आगे भी करोगे?
मैं उनके एक निप्पल को चूसने लगा.. और वो ज़ोर-ज़ोर से चिल्ला रही थीं- अह.. सुशान्त और ज़ोर से चूसो.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… ऊहह..
वो चुदास से छटपटा रही थीं।
मैं दोनों हाथों से उनकी चुची को दबा रहा था और मुँह से एक-एक करके चूस रहा था। फिर मैं एक हाथ से उनकी चूत के बालों पर हाथ फेरने लगा।
दीदी पैर को उछाल-उछाल कर चिल्ला रही थीं- अह.. सुशान्त और ज़ोर से कर, और ज़ोर से दबा भैनचोद और ज़ोर से चूस साले।
मैं उनके पूरे बदन को चूमने लगा। वो मानो नई दुल्हन की तरह कामुक सिसकारियां भर रही थीं और मैं उनके पूरे बदन को किस पर किस करता चला जा रहा था।
फिर मैंने उन्हें उल्टा लिटा दिया और उनके पिछले हिस्से पर अपनी जीभ फिराने लगा। उन्हें तो मानो स्वर्ग का आनन्द मिल रहा था।
मैंने उनकी दोनों जाँघों के बीच भी अपनी जीभ को घुमाकर उन्हें मस्त कर डाला और फिर ऊपर से नीचे तक उन्हें किस किया।
अब मुझसे रहा नहीं जा रहा था, मैंने कहा- दीदी लंड चूसो और मैं तुम्हारी चूत चूसता हूँ।
फिर मैं दीदी के ऊपर ओर वो मेरे नीचे हो गईं।
मैं उनकी बालों वाली चूत को जीभ डालकर सक करने लगा.. तो वो मानो आसमान में उड़ने लगी और मस्ती में मेरा लंड अपने मुँह में जितना अन्दर ले सकती थीं, उतना लेकर चूसने लगीं।
दीदी को अब खूब मजा आ रहा था। करीब 15 मिनट बाद दीदी बोलीं- सुशान्त मैं झड़ने वाली हूँ और ज़ोर-ज़ोर से मेरी चूत को चूसो.. खा जाओ मेरी चूत को.. आआअहह.. आज तक कभी किसी ने इस तरह मेरी चूत नहीं चाटी आआमम..
यह बोलते हुए उन्होंने मेरी गर्दन को अपनी टांगों में कस ली और अपनी चूत ऊपर उठा दी। मैं समझ गया कि वो झड़ गई हैं।
इतनी देर में दीदी की चूत का रस मेरे मुँह के रास्ते मेरे गले में उतर गया। वो शांत हो चुकी थीं लेकिन मेरा लंड अब भी चूस रही थीं।
कुछ देर बाद मैं उठ कर उनकी टांगों के बीच में बैठ गया और उनकी पुसी के मुँह पर लंड रख कर थोड़ी देर के लिए उन्हें सताने के लिए उस पर धीरे-धीरे रगड़ने लगा।
दीदी को सुपारे की रगड़ से इतना मजा आ रहा था कि वो बोल नहीं पा रही थी, पर उनके चेहरे से साफ़ जाहिर हो रहा था कि वो लंड को लीलने के लिए बेकरार हो रही थीं।
फिर मैंने उनकी चूत के मुँह पर लंड का एक हल्का सा धक्का मारा। इससे वो सिहर उठीं.. अब उन्हें दर्द होने लगा। मैं उनके मुँह पर झुककर उन्हें किस करने लगा। उन्हें वो अच्छा लगा और मैंने इसी किसिंग के दौरान एक और धक्का दे दिया। मेरा लंड कुछ अन्दर घुस गया.. तो उनकी सीत्कार निकल गई, पर मेरे किस करने की वजह से उनकी आह मेरे मुँह में ही रह गई। मैंने किस करना चालू रखा.. उन्हें इससे बहुत अच्छा लग रहा था। साथ ही मेरे दोनों हाथ उनकी चुची को मसल रहे थे। उन्हें बहुत मजा आ रहा था।
फिर मैंने अगला धक्का दे मारा और मेरा लंड दीदी की चूत में और अन्दर चला गया।
इस बार दीदी ज़ोर से चिल्ला पड़ीं, पर मैंने उनके मुँह को किस से बंद कर दिया और उनके चूचों को ज़ोर-ज़ोर से दबाने लगा। उनको थोड़ा दर्द ज़रूर हुआ.. पर वो मेरे लंड से चुदाई के मज़े लूट रही थीं। फिर थोड़ी देर उनकी चुची सहलाने के बाद मैंने एक और आखरी तगड़ा धक्का दे दिया और मेरा पूरा 7 इंच लंबा लंड दीदी की चूत की जड़ तक अन्दर हो गया था।
वो तड़फ कर ज़ोर से सिसकारी भर रही थीं- अहह उईईईईईई मर गई.. मजा आ गया.. अह.. चोद दे यार.. साले भैनचोद.. अहह.. चोद… चोद अपनी दीदी को…
मैं फिर से धक्का मारने लगा। धीरे-धीरे अब वो मुझे अपने मम्मों को उछालटे हुए साथ देने लगीं।
कुछ देर बाद मैंने उनके पैर अपने कंधों पर रखे और अपना पूरा लंड उनकी चूत में अन्दर-बाहर करने लगा। उनके पैर मेरे कंधे पर होने से पोज़िशन बड़ी टाइट हो गई थी और मेरा लंड भी दीदी की चूत के अन्दर तक चला गया था।
अब मेरा लम्बा लंड सुरभि दीदी की चूत में उछल-कूद करने लगा। वो मस्ती में चिल्ला रही थीं ‘अह.. चोद दिया रे… बहुत बड़ा है.. उईई.. अब बस कर साले.. मुझसे सहा नहीं जा रहा है प्लीज़.. मान जा बेदर्दी.. अह..’

पर मैं इतनी जल्दी बस थोड़ी करने वाला था।
कुछ देर बाद उनकी चूत में मेरे लंड ने अपनी जगह बना ली थी और अब दीदी भी मुझसे कह रही थीं कि और ज़ोर से चोद दो.. और मैं धक्के पर धक्के दिए जा रहा था। दीदी भी उछल-उछल कर मेरा साथ दे रही थीं। मैं ज़ोर-ज़ोर से अपना लंड उनकी चूत में पूरा अन्दर-बाहर करने लगा। दीदी कभी अपने बाल नोंच रही थीं.. तो कभी अपने चूचे को दबा रही थीं।
मुझे भी उनके साथ आज ज़िंदगी का मज़ा लूटने में मजा आ रहा था। अब वो इतनी तेज़ी से उछल रही थीं कि वो उनकी चूत से ‘फ़च.. फ़च..’ की आवाज़ें पूरे कमरे में भरने लगीं। दीदी भी मेरा हौसला बढ़ा रही थीं।
‘और ज़ोर से सुशान्त.. मेरी जान.. और ज़ोर से चोद.. अब बस मैं झड़ने वाली हूँ.. तू मुझे बहुत मजा दे रहा है.. आहह आअम्म.. हाँ और ज़ोर से आआअहह.. लो मैं झड़ गईई..’
दीदी झड़ गईं.. कुछ देर बाद मैं परेशान हो गया था कि मैं झड़ क्यूँ नहीं रहा था दस मिनट बाद मैंने उनकी चूत में गरम-गरम रस डाल दिया और इस दौरान दीदी भी दोबारा झड़ गई थीं।
मेरा लंड अभी तक उनकी चूत के अन्दर था। थोड़ी देर बाद हम दोनों अलग हुए। मैंने कहा- यार अभी मेरा मन नहीं भरा है।
दीदी बोलीं- तो चुदाई करते रहो ना!
मैंने कहा- उसके लिए पहले तुम्हें इस लंड महाराज की सेवा करनी होगी।
दीदी ने उसे हाथ में लेकर सहलाना चालू किया। मैं उनके निप्पलों को मसलने लगा। दीदी के निप्पल भी अब टाइट होने लगे थे। उन्होंने मेरे लंड को चूमा.. फिर मुँह में ले कर चूसने लगीं।
मुझे बड़ा आनन्द आ रहा था, मैं भी बोल रहा था- रानी आज इस लौड़े को पूरा चूस लो और ज़ोर से चूस साली.. पूरी जीभ से चाट कर खा लो ना.. अह.. खूब ज़ोर से चूस लो प्लीज़।
वो भी ‘उम्म्म्म..’करके लॉलीपॉप की तरह चूसे जा रही थी।
दीदी ने अपनी जीभ से मेरा पूरा लंड साफ कर दिया और उसे वापस ताजे केला की तरह तैयार कर दिया और चूस-चूस कर मेरा लंड गरम लोहे की तरह कड़क बना दिया। मैं दीदी की चुची से खेल रहा था, जिससे दीदी भी अब कड़क हो गई थीं।
‘अब तुमको फिर चोद कर मजा देता हूँ रानी.. आओ नीचे..’
‘ओके..’
‘इस बार मैं तुम्हें डॉगी स्टाइल में चोदूँगा।’
वो बोली- कैसे?
मैंने कहा- अरे पागल.. आज तक ऐसे नहीं करवाया.. तो क्या मस्ती मिली रे, रोज नई-नई स्टाइल से चोदने का आनन्द लेना चाहिए मेरी जान।
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दीदी गांड हिलाते हुए बोलीं- तो आज मेरे ऊपर कर नई-नई स्टाइल का इस्तेमाल.. मैं भी तो देखूं सही कि कैसा मजा आता है।
मैंने दीदी के दोनों हाथ को साइड में रख कर टेबल पर जमा दिए और बोला- अब थोड़ा झुक जाओ।
फिर मैंने उन्हें डॉगी स्टाइल में खड़ा कर दिया और पीछे से उनके दोनों चूचों को पकड़कर मसलते हुए अपना लंड उनकी दोनों जाँघों के बीच में डालकर अपने लंड को उनकी चूत पर थोड़ा रगड़ा और दीदी को गरम कर दिया। फिर मैंने अपना पूरा लंड एक ही झटके में अन्दर ठेल दिया। मेरे हाथ उनके चूचों को मसल रहे थे.. निप्पलों को पकड़ कर खींच रहे थे.. मसल रहे थे।
इस स्टाइल में उन्हें दोनों तरफ से इतना मजा आ रहा था कि वो मस्ती में ‘अहह..’ करती जा रही थी.. और बोल रही थीं- अह.. चोद… चोद… रुकना नहीं.. बड़ा मजा आ रहा है मेरी जान..
अब मेरा लंड उनकी चूत में स्क्रू की तरह चला गया था और पूरा फिट हो गया था। इससे उन्हें इतनी उत्तेजना हो रही थी कि वो अपनी गांड हिला-हिला कर लंड खा रही थीं। मुझे भी इतना आनन्द आ रहा था कि बस पूछो मत।
मैंने उनसे कहा- अब मेरी हॉर्स पावर का कमाल देखो.. अब मैं तुम्हें घोड़े की तरह चोदूंगा।
मैंने अपनी पोज़िशन मजबूत करने के लिए उनकी चुची को ज़ोर से पकड़ लिया और धक्का देने लगा। दीदी भी अपनी गांड को पीछे कर-कर के मेरा पूरा लंड लीलना चाह रही थीं।
मैं भी ज़ोर-ज़ोर से धक्के देने लगा। दीदी के गोल-गोल चूतड़ों को धक्के देने में मजा आ रहा था।
वो मस्ती में बोल रही थीं- अह.. चल मेरे घोड़े फटाफट चोद.. और ज़ोर से और जोर से चोद भैनचोद.. आज तेरी रानी मस्त हो गई है सुशान्त.. आज मान गई तुझको.. आज तक इतना ज़ोर का मजा नहीं आया।
अब मेरा भी वक़्त आ गया था कि कभी भी मैं अपना रस छोड़ सकता था।
दीदी भी अब झड़ने वाली थीं। मैंने अब उनकी गांड को दोनों हाथों से पकड़कर धक्के देना चालू किए और वो भी काफ़ी एग्ज़ाइट्मेंट में चिल्लाए जा रही थीं ‘आआहह ऊफफ्फ़.. ईईसस्स्स.. और ज़ोर से धक्का मार साले.. मेरी चूत फाड़ दे चोद चोद के.. अह..’
फिर हम दोनों एक साथ झड़ गए और धीरे-धीरे शिथिल होते हुए अलग हो गए।
मैं बोला- अभी तो कई हैं.. अच्छा अभी एक नई स्टाइल से और चुदाई करवाना चाहोगी?
वो बोलीं- कैसी है.. जल्दी बोलो जो करना है.. जैसे करना है, बस करते जाओ.. कुछ ना पूछो मेरी जान सुशान्त!
मैंने कहा- क्या मैं तुम्हारी चुची को फक कर सकता हूँ?
वो बोलीं- वो कैसे?
मैंने उन्हें बताया- मैं तुम्हारी चुची को पकड़कर आपस में भींच दूँगा और मैं उस में से अपना लंड घुसाकर चुची को फक करूँगा।
‘ओके..’
मैंने उन्हें बताया कि मेरे लंड के आगे-पीछे होने से तुम्हारे निप्पल और चुची दोनों को मजा आएगा।
तो वो बोलीं- ठीक है, चलो आजमाते हैं.
मैंने उसे सोफे पर लिटा दिया और उनकी कमर तक आ गया। फिर दीदी ने अपनी चुची को दोनों हाथों से दबाकर दोनों को भींच दिया। मैंने उनके बीच में से अपने लंड के लिए जगह बनाई और मम्मों के बीच में लंड डाल कर अन्दर-बाहर किया।
पहले तो दीदी को मजा नहीं आया, पर बाद में जब उनके निप्पल धीरे-धीरे कड़क हो गए और मैं भी ज़ोर-ज़ोर से मम्मों को चोदने लगा तो उन्हें मजा आने लगा।
मैं भी उनकी चुची को और जोर से दबाने लगा.. तो बहुत मजा आने लगा। बीच-बीच में मेरा लंड उनके होंठों को भी छू लेता था, जिससे उनको सुपारे को चखने का अवसर भी मिल रहा था।
उन्हें चुची की चुदाई का मजा आ गया और वे मेरा लंड अपने मुँह में भर कर चूसने लगीं। मैं लंड से उनके निप्पलों मसल रहा था.. एक हाथ से उनकी चूत को मसल रहा था। वो भी बुरी तरह गर्म हो गई थीं। अब मैंने लंड को उनके मुँह से बाहर निकाला क्योंकि मैं झड़ने वाला था। मैंने अपने लंड का फव्वारा उनकी चुची पर छोड़ दिया। मुझे इस चुदाई से इतना मजा अधिक आया कि क्या बताऊँ।
फिर मैंने उन्हें लिपटाकर अपनी गोदी में बिठा लिया और लंड उनके दोनों चूतड़ों के बीच में से उनकी गांड में डालकर पीछे से उनकी किस करने लगा।
मैं उन्हें आगे से सहलाता, उनके चूचे मसलता, उनकी चूत रगड़ता, सबको चूमता-चाटता.. दबाता, उंगली करता हुआ उनसे बात करता रहा।
मैंने उन्हें इसी पोज़िशन में सोफे पर लिटा दिया। अब हम दोनों एक-दूसरे से चिपट कर लेट गए और चुम्मा-चाटी करने लगे। मुझे मानो आज जन्नत और उसमें हूर की परी मिल गई थी, जन्नत का नज़ारा देखने को मिल गया था।
हम दोनों एक-दूसरे की बांहों में आ गिरे और कमरे के बिस्तर पर जाकर लेट गए। मैं नीचे और वो मेरे ऊपर थीं। मैंने उन्हें अपनी बांहों में भर लिया और मैंने एक ज़ोर का चुम्मा लेकर उनकी जीभ भी चूस ली। थोड़ी देर बाद हम दोनों उठे और अपने कपड़े बदल लिए।
मेरी प्यारी डार्लिंग दीदी के चेहरे पर चुदाई से मिली ख़ुशी साफ़ नज़र आ रही थी। वो चुदाई से पूर्णत: संतुष्ट थीं। दीदी मेरे लिए नाश्ता बनाने चली गईं। जब वे नाश्ता बना कर लाई तो मेरी गोद में बैठ गईं.. मुझे अपने हाथों से खिलाया और खुद भी खाया।
दीदी- तुम दिव्या को पसंद करते हो क्या?
मैंने हंसते हुए कहा- नहीं यार, बस टेस्ट चेंज करना चाहता हूँ।
दीदी- मतलब?
मैं- नई चूत लिए हुए बहुत दिन हो गए हैं.. तो उसी के चक्कर में हूँ।
दीदी- ऊऊओह.. क्या मैं पुरानी हो गई हूँ?
मैंने सुरभि दीदी की चूत पर हाथ रखते हुए कहा- ये चूत कभी भी पुरानी नहीं होगी।
सुरभि दीदी हँसने लगीं..
तो मैं बोला- अब हंसना बंद करो और दिव्या की चूत लेने में मेरी हेल्प करो।
वो बोलीं- ठीक है.. कल आती है तो बात करती हूँ।
अगले दिन दिव्या नहीं आई, फिर वो दूसरे दिन जब मेरे घर आई, तो मैंने कहा- यार तुम कल क्यों नहीं आईं?
तो उसने थोड़ा गुस्से में कहा- मेरी मर्ज़ी.. मैं कभी भी आऊँ!
मैंने ‘ओके..’ कहकर उसकी बात को इग्नोर कर दिया और उससे कहा- चलो दिव्या मेरे रूम में चलते हैं.. वहीं बात करेंगे।
उसने कहा- सुशान्त बहुत ज्यादा हो गया.. मैं यहाँ तुमसे मिलने नहीं आई हूँ। मैं यहाँ सुरभि दीदी से मिलने आई हूँ और जो कल हुआ उसे भूल जाना।
यह बोलते ही वो दीदी से बात करके अपने घर चली गई।
उसके जाने के बाद दीदी ने पूछा- क्या हुआ हीरो.. लौंडिया हाथ में नहीं आ रही है क्या?
मैं बोला- कुछ नहीं.. थोड़ा भाव खा रही है।
दीदी ने बोला- वो भाव नहीं खा रही है.. डर रही है। कभी अकेले में मिलो.. तो बात करेगी।
‘अकेले में कब मिलेगी?’
तो दीदी बोलीं- परसों।
मैं बोला- कैसे?
तो दीदी बोलीं- परसों हम लोग एक शादी में जा रहे हैं.. तुम किसी बहाने से रुक जाना, बाकी तुम तो हो ही माहिर खिलाड़ी।
मैं बोला- थैंकयू दीदी.. बहन तो सिर्फ़ आप जैसी होनी चाहिए, जो भाई के हर दुःख को समझती हो।
ये बोलते हुए मैंने दीदी को अपनी बांहों में ले लिया और उन्हें किस करने लगा। तो वो अलग हो गईं और बोलीं- अभी सब घर में हैं।
फिर जिस दिन सब को जाना था, उस दिन दीदी मेरे पास आईं और बोलीं तेरा काम बना दिया है.. माँ-पापा को बोल दिया है कि तुम्हारा शादी में जाने का मन नहीं है, सो तुम यहीं घर पर ही रुक रहे हो.. और दिव्या को भी बोल दिया है कि तुम्हारे लिए खाना पहुँचा दे।
मैं बोला- थैंक्स डार्लिंग..
मैंने दीदी को अपनी बांहों में लेकर एक किस कर दिया, तो वो मेरे लंड को पकड़ कर बोलीं- ये बड़ा उतावला है।
मैं बोला- होगा क्यों नहीं.. इसको नई चूत मिलने की जो उम्मीद हो गई है।
तो दीदी हँसने लगीं और जाने के लिए तैयार होने चली गईं।
कुछ ही देर में माँ-पापा के साथ वो शादी में चली गईं।
मैं सोच रहा था कि पता नहीं दिव्या आएगी भी या नहीं।
लेकिन शाम को जब दिव्या मेरे घर आई तो उसने मुझे आवाज़ दी- सुशान्त?
तो मैंने कहा- अभी आ रहा हूँ।
मैं उस वक़्त नहा रहा था और नहाकर वापस आया तो देखा दिव्या खाना लेकर खड़ी थी। उसने ट्राउजर और टी-शर्ट पहना हुआ था बड़ी मस्त लग रही थी। उसे देखते ही मेरा लंड खड़ा हो गया। उसने मेरे लंड की तरफ देखा तो तौलिया में से उसे बंबू बना दिखाई दिया।
उसने कहा- मैं तुम्हारे लिए खाना लाई हूँ.. खाना खा लो।
मैंने कहा- बस अभी कपड़े पहन कर आता हूँ।
मैं कमरे में जाकर लोवर और बनियान पहन कर आ गया। हम टीवी वाले कमरे में चले आए और टीवी देखने लगे। मैं खाना खाने लगा.. दिव्या अभी भी मुझसे बात नहीं कर रही थी।
मैंने सोच लिया था कि आज तो इसे ऐसे ही जाने नहीं दूँगा।
मैंने दिव्या से कहा- तुम मुझसे बात क्यों नहीं कर रही हो?
तो उसने कहा- मेरा मन नहीं है। मैं फालतू लोगों से बात नहीं करती।
तभी मैंने खाने को छोड़ दिया और कहा- ले जाओ खाना.. मैं भी फालतू लोगों का खाना नहीं ख़ाता।
मैं बिस्तर पर लेट गया।
उसने कहा- मेरा गुस्सा खाने पर क्यों दिखा रहे हो, खाना खा लो चुपचाप!
मैंने कहा- मैं बाहर होटल पर जाकर खा लूँगा।
उसने कहा- खाना तो आपको खाना ही पड़ेगा।
वो रोटी का टुकड़ा तोड़कर मेरे मुँह में डालने लगी। मैंने तभी उसे अपनी बांहों में भर लिया और कहा- प्लीज़ दिव्या, बताओ तुम मेरे साथ ऐसा क्यों कर रही हो?
उसने कहा- सुशान्त जो हमारे बीच हुआ.. वो नहीं होना चाहिए था, मैं तुम्हें अपना भाई मानती हूँ और तुमसे बड़ी भी हूँ।
मैंने मन ही मन सोचा कि भाई..! मैंने तो अपनी सगी बहन को नहीं छोड़ा, ये तो मुँह बोली बहन बन रही है।
लेकिन मैंने कहा- यार तुम पहले एक लड़की हो और बाद में कुछ और हो।
यह कहकर मैंने उसे दबोच लिया।
वो बोलने लगी- नहीं सुशान्त प्लीज़ मुझे छोड़ दो.. मुझे घर जाना है।
मैंने कहा- बस थोड़ी देर रुक जाओ, फिर चली जाना।
मैं उसे किस करने लगा, वो झटपटाने लगी और अपने आपको मुझे छुड़ाने लगी। लेकिन मैंने उसे नहीं छोड़ा और किस करता गया।
फिर मैंने उसे बेड पर लिटा दिया और गेट बंद कर दिया। वो डर गई और बोलने लगी- सुशान्त प्लीज़ कुछ ग़लत मत करना..!
उसकी शक्ल रोने जैसे हो गई।
मैंने कहा- कुछ भी ग़लत नहीं होगा, बस थोड़ा बहुत ही करूँगा।
फिर मैं उसके ऊपर लेट गया और उसके चूचे मसलने लगा.. किस करता गया। फिर मैंने उसकी टी-शर्ट ऊपर करके उसके चूचे ब्रा के ऊपर से ही दबाने लगा। कुछ देर बाद मैंने उसकी टी-शर्ट उतार दी, तो वो रोने लगी।
मुझे पता चल गया कि इसका भी मन है, पर ये नखरे दिखा रही है।
फिर मैंने उसकी ब्रा के ऊपर से ही उसके एक चुचे को मुँह में लिया तो वो एकदम से चीख पड़ी- उम्म्ह… अहह… हय… याह… अहह.. लगती है।

मैंने उसकी ब्रा भी उतार दी। अब उसका ऊपर का हिस्सा मेरे सामने बिल्कुल नंगा था। अब मैं अपने कंट्रोल से बाहर हो गया और अपने कपड़े उतारने लगा। जैसे ही मैंने अपनी अंडरवियर उतारने के लिए हाथ लगाया, उसने मेरा हाथ पकड़ा और रोने लगी।
वो बोलने लगी- प्लीज़ ये सब मत करो।
मैंने कहा- कुछ नहीं होगा.. तुम टेंशन मत लो और अपना अंडरवियर उतार दिया। अब मैं बिल्कुल नंगा हो चुका था। फिर मैंने उसका पजामा उतारा। उसने काफ़ी रोकने की कोशिश की, पर मैं नहीं माना और उसका पजामा उतार ही दिया। फिर उसकी पेंटी भी उतार दी।
अब वो मेरे सामने बिल्कुल नंगी पड़ी हुई थी। वो बिल्कुल अप्सरा की तरह लग रही थी, बिल्कुल गोरी।
उसने अपना एक हाथ अपनी चूत पर रख लिया और एक हाथ अपनी चुची पर रख लिया.. वो अपने आपको छुपाने लगी।
मैंने उसका हाथ उसकी चूत पर से हटाया और उसकी चूत पर अपना मुँह लगा दिया। उसकी चूत में जैसे ही जीभ डाली.. वो एकदम से लम्बी सी सांस लेकर उठी और ‘अहह..’ की आवाज़ करने लगी।
फिर मैंने करीब 2-3 मिनट तक उसकी चूत चाटी।
अब वो भी पूरे जोश में आ चुकी थी, उसने अपनी चूत पूरी खोल दी थी।
फिर मैंने अपना लंड उसकी चूत पर रखा और रगड़ने लगा। वो लंबी-लंबी साँसें ले रही थी। उससे बिल्कुल भी सब्र नहीं हो रहा था। वो बस ये चाहती थी कि जल्दी से मैं उसकी चूत में लंड डाल दूँ।
लेकिन मैंने कुछ देर सुपारा रगड़ने के बाद लंड हटा लिया और उससे कहा- इसे मुँह में लो।
पहले तो वो मना कर रही थी.. मगर मेरे ज्यादा ज़ोर देने पर उसने मेरा लंड मुँह में ले लिया और चूसने लगी।
कुछ देर चूसने के बाद मैंने उसे लेटा कर उसके ऊपर लेट गया। उसके होंठों पर किस करने लगा और चुची भी दबाने लगा।
अब मैंने एक हाथ से अपना लंड उसकी चूत के छेद पर रखा और ज़ोर से धक्का मारा। मेरा लंड चूत में घुस गया और फिर मैं लंड को अन्दर-बाहर करने लगा और थोड़ी देर बाद मैं झड़ कर शांत हो गया.. लेकिन वो अभी भी गर्म थी।
मैं ढीला होकर लेट गया.. तो उसने मेरे ऊपर बैठकर मेरा लंड पकड़ा और अपनी चूत में लगाकर ऊपर-नीचे होने लगी। कुछ देर बाद वो भी झड़ गई।
फिर हम दोनों ऐसे ही नंगे लेटे रहे। थोड़ी देर बाद हमने दुबारा सेक्स किया।
उसके बाद वो अपने घर जाने लगी, तो मैंने पूछा- अब खाना कब मिलेगा?
वो बोली- कल ले कर आती हूँ।
फिर कुछ देर बाद दीदी का फोन आया कि वो लोग पहुँच गए हैं।
मैंने कहा- ओके..
फिर दीदी ने मुझसे पूछा- क्या हुआ?
मैं बोला- वही.. जो होना था, काम पास हो गया।
तो वो बोली- यार तू चीज़ ही ऐसी है.. कोई भी फ्लैट हो जाएगी।
उसके बाद भी हमने कई बार सेक्स किया। आपको मेरी सेक्स स्टोरी कैसी लगी.
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