रोंये वाली मखमली चूत

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rangila
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Re: रोंये वाली मखमली चूत

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काव्या ने इसी स्थिति में अपने ब्रा का हुक खोला और बड़ी नजाकत से मुड़ कर हमारी ओर देखा.. सबके मुँह से एक साथ ‘आह..’ निकल गई।
काव्या के गुलाबी निप्पल.. कांच जैसा चिकना शरीर.. खिलता गोरा रंग.. चिकनी चूत.. उस पर प्रीकम की चमकती शबनम की बूँदें बहुत ही कामुक नजारा पेश कर रही थीं। ये देखकर तो नामर्दों के भी लौड़े खड़े हो जाते।
अब काव्या ने अपने दोनों उरोजों को अपने हाथों से जोड़कर एक घाटी बनाई और अपने होंठों को दांतों से काटकर हम सबको दिखाते हुए आंख मारी।
सबने तालियाँ बजाते हुए एक साथ कहा- बस कर काव्या.. हमारी तो जान ही निकल जाएगी।
काव्या हँसते हुए उतर गई और मेरे पास आकर मुझे चूमते हुए बोली- थैंक्स.. ये सब तुम्हारी बदौलत है।
वो भावना की जगह बैठकर वैभव और सनत का लंड चूसने लगी।
अब भावना टेबल पर अपना जलवा बिखेरने के लिए चढ़ी, भावना ने अपने कपड़े उतार कर माहौल को हल्का किया और कामुक हरकतें शुरू कर दीं।
आज भावना ज्यादा ही खुल कर पेश आ रही थी, उसे देख कर साफ पता चल रहा था कि वो अपनी सहेली काव्या से जल रही थी।
वैसे भावना काव्या से ज्यादा सुंदर थी.. पर हाईट की वजह से काव्या मॉडल लगती थी।
भावना ने हमें दिखाते हुए अपनी पेंटी में हाथ डाला और अपनी चूत में उंगली घुसा ली।

हम लोगों को पेंटी के ऊपर से ही उसके इस काम का पता चल गया और फिर उसने हाथ निकाला और अपनी उंगली मुँह में डाल कर चूसने लगी।
उसकी कामुक हरकत को देख कर हम सबका लौड़ा एक साथ फुंफकारने लगा। फिर उसने सीधी खड़ी होकर अपने काले रंग की ब्रा का बिना हुक खोले.. अपने उरोजों के ऊपर चढ़ा ली। उसके ऐसा करने से उसके उरोज बहुत कड़े और चिकने दिख रहे थे। उरोजो पर तने हुए भूरे निप्पल उसके चूचों का और आकर्षण बढ़ा रहे थे।
दूसरे ही पल भावना ने हाथ पीछे ले जाकर ब्रा का हुक खोला और ब्रा को हमारी तरफ उछाल दिया। अब भावना ने अपने उरोजों को पकड़ कर हिलाया और एक तरफ के उरोजों को हाथ से ऊपर की ओर चढ़ा कर अपनी जीभ से कामुक अंदाज से अपने एक निप्पल को चाटा।
यह देख कर लंड चुसवा रहे वैभव ने काव्या का सर थामा और लंड जोर-जोर उसके मुँह में आगे-पीछे करने लगा।
मैंने भी निशा के साथ ऐसा ही किया.. पर निशा की सांसें उखड़ने लगीं।
मुझे अहसास हुआ कि निशा नहीं सह पाएगी इसलिए मैंने लंड बाहर निकाल दिया, अब वो मेरे और काली चरण का लंड दोनों हाथों में पकड़ कर चाट रही थी।
उधर भावना अब हमारी ओर गांड करके झुकी और उसने अपनी पेंटी धीरे-धीरे सरकाते हुए अलग कर दी।
उसके ऐसा करने से गुलाब की तरह खिली हुई मखमली अनुभवी चूत हमें साफ दिखने लगी।
अब भावना ने अपनी दो उंगलियों को चूत में घुसा दिया और वो अपने उरोजों को अपने एक हाथ से थाम रखी थी। सबकी आँखें फटी की फटी रह गईं। अब भावना ने अपनी उंगली चूत से निकाल कर चूत के मुहाने में फंसा कर दोनों फांकों को फैलाया।
चूत के अन्दर लाल रंग के गोश्त के ऊपर चमकती कामरस की शबनम की बूंदों को देख कर सनत अपने आपको रोक ही नहीं पाया। वह लपक कर भावना के पास आया और उसकी चूत में अपना जीभ को घुसा दिया।
भावना ने अपनी उंगलियों से चूत की दोनों फांकों को फैलाया तो चूत के योनिरस से चमकते अन्दर लाल रंग के गोश्त को देख सनत खुद को रोक ही नहीं पाया, वह लपक कर भावना के पास आया और उसकी चूत में अपनी जीभ घुसा दी।
भावना सनत की अचानक की गई हरकत से चौंक गई और वहाँ से हट गई।
सनत वापस काव्या के पास आया और काव्या को लेटा कर उसकी चूत चाटने लगा।
चूंकि वैभव को लंड चुसाना बहुत अधिक पसंद है.. इसलिए उसने काव्या के मुँह में वापस अपना लंड ठूंस दिया।
अब मैंने निशा से कहा- जाओ निशा, अब तुम अपना जलवा दिखाओ।
भावना को अपने सामने बैठने और लंड चूसने का इशारा किया। भावना आकर हमारे सामने घुटनों के बल बैठ गई।
मेरे करीब काली चरण था.. उसने एक अजीब हरकत कर दी। उसने भावना के बाल पकड़ कर उठा लिया। फिर उसकी कमर को दोनों हाथों से पकड़ कर भावना के पैरों को आकाश की ओर और सर को जमीन की ओर कर दिया।
साथ ही उसने भावना को जकड़ कर अपने शरीर से चिपका लिया। ऐसा हम में से सिर्फ वही कर सकता था, क्योंकि उसका ही शरीर लंबा चौड़ा और बलिष्ठ था।
उसके बाद उसने भावना की चूत में जीभ घुसा दिया। शायद वह भावना से खाए हुए थप्पड़ की वजह से बौखलाया था।
उधर भावना गाली दिए जा रही थी.. तो मैंने नीचे बैठ कर भावना से कहा- अब तुम भी मान जाओ जानेमन.. ऐसी चुदाई और ऐसा लंड बार-बार नहीं मिलते।
उसने मेरी बात पर मुँह तो बनाया.. पर अपने सामने झूल रहे गधे छाप लंड को चाटने चूसने का लालच न छोड़ पाई और बस काली चरण का लंड भावना के मुँह से चुसाई का आनन्द प्राप्त करने लगा।
उधर निशा टेबल पर चढ़ कर अपने भारी चिकने उरोजों को सहला रही थी। फिर उसने दोनों हाथों के दो-दो उंगलियों से अपने दोनों उरोजों के निप्पल को रगड़ना चालू किया और साथ ही ‘हिस्स्स.. ऊंऊऊ ऊऊ.. ईईह.. ईईह..’ की आवाज करने लगी।
अब माहौल बहुत उत्तेजक हो चुका था। निशा ने अपने शरीर से चिपके काले रंग की जीन्स का बटन खोला और धीरे से जीन्स नीचे सरकाई।
अय हय.. उसने सफेद रंग की किसी अच्छी कंपनी की पतली सी पेंटी पहन रखी थी।
जैसे ही उसने जीन्स को शरीर से अलग किया। उसकी चिकनी टाँगों के बीच चूत के रस से दाग लग चुकी सफेद पेंटी और सर के बालों में आधुनिक तरीके से बंधा जूड़ा.. होंठ को दांतों से काटने का स्टाइल सबको तड़पा गया।
तभी निशा ने अपनी पेंटी को कुछ इस तरह मोड़ कर ऊपर की ओर खींचा कि पेंटी निशा की चूत में घुस कर गायब सी हो गई।
इससे निशा की चूत साफ नजर आ रही थी। एकदम चिकनी और फूली हुई चूत में पेंटी फंसी होने के बावजूद उसका निशान तक नजर नहीं आ रहा था, हमें पेंटी सिर्फ कमर में दिख रही थी।
यह नजारा देख कर वैभव ने काव्या के मुँह में पानी छोड़ दिया और काव्या ने सनत के मुँह अपनी चूत का लावा छोड़ दिया। मैंने अपने लंड की मुठ मार कर भावना के दूध पर और भावना की चूत ने कालीचरण के मुँह में रस टपका दिया।
उधर काली चरण ने भी भावना के मुँह में अपने लंड का लावा छोड़ दिया।
कुछ देर यूं ही छेड़खानी के बाद काव्या की चूत में वैभव ने जीभ डाल दी और सनत भावना को कुतिया बना कर चोदने लगा।
मैं निशा के पास गया.. चूंकि निशा टेबल पर थी और मैं नीचे था, इसलिए निशा की चूत मेरे मुँह तक आ रही थी। सो मैंने नीचे से खड़े होकर ही उसकी चूत में चाटने की कोशिश की।
मुझे उसकी चूत में पेंटी फंसे होने के कारण चूत को अच्छे से चाटते नहीं बन रहा था, तो निशा ने मेरी मदद की और एक ही झटके में पेंटी निकाल फेंकी।
अब मैं निशा की दोनों जांघों को पकड़ कर चूत चाटने लगा, निशा ने भी मेरा सर अपनी चूत में दबा लिया, उसकी आँखें भी बंद हो गईं। अब सभी लंड सिवाय काली चरण के भिन्न-भिन्न छेदों में व्यस्त हो गए।
काली चरण निशा के पास आ गया और बोला- तुमने कहा था कि सबसे बड़े लंड से सील तुड़वाओगी.. चल अब आ जा!
निशा घबरा कर मेरी ओर देखने लगी तो मैंने कालीचरण से कहा- यार तुम भावना से बदला नहीं लोगे क्या? जाओ उस कुतिया की चूत फाड़ो.. निशा को मैं संभाल लूंगा।
कालीचरण तो शुरू से ही भावना की चूत चोदना चाहता था तो वो उसके पास चला गया।
मैंने निशा को नीचे उतारा और हमने 69 की पोजीशन लेकर चूसना और चाटना चालू किया।
उधर भावना सनत के साथ थी, कामुक आवाज निकाल रही थी ‘ऊऊह.. उम्म्ह… अहह… हय… याह… आह.. ईईई.. चोद ना रे.. मादरचोद छोटा सा लौड़ा और चोदने का बड़ा शौक है।’
सनत ने स्पीड बढ़ा दी… बेचारा और क्या करता भी क्या! ‘ओओहहह.. उउऊईई..’ करते हुए सनत ने भावना की चूत में पानी छोड़ा।
सनत के हटते ही काली चरण ने भावना की चूत सम्भाल ली, भावना की चीख निकल गई- उम्म्ह… अहह… हय… याह…
वो काफ़ी देर से चुद रही थी तो जल्दी ही वो झड़ गई, उसने कालीचरण को फ़िर मेरे पास भेज दिया।
उधर वैभव नीचे लेट कर काव्या को अपने ऊपर चढ़ा कर नीचे से धक्के मार रहा था। काव्या अपने उरोजों को मसल रही थी ‘ऊऊऊऊ आआहहह.. मजा आ गययाआ.. मेरे राज.. ओहहह आआहह.. फाड़ दो मेरी चूत..’
वो चिल्लाते हुए मस्ती से चुद रही थी।
इधर निशा बड़बड़ाने लगी- अब डाल दो मेरी भी चूत में लौड़ा.. फाड़ दो मेरी चूत।
मैंने निशा को लंड के लिए तड़पते देखकर ज्यादा देर नहीं की और उसे लेटा कर अपना लौड़ा उसकी लपलपाती चूत पर टिका कर निशा से कहा- निशा थोड़ा दर्द होगा.. संभाल लेना।
निशा ने वासना भरी आवाज में कहा- तुम बस डाल ही दो.. आगे की चिंता मत करो।
मैंने एक जोर का धक्का लगा दिया। मेरी उम्मीद के विपरीत मेरा लौड़ा बड़ी आसानी से चूत में घुस गया।
मेरा लौड़ा भले ही कालीचरण जितना लम्बा नहीं है.. पर मेरा लौड़ा भी अच्छे-अच्छे की चूत फाड़ देता है। पर इस साली ने तो एक बार में ही पूरा लौड़ा सटक लिया था और ‘उफ्फ..’ तक नहीं की।
मैंने तुरंत कहा- निशा सच बताओ तुम और चुद चुकी हो ना?
तो निशा ने कहा- हाँ मैं चुद चुकी हूँ.. पर अभी तो मुझे चोदो।
मैंने कहा- किससे चुदी हो?
उसने झुंझला कर कहा- अपने जीजू से चुदी हूँ.. तभी तो सामूहिक चुदाई के लिए राजी हो गई हूँ। तुमने कभी सोचा है कि जिसकी सील भी ना टूटी हो.. वो सामूहिक चुदाई के लिए राजी कैसे हो सकती है? और अब कुछ मत पूछो.. बस चोदो.. मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा है।
मैंने कहा- ठीक है।
मैं धकापेल उसे चोदने लगा।
‘ऊ..ऊ.. ईई.. आआहहह..’ की आवाज के साथ वो चुदने लगी।
मेरी आँखें भी वासना के मारे बंद होने लगीं। मैंने उसे चोदते हुए कहा- बस आखरी सवाल.. तुम्हारे जीजू का लंड कितना बड़ा है?
उसने कहा- काली चरण से थोड़ा छोटा.. एकदम काले रंग का मोटा सा लंड है।
मैंने कहा- तो फिर काली चरण के लौड़े से डर क्यों रही थी?
उसने कहा- मैं डर नहीं रही थी.. मैं तो अपनी चूत के लिए सबको तड़पा रही थी। वैसे काली चरण का लौड़ा मेरे जीजू के लंड से ज्यादा बड़ा है।
उधर सबकी चुदाई उफान पर थी। वैभव और काव्या ‘हिस्स्स्स्..’ करते हुए एक साथ झड़ने लगे।
मैंने निशा को चोदते हुए ही कहा- भावना और काव्या.. नीचे वाले हॉल में जाकर खाना निकालो। अब चुदाई का दूसरा राउंड खाना खाने के बाद करेंगे।
तब तक मैं काली चरण और निशा भी एक बार अपना पानी निकाल कर आते हैं।
वे लोग अपना कपड़े उठाने लगे.. तो मैंने मना कर दिया और वो नंगे ही चले गए। उनके जाते ही मैं लेट गया और निशा को अपने ऊपर चढ़ा कर चोदने लगा।
मैंने काली चरण से कहा- निशा ने ये मेरी पहली चुदाई है.. कह कर हम सबको बेवकूफ बनाया है.. इसको ऐसा सबक सिखाना है कि ये जिन्दगी भर याद रखे।
काली चरण ने कहा- तू ही बता कैसे सबक सिखाएं?
निशा घबरा गई थी, उसने लड़खड़ाती जुबान से कहा- च..चचोद तो र..रहे हो.. और क्या कर..ररोगे?
मैंने कहा- निशा डार्लिंग हम तुम्हारी सील तोड़ेंगे।
तो निशा हँसने लगी और बोली- वो तो पहले से ही टूटी हुई है और कैसे तोड़ोगे?
मैंने भी हँसते हुए कहा- चल कालीचरण इस मादरचोदी रांड की गांड में अपना लंड डाल दे.. और डालने से पहले लंड को पोंछ के सुखा ले.. ताकि इसकी गांड फट ही जाए।
इतना सुनते ही निशा चुदाई के पहले ही चीख उठी, अभी तो लंड उसकी गांड से टच भी नहीं हुआ था, वो चिल्लाने लगी- साले मादरचोद दूर हट!
उसके ये कहते ही उसके खुले मुँह में उसने अपना लंड डालकर मुँह बंद करा दिया। उधर निशा की चीख सुनकर भावना और काव्या दौड़ कर ऊपर आ गए।
कालीचरण अपने लौड़े को निशा की गांड के निशाने पर टिका चुका था।
भावना और काव्या के ऊपर पहुंचते ही उनकी आंखों के सामने एक जोरदार धक्के के साथ निशा की मुलायम उभरी गांड में काली चरण अपना लौड़ा पेल दिया।
उसका लौड़ा पूरी ताकत से पेलने के बाद भी आधा ही घुस पाया।
निशा ने भले ही चूत मरवाई थी.. पर गांड सच में अनचुदी थी।
इधर वैभव का लौड़ा निशा के मुँह में गले तक फंसा था, इसलिए निशा को सारा दर्द अन्दर ही झेलना पड़ा।
भावना ने हम सबको गाली दी- कमीनों उसे मार डालोगे क्या? ऐसे कोई किसी को चोदता है क्या?
तब वैभव मुँह से लंड निकालते हुए बोला- इस मादरचोदी ने हम सबको बेवकूफ बनाया.. इसके साथ यही होना चाहिए।
मैंने निशा की चूत और काली चरण ने गांड में अपना हब्शी लौड़ा फंसाए रखा।
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Re: रोंये वाली मखमली चूत

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निशा के शरीर में बालों से होते हुए स्तनों और पेट, कमर से होते हुए जांघों में पानी बहने लगा और वह इस वजह से वो बहुत ही उत्तेजक और कामुक लगने लगी।
वैसे मैं और कालीचरण भी भीग गए थे.. पर वासना के कारण शरीर का पानी भाप बन कर उड़ने लगा।
अब निशा रोने लगी और मैंने भावना से कहा- भावना, अगर तुम कालीचरण से अपनी गांड नहीं फड़वाना चाहती तो चुपचाप वैभव का लंड गांड में डलवा लो.. नहीं तो क्या होगा ये तुम देख ही रही हो। वैभव तुम भी अपने लंड में तेल लगा कर पेलना ताकि भावना को तकलीफ ना हो।
भावना ने रुआंसे होते हुए ‘हाँ’ में सर हिलाया उधर मौके को ताड़ कर सनत नीचे लेट गया और भावना को अपने ऊपर चढ़ा लिया।
वैभव ने अपने लंड पर तेल लगा कर गांड के छेद से लंड टिका दिया।
उसने काली चरण को देखा और कालीचरण ने लंड थोड़ा बाहर खींचते हुए वैभव को देखा।
दोनों एक साथ मुस्कुराये और एक साथ ही पूरी ताकत से अपने अपने लंड उन दोनों की गांडों में पेल दिए, दोनों एक साथ चीख उठीं- आआआहह कोई बचाओ रे.. आआहह उम्म्ह… अहह… हय… याह… आआहह आहह..
उनकी आवाज बहुत तेज थी।
भावना की गांड में वैभव का तेल लगा लंड घुसा था.. इसलिए खून नहीं निकला.. पर सील टूटने के दर्द से भावना भी बिलख उठी।
अब वो दोनों रोती रहीं और हम चारों के लौड़े उनकी गांड और चूत को फाड़ते रहे।
यह सब देखकर काव्या खुश तो थी कि वो दर्द सहने से बच गई.. पर भीषण चुदाई देखकर वो बहुत कामुक भी हो गई थी। उसने अपने उरोजों को मसलना चालू कर दिया। वो मेरे चेहरे के दोनों तरफ टांगें फैलाकर मेरे मुँह में अपनी चूत चाटने को दे दी।
अब धीरे-धीरे भावना और निशा को भी दो लौड़ों से चुदाने में मजा आने लगा और वो भी साथ देने लगीं।
पूरे हॉल में सबकी कामुक ध्वनियां गूँजने लगीं।
निशा बड़बड़ा रही थी- मार डाला रे.. पर आज तक ऐसी चुदाई भी नहीं हुई थी.. मजा आ गया.. भले ही मेरी जान निकल जाए.. पर ऐसे ही चोदते रहो.. हहायय.. आगे-पीछे दोनों छेदों में क्या लौड़ा घुसा है रे.. ऊऊऊ ईईईई..
उधर भावना भी कहे जा रही थी- आह्ह.. चोदो कमीनों.. चोदो मन भर के चोदो.. ऐसी चुदाई तो किस्मत वालों को नसीब होती है। साले सनत तेरा लौड़ा छोटा क्यों है बे.. तू चोद रे वैभव.. ये मादरचोद तो किसी काम का नहीं है.. ऊऊहहह आहहह.. मजा आ गयया रे.. भले ह..ही गांड की सील तुड़वाने में दर्द हुआ.. पर अब बहुत मजा आ रहा है.. और चोद और जोररर से.. आहहहह..
इधर मेरे मुँह पर अपनी चूत टिकाए हुए काव्या भी ‘हिस्स्स ऊऊउन्ह.. आहह..’ कर रही थी।
निशा तो कई बार पानी छोड़ चुकी थी और अब मैं भी अकड़ने लगा ‘आह साली रंडी.. क्या चूत है रे मादरचोद..’ ये कहते हुए मैं झड़ गया।
उधर वैभव भावना की टाईट गांड में लंड डालने की वजह से झड़ने लगा, वैभव झड़ने से पहले सिसियाने लगा- आह्ह.. कमीनी.. क्या चुदवाती है साली.. रंडी बन जा.. बहुत कमाएगी..
ये कहते हुए वैभव ने भावना की गांड में कई चपत लगा दीं। भावना की गांड लाल हो गई और थोड़े-थोड़े अंतराल में सनत भावना और वैभव झड़ गए।
सनत अपने छोटे लंड के कारण कुछ नहीं बोल रहा था। वो बेचारा अपना मजा लेकर चुप बैठा रहा।
अब निशा चुदवाते हुए फिर बेहोशी की हालत में आने लगी। पर अभी तो काली चरण पूरे शबाब में था। उसके चोदने के लिए भावना और काव्या अभी बाकी थे इसलिए उसने निशा पर रहम खाकर उसे छोड़ दिया, गांड में से मूसल निकल गया तो निशा वहीं पसर गई।
काली चरण अपना खड़ा लंड लेकर भावना की ओर बढ़ा। कालीचरण को अपनी ओर बढ़ता देख भावना ने डर के कहा- साले चूत मारनी है तो आ जाओ.. मैं सह लूंगी और गांड बजानी है.. तो अभी काव्या की गांड बाकी है सील तुड़वाने के लिए।
काली चरण सील तोड़ने के लालच में काव्या की ओर बढ़ने लगा, मैंने कालीचरण से कहा- रुको.. मुझे बात करने दो.. फिर कर लेना।
मैंने काव्या से कहा- क्यों काव्या तुम अपनी गांड का उद्घाटन नहीं कराओगी?
काव्या ने मेरी आंखों में आँखें डालकर देखा और कहा- संदीप, मैं यहाँ सामूहिक चुदाई का मजा लेने नहीं आई हूँ। मैं यहाँ सिर्फ तुम्हारे चेहरे पर खुशी देखने आई हूँ। तुम जैसा चाहो कर लो.. करा लो, मुझे सब मंजूर है। काली चरण तो क्या मैं तुम्हारे लिए किसी राक्षस से भी चुदाने को तैयार हूँ।
मैं उसको प्यार से देख रहा था।
उसने कहा- मुझे पता है तुम भावना के हो.. पर मैंने अपना सब कुछ तुम्हें सौंप दिया है।
इतनी बातें सुनकर मैंने काव्या को गले लगा लिया, भावना भी उठ कर पास आ गई और हम तीनों एक साथ चिपक गए।
भावना ने कहा- अब से हम दोनों ही संदीप की गर्लफ्रेंड हैं। भविष्य में क्या होगा.. मैं नहीं जानती, पर जब तक पढ़ाई चल रही है.. हम ऐसे ही साथ रह लेंगे।
पीछे से कालीचरण की आवाज से शांति भंग हुई- प्यार मुँहब्बत बाद में करना.. अभी बताओ कि मेरे लौड़े का क्या होगा?
भावना ने हिम्मत करके कहा- चल कमीने.. तुझसे मैं चुदवाती हूँ। जैसे चोदना है चोद ले। अब देख एक लड़की जब चुदाने पर आ जाए तो मर्द की मर्दानगी कहाँ जाती है।
वैसे भावना कुछ ज्यादा ही बोल गई थी.. क्योंकि कालीचरण का लौड़ा मूसल से कम नहीं था।
इधर काव्या ने मुझसे कहा- चलो जान तुम लेटो.. आज अपनी गांड की सील मैं खुद तुड़वाऊँगी।
मैं लेट गया।
काव्या ने दोनों टांगें मेरे चेहरे के दोनों तरफ फैला कर अपनी चूत चाटने दे दी। मैं अब अपनी जीभ चूत से आगे बढ़ कर काव्या की गांड भी चाटने लगा।
उधर निशा उठ गई थी और वो अब मेरे लौड़े को थूक लगा-लगा कर चूसती और फिर गीला कर रही थी। मानो वह मेरे लंड को गांड में घुसने लायक बना रही हो.. क्योंकि अभी अभी उसने दर्द झेला था।
उधर भावना को कुतिया बना कर कालीचरण ने लौड़ा टिकाया और भावना के मुँह में वैभव ने लंड डाल दिया।
सनत ने निशा की चूत चाटनी चाही.. तो निशा ने उसे एक लात मार के गिरा दिया।
तब मैंने ही कहा- निशा अब माफ भी कर दो.. तुम्हें जब भी चुदना होगा हमसे चुद लेना और ब्वायफ्रेंड के नाम पर सनत को बना रहने दो।
तो उसने इशारे से उसे वापस बुला लिया।
अब काली चरण ने एक जोर का धक्का लगाया, उसका लंड जड़ तक सरसराता चला गया। चूंकि लंड में निशा का पानी और खून लगा था.. इसलिए लंड घुस तो गया, पर भावना की गांड से भी खून की धारा बह निकली।
मूसल के गांड में घुस जाने से भावना लगभग बेहोश सी हो गई थी.. पर कालीचरण उस पर टूट पड़ा था- ले मादरचोदी.. बहुत बात कर रही थी ना.. अब खा मेरा लौड़ा।
भावना रोए जा रही थी। उधर मुँह में वैभव का लौड़ा घुसा था। दोनों तरफ से दनदनाती चुदाई शुरू हो गई.. उनको देख कर काव्या डरने लगी।
मैंने काव्या को डरते हुए देख कर कहा- गांड नहीं चुदानी तो रहने दो.. कोई जबरदस्ती नहीं है।
वो सच में मेरे मुँह पर से उतर गई।
मैं खुद को कोस रहा था कि हाथ आए माल को गंवा दिया। पर काव्या अपने पर्स तक ही गई और पर्स से दो रूमाल ले कर आई.. दोनों सफेद रंग के रूमाल थे.. वो आकर फिर मेरे ऊपर चढ़ गई।
मैंने पूछा- रूमाल का क्या करोगी?
काव्या तो उसने कहा- जब पहली बार तुमने मेरे चूत की सील तोड़ी.. उस समय मैं अपनी पहली चुदाई की कोई निशानी नहीं रख पाई थी, पर आज मुझे पहले से शक था कि मेरे पिछवाड़े की सील टूट सकती है। मुझे ये भी उम्मीद थी कि इसे भी तुम ही तोड़ोगे, इसलिए मैं ये सफेद रूमाल लाई हूँ ताकि हमारे मिलन की निशानी खून को इसमे पोंछ कर हमेशा अपने पास रख सकूं।
खुशी के मारे मेरी आँखों से आंसू आ गए मैंने कहा- और दूसरा किस लिए?
तो उसने कहा- ये इसलिए…
उसने रूमाल को फोल्ड करके अपने मुँह में दांतों के बीच दबा कर मेरे लंड को अपनी गांड के छेद में टिकाया और अपना पूरा जोर लगा दिया।
उसकी आंखों से आंसू बहने लगे और वो आंसू दर्द के तो थे ही.. पर खुशी के भी थे क्योंकि उसके आँखों में कुछ पा लेने वाली चमक थी।
उसकी गांड में लौड़ा आधा घुसा था और उसने मुँह में रखे रूमाल को भींचते हुए और जोर लगाया। उसकी आँखें बड़ी हो गईं.. उसकी गांड से निकली हुई खून की लकीर मेरी जांघों पर बहने लगा। लेकिन काव्या ने लंड को जड़ तक अपनी गांड में घुसा लिया।
लंड के पूरा गांड में घुस जाने के बाद काव्या ने मुँह से रूमाल निकाला और हाँफने लगी। वो थोड़ी देर ऐसे ही पड़ी रही। फिर जब थोड़ा सामान्य हुई तो मुझे चूमते हुए उसने अपनी कमर हल्के-हल्के हिला कर लंड को फिसलने लायक जगह बनाई। उसने मुझे ‘आई लव यू संदीप.. आई लव यू सो मच..’ कहने लगी।
वो मेरे हाथों को पकड़ कर अपने उरोजों पर ले गई। मैं उसके चूचे मसलने लगा और अब कामुक आवाजों के साथ चुदाई शुरू हो गई।
इधर काव्या कमर उछाल-उछाल कर अपनी गांड फड़वा रही थी.. तो उधर अब भावना भी संभल चुकी थी।
मैंने नजर घुमा कर देखा तो भावना वैभव और कालीचरण तीनों खड़े होकर चुदाई कर रहे थे।
भावना ने अपना पैर वैभव के कंधे पर रख दिया था और वैभव का लंड भावना की चूत में घुसा हुआ था। काली चरण का लौड़ा भावना की गांड में घुसा हुआ था।
कालीचरण भावना की कमर को पकड़ कर दम से भावना की गांड मार रहा था।
सब वासना में बड़बड़ा रहे थे.. उधर सनत ने अपने छोटे लंड से मजा देने का उपाय खोज लिया था। वो निशा को लिटा कर उसकी चूत में अपने लंड के साथ अपनी दो उंगली भी डाले हुए था.. जिससे निशा को अलग तरीके का आनन्द आ रहा था।
अब पूरा हॉल ‘ऊऊऊँ आआहह.. ईईईई हिस्स्स्..’ की आवाजों से गूंज रहा था।
सबसे पहले सनत का माल निशा की चूत में गिर गया.. पर निशा अभी नहीं झड़ी थी, तो वैभव ने उसे जाकर चोदा।
चूंकि वैभव और निशा आपस में पहली बार चुदाई कर रहे थे.. इसलिए दोनों जोश के साथ भिड़ गए।
कुछ देर सबकी चुदाई के बाद मैं और काव्या, वैभव और निशा और कालीचरण सब एक साथ झड़ने वाले हो गए थे। तो हमने सब लड़कियों को एक साथ नीचे बिठाया और अपना माल उनके मुँह और चेहरों पर गिरा दिया।
वो सब लंडों के माल को चाटने और शरीर पर मलने लगीं।
तभी भावना ने कहा- मैं अभी नहीं झड़ी हूँ.. क्या मुझे प्यासी ही छोड़ोगे?
सब एक साथ हँस पड़े।
कालीचरण ने कहा- थोड़ा इंतजार कर लो.. फिर बताते हैं।
फिर मैंने सबको खाना खाने के लिए कहा। उसके बाद सबने एक राउंड और चुदाई की। दूसरे राउंड में हम सबने भावना को एक साथ चोदा.. तब जाकर उसकी प्यास बुझी।
फिर दोनों लड़कियों काव्या और निशा को दो-दो लोगों ने मिलकर चोदा। इसके बाद सब थक कर सो गए।
यह तो कहना पड़ेगा कि सच में औरत चुदने पे आ जाए.. तो कोई मर्द उसकी आग नहीं बुझा सकता। ये सिलसिला उसके दूसरे दिन भी चलता रहा। फिर भावना के मम्मी-पापा के आने के पहले ही हम वहाँ से निकल गए।
अब जब भी मौका मिलता है.. हम ऐसी पार्टी कर लेते हैं।
मैं अब भी भावना को चाहता हूँ.. पर अब काव्या भी मेरी जिंदगी में आ चुकी है।
काव्या ने अपनी गांड का खून जिस रूमाल में पोंछ कर रखा था.. मैंने उसके दो हिस्से किए। एक हिस्सा मेरे पास आज भी है.. पता नहीं उसके पास है या नहीं।




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