रसीली और नमकीन लौंडिया की दास्तान

Post Reply
User avatar
jay
Super member
Posts: 9108
Joined: 15 Oct 2014 22:49
Contact:

रसीली और नमकीन लौंडिया की दास्तान

Post by jay »

रसीली और नमकीन लौंडिया की दास्तान

पिछले साल दिल्ली में बस में सफर करते हुए एक लौंडिया से बातचीत हो गई।
मुझे वह चालू लगी।

मैं उसे बातों में लगाए रहा और उतर कर उसे कोल्ड ड्रिंक पिलाते हुए बात करता रहा।
उसे चोदने की इच्छा हो रही थी।

शाम लगभग चार बजे का समय था और उसे कहीं जाने की जल्दी नहीं हो रही थी।
कुल मिलाकर यह कि वह पट गई थी।

मैं चूंकि पत्रकार हूँ.. इसलिए उसे सुरक्षा का अहसास हुआ और वह महज पांच सौ रुपए में चूत देने को तैयार हो गई।
मैं उसे एक होटल में लेकर गया।
बहाना बनाया कि यह मेरी भतीजी है और कल सुबह इसका नौकरी का इंटरव्यू है।
कुल मिलाकर वह चुदाई की बहुत शौकीन निकली।

उम्र तो उसकी अभी 26 साल ही थी लेकिन बड़ी चिकनी, स्वस्थ और गोरी थी।
आंखों के घेरे जरा काले थे। वे शायद रातों को जागने से हुए होंगे।

उसका शरीर अब भी भरा-पूरा, जांघें डबल रोटी की तरह मुलायम-मोटी, चूत ऊपर को उभरी हुई, चूत के टाइट होंठ थे।

वो कुल मिला कर मुझे बड़ी आकर्षक लगी। हाँ, उसके चूतड़ जरा भारी हो गए थे, वह इसलिए कि कम से कम डेढ़ साल से वह लगातार ठुक रही थी।
उसने बताया कि अंदाजन उसे 90 से 100 तक लोग ठोक चुके थे।

मैंने भी उसे रात में चार बार चोदा। मुझे एड्स-वैड्स की चिंता नहीं है। अगर चूत देखने में अच्छी और चूतवाली स्वस्थ है तो मैं चूत चाट-चूस लेता हूँ। उसकी चूत बड़ी रसीली और नमकीन थी।

उसने भी न सिर्फ मेरे चोदने की तारीफ की.. बल्कि चूत चूसने के लिए ‘धन्यवाद’ भी कहा।
उसका कहना था कि अधिकतर लोग एड्स वगैरह के डर से चूत नहीं चूसते।
कई लोग चोदने के लिए लण्ड घुसाते हैं और चार-छह, दस-बीस धक्कों में झड़ जाते हैं।

इनमें से कई तो बाद में बार-बार अच्छी चुदाई करते हैं.. कई का लौड़ा फिर खड़ा ही नहीं होता, फिर वे शर्म से कोशिश भी नहीं करते।

वो कहती रही कि कई लोगों को मैंने प्रोत्साहित करके काम चलाया है। लेकिन कई तो बिल्कुल बेदम हो जाते हैं।
ऐसे में फिर मैं किसी वेटर से काम चलाती हूँ कि क्योंकि एक बार लण्ड डालकर खुजली पैदा कर दी जाए और वह खुजली खत्म न की जाए.. तो बड़ी बेचैनी होती है। लगता है जैसे चूत में चींटियां काट रही हों।
ऐसे में कोई विकल्प जरूरी हो जाता है।

मैं इस चुदाई की बात विस्तार से नहीं करूँगा। मेरे पास समय की कमी है, बल्कि आधी रात तक उसकी जिंदगी से जुड़ी जो बातें हुईं.. उनमें से उसकी एक महत्वपूर्ण चुदाई की बात यहाँ लिख रहा हूँ।

उसने अपना नाम हेमा बताया था।
वह उस वक्त फ्रीलांस कॉलगर्ल थी। वह एक पहाड़न थी।

हेमा की एक शाम की मस्त चुदाई की कहानी, उसी की जुबानी सुनिए।

वो एक दो मंजिला मकान था। दो कमरे नीचे, दो ऊपर थे, पापा 100 किमी दूर रहकर सर्विस करते थे और शनिवार रात को आते थे और सोमवार भोर में चले जाते थे।

भैया की शादी हुए तीन महीने हुए थे, वह प्राइवेट जॉब करते थे।
रात को भाभी के साथ ऊपर रहते थे।

भाभी आमतौर पर दिन में भी ऊपर ही रहती थीं, उन्हें टीवी देखने का बहुत शौक था।

मैं माँ के साथ नीचे रहती थी।
माँ एक भैंस पाले हुए थीं, उसके लिए वह दोपहर के बाद खेतों में घास लेने जाती थीं।
कई बार मुझे घास लेने जाना पड़ता।

भैस होने के कारण घर का दूध, दही घी आदि था, तो मेरी सेहत अच्छी और जवानी रसभरी हो गई थी।

मेरी पहली चुदाई अचानक और जबरदस्ती गन्ने के खेत में हुई थी लेकिन वह पुरानी बात हो गई। हालांकि उसके बाद मैं कई लोगों से काफी चुदी और मुझे चुदने की लत लग गई लेकिन अच्छी और नियमित चुदाई की कोई व्यवस्था नहीं थी।

मैं यहाँ उस चुदाई की बात बता रही हूँ.. जब मुझे पहली बार सबसे ज्यादा मजा आया।

मैं एक सेहतमंद नौजवान के शानदार लण्ड से खूब अच्छी तरह चुदी, ऐसी चुदी कि उससे पहले और बाद की तमाम खराब, बहुत शानदार और बंपर चुदाइयों के बाद भी यह एक चुदाई कभी नहीं भूलती हूँ।

हुआ यह कि एक दिन शाम को भाभी का भैया सुरेश आ गया।
स्वस्थ, सुंदर और तगड़ा।
मैं उसे देखते ही सिर्फ चुदवाने के लिए उस पर मोहित हो गई।

मुझे चुदवाने का बहुत शौक था।

भाभी का भाई कुंवारा था, चूत की जरूरत उसे भी होगी ही.. ऐसा मैंने सोचा।

मैं इधर कई दिनों से चुदी नहीं थी, लौड़े के लिए बुरी तरह तरस रही थी।
कभी तो मुझे चोदने को कोई जुगाड़ नहीं मिलता था और जुगाड़ मिलता भी था तो मौका नहीं मिलता।

लण्ड के चक्कर में रात को नींद नहीं आती थी, मैं प्वाइंट फाइव की नींद की गोली खाकर सोती थी।

इससे पहले मेरे पास गर्भ-निरोधक गोली रहती ही थी, जब कभी चुदवाने का मौका मिलता.. तब पहले गोली खा लेती थी।

भाभी के भाई से चुदवाने का विचार आया, लेकिन समझ नहीं आया उससे कब और कहाँ चुदूँ।

मैंने उसे नहाने के लिए तौलिया, साबुन, भैया की लुंगी और बनियान दी, बाद में चाय-नाश्ता कराया।
तमाम बातें होती रहीं।
मैं, वह.. भाभी और माँ।

कुछ देर बाद माँ और भाभी का बाजार जाना तय हो गया, वे दोनों रिक्शे से चली गईं।

अब मेरे पास दो घंटे का समय था। मैं सोचने लगी कि सुरेश मुझे बांहों में भर ले और मुझे चोद दे।
लेकिन मैं पहल कैसे करूँ, ये समझ नहीं आ रहा था।

मैं पढ़ने बैठ गई, मेरे मन में उससे चुदवाने का ख्याल कि यह चोद दे तो मेरा जीवन सफल हो जाए।
वह भी पास आ गया, हम हँस-हँस कर दुनिया तमाम की बातें करने लगे।

वह बिस्तर पर सरक-सरक कर मेरे एकदम करीब आ गया।

मैंने कुर्ती के दो बटन उसके लिए पहले ही खोल दिए थे.. ताकि वह चूचियों की झलक देखे और आकर्षित हो जाए।

जब वह मेरे से बिल्कुल सट गया, तो मैंने उसे दोनों हाथों से धक्का देते हुए कहा- परे हटो.. क्या ऊपर ही चढ़ोगे?
‘ऊपर चढ़ोगे’ से मेरा आशय दूसरा भी था, आप समझ ही गए होंगे।

वह भी शायद समझ गया था कि थोड़ी हिम्मत से काम लिया तो यह लौंडिया चुदवा लेगी।
वह बोला- तुम तो गुड़िया जैसी हो, गोद में बिठाना चाहता हूँ।

मैंने भी नाटक किया और वह पैर लटका कर बैठा था, मैंने झट गाण्ड उसकी जांघों पर रख दी।
बोली- लो बैठ गई.. अब क्या करोगे.. गोद में बिठाकर?

उसने कुर्ती के ऊपर से चूचियों को हल्के पकड़ लिया, बोला- यार करूँगा क्या.. बस जैसे बच्चे से खेलकर मनोरंजन करते हैं.. वैसा ही कुछ कर लूँगा।

उसका कड़क लण्ड मेरी गाण्ड पर चुभ रहा था।
मैं उठी और बोली- बाप रे.. तुम्हारा तो लण्ड तो एकदम खड़ा है।

वह मेरे मुँह से ‘लण्ड’ सुनकर बोला- ऐसा माल देख कर खड़ा हुए बिना रह सकता है भला।

मैंने सोचा कि हेमा रानी लौंडा तैयार हो गया है.. अब इसे चूत देने में देर मत कर।
मैंने पूछा- चूत मारने की इच्छा है क्या?
बोला- दे दो.. तो आजीवन आभारी रहूँगा। जब कहोगी, तब हर तरह से काम आऊँगा।

मैंने उठकर कुंडी मारी। मैंने तकिए के खोल से निकालकर गर्भ-निरोधक टेबलेट ली। जग में पानी रखा था।
Read my other stories

(^^d^-1$s7)
(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).


Read my fev stories
(फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complet))........(कोई तो रोक लो)......(अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ)............. (ननद की ट्रैनिंग compleet)..............( सियासत और साजिश)..........(सोलहवां सावन)...........(जोरू का गुलाम या जे के जी).........(मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन)........(कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास)........(काले जादू की दुनिया)....................(वो शाम कुछ अजीब थी)
User avatar
jay
Super member
Posts: 9108
Joined: 15 Oct 2014 22:49
Contact:

Re: रसीली और नमकीन लौंडिया की दास्तान

Post by jay »


वह हैरानी से देख रहा था, मैंने गोली गटक ली।
बिस्तर पर एक तौलिया बिछाया, तेजी से नाड़ा खोलते हुए झट से लेटते हुए बोली- माँ, भाभी दो घंटे बाद आएंगी, कर लो.. जो करना है।

फिर मैंने सलवार नीचे सरकाई, कुर्ती गले से ऊपर तक कर दी और कहा- आ जाओ।

मेरी नंगी चूचियां और चूत देख वह एक बार हैरान रह गया।

मैंने आँख मार कर उसे अपने ऊपर आने का इशारा किया।
वह लपक कर आ गया।
उसने मेरे होंठ चूसे.. चूचियां दबाईं.. फिर चूत पर आ गया।

इस काम में एक मिनट भी नहीं लगा होगा।

मैंने कहा- थूक लगाकर लौड़ा जल्दी अन्दर डाल दो।
उसने चूत देखी, कहा- बहुत शानदार चूत है।

इस समय मेरा उत्तेजना से बुरा हाल था.. उसे भी जल्दी थी ही।
मैंने टाँगें फैलाकर चूत पूरी तरह खोल रखी थी।

उसने लण्ड पर थूक लगाया, उसके बाद चूत पर उंगली से अन्दर तक घिसा और मुस्कराकर कहा- बड़ी मस्त और गरम चूत है और टाइट भी है।

खैर.. फिर उसने लौड़ा चूत के होंठों में फंसाया.. मेरी और मुस्कराया।

मैंने आँख मार कर हरी झंडी दिखा दी।
मैं तो चुदने के लिए मरी जा रही थी, सोच रही थी माँ के आने से पहले चोद दे.. तो मजा आ जाए।

उसने मेरे कंधे पकड़ कर धीरे-धीरे लौड़ा चूत के भीतर किया। लौड़ा घुसते समय बड़ी परेशानी हुई। उसका लंड अच्छा, स्वस्थ और सामान्य रूप से तगड़ा किस्म का था।

लौड़ा लेते ही मेरी आंखें मिच गईं।
उसने हल्के-हल्के अन्दर-बाहर किया।

मैंने गांड को दाएं-बाएं कर लंड को अन्दर एडजस्ट किया। जब लंड ने जगह बना ली तो मेरी खुजली बढ़ गई।

मैंने उससे साफ कहा- अब तुम अपनी पसंद के हिसाब से मुझे ढंग से जल्दी से चोद दो।
वह खुश होकर चोदने लगा।
उसके ‘ठकाठक’ धक्कों से मेरा सिर दीवार में लगने लगा।

मैंने उसे रोका और कहा- एक मिनट जरा मेरे सिर के पीछे तकिया लगा दो।

उसने लंड बाहर निकाल लिया। मेरे सिर के पीछे तकिया लगाया।

मैंने कहा- कंधे या कूल्हे पकड़कर ऐसे धक्के लगाओ कि मेरे सिर और गर्दन पर जोर न पड़े।

फिर उसने और थूक लगाया मैंने लंड दोबारा डालने में उसकी मदद की। उसने अबकी कंधे पकड़कर एक अच्छी स्पीड में चोदा.. इतना मजा आ रहा था कि उसे बयान करने के लिए शब्दकोष में कोई शब्द नहीं हैं।

जिन्हें अच्छी चुदाई कराने का शौक है और जिनकी अच्छी चुदाइयों हुई हैं.. वे ही जानती हैं।

उस कुंवारे ने कई महीनों से चूत नहीं मारी थी, हफ्ते भर पहले मुट्ठ मारी थी, उसने पूरी रुचि और उत्साह से मुझे जम कर चोदा।
मैं जल्दी झड़ गई।

उसने दस-बारह धक्के और पेले.. फिर आहिस्ता-आहिस्ता डालने-निकालने लगा।
उसने ढेर सारा वीर्य मेरी चूत में उड़ेल दिया।

हाय.. उससे चुदकर झड़ना और उसके झड़ने के बाद उसका गर्म बहुत गाढ़ा वीर्य से चूत का लबालब भर जाना.. और बहुत सारा वीर्य चूत से गांड तक रिसना.. और तौलिए तक फैल जाना बहुत भला लगा।

मैं उसका वीर्य पीना चाहती थी.. पर कह नहीं पाई।
अभी मेरी झिझक कुछ बाकी थी, उसका लौड़ा अभी चूत में ही था।

खैर.. हमें बातें करते एक-दूसरे की तारीफ करते कुछ क्षण गुजरे।
फिर मैंने उसे हटाया और उठी।
Read my other stories

(^^d^-1$s7)
(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).


Read my fev stories
(फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complet))........(कोई तो रोक लो)......(अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ)............. (ननद की ट्रैनिंग compleet)..............( सियासत और साजिश)..........(सोलहवां सावन)...........(जोरू का गुलाम या जे के जी).........(मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन)........(कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास)........(काले जादू की दुनिया)....................(वो शाम कुछ अजीब थी)
User avatar
jay
Super member
Posts: 9108
Joined: 15 Oct 2014 22:49
Contact:

Re: रसीली और नमकीन लौंडिया की दास्तान

Post by jay »


मैंने पहले उसके सामने चूत फैलाकर तौलिए से वीर्य पौंछा, उसका लंड भी पौंछा, फिर तौलिया लेकर बाथरूम गई।
तौलिया और चूत को खूब धोया।

आज मैं बहुत आराम महसूस कर रही थी। यद्यपि तगड़े लंड से चूत अच्छी रगड़ गई थी और रगड़ महसूस हो रही थी, पर वीर्य ल्यूब्रिकेंट का काम करता हुआ अच्छा लग रहा था।

वापस आई तो वह लुंगी लपेटे, सज्जनों की तरह दीवार के सहारे अधलेटा हुआ मेरी कक्षा की एक कहानियों की किताब पढ़ रहा था। एक-दूसरे को हमने देखा, मुस्कराए।

अब तक एक घंटा हो चुका था।
अभी भाभी और माँ के आने में कम से कम एक घंटे का समय बाकी था।

एक बार फिर मैंने मस्त चुदाई का इरादा किया।
मैं उसके बगल सटकर अधलेटी हो गई।

कुछ उसकी कुछ मेरी पहले की चुदाई की बातें हुईं।
उसने मेरी चूचियों से खेलना शुरू किया तो मैंने उसकी लुंगी में हाथ डालकर लौड़ा हाथ में ले लिया।

मैंने लौड़े की तारीफ की.. उसका लौड़ा कड़क हो गया था।

मैंने कहा- अब मैंने नहीं दी तो तुम्हारा लौड़ा तुम्हें परेशान करेगा, तुम फटाफट एक बार और मेरी चूत मार ही लो।
वह बोला- यार, तुम्हारा अंदाज.. व्यवहार और मेरी चिंता करना लाजवाब है।

मैं तेजी से पलटी और उसकी लुंगी, कच्छे से लौड़ा निकालकर उसका गुलाबी टोपा अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगी।
उसके मुँह से सिसकारी निकली।

मैंने उसके लौड़े को थूक से तर-बतर कर दिया और कहा- मेरी चूत में अब थूक लगाने की जरूरत नहीं.. अभी तो काफी वीर्य भरा है.. ऐसे ही डाल दो।

उसने भी देर न की।
मैंने लेटकर टांगें फैलाई, उसने टांगें उठाईं और टोपा चूत के बीच रख दिया।

मेरे आँख मारते ही उसने मेरे कंधे पकड़े और आराम से पूरा लौड़ा अन्दर सरका दिया।
कुछ सेकेंड में मैंने लंड एडजस्ट कर उसे चुदाई का इशारा कर दिया, उसने चोदना शुरू किया।

सेक्सी बातें, हल्की सिसकारियां, मेरी तारीफ.. ओह.. उसकी चुदाई में क्या मजा आ रहा था।

इससे पहले मैं गांव में अब तक 5-6 लोगों से चुदवा चुकी थी, लेकिन इतना मजा नहीं आया। शायद इसलिए कि एक तो जल्दी रहती थी और अच्छी चुदाई का तजुर्बा भी नहीं था।

मैंने कई किताबें पढ़ी थीं और उसी तरह चुदवाना चाहती थी। मैंने यूं तो कई लोगों को चुदवाते समय गाइड किया भी था लेकिन बढ़िया चुदाई हो ही नहीं पाई।
हालांकि अच्छा मजा आता था।
कई बार तो कई लोग मेरे झड़ने पहले ही झड़ जाते थे।

खैर.. इस बार मैंने उसे झड़ने से पहले ही बोला दिया था- तुम माल मेरे मुँह में निकालना।

वह समय भी आया, मैं झड़ गई..
उसका भी झड़ना करीब था।

उसने फिर लंड मेरे हाथ में दे दिया।
मैंने उसे मुँह में लेकर टोपा चूसना शुरू किया, उसकी सिसकारियां भी गजब निकल रही थीं।

वह मेरे मुँह में झड़ गया।

हम पसीने-पसीने हो गए।
कुछ क्षण बाद हम अलग हो गए।
मैं निहाल हो गई थी, उसकी बहुत एहसानमंद थी।

मैंने उससे कहा- मैं तुमसे बार बार चुदवाना पसंद करूँगी।

मैंने उससे एक मजाक भी किया- मेरे भाई ने तुम्हारी बहन चोदी है.. तुमने मेरे भाई की बहन चोद दी।

वह मुस्कराया.. उसने भी बोला- मैं हमेशा तुम्हारा एहसानमंद रहूँगा।

फिर मैं रसोई में जाकर चाय बना लाई।
हमने चाय पी।

मैंने कहा- रात को कोशिश करूँगी कि तुम मेरे इसी कमरे में, इसी बिस्तर पर सोओ.. मैं तुम्हें किसी वक्त और मौका दूँ।
उसने पूछा- सब घर में होंगे.. तो कैसे होगा?
मैंने कहा- स्थिति अनुकूल हुई, मेरे या तुम्हारे मुकद्दर में हुआ.. तो हो जाएगा।

फिर मैं रसोई में मांजने-धोने लगी।
मैं बड़ी खुश थी, मेरी हफ्तों से जंग खाई चूत की अच्छी मंजाई-सफाई हो गई थी।

तभी माँ और भाभी भी आ गईं।

माँ और भाभी बाजार से मछली लाई थीं।
हमने खाना बनाया।
आठ बजे तक भैया भी आ गए.. उन्होंने पहले स्नान किया, फिर मैंने उन चारों को खाना खिलाया, उसके बाद मैंने खाया।

खाना खाते-खाते अन्य बातों के अलावा सुरेश के मेरे कमरे में और मेरा मम्मी के साथ सोना तय हो गया था।
यही मैं चाह रही थी।

नौ बजे भाई ऊपर चले गए।
मैंने बरतन मांजे।
उस समय मैं अपनी चूत और दो बार सुरेश से मंजवाने की सोच रही थी।
Read my other stories

(^^d^-1$s7)
(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).


Read my fev stories
(फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complet))........(कोई तो रोक लो)......(अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ)............. (ननद की ट्रैनिंग compleet)..............( सियासत और साजिश)..........(सोलहवां सावन)...........(जोरू का गुलाम या जे के जी).........(मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन)........(कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास)........(काले जादू की दुनिया)....................(वो शाम कुछ अजीब थी)
User avatar
jay
Super member
Posts: 9108
Joined: 15 Oct 2014 22:49
Contact:

Re: रसीली और नमकीन लौंडिया की दास्तान

Post by jay »


भाभी दूध गरम कर रही थीं। इस बीच उन्होंने सुरेश को भी मेरे कमरे में जाने को कह दिया था।

भाभी दो गिलास दूध लेकर ऊपर चली गई।
माँ भैंस के पास थीं।

तभी मैंने सुरेश को एक गिलास दूध दे दिया, सभी खिड़कियां भिड़ा दीं।
मैंने उसे कुछ सेकेंड के लिए चूचियां पकड़वा दीं और उसके होंठ चूस लिए।

मैंने भी लुंगी में खड़े उसके लंड को सहला दिया।

मैंने सुरेश को कमरे के आगे-पीछे के दोनों दरवाजे की कुंडी न लगाने की हिदायत दी।
वह समझ गया और मुस्कराकर हामी भर दी।

पीछे का दरवाजा आंगन और बाथरूम की ओर खुलता था और आगे का दरवाजा गैलरी में खुलता था।
इसी गैलरी में माँ के कमरे का दरवाजा खुलता था।
मतलब दोनों कमरों के दरवाजे आमने-सामने थे।

माँ की कई मर्जों की दवा चल रही थी, कई गोलियां खाती थीं, उनको मैं ही दवाई देती थी।
मैंने उनकी गोलियों में नींद की एक गोली मिला दी।

मैंने और माँ ने टीवी देखते हुए दूध पिया, फिर मैंने अपना और माँ का गिलास लिया और अपने कमरे में गई, टेबल से सुरेश का गिलास उठाते हुए कहा- पी लिया दूध?

उसने ‘हाँ’ में सर हिलाया तो फिर मैंने हल्के से उसके कान में कहा- अभी भैंस का पिया है, डेढ़-दो घंटे बाद मेरा दूध पीना।
उसने हँस कर कहा- अनुगृहीत होऊँगा।

मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ रखे तो उसने कुर्ती के ऊपर से ही मेरी एक निप्पल मसल दी।
मैंने फिर तेजी से लुंगी के ऊपर से ही उसके लंड में चिकोटी काटी और भागने को पलटी कि उसने उसी तेजी से मेरे एक चूतड़ में चिकोटी काट दी।

खैर.. मैं मजे में मस्त होकर रसोई में चली गई।

मैं और माँ लेट गए।
मैंने सोने का नाटक किया।
चूतड़ पर काटी गई सुरेश की चिकोटी में हल्का मीठा दर्द था।

सवा दस बजे माँ के खर्राटे गूंजने लगे।
मैंने कई बार नींद में करवटें बदलने का नाटक किया, हाथ-पैर इधर उधर फैलाए, मम्मी पर कोई असर नहीं हुआ, उनके खर्राटे लगातार निकालते रहे।

साढ़े दस बजे तक मैंने सोचा कि अब तक तो भैया-भाभी चुदाई करके सो गए होंगे।
उनका 99 प्रतिशत डर नहीं था। क्योंकि बाथरूम ऊपर ही था, आमतौर वे रात को नीचे नहीं आते थे, उन्हें शायद चुदाई की जल्दी रहती थी।

खाना खाते ही भाई चले जाते थे, उनके बाद रसोई का आधा-अधूरा काम करके भाभी भी जल्दी भागती थीं।

मैं उठी.. जीरो वाट का बल्ब भी बंद किया।
अब मैं दबे पांव निकली.. दरवाजा पहले जैसा भिड़ा दिया।
बाहर बाथरूम में जाकर मूता, एक नजर छत पर मारी और फिर पिछले दरवाजे को हल्के से धकिया कर अपने कमरे में घुसी।

ट्यूब लाईट से कमरा रोशन था।
मैंने दरवाजों की कुंडी लगाई, आहिस्ता से सुरेश के बगल में लेटी।

वह जाग रहा था।
बोला- लाईट तो बंद करो।
मैंने कहा- नहीं, जो होगा देखा जाएगा.. पकड़े गए तो सारा दोष मैं अपने ऊपर ले लूंगी। मम्मी कई घंटे जागेंगी नहीं, भाई-भाभी के आने की संभावना नहीं।

मैं उसके सीने के बीच अपना मुँह रख उस पर लेट गई। उसने मेरे बाल.. कमर और चूतड़ सहलाए।
मैंने उसके होंठों को अपने होंठों में दबाकर चूसा।

उसने भी ऐसा ही किया।
फिर मैं नीचे सरकी, उसका कच्छा नीचे सरकाया और लंड को दूधिया रोशनी में देखा।
बड़ा अच्छा सेहतमंद, गोरा गेहुंआ सा।

शाम की चुदाई के वक्त लौड़े को स्पष्ट रूप से नहीं देख पाई थी।
मैंने कहा- बहुत शानदार लंड है।
उसने ‘थैंक्स’ बोला।

मैं उसका टोपा चूसने लगी। मुकद्दर अच्छा यह कि दोनों ही कमरों के पंखे आवाज करते थे इसलिए सिसकारियों की आवाज बाहर सुनाई देने की गुंजाइश नहीं थी।

वे बड़े अनमोल पल थे.. बहुत आनन्ददायक!

मैं फिर लंड चूसते-चूसते अचानक पलटी और झट से नाड़ा खोल सलवार घुटनों तक सरका दी और गांड ऊपर करके पट लेटते हुए कहा- देखो मेरा चूतड़.. जहाँ तुमने चिकोटी काटी थी.. वहाँ दर्द हो रहा है।

उसने उठकर देखा और कहा- ओह.. सॉरी.. यहाँ तो नीला निशान पड़ गया।
मैंने कहा- इसकी तकलीफ कैसे कम होगी?
उसने कहा- इस जगह मैं लंड से वीर्य मल दूँगा। तुम्हारा दर्द दूर हो जाएगा।

उसने मेरी पीठ.. दोनों चूतड़ों और जांघों के चुंबन लिए।

ओ.. आह.. हा.. क्या उत्तेजना थी उस समय।

फिर उसने चिकोटी वाली जगह जीभ से चाटा। फिर एक मेरी एक जांघ और एक कंधा पकड़ उसने मुझे पलटा। फिर उसने मेरे होंठ चूसे.. एक-एक कर दोनों निप्पल चूसे, हल्के-हल्के मसले.. चूचियां सहलाईं और दबाईं.. हाय रे.. मैं तो सिसकारियां ही लेती रही।

मैंने उसकी कमर में अपने दोनों हाथ डाल रखे थे।
फिर उसने पीछे हटकर तकिया उठाया और बोला- गांड ऊपर उठाओ।
मैंने सलवार निकाल ही दी और टांगें फैलाकर गांड उठाई.. तो चूत ऊपर को उभर आई।

वह मुस्कराकर बोला- तेरी चूत तो मानो जैसे रस भरा पका अनार लगती है।

उसने तकिया गांड के नीचे रखा मगर मैंने गांड नीचे नहीं रखी.. उठाए ही रही।
अब उसने दोनों जांघों को पकड़कर मुझे अपने हाथों में ले लिया और मेरी गरम चूत पर होंठ रख दिए।

ओह.. क्या बताऊं कि कितना आनन्द आया।

फिर गांड उसने तकिए पर रखी, पीछे खिसका, दोनों हाथों की एक-एक उंगली से चूत के होंठों को दाएं-बाएं फैलाया और अपने होंठ उसमें डाल दिए, खूब चूसा… मेरी चूत का दाना भी जीभ और दांतों के बीच लेकर रगड़ा, चूसा।
Read my other stories

(^^d^-1$s7)
(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).


Read my fev stories
(फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complet))........(कोई तो रोक लो)......(अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ)............. (ननद की ट्रैनिंग compleet)..............( सियासत और साजिश)..........(सोलहवां सावन)...........(जोरू का गुलाम या जे के जी).........(मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन)........(कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास)........(काले जादू की दुनिया)....................(वो शाम कुछ अजीब थी)
User avatar
jay
Super member
Posts: 9108
Joined: 15 Oct 2014 22:49
Contact:

Re: रसीली और नमकीन लौंडिया की दास्तान

Post by jay »


मैं इतनी देर में कई बार उसे चोदने के लिए कह चुकी थी, उसके लंड के लिए मेरी चूत तड़प रही थी।

अजीब स्थिति थी.. चूत के साथ जो हो रहा था, वह मैं कराना चाहती थी.. यह भी महा मजेदार था।

उधर लंड लेने की भी जल्दी हो रही थी। ऐसी मेरी हालत पहले कभी नहीं हुई। पहले ऐसी तसल्ली की चुदाई हुई ही नहीं थी। न कोई ढंग का चोदू मिला।

खैर.. मेरे बार-बार के कहने पर उसने लंड पे थूक लगाया.. उंगली से चूत के होंठों के बीच में और अन्दर तक लगाया।
शाम की चुदाई के बाद अब तक मैं चार बार मूत चुकी थी और हर बार मूतते हुए उंगली से अन्दर तक अपनी चूत की चिकनाई और सुरेश का वीर्य भी धोती रही थी।

अब चूत खरखरी सी थी और थोड़ी बाहरी चिकनाई की जरूरत थी.. अन्यथा वह लौड़ा चूत में मुश्किल से अन्दर-बाहर होता और नाजुक चूत को बहुत छीलता।

इस बार तो मैंने फिर अपनी दो उंगलियों से चूत के दोनों होंठ दाएं-बाएं करके टांगें फैलाकर चूत को चौड़ा किया।

सुरेश को मेरा यह काम पसंद आया, उसने छेद पर लंड रख कर मेरी ओर देखा, मैंने आँख मार दी।

उसने एक हल्का धक्का दिया तो आधा लंड अन्दर चला गया। मुझे थोड़ी तकलीफ हुई मेरे मुँह से ‘इस्स..’ की आवाज निकली।
उसने मेरी ओर देखा, मैं अनायास मुस्करा पड़ी और आँख मार दी।

उसने मेरी गांड पकड़कर थोड़ा मुझे ऊपर उठाया और जड़ तक पूरा लंड सरका दिया।
मेरे मुँह से न जाने क्यों ‘आह्ह.. थैंक्स..’ निकाला।

वह मुस्कराया।

अब मेरी गांड के नीचे तकिया था और लंड आसानी से एडजस्ट हो गया, सीधा आ-जा रहा था। लेकिन चूत में रगड़ ज्यादा हो रही थी।

मैंने उसे रोका और अपनी समस्या बताई।
उसने बताया- चिकनाई कम है।

उसने लंड को बाहर निकाला, चूत पर थूक निकाला और ठीक से उंगली से अन्दर तक लगाया, मुझे अपने लंड की ओर संकेत किया। मैं समझ गई.. मैं उठी और उसके टोपे को मुँह में ले लिया, उसे चूसा और ढेर सा थूक पूरे लंड पर लगा दिया।
लेटी तो उसने थूक से गीली उंगलियों से चूत को फैलाया और बीच में बिना हाथ लगाए टोपा सटाने लगा.. मगर वह सही जगह पर नहीं लगा था।
मैंने तेजी से अपना हाथ बढ़ा कर लंड पकड़कर छेद से सटा दिया।

उसने बोला- गुड.. थैंक्स..

मेरे कूल्हे पकड़कर उसने ‘गचाक’ से लंड पेल दिया।
अब लंड बड़े आराम से अन्दर घुस गया था।
दो-चार बार अन्दर-बाहर करने पर पता चल गया कि अब कोई परेशानी नहीं है.. तो मैंने कह दिया- अब तुम जल्दी काम कर डालो।

मैं तो कुछ ही देर में अब ऐसी हो गई थी कि अब झड़ी.. तब झड़ी।

उसने कंधे पकड़ कर बड़ी स्पीड में चोदना शुरू किया। दे पेलम-पेल, दे दना-दन।

मैं पूरी तरह उसके सहयोग में डटी रही।
मेरे ख्याल से 40-50 धक्के लगे होंगे कि मेरा तो काम हो गया।

उसका काम अभी काफी बाकी था, मैंने उससे कहा- तुम अपना काम करते रहो।

अब मेरी रस भरी चूत मारने में उसे और मजा आया, उसने मुझे और दबाकर पेला।

कई मस्त धक्कों के बाद वह थोड़ा रुका और बोला- बस दो-चार धक्कों में माल निकल जाएगा.. क्या करूँ?
मैंने कहा- मैं चूसूंगी।

उसने कसके दो-तीन धक्के और मारे और फिर लंड खींच कर तेजी से मेरे मुँह की ओर लाया।

मैं पहले ही मुँह खोल चुकी थी.. उसका लंड पकड़कर टोपा अपने मुँह में ले लिया।
मैंने चूसा तो वीर्य की पिचकारी निकल पड़ी।

मेरे एक हाथ में लंड और दूसरे में उसके अंडे थे।
वह घुटनों के बल बैठा था, उसके दोनों घुटने मेरे कंधों के पास गद्दे पर थे।
उसने बिस्तर के पास के टेबल से चम्मच उठाकर मुझे दिया और कहा- दो बूंद माल इसमें रखना.. चिकोटी वाली जगह लगाना है।

मैंने अंडे छोड़े, चम्मच पकड़ा और लंड मुँह से बाहर निकाल कर एक पिचकारी चम्मच में निकलवाई।

फिर चम्मच उसे पकड़ाकर लौड़ा चूसने लगी।
मैंने उसका केला खूब चूसा.. मुझे चूसने में मजा आ रहा था।
बड़ी देर तक चूसा, मेरा तो लंड छोड़ने का मन नहीं था.. पर उसने रिक्वेस्ट करके लंड छुड़वा लिया।

अब हम दोनों सीधे हुए, उसे सीधा लिटाया। मैं करवट से उसकी जांघ पर अपनी एक जांघ रखकर लेट गई।

मैंने उससे पूछा- अगर तुम्हारी सगाई न हुई होती तो तुम मुझे इस चुदाई के बाद भगा ले जाने की सोचते?
वह बोला- जरूर.. हालांकि तुम्हें पता है कि मेरी मंगेतर भी पटाखा है.. लेकिन मुझे विश्वास है कि वह तुम्हारे जैसा मजा कभी नहीं देगी। इस मजे की उम्मीद मैं तुमसे ही भविष्य में करूँगा।

मैंने भी वादा किया- मैं आज के मजे को नहीं भूल सकती। मुझे इससे भी ज्यादा मजे से कोई चोदेगा तो भी हमेशा तुम्हारा ध्यान रहेगा। मेरी जरूरत पड़े तो झिझकना मत.. कह देना। मौका देखकर देने की पूरी कोशिश करूँगी। वैसे ही मुझे कभी तुम्हारी जरूरत होगी तो तुम मेरा साथ देने का प्रयास करना।

उसने कहा- पूरी ईमानदारी से कोशिश करूँगा, वादा करता हूँ।

बहुत धीरे इस तरह की कई बातें हुईं। वह लगातार मेरी एक चूची दबाता और सहलाता रहा था।

कुछ देर बाद मैं बोली- अब चलूं.. काफी देर हो गई।
यह कहकर मैं सीधी हुई तो उसने चूत पर हाथ रखके कहा- एक बार और दे दो।

मैंने उसके लंड को पकड़ा तो वह कुछ कड़क होने लगा था।

मैंने कहा- ठीक है लेकिन पहले मुझे तसल्ली से लंड चूसने दो.. अबकी बार रोकना मत।

उसने ‘हाँ’ कह दी.. तो मैं लंड चूसने लगी.. खूब चूसती रही।
उसका लंड पूरी तरह कड़क हो गया, उसे अन्दर लेने की तीव्र इच्छा जाग उठी।
मैं चूस रही थी, वह सिसकारियां ले रहा था, वो बेबस था.. मगर मुझे रोक नहीं रहा था।

मैं अब उसे परेशान नहीं करना चाहती थी और दूसरे मुझे अब लंड अन्दर लेने की खुद ही जल्दी होने लगी थी। यद्यपि मेरी चूत की इच्छा अभी लंड लेने की नहीं थी, पर दिल से उस लंड पर बहुत प्यार आ रहा था।

मैं फिर उसके बगल में लेटते हुए बोली- अब तुम अपना मोर्चा संभालो।
उसने मुझे पलट दिया, चूत नीचे गांड ऊपर कर दी।

उसने चिकोटी वाली जगह गर्म जीभ से सहलाई। फिर वह टेबल से चम्मच उठाकर उस नीले निशान पर वीर्य डाला।
फिर लौड़ा पकड़ कर टोपा वहाँ भिड़ाया और उससे वीर्य की मालिश करता रहा।
वह चिकोटी का दर्द तो मैं अभी हुई चुदाई के दौरान भुला बैठी थी।
गर्म टोपे जो मालिश हो रही थी, बड़ी भली लग रही थी। कुछ देर में रगड़-रगड़ कर वीर्य सुखा दिया।
कुछ चूतड़ पर सूखा.. कुछ लंड पर।

Read my other stories

(^^d^-1$s7)
(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).


Read my fev stories
(फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complet))........(कोई तो रोक लो)......(अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ)............. (ननद की ट्रैनिंग compleet)..............( सियासत और साजिश)..........(सोलहवां सावन)...........(जोरू का गुलाम या जे के जी).........(मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन)........(कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास)........(काले जादू की दुनिया)....................(वो शाम कुछ अजीब थी)
Post Reply