दीदी मेरी रंडी बहना

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दीदी मेरी रंडी बहना

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दीदी मेरी रंडी बहना

यह कहानी मेरे एक दोस्त विक्रम के परिवार की है। मैं सीधे विक्रम की कहानी उसी की जुबानी पेश कर रहा हूँ।
‘रमा ओ रमा.. अरे भाई मेहमान आए या नहीं?’ मोहन चिल्लाते हुए बोलता है।
रमा गुस्से से चिल्लाते हुए बोली- क्यों चिल्ला रहे हो.. आ जाएंगे.. नहीं आए तो माँ चुदाएं अपनी.. आपकी गांड में क्यों जलन हो रही है।
दोस्तो.. इसके पहले आगे बढूँ.. मैं विक्रम, आपको अपने परिवार का विवरण दे देता हूँ।
रमा है 45 वर्षीया मेरी माँ.. जो कि बिल्कुल बेबाक हैं.. अपनी बातों में भी.. और चुदाई में भी।
मोहन हैं मेरे पिताजी.. जिनकी उम्र 50 वर्ष है।
इनके अलावा मेरी एक बहन भी है जो कि 24 साल की है और मैं विक्रम 22 वर्ष का हट्टा-कट्टा नौजवान हूँ।
जिन मेहमान के आने की बात पिताजी कर रहे हैं.. वो है मेरी बहन वर्षा के सास और ससुर और उसकी ननद।
मेरी बहन की सास का नाम सविता है और वो एकदम मस्त माल है.. उसकी उम्र 43 साल है, लेकिन वो अभी 30 साल की ही लगती है।
सविता का फिगर 38-30-40 का है। जब भी वो हमारे घर आती, तो मेरी नजर हमेशा उसके मम्मों पर और उसकी उठी हुई गांड पर ही रहती है।
कभी-कभी तो मैंने देखा है कि मेरे बाप की नजर भी हमेशा उसी का पीछा करती रहती है।
सविता की बेटी यानि कि मेरी बहन की ननद प्रिया एक 24 साल की शादीशुदा गरम माल है। प्रिया को उसके पति ने शादी के 2 साल बाद ही छोड़ दिया था।
प्रिया के बारे में मैं आपको बाद में बताऊंगा और रमेश सविता के पति, जिनकी उम्र 46 साल है.. लेकिन भरी जवानी में भी वो 60 साल के बूढ़े लगते हैं।
आखिर वो वक्त भी आ गया.. जब मेहमान आ गए।
मेरी माँ ने सभी को हॉल में बैठाया और हालचाल पूछे।
सविता ने कहा- बड़े दिन हो गए थे आप से मिले हुए, तो सोचा कि मिल कर आ जाएं। इसी बहाने प्रिया का भी मन बहल जाएगा।
मेरी माँ ने कहा- ये तो बड़ा अच्छा हुआ। अब आए हैं तो कुछ दिन यहाँ रह कर ही जाना।
इतने में खाना खाने का समय हो गया तो माँ ने बोला- चलो बातें तो बाद में भी होती रहेंगी, पहले सब खाना खा लो।
सभी लोग डाइनिंग टेबल पर आ गए।
माँ पिताजी के बगल में बैठी थीं, मैं माँ के बगल में.. और पिताजी के बगल में मेरी बहन, मेरी साइड में सविता आंटी थीं.. उनके बगल में रमेश अंकल और सबसे लास्ट में प्रिया थी।
सबने खाना खाना शुरू किया।
अभी 5 मिनट ही हुए होंगे कि मेरी माँ के हाथ से चम्मच छूट कर नीचे गिर गई। माँ उसको उठाने के लिए नीचे झुकीं.. तो देखा कि सविता आंटी अपने पति रमेश का लंड उसकी पैन्ट के ऊपर से ही सहला रही हैं और रमेश चुपचाप अपना खाना खा रहा है।
लेकिन उसके माथे पर शिकन की लकीरें साफ-साफ दिखाई दे रही थीं।
ये देख कर मेरी माँ जो कि बहुत ही कामुक स्त्री हैं.. उन्होंने भी अपने पति का लंड अपने हाथ में पकड़ लिया और जोर से दबा दिया। मैं ये सब चोरी-चोरी देख रहा था और चुपचाप अपना खाना खा रहा था।
जैसे-तैसे सभी ने अपना खाना खत्म किया और इसके बाद बारी आई सोने की।
तो माँ ने बोला- सविता जी आपका और रमेश जी का बिस्तर ऊपर वाले कमरे में लगा दिया है और प्रिया वर्षा के साथ ही सो जाएगी।
थोड़ी देर सभी ने बातें की, फिर सभी सोने चले गए।
रात में मुझे बहुत जोर से मुतास लगी तो मैं उठ कर बाथरूम की ओर जाने लगा। मैंने देखा कि पापा-मम्मी के कमरे से जोर-जोर से पलंग हिलने तथा और भी कई सारी आवाजें आ रही हैं, तो मैं गेट के पास ही खड़ा हो गया और सुनने लगा।
इसके साथ ही मैं ‘की-होल’ से अन्दर देखने की कोशिश करने लगा।
मैंने देखा कि माँ पापा के लंड के ऊपर तांडव कर रही हैं और जोर-जोर से चिल्ला रही हैं ‘आह मोहन डार्लिंग.. चोदो जोर-जोर से.. चोदो मुझे.. उई माँ.. क्या चोदते हो जानू.. तुम पचास के हो गए.. पर आज भी नए जवान छोकरे की तरह चोदते हो.. हाय राम आह.. आह आह.. आह सीइ.. सी..सी…सीइ हाँ जानू.. ऐसे ही.. आज तो मेरा बलमा बहुत जोश में है.. क्यों भोसड़ी के तेरी समधन जो आ गई है.. देखा मैंने.. कैसे तुम उसकी गांड को घूर रहे थे.. आह्ह..
मोहन- हाँ रंडी.. तेरी माँ को चोदूँ.. तू है ही ऐसी रांड.. कि बूढ़े के लंड में भी कसावट आ जाए.. जो तुझे देख ले तो.. और रही बात सविता की.. तो उस रांड को भी अपनी रानी बनाऊंगा और तुम दोनों रंडियों को इसी बिस्तर पर एक साथ चोदूँगा.. और आज तो तू डाइनिंग टेबल पर अपनी माँ क्यों चुदा रही थी?
रमा ने मोहन के लंड पर कूदते-कूदते कहा- आह.. साले बेटीचोद.. तेरी वो सविता रांड उस मरियल रमेश का लंड सहला रही थी.. तो मैं क्या करूँ जानू.. बस मुझे भी इच्छा हुई ऐसे मजे लेने की.. सो तुम्हारा मूसल पकड़ लिया था।
तभी मोहन जोर-जोर से शॉट मारने लगा और रमा, मेरी माँ भी अनाप-शनाप बकते हुए उसके लंड पर लैंड करने लगी।
पूरे कमरे से चुदाई के संगीत की आवाजें आने लगी।
थोड़ी देर बाद सब कुछ शांत हो गया।
इसके बाद मैं अपने कमरे में आ गया और सोने की कोशिश करने लगा, पर मुझे नींद कहाँ आने वाली थी।
मुझे बार-बार बस अपनी माँ और पिताजी की चुदाई वाली बात याद आ रही थी।
इसी को सोचते-सोचते अचानक मेरा हाथ मेरी चड्डी के अन्दर चला गया और मैं अपने काले भुजंग को सहलाने लगा।
मैंने अपने लंड को चड्डी से बाहर निकाल लिया और फिर उसके सोटे मारने लगा।
लंड हिलाते-हिलाते मेरे दिमाग में खयाल आया कि क्यों ना सविता रांड और उस मरियल रमेश के कमरे में भी जा कर चैक किया जाए और मैं इसी अवस्था में लंड को हाथ में पकड़े ऊपर सीढ़ियां चढ़ने लगा।
जैसे ही मैं सविता के कमरे के पास पहुँचा.. तो एकदम से चौंक गया।
मैंने सुना कि उसके कमरे से भी चुदाई की मधुर ध्वनि आ रही है।
इसको देख कर मेरी तो बल्ले-बल्ले हो गई।
मैंने सोचा वाह बेटा आज तो मजे आ गए.. एक दिन में दो-दो चुदाई देखने को मिल रही हैं।
ये ही सोचते सोचते मैं सविता के कमरे के गेट पर बने ‘की-होल’ से अन्दर झाँकने लगा।
अन्दर का नजारा झांटों में आग लगाने वाला था। अन्दर सविता अपनी 40 इंच की गांड उठाए अपने पति की टांगों के बीच में बैठी थी और रमेशजी के मुरझाए हुए लंड को जोर-जोर से हिला रही थी।
सविता- रमेश, आज तुम्हारे लंड को क्या हो गया.. कितना चूस रही हूँ, फिर भी ये साला खड़ा ही नहीं हो रहा है?
रमेश ने सिस्कारते हुए- आह उइ.. साली रंडी चूस रही है.. या खा रही है.. तेरी जैसी रांड मैंने आज तक नहीं देखी, अगर मैं या कोई और तेरी चूत में 24 घंटे लंड डाले रहूँ.. तो भी तू ‘और.. और..’ की डिमांड करेगी.. साली छिनाल कहीं की।
सविता- साले हरामी.. गांडू की औलाद तूने तो बचपन से मुठ मार-मार के अपने लौड़े को ढीला कर लिया.. और अब मुझे छिनाल बोल रहा है.. मादरचोद शादी से ले करके आज तक कभी संतुष्ट किया है तूने मुझे..
यह बोल कर सविता रमेश के लंड को पूरा अन्दर गले तक उतार गई।
‘सड़प सड़प आह्ह.. आह्ह..’ की आवाजें सविता के मुँह से आने लगी।
इतने में सविता ने अपनी मोटी रस से भरी गांड को और ऊपर उठा लिया और जोर-जोर से रमेश के लौड़े को चूसने लगी।
साथ ही सविता ने अपनी गांड पर से अपनी साड़ी को पूरा ऊपर उठा लिया।
उसकी नंगी मस्त गोरी गांड को देख के मेरे मुँह से भी एक ‘आह’ निकल गई।
क्या मस्त गांड थी यारों उसकी.. काश एक बार मारने को मिल जाए।
उसकी नंगी गांड को देख कर मैं भी मेरे लंड को जोर-जोर से सड़का मारने लगा।
मेरा लंड भी अपने पूरे उफान पर था।
तभी मुझे महसूस हुआ कि कोई मेरे पीछे खड़ा है और जैसे ही मैंने पलट कर देखा तो मेरी आँखें फटी की फटी रह गईं।
मेरे मुँह से बस ‘व्व्वर्षा..’ ये ही निकला तभी वर्षा ने एक जोरदार थप्पड़ मेरे गाल पर मारा और अपनी आँखें दिखाते हुए मेरा हाथ पकड़ कर मुझे घसीट कर नीचे मेरे कमरे में लेकर आ गई।
यारों मेरी तो गांड ही फट गई थी। मेरा दिमाग भी मेरे लंड की तरह ठंडा पड़ गया था और मैं भूल गया था कि मेरा लंड अभी भी बाहर लटक रहा है।
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वर्षा ने मेरे कमरे का दरवाजा बंद किया और मेरी और घूरते हुए बोली- क्या कर रहा था तू ऊपर? ज्यादा ही जोश चढ़ रहा है तुझे?
दोस्तो.. मैं आपको बता दूँ कि वर्षा मेरी बहन भी एक मस्त गर्म माल है.. उसकी हाइट 5.5 फीट है और फिगर 34-32-38 का है।
वो मेरी तरफ गुस्से से घूरते हुए बोली- बोल.. बोलता क्यों नहीं.. क्या कर रहा था ऊपर सासू माँ के कमरे के बाहर?
दोस्तो, वो गुस्सा तो हो रही थी.. पर उसकी नजर मेरे बाहर निकले लंड पर ही थी। वो बार-बार मेरे लंड की तरफ तिरछी निगाहों से देख रही थी।
लेकिन मेरी तो साँस ही अटक गई थी।
मैं बोला- दीदी मुझे माफ़ कर दो।
लेकिन जैसे ही मैंने मुँह खोला उसने दो चांटे और मार दिए। अब मेरी आँखों से आंसू टपकने लगे। लेकिन उसका गुस्सा शांत नहीं हुआ।
मैंने गाल सहलाते हुए बोला- दीदी आ लग रही है.. मुझे माफ़ कर दो.. अब से ऐसा नहीं करूँगा।
वो कुछ नहीं बोली.. बस मुझे घूरती रही।
मेरी तो गांड फट के हाथ में आ गई। मुझे लगा कि अगर इसने पापा-मम्मी को बता दिया.. तो मेरी माँ तो मेरी गांड ही फाड़ देगी। वैसे भी वो बहुत खतरनाक है।
मैं यह सब कुछ सोच ही रहा था कि इतने में वर्षा मेरे पास आई और मेरे गाल पर हाथ फिराने लगी।
अभी भी मैं सुबक रहा था। उसको ऐसा करते देख मैं और सहम गया और डर से काँपने लगा। मुझे लगा आज तो मेरी खैर नहीं.. तभी वर्षा ने कुछ ऐसा किया जिसकी मुझे उम्मीद भी नहीं थी। उसने मेरे मुरझाए लंड को अपने नरम-नरम हाथों में पकड़ लिया और दूसरे हाथ से मेरे गालों को सहलाने लगी।
यह देख कर मैं एकदम से चौंक गया।
तभी वर्षा ने बोला- सॉरी भाई.. मैंने तुझको मारा, तुझे बहुत दर्द हुआ न.. ले तू भी मुझे मार ले।
बोल के उसने मेरा हाथ पकड़ कर अपने एक बोबे पर रख दिया।
दोस्तो, एक पल को तो मुझे कुछ भी समझ नहीं आया कि यह हो क्या हो रहा है लेकिन अगले ही पल वर्षा मेरे सीने से लग गई।
वो मेरी और देखते हुए बोली- विक्की मेरे भाई.. तू वहाँ क्या कर रहा था?
तो मैं कुछ नहीं बोला.. तभी वर्षा ने जोर से मेरे लंड को मरोड़ा, तो मैं दर्द से बिलबिला उठा।
उसने फिर पूछा तो मैंने डरते-डरते बोला- वो मैं.. मुझे नींद नहीं आ रही थी.. तो मैं ऐसे ही घूम रहा था कि तभी ऊपर के कमरे से कुछ आवाज आई और मैंने वहाँ जा करके देखा तो.. वहाँ रमेश अंकल और सविता आंटी दोनों.. दोनों.. कुछ कर रहे थे।
यह बोल के मैंने अपनी नजरें फिर से नीचे कर लीं और चुप हो गया।
तभी वर्षा ने बोला- क्या कर रहे थे.. सही-सही बता, नहीं तो सुबह मम्मी को सब कुछ बता दूँगी।
बोल कर उसने मेरा लंड फिर से मरोड़ दिया।
मेरी रूह यह सुन कर और लंड के मरोड़ने से.. अन्दर तक काँप गई।
मैंने बोला- दीदी वो.. सविता आंटी और रमेश अंकल दोनों सेक्स कर रहे थे।
तो दीदी बोली- वो सेक्स कर रहे थे तो इसमें क्या बुरा है। वो दोनों पति-पत्नी हैं.. अगर वो सेक्स करते हैं.. तो करने दो!
मैं दीदी की ये बातें सुन कर समझ ही नहीं पा रहा था कि वो क्या चाहती है।
तभी दीदी ने मेरे लौड़े को धीरे-धीरे सहलाना चालू कर दिया।
मुझे डर भी लग रहा था और मजा भी आ रहा था।
कुछ समझ नहीं आ रहा था कि क्या करूँ।
मैंने दीदी का हाथ झटकते हुए उसको अपने से दूर कर दिया। ये देख कर दीदी ने मुझे मेरी कॉलर से पकड़ कर जोर से धक्का दिया और मुझे बिस्तर पर धकेल दिया और फुर्ती से मेरे ऊपर चढ़ कर बैठ गई।
मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि ये क्या हो रहा है।
तभी दीदी ने दो और थप्पड़ मेरे गाल पर मार दिए और बोली- कमीने एक तो गलती करता है.. और ऊपर से मुझे रोब झाड़ रहा है। तेरी माँ को चोदूँ भड़वे.. साले गांडू.. रुक तुझे अभी बताती हूँ।
वो मुझे ताबड़तोड़ थप्पड़ मारने लगी, मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था कि ये हो क्या रहा है।
मैंने उससे बोला- दीदी प्लीज मुझे छोड़ दो.. आप जो बोलोगी.. मैं वो करूँगा।
मैं उसके आगे हाथ जोड़ने लगा।
वो फिर मुझे घूरते हुए बोली- साले गांडू.. भेन्चोद बनेगा.. बोल रंडी की औलाद।
मैंने बोला- दीदी आप जो बोलोगी.. मैं वो करूँगा, प्लीज मुझे छोड़ दो और मम्मी को कुछ मत बताना।
तो दीदी बोली- एक शर्त पर तुझे छोड़ दूँगी.. अगर तू मेरी बात माने तो..
मैंने दीदी की आँखों में देखा तो उसकी आँखों में लाल-लाल डोरे नजर आए।
उसने कहा- मैं जैसा बोलूँ.. अगर तू वैसा करेगा, तो मैं तुझे कुछ नहीं बोलूंगी और माँ को भी कुछ नहीं बताऊँगी।
मैंने अपने हाथ जोड़ कर उसको कहा- हाँ जो तुम कहोगी.. मैं वैसा ही करूँगा.. प्लीज तुम माँ को कुछ मत कहना।
यह बोल कर मैं उठ कर बैठ गया।
अब दीदी मेरे सामने बैठी थी और मैं उसके सामने।
दीदी बस मुझे ही घूर रही थी, उसने कहा- चल अपने कपड़े निकाल..
और ये बोल कर उसने मुझे बिस्तर से नीचे धक्का दे दिया।
दीदी ने मुझे नीचे गिरा दिया और बोली- मैं जैसा बोलती हूँ वैसा करेगा.. तो मैं माँ को कुछ नहीं बताऊँगी।
अँधा क्या मांगे दो आँखें.. मैं तुरंत मान गया।
तब वर्षा ने मुझसे कहा- एक बात बता और सच-सच बताना कि जब तू मेरी सास के कमरे में झाँक रहा था.. तब तुझे कैसा लग रहा था।
तब मैंने देखा कि मेरी मासूम सी दिखने वाली बहन की आँखों में लाल-लाल डोरे तैर रहे हैं.. तो मैंने अपनी गर्दन नीचे करते हुए कहा- अगर मैं बता दूँगा तो वादा करो कि तुम माँ को कुछ नहीं बताओगी।
वर्षा ने बोला- प्रोमिस.. मैं माँ को कुछ नहीं बताऊँगी और अगर तू सच बोलता है तो मैं तुझको अपने ससुराल की एक ऐसी रस्म के बारे में बताऊँगी जिसको सुनके तुझे मजे आ जाएंगे.. और अगर मेरा मन हुआ तो तुझको कुछ और भी तोहफा दे दूँगी।
दोस्तो, यह बात सुन कर तो मेरे मन में हलचल होने लगी, मैंने सोचा चांस लिया जा सकता है।
तब मैंने मन ही मन बाबाजी के घंटे को याद किया और सोच लिया कि वर्षा को सब कुछ सच-सच बता दूँगा, क्या पता किस्मत थोड़ी मेहरबान हो जाए।
मैं बोला- जब मैं ऊपर सविता आंटी के कमरे के बाहर पहुँचा तो देखा कि आंटी जोर-जोर से रमेश अंकल का लिंग चूस रही हैं।
मैंने जानबूझ कर ‘लिंग’ बोला, ये देखने के लिए कि वर्षा इस पर कैसे रियेक्ट करती है।
वर्षा ने बोला- क्यों रे मादरचोद.. लंड बोलने में क्या तेरी गांड फट रही है साले भड़वे.. भोसड़ी के.. सुन मेरे सामने ज्यादा शरीफ बनने की कोशिश मत कर नहीं तो तेरा वो हाल करूँगी कि जिन्दगी भर मुझे याद रखेगा। अब से तू लिंग को लंड और योनि को चूत, बुर या फिर फुद्दी और सेक्स को चुदाई बोलेगा.. समझा।
मैंने उसकी लाल आँखों में देखते हुए बोला- ठीक है दीदी।
अब मैंने बताना शुरू किया कि कैसे सविता आंटी रमेश अंकल के लौड़े को चूस रही थीं और कैसे वो उसको चुदाई के लिए तैयार कर रही थीं।

मैंने बताया- सविता आंटी ने रमेश अंकल का पूरा लंड गले तक उतार रखा था और उसको जोर-जोर से सड़का मार रही थीं।
मैं ये सब अपनी आँखें जमीन में गड़ाए हुए बोल रहा था।
जब मैंने सब कुछ वर्षा को बता दिया तब, उसकी तरफ देखा तो जो मैंने देखा, उसको देख कर मेरी आँखें फटी की फटी रह गईं।
वर्षा अपने दोनों मम्मों को अपने एक हाथ से दबा रही थी और दूसरे हाथ से अपनी चूत को पजामे के ऊपर से सहला रही थी।
उसने अपने नीचे वाले होंठ को अपने दांतों में दबा रखा था।
क्या बताऊँ यारो.. उस वक्त वो कितनी कामुक लग रही थी, मेरा मन भी उसको देख कर मचलने लगा।
मैंने मन ही मन सोचा कि हे बाबाजी आज आपकी कृपा हो जाए.. तो इस बंजर धरती पर कुछ बूँदें बरस जाएंगी तो कितना अच्छा होगा। बाबाजी अगर ऐसा हो जाए तो मैं 69 बार आपका घंटा बजाऊँगा।
मैंने मन ही मन बाबाजी से ये प्रार्थना की और तभी मैंने देखा कि वर्षा अपनी उंगली से मुझे अपने पास आने का इशारा क़र रही है।
मैं उठकर उसके पास चला गया।
वर्षा ने बोला- मेरे शोना भाई.. चूत की रस्म निभाएगा?
एक पल को तो मैं हैरान रह गया कि ये चूत की रस्म क्या होती है।
तभी वर्षा ने एक जोर का थप्पड़ मेरे गाल पर मारा और मुझे बोला- भोसड़ी के मैंने तुझे कुछ बोला है और तूने अभी तक जवाब नहीं दिया।
मैंने उसको सॉरी बोला और बिना सोचे समझे बोल दिया- दीदी सारी रस्में निभाऊँगा.. आप जो भी बोलोगी मैं वो करूँगा।
तब दीदी ने मुझे बोला- चल.. तो फिर अपने सारे कपड़े उतार।
मैंने तुरंत ही दीदी की आज्ञा का पालन किया और अपने सारे कपड़े उतार फ़ेंके।
दीदी मेरी तरफ नजरें गड़ाए देख रही थी।
मेरे डर के मेरा काला भुजंग एक गिन्डोले (केंचुआ) जैसा दिख रहा था.. तो दीदी हँसते हुए बोली- तेरा टुनटुना तो बेजान पड़ा है.. क्या ये हमेशा ऐसा ही रहता है?
मैंने सोचा कि मौका अच्छा है.. दीदी हँसी मतलब फंसी।
मैंने मौके पर चौका मारते हुए बोला- नहीं दीदी ये बेचारा अपने शिकार के सामने आने पर ही अपना असली रूप दिखाता है।
ये बोल कर मैं भी हँसने लगा। मेरे साथ ही दीदी भी मुस्कुरा दी।
मैंने धीरे से दीदी से पूछ लिया- दीदी अब बताओ ना.. कि ये चूत रस्म क्या होती है और आपको इसके बारे में कैसे पता चला।
तब दीदी मुस्कुराई और मेरे और देखने लगी।
दीदी बोली- बड़ी जल्दी है तुझे जानने की।
मैंने बोला- दीदी आपने ही तो बोला था कि अगर मैं सब कुछ सच-सच बता दूँगा तो आप मुझे चूत रस्म के बारे में बताओगी।
अब दीदी हँसने लगी और मेरी तरफ देख कर बोली- हाँ मैं बताऊँगी, पर उससे पहले तू मुझे कुछ करके दिखा।
मैंने बोला- दीदी आप जो बोलोगी.. मैं वो करूँगा।
दीदी ने बोला- चल पहले तो वो कर, जो मैं तुझे बोलती हूँ।
मैंने दीदी की आँखों में देखा तो उसकी आँखों में एक शरारत थी।
तभी वर्षा दीदी ने बोला- तू मेरे सामने अपने लंड की मुठ मार.. और हाँ तू मेरे नाम की मुठ मारेगा.. ऐसा सोच के कि मुझे चोद रहा है।
मैं दीवार के सहारे बैठ गया और अपनी दोनों टांगों को चौड़ा कर लिया।
मैंने मन ही मन बाबाजी के घंटे को याद किया और सोचा कि अब जो होगा वो देखा जाएगा।
अब मैं अपने सीधे हाथ में अपना लवड़ा पकड़ कर उसको ऊपर से नीचे हिलाने लगा।
वर्षा बोली- रुक बहनचोद.. ऐसे ठंडा-ठंडा क्या कर रहा है बे.. सुन रे भड़वे तू जो भी करे.. उसमें मुझे भी मजा आना चाहिए.. समझा.. अब रुक और जैसा मैं बोलूँ वैसा कर!
मैं दीदी की तरफ देखने लगा।
वर्षा बोली- चल पहले तू अपने लौड़े पर थूक..
मैंने बहुत सा थूक अपने लौड़े पर चुपड़ लिया।
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Re: दीदी मेरी रंडी बहना

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अब वर्षा ने बोला- अब मुँह से सिसकारी निकाल और अपने लंड को हिला।
मैं वैसा ही करने लगा- आह आह.. ऊह्ह.. हाय राम..
तब वर्षा ने कहा- मेरे नाम की मुठ मार!
तो दोस्तो, मैं अपने लौड़े को जोर-जोर से मुठ मारते हुए बोला- आह वर्षा रानी साली क्या फिगर है तेरा.. भेन की लवड़ी.. एक बार मुझसे भी चुदवा ले रंडी.. कसम बाबाजी के घंटे की मेरी रानी ऐसा चोदूँगा कि तू अपने पति को भूल जाएगी और मुझे ही अपना सैंया बना लेगी.. आह्ह.. साली कुतिया!
मैं यह बोलते-बोलते अपना लवड़ा भी हिला रहा था।
तभी वर्षा ने कहा- चल बे चूतिये, अब अपने उलटे हाथ की मिडल फिंगर को अपनी गांड में घुसेड़ और फिर गांड और लंड की मुठ मार!
उसके बोलने पर मैंने अपनी एक उंगली अपनी गांड में घुसेड़ ली।
‘उईइम्ममाआअ आह..’ जैसे ही उंगली गांड में घुसी.. मैं एकदम से गनगना गया, मेरे पूरे शरीर में सनसनी फ़ैल गई।
मैं ऐसे ही अपने लवड़े को सहलाते हुए अपनी गांड में उंगली करता रहा, मेरे मुँह से ‘आह उहह.. ऊह्ह..’ की आवाज निकलती रही।
यह सब देख के वर्षा को बहुत मजा आ रहा था और वो जोर-जोर से अपने मम्मों को भींचे जा रही थी.. और एक हाथ से अपनी चूत को भी सहला रही थी।
अचानक से उसने हुक्म दिया- चल.. अब मेरे सारे कपड़े उतार..
दोस्तो, यह बात सुन कर तो मुझे मजा आ गया, मैंने मन ही मन बाबाजी को याद किया और सोचा कि वाह.. बाबाजी आज तो आपके आशीर्वाद से मुझे सब कुछ मिल जाएगा।
मैंने सबसे पहले वर्षा का टॉप उतारा।
बहन का जिस्म.. आह्ह.. साली एकदम से माल है।
उसके गोरे बदन को देख के तो मेरा लौड़ा और भी टाइट हो गया।
जैसे ही उसका टॉप उतरा.. तो उसके बोबे मुझे काली ब्रा में फंसे हुए दिखाई दिए।
ओह्ह्ह.. बाबाजी क्या बताऊँ आअह्ह्ह आअह्ह्ह.. कितना मस्त नजारा था। उसके खरबूजे के समान सफ़ेद-सफ़ेद बोबे देख कर मेरा तो दिल ही मचल गया।
फिर मैंने उसको थोड़ा ऊपर उठा करके उसका लोअर भी निकाल दिया।
‘आअह्ह्ह…’ साली की क्या मस्त-मस्त जांघें थीं।
मेरा दिल किया कि अभी चाट लूँ.. लेकिन फिर रुक गया।

अब मेरी बहन काली ब्रा और पैन्टी में मेरे सामने लेटी थी और मैं उसको देख-देख कर अपना लवड़ा हिला रहा था।
क्या सीन था बाबाजी ‘आह्ह.. आह्ह अह ओह्ह्हह्ह..’
मैं आखें फाड़ कर अधनंगी बहन की जवानी का मजा ले रहा था, मुझे लगने लगा था कि आज तो मैं जन्नत की सैर करने वाला था।
तभी वर्षा ने मेरी और देखते हुए अपनी ब्रा का हुक खोल दिया और एकदम से उसके देसी अनार बाहर को कूद पड़े।
आह.. क्या लौड़ातोड़ नजारा था।
मैं अपने छोटू को हिला रहा था और वो अपने बोबों को जोर-जोर से झटके देने लगी।
इससे उसके मस्त गोरे-गोरे बोबे ऊपर-नीचे आगे-पीछे दाएं-बाएं डिस्को डांस करने लगे।
मस्त सीन था बाबा जी.. मैं तो बस उसी को देखे जा रहा था।
तभी वर्षा ने बोला- क्यों बे.. हरामी साले.. मजे आ रहे कि नहीं।
मैंने बोला- हाँ दीदी.. बहुत मजे आ रहे हैं।
तब उसने बोला- और मजे करना चाहेगा?
तो मैं बोला- हाँआं..
उसने कहा- चल अब जल्दी-जल्दी अपना हाथ अपने लौड़े पर चला और मेरे सामने अपना पानी गिरा.. और एक हाथ से अपनी गांड भी मार.. भोसड़ी के..
अब मैंने और थूक अपने लौड़े पर लगाया और उसको एकदम चिकना बना लिया और अपनी उंगली को मुँह में डाल के गीला किया और अपनी गांड में अन्दर तक डाल दिया।
‘आअह्ह्ह.. आआह.. ह्ह्य्यय दीदी..दी..दी.. ये क्या कर दिया तुमने आह्ह्ह आआ.. अह्ह अह्ह्ह..’
मैं जोर-जोर से अपने लंड की चटनी बना रहा था और दूसरे हाथ की उंगली को अपनी गांड में ड्रिल कर रहा था।
‘आह वर्षा साली रंडी.. तेरी बुर को फाड़ दूँगा साली.. मेरे लौड़े को ले-ले एक बार आह्ह्ह.. आह्ह्ह्ह.. साली मस्त बोबे वाली मेरी रांड आज मेरे लंड पर बैठ जा.. साली कुतिया तेरी गांड भी मारूंगा.. साली कितनी मस्त है रे तू.. आज तो तूने मुझे जन्नत में पहुँचा दिया.. जब रियल में तेरी बुर चोदूँगा.. तब कितना मजा आएगा।’
ये बोल-बोल कर मैं जोर-जोर से अपना लंड हिलाने लगा और जोर-जोर से आवाजें निकालने लगा।
तभी वर्षा मेरे पास आई और अपना दांया चूचा मेरे मुँह में घुसेड़ दिया।
मैंने उसका चूचा अपने मुँह में भर लिया और उसे चूसते हुए मुँह से ‘आअह्ह्ह्ह.. गों गों.. गों.. आअह्ह्ह्ब..’ करते-करते इतने जोर से झड़ा कि मेरे वीर्य की पिचकारी उसके पेट पर जा कर पड़ी और कुछ जमीन पर गिरीं।
माल फेंकते हुए एकदम से मैंने अपनी आँखें बंद कर लीं और बस वर्षा के बोबों और उसके मस्त फिगर को ही याद करता गया।
अब वर्षा भी बहुत ज्यादा गर्म हो गई थी और उसने मुझे अपने सीने से लगा लिया।
मैंने अपना मुँह उसके दोनों देसी खरबूजों के बीच में फंसा लिया।
‘आह्ह आह क्या मस्त लग रहा था दोस्तों.. उसके नरम-नरम बोबे और उनके बीच में मेरा मुँह.. मैं अपनी जुबान को निकाल कर उसके दोनों बोबों के बीच की घाटी को चाटने लगा।
अब वर्षा भी बहुत ज्यादा गर्म हो गई थी। उसकी सांसें जोर-जोर से चलने लग गई थीं, तो मैंने सोचा कि लोहा गर्म है.. जल्दी से चोट मार देनी चाहिए।
मैंने अपना सीधा हाथ मैंने उसके बोबे पर रखा और उसको बड़े प्यार से हौले-हौले दबाने में लग गया। साथ ही मैं धीरे-धीरे वर्षा की पीठ सहलाने लगा।
वर्षा कुछ नहीं बोली।
अब मैं उसकी गर्दन पर अपनी उंगलियां फेरने लगा।
वर्षा बोली- आह साले हरामी.. भोसड़ी के क्या कर रहा है तू.. हाय राम अह..हय.. गुदगुदी हो रही है साले.. मादरचोद मुझे.. पक्का भेन्चोद है रे तू तो।
मैं- वर्षा जानू.. तेरा तो पूरा बदन ही गुदगुदाने का मन करता है.. एक पप्पी दे दे यार प्लीज.. हाय तुम्हारा ये बदन संगमरमर के जैसा है. तुम इतनी सेक्सी हो कि कोई भी तुम्हें देख कर दीवाना हो जाए।
मैं उसकी पीठ सहला रहा था.. उसके रेशम जैसे बाल उसकी चेहरे और छाती को ढके हुए थे। मैंने उसकी जुल्फों को चेहरे से हटाया और उसके होंठों पर किस करने लगा।
फिर मैंने दोनों हाथ उसकी चूचियों पर रख दिए और उनको दबाने लगा। वर्षा के निप्पल तने हुए थे। मैंने एक-एक करके उसके निप्पलों को चूसना शुरू कर दिया।
मेरी बहन मस्त हो गई और मेरे लंड को पकड़ कर उसे आगे-पीछे करने लगी।
मैं बेड के किनारे पर खड़ा हो गया और अपना फनफनाता हुआ लंड उसके मुँह के पास ले जाकर मैंने उसके होंठों को छुआया।
जैसे ही मैंने ऐसा किया कि वर्षा ने जोर से मेरे लंड को अपने मुँह में भर लिया। वर्षा मेरे लंड के सुपाड़े को अपने नाज़ुक होंठों पर फेरने लगी।
अब वर्षा जोर-जोर से मेरे लौड़े को चूसने लगी और मैं मस्ती से ‘आह आह.. आह्ह्हह्ह..’ कामुक सिसकारियां भरने लगा। क्या लौड़ा चूस रही थी वो.. एकदम पोर्न स्टार के जैसे।
फिर वर्षा ने मेरे लंड को अपने मुँह में पूरा अन्दर तक गले तक ले लिया।
क्या बताऊँ यारों.. वो क्या अनुभव था… मैं तो जैसे जन्नत में पहुँच गया था।
फिर कुछ मिनट तक मेरा लंड चूसने के बाद वो मेरे ऊपर बैठ गई और अपनी चूत मेरे मुँह के पास लाकर रख दी और अपने हाथों से मुझे इशारे करने लगी। उसकी चूत को चाटने से पहले मैंने उनकी चूत को सूंघकर मज़े लिए.. क्या खुशबू थी यार!
फिर मैंने अपनी जीभ को धीरे से उसकी चूत पर लगाया.. मेरे जीभ लगाते ही वर्षा उछल पड़ी। मैंने भी उसके पैर पकड़ लिए और उसकी चूत चाटने लगा.. वो तो जैसे पागल ही हो गई और सीत्कार करने लगी ‘आईसस्स्… आअह्ह.. आआह्ह्.. आह आह.. ऊहह..’
वो जोर-जोर से मुझे गालियाँ देने लगी।
वर्षा- आह भोसड़ी के मेरे हरामखोर भाई.. वाह क्या चूत चूसता है रे तू.. आह मजा आ गया.. और भर.. अन्दर तक.. खा जा अपनी बहन की चूत को.. साले भड़वे.. बहनचोद.. आह्ह..
फिर कुछ मिनट अपनी चूत चटवाने के बाद वो मेरे ऊपर से उठी और सीधी लेट गई।
उसने मुझसे कहा- मेरे राजा.. तू तो पक्का खिलाड़ी निकला रे.. वाह क्या चूत चाटी है तूने.. आह मजा आ गया।
वो धीरे-धीरे मेरे गालों को सहलाने लगी, मैं चुपचाप लेटा रहा और मज़ा लेने लगा।
ये सब होने से मेरे लंड महाराज अपना प्री-कम का रस निकालने लगा।
दीदी ने धीरे से मेरे होंठों को चूमा और फिर मेरी जीभ को चूसने लगी.. तो मुझसे रहा नहीं गया।
अब मैं भी थोड़ा और खेलना चाहता था, तो मैंने अपनी तरफ से कुछ हलचल नहीं की।
फिर मैंने थोड़ी देर बाद अपनी जीभ से ठेलते हुए वर्षा के चूचों को भी दबाने लगा और धीरे-धीरे उस रंडी के मम्मे टाईट होने लगे। उसके निप्पल भी अंगूर के दाने की तरह फूलने लगे और मैं चाहता था कि उनको ज़ोर से मसलूँ.. पर दीदी के डर के कारण कुछ नहीं कर पाया।
दीदी बोली- सुन बे भेन्चोद.. आज से तू मेरा गुलाम है.. मैं जो बोलूँगी, वो तुझे करना पड़ेगा.. अब सुन भेन्चोद.. मुझे क्या-क्या पसंद है।
‘सुनाओ दीदी?’
वो बोली- मुझे चुदाई करते समय गालियां बहुत पसंद हैं तो तुम भी गाली देकर चुदाई करोगे और आज के बाद तू मेरा दूसरा सैंया बनकर रहेगा।
मैंने कहा- मुझे मंजूर है बहनचोद साली रांड साली.. दो टके की बाजारू रंडी.. तेरी मस्त चुदाई करूँगा।
वो बहुत खुश हो गई, उसने मुझे अपनी गोद में खींच लिया और बोली- हाँ साले भेन्चोद ऐसे ही बोलना।
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Re: दीदी मेरी रंडी बहना

Post by rajaarkey »

मेरी बहन मुझसे चुदने के लिए तैयार थी साथ ही वो मुझे बता रही थी कि उसको चुदाई के दौरान गालियां सुनना पसंद है।
अब मैं खड़ा हो गया, पहले तो मैंने बोला- साली छिनाल आज से तू मेरी रंडी.. तू मेरी अब बीवी है.. बहन की चूत… साली शरमा क्यों रही है.. अभी तो मैं तेरी चूत पिऊंगा और गांड में लंड भी डालूँगा.. और तेरी माँ को भी चोदूँगा साली कुतिया।
यह सुन कर वर्षा बहुत खुश हुई।
फिर मैंने कहा- साली कोठे की रंडी.. वर्षा रांड.. चल चूत पसार दे।
उसने चूत खोल दी और मैं उसकी चूत को गौर से देखने लगा।
वर्षा ने मेरा मुँह अपनी चूत पर रख दिया और मैंने जीभ धीरे-धीरे उसकी चूत के अन्दर पेल दी।
वो पागलों की तरह आगे-पीछे होने लगी और फिर उसको पेशाब आने लगा।
फिर उसने कहा- भोसड़ी के.. मेरा पेशाब निकल रहा है.. क्या तू पियेगा?
तो मैं ख़ुशी से बोला- कुतिया.. आज तो में तेरा कुछ भी पी लूँगा।
मैंने औंधे लेटते हुए अपने दोनों पैर फैलाकर अपना मुँह अपनी बहन की चूत पर लगा लिया और वर्षा रांड ज़ोर से पेशाब करने लगी।
‘सुर्र..’
मैं उसका पेशाब पीकर खुश हो गया और साथ में वो भी खुश हो गई।
वो बोली- आज तुमने मुझे खुश कर दिया.. बोल क्या चाहिए?
मैंने कहा- अभी तो तुझे मेरा लंड लेना बाकी है जान..
वर्षा ने कहा- तू जल्दी से मेरी चूत को चाट कर गर्म कर दे… तेरा लंड मैं चूस कर तैयार करती हूँ।
मैं जल्दी से वर्षा की चूत की तरफ़ मुँह करके लेट गया और अपने लंड को उसके मुँह के पास ले आया।
वो जल्दी से मेरा लंड मुँह में भर कर चूसने लगी।
भाई अपन भी चटाक-चटाक क़रके उसकी बुर को चटखारे के साथ चूस रहे थे।
क्या स्वाद था… नमकीन एकदम मस्त वाला।
मैं बहुत चाव से उसकी छोटी सी बुर को चूस रहा था और अब वो ‘आह आह’ करने लगी थी। उसकी बुर से बहुत ढेर सारा रस बाहर निकल पड़ा.. जिसे मैं चूस कर चाट गया।
जब उसकी बुर पूरी तरह से चिकनी हो गई.. तब उसमें मैंने अपनी एक उंगली घुसेड़ दी, वो कराह उठी- आआआह जानू.. क्या कर रहे हो बहुत दर्द हो रहा है।
मैंने कहा- मेरी रानी अभी बहुत अच्छा लगेगा तुम्हें.. जरा बर्दाश्त करो।
फ़िर मैंने दो उंगलियां एक साथ उसकी बुर में डाल दीं और आगे-पीछे करने लगा।
मेरा लंड जल्दी ही खड़ा हो कर तन गया, तभी मैंने अपना पूरा लंड दीदी की चूत में जोरदार धक्के के साथ घुसेड़ दिया।

वर्षा रंडी चिल्ला पड़ी- आयईईई.. इस्सस्सस.. मम्मी.. मार डालाआ.. ओ भईया बहुत दर्द हो रहा है.. साले माँ के लवड़े.. ज़रा भी तरस नहीं खाया तूने.. अपनी बहन पर.. आह्ह.. पूरा जल्लाद बन गया.. चोदते वक्त कहीं इतनी जोर से भी धक्का मारा जाता है मादरचोद?
अब मैं उसके निप्पल को दांत से दबाते हुए बहुत ही आराम से धक्के मारने लगा।
वो ‘ऊऊओफ़्फ़.. उफ़्फ़..’ कर रही थी और अब इस तरह दर्शा रही थी कि मुझे बहुत मस्ती मिल रही है।
‘आअहाआ भाई.. बहुत मज़ा आ रहा है.. थोड़ा और जोर से धक्का मारो ना.. प्लीज़्ज़.. तुम्हें अपनी बहन की चूत की कसम है.. आज मेरी चूत में अपनी सारी ताकत झोंक देना.. ज़रा भी तरस ना खाना.. साली बहुत कुलबुलाती रहती है।’
फ़िर तो मैंने धक्कों की झड़ी लगा दी।
फ़चाफ़च.. की आवाज़ निकल रही थी और दीदी भी अपने चूतड़ को उछाल रही थी, वो बहुत जोर-जोर से चिल्लाने लगी, उसको चुदवाते हुए बहुत देर हो गई थी।
वो सिसकारी पर सिसकारी ले रही थी- आह्ह्हह.. आअह्ह्ह.. ओह्ह्ह.. आहा मेरे राजा मेरे बलमा.. मेरी चूत के राजा.. हाय राम.. दैया रे क्या चोदू मास्टर निकला रे.. मेरा भाई.. ओह्ह्ह्ह रामजी ऐसी ही ठुकाई चाहिए थी मुझे.. आह्ह.. ओहो मजा आ ग्याआअ गया रे.. आआआआअ..
मैं उसकी आहों से मस्त होकर और तेज तेज चोदने लगा। कुछ ही पल और चुदाई हुई और अब वर्षा जोर-जोर से चिल्लाने लगी- मेरे चोदूँ बलमा.. मैं आने वाली हूँ.. आह्ह्ह्ह आअ..
मुझे भी पूरे शरीर में झुरझुरी हुई और मैं भी बोला- आअह्ह्ह मेरी रंडी ले मेरी मलाई भरवा ले अपनी चूत में.. आहह..
इस तरह चिल्लाते हुए हम दोनों एक साथ झड़ गए।
दोस्तो, क्या बताऊँ कितना मजा आया बहन की चूत चोदने में!
झड़ने के बाद मैंने दीदी से पूछा- दीदी मेरी रंडी बहना.. अब तो खुश हो ना।
वर्षा बोली- हाँ रे मेरे चोदू भाई.. मेरी चूत के मालिक.. मैं बहुत खुश हूँ।
मैंने पूछा- तो अब तो बता दो कि ये चूत रस्म क्या है?
वर्षा बोली- अच्छा ठीक है तो सुन.. आज से दो साल पहले जब मेरी शादी हुई.. और पहली बार जब मैं अपने ससुराल गई। तब जाने के दो दिन बाद ही मैंने अपनी सासू माँ को अपने ससुर से बात करते हुए जो सुना वो तू अब सीधे सुन।
ससुर- वर्षा तो अब अपने घर की सदस्य बन गई है.. हम उसको अपने परिवार की इस अनोखी रस्म को उसको बता सकते हैं। वो भी राहुल (वर्षा का पति) से बहुत प्यार करती है। मुझे पूरा विश्वास है कि वो इस रस्म को बहुत ही अच्छे से निभाएगी। मैंने रात में सुना है कि कैसे वो राहुल से चुदवाती है।
सास- हाय हाय जानू.. वो बिल्कुल मेरे जैसे चुदवाती है। जैसे मैं तुमसे चुदवाती हूँ.. वैसे ही वो भी पूरे मजे ले के चुदवाती है। पूरी चुद्दकड़ रांड है मेरी बहू।
तभी मेरा ससुर रमेश बोला- ऐसा है तो हमको भी कभी उसका रस चखाओ जानेमन।
सास सविता बोली- वाह रे मेरे मरियल घोड़े.. पहले अपनी इस चुदक्कड़ सविता रांड की बुर तो पेल ले।
बस फिर वो दोनों चुदाई में लीन हो गए।
दोस्तो, दीदी सुना रही थीं और मुझे दीदी की इस अनोखी रस्म के बारे में सुनते हुए बड़ा मजा आ रहा था।
मैंने कहा- दीदी और आगे बताओ ना।
तो दीदी ने आगे बताना शुरु किया:
मैंने अपने पति को अपनी सास और ससुर की सारी बातें बताईं और उनसे पूछा कि राहुल, मम्मी जी कौन सी रस्म की बात कर रही थीं।
तो राहुल बोले- अच्छा तो तुमको भी हमारे घर की रस्म के बारे में पता चल गया।
तब मैंने बोला- हाँ।
राहुल मेरा एक बोबा जोर से मसकते हुए बोले- अरे मेरी रानी जब तुझको पता चल ही गया.. तो ठीक ही हुआ।
यह बोल कर वो मेरा दाहिना बोबा चूसने लग गए।
‘आआह्ह्ह्ह आह्ह.. आह आह्ह उइ माँ हाय रामजी अह्हा आहा जानू बाबू.. क्या मस्त चूसते हो मेरे राजा आह.. खा जाओगे क्या इसको.. मेरे राजा।’
‘हाँ मेरी रंडी.. तेरे मस्त तरबूज मुझे बहुत टेस्टी लगते हैं बेबी.. मेरी रांड.. आ जा, ले तू भी चूस मेरा लौड़ा।’
और फिर मैं तेरे जीजाजी का खड़ा लंड जोर-जोर से चूसने लगी। वो भी और मैं भी दोनों सिसकारी भरने लगे।
मेरी दीदी की यह मस्त कहानी सुन कर मैं भी गर्म होने लगा और धीरे-धीरे दीदी की चूत और एक बोबे को सहलाने लगा। साथ ही साथ दीदी भी मेरे लवड़े को मसलने लगी।
फिर मैंने अपनी मिडल फिंगर को दीदी की लपलपाती चूत में उंगली को डाल दिया, तो दीदी के मुँह से ‘आह्ह्ह.. आईईई..’ की आवाज निकल गई।
मैं कुछ देर तक लगातार अपनी उंगली को अन्दर-बाहर करता रहा और कुछ देर के बाद दीदी ने जोश में आकर मेरा सर पकड़ कर अपनी चूत की तरफ़ किया, जिसकी वजह से मैं अब मेरी दीदी की चूत को चाटने चूसने लगा था और दीदी ज़ोर-ज़ोर से चिल्लाती हुई लगातार सिसकारियाँ लेती रही।
दोस्तो, करीब दस मिनट के बाद दीदी मचलती हुई मुझसे कहने लगी- प्लीज आह.. आअह्ह कुछ करो.. उफ्फ्फ मैं अब और ज्यादा नहीं सह सकती.. स्स्सीईईई प्लीज थोड़ा सा जल्दी करो और मुझे शांत कर दो आह्ह्ह..
मैं भी पूरा कमीना था, मैंने बोला- दीदी इतनी भी जल्दी क्या है.. पहले ये तो बताओ कि फिर जीजाजी ने क्या किया?
वर्षा बोली- फिर तेरे जीजाजी मेरे घाघरे को ऊपर उठा करके, नीचे से उसके अन्दर घुस गए और मेरी मुनिया रानी को लगे चूसने.. लगे चूसने..
तभी मैं भी दीदी की बुर को मुँह से जोर-जोर से चूसने लगा और दीदी ‘आह्ह्ह्ह आहा दैया रे.. जा..जानू.. मैं तब भी ऐसे ही आवाजें कर रही थी.. चूस भोसड़ी के.. चूस मेरी चूत..’
मैं भी अब जोश में आ गया, मैंने उसको बिस्तर पर पटका और उसके ऊपर आकर उसके होंठों को पागलों की तरह चूमना चालू कर दिया।
वो भी मुझे बेताबी से चूम रही थी, ऐसा लग रहा था कि वो भी किस करते-करते मेरे मुँह में ही घुस जाएगी।
कुछ पलों बाद वर्षा मेरी जाँघों पर बैठ गई।
वर्षा के मम्मों को अपने सामने लाइव देख कर मैं तो पागल सा हो गया था.. क्योंकि मुझे उसके 34 साइज़ के बोबे बहुत ही ज्यादा आकर्षित करते हैं।
मैंने उन्हें जोर-जोर से दबाना चालू कर दिया.. उसके चूचे बहुत ज्यादा सॉफ्ट थे.. एकदम मुलायम रुई के गोले वाउ.. मेरा मन कर रहा था कि सारी रात उन्हें ही दबाता रहूँ।
मैंने वर्षा से बोला- वर्षा मेरी रांड.. बता न.. कैसे मेरे जीजा ने तेरी चूत का भोसड़ा बनाया।
वर्षा ने मेरे लंड पर पहले हाथ फेरा और हाथ फेरते हुए अपना मुँह मेरे लंड के सुपारे पर लगा दिया और फिर किसी कुल्फी की तरह चूसना चालू कर दिया।
उसके चूसने के ढंग से मैं और ज्यादा गर्म होता जा रहा था। उसने धीरे-धीरे मेरे पूरे लंड को अपने थूक से गीला कर दिया था।
हम दोनों पूरे नंगे थे और वो बिस्तर पर मेरे सामने डॉगी स्टाइल में आ गई।
मैंने अपना लंड इस बार उसकी गांड पर सैट किया और पहला धक्का लगाया।
वो वर्जिन तो नहीं थी.. पर फिर भी उसकी गांड काफी टाइट थी इसलिए पहला धक्के में मेरा थोड़ा सा ही लंड उसकी गांड में गया।
मैंने फिर से एक ज़ोरदार झटका मारा और आधा लंड उसकी गांड में घुस गया और वर्षा के मुँह से ज़ोरदार चीख निकली ‘आह्ह..ह्ह्ह..’
मैंने अपनी बहन की गांड मारना शुरू कर दिया था। वो मदमस्त होकर अपनी पति से हुई चुदाई का किस्सा सुना रही थी
शायद उससे बहुत दर्द हो रहा था.. लेकिन मुझमें मानो एक जानवर आ गया था। मैंने उसकी गांड में अपना लंड तेज़ी से पेलना चालू कर दिया।
कुछ देर बाद उसका दर्द कम हुआ.. तो वो भी पूरा साथ देते हुए अपनी कमर उचका-उचका कर मेरे लंड को और अन्दर गहराई तक लेने की कोशिश कर रही थी।
पूरे रूम में ‘पचकछह.. फपचच..’ जैसी आवाजें आ रही थीं, लेकिन हम दोनों ने अपनी आवाज़ पर कण्ट्रोल रखा.. क्योंकि साथ वाले कमरे में मम्मी-पापा सो रहे थे।
हम धीमी आवाज में मस्ती कर रहे थे ताकि उन तक आवाज़ न चली जाए।
‘आगे बताती जाओ मेरी जान.. फिर क्या हुआ?’
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Re: दीदी मेरी रंडी बहना

Post by rajaarkey »

वर्षा ने बताना चालू किया- सबसे पहले राहुल ने मेरी चूत को चाट-चाट कर चिकना कर दिया। हाय राम क्या चूत चाटते हैं तेरे जीजाजी.. मजा आ जाता है। बड़ी देर तक वो मेरे घाघरे में घुसे रहे और मेरी चूत को चाटते रहे.. फिर एकदम से मेरे पीछे आ कर मेरी गांड पर अपनी जुबान रख दी.. आअह्ह्ह्ह.. मैं एकदम से सिहर गई और फिर गांड को भी मजे ले कर चाटते रहे।
वर्षा की गांड चटाई सुन कर मेरा लौड़ा तो और तोप की तरह खड़ा हो गया और अब तो मैं अपने गोटे भी उसकी गांड में घुसाने की कोशिश करने लगा।
वर्षा को भी मजा आ रहा था, वो भी मजे से चिल्लाने लगी- आह्ह.. आह्ह.. आहा हह्ह्ह्ह सीईईई उईईइ माँ आह्ह्ह भर दे रे मादरचोद आह.. और जोर से गांड मार अपनी रंडी बहन की।
फिर वो गांड मराने का मजा लेते-लेते बोली- आह फिर तेरे जीजा ने बिल्कुल ऐसे ही.. जैसे कि तू मेरी गांड की धुनाई कर रहा है.. ऐसे ही सटाक से अपना गरम लंड मेरी गांड में उतार दिया.. आअह.. मैं तो एकदम से अधमरी हो गई थी। फिर वो लगे पेलने अपना सोटा.. लगे पेलने.. और तेरी रंडी बहन चिल्लाने लगी.. आह्ह्हह आह्ह उइ माँ.. मारो मेरे राजा बाबू जोर से मारो मेरी गंडिया को.. मैं ऐसे बड़बड़ाने लगी।
‘फिर..?’
‘काफी देर तक मेरी गांड की कुटाई करने के बाद वो आगे आए और मुझे गोदी में उठा लिया। मैंने अपने दोनों हाथ उनके गले में लपेटे और नीचे उन्होंने मेरी चूत में अपना कड़क लंड सटाक से उतार दिया। मेरी तो जान ही गले में आ गई। ऐसा लगा कि वो अपना लंड मेरे गले तक ला रहे थे।’
‘सच में दीदी..’
‘आह्ह्ह भाई.. क्या मजा आ रहा था क्या बताऊँ.. फिर वो ऐसे ही मुझे झुला-झुला कर धक्के पर धक्के मारने लगे.. और फिर उन्होंने जो बताया वो सुन के तो चुदने का मजा ही आ गया।’
‘क्या कहा दी जीजा ने?’
राहुल मुझसे बोले- तो जानू सुनो हमारे परिवार में एक रस्म.. जो कि मेरे बाप दादाओं से ही चली आ रही है। वो है चूत रस्म..’
मैं पूछने लगी- आअह्ह आह्ह.. आअह्ह्ह्ह जानू.. और रस्मों के बारे में तो मैंने सुना है.. पर ये चूत रस्म.. ये क्या है? तो राहुल बोले कि मेरी रानी क्यों घबरा रही है.. रुक बताता हूँ सब.. पहले धक्के तो मार लूँ। ये बोल कर राहुल ने ताबड़तोड़.. कमरतोड़ धक्के मारना चालू कर दिए। साथ में मैं भी ‘आअह्ह्ह्ह्ह.. आह्ह.. मर गई रे गधे का लंड है रे तेरा तो.. मैं तो जन्नत में हूँ जान.. हाँआं ठोको ऐसे ही आह..
‘फिर दीदी..?’
‘ऐसे ही ठोकते हुए राहुल ने फिर बताना शुरू किया कि वर्षा रानी सुनो.. हमारे घर में जब भी कोई नई औरत आती है.. तो वो रोज रात को खाना खाने के बाद डाइनिंग टेबल पर अपना घाघरा उठा कर लेट जाती है।
फिर उसकी सास सबसे पहले उसके पास आती है और उसकी पैन्टी को अपने दाँतों से निकाल देती है।
फिर वो अपना मुँह उसकी चूत में घुसा कर जो चूसना शुरू करती है.. तो समझो उसका पानी निकाल कर ही दम लेती है। फिर लड़की का ससुर आता है और अपना लंड निकाल कर उसकी चूत पर घिसना शुरू करता है और वो तब तक घिसता रहता.. जब तक कि वो झड़ नहीं जाता।
ऐसा करवाते हुए नई बहू बिल्कुल पागल हो जाती है और वो मुँह से जोर-जोर की चुदास भरी आवाजें निकालना शुरू कर देती है।
फिर ऐसे ही घर की सारी औरतें एक-एक करके उसकी चूत को चाट-चाट कर उसको एकदम पनिया देती हैं।
घर के सभी मर्द अपना लौड़ा घिस-घिस कर उसमें चुदाई की आग को इतना भड़का देते हैं कि वो बिल्कुल पागल हो जाती है।
अगर ऐसी हालात में कोई गधा या घोड़ा या गाजर मूली जो भी उसको मिल जाए वो उसी को अपनी चूत में घुसेड़ना चाहती है।
फिर सबसे आखिरी में उसके पति का नंबर आता है।
वो जैसे ही उसके पास आता है.. वैसे ही वो उचक कर अपने पति के लंड को सबके सामने ही अपनी भोसड़ी में घुसवा लेती है और फिर चुदाई का ऐसा गरम माहौल पैदा होता है कि उसको देख-देख कर ही बाकी के लोग अपने आप ही झड़ जाएं।
ये सब सुनाते-सुनाते वर्षा इतनी गरम हो गई कि वो मेरे ऊपर आकर मेरे लंड को सीधा अपनी फुद्दी में लेना चाहती थी। इसलिए मैं अब बिस्तर पर पीठ के बल लेट गया।
वर्षा उठी और मेरे सीधे कड़क लंड के ऊपर आई और अपने कोमल हाथों से उसे पकड़ कर फुद्दी पर सैट किया। फिर एकदम से वो उस पर बैठ गई और मेरा पूरा का पूरा लंड उसकी फुद्दी में एक बार में ही चला गया।
एक बार में अन्दर जाने के वजह से वर्षा को बहुत मज़ा आया और मुझे भी। वो अब धीरे-धीरे ‘अह्ह्ह.. अह्ह्ह्ह.. अह्ह्ह्हह…’ कर रही थी। उसकी आवाजें मुझमें और जोश भर रही थीं।
मैंने उसके मुँह पर हाथ रखा और नीचे से कमर उचका-उचका कर उसकी फुद्दी में अपना लंड जोर-जोर से पेलना चालू कर दिया।
चुदते-चुदते वर्षा ने बोला- तू सोच रहा होगा कि आखिर ऐसा क्यों है।
‘हाँ.. ऐसा क्यों है?’
वर्षा बोली- उस समय मेरे मन में भी ये ही बात आई। तो राहुल ने मेरा चेहरा पढ़ लिया और बोला कि जान तुम सोच रही होगी कि आखिर ऐसा क्यों तो.. मैं बता दूँ कि ऐसा इसलिए, ताकि हमारे घर में सभी लोग हमेशा साथ रहें.. किसी से कुछ भी नहीं छुपा रहे। कभी कोई एक पार्टनर न हो तो दूसरा घर का सदस्य उसको तृप्त कर सके। ताकि वो कहीं और मुँह नहीं मारे। घर में हमेशा ख़ुशी रहे.. और घर की इज्जत घर में ही रहे।
ये सुन कर मेरी आँखों में भी चमक आ गई- अरे वाह दीदी.. ये तो सही बात है.. फिर?
‘फिर राहुल के धक्कों की स्पीड राजधानी के जैसे हो गई और उन्होंने ने लास्ट के कुछ धक्के तो ऐसे मारे कि मेरी चूत इतनी लपलपाई कि उनका सुपारा पूरा छिल गया और आखिर में हम दोनों ‘आआहा.. ओह्ह..’ करते हुए एक साथ झड़ गए।’
ये सुन कर मुझे भी जोश आ गया और फिर कुछ देर ऐसे ही चोदने के बाद हम ने पोजीशन चेंज की और वो मेरे बगल में लेट गई।
अब उसकी पीठ मेरे सामने थी। मैंने अपना एक हाथ उसके मम्मों पर रखा और अपने दूसरे हाथ से अपने लंड को उसकी फुद्दी के दरवाज़े पर सैट किया। फिर हल्का सा पुश किया.. इस बार मेरा लंड आसानी से अन्दर घुस गया।
मैं अब एक हाथ से वर्षा के मम्मों को जोर-जोर से दबा रहा था और दूसरी तरफ पीछे से चोद रहा था।
अब आपको कैसे इस मंजर की व्याख्या करूँ.. कि यह कितनी मदमस्त कर देने वाली चुदाई थी। बीच बीच में वर्षा मुड़-मुड़ कर मुझे किस भी कर लेती थी।
घमासान चुदाई के बाद वर्षा रांड झड़ गई और वो एक बेजान लाश की तरह साइड में लेटी रही और मैं धक्के मारता रहा। फिर मैंने उसे बिस्तर पर चित्त लेटने के लिए कहा और मैं उसके ऊपर आ गया।
मैंने अब फिर से अपना लंड उसकी गांड में सैट किया और धक्के मारने चालू कर दिए। मेरी छाती उसकी चूचियों को दबा रही थी। उसके बड़े-बड़े मम्मे मुझे उससे ढंग से चिपकने से रोक रहे थे.. लेकिन दूसरी तरफ मेरा लंड तेज़ी से उसकी चूत में अन्दर-बाहर हो रहा था।
अब मुझे भी लग रहा था कि मैं झड़ने वाला हूँ, तो मैंने और जोर-जोर से धक्के मारने चालू कर दिए।
मैंने वर्षा को बोला- यार मेरा छूटने वाला है।
तो वो एकदम से उठी और उसने मेरे लंड को अपने मुँह में ले लिया। उसने फिर से एक परिपक्व रंडी के जैसे कुल्फी की तरह लौड़े को चूसना चालू कर दिया।
उसकी जीभ मेरे लंड पर लगते ही मैंने अपना सारा वीर्य उसके मुँह में छोड़ दिया. और वो गटागट पी गई और मेरा लंड भी अच्छी तरह चाट कर साफ़ कर दिया।
फिर वो चटकारे लेते हुए बोली- तो मेरे चोदूँ बलमा को कैसी लगी ये अनोखी चूत रस्म।
मैंने भी उसके बोबों को मसकते हुए बोला- आअह्ह्ह्ह्ह मेरी रंडी बहना आआह्ह्ह.. मजा आ गया रे.. यार अगर ऐसा अपने घर में भी हो जाए तो कितना मजा आएगा.. सब साथ-साथ चुदाई करेंगे। यार जब भी मैं माँ को देखता हूँ तो साली के 38 इंच के मम्मे मेरा दिमाग ख़राब कर देते हैं।
वर्षा मंद-मंद मुस्कुराते हुए मेरे लौड़े को चूम कर बोली- देखो तो नवाबसाब को.. बहनचोद तो बन ही गए.. अब मादरचोद भी बनना चाहते हैं।
ये बोल कर उसने मेरा लौड़ा जोर से मरोड़ दिया।
मैं भी दर्द से कुलबुला उठा।

तब वर्षा ने एक अंगड़ाई भरी और बोली- सब्र कर मेरे राजा.. देखना अगली सुबह एक नई कहानी लेकर आएगी।
उसने अपनी एक आंख मारी और कमरे से बाहर निकल गई।
मैंने भी अपने आपको साफ किया और पूरे कमरे को भी ठीक किया, जिसमें कि जगह-जगह हमरे प्रेमालाप के अवशेष बचे थे.. उनको साफ किया और अपने बिस्तर पर लेटकर इस अनोखी चूत रस्म के बारे में सोचने लगा।
फिर कब मुझे नींद आ गई, पता ही नहीं चला। मैं एक नए चुदाई के सफ़र के सपने देखने लग गया।

end
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