अब बहुत हो गया चाची

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pongapandit
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अब बहुत हो गया चाची

Post by pongapandit »

अब बहुत हो गया चाची

दोस्तो एक और कहानी पोस्ट कर रहा हूँ जो आपको पसंद आएगी दोस्तो अगर आपको मेरी कहानियाँ पसंद आ रही है तो कृपया इन्हे फ़ेसबुक पर लाइक कीजिए
मेरी चाची का नाम रीना है जो शिमला के पहाड़ों में रहती है. उम्र लगभग 35 साल, रंग गोरा, होंट बड़े बड़े, आँखें डब्बे जैसी, स्तन बड़े आकार के, कूल्हे बड़े, बदन बहुत ज्यादा मोटा, एक दम गाँव की चिकनी गोरी मोटी ताजी कामुक सुडौल चमेली है मेरी चाची रीना. मेरे चाचा मुम्बई में धंधा करते हैं लेकिन चाची को यहीं गाँव में छोड़ा हुआ है.
चाची की एक छोटी लड़की है जिसका नाम रिंकी है उसकी उम्र अभी मात्र 8 साल ही है लेकिन मेरी गन्दी नजर अभी से उस पर है. चाची घर में सूट और नीचे पैजामा पहनती है, चाची ब्रा नही पहनती, यहाँ गाँव की पहाड़ियों में कोई औरत ब्रा नहीं पहनती है. ब्रा न पहनने के कारण चाची के मोटे निप्पल के दर्शन सूट के बाहर से ही हो जाते हैं.
गाँव की औरत होने के कारण चाची मांग में सिंदूर लगाती है, कानों में झुमके, गले में बहुत सारे काले धागे और मंगलसूत्र पहनती है, हाथ में चूड़ियाँ, पैरों में घुँगरू, पेट में चेन डाली होती है. इन सब आभूषणों से चाची एक शादी शुदा संस्कारी औरत लगती है.
मैं गर्मियों की छुटियाँ बिताने शिमला चाची के घर आया हुआ हूँ, यहाँ का सुहाना मौसम मुझे बहुत भाता है, दिल्ली के लड़के को शिमला का ठंडा मौसम अच्छा ही लगेगा.
चाची की उम्र 35 साल होने के कारण चाची के मोटे कसे हुए बदन के प्रति मेरा आकर्षण बना हुआ है. जब चाची घर का काम करती है तो मैं उसे काम करते हुए देखता हूँ, वो जब झुक कर झाड़ू लगाती है तो उसके गोरे विशालकाय मम्मे के दर्शन हो जाते हैं जिससे मेरा लण्ड खड़ा हो जाता है और पानी छोड़ने लगता है, जब वो पोछा लगाती है तो उसकी मोटी गांड देखकर मेरा मन डोलने लगता है, मन करता है अभी साली रांड को पकड़ कर गांड में लण्ड पेल दूँ, लेकिन रिश्ते का सम्मान करते हुए मैं रुक जाता हूँ.
रिंकी स्कूल गयी हुयी है, चाची और मैं घर में अकेले हैं, चाची दिन के लिए जमीन पर बैठकर चावल साफ कर रही है. चुन्नी न होने के कारण उसके 70 प्रतिशत बूब्स सूट से बाहर झाँक रहे हैं, और लगभग 10 प्रतिशत काले निप्पल भी दिख रहे हैं और मैं बिस्तर से ये सब नजारा देख कर पागल हो रहा हूँ. चाची और मेरी गप्पे चल रही हैं.
मैं- चाची मैं कुछ मदद करूँ क्या?
चाची- नहीं तू रहने दे, मैं साफ कर लुंगी.
मैं- चाची एक सवाल पूछूँ?
चाची- हाँ पूछ ले.
मैं- चाचा के बिना आपको गन्दा नहीं लगता अकेले अकेले?
चाची- अब आदत सी हो गयी है अकेले रहने की.
मैं- लेकिन अब आप चिंता मत करो, जब तक मैं यहाँ हूँ आपको बोर नहीं होने दूंगा.
चाची- अच्छा जी, वो कैसे?
मैं- हम खेल खेलेंगे, मुझे तरह तरह के खेल आते हैं.
चाची- क्या क्या खेल?
मैं- रेशलिंग, कब्बडी, कुश्ती, डांस सब कुछ, मैं आपको सिख दूंगा चाची सब खेल.
चाची- अच्छा जी. ये तो अच्छी बात है, ठीक है मुझे सिखाना सब, मैं चावल गरम करने रख दूँ उसके बाद हम खेलते हैं.
मैं- जल्दी करना चाची काम.
(मेरा लण्ड खड़ा हो गया है और पानी छोड़ रहा है, ये सोच सोच कर मेरा दिमाग खराब हो रहा है कि मैं इतनी मोटी, गोरी, सुडौल वक्ष वाली औरत अपनी चाची के साथ कुश्ती करूँगा तो शरीर घर्षण तो अवश्य होगा जिसका मैं पूरा फायदा उठाऊंगा और लण्ड से माल छोडूंगा, चाची चावल चूल्हे में रखकर आ जाती है)
चाची- चल पंडित, अब बता कौन सा खेल खेलना है पहले?
मैं- पहले हम कुश्ती करते हैं, इसमें एक दूसरे को पटकनी देनी होती है.
(मैं चाची को सारे खेल के नियम और खेलने का तरीका बता देता हूँ और हम कुश्ती शुरू करते हैं, हम बिस्तर पर कुश्ती शुरू करते हैं, चाची के बूब्स सूट से आधे बाहर लटक रहे हैं, निप्पल का उभार साफ दिख रहा है..
मेरा लण्ड झटके मार कर चिकनी मोटी ताजी चाची को सलामी दे रहा है, फिर हम कुश्ती शुरू करते हैं, मैं चाची को कस कर पकड़ता हूँ और पटकनी देता हूँ और बिस्तर पर पटक देता हूँ जिसकी वजह से चाची की पाद निकल जाती है और बदबू पुरे कमरे में फैल जाती है, चाची शरमा जाती है)
मैं- अरे चाची, छी छी छी छी…. कितनी बदबू मारी.
चाची- चुप कर तू…. पेट में कब्ज है मेरे. चल कुश्ती खेलते हैं.
(और हमने फिर कुश्ती शुरू कर दी और इस बार चाची ने मुझे पटक दिया और जोर से आवाज के साथ पाद छोड़ी और इतनी भयंकर दुर्गन्ध फैली जैसे भोपाल गैस त्रासदी हो गयी हो)
मैं- छी चाची क्या करती हो, कायम चूर्ण खाना आज, सारा कमरा सड़ा दिया, स्वर्ग जैसे शिमला को नरक बनाने का काम करती हो आप सही में.
चाची- हद से ज्यादा मत बोल पंडित, थप्पड़ मारूँगी गाल पर, झन्ना जायेगा यहीं समझ गया, तेरी माँ ने सिखाया नहीं कैसे बात करते हैं बड़ों से?
(चाची का गुस्सा देखकर मैं डर गया लेकिन मन ही मन मैं उसे गाली देने लगा, इसके बाद चाची ने अपनी गांड के छेद से फिर से एक जोर दार भोंपू बजाया और पाद मारी, और बस अब मुझे बहुत गुस्सा आ गया)

मैं- बहुत हो गया चाची, आप पाद मारे जाओ और मैं सूँगता जाऊं, ये कहाँ का न्याय है.
चाची- तो तू भी मार ले पाद, तुझे किसी ने मना किया है.
मैं- नहीं मेरा पेट साफ है, आपके पेट को सफाई की जरुरत है, कायम चूर्ण नहीं है क्या?
चाची- नहीं है.
मैं- तो फिर एक ही उपाय बचा. मुझे कब्ज ठीक करने आती है लेकिन शायद आपको ये तरीका पसंद न आये.
चाची- क्या तरीका है भतीजे, कब्ज के लिए मैं सारे फॉर्मूले अपनाने को तैयार हूँ, तू बता बस.
मैं- उसके लिए पाद का पूरी तरह से बाहर निकलना बहुत जरुरी है और ऐसा तभी होगा जब आपके पीछे का छेद बड़ा होगा.
चाची- क्या बोल रहा है बेशर्म, शर्म कर थोडा.
मैं- मेने पहले ही बोला था कि आपको उपाय पसंद नही आएगा, कोई बात नहीं, इसके अलावा कोई तरीका नहीं है, आपकी कब्ज की दिक्कत पूरी ज़िन्दगी भर रहेगी.
चाची- शुभ शुभ बोल बेशर्म. उपाय बता कैसे होगा छेद बड़ा, मेरा तो बहुत छोटा है.
मैं- इसके लिए मुझे आपके छेद का गहन अध्ययन करना होगा, आप मुझे छेद दिखाओ अपना पहले. मैं छेद देखने के बाद ही बता सकूँगा.
चाची- चल हटटट बदमाश कहीं का, तेरे सामने पैजामा कैसे उतारूँ मैं, मुझे शर्म आती है.
मैं- तो फिर शर्म करते रहो चाची, आपकी कब्ज कभी दूर नहीं होगी.
चाची- अच्छा अच्छा ठीक है, लेकिन पहले दरवाजा बंद करदे कोई आएगा तो ठीक नहीं लगता.
(मेरी ख़ुशी का ठिकाना नहीं था, मेरी अनपढ़ चाची मान गयी, मेने दरवाजा बंद किया और चाची ने अपना पैजामा उतरा, दोस्तों क्या बताऊँ, चाची के मोटे पैरों में जांघ तक हलके हल्के बाल हैं जो चाची की गोरी मोटी सुडौल मख़मली टांगों की शोभा बढ़ा रहे हैं, पिछवाड़े में एक काला तिल है जो चाची की गांड को गन्दी नजर से बचा कर रखता है, चाची गांड फैला कर उलटी लेट गयी है)
चाची- जल्दी छेद बड़ा कर मेरा ताकि कब्ज दूर हो.
मैं- चाची अपनी टाँगे और चौड़ी कर, छेद दिख नही रहा है.
(चाची ने गांड चौड़ी करी तो एक छोटा सा छेद मुझे दिखा जिस में चाची का थोडा सा मल लगा हुआ है और चाची के छेद से बहुत ही गन्दी दुर्गन्ध आ रही है लेकिन अब वही जानलेवा दुर्गन्ध मुझे खुशबु सी लगने लगी. मेरे नाक में प्रवाहित होकर दिमाग में वो खुशबू बस गयी और अब मेरे अंग अंग में उसका जादू चढ़ गया, एक नशा सा जैसे अफीम में होता है वैसा ही नशा चाची की गांड के छेद से आ रही बदबू से मुझे चढ़ गया, मेने अपनी 1 ऊँगली चाची की गांड के छेद के अंदर डाली और फिट करदी और चाची की चीख निकल गयी)
चाची- हाये… अह्ह्ह्हह्ह क्या करता है भतीजे…
मैं- ऐसे ही उलटी लेती रह तू चाची, सुराख बड़ा कर रहा हूँ ताकि पाद ज्यादा मात्रा में निकले.
चाची- ओहह्ह्ह्हह्ह कर करररर….
(मेने ऊँगली बाहर निकाली तो चाची को आराम मिला)
मैं- अब जरा पाद तो चाची, कितनी निकल रही है देखता हूँ.
चाची- तूजे कैसे पता चलेगा रे?
मैं- सूंघकर, तू पाद तो मार.
(मेने अपनी नाक चाची की गांड के छेद के बिलकुल करीब लगा दी जिससे पाद सूंघने में आसानी हो, चाची ने जोरदार पाद मारी पुरर्रर्रर्रर्रर्रर्र.. जिसकी हवा मेरे नाक में प्रवाहित हुयी और मुझे बहुत ही मजा आया)
मैं- अह्ह्ह्ह्ह, वाह्ह्ह्ह्ह…
चाची- क्या हुआ रे, वाह्ह क्यों कर रहा है, पाद अच्छी लगी क्या? ज्यादा आई या कम?
मैं- हाँ चाची अच्छी लगी, अभी कम आई, अब में तेरे छेद में दो ऊँगली डालूँगा तब देखते हैं कितनी आती है.
चाची- डाल डाल…जल्दी डाल.. आज कब्ज दूर नही करी तो तुझे रात भर पाद सुँघाऊँगी.
मैं- सुंघा देना चाची, आशिक हो गया मैं तेरी पाद का आज तो.
चाची- हाये रे, कितना हरामी है तू, बदमाश कहीं का.
मैं- वो तो मैं बचपन से हूँ चाची.
(इसके बाद मैं दो उंगलिया गांड में डालता हूँ और पाद सूंघता हूँ, ऐसे करते करते एक बारी 4 उंगलिया डालता हूँ और जोरदार पाद का बफका सूँगता हूँ)
चाची- उफ्फ्फ्फफ अब दर्द होने लग गया, साड़ी उंगलिया डाल दी तूने, अब कुछ फर्क पड़ा क्या?
मैं- चाची पाद ज्यादा तो आई लेकिन उतनी नही जितनी मैं चाहता था, कब्ज अभी दूर नहीं हुयी है.
चाची- तो अब कैसे होगी कब्ज दूर, चारों उंगलिया तो डाल दी तूने.
मैं- एक ऊँगली बची है चाची.
चाची- कौन सी?
मैं- अभी डालता हूँ लेकिन तू आँख बंद कर दे और उठना मत और न ही पीछे देखना वरना कब्ज जिंदगी भर दूर नहीं होगी और तू शिमला की वादियों को ऐसे ही सड़ाती रहेगी.

चाची- नहीं देखूंगी तू डाल दे 5वीं ऊँगली भी.
मैं- ठीक है मैं 5वीं ऊँगली भी घी में डालता हूँ.
(मेरा लण्ड बिलकुल रोड की तरह खड़ा था जिसको किसी भी हालत में छेद चाहिए था, मेने अपना पैजामा खोला और खड़े लण्ड में थूक लगाया और चाची की गांड के छेद में डाल दिया जिससे चाची की चीख निकल गयी)
चाची- हाये मा…गयी मैं तो…. कितनी बड़ी ऊँगली है ये तेरी, कहाँ सम्भाल के रखा था इसे?
मैं- अह्ह्ह्हह्ह तू ऐसे ही रह… अब मैं ऊँगली अंदर बाहर करूँगा, तुझे दर्द होगा लेकिन घबराना मत, अगर घबरा गयी तो कब्ज दूर ना होगी समझ ले और न ही पीछे देखना.
चाची- उफ्फ्फ्फफ दर्द हो रहा है अभी से भतीजे, जो भी करना है जल्दी कर लेकिन कब्ज दूर करदे.
(मेने अपना लण्ड अंदर बाहर करना शुरू किया, चाची ने सिसकारियाँ और आहें भरनी शुरू करी, मेरी चुदाई की प्रक्रिया आरम्भ हो चुकी थी, मेरी रफ़्तार में धीरे धीरे बढ़ोतरी हो रही है और चाची की सिस्कारियों में, मैंने तेज़ तेज़ झटके मारने शुरू किये)
मैं- अह्ह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह्ह ओये ओये चाची आह्ह्ह्ह बस हो गया आह्ह्ह्ह अह्ह्ह
चाची- जल्दी कर, अह्ह्ह्ह्ह मार दिया इस लड़के ने तो आह्ह्ह्ह हाये मा, गयी मैं, मर गयी आज्जज्जज्जज्जज.. उफ्फ्फ्फ उम्मम्मम्मम्म..
मैं- अह्ह्ह्ह्ह बस्स्सस्स हो गया चाची अह्ह्ह्ह… उफ्फ्फ्फफ मार डाला अह्ह्ह्ह….
(चोदते चोदते मैं चाची की गांड में झड़ जाता हूँ और सारा वीर्य चाची की गांड के छेद के अंदर छोड़ देता हूँ और लण्ड बाहर निकलता हूँ और नाक चाची की गांड के छेद में रख देता हूँ और पाद का बेसब्री से इंतज़ार करता हूँ)
मैं- चाची पाद, जल्दी पाद चाची, मेरी नाक इंतजार कर रही है गैस का, जल्दी चाची, जल्दी, फ़ास्ट, कम ऑन चाची….
चाची- आने वाली है भतीजे, नाक लगा छेद में, जल्दी आई आई आई आई
( पुर्रर्रर्रर्रर्र पुर्रर्रर्रर्रर्रर्र पुर्रर्रर्रर्रर्रर्रर्र पुरर्रर्रर्रर्रर्रर्र और चाची ने जोरदार पाद मारी जिसकी आवाज़ में भी गर्जन है और खुशबू में भी भारी महक जिसे सूंघकर मेने स्वर्ग की अनुभूति शिमला में ली, मेरे लण्ड में भी चाची का गू लगा है, उँगलियों में भी जिसे मेने चाट कर साफ कर दिया, चाची अपनी इस जोरदार पाद से बहुत खुश हुयी और पीछे पलटी तो मेरे लण्ड को देखकर चौंक गयी)
चाची- हाये दय्या, ये क्या, बेशर्म, क्या किया तूने मेरे साथ, 5वीं ऊँगली यही थी क्या?
मैं- हाँ चाची, लेकिन इसकी वजह से तेरी कब्ज निकल गयी, तुझे इसका सम्मान करना चाहिए.
चाची- हाये रे, इतना बड़ा लुल्ला है ये, तुझे शर्म नहीं आती क्या?
मैं- तू भी तो गांड खोलकर उलटी बैठी थी मेरे सामने तुझे शर्म नहीं आती क्या, बेशर्म औरत.
चाची- तमीज से बात कर पंडित, बत्तमीज कहीं का.
मैं- चुप रांड साली, गांड का छेद चुदवाती है भेन की लौड़ी, मुझे बेशर्म बोलती है.
चाची- मादरचोद मेरे घर में मुझे गाली देता है साले.
मैं- हाँ माँ की लोड़ी तुझे देता हूँ, चिनाल कहीं की, रंडी औरत, वैश्या साली, भेनचोद.
चाची- तेरी माँ की चूत साले पंडित, तेरी बहिन की चूत हरामी.
मैं- गाली देती है बहिन की लौड़ी, तेरी माँ का भोसड़ा.
(और मैं चाची को थप्पड़ मारता हूँ और उसका सलवार फाड़ कर उसके दूध को आजाद कर देता हूँ, काले खड़े बड़े निप्पल देखकर मुझे कुछ होने लगता है और मैं उसे पकड़ कर जबरन उसकी चूत में लण्ड पेल देता हूँ, वो गाँव की अनपढ़ विरोध करती है लेकिन मेरी ताकत के सामने वो असफल हो जाती है, अब मेरा लण्ड गोरी मोटी ताजी सुडौल चाची की चूत के अंदर समाया हुआ है, और मेने चुदाई शुरू कर दी, चाची की आँखों में आंसू हैं और एक गाल लाल हो गया है जिसमे मेने थप्पड़ जड़ा है, वो रो रही है और मैं पागलों की तरह चुदाई कर रहा हूँ)
चाची(रोते हुए)- हरामी, बदमाश, एक नम्बर का कमीना, साले तेरी माँ को बताउंगी क्या किया तूने मेरे साथ अह्ह्ह्ह्ह… छोड़ मुझे अह्ह्ह नाहीईई उईईईईई…
मैं- चाची, मेरी जान, आज चोद लेने दे अपने भतीजे को, रोक मत, आज तू भी मजे ले मेरी रांड.
चाची- अजह्ह्ह्ह्ह नही नहीं रुक जा अह्ह्ह्ह उईईई, हाय अम्मा गगयी ईईई मैं तो….
(अब चाची को पता चल गया की मेरी ताकत के सामने उसका कोई वश नहीं चलने वाला तो वो भी मेरा साथ देने लगी, हम चुदाई कर रहे हैं, मेरी मोटी चाची चुदाई के साथ साथ उछल रही है जिसकी वजह से उसकी चूड़ियाँ खनक रही है, मैं कभी उसके गले में चूम रहा हूँ कभी उसके स्तन में, उसके गले के काले धागों को अपने मुह में भर रहा हूँ, कभी मंगलसूत्र को चूम रहा हूँ, चाची के पैरों में भी काले धागे बंधे हैं जो गोरे मोटे मोटे पैरो की शोभा बढ़ा रहे हैं, अब हम दोनों मस्ती में चूर हो गए, साँसे तेज चलने लगी, और चुदाई की रफ़्तार भी तेज़ हो गयी)
चाची- अह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह भतीजे, तेज़ तेज़ और तेज़ भतीजे, गईईईईईई उफ्फ्फ्फ्फ हाये मम्मी, बचाओ पापा जी उफ्फ्फ्फ्फ, मार दिया रे इसने तो…हाये भतीजे अह्ह्ह्ह्ह
मैं- चाची अह्ह्ह्हह्ह्ह्ह मेरी रानी, मेरी रांड, मेरी बीवी, भेनचोद में झड़ने वाला हूँ,, अह्ह्ह्ह्ह, आया आया या या या अह्ह्ह्हह उफ्फ्फ्फफ ओये होये आया अह्ह्ह्ह
चाची- भतीजे, बाहर झड़ना, वरना गोद भर जायेगी मेरी, अह्ह्ह्हह्ह् बाहर झड़ना भतीजे अह्ह्ह्ह्ह चोद चोद तेज़ तेज़ चोद अह्ह्ह.

(चाची और भतीजे की आवाज से पूरा कमरा गूंज उठा और अंतिम चरम पर पहुच कर मैं चाची की चूत में ही झड़ गया और चाची भी साथ साथ झड़ गयी, हम दोनों ने पानी छोड़ा, और एक दूसरे से लिपट गए, एक दूसरे को चूमने लगे, जीभ से जीभ मिलाने लगे, अचानक चाची ने एक जोरदार आवाज के साथ पाद मारी और हम ऐसे ही पड़े पड़े हंसने लगे, फिर मेने रात भर चाची की पाद सूंघी और रात भर अपना मुह चाची की गांड के अंदर दबोच कर सोया रहा)



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