सलोनी रानी की चुदाई

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jay
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सलोनी रानी की चुदाई

Post by jay »

सलोनी रानी की चुदाई


मुझे कुछ ही दिनों में एक गर्लफ्रेंड मिली सलोनी ... जिसकी कहानी मैं प्रस्तुत कर रहा हूँ।

कुछ दिनों के बाद उनका मेल आया ‘, मेरी चूत कब मारोगे?’

मैंने लिखा ‘जब आप चाहो, बंदा हाज़िर है।’

सलोनी जी ने फिर कहा कि वो चंदा रानी से बात करना चाहती हैं। मैंने कहा कि यह तो मुमकिन नहीं है क्योंकि इस से चंदा रानी की प्राइवेसी बिगड़ती है और मेरा फ़र्ज़ है कि मैं अपनी गर्ल फ्रेंड का राज़ राज़ ही रखूँ।

सलोनी जी ने कहा मैं यह मानती हूँ लेकिन अगर चंदा रानी मान जाती है तो कोई परेशानी नहीं है, आप पूछ के तो देखो।

मैंने कहा- ठीक है।

मैंने तुरंत चंदा रानी से सारा मामला बताया और आग्रह किया सलोनी जी से बात करने का।

चंदा रानी तो यारों आग बबूला हो गई, उसने फोन पर मुझे जम कर कोसा, बहुत से गालियाँ दीं, उसने गुर्राते हुए पूछा- तेरी हिम्मत कैसे हुई मेरा असली नाम किसी अजनबी को बताने की। अगर यह बात फैल गई तो मेरा क्या होगा। मैं शादीशुदा दो दो बच्चों की माँ हूँ।

खैर बड़ी मुश्किल से चंदा रानी का गुस्सा शांत किया। बहुत मिन्नत खुशामद की, तब जा के चंदा रानी कुछ ठंडी हुई।

पूरे दो दिन लगे इस में। परंतु आखिरकार चंदा रानी ने कहा वो फोन पर बात तो किसी भी हालत में नहीं करेगी लेकिन ईमेल पर चैटिंग कर लेगी।

मैंने चंदा रानी की ईमेल आईडी सलोनी जी को दे दी और कहा- आप कर लीजिये चैटिंग।

दो दिन ना जाने क्या दोनों ने आपस में क्या बातचीत की, मैंने पूछा तो दोनों ने कुछ भी बताने से ना कर दी, परंतु चंदा रानी और सलोनी जी की दोस्ती बहुत पक्की हो गई दो ही दिन में।

खैर आगे हुआ यह कि मैं सलोनी जी को सलोनी रानी कहने लगा और वो मुझे राजे कहने लगी। उसने मुझसे आपकी बजाये तू से बात करनी शुरू कर दी और मुझे मेरे नाम राजे से पुकारने लगी।

मेरी और सलोनी रानी की दो दिन खूब इमेल पर बातें हुई। मैंने खुल कर बताया कि मैं चुदाई में लड़की को कैसे कैसे मज़ा देता हूँ। सलोनी रानी मेरी बातें पढ़कर बेहद गर्म हो जाती थी। मेरा भी लंड अकड़ जाता था।

दो दिन के बाद मैंने सलोनी रानी को अपना नंबर दिया और यह तय हुआ कि वो मुझे शाम को एक मिस कॉल मारेगी और मैं जब भी मौका पाऊँगा उसे फोन कर लूंगा।

शाम को 7 बजे मैं एक घंटे के लिये सैर करने जाता हूँ। वही ऐसा टाइम है जब बिना किसी डर के बात कर सकता हूँ। मेरा काम ऐसा है मैं RESIDENCE CUM OFFICE में होता है तो मेरी बीवी जूसी रानी घर पर होती है इसलिये जब मैं घर पर हूँ, बात करना संभव नहीं है।

दो दिन हमने पूरा एक घंटा अच्छी तरह खुल के बातें कीं। सलोनी रानी की मधुर बोली मेरे कानों में शहद की भांति लगती थी, यूँ लगता था घंटियाँ धीमी धीमी बज रही हैं। उसकी आवाज़ सुन कर ही मैं मतवाला हो जाता था।
सलोनी रानी का कहना था कि हमारी चुदाई के भिन्*न भिन्*न वर्णन सुन सुन कर वो भी इतनी गर्म हो जाती है कि चूत बेतहाशा रस बहाने लगती है, चूचुक कस जाते हैं और निप्पल यूँ अकड़ जाते हैं जैसे किसी मर्द का लौड़ा अकड़ जाता है।

तीसरे दिन मैंने कहा- सलोनी रानी… यह कंप्यूटर पर बैठ कर बहुत वक़्त बीत गया… अब तुम्हारी तसल्ली हो गई हो यो यार, मिलने का प्रोग्राम बनाते हैं… तुम भी गर्म, मैं भी गर्म होकर दुख पा रहे हैं… अब मिल कर मिलन करें।

सलोनी रानी ने कहा- हाँ राजे, मैं भी सोच रही थी कि अब मिलने का समय आ गया है। लेकिन कहाँ और कैसे मिलेंगे?

मैं बोला- देखो ऐसा करते हैं, नई देहली स्टेशन के पास एक होटल है जिंजर, वो सुरक्षित है, वहाँ मैं दो कमरे बुक करवा देता हूँ।

सलोनी रानी ने पूछा- क्या यह 5 स्टार होटल है? और दो रूम क्यों?

मैंने कहा- रानी, 5 स्टार नहीं है। 3 स्टार है। 5 स्टार होटलों में मुझे बहुत से लोग जानते हैं। जिंजर स्टेशन के साथ लगा हुआ है वहाँ बहुत से लोग सिर्फ दिन के लिये रूम लेते हैं, 5 स्टार में ऐसा करना शक पैदा करता है। दो रूम इसलिये कि कभी भी रेकॉर्ड से तुम्हारा और मेरा कोई लिंक नहीं बैठना चाहिये। एक ही रूम लेंगे तो रेकॉर्ड में दोनों के नाम आ जायेंगे एक रूम में। दो रूम दो रेकॉर्ड कोई प्राब्लम नहीं, कोई आपस में लिंक नहीं।

सलोनी रानी बोली- हाँ ठीक है… समझ गई… करवा लो बुक। लेकिन एक बात है…सबसे पहले तुझे मेरी सू सू पीनी पड़ेगी।

मैं बोला- हाँ हाँ रानी, बड़ी खुशी से पी लूंगा !

और फिर मैंने चार दिन बाद की तारीख पर दो रूम बुक करवा लिये। हमने तय किया था कि मैं पहले दिन में 11 बजे होटल में चेक इन करूंगा और सलोनी रानी दो घंटे के बाद 1 बजे के करीब।

मेरा रूम नंबर 304 था और सलोनी रानी का 306, सलोनी रानी सवा एक बजे आ गई और मुझे फोन कर दिया कि पहुँच गई है।

तुरंत ही मैं उसके रूम पर चला गया।

सलोनी रानी ने दरवाज़ा खोला, उस वक़्त हम पहली बार एक दूसरे को देख रहे थे। दो मिनट तक हम बस आँखों में आँखें मिलाये एक दूसरे को निहारते रहे।

मैं बोला- सलोनी रानी?

वो बोली- राजे?

और हम लिपट गये।

मैंने पूछा- रानी, तुम्हें मेरी सफेद दाढ़ी देख कर निराशा तो नहीं हुई?

सलोनी रानी ने कहा- नहीं राजे…चंदा रानी की कहानी पढ़ कर इतना तो समझ आ गया था कि राजे कोई 25 साल का तो होगा नहीं। वो कहानी ही बहुत साल पहले की है… मुझे तो चाहिये था एक बहुत तजुर्बेकार आदमी… जो मुझे पूरा मज़ा दे सके।

मैंने अब दुबारा से सलोनी रानी को निहारा, मदमस्त जवान लड़की थी, उसने जींस और एक झक सफेद टॉप पहन रखा था।

टॉप में से ब्रा की झलक दिखाई दे रही थी, उन्नत उरोज क़यामत बरसा रहे थे, टॉप से निकाली हुई उसकी नंगी बाहें गज़ब ढा रही थीं। उसने पैरों में मध्यम हील का जूता पहन रखा था। उसके होंठ एक ताज़ा ताज़ा गुलाब की पंखुडियों के समान चुस जाने को बेताब लग रहे थे। उसकी आँखें मुझे बड़े प्यार से भर कर देख रही थीं।
मतवाला होकर मैं फिर उससे लिपट गया और कस के उसे बाहों में भींच कर उसके मुख से अपना मुँह सटा दिया। उसने होंठ खोल दिये और मैंने अपनी जीभ पूरी उसके मुँह में घुसा दी। सलोनी रानी जीभ चूसने लगी। मेरे मुँह का रस उसके मुँह में जाने लगा।

मस्ता कर सलोनी रानी ने एक टांग मेरी टांगों पर लपेट दी। थोड़ी देर के बाद मैंने अपना मुँह नीचे कर लिया ताकि उसका मुँह ऊपर आ जाये। अब उसने अपनी जीभ मेरे मुँह में दे दी, मैं हुमक हुमक के उसके पतली छोटी सी जीभ चूसता रहा और उसके मुँह से निकलने वाला सारा रस मज़े ले ले कर पीता रहा।सलोनी रानी अपनी स्वादिष्ट जीभ चुसवा रही थी और अपना मुखामृत मेरे मुँह में दिये जा रही थी।

मैंने उसे चूसते चूसते ही उसके टॉप में हाथ डाल के सलोनी रानी की चूचियाँ हौले हौले सहलानी शुरू कीं।
सलोनी रानी चिहुंक उठी।

मैंने हाथ उसकी कमर के पीछे ले जाकर ब्रा की हुक खोल दी। सलोनी रानी की भरी भरी मनमोहक चूचियाँ उछल कर बाहर निकली जैसे उन्हें ब्रा की कैद से छुटकारा मिला।

मस्त गोल मुलायम स्तन थे सलोनी रानी के !!! नरम और मुलायम थे लेकिन पिलपिले नहीं थे।

मैंने हौले से निप्पलों पर उंगली फिराई। दोनों निप्पल अकड़े हुए थे, ऐंठन से तने हुए थे और दो तोपों की तरह सीधे सामने को निशाना साधे थे मानो चुनौती दे रहे हों कि आओ और हमें उमेठ उमेठ कर अकड़न से मुक्ति दो।
सलोनी रानी ने मेरे कान में फुसफुसा कर कहा- अबे चूतिए… अब हम नंगे भी होंगे या यूँ ही घसर पसर करते रहेंगे?

मैंने जल्दी जल्दी से उसका टॉप उतार दिया। ब्रा तो खुली हुई थी ही, तुरंत ही हटा दी गई। अरे यार क्या मस्त उरोज सामने निकल के आये हैं। मैं तो दीवाना सा हो गया। जी करता था इनको तो चूसता जाऊँ, चूसता जाऊँ और बस चूसता ही जाऊँ… सारी कायनात सिमट के उन दो चूचियों में आ गई थी।

बड़ी मुश्किल से नज़र हटा के मैंने सलोनी रानी की जींस उतार डाली।

अब वो सिर्फ चड्डी पहने हुई थी, उसका तराशा हुआ रेशम सा चिकना बदन मेरे भीतर आग लगाये जा रहा था, अकड़ अकड़ के लंड फटने को हो रहा था।

सलोनी रानी ने कहा- हरामज़ादे, चड्डी हाथों से नहीं मुँह से उतारी जाती है।

सलोनी रानी के सुन्दर मुख से उसकी शहद जैसी मधुर वाणी में यह मर्दानी गालियाँ इतनी मस्त लगती थीं कि मेरा दिल करता था कि वो बस मुझे गालियाँ देती जाये और मैं सुनता जाऊँ और बस सुनता जाऊँ।

इसका अर्थ यह हुआ कि मैं भी उसे गाली दे सकता था। वैसे मैं कभी लड़कियों को गाली नहीं देता लेकिन अगर कोई लड़की गाली पसंद करती है तो फिर क्या दिक्कत है।

मैंने मुँह में चड्डी के ऊपरी भाग को फंसा के थोड़ी मेहनत के बाद उतार ही दिया तो सलोनी रानी मादरजात नंगी मेरे सामने खड़ी थी, मानो स्वर्ग से कोई अप्सरा धरती पर उतर आई हो।

मैं मुँह खोले टका सा देखता ही रह गया।

सलोनी रानी ने फिर मेरी शर्ट को ज़ोर से खींचा तो मैं जैसे नींद से जगा और फटाफट मैंने भी अपने कपड़े उतार डाले।

मैं झपट कर उन जन्नत की हूरों से भी दिलकश चूचियों पर लपका परंतु सलोनी रानी पीछे हट के तेज़ आवाज़ में बोली- याद है ना, मैंने क्या कहा था… सबसे पहले तू मेरा स्वर्ण रस पियेगा… तेरी हिम्मत कैसे हुई मेरे मम्*मों को छूने की.. बिना स्वर्ण रस पिये?

मैं बोला- सलोनी रानी, माफ करो मेरे समझने में भूल हो गई… मैं समझा कि चोदने से पहले पीना है।

‘क्यों मैं क्या फारसी में बोली थी…सबसे पहले का मतलब सबसे पहले…’

‘अच्छा रानी माफी दे दो….सच में मेरी ही भूल है…’

‘ठीक है… ठीक है… लेकिन तुझे सज़ा तो मिलेगी ज़रूर… अब तू स्वर्ण रस इंसान की तरह नहीं बल्कि एक कुत्ते की तरह पियेगा…’

सलोनी रानी ने मेरे बाल पकड़ लिये और मुझे नीचे फर्श पर लेट जाने का इशारा किया।

‘जैसा हुक्म मेरी महारानी का !’ मैं लेट गया।

सलोनी रानी मेरे ऊपर खड़ी हो गई इस तरह कि उसकी चूत एकदम मेरे मुँह की सीध में थी। उसने अपनी खूबसूरत टांगें चौड़ी कर लीं और थोड़ा सा घुटने मोड कर सेट हो गई, फिर बोली- राजे अब ठीक से समझ ले… मैं अभी तेरे मुँह के उपर शू…शू… करती हूँ… जितना भी अमृत फर्श पर गिरेगा या मेरी टांगों पर गिरेगा तू जीभ से कुत्ते की तरह चाट के साफ करेगा… जैसा अभी फर्श साफ है और जैसी मेरी टांगें साफ हैं बिल्कुल वैसा का वैसा होना चाहिये…’

इतना कह के उसने मेरे मुँह पर धारा छोड़ दी। मैं मुँह खोल के पिये जा रहा था और ठरक से बेहाल हुए जा रहा था।

इस लड़की का स्वर्ण रस नहीं था ये तो स्वर्ण अमृत था। मैं तो इसे सारा दिन पीने को खुशी खुशी मान जाता।
सर्र सर्र सर्र… करके अमृत की मेरे ऊपर बौछार होती गई और मैं मस्ती में मतवाला होता गया, पूरे समय मैं सलोनी रानी की आँखों में देखता रहा।

उसकी आँखों में गुलाबी डोरे तैरने लगे थे और उसका आकर्षक चेहरा तमतमा कर लाल हो गया था, उसे बेहद आनन्द आ रहा था।

आखिर कुछ देर के बाद धार समाप्त हो गई तो सलोनी रानी ने मेरे मुँह पर बैठ कर अपनी चूत मुँह से रगड़ के साफ कर ली।

जैसे ही उसने चूत मेरे मुँह पर लगाई और रगड़ा मैंने अपनी जीभ बुर में डाल दी।

बुर रस से तरबतर हुई पड़ी थी, ढेर सारा रस मेरी जीभ पर आ गया और मेरी प्यास कुछ शांत हुई।

तभी सलोनी रानी के झल्ला के कहा- कुत्ते की औलाद… मेरी टांगें गीली हो गई हैं और यह जो फर्श भीग गया है, इसे कौन, तेरा बाप आके साफ करेगा? कहा था न तुझे ही साफ करना है… भूल जाता है कमीने !

हाय मेरे यारो, सलोनी रानी की मस्त गालियों ने तो मस्ती सैकड़ों गुना बढ़ा दी थी।

खूबसूरत तो वो थी ही लेकिन जब झल्लाने का नाटक करके भारी भरकम गाली देती थी तो उसकी खूबसूरती भी सैकड़ों गुना बढ़ जाती थी।

यार यह लड़की है या मर्दों की जान की दुश्मन !!!

मैंने फौरन पहले तो फर्श को एक कुत्ते तरह जीभ निकाल के चाटा और फिर तो यारों मज़े का सैलाब आ गया, जब मैंने सलोनी रानी के पैर और टांगें चाटीं।

क्या लज़ीज़ बदन था सलोनी रानी का !!! उसके मुलायम चिकने पैरों से जूते के चमड़े की गंध आ रही थी। शायद थोड़ा सा पसीना भी आ गया था।

मुझे तो सलोनी रानी की हर गन्ध कस्तूरी समान लगती थी।

उसकी टांगें चाट कर तो सच में जन्नत का आनन्द आ गया, इतनी चिकनी कि जीभ ही फिसल जाये। नज़र टिकाओ तो नज़र ही फिसल जाये।

परमात्मा ने इस लड़की को बहुत सोच समझ कर, बड़ी प्रसन्नता के मनोस्थिति में बनाया था।

खैर मैं फिसल फिसल कर ऊपर बढ़ता हुआ उसकी रेशमी टांगों पर से उसके स्वर्ण रस के छींटे चाटता गया।
अब सलोनी रानी के मुँह से सी…सी…सी… हाय…हाय.. की भिंची भिंची सीत्कार निकलने लगी थी, वो मज़े में अब छटपटा रही थी।

धीरे धीरे स्वाद लेता हुआ मैं सलोनी रानी की चूत तक जा पहुँचा।

अब मैं अपने घुटनों के बल बैठ चुका था, मैंने उसकी झांटों को निहारा, उसने शायद दो तीन दिन पहले ही सफाई की थी क्योंकि दिखने में तो बिल्कुल चिकनी थी लेकिन जब मैंने अपना मुँह रगड़ा तो थोड़ी सी चुभन लगी, झांटें थोड़ी थोड़ी निकलनी शुरू हो गयीं थीं।

इतने में सलोनी रानी मेरे पास नीचे फर्श पर ही बैठ गई और झुक कर मेरे बालों में बड़े प्यार से हाथ फेरा। उसकी मिशरी जैसी मधुर आवाज़ मेरे कानों में पड़ी- राजे राजे राजे… आज तूने मेरा दिल जीत लिया… हरामी, तू है तो कमीना पर तुझ पर प्यार बहुत आता है… चल उठ जा अब उपर बेड पर आजा… और चोद दे मुझे… बड़ी प्यासी है तेरी सलोनी रानी… अब बुझा दे इस प्यास को !

हम बेड पर आ गये। सलोनी रानी ने कहा- तू राजे… एकदम सीधा लेट जा… मैं तेरी तरफ अपने चूतड़ रखूंगी… तू चूसे जाना !

इतना कह के सलोनी रानी ने मेरी छाती पर हाथ रखकर मुझे लेट जाने दिया और वो खुद मेरी छाती पर चढ़ कर बैठ गई, अपनी गाण्ड उठाकर मेरे मुँह की तरफ की और झुक कर मेरा तन्*नाया हुआ लंड सहलाने लगी।
मैं उसके कोमल हाथों के स्पर्श से लहक गया। सलोनी रानी ने लंड के मुँह पर उभरी हुई एक बूंद को चाट लिया और खाल पीछे करके सुपारा नंगा करके मुँह में ले लिया।

इधर मैंने पहले तो उन लज़ीज़ नितंबों पर जीभ फिराई और फिर मैंने उसकी गाण्ड के छेद को जीभ खूब गीली करके चाटा।

सलोनी रानी के मुँह से मस्ती के मारे सुपारी ही बाहर निकल पड़ी और एक गहरी आह उसके मुँह से उभरी।
मैंने जीभ को और गीला किया और उसे गाण्ड के छेद में घुसा दिया। अब तो सलोनी रानी ने एक किलकारी मारी। उसे उत्तेजना में यह भी ध्यान न रहा कि इतनी ऊँची आवाज़ में किलकारी होटल में सुनी जा सकती है, बड़ी तेज़ी से उसने अपने गोरे बेहद खूबसूरत चूतड़ हिलाये तो मैंने जीभ और अंदर घुसा दी।

फिर मैंने अपने दोनों अंगूठे सलोनी रानी की चूत में घुसा दिये और ऊपर को भग्नासा को हौले से दबाया तो लंड चूसना भूल के सलोनी रानी धड़ाम से झड़ी, मेरे अंगूठे चूत के रस में सराबोर हो गये तो मैंने अपनी जीभ गाण्ड से निकाल कर चूत में घुसा दी और खूब अच्छे से भीतर घुमाई।

सलोनी रानी मज़े में फिर से झड़ी और मेरा मुँह रस से भर गया।

माशा अल्लाह !!! चूतामृत से मेरी तो आत्मा तक तर गई।

सलोनी रानी अब धकाधक अपनी चूत मेरे मुँह से मसले जा रही थी। उसने दुबारा से लंड का टोपा चूसना शुरू कर दिया था। वो झड़े जा रही थी और सुपारी चूसे जा रही थी।

फिर वो शांत हो कर मेरे ऊपर पड़ गई और लेटे लेटे लंड को चूसती रही, जब सारा रस खत्म हो गया तो मैंने दुबारा जीभ उसकी गाण्ड में घुसा दी।

गाण्ड चूसवाने का ज़बरदस्त आनन्द उसकी सहनशक्ति से आगे निकल गया, हाय हाय हाय… करती हुई सलोनी रानी ने बड़े ज़ोरों से लंड को मुँह में आगे पीछे आहे पीछे करना आरंभ कर दिया, कभी लंड को बाहर करती और ‘हाय मेरी मां, हाय मैं मर गई’ कहती और फिर लंड को पूरा गले तक घुसा लेती।

जितनी जीभ गाण्ड में जा सकती थी उतनी घुसा कर मैं उसकी जीभ से ही गाण्ड मार रहा था।

मैं भी अब झड़ने वाला हो चुका था, एक सुरसुरी बड़ी तेज़ी से मेरी रीढ़ की हड्डी में इधरा उधर आ जा रही थी और मेरे अंडों में दबाब इतना बढ़ गया था कि बस फटने को ही थे।

सलोनी रानी दनादन लंड को चूसे जा रही थी।

अचानक मेरे गोलों में एक पटाखा सा फूटा और मैं झड़ गया, लावा फूट फूट के सलोनी रानी के मुँह में गिरता चला गया।

तभी सलोनी रानी भी एक बार फिर से झड़ी और बड़े ज़ोरों से झड़ी। एक रस की फुहार मेरी ठुड्डी पर आई। मैंने तुरंत जीभ गाण्ड से निकाली और मचल मचल के चूत से बहत हुआ रस पीता गया।

हम काफी देर तक ऐसे ही पड़े रहे, फ़िर देखा तो सलोनी रानी गहरी नींद में थी।

ऐसा होता है, जब लड़की कई बार झड़ती है तो उसे अक्सर नींद आ जाती है।

मैं सोई हुई उस परी को निहारने लगा। सिर से पैरों तक उसके हर एक अंग तो अच्छे से अपनी आँखों में बसा लिया। लड़की थी या क्या क़यामत थी, झरने की तरह कंधों तक लहराते हुए रेशमी बाल, बड़ी बड़ी मर्दों को लुभाने वाली चूचियाँ, उन पर सीधी खड़ी हुई काले रंग की निप्पल, निप्पालों का अच्छा बड़ा दायरा !!!

मेरा दिल करा कह दूँ ‘सलोनी रानी जब तू माँ बनेगी तो मैं तेरा दूध पियूँगा।’

अभी तक मैंने सिर्फ दो लड़कियों का ही दूध पिया है चंदा रानी का और जूसी रानी का, सलोनी तीसरी होगी।
सुन्दर चिकनी बाहें, उतने ही सुन्दर हाथ और पैर देख देख कर लंड गुर्राने लगा। उसके पैर और टखने बहुत ही अधिक सुन्दर, सुडौल थे, टांगें और जाँघें ऐसी कि आदमी मर मिटे।

उनको निहार कर तो साधु संत भी राम भजन भूल के बलात्कारी बन जाएँ। काश कि उसके पैरों में पायज़ेब भी होती !

मेरा दावा है पायज़ेब से उसके पैरों की खूबसूरती में चार चाँद लग जाते।

मैंने नोट कर लिया कि अगली बार जब मिलन होगा तो मैं एक खूबसूरत सी सोने कि पायज़ेब बनवा कर साथ लाऊँगा और चुपके से सलोनी रानी के जब पैर चाटूँगा तो पहना दूंगा।

सलोनी रानी एक पूरा पका हुआ फल थी जिसे फौरन ही चूस लेना बहुत ही ज़रूरी था। यदि यह कहा जाये कि इस फल को चूसने में देर करना स्त्री जाति के विरुद्ध अपराध है तो गलत ना होगा।

मैंने सलोनी रानी के कान के पीछे अपनी जीभ गीली करके फिराई, सलोनी रानी कसमसाई लेकिन जागी नहीं।
मैंने उसके कान की लौ को चूसा और फिर जीभ कान के अंदर घुमाई।

इस बार वो जग गई और ऊँ…ऊँ…ऊँ… करने लगी।

मैंने तुरंत ही उसका मुखड़ा हाथों में लेकर उसके रसीले होंठ चूसे, उसने भी खुश होकर चुम्*मे में मेरा पूरा साथ दिया।

मैंने उसकी चूचियाँ निचोड़नी शुरू कीं, पहले मैं हौले हौले निचोड़ रहा था, सलोनी रानी ने आहें भरनी शुरू कर दीं, उसने अपनी टांगें मेरी टांगों से कस के लपेट दीं।

मैंने चूची अब थोड़ा ज़ोर से दबाईं। सलोनी रानी को और मज़ा आया और वो सिसकारियाँ भरने लगी।

मैंने चूचियाँ निचोड़ते हुए सलोनी रानी के पेट को चाटना आरंभ किया, पेट पर जीभ गीली कर मैं दाएं से बायें चाटता एक सिरे से दूसरे सिरे तक, उस सिरे पर पहुँच कर फिर चाटता हुआ वापस आता।

इस चटाई ने तो सलोनी रानी को बौरा दिया और वो अजीब अजीब सी आवाज़ें ऐसे निकाल रही थी जैसे उसका गला भिंच गया हो। मैं अब चूचियों को पूरी ताक़त से दबा रहा था, साथ साथ सलोनी रानी के पेट को चाटते हुए अब मैं उसकी नाभि तक जा पहुँचा था। जीभ टाइट करके मैंने उसकी नाभि में घुसा दी और गोल गोल घुमाने लगा।

फिर क्या था मज़े से पागल होकर सलोनी रानी ने टांगें छटपटानी शुरू कर दीं।

मैंने अपने दोनों अंगूठे सलोनी रानी की चूचियों में पूरी ताक़त से गाड़ दिये, वो मस्ता के बार बार ‘राजे राजे राजे’ पुकारने लगी, बोली- अब कितनी देर और इंतज़ार करवायेगा मादरचोद… दस बार तो झड़ चुकी हूँ, अब राजे, एक बार लंड घुसा के भी मुझे झड़ने दे। हाय राजे हाय हाय आज तो हरामी कुत्ते तू चाट चाट के मेरी जान ही निकाल देगा। अरे सूअर के बच्चे मैं फिर झड़ रही हूँ… कितना झाड़ेगा… चूत का सारा जूस निकाल गया तो तू ही रोयेगा साले… तू ही तरसेगा रस पीने को… आआआआ ह ह ह.. तू राजे मुझे गला दबा के मार दे… इतना मज़ा लेकर मेरे को अब जीना ही नहीं… आआआ ह ह ह ह ह… पता नहीं फिर इतना मज़ा मिले ना मिले… राजे राजे राजे… कुत्ते कमीने… हाय हाय हाय किस बहन के लौड़े से मैं फंस गई… ओ ओ ओ ओ हो…’
मैं बोला- चुप रह कुतिया… तेरी चूत तो सौ मर्दों को रस पिलाएगी तो भी खाली ना होगी… अब पड़ी रह और मज़ा भोग… फालतू बक बक की तो हरामज़ादी की मां चोद दूंगा…

इतना कह के मैंने उसकी झाटों को चाटना शुरू किया।

सलोनी रानी तड़पे जा रही थी और कुछ कुछ बके जा रही थी और साथ साथ झड़े जा रही थी।

अब मैंने सलोनी रानी की चूत के होंठों पर ध्यान दिया, चूत के होंठ काफी बड़े थे और गुलाबी गुलाबी थे। देखते ही अब मुझ पे पागलपन छा गया, मैंने होंठ चौड़े किये तो पूरी तरह रस से रिसती हुई बहुत हल्के गुलाबी रंग की चूत के जो दर्शन हुए तो यारों मेरा क्या हाल हुआ मैं बता नहीं सकता।

बुर से रस फफक फफक कर बहे जा रहा था, चूत के होंठों के ऊपर के कोने में उसके स्वर्ण रस का छेद दिखा जो कि ढका हुआ था। सलोनी रानी बार बार मेरा नाम पुकारे जा रही थी।

स्वर्ण रस के छेद की खाल को ज़रा सा उपर खींच कर मैंने छेद को नंगा कर दिया और अपनी जीभ अकड़ा के ज़ोर से छेद पर मारी। बस क्या था, सलोनी रानी तो जैसे बिदक गई, इतनी ज़ोर से सीत्कारें भरीं कि मैं डर गया कि होटल वाले दूसरे यात्री शिकायत ना कर दें कि इस कमरे में चुदाई का बहुत शोर हो रहा है। मैंने बार बार ज़ोर ज़ोर से स्वर्ण रस के छेद पर जीभ के ताबड़तोड़ प्रहार किये तो सलोनी रानी दसियों बार झड़ी, अब गिड़गड़ाने करने लगी कि राजे अब तो बख्श दे, अब तो मज़ा भी बर्दाश्त नहीं हो रहा।

मैं बोला- क्यों रण्डियों की गुरु, अब क्यों गाण्ड फटी… अभी रुक ज़रा चूत में लंड ठोकने दे… अभी तो रो रही थी कि लंड दे, लंड दे, लंड दे… अब क्या हुआ… पड़ी रह चुपचाप… एक शब्द भी निकाला तो तेरी मां को चोदूंगा तेरे सामने… हराम की ज़नी को लंड पकड़ने की तमीज़ नहीं है, चली थी चुदवाने !

मैं उसकी जाँघों के बीच घुटनों के बाल बैठा और एक ही शॉट में लंड चूत में ठोक दिया। सलोनी रानी ने एक चीख मारी और तड़पने लगी, ज़ोर ज़ोर से अपना सिर इधर से उधर हिलाने लगी।

एक गर्म गर्म सा गीला गीला चिपचिपा सा अहसास मेरे लंड को हुआ। मैं बुरी तरह चौंका- अरे यह सलोनी रानी कहीं कुंवारी तो नहीं है क्योंकि ऐसा गर्म गर्म चिपचिपा तरल खून ही हो सकता है।

मैंने झुक के नीचे को देखा, सच में सलोनी कुंवारी ही थी, खून थोड़ा थोड़ा चूत से बाहर भी आ गया था।

मुझे सलोनी रानी पर बहुत प्यार आया। इसने बताया भी नहीं कि यह कुंवारी है। पता होता तो मैं धीरे धीरे लंड को ज़रा कोमलता से घुसाता।

मैंने प्यार से भर कर उसका मुँह चूमा और बड़ी नरम आवाज़ में कहा- रानी, तूने बताया क्यों नहीं कि तू कुंवारी है… मैं आराम से चूत में घुसेड़ता… तुझे दर्द भी बहुत कम होता !

‘राजे मैं तो तुझे एक सरप्राइज़ देना चाहती थी… मेरी बहुत इच्छा थी कली से फूल बनने की… राजे आज तूने मेरी तमन्ना पूरी की… सील तोड़ दी मेरी… और इतना मज़ा भी दिया तूने… तूने आज मुझे जीत लिया… अब बस चोद जैसे तुझे चोदना है वैसे ही कर… दर्द हुआ था जब सील फटी थी अब नहीं है… चल चोद दे अपनी सलोनी रानी को।

मैंने उसका मुँह चूमते चूमते धक्के लगाने शुरू किये, मैं धक्कों की स्पीड मिक्स कर रहा था, कभी कुछ धक्के हौले हौले फिर कुछ धक्के तेज़ और फिर एक या दो धक्के बहुत तगड़े।

सलोनी रानी फिर से मस्ता गई थी, बोलना चाहती थी लेकिन उसका मुँह बंद कर रखा था अपने मुँह से।

सलोनी रानी भी नीचे से अपने चूतड़ उछाल उछाल कर चुदवा रही थी, दन दन दन धक्के पे धक्का, धक्के पे धक्का, और धक्के पे धक्का!!!

सलोनी रानी ने मेरी पीठ पर मस्ती में अपने नाखून गड़ दिये और ज़ोर ज़ोर से खरोंचें लगा दीं।

उसने अपना मुँह मेरे मुँह से अलग किया और एक बार फिर ज़ोर से नाखूनों से मेरी पीठ को खुरचा, भिंची भिंची आवाज़ में बोली- मां के लौड़े… इतने ज़ोर से होंठ चूस रहा था… मेरी सांस बंद कर दी… बस झड़ने वाली हूँ म़ैं… अब धक्का दे हाँ दे..दे…दे… हाँ हाँ, ऐसे ही… दिये जा राजे… हाय राजे मेरा बदन कहाँ उड़े जा रहा है।
सलोनी रानी इतने ज़ोर से स्खलित हुई कि चूतड़ उछाल उछाल कर उसने बेड हिला के रख दिया। यहाँ तक कि उसकी सु सु भी निकल गई, उसका स्वर्ण रस धड़ा धड़ छूटा और हम दोनों की जाँघें भीग गईं, बिस्तर भी भीग गया।

उसके स्वर्ण रस की गर्मी जैसे ही मुझे महसूस हुई, म़ैं भी चरम सीमा पर पहुँच गया और झड़ गया, ढेर सारा लावा सलोनी रानी की चूत में भर गया।

म़ैं निढाल होकर उसके ऊपर ढेर हो गया, मेरा वज़न सलोनी रानी कैसे झेल गई पता नहीं।

बहुत देर तक हम यूँ ही पड़े रहे। फिर म़ैं उठा, देखा लंड बाहर फिसल चुका था और मुरझा के ज़रा सा हो गया था।

मैंने उसकी चूत और चूत के आस पास का शरीर चाट के साफ किया और अपना लुल्ला सलोनी रानी के पास ले आया, उसने भी चाट के सब साफ कर दिया।

मैंने पूछा- रानी एक बात बता… तू है तो कुंवारी लेकिन तुझे चूत चुदाई की बातें सब पता हैं… तू लंड चूसना इतना बढ़िया कैसे जानती है?

सलोनी रानी हंसकर बोली- म़ैं इंटरनेट पर ब्लू फिल्में देखती हूँ… इसलिये पता है… उन फिल्मों में सबसे ज़्यादा लंड चूसना ही तो दिखाया जाता है। इसलिये लड़कियाँ लंड चूसने की कला सीख जाती हैं… लेकिन राजे जो तू चाट चाट के तर कर देता है वो किसी फिल्म में नहीं देखा कभी। यह मेरे लिये नई बात है… स्वर्ण रस पीना भी मेरे लिये नई चीज़ है… तू बहुत बहुत मज़ा देता है… राजे कोई भी लड़की तुझ से चुद के तेरी गुलाम ही बन के रहेगी।

‘नहीं सलोनी रानी… बल्कि म़ैं चाहता हूँ लड़की का गुलाम बनके रहना… रहा स्वर्ण रस का सवाल तो हर ब्लू फिल्म की साइट पर एक केटेगरी होती है जिसे SQUIRTING या GOLDEN SHOWER कहा जाता है… उसमें स्वर्ण रस पीने वाले बहुत लोग मिलेंगे… GOLDEN SHOWER का ही हिन्दी रूपान्तर है स्वर्ण रस या कह लो स्वर्णामृत।

अपना शरीर चटवाने में लड़की को बहुत मज़ा आता है ऐसा मेरा अनुभव है… यह मुझे मेरी सेक्स गुरु बाली रानी ने सिखाया था… बाली ने ही मेरी पहली पहली बार चुदाई की थी… यूँ कह लो मेरी नथ खोली थी।’

इसके बाद सलोनी रानी ने फिर से मुझे अपना स्वर्ण रस पिलाया और मेरा पिया।

अब हमारे चलने का टाइम भी हो चला था। चलते चलते मुझ से रहा ना गया और मैंने पूछ ही लिया- रानी, जब तुम माँ बनोगी तो मुझे अपना दूध पीने दोगी ना?

सलोनी रानी हंसी और एक मुक्का मेरे सीने पर मारकर बोली- यह तो ससपेन्स रहना चाहिये ना मेरे राजे… तू कमीने सोचता रह दूध पीने को मिलेगा नहीं मिलेगा, मिलेगा नहीं मिलेगा…बस यही सोचे जा।

एक बार फिर से एक खूब लम्बी चुम्मी लेकर पहले सलोनी रानी निकली और उसके एक घंटे के बाद म़ैं भी होटल से चेक आउट करके अपने घर आ गया।

आशा करता हूँ कि पाठकों को यह कहानी पसंद आई होगी।
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