गाँव में मस्ती भाभियों के साथ

User avatar
rangila
Super member
Posts: 5698
Joined: 17 Aug 2015 16:50

Re: गाँव में मस्ती भाभियों के साथ

Post by rangila »

जैसे ही हम बाहर निकले, राशि भाभी ने पूछा- “क्यों किशोर, कैसा रहा? मजा आया की नहीं? अगर ना आया हो तो बोलना और भी तरीके हैं हमारे पास…” बोलकर हँसने लगी।

मैं- “मजा तो आएगा ही ना भाभी। इतनी सारी मुनियों का प्यार जो मिल रहा है मेरे मुन्ने को…” और फिर ऐसे ही मजाक में बातें होती रहीं।

इस तरह तीन दिन में चार-चार भाभियों (राशि, प्रीति, सोनिया और राशि की सहेली रसीला) को चोदने के बाद मैं तो जैसे चोदने में मास्टर बन गया था। अब मैं अपने लण्ड को लंबे समय तक झड़ने से रोक सकता था, और सामने वाली के दो गोल हो जायें तब तक अपना एक शाट ही चालू रख सकता था।

दूसरे दिन सुबह में मुझे सोनिया भाभी ने जल्दी उठाया। चाचा और चाची दोनों आज बिल्कुल सबेरे ही शहर चले गये थे, रिश्तेदारों के यहाँ पर, कुछ बेचना था।

तभी सोनिया भाभी आकर मुझे बोली- “देवरजी, कैसी कटी रात? सपने में भी किसी को चोदा या नहीं?”

सुनकर सभी भाभियां हँसने लगी। मैं भी हँस दिया।

सोनिया बोली- चलो आप तैयार हो जाओ, आपको मेरे साथ मेरी माँ के घर जाना है।

मैंने पूछा- कहां है वो?

सोनिया बोली- “इधर ही आधे घंटे का रास्ता है, मैंने तुम्हारे भैया को बोल रखा था, इसलिए वो मोटरसाइकल छोड़ गये हैं, हमारे लिए…”

मैं- “लेकिन वो… आज तो भाभी आप मुझे वो…” बोलकर मैं रुक गया।

सोनिया समझ गई और बोली- “देवरजी, टेन्शन मत लो। आप सिर्फ मेरे साथ चलो। बाकी का काम मेरे ऊपर छोड़ दो…”

फिर मैं और भाभी साथ में नहाए। नहाते वक़्त भी बहुत मस्ती की। और मेरा पसंदीदा ब्रेकफास्ट (सीधा चूची का दूध) राशि भाभी और शोनिया भाभी से किया। और हम एक ही रूम में तैयार हो गये। उसने मेरे सामने ही कपड़े बदले। फिर हम बाइक पे उसकी माँ के गाँव जाने को निकले। रास्ते में वो मेरे से चिपक के बैठी थी, जिससे उसके भरी-भरी चूचियां मेरी पीठ पे दबती रहती थीं।

फाइनली जब हम वहां पहुँचे तो उनके घरवालों ने हमारा स्वागत किया। फिर जनरल बातें होती रही। थोड़ी देर बाद भाभी कहीं बाहर निकली और पीछे मुड़कर मेरे को स्माइल दिया। तो मुझे पता लग गया की मेरा काम करने ही जा रही है।

थोड़ी देर के बाद जब वो वापस आई तो मुझे अगूठा दिखाकर ‘काम हो गया’ बोला, जिसका मतलब था की मेरा काम होने वाला है।

दोपहर को खाना खाने के बाद हम आराम करने के लिए अलग कमरे में चले गये।

भाभी भी वहीं पे आ गई, और बोली- “देवरजी, लण्ड थाम के रखिये, उसकी तो आज फटने वाली है…”

मैं- “मैं तैयार ही हूँ भाभी, फाड़ने के लिए…”

तभी एक सुंदर सी छोटी सी लड़की ने कमरे में प्रवेश किया। भाभी ने मुझसे उसका परिचय करवाया की ये काजल है और 10 वीं कक्षा में पढ़ती है।
बाजू में ही रहती है और तुमसे कुछ पढ़ाई करना चाहती है। भाभी उसके सामने पढ़ाई बोली, क्योंकी वो शर्मा जाती। वैसे वो उससे सब बात करके ही आई थी।

मैं तो बस उसको देखता ही रह गया। क्या गजब का माल थी। एक अनछुई सी कली थी, जो की पहली बार किसी से चुदने वाली थी।

वो एकदम गोरी-गोरी, हाइट 5’4” और रंग एकदम गोरा दूध जैसा था, पानी पिए तो वो भी गले से उतरता दिखे।

उसके होंठ एकदम कोमल, फूल की पंखुड़ी जैसे। अगर जोर से चूसो तो खून बह जाए। स्तन मीडियम साइज 32” के जो की उसकी जवानी का सबूत दे रहे थे। इतने टाइट और उठे हुए की बस दिल करे की उसे हाथों में ही थामे रखे।

कमर एकदम पतली सी, सिर्फ 26” की, दो हाथों को घेर लो तो उसमें समा जाए। नितंब (कूल्हे) इतने सुंदर 34” के साइज के, जो की अभी-अभी जवानी चढ़ने से हुए हों। टाँगें गोरी-गोरी और बीच में जांघों से एकदम जुड़ी जुई, जो की उसकी कुवारेपन का सबूत हैं।

चलती तो कूल्हे ऐसे मटकते, जो बताते थे की अभी मुझे चोदना बाकी है। पूरा वर्णन करें तो एक सुंदर सी परी जैसी। मुझे यकीन नहीं आता था की वो चुदने को तैयार है, वो भी किसी अंजाने के साथ। मैं तो अपने आपको बहुत भाग्यषाली मान रहा था।

बाकी तो सभी को पत्नी ही मिलती है, और वो भी शायद ही कुँवारी हो। लेकिन मुझे आज यहां एक छोटी सी कुँवारी लड़की जो की अभी ही जवानी में कदम रख रही है, वो मिल रही थी।

भाभी उसे हमारे कमरे में लाई और हमने साथ में थोड़ी जनरल बात की। फिर भाभी बोली- “देवरजी, अभी नहीं, आप रात का इंतजार करो…”

मैं रात का इंतजार करने लगा। हमारे सोने की व्यवस्था गर्मियों की वजह से भाभी ने जानबूझ के छत पे की थी। वो लड़की भी पड़ोस में ही रहती थी तो उसे भी भाभी ने छत पे सोने का बोल दिया था। रात होते ही मैं बिस्तर में चला गया। आज मैं कंडोम साथ में ही लाया था। मैं नहीं चाहता था की कोई लड़की मेरे वीर्य से माँ बन जाए।

तभी भाभी थोड़े काम निपटा के ऊपर आई। उसने पारदर्शी सी नाइटी पहन रखी थी। मुझे तो हुआ की मैं उसकी अभी ही एक गोल ले लूं, लेकिन फिर सोचा कि पहला हक वो बिचारी का है जो उपना कुँवारापन मुझे दे रही है। मैंने भाभी से थोड़ी मस्ती की और थोड़ा दूध भी पिया।

तभी वो लड़की ऊपर आ गई।

भाभी बोली- “अभी रात के 8:00 ही बजे हैं तो एक-दो घन्टा सो जाओ, ताकि घर के सारे लोग भी सो जाएं…” और ऐसा ही वो लड़की को भी बताया।

मैं भाभी से चिपक के सो गया। दो घंटे बाद मेरी आँख खुली, मैंने भाभी को जगाया और बोला- “आप उसको बुला लो…”

तभी वो लड़की चुपके से छत पे कूद के हमरी छत पे आ गई। उसने पतला सा टी-शर्ट पहना था और नीचे एक बरमूडा। वो अभी छोटी थी इसलिए रात में ऐसे ही कपड़े पहनती थी। आते ही वो भाभी के साथ बैठ गई।
भाभी ने उसका हाथ मेरे हाथों में दिया और बोला- “लो, संभलो अपने माल को…” और स्माइल दी।

वो लड़की जिसका नाम काजल था वो भी शर्मा गई।

मैं पहली बार किसी हम-उम्र लड़की को छू रहा था, तो मेरे पूरे शरीर में एक करेंट सा दौड़ गया। वो क्या गरम थी। इतनी तो वो तीनों भाभियां भी नहीं थीं, क्योंकी वो सब चूसे हुए फूल थीं और ये काजल अनछुआ फूल थी।

मैंने धीरे से उसके हाथ को पकड़ा और सहलाया। फिर बोला- “काजल, शर्माओ मत। मैं तुम्हें थोड़ा सा भी दुख नहीं पहुँचाऊँगा, और एकदम आराम से प्यार करूँगा। क्योंकी तुम इतनी नाजुक हो की जैसे गुलाब का फूल…”

काजल अपनी तारीफ सुनकर शर्मा गई।

मैंने उसके चेहरे को उठाया। और आँखों में आँखें डालकर उसे देखने लगा। मैं कोई जल्दबाजी नहीं करना चाहता था। क्योंकी मैं उससे अपनी सुहागरात मना रहा हूँ वैसा ही लग रहा था। और एकदम प्यार से उसे औरत बनाना चाहता था।
भाभी हमें बात करते हुए देख रही थी, और मुझे सलाह देती हुई बोली- “शायद मुझे नींद आ जाए तो ध्यान रखना, उसकी चीख से नीचे कोई जाग ना जाए। वरना लेने के देने पड़ जाएंगे और बदनामी भी होगी। अगर एक रात में नहीं होता है तो बाकी का कल करना…”

मैंने बोला- “भाभी, आप बे-फिक्र रहें, मैं इस नाजुक कली को आराम से फूल बनाऊँगा। और इतना प्यार से करूँगा जैसे की मेरी सुहागरात हो और काजल मेरी बीवी हो…”

भाभी हमें देखती जा रही थी।

उधर मैंने काजल के चेहरे को हाथों में लिया, और उसके नरम गालों को सहलाने लगा। उसकी आँखें अभी भी नीचे झुकी हुई थीं।

मैं थोड़ा और नजदीक गया, उसके चेहरे को हाथों में भर लिया और उसके माथे पे एक चुम्मी लिया, फिर गालों पे, फिर कानों पे, फिर गले पे, फिर नाक पे, और फिर मेरे तपते होंठ उसके होंठों पे रख दिए।

मैंने दोनों हाथों से उसे कंधे से पकड़ रखा था। मैं काजल के होंठों को चूमते हुए एक हाथ को उसकी पीठ पे ले गया और दूसरे हाथ से कंधे पर उसकी ब्रा की पट्टी से खेलने लगा।

फिर मैंने उसके होंठों को चूसना चालू किया। उसके होंठ एकदम छोटे-छोटे और नरम-नरम थे। दूसरे हाथ को कंधे से नीचे लेता हुआ ड्रेस के गले के पास उसकी चूचियों के उपरी हिस्से पे लाया, और उसकी चूचियों की नरमाई महसूस करने लगा।

फिर हाथ थोड़ा और नीचे लेकर उसकी पूरी चूचियों को मेरी हथेली में भर लिया, और सहलाने लगा। मैं उसकी गोलाईयों पे पूरा हाथ फेर रहा था।

उसकी चूचियां 32” की साइज की होंगी लेकिन उसके पतले शरीर में वो भी बहुत बड़ी-बड़ी दिखती थीं।
User avatar
rangila
Super member
Posts: 5698
Joined: 17 Aug 2015 16:50

Re: गाँव में मस्ती भाभियों के साथ

Post by rangila »

अब मैं उसकी चूचियों को थोड़ा सा दबाने भी लगा, जिससे अब उसको भी मजा आने लगा और मुझसे लिपट गई। उसकी आँखें उत्तेजना के मारे बंद हो गई थीं।

काजल भी किस में मेरा पूरा साथ दे रही थी। किस करते हुए मैं अपने होंठों से उसकी जीभ को चूसने लगा, कभी-कभी काजल भी मेरी जीभ को चूस लेती थी। रात की चाँदनी में उसका दूधिया बदन चमक रहा था। मैं टी-शर्ट के ऊपर से ही उसकी चूचियां दबाने लगा।

अब उसके मुँह से हल्की-हल्की सिसकियां निकलने लगीं- “आह्ह… ह्म्म… सिस… आह्ह…” करके वो मेरा किस्सिंग और प्रेसिंग एंजाय करने लगी।

मैंने उसके हाथ को पकड़कर मेरी पैंट के ऊपर से लण्ड पर रख दिया, जिससे वो चौंक गई। पहली बार तो उसने हाथ हटा लिया, लेकिन मैंने फिर से हाथ रख दिया तो वो धीरे-धीरे उसके हाथ को पैंट के ऊपर घुमाकर मेरी लंबाई नापने लगी।

फिर मैंने अपनी जिप खोल दी, लण्ड को बाहर निकाला, और उसका हाथ फिर से उसके ऊपर रख दिया। अब वो मेरे गरम लण्ड को महसूस करके सिसकियां लेने लगी।

अब मैंने उसे अपनी गोद में उसका चेहरा मेरे सामने रहे वैसे दोनों टाँगें दोनों तरफ फैलाकर बिठा लिया और उसे जोर-जोर से किस करने लगा। काजल मेरे लण्ड के ऊपर बैठी हुई थी तो उसके कोमल गुदाज कूल्हों की गर्मी मेरे लण्ड को महसूस हो रही थी।

और वो भी थोड़ा सा आगे पीछे होकर उसकी योनि को मेरे लण्ड के साथ रगड़ रही थी।

अब काजल एकदम गरम थी और चूत में कुछ भी डलवाने को तैयार थी। मैंने उसकी टी-शर्ट उठाकर पूरा निकल दिया, जिससे अब उसके सीने पे एक छोटी सी ब्रा थी। मैं ब्रा के ऊपर से ही उसकी चूचियों को जोर-जोर से दबाने लगा।
उधर भाभी भी हमारा ये नजारा देखकर उत्तेजित हो गई थी, और उसने अपनी नाइटी को शरीर से अलग कर दिया था। ब्रा तो उसने पहनी ही नहीं थी, और सिर्फ पैंटी पहने हुए वो पैंटी के अंदर हाथ घुसाकर अपनी योनि को रगड़ रही थी।

अब सोनिया भी हमारे बाजू में आ गई और मुझे किस करने लगी। फिर उसने अपनी चूचियां मेरे मुँह में दे दिया। मैं उसकी चूचियां चूसने लगा तो मेरे मुँह में दूध की धार फूट पड़ी। मैं तो गपागप दूध पी रहा था, जैसे कभी पिया ही ना हो।

काजल ये सब देखकर और उत्तेजित हो गई और खुद ही उसके बरमूडे में हाथ डालकर अपनी योनि से खेलने लगी।

अब भाभी ने मुझे दूध पिलाते हुए काजल का चेहरा भी अपनी दूसरी चूची पे लगा दिया, और काजल उसे चूसने लगी। भाभी अपने दोनों हाथों से अपनी दोनों उंगलियों के बीच में निपल लेकर चूचियां दबाती थी जिससे हम दोनों के मुँह में और दूध बह जाता था।

फिर मैंने एक उंगली भाभी की गोद में लेटे-लेटे ही भाभी की चूत में डाल दी।

काजल ये सब देख रही थी और दूध भी पी रही थी। अब मैंने उंगली को अंदर-बाहर करना चालू किया, तो भाभी अकड़ने लगी और खुद कूल्हे ऊँचे करके साथ देने लगी।

काजल ने ये देखकर दूध पीते हुए ही उसकी बरमुडा को उतार दिया और अब वो सिर्फ ब्रा पैंटी में ही थी।

मैंने दूसरे हाथ से काजल की योनि को पैंटी के ऊपर से टटोला, जो की गीली हो गई थी। मैं उसकी टाइट लकीर पे उंगली फिराने लगा। वो अब इतनी गरम हो गई थी की मेरे हाथ को अपनी चूत पे दबा दिया और जोर-जोर से उसे पकड़के पैंटी के ऊपर से ही चूत पर रगड़ने लगी। फिर थोड़ी देर में वो शांत हो गई। शायद पहली बार होने की वजह से उसका पानी जल्दी ही छूट गया था।

भाभी भी अब झड़ने वाली थी। और फिर मैंने मेरे लण्ड का टोपा काजलभाभी की चूत पे रख दिया और शाट मारने लगा।

अब काजल साइड में बैठकर हमारी चुदाई देख रही थी।

मैं भाभी के ऊपर आ गया और उसे घचाघच धक्के मारने लगा, तो वो अब सह नहीं पाई और ढीली हो गई, क्योंकी उसका पानी निकल गया था। लेकिन मेरा अभी बाकी था तो भाभी लण्ड चूत से बाहर निकालकर मुँह में लेकर जोर-जोर से चूसने लगी। थोड़ी देर चूसने के बाद भाभी ने काजल को नजदीक बुलाया और बोला- “तुम इसे चूसो…”

पहले तो काजल शर्माई, लेकिन भाभी के जोर देने पे उसने मेरा टोपा पूरा मुँह में भर लिया और टोपे को चूसने लगी। मैं तो जैसे चरम सीमा के नजदीक था, तो मैंने उसका सिर पकड़कर फटाफट लण्ड अंदर-बाहर करने लगा जिससे काजल की ‘उम्म्म्म उम्म्म्म’ की आवाजें आने लगी।

भाभी ने काजल को बोला- “किशोर का पानी पी जाओ, बहुत गुणकारी होता है…”

काजल शायद नहीं पीना चाहती थी लेकिन मैं उसे छोड़ने वाला नहीं था तो मेरी स्पीड बढ़ गई और लण्ड से पिचकारी छूट पड़ी और उसकी धार सीधे ही उसके गले में जा गिरी। कुछ 10-12 झटकों के बाद मैं भी निढाल हो गया। फिर काजल ने मेरा लण्ड बाहर निकाला और गहरी-गहरी सांसें लेने लगी।

अब भाभी ने मेरे लण्ड को मुँह में ले लिया और उसपे जीभ फिरा के चूसने लगी। वो तो इसमें माहिर थी तो मेरा पूरा लण्ड मुँह में ले लेती थी। और मेरे टोपे पे उसके गले के अंदर का चिकना हिस्सा टकरा जाता था।

फिर से मेरा लण्ड तनने लगा और पूरी लंबाई में आ गया। अब मुझे काजल की चूत मारे बिना नहीं रहा जा रहा था। तो मैंने काजल को किस करना चालू किया और हाथ को पीछे लेजाकर उसकी ब्रा का हुक खोल दिया। अब उसके आजाद कबूतर, जो की एकदम तने हुए थे उसको मैंने हाथों में थाम लिया।

भाभी अभी भी मेरे लण्ड को चूस रही थी। अब मैंने काजल की पैंटी उतार दी। तो उसकी योनि रात की चाँदनी में चमक उठी। उसकी योनि की दरार एकदम टाइट थी और दोनों गुदाज फांकें एक दूसरे से जुड़ी हुई थीं।

उन फांकों को मैंने उंगलियों से अलग किया तो अंदर का नजारा देखने लायक था। अंदर उसके छोटे-छोटे योनि के होंठ उसकी सुंदरता बढ़ा रहे थे। उसका प्रेम छेद तो दिख नहीं रहा था, क्योंकी होंठों ने उसे ढक के रखा था।

मैंने उसकी योनि के होंठों को खोला और उसपे उंगली फिराने लगा। योनि अब एकदम गीली और चिपचिपी हो गई थी और पानी बहा रही थी।

मैंने होंठों को खोलकर उसका लाल रंग का प्रेम छेद देखा, जो की सिर्फ एक स्ट्रा के छेद जितना ही था। क्योंकी उसकी योनि ने आज तक मूतने का ही काम किया था और पहली बार वो उसके साथी मुन्ने को उसमें समाने जा रही थी। तो वो भी उत्तेजित होकर ज्यादा पानी बहा रही थी।

अब मैं धीरे-धीरे एक उंगली को उसकी दरार पे फिराते हुए उसके छेद को टटोलने लगा, और उसके पानी से मैंने उंगली भिगो ली। छेद पे थोड़ा दबाया तो उंगली थोड़ी उसकी चूत में घुसी। लेकिन उससे भी उसको थोड़ा दर्द हुआ और वो कराह उठी। मैंने धीरे से उंगली को और दबाया तो मेरी आधी उंगली उसकी चिकनी गहराई में उतर गई।
लेकिन काजल को दर्द भी हो रहा था। इसलिये मैं उसी पोजीशन में उंगली रखते हुए उसके होंठों को चूमने लगा। काजल भी चूमने का मजा लेने लगी।

अब मैंने उंगली हल्की सी बाहर खींचकर फिर से अंदर डाल दी। जिससे उसने गाण्ड थोड़ी सिकोड़ी, और फिर ढीली छोड़ दी। अब उसे भी मजा आने लगा था, तो वो भी कैसे घूमने लगी।

मैंने उंगली की स्पीड बढ़ा दी, क्योंकी अब मेरी उंगली आराम से उसकी मक्खन जैसी चूत में जा रही थी। उसकी योनी की दीवारें अंदर से इतनी चिकनी थीं की बड़ा आनंद दे रही थीं, और गरम भी उतनी ही थीं। अब मैंने स्पीड बढ़ा दी तो वो भी कमर उचका के साथ देने लगी।

फिर भाभी ने मुझे हटा दिया और बोला- “अब उसे चोद दो, उससे नहीं रहा जा रहा है…” और फिर ऐसा बोलकर उसने काजल की दोनों टाँगें दोनों साइड कर दी जिससे उसकी चूत का छेद थोड़ा खुल गया। उसका छेद अब मेरी उंगली जाने की वजह से उतना फैल गया था।

अब भाभी ने मुझे उसकी टांगों के बीच में आने को कहा तो मैं चला गया और फिर भाभी ने मेरे लण्ड के टोपे को पकड़कर उसके छेद पे रखा और मेरे कानों में बोला- “जैसे ही मैं काजल को किस करूं, आप लण्ड को धक्का लगाना…”

मैं भाभी की होशियारी से खुश हो गया। फिर भाभी काजल के चूचियां दबाती हुई उसके होंठों पे होंठ रख दिया और उसे चूसने लगी। काजल भी इस किस का मजा लेने लगी और उसमें खो गई। फिर तभी होंठ चूसते हुए ही भाभी ने हाथों से मुझे इशारा कर दिया।
User avatar
rangila
Super member
Posts: 5698
Joined: 17 Aug 2015 16:50

Re: गाँव में मस्ती भाभियों के साथ

Post by rangila »

मैं तो जैसे तैयार ही था। मैंने एक धक्का मारा तो लण्ड उसके नरम छेद को चीरता हुआ सुपाड़े तक अंदर घुस गया। और काजल की चीख निकली जो की गले में ही दब गई, और वो ‘ह्म्म ह्म्ह’ करने लगी जैसे बोल रही हो की छोड़ो मुझे, मुझे नहीं चुदवाना है।

लेकिन भाभी मजबूती से उसके होंठों को कस के किस कर रही थी, जिससे उसकी आवाज आनी ना-मुमकिन थी। और फिर एक मिनट बीता तो भाभी ने फिर से मुझे इशारा किया। मैंने मेरे टोपे को बाहर खींचा जिससे काजल को लगा की अब मैं उसे नहीं चोदूंगा, लेकिन वो उसका वहम था।

और तभी मैंने और एक शाट मारा तो मेरा लण्ड उसकी कसी चूत को चीरता हुआ 3” इंच तक घुस गया। फिर से काजल की चीख गले में दब गई।

फिर मैंने भाभी के इशारे की राह देखे बिना ही मेरे लण्ड को बाहर खींचा और एक जोरदार शाट मारा तो मेरा लण्ड उसके योनि-पटल को चीरता हुआ 6” इंच तक घुस गया, जिससे उसकी योनि से खून बहने लगा।

और अब काजल चीखी, लेकिन उसकी चीख फिर से गले में ही दब गई। उसे बहुत दर्द हो रहा था। इसलिये मैं थोड़ी देर वैसे ही लण्ड डालकर पड़ा रहा और उसकी चूचियों को चूसने लगा। उसकी निपल को जीभ से छेड़ने लगा और उसकी पूरी गोलाइयों को हाथों में लेकर दबाने लगा, और उधर भाभी भी उसके होठों को जोर-जोर से चूस रही थी।

थोड़ी देर बाद काजल भी इसका मजा लेने लगी और सहयोग करने लगी, और उसके कूल्हे उठाकर मेरा लण्ड लेने लगी। अब मैं भी हरकत में आ गया और मेरे लण्ड को अंदर-बाहर करने लगा। मेरा लण्ड उसकी टाइट योनि को छीलता हुआ अंदर-बाहर हो रहा था, और मुझे भी बहुत मजा आ रहा था।

भाभी ने सही कहा था की कुँवारी लड़कियों की तो बहुत टाइट होती है। और मैं अंदर-बाहर करते हुए उसकी चूचियां भी चूस रहा था। अब भाभी ने काजल के होठों को आजाद किया तो वो गहरी सांसें लेने लगी और उसकी हल्की-हल्की सिसकियां गूंजने लगी।

मैंने भी अब उसके होठों को मेरे होठों से जोड़ दिया और चूसने लगा।

अब मैंने मेरे धक्कों की स्पीड बढ़ा दी और पूरा लण्ड अंदर-बाहर करने लगा। काजल तो मेरे इन धक्कों से जल्द ही चरम सीमा पे पहुँच गई, और झड़ गई।

मैं उसकी योनि में झड़ना नहीं चाहता था। अब मुझे लगा की मेरा भी निकालने वाला है तो मैंने लण्ड बाहर खींच लिया। भाभी तो वहीं पे अपना मुँह लगाकर बैठी थी तो मैंने फट से लण्ड सीधे भाभी के मुँह में डाल दिया और भाभी का मुँह चोदने लगा, और 4-5 धक्कों के बाद मैंने पूरा लण्ड उसके गले तक डाल दिया,

मेरे लण्ड ने एक जोरदार पिचकारी छोड़ दी, जो सीधी ही भाभी के पेट में चली गई। कुछ 5-7 पिचकारी निकली और मैं वैसे ही उसके मुँह में छोड़ दिया। उसने एक बूँद भी नीचे नहीं गिरने दिया और फिर से लण्ड चूसने लगी। मेरी फिर से उत्तेजना बढ़ गई तो मेरा लण्ड फिर से तन गया।

वहां काजल ये सब देख रही थी।
मेरा लण्ड फिर से पूरा तन गया तो मैंने भाभी के मुँह से लण्ड निकालकर, भाभी को धोड़ी बना दिया और पीछे से फच्च से उसकी चूत में लण्ड डाल दिया और फचा-फच धक्के मारने लगा।

जिससे उसके कूल्हों पे मेरी जांघें टकराने से हर एक धक्के पे फट-फट की आवाजें आ रही थी। फिर ऐसे ही कुछ धक्कों के बाद मैंने मेरा वीर्य जोर की पिचकारी के साथ भाभी की चूत में गिराने लगा और वो भी चुदाई के बाद हाँफने लगी।

आज 3 गोल लेने की वजह से मैं भी थक गया था। फिर हमने अपने कपड़े पहने, काजल को गुडनाइट किस किया और कल रात फिर से मिलने का वादा करके हम सो गये।

उसके बाद लगातार तीन दिन तक मैंने भाभी और काजल को चोदा, लेकिन चौथे दिन काजल अपने मामा के घर छुट्टी मनाने चली गई। जाने के टाइम काजल उदास दिख रही थी।

हमको इधर और 4 दिन रुकना था तो दूसरे दिन काजल के जाने के बाद मेरा उदास चेहरा देखकर भाभी समझ गई, और बोली- “टेन्शन मत लो देवरजी… आप कभी भी भूखे नहीं सोएंगे, ये मेरा आपसे वादा है। मैं तो हूँ ही आपके लिए, लेकिन और इंतेजाम भी कर दूँगी…” बोलकर वो अपने काम में लग गई और मैं घर में टीवी देखकर टाइम पास करने लगा।

थोड़ी देर बाद भाभी पड़ोस में जा रही थी। मेरे सामने आकर मुझे देखकर हँसी और बोली- “अभी आपके लिए कुछ जुगाड़ करके आती हूँ शायद कुछ हो जाए…” कहकर वो बाहर निकल गई। एक घंटे के बाद वापस आई तो थोड़ी उदास दिख रही थी।

मैंने पूछा- क्यों क्या हुआ?

वो बोली- देखते हैं, लेकिन मुझे मेरा गिफ्ट मिलना चाहिए।

मैं- “वो तो आपको जब चाहिए तब मिल जाएगा, डोंट वरी…” और पूछा- “अभी दे दूं क्या?”

वो घबराके बोली- “नहीं बाबा, बाद में बोलूँगी। अभी तो आप सिर्फ मुन्ने को तैयार रखो…”

भाभी की ये बात सुनकर मेरी खुशी का ठिकाना नहीं रहा और मैंने भाभी को बाहों में लेकर एक किस कर दिया।

भाभी बोली- चलो हटो, आप तो बेशर्म हैं, कोई देख लेगा तो?

मैं- “ठीक है, लेकिन भाभी मुझे थोड़ी भूख लगी है, थोड़ा आपका दूध पिला दो ना…”

भाभी बोली- “हाँ… तुम रूम में जाओ, मैं आती हूँ…”

मैं रूम में चला गया।

भाभी की मम्मी बाजार जा रही थी, सब्ज़ी लाने के लिए। जैसे ही वो गई। भाभी मेरे कमरे में आ गई और किवाड़ बंद कर दिया, साड़ी पूरी उतार दी। और बोली- “देवरजी, मेरी मम्मी शायद एक घंटे बाद आएंगी। तब तक मुझसे नहीं रहा जाएगा, आप मेरी प्यास अभी ही बुझा दो…”

मैं- “ठीक है भाभी, देर किस बात की है? आ जाओ, और मेरे ऊपर चढ़कर मुझे चोद डालो…”
मेरी ऐसी सेक्सी बात सुनकर वो और ज्यादा उत्तेजित हो गई। उसने साड़ी उतार ही दी थी तो ब्लाउज़ में उसकी एकदम बड़ी-बड़ी चूचियां समा नहीं रही थीं, और ब्लाउज़ फाड़कर बाहर आने को मचल रही थीं।

भाभी ने अपने पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया तो पेटीकोट सर्रर से नीचे गिर गया। अब उसकी मांसल जांघों के बीच में उभरी हुई चूत साफ दिख रही थी, और सफेद कलर की पैंटी के ऊपर थोड़ा गीला भी लग रहा था। क्योंकी वो ज्यादा ही उत्तेजित हो गई थी।

फिर भाभी पुरे कपड़े निकाले, उससे पहले मैंने बोला- “भाभी, बाकी के कपड़े मैं उतारूँगा…”

भाभी मेरे सामने खड़ी रह गई। अब मैंने उसकी चूचियों को हाथों में भर लिया, और ब्लाउज़ के ऊपर से ही सहलाने लगा। मैंने ब्लाउज़ के ऊपर से ही निपल को मुँह में ले लिया और जोर-जोर से चूसने लगा, जिससे मेरे मुँह में दूध आने लगा।

फिर मैंने एक-एक करके सारे हुक खोल दिए और सीधा ही चूची को मुँह में भर लिया और दूध पीने लगा। उसकी कांखों की खुशबू मेरे नाक में समा रही थी तो कभी-कभी मैं उसे भी सूंघ लेता था। फिर मैंने ब्लाउज़ पूरा उतार दिया और पैंटी के ऊपर से ही उसकी चूत की खुशबू महसूस करने लगा। फिर वो थोड़ा पीछे हटी और दो उंगलियों से पैंटी को नीचे खिसका दिया।

अब उसकी बाल-रहित मुनिया मेरे सामने थी जिसमें से उसके होंठ बाहर दिख रहे थे। मैंने भाभी को नीचे बिठा के मेरी पैंट की जिप खोल दी और लण्ड बाहर निकालकर उसके मुँह में दे दिया, और वो उसे चूसने लगी। फिर मैं उसकी टाँगें चौड़ी करके उसके ऊपर आ गया, और एक ही झटके में पूरा लण्ड डाल दिया।

भाभी को कोई ज्यादा तकलीफ नहीं हुई, क्योंकी वो अब मेरे लण्ड की आदी हो चुकी थी। फिर मैं उसे घचाघच चोदने लगा। कुछ देर बाद हम झड़ गये और हम कपड़े पहनकर बाहर आ गये।

फिर थोड़ी देर बाद भाभी की माँ आ गई तो वो काम में लग गई। मैं सोच रहा था की भाभी ने मेरा जुगाड़ किसके साथ किया होगा? वो लड़की होगी या कोई चुदी-चुदाई हुई औरत? मुझे मालूम नहीं था। मैंने चुदाई के दौरान पूछा भी।

लेकिन भाभी ने हँसकर जवाब टाल दिया और बोला था- “वो सस्पेंस है…” शाम को भाभी ने मुझे बोला की आज आप कहा सोएंगे?

मैं- आपके ऊपर।

तो भाभी हँस पड़ी, और बोली- “वो तो है ही… लेकिन अगर मेरे साथ ही सोना है तो मैं उसको ना बोल देती हूँ…”

मैं- आप किसको ना बोल दोगी?

भाभी- जिसके साथ आज रात को तुझे सोना है।

मैं आश्चर्य से- “नहीं नहीं, मैं वो…” करके चुप हो गया।

भाभी हँसकर चली गई।

रात का खाना खाने के बाद अब बारी थी सोने की, तो मैंने भाभी को पूछा- “भाभी सोना कहां है मुझे?”

भाभी बोली- “आप अभी छत पे चले जाइए, मैं आती हूँ…”

फिर मैं छत पे चला गया और खुले माहौल में मेरे बरमूडे के ऊपर हाथ रखकर लण्ड को सहलाने लगा। थोड़ी देर में भाभी आई, और दोनों का बिस्तर लगा दिया। भाभी अपने बच्चे को नीचे सुलाकर आई थी, और ऊपर आकर उसने बच्चे मछरदानी वाली खटिया में सुला दिया। अब भाभी नाइटी पहने हुए थी।
मेरे धैर्य का अंत हो गया तो मैंने पूछा- “भाभी, कौन और कब आने वाली है, बताओ ना? अगर कोई नहीं आने वाली हो तो आप मुझे अपनी चूत मारने दीजिए…”

भाभी हँसती हुई बोली- “मुन्ने को थोड़ा संभाल के रखा कर। मैं तो हूँ ही, लेकिन अगर नई-नई चूतें मारनी हों तो थोड़ा सबर करना सीख ले…”

और तभी हमारे पीछे के मकान की छत पे कोई दिखा। मैंने ध्यान से देखा तो वो कोई 25 साल की शादीशुदा औरत जैसी दिखी। मैं उसे देखता ही रहा, लेकिन भाभी को कुछ पूछा नहीं। तभी वो औरत छत को लांघ करके हमारी छत पे आ गई, और भाभी से बात करने लगी।

वो बोली- अरे सोनिया कैसी है तू? कब आई?

सोनिया भाभी बोली- ठीक हूँ, और बस 4 दिन पहले ही आई। मुझे मालूम था की ये वही भाभी थी, जो सुबह में सोनिया भाभी से बातकर रही थी। फिर भी जैसे पहली बार मिल रही हों, वैसे बात कर रही थीं।

वो बोली- क्यों री छमिया (मेरी भाभी को वो छमिया बोली) क्या चल रहा है?

सोनिया- “अरे क्या यार, ठीक चल रहा है। तू बोल?”

वो बोली- “अरे यार, मैं तो बहुत परेशान हूँ। मेरा बच्चा हुए दो महीना हो गया है। अब मुझे भी कोई तकलीफ नहीं और पूरा आराम लेकर फ्रेश हो गई हूँ, लेकिन मुझे कोई लेने नहीं आता है। अभी मैंने मेरी सास को बोला तो मेरी सास बोली की बेटा और आराम करो।

लेकिन उसे कहां पता है की यहाँ मेरी चूत को आराम नहीं है। मादरचोद, खुद तो रोज मेरे ससुर का लण्ड लेने के लिए 6:00 बजे ही रूम में घुस जाती है…”
User avatar
rangila
Super member
Posts: 5698
Joined: 17 Aug 2015 16:50

Re: गाँव में मस्ती भाभियों के साथ

Post by rangila »

उसको शायद मालूम नहीं था की मैं बाजू में जाग रही हूँ और वो मुझे सोया हुआ समझ रही थी तो आराम से बात कर रही थी।

सोनिया- तो क्या करती हो तुम अपनी आग बुझाने के लिए?

वो- और क्या? दो-दो उंगली डालती हूँ, या कभी गाजर, या मूली से काम चला लेती हूँ।

सोनिया- ओह्ह… लेकिन तू चाहे तो मैं तुझे लण्ड दिला सकती हूँ, और वो भी अभी ही?

वो- किसका?

सोनिया- ये जो शेर सो रहा है, वो मेरा देवर है, उसका।

वो- लेकिन वो तैयार होगा?

सोनिया- तैयार की क्या माँ चोद रही है? मेरे ऊपर 10 बार चढ़ चुका है और उसका लण्ड भी 8” इंच का है।

वो आश्चर्य से- क्या? 8” इंच का लण्ड… तूने मुझे अब तक बताया क्यों नहीं?
सोनिया- अरे साली चुदक्कड़, तू आती ही कब है मेरे घर? और मुझे थोड़ी ही ना पता था की तू यहां पे चूत फड़वाने को आई हुई है।

वो- अरे तू भी कहां कम चुदक्कड़ है? रोज ही तो लेती है अपने देवर का। और हाँ, मैं यहां पे फड़वाने के लिए नहीं, लेकिन डेलिवरी के लिए आई थी।

सोनिया- अरे, मैं तो मजाक कर रही थी। तो बोल चुदवाएगी?

वो- कोई मूरख ही होगी जो 8” का लण्ड ऐसे ही चोदे बिना छोड़ देगी। प्लीज़्ज़… यार कुछ जुगाड़ कर ना।

सोनिया- जुगाड़ क्या करना है? जाकर सीधा ही उसका बरमूडा निकाल के मुँह में ले लेना। तुझे वो चोदे बिना नहीं जाने देगा।

मेरा लण्ड अब बरमूडा में तन गया था। वो मेरे बिल्कुल बाजू में आने लगी तो मैंने आँखें बंद कर ली। वो आकर बैठ गई और मुझे देखने लगी। मैं थोड़ी आँखें खुली रखकर उसे देख रहा था।

उसने मेरे बरमूडा पे नजर डाली और बोल पड़ी- “क्या लण्ड है?” और फिर धीरे से मेरे बरमूडा को नीचे करके लण्ड को हाथ में पकड़ लिया। कोई नई औरत का स्पर्श पाते ही मेरा लण्ड एकदम तन गया।

तो वो बोल पड़ी- “सोनिया देख, ये साला हरामी, ऐसे ही सोते हुए हमारी बातें सुन रहा था। ऐसे ही किसी का इतना बड़ा थोड़े हो जाता है?” कहकर मेरे मुँह पे चूचियों को दबा दिया।

उसके जिस्म की मादक खुशबू से मेरा लण्ड फड़क रहा था। अब मुझे मालूम ही था की उसे पता है की मैं जाग रहा हूँ, तो मैंने उसके पीठ के पीछे हाथ डालकर उसके चूचों को मेरे मुँह पे और दबा दिया।

वो बोली- अब आया ना लाइन पे।

भाभी ने मेरा परिचय उससे करवाया की ये हीना है, और हम लोग साथ में ही पढ़ते थे और साथ में ही बड़े हुए।

मैं बोला- भाभी आपने पूरा परिचय नहीं करवाया।

तो वो दोनों मेरी तरफ आश्चर्य से देखने लगी।
फिर सोनिया बोली- “हाँ, अब करवाती हूँ। देखो ये हीना है, उसका फिगर… ऐसा बोलकर सोनिया ने उसकी चूचियों पे हाथ रख दिया और दबाकर बोली 36-26-36 है। हीना बहुत ही सेक्सी और चुदक्कड़ है।

शादी से पहले करीब 10-12 लण्ड ले चुकी है। गाण्ड भी खुशी-खुशी मरवा लेती है और लण्ड तो लोलीपोप की तरह चूसती है…"

मैं बोला- “बस भाभी, मेरे लिए इतना काफी है…”

वो दोनों हँस पड़ी। हीना ने पतला सा स्लीवलेश ब्लाउज़ पहना था और ऊपर एक पतली चुन्नी डाली हुई थी, जो की उसकी एक ही चूची को ढँकती थी, और दूसरी चूची हवा में लहरा रही थी।

ब्लाउज़ येल्लो कलर का था और पतला होने की वजह से उसमें से उसकी निप्पल का काला कलर साफ दिख रहा था। नीचे उसने पेटीकोट पहना था, और अंदर क्या था, मालूम नहीं?

हीना हँसती हुई मुझसे बोली- “क्यों, कभी चूचे नहीं देखे हैं जो घूर रहे हो?

मैं- “देखे तो हैं लेकिन इतने बड़े-बड़े नहीं देखे…” सच में वो भाभी से भी बड़े थे।

तो सोनिया बोली- “हाँ देवरजी, इसके चूचे देखकर तो हमारी स्कूल में खुद प्रिन्सिपल भी मूठ मारते थे। क्योंकी जब ये ** साल की थी, तब भी उसका साइज 34” का था…”

मैं- “हाँ भाभी, इसके चूचे देखकर कोई बुढ्ढे का भी लण्ड खड़ा हो सकता है, तो मैं कौन से खेत की मूली हूँ…”

फिर सब हँसने लगे। और इस बात-चीत के दौरान मैंने मेरा हाथ उसकी छातियों पे ही रखा था, मैं कभी-कभी उंगली उसकी दो घाटियों के बीच की खाई में डाल देता था। मैंने उसे करीब खींच लिया और उसके हाथ को उठा दिया और उसकी कांखों पे नाक रखकर उसकी महक लेने लगा। क्योंकी मुझे लड़कियों की कांखों की महक एकदम मदहोश करने वाली लगती है, और दूसरा हाथ उसकी चूची पे रखकर उसे धीरे-धीरे दबाने लगा। उसकी पूरी चूची मेरे हाथ में समा नहीं रही थी।

हीना अब तक मेरे बाजू में झुक कर बैठी थी, तो अब वो मेरे ऊपर चढ़कर मेरे लण्ड के ऊपर बैठ गई। जिससे उसके 36” के कूल्हे के बीच की खाईं में मेरा लण्ड गर्माहट महसूस करने लगा। अब हीना मेरे ऊपर बैठे हुए ही ब्लाउज़ का हुक खोलने लगी। जिससे उसकी दोनों चूचियां हवा में लहराने लगी।

फिर हीना ने हाथों को ऊपर करके पूरा ब्लाउज़ उतारकर साइड में रख दिया और मेरे मुँह के ऊपर उसका शरीर डाल दिया। जिससे उसकी 36” की साइज की चूचियां मेरे मुँह के सामने थीं।

मैंने तुरंत ही हीना की चूचियों को मुँह में भर लिया। मुझे उन दोनों की बातें सुनकर मालूम था की इसमें दूध आ रहा है। तो मैं चूची को दबा-दबा के मेरे मुँह में उसका दूध डालने लगा।

जिससे हीना सोनिया को बोली- देख तो साला को, इसको कैसा आता है दूध निकलना?

सोनिया बोली- आएगा ही ना। क्योंकी पिछले 4 दिनों से वो हम दोनों का दूध पी रहा है।

मैं एक हाथ पीठ पे रखकर हीना की चूची को एक हाथ से दबाकर दूध निकालकर पीता रहा। बीच-बीच में वो भी अपनी दोनों उंगलियों से निपल के बाजू का एरिया हाथों में लेकर दबाकर मुझे दूध पिला देती थी।

मुझे लगता था की मैं थक जाऊँगा लेकिन इसका दूध खतम होने वाला नहीं है। क्योंकी इतना पीने के बावजूद जैसे ही मैं चूची दबाता तो मेरे मुँह में छोटी-छोटी पिचकारियां उड़ने लगतीं, और बहुत सारा दूध से मेरा मुँह भर जाता।

सोनिया बोली- “आप लोग एंजाय करो, मैं अभी सो जाती हूँ। थोड़ा ध्यान रखे रहना, और देवरजी मेरी बारी मैं सुबह में ले लूँगी…” बोलकर वो हँसती हुई सो गई।

इधर मैं दोनों चूचियो से दूध निकाल-निकाल कर पी रहा था। अब मेरा पेट भर गया तो मैंने चूची को बाहर निकालकर, उसके होंठों पे चूमने लगा और साथ में चूचियां भी दबाने लगा। जिससे दूध पूरा मेरे शरीर के ऊपर गिर रहा था, लेकिन मैं रुका नहीं। भले ही मैं दूध में भीग जाऊँ लेकिन ऐसी चूचियों को दबाना छोड़ना नहीं चाहता था।
फिर उसने मेरे ऊपर बैठे हुए ही उसके पेटीकोट को चारों ओर फैला दिया, और अपनी गाण्ड को थोड़ा ऊंचा करके मेरे लण्ड को एक हाथ से पकड़ा और अपनी चूत के छेद पे रखा और धीरे से नीचे बैठने लगी।

लेकिन मेरे लण्ड की मोटाई ज्यादा थी, तो जैसे ही एक इंच जितना घुसा होगा कि वो रुक गई। शायद उसे दर्द होने लगा था। फिर वो थोड़ी देर वैसे ही रही और फिर धीरे से अपनी गाण्ड ऊंची उठाई और फिर से नीचे की, जिससे मेरा 3” इन्च जितना लण्ड उसकी चूत में फँस गया। अब उसने धीरे-धीरे हरकत करना चालू की, और ऊपर-नीचे होने लगी। जिससे थोड़ा-तोड़ा करके मेरा पूरा लण्ड उसकी योनि को चीरता हुआ अंदर समा गया।

अब वो धीमे-धीमे स्पीड बढ़ा रही थी और ऊपर-नीचे हो रही थी। फिर उसने अपना ऊपर का शरीर मेरे ऊपर डाल दिया और मेरे मुँह पे चूची को रगड़ने लगी।
User avatar
rangila
Super member
Posts: 5698
Joined: 17 Aug 2015 16:50

Re: गाँव में मस्ती भाभियों के साथ

Post by rangila »

अब मैं मजे से उसकी निपल चूसकर दूध भी पीने लगा और कभी-कभी उसे दांतों के बीच में काट भी लेता था। फिर उसने स्पीड बढ़ा दी, और फचफच की आवाजें के साथ उसके कूल्हे मेरी जांघों पे टकरा जाते थे। हीना कभी-कभी सीधा होकर चूची दबाकर मेरे चेहरे पे दूध गिरा देती थी, और मैं आनंद के सागर में डूब गया था।

बच्चा होने के बावजूद हीना की चूत टाइट थी, और वो अचानक से ढीली पड़कर बैठ गई। उसका पानी निकल गया था और गहरी सांसें लेने लगी थी। लेकिन मैं अभी झड़ा नहीं था, तो मैंने उसे पलट के नीचे कर दिया और मैं उसके ऊपर चढ़ गया और उसे दे दनादन धक्के मारके चोदने लगा, किस भी करने लगा, और मेरी पिचकारी उसके पेट पे गिरा दी।

ऐसे चुदाई करके वो भी थक के थोड़ी देर तो कुछ बोली नहीं। लेकिन जब सांसें नार्मल हुई तो बोली- “तुम्हारा तो गधे जैसा है, मेरी तो चूत का भोसड़ा बना दिया। अगर रोज तुमसे चूदवाऊँगी तो मेरे पति का तो अंदर ढीला ही जाएगा…”

मैं- भाभी आपकी गाण्ड का छेद बहुत सुंदर है।

हीना- “अरे भड़वे, चूत से तेरा पेट नहीं भरा, जो बिचारे छोटे से छेद के पीछे पड़ा है। गाण्ड तो मैंने बहुत मराई है, लेकिन छोटे-छोटे 4-5 इंच के लण्ड से, ऐसे गधे जैसे लण्ड से नहीं…”

मैं- “नहीं भाभी, ऐसा चिकना फूल देखकर तो कोई भी उसे सूँघे बिना नहीं रहेगा…” और ऐसा बोलकर मैं उसकी गाण्ड के छेद पे नाक रखकर सूंघने लगा, और अब मैंने एक उंगली उसकी चूत में डालकर चिकनी की और फिर सीधे ही जोर से गाण्ड में डाल दी।

हीना अचानक हुए इस हमले को झेल ना पाई और उसकी गाण्ड ऊपर उठ गई, और बोली- “भड़वे, थोड़ा धीरे, तेरे बाप का माल नहीं हूँ मैं?”

मैं- मेरे बाप का माल होती फिर भी मैं तेरी ये चिकनी गाण्ड मारे बिना नहीं छोड़ता।

हीना हँस पड़ी। अब मैं धीरे-धीरे उंगली गाण्ड में अंदर-बाहर करने लगा, और फिर उंगली निकालकर मैं पोजीशन में आ गया और उसकी टाँगें उठाकर मेरे कंधों पे रख दी।

फिर मैंने चूत में लण्ड डालकर थोड़ा चिकना बना लिया ताकि गाण्ड में आराम से अंदर घुस जाए। और फिर गाण्ड के छेद पे मेरा टोपा रखा और एक झटका मारा तो टोपा अंदर घुस गया और गाण्ड में फँस गया।


हीना की हल्की सी चीख निकल गई।

मैंने तुरंत ही कोई जाग ना जाए इसलिए उसके होंठों को किस करना और चूसना चालू कर दिया। और नीचे से कमर को हरकत देते हुए और जोरदार शाट मारा तो मेरा 3-4 इंच जितना लौड़ा अंदर घुस गया, जिससे वो गाण्ड सिकोड़ने लगी। हीना की आवाज तो गले में ही दब गई।

मेरा लण्ड भी उसकी टाइटनेस देखकर जैसे पागल हो गया था और अंदर जाने को बेताब था। फिर एक मिनट चूमते हुई फिर से लण्ड को बाहर खींचकर एक जोरदार शाट मारा तो मेरा पूरा का पूरा लण्ड उसकी गाण्ड को फाड़ता हुआ अंदर घुस गया।
हीना दर्द से कराह उठी। लेकिन मैंने फिर से पूरा लण्ड बाहर खींचा और फिर से पूरा एक ही झटके में डाल दिया। अबकी बार उसकी गाण्ड अड्जस्ट हो गई थी तो चीख नहीं निकली। शायद अब उसे भी मजा आने लगा था। फिर मैंने मेरी स्पीड बढ़ाकर फक-फक उसकी गाण्ड को चोदने लगा।

कभी-कभी मैं हीना की चूचियां दबा देता था। फिर मैं पूरी रफ्तार में आ गया और वो भी उत्तेजित हो गई और झड़ गई। उधर मैंने भी पूरी स्पीड में उसकी गाण्ड में लण्ड अंदर-बाहर करने की वजह से मेरा भी बांध टूट गया और लण्ड की पिचकारी उसकी गाण्ड की जड़ तक छूटने लगी। कुछ झटकों के बाद मेरा लण्ड शांत हो गया और मैंने उसे कुछ देर चूमा और बाद में उसके ऊपर गिरकर ही सो गया।

थोड़ी देर बाद जब मेरी आँखें खुली तो वो सो रही थी। मैंने उसे उठाया की जाओ आप अपनी जगह सो जाओ। कल फिर मजा करेंगे।

हीना उठी और कपड़े पहने। उससे चला नहीं जा रहा था, क्योंकी उसकी गाण्ड दुख रही थी। इतने बड़े लण्ड से उसकी गाण्ड ने पहली बार इतने झटके खाए थे।

मैंने उसे सहारा दिया और उसकी छत पे छोड़ दिया। मैं थक गया था और भूख भी लगी थी तो भाभी के बाजू में सोते हुए मैंने उसकी नाइटी के ऊपर के बटन खोलकर चूची बाहर निकलकर मेरी भूख शांत करने लगा।

भाभी थोड़ा हिली और मेरे सिर पे हाथ फिराने लगी। मुझे पता नहीं की मैं कब सो गया। और ऐसे ही मेरी चुदाई सभी भाभियों के साथ चलती रही।


end

Post Reply