गाँव में मस्ती भाभियों के साथ

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rangila
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Re: गाँव में मस्ती भाभियों के साथ

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मैं- भाभी, गाँव में ऐसा ही होता है, लोगों को सेक्स की पूरी जानकारी नहीं रहती। और भैया ठहरे किसान, उनको बस फसल उगाना मालूम है…”

जिससे राशि हँस पड़ी, और बोली- “चलो अब कपड़े पहन के बाहर सो जाओ, कहीं तुम्हारी चाची जाग ना जाएं…”

फिर मैंने उसे कपड़े पहनाए और खुद के कपड़े पहने।

तभी वो बोली- “रुको, मैं तुम्हारे लिए दूध लाती हूँ…”

मैं- “उसकी क्या जरूरत है? आपके पास भी तो है…”

राशि हँसती हुई बोली- “ठीक है, यही पी लो…” क्योंकी उनके चूचे वापस दूध से भर गये थे।

फिर मैंने दस मिनट उसका दूध पिया, फिर उसे किस करके मैं सोने चला गया।

रात को करीब तीन बजे मैं राशि भाभी को चोदकर मैं सोया था। थक भी गया था, मेरी आँख सुबह सीधे 9:00 बजे ही खुली। तब तक मेरे दोनों भाई खेत पे चले गये थे। मेरे बड़े भाई तो अभी शहर से आए नहीं थे, शायद आज आने वाले थे।

***** *****
सुबह उठते ही देखा की...सोनिया भाभी वहां से गुजरी और मादक नजरों से मुझे देखा और सेक्सी अंदाज में पूछा- “क्यों देवरजी, रात को बहुत थक गये थे क्या?”

मैं- हाँ भाभी।

वो- क्यों, राशि भाभी ने तुमसे बहुत मजदूरी करवाई क्या?

मैं- नहीं, बस एक गोल ही किया था।

सोनिया फिर अपने पेटीकोट के ऊपर से उसकी मुनिया को भींचती हुई बोली- मेरी कब लोगे आप?

मैं- मैं तो तैयार ही हूँ, आपकी मुनिया को मेरे मुन्ने से मिलवाने के लिए। बस आप कुछ प्लान बनाओ।

सोनिया बोली- मैं कुछ ना कुछ जुगाड़ करती हूँ। आप अपने मुन्ने को सहलाओ और बता देना की उसकी मुनिया रानी उसे जल्दी ही मिलने वाली है।

मैं- “और आप भी अपनी मुनिया के आजू-बाजू में उगी घास काट देना, क्योंकी मेरा मुन्ना जंगल में जाने से डरता है…”

सोनिया हँसने लगी, और बोली- “ठीक है, जैसी आपके मुन्ने की मर्ज़ी…” और काम में लग गई।

उधर प्रीति भी कल से मेरा लण्ड चखने के बाद बेताब थी। वो मेरे बाजू में आई और बोली- “क्यों रे देवरजी, पेट भरा की नहीं राशि से?”

मैं- हाँ भाभीजी, पूरी चूची निचोड़-निचोड़ के दूध पिया।

प्रीति- हाँ भाई, अभी तुम्हारे दिन हैं, मजे करते रहो। अब मेरी दुबारा कब बजाओगे?

मैं मजाक करते हुए- आप बोले तो अभी पटक के मारूं आपकी?

वो- नहीं नहीं, अभी नहीं। बाद में मेरे राजा। तूने तो मेरी चूत में वो आग लगा दी है की बुझती ही नहीं।

मैं- मेरा फायर फाइटर तैयार ही है, आप बस बुला लेना।

बाद में प्रीति सेक्सी मुश्कान देकर काम में जुड़ गई।

मेरी चाची बाहर थी आँगन में, तो वो कुछ सुन नहीं सकती थी। अब मैं ब्रश करके नाश्ता कर लिया। नाश्ते के वक्त राशि भाभी मेरे बाजू में ही बैठी थी, और दोनों भाभियां काम में लगी थी।

राशि ने मुझे नाश्ता देते हुए कहा- क्यों देवरजी, आज आपको आना है मेरे साथ, नहाने के लिए, तालाब पे? उधर रसीला भी आपका इंतेजार कर रही होगी…”

मैं- “ठीक है भाभी, आप धोने के कपड़े तैयार रखो। मैं नाश्ता करके आता हूँ। और आप बाद में मुझे रसीला के घर पे छोड़ देना…”

राशि मुश्कुरा दी- “बहुत चोदू हो गये हो राजा, कहीं इसकी आदत लग गई तो शहर वापस जाकर तकलीफ होगी…”

मैं- “मैं, यहाँ महीने में एक-दो दिन आ जाया करूँगा, संडे को छुट्टी होगी तब, आप हैं तो मुझे कोई परेशानी नहीं…”

बाद में हम दोनों तालाब पे चले गये, रास्ते में हमने तय किया की आज मैं भाभी से मस्ती ना करूं और नहाकर तुरंत ही रसीला के घर चला जाऊँ।
रसीला का घर रास्ते में जाते वक्त ही उसने मुझे दिखा दिया। जाते वक्त हम दो मिनट उधर रुके।

तभी राशि भाभी ने रसीला से पूछा- क्या कोई है घर में?

रसीला- नहीं, वो खेत पे गये है ..और सास ससुर रिश्तेदारी में गये हैं।

राशि भाभी- ठीक है, मैं देवरजी को अभी तालाब पे नहलाकर भेजती हूँ, तेरा खेत जोतने के लिए।

रसीला- “मैं तो कब से आप लोगों का इंतेजार कर रही थी। और इनके लिए मैंने अपनी मुनिया भी सजाकर तैयार रखी है… और वो भाभी के सामने देखी, और दोनों हँस पड़े।

मैं- “मैं अभी आता हूँ और देखता हूँ की कब तक आपकी मुनिया रोती नहीं है? उसका पानी ना निकाला तो मेरा नाम भी किशोर नहीं…”

जिस पर दोनों हँस पड़ी।

फिर हम तालाब चले गये। उधर और औरतें भी कल की तरह कपड़े धो रही थीं।

मुझे देखकर एक लता नाम की औरत जो की करीब 32 साल की थी वो बोली- “क्यों रे इधर क्या कर रहा है? रसीला के घर नहीं जाना है क्या, दूध पीने?”

मैं- “भाभी, मैं दूध पीता ही नहीं, निकालता भी हूँ, वो भी भोस के अंदर से। अगर आपको भी मेरा पीना है तो बोलना…”

लता तो सुनकर शर्मा ही गई और हँसकर फिर से कपड़े धोने लगी। फिर नीचे देखकर बोली- “मेरी ऐसी किस्मत कहां ...
मै- अरे मेरी प्यारी भाभी , आप तो हुक्म करो बस...
लता भाभी ने शर्मा कर मुँह छिपा लिया..

मैं कपड़े निकालकर पानी में जा रहा था और वो छुपी नजरों से मुझे देख रही थी।

मैं- लेकिन मुझे तो लगता है की आपने कुछ छोड़ा नहीं है?

वो- क्यों?

मैं- अभी ही तो आप मेरे लण्ड को घूर रही थीं, और आपकी इमारत ही बता रही है की यहाँ पे कितने मजदूरों ने काम किया है?

लता शर्म से लाल हो गई, कहा- “हाँ, कभी-कभी मस्ती हम भी कर लेते हैं। अगर थोड़ा टाइम मिले तो हमारे खेत में भी बारिश कर दो…”
मै- ठीक है भाभी , कर देंगे आपका भी कम , आप जैसा कहें... पर अभी तो मुझे रसीला भाभी के खेत में बारिश करने जाना है,

मैं फटाफट नहाकर बाहर निकला। वैसे तो मुझे भूख नहीं लगी थी लेकिन रसीला को चोदते वक्त ताकत मिलती रहे, इसलिए मैंने राशि भाभी को बोला- “मुझे थोड़ा दूध पीना है…”

जिसे सुनकर बाकी की औरतें हँसने लगी। कुछ एक-दो आज नई भी थीं, जो कल हाजिर नहीं थीं।

राशि बोली- “क्यों नहीं, इधर आ जा…” कहकर अपनी गोद में मेरी सिर रखकर अपने ब्लाउज़ के हुक खोलने लगी, और अपना एक स्तन बाहर निकालकर मुझे मुँह में दे दिया।

मैं भी छप-छप करके दूध पीने लगा। थोड़ी देर दोनों चूचों से दूध पीकर मैंने भाभी को बोला- “अब मैं चलता हूँ…”

राशि अपना ब्लाउज़ बंद करते हुए बोली- “देवरजी, शाम को ही आना। आज मैं चाची से बोल दूँगी की तुम तुम्हारे दोस्त के यहाँ बाजू के विलासपुर में गये हो…”

मैं खुश होकर- “ठीक है भाभी…” और निकल पड़ा। रास्ते में दुकान से कंडोम का पैकेट लेता गया, जो की मेरे पास अब समाप्त हो गये थे। उसका घर नजदीक आ गया था।

मैंने आजू बाजू में देखा कहीं कोई मुझे देख तो नहीं रहा है उसके घर में जाते हुए।

रसीला गेट पे खड़ी मेरी राह देख रही थी। मुझे देखकर अंदर आने को बोला।

मैं जल्दी ही अंदर घुस गया। मैंने देखा की उसने एक पतले कपड़े का ब्लाउज़ पहना था, जिसके अंदर उसने ब्रा भी पहनी थी जिसके अंदर मुझे चूचों की गोलाईयां दिख रही थीं। लेकिन उसकी स्ट्रिप्स कंधे पे नहीं जाती थीं। इस का मतलब? ओह्ह… वाउ उसने स्ट्रैपलेश ब्रा पहनी थी।

उस विचार से ही मेरा लण्ड टाइट हो गया। उसके ऊपर उसने पतली चुन्नी डाली थी जो की उसके दोनों चूचों को ढँकने के लिए काफी नहीं थी, उससे उनकी सिर्फ एक ही चूची ढकी हुई थी। दूसरी अपनी उंचाई दिखा रही थी। नीचे उसकी नाभि बिल्कुल खुली दिखती थी,

उसका छेद ऐसा था की मन करे तो उसी में लण्ड पेल दो। नाभि से नीचे उसका कोमल पेड़ू का प्रदेश चालू होता था जो सिर्फ पेटीकोट के नीचे चूत को जा मिलता था।

उसने पेटीकोट इतना नीचा पहना था की बस चूत ही दिखनी बाकी थी। अगर एक उंगली से पेटीकोट नीचे खींचे तो वो चूत की लकीर भी दिख जाए।

उसका नाड़ा साइड में था जो की अंदर घुसाया हुआ था। ब्लाउज़ का गला भी गहरा था, जिससे उसकी ब्रेस्ट लाइन आधी जितनी दिखती थी, और आधे चूचे बाहर दिख रहे थे।

चूचे के उपरी हिस्से पे ब्लाउज़ सिर्फ निपल को ही ढँक रहा था, क्योंकी निपल के आजू बाजू का पिंक एरिया, जिसे अरोला बोलते हैं वो, दिख रहा था।
निपल के एरिया में ब्लाउज़ थोड़ा गीला दिख रहा था, क्योंकी आपको मालूम है की उसे भी दूध आता था। जो मैंने पिया भी था। उसके चूतड़ क्या गजब के थे पतली सी 29” की कमर से उसका कटाव सीधा ही 36” हो जाता था।

सोचिए… 36” की गाण्ड के दो गुब्बारे कैसे दिखते होंगे? वो दो गुब्बारे इतने नजदीक थे की शायद वो किसी को भी भींचने के लिए काफी थे।
और उसका सबूत उसने मुझे अभी ही दे दिया। क्योंकी वो गुब्बारे की टाइट क्रैक में उसका पेटीकोट, पैंटी के साथ फँस गया था। लेकिन उसकी पैंटी की लाइन गुब्बारे पे तो दिख नहीं रही थी। मतलब क्या उसने पैंटी नहीं पहनी थी?

मैं रसीला के बदन को घूरने में इतना डूब गया की उसने मुझे जगाया, हिलाकर बोली- लो पानी पियो।

मैं होश में कहा था। मैंने थोड़ा पानी पिया और ग्लास को साइड में रख दिया। वो मेरे सामने खड़ी थी और मैं पलंग पे बैठा था। मैंने सीधे ही उसके चूतड़ की गोलाईयों को मेरे दोनों हाथों से खींचकर उसको मेरे करीब खींच लिया जिससे उसकी चूत की मादक खुशबू मेरी सांसों में जाने लगी।

उसके चूतड़ क्या गजब के नरम थे, एकदम नर्म। जिसे छूकर कोई भी आदमी अपनी पूरी ज़िंदगी उसे पकड़े हुए ही बिता दे।

मैं उसे धीरे-धीरे सहलाने लगा, और चूत को पेटीकोट के ऊपर से ही सूंघने लगा। मेरी इस हरकत से वो भी उत्तेजित हो गई, और मेरे सिर को अपनी चूत पे दबाकर रगड़ने लगी। चूत क्या गजब थी। वहां पे शायद उसने झांटे, साफ करके कोई पर्फ्यूम लगाया था तो वो दोनों की काकटेल खुशबू मेरा लण्ड उठा रही थी।
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अब मैंने उसे पलटा और मेरे मुँह को उसके चूतड़ों में डाल दिया। चूतड़ की लाइन इतनी गहरी थी की अगर वो खड़ी रहे तो पूरी उंगली भी लाइन में ना घुसा पाए, इतनी टाइट।

मैं तो बस बारी-बारी दोनों गुब्बारों को मेरे मुँह से किस कर रहा था और सूंघ रहा था। मैंने मेरे हाथ को आगे ले जाकर उसकी चूत वाले हिस्से पे रख दिया। मैं चकित था। वहां पे पैंटी पहनी लगती थी, तो फिर पीछे क्यों दिखती नहीं थी?

मैंने हाथ को चूत पे लेकर उसके ढलाव पे फेरने लगा और चूत को महसूस करने लगा। उधर पैंटी एकदम छोटी सी ही लगी। पेटीकोट के ऊपर से उसकी चूत पे हाथ फेरने में मुझे मजा आ रहा था। वो भी मेरी हर एक हरकत को एंजाय कर रही थी। मैंने उसकी मखमल सी चिकनी गाण्ड को सूंघना और मुँह फेरना चालू रखा।

रसीला भी अब मस्ती में आ गई थी, और हल्की हल्की सिसकी ले रही थी।

उसकी चूत को सहलाते हुए दूसरा हाथ मैं उसकी गाण्ड की दरार में घुसाने लगा। वो चिहुंक पड़ी और उसके कूल्हे खुद ही उत्तेजना में आगे बढ़ गये। मैंने महसूस किया की गाण्ड में डोरी जैसा कुछ था। ओह्ह… माई गोड… उसने एक विदेशी टाइप डोरी वाली पैंटी पहनी थी, जो आगे चूत को ढँकती है और पीछे सिर्फ डोरी जैसी होती है, इसलिये वो पैंटी की डोरी उसकी गाण्ड के अंदर घुसी हुई थी। मुझे तो मुझसे ज्यादा नशीब वाली वो पैंटी लगी जो हर वक्त उसकी गाण्ड को सूंघ सकती थी।

वाउ… ये खयाल आते ही मेरा लण्ड पूरा तन गया और मुझे उसकी गाण्ड मारने का विचार आने लगा। लेकिन मुझे पता नहीं था की उसने कभी मरवाई है या नहीं? इसलिये मैंने सीधे ही उसको पूछ लिया- “भाभी आपने कभी गाण्ड मरवाई है?”

रसीला चौंक कर- क्यों रे, इसमें थोड़े ही डालते है। ये गंदा होता है।

मैं- भाभी, गाण्ड को अगर साबुन से धोकर अंदर थोड़ा तेल डालकर मारा जाए तो वो चूत से भी ज्यादा मजा देती है।

रसीला आश्चर्य से- क्या? ऐसा भी करते हैं लोग?

मैं- हाँ भाभी, शहर में तो ये आम बात है। मेरे कई दोस्त अपनी गर्लफ्रेंड की चूत और गाण्ड दोनों ही मारते हैं।

रसीला- ओह्ह… वैसा क्या? मुझे ये सब मालूम नहीं था, क्योंकी इससे पहले मैंने किसी और शहरी से चुदवाया नहीं है।

मैं- भाभी, मुझे तो आपके ये गुब्बारे देखकर अभी पहले आपकी गाण्ड मारने को दिल कर रहा है।

रसीला- नहीं, मुझे गाण्ड नहीं मरवानी। भला इतने छोटे छेद में ये इतना बड़ा कैसे जाएगा? मुझे तो विश्वास ही नहीं हो रहा तुम्हारी बातों पे। वो तो गाण्ड फाड़ ही देगा।

मैं- नहीं भाभी, कुछ नहीं होता। मेरे सभी दोस्त अपनी गर्लफ्रेंड की रोज ही तो मारते हैं। उनकी क्यों नहीं फटी? पहली बार तो सबको ही दर्द होता ही है। जैसे आपको चूत में भी हुआ होगा। हुआ था की नहीं?

रसीला- “वो तो है, लेकिन वो तुम्हें गंदी तो नहीं लगेगी ना… वैसे मैंने अभी ही साबुन से धोई है, झांटें साफ करते वक्त…” उसे बाद में पता चला की वो क्या बोली तो वो शर्मा गई।

मैं- तो फिर ठीक है। मुझे अब सिर्फ तेल ही डालना होगा आपकी गाण्ड में, जिससे चिकनी हो जाए।

वो सुनकर रसीला के मन में गुदगुदी होने लगी और उत्तेजना से उसने मेरा सिर अपनी छाती में दबा दिया। वाह… वो भी क्या एहसास था।

मैंने उससे बोला- “आप तेल लाओ…”

रसीला तुरंत किचेन में उठकर गई और तेल लेकर आई। वो तेल उसने एक पिचकारी में भरा था जो की सिलाई मशीन को तेल देने के लिए इस्तेमाल होती है। उसकी पतली सी छेद वाली डंडी मुझे दिखाकर बोली- “देखो इससे तेल डालने में आसानी होगी, और पूरा अंदर तक जाएगा…”

मैं तो ये देखकर हैरान रह गया। क्योंकी ऐसी स्मार्टनेस तो शहर की औरतों में भी नहीं होती। मैंने उसे बोला- “आपकी गाण्ड मारने से पहले मुझे थोड़ा स्तनपान तो करा दे…”

रसीला बोली- “क्यों नहीं…” उसके दोनों लड़के स्कूल गये थे, और छोटी बच्ची सो रही थी जो की दो साल की थी।

मैंने रसीला को पूछा- क्या आप अभी भी बच्चे को दूध पिलाती हैं?

रसीला- हाँ, तभी तो आ रहा है। नहीं तो बंद ना हो जाता।

मैं आश्चर्य से- “क्या ऐसा होता है की दूध ना पिलाएं तो बंद हो जाता है? मुझे तो लगता था की एक बार बच्चा हो जाने के बाद पूरी ज़िंदगी आता है…”

रसीला हँस-हँस के पागल हो गई और बोली- “अरे ऐसा थोड़े ही होता है पगले। दूध आना चालू रखने के लिए पिलाना या उसे रोज निकालना पड़ता है।

मैं- तो क्या भाभी, आपकी बच्ची पूरा दूध पी जाती है?

रसीला- नहीं रे, वो तो आधा भी नहीं पीती। बाकी का ऐसे ही ब्लाउज़ में से निकलता रहता है।

मैं- क्या भैया आपका दूध पीते हैं?

रसीला- नहीं, उसे ये पसंद नहीं है।

मैं- हाँ… लेकिन आपको तो इतना सारा दूध आ रहा है तो आप बरबाद क्यों कर रही हो?

रसीला- तो क्या करूं, तुम ही बताओ?

आप दिन में उसे निकालकर एक बर्तन में रखते रहिए, और फिर उसकी चाय बनाइए।

रसीला चौंक कर- अरे पागल, इसकी थोड़ी चाय बनाते हैं, वो तो भैंस के दूध से बनाते हैं।

मैं- लेकिन भाभी, अपने कभी कोशिश किया है क्या? आप ऐसे ही सोचेंगी तो कैसे बनेगी चाय? एक बार ट्राइ तो कीजिए, और चखिए भी। अगर अच्छी लगे तो रोज उतना दूध कम लेना पड़ेगा, और भैया का हेल्थ भी अच्छा हो जाएगा।

ऐसा सुनकर रसीला हँसकर मुश्कुरा दी। और बोली- ठीक है मैं ट्राइ करूँगी।

मैं- बाद में क्यों? अभी ही करते हैं। मैं भी तो देखूँ की आदमी के दूध की चाय कैसी होती है?

उसका मुँह शर्म से लाल हो गया। मंद-मंद मुस्कुराते हुई बोली- ठीक है।

फिर क्या था उसने थोड़ा झुक कर उसकी छाती मेरे आगे कर दी। जैसे योगा में छाती को आगे लेते हैं, वैसे। मैं तो बस उसके ये सेक्सी अंदाज से हिल गया।

मेरा लण्ड पैंट में समा नहीं रहा था। मैं उसकी छाती से पल्लू हटाकर उसके ब्लाउज़ का हुक खोलने लगा। लेकिन वो बहुत कसे थे, क्योंकी उसने अपनी छाती आगे को निकाली हुई थी, तो ब्लाउज़ उसके सीने पे टाइट हो गया था।

रसीला शायद मेरी हालत समझ गई, और वैसे ही रही। वो शायद मेरा टेस्ट ले रही थी की मैं उसे खोल पाता हूँ या नहीं? लेकिन मैंने पहला हुक खोलने के लिए ब्लाउज़ के दोनों साइड को पकड़कर खींचा और हुक को खोलने लगा। जिससे उसकी चूचियां एक दूसरे से भिड़ गईं और बीच की खाईं एकदम कम हो गई, जिसमें अगर एक उंगली भी घुसाना चाहें तो ना घुसे, और अंत में हुक खुल गया।

उसके बाद दूसरा, तीसरा करके सब हुक खोल दिया। अब उसके कबूतर रिंग वाली स्ट्रैपलेश ब्रा में कैद थे।

मैंने ब्रा के ऊपर से ही हाथ फेरा तो वो कबूतर जैसे फड़फड़ाने लगे। रसीला अब आकर मेरे दोनों ओर पैर फैलाकर मेरी गोद में बैठ गई, और मेरे होंठों से अपने होंठ भींच लिए। मैं भी उसके रसीले होंठ चूसने लगा।

अब मैंने मेरी जीभ उसके मुँह में डाल दी जिसे वो चूसने लगी। मैंने किस करते हुए मेरे हाथ पीछे लेजाकर उसके कबूतरों को आजाद करने के लिए ब्रा का हुक खोल दिया। अब ब्रा मेरे हाथों में थी। करीब 10 मिनट तक एक दूसरे के होंठ चूसने के बाद हम अलग हुए तो वो हाँफने लगी, और गहरी सांसें लेने लगी।

फिर मैं उसके चूचे को हाथ में पकड़कर सहलाने लगा, और मुँह में लेकर थोड़ा दूध भी टेस्ट किया।

मैंने थोड़ा सा दूध टेस्ट करके, उसको बोला- “भाभी बर्तन लाओ। अब हम आपका दूध निकालते हैं…”

वो मेरे को एक सेक्सी मुस्कान देकर मेरी गोद में से खड़ी हुई और रसोई घर में जाकर एक बड़ा सा बाउल लेकर आई। उसने वो बाउल को पकड़ा और चूची को दबाने लगी।

मैंने बोला- “लाइए मैं निकालता हूँ…” और ऐसा बोलकर मैं उसकी चूची को दबाने लगा और उसमें से दूध निकालने लगा

जब मैं चूची को दबाता तो दूध की कई छोटी पिचकारियां निकलतीं और अलग-अलग दिशा में दूध उड़ता था। मैंने बर्तन को नजदीक रख दिया ताकि दूध बाहर ना उड़े। ऐसा करके मैं दूध निचोड़ने लगा। दोनों चूचों में से दूध निचोड़ा तो करीब ½ लीटर जितना दूध निकाला।

अब वो मेरे सामने दूध दिखाकर बोली- “तुम्हारी बात सही है, अगर इतना सारा दूध है तो चाय जरूर बनेगी। चलो रसोई में चलते हैं” बोलकर वो ऐसे ही सिर्फ पेटीकोट में ही रसोई में जाने लगी।

मैं उसके मटकते हुए चूतड़ देखने लगा, तो रसीला मुड़कर बोली- “मुझे पता है तुम्हें मेरे चूतड़ पसंद है, घूरो मत, बाद में मेरी गाण्ड मार लेना…” बोलकर हँस पड़ी।

मुझे उसकी ऐसी सेक्सी बातें सुनकर बहुत जोश चढ़ रहा था। मैं भी उसके साथ रसोई में चला गया। उसने दूध उबलने को रख दिया और अंदर चाय की पत्ती और चीनी डाला, और मेरी तरफ देखकर मुश्कुराती हुई बोली- “मैं भी पहली बार ही बना रही हूँ। पता नहीं कैसी लगेगी?”

मैं- “तुम्हारे दूध से बनेगी तो मीठी ही होगी…” फिर थोड़ी देर में चाय बन गई। ओह्ह… माई गोड… क्या टेस्ट था। एक चुस्की ली तो उसका स्वाद जैसे मेरे मुँह में ही रह गया। बहुत मस्त टेस्ट था, और वो अगर पी लें तो भैंस के दूध की चाय ही भूल जाएं, एकदम बढ़िया। मैंने उसे तुरंत गले लगाकर थैंक यू बोला।

रसीला बोली- थैंक यू किस बात का?

मैं- “तुम्हारे दूध की इतनी स्वादिष्ट चाय पिलाने का, मैं तो पूरी ज़िंदगी तुम्हारा ये टेस्ट नहीं भूल सकता…” और उसको सीधा ही लिप-किस करने लगा।

रसीला भी मेरा साथ देने लगी, और फिर से अपना पेटीकोट चारों ओर करके मेरी गोद में मेरे सामने की तरफ उसका सीना रहे,
वैसे दोनों पैरों को अलग-अलग करके बैठ गई। जिससे मेरे लण्ड से उसकी मखमली सी चिकनी चूत टच होने लगी। उसकी गाण्ड मेरी जांघों पे थी, जो की बिना कपड़े की एकदम खुली थी। क्योंकी उसकी पैंटी तो पीछे से डोरी वाली होने की वजह से पूरी गाण्ड खुली थी और वो डोरी सिर्फ उसके छेद को ही ढँकती थी।

वो भी उत्तेजना से भरी मेरे ऊपर बैठकर मेरे को किसी भूखी कुतिया की तरह चूम रही थी।

मैं भी अब पागल हो गया था उसे चोदने को। तो मैंने उसे गोद में से किस करते हुए बेड पे सुला दिया, जिससे उसकी टाँगें घुटने से मुड़ी हुई थीं, और मैं उसकी टांगों के बीच में था। तभी उसने मेरी टी-शर्ट को नीचे से पकड़कर निकाल दिया और मैंने उठाकर मेरी पैंट निकाल दिया।

मेरा लण्ड अब निक्कर में तंबू बना रहा था। रसीला ऐसा देखकर तुरंत खड़ी हुई और घुटने के ऊपर बैठकर फटाफट मेरा निक्कर खींचकर नीचे कर दिया। मैं समझ गया की वो भी सेक्स के लिए तड़प रही थी।

उसने मेरा इतना बड़ा लण्ड देखकर बोला- “हाय राम… इतना बड़ा? ऐसा लण्ड मैंने आज तक नहीं देखा…” और फटी-फटी आँखों से उसे देखने लगी, और मेरे लण्ड का सुपाड़ा मुँह में ले लिया।

मैं भी अब स्वर्ग का आनंद ले रहा था और उसके मुँह की गहराई में लण्ड पेल रहा था। वो पहले मेरा टोपा ही ले रही थी, लेकिन जब मैंने उसका सिर पकड़कर धक्का मारा तो वो समझ गई और आधे से ज्यादा लण्ड चूसने लगी।

मुझे लण्ड चुसवाने में बहुत मजा आ रहा था, क्योंकी उसके मुँह के अंदर की गरमाहट मेरे लण्ड को महसूस हो रही थी। होंठों की रिंग में टोपे के नीचे का मेन हिस्सा घिस रहा था, जिससे एक चूत जैसा आनंद मिल रहा था। मैंने मुँह चोदना चालू रखा। लेकिन मैं मुँह में झड़ना नहीं चाहता था। मुझे तो उसकी गाण्ड में ही झड़ना था।

इसलिये मैंने थोड़ी देर में लण्ड बाहर निकाल लिया और उसे धक्का देकर सुला दिया, उसके पेटीकोट की डोरी खींच दी, जो की हमारी प्रेमक्रीड़ा के बीच में आ रही थी। डोरी खींचकर मैंने उसकी पैंटी को सूँघा तो मेरे नथुनों में उसकी मादक महक भर गई।

रसीला की रसीली चूत एकदम गीली हो गई थी और लण्ड माँग रही थी।

मैंने उससे बोला- “मैंने बोला था ना की तुम्हारी मुनिया को रुला दूँगा। देख ये कैसे आँसू बहा रही है…”

ऐसी कामुक हालत में भी वो मुस्करा दी और बोली- “हाँ मेरे राजा, तुममें तो जादू है । तुम्हारे सिवा किसी और ने मेरी मुनिया को ऐसे रुलाया नहीं है…”

फिर मैंने उसकी डोरी वाली पैंटी भी उतार फेंकी। मैं एकदम नजदीक जाकर चूत देखने लगा की कैसी दिखती है? मैंने उसकी चूत के होंठों को छुआ और उंगली उसकी दरार में फेरने लगा।
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Re: गाँव में मस्ती भाभियों के साथ

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रसीला सिसकियां ले रही थी, और लगातार उपने कूल्हे ऊंचे करके मेरे बाबूराव को चोदने के लिए निमंत्रित कर रही थी।

मैंने धीरे से एक उंगली उसके छेद में डाल दी। चूत गीली होने की वजह से और उसके अनुभवी होने की वजह से वो आराम से अंदर चली गई।

उधर उसका पति खेत जोत रहा था और इधर मैं उसकी बीवी का।

मैं उंगली को आगे पीछे करने लगा और चूत को उंगली से चोदने लगा। अब मैंने और एक उंगली साथ में जोड़ दी जिससे उसकी चूत और चौड़ी हो गई, और धीरे-धीरे उंगली अंदर-बाहर करने लगा।

दो उंगली जाने से उसे और मजा आ रहा था। मैं जोर-जोर से उंगली आगे पीछे करता रहा..

जिससे उसकी उत्तेजना बहुत बढ़ गई और वो कमर उचका के मेरा साथ देने लगी। उसके मुँह से- “आह्ह… आह्ह… उईईइ माँऽ” जैसी सिसकियां रुकने का नाम नहीं ले रही थीं। रसीला ने खुद मेरे हाथ को पकड़कर और स्पीड बढ़ा दी और झड़ गई।

अब मेरी बारी थी। उसकी चूत झड़ने की वजह से एकदम गीली थी, तो मैंने मेरी वो गीली उंगली धीरे से उसकी गाण्ड के छेद में डाली।

लेकिन वो बड़ी टाइट थी। फिर भी मैं उंगलियां चूत के पानी में डुबोकर गीली करते हुए बार-बार उसकी गाण्ड के छेद में डाल रहा था।

जिससे उसके मुँह से हल्की सी चीख भी निकल जाती थी, क्योंकी पहली बार उसकी गाण्ड चुद रही थी, तो वो छेद चूत से ज्यादा टाइट होगा ही।

मैंने करीब 5 मिनट तक चूत के पानी से उंगली गीली करके कोशिश की तब जाकर उसकी गाण्ड में वो घुसी।

एक बार उंगली घुसने के बाद मैंने मेरी उंगली को आगे पीछे करना चालू किया। जिससे उसको मजा आने लगा, और वो उसकी गाण्ड के फूल को कभी खोलती और कभी बंद करती।

धीरे-धीरे मेरी उंगली उसकी गाण्ड में आसानी से आने-जाने लगी तो, मैंने और एक उंगली डाली। वो भी पहले नहीं गई लेकिन लगातार कोशिश करने के बाद वो भी जाने लगी।

मैं खुश था और वो भी ये सब देख रही थी और एंजाय कर रही थी। फिर वो बोली- “किशोर मुझे तो लगता ही नहीं था की तुम मेरी गाण्ड में उंगली डाल पाओगे। क्योंकी मेरी गाण्ड का छेद बड़ा टाइट है।

लेकिन तुमने तो कमाल कर दिया…”

मैं- “अभी देखो ये लण्ड भी इतनी ही आसानी से घुसाऊँगा की आप जन्नत की सैर करेंगी…” कहकर मैंने वो तेल की डिब्बी लेकर उसकी नोक को उसकी गाण्ड में डाल दिया।

वो आराम से चली गई क्योंकी आलरेडी दो उंगली से उसका छेद अब थोड़ा चौड़ा हो गया था। फिर मैंने पिचकारी मार के उसकी गाण्ड तेल से भर दी।

डिब्बी की नोक निकलते ही गाण्ड थोड़ी सिकुड़ी और थोड़ा तेल बाहर गिर गया। लेकिन मुझे तो सिर्फ चिकनाई हो उतना ही चाहिए था।

अब मैंने हाथ में थोड़ा तेल लेकर लण्ड पे लगा दिया, मूठ मारने लगा ताकि सभी जगह पे तेल लग जाए।
फिर मैंने डिब्बी साइड में रखकर रसीला को घोड़ी बनने को बोला। क्योंकी गाण्ड मारने के लिए वो पोजीशन बेस्ट है। दूसरे पोजीशन में छेद पूरा खुलता नहीं है।
जैसे ही वो घोड़ी बनी, मैं उसके पीछे घुटनों के बल खड़ा हो गया।

मैंने उसका छेद ध्यान से देखा, थोड़ा गुलाबी और सुंदर था। उसपे मैंने उंगली फिराई तो उसका फूल अंदर सिकुड़ गया, जैसे चूहा किसी बिल में।

अब मैंने मेरा तेल से गीला टोपा उसके फूल पे रखा और उससे बोला- “भाभी, गाण्ड के फूल को थोड़ा ढीला छोड़ देना, जैसा आप टायलेट के वक्त करती हैं…” कहकर मैंने उसके छेद पे थोड़ा जोर का शाट मारा, लेकिन वो थोड़ा आगे को हो गई।

वो बोली- दुख रहा है किशोर।

मैं- “थोड़ा धीरज रखिए। कुछ नहीं होगा। बस मैं जैसे बोलूँ वैसा करिए…
” फिर मैंने बोला- “जैसे ही मैं धक्का मारूं आप अपनी गाण्ड के फूल को खोल देना…”

रसीला बोली- ठीक है।

फिर मैंने उसकी गाण्ड पे एक जोरदार धक्का मारा तो मेरे लण्ड का टोपा उसकी गाण्ड में फँस गया।

उसके मुँह से एक चीख निकल गई, और बोली- “उईईईई माँऽ ... सीईईईईईई..
निकल साले मादरचोद, मुझे गाण्ड नहीं मरवानी, भड़वे…”

मैं- “अरे रानी, अभी कुछ नहीं होगा। बस अंदर घुस ही गया है, और फिर तेल की वजह से वो इतनी मुश्किल से घुसा था वरना घुसता ही नहीं…

” फिर मैंने अपने बाडी को पीछे करके टोपे को बाहर खींचा और फिर एक शाट मारा जिससे उसकी फिर चीख निकल गई, लेकिन अब वो मुझे कोई गाली नहीं दी।

शायद इस बार उसे मजा आ रहा था। लण्ड दो इंच जितना घुस चुका था, तो मैंने अपनी कमर को हिलाना चालू किया। फिर उसको भी मजा आने लगा।

कमर हिलाने से लण्ड को आगे का रास्ता मिलता रहता था, जिससे वो धीरे-धीरे आगे बढ़ रहा था। और फिर ऐसे ही आगे पीछे करने से मेरा लण्ड अब पूरा गाण्ड में जा रहा था और मेरी दोनों गोटियां उसके कूल्हों को छू रही थीं।

रसीला बोली- “वाह रे मेरे राजा… तू तो मास्टर है। तूने तो बड़ी आराम से मेरी गाण्ड में डाला, पता ही नहीं चला की कब पूरा घुस गया।

सिर्फ टोपे के जाते वक्त मुझे दर्द हुआ था। मेरी गाण्ड में भी बहुत खुजली हो रही थी तो मैं मरवाना चाहती ही थी तुझसे। तूने बड़े आराम से लण्ड डालकर मेरी इच्छा पूरी कर दी…”

मैं उसकी बातों को सुनता हुआ अपनी मस्ती में मस्त होकर घचाघच उसकी गाण्ड को चोद रहा था। गाण्ड चोदते वक्त मैं उसकी चूत में भी उंगली डालकर हिला रहा था।

वो भी उत्तेजना के मारे आह्ह… उह्ह…
ओहहहहहहहहह् ....सीईईईईईई.....और ना जाने क्या-क्या बोलकर मेरे को उकसा रही थी।

मैं उसकी पतली कमर पकड़कर घचाघच शाट मार रहा था। फिर मैंने भी स्पीड बढ़ा दी। क्योंकी अब मेरा पानी भी निकलने वाला था, तो घचाघच चोदता रहा।
तभी मेरा बाँध टूट गया और मेरे लण्ड ने पिचकारी छोड़ना चालू कर दिया।

पिचकारी की धार इतनी तेज और गरम थी की जैसे ही अंदर गई, वो मस्ती में गाण्ड को लण्ड पे रगड़ने लगी। और 10-12 झटकों के बाद लण्ड शांत होकर अंदर ही सो गया। क्योंकी आज मैंने उसे कुँवारी गाण्ड में मेहनत करवाई थी तो, वो भी थक गया था।

फिर मैंने रसीला की गाण्ड से लण्ड निकाला और वाशरूम में चला गया। लण्ड धोकर आया तो मैंने देखा कि वो नंगी ही टाँगें चौड़ी करके लेटी थी।

मेरे लण्ड ने फिर से अंगड़ाई ली और जागने लगा क्योंकी उसका पसंदीदा रास्ता जो था, वो उसे दिख गया था तो वो अब मूड में आएगा ही।

फिर मैंने अपने लौड़े को उसके मुँह पे रख दिया, तो वो समझ गई और लण्ड को चूसने लगी। रसीला हाथों से मेरी गोटियों को भी हिला देती थी।

फिर मैंने मेरे दोनों हाथों से उसके नरम और मांसल चूचियों को दबाने लगा, तो दूध निकलकर उसके चूचों पे और पेट पे बहने लगा।

वो भी पूरे सेक्स के नशे में थी और मेरे दबाने का आनंद ले रही थी।

अब मैं उसके ऊपर 69 मुद्रा में आकर उसकी चूत चाटने लगा, और वो मेरा लण्ड चूसने लगी। उसे चूत चटवाने में बहुत मजा आ रहा था, क्योंकी इससे पहले किसी ने उसकी चूत को चाटा ही नहीं था।

वो मजे से लोलीपोप की तरह मेरे लण्ड को पूरा का पूरा अंदर लेकर चूस रही थी। अब मेरा लण्ड फिर से उसकी मन-पसंद जगह में जाने को बेताब था। फिर मैंने चूसना छोड़कर उसको फिर से घोड़ी बनाया।

रसीला बोली- क्या फिर से गाण्ड मारने का इरादा है?

मैं- “नहीं, ये मेरा बाबूराव , अब उसकी पसंदीदा जगह में जाने को खड़ा हुआ है, जिसका वो कल से इंतेजार कर रहा था…”

रसीला भी हँसकर बोली- “तो दिखा दो ना उसे इसका रास्ता, बाकी का काम वो खुद कर लेगा…”

और फिर क्या था, मैंने उसकी चूत के छेद पे मेरा टोपा रखा और एक धक्का मारा, जिससे मेरा एक इन्च लण्ड अंदर चला गया। और उसके मुँह से हल्की सी सिसकी निकल गई- ‘आह्ह…’

फिर मैंने उसे थोड़ा बाहर खींचकर और एक धक्का मारा जिससे वो चूत की दीवारों को चीरता हुआ 5’ इंच तक अंदर घुस गया।

और रसीला के मुँह से हल्की सी चीख निकल गई, बोली- “धीरे राजा, इतना बड़ा मैंने कभी नहीं लिया है…”

मैंने फिर से लण्ड पूरा बाहर खींचकर एक जोरदार शाट मारा की वो चीखी- “उईईईई माँऽ, आह्ह… उह्ह… इस्स्स… थोड़ा धीरे मेरे राजा…”

और फिर मैं थोड़ी देर रुका और चूचियों को पीछे से हाथ डालकर पकड़कर दबाने लगा, अब मेरे लण्ड ने उस गुफा में अपनी जगह बना ली थी।
फिर मैंने मेरी अंदर-बाहर करना चालू की और धीरे-धीरे आगे पीछे करके मेरी गाण्ड हिलाकर शाट मारने लगा।

अब तक के कामुक वातावरण में रसीला इतनी उतेजित हो गई थी की 10-12 धक्कों के बाद झड़ गई।

मैंने अपने धक्के चालू ही रखे, और घचाघच धक्के मारने लगा। मेरी स्पीड राजधानी एक्सप्रेस जितनी तेज थी, जिससे वो दुबारा से उत्तेजित होकर उसके चूतड़ों को आगे-पीछे करके मेरा साथ देने लगी। और फिर… और 30-35 शाट के बाद मैं उसकी चूत में ही झड़ गया।

आज मेरे लण्ड ने तीनों छेदों का मजा लिया था। अब चूत चुदाई के बाद तो वो और भी निखर गया था, जैसे की एक बार और।

रसीला अब सीधी लेट गई तो मैंने उसकी चूत में लण्ड डाले ही किस्सिंग चालू कर दिया। और वो भी मेरे होंठ चूस रही थी। फिर थोड़ी देर मैंने उसके चूचे को फिर से चूसकर दूध पिया,

क्योंकी हमारी चुदाई को दो घंटा हो गया था और उसकी चूची में फिर से दूध भर गया था।
तो टूट पड़ा चूचों पर और जम कर दूध पिया ..
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Re: गाँव में मस्ती भाभियों के साथ

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फिर मैंने थोड़ा दूध उसकी बेटी के लिए भी छोड़ दिया। और उसके ऊपर से उतरकर उसे निहारते हुए बोला- कैसा लगा रसीला भाभी?

रसीला बोली- “बहुत मजा आया, मैंने अपनी जिंदगी में कभी ऐसा मजा नहीं लिया है…”

फिर मैं स्माइल देकर उसे किस करके बाय बोला और उसने मुझे फिर से मिलने का वादा लिया।

मैं फिर से तालाब नहाने चला गया, और नहाकर घर गया। जब घर पहुँचा तो शाम के 5:00 बज रहे थे।

घर आते ही मैं सीधा राशि भाभी के रूम में घुस गया, और राशि भाभी को बोला- “भाभी मुझे भूख लगी है। थोड़ा दूध पिला दो ना…”

उसने बाहर झांक के देखा, चाचीजी मंदिर गई हुई थी। तो बोली जरा जल्दी करना चाची कभी भी आ सकती है,

और वो अपना ब्लाउज़ खोले लगी। फट से एक चूची मेरे मुँह में दे दिया। मैं भी और टाइम बरबाद ना करके फटाफट उसको चूसकर दूध पीने लगा।

10 मिनट मैंने पिया, तभी कुछ आहट हुई तो भाभी ने चूची मेरे मुँह से निकाल के ब्लाउज़ नीचे कर दिया और तुरंत नीचे का एक हुक बंद करके अपना पल्लू ढँक दिया।

उसने इस तरीके से और इतनी जल्दी ये सब किया की किसी को लगेगा भी नहीं की वो अभी ही मुझे दूध पिला रही थी।

अब मैं बाहर आकर खटिया पे आराम करने लगा। भूख थोड़ी शांत हो गई थी, तो पता नहीं कब थकान से मुझे नींद आ गई।

एक घंटे बाद मुझे सोनिया भाभी उठाने आई और धीरे से बोली- उठिए देवरजी, मेहनत कम किया कीजिए वरना थक जाएंगे।

मैं- क्या करूं भाभी, मेरे ऊपर अभी इतनी सारी भाभियां मेहरबान हैं की मैं किसी को ना नहीं बोल सकता।

सोनिया- तो आज आपने अपने मुन्ने को कौन सा बिल दिखाया, राशि का या प्रीति का?

मैं- दोनों का ही नहीं। आज मैंने राशि भाभी की सहेली रसीला का बिल चौड़ा किया।

सोनिया आश्चर्य से- “देवरजी, घर में इतनी सारी मुनिया आपके मुन्ने को रिझाने के लिए हैं, और आप बाहर की मुनिया को खुश कर रहे हो?”

मैं- नहीं भाभी, ऐसी बात नहीं, मैं तो आप तीनों की मुनिया से खुश ही हूँ, लेकिन आज तो आपको पता ही है की सभी भाई साहब घर पे थे तो मैं आपकी मुनिया को कैसे खुश करता?

सोनिया- हाँ, वो तो है। मैं भी तो आपके मुन्ने को एक नया बिल दिखाना चाहती हूँ लेकिन मोका ही नहीं मिलता।

मैं- भाभी, कल कुछ करते हैं। लेकिन एक बात बताऊँ भाभी?

वो बोली- क्या?

मैं- आपका दूध का डिब्बा बहुत बड़ा है, मन करता है की बस।

वो- बस क्या?

मैं- बस उसको चूसकर उसका दूध पिता ही रहूँ।

दोस्तों, आप लोगों को तो पता ही है की राशि और सोनिया दोनों को, छोटे बच्चे होने की वजह से, दूध आता था। मैंने राशि का तो पी लिया था अब इसका ही बाकी था।

सोनिता बोली- तो चूसो ना, कौन मना कर रहा है?

मैं- भाभी, कल कुछ जुगाड़ करो ना? राशि भाभी का मीठा दूध पी लिया बस आपका पीना चाहता हूँ।

सोनिया बोली- कल तो होने दे, मैं भी प्यासी हूँ। कल जरूर कुछ करेंगे।

मैं- “ठीक है…” और ऐसा बोलकर मैंने धीरे से उसके चूचे को दबा दिया।

सोनिया बोली- “अभी नहीं…”

फिर हम उठ गये और रात का खाना खाने चले गये। आज रात को तो कुछ होने वाला था नहीं और वैसे भी मैं दिन में इतनी सारी चुदाई से थक गया था तो रात को आराम से सो गया।

दूसरे दिन मैं सुबह हमेशा की तरह 9:00 बजे उठा और मुँह धो लिया। मुझे अच्छी सी नींद आ गई थी और पूरी थकान उतर गई थी।

अब मैं फिर से आज दो शाट मारने को तैयार था। मुझे भूख बहुत लगी थी तो रोज की तरह मैं राशि भाभी को ढूँढ़ने लगा, लेकिन वो दिखाई नहीं दी।
तभी वहां प्रीति भाभी आई तो मैंने उससे पूछा की राशि भाभी कहां हैं?

प्रीति बोली- “क्यों ऐसा क्या काम है जो तू उसे ही ढूँढ़ रहा है?”

मैं- वो… भाभीजी मुझे बहुत भूख लगी थी, इसलिए।

प्रीति- “तो अब समझी मैं, की उसे क्यों ढूँढ़ रहे हो? वो बाहर गई है, पड़ोसी के घर। लेकिन तेरा काम मैं अभी कर देती हूँ…” वैसा बोलकर उसने सोनिया को आवाज लगाई- “सोनिया जरा यहाँ आओ तो…”

सोनिया फटाफट आई, और बोली- क्या है भाभी?

प्रीति- जरा देवरजी को भूख लगी है उसे शांत तो कर दे।

सोनिया हँसते हुए- “हाँ, भाभी…” और मेरी ओर देखकर बोली- “चलो आप मेरे कमरे में जाओ, मैं अभी चाची को देखकर आती हूँ…”

फिर क्या था, मैं तो उसके कमरे में चला गया।

थोड़ी देर बाद सोनिया आई और बोली- “आज अभी तुम्हारी चाची भी पड़ोस में कथा सुनने जा रही हैं, राशि भाभी भी उसको साथ देने उससे सीधा जुड़ जाएंगी…” और फिर मेरी ओर आँख ममैंरके बोली- “देखो, भगवान ने खुद हमारा जुगाड़ कर दिया ना?”

मैं- “हाँ भाभी, वो तो है…” अब मुझे भी भगवान पे बहुत भरोसा हो गया था, की वो सब सही ही करता है।

फिर सोनिया भाभी प्रीति भाभी से बोली- “भाभी, आप दोनों ने तो अपनी अपनी भूख शांत कर ली है देवरजी से, लेकिन मैं एक ही बाकी थी, क्या मैं भी आज वो भूख मिटा लूं?”

प्रीति भाभी- हाँ, वो भी कोई पूछने की बात है? तुम दोनों तुम्हारे कमरे में जाओ और जो करना है दोपहर तक जल्दी कर लेना। बाद में सासू माँ आ जाएंगी।

मैं तो ये सुनकर बहुत खुश था।

जैसे ही वो कमरे में आई, उसने अपनी साड़ी उतार फेंकी। और फिर वो खुद ही उसकी चूची पे हाथ फेरने लगी, जैसे बड़े पेट वाले खाने के बाद पेट पे फिरते हैं।

सोनिया बोली- “देख, इसे ही घूर रहा था ना कल? आज ये तेरे सामने है…” और वो पूरी गोलाईयों पे अपना हाथ फेरने लगी।

उसने दोनों हाथों की बिच वाली उंगली से उसके टाप वाले हिस्से को टच किया, जहां निपल होती है। और सिर्फ उसी दो उंगली से उसने अपनी चूचियों पे दबाव दिया, जैसे टिचुन टिचुन।

उसकी वो गुब्बारे जैसी नरम चूचियां ऐसे प्रेस हो रहा थीं जैसे की मखमल। फिर पूरी हथेली उसने अपने चूची पे रख दी और खुद के होठों को दांतों में दबाकर उसे सहलाने लगी, जैसे बता रही हो की देखो मेरे पास क्या है?

मैं तो उसका ये सेक्सी अंदाज देखता ही रह गया। अब उसने एक हाथ से चूची को सहलाना चालू रखकर, दूसरे हाथ को उसकी दोनों टांगों के बीच ले गई, और पूरी हथेली उस पे रख दी।

वाउ… क्या नजारा था। मैंने इतनी सेक्सी लड़की आज तक नहीं देखी थी।
उसका फिगर का साइज 36-26-36 था, जो की बहुत मस्त था। कोई हिजड़ा भी उसको चोदने को मचल जाए, तो मेरी क्या औकात थी।

फिर उसने स्टाइल में फिर से दोनों चूचे मेरे सामने ऐसे बाहर निकाले जैसे बोल रही हो, कि आओ और इसे चूसो। फिर वो थोड़ा झुक गई और पीछे मुड़ गई। जिससे अब उसकी गाण्ड मेरी तरफ थी।

वाउ… उसकी 36” की गाण्ड क्या गजब की थी। सोनिया अपने चूतड़ों को हिलाने लगी। जिससे उसके बड़े-बड़े कूल्हे लेफ्ट-राइट होने लगे। फिर उसने हिलाना बंद करके थोड़ा और नीचे झुक के नीचे पेटीकोट के किनारे को पकड़ा और ऊंचा उठाने लगी।

जिससे धीरे-धीरे उसकी मांसल जांघें दिखने लगीं, और ऊंचा उठाने से उसकी गाण्ड मेरे सामने थी, एकदम सफेद-सफेद और चिकनी। इतनी चिकनी की बस उसके कूल्हों को चूमते ही रहो। वाह… भगवान ने उसे क्या खूबसूरती दी थी।

मुझे मालूम नहीं था की सोनिया जब कपड़े उतारेगी तो ऐसा गजब का सेक्सी बदन होगा।

फिर उसने अपने हाथ को पीछे लेकर उसे गाण्ड पे रख दिया और दोनों कूल्हों को अलग करने के लिए उसे दोनों साइड खींचने लगी, जिससे उसकी गाण्ड पे से पैंटी और अंदर घुस गई, और उसके पूरे कूल्हे दिखने लगे।

बाद में उसने गाण्ड को सहलाया और फिर सीधी हो गई। फिर उसने एक हाथ से अपना पेटीकोट का नाड़ा खोल दिया, जिससे पेटीकोट सर्र्र्र्र्र्र्र्र्ररर से नीचे गिर गया। फिर पेटीकोट में से टाँगें निकाल के उसने पेटीकोट को साइड में रख दिया। अब भी वो घूमके मेरी साइड गाण्ड करके ही खड़ी थी। उसकी पिंक कलर की पैंटी से उसके चूतड़ बहुत सेक्सी लग रहे थे।
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Re: गाँव में मस्ती भाभियों के साथ

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अब वो ब्लाउज़ और पैंटी में थी। उसने अब मेरी तरफ मुँह किया और मेरे सामने एक सेक्सी स्माइल दिया, और बोला- कैसा लगा मेरा स्टाइल?

मैं- “बहुत अच्छा, मुझे अब भी यकीन नहीं होता है की मैं इतनी सुंदर परी को नंगा देख रहा हूँ और अब भगवान की बनाई हुई इस सुंदर सी चूत को चोदने जा रहा हूँ…”

सोनिया अपने हुश्न की तारीफ सुनकर बहुत खुश हुई और मेरी सामने और नजदीक आ गई। अब वो मेरे सामने अपनी नशीली आँखों से आँखें मिलकर अपने हाथ को ब्लाउज़ पे ले गई और उसके हुक पे अपना हाथ रखा।

फिर थोड़ा मुस्कुराई और धीरे से एक हुक खोला… फिर दूसरा… फिर रुक गई और नीचे मुड़ी जिससे उसकी गले की खाईं और ब्लाउज़ से आधे बाहर छलकते स्तन से मेरी नजर हट ही नहीं रही थी। जी करता था कि अभी ही चूम लूँ और हाथों से मसल दूं।

लेकिन मैं भी उसकी सेक्सी हरकतों का आनंद उठाना चाहता था जो की एक स्ट्रेपटीज़ शो से कम नहीं था।

फिर उसने एक उंगली अपने मुँह में डाली और चूसी, और ऐसे मुड़े हुए ही वो उंगली उसके स्तन की गहरी खाईं में डाली।

वाह… क्या दृश्य था? क्या अदा थी उसकी? और अब वो फिर से खड़ी हुई और हाथों से दोनों स्तन सहलाने लगी, और अपनी छाती को लेफ्ट-राइट हिलाया तो उसके स्तन डोलने लगे।

मेरे लण्ड का हाल बहुत बुरा हो गया था, मन करता था की उसकी माँ चोद डालूं। साली कालगर्ल से भी बढ़िया तरीके से मुझे उकसा रही थी। फिर उसने उपने बाकी के हुक खोले और दोनों हाथों को ऊपर करके ब्लाउज़ उतार फेंका।
अब उसके गोरे-गोरे स्तन पिंक पारदर्शी ब्रा में कैद थे, जो की आधे ही ब्रा में थे, बाकी के बाहर छलकते थे। ब्रा भी क्या गजब थी… उसकी नोक पारदर्शी थी, जिसकी वजह से वहां पे काला-काला रंग दिख रहा था, जो की उसके निपल थे।

अब उसने ब्रा पहने हुए ही दोनों स्तनों को हाथों में भर लिया और दोनों को साथ में ऐसा दबाया की दूध की धार ब्रा के ऊपर से होती हुई सीधी मेरे चेहरे पे छू गई।

जिससे अब उसकी हँसी निकल गई और बोली- “देखा, मेरी पिचकारी में कितना दम है। अब तेरी पिचकारी भी देख लेते हैं। लेकिन पहले मेरे इस फड़फड़ाते कबूतरों को तो आजाद कर दे…” और ऐसा बोलकर अपने हाथों को पीछे लेकर ब्रा के हुक को खोल दिया।

और ब्रा को साइड में फेंकने ही वाली थी की मैं बोला- “लाओ, मुझे दो, मुझे उसे सूंघना है…” कहकर उसके हाथों से ब्रा लेकर मेरी नाक पे रखा और सूंघने लगा।

सोनिया सेक्सी अदा से देखने लगी। उसके सफेद-सफेद स्तन अब हवा में आजाद होकर लहरा रहे थे। उसके निपल अंगूर के साइज के थे। क्योंकी दूध पिलाने से वो बड़े हो गये थे।

मेरा सब्र अब नहीं रहा तो मैंने उन दोनों चूचों को मेरे हाथों में थाम लिया और सहलाकर उसकी गर्माहट और मुलायमपन महसूस करने लगा। माई गोड… वो इतने नरम थे की बस उसे चोदने का मन नहीं कर रहा था।

तो मैं उसे धीरे-धीरे दबाने लगा। उसके मुँह से हल्की-हल्की सिसकियां निकलने लगी थीं। फिर मैंने उसके एक स्तन पे मेरे होंठ रख दिए, और जीभ से उसे छेड़ने लगा। उसके निपल के आजू बाजू के गुलाबी एरोला समेत उसका निपल मैंने मुँह में ले लिया।

फिर हल्के से उसे दबाया तो, ‘आह्ह’ मेरे मुँह में अमृत की धारा बहने लगी। उसका सौंदर्य किसी को भी पागल करने को काफी था। एक बच्चा होने के बावजूद भी उसकी कमर सिर्फ 26” ही थी और कमर का कटाव किसी कैटरीना कैफ से ज्यादा होगा लेकिन कम नहीं था। उस कटाव के बाद उसकी गाण्ड फट से चौड़ी हो जाती थी, जो की बहुत कम औरतों को होती है।

अब मैंने उसकी कमर से हाथ डालकर उसके दोनों कूल्हों को मेरी हथेली में भर लिया और उसे सहलाने लगा।

उसका दूध तो मैं चूस ही रहा था लेकिन साथ में उसकी गाण्ड भी सहला रहा था। गाण्ड की चमड़ी एक छोटे बच्चे के जैसी नरम-मुलायम थी। फिर मैं उसकी गाण्ड की दरार में मेरी उंगली फेरने लगा। उधर चूची में से लगातार दूध चूसना चालू ही था। मैं बारी-बारी दोनों चूचियों को चूस रहा था, ताकि दोनों निपल को एक-समान आनंद मिले।

अब मैंने उकसाते हुए कहा- क्या आप मेरी पिचकारी से होली खेलना नहीं चाहेगी?
सोनिया उत्तेजना से पागल थी ही, और ये सुनते ही उसने मेरे मुँह से चूचियों को छुड़ाकर नीचे झुक के मेरी पैंट की जिप और हुक खोल दिया और पैंट को नीचे खींचकर चड्डी के ऊपर से लण्ड को भींच दिया।

फिर सीधा मुँह लगा दिया और किस करने लगी। फिर चड्डी भी निकल दी और लण्ड की लम्बाई देखकर वो हड़बड़ा गई। उसके मुँह से निकल गया- “ओ बाप रे… इतना बड़ा? लगता है ये मेरी फाड़ ही देगा…”

मैं बोला- क्या फाड़ देगा आपकी?

सोनिया शर्माती हुई- “चूत…” और फिर उसने लण्ड का टोपा मुँह में लिया और उसका प्री-कम जीभ से चाटने लगी।

उसकी जीभ के स्पर्श से मेरे लण्ड में एक कंपन सा आ गया, और मेरा लण्ड उत्तेजना से फट से सीधा पेट में चिपक गया। वो ये देखकर और डर गई, क्योंकी अब वो पूरी लम्बाई में था, और बोली- “मुझे नहीं चुदवाना है। मेरी चूत का तो भोसड़ा बना दोगे तुम। मैं सिर्फ तुम्हारी मूठ मार दूँगी…”

मैं- “अरे भाभी… आपके अकेले के पास ही थोड़ी चूत है, जो फट जाएगी? मैं राशि और प्रीति भाभी दोनों को चोद चुका हूँ। कुछ नहीं होगा, तो डरिये मत और मेरे लण्ड का मजा लीजिए…” और ऐसा बोलकर मैंने मेरा 3-4 इंच जितना लण्ड उसके मुँह में ठूंस दिया। जिससे वो उन्ह-उन्ह करने लगी, और मैं धीरे-धीरे उसके मुँह को चोदने लगा।

जब सोनिया थक गई, तो मेरा लण्ड मुँह से निकालकर सीधा उल्टा घोड़ी की पोजीशन में आ गई। मैंने फट से लण्ड का टोपा उसकी चूत के छेद पे रख दिया और उसकी पतली कमर को पकड़ा।

उसकी गाण्ड इतनी बड़ी थी की, उसकी कमर पकड़ते ही और टोपा गाण्ड में लगाते ही जैसे मैं कोई हीरोइन को चोद रहा हूँ, वैसा अहसास होने लगा, और फिर मैंने थोड़ा सा धक्का लगाया। लेकिन मेरा टोपा फिसलकर बाहर आ गया। मुझे लगता था की वो सही थी, उसने आज तक इतना बड़ा लण्ड नहीं लिया था।

मैंने फिर से टोपा छेद पे रखकर और कमर पकड़ कर जोर से धक्का मारा, जिससे मेरे लण्ड का टोपा जगह बनाकर चूत में फँस गया। लेकिन उससे उसकी चीख निकल गई। मेरी तो गाण्ड फट गई की बाहर कोई सुन ना ले। लेकिन तुरंत ही मैं रुक गया और पीछे से उसके स्तन मेरे दोनों हाथों में लेकर सहलाने लगा।

स्तन सहलाने से उसको फिर से मस्ती चढ़ने लगी। उसके मुँह से हल्की सी- “अह्ह… उह्ह… इस्स्स… प्लीज़्ज़… अब डालो…” जैसी सिसकियां निकलने लगीं।

फिर क्या था मैंने थोड़ा टोपा बाहर खींचकर फिर और एक जोरदार शाट मारा तो मेरा लौड़ा करीब 4” इंच जितना घुस गया और वो छटपटाने लगी। फिर मैंने धीरे-धीरे आगे पीछे मेरी कमर को हिलाना चालू किया, तो उसे मजा आने लगा।

मुझे उसकी चूत की दीवारों का मुलायम और गरम स्पर्श मेरे लण्ड पे एक अजीब सा आनंद दे रहा था। उसकी चूत की टाइटनेस इतनी थी की जैसे मैं उसको पहली बार ही चोद रहा हूँ, और वो भी जैसे सुहागरात मना रही हो, वैसे एंजाय करने लगी।
अब मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी, और उसे फचा-फच चोदने लगा। उसकी आवाजें रूम में गूँज रही थीं, और वो चुदाई का पूरा आनंद ले रही थी। मेरे हर शाट पे उसके कूल्हे हिल रहे थे। कूल्हे इतने नरम थे की और वासना भड़का रहे थे।

मेरी स्पीड इतनी थी की हर धक्के पे कूल्हों पे मेरी जांघें टकराने से फट-फट की आवाजें आ रही थीं। और फिर इतनी स्पीड में वो और ज्यादा झेल ना पाई और कूल्हे पीछे करके झड़ गई। और मेरे लण्ड ने भी फक्क से पिचकारी छोड़ दी। 5-7 धक्कों के बाद मेरा लण्ड शांत हो गया, और मैं उसकी चूत में लण्ड डाले ही उसके ऊपर सो गया।

वो अभी भी हाँफ रही थी। फिर मैंने उसे थोड़ा सो किस किया और उसके बालों से खेलने लगा। थोड़ा दूध फिर से पिया। ये सेक्सी चुदाई में टाइम का पता ही नहीं चला और दो घंटे कब बीत गये पता ही नहीं चला।
फिर वो पलटी और हम लिप-किस करने लगे।

सोनिया बोली- “देवरजी, थैंक्स आपने तो मेरी बगिया को पानी से हरी भरी कर दिया। आप जब तक हो तब तक हम रोज ही करेंगे और जवानी का मजा लूटेंगे…”

मैं- “वो तो है भाभी। मैं आप तीनों को रोज जब भी टाइम मिले संतुष्ट किया करूँगा, और एक बात पुछू भाभी?”

वो बोली- क्या?

मैं- भाभी, आज तक मैंने सिर्फ आप तीनों को ही चोदा है पर किसी कुँवारी लड़की की चूत नहीं मारी। क्या कुँवारी चूत भी ऐसी ही होती है?

सोनिया- नहीं देवरजी, कुँवारी चूत तो और भी टाइट होती है, और पहली बार तो खून भी निकलता है।

मैं- “ओह्ह…” मुझे ये मालूम नहीं था। फिर मैं सोचने लगा।

सोनिया जैसे मुझे भाँप गई, और बोली- “क्या सोच रहे हो? कुँवारी चूत भी मारने की इच्छा हो गई क्या?”

मैं- सच बोलूँ तो हाँ भाभी।

सोनिया बोली- “मैं देखती हूँ, कुछ जुगाड़ करती हूँ आपके लिए। लेकिन बाद में कहीं हमें मत भूल मत जाना…”

मैं- नहीं भाभी, ऐसा भला हो सकता है कभी, की सोने के अंडे देने वाली मुर्गी को ही मैं मार डालूं?

सोनिया- “इतनी सी छोटी सी उमर में भी बड़ी-बड़ी बातें कर लेते हो आप…”

फिर हम ऐसे ही बातें करते रहे, और फिर रूम से बाहर निकले।
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