ससुर बहू और नौकर

User avatar
Sexi Rebel
Novice User
Posts: 950
Joined: 27 Jul 2016 21:05

Re: ससुर बहू और नौकर

Post by Sexi Rebel »


मैं अपने आपको छुड़ाती हुई बोली- “मुझे जाने दे कुत्ते, वरना मैं पोलिस बुला लूंगी…”

शंकर हँसा और बोला- “यहां कैसे बुलायेगी पोलिस? आज मैं तेरा वो हाल करूंगा कि तू कुछ बोलने के काबिल नहीं रहेगी। साली बहुत बोलती है… आज मैं तुझे रंडी बनाकर छोड़ूंगा…”

मैं फिर खुद को छुड़aने लगी।

तो शंकर ने कसकर एक थप्पड़ मेरे चेहरे पर मारा। शंकर के थप्पड़ से मेरा मुँह घूम गया और मेरी आँखों के सामने अंधेरा छा गया। मैं एकदम चुप हो गई थी। शंकर हँसा और बोला- “बस एक ही थप्पड़ ने तेरे सारे कस बल निकाल दिए। फिर शंकर ने बिस्तर के नीचे हाथ डालकर एक रस्सी निकाल ली। वो रस्सी से मेरे हाथ बाँधने लगा।

तो मैं फिर मचलती हुई बोली- “तुम ये मेरे हाथ क्यों बांध रहे हो?

शंकर ने एक थप्पड़ मेरे चेहरे पर मारा और बोला- “चुपचाप पड़ी रह, वरना मैं थप्पड़ मार-मारकर तेरा मुँह टेढ़ा कर दूंगा…”

दो थप्पड़ों ने ही मेरे सारे कस-बल निकाल दिए थे, इसलिए मैंने शराफत से अपने हाथ पैर बँधवा लिए। शंकर ने मेरे चारों हाथ पैरों को फैलाकर बिस्तर के चारों कोनों से बांध दिया था। अब मैं जरा सा भी नहीं हिल सकती थी।

दो थप्पड़ों ने ही मेरे सारे कस-बल निकाल दिए थे, इसलिए मैंने शराफत से अपने हाथ पैर बँधवा लिए। शंकर ने मेरे चारों हाथ पैरों को फैलाकर बिस्तर के चारों कोनों से बांध दिया था। अब मैं जरा सा भी नहीं हिल सकती थी।

शंकर मुझ पर झुकता हुआ बोला- “क्यों रंडी की बच्ची, अब क्या कहेगी तू? अच्छा है तू आ गई वरना 12:00 बजे के बाद मैं तेरे कमरे में आता। चलो अच्छा है यहां से तेरी चीखें तेरे सास ससुर तक नहीं जायेंगी और मैं आराम से अपना काम करूंगा…”

फिर उसने अपना लण्ड मेरे मुँह से लगाया और बोला- “चल इसे वैसे ही चूस, जैसे तू ने शाम में इसे चूसा था…”

मैंने अपना मुँह दूसरी तरफ फेर लिया।

तो शंकर को गुस्सा आ गया और बोला- “तू ऐसे नहीं मानेगी…” ये कहकर उसने मेरा गला दबा दिया।

मेरी आँखें बाहर आ गई और मैं बहुत मुश्किल से बोली- “प्लीज… मेरा गला छोड़ो, मैं चूस रही हूँ तुम्हारा लण्ड…”

शंकर ने मेरा गला छोड़ा तो मैंने अपना मुँह खोल दिया।

शंकर हँसा और बोला- “शाबाश मेरी रानी…” ये कहकर उसने अपना लण्ड मेरे मुँह में घुसा दिया जिसे मैं मजे मजे से चूसने लगी। काफी देर तक शंकर अपना लण्ड मुझे चुसवाता रहा। फिर उसने अपना लण्ड मेरे मुँह से निकाल लिया और फिर वो मेरी टाँगों की तरफ आ गया। उसने दो तकिये उठाकर मेरे कूल्हों के नीचे रखे जिससे मेरी चूत बुलंद हो गई। मेरी टांगें पहले ही चीरी हुई थीं, इसलिए चूत ऊपर उठने से मेरी चूत के होंठ पूरे खुल गये।

शंकर अपना लण्ड मेरी चूत में फिट करके मेरे ऊपर लेट गया और फिर उसने एक तेज झटका मारा तो पहले ही झटके में उसका लण्ड मेरी चूत को फाड़ता हुआ जड़ तक अंदर घुस गया। दर्द के मारे मेरी चीख निकल गई। शंकर हँसा और बोला- “अभी तो तेरी और चीखें निकलेंगी…” ये कहकर उसने अपना लण्ड बाहर निकालकर फिर जोर से अंदर डाला।

मैं फिर चीखी और फिर शंकर कुत्तों की तरह झटके पर झटके मारने लगा। मुझे बहुत तकलीफ हो रही थी और मैं बुरी तरह से चीख रही थी।

मेरी चीखों पर शंकर बहुत खुश हो रहा था। और वो झटके मारते हुये बोला- “और चीख, और जोर से चीख… यहां तेरी चीखें सुनकर कोई नहीं आयेगा… ले और ले और ले…” शंकर अपनी पूरी ताकत से मुझे चोद रहा था। शंकर का लण्ड बिल्कुल पत्थर की तरह सख़्त था और वो मेरी चूत की दीवारों को बुरी तरह से छीलता हुआ अंदर-बाहर हो रहा था।

मैं चीखती हुई बोली- “उउफफ्फ… शंकर मुझे धीरे-धीरे चोदो, तुम्हारा लण्ड बहुत मोटा और सख़्त है प्लीज… मुझे बहुत दर्द हो रहा है प्लीज… मुझ पर रहम करो…”

शंकर ने अपने झटकों की रफ़्तार और बढ़ा दी और बोला- “साली रंडी की बच्ची, तू रहम किए जाने के काबिल नहीं है। मैं आज तेरा वो हाल करूंगा कि तू मेरे नाम से ही डरेगी…” शंकर को झटके मारते हुये पूरा एक घंटा हो गया था, और वो रुके बगैर झटके मारे जा रहा था।

मैं हैरान थी कि वो अब तक फारिग क्यों नहीं हुआ? जबकी मैं एक घंटे में 6 बार झड़ चुकी थी। मैं दर्द के मारे बोली- उफफ्फ… शंकर, तुम मुझे कब तक चोदोगे?

शंकर हँसा और बोला- “हरामजादी, मुझे आज तुझे सबक सिखाना है इसलिए मैंने एक दवा खाई है और अब मैं 4 घंटे से पहले नहीं फारिग होऊँगा…”

मैं शंकर की बात सुनकर खुश हो गई, क्योंकी मैं तो खुद भी यही चाहती थी कि शंकर बिल्कुल कुत्तों की तरह चोदे। मुझे दर्द तो हो रहा था मगर मुझे इस दर्द से ज्यादा मजा आ रहा था। मैंने अपनी खुशी शंकर पर जाहिर नहीं होने दी, क्योंकि मैं चाहती थी कि वो गुस्से की हालत में मुझे कुत्तों की तरह चोदता रहे।

एक घंटा और मेरी चूत की चुदाई करने बाद शंकर मेरे ऊपर से हट गया और उसने मेरी दोनों टांगें खोल दी। फिर उसने मेरी दोनों टाँगों को उठाकर मेरे कंधों से लगा दिया। फिर उसने मेरे ऊपर लेटकर अपना लण्ड मेरी गाण्ड के छेद पर रखा। मेरी गाण्ड का छेद मेरी चूत से बहुत छोटा था इसलिए मैं सोचने लगी के अब मेरी गाण्ड का क्या हाल होता है।

शंकर ने एक झटका मारा तो उसका लण्ड मेरी गाण्ड में 4 इंच तक अंदर घुस गया। मैं दर्द के मारे बुरी तरह से चीखी और बुरी तरह से तड़पी। एक तो शंकर ने मुझे पूरी गठरी की तरह लिटाया हुआ था, उसपर वो खुद मेरे ऊपर लेटा हुआ था। मैं उसके बोझ से बुरी तरह दबी हुई थी, इसलिए मेरे तड़पने का कोई फायदा नहीं हुआ और मैं सिर्फ़ झुरझुरी ही ले सकी।

शंकर ने फिर एक तेज झटका मारा तो उसका लण्ड मेरी गाण्ड में 8” इंच अंदर घुस गया। मैं फिर चीखी मगर शंकर ने मेरी चीखने की परवाह ना करते हुये एक और झटका मारा। अब उसका लण्ड मेरी गाण्ड को फाड़ता हुआ जड़ तक अंदर घुस गया। मैं बुरी तरह से चिल्ला रही थी और अब शंकर खूब जोर-जोर से झटके मार रहा था। वो अपना लण्ड टोपी तक बाहर निकालता और फिर वो एक ही झटके में जड़ तक अपना लण्ड मेरी गाण्ड में घुसा देता। इस तरह मेरी गाण्ड पर बुरी तरह से दबाओ पड़ रहा था जिससे मेरी गाण्ड बुरी तरह से दर्द कर रही थी। शंकर बहुत तेज झटकों से मुझे चोद रहा था।

मैं शंकर की मर्दानगी पर बुरी तरह से फिदा हो चुकी थी और मुझे शंकर पर बहुत प्यार आ रहा था। जिस तरह मैंने चाहा था शंकर मेरी उम्मीद से बढ़कर मुझे चोद रहा था। मुझे इतना मजा आ रहा था और मैं सोच रही थी कि मेरी ये चुदाई इसी तरह चलती रहे और मैं शंकर से चुदवा-चुदवाकर मजे लेती रहूं।

शंकर ने दो ही घंटे मेरी गाण्ड मारी फिर उसने अपना लण्ड मेरी गाण्ड से निकालकर वापिस मेरी चूत में डाल दिया और मुझे तेजी से चोदने लगा। 20 मिनट तेजी से झटके मारने के बाद शंकर ने अपना लण्ड मेरी चूत से निकाला और लाकर मेरे मुँह से लगा दिया।

User avatar
Sexi Rebel
Novice User
Posts: 950
Joined: 27 Jul 2016 21:05

Re: ससुर बहू और नौकर

Post by Sexi Rebel »

मैं समझ गई के अब वो फारिग होने वाला है इसलिए मैंने अपना मुँह खोल दिया। शंकर ने अपना लण्ड जड़ तक मेरे मुँह में घुसा दिया और फिर उसके लण्ड से तेज मनी की बोछार निकली जो सीधे मेरे पेट में गिरने लगी। सारी मनी मेरे पेट में छोड़ने के बाद जब उसने अपना लण्ड मेरे मुँह से निकाला तो वो मनी से बुरी तरह से खराब हो रहा था। मैंने दोबारा उसका लण्ड चूसने के लिए अपना सर उठाया तो शंकर ने फिर अपना लण्ड मेरे मुँह में घुसा दिया। मैंने शंकर का लण्ड चाट-चाटकर अच्छी तरह से साफ कर दिया, और फिर वो मेरे बराबर में ही लेट गया।

थोड़ी देर लेटने के बाद उसने मेरे हाथ भी खोल दिए और बोला- “जाओ, अब तुम जा सकती हो और पोलिस को बुलाना है तो बुला लो, शंकर पोलिस से नहीं डरता…” और शंकर उठकर एक तरफ पड़ी हुई अपनी धोती उठाकर बाँधने लगा।

तो मैं उठी और मैंने उससे धोती छीन कर फेंक दी और शंकर से लिपटकर मैंने उसके चेहरे पर बोसों की बारिश कर दी। शंकर मेरे रद्दे-अमल से हैरान हो रहा था। मैं उसे किस करती हुई बोली- “प्यारे हैरान क्यों हो रहे हो? तुमने वोही किया जैसा मैंने चाहा था। मेरी जान मैंने ही तुम्हें गुस्सा दिलाया था ताकी तुम मुझे गुस्से में आकर कुत्तों की तरह चोदो। मेरे प्यारे, मैं किसी पोलिस वोलिस को नहीं बुला रही, मैं तो खुद तुमसे चुदवाने के लिए मरी जा रही थी…”

शंकर बोला- वो जो तुमने मुझे शाम में गालियां बकी थी, धमकियां दी थी, वो क्या था?

मैं मुश्कुराई और बोली- “वो सब ड्रामा था तुम्हें गुस्सा दिलाने के लिए और देखो तुमने गुस्से में आकर मेरी कैसी शानदार चुदाई करी है…”

शंकर खुशी से बोला- क्या आप मुझे नौकरी से नहीं निकलवायेंगी?

मैंने उसे प्यार से चिपकाया और बोली- “नहीं बुद्धू, बल्की मैं तो रोज तुमसे चुदवाऊँगी…”

शंकर मुश्कुराया और बोला- “मेम साहिब आप मुझे पहले बता देतीं, मैंने तो अपना सारा समान बाँध लिया था। मैंने तो सोचा था कि जब आप सो जायेंगी तो मैं आपके कमरे में घुसकर जबरदस्ती आपको चोदूंगा और रातों-रात यहां से फरार हो जाऊँगा, ताकी पोलिस मुझे पकड़ ना सके…”

मैं हँसी और बोली- “तुम बिल्कुल बुद्धू हो। अगर मैं तुम्हें बता देती तो तुम मुझे इस तरह कैसे चोदते? वो जालिम क्या चुदाई करी है तूने, अब तक मेरी चूत और गाण्ड दर्द कर रही है…”

शंकर बोला- मेम साहिब अगर ज्यादा दर्द है तो मैं माफी माँगता हूँ। आप कहें तो मैं दवा लगा दू?

मैं मुश्कुराकर बोली- “मुझे अपनी चूत और गाण्ड के दर्द की परवाह नहीं, अलबत्ता तुमने जो दो थप्पड़ मुझे मारे थे उसका दर्द अभी तक है…”

शंकर बोला- “मेम साहिब मुझे माफ कर दें, मैं उस वक़्त गुस्से में था…”

मैं मुश्कुराई और बोली- “माफ किया प्यारे, मगर तुमने ये मेम साहिब, मेम साहिब क्या शुरू कर दिया है। इस वक़्त मैं रखैल हूँ तुम्हारी… मेम साहिब औरों के सामने हूँ। अभी तुम मेरे मालिक हो और मैं तुम्हारी नौकरानी…”

शंकर ने मुझे अपने सीने से भींच लिया और बोला- “तुम नौकरानी नहीं बल्की मेरे दिल की रानी हो…”

मैं मुश्कुराई और बोली- “मेरे राजा, तुम्हारी ये रानी तुम्हारे लण्ड की गुलाम हो चुकी है। तुमने जो मेरी इतनी जबरदस्त चुदाई करी है… इतनी जबरदस्त चुदाई तो मेरी आज तक मेरे पति ने भी नहीं करी और अब मैं चाहती हूँ कि तुम दोबारा से मेरी वैसी ही चुदाई करो…”

शंकर का लण्ड अब फिर अकड़ चुका था और वो मेरी चूत में चुभने लगा था। मैंने मुश्कुराकर उसका लण्ड पकड़ लिया और बोली- “देखो प्यारे तुम्हारा लण्ड मेरी चूत में घुसने की कोशिश कर रहा है। तुम जरा इसकी मदद तो करो…”

शंकर भी हँसा और बोला- “अभी लो मेरी जान, देखना मैं कैसे तुम्हारी शानदार चुदाई करता हूँ…”

मैं मुश्कुराई और बोली- “प्यारे, पहली चुदाई की तरह एक ही स्टाइल में ही नहीं चोदते रहना। पहली बारी में तो तुमने मेरा कबाड़ा कर दिया था, एक ही स्टाइल में चोद-चोदकर…”

शंकर हँसा और बोला- “अब ऐसा नहीं होगा जान-ए-मान…” शंकर एक कुर्सी पर बैठ गया।

और फिर मैं उसका लण्ड अपनी चूत में लेकर अपनी दोनों टांगें फैलाकर उसके ऊपर बैठ गई। अब शंकर नीचे से खूब झटके मारने लगा। शंकर के जोरदार झटकों से मेरी चूचियां बुरी तरह से उछल रही थीं और मुझे बहुत मजा आ रहा था। शंकर ने मेरी उछलती हुई दोनों चूचियों को पकड़ लिया और उन्हें दबाता हुआ खूब कस-कसकर झटके मारने लगा। 25 मिनट तक उसने मुझे इसी तरह चोदा फिर उसने मुझे सोफे पर उल्टा लिटा दिया और खुद वो अपना लण्ड मेरी गाण्ड में डालकर मेरे ऊपर लेट गया और तेज-तेज झटकों से मेरी गाण्ड मारने लगा।

शंकर के पूरे जिश्म का दबाओ मेरे ऊपर पड़ रहा था और मुझे इस तरह बहुत मजा आ रहा था। आधे घंटे तक मेरी इस पोजीशन में गाण्ड मारने के बाद शंकर ने मुझे दीवार से लगाकर खड़ा कर दिया। फिर उसने अपना लण्ड मेरी चूत में डाला और मुझे बिल्कुल दीवार से मिलाकर मेरी चूत को चोदना शुरू कर दिया। 20 मिनट मेरी चूत चोदने के बाद उसने मुझे घुमाकर दीवार से लगाया और फिर उसने पीछे से अपना लण्ड मेरी गाण्ड में घुसा दिया और वो फिर नीचे झुक-झुक कर झटकों के साथ मेरी गाण्ड मारने लगा।

शंकर के जोरदार झटकों से मेरी चूचियां दीवार से रगड़ खा रही थीं और इस तरह मुझे एक अलग मजा मिलने लगा। मेरे कहने पर शंकर ने मुझे इसी तरह से पूरे एक घंटे तक चोदा। फिर उसने मुझे डोगी स्टाइल में चोदना शुरू कर दिया। मैं अपने चारों हाथों पैरों पर नीचे खड़ी थी और शंकर मेरे ऊपर सवार हुआ बुरी तरह से मेरी चूत को चोद रहा था। आधे घंटे तक मेरी चूत चोदने के बाद शंकर ने इसी पोजीशन में रहते हुये अपना लण्ड मेरी चूत से निकालकर मेरी गाण्ड में घुसा दिया और कुत्तों की तरह मेरी गाण्ड मारने लगा।

डोगी स्टाइल में मुझे सबसे ज्यादा मजा आता था इसलिए मैंने शंकर से कहा- “प्यारे, जब तक तुम फारिग नहीं हो जाते मुझे इस पोजीशन में चोदते रहो…”

शंकर डोगी स्टाइल में ही बार-बार कभी चूत को चोदता कभी गाण्ड को। मैं अपने आपको सातवें आसमान पर महसूस कर रही थी। मुझे शंकर से चुदवाते हुये कितना वक़्त हो गया था मुझे इसको कोई अंदाजा नहीं था, और ना ही मुझे इसकी फिकर थी। काफी देर तक मुझे चोदने के बाद शंकर बोला- “नेहा डार्लिंग, मैं अब फारिग होने वाला हूँ मैं अपनी मनी तुम्हारी चूत में निकाल दूँ…”

मैं बोली- “नहीं प्यारे, मैं तुम्हारी मनी को पीना चाहती हूँ, तुम मेरे मुँह में फारिग होना…”

शंकर ने अपना लण्ड मेरी चूत से निकाला और और अपना लण्ड तेजी से मसलता हुआ मेरे मुँह की तरफ आ गया। मैंने फौरन अपना मुँह खोल दिया। इससे पहले कि शंकर अपना लण्ड मेरे मुँह में घुसाता उसके लण्ड से मनी की धार निकलकर मेरे मुँह से टकराई और मेरा पूरा मुँह मनी से भर गया। मैंने जल्दी से उसका लण्ड पकड़कर अपने मुँह में घुसा लिया और उसका लण्ड चूसने लगी। शंकर की मनी एक तेज धार की सूरत में मेरे गले से नीचे उतरने लगी।

सारी मनी को पी लेने के बाद मैंने उसका लण्ड चाटकर साफ किया और फिर मैंने शंकर की धोती उठाकर उससे अपना मुँह साफ किया। मैं बुरी तरह से थक चुकी थी इसलिए मैं नीचे ही लेट गई। मैंने घड़ी की तरफ देखा तो वहां सुबह के 6:30 हो रहे थे।

शंकर आकर मेरे साथ लेट गया और मुझसे लिपटा कर बोला- “कहो मेरी रानी, मजा आया या नहीं?”

मैंने उसे चूम लिया और बोली- “प्यारे, मजा तो इतना आया है कि मैं बता नहीं सकती। मैं तो चाह रही थी कि मेरी ये चुदाई कभी खतम ना हो और तुम सारी ज़िंदगी इसी तरह मुझे चोदते रहो…”

शंकर ने भी मुझे कसकर लिपटा लिया और बोला- “हाँ मेरी बन्नो, मुझे भी तुम्हें चोदकर बहुत मजा आया है अब कब मुझे दोबारा चोदने का मोका दोगी?”

मैं मुश्कुराई और बोली- “मेरे प्यारे, अब तो मैं तुम्हारी हूँ, अब तो हर रात तुम्हारी है। मैं तुमसे रोज चुदवाऊँगी उसके अलावा दिन में जब भी तुम्हें मोका मिले मुझे चोद लिया करना, मैं कभी मना नहीं करूंगी। बस किसी को पता नहीं चलना चाहिए…”

अभी हमारी बातें जारी थी कि शंकर का लण्ड फिर खड़ा हो गया। शंकर उसे मेरे हाथ में देता हुआ बोला- “देखो बिचारे को फिर भूख लगी है…”

मैं हँसी और बोली- “मैं तुम्हारे इस बिचारे को सारी ज़िंदगी अपनी चूत का खाना खिलती रहूंगी, तब भी इसका पेट नहीं भरेगा…”

शंकर बोला- “जानू, एक बार और चुदवा लो…”

मैं बोली- “नहीं प्यारे, अभी नहीं। अभी 7:00 बजने वाले हैं और तुमने मुझे चोदना शुरू किया तो 2-3 घंटे से पहले तुम मुझे नहीं छोड़ोगे। इससे पहले की मेरी सास और ससुर उठ जायें मैं चलती हूँ। तुम अभी अपने इस बिचारे को समझाओ। दिन में मोका मिले तो मुझे चोदकर अपने बिचारे का पेट भर देना…” फिर मैं उसे किस करके उठी और जाने लगी।

तो शंकर बोला- “नेहा अपनी नाइटी तो पहन लो…”

मैं मुश्कुराई और बोली- “प्यारे, अब मैं पहनकर क्या करूंगी? इसे तुम रख लो…” ये कहकर मैं बाहर आ गई।

कमरे के बाहर मेरे ससुरजी बिल्कुल नंगे खड़े थे। उनका चेहरा बिल्कुल लाल हो रहा था और उनका लण्ड बुरी तरह से अकड़ा हुआ, बुरी तरह से साँप की तरह फनकार रहा था। मैं बाबूजी को देखकर मुश्कुराई और उनसे लिपटते हुये बोली- कैसी लगी आपको अपनी बहू की आक्टिंग और शंकर की चुदाई?

बाबूजी ने कहा- “बहुत जबरदस्त मेरी जान, मैं तो जज़्बात में पूरी तरह पागल हो रहा हूँ। देखो मैं तुम्हारी चुदाई देखते हुये 6 बार मूठ मार चुका हूँ, मगर मेरा लण्ड है कि बैठ ही नहीं रहा है…”

मैं मुश्कुराई और बोली- “आपके लण्ड को रात भर में ठंड लग गई है, मैं अभी इसको अपनी चूत की गर्मी दूंगी तो ये आराम से बैठ जायेगा…” ये कहकर मैंने उनका लण्ड पूरा का पूरा अपनी चूत में ले लिया।

और फिर मैं उनकी गोद में चढ़ती हुई बोली- “अब ससुरजी आप अपनी इस बहू को इसी तरह मेरे कमरे में ले चलिये और फिर खूब जमकर अपनी बहू को चोदिए…”

बाबूजी मुझे इसी तरह गोद में उठाये मेरे कमरे में ले आये और मुझे बिस्तर पर लिटाकर खुद भी मेरे ऊपर लेट गये और खूब जोर-ओ-शोर से मुझे चोदने लगे। बाबूजी ने 9:00 बजे तक मेरी जमकर चुदाई करी।
User avatar
Sexi Rebel
Novice User
Posts: 950
Joined: 27 Jul 2016 21:05

Re: ससुर बहू और नौकर

Post by Sexi Rebel »


चुदाई के बाद मैं बाबूजी से कहने लगी- “बाबूजी, अब मैं आप और शंकर से एक साथ चुदवाना चाहती हूँ…”

बाबूजी मुश्कुराये और बोले- “आइडिया तो अच्छा है, पर तुम हम दोनों से एक साथ कैसे चुदवाओगी? क्योंकी शंकर को तो नहीं पता कि मैं भी तुम्हें चोद चुका हूँ। वो मेरे सामने तो तुम्हारे साथ कुछ नहीं करेगा…”

मैं मुश्कुराई और बोली- “इसका बहुत आसान हल है। मुझे पता है कि शंकर मेरे लिए पागल हो चुका है और वो दिन में भी मुझे चोदने की कोशिश करेगा। मैं ज्यादा से ज्यादा शंकर के सामने रहूंगी और मुझे पता है कि उसे जैसे ही तन्हाई मिलेगी उसने मुझे पकड़कर चोद देना है। अब आप शंकर पर नजर रखिएगा। फिर जब मुझे तन्हाई में नंगा करके अपना लण्ड डालकर मुझे चोदना शुरू कर दे तो आप सामने आ जाइयेगा। बाकी मैं संभाल लूंगी…”

बाबूजी को मेरा आइडिया पसंद आया और वो राजी हो गये। फिर वो मुझे किस करके अपने कमरे में चले गये और मैं इसी तरह नंगी चादर ओढ़कर सो गई। मेरे देर से उठने पर कभी भी मेरी सास ने कुछ नहीं कहा था इसलिए मैं आराम से सोती रही। 12:00 बजे मेरी आँख खुली।

तब तक शंकर पूरे घर की सफाई कर चुका था। मैंने नाश्ता करके खाना पकाया। शंकर बार-बार मेरे आस-पास मंडला रहा था और जैसे-जैसे उसे मोका मिलता तो कभी वो मुझे किस कर लेता, कभी मेरी चूचियों को दबा देता, या मेरी चूत और गाण्ड में उंगली कर देता। खाना खाने के बाद सासूमाँ और ससुरजी अपने कमरे में चले गये। मैं किचेन में थी कि शंकर ने आकर मुझे पीछे से पकड़ लिया।

मैं हँसी और बोली- प्यारे, क्या सबर नहीं हो रहा?

शंकर ने मेरी चूचियों को जोर से दबाया और बोला- “नहीं मेरी जान, तुम्हें चोदने को बहुत दिल कर रहा है…”

मैं मुश्कुराई और बोली- “प्यारे, रात तक सबर करो अभी मेरी सास और ससुर घर में हैं…”

शंकर बोला- “नहीं, मुझसे रात तक सबर नहीं होगा मैं तो अभी तुम्हें चोदूंगा…” और वो मेरी साड़ी खोलने लगा।

तो मैं बोली- “क्या कर रहे हो शंकर? कोई आ जायेगा…”

शंकर बोला- “कोई नहीं आयेगा। मैं अभी देखकर आ रहा हूँ। तुम्हारा ससुर कुत्तों की तरह तुम्हारी सास की चूत मार रहा है…” मैं मुश्कुराई और बोली- “अगर ऐसी बात है तो तुम्हें पूरा हक है मुझे चोदने का, अब मैं तुम्हें मना नहीं करूंगी। अब जो चाहो मेरे साथ करो…”

शंकर ने मेरी बात सुनते ही मुझे पूरा नंगा कर दिया। फिर उसने अपनी धोती और कुर्ता भी उतार दिया। शंकर का लण्ड पूरा अकड़ा हुआ था। मैंने उसे हाथ में पकड़ लिया और फिर घुटनों के बल बैठकर उसका लण्ड चूसने लगी। 10 मिनट तक मैंने उसका लण्ड चूसा फिर शंकर ने मुझे किचेन में पड़ी हुई डाइनिंग टेबल पर लिटा दिया फिर उसने मेरी टांगें मोड़कर मुझे पकड़ा दी। फिर उसने अपना लण्ड मेरी चूत में डाल दिया और खड़े-खड़े ही मुझे चोदने लगा, जबकी मैं मजे से सिसकारियां लेने लगी।

हम दोनों चुदाई में बुरी तरह से खोये हुये थे कि अचानक ही बाबूजी किचेन में आ गये और बोले- “ये क्या हो रहा है यहां?

बाबूजी की आवाज सुनकर शंकर डर गया और उसने अपना लण्ड मेरी चूत से निकाल लिया।

बाबूजी गुस्से से बोले- शंकर, तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई कि तुम हमारी बहू को चोदो?

शंकर बुरी तरह से डर गया था, वो हाथ जोड़कर बोला- “माफ कर दो साहिब जी गलती हो गई…”

बाबूजी गुस्से में उसकी तरफ बढ़े और बोले- “चोदकर बोल रहा है कि गलती हो गई…”

इससे पहले कि बाबूजी शंकर तक पहुँचते मैं उन दोनों के बीच में आ गई, और बोली- “बाबूजी, आप शंकर को कुछ नहीं कह सकते…”

बाबूजी हैरान होकर और बोले- “बहू, ये तुम क्या कह रही हो? ये तुम्हें चोद रहा था और तुम इसको ही बचाने की कोशिश कर रही हो…”

मैं बोली- “मैं इसे इसलिए बचा रही हूँ कि मैंने ही इसे बोला था चोदने के लिए…”

बाबूजी हैरान हुये और बोले- “तुमने इसे बोला था चोदने के लिए, मगर क्यों?” इस वक़्त हम ससुर बहू बेहतरीन आक्टिंग कर रहे थे।

मैं फिर बोली- “वो इसलिए कि मुझे मेरा पति 6 महीने के लिए तन्हा छोड़ गया है और मैं प्यासी हूँ। इसलिए मैंने शंकर को मोका दिया है कि वो मुझे चोदकर मेरी प्यास मिटाये…”

बाबूजी बोले- “अगर तुम्हें इतनी ही चुदाई की भूख है तो मुझसे कहना था, मैं तेरी चूत की भूख मिटाता…”

मैं बोली- “आप चाहें तो आप भी मुझे चोद सकते हैं। मगर मैं शंकर से जरूर चुदवाऊँगी…”

बाबूजी बोले- क्या ये तुम्हारा आखिरी फैसला है?

मैं बोली- “हाँ ये मेरा फैसला है, और अगर आप गैरतमंद हैं तो यहां से चले जैायें, वरना शंकर के साथ मिलकर मेरी चुदाई करें…”

बाबूजी ने शंकर की तरफ देखा। मेरी तरफदारी से शंकर में संतुष्टि आ गई थी और अब वो तनकर खड़ा हो गया था।

बाबूजी ने अपना सर झुका लिया।

तो मैं बोली- “बाबूजी, अगर आप शंकर के साथ मिलकर मुझे चोदेंगे तो मुझे बहुत खुशी होगी…”

बाबूजी का लण्ड अब तक खड़ा हो चुका था और वो उनकी धोती से बाहर आने के लिए बेताब हो रहा था।

मैंने आगे बढ़कर धोती के ऊपर से ही उनका लण्ड पकड़ लिया और बोली- “बाबूजी, आपका खड़ा लण्ड ये कह रहा है कि आप भी मुझे चोदना चाहते हैं। अगर हाँ तो मुझे पकड़ लें, अब ये रिश्ते नाते क्या देखना…”

बाबूजी तो पहले ही राजी थे। ये तो शंकर के सामने आक्टिंग की जा रही थी। अब बाबूजी से ज्यादा आक्टिंग नहीं हो सकी और उन्होंने मुझे अपनी तरफ घसीट लिया और मुझे लिपटाकर बेतहासा किस करने लगे।

बाबूजी को मुझे किस करता देखकर शंकर खुश हो गया और वो हमारे पास आ गया और बाबूजी से बोला- “साहिब जी ये हुई ना मर्दों वाली बात। आपकी बहू बहुत सेक्सी है, हम दोनों मिलकर इसे चोदेंगे तो बहुत मजा आयेगा…”

बाबूजी ने मुझे खुद से अलग किया और शंकर से बोले- “अभी तू ही मेरी बहू को चोद मैं रात में तेरे साथ मिलकर अपनी बहू को चोदूंगा। तू मेरी बहू को लेकर इसके कमरे में जा और आराम से जितना तेरा दिल करे इसे चोद। मैं जाकर तेरी मालेकिन को चोदता हूँ…” वो फिर बोले- “जा जल्दी जा… यहां खड़ा वक़्त क्यों खराब कर रहा है। जा जाकर ऐश कर…”

बाबूजी की बात पर शंकर बहुत खुश हो गया और बोला- “साहिब जी, अभी आपकी बहू को लेकर जाता हूँ…” और शंकर मेरा हाथ पकड़कर किचेन से निकालने लगा।

तो बाबूजी बोले- “शंकर खूब जमकर चोदना मेरी बहू को, इसकी चीखें निकाल देना…”

शंकर हँस कर बोला- “ऐसा ही होगा साहिब जी आप फिकर ही ना करें…”

फिर मैं और शंकर मेरे कमरे में आ गये। शंकर खुशी से बोला- “नेहा, ये तो बहुत अच्छा हो गया है। अब तो साहिब जी भी हमारे साथ हैं, अब तो हम दोनों मिलकर खूब तुम्हारी चुदाई करेंगे…”

मैं मुश्कुराई और बोली- “हाँ प्यारे, ये बहुत अच्छा हुआ है। अब मैं एक साथ दोनों छेदों में चुदवाया करूंगी…”

फिर शंकर मुझे लेकर बिस्तर पर आ गया और उसने खूब जमकर मेरी चुदाई शुरू कर दी। शंकर ने शाम 7:00 बजे तक मेरी खूब जोरों से चुदाई करी।

रात खाना खाने के बाद बाबूजी माँजी के साथ अपने कमरे मैं चले गये। मैं अपना काम निपटाकर अपने कमरे में आई तो मेरे पीछे-पीछे शंकर भी कमरे में आ गया। मैं शंकर को देखकर मुश्कुरा दी। कमरे में आते ही शंकर ने मुझे नंगा कर दिया। मैंने सोचा कि बाबूजी पता नहीं कब आयेंगे, इसलिए मैंने शंकर से चुदवाना शुरू कर दिया। ये मेरी चुदाई का दूसरा घंटा था जब बाबूजी पूरे नंगे कमरे में दाखिल हुये। उनका लण्ड पूरी तरह से अकड़ा हुआ था।

मुझे शंकर से चुदता हुआ देखकर वो मुश्कुराये और फिर हमारे पास आकर बोले- “अकेले-अकेले ही मजे किए जा रहे हैं…”

शंकर बाबूजी को देखकर मुझे चोदकर हटा।

तो बाबूजी मुश्कुराकर बोले- “लगा रह यार, इस साली के दो छेद हैं एक को तू चोद एक को मैं चोदता हूँ…”
User avatar
Sexi Rebel
Novice User
Posts: 950
Joined: 27 Jul 2016 21:05

Re: ससुर बहू और नौकर

Post by Sexi Rebel »


शंकर ने लेटकर मुझे अपने ऊपर लिटा लिया और मेरी चूत में अपना लण्ड घुसा दिया। फिर बाबूजी अपना लण्ड मेरी गाण्ड में घुसाकर मेरे ऊपर लेट गये। फिर दोनों ने तेज-तेज झटकों से मुझे चोदना शुरू कर दिया। मेरी चूत और गाण्ड के बीच में पतला सा गोश्त था जिससे मुझे दोनों के लण्ड आपस में रगड़ खाते हुये साफ-साफ महसूस हो रहे थे। ये पहला मोका था जब मैं एक साथ दो मर्दों से चुदवा रही थी। मुझे बहुत मजा आ रहा था और मैं खुद को लज़्ज़त के आसमान पर महसूस कर रही थी। दोनों ने पूरी रात तरह-तरह से मेरी खूब चुदाई करी।

जब हम तीनों थक कर लेट गये तो मैं बाबूजी से बोली- बाबूजी, आपको नहीं लगता कि हमारे घर में नौकर कम हैं?

बाबूजी बोले- क्या मतलब? मैं समझा नहीं?
मैं मुश्कुराई और बोली- “मेरा कहने का मतलब है कि बिचारे शंकर को अकेले पूरे घर का काम करना पड़ता है। ये बिचारा कितना थक जाता होगा। आपको नहीं लगता कि इसकी मदद के लिए हमें कुछ और नौकर रखने चाहिए?”

बाबूजी अब मेरा मतलब समझ गये थे और उन्होंने कसकर मेरी चूचियों के निपल को दबाया जिससे मेरी चीख निकल गई। बाबूजी हँसकर बोले- “मैं अच्छी तरह समझता हूँ कि तेरा मतलब तुझे शंकर की मदद के लिए नहीं अपनी प्यास के लिए और आदमी चाहिए…”

मैं भी हँसी और बोली- “मैं शंकर की मदद के लिए ही कह रही हूँ। पहले वो लोग घर के काम में शंकर की मदद करेंगे फिर मुझे चोदने में शंकर की मदद करेंगे। अब आप ही बताइये कि इसमें मेरा मतलब कहां से आ गया? हाँ ये और बात है कि ये घर मेरा भी है और घर की कोई भी चीज मैं अपने इश्तेमाल में ले लूँ तो इसमें कोई हर्ज नहीं है…”

मेरी बात पर बाबूजी हँस दिए और बोले- “तू कह तो सही रही है। वाकई शंकर की मदद के लिए कुछ लोगों को होना चाहिए…” फिर बाबूजी मुझे से बोले- अच्छा, कितने लोगों को मुलाजिम रखूं?

मैं मुश्कुराई और बोली- “बाबूजी 2-3 लोग तो और होने ही चाहिए…”

बाबूजी मुश्कुराये और बोले- “मैं 3 नहीं 6 आदमियों को नौकरी पर रखूंगा…”

मैं बाबूजी बात सुनकर खुशी से उनसे लिपट गई और बोली- “बाबूजी, आप बहुत अच्छे हैं। आपको अपनी बहू का कितना ख्याल है…”

मेरी बात पर बाबूजी हँसने लगे। फिर वो शंकर से बोले- “यार, अब ये तेरी जिम्मेदारी है कि तू अपने साथियों का इंतेजाम कर…”

शंकर बोला- “साहिब जी, ये तो कोई मसला ही नहीं है। आप देखिएगा मैं ऐसे आदमी लाऊँगा कि वो नेहा को चोद-चोदकर इसका हुलिया बिगाड़ देंगे…”

मैं शंकर से बोली- “हाँ शंकर, मुझे ऐसे ही आदमी चाहिए जो मुझे चोद-चोदकर मेरा हुलिया खराब कर दें…”

शंकर इसी दिन से अपने काम पर लग गया। दूसरे ही दिन वो 6 आदमियों को घर ले आया। इत्तेफाक की बात ये है कि इसी दिन सासूमाँ को एक काम में दूसरे शहर जाना पड़ गया और अब वो 3-4 दिन से पहले नहीं आ सकती थी।

जो आदमी शंकर लाया था वो सबके सब लंबे तगड़े और सेहतमंद थे। उन सबकी नजरें बार-बार मुझपर पड़ रही थीं, क्योंकि मेरा हुलिया ही ऐसा था कि वो सब मुझे देखे बिना नहीं रह पा रहे थे। मैं इस वक़्त एक छोटे से स्कर्ट और स्लीवलेश टी-शर्ट पहनी हुई थी, और बगैर ब्रेजियर के मेरी चूचियां टी-शर्ट में से साफ-साफ दिखाई दे रही थीं। मुझे उन सबका इस तरह देखना बहुत अच्छा लग रहा था। मुझे भी वो सबके सब पसंद आ गये थे और मैं भी उनको पसंदीदगी की निगाहों से देख रही थी।

बाबूजी ने मुझे देखा तो मैंने इकरार में सिर हिला दिया कि मुझे ये सब पसंद हैं।

बाबूजी ने शंकर से कहा- “यार, ये सब भरोसे के आदमी तो हैं ना? ऐसा ना हो कि ये हर एक को बताते फिरें और हमारी बदनामी हो…”

शंकर बोला- “साहिब जी, आप बिल्कुल बेफिकर रहें। शंकर आदमी पहचानने में कभी गलती नहीं करता…”

शंकर की बात सुनकर बाबूजी सबसे कहने लगे- “मैं आप सबको ये बात बिल्कुल साफ-साफ बता देना चाहता हूँ कि मुझे सिर्फ़ वफादार लोग पसंद हैं और मैं आप लोगों को सिर्फ़ इसी शर्त पर अपने पास मुलाजिम रखूंगा कि मेरे घर की कोई बात आप बाहर किसी को नहीं बतायेंगे…”

सब कहने लगे- “साहिब, कोई हमारी गर्दन भी काट देगा, तब भी हम आपसे नमकहरामी नहीं करेंगे…”

बाबूजी उनकी बात सुनकर बोले- “मुझे आप लोगों की बात पसंद आई। अब मैं असल बात पर आता हूँ। वैसे तो मुझे इतने मुलाजिम रखने की जरूरत नहीं है। मगर ये मेरी जो बहू है नेहा, इसका कहना है कि घर में और मुलाजिम भी होने चाहिए जो शंकर के काम में हाथ बटा सकैं। शंकर हमारा बहुत पुराना मुलाजिम है और हम इसे अपना मुलाजिम नहीं समझते। और ये हमारे घर में एक मर्द की तरह रहता है और इसलिए शंकर घर के काम-काज से फारिग होकर मेरी बहू को खूब चोदता भी है जिसकी मैंने इसको पूरी इजाजत दे रखी है। अब मैं चाहत हूँ कि आप लोग भी इस घर में घर के मर्द की रहें और शंकर की तरह आप लोग भी मेरी बहू को खूब चोदें…”

बाबूजी की बात सुनकर सब हैरान रह गये और हैरत से मुझे देखने लगे। उन में से एक बोला- “ये आप क्या बात कर रहे हैं?”

बाबूजी मुश्कुराये और बोले- “अरे इसमें हैरान होने की क्या बात है? मेरी बहू को शौक है चुदवाने का और शंकर को चोदने का। और मैं भी अपनी बहू को खूब चोदता हूँ और अब मैं आप लोगों से चोदने के लिए कह रहा हूँ तो इसमें हैरानी की क्या बात है? और इस नौकरी में दूसरे काम का तो बहाना है। मैं तो आप लोगों को मुलाजिमत ही अपनी बहू को चोदने की दे रहा हूँ। अब आप लोग सोच लें? एक तो आप लोगों को महीना तनख्वाह भी मिलेगी और चोदने के लिए मेरी बहू भी। अब आप लोगों में से जिसको ये नौकरी मंजूर है वो यहां रुके, वरना वो यहां से चला जाय। मैं आप लोगों को सोचने के लिए 5 मिनट दे रहा हूँ…”

बाबूजी की बात सुनकर सब एक दूसरे को देखने लगे। सभी इस मजेदार नौकरी पर खुश थे। फिर वो बोले- “साहिब जी हमें ये नौकरी करनी है…”

सबकी बात सुनकर बाबूजी खुशी से बोले- “तो फिर आप लोगों की जाब पक्की…”

मैं जो खामोश बैठी थी कहने लगी- “बाबूजी, अभी इनकी नौकरी पक्की ना करें…”

बाबूजी ने हैरत से मुझसे कहा- “अब क्या बात है? सब कुछ तो तुम्हारी मर्जी से हुआ है…”

मैं मुश्कुराई और बोली- “हाँ, मैं यही चाहती थी। मगर मैं पहले इन सबको टेस्ट करना चाहती हूँ कि ये सब मेरी सही से चुदाई कर पायेंगे या नहीं?”

बाबूजी मेरी बात सुनकर मुश्कुराये और बोले- “हाँ, ये बात तो सही है…”

मैं उठी और सबसे बोली- “मैं आप लोगों से पहले चुदवाकर आप लोगों की मर्दानगी टेस्ट करूंगी, फिर आप लोगों की जाब पक्की होगी। अब आप सब अपने-अपने कपड़े उतार दें ताकी मैं आप सबके लण्ड देख सकूं…”

उन में से एक बाबूजी से बोला- “साहिब जी, पहले इनको नंगा करें, ताकी पहले हम देखें कि जिस काम के लिए हमें रखा जा रहा है वो हमें पसंद आता भी है या नहीं?”

उसकी बात सुनकर बाबूजी हँस पड़े और मुझसे बोले- “बहू रानी, इसकी बात भी सही है। पहले तुम इनको अपना जिश्म टेस्ट करवाओ…”

बाबूजी की बात सुनकर मैं मुश्कुरा दी। किसी के सामने मेरे लिए नंगा होना अब क्या बड़ी बात थी। मैंने फौरन ही अपने कपड़े उतार दिए और नंगी हो गई। मेरा खूबसूरत सेक्सी जिश्म देखकर सबकी आँखों में चमक आ गई। फिर सबने एक-एक करके अपने-अपने कपड़े उतार दिए। अब खुश होने की बारी मेरी थी क्योंकी उनमें से किसी का भी लण्ड 9” इंच से कम नहीं था।

बाबूजी सबसे बोले- “मैं आप 6 लोगों को 6 घंटे दे रहा हूँ और खुद दूसरे कमरे में जा रहा हूँ। अब आप लोगों ने मेरी बहू की ऐसी चुदाई करनी है कि मुझे इसकी चीखें दूसरे कमरे तक सुनाई दें, और इन 6 घंटों के दौरान इसकी चीखें 6 सेकेंड के लिए भी नहीं रुकनी चाहिए। अगर इसकी चीखें रुकी या धीरे हुई तो आप लोगों को ये नौकरी नहीं मिलेगी…”

सब बोले- “साहिब आप बेफिकर रहें। आपकी बहू की चीखें दूसरे कमरे तो क्या पूरे घर में इसकी चीखें गूँजेंगी…”

बाबूजी मुश्कुराये और बोले- “ऐसा ही होना चाहिए…” फिर बाबूजी और शंकर चले गये।

और वो सब मुझपर कुत्तों की तरह टूट पड़े। फिर जैसा उन लोगों ने कहा था वेसा ही हुआ। उन लोगों ने मेरी 6 घंटे तक वो चुदाई करी कि मेरी दर्द भरी चीखें पूरे घर में गूँजती रहीं। 6 घंटे बाद जब बाबूजी और शंकर कमरे में आये तो अब भी वो सब मुझे कुत्तों की तरह चोद रहे थे और मैं बुरी तरह से चीख रही थी। बाबूजी को देखकर उन लोगों ने मेरी चुदाई बंद कर दी।

उनमें से एक बोला- “साहिब बताइये हमने कैसे चोदा है आपकी बहू को?”

बाबूजी मेरी जबरदस्त चुदाई से बहुत खुश थे इसलिए वो खुशी के मारे सबसे गले मिले और मेरी शानदार चुदाई करने पर सबको मुबारक बाद दी। फिर बाबूजी कहने लगे- “दोस्तों आप लोगों ने मेरी बहू की शानदार चुदाई करके साबित कर दिया है कि आप लोगों को इस नौकरी पर फौरन रख लिया जाय। अब आप लोगों का काम ये है कि आप लोग जब चाहे, जहां चाहें, जिस वक़्त चाहें, मेरी बहू को चोद सकते हैं। बस आप लोगों ने मेरी बीवी यानी घर की मालेकिन के सामने अएहतियात करनी है, वरना आप सब लोगों को आजादी है जिसका जितना दिल चाहे मेरी बहू को चोदे, इसमें वक़्त की पाबंदी नहीं है। आप लोगों ने अपना काम सही तरीके से और ईमानदारी से करना है। अगर कभी मेरी बहू आप लोगों से चुदवाने में नखरा करे या मना करे तो आप लोग जबरदस्ती इसे चोदें और इसके साथ कोई रियायत ना करें…”
User avatar
Sexi Rebel
Novice User
Posts: 950
Joined: 27 Jul 2016 21:05

Re: ससुर बहू और नौकर

Post by Sexi Rebel »


सब बाबूजी की बात से बहुत खुश थे और ये इन सब लोगों की ज़िंदगी की सबसे मजेदार नौकरी थी। मेरे तो मजे आ गये थे। माँजी पूरे 6 दिन बाद आईं और इन 6 दिनों में बाबूजी ने इन 7 नोकरों के साथ मिलकर मेरी जबरदस्त तरीके से चुदाई करी।

जब माँजी वापिस आईं तो मुलाजिमों की ये फौज देखकर मुँह बनाया।

मगर बाबूजी ने प्यार से माँजी को समझाया कि घर बड़ा है और शंकर अकेला, इसलिए मैंने ये मुलाजिम रखे हैं। घर में जो मुलाजिम थे उनकी पोस्ट ये थी- एक ड्राइवर, एक माली, एक बावर्ची, दो चौकीदार, और शंकर को मिलाकर दो घर की सफाई वगैरा के लिए।

रात को तो बाबूजी सातों नौकरों के साथ मिलकर मेरी खूब चुदाई करते थे और दिन में भी जिसको भी मोका मिलता मुझे चोद देता था। दिन में मैं ज्यादातर नौकरों के क्वार्टर्स में चुदवाती थी, क्योंकी माँजी कभी नौकरों के क्वार्टर्स की तरफ नहीं जाती थीं। और मैं आजादी के साथ सबसे चुदवाती थी। इसके अलावा नौकरों को जहां भी मैं तन्हा नजर आती, वो मुझे पकड़कर चोदना शुरू कर देते। नौकर मुझे मेरे कमरे में, किचेन में, बाथरूम में, ड्राइंग रूम में बाहर गार्डेन में, कार पार्किंग में और घर की छत पर भी चोद चुके थे। अब मेरी ज़िंदगी मजे से भरपूर हो गई है।

मेरी इतनी ज्यादा चुदाइयों को देखते हुये बाबूजी मोका देखकर बार-बार मुझे अपने 8 दोस्तों से भी चुदवा चुके हैं। मुझे अब चुदाइयों की इतनी आदत हो गई है कि मैं सोचती हूँ कि जब मेरे पति आ जायेंगे तो मैं सबसे कैसे चुदवा सकूंगी? मुझे इन सबसे चुदवाते हुये 5 महीने हो गये हैं और अब अगले महीने मेरे पति आस्ट्रेलिया से वापिस आ रहे हैं।

और दो महीने बाद मेरा देवर रवि भी अपनी पढ़ाई पूरी करके इंगलैंड से वापिस आ रहा है। सच पूछिए तो मुझे अपने पति से ज्यादा रवि का इंतेजार है और अब मैं रवि से भी अपने जिश्म की भूख मिटाना चाहती हूँ, क्योंकि मुझे पता है कि इंग्लेंड में रहते हुये वो अँग्रेज लड़कियों को चोद-चोदकर चुदाई के फन में अच्छी तरह माहिर हो गया होगा। और मुझे पूरा यकीन है कि रवि बाबूजी और सब नौकरों से ज्यादा मजा मुझे देगा।

.
***** THE END समाप्त *****

Post Reply