ससुर बहू और नौकर

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ससुर बहू और नौकर

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ससुर बहू और नौकर

फ्रेंड्स एक छोटी सी कहानी आपके लिए पोस्ट कर रहा हूँ उम्मीद कर रहा हूँ जोकि आपको पसंद आएगी


हेलो, मेरा नाम नेहा है। मैं 28 साल की हूँ और मेरा फिगर 38-32-36 है। मेरी शादी हो चुकी है मेरे पति का नाम राजेश है। मेरी ये कहानी मेरी शादी के बाद शुरू होती है। मेरे पति राजेश का लण्ड 8” इंच लंबा और दो इंच मोटा है। शादी की पहली ही रात राजेश ने मुझे आगे और पीछे से पूरी रात चोदा था। अब मेरे पति मुझे रोज चोदते थे इसलिए मेरी चुदाई की भूख भी बढ़ती जा रही थी।

घर में राजेश के अलावा मेरी सास, ससुर और एक नौकर शंकर था। राजेश का एक छोटा भाई भी था रवि, जो इंगलैंड पढ़ने के लिए गया हुआ था। मेरे पति एक मल्टिनेशनल कंपनी में फाइनेन्स मैनेजर की पोस्ट पर जाब करते हैं।

कहानी वहां से शुरू होती है जब मेरे पति को कंपनी की तरफ से आस्ट्रेलिया जाना पड़ गया। उनका विजिट 6 महीने का था। मैं राजेश के जाने से बहुत उदास थी क्योंकी राजेश ने मुझे रोज चोद-चोदकर मुझे रोज चुदवाने की आदत डाल दी थी। जिस सुबह राजेश ने जाना था उसि रात को मैंने उदासी से कहा- “राजेश तुम 6 महीने के लिए जा रहे हो, अब मेरी चूत की भूख कैसे मिटेगी?

राजेश ने मुझे खुद से कसकर भींच लिया और बोला- “मेरी जान मेरा जाना जरूरी है, मैं खुद भी उदास हूँ। मैं तुमको चोड़कर नहीं जाना चाहता, मगर क्या करूं? जाब है, काम तो करना है ना…”

राजेश की बात सुनकर मैं खामोश हो गई।

उस रात राजेश ने मुझे सुबह 8:00 बजे तक कुत्तों की तरह चोदा।

राजेश के जाने के बाद मैं उदास रहने लगी और एक बेचैनी सी मुझे अपने बदन में महसूस होती थी। मैं रातों को तड़पती रहती थी। ये राजेश के चले जाने के बाद तीसरी रात थी, मुझे राजेश की बहुत याद आ रही थी, मेरे जिश्म की बेचैनी बढ़ती जा रही थी और फिर मैं बेचैन होकर कमरे से बाहर आ गई। हमारा घर डबल-स्टोरी था। मेरा कमरा ऊपर जबकि सास और ससुर का कमरा नीचे था।

मैं नीचे आ गई। फिर जब मैं अपने सास और ससुर के कमरे के पास से गुजर रही थी तो मुझे अंदर से हल्की-हल्की आवाजें आईं जैसे कोई सिसकारियां ले रहा है, और मुझे दरवाजे की झिरी से रोशनी भी निकलती हुई महसूस हुई। मेरे दिल में आया, यकीनन बाबूजी माँजी को चोद रहे हैं। मेरे दिल में आया कि क्यों ना अंदर झाँका जाय। पहले मैंने दरवाजे की झिरी से झाँका मगर कुछ नजर नहीं आया, तो मैं खिड़की के पास गई। खिड़की पर पर्दे पड़े हुये थे और उसके दोनों पट बंद थे। मैंने ऐसे ही हाथ लगाया तो खिड़की का पल्ला खुल गया। मैंने खिड़की का पल्ला खोलना चाहा तो वो पूरा खुल गया, मगर कोई आवाज नहीं हुई। मुझे डर हुआ कि कहीं अंदर पता नहीं चल गया हो।

खिड़की खोलते ही अंदर की आवाजें साफ-साफ बाहर आने लगीं। मैंने परदा हटाया और अंदर देखने लगी। बाबूजी लेटे हुये थे और सासूमाँ बाबूजी के ऊपर टी हुई थीं। बाबूजी का लण्ड सासूमाँ की चूत में था और वो नीचे से खूब जोर-जोर से झटके मार रहे थे। सासूमाँ बाबूजी का लण्ड खूब मजे से पिलवा रही थी और खूब सिसकारियां ले रही थी। मैं काफी देर से देख रही थी कि अचानक ही बाबूजी ने अपना सर खिड़की की तरफ घुमाया तो मैं उन्हें खड़ी नजर आ गई।

मेरे पास छुपने का अब मोका नहीं था इसलिए मैं वहीं खड़ी रही। सासूमाँ की कमर मेरी तरफ थी इसलिए मुझे वो नहीं देख सकती थी। बाबूजी मुझे देखकर मुश्कुराने लगे तो मैं भी मुश्कुरा दी। फिर उन्होंने सासूमाँ की टांगें मेरी तरफ घुमा दी और मुझे दिखा-दिखाकर खूब जोर-जोर से चोदने लगे। मैं जाने लगी तो उन्होंने इशारे से जाने से मना किया और खड़ा रहने को कहा।

मुझे भी अच्छा लग रहा था इसलिए मैं खड़ी हो गई। बाबूजी ने 35 मिनट तक खूब तेजी से सासूमाँ को चोदा। फिर जब उन्होंने अपना लण्ड बाहर निकाला तो मैं उनका 10 इंच लंबा और 3 इंच मोटा लण्ड देखकर हैरान हो गई। बाबूजी ने अपना लण्ड सासूमाँ की चूचियों पर रखकर अपनी मनी चोद दी। फारिग होने के बाद सासूमाँ आँखें बंद करके लेट गईं।

तो बाबूजी ने मेरी तरफ इशारा किया कि वो मुझे चोदेंगे। बाबूजी के इशारे पर मैं मुश्कुरा दी और अपने कमरे में आ गई। फिर जब तक मुझे नींद नहीं आ गई मैं बाबूजी के बारे में सोचती रही।

सुबह हुई तो नाश्ते के बाद माँजी किसी से मिलने चली गईं। अब उनको शाम में आना था और अब घर में सिर्फ़ मैं बाबूजी और हमारा नौकर शंकर ही बचे थे। शंकर पूरे घर के काम करता था और मैं सिर्फ़ खाना पकाती थी। माँजी के जाने के बाद मैंने सोचा क्यों ना अपने ससुर को बहकाया जाय इसीलिए मैंने गुलाबी कलर का काटन का बहुत ही टाइट और काफी खुले गले का ब्लाउज़ और पतली सी साड़ी पहन ली। मेरा ब्लाउज़ बहुत छोटा था, जो सिर्फ़ मेरी डोरी वाले ब्रेजियर को ही छुपा पा रहा था।

मेरा पूरा पेट नंगा था और मैंने बारीक साड़ी के नीचे पेटिकोट नहीं पहना था बल्की सिर्फ़ अंडरवेर के ऊपर ही मैंने साड़ी बाँध ली थी, जिसमें से मेरी पूरी टांगें काफी नुमाया हो रही थीं, और एक तरह से मैं पूरी नंगी ही थी। अब मैं इस हुलिये में काम करने लगी और जानबूझकर बार-बार अपने ससुर के सामने आती रही। मेरे ससुरजी मुझे घूर-घूरकर देख रहे थे और मुझे उनका इस तरह देखना अच्छा लग रहा था। मगर मैं इग्नोर कर रही थी। दोपहर का खाना खाने के बाद ससुरजी दूध लाजमी पीते थे। इसलिए मैंने किचेन में जाकर एक ग्लास में दूध निकाला और बाबूजी के कमरे में आ गई।

बाबूजी बिस्तर पर धोती कुर्ता पहने हुये लेटे हुये थे और टीवी देख रहे थे। मैंने आज बहुत ही छोटा और टाइट ब्लाउज़ और साड़ी पहनी हुई थी। मैंने साफ-साफ महसूस किया कि मुझे देखकर बाबूजी की धोती में हलचल हुई है। मैं ये देखकर मुश्कुरा दी। मैं बिल्कुल उनके पास आ गई और झुक कर उन्हें दूध देने लगी। मेरे झुकने से मेरे खुले गले के ब्लाउज़ से मेरी चूचियां बाहर आने लगीं।

मैंने कहा- “बाबूजी दूध पी लें।

बाबूजी की नजरें मेरी चूचियों पर थीं और वो कहने लगे- “नेहा, आज मैं ये दूध नहीं पियूंगा…”

मैं बोली- क्यों बाबूजी?

बाबूजी ने कहा- “नेहा, आज मैं दूसरा दूध पियूंगा…”

मैं बनावटी हैरत से बोली- “दूसरा दूध कौन सा बाबूजी?” मैं इस वक़्त तक दूध को बेड की साइड टेबल पर रख चुकी थी।
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बाबूजी ने मेरा हाथ पकड़कर मुझे अपने ऊपर घसीट लिया और मेरी चूचियों को पकड़कर बोले- “मैं ये दूध पीना चाहता हूँ…”

बाबूजी के हाथों से मेरे पूरे जिश्म में करेंट दौड़ गया था और यही तो मैं चाहती थी। मैं नाटक करते हुये बोली- “यह आप क्या कर रहे हैं? चोदिए कोई आ जाएगा…”

बाबूजी ने कहा- कौन आयेगा इस वक़्त? तेरी सासूमाँ तो चली गई हैं और शंकर मेरे कमरे में नहीं आता। तू बेफिकर रह। अभी मैं तेरी ये दूध से भरी चूचियां चूसूंगा और फिर तुझे नंगा करके तेरी चूत में अपना लण्ड डालकर तेरी चूत चोदूंगा…”

मैं फिर नाटक करने लगी- “नहीं बाबूजी, चोदिए ना… यह आप क्या कर रहे हैं? मैं आपकी बहू हूँ, ये गलत है…”

बाबूजी ने कसकर मुझे लपेटकर बिस्तर पर लिटा दिया और खुद मेरे ऊपर चढ़कर लेट गये और बोले- “गलत की बच्ची, कल रात को तो तू बड़ी मुश्कुरा-मुश्कुराकर मुझे चोदते हुये देख रही थी और अब नाटक कर रही है…”

बाबूजी की बात सुनकर मैं मुश्कुरा दी और मैंने अपनी बाहें बाबूजी के गले में डाल दी और बोली- “बाबूजी, मैं तो आपके साथ मस्ती कर रही थी। जब से मैंने आपका मोटा और लंबा लण्ड देखा है, मैं खुद बेचैन थी आपसे चुदवाने के लिए। मैं आपको कैसे मना कर सकती हूँ…”

मेरी बात सुनकर बाबूजी मुश्कुरा दिए और बोले- “अब आई है ना लाइन पर। चल अब अपने कपड़े उतार…”
मैं लाड़ से बोली- “आप खुद उतार दें ना मेरे कपड़े…”
बाबूजी मुश्कुराये और उन्होंने मुझे नंगा कर दिया। मेरा नंगा खूबसूरत सेक्सी बदन देखकर बाबूजी की आँखें फट गई और वो बोले- “वाह मेरी रानी, तेरा बदन तो बहुत चिकना और सेक्सी है। आज तो तुझे चोदकर मजा आ जायेगा…” ये कहकर वो मेरी बड़ी-बड़ी चूचियों पर टूट पड़े और बेसब्री से मेरी चूचियों को चूमने और चाटने लगे।

मैंने मजे में आकर आँखें बंद कर ली, और उनका सर अपनी चूचियों पर दबाने लगी। 15 मिनट तक बाबूजी ने मेरी चूचियों को चूसा और चाटा। फिर वो मेरी चूत पर हाथ फिराने लगे।

मैंने कसकर उनका हाथ अपनी चूत में दबा लिया और जलती हुई आँखों से बाबूजी को देखने लगी और बोली- “बाबूजी, मेरी चूत में आग लगी हुई है प्लीज… इसे बुझा दें…”

बाबूजी मुश्कुराये और बोले- “तुम फिकर ही ना करो मेरी जान, मैं अभी ये आग बुझा देता हूँ…” ये कहकर वो मेरी चूत पर झुक गये और मजे से मेरी चूत को चाटने लगे।

अपनी चूत पर बाबूजी की जीभ महसूस करते ही मैं तड़पने लगी। फिर जब उन्होंने मेरी चूत के दाने को अपने दांतों से पकड़ा तो मुझसे बर्दाश्त नहीं हो सका और मैं झड़ गई, और मेरी चूत ने पानी चोद दिया। मेरी चूत से निकलने वाला पानी बाबूजी ने चाट लिया।

मैं तड़प कर बोली- “उउफफ्फ… बाबूजी क्यों तड़पा रहे हैं मुझे? जल्दी से अपना लण्ड मेरी चूत में पेल दें…”

बाबूजी ने मुझे से कहा- तुम मेरे लण्ड को प्यार नहीं करोगी क्या?

मैंने जलती हुई आँखों से बाबूजी को देखा और शिकायती लहजे में बोली- “आपने अपने लण्ड पर मुझसे प्यार करवाया ही नहीं…”

बाबूजी मुश्कुराये और बोले- “नराज क्यों होती हो नेहा डार्लिंग? ये लो…” और बाबूजी ने अपना कुर्ता और धोती उतारी दी तो उनका 10 इंच लंबा और 3 इंच मोटा लण्ड आजाद हो गया।

मैं बेताबी से उठी और मैंने दोनों हाथों से उनका लण्ड पकड़ लिया और बोली- “उउफफ्फ… बाबूजी कितना प्यारा है आपका लण्ड, दिल चाह रहा है कि इसे खा जाऊँ…”

बाबूजी ने कहा- “तुम्हें मना किसने किया है? मेरी बहू रानी, ये अब तुम्हारा है जो चाहो इसके साथ करो…”

मैंने फौरन ही बाबूजी का लण्ड अपने मुँह में ले लिया और मजे से कुल्फी की तरह चूसने लगी। खूब अच्छी तरह बाबूजी का लण्ड चूसा।

फिर बाबूजी ने मुझे लिटा दिया और मेरी टांगें मोड़कर मेरे कंधों से लगा दी। इस तरह से मेरी चूत बिल्कुल उनके लण्ड के सामने आ गई। बाबूजी ने अपना लण्ड मेरी चूत के छेद पर रखा तो मैं कहने लगी- “बाबूजी एक ही झटके में अपना पूरा लण्ड मेरी चूत में घुसा दीजिए…”

बाबूजी ने कहा- “ऐसा ही होगा मेरी जान…” फिर उन्होंने अपनी पूरी ताकत से झटका मारा और उनका लण्ड मेरी चूत को बुरी तरह से फाड़ता हुआ जड़ तक अंदर घुस गया।

मुझे बहुत तकलीफ हुई और मैं ना चाहते हुये भी अपनी चीख नहीं रोक पाई।

बाबूजी हँसे- “अरे, तुम तो बिल्कुल कुँवारी लड़की की तरह चीखी हो, क्या तुम्हारा पति राजेश तुम्हें नहीं चोदता?”

मैं बोली- “वो तो मुझे बहुत चोदते हैं पर उनका लण्ड आपसे पतला और छोटा है। मुझे इतना बड़ा और मोटा लण्ड लेने की आदत नहीं है, इसीलिए मेरी चीख निकल गई…”

बाबूजी मुश्कुराये और बोले- “अगर तुम्हारी चूत को आदत नहीं है तो मैं आज तुम्हारी चूत को चोद-चोदकर आदी बना दूंगा…” ये कहकर बाबूजी खूब जोरों से झटके मारने लगे। और मैं मजे में चीखने लगी, सिसकारियां लेने लगी।

बाबूजी ने मेरी चूत को 25 मिनट तक चोदा और मेरी चूत 3 बार झड़ी। फिर उन्होंने अपना लण्ड मेरी चूत से निकाल लिया और मुझे नीचे चारों हाथों पैरों पर खड़ा हो जाने के लिए कहा। मैं बेड से उतारकर नीचे अपने चारों हाथों पैरों पर खड़ी हो गई। बाबूजी ने घुटनों के बाल बैठकर अपना लण्ड मेरी गाण्ड में घुसा दिया और फिर मेरे ऊपर झुक कर अपने दोनों हाथों से मेरी दोनों चूचियों को पकड़ लिया और फिर वो तेजी से झटके पर झटके मारने लगे।

डागी स्टाइल में मुझे काफी तकलीफ हो रही थी इसलिए मैं बुरी तरह से चीख रही थी। बाबूजी खूब जोर-ओ-शोर से झटके मार रहे थे। मैं बोली- “उउफफ्फ़… आआह्ह… बाबूजी थोड़ा धीरे आआअ ऊऊऊईई मुझे बहुत तकलीफ हो रही है…”

बाबूजी ने अपनी रफ़्तार और बढ़ा दी और बोले- “तकलीफ हो रही है तो बर्दाश्त करो मेरी बन्नो रानी…”

मैं फिर बोली- “उउफफ्फ़… बाबूजीईई कहीं मेरी चीखें शंकर तक ना पहुँच जाये…”

बाबूजी हँसे और बोले- “तुम्हारी चीखें शंकर सुनता है तो सुन ले आकर वो भी तुझे चोद लेगा जिससे तुझे और मजा आयेगा, क्योंकी उसका लण्ड तो मेरे लण्ड से भी लंबा और मोटा है…”

मैं फिर बोली- “आप मुझे किसी और के काबिल छोड़ेंगे तो मैं किसी और से चुदवाऊँगी न…”

बाबूजी ने कहा- “ज्यादा नाटक ना कर और चुपचाप चोदवा वरना मैं तेरी गाण्ड को चोद-चोदकर फाड़ दूंगा…”

मैं खामोश हो गई और बाबूजी मेरी खूब चुदाई करते रहे। बाबूजी ने मेरी 3 घंटे तक खूब जमकर चुदाई करी। मैं पशीने-पशीने हो चुकी थी। इतनी शानदार चुदाई मेरी आज तक मेरे पति ने भी नहीं करी थी।

बाबूजी बोले- “अब जल्दी से कपड़े पहनकर भाग जा, ऐसा ना हो कि तेरी सासूमाँ आ जायें…”

मैं उठी और अपने कपड़े पहनने लगी। कपड़े पहनने के बाद मैं मुश्कुराती हुई बोली- “बाबूजी, आज आपने इस तरह चोदकर मुझे खरीद लिया है। मेरी इतनी जबरदस्त चुदाई तो आज तक राजेश ने भी नहीं करी है…”

बाबूजी ने मुझे लिपटाकर किस किया और बोले- “मेरी जान, ये तो सिर्फ़ ट्रेलर था पूरी फिल्म तो मैं रात को चालाऊँगा…”

मैं मुश्कुराई और बोली- “बाबूजी, आज रात आप सिर्फ़ सासूमाँ को चोदिएगा। मैं जरा रात में शंकर को मोका देना चाहती हूँ…”

बाबूजी हैरत से बोले- “ये शंकर कहां से बीच में आ गया?”

मैं मुश्कुराई और बोली- “वो… आप ही तो मुझे चोदते हुये कह रहे थे कि उसका लण्ड आपसे भी लंबा और मोटा है और वो मुझे चोदेगा तो मुझे और मजा आयेगा…”

बाबूजी ने कहा- “मेरे कहने का ये मतलब थोड़ी था कि तुम उससे चुदवा लो…”

मैं मुश्कुराई और बोली- “बाबूजी जब आप मुझे चोद सकते हैं तो शंकर क्यों नहीं चोद सकता? और जब से मैंने सुना है कि उसका लण्ड आपसे भी बड़ा है, तो अब मैं ज्यादा इंतेजार नहीं कर सकती और मैं आज रात ही उससे चुदवाऊँगी। वैसे आप ये बातें कि आपने कब उसका लण्ड देख लिया?”

बाबूजी ने कहा- “एक दफा मैंने घर के पीछे जहां उसका क्वार्टर है, वहां मैंने उसे मूठ मारते हुये देखा था। वैसे तुम उसको राजी कैसे करोगी?”

मैं मुश्कुराई और बोली- “बाबूजी, ये मेरा काम है। मैं आपको दावत दे रही हूँ। जिस तरह मैंने आपके कमरे में देखा था आपको सासूमाँ को चोदते हुये, उसी तरह आप आज रात में शंकर के क्वार्टर में झाँक कर मुझे उससे चुदवाता हुआ देख लीजियेगा…”

मेरी बात सुनकर बाबूजी मुश्कुराये और बोले- “अगर ऐसी बात है तो आज रात मैं तुम्हारी चुदाई जरूर देखूंगा…”

मैं मुश्कुराई और बोली- “आप प्रार्थना कीजिएगा कि मैं शंकर से चुदवाने में कामयाब हो जाऊँ…”
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मेरी बात सुनकर बाबूजी हँस दिए और बोले- “हाँ मैं प्रार्थना करूंगा कि तुम शंकर के अलावा और लोगों से भी कामयाबी से चुदवा…”

मैं भी हँस पड़ी और बाबूजी को किस किया और बोली- “अब मैं चलती हूँ, देखूं तो सही, मेरा यार शंकर क्या कर रहा है? मैं अभी से उसे पटाना चाहती हूँ…”

बाबूजी कहने लगे- “मैं भी चलता हूँ, देखूं तो सही कि तुम शंकर को किस तरह लाइन पर लाती हो?”

मैं मुश्कुराई और बोली- “हाँ, आप भी मेरे साथ आइए मगर मुझे से दूर रहिएगा, शंकर की नजर आप पर ना पड़े…”

मेरी बात पर बाबूजी राजी हो गये। बाबूजी और मैं कमरे से बाहर आ गये और शंकर को ढूँढ़ने लगे। हमने पूरे घर में देख लिया पर शंकर नहीं था। फिर हमने सोचा वो अपने क्वार्टर में ना हो इसीलिए हम दोनों घर के पिछले हिस्से में आ गये। घर के पिछले हिस्से में हमने काफी सारी पेड़ पौधे लगाये हुये थे और हमें दूर से शंकर सिर्फ धोती पहना हुआ पौधों को पानी देता हुआ नजर आ गया।

मैं उसका मजबूत जिश्म देखने लगी और बोली- “बाबूजी शंकर का बदन तो काफी मजबूत है बिल्कुल पत्थर की तरह सख़्त लग रहा है।

बाबूजी बोले- “शंकर मजदूर आदमी है, दिन भर मेहनत करता है इसीलिए इसका बदन इतना मजबूत है…”

मैं मुश्कुराकर बोली- “फिर तो मुझे इससे चुदवाकर काफी मजा आयेगा…”

बाबूजी भी मुश्कुराये और बोले- “वो तो है मगर तुम इसको पटाओगी कैसे?”

मैंने देखा कि जहां शंकर पौधों को पानी दे रहा था वहां जमीन पर भी काफी सारा पानी जमा हो गया था और मिट्टी और खाद से वहां एक कीचड़ सी जमा हो गई थी। मेरे जेहन में एक बात आई और मैं मुश्कुराकर बाबूजी से बोली- “बाबूजी मेरे जेहन में एक तरकीब आई है आप जरा मेरे ब्लाउज़ को उतारकर मेरी ब्रेजियर की डोरी ढीली कर दें, जिससे वो एक मामूली से झटके में खुल जाय…”

बाबूजी बोले- तुम क्या करना चाहती हो?

मैं मुश्कुराई और बोली- “आप खुद देख लीजिएगा…”

बाबूजी ने मेरा ब्लाउज़ उतारा और मेरी डोरी वाले ब्रेजियर की डोरी ढीली कर दी।

मैंने कहा- “अब मेरे ब्लाउज़ को थोड़ा सा फाड़कर मुझे पहना दें…”

बाबूजी ने मेरा ब्लाउज़ जोड़ पर से फाड़ दिया और मुझे पहना दिया। मेरा ब्लाउज़ वैसे ही टाइट था, वो जोड़ से फटा तो धीरे-धीरे और फटने लगा। फिर मैंने अपनी साड़ी भी ढीली कर दी ताकी जरा से इशारे में खुलकर गिर जाय। अब मैं पूरी तरह तैयार थी। फिर मैंने बाबूजी को किस किया और बोली- “अब आप छुप कर अपनी बहू की आक्टिंग देखिए…”

बाबूजी एक पेड़ के पीछे छुप गये और मैं शंकर को आवाज देती हुई उसके करीब गई। मेरी आवाज पर जब शंकर ने पलटकर देखा तो मैं जानबूझ कर कीचड़ वाले पानी में गिर गई, जैसे मेरा पैर फिसला हो। मैं चिल्लाई तो शंकर भागकर मेरे पास आया। मैं पूरी तरह से कीचड़ में लथफथ हो चुकी थी और गिरने से मेरा फटा हुआ ब्लाउज़ भी आधे से ज्यादा और फट गया था जिसमें से मेरा छोटा सा ब्रेजियर और मेरे ब्रेजियर में से मेरी आधे से ज्यादा चूचियां नजर आने लगी थीं और मेरी साड़ी भी पूरी तरह से गीली होकर मेरे जिश्म से चिपक गई थी।

मेरी साड़ी लाइट पिंक पतले से कपड़े की थी और उसमें से मेरी पूरी टांगें नजर आने लगीं। शंकर मेरे पास आकर बैठ गया और बोला- क्या हुआ मेम साहिब?

मैंने महसूस किया कि धोती में उसका लण्ड मेरे जिश्म को देखकर खड़ा होने लगा है। मैं दर्द भरे लहजे में बोली- “आआह्ह शायद पांव मुड़ने से मोच आ गई है प्लीज मुझे उठाओ…”

शंकर ने मुझे सहारा देकर उठाया तो मैं फिर गिरने लगी। शंकर मुझे गिरने से बचाने लगा तो उसका हाथ मेरी चूचियों पर आ गया और मेरी चूचियां उसके हाथ के जोर से दब गईं। चूचियां दबी तो बाकी बचा हुआ ब्लाउज़ भी बिल्कुल फटकर झूलने लगा। अब मेरा पूरा ब्रेजियर शंकर को साफ-साफ नजर आ रहा था और ब्रेजियर गीला होने की वजह से मेरे निपल भी साफ नुमाया हो चुके थे।

शंकर का लण्ड मेरी इस हालत पर और खड़ा हो चुका था। अब उसका लौड़ा ऐसा लग रहा था कि जैसे उसकी धोती में कोई पाइप फिट किया हुआ हो। मैं गिरने से बचने के लिए शंकर के बदन को पकड़ने लगी तो मेरे हाथ में उसकी धोती आ गई और मेरे खींचने से उसकी धोती खुलकर नीचे गिर गई। अब शंकर पूरा नंगा था। उसका लण्ड जो पूरा खड़ा हो चुका था, आजाद होते ही वो एक झटका खाकर पूरी तरह खड़ा हो गया। मेरा मुँह उसकी टाँगों की तरफ था, इसलिए उसका लण्ड मेरे मुँह से टकराने लगा। धोती खुली तो शंकर जो मुझे संभाला हुआ था उसने एकदम से मुझे छोड़ दिया।

शंकर के छोड़ने से मैं नीचे गिरी तो उसका लण्ड जो मेरे होंठों से टच हो रहा था एकदम से उसका लण्ड 7 इंच तक मेरे मुँह में घुस गया। मुझे एकदम से झटका लग गया और मैं खांसते हुये नीचे गिर गई। शंकर के मुँह से एक सिसकारी निकल गई, क्योंकी जब मैं नीचे गिरी तो उसका लण्ड जो आधे से ज्यादा मेरे मुँह में था निकल गया। मैंने देखा कि शंकर का लण्ड 11” इंच लंबा और 4” इंच मोटा था और अब उसका लण्ड पूराी मस्ती में झटके खाने लगा था और वो एकदम खूंखार हो चुका था।

शंकर का लण्ड देखकर मेरी आँखों में चमक आ गई थी। मेरे एकदम से नीचे गिरने से मेरा डोरी वाला ब्रेजियर एकदम से खुल गया। मैं भी पूरी तरह से मदहोश हो चुकी थी इसलिए जब मेरा ब्रेजियर खुलकर गिरा तो मेरी बड़ी-बड़ी चूचियां एकदम से उछलकर तन गईं।

शंकर ने जब घबराकर अपनी धोती उठानी चाही तो उसके हाथ में मेरी साड़ी आ गई। उसने अपनी धोती समझकर मेरी साड़ी खींची तो मेरी साड़ी जो पहले से ढीली थी उतरकर शंकर के हाथों में आ गई। अब मैं सिर्फ़ छोटे से अंडरवेर में थी और वो भी पूरी भीग चुकी थी और मेरी अंडरवेर में से मेरी चूत के होंठ नजर आ रहे थे। शंकर और घबरा गया और बोला- “माफ कर दो मेम साहिब…” फिर उसने अपनी गीली धोती उठाकर बाँधी जिससे उसका खड़ा हुआ लण्ड नहीं छुप सका।

मैं बोली- “उफ्फ… मुझे उठाओ शंकर, मेरे पांव में काफी दर्द हो रहा है और तुमने मुझे उठाने के बजाय मुझे नंगा कर दिया है…”

शंकर बोला- “मेम साहिब हमारी गलती नहीं है हम तो खुद नंगे हो गये थे…” फिर शंकर ने मेरी साड़ी उठाई और मुझे पहनाने लगा।

तो मैं बोली- अब तुम मुझे ये गंदी कीचड़ से भरी हुई साड़ी पहनाओगे?

शंकर बोला- “मेम साहिब आपका बदन भी तो छुपाना है…”

मैं बोली- “तुम मेरा पूरा बदन तो देख ही चुके हो, चलो ऐसे ही उठाओ…”

शंकर मुझे उठाने के लिए झुका तो उसकी धोती जो पानी से गीली होकर भारी हो गई थी वो फिर खुलकर गिर गई। शंकर अपनी धोती उठाने लगा।

तो मैं बोली- “रहने दो तुम्हारी धोती भी गंदी हो गई है, तुम मुझे ऐसे ही उठाओ…”

शंकर मुझे उठाने के लिए झुका तो मैं खुद भी थोड़ा सा उठ चुकी थी। शंकर के झुकने से उसका लण्ड फिर मेरे मुँह से टकराया।

मैं मुश्कुराकर बोली- “शंकर, तुम ये अपना घोड़े जैसा लण्ड तो हटाओ, ये बार बात मेरे मुँह में घुसने की कोशिश कर रहा है…”

मेरे मुश्कुराने से शंकर की हिम्मत बढ़ी और वो बोला- मेम साहिब, अब भगवान ने इतना बड़ा दिया है तो मैं क्या कर सकता हूँ?

मैं बोली- “अच्छा अब मुझे उठाओ, मेरे पैर में बहुत दर्द है…”

शंकर बोला- “मेम साहिब आपकी चड्डी भी गंदी हो गई है…”

मैं मुश्कुराई और बोली- “हाँ, इसको भी उतार दो। तुमने मेरा पूरा जिश्म तो देख ही लिया है तो इसको भी देख लो…”

शंकर ने मेरी अंडरवेर की डोरी खोली और उसे भी उतारकर फेंक दिया। फिर शंकर ने मुझे अपनी गोद में उठा लिया।

मैंने कहा- “मुझे मेरे कमरे में ले चलो…” शंकर जब मुझे गोद में उठाकर चल रहा था तो उसका लण्ड मेरी पीठ से रगड़ खा रहा था जिससे मुझे बहुत मजा आ रहा था।

शंकर को भी मजा आ रहा था इसीलिए उसका लण्ड बार-बार झटके खाकर मेरी पीठ से लग रहा था। शंकर मुझे मेरे कमरे में लाया और मुझे बेड पर लिटाने लगा।

तो मैं बोली- “उफ्फ… क्या मुझे बेड पर लिटाकर बेड को भी गंदा करोगे? मुझे वाशरूम में लेकर चलो…"

शंकर मुझे इसी तरह गोद में उठाये हुये वाशरूम में आ गया।

मैंने कहा- “मुझे शावर के नीचे खड़ा कर दो…”

शंकर ने मुझे शावर के नीचे खड़ा कर दिया। मैंने पानी खोल दिया और पानी की तेज फुहार मुझ पर गिरने लगी। मैंने शंकर का हाथ पकड़कर अपनी तरफ खींचा और बोली- “तुम्हारी वजह से मैं कीचड़ में गिरी थी, अब तुम ही मुझे नहलाओगे…”
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अंधे को क्या चाहिए दो आँखें। मेरी आफर पर शंकर खुश हो गया। मैंने साबुन उठाकर शंकर को दिया और शंकर मजे में मेरे पूरे बदन पर साबुन मलने लगा।

मुझे मजा आ रहा था। फिर मैं बोली- “तुम मेरी वजह से गंदे हुये हो इसलिए तुम्हें मैं नहलाऊँगी…” फिर मैंने भी साबुन उठा लिया और शंकर के बदन पर मलने लगी।

साबुन मलने के दोरान शंकर का लण्ड बार-बार मेरी चूत में घुसने की कोशिश कर रहा था।

मैंने मुश्कुराकर उसका लण्ड पकड़ लिया और कहने लगी- “शंकर तुम्हारा ये बदतमीज बच्चा बार-बार मुझे तंग कर रहा है…”

शंकर मुझे लिपटाकर बोला- “मेम साहिब आप ही इस बच्चे को तमीज सिखा दें…”

मैं मुश्कुराकर बोली- “मैं अभी इस बदतमीज बच्चे का इलाज करती हूँ…” ये कहकर मैं घुटनों के बल बैठ गई। फिर मैंने बड़े प्यार से खूब अच्छी तरह शंकर के लण्ड पर साबुन लगाया और अच्छी तरह उसे रगड़ने लगी। फिर मैंने उसे पानी से धोया तो उसका लण्ड चांदी की तरह चमकने लगा। मुझे शंकर का लण्ड इतना प्यारा लगा कि मैं अपने आपको उसे मुँह में लेने से रोक नहीं पाई। अब मैं खूब मजे से शंकर का लण्ड चूस रही थी।

शंकर मदहोशी की हद तक पागल हो चुका था और फिर उसने मेरा सर पकड़ा और तेजी से अपने लण्ड को मेरे मुँह में अंदर-बाहर करने लगा। शंकर का लण्ड मेरे गले से भी नीचे जा रहा था। शंकर 15 मिनट तक अपना लण्ड मेरे मुँह में अंदर-बाहर करता रहा। फिर उसने अपना लण्ड बाहर निकाला। वो अब फारिग होने वाला था तो उसने अपने लण्ड को मेरे मुँह के सामने रखकर अपने मनी की पिचकारी मेरे मुँह पर मारी।

मैं हँसी और बोली- “फिर बदतमीजी… तुम अपने लण्ड की मनी जाया क्यों कर रहे हो? ये तो मैं पियूंगी…” ये कहकर मैंने जल्दी से उसका लण्ड पकड़ा और अपने मुँह में डाल लिया। शंकर के लण्ड से पूरे एक मिनट तक मनी निकलती रही और मेरा पूरा मुँह मनी से भर गया। मैंने सारी मनी पीकर उसका लण्ड अच्छी तरह चाट-चाटकर साफ किया और फिर मैं खड़ी हो गई।

शंकर ने मेरी दोनों चूचियों को पकड़कर कसकर दबा दिया जिससे मेरी मेरी सिसकारी निकल गई। शंकर ने मुझे दीवार से लगा दिया और बेतहासा मुझे किस करने लगा। मैंने भी उसे लिपटा लिया और उसके किस का साथ देने लगी। अब शंकर का लण्ड दुबारा से खड़ा होने लगा और फिर वो पूरी तरह से खड़ा होकर मेरी चूत में चुभने लगा।

मैं कहने लगी- “शंकर प्यारे, तुम्हारा बदतमीज बच्चा फिर बदतमीजी करने लगा है…”

शंकर बोलने लगा- “मेम साहिब अब मेरे बच्चे को भूख लगी है और ये खाना माँग रहा है…”

मैं सिसकारी लेकर बोली- “उउफफ्फ… प्यारे, तो इसे खाना खिलाओ ना… तुम्हें रोका किसने है?”

शंकर ने अपने हाथ से अपने लण्ड को पकड़कर मेरी चूत के छेद पर रखा और एक झटका मारा। उसका लण्ड दो इंच तक मेरी चूत में घुस गया। मेरी एक सिसकारी निकल गई। शंकर ने फिर धक्का मारा तो उसका लण्ड मेरी चूत को चीरता हुआ 5 इंच तक घुस गया। अबकी बार मेरे मुँह से चीख निकल गई क्योंकी उसका लण्ड बहुत मोटा था और मेरी चूत फटी जा रही थी। उसने एक झटका और मारा तो अब उसका लण्ड 8” इंच तक मेरी चूत में चला गया।

मैं चीखकर बोली- “आअह्ह… क्यों तड़पा रहे हो प्यारे…”

अब शंकर ने मुझे कमर से पकड़कर एक बहुत तेज झटका मारा जिससे मेरे गले से बहुत तेज चीख निकली और शंकर का लण्ड पूरा का पूरा मेरी चूत में जड़ तक घुस गया। शंकर ने अपना लण्ड टोपी तक मेरी चूत से निकाला और फिर उसने अपनी पूरी ताकत से झटका मारकर अपना 11” इंच लंबा लण्ड एक ही झटके में मेरी चूत में उतार दिया।

मैं बुरी तरह से चीखी और मैंने शंकर को बुरी तरह से जकड़ लिया। दर्द की वजह से मेरी आँखों में आँसू आ गये थे। मैं शंकर के कान में बोली- “शंकर प्यारे, मुझे कमरे में ले चलो…”

शंकर ने उसी तरह मुझे गोद में उठा लिया और अपने लण्ड को मेरी चूत से निकाले बगैर वो मुझे लेकर कमरे में आ गया। उसने लाकर मुझे बेड पर लेटाया और खुद मेरे ऊपर लेटने लगा।

तो मैं बोली- “प्यारे, पहले मेरा और अपना बदन तो खुश्क कर लो…”

शंकर ने अपना लण्ड मेरी चूत से एकदम से निकाल लिया, तो मेरी चूत से ऐसी आवाज निकली जैसे किसी बोतल का ढक्कन खोल दिया गया हो। मेरे मुँह से फिर सिसकारी निकल गई। शंकर वाशरूम जाकर एक तौलिया उठा लाया। फिर उसने पहले मेरे बदन को खुश्क किया, फिर उसने अपने बदन को खुश्क किया। तौलिया रखकर वो फिर मेरे ऊपर लेटने लगा।

तो मैं बोली- “प्यारे, पहले मेरी टांग पर क्रीम से मालिश कर दो ताकी इसका दर्द खतम हो जाय वरना दर्द और बढ़ जायेगा…”

शंकर ने मेरी ड्रेसिंग टेबल पर रखा हुआ बाम उठाया और उसने मेरी टांग की मालिश कर दी। शंकर मेरी टांग की मालिश करता हुआ धीरे-धीरे ऊपर आने लगा, यहां तक कि उसका हाथ मेरी चूत से टकराने लगा। शंकर बोला- मेम साहिब मैं यहां भी मालिश कर दूं?

मैं मुश्कुराई और बोली- “अगर तुम्हें अच्छा लगे तो कर दो, मगर मैं चाहती हूँ कि तुम यहां अपनी जीभ से मालिश करो…”

शंकर मेरी बात से खुश हो गया और उसने काफी सारा बाम मेरी चूत के अंदर तक लगाया और फिर झुक कर अपनी जीभ मेरी चूत पर फेरने लगा। मैं बहुत मदहोश हो गई थी, इसलिए मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया और मैं अपने आपको लज़्ज़त के आसमानों पर महसूस करने लगी। शंकर उठ गया फिर उसने काफी सारा बाम अपने लण्ड पर लगाया और फिर उसने मेरी दोनों टांगें उठा ली।

मैं कहने लगी- तुम क्या कर रहे हो?

शंकर मुश्कुराया और बोला- “मेम साहिब अब मैं अपने लण्ड से आपकी चूत की मालिश करूंगा…”

मैं बोली- “नहीं, तुम अब जाओ मेरा दर्द ठीक हो गया है, अब मुझे और मालिश नहीं करवानी है…”

शंकर मेरे ऊपर झुकता हुआ बोला- “में साहिब, एक बार करवा लें, आपको बहुत मजा आयेगा। फिर आप रोज खुद मालिश करवाने के लिए मुझे कहेंगी…”

मैं गुस्से से बोली- “मुझे अपनी चूत की मालिश तुम्हारे लण्ड से नहीं करवानी, मेरी चूत के लिए मेरे पति का लण्ड काफी है…”

शंकर मेरे एकदम से बदले हुये लहजे पर पहले तो हैरान हुआ, फिर मुश्कुराया और बोला- “मेम साहिब मजाक ना करें, आपके पति तो 6 महीने के लिए गये हुये हैं, तब तक आप अपने इस खादिम को मोका दें…”

मैंने एक लात शंकर के सीने पर मारी जिससे वो बेड के नीचे जा गिरा। मैं फिर गुस्से से बोली- “तुम खादिम हो, खादिम ही रहो। मैं इस घर की मालकिन हूँ और तुम नौकर हो, तुम अपनी औकात नहीं भूलो। अब यहां से जाओ और अपना काम करो। आइन्दा मेरे कमरे में कदम रखने की हिम्मत नहीं करना…”

शंकर उठकर खड़ा हो गया और बोला- “मेम साहिब औकात की बात ना करें, हमारी भी इज़्ज़त है…”

मैं गुस्से से खड़ी हो गई और बोली- “हरामजादे, इज़्ज़त की बात कर रहा है… दो टके का नौकर, अगर मैंने तुझे इस घर से निकलवा दिया तो तू भूखा मर जायेगा। मेरे पति घर पर नहीं हैं तो तू मुझे चोदने की कोशिश कर रहा था…”

मेरी बात पर अब शंकर को भी गुस्सा आ गया और वो बोला- “साली रंडी की औलाद, अभी तो तू खुद मेरे साथ मस्तियां कर रही थी, और अब सती-सावित्री बन रही है…”

मैं गुस्से से बोली- “तू यहां से जा रहा है या मैं फोन करके पोलिस को बुलाकर तुझे अंदर करवा दूं?”

शंकर गुस्से से मुझे देखता रहा और ये कहकर चला गया- “अभी तो मैं जा रहा हूँ, पर देखना मैं तेरा क्या हाल करता हूँ…”

अभी शंकर को गये हुये थोड़ी ही देर हुई थी कि कमरे का दरवाजा खुला और मेरे ससुरजी कमरे में आ गये। वो बिल्कुल नंगे थे और उनका लण्ड पूरी तरह से अकड़ा हुआ था। मैं बाबूजी को देखकर मुश्कुराई और आगे बढ़कर उनसे लिपट गई।

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Re: ससुर बहू और नौकर

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अभी शंकर को गये हुये थोड़ी ही देर हुई थी कि कमरे का दरवाजा खुला और मेरे ससुरजी कमरे में आ गये। वो बिल्कुल नंगे थे और उनका लण्ड पूरी तरह से अकड़ा हुआ था। मैं बाबूजी को देखकर मुश्कुराई और आगे बढ़कर उनसे लिपट गई।

बाबूजी मुझे लेकर बिस्तर पर लेट गये और बोले- इतना अच्छा दृश्य चल रहा था, तुम्हें ये एकदम से क्या हुआ?

मैं हँसी और बोली- क्यों ससुरजी, आपको मजा नहीं आया?

बाबूजी ने मेरी चूचियों को दबाकर कहा- “मजा तो बहुत आया। देखो मेरा लण्ड कैसे अकड़ा हुआ है…”

मैं मुश्कुराकर बोली- “पहले आप अपने लण्ड को बैठा दें। बातें बाद मैं करेंगे क्योंकी मेरी चूत में भी आग लगी हुई है…”

बाबूजी ने लेटे-लेटे ही अपना लण्ड मेरी चूत के छेद में फिट किया और एक जोरदार झटका मारा। पहले ही झटके में उनका लण्ड जड़ तक मेरी चूत में घुस गया।

मैंने एक तेज सिसकारी लेकर कहा- “उउफफ्फ… बहुत जबरदस्त ससुरजी, अब ऐसे ही जोरदार झटके मारकर अपनी बहू को चोदिए…”

बाबूजी ने खूब तेज-तेज झटकों से मुझे चोदना शुरू कर दिया और मैं भी खूब मजे में अपनी चूत उछाल-उछालकर उनके झटकों का जवाब देने लगी। बाबूजी ने मेरी आधे घंटे तक खूब जमकर चुदाई करी और फिर उन्होंने अपने लण्ड की मनी मेरे मुँह के अंदर निकाल दी।

फारिग होने के बाद वो फिर मुझसे लिपटकर लेट गये, और बोले- “अब बताओ कि तुमने बिचारे शंकर पर जुल्म क्यों किया? वो प्यासा ही वापिस चला गया। तुमने एक बार तो उससे चुदवा लेना था और तुमने उसपर बिला वजह गुस्सा उतार दिया…”

मैं मुश्कुराई और बोली- “हाँ, बिचारे के साथ गलत हो गया है मगर ये मेरे मंसूबे में शामिल था…”

बाबूजी ने कहा- और तुम्हारा मंसूबा क्या था?

मैं मुश्कुराई और बोली- “मैं शंकर को गुस्सा इसलिए दिलाया था कि वो मेरा रेप कर दे, मगर बिचारा शरीफ आदमी प्यासा ही चला गया…”

बाबूजी ने कहा- अब तुम्हारा क्या इरादा है?

मैं मुश्कुराई और बोली- “मेरा इरादा है कि मैं अब रात में शंकर के क्वार्टर में जाऊँगी। वो रात तक खूब मदहोश हो चुका होगा और गुस्से में भी होगा। आप देखिएगा कि वो मदहोशी और गुस्से में मेरी कैसी कसकर चुदाई करेगा। मेरा ये इरादा है कि मैं रात में उसे और गुस्सा दिलाऊँ ताकी वो गुस्से में पागल होकर मेरी खूब जमकर चुदाई करे और मैं मजे से पागल हो जाऊँ…”

बाबूजी ने मेरी चूचियों को खूब कसकर दबाया और बोले- “साली, तू तो बहुत खतरनाक लड़की है…”

मैं हँसी और बोली- “ससुरजी, खतरनाक नहीं जबरदस्त आक्टर कहिए, आप रात में मेरी आक्टिंग देखिएगा…”

बाबूजी ने कहा- “हाँ मैं रात में तुम्हारी आक्टिंग जरूर देखूंगा और तुम मेरे साथ ही चलना ताकी मैं पूरा ड्रामा देख सकूं…”

मैं बोली- “ससुरजी जब आप माँजी को चोदकर फारिग होंगे तो कहीं इतनी देर में शंकर सो ना जाय…”

बाबूजी ने कहा- “मैं तेरी सास को तो रोज चोदता हूँ मगर मैं ये दृश्य नहीं छोड़ सकता। मैं ये ड्रामा पूरा देखना चाहता हूँ इसलिए आज मैं तेरी सास को नहीं चोदूंगा…”

मैं बोली- मगर आप सासूमाँ से क्या कहेंगे?

बाबूजी ने फिर मेरी चूचियों को जोर से दबाया और कहने लगे- “मैं कुछ नहीं कहूंगा। बल्की तुम उसके दूध में नींद की दवा मिलाओगी, ताकी वो सुबह तक बेखबर सोती रहे और मैं सकून से अपनी बहू रानी के चोदने का ड्रामा देख सकूं…”

मैं मुश्कुराई और बोली- “बाबूजी, आप भी कुछ काम चालक नहीं हैं…”

बाबूजी भी मुश्कुराने लगे। उनका लण्ड फिर से अकड़ गया था मगर अब माँजी के भी आने का वक़्त हो गया था इसलिए उन्होंने मुझे और नहीं चोदा।

रात में खाने के बाद मैंने माँजी के दूध में बेहोशी की दवा मिला दी। बाबूजी रात 10:00 बजे ही माँजी के साथ कमरे में चले जाया करते थे। रात 10:15 बजे मेरे कमरे के दरवाजे पर दस्तक हुई और मैंने दरवाजा खोला तो बाबूजी कमरे में आ गये। वो इस वक़्त धोती और बनियन में थे।

मैं कहने लगी- माँजी का क्या हाल है?

बाबूजी ने आगे बढ़कर मुझे लिपटाकर किस किया और बोले- “तेरी सास घोड़े बेचकर सो रही है…”

मैं मुश्कुराई और बोली- तो फिर चला जाय?

बाबूजी बोले- हाँ चलो, मगर क्या तुम इस हुलिये में जाओगी?

मैं मुश्कुराई और बोली- “नहीं बाबूजी…” फिर मैंने उनसे अलग होकर अपने सारे कपड़े उतार दिए और सिर्फ़ एक छोटी सी नाइटी पहन ली। मेरी नाइटी इतनी छोटी थी कि उससे मेरे कूल्हे ही छुप रहे थे, बाकी मेरी पूरी टांगें नंगी थी। मैंने नाइटी की डोरी भी ढीली बांधी थी जिसकी वजह से मेरा पेट और चूचियां भी काफी नुमाया हो रही थीं। मैं मुश्कुराकर बाबूजी से बोली- आपकी बहू कैसी लग रही है?

बाबूजी ने मुझे देखकर कहा- “मुझे आज पता चला है कि मेरी बहू कितनी सेक्सी है… तुम बहुत सेक्सी लग रही हो, मेरा तो दिल ये कह रहा है कि शंकर के बजाय मैं तुम्हारा रेप कर दूं…”

मैं मुश्कुराई और बोली- “बाबूजी, आज बिचारे शंकर का हक है। मैंने दिन में वैसे ही उसके साथ बहुत ना-इंसाफी कर दी थी। अब मैं उसको उसका पूरा हक देना चाहती हूँ…”

बाबूजी ने कहा- “अरे मेरी बन्नो रानी, तो मैं तुम्हें कब रोक रहा हूँ? मगर अपने लण्ड का क्या करूं?”

मैं मुश्कुराई और बोली- “अपने लण्ड को सुबह तक समझाइये। सुबह मैं आपके लण्ड को भी पूरा मोका दूंगी अपनी चूत को चोदने का…”

फिर हम दोनों कमरे से बाहर आ गये। जब हम घर के पीछे बने हुये शंकर के क्वार्टर की तरफ आये तो खुली हुई खिड़की में से रोशनी बाहर आ रही थी। हम दोनों ने खिड़की से अंदर झाँका तो अंदर शंकर बिस्तर पर नंगा लेटा हुआ था उसका लण्ड एकदम तना हुआ था। उसने अपने लण्ड पर मेरा ब्रेजियर जो मैं शाम में पौधों के पास में ही छोड़ आई थी, उसने वो ब्रेजियर अपने लण्ड के गिर्द लपेटा हुआ था और वो मेरे ब्रेजियर को तेजी से अपने लण्ड पर रगड़ड़ता हुआ मूठ मार रहा था।

शंकर की आँखें बंद थी और वो मूठ मारते हुये बड़बड़ा रहा था- “नेहा उउफफ्फ… आआह्ह नेहा, मैं तुझे चोद दूंगा… मैं तेरी गाण्ड फाड़ दूंगा आआह्ह…”

बाबूजी ने मुझसे कहा- “बहू रानी, ये तो तुम्हारे लिए पागल हो रहा है, अब अंदर जाओ और इसकी प्यास बुझाओ…”

मैं मुश्कुराती हुई दरवाजे पर आ गई जबकी बाबूजी खिड़की में ही खड़े छुपकर अंदर देखने लगे। मैंने दरवाजे पर हाथ रखा तो वो अंदर से बंद नहीं था। मैंने एकदम से ही पूरा दरवाजा खोल दिया। शंकर जो आँखें बंद किए मूठ मार रहा था उसने एकदम से आँखें खोल दी और फिर वो मुझे दरवाजे पर देखकर हैरान रह गया।

मैं बोली- क्यों हरामजादे, तू मुझे ही याद कर रहा था ना?

शंकर बिस्तर से उठकर खड़ा हो गया और बोला- “तू क्यों आई है यहां? क्या तेरी मत मारी गई है जो यहां चली आई?”

मैं बोली- “मैं अपना ये ब्रेजियर लेने आई हूँ, जिसे तू अपना समझकर बड़े आराम से मूठ मार रहा है चल ये मुझे दे…”

शंकर मेरा ब्रेजियर हाथ में पकड़कर मुश्कुराया और बोला- “जिस तरह तेरा ये ब्रेजियर मेरे लण्ड से चिपका हुआ था, उसी तरह मैं तेरी चूत पर अपना लण्ड चिपका दूंगा…”

मैं उसे गुस्सा दिलाती हुई बोली- “तुझमें इतनी हिम्मत ही नहीं है शंकर कि तू मुझे चोद सके। तू तो पोलिस के नाम से ही दूम दबाकर भाग गया था…”

मेरी बात से शंकर का मुँह गुस्से से लाल हो गया। शंकर ने मेरा ब्रेजियर बिस्तर पर फेंक दिया और बोला- “हिम्मत है तो आकर उठा ले अपना ब्रेजियर…”

मैं बोली- “हाँ आ रही हूँ, मैं तेरी तरह बुजदिल नहीं हूँ…” ये कहकर मैं अंदर आ गई।

मैं बिस्तर के पास आकर जैसे ही झुक कर अपना ब्रेजियर उठाने लगी मुझे पीछे से शंकर ने पकड़ लिया।
मैं चीख कर बोली- “मुझे छोड़ कमीने…”

शंकर ने हाथ से मेरी नाइटी की डोरी खोल दी और मुझे छोड़कर मेरी नाइटी खींच ली। मेरी नाइटी उतरकर शंकर के हाथों में आ गई और मैं भी शंकर की तरह बिल्कुल नंगी हो गई। मैं बचकर भागने लगी तो शंकर ने मुझे पकड़कर बिस्तर पर फेंक दिया और खुद मुझपर चढ़कर लेट गया। फिर शंकर मुश्कुराता हुआ बोला- “अब कहां जायेगी हरामजादी? अब बोल तू क्या कर सकती है?”
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