बड़े घर की बहू (कामया बहू से कामयानी देवी) complete

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sexi munda
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Re: बड़े घर की बहू

Post by sexi munda »

उूउउफफफफ्फ़ यह जानवर तो जान लेलेगा कितना जंगली है सिड्यूस करना आता है उसे अभी तक तो जाने कितनी बार वो कामया को अपने नीचे कर चुका होता पता नहीं पर देखो तो एक बार भी अपने आपसे उसने कामया के साथ जोर जबरदस्ती नहीं की कामया को आज भी उसने ऐसे ही छोड़ दिया गुंडा कही का जानवर और ना जाने कितनी गालियाँ वो भोला को दे रही थी और बार-बार अपनी जाँघो को खोलकर टेबल के नीचे ही वापस चिपका रही थी जाँघो के बीच में एक अजीब सी गुदगुदी होने लगी थी उसे कोई ना कोई चाहिए भोला कामेश भीमा या फिर लाखा कोई भी पर चाहिए अभी
पर अभी कैसे आफिस में और यह ऋषि भी तो यही बैठा है मरता क्यों नहीं यह आज कामया को बहुत गुस्सा आरहा था ऋषि पर देखने में तो कोई हीरो जैसा था पर है हिजड़ा पर क्या करे कामया आज तो वो बिल्कुल पागल हो जा रही थी जैसे कि वो खुद ही अपने सारे कपड़े खोलकर ऋषि को बोले की चाट कर मुझे रिलीस कर पर परिस्थिति उसके अनुरूप नहीं थी अभी वो आफिस में थी और यहां यह पासिबल नहीं था

पर ऋषि पर से उसका ध्यान नहीं हट रहा था बार-बार उसकी और अपना ध्यान ना ले जाने के लिए वो अपने आपको पेपर्स में उलझा रही थी पर जाने क्यों गुस्सा बढ़ता जा रहा था और फिर पेन को टेबल पर पटक-ते हुए
कामया- ऋषि जा थोड़ा घूमकर आ
थोड़ी उची आवाज थी उसकी
ऋषि- कहाँ जाऊ
बड़े ही भोलेपन और आश्चर्य से कामया की ओर अपनी बड़ी-बड़ी आखों से देखता हुआ वो बोला
कामया- कही भी पर मेरे सामने से हट और हाँ… कल से तेरे लिए में दूसरा केबिन खुलवा देती हूँ तू उसमें ही बैठना ठीक है
ऋषि- क्यों भाभी
कामया- बस ऐसे ही
ऋषि एकदम से रुआसा सा हो गया था कुछ नहीं समझ में आया पर हाँ… एक बात तो साफ थी कि भाभी उससे नाराज है और गुस्से में भी पर क्यों उसे नहीं पता टुकूर टुकूर कामया की और देखता रहा पर कोई नतीजे पर नहीं पहुँचा
अभी यह सब चल ही रहा था की कामेश का फोन आ गया
कामया- हाँ…
कामेश- क्या हुआ गुस्सा हो क्या
कामया- नहीं बोलो
कामेश- कहाँ हो
कामया- कॉंप्लेक्स क्यों
कामेश- सुनो कल सुबह तुम्हें बॉम्बे जाना है
कामया- क्यों
कामेश- वो बैंक के कुछ पेपर्स पर साइन झूठ गये थे तो वो कर आओ और शायद
कामया- और क्या कौन से पेपर्स
कामेश- यार पता नहीं उन्हीं का फोन आया था तुम तो पहुँचो में टिकेट भिजवाता हूँ और हाँ ऋषि कहाँ है
कामया- यही है
कामेश- उसे भी जाना है
कामया- और तुम
कामेश-अरे यार तुम पहुँचो में भी आ रहा हूँ
कामया- ठीक है
और फोन कट गया
कामया- ऋषि कल सुबह फिर से बॉम्बे जाना है और इस बार ध्यान रहे कुछ गड़बड़ नहीं
ऋषि- जी
वो अब तक डरा हुआ था कामया से पता नहीं क्यों भाभी ने उसे ऐसा कहा पर ठीक है वो फिर से भाभी के साथ बॉम्बे जा रहा था उसे इस बात की खुशी थी

कामया को एक बार ऋषि पर तरश भी आया पर गुस्सा ज्यादा था पर मजबूरी थी की उसे साथ रखना ही था इतने में फिर से फोन बज उठा कामेश था
कामया- जी
कामेश- अच्छा वहां घर पर ही रुकना और वो भोला कहाँ है
कामया- क्यों कौन सा घर
कामेश- तुम छोड़ो वो गाड़ी आ जाएगी तुमको ले जाएगी हाँ… भोला को बोलो कि ट्रेन से तुमसे पहले बॉम्बे पहुँचे ठीक है रूको में फोन करदेता हूँ
कामया- लेकिन भोला क्यों
कामेश---अरे यार सेक्योंरिटी प्राब्लम है कुछ गुरुजी ने कहा है कि बहू को अकेला नहीं छोड़े और क्या बस इसलिए बहुत इंपार्टेंट हो यार तुम ही ही ही

कामया- क्या यार तुम भी ना एक बोझ लाद देते हो तुम कब आओगे
कामेश---तुम पहुँचो में आ जाऊँगा ठीक है रखता हूँ
कामया हाथों में फोन लिए हुए एक बार ऋषि की ओर देखा और फिर से अपने पेपर्स में खो गई थी पर दिमाग़ में बहुत से सवाल उठ रहे थे क्या बात है अचानक गुरुजी यह सेक्योंरिटी और अकेले ना जाने वाली बात क्या है यह सब उनके घर में इस तरह की कोई बंदिश नहीं थी और नहीं कोई गुरुजी और नहीं बहुत पूजा पाठ


खेर कोई बात नहीं जो है सो है अच्छे के साथ कुछ बुरा भी सोच में डूबी कामया अपने पेपर्स को देख रही थी कि डोर में एक हल्की सी आहट हुई ऋषि और कामया का ध्यान डोर की ओर गया भोला था आज पीओन नहीं आया था कहने
भोला- जी मेमसाहब भैया का फोन था
कामया- हाँ… ठीक है
भोला- जी मेमसाहब आप घर कब जाएँगी
कामया- क्यों
भोला- जी मेरी ट्रेन 7 बजे है
कामया- ठीक है तुम जाओ ऋषि ले जाएगा
भोला- नहीं मेमसाहब भैया ने कहा है कि आपको घर छोड़ दूं पहले फिर जाऊ
कामया- हर काम भैया से पूछकर ही करते हो क्या
एकदम से उसकी आवाज उची हो उठी थी क्यों पता नहीं पर हाँ… उसे भी अजीब सा लगा था ऋषि तो जैसे सहम गया था लेकिन भोला वहां खड़ा-खड़ामुस्कुराता जा रहा था पर बोला कुछ नहीं

कामया- ठीक है जाओ बता दूँगी

भोला बाहर जाते हुए एक नजर ऋषि की ओर डाली और एक फ्लाइयिंग किस उसकी ओर करता हुआ कामया की ओर देखता हुआ बाहर की ओर जाने लगा उसके चहरे पर एक कमीनी सी मुस्कुराहट थी जो कि कामया की नजर से बच नहीं पाई थी वो जानती थी कि भीला उसके साथ ऐसा क्यों कर रहा है

कभी उसे तड़पाटा है और सांड़ की तरह आके खड़ा हो जाता है
पता नहीं क्यों पर भोला के आते ही और जाते ही कामया थोड़ा सा बेचैन हो उठ-ती थी उसके शरीर में एक अजीब सी सनसनाहट सी उठने लगती थी वो उसकी आखों में देख नहीं पाती थी उसके शरीर से उठने वाली एक अजीब सी गंध वहां भर जाया करती थी जो उसके जाने के बाद भी रहती थी खेर जो भी हो कामया ने जल्दी से अपना काम खतम किया और ऋषि को कहा
ऋषि- जा भोला को बोल कि गाड़ी लगाए
ऋषि- जी
किसी आग्याकारी नौकर जैसे ऋषि सभी काम छोड़ कर बाहर की ओर भागा कामया ने अपना बैग लिया और एक बार टेबल पर नजर डालते हुए बाहर जाने को उठी कि तभी भोला वो बड़ा सा कारटन लिए अंदर आया कामया अपने टेबल के पास ही रुक गई थी और भोला को एकटक देखती रही पर भोला तो जैसे अपने मर्ज़ी का मालिक था बिना कुछ पूछे ही अंदर आया और एक बार बिना कामया की ओर देखे ही उसके टेबल के पास आते हुए उस बाक्स को कामया के टेबल के पीछे की ओर चेयर के पास रख दिया

कामया उसकी और पीठ किए खड़ी थी वो नहीं जानती थी कि भोला क्यों यह बाक्स वहां रख रहा था पर हाँ इतना जरूर जानती थी कि उसका गला फिर से सुख गया था और वो खड़े-खड़े फिर से थर थर कप भी रही थी पता नहीं क्या हो जाता था कामया को इस भोला को देखते ही अपने दोनों हथेलियो को टेबल पर टिकाए हुए वो खड़ी थी कि पीछे से भोला के सख़्त हाथ उसकी टांगों से लेकर उसके नितंबों तक एक ही झटके से पूरा जायज़ा लेकर अलग हो गये थे कामया जब तक समझती या मुड़ती भोला के हाथ उससे अलग हो चुके थे जैसे ही वो घूमकर खड़ी हुई भोला उसके पास खड़ा हुआ उसे ही देख रहा था और फिर से अपने हाथ को उसकी जाँघो के बीच में लेजाकर धीरे से दबा दिया और वैसे ही धीरे से पेट से होते हुए उसकी चूचियां तक ले आया और हल्के से मुस्कुराते हुए

भोला- सूट में मेमसाहब आपका फिगर तो खूब दिखता है पर आप नहीं दिखती साड़ी में खूब अच्छी लगती है आप
और जैसे आया था वैसे ही झट से बाहर चला गया एक मिनट से भी काम वक़्त में वो कामया को फिर से एक ऐसी आग में धकेल कर जा चुका था कि जिसका किनारा कामया को नहीं दिख रहा था वो खड़ी-खड़ी जोर-जोर से सांसें लेती रही और अपनी जाँघो को खोलकर वापस बंद करती रही लड़खड़ा जाती अगर वो टेबल को नहीं पकड़ती
इतने में ऋषि वापस आया और डोर खोलकर बोला
ऋषि- भाभी चलिए
कामया- हमम्म चल आअह्ह सस्स्शह
करती हुई किसी तरह से अपने पर काबू पाती हुई बाहर की ओर चल दी
भोला ड्राइव करता हुआ शोरुम तक ले गया और कामया किसी तरह से अपना काम खतम करते हुए जल्दी से घर जाना चाहती थी ऋषि को घर छोड़ कर कामया को भी अपने घर ड्रॉप करके भोला चला गया पर कामया के शरीर में जो आग वो लगा गया था उसने कामया को जलाकर रख दिया था घर पहुँचते ही उसकी नजर फिर से भीमा की ओर चली गई थी पर मम्मीजी के होते यह बात कम से कम अभी तो पासिबल नहीं था

घर पहुँचकर भी कामया अपनी आग में जलती रही पर मम्मीजी ने उसे इतना एंगेज कर लिया था अपने साथ की वो थोड़ा सा अपने आपको भूल गई थी पर पापाजी के आने के बाद और खाना खाने केबाद तो जैसे उससे रुका नहीं गया था पर सुबह जल्दी उठने की बात से ही वो फिर से अपने आप पर कंट्रोल करते हुए किसी तरह से अपने कमरे में ही रही
और सुबह वो बॉम्बे की ओर रवाना भी हो गई थी ऋषि उसे एरपोर्ट पर ही मिला था उसके ड्राइवर ने छोड़ा था उसे और कामया को लाखा काका ने बॉम्बे एरपोर्ट पर उतरते ही उसे एक अजीब सी बात दिखाई दी उसे वहां भी हाइ सीकुरिटी में बाहर निकाला गया बाहर एरपोर्ट के भोला वैसे ही टाइट जीन्स और ब्लैक टी-शर्ट में खड़ा था और जैसे ही कामया और ऋषि को आते देखा जल्दी से उसके समान को गाड़ी में भर कर उन्हें वहां से ले चला था दिसाइड यह हुआ था कि जल्दी से घर पहुँचकर नाश्ता करके वो लोग बैंक जाएँगे और वहां का काम खतम करके वापस घर आ जाएँगे
और किया भी वही जैसे ही बैंक का काम खतम हुआ
ऋषि- भाभी अब और क्या बचा है
कामया- क्यों
ऋषि- नहीं वो रीना दीदी को आपसे मिलना है सो उन्होंने कहा था कि जब काम खतम हो जाए तो फोन कर दूं
कामया- हाँ ठीक है कर्दे घर पर ही आ जाए
ऋषि-ठीक है
और दोनों गाड़ी में बैठ गये थे ऋषि रीना दीदी से बात कर रहा था बहुत ही चहकता हुआ वही लड़कियों जैसे अंदाज में कामया बाहर देख रही थी पर पूरा ध्यान ऋषि की बातों पर ही था कितना उत्तेजित था वो

घर पहुँचकर जब वो लिफ्ट की ओर जा रही थी तो ऋषि और भोला को अपने थोड़ा सा पीछे होकर आते हुए उसने देखा था भोला कुछ ऋषि से कह रहा था या फिर पूछ रहा था ऋषि भी कुछ कह रहा था पर, उसके, चहरे को देखकर लगता था की जरूर कोई बात है जो कि वो कामया से छुपाना चाहते है पर कामया को इससे कोई फरक नहीं पड़ता वो चलती हुई लिफ्ट में घुस गई थी और ऋषि भोला भी झटके से अंदर आ गये और लिफ्ट ऊपर की चल दी
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sexi munda
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Re: बड़े घर की बहू

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दोपहर का वक़्त था लंच का टाइम भी रीना दीदी के आने का इंतजार करते रीना दीदी ल्यूक लेते हुए आएँगी ऐसा बताया था ऋषि ने

ऋषि और कामया ड्राइंग रूम में थे और भोला अपने रूम में चला गया था 3बेडरूम के साथ एक सेरवेंट रूम भी था उसे फ्लैट में जो की डाइनिंग स्पेस के पास था और अलग करने को वही डाइनिंग स्पेस पर एक डोर भी दिया था

सो थोड़ी देर में ही रीना दीदी भी आ गई थी बड़ी ही चुलबुली किस्म की थी वो थोड़ा सा मोटापा था था भरा हुआ जिश्म था कदकाठी भी थोड़ा सा मध्यम था कामया से हाइट में थोड़ी सी छोटी थी पर एकदम मस्त थी आते ही जैसे घर में भूचाल आ गया था हँसी मजाक और बहुत सी बातें कहाँ गई थी कौन मिला था क्या किया और जाने क्या-क्या जैसे एक ही सांस में उसे कहना था और करते-करते खाना खाकर भी उठ गये थे पर रीना की बातें अब तक खतम नहीं हुई थी दोनों भाई बहन आपस में भी लगातार उलझते जा रहे थे और कामयाको भी उसमें घसीट रहे थे

पर कामया खाने के बाद थोड़ा सा निढाल सी हो गई थी नींद के मारे पर ऋषि और कामया को देखकर उसे जरा भी नहीं लग रहा था कि वो कोई रुकने का नाम भी लेंगे

कामया- रीना तुम दोनों बैठो और बातें करो में थोड़ा सा आराम कर लूँ

रीना- जी भाभी बिल्कुल अभी हमें तो बहुत सी बातें करनी है आप आराम करो

कामया मुड़कर अपने रूम में चली आई और वही सूट पहन कर ही बेड पर लेट गई थी आधी बेड पर और आधी नीचे बस थोड़ा सा कमर सीधा करने की चाहत थी पर वैसे ही कब वो सो गई थी उसे पता ही नहीं चला

उठी तो पूरे घर में सन्नाटा था कही कोई आवाज नहीं और ही कोई आहट वो थोड़ा सा घबराई भी पर उठकर बाथरूम में फ्रेश होकर आई तो देखा की 4 बजे है वो रूम से बाहर निकली तो ड्राइंग रूम भी खाली था और कही कोई आहट भी नहीं था
कहाँ गये यह दोनों और भोला वो कहाँ है वो एक बार डाइनिंग स्पेस के पास जाके भोला के कमरे की ओर देखा पर वो खाली था वापस आके उसके आगे बने दो बेडरूम की ओर देखा सन्नाटा था कोई आहट नहीं वो ऋषि के कमरे की ओर बढ़ी हाँ आवाज आ रही है ऋषि की

तो क्या रीना चली गई वो तो रुकने वाली थी उसका पति आने वाला था डिनर पर जाना था फिर ऋषि के साथ कौन है भोला भोला तो नहीं शायद वो ही हो कल जो खेल उसने देखा था शायद वही खेल खेल रहे हो देखूँ कामया के अंदर से एक आवाज उठी पर रुक गई फिर मन नहीं माना वो आगे बढ़ी और ऋषि के कमरे के पास जाके खड़ी हो गई थी डोर के पास आते ही उसे अंदर से सिसकारी की आवाज और सांसों की आवाज के साथ ऋषि के कुछ कहने की बहुत ही धीरे से आवाज सुनाई दी कामया ने जरा सा जोर लगाकर डोर को धकेला पर वो नहीं खुला

वो एकदम से आतुर हो गई थी यह जानने के लिए की अंदर क्या चल रहा है वो इधर उधर देखने लगी डोर के ऊपर उसे वेंटिलेटर दिखा वो लगभग दौड़ती हुई सी डाइनिंग रूम मे गई और वहां पड़े हुए चेयर को खींचते हुए वहां ले आई थी कार्पेटेड था इसलिए कोई आवाज भी नहीं हुई उसे देखकर लगता था कि वो कितनी बैचन है अंदर की घटना को देखने के लिए
किसी तरह से उसने चेयर को अड्जस्ट किया डोर से थोड़ा सा दूर और थोड़ा सा मेहनत के बाद उसपर खड़ी हो गई थी और धीरे-धीरे अपने को उठाकर आखों को वेंटिलेटर के गॅप से अंदर का नजारा देखने के लिए तैयार किया


अंदर का नजारा जो उसने देखा एक बार तो वो चौक गई पर अगले ही पल उसकी आतूरता बढ़ने लगी और वो पूरी तरह से उस खेल का हिस्सा बनने को तैयार भी होने लगी थी बाहर से ही सही पर हाँ… उसे भी यह खेल का हिस्सा बनना था और जरूर बनना था उसके शरीर में एक जलन सी उठ गई थी

अंदर भोला बेड पर बैठा था और ऋषि उसके सामने खड़ा था रीना भोला के बगल में खड़ी थी और भोला का हाथ उसके नितंबों और जाँघो को सहलाते हुए उसके शरीर का जाएजा ले रहा था रीना आहे भरती हुई भोला के बालों से खेल रही थी और भोला से सटने की कोशिश करती जा रही थी

रीना को देखकर ही लगता था कि वो कितनी उतावली है भोला के साथ इस खेल को खेल के लिए वो झुक कर भोला को किस भी कर रही थी और भोला साला यहां भी नहीं छोड़ा और देखो तो कैसे मालिक की तरह से बैठा हुआ है और थोड़ा सा चहरा उठाकर रीना को किस भी करने दे रहा है और अपने हाथों से सहलाते हुए वो रीना के अंदर की आग को किस तरह से भड़का रहा है कामया खड़ी-खड़ी उन्हें देखती हुई अपने आपको एक बार फिर से अड्जस्ट किया पर आखें नहीं हटाई वहां से वो एक भी सीन नहीं मिस करना चाहती थी ऋषि उसके सामने खड़ा था रीना और भोला का व्हहरा उसे नहीं दिख रहा था


पर ऋषि का चेहरा दिख रहा था दोनों ऋषि को कुछ कह रहे थे और रीना और भोला एक दूसरे को सहलाते हुए हँस भी रहे थे तभी उसने देखा कि भोला ने अपनी जाँघो को थोड़ा सा आगे की ओर किया और ऋषि उसके आगे झुक कर बैठ गया कामया थोड़ा सा और ऊपर हुई और देखने की कोशिश करने लगी की ऋषि क्या कर रहा था पर उसे नहीं दिखा हाँ… अंदाजा लगाया शायद उसने भोला की जीन्स की जीप खोला होगा हाँ… थोड़ी देर बाद ऋषि को बैठे हुए ही थोड़ा सा पीछे हट-ते देखा भोला की जीन्स नीचे हो गई थी भोला ने चेहरा उठाकर एक बार रीना की ओर देखा और उसे कस कर अपनी बाहों में भरा कमर से पकड़कर रीना भी थोड़ा सा झुक कर भोला के होंठों को अपने होंठों में लेकर लगातार चूस्ते जा रही थी जैसे की कोई टाफी हो


उसके किस करने के तरीके से ऐसा लगता था की वो बहुत उत्तेजित है पर जाने क्यों कामया को यह अच्छा नहीं लगा एक जलन सी उसके मन में उठी लगता था कि वो नीचे उतर जाए और चली जाए उससे देखा नहीं जा रहा था पर फिर भी वो वही खड़ी रही और अंदर का नजारा एक बार फिर से देखने लगी ऋषि खड़ा था हाथों में भोला की जीन्स लिए भोला ने कुछ कहा वो जीन्स को एक बार अपने चहरे पर लगाकर सूंघने लगा और फिर थोड़ा सा आगे बढ़ा और भोला के पास आकर खड़ा हो गया भोला के बिल्कुल पास उसकी सांसें भी तेज चल रही थी पर कुछ कर नहीं रहा था वो खड़ा रहा और थोड़ा सा आगे झुक कर उसने भी भोला के चहरे को अपने हाथों में लिया और एक किस गालों पर किया रीना तो उसके होंठों को किस्स कर रह थी और ऋषि उसके गालों को दोनों बाईं बहन भोला को मिल बाँट कर इस खेल का हिस्सा बने हुए थे भोला की हाथ अब दोनों के शरीर पर घूम रहे थे पर ज्यादा रीना के .


रीना अब भी साड़ी पहने हुई थी पर आँचल गिर गया था और उसकी दोनों चूचियां बिल्कुल ब्लाउससे बाहर आने की जिद पर थी सांसों के साथ-साथ उनके ऊपर-नीचे होने के ढंग से ही यह प्रतीत होता था कि वो अपनी आ जादी की जंग कैसे लड़ रही होंगी पर भोला को कोई जल्दी नहीं थी वो अपनी बाहों में रीना को कसे हुई ऋषि को अलग किया और कुछ कहा ऋषि थोड़ा सा झुका और भोला ने फिर से एक बार अपनी जाँघो को सीधा किया भोला का अंडरवेर ऋषि के हाथ में था अब भोला नीचे से नंगा था


रीना जैसे इसी का इंतजार कर रही थी वो झुके झुके ही अपने लेफ्ट हैंड को उसके लिंग पर ले गई और उसके खड़े खड़े ही सहलाने लगी थी रीना की उत्तेजना का अंदाजा लगाया जा सकता था कि वो लगभग भोला के ऊपर ही चढ़ने वाली थी पर भोला उसे रोके हुए था ऋषि खड़ा हुआ दोनों को देख रहा था वो भी फिर से आगे बढ़ा अपनी दीदी के कंधे को सहलाता हुआ और उसकी पीठ को सहलाता हुआ वो भी आगे बढ़ा रीना ने अपने होंठों को भोला के होंठों से आजाद किया और ऋषि को खींचा और अपने होंठों को ऋषि के सुपुर्द कर दिया ऋषि रीना दीदी के होंठों को बड़े ही प्यार से और बड़े ही आदर से प्यार से चूमते हुए भोला के पास आते जा रहा था

पर भोला के आदेश के साथ ही वो थोड़ा सा रुका और रीना के होंठों को छोड़ कर भोला और रीना की ओर देखने लगा रीना भोला के साइड से हटकर बिल्कुल उसके सामने खड़ी ही गई थी और एकटक अपनी बड़ी-बड़ी नशीली आँखों से भोला की ओर देख रही थी उसका आँचल के ढलने से उसकी चूचियां किसी पादरी की छोटी के समान उसके आगे खड़ी थी और एक मूक निमंत्रंण दे रही थी कि खेलो और दब्ाओ और चूसो जो कर सकते हो करो पर हमें आजाद करो इस घुटन से इस समय के लिए तो कम से कम वो एकटक भोला की ओर देखती हुई उसके बहुत नजदीक खड़ी हो गई थी ऋषि और भोला के बीच में उसकी चूचियां भोला के चहरे पर टच हाँ रही थी और पीछे से ऋषि ने धीरे-धीरे रीना की साड़ी को खोलकर नीचे फेक दिया था अब रीना पेटीकोट और ब्लाउसमें थी


भोला के बड़े-बड़े हाथ रीना के शरीर पर घूमकर उसके राशन का परिचय पा रहे थे और उसकी रचना की तारीफ भी कर रहे थे और पीछे से ऋषि रीना दीदी के ब्लाउज के हुक को धीरे-धीरे खोल रहा था जैसे अपने आप ही अपनी दीदी को इस भोला के लिए प्रेज़ेंट कर रहा था उसे भी कोई जल्दी नही थी वो भी अपने तरीके से और अपनी बहन की रचना को सहलाते हुए और छूते हुए एक-एक करके काम को उंजाम दे रहा था भोला भी बड़ी ही शालीनता से रीना के शरीर को धीरे-धीरे सहलाता हुआ जाँघो से लेकर कमर के ऊपर तक बड़े ही आराम से अपनी हाथों को घुमाकर रीना की मादकता का एहसास कर रहा था रीना कीसांसें बहुत ही तेज चल रही थी और शायद कुछ कहती भी जा रही थी पर क्या कामया को सुनाई नहीं दे रही थी पर हाँ… एक बात तो साफ थी कि रीना को जल्दी थी उसके शरीर के अंदर उठ रही उत्तेजना की लहरो को वो ज्यादा देर तक नहीं झेल सकती थी यह बात तो कामया को समझ में आ रही थी पर भोला और ऋषि अपने आपसे अपने तरीके से रीना को देख और एहसास करते हुए धीरे-धीरे उसे नंगा कर रहे थे ऋषि ने जब रीना का ब्लाउस खोलकर साइड में फेका तो कामया एक बार तो जलन की आग में जल उठी कितने सुडोल थे रीना के ब्रेस्ट्स अगर ब्रा में नहीं होते तो भी बिल्कुल तने हुए थे ब्रा ने तो बस उसके आकार को ही ढका था या कहिए ब्रा ने तो उसके चुचियों के आकार के अनुरूप ही अपने आपको ढाल रखा था


उसके नीचे चिकना और गदराया हुआ सा उसका पेट और उसपर गहरी सी नाभि में वो एक कयामत सी लग रही थी कामया को पहली बार किसी औरत का शरीर देखकर जलन हुई थी नहीं तो वो कहाँ काम थी जो भी हो उसके सामने सब फैल थे
पर रीना सच में बहुत सुंदर थी हल्के गुलाबी रंग की शार्ट टाइप की ब्रा पहने थी जिससे की उसके उभार बाहर की ओर निकले हुए थे आधे से ज्यादा सांसों के साथ उसकी चूचियां ब्रा से भी आजाद होने की जिद में थी पर ऋषि और भोला के हाथ जब उसके ब्रेस्ट्स को ब्रा के ऊपर ही छूते हुए जा रहे थे तो रीना एकदम से पीछे की ओर अपने सिर को ले गई थी और ऋषि के होंठों के सुपुर्द हो गई थी भोला अपने हाथों से रीना को सहलाते हुए धीरे से उसके पेट पर झुक गया था और अपनी जीब से उसकी नाभि और पेट के हर हिस्से को किस करता हुआ धीरे-धीरे ऊपर की ओर उठ रहा था भोला के हाथों ने ऋषि के हाथों को पकड़कर रीना की चुचियों से हटा दिया और उसे रीना के पेटीकोट तक लाकर छोड़ दिया और खुद रीना के अधखुले हुए उभारों को अपने होंठों से किस करता हुआ धीरे-धीरे फिर से नीचे की ओर चला जा रहा था ऋषि के हाथ जैसे ही रीना के
पेटीकोट के पास पहुँचे तो वो भी रीना के पेटीकोट को खोलने में व्यस्त हो गया और शायद भोला को रीना का वो हिस्सा भी जल्दी से खोलकर देदेना चाहता था और जब तक भोला उसे किस करता हुआ वापस उसकी नाभि तक पहुँचा तब तक ऋषि अपने काम को अंजाम दे चुका था अब रीना सिर्फ़ और सिर्फ़, पैंटी और ब्रा में इन दोनों के बीच में खड़ी हुई अपने शरीर का नज़ारा उन दोनों को करा रही थी


भोला तो जैसे अपने हाथों को रोक ही नहीं पा रहा था वो भी शायद जल्दी में था शायद हर जगह को छूकर देखना चाहता था उसके हाथों के स्पर्श से रीना बार-बार अपने होंठों को दबा लेती थी शायद भोला के सहलाने में ताकत भी थी और शायद वो उसे जोर से दबा भी देता था पर कोई शिकायत नहीं थी उसे वैसे ही खड़ी हुई भोला को और अपने पास खींच रही थी कभी-कभी थोड़ा सा नीचे होकर अपनी चूचियां उसके मुख से छुआ देती थी या उसके लिंग को पकड़ने की कोशिस करती थी यह कामया नहीं जान पाई पर वो जो भी करती थी वैसे ही थोड़ी देर रहती थी पर, धीरे से ऋषि ने उसे वापस खींचा और उसके ब्रा के हुक को खोलकर उसे आजाद भी कर दिया जैसे दो पंछी आजाद होकर उड़ने को थे हल्के गुलाबी रंग के निपल्स थे उसके बहुत बड़े नहीं पर हाँ… एकदम टाइट और सामने की ओर तने हुए रीना ने एक बार खुद अपनी हाथों से उन्हें सहलाते हुए ऊपर की ओर उठाया और फिर और आगे बढ़ कर भोला के आगे होकर अपनी एक चुची को उसके होंठों के सामने रख दिया भोला भी एक बार उसकी नजर से नजर मिलाकर उसे देखता रहा और सिर्फ़ अपने होंठों को खोलकर वैसे ही बैठा रहा ऐसा इसलिए लगा क्योंकी रीना जहां खड़ी थी वहां से लगभग उसके ऊपर ही चढ़ि हुई अपनी चुचियों को उसके मुख में घुसा रही थी तभी ऋषि के दोनों हाथों ने रीना दीदी की मदद की और वो इसकाम को अंजाम देने लगा हाँ… अब वो रीना की चुचियों को अपने हाथों से पकड़कर भोला के मुख में डालने किसकोशिश कर रहा था और भोला रीना के पीछे खड़े हुए ऋषि की ओर देखता हुआ रीना की चुचियों से खेल ने लगा था वो उन्हें जोर-जोर से चूसता हुआ शायद बीच बीच में काट भी लेता था क्योंकी रीना की आहें और उसके सिर को झटकने से यह लगता था
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भोला के हाथों ने एक बार फिर से ऋषि के हाथों को कस कर पकड़कर नीचे की ओर ले गया था और पैंटी के पास लाके वापस रीना की चूचियां दबाने लगा था वो लगातार अपना जोर को बढ़ाता जा रहा था और अब तो बदल बदल कर वो रीना की चूचियां चूस रहा था और रीना भी अपने आपको अड्जस्ट करते हुए भोला को ज्यादा मेहनत ना करना पड़े इसलिए अपने आपको ही हिलाकर अपनी चूचियां एक के बाद एक करके उसके होंठों के सामने लाती जा रही थी उसके दोनों हाथों का दबाब एकदम से तब बढ़ गया जब, ऋषि ने उसकी पैंटी उतारी एकदम सॉफ थी वो बिल्कुल चिकनी सी थी गोरा रंग ऊपर से नीचे तक एक जैसा जाँघो के बीच में जो बालों का गुच्छा होता था उसके दाग तक नहीं दिख रहे थे कामया को इतनी सॉफ क्या करती है पर एक लंबी सी चीख कामया को वास्तविकता में ले आई थी वो चीख थी रीना की


भोला के हाथों से अचानक ही बहुत दबाने से वो एक बार बिचलित सी हो उठी थी और शायद दर्द को सह नहीं पाई थी पर भोला तो जैसे जानवर बन गया था वो रीना को चूमता हुआ धीरे-धीरे नीचे की ओर जा रहा था और अपने एक हाथ से उसकी चूचियां जोर-जोर से दबाता हुआ एक हाथ से रीना को सहारा दिए हुए नीचे की ओर चल दिया उसे किस करने के ढंग से और छूने के ढंग से कही से भी नहीं लगता था कि उसे कोई जल्दी है बड़े ही आराम से जो चाहे वो करता हुआ कभी-कभीजोर लगा देता था पर हाँ… रीना को जल्दी थी बहुत जल्दी वो लगातार भोला को धक्का मारकर उसे लिटाने की कोशिश कर रही थी और लगातार उसके ऊपर सवार होने की कोशिस कर रही थी पर भोला की ताकत के आगे वो हल्की थी और बस कोशिश ही कर रही थी ऋषि भी जहां जगह मिलती या जहां भोला खाली जगह छोड़ता वहाँ वो अपनी बाहें को छुआता जा रहा था और किस करता जा रहा था वो भी अपनी बहन को इस तरह से देखकर उत्तेजित था पर, उसकी उत्तेजना का क्या होगा वो कामया को नहीं पता था पर कुछ कहा था बीच में भोला ने ऋषि एकदम से अलग हो गया और अपने कपड़े खोलकर सेकेंड्स में वापस रीना के पीछे फिर से आ गया था भोला अब तक टी-शर्ट पहने था पर ज्यादा देर नहीं दोनों बाई-बहन ने एक साथ और जल्दी से उसकी टीशर्ट को उतार दिया था अब सब जो भी उस कमरे में थे नंगे ही थे ऋषि स्किनी सा लग रहा था पर जो आश्चर्य करने वाली बात थी वो था उसका लिंग बहुत ही छोटा सा और पतला सा था कोई टेन्शन भी नहीं था और नाही उत्तेजना को दर्शाती हुई कोई बात पर वो लगातार रीना के पीछे से रीना को सहलाता हुआ उसे किस कर रहा था


भोला वैसे ही बैठा हुआ रीना की पूरी को सहलाता हुआ और चूमता हुआ एक बार ऊपर की ओर देखता है और रीना की कमर को पकड़कर घुमा देता है अब रीना ऋषि के गले लग चुकी थी और उसका पिछला हिस्सा भोला की ओर था गोल गोल नितंब बिल्कुल बेदाग थे सुडोल इतने कि कहीं से भी कोई गलती नहीं निकाल सकते भोला के बड़े-बड़े हाथ उसके नितंबों में घूम रहे थे और बीच बीच में उनको दबा के उनकी नर्मी का या फिर उनके मादकता का एहसास कर रहा था रीना हर बार ऋषि से ज्यादा चिपक जाती जब वो उसको दबाता था रीना को फिर से घुमाकर उसने अपनी ओर किया और दोनों भाई बहन को खींचकर नीचे घुटनों के पास बिठा लिया और कुछ कहता हुआ दोनों के सिर पर हाथ फेरता रहा दोनों भाई बहन ने एक बार तो आपस में देखा और फिर शायद दोनों ने उसके लिंग को कस कर पकड़ भी लिया था क्योंकी इसके बाद कामया को दोनों का सिर एक के बाद एक करके गायब हो जाता था शायद दोनों मिलकर भोला के लिंग को चूस रहे थे और मिल बाँट कर अपना हिस्सा ले रहे थे भोला के हाथ रीना के बूब्स पर थे और जब मन में आता था खूब जोर से दबा देता था रीना की चिहुकने की आवाज और फिर आखें उठाकर भोला की ओर देखने के अंदाज से ही कामया समझ जाती थी पर कोई शिकायत नहीं और नहीं कोई हटाने की कोशिश हाँ… कोशिश थी तो बस उसके लिंग पर कब्जा जमाने की और दोनों जैसे आपस में अब लड़ने लगे थे कि कौन उसे अपनाएगा और भोला बेड पर बैठे हुए दोनों को देख रहा था पर शायद अब वो बिल्कुल तैयार था एक झटके में उसने रीना को खींचकर अपने पास ऊपर खड़ा करलिया और अपनी एक उंगली को रीना के जाँघो के बीच में घुसाकर जोर-जोर से हिलाने लगा था ऋषि का चेहरा एक बार ऊपर उठा पर फिर झुक गया था


रीना अपनी जाँघो को खोलकर भोला के कंधो का सहारा लिए हुए जोर-जोर से सांसें ले रही थी और हर बार जब भोला उसके हाथों को जोर से अंदर डालता था तो वो जरा सा उछल भी पड़ती थी पर कोई ना नुकर सिर्फ़ आहे और उउउफफफ्फ़ और कमरे में भारी हुई सिसकारी की आवाज पर भोला तो मास्टर ही था उसने रीना को अचानक ही बीच में छोड़ कर ऋषि को खींचकर उठाया और रीना को धक्का देकर बेड पर लिटा दिया और ऋषि को इशारा करते हुए रीना की जाँघो के बीच में लेगया रीना ने भी कोई देरी नहीं की झट से अपनी जाँघो को खोलकर ऋषि के लिए जगह बना दी और ऋषि वैसे ही झट से रीना का स्वाद लेने में जुट गया पर भोला जो कि अब भी खड़ा था एक बार भाई बहन को देखता हुआ ऋषि के नंगे शरीर को सहलाता हुआ उसके पीछे की ओर चला गया और देखते ही देखते अपने लिंग को उसकी गुदा भाग में सटाने लगा था कामया का सारा शरीर जैसे जम गया था ये क्या कर रहा था भोला पागल हो गया है क्या ऋषि के वहाँ अपना लिंग डालेगा मर जाएगा वो लेकिन यह क्या ऋषि की कमर को उँचा करके वो एक ही झटके में ऋषि के अंदर हो गया एक बार तो कामया की चीख ही निकल गई थी पर ऋषि को जैसे कोई फरक ही नहीं पड़ा हो वो थोड़ा सचेत हुआ था पर फिर से वो अपने काम में जुट गया था भोला की स्पीड बढ़ता जा रहा था और ऋषि के होंठ अब रीना के जाँघो से दूर हो गया था पर एक अजीब सी संतुष्टि उसके चहरे पर थी जो कि कामया के लिए एक अजीब सा था पर शायद ज्यादा देर ये खेल नहीं चला था एक धक्के में ऋषि को अलग करके वो रीना पर टूट पड़ा था और जो लिंग उसने ऋषि के अंदर वहाँ पर डाला था एक ही झटके में रीना के अंदर उतर चुका था रीना तो जैसे पागल ही हो गई थी एक बार में उतरे उस लिंग को कैसे वो झेल गई थी

वो एक आश्चर्य था पर हाँ… उसकी जाँघो को भोला की कमर के चारो ओर घेरा बनाते हुए देखकर कामया को समझ में आ गया था कि वो उसे और भी अंदर तक ले जाना चाहती थी और भोला तो जैसे एंजिन के पिस्टन से भी ज्यादा तेजी से काम कर रहा था अपनी दोनों बाहों को कस कर रीना को पकड़कर अपने होंठों को उसके होंठों पर रखकर लगातार धक्के पर धक्के लगा रहा था कोई देरी नहीं और नहीं रीना की चिंता उसे चिंता थी तो बस अपनी अपने शरीर के सुख के लिए वो रीना को आज चीर भी सकता था पर रीना भी जोर दार थी हर धक्के के साथ वो और भी ज्यादा उछलती थी और ज्यादा चिपकती थी भोला से अपने हाथों को उसने भोला की पीठ पर कस्स कर बाँध रखा था और जोर-जोर से आवाजें निकालती हुई शायद अपने शिखर पर पहुँचने वाली थी पर जैसे ही वो शिखर में पहुँची और भोला को कस कर पकड़ी भोला उसके हाथों से फिसल गया और रीना को झट से उल्टा करके कमर को पकड़कर एक बार उसके नितंबो को सहलाता हुआ उसके पीछे घुस गया एक लंबी सी चीख निकली रीना के मुख से जो कि वही उधर ही घूम हो गई थी और झटकों को झेलती हुई रीना एक बार फिर से मस्त सी हो गई थी और ज्यादा देर नहीं बस कुछ ही सेकेंड्स में भोला भी रीना के ऊपर ढेर हो गया था


कमरे में आया तूफान थम चुका था भोला रीना के ऊपर पीठ पर गिरा हुआ था और अपने हाथों को उसके नीचे लेजाकर उसकी चूचियां जबरदस्त तरीके से दबाता जा रहा था और दो चार धक्के के बाद वो ढेर हो गया एक मुश्कान थी उसके चहरे पर विजयी मुश्कान एक नजर उसकी डोर की ओर भी उठी पर फिर बंद हो गई कामया झट से नीचे उतरी और चेयर को खींचकर वापस डाइनिंग रूम में लाकर रखा और अपने कमरे का डोर बंद करके बेड पर लेट गई उसकी साँसे इतनी तेज चल रही थी कि वो उनको कंट्रोल नहीं कर पा रही थी सांसों के साथ मुख से आवाज भी निकल जाती थी उसकी बिना कुछ कहे और सुने वो झट से अपने कपड़े उतार कर बाथरूम में घुस गई थी बथटब में लेटी हुई कामया जितना हो सके अपने को समेटने की कोशिश करती जा रही थी उसके शरीर में जो आग लगी थी वो उसे किसी तरह से शांत करना चाहती थी पर आग थी जो बढ़ती ही जा रही थी

पानी भी उसके शरीर में शूल की भाँति लग रहा था जहां भी टच हो रहा था वो चुभ रहा था पानी की ठंडक भी उसे इतना गरम लग रहा था कि वो अपने आपको समेटने के अलावा और कुछ भी नहीं सकती थी पर हाँ… अपने सीधे हाथ को जरूर जाँघो के बीच तक ले गई थी और जैसे ही अपनी योनि को छुआ एक हल्की सी सिसकारी मुख से निकल गई
ना चाहते हुए भी उसे अपनी उंगली को और भी अंदर तक घुसाकर अपने को थोड़ा सा शांत करने की कोशिश करती रही और उसे ज्यादा देर भी नहीं लगी उसके शरीर की आग इतनी भड़क गई थी वो जल्दी ही अपने आपको शांत करके टॅब पर वैसे ही लेटी रही और अपने सांसों को कंट्रोल करती रही आखें बंद और कलाईयों को अपनी जाँघो के बीतचमे डाले वो थोड़ी देर तक तो अपने से लड़ती रही पर फिर वो उस कमरे में हुई घटना के बारे में सोचने लगी


ऋषि रीना और भोला एक साथ कैसे उस कमरे में पहुँचे क्या भोला और रीना एक दूसरे को जानते थे ऋषि ने तो ऐसा कुछ नहीं बताया था पर कैसे भोला एक बार में ही रीना को अपने साथ कर सकता है जरूर वो जानता होगा नहीं तो हो ही नहीं सकता कि रीना जैसी लड़की एक बार में ही भोला के साथ हमबिस्तर हो जाए जरूर कोई बात है जो वो नहीं जानती
पर किससे पूछे ऋषि से या रीना से या फिर भोला ही बता देगा पर यह बात उसके दिमाग से नहीं निकली थी अब थोड़ा सा वो नार्मल हुई थी और धीरे-धीरे उठकर बतरोब पहनकर बाहर आ गई थी हेयर ड्रायर से ड्रेसिंग टेबल के सामने बैठी वो अपने बालों को सूखा रही थी पर मन में एक ही बात चल रही थी कि भोला उनके साथ कैसे पहुँचा बैंक से आंते समय बाहर जब गाड़ी से उतरे तो उसने भोला को ऋषिसे कुछ कहते देखा था पर क्या ऋषि भी कैसे मान गया और रीना भी

जब तक वो बैठी थी तब तक तो भोला भी नहीं था वो अपने कमरे में चला गया था पर उसके आते ही क्या ऋषि ने उसे बुलाया होगा और वो गुंडा उनके बुलाने का ही इंतजार कर रहा था क्या है तो उसका नौकर पर हिम्मत तो देखो उससे बिना पूछे ही जो मन में आ रहा था कर रहा था इतने में डोर पर ऋषि की आवाज आई
ऋषि-भाभी
कामया ने डोर खोला और ऋषि की ओर देखा काफी का कप लिए खड़ा था मुस्कुराते हुए जम कर गुस्सा आया था कामया को कितना ढोंगी है अभी थोड़ी देर पहले क्या कर रहा था और अभी देखो कितना बन संवर कर खड़ा है जैसे कोई बात ही नहीं हुई है

ऋषि काफी का मग आगे बढ़ाता हुआ बोला
ऋषि- रीना दीदी चली गई है आप सो रही थी ना इसलिए जगाया नहीं वो जीजाजी के साथ 8 बजे तक आ जाएँगी कहा था तैयार रहना
कामया- ठीक है
ऋषि- वो भाभी भोला का क्या करना है
कामया- क्यों
ऋषि- जी वो भी चलेगा
कामया- आ एक काम करो जीजाजी और रीना दीदी से कहो कि वो पहुँचे हम अपनी गाड़ी से आते है ठीक है
ऋषि-ठीक है ओह्ह… भाभी आई अम डाइयिंग तो गेट तो ताज कितने दिनों से सोच रखा था कि आई विल हव डिनर देयर ऊओफ्फ आई लव दट प्लेस
कामया- हहुह ठीक है तुम जाओ लेट मी ड्रेस अप ओके…
और ऋषि चला गया कामया को उसपर बहुत गुस्सा आरहा था पर कुछ बोल नहीं पाई कितना नाटक कर सकता था ऐसे खड़ा था जैसे कुछ हुआ ही नहीं था और उसकी रीना दीदी ती गजब की है काम पूरा हुआ और चली गजब है यार अब अपने पति को लेकर डिनर पर भी जा रही है एक झटके से सबकुछ निकाल कर वो कमरे का डोर बंद करके वापस मिरर के पास आ गई थी और बालों में रोलर लगाने लगी थी एक-एक करके रोलर लगाके फिर ड्रायर लेकर उन्हें ठीक किया और
सूटकेस से कपड़े निकालने लगी एक-एक करके देखती हुई उसकी नजर शिफॉन के गहरे काले कलर की सितारे वाली साड़ी पर रुक गई थी कामेश को वो बहुत सेक्सी लगती थी उस साड़ी में वो रुकी और उसके साथ के ब्रा और पैंटी के साथ पेटीकोट ब्लाउस निकाल कर बेड पर रख दिया और एक बार खड़ी हो कर उसे देखने लगी स्लेवलेस्स ब्लाउस आगे पीछे से बहुत ही ज्यादा खुला हुआ था पहनने में उसे थोड़ा झिझक होती थी पर कामेश उसे पहनने को हमेशा ही उकसाता था पर आज कामेश तो है नहीं फिर रहने दो यह नहीं कुछ और देखती हूँ पर जाने क्यों सब साड़ी और सूट देखने के बाद भी वो बार-बार उसी साड़ी पर रुक जाती थी एक अजीब सा खिंचाव सा लग रहा था उसे जाने क्यों वो आज अपने आपको रीना और उसके पति के साथ डिनर पर जाने के लिए बहुत तैयार करना चाहती थी या फिर कहिए एक चिड थी जो वो मिटाना चाहती थी रीना और ऋषि से या कुछ और था या भोला उसे नहीं नहीं छि क्या सोच रही थी वो भोला उसका नौकर था उसे लुभाने की क्या ज़रूरत है और वो है कौन उसके जीवन में एक ड्राइवर उसका बाडी गार्ड वो भी कामेश ने ऐसा क्या देखकर नहीं तो तो अभी भी कॉंप्लेक्स के गेट पर खड़ा हुआ रेत गिट्टी गिन रहा होता और देखो तो उसके घर में ही बिना उससे पूछे ऋषि और रीना के साथ बिस्तर पर क्या कर रहा था गुंडा कही का

सांड़ कही का जानवर है देखने में ही गुंडा और सांड़ लगता है जाने किस घड़ी में पैदा हुआ था और जाने किस घड़ी में उनके घर में काम के लिए घुसा था और तो और पड़ना भी मेरे गले ही था जानवर कही का जब देखो तब लार टकाए रहता है जैसे कामया कोई मलाई दार आइटम है कैसे कहता है कि आप साड़ी में अच्छी लगती है रुक जा आज दिखाती हूँ कि कैसी लगती हूँ और इतना तड़पाती हूँ कि पागल हो जाएगा बस इतना सोचना था कि कामया के शरीर में एक नई स्फूर्ति आ गई थी जल्दी से पहले गहरा मेकप किया और एक-एक करते हुए पैंटी से लेकर ब्रा को पहनती हुई अपने आपको सवारने लगी थी उसके मिरर को देखने के तरीके से ही लगता था की आज कयामत आने वाली है

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sexi munda
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Re: बड़े घर की बहू

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आखों में एक मस्ती थी और एक नशा था अपनी आखों को खोलकर बंद करने का तरीका चाहे उसे कैसा भी लगा हो पर अगर कोई देखता होता तो निश्चय ही गश खाकर गिर जाता या फिर झट से कामया को खींचकर अपनी बाहों में भर कर चूमने लगता एक नशीली आखों की मालकिन आज अपने ही नौकर को दिखाना चाहती थी कि वो क्या है और कितनी सुंदर दिखती है ब्लैक कलर की पैंटी पहनते समये एक बार कमर से थोड़ा सा पीछे की ओर भी होकर देखा था उसने नितंबों पर कैसे कसा हुआ था देखने के लिए मस्त सी शटीं कपड़े का बना वो पैंटी में सिर्फ़ पतली सी पट्टी भर थी हर तरफ और सामने से दो पट्टी उठ-ती हुई कमर के ऊपर की ओर जाती थी हड्डी के थोड़ा सा ऊपर एक छोटा सा ट्राइंगल की तरह और पीछे गदराए हुए मास के अंदर गुम हो जाती थी ब्रा भी ठीक वैसा ही सिर्फ़ सपोर्ट के लिए था जो कि नीचे भर से सपोर्ट कर रहा था और सिंथेटिक, रोप से बल्कि कहिए पट्टी से उसे सपोर्ट कर रहा था पीछे से हुक लगते ही एक बार फिर से अपने शरीर पर अपनी हाथों को फेर कर अपने आपको देखा था कामया ने और फिर बड़े ही कान्फिडेन्स के साथ मिरर की ओर देखते हुए पेटीकोट भी उठाया था शटीं का चमकीला पेटीकोट को जैसे ही उसने अपनी टांगों के साथ-साथ ऊपर की ओर उठाया उसका गोरा रंग धीरे-धीरे ढँकता चला गया था और उसकी गोरी गोरी मसल टाँगें भी उसके अंदर कही खो गई थी एक बार फिर से पलटकर और घूमकर अपने आपको देखती हुई आखों से आखें मिलाकर अपने ब्लाउसकी ओर घूमी की फोन बज उठा था

कामया- हाँ…

कामेश-क्या हो रहा है

कामया- कुछ नहीं तैयार हो रही हूँ

कामेश - हाँ… रीना और उसके पति के साथ डिनर पर जा रही हो

कामया- हाँ… तुम्हें कैसे पता

कामेश- वो धर्मपाल ने बताया था रीना का फोन आया था कह रही थी भाभी बहुत अच्छी है

कामया- अच्छा और आपका क्या हुआ आज आने वाले थे

अपने हाथों में ब्लाउसको उठाए हुए कामया बार-बार पलटकर अपने आपको ही देखती जा रही थी उसमे में कही भी कोई खामी तो नही थी या फिर एक दो बार बात करते हुए मिरर के पास जाके अपने बालों को भी ठीक किया था और आखों में भी कुछ आईब्रो में कुछ ठीक किया था

तभी कामेश का फ़ोन आया
कामेश- यार क्या करू शायद कल निकलूंगा लंच तक पहुँच जाऊँगा ठीक है हाँ… और मंडे को बैंक के पेपर्स साइन करके ही निकलना क्योंकी गुरुवार तक गुरुजी पहुँच रहे है कहते है कि बहू से काम है

कामया- मुझसे क्या काम है

कामेश- यार पता नहीं वो तो वही जाने पर तुम किसी भी तरह फ्री हो जाना थर्स्डे तक

कामया- अरे यार में तो अभी भी फ्री हूँ

कामेश- हाँ… यार लगता है जबरदस्ती तुम्हें फँसा दिया मैंने घर पर थी ठीक थी है ना

कामया- अरे छोड़ो में ठीक हूँ आप अपना ध्यान रखिए और सुनिए प्लीज कल आ जाना बहुत बोर लगता है अकेले में

कामेश- हाँ… यार में भी बोर हो गया हूँ वो साला झल्ला कहाँ है

कामया- कौन ऋषि कमरे में होगा

कामेश- क्या कर रहा है फिल्म देख रहा होगा छोड़ो ठीक है रखता हूँ कल फोन करूँगा एंजाय युवर डिनर

कामया- गुड नाइट
और फिर कमाया अपने आपको सवारने में लगा गई थी ब्लाउस पहनते समय बड़े ही नजाकत से उसने एक-एक करके हुक लगाए थे और थोड़ा सा अपनी चुचियों को खींचकर बाहर की ओर भी निकाला था ब्लाउस कसा हुआ था और उसके शरीर पर एकदम फिट था साथ में गोरे रंग में वो मखमली सा ब्लाउस कोई कयामत की तरह दिख रहा था अपने आपको देखकर एक बार वो मुस्कुराई थी और नीचे देखती हुई साड़ी भी उठा ली थी उसकी साड़ी ब्लैक कलर की जिसमे सिल्वर कलर के बहुत ही छोटे छोटे डॉट थे और कही कही हल्के सिल्वर कलर के डिजाइन भी थे जो कि पार दर्शी थे शिफॉन की साड़ी हल्की और मखमली सी उसके हाथों में एक सुखद सा एहसास दे रही थी अंदर दबी हुई चिंगारी धीरे-धीरे आग पकड़ती जा रही थी कुछ दिनों से अपने शरीर की आग से लड़ते हुए कामया थक गई थी कोई नहीं मिला था उसे ना कामेश ना ही भीमा और नहीं लाखा काका


और यह जो जानवर जिसे लिए घूम रही थी बस आग को लगाकर छोड़ देता था आज देखती हूँ क्या कहता है एक ही झटके में साड़ी को खोलकर अपने पेटीकोट पर बाँधने लगी थी नाभि के बहुत नीचे से जब उसने अपनी साड़ी को बढ़ाते हुए ऊपर की ओर उठी तो एक कयामत सी नजर आ रही थी और जब आखिरी वक़्त पर उसने आँचल को हिलाकर अपनी चूचीयों को ढका था और एक नजर मिरर पर डाला था जो सच में गजब का नजारा था उसके सामने जिस तरह का मेकप उस तरह का सजना सवरना और उसी तरह का ड्रेसिंग सेन्स कमाल का दिख रही थी कामया सच में एक कामया का रूप देख कर कोई भी बहक जाता उसे पाने को बड़ी-बड़ी आखें जब किसी पर पड़ जाए तो कोई तीर सा चल जाता था चाहे कोई मरे या घायल हो कामया तो वैसे ही खड़ी है अब सिर्फ़ इंतजार था उसे रीना से मिलने का देखे आज वो क्या पहनती है या कैसी लगती है उसे पता था कि उसके सामने रीना कही नहीं टिकेगी


पर कब तक इंतजार करना था पता नहीं और हुआ भी ठीक ऐसा ही तैयार होते में उसने टाइम तो देखा नहीं था ऋषि की आवाज आई थी उसे कमरे के बाहर से

ऋषि- भाभी तैयार हो गई रीना दीदी लोग निकल गये है

कामया- हाँ हो गई
और एक बार फिर से एक नजर अपने आप पर डाला और एक बार घूमकर भी देखा पीछे से उसकी पीठ कितनी सुंदर दिख रही थी गोरी गोरी पीठ कितनी साफ और कोमल सी और काले रंग के ब्लाउसपर से दिखता हुआ बिल्कुल कया मत वो मुस्कुराती हुई वो अपने पर्स में मोबाइल डाला और डोर की ओर बढ़ी थी

ड्राइंग रूम में ऋषि और भोला खड़े हुए उसका ही इंतजार कर रहे थे जैसे ही डोर खुला भोला और ऋषि एक साथ मुड़े और बस दोनों का मुँह खुला का खुला रह गया था कामया के देखते ही खुले हुए बालों को झटकते हुए हाइ हील को चटकाते हुए अपनी बड़ी-बड़ी आखों को उन दोनों पर डालती हुई वो थोड़ा सा मचलकर चल रही थी उसकी चाल में एक मादकता थी एक कसक थी एक बला की मदहोश करने वाली अदा थी ऋषि और भोला की नज़रें एक बार जो उठी तो उठी ही रह गई थी ना कुछ ऋषि के मुख से कुछ निकला और नहीं भोला के भोला तो खेर नौकर था उससे उम्मीद भी नहीं करना चाहिए पर ऋषि की तो आँखे फटी की फटी ही रह गई थी तारीफ करने के लिए मुख तो खोला पर कहे क्या सोच नहीं पाया पर भोला की आखें उसके शरीर के हर कोने का जायजा लेती जा रही थी वाकई साड़ी में मेमसाहब गजब की लगती है अगर ऋषि नहीं होता तो शायद वो आज अपनी नौकरी की फिकर नहीं करता और नहीं अपने नौकर होने का और नहीं मेमसाहब के बुलाने का इंतजार

कामया- चले ऋषि
कामया अपनी तरफ उठी नज़रों को समझती हुई एक बार उसके पास आते ही बोल उठी थी उसके शरीर से उठने वाली खुशबू तो मदहोश करने के लिए ही थी जलवा और ऊपर से मदहोश करने वाली खुशबू के चलते दोनों ऋषि और भोला की आवाज तो जैसे गले में ही फस कर रह गई थी पर कामया के बोलते ही होश में आए और भोला आगे की ओर बढ़ते हुए डोर खोलकर खड़ा हो गया था और ऋषि कामया के साथ ही बाहर निकल गया था जब तक भोला डोर लॉक करके आया ऋषि और कामया गाड़ी मे बैठ गये थे भोला दौड़ कर आया और सामने की सीट पर बैठ गया था और गाड़ी सड़क पर दौड़ गई थी अंदर सभी चुपचाप थे और एक मदहोश करने वाली खुशबू में डूबे हुए अपने मुकाम की ओर बढ़े चले जा रहे थे होटेल पर पहुँचकर भी कुछ ख़ास नहीं पर हाँ… रीना का पति बड़ा ही मजेदार था थुलथुला मोटा सा खाने पीने का सौकीन था हँसता रहता था उसे कामया बहुत पसंद आई थी इसलिए नहीं की वो सुंदर थी पर इसलिए कि बड़ी ही शालीनता से उससे प्रेज़ेंट हुई थी और उसे वो इज्ज़त दी थी जैसे एक दामाद को मिलना चाहिए सो खाने के बाद जब वो वापस चले तो होटेल के मेन गेट पर
रीना- भाभी में ऋषि को ले जाऊ एक दिन के लिए

कामया- हाँ… हाँ… क्यों नहीं

ऋषि- नहीं दीदी भाभी अकेली रह जाएगी ना

रीना- अरे घर पर अकेले क्या क्यों भाभी कोई दिक्कत है कल जल्दी आ जाएगा

कामया- नहीं नहीं कोई परेशानी नहीं भोला है ना कोई दिक्कत नहीं जाओ

रीना- असल में भाभी ऋषि बहुत दिनों बाद मिला है ना इसलिए बस थोड़ा सा बातें करेंगे और कुछ नहीं
और यह तय हो गया कि ऋषि रीना के साथ ही चला जाएगा और कामया अपने हुश्न का जलवा बिखेरती हुई वापस गाड़ी में बैठ गई थी और वापस अपने घर की ओर चल दी थी


गाड़ी में अब सिर्फ़ ड्राइवर था और भोला और कामया एक अजीब सा सन्नाटा था और बाहर की ओर देखने की होड़ थी ड्राइवर तो जैसे गाड़ी चलाने में व्यस्त था पर भोला और कामया शायद एक दूसरे की ओर देखते हुए भी अंजान से बने बैठे थे भोला ने वापस आते समय भी नहीं पूछा था कि ऋषि कहाँ है या कुछ और जब कामया बैठी थी तो खुद भी बैठ गया था कामया ने ही ड्राइवर से कहा था कि गाड़ी घर ले चले ऋषि नहीं आएगा ड्राइवर और भोला ने खाना खाया कि नहीं यह भी पूछा था फिर शांति हो गई थी गाड़ी के अंदर सिर्फ़ बाहर की आवाजें आ रही थी


गाड़ी जब तक घर पहुँचती एक अजीब तरह का सन्नाटा और एक अजीब तरह का आवेश सा बन उठा था कामया और भोला के अंदर भोला भी जानता था कि ऋषि नहीं है और कामया भी जानती थी कि ऋषि नहीं है और तो और आज तो कामया ने जान लेने वाली साड़ी पहनी थी जो कि भोला के अंदर तक उतरगई थी खाने के बाद का और घर तक का सफ़र तो कट गया पर अब एक अजीब सी कसक जाग गई थी दोनों के अंदर जैसे कि दोनों ही एक दूसरे का इंतजार में थे कि कौन आगे बढ़े भोला अपने को रोके हुए था और कामया उसके आगे बढ़ने का इंतजार करती हुई पीछे बैठी हुई थी


पर जैसे ही गाड़ी रुकी और भोला जल्दी से उतर कर पीछे का डोर खोलकर खड़ा हुआ उसकी नजर कामया के सीने पर पड़ी बैठी हुई कामया के सीने से आँचल जो ढलका हुआ था उसके अंदर का पूरा हिस्सा जो कि खुला हुआ था उसकी नजर के सामने चमक उठा था वो अपनी नजर नहीं हटा पाया था उस सुंदरी से उसकाम की देवी से उस सुंदरता से जिसे वो कई दिनों से अपनी हवस का शिकार बनाना चाहता था पर आज का माहौल ठीक उसके आनुरूप था घर पर वो अकेली थी और उसे रोकने वाला कोई नहीं था और तो और आज कामया ने जो साड़ी पहनी थी वो शायद उसे ही दिखाने के लिए ही पहनी थी ना जाने क्या-क्या सोचते हुए भोला अपनी नजर को मेमसाहब पर टिकाए हुए उसकी मादकता को अपने अंदर समेटने की कोशिश करता जा रहा था उसके गोरे गोरे पेट और फिर उसके नीचे उसकी नाभि और टाइट से बँधी हुई साड़ी में उसकी नग्नता को और भी उजागर कर रहे थे
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Re: बड़े घर की बहू

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डोर के खुलते ही कामया थोड़ा सा चौंक कर आगे की ओर हुई और अपनी चुचियों का और पीठ का थोड़ा सा हिस्सा नुमाइश करते हुए अपनी टांगों को बाहर निकालते हुए एक हाथ को खिड़की पर रखते हुए बाहर को निकली उसका निकलना था कि दो खुशबुओं ने एक साथ अपनी जगह बदली कामया की मधुर और काम उत्तेजित करने वाली खुशबू भोला के नथुनो को भेदती हुई उसके शरीर के रोम रोम में उतरगई थी खड़ा-खड़ा भोला अपनी मदहोशी के आलम में खोया हुआ कामया को अपने सामने से होकर आगे जाते हुए देख रहा था और एक खुशबू जो कि भोला की थी पसीने और एक मर्दाना जो कि कामया के नथुने में घुसते ही एक लड़खड़ाहट सी पैदा कर चुकी थी उसके शरीर में एक लंबी सी साँस छोड़ती हुई वो आगे बढ़ी थी पीछे से उसे भोला की आवाज भी सुनाई दी थी जो कि ड्राइवर से कुछ कह रहा था पर क्या कामया ने नहीं सुना था पर जैसे ही वो लिफ्ट पर रुकी थी और बटन प्रेस किया था वो खुशबू फिर से कामया नथुनो को भेद गई थी यानी की भोला उसके पीछे ही खड़ा था वो थोड़ा सा बिचलित सी हो उठी थी शरीर का हर हिस्सा उसका जबाब दे उठा था सांसें जो कि अभी तक नियंत्रित थी अब बहक बहक कर चल रही थी रुक रुक कर चलती हुई सांसों को कंट्रोल करने में लगी कामया के सामने धीरे से लिफ्ट कर दरवाजा खुला और एक बलिशट सी बाँहे उसके पीछे से निकलकर उसके कंधों को छूकर पीछे से आई और आगे बढ़ गई थी कामया थोड़ा सा हटी पर जो आग्नि उसके अंदर जागी थी उसे और भी बढ़ा कर अलग हो गई थी कामया थोड़ा सा हटी थी और झट से अंदर हो गई थी लिफ्ट में अंदर आते ही भोला भी अंदर आ गया था और कामया के पीछे खड़ा हो गया था कामया ने पलटने की कोशिश नहीं की थी पर अपनी सांसों को कंट्रोल करने में लगी थी पीछे से उसे कोई आहट सुनाई नहीं दी थी लिफ्ट धीरे से ऊपर की ओर उठने लगी थी लिफ्ट के पीछे लगे हुए मिरर में कामया ने देखा था की भोला उसकी ओर पीठ करके खड़ा था


वो कुछ और देखती कि भोला की नजर भी आमने लगे हुए मिरर से टकरा गई थी वो अपनी नजर झुका कर खड़ी हो गई थी सांसों के साथ उसकी साड़ी का आँचल भी उसके शरीर के हिस्से को ढकने की छोड़ चुका था वो खड़ी हुई थी कि उसके नितंबों पर एक सख़्त और कठोर हाथों ने कब्जा कर लिया था उसने एक बार अपनी नजर उठा कर फिर से मिरर की ओर देखा था भोला जो कि थोड़ा सा उसकी ओर घुमा था अपने हाथों से उसके नितंबों का जायजा ले रहा था और धीरे-धीरे उसकी हथेलिया उसकी कमर के पास आके रुक गई थी उसकी आखों में एक तारीफ थी जी उसे मिरर में दिख रही थी वो कामया की पीठ की ओर ही देख रहा था और अपने हाथों को घुमाकर उसकी रचना की और उसकी सुंदरता और उसकी कोमलता को वो सहेज रहा था अपने अंदर और एक ना भुजने वाली आग में कामया को जलाकर रखकर देना चाहता था कामया के शरीर में जो आग लगी थी वो एक बार भोला के छूने से फिर से बढ़ गई थी पर एक झटके से पलटकर खड़ी हो गई थी वो जैसे कहना चाहती थी कि छोड़ो मुझे पर भोला तो भोला ही था जानता था कि आज कामया उसे ना नहीं कर पाएगी अपने हाथ ना खींचते हुए वो फिर से कामया के पेट को छूता हुआ उसकी चुचियों की ओर बढ़ा था और अपने हाथों से उन्हें छूता हुआ एक बार उसकी ठोडी को ऊपर करके चूमता तभी लिफ्ट रुक गई थी कामया की जान में जान आ गई थी और वो भी जोर-जोर से अपनी सांसों को छोड़ती हुई खड़ी हुई एकटक भोला की ओर देखती रही पर भोला जैसे ही लिफ्ट रुकी आगे बढ़ कर गेट खोलने में लग गया था अपने कपड़ों की सुध लिए बिना ही कामया जैसी थी वैसे ही बाहर निकल आई थी और खड़ी होकर भोला के फ्लैट के मेन डोर खोलने का इंतजार करने लगी थी भोला भी जल्दी से डोर खोलकर अंदर घुस गया था और पीछे-पीछे कामया भी दौड़ती हुई घुसी और सीधे अपने कमरे में चली गई थी और झट से डोर बंद करलिया था जैसे उसे डर था कि भोला उस पर टूट ना पड़े

पर भोला ने ऐसा कुछ नहीं किया थोड़ी देर शांति बनी रही रात के 11 बज गये थे पर एक शांति ऐसी थी उस घर में कि जैसे कोई कुछ सुनने की कोशिश कर रहा हो और कुछ नहीं कामया आते ही बेड की साइड में बैठी हुई अपनी सांसों को कंट्रोल करने की कोशिस करने लगी थी धमनियो से टकराती उसकी सांसों से उसे लग रहा था कि कही हार्ट फैल नहीं हो जाए सांसों के साथ उसके मुख से एक अजीब तरह की आवाज भी निकल रही थी जो कि सिर्फ़ उसे ही सुनाई दे है थी कह सकते है कि आअह्ह थी या कह लीजिए कि सिसकारी थी जो भी हो बहुत जान लेवा थी अपने शरीर को छूने के तरीके से भी वो बड़ी ही आश्चर्य चकित थी कितने प्यार भरे अंदाज से भोला उसके शरीर को छुआ था जैसे उसके शरीर के हर उतार चढ़ाव को वो देखना चाहता था कोई जल्दी नहीं थी पर एक कसक थी जो उसके दिल में जगा गया था वो भोला सच में उसके तरीके की गुलाम बन गई थी

कामया - सांड़ कही का जानवर अगर एक बार में पकड़कर चूम लेता तो वो क्या करती कुछ नहीं उस दिन भी उसने यही किया था ऋषि के कमरे में सिर्फ़ एक बार चूमा था और कितना कस कर पकड़ा था कि कमर ही टूट जाती पर उसके कहने पर छोड़ दिया था उसके कमरे में भी जब उसने उसकी जाँघो के बीच में उंगली डाली थी तो कैसा लगा था कामया को बता नहीं सकती और एक-एक करके कामया को सब ध्यान आता चला गया जो कि भोला ने उसके साथ किया था अपनी सांसों को कंट्रोल करती हुई और अपने दोनों हाथों को समेटती हुई कामया बेड के एक साइड में लेटी हुई थी और अपने आपसे बातें करती जा रही थी कि डोर पर हल्के से नोक हुआ भोला था

भोला- मेमसाहब

कामया- हाँ…

भोला- जी मेमेसाहब में खाना खा आता हूँ आप अगर चाहे तो डोर बंद करले नहीं तो में लंच करके आता हूँ

कामया- ठीक है लंच करके आओ

कामया की हिम्मत नहीं थी उसके सामने आने की वो नहीं चाहती थी कि भोला एक बार फिर से उसके सामने आए बाहर की आवाज़ बंद हो चुकी थी और मेन डोर भी बंद होने की आवाज उसने सुनी थी लेटी हुई कामया अपने आपको स्थिर करने की कोशिश करती जा रही थी कि फोन ने उसे चौंका दिया था

कामेश- खाना खा लिया

कामया- हाँ… ताज गये थे

कामेश- रीना के पति से मिली कैसा है

कामया मस्त है सिर्फ़ खाने और घूमने के अलावा कुछ नहीं अच्छा लड़का है

कामेश- हाँ… इस दुनियां में एक में ही हूँ जो खराब हूँ बाकी तो सब मस्त ही है ही ही है ना

कामया- अरे यार बोर मत करो कब आओगे यह बताओ हद करते हो तुम

कामेश---अरे यार आने का मन तो बहुत करता है पर यह काम जो है ना इसके चलते सब बेकार का हो जाता है

कामया- कल आही जाना

कामेश--चल रखता हूँ

जो आग कामया संभालने की कोशिश कर रही थी वो कामेश के फोन ने और भी बढ़ा दिया था उसकी याद ने और उसके यहां नहीं होने से वो अपने आपको फिर से उसी आग में जलता पा उठी थी

एक तो वो भोला और ऊपर से उसकी वो हरकत और अकेला घर सबकुछ मिलाकर कामया अपने आपको सभालने की कोशिश से लड़ती हुई सी अपने से हारती हुई पा रही थी वो चाह कर भी अपने आपको संभाल नहीं पा रही थी गला सूखने को लगा था पर बाहर जाने का डर था कही वो सांड़ नहीं आ जाए कितनी देर हुई थी और कहाँ गया था वो नहीं जानती थी पर एक डर था उसके अंदर डर यह नहीं था कि वो क्या करेगा डर था अगर वो अपने आपको ना सभाल पाई तो
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