तवायफ़ की प्रेम कहानी complete

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jay
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Re: तवायफ़

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"अंजलि तू तो जानती है ना अपनी काजल को !!...बता ,कैसे छोड़ देता मैं इसे...जान बस्ती है मेरी इसमे...देख मुझसे अलग होकर ये क्या हो गयी...एक बार शायद किस्मत ने हमें जुदा कर दिया...फिर मिले तो अपने पापा ने हमेशा के लिए इसे मुझ से छीन लेना चाहा..........क्या करता मैं अंजलि...लड़ गया अपनी मुहब्बत के लिए....और मैं पिछे नहीं हट सकता..."



"तुझे तेरा भाई ग़लत लगे तो ले...उतार दे मेरे सीने मे एक गोली...क्यूकी मेरे जीते जी तो काजल को कोई च्छू नहीं सकता...फिर चाहे वो कोई भी हो........" आलोक टूट गया था और शायद उस से भी ज़्यादा दर्द मे थी अंजलि.


अंजलि लगातार अपने पापा को देख रही थी...उनकी तो लाडली थी...लेकिन आज उसके पापा उस से नज़रे चुरा रहे थे...



"पापा, कुछ तो बोलिए..."


"हां....हां..किया मैने इसे मारने का प्रयास......और मुझे कोई पछतावा नहीं....कोई भी शख्स एक तवायफ़ को अपने घर की बहू नहीं बनाएगा.........तू नहीं जानती बेटा...इसकी माँ भी तवायफ़ थी.......इसका खानदानी पेशा....... "



"बसस्सस्स पपाा........."अंजलि बुरी तरह से चीख उठी.....

" शर्म नहीं आती किसी की मजबूरी को पेशा कहते हुए आपको !!! ....तवायफ़ होना कोई धंधा नहीं, कोई पेशा नहीं, सिर्फ़ एक लाचारी है...एक ऐसा दलदल है जिसमे मजबूरी की बेड़ियाँ पहनी एक औरत धसती चली जाती है,और दुनिया के लिए “धन्धेवाली” बन जाती है."



"पापा,ये तो आपने देख लिया कि वो एक तवायफ़ है,लेकिन कभी सोचा क्यूँ है वो तवायफ़......सोचा इतनी सी उम्र मे क्यू पैरो मे घुंघरू बाँध कर वो नाच रही है....क्यू वो आँखे इतनी सूनी सी हैं...क्यू उन आँखो मे सपने नहीं हैं...क्यू आपको उन आँखो की वीरानी नहीं दिखती और क्यू इस काजल मे आपको आपकी अंजलि नहीं दिखती......." अंजलि आँसुओ के बीच बोलती चली जा रही थी और वहाँ मौजूद हर शख्स की आँखे नम थी..........सदानंद को आज आईना दिखा दिया था उनकी बेटी ने.




"पापा ,वो तवायफ़ बन गयी आपकी बेटी के लिए....सिर्फ़ इसलिए कि आपकी बेटी किसी कोठे की तवायफ़ बन ने को मजबूर ना हो जाए...... इस पागल ने अपने हिस्से की ख़ुसीया भी मेरी झोली मे डाल दी....... वो तवायफ़ बनी आपके घर की इज़्ज़त के लिए......आपकी इज़्ज़त के लिए पापा... " अंजलि फुट फुट कर रोने लगी...आलोक एकदम सन्न था......सदानंद का भी वी हाल था...काजल,ऋुना और जुंमन की आँखो से आँसू निकल रहे थे.

आलोक नज़रो ही नज़रो मे अपनी मुहब्बत के सदके किए जा रहा था....उफफफ्फ़! ! कितना दर्द था उस पगली की आँखो मे.





"पापा ! कसूर मेरा है और अगर तवायफ़ होने की सज़ा मौत है , तो सबसे पहले वो सज़ा मुझे मिलनी चाहिए, क्यूकी इस मासूम के तवायफ़ बनने की वजह मैं हूँ" अंजलि ने अपने आँसू पोन्छ लिए, उसके चेहरे पर एक सख्ती थी. सदानंद की आँखो मे देखते हुए बोली.

अंजलि का चेहरा सख़्त हो गया था..आलोक और सदानंद उसे ही देखे जा रहे थे...और काजल...वो पगली एक बार फिर से रो रही थी.काजल को कोठेवाली, धन्धेवाली और रंडी की गालियों से नवाज़ने वाले सदनद बाबू आज बेबस खड़े थे...उनकी अपनी बेटी ने उन्हे एक तवायफ़ का असली चेहरा दिखा दिया था.



सदानंद ज़्यादा कुछ कह पाने की हालत मे नहीं लग रहे थे...



"तुम सब जाओ यहाँ से...इसे ले जाओ पास के किसी हॉस्पिटल मे अड्मिट करवा दो..." सदानंद ने जुंमन की तरफ इशारा करते हुए अपने आदमियो से कहा..आज जब अपनी खुद की बेटी की इज़्ज़त सर-ए बाज़ार आ गयी थी अहसास हो रहा था कि कितना दर्द होता है जब किसी की बेटी भरी महफ़िल मे रुसवा होती है तो.




किसी ने कुछ नहीं कहा, सदानंद के चेहरे पर एक मायूसी का रंग था और अब वो रंग गुस्से मे बदल रहा था. उनके सारे आदमी गाडियो मे सवार हो गये.... कुछ ने जुंमन को पकड़ के उठाया और धीरे धीरे गाड़ी की ओर ले चले ....



काजल ने बड़ी शुक्रगुज़ार नज़रो से जुंमन की ओर देखा और हाथ जोड़ दिए...जुंमन की आँखो मे एक चमक थी....जो करना चाहा था वो कर दिया था उसने...काजल आलोक के पास थी उसकी ज़िम्मेदारी पूरी हो गयी थी... काजल को देख मुस्कुराया और एक आदमी का कंधा पकड़े हुए धीरे धीरे गाड़ी मे बैठने लगा.




"शुक्रिया शेरा...तेरा अहसान रहेगा मुझपर...कभी मौका मिला तो इस अहसान का बदला जुंमन जान देकर भी चुकाएगा.." जुंमन ने शेरा से कहा, जवाब मे शेरा ने घूर कर उसे देखा..फिर थोड़ा सा मुस्कुराया..




"शुक्रिया जुंमन " ऋुना की आँखो मे आँसू थे, कभी सोचा नहीं था उसने कि जुंमन इतना कर जाएगा किसी पराए के लिए...काजल से भला उसका रिश्ता ही क्या था...आलोक की आँखे भी नम थी...और वो भी जुंमन को उसी अपने पन से देख रहा था...आगे बढ़ा और जुंमन के हाथ पकड़ लिए...




"जुंमन भाई, आपका अहसान कभी चुका नहीं पाउन्गा....लेकिन कभी कोई ज़रूरत पड़ जाए तो आज़मा ज़रूर लेना..."



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( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).


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jay
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Re: तवायफ़

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"काजल को कभी छोड़ना मत आलोक बाबू, बस ...फिर मिलूँगा.." जुंमन ने कहा और गाड़ी का दरवाज़ा बंद किया .सब गाडिया एक एक करके चली गयी...लैला अपनी कार से बाहर निकली लेकिन वही खड़ी रही....




सदानंद ने शायद इसीलिए सबको भेज दिया था क्यूकी अब शायद जो खुलासा होने वाला था वो उन्हे बहुत नागवार गुजरता...ऐसी आशंका उन्हे हो गयी थी.



काजल, ऋुना,आलोक, अंजलि और उसके साथ आया वो लड़का, सोफी, सदानंद , लैला और शेरा,...बस इतने लोग ही रह गये थे...





काजल बेगुनाह होते हुए भी सबसे नज़रें चुरा रही थी...आलोक से भी दूर दूर ही थी..ऋुना के पिछे इस तरह से छुपि थी मानो कोई पाप कर दिया हो उसने.




सदानंद जिनको भेज सकते थे भेज चुके थे...अब जो वहाँ मौजूद थे या तो उनका इन सबसे वास्ता था या फिर वो सदानंद की बात माने को मजबूर नहीं थे...अब शेरा को कहते जाने को तो कौन सा वो मान जाता.




"ये सब क्या है अंजलि...बताओ मुझे....क्या मज़ाक लगा रखा है......और तुम कैसे वजह हो इसके कोठे पर पहुचने की..." सदानंद अब गुस्से मे थे.



"माफ़ कर दीजिए पापा, और ना कर सके तो सज़ा दे दीजिए जो चाहे......लेकिन अब खामोश नहीं रह सकती......"अंजलि ने कहा और काजल की ओर बढ़ गयी उसका हाथ पकड़ा और खींच कर अपने सामने किया.





काजल सर झुकाए थी और आँखो से आँसू बहकर उसके प्यारे गुलाबी गालो को भिगो रहे थे.....अंजलि ने अपने हाथो से पकड़कर उसका चेहरा उपर उठाया....काजल ने उसकी आँखो मे देखा और उसके गले लग गयी और फूट फूट कर रोने लगी....काजल का हर आँसू आलोक के दिल मे एक तीर की तरह चुभ रहा था...कुछ भी तो नहीं कर पाया था वो अपनी मुहब्बत के लिए....अंजलि भी उसके गले लगी ज़ोर ज़ोर से रोने लगी.




"काजल...ये काजल...मत रो...प्लीज़ अब मत रो काजल...बहुत रो लिया तूने...माफ़ कर दे अपनी इस दोस्त को,...माफ़ कर्दे मेरी बहन....."अंजलि काजल को चुप करा रही थी और खुद भी रो रही थी.सदानंद कुछ बोल नहीं पा रहे थे.



"अंजलि, आप क्यू आ गयी यहाँ...क्यू आ गयी आप...देखो आपकी काजल क्या से क्या हो गयी....मौत ने भी गले नहीं लगाया ,लेकिन मौत से भी बड़ी सज़ा मिली मुझे....जाने क्या गुनाह किया था मैने....." काजल के आँसू नहीं थम रहे थे, बरसो से दबा दर्द आज फूट पड़ा था.आलोक ने आगे बढ़कर काजल के सर पर हाथ रखा...काजल ने एक पल को भीगी नज़रों से उसे देखा और फिर आलोक से लिपटकर रोने लगी.



ऋुना को तो सब पता ही था और कुदरत के इस चमत्कार को देखकर बार बार उसकी आँखे भी नम हो रही थी.




"काजल, तुमने जो मेरे लिए किया है वो कभी कोई अपने किसी सगे के लिए भी नहीं कर सकता....तुमने तो ऐसी कुर्बानी दी है जो सिर्फ़ क़िस्सो कहानियो मे सुन'ने को मिलती है,...काजल, तुम्हारा इम्तहान अब ख़त्म हो गया है....तुम्हारे इस प्यारे से दिल की पुकार उस रब तक पहुच ही गयी.....काजल, मेरी ओर देखो..प्लीज़." अंजलि ने कहा.


काजल ने सर उठाकर अंजलि को देखा...



"इसे पहचान रही हो....."अंजलि ने साथ आए लड़के की ओर इशारा किया....


काजल ने धीरे से हां मे सर हिलाया...वो लड़का चुपचाप सर झुकाए खड़ा था.


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jay
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Re: तवायफ़

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"ये सब क्या हो रहा है...सॉफ सॉफ क्यू नहीं बताती.." सदानंद का सब्र जवाब दे रहा था,गुस्से मे बोले.



"प्लीज़..!!" आलोक उनसे भी तेज चीख पड़ा.




अंजलि ने सदानंद की ओर देखा, फिर काजल से बोली.



"काजल, ये मुझे यू.के. मे मिला...मुझे सबकुछ बताया इसने....सबकुछ काजल...लेकिन आज वो सबकुछ एक बार तुमसे सुन'ना चाहती हू......प्लीज़ ...बस एक बार.......क्यू किया तुमने ऐसा...बताओ क्यू किया तुमने ये......??"




काजल के आँसू आज रुक नहीं रहे थे...उसने कभी सोचा नहीं था कि उसे ये मौका भी मिलेगा...किस्मत और कुदरत दोनो ने ही उस'से मूह मोड़ लिया था ,लेकिन आज भी दुनिया मे चमत्कार होता है...काजल को यकीन हो चला था.





"बताओ काजल, क्या हुआ था...प्लीज़ बताओ...." आलोक ने उसके रेशमी बालो मे प्यार से हाथ फेरते हुए कहा.




क्जेलाल ने एक नज़र ऋुना पर डाली, ऋुना की आँखे भी नम थी और लब मुस्कुरा रहे थे,,आज उसने वो कर दिखाया था जो उसके लिए किसी ने नहीं किया...एक सुकून था ऋुना के दिल मे...काजल ने लैला की ओर देखा, वो भी एकदम चुप थी और बहुत गुस्से मे भी लग रही थी....काजल ने एक बार सदानंद की ओर देखा...और सहम गयी...सवालिया नज़रों से फिर से आलोक की ओर देखने लगी.




"डरो मत काजल...यकीन रखो मुझपर जान ,आज इस दुनिया की कोई ताक़त तुम्हे मुझसे जुदा नहीं कर सकती......सबसे टकरा जाएगा तुम्हारा आलोक....मेरी कसम है तुम्हे...बताओ...सब कुछ बताओ...."आलोक ने उसका हाथ अपने हाथो मे लेते हुए यकीन दिलाया उसे....



शेरा वही थोड़ी दूर पर एक खाट खिचकर आराम से बैठ हुआ था.....शायद सदानंद पर अभी भी यकीन उसे नहीं था.



अंजलि ने काजल के कंधे पर धीरे से हाथ रखा ....काजल ने उसकी ओर देखा और आलोक का हाथ मजबूती से पकड़ लिया.




"आलोक जिस दिन आप यू.एस.ए चले गये ,मुझे आपके घर बुलाया गया....आपके पापा से ही मुझे पता चला था कि मेरी माँ एक तवायफ़ है......और ये भी अहसास हुआ कि एक तवायफ़ की बेटी होना ही एक सज़ा थी......मुझे आपसे दूर रहने का फरमान सुनाया गया.......आपसे हमेशा हमेशा के लिए दूर जाने का फरमान...."काजल ने ज़बरदस्ती बह आए आँसू की बूँदो को सॉफ किया और बोलती चली गयी.




"मुझे अपनी माँ से नफ़रत होने लगी थी.....लेकिन एक बार अपनी माँ से मिलना चाहती थी...पुच्छना चाहती थी कि ऐसा क्यू किया उन्होने....मुंबई गयी मैं लेकिन मेरी माँ इस दुनिया से जा चुकी थी !!...मेरी माँ बुरी नहीं थी आलोक !!!...मेरी माँ बहुत अच्छी थी......बहुत अच्छी थी मेरी माँ..." काजल ने एक नज़र ऋुना पर डाली और फिर सदानंद पर...सदानंद ने नज़रे झुका ली...




काजल की आँखे फिर से छलक आई.... ये दास्तान कह पाना बहुत मुश्किल हो रहा था उसके लिए, लेकिन तवायफ़ थी, दर्द की आदत हो चली थी, फिर से बोलने लगी.......

काजल बोलती चली गयी...बीती हुई दर्दनाक यादें उसी आज भी कल की हुई बात की तरह याद थी...



“मैं मुंबई मे अपनी माँ से मिलने गयी थी,लेकिन उनके गुजर जाने की खबर से बहुत टूट गयी थी....कैसी भी थी मेरी माँ थी.”




“आप तो पहले ही मेरे पास नहीं थे आलोक अब आपके साथ की उम्मीद भी ना रही.....मेरी माँ भी चली गयी थी मुझे छोड़कर.....इस पूरी दुनिया मे कोई मेरा ना था...मैने सोच लिया था कि मैं कोलकाता हमेशा के लिए छोड़ दूँगी.......कहाँ जाउन्गी, क्या करूँगी,कुछ पता नहीं था, लेकिन कोलकाता हमेशा के लिए छोड़ देना था, क्यूकी वहाँ रहकर आपसे दूर रहना मेरे बस मे ना था" काजल की सूनी आँखे आलोक के चेहरे पर जम गयी.



काजल आगे बताने लगी...




"मुंबई से कोलकाता वापस मैं अपने हॉस्टिल पहुचि, कुछ ऐसी कीमती चीज़ें थी जिन्हे लेने वापस आना पड़ा.....अपने रूम मे मैं आपसे जुड़ी कुछ यादें , कुछ तस्वीरें और आपकी चन्द निशानिया समेट रही थी की ज़ोर ज़ोर से किसी ने दरवाज़ा खटखटाया...मैने दरवाज़ा खोला , अंजलि थी."




काजल ने कहा और चुप हो गयी..........अंजलि समझ गयी उसकी मजबूरी.


एक लंबी साँस ली अंजलि ने और अब उसने कहानी आगे बढ़ाई..



"कॉलेज के दिनो मे ही मेरा राजन के साथ....मतलब हम दोनो एक दूसरे से प्यार करते थे.....या यू कहूँ कि मुझे ये ग़लतफहमी हुई थी."अंजलि ने एक दर्द भरी निगाह साथ खड़े उस लड़के पर डाली........





"एक दिन काजल ने हमें देख भी लिया था साथ मे, लेकिन मैने इसे नहीं बताया, काश बता देती...एक शाम हम...हम..दोनो बहक..बहक गये......"अंजलि ने बड़ी मुश्किल से ये अल्फ़ाज़ कहे थे...अपने भाई और पापा के सामने ऐसी बातें कैसे कर सकती थी कोई लड़की ,लेकिन आज वो मजबूर थी.



"राजन ने मुझ से शादी का वादा किया था...लेकिन मुझे नहीं मालूम था कि मेरे साथ धोखा हो रहा है......"अंजलि ने उस लड़के की ओर फिर नफ़रत से देखा.
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Re: तवायफ़

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"यही राजन है.....अंजलि ने उस लड़के की तरफ इशारा किया..."



"इसने हम दोनो की वीडियो बना ली थी और मुझे तरह तरह से ब्लॅकमेन्ल करने लगा....पैसे की बात तक तो मैं बर्दाश्त करती गयी..फिर यहाँ तक...कि..कि..मुझे अपने दोस्तो के साथ.......मुहब्बत कभी थी ही नहीं इसे....."अंजलि की आवाज़ आँसुओ मे भीग गयी.




आलोक का चेहरा गुस्से से लाल हो गया...तमतमाया हुआ आगे बढ़ा और उस लड़के का गिरहबान पकड़ लिया...आलोक के घूँसे की चोट नाक पर पड़ते ही वो एकदम
लड़खड़ा कर ज़मीन पर गिर पड़ा..... आलोक अपने पैरो से उसे बुरे तरह मारने लगा...अंजलि ने जल्दी से आगे बढ़कर आलोक के आगे हाथ जोड़ दिए.



"नहीं भाई, अब नहीं...प्लीज़...इसे कॅन्सर है......बस कुछ दिन हैं....." अंजलि ने रोते हुए कहा....आलोक को एका-एक जैसे ब्रेक लग गया.


उस लड़के की नाक से ब्लड निकलने लगा था...वो चुपचाप उठकर खड़ा हुआ और अपना चेहरा सॉफ कर लिया.....आलोक दुखी मन से आकर काजल के पास खड़ा हो गया.



"आगे बोलो" आलोक ने कठोर स्वर मे कहा.




अंजलि फिर से बताने लगी........


"भाई, आप इस शहर मे थे नहीं, और शायद आपसे या पापा से कहने की मेरी हिम्मत भी नहीं होती......मुझे कुछ समझ मे नहीं आ रहा था कि क्या करूँ,...एक काजल ही बची थी जिसे मैं ये बता सकती थी ..मैं हॉस्टिल पहुचि......काजल को सारी बात बताई...अपने दुख मे दुखी मैं ये भी ना समझ पाई कि काजल खुद कितने बड़े दर्द मे थी....काश मुझे पता होता काजल...क्यू नहीं बताया तूने मुझे , बता ...क्यू..?"अंजलि ने रोते हुए काजल से पुछा.





"अंजलि , जब तुम मेरे पास आई ,उस समय मेरा मन बहुत दुखी था...मेरे पास जीने की कोई वजह ना थी...लेकिन तुम्हारी बात सुनकर एक वजह मिल गयी थी...मैने उसे समय सोच लिया था कि क्या करना है..."




" अंजलि की बात सुनकर जैसे मुझे एक मकसद मिल गया था...मैने अंजलि को ये कहकर वापस भेज दिया कि मैं उसे मिलकर समझाउन्गी . इसे यकीन दिलाना आसाना ना था लेकिन मैने समझाया कि एक कोशिस करने मे क्या बुराई है, आख़िर अंजलि मान गयी.....मैने राजन का फोन नंबर लिया...बात की फोन पर, जितना मैने सोचा था ये उस से कही ज़्यादा कमीना निकला...."काजल ने एक नफ़रत भरी निगाह कुछ दूर खड़े राजन पर डाली...




“उम्मीद तो मुझे पहले भी नहीं थी लेकिन इस से बात करके यकीन हो गया था कि यो क्या चाहता है. किसी भी कीमत पर ये समझने वाला नहीं था”





"राजन ने कयि बार मुझे देखा था अंजलि के साथ, इसने खुद मुझसे कहा...इसने मुझसे भी वी चाहा जो इसने अंजलि के साथ किया था...और बदले मे इसने मुझे वो वीडियो टेप देने का वादा किया.....मैं अच्छी तरह से समझ रही थी कि अंजलि को इस दलदल से निकालने मे मैं खुद उसी दलदल मे फँसने जा रही थी...और ये भी अच्छी तरह से जानती थी कि ये सौदा सिर्फ़ एक धोखा था..वो क्लिप ये कभी मुझे नहीं देगा...”




“मेरे पास सिर्फ़ एक ही रास्ता था..... जीने की कोई वजह नहीं थी, मैने सोच लिया था कि पहले इस कुत्ते को ख़त्म करूँगी और फिर खुद को....कम से कम अपनी दोस्त के किसी काम तो आ सकूँगी....उसकी ज़िंदगी तो बच जाएगी.... बड़ी मुश्किल से एक गन का इंतज़ाम किया और इसके बताए जगह पर पहुचि......"काजल आलोक का हाथ अपने हाथो मे लिए बोलती जा रही थी.




"मुझे नहीं पता था कि मेरे अंदर इतनी हिम्मत कहाँ से आ गयी थी..........शायद जीने की ख्वाहिश ख़त्म हुई तो मरने का डर भी ख़त्म हो गया था........मैं वहाँ पहुचि........इसके साथ दो लोग और भी थे उस कमरे मे....और अब मुझे लगने लगा था कि जो मैं सोच कर आई हूँ वो कितना मुश्किल है......"




" इस से पहले ये मेरे साथ कुछ करता मैने वो क्लिप दिखाने को बोला , जो इसने मुझे देने को कहा था..., क्लिप इसने दिखाई मुझे............अब मुझे किसी भी तरह से वो क्लिप इस से लेकर उसे डेस्ट्राय करना था......मैं ये भी समझ रही थी कि अब मेरे साथ क्या होने वाला है...मैने बिना कोई देर किया इस पर गन तान दी.....और इससे वो क्लिप माँगने लगी...."



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Re: तवायफ़

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"मुझे पता था ये देगा नहीं, और इसे भी लग रहा था कि मैं सिर्फ़ डरा रही हू....मैने इसके एक साथी के पैर मे गोली मार दी.......जिस से इसे यकीन हो गया कि मैं सिर्फ़ डरा नहीं रही....और आख़िरकार डरकर इसने मे वो क्लिप मेरे हवाले कर दी...”




“ इस से पहले कि मैं इन सब को गोली मार कर खुद को ख़त्म कर पाती पिछे से कोई भारी चीज़ मेरे सर पर लगी , मेरे हाथ गन पर अपने आप कस गये और एक गोली और चली और उसी के साथ एक चीख भी गूँजी.........किसे लगी, कहाँ लगी मुझे कुछ पता ना चला......आँखो के सामने अंधेरा सा छाने लगा...और बेहोश होने से पहले जो आख़िरी बात मुझे याद थी वो ये कि मैने वो क्लिप पास मे रखी शराब की बॉटले मे डाल दी थी....."




अंजलि की आँखो मे आँसू थे, कितना कुछ किया था काजल ने उसके लिए.....आलोक की आँखे भी भर आई थी..कुछ दूर खड़े राजन को ऐसे घूर रहा था कि उसका बस चले तो टुकड़े टुकड़े कर दे अभी उसके.




सदानंद एक दम चुप थे..जैसे जैसे काजल बोलती जा रही थी उनके चेहरे पर भी दर्द की लकीरे बढ़ती चली जा रही थी.
काजल ने एक नज़र राजन पर डाली और फिर लैला पर...फिर से बोलने लगी...




"मेरी आँख खुली तो पता चला कि मैं पोलीस स्टेशन मे थी....एक बार को लगा कि शायद कुछ अच्छा होगा मेरे साथ लेकिन मैं ग़लत थी....एक कमरे मे मैं थी और 3-4 पोलीस वाले और ये " उसने लैला की ओर इशारा करते हुए कहा.




"पोलीस इनस्पेक्टर मुझे किसी भेड़िए की तरह घूर रहा था...मैं समझ गयी कि सिर्फ़ चेहरे बदले थे , हैवानियत यहाँ भी उतनी ही थी....वो इनस्पेक्टर मुझसे बोला..




"छोरि, वो लड़का तो मर गया जिसको तेरी गोली लगी थी.......अब तो तुझे फाँसी होगी फाँसी !!...पर मैं बचा सकता हूँ तू कहे तो..."इसने एक हवस भरी नज़र मुझ पर डाली...




मैं इतनी मजबूर थी कि कुछ कह नहीं पा रही थी.. लैला मुझे बड़ी देर से घूर रही थी...फिर इसने उस इनस्पेक्टर को बाहर ले जाकर कुछ कहा..और फिर कुछ देर बाद लैला मेरे पास आई...




"देख छोरि, तू मुझे बड़ी सीधी लग रही है इसलिए तेरी मदद करने को दिल चाह रहा है...फँस तो गयी है तू बुरी तरह से...और फाँसी तो छोड़, ये पोलीस वाले तेरे साथ क्या क्या करेंगे तुझे नहीं मालूम...अरे ये तो सबसे बड़े..........खैर छोड़, कोई है जिसे बुलाना चाहेगी...??"मैं लैला की बात का मतलब कुछ कुछ समझ रही थी, लेकिन किसे बुलाती, था ही कौन मेरे पास...??




"देख, उन लौन्डो ने पैसे दे दिए हैं और बयान ये दिया है कि तू एक रंडी है और अपनी मर्ज़ी से वहाँ गयी थी...फिर पैसे की बात ना पटने पर तूने गोली चलाई...और उसका दोस्त मारा गया...अब मेरी बात सुन, पहली बात तो ये कि जैसा मुझे समझ मे आ रहा है तेरा कोई है नहीं इस दुनिया मे, दूसरी बात ये कि ये पोलीस वाले आज रात तेरे साथ सबकुछ करेंगे.......सब कुछ समझ रही है ना.......और तीसरी बात , अब ये हर रोज होगा तेरे साथ जबतक तुझे उम्र क़ैद या 20-25 साल की सज़ा ना हो जाए.." लैला मुझे समझा रही थी या डरा रही थी मुझे नहीं पता, लेकिन उसकी बातें बेबुनियाद नहीं थी.



मैं कुछ कह पाती इस से पहले लैला ने वो कहा जिसके बाद मैं कुछ और सोच ही ना सकी....



"और वो वीडियो क्लिप भी है मेरे पास, उस लौन्डे को पैसे दिया है ना मैने....उस क्लिप के अंदर का सारा "सामान" निकलवा लिया है मैने...वो लड़की जिसकी वीडियो है कौन है री....??? " लैला मेरी हालत से लुफ्त ले रही थी, लेकिन मैं कुछ नहीं कर सकती थी.... अब मैं और ज़्यादा मजबूर थी...मुझे लग रहा था कि मेरी वजह से वो क्लिप अब इस चुड़ैल के पास आ गयी थी और अंजलि की इज़्ज़त भी इसके हाथ मे थी.



मैने पहली बार लैला से बात की..


"आप..आप कौन हो.....और यहाँ क्यू आई हो ??......और क्या हेल्प करोगी आप मेरी...??"




"हां, रानी !!!!,,,ये की ना तूने मुद्दे की बात...तो जैसा कि मैने बताया, मेरा नामा लैला है...संगीत प्रेमी हूँ.........मुंबई मे रहती हूँ...मेरा धंधा.....मतलब मेरा काम धाम यहाँ भी है,,अभी कुछ पंगा हो गया था तो इस इनस्पेक्टर को पैसे खिलाने आई थी.....”



“तेरी जैसी और भी लड़कियाँ है ना मेरे पास.........वो क्या है ना मेरी कुछ लड़कियों को पकड़ लिया था इसने...बहुत बड़ा कमीना है,लेकिन पैसे के लिए कुछ भी करता है..." लैला बता रही थी और अब मैं सब समझ रही थी वो क्या कह रही है.


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