एक अनोखा बंधन compleet

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rajaarkey
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Re: एक अनोखा बंधन

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एक अनोखा बंधन--26

गतान्क से आगे.....................

सिमरन और ज़रीना की ये मुलाक़ात और उनकी वो बातें किसी चमत्कार से कम नही थी. काई बार चमत्कार हमें वाहा देखने को मिलता है जहा पर उसकी उम्मीद तक नही होती. सिमरन चली गयी थी एरपोर्ट के अंदर. मगर जाते जाते ज़रीना और आदित्य के लिए एक शुकून भरी जींदगी छ्चोड़ गयी थी. वो दोनो अब बिना गिल्ट के साथ रह सकते थे. सिमरन ने ना बल्कि दोनो को माफ़ किया था बल्कि खुले दिल से दोनो के प्यार को स्वीकार भी किया था. ये किसी चमत्कार से कम नही था.

जींदगी में जब तूफान आता है तो इंसान का सुख चैन सब कुछ छीन कर ले जाता है. मगर तूफान हमेशा नही रहता. तूफान के बाद शांति भी आती है.

सिमरन के जाने के बाद ज़रीना और आदित्य कुछ देर तक एक दूसरे की तरफ देखते रहे. दोनो की आँखो में शुकून था और चेहरे पर शांति के भाव थे. तूफान के थमने के बाद अक्सर इंसान को एक अद्भुत शांति की अनुभूति होती है. कुछ ऐसा ही ज़रीना और आदित्य के साथ हो रहा था.

“चले होटेल वापिस…मेरे होन्ट बेचैन हो रहे हैं.”

“क्या मतलब?” ज़रीना ने हैरानी में पूछा.

“हमारी पहली किस कितनी प्यारी थी ना. खो गये थे हम एक दूसरे में.” आदित्य ने मुश्कूराते हुवे कहा.

“प्लीज़ ऐसी बाते मत करो वरना तुम्हारे साथ होटेल जाना मुश्किल हो जाएगा.” ज़रीना शर्मा गयी किस की बात पर. उसके चेहरे पर उभर आई शरम की लाली देखते ही बनती थी.

“कितनी देर तक किस की थी हमने. तुम्हारे होन्ट तो अंगरों की तरह तप रहे थे. तुम्हारे होंटो की तपिस से मेरे होन्ट झुलस गये हैं क्या तुम्हे खबर भी है.”

“प्लीज़ आदित्य और कुछ मत कहो मैं सुन नही पाउन्गि.” ज़रीना ने अपने सीने पर हाथ रख कर कहा.

“ये नया रूप देखा तुम्हारा जो की बहुत सुंदर है. मुझे नही पता था कि मुझे गमले और हॉकी से मारने वाली शर्मा भी सकती है.” आदित्य ने ज़रीना को कोहनी मार कर कहा.

“आदित्य अब बस भी करो.”

“ठीक है…मैं टॅक्सी बुलाता हूँ. डिन्नर होटेल में ही करेंगे.”

आदित्य ने एक टॅक्सी रोकी और दोनो उसमें बैठ कर होटेल की तरफ चल दिए. रास्ते भर ज़रीना गुमशुम रही. कभी-कभी आदित्य की तरफ देख कर हल्का सा मुश्कुरा देती थी. मगर ज़्यादातर वो चुपचाप और खोई-खोई सी रही. आदित्य जान गया था की कोई बात ज़रीना को परेशान कर रही है. पर उसने टॅक्सी में कुछ पूछना सही नही समझा. उसने तैय किया की वो होटेल जा कर ही ज़रीना से बात करेगा.

प्यार में एक दूसरे के चेहरे पर हल्की सी शिकन भी बर्दास्त नही कर पाते प्रेमी. यही वो चीज़ है जो रिश्ते में और ज़्यादा गहराई और सुंदरता लाती है. एक दूसरे की चिंता और फिकर ही वो इंसानी जज़्बा है जो प्रेमी जोड़ो में कूट-कूट कर भरा होता है.

होटेल के रूम में घुसते ही आदित्य ने ज़रीना का हाथ पकड़ लिया और बोला, “तुम कुछ परेशान सी हो जान. बात क्या है?. क्या मुझसे कोई भूल हो गयी है.”

“नही आदित्य तुमसे कोई भूल नही हुई है. बस वक्त ही कुछ अज़ीब है.” ज़रीना ने कहा.

“मैं कुछ समझा नही जान…खुल कर बताओ ना क्या बात है.”

“आदित्य…मैं शादी किए बिना वापिस अपने घर नही जाना चाहती. लोगो की नज़रो का सामना और नही कर सकती मैं. ऐसा लगता है जैसे की मैं कोई गुनहगार हूँ.”

“अरे अब तो सब सॉल्व हो गया. शादी में ज़्यादा देरी नही होगी. मैं गुजरात पहुँचते ही किसी वकील से मिल कर कोर्ट में अप्लिकेशन लग्वाउन्गा.”

“कोर्ट के फ़ैसले कितनी जल्दी आते हैं ये तुम भी जानते हो और मैं भी. जब तक ये क़ानूनी अड़चन दूर नही होगी हमारी शादी नही हो सकती. तब तक अपने ही घर में रहना मेरे लिए मुश्किल रहेगा. तुम नही जानते मैं कैसे लोगो की नज़रो का सामना करती हूँ. एक तो मेरा मुस्लिम होना ही गुनाह है उपर से लड़की हूँ…लोगो की नज़रो में नफ़रत और गली होती है मेरे लिए. तुम ही बताओ कैसे वापिस जाउन्गि मैं वाहा.” ज़रीना सूबक पड़ी बोलते-बोलते.

“समझ सकता हूँ जान. तुम्हारे किसी भी दर्द से अंजान नही हूँ मैं. जो बात तुम्हे दुख पहुँचाती है वो मेरे तन बदन में भी हलचल मचा देती है. तुम चिंता मत करो सब ठीक हो जाएगा.”

“पर सब ठीक होने तक मैं कैसे रह पाउन्गि तुम्हारे साथ.”

“तो क्या मुझे छ्चोड़ कर जाना चाहती हो कही.”

“नही ऐसा तो मैं सपने में भी नही सोच सकती. रहूंगी तुम्हारे साथ ही चाहे कुछ हो जाए.”

“इस दुनिया की चिंता करेंगे तो जीना मुश्किल हो जाएगा. छ्चोड़ो इन बातों को. मैं देल्ही जा कर आउट ऑफ कोर्ट सेटल्मेंट की बात करूँगा सिमरन के घर वालो से. शायद बात बन जाए. सिमरन तो हमारे साथ है ही.”

“हां कुछ ऐसा करो की हम जल्द से जल्द शादी के बंधन में बँध जायें.”

“मैं तुम्हे तुम्हारे अहमद चाचा के यहा छ्चोड़ कर देल्ही चला जाउन्गा.”

“अकेले तो तुम्हे कही नही जाने दूँगी मैं. चाहे कुछ हो जाए.”

“अच्छा बाबा तुम भी साथ चलना.”

“वो तो चलूंगी ही.”
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Re: एक अनोखा बंधन

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“अरे यार हमने ये सब पहले क्यों नही सोचा. हम सिमरन के साथ ही देल्ही जा सकते थे. चलो कोई बात नही कल चल देंगे हम देल्ही. सही कहा तुमने ये मामला कोर्ट में अटक गया तो हमारी शादी अटक जाएगी...कोर्ट के बिना ही ये मसला हल करना होगा. अब जबकि सिमरन हमारे साथ है तो कोई ज़्यादा दिक्कत नही होनी चाहिए.”

ज़रीना हल्का सा मुश्कुराइ मगर अगले ही पल उसके चेहरे पर फिर से शिकन उभर आई.

“अब क्या हुवा जान. कोई और बात भी है क्या जो तुम्हे परेशान कर रही है.”

“नही और कुछ नही है चलो खाना खाते हैं.”

“नही कुछ तो है. तुम्हारे चेहरे पर ये शिकन इशारा कर रहा है कि कुछ और बात भी है जो की तुम्हे अंदर ही अंदर खाए जा रही है.”

“नही तुम्हे दुख होगा रहने दो.”

“बोलो ना क्या बात है जान. इस प्यारे रिश्ते में अब कोई भी बात पर्दे के पीछे नही रहनी चाहिए. बोलो ना प्लीज़ क्या बात है?”

“हमारे बीच शादी से पहले ही सेक्स शुरू हो गया. मेरे अम्मी-अब्बा ज़िंदा होते आज अगर और उन्हे इस बारे में पता चलता तो वो मुझे जान से मार देते.” ज़रीना नज़रे झुका कर बोली.

“क्या कहा तुमने सेक्स शुरू हो गया हाहहहाहा….. इस से ज़्यादा लोटपोट कर देने वाला चुटकुला नही सुना मैने कभी. अरे पागल हमने भावनाओं में बह कर बस किस ही तो की है एक दूसरे को. वो किस सेक्स के दायरे में नही आती.”

“तुम्हे क्या मैं बेवकूफ़ लगती हूँ या फिर तुम्हे ये लगता है कि मेरा दिमाग़ खिसका हुवा है. मेरे मज़हब ने मुझे शादी से पहले किसी बात की इज़ाज़त नही दी. किस तो बहुत बड़ी बात होती है.”

“हां मानता हूँ जान. शादी से पहले सेक्स में उतर जाना ग़लत है. पर हमारी किस पवित्र थी. उस पर कोई इल्ज़ाम बर्दास्त नही करूँगा मैं.”

“सॉरी आदित्य मेरी परवरिश ऐसे माहॉल में हुई है जहा शादी से पहले सेक्स से जुड़ी हर चीज़ को ग्लानि से देखा जाता है.” ज़रीना ने कहा.

“तो क्या तुम हमारी किस को अब ग्लानि से देख रही हो?”

“नही मैं ये पाप भी नही कर सकती क्योंकि इस प्यार में वो अब तक का सबसे हसीन पल था मेरे लिए. ऐसा लग रहा था जैसे मैं तुम्हारे बाहुत करीब पहुँच गयी हूँ.”

“और क्या तुमने एक बात नोट की.”

“कौन सी बात.”

“तुमने कहा था कि मुझे चुंबन लेना नही आता मगर तुम्हारे होन्ट तो खूबसूरत चुंबन की एक दास्तान लिख रहे थे मेरे होंटो पर.”

ज़रीना का चेहरा लाल हो गया ये सुन कर. वो कुछ देर खामोश रही. फिर अचानक नज़रे आदित्य के कदमो पर टिका कर बोली, “हमने कुछ ग़लत तो नही किया ना आदित्य.”

“मैं तो इतना जानता हूँ ज़रीना कि प्यार भगवान है. अगर इस प्यार में बह कर हम कुछ कर बैठे तो वो हरगिज़ ग़लत नही हो सकता. बल्कि मैं तो बहुत खुश हूँ उस चुंबन के बाद. रह रह कर मेरे होंटो पर मुझे अभी तक तुम्हारे होंटो की छुवन महसूस हो रही है. बहुत प्यारा अहसास मिला है जींदगी में ये.”

“अच्छा खाना मॅंगा लो. भूक लग रही है.”

“एक बात तो तुम्हे बतानी ही पड़ेगी. चुंबन लेना कहा से सीखा तुमने.”

“हटो…मैं इस बात को लेकर परेशान हूँ और तुम्हे मज़ाक सूझ रहा है.”

“उस वक्त तो तरह-तरह से मेरे होंटो से खेल रही थी अब परेशान हो रही हो हहेहहे. मेरी ज़रीना गिरगिट की तरह रंग बदलती है.”

“आदित्य अब तुम्हारी खैर नही…” ज़रीना ने कहा. प्यार भरा गुस्सा था उसकी आवाज़ में.

आदित्य भाग कर टाय्लेट में घुस्स गया और कुण्डी लगा ली.

“निकलो बाहर. तुम्हारी जान ले लूँगी मैं आज.”

“उस से पहले खाना खिला दो मुझे. खाने का ऑर्डर कर दो. मैं नहा कर ही निकलूंगा बाहर अब हाहहाहा.”

ज़रीना पाँव पटक कर रह गयी.

क्रमशः...............................
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Ek Anokha Bandhan--26

gataank se aage.....................

Simran aur zarina ki ye mulaaqat aur unki vo baatein kishi chamatkaar se kam nahi thi. kayi baar chamatkaar hamein vaha dekhne ko milta hai jaha par ushki ummeed tak nahi hoti. Simran chali gayi thi airport ke ander. Magar jaate jaate zarina aur aditya ke liye ek shukun bhari jeendagi chhod gayi thi. vo dono ab bina guilt ke saath rah sakte the. Simran ne na balki dono ko maaf kiya tha balki khule dil se dono ke pyar ko swikaar bhi kiya tha. ye kishi chamatkaar se kam nahi tha.

Jeendagi mein jab toofan aata hai to insaan ka sukh chain sab kuch cheen kar le jaata hai. magar toofan hamesa nahi rahta. Toofan ke baad shaanti bhi aati hai.

Simran ke jaane ke baad zarina aur aditya kuch der tak ek dusre ki taraf dekhte rahe. Dono ki aankho mein shukun tha aur chehre par shaanti ke bhaav the. Toofan ke thamne ke baad aksar insaan ko ek adbhut shaanti ki anubhuti hoti hai. kuch aisa hi zarina aur aditya ke saath ho raha tha.

“chale hotel vaapis…mere hont bechain ho rahe hain.”

“kya matlab?” zarina ne hairaani mein pucha.

“hamaari pahli kiss kitni pyari thi na. kho gaye the hum ek dusre mein.” Aditya ne mushkuraate huve kaha.

“please aisi baate mat karo varna tumhaare saath hotel jaana mushkil ho jaayega.” Zarina sharma gayi kiss ki baat par. ushke chehre par ubhar aayi sharam ki laali dekhte hi banti thi.

“kitni der tak kiss ki thi hamne. Tumhaare hont to angaron ki tarah tap rahe the. Tumhaare honto ki tapis se mere hont jhulas gaye hain kya tumhe khabar bhi hai.”

“please aditya aur kuch mat kaho main shun nahi paaungi.” Zarina ne apne sheene par haath rakh kar kaha.

“ye naya roop dekha tumhaara jo ki bahut shunder hai. mujhe nahi pata tha ki mujhe gamle aur hocky se maarne wali sharma bhi sakti hai.” aditya ne zarina ko konhi maar kar kaha.

“aditya ab bas bhi karo.”

“theek hai…main taxi bulaata hun. Dinner hotel mein hi karenge.”

Aditya ne ek taxi roki aur dono usmein baith kar hotel ki tara chal diye. Raaste bhar zarina gumshum rahi. Kabhi-kabhi aditya ki taraf dekh kar halka sa mushkura deti thi. magar jyadatar vo chupchaap aur khoyi-khoyi si rahi. Aditya jaan gaya tha ki koyi baat zarina ko pareshaan kar rahi hai. par ushne taxi mein kuch puchna sahi nahi samjha. Ushne taiy kiya ki vo hotel ja kar hi zarina se baat karega.

Pyar mein ek dusre ke chehre par halki si shikan bhi bardaast nahi kar paate premi. Yahi vo cheez hai jo rishte mein aur jyada gahraayi aur shundarta laati hai. ek dusre ki chinta air fikar hi vo insaani jajba hai jo premi jodo mein kut-kut kar bhara hota hai.

Hotel ke room mein ghuste hi aditya ne zarina ka haath pakad liya aur bola, “tum kuch pareshaan si ho jaan. Baat kya hai?. kya mujhse koyi bhool ho gayi hai.”

“nahi aditya tumse koyi bhool nahi huyi hai. bas vakt hi kuch azeeb hai.” Zarina ne kaha.

“main kuch samjha nahi jaan…khul kar bataao na kya baat hai.”

“aditya…main shaadi kiye bina vaapis apne ghar nahi jaana chaahti. Logo ki nazro ka saamna aur nahi kar sakti main. Aisa lagta hai jaise ki main koyi gunahgaar hun.”

“arey ab to sab solve ho gaya. shaadi mein jyada deri nahi hogi. Main gujrat pahunchte hi kishi vakil se mil kar court mein application lagvaaunga.”

“court ke faisle kitni jaldi aate hain ye tum bhi jaante ho aur main bhi. Jab tak ye kaanuni adchan dur nahi hogi hamaari shaadi nahi ho sakti. Tab tak apne hi ghar mein rahna mere liye mushkil rahega. Tum nahi jaante main kaise logo ki nazro ka saamna karti hun. ek to mera muslim hona hi gunaah hai upar se ladki hun…logo ki nazro mein nafrat aur gali hoti hai mere liye. Tum hi bataao kaise vaapis jaaungi main vaha.” Zarina subak padi bolte-bolte.

“samajh sakta hun jaan. Tumhaare kishi bhi dard se anjaan nahi hun main. Jo baat tumhe dukh pahunchaati hai vo mere tan badan mein bhi halchal macha deti hai. Tum chinta mat karo sab theek ho jaayega.”

“par sab theek hone tak main kaise rah paaungi tumhaare saath.”

“to kya mujhe chhod kar jaana chaahti ho kahi.”

“nahi aisa to main sapne mein bhi nahi soch sakti. Rahungi tumhaare saath hi chaahe kuch ho jaaye.”

“ish duniya ki chinta karenge to jeena mushkil ho jaayega. Chhodo in baaton ko. Main delhi ja kar out of court settlement ki baat karunga simran ke ghar walo se. shaayad baat ban jaaye. Simran to hamaare saath hai hi.”

“haan kuch aisa karo ki hum jald se jald shaadi ke bandhan mein bandh jaayein.”

“main tumhe tumhaare ahmad chacha ke yaha chhod kar delhi chala jaaunga.”

“akele to tumhe kahi nahi jaane dungi main. Chaahe kuch ho jaaye.”

“atcha baba tum bhi saath chalna.”

“vo to chalungi hi.”

“arey yaar hamne ye sab pahle kyon nahi socha. Hum simran ke saath hi delhi ja sakte the. Chalo koyi baat nahi kal chal denge hum delhi. Sahi kaha tumne ye maamla court mein atak gaya to hamaari shaadi atak jaayegi...court ke bina hi ye masla hal karna hoga. Ab jabki simran hamaare saath hai to koyi jyada dikkat nahi honi chaahiye.”

Zarina halka sa mushkuraayi magar agle hi pal ushke chehre par phir se shikan ubhar aayi.

“ab kya huva jaan. Koyi aur baat bhi hai kya jo tumhe pareshaan kar rahi hai.”

“nahi aur kuch nahi hai chalo khaana khaate hain.”

“nahi kuch to hai. tumhaare chehre par ye shikan ishaara kar raha hai ki kuch aur baat bhi hai jo ki tumhe ander hi ander khaaye ja rahi hai.”

“nahi tumhe dukh hoga rahne do.”

“bolo na kya baat hai jaan. Ish pyare rishte mein ab koyi bhi baat parde ke peeche nahi rahni chaahiye. Bolo na please kya baat hai?”

“hamaare beech shaadi se pahle hi sex shuru ho gaya. mere ammi-abba zinda hote aaj agar aur unhe ish baare mein pata chalta to vo mujhe jaan se maar dete.” Zarina nazre jhuka kar boli.

“kya kaha tumne sex shuru ho gaya hahahahaha….. ish se jyada lotpot kar dene wala chutkula nahi shuna maine kabhi. Arey paagal hamne bhaavnaaon mein bah kar bas kiss hi to ki hai ek dusre ko. Vo kiss sex ke daayre mein nahi aati.”

“tumhe kya main bevkoof lagti hun ya phir tumhe ye lagta hai ki mera deemag khiska huva hai. mere majhab ne mujhe shaadi se pahle kishi baat ki izaazat nahi di. Kiss to bahut badi baat hoti hai.”

“haan maanta hun jaan. Shaadi se pahle sex mein utar jaana galat hai. par hamaari kiss pavitra thi. ush par koyi iljaam bardaast nahi karunga main.”

“sorry aditya meri parvarish aise maahol mein huyi hai jaha shaadi se pahle sex se judi har cheez ko glani se dekha jaata hai.” zarina ne kaha.

“to kya tum hamaari kiss ko ab glaani se dekh rahi ho?”

“nahi main ye paap bhi nahi kar sakti kyonki ish pyar mein vo ab tak ka sabse hasin pal tha mere liye. Aisa lag raha tha jaise main tumhaare baahut karib pahunch gayi hun.”

“aur kya tumne ek baat note ki.”

“kaun si baat.”

“tumne kaha tha ki mujhe chumban lena nahi aata magar tumhaare hont to khubsurat chumban ki ek daastaan likh rahe the mere honto par.”

Zarina ka chehra laal ho gaya ye shun kar. vo kuch der khaamosh rahi. Phir achaanak nazre aditya ke kadmo par tika kar boli, “hamne kuch galat to nahi kiya na aditya.”

“main to itna jaanta hun zarina ki pyar bhagvaan hai. agar ish pyar mein bah kar hum kuch kar baithe to vo hargiz galat nahi ho sakta. Balki main to bahut khuss hun ush chumban ke baad. Rah rah kar mere honto par mujhe abhi tak tumhaare honto ki chuvan mahsus ho rahi hai. bahut pyara ahsaas mila hai jeendagi mein ye.”

“atcha khaana manga lo. Bhuk lag rahi hai.”

“ek baat to tumhe bataani hi padegi. Chumban lena kaha se seekha tumne.”

“hato…main ish baat ko lekar pareshaan hun aur tumhe majaak sujh raha hai.”

“ush vakt to tarah-tarah se mere honto se khel rahi thi ab pareshaan ho rahi ho hehehehe. Meri zarina girgit ki tarah rang badalti hai.”

“aditya ab tumhaari khair nahi…” zarina ne kaha. Pyar bhara ghussa tha ushki awaaj mein.

Aditya bhaag kar toilet mein ghuss gaya aur kundi laga li.

“niklo baahar. Tumhaari jaan le lungi main aaj.”

“ush se pahle khaana khila do mujhe. Khaane ka order kar do. Main naha kar hi niklunga baahar ab hahahaha.”

Zarina paanv patak kar rah gayi.

kramashah...............................
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एक अनोखा बंधन--27

गतान्क से आगे.....................

प्यार हमें हर तरह के रंग दीखता है. लड़ाता भी है, हँसाता भी है, रुलाता भी है और कभी-कभी प्यारी सी नोक झोंक पैदा कर देता है रिश्ते में. प्यार का हर रंग अनमोल और अद्विद्या है. चुंबन का भी अपना ही महत्व है. चुंबन तो बस एक बहाना है प्यार का मकसद हमें ऐसी जगह ले जाना है जहा हम बस एक दूसरे में खो जायें. क्योंकि प्यार एक दूसरे में खो कर ही होता है…अपने आप में होश में रह कर नही………

आदित्य नहा कर चुपचाप दबे पाँव बाहर निकला वॉशरूम से. ज़रीना बिस्तर पर आँखे बंद किए पड़ी थी.

“खाने का ऑर्डर कर दिया क्या?”

“हां कर दिया…आता ही होगा?” ज़रीना ने कहा.

आदित्य ज़रीना के पास आकर बैठ गया और बोला, “क्या हुवा फिर से चेहरे पर 12 बजा रखे हैं…अब कौन सी नयी समस्या है तुम्हारी.”

“कुछ नही…बस सोच रही थी की सिमरन के घर वाले मान तो जाएँगे ना.”

“बातचीत करने से हर मसला हाल हो जाता है ज़रीना. हम एक कोशिस करेंगे बाकी भगवान की मर्ज़ी.”

“आदित्य तुम मुझे चिढ़ा क्यों रहे थे…तुम्हे शरम नही आती ऐसा बोलते हुवे. मैं तुमसे नाराज़ हूँ.”

“उफ्फ अभी तक नाराज़ हो. जाओ नहा कर आओ फटाफट… दीमाग ठंडा हो जाएगा. और किसी बात की चिंता मत करो सब ठीक होगा.” आदित्य ने कहा.

……………………………………………………………….

अगली सुबह आदित्य और ज़रीना मुंबई एरपोर्ट के लिए निकल पड़े. दोपहर 12 बजे वो देल्ही में थे. सिमरन कारोल बाग में रहती थी. उन्होने कारोल बाग में ही एक होटेल में रूम ले लिया.

कुछ घंटे रेस्ट करने के बाद ज़रीना को होटेल में ही छ्चोड़ कर आदित्य सिमरन के घर आ गया. सिमरन घर में सब कुछ बता चुकी थी इश्लीए आदित्य का कोई ख़ास स्वागत नही हुवा.

“तो तुम अब जले पर नमक छिड़कने आए हो” सिमरन के पापा ने कहा. सिमरन एक तरफ खड़ी सब सुन रही थी.

“जी नही मैं माफी माँगने आया हूँ. आप मुझे माफ़ कर दीजिए. सिमरन ने आपको सब कुछ बता ही दिया है. हम सभी के लिए यही अछा है कि हम बैठ कर आपस में ही इसका हल निकाल लें. कोर्ट जाने से हमारा वक्त ही बर्बाद होगा. मानता हूँ मेरा स्वार्थ है इसमें पर इसमें आप लोगो का भी भला ही है”

सिमरन के पापा कुछ बोले बिना उठ कर चले गये. सिमरन ने आदित्य को इशारा किया मैं समझाती हूँ इन्हे तुम चिंता मत करो.

आदित्य चुपचाप वही बैठा रहा. कोई एक घंटे बाद सिमरन सिमरन कमरे में दाखिल हुई.

“आप अभी जाओ…कल इसी वक्त आ जाना तब तक मैं पापा को मना लूँगी. वो मेरी बात नही टालेंगे.”

“ठीक है सिमरन…सॉरी तुम लोगो को डिस्टर्ब करने के लिए पर मेरे पास कोई चारा नही था. ये मामला कोर्ट में पता नही कब तक लटका रहेगा. तुम तो लॉ स्टूडेंट हो ये बात बखूबी समझ सकती हो.”

“हां मैं समझ रही हूँ. पापा भी समझ जाएँगे. कल से आगे नही जाएगी बात.”

“थॅंक यू सिमरन…चलता हूँ मैं.”

“ज़रीना कहा है?”

“साथ ही आई है. होटेल में छ्चोड़ कर आया हूँ. वो अकेले मुझे कही जाने ही नही देती.”

“ये तो अच्छी बात है ना. उसे देल्ही घूमाओ आप आज. कल आएँगे तो निराश नही जाएँगे यहा से.”

“जानता हूँ. आपके होते हुवे निराशा हो ही नही सकती. चलता हूँ मैं.” आदित्य घर से बाहर निकल आया.

अगले दिन जब आदित्य सिमरन के घर पहुँचा तो सिमरन के पापा ने उसे देख कर गहरी साँस ली और बोले, “ठीक है मैं कुछ लोगो को बुलाता हूँ. आज ही ये किस्सा निपटा देते हैं. और ये मैं तुम्हारे लिए नही बल्कि अपनी बेटी के लिए कर रहा हूँ. इसका भी इस बंधन से आज़ाद होना ज़रूरी है ताकि हम इसका घर बसाने की सोच सकें तुमने तो उजाड़ने में कोई कसर नही छ्चोड़ी.”

आदित्य ने चुप रहना ही सही समझा.जब आप मूह तक पानी में डूबे हों तो मूह बंद ही रखना चाहिए वरना दिक्कतें और ज़्यादा बढ़ सकती हैं. आदित्य ये बात बखूबी समझ रहा था.

कुछ लोग इकट्ठा हुवे उस घर में और स्टंप पेपर पर आदित्य और सिमरन को वैवाहिक संबंध से आज़ाद कर दिया. स्टंप पेपर की एक कॉपी सिमरन के पापा ने रख ली और एक आदित्य को थमा दी.

आदित्य अपनी खुशी छुपा नही पाया और सिमरन के पापा के पाँव छू लिए आगे बढ़ कर, “ये अहसान मैं जींदगी भर नही भूलूंगा.”

“हम भी तुम्हे जींदगी भर नही भूलेंगे.”

आदित्य को सिमरन कही दीखाई नही दे रही थी. वो उसे बाइ करना चाहता था जाने से पहले. उसने सिमरन के बारे में पूछना सही नही समझा क्योंकि माहॉल गरम था. वो स्टंप पेपर को लेकर चुपचाप बाहर आ गया.

बाहर आकर उसने पीछे मूड कर देखा तो पाया की सिमरन छत पर खड़ी थी. जैसे ही दोनो की नज़रे टकराई सिमरन ने हंसते हुवे हाथ हिला कर अलविदा कहा.
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आदित्य की आँखे नम हो गयी सिमरन को देख कर. “मुझे माफ़ करना सिमरन. तुम्हारे सच्चे प्यार को ठुकरा दिया मैने. लेकिन कोई चारा नही था सिमरन. मेरे रोम-रोम में ज़रीना बस चुकी है. मैं चाहूं तो भी खुद को ज़रीना से जुदा नही कर सकता क्योंकि मर जाउन्गा उस से जुदा होते ही. यही दुवा करता हूँ की हमेशा खुस रहो तुम. जींदगी में कोई भी गम या दुख तुम्हारे पास भी ना भटक पाए. हे भगवान सिमरन को हमेशा खुश रखना.”

आदित्य आँखो में नमी लिए आगे बढ़ गया. होटेल तक पहुँचते-पहुँचते आँखो की नमी सूख चुकी थी और धीरे-धीरे उनमें एक अद्भुत चमक उभरने लगी थी. अब आदित्य और ज़रीना की शादी में कोई रुकावट नही थी. आदित्य ये बात सोच-सोच कर झूम रहा था. पाँव ज़मीन पर नही टिक रहे थे उसके.

आदित्य होटेल की तरफ बढ़ते हुवे ये गीत गुनगुना रहा था:

♫♫♫♫…….ऐसा लगता है मैं हवाओ में हूँ….आज इतनी ख़ुसी मिली है

आज बस में नही है मन मेरा…आज इतनी ख़ुसी मिली है……♫♫♫♫

आदित्य ने जब होटेल के कमरे की बेल बजाई. ज़रीना ने भाग कर दरवाजा खोला.

“क्या हुवा आदित्य?”

“तुम्हे क्या लगता है…”

“जल्दी बताओ ना प्लीज़…मेरी साँसे अटकी हुई हैं जान-ने के लिए.”

आदित्य ने जेब से निकाल कर स्टंप पेपर दिखाया और बोला, “अब हमारी शादी में कोई रुकावट नही है जान. हम जब जी चाहे शादी कर सकते हैं.”

“सच!” ज़रीना उछल पड़ी ये बात सुन कर.

“हां अब तुम जी भर कर खेलना मेरे होंटो से…जितना जी चाहे उतना झुलसा देना इन्हे अपने अंगरो से. मैं उफ्फ तक नही करूँगा. तुम्हारी किस का कोई जवाब नही.”

“आदित्य तुम मार खाओगे अब मुझसे.”

“अपने होने वाले पति को मारोगी तुम.”

“पागल हो क्या…मज़ाक कर रही हूँ.”

“पता है मुझे…अब ये बताओ कब बनोगी मेरी दुल्हनिया.”

“आज, अभी…इसी वक्त…बनाओगे क्या बोलो.”

“ख़ुसी-ख़ुसी……बस एक बात बात बताओ हिंदू रीति रिवाज से शादी करना चाहोगी या फिर मुस्लिम रीति रिवाज से.”

“उस से कुछ फरक पड़ेगा क्या?”

“बिल्कुल भी नही?”

“फिर क्यों पूछ रहे हो.”

“यू ही तुम्हारा व्यू लेना चाहता था इस बारे में.”

“मेरा कोई व्यू नही है इस बारे में सच कह रही हूँ मैं. तुम मुझे जैसे चाहो अपनी दुल्हन बना लो. वैसे तुम्हारे भगवान के मंदिर में शादी करना चाहती हूँ मैं तुमसे. तुम मुझे एक साल बाद मंदिर में ही तो मिले थे.”

“पक्का…”

“हां पक्का.”

“ठीक है फिर. हम देल्ही से ही शादी करके चलते हैं. तुम अब अपने घर में मेरी दुल्हन बन कर ही प्रवेश करोगी.”

“आज जाकर दिल को शुकून मिला है. अल्लाह अब कोई और मुसीबत ना डाले हमारी शादी में.”

“कोई मुसीबत नही आएगी. बी पॉज़िटिव. जींदगी में उतार चढ़ाव तो चलते रहते हैं. तुम्हारी मौसी को भी बुला लेंगे हम.”

“नही…नही मौसी को मत बुलाओ. किसी को वाहा भनक भी लग गयी तो तूफान मचा देंगे लोग. तुम नही जानते उन्हे. जीतने कम लोग हों उतना अच्छा है.”

“ह्म्म बात तो सही कह रही हो.”

“जान बस और वेट नही होता मुझसे. मैं अभी सब इंटेज़ाम करके आता हूँ. हम कल सुबह शादी कर लेंगे”

“हां आदित्या बस अब और नही. मुझे मेरा हक़ दे दो ताकि दुनिया के सामने सर उठा कर जी सकूँ.”

आदित्य निकल तो दिया होटेल से शादी का इंटेज़ाम करने के लिए पर उसे इस काम में बहुत भाग दौड़ करनी पड़ी. मंदिरों के पुजारी तैयार ही नही थे शादी करवाने के लिए.आदित्य दरअसल हर जगह ज़रीना का नाम ले कर ग़लती कर रहा था. ज़रीना का नाम सुनते ही पुजारी मना कर देते थे. लेकिन दुनिया में हर तरह के लोग रहते हैं. एक जगह पुजारी ना बल्कि तैयार हुवा शादी करवाने को बल्कि बहुत खुश भी हुवा हिंदू-मुस्लिम का ये प्यार देख कर.

“बेटा मैं तो शोभाग्य समझूंगा अपना ये शादी करवा कर. तुम लोग सुबह ठीक 11 बजे आ जाना यहा.”

“पंडित जी हम दोनो यहा किसी को नही जानते. कन्या दान कैसे होगा..कोन करेगा.”

“उसका इंटेज़ाम भी हो जाएगा. मेरे एक मित्र हैं वो ख़ुसी ख़ुसी कर देंगे ये काम. तुम चिंता मत करो बस वक्त से पहुँच जाना. दोपहर बाद मुझे एक पाठ करने जाना है.”

“धन्यवाद पंडित जी. आप चिंता ना करें. हम वक्त से पहुँच जाएँगे.”

मंदिर में शादी का इंटेज़ाम करने के बाद आदित्य कपड़ो के शोरुम में घुस गया और ज़रीना के लिए लाल रंग की एक सारी खरीद ली. सारी लेकर वो ख़ुसी ख़ुसी होटेल की तरफ चल दिया.

होटेल पहुँच कर उसने ज़रीना को सारी दीखाई तो ज़रीना ने कुछ ख़ास रेस्पॉन्स नही दिया.

“क्या हुवा…क्या सारी पसंद नही आई?”

“मैं ये नही पहन सकती. ये शेड मुझे पसंद नही”

“हद है इतने प्यार से लाया हूँ मैं ज़रीना और तुम ऐसे बोल रही हो.” आदित्य सारी को बिस्तर पर फेंक कर वॉशरूम में घुस गया.

आदित्य वॉशरूम से बाहर आया तो ज़रीना उस से लिपट गयी.

क्रमशः...............................
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