एक अनोखा बंधन compleet

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rajaarkey
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Re: एक अनोखा बंधन

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एक अनोखा बंधन--25

गतान्क से आगे.....................

आदित्य ने बिना वक्त गवायें अपने होन्ट ज़रीना के थिरकते लबों पर टीका दिए. ज़रीना सर से लेकर पाँव तक सिहर उठी… ऐसा लग रहा था जैसे की आदित्य ने शितार के तार छेड़ दिए हों.

दोनो के होन्ट दहक्ते अंगारों की तरह एक दूसरे से टकरा रहे थे. दोनो के प्यार का पहला चुंबन उनके प्यार की ही तरह अद्वित्य और सुंदर था. वक्त जैसे थम सा गया था. बहुत देर तक दीवानो की तरफ चूमते रहे दोनो.

दोनो को ऐसा चुंबन करने का पूरा अधिकार था. प्यार जो करते थे बेन्तेहा एक दूसरे को. होंटो की भासा भी बहुत प्यारी होती है. इसे भी होन्ट ही बोलते हैं और होन्ट ही सुनते हैं. चुंबन के उन पलों में दोनो के होन्ट बहुत कुछ कह रहे थे एक दूसरे को. लबों की हर हरकत कुछ कहती थी जिसे दोनो अपनी आत्मा की गहराई तक महसूस कर रहे थे.

वैसे तो कुछ भी और कहना मुश्किल हो रहा है दोनो के इस पहले चुंबन के बारे में. मगर इतना ज़रूर कह सकता हूँ की प्यार ही प्यार था दोनो के बीच चुंबन के उन पलों में जो की दोनो के प्यार को एक और गहराई दे रहा था. ये बात किस करते वक्त दोनो ही बखूबी समझ रहे थे.

चुंबन में लीन ज़रीना और आदित्य दीन दुनिया सब कुछ भूल गये थे. वक्त का अहसास भी खो गया था. वो चुंबन किसी मेडिटेशन से कम नही था. जिस तरह मेडिटेशन में लीन हो कर हम अपने अंदर बहुत गहराई में उतर जाते हैं ठीक उसी तरह ज़रीना और आदित्य अपने अंदर भी उतर गये थे और एक दूसरे की आत्मा को भी छू रहे थे. ये एक अद्विद्य घटना थी. वैसे ये प्यार करने वालो के साथ रोज होती है.

जब दोनो की साँसे उखाड़ने लगी तो एक दूसरे से अलग हुवे. दोनो की आँखे नम थी और साँसे बहुत तेज चल रही थी. एक दूसरे की बाहों में बने हुवे थे दोनो और बड़े प्यार से एक दूसरे को देख रहे थे. साँसे एक दूसरे से टकरा रही थी.

“ज़रीना चाहे कुछ हो जाए…मुझसे जुदा होने की बात सोचना भी मत. तुम जानती हो ना…मर जाउन्गा तुम्हारे बिना मैं.”

“ओह आदित्य प्लीज़ ऐसा मत कहो…..”

दोनो ने एक दूसरे की आँखो में देखा. आँखो ही आँखो में जाने क्या बात हुई. दोनो की आँखे नम हो गयी देखते-देखते और अचानक दोनो के होन्ट फिर से खुद-ब-खुद एक दूसरे से जुड़ गये.

किसी ने सच ही कहा है, भावनाओ में बह कर दो प्रेमियों में जो प्यार होता है वो होश में रहकर कभी नही हो सकता. प्यार की गहराई में उतरने के लिए दीवानेपन की बहुत ज़रूरत होती है.

अचानक आदित्य को कुछ ध्यान आया और उसने ज़रीना के होंटो से अपने होन्ट हटा लिए. “हाथ पर क्या किया तुमने?”

“चाकू से चीर दिया था.”

“पागल हो गयी थी क्या तुम… रूको मैं अभी आता हूँ.”

“आदित्य कही मत जाओ प्लीज़…हो जाएगा ठीक अपने आप.”

आदित्य ने ज़रीना की बात को अनसुना कर दिया और कमरे से बाहर आ गया. कुछ देर बाद वो वापिस आ गया. वो केमिस्ट से मरहम-पट्टी ले आया था.

“लाओ हाथ आगे करो.”

“नही डेटॉल मत लगाना बहुत जलन होती है इस से….प्लीज़” ज़रीना छोटे बच्चे की तरह गिड़गिडाई.

“हाथ चीरते वक्त सोचना चाहिए था ये…ये लगाना ज़रूरी है. लाओ हाथ आगे करो.”

“नही प्लीज़…” ज़रीना गिड़गिडाई.

आदित्य ने हाथ पकड़ा ज़बरदस्ती और घाव को डेटॉल से सॉफ किया.

“आअहह….धीरे से बहुत जलन हो रही है.”

“दुबारा ऐसा मत करना कभी…समझी”

“समझ गयी.” ज़रीना ने मासूमियत से कहा.

डेटॉल से घाव साफ करने के बाद आदित्य ने बेटडिन लोशन लगा कर पट्टी बाँध दी हाथ पर. “सब ठीक हो जाएगा.”

“आदित्य मैं सिमरन से मिलना चाहती हूँ.”

“छ्चोड़ो अब ज़रीना…क्या अपनी और ज़्यादा बेज़्जती करवाना चाहती हो.”

“सिमरन ने मुझे कुछ नही कहा ऐसा आदित्य. मुझे उस से मिलकर सॉरी तो बोलना चाहिए ना. प्लीज़ कुछ करो…मैं उस से मिलना चाहती हूँ.”

“वो तो देल्ही के लिए निकल रही थी. शायद एरपोर्ट पहुँच भी गयी हो.”

“तो हम एरपोर्ट ही चलते हैं. वही मिल लेंगे.”

“ठीक है फिर चलो जल्दी…वैसे तुम्हारा सॉरी बोलना नही बनता है क्योंकि सारी ग़लती मेरी है. फिर भी तुम कहती हो तो चलो.”

दोनो तुरंत होटेल से बाहर आए और एरपोर्ट के लिए टॅक्सी लेकर चल दिए. जैसे ही वो दोनो एरपोर्ट पहुँचे सिमरन अपनी टॅक्सी से उतर रही थी. आदित्य की नज़र उस पर पड़ गयी.

“वो रही सिमरन. अछा हुवा की यही बाहर ही मिल गयी..आओ जल्दी” आदित्य ने ज़रीना से कहा.

वो दोनो तुरंत टॅक्सी से निकल कर सिमरन की तरफ बढ़े.
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“सिमरन!” आदित्य ने आवाज़ दी.

सिमरन चोंक कर रुक गयी और पीछे मूड कर देखा. ज़रीना और आदित्य उसकी तरफ बढ़े आ रहे थे.

“सिमरन…क्या थोड़ी देर रुक सकती हो, ज़रीना तुमसे कुछ बात करना चाहती है.” आदित्य ने कहा

सिमरन ने ज़रीना की तरफ देखा. दोनो ने आँखो ही आँखो में कुछ कहा. ज़रीना की आँखो में रिक्वेस्ट थी और सिमरन की आँखों में उस रिक्वेस्ट के लिए मंज़ूरी.

“हां शुवर…” सिमरन ने कहा.

ज़रीना ने आदित्य को वाहा से दूर जाने का इशारा किया. आदित्य बात समझ कर वाहा से हट गया.

ज़रीना सिमरन के करीब आई और बोली, “मुझे माफ़ कर दो सिमरन. तुम्हारा हक़ अंजाने में छीन लिया मैने. अगर कोई सज़ा देना चाहो तो दे दो मुझे. ख़ुसी-ख़ुसी सह लूँगी. अपने प्यार की कसम खा कर कहती हूँ कि मरने के लिए निकली थी वाहा से. पर पता नही क्यों मर नही पाई. ये जींदगी आदित्य ने दी है मुझे. उसे ही हक़ है इसे लेने का. हां पर एक हक़ तुम्हे भी है. मुझे जो सज़ा देना चाहे दे दो. पर प्लीज़ मुझे माफ़ कर दो.

मुझे सच में नही पता था कि आदित्य पहले से शादी शुदा है वरना मैं हरगिज़ दिल नही लगाती आदित्य से. और सिमरन मैं किसी लालच के कारण आदित्य के साथ नही हूँ. बस एक ही लालच है, वो है अपनी जींदगी का. जी नही सकती आदित्य के बिना. इसलिए आज मरने जा रही थी. अब तुम बताओ मेरी क्या सज़ा है”

सिमरन ने ज़रीना के चेहरे पर हाथ रखा और बोली, “तुम्हे आज इतना कुछ सुन-ना पड़ा वाहा उस कमरे में. वो सज़ा क्या कम थी जो और माँग रही हो. तुम जब आदित्य को थप्पड़ मार कर वाहा से गयी तो मुझे रीयलाइज़ हुवा की हम लोग क्या पाप कर रहे थे. कितना गिर गये थे हम सब. मुझे खुद ना जाने क्या हो गया था. शायद चाची जी और निशा की बातों का असर था मुझ पर. माफी तो मुझे माँगनी चाहिए तुमसे. मेरे कारण तुम्हे इतना अपमान सहना पड़ा. क्या कुछ नही सुना तुमने आज. थ्री विमन वर डेस्ट्रायिंग दा कॅरक्टर ऑफ वन विमन, नतिंग कॅन बी मोर पैंफुल्ल दॅन दिस.”

“सिमरन तुम्हे मेरे दुख का अहसास हुवा और मुझे क्या चाहिए. मगर इस से मेरा गुनाह कम नही हो जाता. अंजाने में ही सही पर गुनाह तो हुवा है मुझसे. पता नही मैं कैसे माफ़ करूँगी खुद को.” ज़रीना ने कहा.

“प्यार करती हो ना आदित्य से…तो खुद को गुनहगार मत मानो तुम. प्यार खुदा की देन है और ये किसी भी हालत में गुनाह नही हो सकता. तुम अपने दिल से ये बात निकाल दो कि मेरा कुछ छीन लिया तुमने. हां पहले-पहले मुझे भी यही लग रहा था. मगर आज जब तुम दोनो का प्यार देखा तो समझ में आया कि असल में प्यार क्या है. मैं तो आदित्य से एक तरफ़ा प्यार करती हूँ. आदित्य की आँखो में मैने अपने लिए कुछ नही देखा. बल्कि मेरे लिए उतनी क्न्सर्न भी नही देखी जितनी तुम्हारी आँखो में है. ऐसे में मैं उनके गले में पड़ जाउ 7 साल पहले हुई शादी का वास्ता दे कर तो बिल्कुल ग़लत होगा. ज़बरदस्ती रिश्ते निभाए जा सकते हैं ज़रीना कोई बड़ी बात नही है. ऐसा बहुत लोग कर रहे हैं दुनिया में. मगर ज़बरदस्ती बनाया हुवा रिश्ता कभी प्यार का वो फूल नही खिला पाएगा जिसकी कि एक पति पत्नी के रिश्ते में संभावना होती है. आदित्य की नज़रो में तुम्हारे लिए बेन्तेहा प्यार देखा है मैने. तुम दोनो का साथ लिखा है भगवान ने. जाओ दोनो खुश रहो. भगवान मेरी सारी ख़ुसीया तुम दोनो को दे दे.” आँखे टपक गयी सिमरन की ये आखरी कुछ लाइन्स बोलते हुवे.

ज़रीना ने फ़ौरन सिमरन के होंटो पर हाथ रख दिया, “बस…तुम्हारी और कोई ख़ुसी नही चाहिए हमें. जितना लिया है…वही बहुत ज़्यादा हो गया है. दुवा तो मैं करती हूँ कि मेरे हिस्से की सारी ख़ुसीया अल्लाह तुम्हे दे दे.”

“बस-बस अब और मत रुलाओ मुझे. जाओ अपने आदित्य के पास. और तुम दोनो मुझे भूल मत जाना. मिलते रहना मुझसे. तुम दोनो से कोई गिला शिकवा नही है अब. बल्कि प्यार है तुम दोनो से. जाओ अब मैं बहुत भावुक हो रही हूँ.”

ज़रीना ने सिमरन को गले लगा लिया और बोली, “काश दंगो में मर जाती मैं तो तुम्हे कोई भी तकलीफ़ नही होती.”

“बस थप्पड़ मारूँगी तुम्हे मैं अब. दुबारा मत कहना ऐसा.”

आदित्य ये सब देख कर रोक नही पाया खुद को और आ गया दोनो के पास.

आदित्य को देख कर सिमरन बोली, “आप ज़रीना का ख्याल रखना. पता नही कैसा नाता जुड़ गया है इसके साथ. इसे हमेशा खुश रखना. ये खुश रहेगी तो मैं भी खुश रहूंगी. कोई तकलीफ़ नही होनी चाहिए मेरी ज़रीना को.”

ये सुन कर आदित्य की आँखे नम हो गयी और वो भावुक आवाज़ में बोला, “थॅंक यू सिमरन. थॅंक यू वेरी मच…कुछ नही सूझ रहा कि क्या कहूँ तुम्हे.”

“कुछ कहने की ज़रूरत नही है. ये बताओ की शादी कर चुके हो या करने वाले हो?”

ज़रीना, सिमरन से अलग हुई और बोली, “ये तुम तैय करोगी अब कि हम कब शादी करें.”

“मेरी तरफ से तो आज कर लो…”

“सिमरन तुम्हारे पेरेंट्स तो कोई समस्या नही करेंगे ना. कोई क़ानूनी उलझन तो पैदा नही करेंगे ना.”

“वो सब मुझ पर छ्चोड़ दो. और क़ानूनी अड़चन कोई नही है तुम्हारे सामने. बाल-विवाह को कोर्ट नही मानता. सिर्फ़ एक अप्लिकेशन से अन्नुलमेंट हो जाएगा. तुम दोनो बिना किसी चिंता के शादी करो. कोई दिक्कत नही आने दूँगी मैं. बाल-विवाह का कोई लीगल स्टेटस नही है.”

“बहुत जानकारी है लॉ की तुम्हे?” आदित्य ने कहा.

“लॉ स्टूडेंट हूँ ना. इश्लीए” सिमरन ने हंसते हुवे कहा.

“चाचा, चाची छोड़ने नही आए?”

“नही वो लोग आ रहे थे पर मैने ही मना कर दिया. अच्छा मैं लेट हो रही हूँ. कही फ्लाइट मिस ना हो जाए.” सिमरन ने कहा

“हां-हां तुम निकलो…हम मिलते रहेंगे.” ज़रीना ने कहा.

सिमरन ने ज़रीना के माथे को चूमा और बोली, “गॉड ब्लेस्स यू. हमेशा खुश रहना. किसी बात की चिंता मत करना.”

सिमरन ने आदित्य की तरफ देखा और बोली, “आप भी अपना और ज़रीना दोनो का ख़याल रखना.”

“बिल्कुल आपका हुकुम सर आँखो पर.” आदित्य ने हंसते हुवे कहा.

सिमरन चल पड़ी दोनो को वही छ्चोड़ कर. आदित्य और ज़रीना दोनो उसे जाते हुवे देखते रहे.

क्रमशः...............................
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Ek Anokha Bandhan--25

gataank se aage.....................

Aditya ne bina vakt gavaayein apne hont zarina ke thirakte labon par tika diye. Zarina sar se lekar paanv tak sihar uthi… aisa lag raha tha jaise ki aditya ne shitaar ke taar ched diye hon.

Dono ke hont dahakte angaaron ki tarah ek dusre se takra rahe the. Dono ke pyar ka pahla chumban unke pyar ki hi tarah advitya aur shunder tha. vakt jaise tham sa gaya tha. bahut der tak deewano ki taraf chumte rahe dono.

Dono ko aisa chumban karne ka pura adhikaar tha. pyar jo karte the beinteha ek dusre ko. Honto ki bhaasa bhi bahut pyari hoti hai. ishe bhi hont hi bolte hain aur hont hi shunte hain. Chumban ke un palon mein dono ke hont bahut kuch kah rahe the ek dusre ko. Labon ki har harkat kuch kahti thi jishe dono apni aatma ki gahraayi tak mahsus kar rahe the.

Vaise to kuch bhi aur kahna mushkil ho raha hai dono ke ish pahle chumban ke baare mein. Magar itna jaroor kah sakta hun ki pyar hi pyar tha dono ke beech chumbab ke un palon mein jo ki dono ke pyar ko ek aur gahraayi de raha tha. ye baat kiss karte vakt dono hi bakhubi samajh rahe the.

Chumban mein leen zarina aur aditya deen duniya sab kuch bhool gaye the. Vakt ka ahsaas bhi kho gaya tha. vo chumban kishi meditation se kam nahi tha. jish tarah meditation mein leen ho kar hum apne ander bahut gahraayi mein utar jaate hain theek ushi tarah zarina aur aditya apne ander bhi utar gaye the aur ek dusre ki aatma ko bhi chu rahe the. Ye ek advidya ghatna thi. vaise ye pyar karne walo ke saath roj hoti hai.

Jab dono ki saanse ukhadne lagi to ek dusre se alag huve. Dono ki aankhe nam thi aur saanse bahut tej chal rahi thi. ek dusre ki baahon mein bane huve the dono aur bade pyar se ek dusre ko dekh rahe the. Saanse ek dusre se takra rahi thi.

“zarina chaahe kuch ho jaaye…mujhse juda hone ki baat sochna bhi mat. Tum jaanti ho na…mar jaaunga tumhaare bina main.”

“oh aditya please aisa mat kaho…..”

Dono ne ek dusre ki aankho mein dekha. Aankho hi aankho mein jaane kya baat huyi. Dono ki aankhe nam ho gayi dekhte-dekhte aur achaanak dono ke hont phir se khud-b-khud ek dusre se jud gaye. Ye

Kishi ne sach hi kaha hai, bhaavnaao mein bah kar do premiyon mein jo pyar hota hai vo hosh mein rahkar kabhi nahi ho sakta. Pyar ki gahraayi mein utarne ke liye deewanepan ki bahut jaroorat hoti hai.

Achaanak aditya ko kuch dhyaan aaya aur ushne zarina ke honto se apne hont hata liye. “haath par kya kiya tumne?”

“chaaku se cheer diya tha.”

“paagal ho gayi thi kya tum… ruko main abhi aata hun.”

“aditya kahi mat jaao please…ho jaayega theek apne aap.”

Aditya ne zarina ki baat ko anshuna kar diya aur kamre se baahar aa gaya. kuch der baad vo vaapis aa gaya. vo chemist se marham-patti le aaya tha.

“laao haath aage karo.”

“nahi dettole mat lagaana bahut jalan hoti hai ish se….please” zarina chote bachche ki tarah gidgidaayi.

“haath cheerte vakt sochna chaahiye tha ye…ye lagaana jaroori hai. laao haath aage karo.”

“nahi please…” zarina gidgidaayi.

Aditya ne haath pakda jabardasti aur ghaav ko dettole se saaf kiya.

“aaahhhh….dheere se bahut jalan ho rahi hai.”

“dubaara aisa mat karna kabhi…samjhi”

“samajh gayi.” Zarina ne maasumiyat se kaha.

Dettole se ghaav saaf karne ke baad aditya ne betadine lotion laga kar patti baandh di haath par. “sab theek ho jaayega.”

“aditya main simran se milna chaahti hun.”

“chhodo ab zarina…kya apni aur jyada bejati karvana chaahti ho.”

“simran ne mujhe kuch nahi kaha aisa aditya. Mujhe ush se milkar sorry to bolna chaahiye na. please kuch karo…main ush se milna chaahti hun.”

“vo to delhi ke liye nikal rahi thi. shaayad airport pahunch bhi gayi ho.”

“to hum airport hi chalte hain. Vahi mil lenge.”

“theek hai phir chalo jaldi…vaise tumhaara sorry bolna nahi banta hai kyonki saari galti meri hai. phir bhi tum kahti ho to chalo.”

Dono turant hotel se baahar aaye aur airport ke liye taxi lekar chal diye. Jaise hi vo dono airport pahunche simran apni taxi se utar rahi thi. aditya ki nazar ush par pad gayi.

“vo rahi simran. Acha huva ki yahi baahar hi mil gayi..aao jaldi” aditya ne zarina se kaha.

Vo dono turant taxi se nikal kar simran ki taraf badhe.

“simran!” aditya ne awaaj di.

Simran chonk kar ruk gayi aur peeche mud kar dekha. Zarina aur aditya ushki taraf badhe aa rahe the.

“simran…kya thodi der ruk sakti ho, zarina tumse kuch baat karna chaahti hai.” aditya ne kaha

Simran ne zarina ki taraf dekha. Dono ne aankho hi aankho mein kuch kaha. Zarina ki aankho mein request thi aur simran ki aankhon mein ush request ke liye manjoori.

“haan sure…” simran ne kaha.

Zarina ne aditya ko vaha se dur jaane ka ishaara kiya. Aditya baat samajh kar vaha se hat gaya.

Zarina simran ke karib aayi aur boli, “mujhe maaf kar do simran. Tumhaara haq anjaane mein cheen liya maine. Agar koyi saja dena chaaho to de do mujhe. Khusi-khusi sah lungi. Apne pyar ki kasam kha kar kahti hun ki marne ke liye nikli thi vaha se. par pata nahi kyon mar nahi paayi. Ye jeendagi aditya ne di hai mujhe. Ushe hi haq hai ishe lene ka. Haan par ek haq tumhe bhi hai. mujhe jo saja dena chaahe de do. Par please mujhe maaf kar do.

Mujhe sach mein nahi pata tha ki aditya pahle se shaadi shuda hai varna main hargiz dil nahi lagaati aditya se. aur simran main kishi laalach ke kaaran aditya ke saath nahi hun. bas ek hi laalach hai, vo hai apni jeendagi ka. Jee nahi sakti aditya ke bina. Ishiliye aaj marne ja rahi thi. ab tum bataao meri kya saja hai”

Simran ne zarina ke chehre par haath rakha aur boli, “tumhe aaj itna kuch shun-na pada vaha ush kamre mein. Vo saja kya kam thi jo aur maang rahi ho. Tum jab aditya ko thappad maar kar vaha se gayi to mujhe realise huva ki hum log kya paap kar rahe the. Kitna gir gaye the hum sab. Mujhe khud na jaane kya ho gaya tha. shaayad chachi ji aur nisha ki baaton ka asar tha mujh par. Maafi to mujhe maangni chaahiye tumse. mere kaaran tumhe itna apmaan sahna pada. Kya kuch nahi shuna tumne aaj. Three women were destroying the character of one women, nothing can be more painfull than this.”

“simran tumhe mere dukh ka ahsaas huva aur mujhe kya chaahiye. Magar ish se mera gunaah kam nahi ho jaata. Anjaane mein hi sahi par gunaah to huva hai mujhse. Pata nahi main kaise maaf karungi khud ko.” Zarina ne kaha.

“pyar karti ho na aditya se…to khud ko gunahgaar mat maano tum. Pyar khuda ki den hai aur ye kishi bhi haalat mein gunaah nahi ho sakta. Tum apne dil se ye baat nikaal do ki mera kuch cheen liya tumne. Haan pahle-pahle mujhe bhi yahi lag raha tha. magar ag jab tum dono ka pyar dekha to samajh mein aaya ki asal mein pyar kya hai. main to aditya se ek tarfa pyar karti hun. aditya ki aankho mein maine apne liye kuch nahi dekha. Balki mere liye utni concern bhi nahi dekhi jitni tumhaari aankho mein hai. aise mein main unke gale mein pad jaaun 7 saal pahle huyi shaadi ka vaasta de kar to bilkul galat hoga. Jabardasti rishte nibhaaye ja sakte hain zarina koyi badi baat nahi hai. aisa bahut log kar rahe hain duniya mein. Magar jabardasti banaaya huva rishta kabhi pyar ka vo phool nahi khila paayega jishki ki ek pati patni ke rishte mein sambhaavna hoti hai. aditya ki nazro mein tumhaare liye beinteha pyar dekha hai maine. Tum dono ka saath likha hai bhagvaan ne. jaao dono khuss raho. Bhagvaan meri saari khusiyan tum dono ko de de.” Aankhe tapak gayi simran ki ye aakhri kuch lines bolte huve.

Zarina ne fauran simran ke honto par haath rakh diya, “bas…tumhaari aur koyi khusi nahi chaahiye hamein. Jitna liya hai…vahi bahut jyada ho gaya hai. duva to main karti hun ki mere hisse ki saari khusiya allaah tumhe de de.”

“bas-bas ab aur mat rulaao mujhe. Jaao apne aditya ke paas. Aur tum dono mujhe bhool mat jaana. Milte rahna mujhse. Tum dono se koyi gila shikva nahi hai ab. Balki pyar hai tum dono se. jaao ab main bahut bhaavuk ho rahi hun.”

Zarina ne simran ko gale laga liya aur boli, “kaash dango mein mar jaati main to tumhe koyi bhi takleef nahi hoti.”

“bas thappad maarungi tumhe main ab. Dubara mat kahna aisa.”

Aditya ye sab dekh kar rok nahi paaya khud ko aur aa gaya dono ke paas.

Aditya ko dekh kar simran boli, “aap zarina ka khyaal rakhna. Pata nahi kaisa naata jud gaya hai ishke saath. Ishe hamesa khuss rakhna. Ye khuss rahegi to main bhi khuss rahungi. Koyi takleef nahi honi chaahiye meri zarina ko.”

Ye shun kar aditya ki aankhe nam ho gayi aur vo bhaavuk awaaj mein bola, “thank you simran. Thank you very much…kuch nahi sujh raha ki kya kahun tumhe.”

“kuch kahne ki jaroorat nahi hai. ye bataao ki shaadi kar chuke ho ya karne wale ho?”

Zarina, simran se alag huyi aur boli, “ye tum taiy karogi ab ki hum kab shaadi karein.”

“meri taraf se to aaj kar lo…”

“simran tumhaare parents to koyi samashya nahi karenge na. koyi kaanuni uljhan to paida nahi karenge na.”

“vo sab mujh par chhod do. Aur kaanuni adchan koyi nahi hai tumhaare saamne. Baal-vivaah ko court nahi maanta. sirf ek application se annulment ho jaayega. Tum dono bina kishi chinta ke shaadi karo. Koyi dikkat nahi aane dungi main. Baal-vivaah ka koyi legal status nahi hai.”

“bahut jaankaari hai law ki tumhe?” aditya ne kaha.

“law student hun na. ishliye” simran ne hanste huve kaha.

“chacha, chachi chodne nahi aaye?”

“nahi vo log aa rahe the par maine hi mana kar diya. Atcha main late ho rahi hun. kahi flight miss na ho jaaye.” Simran ne kaha

“haan-haan tum niklo…hum milte rahenge.” Zarina ne kaha.

Simran ne zarina ke maathe ko chuma aur boli, “god bless you. Hamesha khuss rahna. Kishi baat ki chinta mat karna.”

Simran ne aditya ki taraf dekha aur boli, “aap bhi apna aur zarina dono ka khayaal rakhna.”

“bilkul aapka hukum sar aankho par.” Aditya ne hanste huve kaha.

Simran chal padi dono ko vahi chhod kar. Aditya aur zarina dono ushe jaate huve dekhte rahe.

kramashah...............................
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Re: एक अनोखा बंधन

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एक अनोखा बंधन--26

गतान्क से आगे.....................

सिमरन और ज़रीना की ये मुलाक़ात और उनकी वो बातें किसी चमत्कार से कम नही थी. काई बार चमत्कार हमें वाहा देखने को मिलता है जहा पर उसकी उम्मीद तक नही होती. सिमरन चली गयी थी एरपोर्ट के अंदर. मगर जाते जाते ज़रीना और आदित्य के लिए एक शुकून भरी जींदगी छ्चोड़ गयी थी. वो दोनो अब बिना गिल्ट के साथ रह सकते थे. सिमरन ने ना बल्कि दोनो को माफ़ किया था बल्कि खुले दिल से दोनो के प्यार को स्वीकार भी किया था. ये किसी चमत्कार से कम नही था.

जींदगी में जब तूफान आता है तो इंसान का सुख चैन सब कुछ छीन कर ले जाता है. मगर तूफान हमेशा नही रहता. तूफान के बाद शांति भी आती है.

सिमरन के जाने के बाद ज़रीना और आदित्य कुछ देर तक एक दूसरे की तरफ देखते रहे. दोनो की आँखो में शुकून था और चेहरे पर शांति के भाव थे. तूफान के थमने के बाद अक्सर इंसान को एक अद्भुत शांति की अनुभूति होती है. कुछ ऐसा ही ज़रीना और आदित्य के साथ हो रहा था.

“चले होटेल वापिस…मेरे होन्ट बेचैन हो रहे हैं.”

“क्या मतलब?” ज़रीना ने हैरानी में पूछा.

“हमारी पहली किस कितनी प्यारी थी ना. खो गये थे हम एक दूसरे में.” आदित्य ने मुश्कूराते हुवे कहा.

“प्लीज़ ऐसी बाते मत करो वरना तुम्हारे साथ होटेल जाना मुश्किल हो जाएगा.” ज़रीना शर्मा गयी किस की बात पर. उसके चेहरे पर उभर आई शरम की लाली देखते ही बनती थी.

“कितनी देर तक किस की थी हमने. तुम्हारे होन्ट तो अंगरों की तरह तप रहे थे. तुम्हारे होंटो की तपिस से मेरे होन्ट झुलस गये हैं क्या तुम्हे खबर भी है.”

“प्लीज़ आदित्य और कुछ मत कहो मैं सुन नही पाउन्गि.” ज़रीना ने अपने सीने पर हाथ रख कर कहा.

“ये नया रूप देखा तुम्हारा जो की बहुत सुंदर है. मुझे नही पता था कि मुझे गमले और हॉकी से मारने वाली शर्मा भी सकती है.” आदित्य ने ज़रीना को कोहनी मार कर कहा.

“आदित्य अब बस भी करो.”

“ठीक है…मैं टॅक्सी बुलाता हूँ. डिन्नर होटेल में ही करेंगे.”

आदित्य ने एक टॅक्सी रोकी और दोनो उसमें बैठ कर होटेल की तरफ चल दिए. रास्ते भर ज़रीना गुमशुम रही. कभी-कभी आदित्य की तरफ देख कर हल्का सा मुश्कुरा देती थी. मगर ज़्यादातर वो चुपचाप और खोई-खोई सी रही. आदित्य जान गया था की कोई बात ज़रीना को परेशान कर रही है. पर उसने टॅक्सी में कुछ पूछना सही नही समझा. उसने तैय किया की वो होटेल जा कर ही ज़रीना से बात करेगा.

प्यार में एक दूसरे के चेहरे पर हल्की सी शिकन भी बर्दास्त नही कर पाते प्रेमी. यही वो चीज़ है जो रिश्ते में और ज़्यादा गहराई और सुंदरता लाती है. एक दूसरे की चिंता और फिकर ही वो इंसानी जज़्बा है जो प्रेमी जोड़ो में कूट-कूट कर भरा होता है.

होटेल के रूम में घुसते ही आदित्य ने ज़रीना का हाथ पकड़ लिया और बोला, “तुम कुछ परेशान सी हो जान. बात क्या है?. क्या मुझसे कोई भूल हो गयी है.”

“नही आदित्य तुमसे कोई भूल नही हुई है. बस वक्त ही कुछ अज़ीब है.” ज़रीना ने कहा.

“मैं कुछ समझा नही जान…खुल कर बताओ ना क्या बात है.”

“आदित्य…मैं शादी किए बिना वापिस अपने घर नही जाना चाहती. लोगो की नज़रो का सामना और नही कर सकती मैं. ऐसा लगता है जैसे की मैं कोई गुनहगार हूँ.”

“अरे अब तो सब सॉल्व हो गया. शादी में ज़्यादा देरी नही होगी. मैं गुजरात पहुँचते ही किसी वकील से मिल कर कोर्ट में अप्लिकेशन लग्वाउन्गा.”

“कोर्ट के फ़ैसले कितनी जल्दी आते हैं ये तुम भी जानते हो और मैं भी. जब तक ये क़ानूनी अड़चन दूर नही होगी हमारी शादी नही हो सकती. तब तक अपने ही घर में रहना मेरे लिए मुश्किल रहेगा. तुम नही जानते मैं कैसे लोगो की नज़रो का सामना करती हूँ. एक तो मेरा मुस्लिम होना ही गुनाह है उपर से लड़की हूँ…लोगो की नज़रो में नफ़रत और गली होती है मेरे लिए. तुम ही बताओ कैसे वापिस जाउन्गि मैं वाहा.” ज़रीना सूबक पड़ी बोलते-बोलते.

“समझ सकता हूँ जान. तुम्हारे किसी भी दर्द से अंजान नही हूँ मैं. जो बात तुम्हे दुख पहुँचाती है वो मेरे तन बदन में भी हलचल मचा देती है. तुम चिंता मत करो सब ठीक हो जाएगा.”

“पर सब ठीक होने तक मैं कैसे रह पाउन्गि तुम्हारे साथ.”

“तो क्या मुझे छ्चोड़ कर जाना चाहती हो कही.”

“नही ऐसा तो मैं सपने में भी नही सोच सकती. रहूंगी तुम्हारे साथ ही चाहे कुछ हो जाए.”

“इस दुनिया की चिंता करेंगे तो जीना मुश्किल हो जाएगा. छ्चोड़ो इन बातों को. मैं देल्ही जा कर आउट ऑफ कोर्ट सेटल्मेंट की बात करूँगा सिमरन के घर वालो से. शायद बात बन जाए. सिमरन तो हमारे साथ है ही.”

“हां कुछ ऐसा करो की हम जल्द से जल्द शादी के बंधन में बँध जायें.”

“मैं तुम्हे तुम्हारे अहमद चाचा के यहा छ्चोड़ कर देल्ही चला जाउन्गा.”

“अकेले तो तुम्हे कही नही जाने दूँगी मैं. चाहे कुछ हो जाए.”

“अच्छा बाबा तुम भी साथ चलना.”

“वो तो चलूंगी ही.”
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Re: एक अनोखा बंधन

Post by rajaarkey »

“अरे यार हमने ये सब पहले क्यों नही सोचा. हम सिमरन के साथ ही देल्ही जा सकते थे. चलो कोई बात नही कल चल देंगे हम देल्ही. सही कहा तुमने ये मामला कोर्ट में अटक गया तो हमारी शादी अटक जाएगी...कोर्ट के बिना ही ये मसला हल करना होगा. अब जबकि सिमरन हमारे साथ है तो कोई ज़्यादा दिक्कत नही होनी चाहिए.”

ज़रीना हल्का सा मुश्कुराइ मगर अगले ही पल उसके चेहरे पर फिर से शिकन उभर आई.

“अब क्या हुवा जान. कोई और बात भी है क्या जो तुम्हे परेशान कर रही है.”

“नही और कुछ नही है चलो खाना खाते हैं.”

“नही कुछ तो है. तुम्हारे चेहरे पर ये शिकन इशारा कर रहा है कि कुछ और बात भी है जो की तुम्हे अंदर ही अंदर खाए जा रही है.”

“नही तुम्हे दुख होगा रहने दो.”

“बोलो ना क्या बात है जान. इस प्यारे रिश्ते में अब कोई भी बात पर्दे के पीछे नही रहनी चाहिए. बोलो ना प्लीज़ क्या बात है?”

“हमारे बीच शादी से पहले ही सेक्स शुरू हो गया. मेरे अम्मी-अब्बा ज़िंदा होते आज अगर और उन्हे इस बारे में पता चलता तो वो मुझे जान से मार देते.” ज़रीना नज़रे झुका कर बोली.

“क्या कहा तुमने सेक्स शुरू हो गया हाहहहाहा….. इस से ज़्यादा लोटपोट कर देने वाला चुटकुला नही सुना मैने कभी. अरे पागल हमने भावनाओं में बह कर बस किस ही तो की है एक दूसरे को. वो किस सेक्स के दायरे में नही आती.”

“तुम्हे क्या मैं बेवकूफ़ लगती हूँ या फिर तुम्हे ये लगता है कि मेरा दिमाग़ खिसका हुवा है. मेरे मज़हब ने मुझे शादी से पहले किसी बात की इज़ाज़त नही दी. किस तो बहुत बड़ी बात होती है.”

“हां मानता हूँ जान. शादी से पहले सेक्स में उतर जाना ग़लत है. पर हमारी किस पवित्र थी. उस पर कोई इल्ज़ाम बर्दास्त नही करूँगा मैं.”

“सॉरी आदित्य मेरी परवरिश ऐसे माहॉल में हुई है जहा शादी से पहले सेक्स से जुड़ी हर चीज़ को ग्लानि से देखा जाता है.” ज़रीना ने कहा.

“तो क्या तुम हमारी किस को अब ग्लानि से देख रही हो?”

“नही मैं ये पाप भी नही कर सकती क्योंकि इस प्यार में वो अब तक का सबसे हसीन पल था मेरे लिए. ऐसा लग रहा था जैसे मैं तुम्हारे बाहुत करीब पहुँच गयी हूँ.”

“और क्या तुमने एक बात नोट की.”

“कौन सी बात.”

“तुमने कहा था कि मुझे चुंबन लेना नही आता मगर तुम्हारे होन्ट तो खूबसूरत चुंबन की एक दास्तान लिख रहे थे मेरे होंटो पर.”

ज़रीना का चेहरा लाल हो गया ये सुन कर. वो कुछ देर खामोश रही. फिर अचानक नज़रे आदित्य के कदमो पर टिका कर बोली, “हमने कुछ ग़लत तो नही किया ना आदित्य.”

“मैं तो इतना जानता हूँ ज़रीना कि प्यार भगवान है. अगर इस प्यार में बह कर हम कुछ कर बैठे तो वो हरगिज़ ग़लत नही हो सकता. बल्कि मैं तो बहुत खुश हूँ उस चुंबन के बाद. रह रह कर मेरे होंटो पर मुझे अभी तक तुम्हारे होंटो की छुवन महसूस हो रही है. बहुत प्यारा अहसास मिला है जींदगी में ये.”

“अच्छा खाना मॅंगा लो. भूक लग रही है.”

“एक बात तो तुम्हे बतानी ही पड़ेगी. चुंबन लेना कहा से सीखा तुमने.”

“हटो…मैं इस बात को लेकर परेशान हूँ और तुम्हे मज़ाक सूझ रहा है.”

“उस वक्त तो तरह-तरह से मेरे होंटो से खेल रही थी अब परेशान हो रही हो हहेहहे. मेरी ज़रीना गिरगिट की तरह रंग बदलती है.”

“आदित्य अब तुम्हारी खैर नही…” ज़रीना ने कहा. प्यार भरा गुस्सा था उसकी आवाज़ में.

आदित्य भाग कर टाय्लेट में घुस्स गया और कुण्डी लगा ली.

“निकलो बाहर. तुम्हारी जान ले लूँगी मैं आज.”

“उस से पहले खाना खिला दो मुझे. खाने का ऑर्डर कर दो. मैं नहा कर ही निकलूंगा बाहर अब हाहहाहा.”

ज़रीना पाँव पटक कर रह गयी.

क्रमशः...............................
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