मायाजाल

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jay
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गुरदासपुर । प्रकृति की अदभुत सुन्दरता और पंजाब की मिट्टी से उठती सोंधी सोंधी खुशबू को देखकर निश्चित ही कोई भी कह सकता था कि प्रकृति की देवी प्रथ्वी के इस हिस्से पर खास मेहरवान ही है ।
हरे भरे खेतों में लहराती युवा अल्हङ मदमस्त जवानी सी फ़सलें बुझे दिलों की भी उमंगे जवान करने वाली थी । इस इलाके की आबादी औसत यानी न बहुत कम और न बहुत ज्यादा थी । अधिकतर जनता खेती बाङी करती थी । और किसी न किसी रूप में खेती से जुङी थी । झूठी 21 सेंचुरी की आधुनिक कल्पना के मुँह पर करारा तमाचा सा मारते हुये यहाँ अधिकतर घरों में अभी भी गाय भैंसे आराम से देखी जा सकती थी ।
गुरुदासपुर की औरतें पूरे पंजाब में सबसे खूबसुरत होती हैं । शुद्ध हवा पानी और स्वस्थ जीवन का मूलमन्त्र असली शुद्ध घी दूध दही छाछ लस्सी का प्रचुर मात्रा में सहज उपलब्ध होना । उन्हें भरपूर औरत में बदल देता था । और इसीलिये पंजाब की हर छोरी एकदम तेजी से जवानी की ओर बढती थी । मानों पतंग की तरह बङती ही चली जा रही हो ।
सुन्दर चेहरे भरे हुये शरीर और लम्बे कद की औरतें इस क्षेत्र की पहचान थी । उनके गोल तीखे नोकीले उन्नत उरोज किसी के भी दिल को डांवाडोल कर सकते थे । चलते समय थिरकते उनके विशाल नितम्ब नारी सौंदर्य के मनमोहिनी रूप को रेखांकित करते थे ।
पंजाब के ज्यादातर लोग 1947 के बाद पाकिस्तान बनने के बाद यहाँ भारत आकर बसे थे । इसलिये इन लोगों यानि इनकी नस्ल पर पाकिस्तानी प्रभाव स्पष्ट नजर आता है ।

इसी गुरुदास पुर के एक इलाके में वह एक खूबसूरत सुबह थी । बदन को हौले हौले सहलाती हुयी सी ठण्डी हवा धीरे धीरे बह रही थी । कालेज जाने वाले लङके लङकियों के समूह सङक पर नजर आ रहे थे । तभी एक कार में फ़ुल वाल्यूम पर बजता स्टीरियो में मीका का गाना इस मदमस्त फ़िजा को मानों और भी रोमांटिक कर गया । और लहराती हुयी वह कार सङक पर जाती दो युवा लङकियों को मानों चूमती हुयी सी गुजरी - सावण में लग गयी आग । दिल मेरा फ़ाग..सुण ओ हसीणा पागल दिवाणी.. आज न सोया सारी रात दिल मेरा फ़ाग..।
- आऊऽऽच ..ओये सालिया..भैण के..। जस्सी एकदम बौखलाकर बोली - ऊपर ही चढाये दे रहा है । हरामी साला ।
जस्सी यानि जसमीत कौर । जसमीत कौर बराड उर्फ़ जस्सी 1 बेहद सुन्दर और जवान लडकी थी । और अभी सिर्फ़ 20 साल की थी । उसका कद 5 फ़ीट 8 इंच था । और शरीर 36-29-36 के नाप में दिलकश अन्दाज में ढला हुआ था । वह इतनी सुन्दर थी कि अगर फ़िल्मों में होती । तो शायद सभी हीरोइनों की छु्ट्टी ही कर देती ।
जस्सी लडकियों के कालेज में पढती थी । उसका चेहरा भरा हुआ और गोल था । उसके नैन नक्श बहुत तीखे थे । उसकी आँखे एकदम हरी और खूब बङी बङी थी । जस्सी के उभरे और विशाल नितम्ब चलते वक्त कम्पन सा करते थे । उसकी त्वचा बहुत ही चिकनी थी । और इस तरह वह 1 तरह से शुद्ध नेचुरल ब्यूटी ही थी । उसके काले घने लम्बे बाल थे । जिनका वह महिलाओं की तरह पीछे की तरफ़ जूङा लगाती थी । वह कालेज जाते वक्त ऊँची ऐडी के सैंडल पहनती थी । कालेज आदि जाने हेतु जस्सी को उसके बाप ने नया स्कूटर लाकर दिया था । उसकी गोरी गोरी टांगे और पिण्डलियाँ बेहद तन्दुरस्त थी । उसकी कमर मजबूत थी । उसका पेट एकदम सपाट और उसकी पीठ भरी हुई और मांसल थी । उसकी बाहें लम्बी और मुलायम थी । उसके हाथ बहुत सुन्दर थे । उसकी गरदन लम्बी चिकनी और सुराहीदार थी । उसके स्तन बिलकुल गोल और तीखे थे । वह अक्सर ही कसे हुए पंजाबी सूट पहनती थी । कभी कभार बेहद टाइट जीन्स भी पहनती थी । वह एक अच्छे खाते पीते जमींदार परिवार की 1 ही बेटी थी । उसका कोई बहन भाई नहीं था । इसलिये उसके माँ बाप उसे जरुरत से ज्यादा प्यार करते थे । घर में गाय भैंसे होने से और बचपन से ही जस्सी को घर का दूध । मक्खन । दही । लस्सी । मलाई मिलने से उसका शरीर बहुत विकसित हो गया था । उसके शरीर में 1 नेचरल निखार आ गया था । उसकी खूबसूरती में 1 नेचरल आकर्षण था ।
- क्या हुआ ? उसके साथ चल रही गगन एकदम से चौंककर बोली - कौन था ?
जस्सी के साथ चल रही लङकी का नाम गगन कौर था । उसके बाप का मुर्गे बेचने का बिजनेस था । उसके बाप की दुकान का नाम " न्यू चिकन कार्नर " था । जिसके चलते लोग मजाक में उसे " न्यू चिकन वाली " कहकर बुलाते थे ।
गगन कौर उर्फ़ न्यू चिकन कार्नर वाली की फ़िगर का नाप 34-28-34 था । और कद 5 फ़ीट 6 इंच था ।
उसके बाप का नाम गुरमीत सिंह था । उसकी माँ मर चुकी थी । इसलिये वह एकदम आवारा सी हो गयी थी । उसका 1 भाई था । जिसका नाम चरनदीप सिंह था ।
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( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).


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jay
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ओये गगन ! क्या पूरी बेबकूफ़ ही है तू । जस्सी झुँझलाकर बोली - तू कौन से ख्यालों में खोयी रहती है । ऐसे तो कोई मुण्डिया किसी दिन तेरी पप्पिया झप्पियाँ कर देगा । और तू यही बोलेगी । क्या हुआ । ओये होश कर कुडिये होश ।
- हाये ! गगन ने चलते चलते उसके पीछे हाथ मारा - तेरे मुँह में गुलाब जामुन । कब लेगा वो मेरी । पप्पियाँ झप्पियाँ ।
उसके बेतुके सेक्सी जबाब पर जस्सी खिलखिला उठी । गगन बङी मस्त जवानी थी । उसके ख्वावों ख्यालों सोते जागते खाते पीते में हर वक्त एक ही तस्वीर बनती थी । लङके और रोमांस । ओनली LOL
पढाई में भी उसका खास दिल नहीं लगता था । टीचर जब ब्लैक बोर्ड पर कुछ समझा रहा होता था । वह बगल वाली लङकी से दबे स्वर में सेक्सी जोक सुन रही होती थी । जोक सुनकर उसे उत्तेजना होती थी । और तब वह जस्सी के नितम्ब पर चिकोटी काटती थी । और जगह जगह उसको कामुक स्पर्श करती थी । पढाई में दिल लगाती जस्सी कसमसा कर रह जाती थी ।
पर वह यहीं पर बस नहीं करती थी । वही जोक वह जस्सी को रास्ते में सुनाती थी । और उसकी काम भावनायें भङका देती थी ।
- गगन ! अचानक जस्सी कुछ सोचती हुयी बोली - तू ऐसा क्यों नहीं करती । तेरे पापा को बोल । तेरी जल्दी शादी करा दें । क्यूँ तरसती रहती है ।
- ओ माय जस्सी । जस्सी डार्लिंग ! वह एकदम मचलकर बोली - तू मेरा ये काम कर दे । तू ही मेरे पापा को बोल । लेकिन ऐसा न हो । ऐसा न हो कि कुछ और बात कर दो । नहीं तो मैं नाराज हो जाऊँगी । उदास हो जाऊँगी । निराश हो जाऊँगी । मैं रो पङूँगी । गुस्से में आकर उसका... काट दूँगी । टुईं.. टुईं । आई लव यू दूल्हे राजा ।
तभी सहसा ही जस्सी को हल्का हल्का सा चक्कर आने लगा । पूरा बाजार उसे गोल गोल घूमता सा प्रतीत हुआ । सङक पर चलते लोग । वाहन । दुकानें । सभी कुछ उसे घूमता हुआ सा नजर आने लगा । फ़िर उसे लगा । एक तेज आँधी सी चलने लगी । और सब कुछ उङने लगा । घर । मकान । दुकान । लोग । वह । गगन । सभी तेजी से उङ रहे हैं । और बस उङते ही चले जा रहे हैं ।
उसके साथ साथ चलती हुयी गगन उसकी बदली हालत से अनभिज्ञ थी । और अभी भी अपनी रौ में कुछ न कुछ बके जा रही थी । उसके नितम्बों पर हाथ मार देती थी । पर जस्सी को मानों कोई होश ही नहीं था । वह किसी रोबोट की भांति चले ही जा रही थी ।
और फ़िर यकायक जस्सी की आँखों के सामने दृश्य बदल गया । वह तेज तूफ़ान उन्हें उङाता हुआ एक भयानक जंगल में छोङ गया । फ़िर एक गगनभेदी धमाका हुआ । और आसमान में जोरों से बिजली कङकी । इसके बाद तेज मूसलाधार बारिश होने लगी । वे दोनों जंगल में भागने लगी । पर क्यों और कहाँ भाग रही हैं । ये उनको भी मालूम न था । बिजली बारबार जोरों से कङकङाती थी । और आसमान में गोले से दागती थी । हर बार पानी दुगना तेज हो जाता था ।
फ़िर वे दोनों बिछङ गयीं । और जस्सी एक दरिया में फ़ँसकर उतराती हुयी बहने लगी । तभी उसे उस भयंकर तूफ़ान में बहुत दूर एक साहसी नाविक मछुआरा दिखायी दिया । जस्सी उसकी ओर जोर जोर से बचाओ कहती हुयी चिल्लाई । और फ़िर गहरे पानी में डूबने लगी ।
सङक पर चल रही जस्सी का सिर तब बहुत जोर से चकराया । और वह बचाओ बचाओ चीखती हुयी लहराकर गिर गयी । अपनी धुन में मगन गगन कौर के मानों होश ही उङ गये । उसे अचानक कुछ नहीं सूझ रहा था । वह तो बस बेजुबान सी जस्सी के पास इकठ्ठी हुयी पब्लिक को देखे जा रही थी । लोग उससे क्या पूछ रहे हैं । और वह उसका क्या जबाब दे रही है । उसको ये भी होश नही था ।

गोल बवंडर शून्य 0 स्थान में जस का तस थमा हुआ था । और अब उसकी मुश्किल और भी दुगनी हो गयी थी । जब जिसकी वजह से वह सब क्रिया हो रही थी । उसे ही कुछ मालूम नहीं था । तब फ़िर उसका कोई इलाज उसके पास क्या होता ।
- दाता ! उसने आह भरी - तेरा अन्त न जाणा कोय ।
अब सब कुछ संभालना उसका ही काम था । अगर कोई छोटी बङी शक्ति के स्वयँ जान में ये घटना हो रही थी । तब बात एकदम अलग थी । और अब बात एकदम अलग । उसने अन्दाजा लगाया । प्रथ्वी पर सुबह हो चुकी होगी । तब जस्सी को लेकर बराङ परिवार में क्या भूचाल मचा होगा । जस्सी मरी पङी होगी । वह भी मरा पङा होगा । कहीं ऐसा ना हो । वे उन दोनों का अन्तिम संस्कार ही कर दें । यहाँ से वापिसी भी कब होगी । कुछ पता नहीं था । और अब तो ये भी पता नहीं था कि वापिसी होगी भी या नहीं । यदि उनके शरीर नष्ट कर दिये गये । तो उनकी पहचान हमेशा के लिये खो जायेगी ।
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Re: मायाजाल

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अंधेरा । बङा ही अजीव और रहस्यमय होता है ये अंधेरा । बहुत सारे रहस्यों को अपने काले आवरण में समेटे जब अंधेरे का साम्राज्य कायम होता है । तो अच्छे से अच्छा इंसान भी अपने आप में सिमट कर ही रह जाता है । और जहाँ का तहाँ रुक जाता है । मानों समय का पहिया ही रुक गया हो ।
संध्या ढल चुकी थी । रजनी जवान हो रही थी । निशा के लगभग बारह बजने वाले थे । पर राजवीर कौर की आँखों से नींद उङ सी चुकी थी । वह बारबार बिस्तर पर करवट बदल रही थी । बाहर कोई कुत्ता दुखी आवाज में हूऊऊ..ऊऽऽऽ करता हुआ बारबार रो रहा था । उसकी ये रहस्यमय आवाज राजवीर के दिल को चाक सी कर देती थी । उसने किसी से सुना था । कुत्ते को प्रेत या यमदूत दिखाई देते हैं । तब वह अजीव सी दुखी आवाज में रोता है । और आज कोई कुत्ता बारबार रो रहा था ।
ये भी हो सकता था । उसने सोचा । मैंने आज ही सुना हो । ये अक्सर ही रोता हो । पर आज उसका ध्यान जा रहा हो । कुत्ता जैसे ही हूऊऊ करना बन्द करता । वह सोचती । अभी फ़िर रोयेगा । और वास्तव में कुत्ता कुछ देर बाद ही फ़िर रोने लगता था ।
उसने एक निगाह बगल में सोयी जस्सी पर डाली । और बैचेनी से उठ गयी । उसने फ़्रिज से एक ठण्डी बोतल निकाली । और गटागट पी गयी । तब उसे कुछ राहत सी महसूस हुयी ।
राजबीर कौर जस्सी का माँ थी । उसकी उमर अभी 40 साल थी । और उसके सेक्सी बदन का साइज 37-33-39 था । उसका कद 5 फ़ीट 7 इंच था । वह लम्बी चौडी बहुत ही खूबसूरत औरत थी । और बहुत बन सवर कर रहती थी । वह हमेशा महंगे फ़ैशनेबल सूट पहनती थी । जो उसके बेमिसाल सौन्दर्य में चार चाँद लगाते थे ।

राजबीर की नयी जवानी में 18 साल की उमर में ही शादी हो जाने के कारण वो अभी भी जवान ही लगती थी । अभी 40 साल की राजवीर 30 से ज्यादा नहीं लगती थी । और अब तो बेटी भी जवान हो चुकी थी । लेकिन अक्सर पराये मर्दों को समझ में नही आता कि माँ या बेटी में किसको देखे । हरामी किस्म के लोग माँ और बेटी को देख देखकर मन ही मन आँहे भरते थे ।
जब भी दोनों माँ बेटी किसी शादी । पार्टी । बाजार । किसी के घर । या सडक पर निकलती थी । तो उन्हें देखने वाले मन ही मन आँहें भर कर रह जाते थे । लेकिन जस्सी के बाप के डर के कारण उन्हें कोई अश्लील टिप्पणी नहीं कर पाते थे । पर जो अनजान थे । वो जस्सी और राजवीर के बेहद सुन्दर चेहरों और उठते गिरते नितम्बों की मदमस्त चाल को देखकर टिप्पणी करने से बाज नहीं आते । जिसे अक्सर वे दोनों ऐसे नजर अन्दाज कर देती थी । जैसे कुछ हुआ ही न हो । पर मन ही मन अपनी सुन्दरता और जवानी पर नाज करती हुयी इठलाती थीं ।
राजवीर चलते हुये उस कमरे में आयी । जहाँ बेड पर पसरा हुआ उसका पति मनदीप सिंह सो रहा था । कैसा अजीव आदमी था । बेटी की हालत से बेफ़िक्र मस्ती में सो रहा था । या कहिये । रोज पीने वाली दारू के नशे में था । उसका तगङा महाकाय शरीर बिस्तर पर फ़ैल सा गया था ।
राजवीर धीरे से उसके पास बैठ गयी । और उसे थपथपा कर जगाने की कोशिश करने लगी । हूँ ऊँ हूँ..करता हुआ मनदीप पहले तो मानों जागने को तैयार ही नहीं था । फ़िर वह जाग गया । शायद वह कल की बात भूल सा चुका था । इसलिये उसने राजवीर को अभिसार आमन्त्रण हेतु आयी नायिका ही समझा । उसने राजवीर को अपने सीने पर गिरा लिया । और उसके स्तनों को सहलाने लगा । राजवीर हैरान रह गयी । उसे यकायक कोई बात नहीं सूझी । वह जस्सी के बारे में बात करने आयी थी । पर पति का यह रुख देखकर हैरान रह गयी ।
वास्तव में मनदीप अभी भी नशे की खुमारी में था । नियमित पीने वाले को पीने का बहाना चाहिये । खुशी हो गम । वे दोनों हालत में ही पीते हैं । सो मनदीप ने उस शाम को भी पी थी । उसने राजवीर को बोलने का कोई मौका ही नहीं दिया । और नाइटी सरकाकर उसके उरोंजो को खोल लिया । ब्रा रहित उसके दूधिया गोरे उरोज मनदीप को बहकाने लगे ।

किसी भी टेंशन में कामवासना भी शराब के नशे की तरह गम दूर करने वाली ही होती है । सो कोई आश्चर्य नहीं था । पति के मजबूत हाथ का अपने स्तनों पर दबाब महसूस करती हुयी राजवीर भी जस्सी के बारे में उस समय लगभग भूल ही गयी । और उत्तेजित होने लगी । मनदीप के बहकते हाथ उसके विशाल नितम्बों पर गये । और फ़िर उसने राजवीर को अपने ऊपर खींच लिया ।
तब उसने अपनी नाईटी उतार दी । और मनदीप को पूरी तरह सहयोग करने लगी । बङी प्रभावी होती है ये कामवासना भी । सामना मुर्दा रखा होने पर भी जाग सकती है । स्त्री और पुरुष का एकान्तमय सामीप्य इसको तुरन्त भङकाने वाला सावित होता है । सो राजवीर तुरन्त बिस्तर पर झुक गयी । और मनदीप उसके पीछे से सट गया । अपने अन्दर वह मनदीप का प्रवेश महसूस करने लगी । वह अभी भी दम खम वाला इंसान था । सो राजवीर के मुँह से आह निकल गयी । फ़िर वह मानों झूले में झूलती हुयी ऊपर नीचे होने लगी । सारे पंजावी मर्द ही अप्राकृतिकता के शौकीन थे । गुदा मैथुन के दीवाने थे । और उनके इसी विपरीत मार्गी शौक के चलते सभी औरतों की भी वैसी ही आदत बन गयी थी ।
उसके मुँह से सिसकियाँ निकलने लगी । और शरीर में गर्म दृव्य सा महसूस हुआ । फ़िर वह आनन्द से कराहने लगी । मनदीप भी निढाल हुआ सा उसके पास ही लुढक गया ।
राजवीर ने कपङे पहनने की कोई कोशिश नहीं की । और मनदीप के सहज होने का इंतजार करने लगी ।
- मुझे बङी फ़िक्र हो रही है । वह गौर से मनदीप के चेहरे को देखते हुये बोली - पहले तो ऐसा कभी नहीं हुआ । लङकी जवान है ।
मनदीप को तुरन्त कोई बात न सूझी । जस्सी यकायक बाजार में चक्कर खाकर गिर गयी थी । और जैसे तैसे लोगों ने उसे घर तक पहुँचाया था । घर तक आते आते उसकी हालत में थोङा सुधार सा नजर आने लगा था । पर वह इससे ज्यादा कुछ न बता सकी कि अचानक ही उसे चक्कर सा आ गया था । और वह गिर गयी । डाक्टर ने उसका चेकअप किया । और फ़ौरी तौर पर किसी गम्भीर परेशानी से इंकार किया । उसके कुछ मेडिकल टेस्ट भी कराये गये । जिनकी रिपोर्ट अभी मिलनी थी ।
करीब शाम होते होते जस्सी की हालत काफ़ी सुधर गयी । पर वह कमजोरी सी महसूस कर रही थी । जैसे उसके शरीर का रस सा निचोङ लिया गया हो ।
- पर मुझे तो । मनदीप बोला - फ़िक्र जैसी कोई बात नहीं लगती । शरीर है । इसमें कभी कभी ऐसी परेशानियाँ हो जाना आम बात है ।
दरअसल राजवीर जो कहना चाहती थी । वो कह नहीं पा रही थी । उसे लग रहा था । मनदीप पता नहीं क्या सोचने लगे ।
मनदीप सिंह जस्सी का बाप था । सब उसे बराङ साहब बोलते थे । उसकी उमर 45 साल थी । और उसका कद 5 फ़ीट 11 इंच और शरीर बहुत मजबूत था । वह हमेशा कुर्ता पजामा पहनता था ।
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मनदीप सिंह बेहद अहंकारी आदमी था । उसे अपने अमीर होने का बहुत अहम था । जिसके चलते वो दूसरों को हमेशा नीचा ही समझता था । वह पगडी बाँधता था । और उसके चेहरे पर बङी बङी दाङी मूँछे थी । मनदीप रोज ही शराब पीता था । और मुर्गा चिकन खाने का बहुत शौकीन था ।
वैसे जस्सी और उसके माँ बाप कभी कभी गुरुद्वारा जाते थे । लेकिन फ़िर भी मनदीप नास्तिक ही था । इसके विपरीत राजवीर काम चलाऊ धार्मिक थी । जस्सी न आस्तिक थी । और न ही नास्तिक । वो बस अपनी मदमस्त जवानी में मस्त थी ।
- सुनो जी । अचानक राजवीर अजीव से स्वर में बोली - ऐसा तो नहीं । कहीं ये भूत प्रेत का चक्कर हो ?
मनदीप ने उसकी तरफ़ ऐसे देखा । जैसे वह पागल हो गयी हो । दुनियाँ 21 वीं सदी में आ गयी । पर इन औरतों और जाहिल लोगों के दिमाग से सदियों पुराने भूत प्रेत के झूठे ख्याल नहीं गये ।
वह उठकर तकिये के सहारे बैठ गया । और उसने राजवीर को अपनी गोद में गिरा लिया । फ़िर उसकी तरफ़ देखता हुआ बोला - कैसे होते हैं भूत प्रेत ? तूने आज तक देखे हैं । तुझे पता है । सिख लोग भूत प्रेत को बिलकुल नहीं मानते । ये सब जाहिल गंवारों की बातें हैं । भूत प्रेत । आज तक किसी ने देखा है । भूत प्रेत को ।
फ़िर उसने मानों मूड सा खराब होने का अनुभव करते हुये राजवीर के स्तनों को सहला दिया । मानों उसका ध्यान इस फ़ालतू की बकबास से हटाने की कोशिश कर रहा हो । लेकिन राजवीर के दिलोदिमाग में कुछ अलग ही उधेङबुन चल रही थी । जिसे वह मनदीप को बता नहीं पा रही थी । फ़िर उसने सोचा । अभी मनदीप से बात करना बेकार है । शायद वह सीरियस नहीं है । इसलिये फ़िर कभी दूसरे मूड में बात करेगी । यही सोचते हुये उसने मनदीप का हाथ अपने स्तनों से हटाया । और कपङे ठीक करके बाहर निकल गयी ।
जस्सी दीन दुनियाँ से बेखबर सो रही थी । पर राजवीर की आँखों में नींद नहीं थी । वह रह रहकर करबटें बदल रही थी ।

दोपहर के समय करम कौर राजवीर के घर पहुँची । राजवीर ने उसे खास फ़ोन करके बुलाया था । उसकी गोद में एक छोटादोपहर के समय करम कौर राजवीर के घर पहुँची । राजवीर ने उसे खास फ़ोन करके बुलाया था । उसकी गोद में एक छोटा सा दूध पीता बच्चा था । वह एक हसीन और जवानी से भरपूर लदी हुयी मादक बनाबट वाली औरत थी । भरपूर औरत ।करम कौर गरेवाल जबर जंग सिंह की विधवा थी । और राजवीर की खास सहेली थी । उसका फ़िगर 37-33-40 था । और उसका कद 5 फ़ीट 9 इंच था । वह गुदा मैथुन की बहुत शौकीन थी । और ऐसे कामोत्तेजक क्षणों में वह स्वर्गिक आनन्द महसूस करती थी । उसके विशाल और अति उत्तेजक नितम्बों की बनावट अच्छे अच्छों की नीयत खराब कर देती थी । और तब वे हर संभव उसे पाने का प्रयत्न करते थे ।
करम कौर की पहली शादी से जो बेटा था । वो अभी 15 साल का था । उसका नाम " गुर निहाल सिंह " था । करम कौर का पहला पति । जो मर चुका था । उसका नाम " जबर जंग सिंह " था । और अभी दूसरे पति का नाम " शमशेर सिंह " था । करम कौर के पहले शादी से 2 बच्चे थे । जिनमें 1 बेटा और दूसरा बेटी थी । उसकी बेटी का नाम " गुरलीन कौर " था । दूसरी शादी से जो बच्चा पैदा हुआ । उसका नाम " हरकीरत सिंह " था ।
- ओये राजवीर ! वह उसके सामने बैठती हुयी बोली - तू बङी फ़िक्रमन्द सी मालूम हुयी फ़ोन पर । क्या बात हुयी ।
राजवीर ने रिमोट उठाकर टीवी का वाल्यूम बेहद हल्का कर दिया । और करम कौर की तरफ़ देखा । उसके और करम कौर के बीच कुछ छुपा हुआ नहीं था । वे एक दूसरे की पूरी तरह से राजदार थी । और अक्सर फ़ुरसत के क्षणों में अपने सेक्स अनुभवों को बाँटती हुयी काल्पनिक सुख महसूस करती थीं । करम कौर का बच्चा शायद भूख से मचलने लगा था । उसको शान्त कराने के उद्देश्य से वह स्तनपान कराने लगी ।
- समझ नहीं आ रहा । फ़िर राजवीर उसकी तरफ़ देखती हुयी बोली - क्या कहूँ । और कैसे कहूँ । और कहाँ से कहूँ



करम कौर ने इसे हमेशा की तरह सेक्सी मजाक ही समझा । अतः बोली - कहीं से भी बोल । आगे से पीछे से । ऊपर से नीचे से । आखिर तो साँप जायेगा । बिल के अन्दर ही ।
- वो बात नहीं । राजवीर बोली - मैं वाकई सीरियस हूँ । और जस्सी को लेकर सीरियस हूँ । पिछले कुछ दिनों से मैं कुछ अजीव सा देख रही हूँ । अनुभव कर रही हूँ ।
करम कौर बात की नजाकत को समझते हुये तुरन्त सीरियस हो गयी । और प्रश्नात्मक निगाहों से राजवीर की तरफ़ देखने लगी ।
- मैं ! राजवीर बोली - पिछले कुछ दिनों से । या लगभग बीस दिनों से । जस्सी के पास ही सो रही हूँ । मैंने सोचा । अगर वो वजह पूछेगी भी । तो मैं कुछ भी बहाना बोल दूँगी । पर उसने ऐसा कुछ भी नहीं पूछा । तुझे मालूम ही है । मैं अक्सर ग्यारह के बाद ही सोती हूँ । जबकि जस्सी दस बजे से कुछ पहले ही सो जाती है । मनदीप का नशा ग्यारह के लगभग ही कुछ हल्का होता है । और तब वह रोमान्टिक मूड में होता है । मुझे उन पलों का ही इंतजार रहता है । उस समय वह भूखे शेर के समान होता है । लिहाजा उसका ये रुटीन पता लगते ही मेरी बहुत सालों से ऐसी आदत सी बन गयी है ।
ऐसे ही एक दिन । लगभग बीस दिन पहले । जब मैं सोने से पहले टायलेट जा रही थी । मैंने जस्सी को कमरे में टहलते हुये देखा । ऐसा लग रहा था । जैसे वह बहुत धीरे धीरे किसी से मोबायल फ़ोन पर बात कर रही हो । मैंने सोचा । लङकी जवान हो चुकी है । शायद किसी ब्वाय फ़्रेंड से चुपके से बात कर रही हो । उस वक्त उसके कमरे की लाइट बन्द थी । और बाहर का बहुत ही मामूली प्रकाश कमरे में जा रहा था । फ़िर उसे गौर से देखते हुये मुझे इसे बात का ताज्जुब हुआ कि उसके हाथ में कोई मोबायल था ही नहीं । और करमा तू यकीन कर । वह उसके गोल स्तन पर एक दृष्टि डालकर बोली - वह निश्चय ही किसी से बात कर रही थी । और ये मेरा भृम नहीं था । और ये एकाध मिनट की भी बात नहीं थी । मैं उसको लगभग बीस मिनट से देख रही थी । और सुन भी रही थी । पर उसकी बातचीत में मुझे बहुत ही हल्का हल्का हाँ । हूँ । ठीक है । ओ माय डार्लिंग .. जैसे शब्द ही मुश्किल से सुनाई दे रहे थे ।

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(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).


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(फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complet))........(कोई तो रोक लो)......(अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ)............. (ननद की ट्रैनिंग compleet)..............( सियासत और साजिश)..........(सोलहवां सावन)...........(जोरू का गुलाम या जे के जी).........(मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन)........(कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास)........(काले जादू की दुनिया)....................(वो शाम कुछ अजीब थी)
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jay
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Re: मायाजाल

Post by jay »

करम कौर के चेहरे पर गहन आश्चर्य के भाव आये । उसकी आँखे गोल गोल हो गयीं । तभी राजवीर का नौकर सतीश वहाँ आया । उसने एक चोर निगाह करम कौर के खुले स्तन पर डाली । और राजवीर से बोला - मैं बाजार जा रहा हूँ । कुछ आना तो नहीं है ?
राजवीर ने ना ना में सिर हिलाया ।
सतीश यूपी का रहने वाला पढा लिखा नौजवान था । और एक प्रायवेट नौकरी के चक्कर में पंजाब आया था । बाद
में न सिर्फ़ वह पंजाब में ही रम गया । बल्कि अपनी कंपनी टायप नौकरी छोङकर वह बराङ साहब के घर नौकर के रूप में काम करने लगा । ये नौकरी न सिर्फ़ उसके लिये आरामदायक सावित हुयी थी । बल्कि कई तरह से उसके लिये पाँचों उँगलियाँ घी में कहावत को भी पूरा कर रही थी ।
वास्तव में U.P वाला भईया के नाम से मशहूर सतीश करम कौर गरेवाल का बेहद आशिक था । और चोरी चोरी उसको देखता हुआ नयन सुख लेता था ।
सतीश ने करम कौर के लङके गुरु निहाल से नकली दोस्ती की हुई थी । और उसे बातों ही बातों में फ़ुसलाकर वह उससे उसकी मम्मी की दिन भर की गतिविधियाँ पूछता रहता था । उसकी नीयत से अनजान गुरु निहाल उसे

सब कुछ बताता रहता था । उसकी माँ रोज कितने बजे उठती है । कितने बजे नहाती है । कैसा खाना खाती है । क्या पीती है । किस समय अपने दूसरी शादी के बच्चे को स्तनपान कराती है । ये सब बातें पूछकर सतीश एकान्त में सोने से पहले करम कौर के साथ मानसिक संभोग की कल्पना करता हुआ हस्तमैथुन करता था ।
और वास्तविक रूप में उसको पाने का बेहद इच्छुक था । करम कौर भी इस बात को खूब समझती थी । और मौके बे मौके शायद वो कभी काम आये । इस हेतु अपने स्तनों की भरपूर झलक दिखाने से नहीं चूकती थी ।
उसको मरदों को ऐसे तङपाने में भी खास सुख मिलता था । दूसरे एक हिन्दू युवा पठ्ठा और और डिफ़रेंट टेस्ट की छुपी चाहत भी उसको सतीश के प्रति आकर्षित करती थी । और वह भी उसके साथ हमबिस्तर पर होने की अभिसारी कल्पना करती थी । पर अभी दोनों में से किसी की तरफ़ से कोई पहल नहीं हुयी थी ।
- अब करमा ! मुझे और भी । सतीश के जाने के बाद राजवीर फ़िर से बोली - और भी ताज्जुब इस बात का हुआ कि बात करते करते अचानक वह मेरी तरफ़ घूम गयी । हम दोनों की निगाहें मिली । मैं चौंक गयी । पर उसने मानों मुझे देखा ही नहीं । मुझसे कुछ बोली भी नहीं । और उसी तरह बात करती रही । तब मैं उसको टोकना चाहती थी । उससे कुछ पूछना चाहती थी । पर न जाने क्यों मेरी हिम्मत नहीं पङी । फ़िर चलते चलते वह अचानक वापिस बेड पर बैठ गयी । और अचानक इस तरह लुङकी । मानों नशे में गिरी हो । या नींद में लुङक गयी हो । ये पहले दिन की बात थी ।
करम कौर के चेहरे पर घबराहट के भाव फ़ैले हुये थे । वह हैरत से राजवीर को देखने लगी ।
- अब तू समझ सकती है । राजवीर फ़िर से बोली - ये देखने के बाद मेरे दिल का चैन और रातों की नींद उङ गयी । मेरी समझ में कुछ नहीं आ रहा था । जस्सी को अचानक क्या हुआ था ? मेरी फ़ूल सी बच्ची किस तिलिस्मी चंगुल में थी ?
- वन मिनिट । करम कौर ने टोका - तिलिस्मी चंगुल । तिलिस्मी चंगुल से क्या मतलब है तेरा । तू ये कैसे कह सकती है । जसमीत किसी तिलिस्मी चंगुल में थी ?

थी के बजाय है कहा जाये । राजवीर बजते हुये मोबायल के नम्बर पर निगाह डालते हुये उसे साइलेंट करती हुयी बोली - है कहा जाये । तो ज्यादा उचित होगा । मैंने बोला ना । ये बीस दिन पहले की बात है । पहले मैंने यही सोचा था कि उससे सुबह नार्मली प्यार से सब पूछूँगी । ये सब क्या है ? वो लङका कौन है ? पर फ़िर मुझे ख्याल आया कि मैं उससे क्या पूछूँगी ? उसके पास मोबायल तो था ही नहीं । और जब मोबायल नहीं था । तब कैसे कहा जाये । वो किसी ब्वाय फ़्रेंड से बात कर रही थी । और ब्वाय फ़्रेंड से बात भी कर रही थी । तो ये कोई पूछने वाली बात ही नहीं थी । ऐसी ही तमाम बातें सोचते हुये मैंने कुछ दिन और इस रहस्य का पता लगाने की कोशिश की । और इसीलिये मैंने बराङ साहब को भी कुछ नहीं बोला ।
और लगातार बीच बीच में जागकर उसकी छुपी निगरानी की । तब कुछ और उसका रहस्यमय व्यवहार देखा । फ़िर मेरे को एक आयडिया आया । यदि मैं बहाने से उसके पास सोने लगूँ । तब शायद वह कुछ विरोध करे । पर उसने ऐसा कुछ भी नहीं किया । एक बार भी नहीं किया । बल्कि उसके व्यवहार से ऐसा कभी लगता ही नहीं था कि वह मेरे लेटने के प्रति कोई नोटिस भी लेती है । वह पहले जैसी ही रही ।
- राजवीर ! अचानक करम कौर ने फ़िर से टोका - अभी अभी तूने कहा कि तूने और भी उसका रहस्यमय व्यवहार नोट किया । वो क्या था ?
- हाँ ! वो ये कि वो अक्सर रात को कभी कभी उठ जाती थी । और कभी भी उठ जाती थी । फ़िर खिङकी के पास खङे होकर उसके पार ऐसे देखती थी । मानों किसी दूसरी दुनियाँ को देख रही हो । खिङकी के एकदम पार कोई दूसरा लोक कोई दूसरी धरती उसे नजर आ रही हो । उसके चेहरे के भाव भी ऐसे बदलते थे । जैसे लगातार कुछ दिलचस्प सा देख रही हो । इसके भी अलावा मैंने उसे खङे खङे दीवाल पर या यूँ ही खाली जगह में किसी काल्पनिक बेस पर कुछ लिखते सा भी देखा । अब इससे भी ज्यादा चौंकने वाली बात तुझे बताती हूँ । एक दिन जब ये सब देखना मेरी बरदाश्त के बाहर हो गया । तो मैंने अपना जागना शो करते हुये आहट की । पर उस पर कोई असर नहीं हुआ । मैं भौंचक्का रह गयी । तब डायरेक्ट मैंने उसको आवाज ही दी । करमा ताज्जुब उस पर फ़िर भी कोई असर नहीं हुआ । अब तो मैं चीख पङना चाहती थी । पर फ़िर भी मैंने खुद को कंट्रोल करते हुये उसे जस्सी जस्सी मेरी बेटी कहते हुये झंझोङ ही दिया ।
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