यमदूत की लापरवाही

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jay
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Re: यमदूत की लापरवाही

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“और इस बंदे ने कॉल रिसीव करने के बजाय फोन तुम्हारे हाथ में दे दिया और तुमने कॉल रिसीव करके मुझे बताया की अजय की तबियत ठीक नहीं है”

“हाँ कहा था” शीतल ने फिर सहमति से सर हिलाया.

“उसके बाद मैंने अजय से उस फाइल के बारे में पूछा जो मैंने इसे पिछले दिन ही दी थी. लेकिन इसने फाइल के बारे में ऐसा जवाब दिया जैसे कुछ जानता ही ना हो. हम तो ये समझते रहे की ये बीमार है. लेकिन डॉक्टर का कहना है की इसे शारीरिक या मानसिक किसी भी प्रकार की कोई बिमारी ही नहीं है. अगर ये बीमार नहीं है तो ये बिमारी का नाटक करे खामोश क्यों बैठा है? और अब सबसे बड़ा सवाल ये है कि ये हफ्ता वसूली करने वाली गेंग के चंगुल में फंसा कैसे? ये रात को घर में सो रहा था फिर वहां गया कैसे?” मलूकदास बोले जा रहा था और शीतल व शांति देवी मलूकदास कि बात को गौर से सुन रही थी.

“तुम दोनों को अब भी शायद ये एहसास नहीं हुआ होगा कि मैं कहना क्या चाहता हूँ. लेकिन इन सब बातों पर गौर करने के बाद मैं इस नतीजे पर पहुंचा हूँ कि ये अजय नहीं है.”

“क्या! अजय नहीं है! ये क्या कह रहे है आप? अगर ये अजय नहीं है तो और कौन है?” इस बार मलूकदास कि बात सुन कर शीतल व शांति देवी को जोर का झटका लगा.

“ये अजय नहीं अजय का हमशक्ल है. और अजय आज भी उस गेंग के कब्जे में है जिस गेंग को कल रात हम दो करोड़ रुपये दे कर इसे छुड़ा कर लाये है. ये उसी गेंग का मेम्बर है. और कल रात जो कुछ हुआ वो इसी के इशारे पर हुआ है. अजय का अपहरण तो उसी दिन हो गया गया था जिस दिन अजय और शीतल शोपिंग के लिए गए थे. उस समय कोई तुम्हारा पीछा कर रहा था लेकिन तुम दोनों को पता नहीं चला. शीतल जब शोपिंग मॉल में गयी तो कोई पीछे से आया है अजय को कोई नशीली बेहोशी कि दवाई सुंघा कर गाडी में ड़ाल दिया गया और अजय कि जगह इसे बिठा दिया गया. ताकि ये हमारी खबर उन लोगों को देता रहे और हमारी दौलत लुटता रहे. लेकिन इसको इस बात का डर था कि अगर ये ज्यादा बोला तो इसके बोलचाल के तरीके में फर्क देख कर कहीं हम इसकी असलियत ना जान ले कहीं इसकी पोल ना खुल जाए इसलिए इस बंदे ने बिमारी का बहाना करके हमारे सारे सवालों के जवाब से बचने के लिए मौन धारण कर लिया.

“लेकिन अब क्या होगा बाबूजी?” मलूकदास कि बात पूरी होने पर शीतल ने पूछा.

“वही होगा जो हम चाहेंगे. मैं इसका सारा बंदोबस्त कर दूंगा. लेकिन इसे ज़रा भी ये एहसास नहीं होना चाहिए कि हमें इसकी असलियत पता चल गयी है वरना ये हमें नुक्सान भी पहुंचा सकता है तब तक मैं इसका ऐसा प्रबंध करुन्घा कि ये जिंदगी भर याद रखेगा” मलूकदास ने शीतल को अजय के हमशक्ल से सावधान रहने कि सलाह देते हुए कहा.

“लेकिन आप ये यकीन के साथ कैसे कह सकते है की ये अजय नहीं अजय का हमशक्ल है. कहीं ऐसा न हो की आप हमशक्ल के भ्रम में अजय को ही पुलिस के हवाले कर दे” शांति देवी ने कहा.

“आपकी बात सही है. लेकिन यकीन करने से पहले हम यह भ्रम भी मिटा देंगे कि ये अजय है या अजय का हमशक्ल. और ये भ्रम मिटाने में हमारी मदद करेगी फिंगर प्रिंट एक्सपर्ट की रिपोर्ट”

“फिंगर प्रिंट कि रिपोर्ट?” शांति देवी और शीतल ने पूछा.

“हाँ फिंगर प्रिंट कि रिपोर्ट. शीतल तुम एक काम करो इस बहरुपीये के खाने में नींद कि गोली मिला देना. जब ये गहरी नींद में सो जाए तब कैसे भी करके तुम कागज पर इसके फिंगर प्रिंट ले लेना. अजय के फिंगर प्रिंट मेरे पास एक पुरानी फाइल में है. में उस फाइल और इसके फिंगर प्रिंट का मिलान कराउंगा. एक बार फिंगर प्रिंट कि जांच हो जाने दो, फिर देखना मैं इस बहरुपीये का इलाज कैसे करता हूँ” मलूकदास ने शीतल को उसके फिंगर प्रिंट लेने कि सलाह दी मलूकदास के कहे अनुसार शीतल ने उसके खाने में नींद कि गोली मिला दी. जब वो गहरी नींद सो गया तो शीतल ने कागज पर उसकी अंगुलिओं के और हाथ के निशान ले लिए. और कागज मलूकदास को दे दिया. मलूकदास ने अजय के फिंगर प्रिंट वाली पुरानी फाइल और इसके फिंगर ले जा कर अपने वकील को जांच कराने सौंप दिए.

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( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).


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jay
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दो दिन बाद फिंगर प्रिंट जांच की रिपोर्ट भी आ गई. लेकिन नतीजा वही पहले वाला. दोनों फिन्गर प्रिंट एक ही आदमी के है यानी मलूकदास के बेटे अजय के ही है. ये कोई बहरूपिया नहीं बल्कि अजय ही था. अब मलूकदास के लिए हर रास्ता बंद नजर आने लगा था. अजय की बिमारी ने मलूकदास को पूरी तरह तोड़ कर रख दिया था.

डॉक्टर ने तो बिमारी नहीं होने की बात कह कर अपना पल्ला झाड लिया था. लेकिन अजय की खामोशी मलूकदास और उसके और उसके परिवार को गहरा मानसिक आघात दे रही थी. शीतल और शान्ति देवी को हौसला दिलाने के लिए तो मलूकदास था. लेकिन उसको खुद को संभालने के लिए कोई नहीं था. मलूकदास जिंदगी में पहली बार इतना मायूस हुआ था.

शाम को आरती भी आ गयी थी. आरती के आने पर शीतल ने राहत की सांस ली थी. उसके आने से सूनेपन का एहसास नहीं होगा. यही सोच कर शीतल कुछ खुश लग रही थी.

“अब कैसी है अजय भैया की तबियत?” आरती ने आते ही अजय के बारे में पूछा.

“अजय की तबियत वैसी ही है. और डॉक्टर ने ये कह कर पल्ला झाड लिया है की अजय को कोई बिमारी है ही नहीं” आरती की माँ शांति देवी ने जवाब दिया.


“डॉक्टर ने सही ही कहा है अजय भैया को बिमारी है भी नहीं” आरती ने कहा.

“क्या मतलब?” शीतल ने आरती की बात पर पूछा वे तीनो आश्चर्य से आरती की तरफ देखने लगे.


“मतलब ये है की अजय भैया पर किसी प्रेत आत्मा का साया है” आरती ने जवाब दिया. .


“क्या! प्रेतात्मा का साया?” आरती की बात सुन कर शीतल शान्ति देवी और मलूकदास बुरी तरह चौके. वे तीनो आरती की तरफ ऐसे देखने लगे जैसे जोर का झटका लगा हो.


“हाँ प्रेतात्मा हर किसी से नजरें चुराना बात नहीं करना खामोश बैठे रहना. ये सब प्रेतात्मा के ही लक्ष्ण है.


“देख आरती बेटी मैं जो कर सकता था वो मैंने किया. अब तू कहती है की इस पर प्रेतामा का साया है तो इसका समाधान भी तुझे ही निकालना है. मैं तो थक गया हूँ” मलूकदास ने आरती से कहा.

“आप चिंता मत कीजिये पिताजी मैं इस बात का समाधन खोजने के बाद ही यहाँ आई हूँ. कल ही हम एक ऐसे तांत्रिक के पास अजय भैया को ले कर चलेंगे. उस तांत्रिक के आगे कोई भी प्रेत टिक नहीं सकता ”


शाम खाना खाने के बाद परिवार के सभी मेम्बर अपनी जगह पर जा कर सो गए. सुबह के पांच बजे होंगे कि शीतल घबराई हुई मलूकदास के कमरे में आई वह मलूकदास को झिंझोड़ कर जगाने की कोशिश करने लगी.

“बाबूजी उठिए बाबूजी” शीतल ने मलूकदास को आवाज लगाईं.

“शीतल क्या बात है? क्या हुआ” मलूकदास ने झट से उठ कर शीतल से पूछा.

“अजय अपने कमरे में नहीं है बाबूजी वो अपने कमरे में नहीं है” घबराई हुई शीतल ने मलूकदास से कहा.


“कमरे में नहीं है! फिर कहाँ गया गया वो?” मलूकदास ने गरजती हुई आवाज में कहा. मलूकदास की आवाज सुनकर अपने कमरे में सो रही आरती भी जाग कर बाहर आ गयी. और चौकीदार भी आ गया.

“अजय को बाहर जाते हुए देखा तुमने?” मलूकदास ने चौकीदार से पूछा.

“नहीं सेठजी इस बार मैंने छोटे मालिक को बाहर जाते हुए नहीं देखा” चौकीदार ने जवाब दिया. लेकिन उस पर कोई प्रतिक्रिया दिए बिना ही मलूकदास बाहर जा कर बंगले की चारदीवारी का मुआयना करने लगे जहाँ जहां से उनको दिवार फांद कर बाहर जाने की संभावना नजर आ रही थी. अचानक चारदीवारी के ऊपर ग्रिल में बंधी हुई और बाहर की तरफ लटकती हुई एक रस्सी नजर आई. वो समझ गया की अजय इसी रस्सी के सहारे दिवार फांद कर बाहर चला गया.

“रस्सी के सहारे दिवार फांद कर भाग गया है वो” मलूकदास ने वापस अन्दर घर वालों को बताया.

“दिवार फांद कर भाग गया? लेकिन वो जाता कहाँ है?” शान्ति देवी ने कहा.

“यही तो मेरी समझ में नहीं आ रहा है की ये आखिर चाहता क्या है? पता नहीं इस बार कहाँ गया होगा” मलूकदास ने हैरान हो कर कहा.

“अब क्या होगा पापा अब क्या करेंगे?” आरती ने रुंसी हो कर कहा.
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jay
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Re: यमदूत की लापरवाही

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“उसे ढूंढ़ कर लाना पडेगा पुलिस में उसकी गुमशुदी की रिपोर्ट लिखवानी पड़ेगी” मलूकदास ने जवाब दिया.

सूर्योदय होने को आया था. शीतल ने किचन में जा कर चाय बनाई. वह सबके लिए चाय बना कर ले आई. मलूकदास ने ज्योही चाय का कप हाथ में लीया कि उनके फोन की घंटी बजने लगी,.फोन हाथ में ले कर देखा तो नंबर पहचान लीया. फोन पुलिस स्टेशन से आया था. एक उमीद बंधी कि शायद अजय के बारे में कोई खबर हो, इसके अलावा इतना जल्दी पुलिस स्टेशन से फ़ोन आने का दूसरा कोई कारण भी तो नहीं था. इसलिए झट से कॉल रिसीव करके फोन कान से लगा लिया.

“हेल्लो मलूका सेठ हम पुलिस स्टेशन से बोल रहे है. आपका बेटा अजय इस समय पुलिस की हिरासत में है. वो बलात्कार की कोशिश में पकड़ा गया है” मलूकदास पहले से ही परेशान था अब ये खबर सुनने की हिम्मत उसमे नहीं थी. वह सामने वाले की बात पूरी सुनने से पहले ही गश खा कर गिर गया. पास में बैठी शान्ति शीतल और आरती तीनो ही किसी अनहोनी की आशंका में घबराने लगे.

“पापा! क्या हुआ पापा?” आरती पूरी तरह से घबरा गई थी लेकिन फिर भी मलूकदास के हाथ में से फोन ले कर कान से लगा लिया फोन अब भी चालू था.

“आप सुन रहे न मलूका सेठ. आपका बेटा अजय एक विधवा औरत के साथ बलात्कार करने की कोशिश में पकड़ा गया है” सामने वाले की बात सुन कर आरती भी गश खा कर गिरने लगी. लेकिन पास में खड़ी शीतल ने उसे थाम लिया.

“आरती क्या हुआ आरती?” शीतल आरती से पूछने लगी. पास में खड़ी शान्ति देवी घबराई हुई कुछ बोल ही नहीं पा रही थी.


“भाभी अजय भैया को पुलिस ने पकड़ लिया है. पुलिस का कहना कि भैया ने एक विधवा से बलात्कार करने की कोशिश की है.” आरती ने शीतल को जवाब दिया.

“बलात्कार? नहीं, ये नहीं हो सकता. अजय ऐसा नहीं कर सकते” बलात्कार की बात सुनते ही शीतल शान्ति देवी को जोर का झटका लगा.

“यही सुन कर तो मैं भी हैरान हूँ की मेरा भाई बलात्कारी नहीं हो सकता”

सुबह होते ही इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में ये खबर जंगल में आग की तरह फ़ैल गयी थी कि शहर के सबसे बड़े रईस सेठ मलूकदास का बेटा बलात्कार की कोशिश में पकड़ा गया. ये खबर जब मनीराम के बेटे फूलचंद तक पहुंची तो वह बहुत खुश हुआ वह इसकी खुशखबरी देने के लिए अपने पिता मनीराम के पास पहुंचा. साथ में एक मिठाई का डिब्बा भी ले गया सोचा पहले पापा का मुंह मीठा कराएगा और फिर खुशखबरी सुनाएगा.

“मुंह मीठा कीजिये पापा मैं आज बहुत बड़ी खुश खबरी लाया हूँ” फूलचंद ने मनीराम के मुंह में लड्डू देते हुए कहा.

“किस बात की खुशखबरी? तू अमेरिकी राष्ट्रपति का चुनाव लड़ने जा रहा है क्या?” मनीराम ने फूलचंद की बात को में हवा में उड़ाते हुए कहा.

“आपने खबर नहीं देखी क्या? मलूका इंडस्ट्री की उल्टी गिनती शुरू हो गई है. मलूका का बेटा बलात्कार की कोशिश में पकड़ा है” फूलचंद ने खुश हो कर कहा.

“इस बात को तू खुशखबरी कह रहा है. बलात्कार की कोशिश के जुर्म में ही पकड़ा गया है. बलात्कार के जुर्म में तो नहीं न कितनी सजा होगी ज्यादा से ज्यादा तिन साल” मनीराम ने फूलचंद से कहा.

“पापा. मलूका इंडस्ट्री को मटियामेट करने के लिए तिन साल तो बहुत है”

‘अरे बेवकूफ जब तक मलूका जिन्दा है मलूका इंडस्ट्री को कोई भी मटिया मेट नहीं कर सकता ये मिठाई ले जा कर कुत्तों को डाल दे और अपने वकील खुराना को फोन लगा. और मलूका के बेटे और उस पर बलात्कार की कोशिश का इल्जाम लगाने वाली औरत के बीच क्या कनेक्शन है इसकी सारी इन्फोर्मेशन मुझे ला कर दे. हम उस औरत को अपना वकील मुहैया कराएँगे और उसकी हर संभव मदद करेंगे”
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Re: यमदूत की लापरवाही

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“लेकिन पापा हम उसकी मदद क्यों करेंगे?” फूलचंद ने आश्चर्य से पूछा.

“अरे बेवकूफ अगर हम उस औरत की मदद नहीं करेंगे तो मलूका उसको मदद दे कर उसका मुंह बंद करवा देगा और अगर वो औरत झुक गयी तो मलूका के बेटे की जमानत होने से कोई नहीं रोक सकता. लेकिन हम मलूका के बेटे की जमानत हर हाल में नहीं होने देंगे इस लिए मदद दे कर उस औरत को मजबूत करना जरुरी है.

अजय को पुलिस ने ले जा कर अदालत में पेश किया उस पर गीता नाम की उस औरत ने ही बलात्कार कोशिश का इल्जाम लगाया था ये वही गीता है जिसका पति कुछ दिन पहले ही मलूका इंडस्ट्री में ही काम करते हुए करंट लगने से मर गया था. गीता के वकील खुराना ने अजय पर आरोप लगाते हुए कहा की मुजरिम अजय ने रात को बारह बजे पीडिता के घर में घुस कर कहा की मैं तुम्हारा पति हूँ और उसके साथ बदसलूकी की. लेकिन बचाव पक्ष के वकील ने गीता के वकील द्वारा लगाये आरोपों को ख़ारिज करते हुए कहा की उसके मुवकिल अजय की दिमागी हालत ठीक नहीं है उसे रात को नींद में चलने की बिमारी है उसने जो कुछ किया वो उसकी खराब दिमागी हालत की वजह से हुआ है. उसने जानबुझ कर नहीं किया. इसलिए अजय की जमानत हो जानी चाहिए. बचाव पक्ष के वकील ने अजय की जमानत के लिए डॉक्टर की जांच रिपोर्ट भी सबूत के तौर पर पेश की. बचाव पक्ष के वकील की दलील पर गौर करके के बाद अदालत ने संदेह का लाभ देते हुए अजय की जमानत मंजूर कर ली लेकिन उसके खिलाफ जांच जारी रखने के आदेश दिए.
अगर इंसान दो चीजों में विश्वास करता है.पहली ये की इस दुनिया को चलाने के लिए कोई व्यस्थापक है. और दूसरी ये की इंसान मरता है लेकिन आत्मा नहीं मरती. आत्मा मरने के बाद दूसरा जन्म ले कर वापस इस दुनिया में आ जाती है. इन दो बातों पर यकीन करने के बाद तीसरी बात पर अपने यकीन हो जाता है कि कुछ लोग जिंदगी भर मेहनत करते है फिर भी उन्हें मजदूरी के नाम पर दो वक्त की रोटी के अलावा कुछ नहीं मिलता.और उनकी मेहनत का फायदा शातिर दिमाग वाले उठाते है. और कुछ लोग जिंदगी में कुछ भी मेहनत किये बिना ही सब कुछ प्राप्त कर लेते है.

लेकिन इन सबका हिसाब इस सृष्टि को चलाने वाले व्यस्थापक के पास दर्ज हो जाता है. जो लोग बिना मेहनत किये इस दुनिया में एशो आराम की जिंदगी बिताते है या तो व्यस्थापक के पास उनका पिछले जन्म की बचत है या फिर उनके उधारी खाते में लिख दिया जाएगा जो अगले जन्म में उसे मेहनत करके चुकाना होगा. और जो लोग दिन रात मेहनत करने के बाद भी कुछ नहीं पाते, उनका हिसाब भी सृष्टि के व्यस्थापक के पास मौजूद है. क्योंकि ऐसे लोगों ने या तो पिछले जन्म में बिना कुछ किये ही खर्चा किया और गरीबों का हक़ दबाया. वो उनके उधारी खाते में लिख दिया गया. या फिर इनके बचत खाते में लिख दिया जाएगा जो अगले जन्म में बिना कुछ किये ही मिल जाएगा. ये सब इसलिए की सृष्टि की व्यवस्था सही तरीके से चलती रहे. अगर सबके पास करोडो की दौलत हो तो मेहनत कौन करेगा. बिना मेहनत ये सृष्टि चलेगी कैसे? इसलिए सृष्टि के लिए प्रकृति ने जो व्यवस्था की है अगर उस व्यवस्था को स्वीकार कर ले तो ये दुनिया स्वर्ग बन जायेगी.

आज चर्चा इतनी ही बाकी अगले भाग में. पढ़िए ये रहस्यी भरी कहानी, इस कहानी में प्रकृति की ज़रा सी चूक ने एक परिवार की व्यवस्था को ही उलट पलट करके रख दिया.

मनीराम को ज्योहीं खबर लगी की अजय मलूका की जमानत हो गई है. उसने अपने वकील खुराना को अपने दरबार में तलब किया.

“खुराना मैंने तुमको ये केस इसलिए दिलवाया था कि अजय मलूका की जमानत न होने पाए. फिर भी उसकी जमानत कैसे हो गई?” मनीराम ने वकील खुराना से सवाल किया.

“सेठजी मैंने उसे सजा दिलाने की पूरी कोशिश की लेकिन क्या करता? कोर्ट के आदेश से ऊपर तो जा नहीं सकता ना” खुराना ने मनीराम को जवाब दिया.

“नहीं नहीं तुमने कोई कोशिश ही नहीं की. लेकिन मैंने पूरी जांच करवा ली है कि अजय मलूका और उस पर बलात्कार की कोशिश का इल्जाम लगाने वाली औरत के बीच कनेक्शन क्या है. इस औरत का पति मलूका इंडस्ट्री में मजदूर था. अजय मलूका ने इस औरत को पहली बार तब देखा था जब इसका पति अपने बीमार बच्चे के इलाज के लिए मदद माँगने के लिए अजय मलूका के पास गया था. तब ये औरत अपने पति के साथ थी. और ठीक इसके दूसरे दिन मलूका इंडस्ट्री में काम करते हुए इसके पति की करंट लगने से मौत हो गई. और फिर अजय मलूका ने इस औरत के घर में घुस कर इसका बलात्कार करने कि कोशिश की. खुराना तुमने पूरी जिंदगी लोगों को फीस ले कर सलाह दी है. लेकिन में तुम्हे ये सलाह फ्री में दे रहा हूँ कि ये तीन पॉइंट अजय मलूका को हत्यारा साबित करने के लिए काफी है” मनीराम ने वकील खुराना को सलाह दी.
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Re: यमदूत की लापरवाही

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“ये क्या कह रहे है आप सेठजी? ये बातें उस औरत ने मुझे नहीं बताई वरना में अजय मलूका की जमानत होने ही नहीं देता” मनीराम कि बात पर वकील ने अपनी प्रतिक्रया दी.

“उस औरत के दिमाग में ही नहीं आई होगी ये बात. लेकिन ये तुम्हारी जिमेदारी है कि उसके दिमाग में ये बात पूरी तरह बिठा दो कि उसकी खूबसूरती पर अजय मलूका की नजर थी. इसीलिए उसके पति को रास्ते का कांटा समझ कर करंट से मरवा दिया” मनीराम ने वकील को सलाह दी.

“मैं आपसे वादा करता हूँ सेठजी इस बार अजय मलूका कातिल साबित हो कर रहेगा. उसकी जमानत हर हाल में नहीं होगी” खुराना ने मनीराम को विश्वास दिलाया. और चल दिया गीता से मिलने.

अजय को जमानत होने के बाद मलूकदास उसे घर ले कर आ गया था. मलूकदास और उसके पूरे घर को पूरा यकीन हो गया था कि अजय पर किसी भूत का साया पड़ गया है. और अब किसी तांत्रिक के पास जाने के अलावा कोई रास्ता ही नहीं था.

“मेरी समझ में आ गया है पापा कि अजय भैया कि तकलीफ क्या है” आरती ने कहा मलूकदास और बाकि सब आरती कि तरफ आश्चर्य देखने लगे.

“आपको मालुम है कुछ दिन पहले हमारी कंपनी में काम करते हुए एक मजदूर करंट से मर गया था. वो इसी औरत का पति था जिसने अजय भैया पर जबरदस्ती का आरोप लगाया है” आरती ने कहा.

“हाँ वो तो मुझे मालुम है? लेकिन उसका क्या? मलूकदास ने आरती कि बात सुन कर पूछा.

“लेकिन शायद आपको ये मालुम नहीं कि अजय भैया पर जिस प्रेत का साया पड़ा है, ये कोई और नहीं बल्कि वही है जो हमारी कंपनी में करंट लगने से मर गया था” आरती ने कहा तो सबकी आँखे आश्चर्य से फटी कि फटी ही रह गयी.

“अरे हाँ! साला सारे लफड़े कि जड़ भी वही है अब समझ में आया कि अजय रात को भाग कर जाता कहाँ है” मलूकदास ने आरती की बात सुन कर प्रतिक्रया दी.


“इसका मतलब रात में अजय नहीं भागता बल्कि वो भूत भाग कर उस औरत के पास जाता है और कहता है की मैं तुम्हारा पति हूँ” शीतल ने कहा.


“करेक्ट. अजय भैया को तो ये एहसास तक नहीं है की वे कर क्या रहे है. सब नाटक तो वो भूत कराता है” आरती ने शीतल की बात से सहमत हो कर कहा.


“साला उस दुष्टात्मा ने तो हम सबका जीना हराम कर दिया और हम कुछ समझ ही नहीं पाए” मलूकदास ने कहा.


“लेकिन अब हमें ज़रा भी देर नहीं करनी चाहिए जल्दी से जल्दी उस तांत्रिक के पास चल कर इस दुष्ट आत्मा से पीछा छुडा लेना चाहिए” आरती ने सलाह दी.

मलूकदास और उसके परिवार को अँधेरे में एक रोशनी की तरह समस्या का हल नजर आने लगा था सबके चहरे पर थोड़ी सी राहत नजर आने लगी थी. लेकिन वो राहत भी ज्यादा देर तक नहीं टिकी. मलूकदास अपने परिवार के साथ अजय को ले कर तांत्रिक के पास जाने की तैयारी कर ही रहे थे की बंगले के आगे आ कर पुलिस की जीप रुकी. कुछ सिपाही साथ में लिए इंस्पेक्टर बंगले के अन्दर मलूकदस के पास आ कर बोला,

“मैं आपके बेटे को गिरफ्तार करने आया हूँ. मेरे पास इसकी गिरफ्तारी का वारंट है” इंस्पेक्टर की बात सुन कर मलूकदास का परिवार फिर नई मुसीबत की आशंका से घिर गया. सबके चहरे पर खौफ की लकीरें खिंच गई.

“ये क्या कह रहे है इंस्पेक्टर? मेरे बेटे को अदालत ने जमानत दे दी है” इंस्पेक्टर की बात पर मलूकदास ने अपनी प्रतिक्रिया दी.

“मालुम है इसकी जमानत हो गई है. लेकिन वो बलात्कार की कोशिश का मामला था. लेकिन अब एक और मामला दर्ज हुआ है. एक गरीब मजदूर की ह्त्या का मामला” इंस्पेक्टर की बात सुन कर सबके दिलों पर एक बार फिर बिजली टूट पड़ी. सबके चहरे पर खौफ छा गया.

“ह्त्या का मालमा? अरे भाई क्या कह रहे हो मेरे बेटे ने तो आज तक मुर्गा तक नहीं काटा आप किसी इंसान की हत्या की बात कर रहे हो” मलूकदास ने हैरानी से कहा.
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