यमदूत की लापरवाही

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jay
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Re: यमदूत की लापरवाही

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“मेरी तबियत बिलकुल ठीक है. लेकिन इस वक्त घर में कोई नहीं है इसलिए मैं आपसे अकेले मैं कुछ बात करना चाहता हूँ” अजय ने शीतल से कहा.

“अकेले में बात? ऐसी क्या बात है?” शीतल ने आश्चर्य से पूछा.
“जो बात मैं आपको बताने जा रहा हूँ. वो बात आपके लिए बर्दाश्त के बाहर और कष्टदायक होगी इसलिए मेरी बात सुनने से पहले अपनी पूरी हिम्मत बटोर ले फिर सुनें” अजय ने कहा
शीतल ने धड़कते दिल से कहा -“क्या मतलब है तुम्हारा? साफ़ साफ़ कहो क्या कहना चाहते हो तुम?”
“मैं ये कहना चाहता हूँ कि मैं आपका पति नहीं हूँ.” उसने शीतल से कहा तो उसकी बात सुन कर शीतल के पैरों के नीचे से जमीन सरकने लगी थी. अनहोनी की आशंका और बढ़ गई. दिल और तेज़ी से धड़कने लगा.
............
“आपके पति अब इस दुनिया में नहीं है” सुनते ही शीतल के सर जैसे आसमान टूट पड़ा. दिल पर बिजली गिर पड़ी.

“नहीं! ये नहीं हो सकता” बदहवास शीतल दीवार पर सर टिका कर फूट फूट कर रोने लगी.

“धोखेबाज़, पापी, हत्यारे. तुम्हारी ये हिम्मत, मेरे पति की हत्या करके खुद बैठ गया मेरे पति की जगह. अरे नीच मैंने तो तुझे उसी दिन पहचान लिया था की तू अजय नहीं है. जिस दिन तुमने बिमारी का नाटक करके मौन धारण कर लिया था.”

“बेशक आप मुझे फांसी पर लटकाइए. मुझे इसका कोई अफसोस नहीं. लेकिन पहले जो मैं कह रहा हूँ वो बात सुनिये.

“कहो मैं सुन रही हूँ” शीतल ने उसकी बात सुनने की सहमति देते हुए कहा.
“मैं आपके पति का हत्यारा नहीं हूँ. अगर होता तो मैं ये बात आपको कभी नहीं बताता. प्रकृति ने मेरे खुद के साथ एक क्रूर मजाक किया है. प्रकृति द्वारा किये गए क्रूर मजाक का जीता जागता नमूना हूँ मैं“
**
हुआ यह था कि यमदूतों ने सूक्ष्म जानकारी गुम हो जाने की वजह से और एक नामराशि (तथा एक ही कारखाने से सम्बद्ध) होने के कारण मजदूर अजय के प्राण ले लिये. जब उन्हें अपनी गलती का अहसास हुआ उस समय तक मजदूर अजय का दाह संस्कार कर दिया था. अब उसका भौतिक शरीर नष्ट हो चुका था. अब क्या किया जाए, यमदूत सोचने लगे. तभी उनका ध्यान फैक्ट्री के मालिक अजय मलूका की ओर गया. असल में इसी अजय के प्राण लेने के लिये यमदूत आये थे.

अपनी योजना पर कार्य करते हुये, उन्होंने अजय मलूका के प्राण उसके शरीर से निकाल लिये और उसके स्थान पर उस शरीर में फैक्ट्री में काम करने वाले मजदूर अजय के प्राण डाल दिए. अब शरीर तो अजय मलूका का था लेकिन उसमे आत्मा मजदूर अजय की आ गयी थी.

“ये सब तुम्हारी वजह से हुआ है. अब तुम दोनों मुझे किसी दूसरे के शरीर में डाल कर जा रहे हो. मेरे बीवी बच्चे का क्या होगा?” प्राणी ने रोते हुए यमदूत की बात पर प्रतिक्रया दी.

“अबे बेवकूफ, अपने बीवी बच्चे की छोड़, खुद के बारे में सोच. तेरी बीवी और बच्चे के लिए तो तू मर चुका है. वो लोग बहुत जल्द भूल जायेंगे तुझे. हम जो कर रहे है वही ठीक रहेगा तेरे लिए. सोच आज तक क्या था तेरे पास जेब में फूटी कौड़ी भी नहीं थी. बैल की तरह काम करने के बाद भी क्या मिलता था? दो वक्त की रोटी. और क्या था तेरे पास एक मरियल सा सडा हुआ शरीर, जिसकी तरफ कोई देखना पसंद नहीं करता था. लेकिन अब तेरे पास एक खुबसूरत और रईस जैसा शरीर होगा. लाखो खुबसूरत लड़कियां उसकी दीवानी होगी, उसके आगे पीछे घूमेगी . करोड़ों की दौलत होगी तेरे पास, कार, बंगला, और जिस कंपनी में तू काम करके दो वक्त की रोटी ही कमा पाता था. हम तुझे उस कंपनी का मालिक बना रहे है. सोच मत हाँ कर दे यही ठीक रहेगा तेरे लिए” गुरु यमदूत अजय के प्राण को हसीन सपने दिखा कर उससे पीछा छुडाने की कोशिश करने लगा. वह बस सोच रहा था कुछ बोल ही नहीं पा रहा था.

“क्या सोच रहा है? इससे भी अच्छा कोई दूसरा मार्ग है तुम्हारे पास, तो वो भी बता दे हम तेरे लिए वो भी करेंगे. हमारे पास तो यही उपाय है. वरना भटकते रहना मृत्युलोक में.”

“अरे रुको मुझे मंजूर है” अजय के प्राण ने यमदूत से कहा.
......
“हाँ तब तो ठीक है मुझे मंजूर है”

“मुझे तो तुम्हारी इस बात पर बिलकुल भी भरोसा नहीं हो रहा है” उसकी बात सुनने के बाद शीतल ने अपनी प्रतिक्रिया दी.

“मैंने तो अपनी बात बताई है. यकींन करे या न करे. ये आपकी मर्जी है. लेकिन आपको ये मालुम होना चाहिए कि फिंगरप्रिंट वालों ने भी मुझे आपका पति माना है. क्योंकि ये आपके पति का ही शरीर है.

“हाँ तुम ठीक कहते हो शायद. तुम्हारी बात पर यकीन नहीं करने का मेरे पास कोई कारण भी नहीं और यकीन करने के आलावा कोई चारा भी नहीं है.लेकिन तुम्हे मुजसे एक वादा करना होगा” शीतल ने अजय से कहा.
“वादा! कैसा वादा?” अजय ने शीतल से पूछा.

“वादा ये कि दुनिया की नज़रों में तुम मेरे पति बन कर रहोगे. लेकिन अपनी सीमा लांघने की कोशिश कभी नहीं करोगे. मेरे पति की जगह लेने की कोशिश कभी मत करना. दूसरा ये कि ये बात किसी और को पता नहीं चलनी चाहिए. ताकि मेरे सास ससुर को ये भ्रम तो रहेगा की उनका बेटा उनके साथ है. उन्हें ये एहसास नहीं होना चाहिए की उनके खानदान को रोशन करने वाला चिराग बुझ गया है. उसकी इकलौती बहन को ये एहसास नहीं होना चाहिए की उसे जान से भी ज्यादा प्यार करने वाला उसका भाई अब इस दुनिया में नहीं रहा. मेरे मम्मी पापा को ये पता नहीं चलना चाहिए की उनकी बेटी अब विधवा हो चुकी है. मेरी बेटी को ये एहसास नहीं होना चाहिए की उसके सिर पर उसके बाप का साया नहीं रहा. ये भ्रम हमेशा भ्रम ही रहना चाहिए. अगर तुम इन सब रिश्तों को निभा सकते हो तो तुम मेरे घर में रह सकते हो.ये दौलत, कार कंपनी सब तुम्हारा है” शीतल ने अपनी शर्तें उसके सामने रख दी.
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(एक बार ऊपर आ जाईए न भैया )..(परिवार में हवस और कामना की कामशक्ति )..(लेखक-प्रेम गुरु की सेक्सी कहानियाँ running)..(कांता की कामपिपासा running).. (वक्त का तमाशा running).. (बहन का दर्द Complete )..
( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).


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(फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complet))........(कोई तो रोक लो)......(अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ)............. (ननद की ट्रैनिंग compleet)..............( सियासत और साजिश)..........(सोलहवां सावन)...........(जोरू का गुलाम या जे के जी).........(मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन)........(कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास)........(काले जादू की दुनिया)....................(वो शाम कुछ अजीब थी)
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Re: यमदूत की लापरवाही

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“मैं आपसे वादा करता हूँ मैडम, कि मैं जो भी काम करूंगा, आपकी इजाजत से ही करूंगा. मैं पहले भी आपका नौकर था. अब भी आपका नौकर बन कर ही रहूंगा. लेकिन आपके पति एक पढ़े लिखे बिजनेसमेन थे. और मैं ठहरा अनपढ़. मैं उनकी तरह सब कुछ कैसे करूंगा?” शीतल की बात सुन कर उसने अपनी प्रतिक्रिया दी.
“उसकी तुम चिंता मत करो. मैं सब संभाल लूंगी. अजय की हर बात उसके उठने बैठने का तरीका, बोलने का तरीका, सब मैं तुम्हे सिखा दूंगी. लेकिन जब तक तुम हमारे रिश्तेदारों के बारे में हमारे घर के बारे में और अजय के बारे में सब कुछ जान नहीं जाते तब तक तुम्हे ये बिमारी का नाटक जारी रखना होगा.

बाहर दरवाजे डोर बेल बजने की आवाज आई. शीतल कमरे से निकल कर दरवाजे पर गयी. दरवाजा खोला तो देखा मलूकदास और शान्ति देवी मंदिर से वापस आ गए थे.

“बाबूजी” मलूकदास और शान्ति देवी को देख कर शीतल इतना ही बोल पाई थी. और उसकी रुलाई फूट पड़ी.

“शीतल क्या हुआ बेटी? तू रो क्यों रही हो? सब ठीक तो है न? शीतल की आँखों में आंसू देख कर मलूकदास ने पूछा.

“कुछ नहीं बाबूजी. आज मैं बहुत खुश हूँ. अजय ने आज मुझसे बात की है. वो धीरे धीरे ठीक हो रहा है बाबूजी. इसलिए ख़ुशी के मारे मेरी आँखों में आंसू आ गए” शीतल ने अपने पति की मौत का सारा गम खुद में ही समेट लिया और अपने आंसुओं को ख़ुशी के आंसू बता कर चेहरे पर नकली मुस्कान लाते हुए मलूकदास को अजय के ठीक होने की खुश खबरी सुनाई. शीतल की बात सुन कर मलूकदास और शान्ति देवी बहुत खुश हुए. और शीतल फिर अपने कमरे में जा कर अपने पति की मौत में फूट फूट कर रोने लगी.

समाप्त
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