यमदूत की लापरवाही

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jay
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Re: यमदूत की लापरवाही

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“गुड बहूत समझदार लगते हो.अगर यही समझदारी पहले दिखाई होती तो तुम्हारे बेटे का अपरहण भी नहीं होता और दो के बजाय एक खोखे से ही काम चल जाता” शाकाल से बात करके मलूकदास ने फोन कट कर दिया. फिर घर मे गया दो करोड़ रुपये बैग में ड़ाल कर शाकाल कि बताई जगह पर पहुँच गया. उसने रुपये से भरा बैग शाकाल को दिया और अजय को ले कर घर आ गया अजय के घर आते ही सबने राहत कि सांस ली.

“भाग्यवान संभालो अपने बेटे को और पूछो इससे कि ये रात को बारह बजे घर से बाहर क्यों गया था? मैंने तो इसे पूछ लिया लेकिन इसने तो मौन धारण कर लिया है. जवाब ही नहीं.देता”

“आप बेवजह मेरे ऊपर गुस्सा हो रहे है पापा. मैं क्या बताऊँ आपको? मैं खुद नहीं जानता कि मैं वहां गया कैसे” मलूकदास कि बात पर अजय ने प्रतिक्रया दी और आगे कुछ भी बोले बिना ही अपने कमरे ने चला गया. सब लोग आश्चर्य से एक दूसरे कि तरफ देखने लगे.

“कमबख्त ये कौनसी बिमारी है. किसी से भी सीधे मुंह बात नहीं करना और रात को नींद में ही घर से निकल जाना” मलूकदास ने अजय कि बात पर हैरान हो कर कहा.

“सच में पापा. अजय भैया कि ये हालत मुझे बहूत अटपटी लगती है. कुछ कीजिये पापा कुछ कीजिये” आरती ने मलूकदास से कहा.

“मैं तुम्हारे दिल कि हालत समझ सकता हूँ बेटी. मैं अपने बेटे के इलाज के लिए डॉक्टर खरीद सकता हूँ अस्पताल खरीद सकता हूँ. पर क्या करूँ. कमबख्त ये बिमारी पकड़ में आये तब न” मलूकदास बोलते बोलते वह भावुक होने लगा था. उसकी आँखों में आंसू आ गए थे.

“हौसला रखिये समधी जी. सब ठीक हो जाएगा” पास में खड़े अजय के ससुर ने मलूकदास के कंधे पर हाथ रख कर हौसला दिलाते हुए कहा.

“अब हौसला रखना ही एक मात्र चारा है. शीतल तुम ऐसा करो कोमल को उसके नानी नानी के साथ भेज दो”

मलूकदास ने शीतल से कहा.

“ये क्या कह रहे है आप बाबूजी? कोमल के बिना मैं कैसे रहूंगी?” शीतल ने कोमल को खुद से अलग करने से मना करते हुए कहा.

“समझने कि कोशिश करो बहू कोमल हर समय एक ही सवाल पूछती है दादाजी पापा बात क्यों नहीं करते. और अजय की खामोशी हम सबको इतनी तकलीफ दे रही है तो सोचो इस मासूम बच्ची के दिल पर क्या गुजर रही होगी पता नहीं इस घर की तकदीर क्यों रूठ गयी. मेरा बेटा खामोश बुत बन कर बैठ गया है. पूरा घर मरघट लग रहा है”

सुबह के चार बजने को आये थे. सब अपनी अपनी जगह पर जा कर सो गए. लेकिन किसी कि भी आँखों में नींद नहीं थी. सुबह होते ही अजय से मिलाने आये मेहमानों ने वापस जाने कि तैयारी कर ली. कोमल भी नानी नानी के साथ जा रही थी.

“आरती सब लोग जा रहे है. लेकिन तुम रुक जाओ ना. दो दिन बाद चली जाना. सब लोग चले गए तो ये घर बहूत सूना सूना लगेगा” शीतल ने आरती को रोकने कि कोशिश करते हुए कहा शीतल कि आँखों में उदासी के साथ आंसू भी छलक आये थे.

“इस तरह हौसला नहीं हारते भाभी. अजय भैया बहूत जल्दी ठीक हो जायेंगे आज तो मुझे जाना होगा लेकिन कल में फिर वापस आ जाउंगी” आरती ने शीतल से कहा.

“कोमल भी ममी पापा के साथ जा रही है. अगर तबियत ठीक होती तो हमें किसी कि भी कमी का एहसास नहीं होता”

शीतल ने आरती को फिर रोकने की कोशिश की लेकिन आरती दूसरे दिन वापस आने का वादा करके चली गयी. सब मेहमान चले गए लेकिन अजय किसी को भी विदा करने के लिए अपने कमरे से बाहर भी नहीं आया. वह गुमसुम अपने कमरे में ही सोया रहा. मेहमानों को विदा करने के बाद मलूकदास अजय की मानसिक जांच रिपोर्ट लेने के लिए डॉक्टर के पास गए. डॉक्टर ने पूरी रिपोर्ट देखी लेकिन जवाब वही पहले वाला.
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( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).


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(फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complet))........(कोई तो रोक लो)......(अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ)............. (ननद की ट्रैनिंग compleet)..............( सियासत और साजिश)..........(सोलहवां सावन)...........(जोरू का गुलाम या जे के जी).........(मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन)........(कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास)........(काले जादू की दुनिया)....................(वो शाम कुछ अजीब थी)
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jay
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Re: यमदूत की लापरवाही

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“सेठजी इस जांच रिपोर्ट में मुझे कोई भी बिमारी नजर नहीं आ रही है. मैं यकीन के साथ कह रहा हूँ की आपका बेटा चंगा भला है उसे कोई तकलीफ नहीं है” डॉक्टर ने जांच रिपोर्ट देखने के बाद जवाब दिया.

“ये क्या कह रहे है आप डॉक्टर? मेरा बेटा पिछले चार दिन से जिन्दा लाश बन कर रह गया है और आप कह रहे है उसे कोई तकलीफ ही नहीं है? तो क्या वो हम सबके साथ जानबूझ कर मजाक कर रहा है?” डॉक्टर की बात पर मलूकदास ने अपनी प्रतिक्रया दी.

“उसकी खामोशी की सिर्फ एक ही वजह हो सकती है. भय या कन्फ्यूजन. उसके दिमाग में कोई भय है जो उसे कन्फ्यूज और परेशान कर रहा है. मैं ये दवाई…………

“एक मिनट एक मिनट. क्या कहा आपने कोई भय है जो अजय की परेशान कर रहा है?” मलूकदास ने डॉक्टर की बात बीच में ही काट कर पूछा.

“हाँ उसके नहीं बोलने की एक वजह ये भी हो सकती है”

“थैंक यू डॉक्टर. जानकारी देने के लिए बहुत बहुत शुक्रिया.” मलूकदास डॉक्टर को शुक्रिया बोल कर उठ गया. डॉक्टर आश्चर्य से देखता रहा.

“क्या हुआ बाबूजी? डॉक्टर ने क्या कहा?” मलूकदास के घर पहुंचते ही शीतल ने सवाल किया.

“डॉक्टर की रिपोर्ट मैं बाद में बताउंगा पहले ये बताओ की अजय कहाँ है?” मलूकदास ने शीतल से सवाल किया.
“वो अपने कमरे में सो रहा है” शांति देवी ने जवाब दिया.

“ठीक है उसे सोने दो और तुम दोनों मेरे साथ चलो बाहर लॉन में बैठते है. मुझे कुछ जरुरी बात करनी है” शीतल और शांतिदेवी मलूकदास के साथ बाहर आ गयी. तीनों बंगले के बाहर लॉन में कुर्शिया लगा कर बैठ गए.

“कुछ बताइए तो सही डॉक्टर ने क्या कहा?” शांति देवी ने पूछा.


“डॉक्टर ने कहा है कि इसे किसी भी प्रकार की कोई भी बिमारी नहीं है.और अब मैंने ये तय किया है की अजय का इलाज मैं खुद करूंगा” मलूकदास का जवाब सुन कर आश्चर्य से एक दुसरे की तरफ देखने लगी.


“एक बात बताओ शीतल. पहली बार तुमने अजय में ये बदलाव कब देखा?” मलूकदास ने शीतल से सवाल किया.


“सन्डे के दिन जब हम शोपिंग के लिए गए थे. अजय कार में ही बैठे रहे और मैं मॉल में चली गयी. जब मैं शोपिंग करके लौटी तो मैंने अजय में ये बदलाव देखा. अजय नजरे झुकाए बैठे रहे मैंने झिंझोड़ कर चलने के लिए कहा तो मेरी तरफ ऐसे घूर कर देखने लगे जैसे पहली बार देख रहे हो कार भी मैं खुद चला कर लाई” शीतल ने मलूकदास को जानकारी दी.


“और तुम दोनों के घर आने पर मैंने फोन किया था” मलूकदास ने बात आगे बढाते हुए कहा


“हाँ किया था” शीतल ने सहमति से सर हिलाया.
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Re: यमदूत की लापरवाही

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“और इस बंदे ने कॉल रिसीव करने के बजाय फोन तुम्हारे हाथ में दे दिया और तुमने कॉल रिसीव करके मुझे बताया की अजय की तबियत ठीक नहीं है”

“हाँ कहा था” शीतल ने फिर सहमति से सर हिलाया.

“उसके बाद मैंने अजय से उस फाइल के बारे में पूछा जो मैंने इसे पिछले दिन ही दी थी. लेकिन इसने फाइल के बारे में ऐसा जवाब दिया जैसे कुछ जानता ही ना हो. हम तो ये समझते रहे की ये बीमार है. लेकिन डॉक्टर का कहना है की इसे शारीरिक या मानसिक किसी भी प्रकार की कोई बिमारी ही नहीं है. अगर ये बीमार नहीं है तो ये बिमारी का नाटक करे खामोश क्यों बैठा है? और अब सबसे बड़ा सवाल ये है कि ये हफ्ता वसूली करने वाली गेंग के चंगुल में फंसा कैसे? ये रात को घर में सो रहा था फिर वहां गया कैसे?” मलूकदास बोले जा रहा था और शीतल व शांति देवी मलूकदास कि बात को गौर से सुन रही थी.

“तुम दोनों को अब भी शायद ये एहसास नहीं हुआ होगा कि मैं कहना क्या चाहता हूँ. लेकिन इन सब बातों पर गौर करने के बाद मैं इस नतीजे पर पहुंचा हूँ कि ये अजय नहीं है.”

“क्या! अजय नहीं है! ये क्या कह रहे है आप? अगर ये अजय नहीं है तो और कौन है?” इस बार मलूकदास कि बात सुन कर शीतल व शांति देवी को जोर का झटका लगा.

“ये अजय नहीं अजय का हमशक्ल है. और अजय आज भी उस गेंग के कब्जे में है जिस गेंग को कल रात हम दो करोड़ रुपये दे कर इसे छुड़ा कर लाये है. ये उसी गेंग का मेम्बर है. और कल रात जो कुछ हुआ वो इसी के इशारे पर हुआ है. अजय का अपहरण तो उसी दिन हो गया गया था जिस दिन अजय और शीतल शोपिंग के लिए गए थे. उस समय कोई तुम्हारा पीछा कर रहा था लेकिन तुम दोनों को पता नहीं चला. शीतल जब शोपिंग मॉल में गयी तो कोई पीछे से आया है अजय को कोई नशीली बेहोशी कि दवाई सुंघा कर गाडी में ड़ाल दिया गया और अजय कि जगह इसे बिठा दिया गया. ताकि ये हमारी खबर उन लोगों को देता रहे और हमारी दौलत लुटता रहे. लेकिन इसको इस बात का डर था कि अगर ये ज्यादा बोला तो इसके बोलचाल के तरीके में फर्क देख कर कहीं हम इसकी असलियत ना जान ले कहीं इसकी पोल ना खुल जाए इसलिए इस बंदे ने बिमारी का बहाना करके हमारे सारे सवालों के जवाब से बचने के लिए मौन धारण कर लिया.

“लेकिन अब क्या होगा बाबूजी?” मलूकदास कि बात पूरी होने पर शीतल ने पूछा.

“वही होगा जो हम चाहेंगे. मैं इसका सारा बंदोबस्त कर दूंगा. लेकिन इसे ज़रा भी ये एहसास नहीं होना चाहिए कि हमें इसकी असलियत पता चल गयी है वरना ये हमें नुक्सान भी पहुंचा सकता है तब तक मैं इसका ऐसा प्रबंध करुन्घा कि ये जिंदगी भर याद रखेगा” मलूकदास ने शीतल को अजय के हमशक्ल से सावधान रहने कि सलाह देते हुए कहा.

“लेकिन आप ये यकीन के साथ कैसे कह सकते है की ये अजय नहीं अजय का हमशक्ल है. कहीं ऐसा न हो की आप हमशक्ल के भ्रम में अजय को ही पुलिस के हवाले कर दे” शांति देवी ने कहा.

“आपकी बात सही है. लेकिन यकीन करने से पहले हम यह भ्रम भी मिटा देंगे कि ये अजय है या अजय का हमशक्ल. और ये भ्रम मिटाने में हमारी मदद करेगी फिंगर प्रिंट एक्सपर्ट की रिपोर्ट”

“फिंगर प्रिंट कि रिपोर्ट?” शांति देवी और शीतल ने पूछा.

“हाँ फिंगर प्रिंट कि रिपोर्ट. शीतल तुम एक काम करो इस बहरुपीये के खाने में नींद कि गोली मिला देना. जब ये गहरी नींद में सो जाए तब कैसे भी करके तुम कागज पर इसके फिंगर प्रिंट ले लेना. अजय के फिंगर प्रिंट मेरे पास एक पुरानी फाइल में है. में उस फाइल और इसके फिंगर प्रिंट का मिलान कराउंगा. एक बार फिंगर प्रिंट कि जांच हो जाने दो, फिर देखना मैं इस बहरुपीये का इलाज कैसे करता हूँ” मलूकदास ने शीतल को उसके फिंगर प्रिंट लेने कि सलाह दी मलूकदास के कहे अनुसार शीतल ने उसके खाने में नींद कि गोली मिला दी. जब वो गहरी नींद सो गया तो शीतल ने कागज पर उसकी अंगुलिओं के और हाथ के निशान ले लिए. और कागज मलूकदास को दे दिया. मलूकदास ने अजय के फिंगर प्रिंट वाली पुरानी फाइल और इसके फिंगर ले जा कर अपने वकील को जांच कराने सौंप दिए.

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Re: यमदूत की लापरवाही

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दो दिन बाद फिंगर प्रिंट जांच की रिपोर्ट भी आ गई. लेकिन नतीजा वही पहले वाला. दोनों फिन्गर प्रिंट एक ही आदमी के है यानी मलूकदास के बेटे अजय के ही है. ये कोई बहरूपिया नहीं बल्कि अजय ही था. अब मलूकदास के लिए हर रास्ता बंद नजर आने लगा था. अजय की बिमारी ने मलूकदास को पूरी तरह तोड़ कर रख दिया था.

डॉक्टर ने तो बिमारी नहीं होने की बात कह कर अपना पल्ला झाड लिया था. लेकिन अजय की खामोशी मलूकदास और उसके और उसके परिवार को गहरा मानसिक आघात दे रही थी. शीतल और शान्ति देवी को हौसला दिलाने के लिए तो मलूकदास था. लेकिन उसको खुद को संभालने के लिए कोई नहीं था. मलूकदास जिंदगी में पहली बार इतना मायूस हुआ था.

शाम को आरती भी आ गयी थी. आरती के आने पर शीतल ने राहत की सांस ली थी. उसके आने से सूनेपन का एहसास नहीं होगा. यही सोच कर शीतल कुछ खुश लग रही थी.

“अब कैसी है अजय भैया की तबियत?” आरती ने आते ही अजय के बारे में पूछा.

“अजय की तबियत वैसी ही है. और डॉक्टर ने ये कह कर पल्ला झाड लिया है की अजय को कोई बिमारी है ही नहीं” आरती की माँ शांति देवी ने जवाब दिया.


“डॉक्टर ने सही ही कहा है अजय भैया को बिमारी है भी नहीं” आरती ने कहा.

“क्या मतलब?” शीतल ने आरती की बात पर पूछा वे तीनो आश्चर्य से आरती की तरफ देखने लगे.


“मतलब ये है की अजय भैया पर किसी प्रेत आत्मा का साया है” आरती ने जवाब दिया. .


“क्या! प्रेतात्मा का साया?” आरती की बात सुन कर शीतल शान्ति देवी और मलूकदास बुरी तरह चौके. वे तीनो आरती की तरफ ऐसे देखने लगे जैसे जोर का झटका लगा हो.


“हाँ प्रेतात्मा हर किसी से नजरें चुराना बात नहीं करना खामोश बैठे रहना. ये सब प्रेतात्मा के ही लक्ष्ण है.


“देख आरती बेटी मैं जो कर सकता था वो मैंने किया. अब तू कहती है की इस पर प्रेतामा का साया है तो इसका समाधान भी तुझे ही निकालना है. मैं तो थक गया हूँ” मलूकदास ने आरती से कहा.

“आप चिंता मत कीजिये पिताजी मैं इस बात का समाधन खोजने के बाद ही यहाँ आई हूँ. कल ही हम एक ऐसे तांत्रिक के पास अजय भैया को ले कर चलेंगे. उस तांत्रिक के आगे कोई भी प्रेत टिक नहीं सकता ”


शाम खाना खाने के बाद परिवार के सभी मेम्बर अपनी जगह पर जा कर सो गए. सुबह के पांच बजे होंगे कि शीतल घबराई हुई मलूकदास के कमरे में आई वह मलूकदास को झिंझोड़ कर जगाने की कोशिश करने लगी.

“बाबूजी उठिए बाबूजी” शीतल ने मलूकदास को आवाज लगाईं.

“शीतल क्या बात है? क्या हुआ” मलूकदास ने झट से उठ कर शीतल से पूछा.

“अजय अपने कमरे में नहीं है बाबूजी वो अपने कमरे में नहीं है” घबराई हुई शीतल ने मलूकदास से कहा.


“कमरे में नहीं है! फिर कहाँ गया गया वो?” मलूकदास ने गरजती हुई आवाज में कहा. मलूकदास की आवाज सुनकर अपने कमरे में सो रही आरती भी जाग कर बाहर आ गयी. और चौकीदार भी आ गया.

“अजय को बाहर जाते हुए देखा तुमने?” मलूकदास ने चौकीदार से पूछा.

“नहीं सेठजी इस बार मैंने छोटे मालिक को बाहर जाते हुए नहीं देखा” चौकीदार ने जवाब दिया. लेकिन उस पर कोई प्रतिक्रिया दिए बिना ही मलूकदास बाहर जा कर बंगले की चारदीवारी का मुआयना करने लगे जहाँ जहां से उनको दिवार फांद कर बाहर जाने की संभावना नजर आ रही थी. अचानक चारदीवारी के ऊपर ग्रिल में बंधी हुई और बाहर की तरफ लटकती हुई एक रस्सी नजर आई. वो समझ गया की अजय इसी रस्सी के सहारे दिवार फांद कर बाहर चला गया.

“रस्सी के सहारे दिवार फांद कर भाग गया है वो” मलूकदास ने वापस अन्दर घर वालों को बताया.

“दिवार फांद कर भाग गया? लेकिन वो जाता कहाँ है?” शान्ति देवी ने कहा.

“यही तो मेरी समझ में नहीं आ रहा है की ये आखिर चाहता क्या है? पता नहीं इस बार कहाँ गया होगा” मलूकदास ने हैरान हो कर कहा.

“अब क्या होगा पापा अब क्या करेंगे?” आरती ने रुंसी हो कर कहा.
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Re: यमदूत की लापरवाही

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“उसे ढूंढ़ कर लाना पडेगा पुलिस में उसकी गुमशुदी की रिपोर्ट लिखवानी पड़ेगी” मलूकदास ने जवाब दिया.

सूर्योदय होने को आया था. शीतल ने किचन में जा कर चाय बनाई. वह सबके लिए चाय बना कर ले आई. मलूकदास ने ज्योही चाय का कप हाथ में लीया कि उनके फोन की घंटी बजने लगी,.फोन हाथ में ले कर देखा तो नंबर पहचान लीया. फोन पुलिस स्टेशन से आया था. एक उमीद बंधी कि शायद अजय के बारे में कोई खबर हो, इसके अलावा इतना जल्दी पुलिस स्टेशन से फ़ोन आने का दूसरा कोई कारण भी तो नहीं था. इसलिए झट से कॉल रिसीव करके फोन कान से लगा लिया.

“हेल्लो मलूका सेठ हम पुलिस स्टेशन से बोल रहे है. आपका बेटा अजय इस समय पुलिस की हिरासत में है. वो बलात्कार की कोशिश में पकड़ा गया है” मलूकदास पहले से ही परेशान था अब ये खबर सुनने की हिम्मत उसमे नहीं थी. वह सामने वाले की बात पूरी सुनने से पहले ही गश खा कर गिर गया. पास में बैठी शान्ति शीतल और आरती तीनो ही किसी अनहोनी की आशंका में घबराने लगे.

“पापा! क्या हुआ पापा?” आरती पूरी तरह से घबरा गई थी लेकिन फिर भी मलूकदास के हाथ में से फोन ले कर कान से लगा लिया फोन अब भी चालू था.

“आप सुन रहे न मलूका सेठ. आपका बेटा अजय एक विधवा औरत के साथ बलात्कार करने की कोशिश में पकड़ा गया है” सामने वाले की बात सुन कर आरती भी गश खा कर गिरने लगी. लेकिन पास में खड़ी शीतल ने उसे थाम लिया.

“आरती क्या हुआ आरती?” शीतल आरती से पूछने लगी. पास में खड़ी शान्ति देवी घबराई हुई कुछ बोल ही नहीं पा रही थी.


“भाभी अजय भैया को पुलिस ने पकड़ लिया है. पुलिस का कहना कि भैया ने एक विधवा से बलात्कार करने की कोशिश की है.” आरती ने शीतल को जवाब दिया.

“बलात्कार? नहीं, ये नहीं हो सकता. अजय ऐसा नहीं कर सकते” बलात्कार की बात सुनते ही शीतल शान्ति देवी को जोर का झटका लगा.

“यही सुन कर तो मैं भी हैरान हूँ की मेरा भाई बलात्कारी नहीं हो सकता”

सुबह होते ही इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में ये खबर जंगल में आग की तरह फ़ैल गयी थी कि शहर के सबसे बड़े रईस सेठ मलूकदास का बेटा बलात्कार की कोशिश में पकड़ा गया. ये खबर जब मनीराम के बेटे फूलचंद तक पहुंची तो वह बहुत खुश हुआ वह इसकी खुशखबरी देने के लिए अपने पिता मनीराम के पास पहुंचा. साथ में एक मिठाई का डिब्बा भी ले गया सोचा पहले पापा का मुंह मीठा कराएगा और फिर खुशखबरी सुनाएगा.

“मुंह मीठा कीजिये पापा मैं आज बहुत बड़ी खुश खबरी लाया हूँ” फूलचंद ने मनीराम के मुंह में लड्डू देते हुए कहा.

“किस बात की खुशखबरी? तू अमेरिकी राष्ट्रपति का चुनाव लड़ने जा रहा है क्या?” मनीराम ने फूलचंद की बात को में हवा में उड़ाते हुए कहा.

“आपने खबर नहीं देखी क्या? मलूका इंडस्ट्री की उल्टी गिनती शुरू हो गई है. मलूका का बेटा बलात्कार की कोशिश में पकड़ा है” फूलचंद ने खुश हो कर कहा.

“इस बात को तू खुशखबरी कह रहा है. बलात्कार की कोशिश के जुर्म में ही पकड़ा गया है. बलात्कार के जुर्म में तो नहीं न कितनी सजा होगी ज्यादा से ज्यादा तिन साल” मनीराम ने फूलचंद से कहा.

“पापा. मलूका इंडस्ट्री को मटियामेट करने के लिए तिन साल तो बहुत है”

‘अरे बेवकूफ जब तक मलूका जिन्दा है मलूका इंडस्ट्री को कोई भी मटिया मेट नहीं कर सकता ये मिठाई ले जा कर कुत्तों को डाल दे और अपने वकील खुराना को फोन लगा. और मलूका के बेटे और उस पर बलात्कार की कोशिश का इल्जाम लगाने वाली औरत के बीच क्या कनेक्शन है इसकी सारी इन्फोर्मेशन मुझे ला कर दे. हम उस औरत को अपना वकील मुहैया कराएँगे और उसकी हर संभव मदद करेंगे”
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( आखिर वो दिन आ ही गया Complete )...(ज़िन्दगी एक सफ़र है बेगाना complete)..(ज़िद (जो चाहा वो पाया) complete)..(दास्तान ए चुदाई (माँ बेटी बेटा और किरायेदार ) complete) .. (एक राजा और चार रानियाँ complete)..(माया complete...)--(तवायफ़ complete)..(मेरी सेक्सी बहनेंcompleet) ..(दोस्त की माँ नशीली बहन छबीली compleet)..(माँ का आँचल और बहन की लाज़ compleet)..(दीवानगी compleet..(मेरी बर्बादी या आबादी (?) की ओर पहला कदमcompleet) ...(मेले के रंग सास,बहू और ननद के संग).


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(फैमिली में मोहब्बत और सेक्स (complet))........(कोई तो रोक लो)......(अमन विला-एक सेक्सी दुनियाँ)............. (ननद की ट्रैनिंग compleet)..............( सियासत और साजिश)..........(सोलहवां सावन)...........(जोरू का गुलाम या जे के जी).........(मेरा प्यार मेरी सौतेली माँ और बेहन)........(कैसे भड़की मेरे जिस्म की प्यास)........(काले जादू की दुनिया)....................(वो शाम कुछ अजीब थी)
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