नागिन का बदला

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नागिन का बदला

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नागिन का बदला

उसके जिस्म पर फटे पुराने चिथड़े थे और चेहरे पर भूख प्यास के साथ भय की लकीरें। वह बेतहाशा भाग रही थी। क्योंकि तीन दरिन्दे उसका पीछा कर रहे थे। ये तीनों वो थे जिन पर देश की बहूबेटियों की सुरक्षा की जिम्मेदारी थी। यानि पुलिस बल के होनहार रंगरूट थे ये। किन्तु आज उनकी आँखें अपनी हवस में कर्तव्य भूल गयी थीं। एक पेड़ तले बैठी अकेली अबला उनके लिए आसान शिकार बन चुकी थी।

अचानक लड़की ने एक ठोकर खायी और मुंह के बल जमीन पर गिर पड़ी। उसका सर वहाँ पड़े पत्थर से टकराया और ज़मीन उसके खून से लाल होने लगी। उसने सर उठाकर देखा तो नशे में धुत तीनों दरिन्दे उसे घेरे हुए वहशियाना हंसी हंस रहे थे।

फिर वे उसपर टूट पड़े। देर तक उनका वहशियाना खेल चलता रहा। और जब वे अपनी हवस शान्त करके दूर हटे तो वहां नजर आ रही थी एक लाश। बेजान बिना किसी हरकत के।
*****

‘‘हम लोगों ने उसे मारकर अच्छा नहीं किया।’’ तीनों इस समय एक कमरे में मौजूद थे। उनमें से एक ने ये शब्द कहे थे। इस समय उनमें से कोई नशे में नहीं था।

‘‘तो क्या उसे छोड़ देते सबको बताने के लिए। हममें से किसी की नौकरी बाकी नहीं रहती।’’ दूसरे ने पहले को फटकारा।

‘‘सुखराम ठीक कहता है बलवन्त। वह लड़की अगर जिन्दा रहती तो हमारे लिए खतरा बन सकती थी।’’ तीसरा भी बोल उठा।

‘‘मैं तो इसलिए कह रहा था कि उसके साथ मज़ा बहुत आया था।’’ बलवन्त फिर बोला, ‘‘वैसे वह वहाँ आयी कैसे थी?’’

‘‘भिखारी तो कहीं भी पहुँच जाते हैं। ऊपरवाला भी खूब है। भिखारियों में भी इतनी खूबसूरती पैदा कर देता है।’’
‘‘तू तो कविता कहने लगा शुक्ला। लेकिन मेरे दिमाग में एक शंका है।’’ बलवन्त बोला।

‘‘कैसी शंका?’’
‘‘हम उसकी लाश यूं ही छोड़ आये थे। तफ्तीश जरूर होगी उसकी। कहीं ऐसा न हो कोई सुबूत मिल जाये, और हम लोग पकड़े जायें।’’

‘‘तू बेकार में चिन्ता करता है। तफ्तीश के लिए भी हम ही लोग बुलाये जायेंगे। अगर कोई सुबूत छूट भी गया तो हम अपने करकमलों से उसे स्वाहा कर देंगे।’’ सुखराम इत्मिनान के साथ बोला।

‘‘यानि हमारे फंसने का दूर दूर तक कोई चांस नहीं।’’

‘‘हां। अब बस एक ही खतरा है हमारे लिए।’’

‘‘कैसा खतरा?’’ दोनों सुखराम की बात पर चौंक उठे।
‘‘यही कि वह लड़की पुनर्जन्म किसी नागिन के रूप में ले ले और फिर हमसे एक एक कर बदला ले, पिछले जन्म का। जैसा कि पुरानी फिल्मों में होता था।’’

‘‘नागिन का बदला।’’ बलवन्त बोला और फिर तीनों कहकहा मारकर हंस पड़े।

‘‘चलो अब ड्यूटी पर चलने की तैयारी की जाये।’’ शुक्ला उठ खड़ा हुआ। बाकी दोनों भी उस के साथ खड़े हो गये।
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बलवन्त के इस समय पूरे मजे थे। एक राज्यमन्त्री के गेट पर उसकी ड्यूटी लगी थी। राज्यमन्त्री तो अपने बेडरूम में किसी कालगर्ल के साथ व्यस्त थे, लिहाजा उसके लिए भी ऊंघने का पूरा मौका था। और यही उसने किया। राइफल उतारकर साइड में रखी और दीवार से टेक लगाकर पसर गया।

अचानक उसे महसूस हुआ, उसके पैरों पर कोई लिजलिजी वस्तु रेंग रही है। उसने ऊंघती आँखों के पपोटे धीरे से खोलकर उधर नजर की। दूसरे ही पल उसके रोंगटे खड़े हो गये। क्योंकि वस्तु एक जहरीली नागिन थी। हड़बड़ा कर उसने सीधा होना चाहा, किन्तु उससे पहले ही नागिन आना फन काढ़कर उसकी आँखों से आँखें मिला चुकी थी। फिर उसे संभलने का भी मौका नहीं मिल सका। नागिन ने सीधे उसके माथे पर वार किया था और फिर बिजली की गति से वहाँ से गायब हो गयी।

‘‘बचाओ!’’ वह चीखा। आसपास मौजूद दूसरे लोग उसके पास दौड़ पड़े।

‘‘म..मुझे साँप ने काट लिया है मुझे डाक्टर के पास ले चलो ... फौरन।’’ उसने लोगों से कहा।

‘‘कहाँ..किधर है साँप?’’ उसकी बात सुनकर बाकी सब भी घबरा गये।

‘‘वह एक नागिन थी।’’ कहते हुए वह बेहोश हो गया। लोग उसे लेकर डाक्टर के पास भागे। लेकिन जहर अपना काम कर चुका था। उसे बचाया नहीं जा सका।

बलवन्त की जलती चिता के पास उसके दोनों दोस्त उदास और चिंतित खड़े थे।
‘‘समझ में नहीं आता नेताजी के बंगले में साँप किधर से आ गया।’’ शुक्ला कह रहा था।

‘‘कुछ भी हो, लेकिन हमारा एक अच्छा दोस्त हमसे जुदा हो गया।’’

‘‘ऊपर वाले की मर्जी। चलो घर चलते हैं।’’ दोनों ने आगे बढ़ने के लिए कदम उठाये, लेकिन फिर ठिठक कर रह गये। क्योंकि सामने एक नागिन फन काढ़े हुए गुस्सैली नजरों से उन्हें घूर रही थी।

दोनों हड़बड़ा गये। फिर शुक्ला ने अपना सर्विस रिवाल्वर निकालकर उसपर फायर करना चाहा। लेकिन उससे पहले ही नागिन बिजली की तरह लहराकर झाड़ियों में गायब हो चुकी थी।

‘‘यार, कहीं ये वही साँप तो नहीं था जिसने बलवन्त को डसा है।’’ सुखराम ने झाड़ियों की तरफ देखते हुए कहा।
‘‘हो सकता है। लेकिन ये हमारे सामने क्यों आया था?’’

‘‘आया नहीं आयी थी। वह नर नहीं मादा थी। एक खतरनाक नागिन।’’ सुखराम ने संशोधन किया।
‘‘कुछ भी हो, लेकिन उसका दूसरी बार दिखाई देना शुभ संकेत नहीं है।’’

‘‘दरअसल वह यहाँ देखने आयी थी कि उसके ज़हर का कितना असर हुआ है। अब छोड़ो इन सब बातों को, क्या घर नहीं चलना है?’’

‘‘हाँ चलो। यहाँ तो अब सुनसान हो रहा है।’’
वो दोनों जल्दी से वहाँ से चल दिये। नागिन देखने के बाद उनके दिलों में डर भी समा गया था।
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सुखराम की पत्नी उसकी गलत हरकतों से तंग आकर उससे तलाक ले चुकी थी। बच्चा कोर्ग था नहीं। इसलिए वह अकेला ही अपनी फ्लैट पर रहता था और जमकर शराबखोरी करता था।

इस समय भी उसके हाथ में लाल परी थी और सामने टी0वी0 आॅन था जिसपर कोई नर्तकी अपने लटके झटके दिखा रही थी। बैक्ग्राउण्ड में कोई भद्दा सा म्यूजिक बज रहा था।

उसने दो तीन चुस्कियां लीं और उस भद्दे म्यूजिक पर थिरकने लगा। फिर उस म्यूजिक में किसी संपेरे की बीन भी शामिल हो गयी। इसी के साथ याद आ गयी उसे वह नागिन।

‘‘क्या बकवास कहानियां होती थीं पुराने समय मेें। कोई आदमी किसी नाग को मार देता था, फिर नागिन उससे बदला लेती थी।’’ अपनी बात पर वह खुद ही हो हो करके हंसने लगा। नशा उसके ऊपर हावी हो रहा था।

अचाानक उसकी हंसी पर ब्रेक लग गया। क्योंकि खिड़की पर वही नागिन नजर आ रही थी, फन उठाकर इधर उधर झूमती हुई।

सुखराम ने दो तीन बार सर झटका और घूर घूरकर खिड़की की तरफ देखने लगा। नागिन लगातार झूमे जा रही थी।

‘‘लगता है मेरे को नशा ज्यादा हो गया है। ये ससुरी हर जगह दिखाई पड़ रही है।’’
लेकिन फिर उसका नशा हिरन हो गया। क्योंकि नागिन अब खिड़की से उतरकर उसी की तरफ आ रही थी। वह उछलकर खड़ा हो गया और शराब की बोतल हाथ में थाम ली नागिन को मारने के लिए। हालांकि उसका हाथ बुरी तरह कांप रहा था।

नागिन ने उसके ऊपर झपट्टा मारा। उसने बोतल से अपना बचाव करना चाहा। लेकिन नागिन उससे ज्यादा फुर्तीली थी। बोतल का वार बचाते हुए उसने उसकी कलाई में दाँत गाड़ दिये।

सुखराम ने देखा अपना जहर उगलने के बाद वह उसी खिड़की से वापस जा रही थी।
खौफ से कांपते हुए उसने जल्दी से मोबाइल उठाया और शुक्ला का नंबर मिला दिया।

‘‘हैलो!’’ दूसरी तरफ से शुक्ला की नींद भरी आवाज आयी। शायद वह सो गया था।
‘‘शुक्ला, मैं मर रहा हूँ। वही नागिन....।’’

‘‘क्या?’’ शुक्ला के चौंकने की आवाज आयी।
‘‘उसने मुझे काट लिया है। मेरे को लगता है उसमें उसी लड़की की आत्मा समा गयी है और हमसे बदला ले रही है।’’

‘‘बेकार की बातें मत करो। मैं आ रहा हूं तुम्हारे पास।’’
‘‘कोई फायदा नहीं। अब मेरा अंत आ गया है।’’ बेहोश होने से पहले उसने अंतिम वाक्य कहा और फिर उसके हाथ से फोन छूट गया।

स्पीकर से अभी भी शुक्ला की हैलो हैलो की आवाज आ रही थी।
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परेशानहाल शुक्ला इंस्पेक्टर राजीव के चैम्बर में घुस गया।
‘‘सर, मैं बहुत परेशान हूँ।’’ उसने अंदर घुसते ही कहा।
इं. राजीव ने किसी फाइल से सर उठाकर उसकी ओर देखा, ‘‘वह तो तुम्हारे चेहरे ही से मालूम हो रहा है। क्या बात है?’’

‘‘सर, एक नागिन हमारे पीछे लग गयी है। उसने बलवन्त और सुखराम को मार डाला। और अब मुझे भी खत्म करना चाहती है।’’

‘‘तुम्हारी बातें मेरी समझ में नहीं आयीं। पहले तुम आराम से बैठो कुर्सी पर फिर बताओ ये नागिन का क्या किस्सा है?’’

सब इं.शुक्ला सामने पड़ी कुर्सी पर बैठ गया। थोड़ी देर अपनी साँसों को दुरुस्त करता रहा, फिर कहने लगा, ‘‘सर, आपको बलवन्त और सुखराम के बारे में पता ही है।’’

‘‘इतना मालूम है कि दोनों साँप के डसने से मरे हैं।’’

‘‘वह एक नागिन है सर, जो हमारे पीछे पड़ गयी है। मेरे दोनों दोस्तों को उसने मार दिया, और अब मेरे आगे पीछे फिर रही है। अभी थोड़ी देर पहले मैंने उसे अपने दरवाजे पर देखा था और फिर भागा हुआ यहाँ आ गया।’’

‘‘तुम तो कहानी किस्सों की बातें कर रहे हो, जिसमें किसी नाग को मार दिया जाता है। बाद में नागिन उसका बदला लेती है। कहीं तुम लोगों ने तो नहीं किसी नाग को मार दिया है?’’

‘‘ऐसा तो कभी नहीं हुआ सर। हम लोगों ने तो कभी चींटी भी नहीं मारी। ...अरे बाप रे!’’ अचानक शुक्ला चीख उठा। इं.राजीव ने उसकी नजरों की दिशा में देखा तो वहाँ एक नागिन मौजूद थी, अपनी पतली जीभ लपलपाती हुई।’’

इं.राजीव ने रिवाल्वर निकालकर उसपर फायर करना चाहा। लेकिन बिजली की गति से नागिन वहाँ से गायब हो चुकी थी।

इंस्पेक्टर राजीव ने घूमकर देखा, शुक्ला सूखे पत्ते की तरह काँप रहा था।
‘‘सर, वह नागिन मुझे नहीं छोड़ेगी।’’ रो देने के स्वर में कहा शुक्ला ने।

‘‘घबराओ मत। तुम्हें कुछ नहीं होगा।’’ इं.राजीव ने उसे दिलासा दिया।
‘‘नहीं सर, अब मुझे यकीन हो गया है। यह नागिन उसी लड़की की आत्मा है।’’

‘‘कौन लड़की?’’ चैंक कर पूछा इं.राजीव ने।

‘‘अरे वही, जिसके साथ हम तीनों ने जबरदस्ती की थी और फिर उसे मार डाला था।’’ झोंक में बोल गया शुक्ला। फिर उसे अपनी गलती का एहसास हुआ। लेकिन अब तक तीर कमान से निकल चुका था।

इं.राजीव ने उसका गरेबान पकड़ लिया, ‘‘क्या बक रहे हो?किस लड़की को मार डाला तुम लोगों ने?’’

शुक्ला को पूरी कहानी सुनानी ही पड़ी। इं.राजीव का चेहरा क्रोध से लाल हो गया। उसने शुक्ला को एक झटका दिया, ‘‘तुम जैसे लोगों ने ही पूरे पुलिस डिपार्टमेन्ट को बदनाम कर रखा है। तुम लोगों को जिन्दा रहने का कोई हक नहीं। वह नागिन जानवर होकर भी तुम लोगों से लाख दर्जे अच्छी है।’’

‘‘मैं अपनी गलती मानता हूं सर। नशे में बहक गया था। लेकिन प्लीज मुझे उस नागिन से बचा लीजिए।’’ शुक्ला गिड़गिड़ाया।

इं.राजीव का क्रोध थोड़ा कम हुआ, ‘‘ठीक है, मैं देखता हूँ। लेकिन तुम्हें अपने आपको कानून के हवाले करना पड़ेगा।’’

‘‘मैं जिंदगी भर जेल में सड़ने के लिए तैयार हूं।’’

‘‘हूं।’’ इं.राजीव कुछ सोचने लगा था।
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Re: नागिन का बदला

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अब शुक्ला को इत्मिनान था। क्योंकि इं.राजीव ने उसकी हिफाजत का भरोसा दिलाया था और तुरंत एक्शन लेते हुए उसके आसपास कुछ सिपाही तैनात कर दिये थे। फिलहाल उसे हिरासत में लेकर उसके खिलाफ एफ.आई.आर. दर्ज कर ली गयी थी।

समाचार पत्रों ने इस खबर को खूब उछाला। सभी में लड़की के मर्डर और फिर नागिन के बदले की खबरें मोटी सुर्खियों में मौजूद थीं। अखबार वालों से बचने के लिए शुक्ला को अलग कमरे में बंद कर दिया गया था। बाहर दो सिपाही तैनात थे।

अचानक दरवाजे के भीतर शुक्ला के चीखने की आवाज आयी। सिपाहियों ने जल्दी से दरवाजा खोला और उनकी आँखें फटी रह गयीं।

शुक्ला जमीन पर पड़ा हुआ था और उसके जिस्म से नागिन लिपटी हुई फुफकारें मार रही थी।
शुक्ला की चीख सुनकर इं.राजीव भी वहाँ पहुंच गया। उसने रिवाल्वर से नागिन को निशाना बनाना चाहा, लेकिन नागिन इस तरह शुक्ला से लिपटी हुई थी कि उसकी गोली सीधे शुक्ला को ही लगती।

गुस्से के साथ नागिन ने झपट्टा मारा। दूसरे ही पल उसके दाँत शुक्ला के माथे में धंस चुके थे। शुक्ला की चीखें और तेज हो गयी थीं। अब नागिन उसे छोड़कर धीरे धीरे अलग हट रही थी। इं.राजीव को अब उसे निशाना बनाने का मौका मिल गया।

‘‘ठहरो इंस्पेक्टर!’’ किसी ने इं.राजीव के कंधे पर हाथ रख दिया। उसने घूमकर देखा, अधेड़ आयु का एक व्यक्ति पीछे खड़ा था। उसके हाथ में होली की पिचकारी जैसा कोई यन्त्र था। फिर उस पिचकारी से कोई तरल निकलकर सीधे नागिन के ऊपर पड़ा और वह वहीं शान्त हो गयी।

‘‘घबराओ मत। मैंने इसे बेहोश कर दिया है। और अब मैं इसे ले जा रहा हूँ।’’
‘‘आप कौन हैं?’’ इं.राजीव ने पूछा। दूसरी तरफ सिपाही शुक्ला को उठाकर अस्पताल ले जाने की तैयारी कर रहे थे। जो अब बेहोश हो चुका था।

‘‘मैं हूं डाक्टर इसहाक। एक जीव विज्ञानी। मैं देखूंगा कि ये नागिन क्यों लोगों की हत्या पर उतारू है।’’
‘‘किस तरह देखेंगे आप?’’

‘‘अपनी मशीनों के द्वारा। अगर तुम्हें भी जानकारी चाहिए तो आज शाम को मिलो मुझसे। मेरी लैबोरेट्री में।’’ वह बेहोश नागिन को एक थैले में डालने लगा।
*****

जब इं.राजीव डाक्टर इसहाक की लैब में दाखिल हुआ तो उसने नागिन को एक शीशे के जार में बन्द पाया। उस जार से कई महीन तार निकलकर एक मशीन में गये हुए थे।

‘‘आओ इंस्पेक्टर। मैंने इस नागिन का राज पा लिया है।’’
‘‘अच्छा! कैसे?’’ हैरत से पूछा इं.राजीव ने।

‘‘वर्षों पहले महान वैज्ञानिक सर जे.सी.बोस ने कहा था कि हर जीवित प्राणी में संवेदनाएं होती हैं। मैंने आज से दस वर्ष पहले इसी लाइन पर अपनी रिसर्च की षुरूआत की और आज पूरे दावे के साथ किसी भी प्राणी की संवेदनाओं का शत प्रतिशत विश्लेषण कर सकता हूँ।’’

‘‘ओह!’’

‘‘हां। इधर देखो।’’ डाक्टर इसहाक इं.राजीव का हाथ पकड़कर मशीन के पास ले गया, ‘‘मेरी ये मशीन किसी भी प्राणी की स्मृति पढ़कर उसका विश्लेषण कर सकती है। इस समय इसने इस नागिन के दिमाग को पढ़ा है। ये देखो।’’ डाक्टर ने मशीन आॅन की और एक तरफ मौजूद स्क्रीन रोशन हो गयी। स्क्रीन के साइड में एक ग्राफ भी दिख रहा था, जिस पर आड़ी तिरछी रेखाएं बनने लगी थीं।

स्क्रीन पर कुछ दृष्य भी आ रहे थे। धुंधले और अस्पष्ट। डाक्टर इसहाक एक नाॅब को घुमाने लगा और दृष्य बदलने लगा। फिर स्क्रीन पर शुक्ला का चेहरा दिखाई पड़ा, भय से बिगड़ा हुआ।

‘‘यह उस समय का दृष्य है जब नागिन शुक्ला पर हमला करने वाली थी। साइड में बना ग्राफ देखो, रेखाएं बहुत ऊपर चली गयी हैं। इसका मतलब नागिन उस समय अत्यधिक उत्तेजित थी।’’ डाक्टर इसहाक बोल रहा था।

स्क्रीन पर दृष्य बदलते रहे। कभी सुखराम की हत्या, कभी बलवन्त पर हमला। और फिर एक सीन ऐसा आया जिसने इं.राजीव को झकझोर कर रख दिया। यह थ तीनों के द्वारा एक अबोध लड़की को बेरहमी के साथ कत्ल। उसी समय उसकी दृष्टि ग्राफ पर भी गयी, जहां बनने वाली रेखाएं अपनी सीमा तोड़कर बहुत ऊंचाई तक जा रही थीं।

‘‘जब वह तीनों उस लड़की के साथ वहशियाना सुलूक कर रहे थे तो नागिन वहीं मौजूद सब कुछ देख रही थी। और पूरी घटना ने उसके दिमाग पर गहरा असर डाला।’’ डाक्टर इसहाक बता रहा था, ‘‘अत्यधिक क्रोध ने उसके अंदर बदले की भावना पैदा कर दी और एक एक करके उसने तीनों को मार डाला।’’

‘‘मैं सोच भी नहीं सकता था।’’ इं.राजीव बड़बड़ाया, ‘‘लेकिन दिल से मैं इस नागिन के कार्य का समर्थन करता हूँ।’’

‘‘वह तो करना ही पड़ेगा। वैसे भी हमारे कानून में किसी की हत्या के लिए जानवर को सजा देने का कोई प्रावधान नहीं है।’’

‘‘तो फिर अब हमें क्या करना चाहिए?’’

‘‘मैंने इस नागिन की स्मृति पूरी तरह पढ़ डाली है। अब इसकी बदले की आग शान्त हो चुकी है। लिहाजा इसे खामोशी के साथ जंगल में छोड़ देते हैं।’’

‘‘ठीक है।’’ इं.राजीव ने एक गहरी साँस ली।

शीशे के जार में बन्द नागिन अब धीरे धीरे होश में आ रही थी।
--समाप्त--
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