पागल वैज्ञानिक

Jemsbond
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Re: पागल वैज्ञानिक

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कर्नल ने चाबी ताले में डाली अचानक उसका ध्यान किवाड़ पर गया उसे कुछ याद आया लेकिन वह षायद अपने विचारों की स्वयम् पुश्टी नहीं कर पा रहा था, सार्जेंट की आंखों में भी विचित्र भाव झलक रहे थे................उसे मालुम था दर्वाजे पर कर्नल ने जो बाल चिपकाये थे वे इस समय नहीं दिख रहे थे।
अंत में कर्नल ने चाबी ताले में डालकर घुमा दी......................कपाट खालने से पहले पतलून में खुंसी 38 केलीबर की भारी मोजर रिवाल्वर निकालकर हाथ में ले ली............वैंसी ही एक रिवाल्वर अब सार्जेंट के हाथ में भी थी।
कर्नल और सार्जेंट में आखों ही आंखों में कुछ इषारा हुआ दानों एक दूसरे की मंषा समझ गये, सार्जेंट दीवाल से सट कर खड़ा हो गया कर्नल ने एक जोर की लात किवाड़ पर मारी और हवा में उछलकर दूसरे ही पल वो कमरे के अंदर था।
तभी सार्जेंट को गोली चलने की आवाज सुनाई दी, एक व्यक्ति तेजी से बाहर भागा। लेकिन सार्जेंट मुस्तेद था उसने टांग अड़ा दी.................वह मुंह के बल गिर पड़ा, लेकिन बला की फुर्ती से उठ खड़ा हुआ उसका दाहिना हाथ खून से सना हुआ था षायद कर्नल की गोली उसके हाथ में लगी थी, उसने फ्लाइंग किक सार्जेंट की छाती पर मारी, सार्जेंट दर्द से दोहरा हो गया लेकिन अगले ही पल संभल गया उसके चहरे पर हिंसा के भाव थे अब तक वह उस व्यक्ति को जिन्दा पकड़ना चाहता था इसलिये पिस्तोल का उपयोग नहीं कर रहा था , उसने पतलून् में खुंसी पिस्तोल फिर से खींच ली, वो पिस्तोल सीधी ही करता की, उसकी किक सीधी पिस्तोल में लगी और पिस्तोल हवा में उछलकर गेलरी से होती हुयी नीचे लान में चली गयी, लेकिन वह भी अपनी झोंक में फर्स पर गिर गया था, इसके पहले कि वह संभलता सार्जेंट उसके उपर सवार हो गया और उसके बालों को पकड़ कर खींचा....................लेकिन यह क्या उसके सारे बाल उसके हाथ में आ गये अब उसकी सफाचट खोपड़ी से वह और खतरनाक दिखने लगा था।
तो आप हैं.........क्या कहते हैं ...अच्छा ट्रेवलिंग एजेंट, सार्जेंट ने उसका सिर बजा दिया वो दर्द से दोहरा हो गया, खड़े हो जाओ माई डिअर मिट्टी क षेर..........वह खड़ा हुआ, और पलट कर एंसा भागा मानों माना हुआ एथलीट हो, सार्जेंट उसके पीछे भागा वो हाॅटल से निकलकर सीधे एक मोटर साइकिल की तरफ दौड़ा एक ही किक में मोटर साइकिल स्टार्ट कर तूफानी रफ्तार से भाग निकला।
उसको मोटर साईकिल स्टार्ट करता देख सार्जेंट अपनी कार की तरफ बड़ा उसने फुरती से कार स्टार्ट की ,लेकिन कार एक तरफ झुक रही थी। सार्जेंट ने उतरकर देखा कार के एक चक्के में बिल्कुल हवा नहीं थी।
सार्जेंट जानता था अब पीछा करने का कोई फायदा नहीं वो तो ना जाने कहां निकल गया होगा, लेकिन वह निष्चित रूप से वही व्यक्ति है जो उसे ट्रेवलिंग एजेंसी पर मिला था।
सार्जेंट लाबी से होते हुए रूम में आया लेकिन फिर उसके आष्चर्य का ठिकाना नहीं रहा कर्नल का कहीं अता पता नहीं था, एक जर्मन रिवाल्वर दरवाजे के पास पड़ी थी, सार्जेंट ने बड़ी सावधानी से रूमाल की मदद से रिवाल्वर उठाकर सूटकेष में रख ली।
कर्नल आखिर गया तो कहां गया, इससे भी अहम प्रष्न वो गया कहां से। लेकिन सार्जेंट को अपनी ही बुद्धी पर तरस आ गया क्योंकि खिड़की खुली थी, उसने झांक कर देखा वह होटल का पिछवाड़ा था और खिड़की की बगल से पाइप नीचे तक गई थी। कर्नल जैसे व्यक्ति का उससे नीचे उतरना कतई असम्भव नहीं था।
वो षोच रहा था अब वो क्या करे क्योंकि उसके पास अब कोई काम नहीं था।
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और इधर कर्नल ने जैसे ही रूम में घुसा उसकी नजर उस व्यक्ति पर पड़ गयी, वह चाहता तो उसे वहीं समाप्त कर सकता था लेकिन वह तो उसके ठिकाने तक पहुँचना चाहता था जहाँ अपहरण करके डाॅक्टर को छिपाया गया है। उसने उसके हाथ का निषाना साधकर गोली चला दी, रिवाल्वर उसके हाथ से निकलकर नीचे जा गिरी, वो पलट कर दरवाजे से बाहर भागा, वो जानता था एक निहत्थे को सार्जेंट आसानी से कुछ समय रोक सकता है। वो खिड़की से उतरकर बाहर निकले और फिर बन्दर की तरह पाइप के सहारे उतरता हुआ अगले ही पल नीचे था। वह लगभग दौड़ता हुये पूरा घेरा काटता हुआ हाॅटल के सामने पहुँचा, वो अपनी कार की तरफ भागा, लेकिन उसकी निगाह पहले ही बिना हवा के टायर पर पड़ गयी। उसने हाॅटल की चाहारदीवारी से बाहर आकर एक कार टेक्सी रूकवाई। तभी एक गंजा व्यक्ति भागते हुए हाॅटल से बाहर आया और मोटर साईकिल स्टार्ट करने लगा कर्नल तो एक बारगी पहचान ही नहीं सका लेकिन अगले ही पल उसे हाॅटल की लाबी में सार्जेंट दिखाई दिया।
किधर चलना है साहब, सरदार ड्राइवर ने कर्नल से पूंछा।
सरदार जी इस मोटर साईकिल का पीछा करना वो भी सावधानी से उसे पता नहीं चलना चाहिये, कर्नल ने कहा।
- मामला क्या है जी.......................
- मामला गुप्तचर विभाग का है..............दारजी................प्लीज जल्दी कीजिये क्योंकि तब तक मोटर साईकिल कार से दूर जा चुकी थी।
लगता था सरदार जी को कर्नल की बातें जम गयी, उसने धड़ा-धड़ गेयर बदले और मोटर साईकिल और कार के बीच का फाँसला धीरे-धीरे घटने लगा।
- साहब आप कर्नल नागपाल हैं ?
- क्यों, तुम कैसे जानते हो!
- जानना पड़ता है साहब।
- अरे भाई देखने में तो भले आदमी लग रहे होे और भले आदमी तो पुलिष की जात से ही नफरत करते हैं।
- लेकिन आप तो पुलिष नहीं जासूस हैं।
- अंतर क्या है।
- बहुत है साहब।
- दारजी आपने बताया नहीं आप मुझे कैंसे जानते हो।
मोटर साईकिल के चालक को षायद अभी अपने पीछा किये जाने का अहसास नहीं था अतः वह बड़े आराम से मोटर साईकिल चला रहा था। कर्नल जानता था उसे आसानी से अपने पीछा किये जाने का अहसास होने वाला भी नहीं क्योंकि मोटर साईकिल का बैकमिरर टूटा हुआ था।
- साहब हम डकेत रह चुके हैं, कई बैंक डकैती डाली...............................दिल्ली में भी एक डाली थी, लेकिन साहब उसमें अपना बाॅस मर गया...............षायद ना मरा हो लेकिन मुझे अब तक नहीं मिला तब से हमने बुरे काम छोड़ दिये......एक टेक्सी खरीद ली बस।
- दार जी तुम्हें मुझे एँसा बताते भय नहीं लगता।
- भय कैसा कर्नल साहब क्योंकि मेरे खिलाफ कुछ सिद्ध होने वाला नहीं।
- क्या नाम है?
- नाम में क्या रखा है साहब, वो देख्यिे आपका मुर्गा उस बिल्डिंग में घुस गया।
कर्नल ने कहा कार रोका। और उसने एक पांचसो का नोट सरदारजी के हाथ में थमा दिया।
- अरे साहब इसकी क्या जरूरत.................
- जरूरत है सरदारजी जीने खने के लिये महनत की कमाई की जरूरत है।
- में भी चलूँ साहब
- नहीं दारजी।
- जैसी आपकी मरजी।
कर्नल के सामने एक तीन मंजिली बिल्डिंग थी जिसमें निष्चित रूप से रिहायषी घर थे क्योंकि नीचे नेम प्लेट और साथ में क्वार्टर का नम्बर पड़ा हुआ था। कर्नल ने कुछ षोचकर बिल्डिंग के साईड में बने टाॅयलेट में घुसकर जेब से माचिस के आकार की डिबिया के आकार जितना बड़ा ट्रांसमीटर निकालकर उसका एरियल खींचा.........................यस कर्नल नागपाल स्पीकिंग..................फादर आप कहां चले गये.................जल्दी करो समय नहीं है, पता नोट करो, सार्जेंट कर्नल द्वारा बताया गया पता नोट करने लगा........................फादर क्या कहा न्यू प्रिन्सेस स्ट्रीट हिमालय विला...
- बिल्कुल यही स्थानीय थाने जाकर कम से कम 50 सषस्त्र सिपाही लेकर पहुँचो। में बिल्डिंग में प्रवेष कर रहा हूँ आवर एण्ड आल।
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सार्जेंट टेक्सी का किराया देकर थाने में घुस गया।
अरे इंसपेक्टर गिरीष आप यहाँ, सार्जेंट ने पहले से ही थाने में खड़े इंसपेक्टर गिरीष से हाँथ मिलाते हुए कहा।
- आओ सार्जेंट कर्नल किधर है, मैने षोचा था वो भी साथ में आयेंगे।
- यानी आपको मालुम था मेेेें यहाँ आऊंगा....
- मालुम नहीं था लेकिन आषा जरूर थी.....................इनसे मिलो ये हैं इंसपेक्टर सब्बीर अहमद।
- हैलो इन्सपेक्टर...........
ये हैं सार्जेंट दिलीप कर्नल नागपाल के सहायक.......................गिरीष बीच में ही बोला।
- इन्सपेक्टर कर्नल ने पन्द्रह मिनिट में न्यूप्रिन्सेस स्ट्रीट के हिमालय भवन को घेर लेने क लिये 50 सषस्त्र सिपाहियों की सहायत मांगी है।
- क्या!
- मरे ख्याल से वो अपराधियों का अड्डा है।
मिस्टर जानते हो इन्सपेक्टर सब्बीर अहमद बोला उस बिल्डिंग में पचास रिहाईसी फ्लेट हैं, जिनमें से एक में ई. भार्गव रहते हैं। हम पूरी बिल्डिंग को घेर लेंगे तो वो हमारी खाट खड़ी कर देंगे, और फिर वह एक विधायक की बिल्डिंग है।
- इन्सपेक्टर आप कर्नल को जानते नहीं, वो जो भी करता है सोच समझ कर ही करता है............सार्जेंट ने जोर लगाया।
- देखिये आप..........
इन्सपेक्टर हम नहीं चाहते यहाँ के पुलिष महकमें पर दबाव डालें वैसे इस केस में हमें विषेशाधिकार प्राप्त हैं, हम चाहें तो पूरी फोर्स लेकर बिल्डिंग को घेर सकते हैं सकते हैं, सार्जेंट ने अपनी जर्कीन की गुप्त जेब से कागजात निकालकर मेज पर पटक दिये।
इन्सपेक्टर षब्बीर ने दो मिनिट में कागजात का निरिक्षण किया , उसके चहरे से घबराहट स्पश्ट झलक रही थी.................ओह आई एम स्वारी सार्जेंट मुझे नहीं मालुम था।
- खैर कौई बात नहीं, फोर्स कितनी देर में तैयार हो जायेगी।
- बस अगले पांच मिनिट में हम वहाँ होंगे सार्जेंट।
---000---
कर्नल बड़ी सावधानी से बिल्डिंग में घुसा, बिल्डिंग के ठीक बीच में ऊपर जाने के लिये सीड़ियां गई थीं, तथा सीड़ियों के सामने गलियारा था एवं गलियारे के दोनों और फ्लेट बने थे। कर्नल ने सफाचट सिर वाले व्यक्ति को सीड़ियों से चढ़ते देखा था। प्रत्यक्ष में कर्नल लापरवाह दिख रहा था लेकिन कर्नल को जानने वाले जानते हैं कि वह बिजली से भी ज्यादा तेजी से रिवाल्वर निकालकर षटीक निषाना लगा सकता है। कर्नल अभी कुछ सीड़ियां ही चढ़ पाया था कि एक 15-16 साल का लड़का नीचे उतरता दिखा, कर्नल को एक बात सूझी।
- हेलो जेण्टलमेन तुमने एक सफाचट षिर वाले व्यक्ति को ऊपर जाते देखा।
- जी हाँ सेकेण्ड फ्लोर पर देखा।
- वो किस नम्बर के फ्लेट में जा रहा था।
- आप कौन हैं साहब?
कर्नल हड़बड़ागया, प्रत्यक्ष में बोला तुमसे क्या छुपाना मैं कर्नल नागपाल हूँ, एक केष के सिलसिले में मुझ उसे सफाचट खोपड़ी वाले की तलाष है।तुम बता सकते हो वो किस नम्बर के फ्लेट में गया।
- कर्नल साहब वैंसे तो मेने उसे किसी फ्लेट में घुसते नहीं देखा, लेकिन इतना जरूर है वो दाहिने तरफ की रो वाले किसी फ्लेट में गया होगा।
- तुम्हे कैंसे मालुम।
- मेनें उसे दाहिने तरफ के गलियारे की तरफ ही देखा था।
थेंक्यू जेण्टलमेन मैं चला, कह कर कर्नल फुरती से सीड़ियां चढ़ता चला गया, अगले ही पल वह सेकेण्ड फ्लोर पर था, वह खम्बे की आड़ लेकर परिस्थिति का जायजा लेने लगा फिर दाहिने रो के फ्लेटों की तरफ दबे पांव बड़ गया। पहले और दूसरे फ्लेट में ताला लगा था, तीसरे फ्लेट से उसे आवाज आती सुनाई दी, उसने दरवाजे पर कान लगा दिये..................................................वो किसी लड़की की आवाज थी कर्नल के कान खड़े हो गये क्योंकि वह आवाज पहचान चुका था।
- तुम्हारा किसी ने पीछा तो नहीं किया।
- नहीं लेकिन............कर्नल और सार्जेंट दोनों जिन्दा हैं, उसने कमरे में घुसते ही बला की फुरती से मेरे हाथ की रिवाल्वर पर गोली चला दी, वो तो मेरा भाग्य अच्छा था जो बच गया।
- क्यों और कुछ हुआ।
- सार्जेंट ने पीछा करने की कोषिष की लेकिन उसकी कार में कुछ खराबी आ गई।
- क्या हो गया था।
- मेरे को नहीं मालुम डाॅक्टर किधर है।
- भीतर कमरे में बेहोष पड़ा है। अब जल्दी तैयार हो जाओ गोल्फ ग्राउंड में हेलीकाप्टर आ चुका है............................हमें जल्दी इस षहर से कूच करना है।
तभी कराहने की आवाज आई.................लगता है होष आ गया उसे लड़की ने कहा.....................अच्छा हुआ नहीं तो कार तक उठा कर ले जाना पड़ता।
कर्नल को षायद किसी सिग्नल का इंतजार था.......................तभी उसके कानों में जीप का सायरन सुनाई दिया..............उसने कालबेल पर हाथ रख दिया।
तुम तो कहते थे तुम्हारा किसी ने पीछा नहीं किया अब ये कोन आ गया................मुझे नहीं मालूम लड़के की आवाज आई।
पोस्टमेन बाहर से आवाज आई।
- ओह
जैसे ही फाटक खुला कर्नल ने जोरदार घूंसा उसकी कनपटी पर जमा दिया ,वो चकराकर फर्स पर गिरा तब तक कर्नल कमरे में पहुंच चुका था उसके हाथ में 38 केलीबर की मोजर रिवाल्वर चमक रही थी.......................कमरे में एक खूबसूरत लड़की और अधमरा सा डाॅक्टर सत्यजीत राय खड़ा था।
हाथ उठा लो तुम्हारा खेल खतम हो चुका है मिस सोफिया लारेन, यस हेण्डस्अप....................दोनों ने हाथ उठा लिये।
तो मिस सोफिया लारेन आप एरिना जेडसन कबसे बन गई, जरा अपना फेस मास्क तो सरका दो कोई हरकत मत करना पूरी बिल्डिंग सषस्त्र पुलिष ने घेर ली है......... तुमने डाॅक्टर सत्सजीत राय का अपहरण क्यों किया।
इतना भी नहीं मालूम कर्नल हद कर है इण्डिया की, घर के बाजे घर में सुनाई नहीं देते और पड़ोसियों के कान फटे जा रहे हैं, कहा सोफिया ने।
- जल्दी षुरू हो जाओ।
- चिन्ता मत करो कर्नल जरूर बताऊंगी, वो कर्नल को बताने लगी, सीड़ियों पर भागतें सेनिकों के बूटों की आवाज से बिल्डिंग कांप उठी।
तो मिस्टर राबर्ट अगर तुमने खिड़की से कूदने की कोषिष की तो हाथ पैर टूट जायेंगे, वैंसे इसके पहले तुम्हारा भेजा फट जायेगा,सोफिया के बगल में खड़ा राबर्ट खिसियाकर रह गया, पहले वह धीरे-धीरे खिड़की की तरफ बड़ रहा था।
तभी इन्सपेक्टर गिरीष, सार्जेंट दिलीप,इं.सब्बीलर सहित कई पुलिसिये कमरे में घुसते चले आये।
फ्लेट के सामने किरायेदारों की भीड़ लगी थी और उसमें लुंगी पहनके इन्स्पेक्टर भार्गव भी था.............इन्स्पेक्टर कर्नल नागपाल ने कहा इन दोनों को हथकड़ी पहना दो।
इन्स्पेक्टर सब्बीर ने आगे बढ़कर सोफिया और राबर्ट को हथकड़ी पहना दी।
इन्सपेक्टर गिरीष तुम्हारा मुजरिम सामने है कर्नल ने कहा।
- मतलब!
- कुत्ते वाला कैस भूल गये। राजधानी के मून लाईट इलाके में कुत्तों का गेंगवार डाॅक्टर सत्यजीत राय ने करवाया था।
- क्या कह रहे हो कर्नल।
- पहले हथकड़ी तो पहना दो।
इन्सपेक्टर गिरीष ने आगे बड़कर सत्यजीत राय को हथकड़ी पहना दी.......कर्नल मुझे तो कुछ समझ में नहीं आ रहा।
- राजधानी जाकर तुम्हें सब कुछ बता दूंगा।
क्या हुआ सब्बीर लुंगी-कुर्ता पहने इन्सपेक्टर भार्गव ने पूंछा।
- मुझे खुद कुछ समझ में नहीं आ रहा , केन्द्रिय खुपिया विभाग का कोई मामला है।
- मगर कुछ तो मालुम होगा भाई अचानक ये हिमालय बिल्डिंग पर हमला क्यों बोल दिया........विधायक जी को पता चलेगा तो तुम्हारी नोकरी पर बन आयेगी, हो सकता है जिन्हें तुम ग्रफ्तार कर रहे हो वो उन्हीं के आदमी हों।
- नहीं यार मामला एक वैज्ञानिक के अपहरण का है, उनका कुछ विदेषियों ने अपहरण कर इस फ्लेट में कैद कर दिया था।
कर्नल इन्सपेक्टर सब्बीर के पास आया, इन्सपेक्टर जल्दी से गोल्फ कोर्स के लिये कूच कर जाओ।
- वहां क्यों।
- असली अपराधि वहीं बैठा है ये तो उसके मोहरे हैं।
जल्दी से पुलिस का दल तैयार करो वहाँ एक हैलीकाप्टर इन लोगों को षहर से निकालने आया है, जरूर उसमें कोई महत्वपूर्ण व्यक्ति होगा, चलो में भी चल रहा हूँ।
दोनों तेज कदम बढ़ाते हुए जीने से उतरे, वो कार तक पहुँचते की प्रेस रिपोर्टरों ने उन्हें घेर लिया। एक रिपोर्टर ने कहा कर्नल यहाँ पर पुलिष की मौजूदगी की वजह....................................हिमालय बिल्डिंग का दुरउपयोग कौन कर रहा है...........पूरा मामला क्या है?
देखिये इस बक्त हमारे पास आपके किसी भी प्रष्न का उत्तर देने के लिये वक्त नहीं है, एँसा नहीं कि हम प्रेस से बात करने में घबराते हैं, लेकिन इस समय हमारा आपरेषन अधूरा है, मेरा असिस्टेन्ड ऊपर है, वो आपके कुछ प्रष्नों का उत्तर दे सकता है। कहा कर्नल ने।
इन्सपेक्टर सब्बीर ने जीप स्टार्ट की कर्नल उसकी बगल में बैठ गया, जीप तेज गति से पुलिष मुख्यालय की तरफ भाग रही थी।
- कर्नल हमें एस.पी.साहब से विचार विमर्ष कर लेना चाहिये।
- मुझे कोई हर्ज नहीं लेकिन तब तक चिड़िया उड़ जायेगी और हम देखते ही रह जायेंगे।
- में आपको विष्वास दिलाता हूँ, ये विचार विमर्ष हमारा 5 मिनिट से ज्यादा समय नहीं लेगा उसके एवज में हमें रिजर्व पुलिष फोर्स की सहायता मिल सकती है।
- ठीक है।
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जीप पुलिष मुख्यालय के बाजू से होते हुये पुलिष लाईन की तरफ मुड़ गई वहां से दाहिने मोड़ को काट कर वे आफीसर्स बंगलों की लाईन में प्रवेष कर गये, षब्बीर ने जीप को एक बंगले के सामने खड़ा किया , एक सिक्यारिटी का जवान तत्काल उसके पास आया, इन्सपेक्टर ने उससे जल्दी-जल्दी कुछ कहा, वह तत्काल बंगले के अंदर चला गया एवं इन्सपेक्टर कर्नल को लेकर बंगले के बरांडे में रखे सोफों की तरफ बड़ गया, उन्हें इन्तजार नहीं करना पड़ा अगले ही पल एस.पी.पोलिष बाहर आये।
गुड इवनिंग सर, आप हैं कर्नल नागपाल.................कहा षब्बीर ने।
- कर्नल नागपाल अरे आईये।
श्रीमान हम जल्दी में हैं, कर्नल ने कहा, गोल्फ कोर्स के मैदान में एक हेलीकाप्टर आ चुका है या आने वाला है, उससे कुछ अन्तराश्ट्रीय अपराधि फरार होने वाले हैं, मुझे आषा है कोई महत्वपूर्ण व्यकित हेलीकाप्टर से आयेगा इसलिए तुरन्त सषस्त्र पुषि की आवष्यकता है।
- हिमालय बिल्डिंग के आपरेषन का क्या हुआ।
- सर अपराधि ग्रफ्तार कर लिये गये, दर असल ये हेलीकाप्टर उन्हीं को फरार कराने के लिये आ रहा है.....................
एस.पी.श्रीवास्तव ने बीच में इन्सपेक्टर को रोका एवं टेबल पर रखे फोन को अपने पास घसीट कर कुछ नम्बर डायल किये....................यस.एस.पी.श्रीवास्तव स्पीकिंग गुड इवनिंग ब्रिगेडियर राउत सर हमें षीध्र ही रेपीड एक्सन फोर्स के 50 जवान पांच मिनिट में चाहिये...............मामला क्या है........................सर केन्द्रीय खुपिया विभाग का मामला है दरअसल सहायता कर्नल नागपाल को चाहिये.......................ओहो कर्नल नागपालवो कहां हैं.............................मेरे पास ही बैठे हैं सर.........................ठीक है पांच मिनिट इंतजार करो रपीड एक्सन की एक बटालियन तो यहाँ हमेषा तैयार रहती है ओवर। एस.पी. श्रीवास्तव ने रिसीवर क्रेन्डिल पर रख दिया और कहा आप लोग बैठिये......जवान आ रहे है, तब तक मैं ड्रेस पहन कर आता हूँ।
सेना के जवान पांच मिनिट के पहले ही सेना की पेट्रोल जीपों में आ गये। एस.पी.ने भी गजब की फुर्ती से कपड़े पहन लिये। अगले ही पल वे जीपों में बैठे थे। कर्नल और एस.पी. सामने की जीपों में सवार हो गये।
गोल्फ के मैदान ले चलो, एस.पी.ने ड्राइवर से कहा।
यस सर ड्राइवर ने कहा।
जीप षहर के बाहरी इलाके की तरफ भाग रही थी। चारों तरफ हरे-भरे मैदान दिखाई दे रहे थे। गोल्फ क्लब के सामने जीपों को खड़ी कर वे गोल्फ क्लब के पिछले हिस्से में पहुँचे।
एक हरे रंग का हेलीकाप्टर, हरियाली में छुपा हुआ था। एस.पी. ने सैनिकों को उसे घेरने का आदेष दिया। हेलीकाप्टर से उतरकर कोई व्यक्ति बाहर टहल रहा था, वह निष्चित रूप से पायल्ट था षायद उसे आने वाले खतरे का जरा भी अहसास नहीं था। सर कर्नल ने कहा आप घेरा बंदी करवाईये में उसे घेरने का प्रयास करता हूँ।
कर्नल तुम्हारा इस तरह जाना बिल्कुल ठीक नहीं है, अपराधि साधन संपन्न्ा है, उसके पास घातक हथियार भी हो सकते हैं, फिर हो सकता है उसके सहयोगि भी आस पास कहीं घात लगाकर बैठे हों। आप मेरी चिन्ता ना करें सर............कर्नल ने ब्रिगेडियर से कहा और आगे प्रतिक्षा किये बगैर वह दबे पांव आगे बड़ गया।
--00--
उधर सार्जंेट दिलीप प्रेस रिपोर्टरों से घिरा था। कुछ इस प्रकार के प्रष्न पूछ रहे थे प्रेस रिपोर्टर-
- यहाँ किन-किन को ग्रफ्तार किया गया ?
- उनका अपराध क्या था ?
- क्या उनका संबंध विधायक महोदय से है ?
- कर्नल नागपाल अचानक कहाँ चले गये ?
आप सभी प्रेस रिर्पोटर मेरे एक प्रष्न का जवाब दें तो मैं आपके सभी प्रष्नों का जवाब दूँगा।
- क्या सभी ने कहा।
- आप सभी को यहाँ किसने आमंत्रित किया, मैं उसका नाम जानना चाहता हूँ।
- आप प्रेस की बैज्जती कर रहे हैं ?
- नहीं बताना तो नहीं बताओ यार गुस्सा क्यों हो रहे हो, हाँ तो सुनो मैं बार-बार दोहराऊँगा नहीं , मेरे को और भी कई काम है, जो कि प्रेस ब्रीफिंग से ज्यादा जरूरी हैं। यहाँ कुछ विदेषियों ने बायो सांइन्स के एक वैज्ञानिक का अपहरण करके रखा था। हम उन्हीं को ग्रफ्तार करने राजधानी से यहाँ आये हैं, बाकी सब जानकारी आपरेषन पूरा होने के बाद कर्नल बतायेंगे।
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कर्नल के दोनों हाथों में एक-एक रिवाल्वर थी और वह दबे कदमों से पायलेट की तरफ बड़ रहा था उसकी पीठ कर्नल की तरफ थी। अचानक उसको कुछ आहट महसूस हुई, वह फुरती से पलटा लेकिन कर्नल फुर्ती से एक वृक्ष की ओट में आ गया, उसने आहट को अपना बहम समझ कर पुनः दूसरी तरफ देखने लगा।
कर्नल उसके सिर पर पहुँच चुका था। उसने एक कैरेट छाप पायलेट की गर्दन पर मारी और हाथ से मुंह दबा दिया। कोई और होता तो निष्चित रूप से बेहोष हो जाता लेकिन वह पंजों के बल उछलकर कर्नल की पकड़ से छूटकर दूर जा खड़ा हुआ, उसके हाथ में रिवाल्वर थी, इसके पहले की वो गोली चलाता, कर्नल की रिवाल्वर ने एक षोला उगला जो सीधे उसके माथे में जा धंसा, वो बिना चीखे ही इस फानी दुनिया से रूखसत् हो गया। कर्नल हेलीकाफ्टर की तरफ भागा। तभी एस.पी.श्रीवास्तव की अपराधी को आत्मसमर्पण करने की चेतावनी स्पीकर पर सुनाई पड़ने लगी। सैनिक तेज गति से हेलीकाफ्टर की तरफ बड़ रहे थे।
घड़-घड़ा हट की आवाज के साथ हेलीकाफ्टर स्टार्ट हो चुका था। एक अमेरिकी व्यक्ती पायलेट की सीट पर बैठाा था। हेलीकाफ्टर जमीन से ऊपर उठने लगा। एस.पी.ने पुनः अपराधियों को चेतावनी दी............अगर आत्मसमर्पण नहीं किया तो विमान भेदी रायफल से हेलीकाफ्टर को उड़ादिया जायेगा। हलीकाफ्टर ऊपर उठ रहा था। फायर एस.पी. स्वर माईक पर गुंजा, कर्नल के सौ गज ऊपर हेलीकाफ्टर में सेंकड़ों गोलियां समा गयी। कर्नल दूर भागा उसने फ्यूल टेंक का निषाना लेकर फायर किया.............................एक भयंकर दिल दहलादेना वाला मंजर आसमाँ में दिखा, हेलीकाफ्टर के भयंकर विस्फोट के साथ परखच्चे उड़ गये। आकाष में षोले भड़के, जलते हुये हेलीकाफ्टर का मलबा हरे-भरे मैदान मेें गिर रहा था मानों षोलों की बारिष हो रही हो। एस.पी. और कर्नल पास-पास खड़े आसमान से बरसते षोंलों को निहार रहे थे।
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कर्नल और सार्जेंट दिलीप, प्रेस रिपोर्टरों से घिरे थे। श्रीनगर के मुख्य थाने के प्रेस कक्ष में प्रेस रिपोर्टरों के अतिरिक्त ई.षब्बीर और एस.पी. भी मौजूद थे।
एस.पी. श्रीवास्तव ने प्रेस रिपोर्टरों से मुखातिब होकर कहा। देखिये ये एक लम्बा केस है, इसमें आप ही नहीं मैं भी चाहूँगा कर्नल नागपाल हमें षुरू से आखिर तक की पूरी जानकारी दें।
कर्नल ने अपना सिगार सुलगा लिया, और कहना षुरू किया, साथियों ये केस षुरू होता है ‘‘नेषनल रिसर्च इन्स्टीट्यूट आफ बायोसाइंस’’ से । वहाँ के वैज्ञानिक जिनका नाम आप जानते ही हैं डाॅक्टर सत्यजीत राय विभिन्न्ा प्रकार की सुगन्धों पर रिसर्च कर रहे थे। इसी सिलसिले में उनको 10 करोड़ की आर्थिक सहायता की आवष्यकता पड़ी। जिसकी मदद से वह अपने प्रयोगों को पूरा कर सके। डाॅक्टर सत्यजीत राय की एक सकायिका थी जिसका नाम था जूलिया। कर्नल ने सिगार का एक कस लिया। पत्रकार तेज गति से सार्टहेंड में लिखने में मषगूल थे। कुछ पत्रकार आराम से े सिगरेट के कष लगा रहे थे बजाये लिखने के उनने अपने छोटे-छोटे टेप रिकार्डर सामने किये हुये थे। पर आष्चर्यजनक रूप स्थानीय दूरदर्षन कष्मीर के संवाददाता को छोड़ इलेक्ट्रानिक मीडिया का अन्य कोई संवाददाता वहां नहीं पहुंचा था। हाँ तो मैं कह रहा था कर्नल ने पुनः बोलना षुरू किया उन्होंने यह सहायता इन्स्टीट्यूट के प्रधान वैज्ञानिक डाॅक्टर षिवाजीकृश्णन से मांगी लेकिन वो इतनी भारी रकम की व्यवस्था नहीं कर सके, उल्टे उन्होनें डाॅक्टर सत्यजीत राय को भगा दिया। पर डाॅक्टर सत्यजीत राय निराष नहीं वो पंजाब बैंक गये, लेकिन वहाँ से भी उन्हें सहायता नहीं मिल सकी। इन घटनाओं ने डाॅक्टर को विचलित कर दिया और वे अर्द्धविक्षप्त से हो गये। जानते हो उन्होनें क्या किया ? उन्होंने प्रयोग षाला में इजाद की माँस की तीक्षण सुगन्ध को मूनलाईट ऐरिये में छोड़ दिया। इस सुगन्ध की विषेशता थी, यह हवा में मिलकर मीलों तक पहुँच जाती है। और कुत्ते मांस की सुगंध पाकर भागे-भागे आते हैं, और मांस को ना पाकर एक-दूसरे से लड़भिड़ जाते हैं।
ओह तभी आप कह रहे थे कुत्ते ही केवल क्यों आये गधे, घोड़े क्यों नहीं आये। इन्स्पेक्टर गिरीष ने बीच में कहा।
मिस्टर गिरीष कर्नल ने गिरीष को संबोधित करते हुए कहा....जब में मोकाएवार्दात से अपनी कोठी पहुँचा तो वहाँ पता चला मेरा षेरा भी जंजीर तोड़कर भाग रहा था। चैकीदार ने बड़ी मुषकिल से काबू में लेकर उसे बेहोष किया था। जानते हो जब उसकी बेहोसी टूटी तब वह भला चंगा था।
ओर फिर कुत्तों की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में उनका मरना गंभीर घाव और अत्यधिक रक्त स्त्राव बताया गया.................................किसी भी प्रकार के जहर के कंण उसके आंतो एवं आमाषय में नहीं पाये गये। डाॅक्टर राय के कुछ मित्र अमेरिका में रहते हैं उन्होनें अपने प्रयोगों का जिक्र उनसे किया और आगे के प्रयोगों पर आने वाले खर्च के विशय में पूँछा। और संयोग से कुख्यात अपराधिनी सोफिया लारेन जो कि अंगेज माँ और सऊदी बाप की मिली जुली संतान थी को इन प्रयोगों की भनक लग गयी। वो स्पेन की डान्सर एरिना जेडसन बनकर भारत आ गयी और उसने सिल्वर नाईट क्लब में डान्स का प्रोग्राम दिया। चूँकी क्लब के मेनेजर की सार्जेंट से दोस्ती थी, अतः वह उस क्लब में सामान्य रूप से आता जाता था।चुनाँचे वह उस कार्यक्रम को देखने भी वहाँ पहुँच गया। मेकप के कारण वह एरिना जेडसन को सोफिया लारेन के रूप में तो नहीं पहचान सका लेकिन उसे उसकी आँखें जानी पहचानी लगी।
हाँलाकी सोफिया बड़े ही सफाई से एिरिना जेडसन बनकर भारत आ गई थी। लेकिन गुप्तचर संस्था ‘‘ रिसर्च एण्ड एनालिषस विंग’’ यानी ‘‘रा’’ के जासूसों का उस पर षुरू से ही संदेह था फलस्वरूप यह केस मुझे सोंप दिया गया। सोफिया के आदमियों ने जूलिया को हन्टरों से मार-मार कर डाॅक्टर राय के श्रीनगर स्थित घर का पता उगलवालिया। जूलिया मेरे को जानती थी सार्जेंट से भी उसकी सिल्वर नाईट क्लब में पहचान हो गई थी, अतः उसने हमारी कोठी पर फोन कर सहायता मांगी। मुझे डाॅ.राय पर कुत्तों वाले केस में षुरू से ही संदेह था। अतः मेरे आदमी उसकी निगरानी कर रहे थे। जब उन्हें जूलिया के फ्लेट पर गड़बड़ी का अहसास हुआ तो उन्होनें मुझे फोन किया लेकिन मैं फोन पर उपलब्ध नहीं था अतः उन्होंने पुलिस थाने के नाम अज्ञात टिप दे दी।
इधर सार्जेंट जूलिया को मेडीकल सहायता दिलवाकर उसे कोठी ले आया। फिर हम श्रीनगर रवाना हो गये, हमारे पीछे से इंस्पेक्टर गिरीष ने कोठी पर आकर जूलिया से मुलाकात की और पता लेकर उसी फ्लाईट से जिस से हम आये श्रीनगर पहुँच गया। आगे तो आप सब जानते हैं, कैसे सत्यजीत राय का अपहरण किया गया और फिर छुड़ाया गया।
कर्नल डाॅक्टर सत्यजीत राय का अपहरण किस मकसद से किया गया और इसके पीछे वास्तविक रूप से किन षक्तियों का हाथ है ? इन्डियन एक्सप्रेस विष्ेाश संवाददाता ने पूँछा।
देखिये ठीक-ठीक तो अभी कुछ भी कह पाना संभव नहीं है। किन्तु इतना तो फिर भी सच है कि सोफिया लारेन का संबंध अंतराश्ट्रीय अपराधियों से है, ये हर प्रकार की स्मगलिंग, हवाला कारोबार, नकली नोटों के कारोबार, नारकोटिक्स, सभी प्रकार के गैर कानूनी धंधो से जुड़ी हुई है। कर्नल कुछ देर रूका। उसने इन्डियन एक्सप्रेस के संवाददाता से सीधे मुखातिब होते हुए कहा मिस्टर मुखोपाध्याय जी एक वैज्ञानिक का अपहरण कर के ये अंतराश्ट्रीय अपराधि क्या करेंगे ये हमारे लिये भी गंभीर चिंता का प्रष्न बन गया है! हमारी विंग को यह आषंका है कि कहीं डाॅक्टर राय का अपहरण कहीं चैचनिया या अफगानिस्तान के आतंकवादियों ने तो नहीं किया। यदी कहीं ये डाॅक्टर तालिबानियों के चुंगल में पहुँच जाता तो आप अंदाज लगा लीजिये विष्व के बड़े षहरों में कितनी बड़ी-बड़ी घटनायें आसानी से वो कर लेते और किसी को कुछ पता भी नहीं चलता। लेकिन फिलहाल हमारे पास कोई पुख्ता प्रमाण नहीं हैं जिनकी मदद से हम इनका संबंध तालिबानियों से जोड़ सकें, मुझे ऐंसा लगता है कि डाॅक्टर राय के अपहरण के बाद ये अंतराश्ट्रीय तस्कर उसका सौदा मुसलिम चरमपंथियों से करते, क्योंकि अपहरण में जो तरीका अपनाया गया है उसमें हिंसा या बल प्रयोग कम ही किया गया है, यदि चरमपंथी इस अपहरण को करते तब निष्चित रूप से खूब खून-खराबा होता।
कर्नल आपकी नजर में क्या डाॅक्टर सत्यजीत राय को सजा होगी ?
ये में कैसे कह सकता हूँ, मैं कोई जज तो नहीं , वैसे कुत्तों की गेंगवार में 150 कुत्तों मारे गये जिसमें पुलिष विभाग के कीमती अलषासियन और बुल्डाग नष्ल के 70 कुत्ते भी षामिल हैं। इनमें से प्रत्येक के प्रषिक्षण पर हमारे विभाग ने हजारों रूपये खर्च किये हैं। इसके अलावा कुत्तों की चपेट में आकर कई एक्सीडेंट हो गये। साथियों आज की पत्रकार वार्ता को अब हम यहीं खतम् करें तो अच्छा हो क्योंकि मुझे भूक लगी है, दिन भर से कषमीर की इन खूबसूरत वादियों में एक दाना तक नषीब नहीं हुआ।
वेरी गुड फादर आज दिन भर से आपने यह पहला अच्छा काम किया, सार्जेंट ने कहा,पत्रकारों के चेहरे पर भी मुस्कान आ गयी, उन्होंने कर्नल को धन्यवाद दिया इन्डियन एक्सप्रेस के विषेश संवाददाता सत्यवंधु मुखोपाध्याय ने कर्नल से हाथ भी मिलाया लगता था वे पहले भी कई बार मिल चुके थे।
इस घटना को घटे एक माह बीत चुका था, कर्नल नागपाल, सार्जेंट दिलीप, और मोन्टी अपनी कोठी के लान में बैठे सुबह की चाय पी रहे थे। कर्नल के हाथ में डेली न्यूज पेपर था।
- बरखुरदार उसने आत्महत्या कर ली!
- किसने ?
- डाॅक्टर सत्यजीत राय ने।
- क्या कहा फादर जरा स्पश्ट कहना।
- बरखुरदार वैज्ञानिक के बच्चे को आज कोर्ट ले जाना था, आज उसके केस का फैंसला होने वाला था और उसको सजा निष्चित थी।
- आत्म हत्या की कैंसे ?
- बिजली के तारों को पकड़कर झूल गया।
प्यास बुझाई नौकर से Running....कीमत वसूल Running....3-महाकाली ....1-- जथूराcomplete ....2-पोतेबाबाcomplete
बन्धन
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दिल से दिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
तुफानो में साहिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
यूँ तो मिल जाता है हर कोई!
मगर आप जैसे दोस्त नसीब वालों को मिलते हैं!
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