टोटका

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Jemsbond
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टोटका

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टोटका पार्ट--1


"आइ आम नोट कंफर्टबल डूयिंग दिस" साक्षी ने बेचैनी से कहा
"ओह कम ऑन" प्रेरणा खड़ी होती हुई बोली "फॉर अस?"

"चल ना यार" प्रेरणा का साथ देती हुई महक भी उठ खड़ी हुई "हम सबने इस पर मिलकर फ़ैसला किया था. अब एंड मोमेंट पे हॅंड मत दे यार"

"यार मेरी क्या ज़रूरत है" साक्षी अब भी तैय्यार नही थी "तुम दोनो मिलकर कर लो ना"

"नही हो सकता यार" प्रेरणा ने कहा "मैने पहले भी बताया था कि इसके लिए 3 लड़कियों का होना ज़रूरी है एल्स इट्स नोट गॉना वर्क"

"यू गाइस हॅव सम्तिंग दट यू रियली वॉंट बट मुझे ऐसा कुच्छ नही चाहिए. आइ आम हॅपी आंड कॉंटेंट" साक्षी बोली

महक : ओह कम ऑन डोंट गिव मी दट क्रॅप. एवेरिबडी वांट्स सम्तिंग, वन थिंग ओर अनदर

साक्षी : आइ डोंट

प्रेरणा : ओके फाइन देन डू दिस फॉर अस. ऐसे ही कोई विश कर ले. हम दोनो को जो चाहिए वो मिल जाएगा और तेरी विश बोनस हो जाएगी

थोड़ी देर के लिए तीनो औरतें चुप हो गयी

"कुच्छ पैसे ही माँग ले यार" थोड़ी देर बाद प्रेरणा बोली "आती लक्ष्मी किसे बुरी लगती है"

"ओके" आख़िर में साक्षी मान गयी "लेट्स गेट इट ओवर वित देन"

वो तीनो इस वक़्त प्रेरणा के घर पे थी.कमरे में सारी लाइट्स ऑफ थी और बीच में कॅंडल्स का एक गोल से घेरे में जलाया गया था. प्रेरणा और महक पहले से ही गोल घेरे के बीच में बैठी थी जबकि साक्षी उनके साथ आने से घबरा रही थी.

"आर यू शुवर दिस ईज़ सेफ?" एक आखरी बार साक्षी ने उन दोनो का मंन बदलने की कोशिश की

"यस इट ईज़" प्रेरणा बोली "और वैसे भी हम कोशिश ही तो कर रहे हैं. हू नोस कि ये सच है के नही. सच हुआ तो हमें जो चाहिए वो मिल जाएगा, नही हुआ तो सब कुच्छ वैसा ही रहेगा जैसा कि है"

"ओके" साक्षी ने कहा और घेरे के अंदर आ गयी.

ज़मीन पर चॉक से गोल घेरा बनाया गया था जिसके बीचो बीच घेरे को च्छुटा हुआ एक सितारा बना हुआ था. चॉक के उपेर गोल घेरे की ही शेप में कॅंडल्स जल रही थी और अंदर कुच्छ समान रखा हुआ था.

"ओके लेट्स स्टार्ट" प्रेरणा बोली "नाउ फॉर दिस टू वर्क, वी गॉटा ऑफर अवरसेल्व्स टू दा देविल. ऑफर और बॉडीस फॉर हिम टू टेक. अपना शरीर हमें शैतान को सौंपना है.देन ओन्ली ही ईज़ गोयिंग टू गिव अस और विशस वरना ये टोटका कभी काम नही करेगा"

"ओके" महक ने लंबी साँस लेते हुए कहा और उठ खड़ी हुई "आइ विल स्टार्ट"

तीनो औरतों ने उस वक़्त एक गाउन पहना हुआ था. महक खड़ी हुई सामने की तरफ से अपना गाउन खोलकर उतारा और घेरे से बाहर फेंक दिया. गाउन के नीचे कुच्छ नही था. वो पूरी तरह से नंगी हो गयी.

साक्षी ने अपनी बड़ी बहेन को यूँ अपने सामने नंगी देखा तो शरम से आँखें झुका ली पर प्रेरणा ने उपेर से नीचे तक नज़र डालकर हल्के से सीटी बजाई.

"नाइस"

महक के पूरे शरीर पर चर्बी का कहीं कोई नामो निशान नही था. तीनो बहनो में वो हमेशा सबसे पतली थी और उन में भी सबसे छ्होटी. जवान होने के बाद भी वो वैसे ही पतली रही. उठी हुई छ्होटी छ्होटी चूचियाँ, सपाट पेट, सुडोल टांगे.

"युवर टर्न" उसने प्रेरणा से कहा

उसके बाद प्रेरणा खड़ी हुई और उसने भी अपना गाउन खोल कर घेरे से बाहर फेंक दिया.

साक्षी के मुक़ाबले प्रेरणा का जिस्म भरा हुआ था. तीनो बहनो में वो सबसे लंबी थी और हल्की सी मोटी भी पर ये मोटापा जैसे उसके आकर्षण को और भी बढ़ा रहा था. बड़ी बड़ी चूचियाँ जो अपने ही वज़न से नीचे को ढालकी हुई थी, भरे भरे कूल्हे और टांगे, हल्का सा निकला हुआ पेट.

"युवर टर्न साक्षी" महक साक्षी की तरफ देखते हुए बोली

साक्षी के चेहरे से सॉफ ज़ाहिर था के यूँ 2 औरतों के सामने नंगी होते हुए उसे शरम आ रही थी पर वो जानती थी के अब पिछे हटना ना-मुमकिन था. अब उसे भी अपनी दोनो बहनो का साथ देना पड़ेगा. जब पहली बार प्रेरणा ने इस टोटके के बारे में बताया था तब भी उसने उन दोनो को मना किया था. पहली वजह ये थी के उसे इन सब बातों में यकीन ही नही था, दूसरी ये के समझ में इस सब को पाप माना जाता था. पुराने ज़माने में जो औरतें ऐसा करती थी, उनको विच या जादूगरनी कहकर ज़िंदा जला दिया जाता था. पर फिर अपनी दोनो बहनो के कहने पर उसने हथियार डाल दिए और उनका साथ देने को राज़ी हो गयी.
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Re: टोटका

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"कम ऑन साक्षी" महक बोली "हम भी तो देखें के हमारी छ्होटी बहेन जवान होकर कैसी दिखती है?"

"शट अप" साक्षी चिड़ते हुए बोली और उठ खड़ी हुई
"रिलॅक्स स्वीटी" प्रेरणा बोली "तू इस वक़्त दो औरतों के सामने अपने कपड़े उतार रही है, किसी मर्द के सामने नही"

साक्षी ने अपनी आँखें बंद की और गाउन उतार कर घेरे से बाहर फेंक दिया. अब तीनो औरतें पूरी तरह से नंगी थी.

कमरे का महॉल एकदम जैसे अजीब सा हो गया. कॅंडल्स से उठता हुआ प्रकाश हवा में फेल रहा था और घेरे के बीच नंगी बैठी तीनो औरतों के जिस्म हल्की सी रोशनी में चमक रहे थे. प्रेरणा हाथ में एक किताब लिए कुच्छ मंत्रो का जाप कर रही थी जो उनमें से किसी को भी समझ नही आ रहे थे.

"टोटके का पहला पड़ाव हम पार कर चुके हैं, यानी प्रेत-राज को खुश करने के लिए 3 तीन औरतें जो अपने शरीर को मर्ज़ी से उसके सुपुर्द कर रही है, अब दूसरा पड़ाव"

कहकर उसने पास रखे एक बॅग में हाथ डाला और एक ज़िंदा मुर्गी निकाली.

"दूसरा पड़ाव, बलि"

"नही प्लीज़" साक्षी फ़ौरन बोल पड़ी. वो पहले से जानती थी कि बॅग में क्या है और क्या होने वाला है पर जब उसके सामने ही प्रेरणा ने मुर्गी की गर्दन पर च्छुरा रखा तो वो बिचल गयी.

"शट अप साक्षी" इस बार महक बोली तो उसकी आवाज़ में वो कठोरता थी जो बचपन में भी साक्षी को चुप करा देती थी.

इस बार भी उसने अपनी गर्दन दूसरी तरफ फिरा ली.

"हे प्रेत-राज" प्रेरणा किताब से पढ़ती हुई ऊँची आवाज़ में बोली "तुम्हारी दासियाँ तुम्हारी सेवा में ये बलि दे रही है, स्वीकार करो"

और फिर च्छुरा तेज़ी से मुर्गी की गर्दन पर चलने लगा. टोटके के अनुसार ही प्रेरणा ने गर्दन थोड़ी सी काटी और मुर्गी को छ्चोड़ दिया. जान अभी बाकी थी, मुर्गी फ़ौरन तड़पति हुई इधर उधर भागने लगी. गर्दन से टपकता खून इधर उधर गिरने लगा. कुच्छ तीनो औरतों के शरीर पर गिरा.

साक्षी ने जो अब तक दूसरी तरफ देख रही थी यूँ मुर्गी के छटपटाने से अपनी गर्दन घुमा कर देखा. घेरे के बीच खून बिखरा पड़ा था जिसके कुच्छ च्चिंटे खुद उसके शरीर पर भी थे. उसके मुँह से चीख निकल गयी.

"चुप" प्रेरणा ने फ़ौरन आगे बढ़कर उसके मुँह पर हाथ रख दिया "अब टोटके का तीसरा पड़ाव. अपनी स्वामी के लिए तीन दासियों की रास-लीला"
इससे पहले के साक्षी कुच्छ समझ पाती, प्रेरणा ने अपने होंठ आगे बढ़ाकर उसके होंठों पर रख दिए और एक हाथ से उसकी छाती पकड़ ली.

"क्या कर रही है" साक्षी ने फ़ौरन पिछे हटना चाहा पर ऐसा कर नही सकी. महक पहले से ही उसके पिछे आ बैठी और और उसके कंधो को पकड़ रखा था.

दोनो बड़ी बहनो ने मिलकर साक्षी को ज़बरदस्ती नीचे लिटा दिया और उसके उपेर ऐसा चढ़ गयी जैसे उसको खा जाना चाहती हों.

प्रेरणा झुकी हुई उसके होंठों को चूम रही थी और एक हाथ से चूची दबा रही थी. महक खुद साक्षी के साथ आकर ही ज़मीन पर लेट गयी और झुक कर उसकी एक छाती को अपने मुँह में ले लिया.

"क्या कर रही हो?" साक्षी बड़ी मुश्किल से बोल पाई

"ष्ह्ह्ह्ह्ह" उसके होंठ चूमती प्रेरणा एक पल के लिए बोली "जस्ट एंजाय. हम दोनो तो पहले भी ये कर चुकी हैं एक बार, तेरी शादी से पहले"

और उसके बाद वासना जैसे हवा में फेल गयी. तीन नंगी औरतों के जिस्म एक दूसरे से उलझते चले गये. प्रेरणा झुकी हुई कभी साक्षी के होंठ चूमती तो कभी उसकी चूचियाँ चूसने लगती. महक बगल में बैठी हुई एक हाथ से साक्षी की चूत को रगड़ रही थी और दूसरे हाथ की 2 अँगुलिया अपनी चूत में चला रही थी.

साक्षी भी ज़्यादा देर तक ना नुकुर नही कर सकी. अपने जिस्म पर अपनी दोनो बहनो के हाथों ने उसके सबर का बाँध तोड़ दिया और उसने फ़ौरन आगे बढ़कर प्रेरणा को धक्का देकर नीचे गिरा दिया और खुद उसके उपेर आ गयी.

"थ्ट्स इट" प्रेरणा मुस्कुराते हुए बोली "थ्ट्स माइ हॉर्नी लील सिस्टर. नाउ शो मी व्हाट यू कॅन डू. ईट मी"

साक्षी के लिए सिर्फ़ इशारा काफ़ी था. वो फ़ौरन नीचे को खिसकती हुई प्रेरणा की टाँगो के बीच पहुँच गयी और अपने होंठ उसकी चूत पर टीका दिए.
अगले आधे घंटे तक तीनो बहने एक दूसरे से उलझी रही. ध्यान प्रेरणा की आवाज़ से टूटा.

"लुक. उधर देखो"

तीनो ने नज़र उठाकर घेरे से बाहर रखे एक नींबू की तरफ देखा जो पहले हरे रंग का था पर अब पूरी तरह लाल हो चुका था.

"टोटके का आखरी पड़ाव" कहते हुए प्रेरणा ने वहीं रखे एक बॅग से मुट्ठी भर राख निकाली और अपने जिस्म पर रगड़ते हुए ज़ोर से चिल्लाई.

"मैं चाहती हूँ के अकरम मुझे वापिस मिल जाए, फिर मेरी ज़िंदगी में आ जाए"

उसकी देखा देखी महक ने भी अपने शरीर पर राख रगडी और चिल्लाई

"मुझे एक बच्चा दे दो प्रेत राज. मुझे माँ बनना है, मेरी कोख भर दो"

बारी साक्षी की थी. वो अब भी वासना की मदहोशी में थी पर जब प्रेरणा ने इशारा किया तो उसने बॅग से मुट्ठी भर राख निकलाई और खुद पर रगड़ ली.

"मुझे पैसा चाहिए. 10 लाख रुपिये" उसके समझ में नही आया के क्या माँगे तो यही चिल्ला पड़ी.

उस रात को गुज़रे एक हफ़्ता हो चुका था जब तीनो बहनो ने मिलकर उस टोटके को अंजाम दिया था. पर महक के दिमाग़ में इस वक़्त उस रात की जगह कल की रात चल रही थी. वो अब तक डरी सहमी अपने बिस्तर पर बैठी सोच रही थी के क्या करे.
क्रमशः.........
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Re: टोटका

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TOTKA paart--1


"I am not comfortable doing this" Sakshi ne bechaini se kaha
"Oh come on" Prerna khadi hoti hui boli "For us?"

"Chal na yaar" Prerna ka saath deti hui Mehak bhi uth khadi hui "Ham sabne is par milkar faisla kiya tha. Ab end moment pe hand mat de yaar"

"Yaar meri kya zaroorat hai" Sakshi ab bhi taiyyar nahi thi "Tum dono milkar kar lo na"

"Nahi ho sakta yaar" Prerna ne kaha "Maine pehle bhi bataya tha ke Iske liye 3 ladkiyon ka hona zaroori hai else its not gonna work"

"You guys have something that you really want but mujhe aisa kuchh nahi chahiye. I am happy and content" Sakshi boli

Mehak : Oh come on dont give me that crap. Everybody wants something, one thing or another

Sakshi : I dont

Prerna : Ok fine then do this for us. Aise hi koi wish kar le. Ham dono ko jo chahiye vo mil jayega aur teri wish bonus ho jaayegi

Thodi der ke liye teeno auraten chup ho gayi

"Kuchh paise hi maang le yaar" Thodi der baad Prerna boli "Aati lakshi kise buri lagti hai"

"Ok" aakhir mein Sakshi maan gayi "Lets get it over with then"

Vo teeno is waqt Prerna ke ghar pe thi.Kamre mein saari lights off thi aur beech mein candles ka ek gol se ghere mein jalaya gaya tha. Prerna aur Mehak pehle se hi gol ghere ke beech mein bethi thi jabki Sakshi unke saath aane se ghabra rahi thi.

"Are you sure this is safe?" Ek aakhri baar Sakshi ne un dono ka mann badalne ki koshish ki

"Yes it is" Prerna boli "Aur vaise bhi ham koshish hi toh kar rahe hain. Who knows ke ye sach hai ke nahi. Sach hua toh hamein jo chahiye vo mil jaayega, nahi hua toh sab kuchh vaisa hi rahega jaisa ki hai"

"Ok" Sakshi ne kaha aur ghere ke andar aa gayi.

Zameen par chalk se gol ghera banaya gaya tha jiske beecho beech ghere ko chhuta hua ek sitara bana hua tha. Chalk ke uper gol ghere ki hi shape mein candles jal rahi thi aur andar kuchh saman rakha hua tha.

"Ok lets start" Prerna boli "Now for this to work, we gotta offer ourselves to the devil. offer our bodies for him to take. Apna shareer hamein shaitan ko saunpna hai.Then only he is going to give us our wishes Varna ye totka kabhi kaam nahi karega"

"Ok" Mehak ne lambi saans lete hue kaha aur uth khadi hui "I will start"

Teeno auraton ne us waqt ek gown pehna hua tha. Mehak khadi hui saamne ki taraf se apna gown kholkar utara aur ghere se bahar phenk diya. Gown ke neeche kuchh nahi tha. Vo poori tarah se nangi ho gayi.

Sakshi ne apni badi behen ko yun apne saamne nangi dekha toh sharam se aankhen jhula li par Prerna ne uper se neeche tak nazar daalkar halke se seeti bajayi.

"Nice"

Mehak ke poore sharer par charbi ka kahin koi naamo nishan nahi tha. Teeno behno mein vo hamesha sabse patli thi aur kab mein bhi sabse chhoti. Jawan hone ke baad bhi vo vaise hi patli rahi. Uthi hui chhoti chhoti chhatiyan, sapat pet, sudol taange.

"Your turn" Usne Prerna se kaha

Uske baad Prerna khadi hui aur usne bhi apna gown khol kar ghere se bahar phenk diya.

Sakshi ke mukaable Prerna ka jism bhara hua tha. Teeno behno mein vo sabse lambhi thi aur halki si moti bhi par ye motapa jaise uske aakarshan ko aur bhi badha raha tha. Badi badi chhatiyan jo apne hi vazan se neeche ko dhalki hui thi, bhare bhare koolhe aur taange, halka sa nikla hua pet.

"Your turn Sakshi" Mehak Sakshi ki taraf dekhte hue boli

Sakshi ke chehre se saaf zaahir tha ke yun 2 auraton ke saamne nangi hote hue use sharam aa rahi thi par vo jaanti thi ke ab pichhe hatna na-mumkin tha. Ab use bhi apni dono behno ka saath dena padega. Jab pehli baar Prerna ne is totke ke baare mein bataya tha tab bhi usne un dono ko mana kiya tha. Pehli vajah ye thi ke use in sab baaton mein yakeen hi nahi tha, doosri ye ke samaj mein is sab ko paap mana jaata tha. Purane zamane mein jo auraten aisa karti thi, unko witch ya jaadugarni kehkar zinda jala diya jata tha. Par phir apni dono behno ke kehne par usne hathyaar daal diya aur unka saath dene ko raazi ho gayi.

"Come on Sakshi" Mehak boli "Ham bhi toh dekhen ke hamari chhoti behen jawan hokar kaisi dikhti hai?"

"Shut up" Sakshi chidte hue boli aur uth khadi hui
"Relax sweety" Prerna boli "Tu is waqt do auraton ke saamne apne kapde utaar rahi hai, kisi mard ke saamne nahi"

Sakshi ne apni aankhen band ki aur gown utaar kar ghere se bahar phenk diya. Ab teeno auraten poori tarah se nangi thi.

Kamre ka mahol ekdam jaise ajeeb sa ho gaya. Candles se uthta hua hawa mein phel raha tha aur ghere ke beech nangi bethi teeno auraton ke jism halki si roshni mein chamak rahe the. Prerna haath mein ek kitaab liye kuchh mantro ka jaap kar rahi thi jo unmein se kisi ko bhi samajh nahi aa rahe the.

"Totke ka pehla padav ham paar kar chuke hain, yaani pret-raj ko khush karne ke liye 3 teen auraten jo apne shareer ko marzi se uske supurd kar rahi hai, ab doosra padav"

Kehkar usne paas rakhe ek bag mein haath dala aur ek zinda murgi nikali.
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Re: टोटका

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"Doosra padav, bali"

"Nahi plesae" Sakshi fuaran bol padi. Vo pehle se jaanti thi ke bag mein kya hai aur kya hone wala hai par jab uske saamne hi Prerna ne murgi ki gardan par chhura rakha toh vo bichal gayi.

"Shut up Sakshi" Is baar Mehak boli toh uski aawaz mein vo kathorta thi jo bachpan mein bhi Sakshi ko chup kar deti thi.

Is baar bhi usne apni gardan doosri taraf phira li.

"Hey Pret-raj" Prerna kitaab se padhti hui oonchi aawaz mein boli "Tumhari daasiyan tumhari sewa mein ye bali de rahi hai, swikaar karo"

Aur phir chhura tezi se murgi ki gardan par chalne laga. Totke ke anusaar hi Prerna ne gardan thodi si kaati aur murgi ko chhod diya. Jaan abhi baaki thi, murgi fauran tadapti hui idhar udar bhaagne lagi. Gardan se tapakta khoon idhar udhar girne laga. Kuchh teeno auraton ke shareer par gira.

Sakshi ne jo ab tak doosri taraf dekh rahi thi yun Murgi ke chhatpatane se apni gardan ghuma kar dekha. Ghere ke beech khoon bikhra pada tha jiske kuchh chhinte khud uske shareer par bhi the. Uske munh se cheek nikal gayi.

"Chup" Prerna ne fauran aage badhkar uske munh par haath rakh diya "Ab totke ka teesra padav. apni swami ke liye teen daasiyon ki raas-leela"
Isse pehle ke Sakshi kuchh samajh paati, Prerna ne apne honth aage badhkar uske honthon par rakh diye aur ek haath se uski chhati pakad li.

"Kya kar rahi hai" Sakshi ne fauran pichhe hatna chaha par aisa kar nahi saki. Mehak pehle se hi uske pichhe aa bethi aur aur uske kandho ko pakad rakha tha.

Dono badi behno ne milkar Sakshi ko zabardasti neeche lita diya aur uske uper aisa chadh gayi jaise usko kha jana chahti hon.

Prerna jhuki hui uske honthon ko choom rahi thi aur ek haath se chhati daba rahi thi. Mehak khud Sakshi ke saath aakar hi zameen par let gayi aur jhuk kar uski ek chhati ko apne munh mein le liya.

"Kya kar rahi ho?" Sakshi badi mushkil se bol paayi

"Shhhhhh" Uske honth choomti Prerna ek pal ke liye boli "Just enjoy. Ham dono toh pehle bhi ye kar chuki hain ek baar, teri shaadi se pehle"

Aur uske baad vaasna jaise hawa mein phel gayi. Teen nangi auraton ke jism ek doosre se ulajhte chale gaye. Prerna jhuki hui kabhi Sakshi ke honth choomti toh kabhi uski chhatiyan choosne lagti. Mehak bagal mein bethi hui ek haath se Sakshi ki choot ko ragad rahi thi aur doosre haath ki 2 anguliyan apni choot mein chala rahi thi.

Sakshi bhi zyada der tak na nukur nahi kar saki. Apne jism par apni dono behno ke haathon ne uske sabar ka baandh tod diya aur usne fauran aage badhkar Prerna ko dhakka dekar neeche gira diya aur khud uske uper aa gayi.

"Thats it" Prerna muskurate hue boli "Thats my horny lil sister. Now show me what you can do. Eat me"

Sakshi ke liye sirf ishara kaafi tha. Vo fauran niche ko khisakti hui Prerna ki taango ke beech pahunch gayi aur apne honth uski choot par tika diye.
Agle aadhe ghante tak teeno behne ek doosre se uljhi rahi. Dhyaan Prerna ki aawaz se toota.

"Look. Udhar dekho"

Teeno ne nazar uthakar ghere se bahar rakhe ek neembu ki taraf dekha jo pehle hare rang ka tha par ab poori tarah laal ho chuka tha.

"Totke ka aakhri padav" Kehte hue Prerna ne vahin rakhe ek bag se mutthi bhar raakh nikali aur apne jism par ragadte hue zor se chillayi.

"Main Chahti hoon ke Akram mujhe vaapis mil jaaye, phir meri zindagi mein aa jaaye"

Uski dekha dekhi Mehak ne bhi apne shareer par raakh ragdi aur chillayi

"Mujhe ek bachcha de do Pret Raaj. Mujhe maan banna hai, meri kokh bhar do"

Baari Sakshi ki thi. Vo ab bhi vaasna ki madhoshi mein thi par jab Prerna ne ishara kiya toh usne bag se mutthi bhar raakh niklai aur khud par ragad li.

"Mujhe paisa chahiye. 10 lakh rupiye" Uske samajh mein nahi aaya ke kya maange toh yahi chilla padi.

Us raat ko guzre ek hafta ho chuka tha jab teeno behno ne milkar us Totke ko anjaam diya tha. Par Mehak ke dimaag mein is waqt us raat ki jagah kal ki raat chal rahi thi. Vo ab tak dari sehmi apne bistar par bethi soch rahi thi ke kya kare.
kramashah.........

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Re: टोटका

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टोटका पार्ट--2
गतान्क से आगे....
महक को बचपन से ही माँ बनने का बड़ा शौक था. बचपन में भी जब वो अपने बहनो या पड़ोस के बच्चो के साथ घर घर खेलती तो हमेशा मम्मी बनती थी. उसका माँ बनने का ये पागलपाल ही इस बात की वजह थी के उसने तीनो बहनो में सबसे पहले शादी कर ली पर शादी को 5 साल हो चुके थे पर कोई
बच्चा नही हुआ था.

अपने पति के साथ उसने सब कुच्छ ट्राइ किया, हर रात सेक्स किया, रात में 3-4 बार किया, हर पोज़िशन ट्राइ की पर कुच्छ नतीजा नही निकला. थक हार कर जब वो डॉक्टर के पास पहुँचे तो पता चला के उसका पति बाप बनने के क़ाबिल ही नही था. वो महक को बिस्तर पर खुश तो रख सकता था पर उसको माँ नही बना
सकता था.

उसके उपेर उस दिन जैसे बिजली सी गिर पड़ी थी. कुदरत ने अजीब मज़ाक किया था उसके साथ. अपने पति से वो बहुत प्यार करती थी इसलिए उसे छ्चोड़ने का ख्याल दूर दूर तक उसके दिमाग़ में कहीं नही था. अगले एक साल तक वो जाने कितने डॉक्टर्स, कितने हकीम, कितने वेद्यो को पास अपने पति को लेकर गयी पर जो उसको चाहिए था वो नही मिला.

और यही पागल पन था के जब प्रेरणा ने उसे उस टोटके के बारे में बताया तो वो फ़ौरन राज़ी हो गयी.

उसका पति अब भी शहर से बाहर था इसलिए उसे अब भी इस बात का पता नही चला था के उसका वो ठीक हुआ या नही.

ठीक एक हफ़्ता पहले देर रात घर में एक आहट हुई तो उसकी आँख खुली. वो आधी नींद में अपने बेडरूम से निकल कर बाहर आई. ड्रॉयिंग रूम की लाइट्स अब भी ऑफ थी. इस डर से के कहीं किचन में बिल्ली ना घुस आई हो, वो किचन की तरफ बढ़ी ही थी के 2 हाथों ने उसको पिछे से जाकड़ लिया.

वो कुल मिला कर कितने थे ये महक को पहले पता नही चल पाया था. जब उसको पिछे से अचानक यूँ पकड़ा गया तो उसने छूटने की पूरी कोशिश की. एक हाथ उसके मुँह पर था जिसकी वजह से वो चिल्ला नही सकी पर इस छिना झपटी में उसका सर पास के एक दरवाज़े से जा लगा और वो अपने होश खो बैठी.

उसके बाद बहुत देर तक उसके शरीर को अच्छी तरह से इस्तेमाल किया गया. उसके साथ वो सब किया गया जो उसने अपने पति के साथ भी नही किया था.

सर पर लगी चोट की वजह से वो ना तो होश में थी पर पूरी तरह बेहोश भी नही थी. उसके साथ क्या हो रहा है ये वो अच्छी तरह जानती थी पर उस सबको रोकने की हिम्मत उसके शरीर में बिल्कुल भी नही थी.

"क्या कर रहा है?"

"थोड़ी सी ऐश"

"अबे इतना टाइम नही है. माल उठा और निकल"

"अर्रे जब आ ही गये हैं तो चोरी के साथ साथ थोड़ी सी अय्याशि भी कर लें"

ऐसी कुच्छ आवाज़ें उसे सुनाई दे रही थी. जिस्म पर ठंडी हवा महसूस हुई तो उसे अपने नंगेपन का एहसास हुआ. उसके कपड़े जाने कब के उतार दिए गये थे.

फिर उसके मुँह पर एक रुमाल बाँध दिया गया और सामने रखी एक टेबल पर झुका दिया गया. पता नही कितने देर तक पिछे से लग रहे धक्को का उसको एहसास होता रहा पर जैसे उस थोड़े से टाइम में ही कितनी सदिया गुज़र गयी.

पता नही एक, पता नही 2, पता नही 3 या जाने कितने, एक एक करके उसके पिछे आते रहे और उसके शरीर को भोगते रहे. किसने उसकी चूत में धक्के लगाए और किसने उसकी गांद में, महक को कोई अंदाज़ा नही रहा.

जब होश आया तो सुबह हो चुकी थी. वो पूरी तरह नंगी अब भी ड्रॉयिंग रूम में पड़ी थी. सर दर्द के मारे फटा जा रहा था और उससे कहीं ज़्यादा दर्द उसकी टाँगो के बीच हो रहा था. मुश्किल से वो उठी और कमरे का जायज़ा लिया.

घर की हर कीमती चीज़ गायब थी.

अगले कुच्छ दिन तक उसके घर में पोलीस का आना जाना लगा रहा. उसका पति भी वापिस आ गया. लाख चाहते हुए भी वो अपने पति से बलात्कार की बात का ज़िक्र नही कर सकी. सदमे से वो बीमार पड़ गयी थी इसलिए बिस्तर पकड़ लिया था. डॉक्टर्स आए और उसको दवाई लिख कर दे गये.

अचानक फोन की घंटी बजी तो वो अपने ख्यालो से बाहर आई.

"हेलो" फोन उठा कर वो बोली

"हेलो मिसेज़. सिंग" दूसरी तरफ से उसके फॅमिली डॉक्टर की खुशी से भरी आवाज़ आई "कंग्रॅजुलेशन. आपको कुच्छ नही हुआ है बल्कि न्यूज़ तो खुश होने वाली है. यू आर प्रेग्नेंट"

फिर डॉक्टर ने क्या बोला ये महक ने सुना ही नही. टोटके से 3 महीने पहले से उसका पति शहर से बाहर था और टोटके के बाद भी अब तक वो उसके साथ सोया नही था.

"आइ आम प्रेग्नेंट" उसने दिल ही दिल में सोचा और बलात्कार की पूरी घटना जैसे फिर उसके दिमाग़ में घूमने लगी.

उस रात को गुज़रे एक हफ़्ता हो चुका था जब तीनो बहनो ने मिलकर उस टोटके को अंजाम दिया था पर प्रेरणा को अब तक वो चीज़ हासिल नही हुई थी जिसके लिए उसने इतना सब किया था, यानी उसका पति अकरम जो अब उससे तलाक़ लेकर किसी और औरत के साथ रह रहा था.

अकरम को वो स्कूल से जानती थी और जी जान से उससे प्यार भी करती थी. दोनो स्कूल और कॉलेज में साथ रहे और फिर शादी कर ली. जितना वो अकरम को चाहती थी, उतना वो भी उससे प्यार करता था.

पर वो प्यार जो शादी से पहले उन दोनो की ज़िंदगी था अकरम की लिए शादी के बाद जैसे एक परेशानी बन गया था. प्रेरणा हद से कहीं ज़्यादा पस्सेसिव थी जो अपने पति को हर वक़्त अपने पल्लू से बाँध कर रखना चाहती थी और ये बात अकरम को शायद मंज़ूर नही थी.
प्यास बुझाई नौकर से Running....कीमत वसूल Running....3-महाकाली ....1-- जथूराcomplete ....2-पोतेबाबाcomplete
बन्धन
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दिल से दिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
तुफानो में साहिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
यूँ तो मिल जाता है हर कोई!
मगर आप जैसे दोस्त नसीब वालों को मिलते हैं!
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