'शून्य' - (Shunya)-- Complete Novel

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Jemsbond
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एकदम हताश, निराश, बुझा हूवा चेहरा लेकर जॉन अॅँजेनीके सामने बैठा था.
" साला ब्लडी बॉस. ..उसने मुझे दगा दिया. " जॉन गुस्सेसे टेबलपर अपनी कसी हूही मुठ्ठी जोरसे मारते हूए बोला.
अॅँजेली उठकर जॉनके पास गई और उसे सहलाते हूए उसके बालोंमे अपना हाथ फेरने लगी.
'' ऐसा लगा की बंदूक सरेंडर करनेके पहले बंदूक की नाल उसके कनपटीमे रखू और सब की सब गोलीयां दाग दूं उसके मस्तकमें ' जॉन फिरसे गुस्सेसे बोला.
अॅँजेलीने उसके बालोंसे अपना हाथ निकाल लिया. और उसके सामने खडी होकर उसे समझानेके सुरमें बोली, '' देखो जॉन, बॉसपर चिढकर कुछ नही होनेवाला ... बॉसने जोभी किया अपनी चमडी बचानेके लिए. उसकी जगह कोईभी होता तो शायद वह वही करता. "
" नही ... पहलेसेही वह मेरे उपर खफा था... वह मौकेकी तलाशमेंही था और कभी ना कभी वह दगा देने वाला था. " जॉनने उसे तोडते हूए कहा.
" लेकिन बॉसने तुम्हे दगा दिया और उसके लिए तुम्हे क्या करना चाहिए यह बात अब उतनी महत्वपुर्ण नही रही. "
जॉनने उसकीतरफ प्रश्नार्थक मुद्रामें देखा.
" तूम तुमपर लगे आरोप कैसे निकाल सकते हो यह अब सबसे महत्वपुर्ण है."
" मुझ पर लगे आरोप मै कैसे निकाल सकता हूं ?" जॉनने निराशायुक्त स्वरमें कहा.
" तुमपर लगे आरोप निकालनेका अब एकही रास्ता है "
जॉनने फिरसे उसकी तरफ प्रश्नार्थक मुद्रामें देखा.
" ... और वह है खुनीको पकडना " उसने जॉनको मानो रास्ता दिखानेकी कोशीश करते हूए कहा.
" पर वह कैसे मुमकीन है ? मेरे सब अधिकार , शस्त्र उन्होने निकाल लीये है. अब अगर मैने प्रयास कीया भी तो भी वह पर टूटे परींदेने आसमानमें उंची उडान भरनेकी कोशीश करने जैसा होगा. "
" नही. ऐसा एकदम हताश होकर नही चलेगा. यह सच है की अब काम बडा जोखीम भरा हो गया है. लेकिन तुम्हारे पास उसके सिवा कुछ चारा भी तो नही है'
जॉन कुर्सीसे उठ गया और खिडकीके पास जाकर खडा हो गया. उसे बाहर रात के अंधेरेमें आसपासके लाईटस की रोशनीमें चमकता हूवा गोल तालाब का पाणी दिखाई दिया.
एकदम शांत ना हलचल ना कोई आवाज...
उस चंचल पाणीको मानो तालाबके किनारोंने बांधा हूवा लग रहा था... .
उसे लग रहा था की शायद उसकी अवस्थाभी कुछ उस पाणी जैसीही थी....
वह गोल तालाबका किनारा देखकर उसे फिरसे शुन्यका खयाल आया. वह स्तब्धतासे काफी समयतक उस तालाबकी तरफ एकटक देखता रहा.
फिर धुमकर वह धीरेसे अँजेनीके पास जाकर खडा हो गया. काफी समयकी चुप्पीके बाद उसेने अँजेनीको एक सवाल पुछा,
" झीरोकी खोज किसने की यह तुम्हे पता है क्या ?"
ईस अचानक सवालसे गडबडाकर अँजेनीने कहा " नही ... लेकिन क्यो?"
जॉन फिरसे खिडकीके पास गया. सोचमें डूबकर वह फिरसे खिडकीके बाहर देखने लगा. फिर बेचैन होकर वह कमरेमे चहलकदमी करने लगा.
अँजेनी उसके दिमागमें क्या चल रहा होगा यह समझनेका प्रयास करती हूई उसके तरफ देखने लगी. लेकिन अँजेनीको उसके खयालोंका कुछ अंदाजा नही हो रहा था.
अचानक रुककर कॉम्प्यूटरकी तरफ निर्देश करते हूए उसने कहा,
"अँजी, जरा वह कॉम्प्यूटरतो शुरु करो"
" कॉम्प्यूटर... किस लिए?" अँजेनीने पुछा.
वह कुछ नही बोला. फिरसे बेचैनीसे कमरेमे चहलकदमी करने लगा. अँजेनी कॉम्प्यूटरके पास गई और उसने कॉम्प्यूटर शुरु किया.
जॉन अपनी चहलकदमी रोककर उसकेपास जाकर कॉम्प्यूटरके सामने बैठ गया और कॉम्प्यूटर बूट होनेकी राह देखने लगा. अँजेनी मॉनिटरकी तरफ देखते हूए कॉम्प्यूटर बूट होनेकी राह देखने लगी.
कॉम्प्यूटर बूट होतेही एकदम शांत था जॉन अचानक हरकतमे आगया. जॉन तेजीसे कीबोर्डकी बटन्स और माऊसकी बटन्स दबाने लगा.
अँजेनीने उससे कुछ ना बोलते हूए शांत रहनाही बेहतर समझा. वह कॉम्प्यूटरके स्क्रीनपर वह क्या कर रहा है यह देखने लगी.
जॉनने पहले इंटरनेट कनेक्ट किया. फिर ब्राऊजरपर डबल क्लीक किया.
ब्राऊजर ओपन होतेही उसने उस ब्राऊजरके 'अॅडेस' के जगह टाईप किया.
"गुगल डॉट कॉम"
गुगल सर्च इंजीनकी साईट ओपन हो गई.
गुगलमें उसने सर्च स्ट्रींग टाईप की.
"झीरो इन्व्हेन्शन"
जॉनके दिमागमें क्या चल रहा था यह सब अब अँजेनीके खयालमें आने लगा था.
" हां, मुझेभी लगता है... शून्यकी खोज किसने की ? इस सवालमेंही कातील कौन है ? और वह कत्ल क्यो कर रहा है ? इन सवालोंका जवाब छिपे होगे. " अँजेनी उत्साहसे बोली.
जॉनका तेजीसे की बोर्ड और माऊसकी बटन्स दबाना शुरुही था. की बोर्ड और माऊसकी बटन्स की आवाजसे उसका दिल मानो भर आने लगा था. हमेशा सानी जब ऐसाही कॉम्प्यूटरपर बैठकर काम करता था और ऐसाही की बोर्डका और माऊसका आवाज आता था तब उसे ऐसाही होता था.
वैसीही भावना अब उसे जॉनके बारेमेंभी लगने लगी थी...
चलो एक तो ठिक हूवा जॉन नये जोशके साथ फिरसे काम करने लगा है ...
उसे बहुत अच्छा और हलका हलका महसुस हो रहा था.
" तूम तुम्हारा चलने दो. मै एक गरम गरम मस्त कॉफी लाती हूं " ऐसा कहते हूए अँजेनी किचनमें चली गई.

अँजेनी कॉफी लेकर आयी. जॉन अभीभी काम्प्यूटरपर काम कर रहा था. उसने एक कॉफीका कप धीरेसे, उसे डीस्टर्ब ना हो इसका खयाल रखते हूए, उसके सामने रख दिया.
अपने कपसे एक घूंट लेते हूए वह बोली , " क्या कुछ मिला ? "
उसके बोलनेके दो उद्देश थे. एकतो उसके सामने रखे कॉफीके कपकी तरफ उसका ध्यान जाए और दुसरा सचमुछ उसे कुछ मिला की नही यह जानना.
जॉनने पहले अँजेनीकी तरफ और फिर कॉफीकी कपकी तरफ नजर डाली. और आजूबाजू कुछ ढूंढनेजैसा देखने लगा.
" क्या चाहिए ? " अँजेनीने पुछा.
" कोई कागज, नोटबूक या कुछ लिखनेके लिए है क्या ? "
अँजेनी हॉलमें गई. जॉनने उसके सामने रखे कॉफीका एक घूंट लिया और कॉफीका कप फिरसे वही वापस रखते हूए वह फिर अपने काममे व्यस्त हूवा. इतनेमें अँजेनी एक डायरी लेकर वहा आ गई. उसने वह डायरी खोलकर जॉनके सामने रख दी और पेन अपने हाथमें पकडकर वह हाथ उसके सामने ले गई. डायरी रखनेकी आहट होतेही उसने उधर देखा और अँजेनीके पाससे पेन लेकर वह डायरीपर कुछ लिखने लगा.
अँजेनीने अपने कॉफीका घूंट लेते हूए उसके कंधेपरसे झूककर वह क्या कर रहा है यस समझनेकी कोशीश की.
अचानक जॉनने अपने दायें हाथ की मुठ्ठी कसकर बनाते हूए विजयी स्वरमें चिल्लाया -
"यस्स्"
वह झटसे कुर्सीसे उठकर खडा हूवा. उसे शायद खुनके बारेमें या कातीलके बारेमे कुछ जानकारी मिली होगी.
" क्या ? कुछ मिला ?"
अँजेनीका चेहरा खिल गया था.
" इधर देखो, उस सिरीयल किलरने सबसे पहले सानीका खून किया"
सानीका जिक्र होतेही अँजेनीका खिला हूवा चेहरा मुरझासा गया.
" दुसरा जिसका कत्ल किया उसका नाम था - हुयाना"
अँजेनी उसे क्या कहना है यह समझनेके लिए कभी वह क्या बोल रहा है वह सुनती थी तो कभी उसने डायरीपर क्या लिखा है वह पढती थी.
"तिसरा कत्ल हूवा उस शख्स का नाम था उटीना और हालहीमें जो चौथा खुन हूवा उसका नाम था नियोल '
" तो फिर ? " प्रश्नार्थक मुद्रामें अँजेनीके खुले मुंह से निकल गया.
" और अब जो पाचवा खून होनेवाला है उसका नाम 'वाय' (Y) इस अक्षरसे शुरु होना चाहिए'
" यह तुम कैसे कह सकते हो ? "
फिर जॉनने सामने रखी डायरी और इंटरनेटकी कुछ जानकारी अँजेनीको दिखाकर वह उसके सामने कत्लका एक एक रहस्य खोलने लगा. जैसे जैसे एक एक रहस्य खुलता था वैसे वैसे उसकी आखोंमे आश्चर्य दिखने लगता.
प्यास बुझाई नौकर से Running....कीमत वसूल Running....3-महाकाली ....1-- जथूराcomplete ....2-पोतेबाबाcomplete
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बॉसके सामने सॅम बैठा था. वह केसके बारेमे बॉसको ब्रीफ कर रहा था. बॉसने जॉनकी सब जिम्मेदारी उसे दी थी. बॉस हमेशाकी तरह रिलॉक्स बैठा सिगारके कश भर रहा था.
इतनेमें वहा पियून आ गया.
बॉसके सामने एक चिठ्ठी रखते हूए बोला,
" साहब, जॉनसाहब आये हूए है "
" जॉन....साहब ..."
'साहब' इस शब्दके उपर जरुरत से जादा जोर देनेसे बॉसके बोलनेका उपरोध स्पष्ट झलक रहा था.
बॉसने चिठ्ठी खोली.
चिठ्ठीमें लिखा था -
" सिरियल किलर केसकी बहुत महत्वपुर्ण जानकारी मेरे हाथ आई है ... इसलिये आपको तत्काल मिलना है.
बॉसने चिठ्ठीके उपरसे चेहरेपर बिना कोई भाव लाये एक नजर घुमाई.
सॅमके सामने चिठ्ठी सरकाते हूए बॉस बोला,
" जब दिए लगाने थे तब तो नही लगाये ... अब ये क्या तिर मारनेवाले है...?"
सॅमने चिठ्ठीपर एक नजर डाली.
अचानक कुर्सीपर सिधा बैठते हूए बॉसने पियून को फर्माया ,
" सेंड हिम इन"
पियून जल्दीसे बाहर गया और बादमे जॉन अंदर आया.
" हॅलो जॉन, हाऊ आर यू?" बॉस उसे सामने कुर्सीपर बैठनेका इशारा करते हूए बोला.
जॉन कुछ ना बोलते हूए सामने कुर्सीपर बैठ गया.
" हॅलो जॉन"
" हॅलो सॅम"
जॉन और सॅममें कमसे कम शब्दोका आदान प्रदान हूवा. दोनोंको अटपटासा लग रहा था.
" यस ... व्हाट कॅन वुई डू फॉर यू?"
बॉस एकदम किसी अनजानकी तरह उससे बात कर रहा था.
" सर, आय हॅव अॅन इंपॉर्टंंट इनफॉरमेशन रिगाडीर्ंंग नेक्स्ट पॉसिबल मर्डर"
" बट अॅज ऑल नो यू आर राईट नाऊ डिस्मीस्ड "
जॉन कुछ नही बोला.
" देन व्हाय शुड यू शेअर द इंन्फारमेशन विथ अस"
" सर देखीए , यह जो जानकारी है उसका आपके डिपार्टमेंटल पॉलिटीक्सके साथ कोई लेना देना नही है. यहा पब्लीकके जिने मरनेका सवाल है. मै अगर इस जानकारी के सहारे अकेला कुछ कर सकता था तो आपके पास कभी नही आता. "
जॉनके शब्दोमें उसका उसके बॉसपरका रोष स्पष्ट झलक रहा था.
बॉसने सामने रखे अॅश ट्रेमे सिगार मसल दी और मुस्कुराते हूवे बोला , " इसे कहते है रस्सी जल गई लेकीन बल नही गया . ऐनीवे क्या जानकारी है तुम्हारे पास ?"
" अगला कत्ल किसका होनेवाला है इसकी पॉसीब्लीटी है मेरे पास " जॉनने कहा.
सॅम चूप था, कभी वह जॉनकी तरफ देखता तो कभी बॉसकी तरफ.
बॉसने जोरसे ठहाका लगाया.
" पॉसीब्लीटी!"
" सर धीस इज नॉट सम काइन्ड ऑफ अ जोक"
बॉसने अपना हंसना रोका.
" देखो , इस शहरमें लगभग 75 हजार मकान है. उसमेंकेही किसी एक मकानमें अगला कत्ल होनेवाला है.. यह पॉसीब्लीटी बतानेके लिए एक मुरखभी काफी है.
" अगला खून जिसका होनेवाला है उसका नाम 'वाय' (Y) इस अक्षरसे शुरु होगा. "
बॉसने फिरसे ठहाका लगाया.
" इज धीस सम काईन्ड ऑफ वर्ड पझल"
इतनी देरसे चूप्पी साधे बैठा हूवा सॅम हिम्मत करके बोला.
"सर मुझे लगता है... वुई शुड लिसन थरोली व्हाट हि वांट टू से"
सॅम बिचमें बोला हूवा बॉसको अच्छा नही लगा ऐसा लग रह था. .
" ओ... हो... सॉरी ... मै तो पुरी तरह भूल गया की यह केस तूम हॅन्डल कर रहे हो..." बॉसने उसे ताना मारा.
" सर, मेरा मतलब ... आखीर आपही हमारे बॉस हो... मैनेतो सिर्फ सलाह दी थी ... आखीर क्या डीसीजन लेना है वह आपकाही अधिकार है... ..." सॅम शर्मींदा होकर बोला.
बॉसका 'इगो' सॅटिसफाय हूवा ऐसा लग रहा था. .
बॉस एकदम सिरीयस होगया. कॅबीनमें सन्नाटा छा गया. बॉसने नई सिगार सुलगाई और कुर्सीपर रेलते हूए बोला,
" ओ के देन कॉल द मिटींग"
क्रमश:.
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बोर्ड रूममें बॉस, सॅम, डॅन और बाकी काफी पुलिस अधिकारी बैठे हूए थे. जॉन सबके सामने एक जगह बैठा था. सब लोग अब वह क्या बताता है यह सुननेके लिए बेताब थे. बॉसको वह क्या बताता है इसमें कोई खास दिलचस्पी नही दिख रही थी.
जॉनने शुरवात की.
" यह जो कातील है वह एक सिरीयल किलर है इसमे किसीकी दोराय नही होगी".
जॉनने सब लोगोंपर एक नजर दौडाई.
" मुझे लगता है अगर हम सिधे मुद्देपरही बात करोगे तो ठिक रहेगा' बॉसने उसे बिचमें टोका.
जॉनको बॉसका ऐसा बिचमें टोकना अच्छा नही लगा था. उसे उसका गुस्सा भी आया. लेकिन अपना गुस्सा चेहरेपर जाहिर ना करते हूए जॉनने सिर्फ एक नजर बॉसपर डाली.
" देखो , कातिलने पहला कत्ल जिसका किया उसका नाम था सानी , दुसरे का हुयाना, और तिसरे शख्सका उटीना और अब हालहीमें जो चौथा कत्ल हूवा उसका नाम था नियोल.
जॉनने फिरसे एकबार बॉसको टालते हूए सब लोगोंपर अपनी नजर घुमाई.
" और अब पाचवा कत्ल जिसका होनेवाला है उसका नाम 'वाय' इस अक्षरसे शुरु होनेवाला है.." जॉन कोई राज खोलनेके आविर्भावमें बोला.
बॉसची उत्सुकता बढ गई थी लेकीन उसने वैसा जाहिर नही होने दिया.
" यह तूम इतने ठोस तरहसे कैसे कह सकते हो ?" किसीने अपनी शंका उपस्थित की.
" बोलता हूं " जॉन एक दीर्घ श्वास लेते हूए बोला.
अब सब लोग एकाग्र होकर ध्यान देकर सुनने लगे.
" हर कत्लके वक्त कातीलने हमे 'क्लू' देनेकी कोशीश की थी. उस सब क्लू में एक कॉमन मुद्दा जो था वह था 'झीरो' और अब चौथे कत्लके वक्त उसने दिवारपर लिखा था -
'झीरोकी खोज किसने की?'
... और उसीमें अगले खुनका रहस्य छिपा हूवा है ... वैसे देखा जाए तो झीरोकी खोज किसने की यह एक विवादातीत मुद्दा है ..."
जॉन झीरोकी खोजके बारेमे बोर्डरूममें बैठे सब लोगोकों जानकारी देने लगा. सब लोग ध्यान देकर सुन रहे थे. लेकिन वह सुनते हूए डॅन बेचैन होगया था. वह बोर्डरूमसे बाहर जानेके मौकेका इंतजार करने लगा...

दुनियाके इतिहासमें शून्यकी खोजको बडा महत्व है. शून्यकी खोजने गणितको एक नई दिशा और पुर्णत्व दिया. शून्यको एक नंबरके हैसीयतसेही नही तो एक कॉन्सेप्टके हैसीयतसे बडा महत्व है. अभीभी विज्ञानमें ऐसी बहुतसारी समस्याए है की जो शुन्यके बिना और परिणामत: 'अगणित' (infinity) इस कॉन्सेप्ट के बिना सुलझाना लगभग नामुमकिन है. शून्यकी खोज किसने की इस बातपर बहुत संभ्रम और अलग अलग धारणाए अस्तीत्वमें है. लेकिन यह भी एक सच है की अमेरिका और युरोप जैसे दुनियाके हिस्सेमें जिसकोकी अब बहुत जादा प्रगत समझा जाता है वहां शुन्यकी खोज नही हूई थी. वहां बाकी खोजोंकी तरह शून्यको चतूराई और कपटसे 'इंम्पोर्ट' किया गया था. इतनाही नही तो युरोप और अमेरिकामें जो रोमन अंकपध्दती शुरुमें इस्तेमाल की जाती थी वह बहुत ही अनपुयुक्त और अपरिपूर्ण थी. क्योंकी उस पध्दतीमें आंकडेंको उसके जगहके अनुसार महत्व या व्हॅल्यू ना होनेसे उस अंक पध्दतीममें गणितके बेसीक प्रक्रियायें जैसे जोडना, घटाना, विभाजन, गुणन भी ठिक ढंगसे और जलद नही किये जा सकते है.
अब शुन्यके बारेमेंही बोलना हो तो एक धारणा ऐसी है की शून्यकी खोज सबसे पहले भारतमें लगी. 1 यह प्राकृतिक पहली संख्या है. 1 के बाद आनेवाली प्राकृतिक संख्या .. 2,3,4,5,6 ... इत्यादि है. इन संख्यांयोंका कोई अंत नही. 1 में 1 का योग करनेसे 2 आता है. 2 में 1 का योग करनेसे 3 आता है. . 3 में 1 का और 4 में 1 का योग करनेसे क्रमश: 4 और 5 आता है. इसी प्रकार 6,7,8... इत्यादि संख्यायें आयेगी. योग इस क्रियाके विरुध्द क्रियाको व्यवकलन यानेकी घटाना कहते है. . 5 मेंसे 1 का व्यवकलन करनेसे 4 प्राप्त होता है , 4 से 1, 3 से 1 और 2 से 1 का व्यवकलन करनेसे क्रमश 3,2,1 ऐसे : प्राप्त होते है. लेकिन अब सवाल आता है की 1 से 1 का व्यवलोकन करनेसे क्या प्राप्त होगा? यह सवाल सबसे पहले भारतीय ऋषींयोंके दिमागमें आया . 1 से 1 का व्यवलोकन करनेसे रिक्तता उत्पन्न होती है , और उसे 0 के स्वरुपमें लिखा जाता है.. शून्यको संख्याके स्वरुपमें किसने उपयोगमें लाया यह कहना थोडा कठिन है. लेकिन इतनी जानकारी मिलती है की ई.पू. दुसरे शताब्दीमें यूनानके जोतिषी शून्यकेलिए 0 का इस्तेमाल करते थे. लेकिन वह लोगभी उसी अर्थसे उसका उपयोग करते थे जिस अर्थसे बॅबीलॉनीयन लोग उपयोग करते थे. 200 ई.पू. आचार्य पिंगलके छन्द: सूत्रमें शून्यका इस्तेमाल मिलता है. भक्षाली पाण्डूलिपिमें (300 ई.) शून्य चिन्हका (0) प्रयोग कर संख्याए लिखी हूई मिलती है. इस ग्रंथके 22वे पन्नेपर शून्य चिन्ह (0) मिलता है. शून्याका सबसे प्राचीन चिन्ह है (.).
शून्यका खोजही नही तो बीजगणित, भूमिती इन सबपर आर्यभट्ट् गणिततज्ञके कालमें बहुत कार्य किया गया. लेकिन वह सब कार्य संस्कृतमें सूत्रोंके स्वरूपमें होनेसे जिनको संस्कृत नही आता वे उसे समझ नही पाए. कालके साथ भारतमें वह पिढी दर पिढीतक मुखोद्गद करके संजोया गया. शून्यके खोजका मूल भारतीय इतिहासके वैदिक कालमें अलग अलग स्वरूपमें मिलता है. सबसे पहला जिसे कोईभी ठूकरा नही सकता ऐसा प्रमाण ग्वालेर को मिला. ग्वाल्हेरमें एक जगह संवत 933 में खुदाये गये कुछ आंकडे मिले. वहा एक जगह 50 हार का उल्लेख मिलता है और 270 यह संख्या हिंदी अंकका उपयोग कर लिखी हूई है. यहा शून्यका संख्याही नही तो प्लेस होल्डर के हैसीयतसेभी उपयोग किया गया है.
दुनियाके इतिहासमें बह्मगुप्त यह पहले गणिततज्ञ थे की जिन्होने नॅचरल नंबर्स और झीरोपर अलग अलग गणिती प्रक्रिया करनेका प्रयास किया था. औरभी कुछ सभ्यताओंने जैसे बॅबीलॉनीयन लोगोंनेभी एक चिन्ह शून्यके लिए प्लेसहोल्डर और एक संख्या की हैसीयतसे इस्तेमाल कीया था. लेकिन एक धारणाके अनुसार दुनियाके इतिहासमें भारतीय सभ्यतामेंही सबसे पहले झीरोका एक संख्या, एक प्लेस होल्डर और एक संकल्पना के हैसीयतसे इस्तेमाल हूवा था. इस चिन्हको , उस प्लेस होल्डरको और संकल्पनाको भारतीय वेदीक साहित्यमें 'शून्य' ऐसा नाम दिया हूवा मिलता है .

जॉनने बोर्डरूममे इकठ्ठा हूए सबको झीरोके खोजके इतिहासके बारेमें संक्षीप्तमें जानकारी दी.
" और इस झीरोमेंही कत्लका रहस्य छिपा हूवा है... भारतीय इतिहासमें जगह जगह झीरोका उल्लेख 'शून्य' इस नामसे मिलता है. "
जॉनने एक दीर्घ सांस ली और आगे बोलने लगा.
" पहला खून हूवा उसका नाम सानी मतलब वह 'एस' (S) इस अक्षरसे शुरु होता है. दुसरा खून हूवा उसका नाम हूयाना यानी की वह 'एच' (H) इस अक्षरसे शुरु होता है. तिसरा खून जिसका हूवा उसका नाम उटीना जो की 'यू' (U) इस अक्षरसे शुरु होता है. और अब हालहीमें जिसका खुन हूवा उसका नाम 'नियोल' जो की 'एन' (N) इस अक्षरसे सुरू होता है. मतलब 'एस् एच् यू एन वाय ए' (SHUNYA) 'शून्य' यानीकी अब जो खून होनेवाला है उसका नाम 'वाय' (Y) इस अक्षरसेही शुरु होगा इसमें कोई दोराय नही होनी चाहिए"
जॉनने किये त्रुटी रहित विश्लेषनसे सब लोग उसपर खुश लग रहे थे - बॉसभी.
" लेकिन इस शहरमें जिसका नाम 'वाय' (Y) इस अक्षरसे शुरु होनेवाले हजारो या लाखो लोग होंगे. तब क्या हम उन सब लोगोंको प्रोटेक्शन देंगे?" बॉसने आपनी अडचन चाहिर की.
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" इतने लोगोंको संरक्षण देना तो लगभग नामुमकीन होगा !" सॅम ने कहा.
" नही... और एक बात मुझे इस सब मामलेमें मिली है ... जिसकी वजहसे हम लोगोंका टारगेट नॅरो डाऊन होनेवाला है " जॉनने कहा.
और एक आशाका किरन दिखेजैसे सब लोग जॉनकी तरफ उत्सुकतासे देखने लगे. फिर जॉन अपने कुर्सीसे उठ गया और सामने टंगे शहरके नक्षेके पास गया. वह अपने पासके कुछ कागजभी साथ ले गया. फिर अपने पासके कागजकी तरफ देखते हूए उसने सामने नक्षेपर लाल स्केच पेनसे एक क्रॉस किया.
" पहला खून हूए सानीका घर शहरमें लगभग यहांपर है. "
सब लोग जॉन क्या बताना चाहता है यह समझनेका प्रयास करने लगे.
जॉनने अपने पासके कागजसे देख देखकर सामने नक्शेपर और एक लाल क्रॉस किया.
" दुसरा खून हूए हूयानाका घर यहां कही है.. "
उसने और एक क्रॉस नक्शेपर मारते हूए कहा,
" तिसरा खून उटिनाका हूवा और उसका घर यहा पर है.. "
" और आखरी खून नियोलका हूवा और उसका घर"
जॉनने फिरसे एकबार अपने पासके कागजकी तरफ देखते हूए नक्शेपर एक क्रॉस करते हूए कहा, , "ये .. यहा है "
सबके चेहरेपर अभीभी संभ्रम था .
" लेकिन इससे क्या साबीत होनेवाल है .?" सॅमने प्रश्न उपस्थित किया .
" मतलब .....एक तो तुम्हे क्या कहना है यह तुम्हेही नही समझ आ रहा है ... या फिर हमारे सरके उपरसे जा रहा है.. " बॉसने कहा.
" जरा ध्यान देकर देखो .... सोचो ... तुम्हारे कुछ खयालमें आता है क्या ?"
जॉनने एकबार बोर्डरूममें बैठे सब लोगोंकी उपरसे नजरे घुमाई.
काफी समय चुप्पीमें गया. सब लोग उससे कुछ साबीत होता है क्या यह देखने लगे.
फिर जॉनने सामनेके नक्शेपर हरे डॉटस देते हूए सब लाल क्रॉसके उपरसे एक वक्र लकिर निकाली. वह वक्र लकिर जहांसे निकाली थी वहां फिरसे जोड दी. फिर उस डॉटसके उपरसे एक मोटी हरी लकीर निकाली. और क्या आश्चर्य उस नक्शेके उपर एक सर्कल दिखने लगा.
"यह देखो यह क्या निकला"
" सर्कल" एकने कहा. .
" सर्कल नही... यह शून्य है " जॉनने गूढ भावसे कहा.
सामने बैठे सभी लोगोंके चेहरेपर सबकुछ बोध होनेके आनंदयुक्त और उत्साहपूर्ण भाव आ गये थे.
" यस्स... यू आर जिनीयस जॉन!" सॅमके मुंहसे अनायास ही निकल गया.
बॉसने सॅमकी तरफ नाराजगीसे देखा.
" पहला क्रास यहां, दुसरा यहां , यहां तिसरा और यहां चौथा. "
जॉन नक्शेपर क्रॉसकी तरफ निर्देश करते हूए बोला.
" मतलब पांचवा क्रास यही कही होना चाहिए. "
जॉनने चक्रपर चौथे और पहले क्रॉसके बिचमें जो खाली जगह थी वहा एक पांचवा क्रॉस निकाला.
" इस पांचवे क्रॉसके एरियामेंही कातिल का अगला निशाना छूपा हूवा है और उसका नाम 'वाय'(Y) इस अक्षरसे शुरु होता है . यह दो जानकारीयोंमे बैठनेवाले लगभग तिन या चार मकान होंगे. और वह भी पॉसीब्ली दसवे मालेपर ... क्योंकी हर खुनके वक्त कातिलने दसवा मालाही चूना है "
" यस ....इन मकानोंपर अगर हम नजर रखते है तो कातिलको हम जरुर पकड पायेंगे.." सॅमने उत्साहसे भरे स्वरमें कहा.
इतनेमें एक पियून अंदर आकर बॉसके पास जाकर धीरेसे बोला,
" साहब , आपका अर्जंंट फोन है "
बॉस कुर्सीसे उठ गया.
" यू कॅरी ऑन. आय वील बी बॅक सून" बॉस जॉनको और बाकी लोगोंको बोलते हूए 'खाट खाट' जुतोंका आवाज करते हूए बोर्डरूमसे बाहर निकल गया.

जॉन, सॅम और बाकी पुलिसके अधिकारी पांचवे कत्लके वक्त कातिलको कैसा पकडना है इस बारेमे चर्चा करने लगे. जॉनने पहले सबको बोलनेका चान्स दिया और उनका कहना ध्यान देकर सुना. और सबके चर्चाका एक मध्य निकालकर कातिलको पकडनेका एक तरीका तय किया. चर्चामें उसने सबको एक सरीका अवसर और मौका दिया था. यह चर्चाका तरीका सबके लिये नया ही था. क्योंकी बॉसका तरीका अलगही रहता था. उसका डिक्टेटरशीपमें जादा विश्वास था. यह डेमोक्रॅटीक तरीका सबको पसंद आया था. इसमें सबका इन्वॉल्वमेंट होनेसे सबको प्रोत्साहन मिलता था. लेकिन उनको चिंता थी की अगर अब बॉस वहा आगया तो सब गडबड कर देगा. और वैसाही हूवा. उनकी चर्चा आधेमेंही होगी तब अचानक वहां तेजीसे बॉस आया. उसके चेहरेपर पसिना आया हूवा था. उसकी वह दशा देखकर सब लोग शांत होगए. जरुर कुछ अघटीत घटा था. उसके पिछे पिछे एक पियून एक लॅपटॉप लेकर आया.
" एक गडबड हो गई है " आतेही बॉसने कहा.
सब लोग स्तब्ध होकर बॉस क्या कहता है यह सुनने लगे.
" यह कातिल कोई अकेला आदमी ना होकर कोई संघटना होगी ... कोई बडी संघटना .. शायद टेररिस्ट संघटना"
" टेररिस्ट संघटना?" सबके मुंहसे आश्चर्योद्गार निकले.
क्योंकी वहां बैठे सबके लिए यह नई जानकारी थी. किसीनेभी इस केसको उस तरहसे नही सोचा था.
" प्रेसका फोन था.. सब तरफ गडबडी मची हूई है... उन लोगोंने इंटरनेटपर एक ऑडीओ रिलीज किया है. " बॉसने एक सांसमे बताया.
फिर बॉसने डॅनको लॅपटॉप शुरू करनेका आदेश दिया. डॅन लॅपटॉप शुरू करने लगा और बॉस आगे बोलने लगा,
" मैने अभीतक ऑडीओ सुना नही है. मुझे लगता है वह हमें सुनना चाहिए" बॉस लॅपटॉपके सामने बैठते हूए बोला.
तबतक डॅनने लॅपटॉप शुरु कर गुगल सर्च इंजीन ओपन किया. डॅनको बॉसके बोलनेसे पता चला था की पहले वह ऑडीओ फाईल इंटरनेटपर ढूंढनी पडेगी.
डॅनने सर्च स्ट्रींग टाईप करनेके पहले 'क्या सर्च स्ट्रींग दूं ' इस आविर्भावसे बॉसकी तरफ देखा.
वैसे बॉसका और डॅनका टयूनिंग अच्छा था. किसके मनमें क्या चल रहा है यह उनको एकदूसरेके साथ हमेशा रहनेसे पहलेही पता चलता था.
" झीरो मिस्ट्री" बॉसने कहा.
डॅन ने ' झीरो मिस्ट्री' सर्च स्ट्रींग देकर सर्च बटन क्लीक किया. एक पलमें सौसे उपर निले कलरकी लिंक्स कॉम्पूटरके ब्राउजरपर दिखने लगी.
सब लोग अपना जितना हो सकता है उतना सर अंदर घुसाकर मॉनिटरकी तरफ देखने लगे.
" वह चौथी लिंक " बॉसने कहा.
सॅमने वह चौथी लिंक क्लीक की. एक साईट ओपन हो गई. उसपर एक ऑडीओ फाईलकी लिंक थी. प्ले और डाऊनलोड ऐसे दो ऑप्शन्स थे.
"प्ले इट डायरेक्टली" बॉस ने आदेश दिया.
सॅमने प्ले बटनपर क्लीक किया. पहले ऑडीओपर जैसे किसी चक्रवातके पहले सन्नाटा होता है वैसा सन्नाटा था. फिर एक धीरगंभीर आवाज घुमाने लगा. सब लोग एकदम चूप होकर सुनने लगे -

" मेरे हिंदूस्थानी भाईयों और बहनो..."
बिचमें एक लांबा पॉज था.
बोर्डरूमके सब लोगोंने एक दुसरेकी तरफ प्रश्नार्थक मुद्रामें देखा.
ऑडीओका आवाज फिरसे बोर्डरूममें घुमने लगा. .
प्यास बुझाई नौकर से Running....कीमत वसूल Running....3-महाकाली ....1-- जथूराcomplete ....2-पोतेबाबाcomplete
बन्धन
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Jemsbond
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Re: 'शून्य' - (Shunya)-- Complete Novel

Post by Jemsbond »

" किसी ना किसी तरह कोई हमपर आजतक राज करते आया है. हमे जैसे गुलामी की आदत सी हो गई है. इससे पहले 150 साल तक हमपर ब्रिटीश लोगोंने राज किया ... और बुरी तरह... किसी जानवरो की तरह हमसे बर्ताव किया. यह लोगोंका हमपर राज करने का सिलसिला अभीभी जारी है. अभीभी हमपर कोई राज कर रहा है. यह सुनकर आपको आश्चर्य हो रहा होगा. लेकिन यह सच है और यह आश्चर्य की नही शर्म की बात है. हमारे गुजरे हूए कल पर थोडी नजर डाली जाएँ तो यह जो आजका प्रगत विज्ञान है. इसकी नींव हमने रची हुई है. लेकिन उसे कोई मानने को तैयार नही. वह विज्ञान इन प्रगत देशोंने या तो हमसे चुराया है या अपने ताकद की जोर पर जबरदस्ती हमसे हथीया लिया है. उदाहरण के तौरपर है शून्य. शून्य का शोध हमने लगाया है. लेकिन यह कोई मानने के लिए तैयार नही. पायथॅगोरस थेरम उसका शोध हमारे पूर्वज वैज्ञानिक आर्यभट्टने लगाया. लेकिन आज वह किसी और के नाम से प्रचलित है ज्या (sine) का शोधभी आर्यभटने लगाया है. ये होगए गणिती क्षेत्र के शोध और संशोधन. स्वास्थविज्ञानमें विविध जडीबूटीयाँ, उनके औषधीय उपयोग. इन सबको अनदेखा करते हूए अमेरिकाका हल्दीका पेटेंट अपने झोलीमें डालनेका प्रयास किसीको नागवार गुजरा नही क्योंकी वह एक शक्तीशाली देश है. अपने शक्तीके जोर पर वे कुछ भी करने की क्षमता रखते है. अपने शक्ती के जोर पर वे किसी झूठ को सच का सुनहरी मुलामा देकर मिडीया का सहारा लेकर सारे विश्वपर थोपते है. ऎैसे बहुत सारे शोध है जो हमने लगाये हूए है लेकिन वह आज कोई दुसरे लोगोंने चुराकर अपने नाम पर कर लिए है या फिर वे अपने ताकत के जोरो पर उसको वे अपना संशोधन या शोध बताते है. इससे एक बात साबीत होती है की हम दिमागी तौर पर ना कभी कीसी देशसे कम थे ना है. हाँ आज भी नही है. आज इस वक्त अमेरिका, युरोप मे हमारा ब्रेन ड्रेन हो चूका है. यह बात यह साबीत करती है की आज भी दिमागी तौर पर हम किसीसे कम नही है. हमारे पास दिमाग होते हूए भी यह सब क्यो हो रहा है? उसके लिये हमारी सोई हूई राष्ट्रीयता और इन प्रगत देशोंकी हमारे प्रति नीतीयाँ और उनका हमारे अंदरूनी मामलेमें हस्तक्षेप है.
उन लोगोंका हमारे प्रती ध्यान खिंचकर उन्हे झिंजोरने के लिए और अपने हिंदू लोगोंका सोया हूवा धर्माभीमान , अभिमान और राष्ट्रीयता जगाने के लिए हमने यह 'झीरो मिस्ट्री' हत्या श्रृंखला अभियान चलाया है. क्योंकी सोये को जगाया जा सकता है लेकीन सोनेका ढोंग करने वाले को जगाने के लिए किसी बडे धमाको की जरूरत होती है. हाँ इस वक्त हमें बडे धमाके की जरूरत है. क्योंकी हमेशा हमारे अहिंसा और शांतीप्रीय भाव को लोगोंने गलत तरीके से लिया है और उसकी वजहसे वे हमे कमजोर समझते है. यह तो सिर्फ पहला कदम है. हमें अपना खोया हूवा वैभव पाने के लिए और बहुत कुछ करना बाकी है. मुझे आशाही नही बल्की विश्वास है की आप सब हिंदू लोग इस अभियान मे हमारा तहे दिलसे साथ देंगे. हिंदूज आर मच मोर कॅपॅबल बी रेडी फॉर रूलींग द र्वल्ड ...
... जय हिंद! "
मेसेज हिंदीमें था. बोर्डरूमें किसीकोभी हिंन्दी नही आती थी. लेकिन बोर्डरुममें बैठे एक भारतीय मुलके एक अधिकारीके वजहसे बाकी लोगोंको समझनेमं दिक्कत नही हूई. मेसेज सुनते वक्त बिचबिचमें वह अपने साथीयोंको इंग्लीशमें ट्रान्सलेट कर बता रहा था.
बोर्डरूममें एक अजीब सन्नाटा फैला हूवा था.
" माय गॉड" बॉसके मुंहसे निकल गया.
" इट इज अ टेररीझम?" सॅमने पुछा.
" नो. नॉट सिप्ली टेररीझम इट्स हिंदू टेररीझम... अर्लीयर वुई वेअर व्हीक्टीम ऑफ मुस्लीम टेररीझम. नाऊ इटस् हिंदू टेररीझम आल्सो इन द लिस्ट" बॉसने कहा.
" सर मुझे लगता है हमें किसीभी हालमें अगला कत्ल होनेसे बचाना चाहिए. " जॉनने कहा.
" मि. जॉन अब यह मामला सिर्फ एक सिरीयल मर्डर केस नही रहा है.... नाऊ इट हॅज बिकम अ फेनॉमेनॉन" बॉसने कहा.
" लेकिन अगर हम यह अगला कत्ल होनेसे अगर रोक सके ... और कातिलको पकड सके ... तो इसपर जरुर कुछ नियंत्रण आयेगा " जॉनने अपनी राय व्यक्त की.
" अब क्या क्या टाल सकते है हम... अब पहलेसेही सारी अमरिकामें भारतीय अमेरिकन और अमेरिकन लोगोंमें दंगे भडक चूके है. और कातिल एक ना होकर एक टेररीस्ट संघटना है. हिंदू टेररिस्ट संघटना "
' लेकिन यह दंगे इतने जल्दी एकदमसे कैसे शुरु हूए? '' सॅमने आश्चर्य व्यक्त करते हूए कहा. .
" 9/11 के दरम्यान लोगोंका गुस्सा एक सीमातक यानी की उनकी थ्रेशोल्ड लेव्हलतक पहूंच गया था. ... और अब यह और एक टेररीझम सुनकर उनका गुस्सा आऊट र्बस्ट होगया है.." बॉसने मानो लोगोंके आचरण का विश्लेशण किया. वैसे मॉब बिहेवीयर और मॉब टेन्डंसीके बारेमे बॉसका अच्छा खासा अध्ययन था. फिरसे पियून अंदर आया.
" साहब, मेयरका फोन" पीयूनने बॉसके कानकेपास झूककर अदबसे कहा.
बॉस उठ खडा हूवा.
" चला उठो .. अब हमें यह दंगा फसाद काबूमें लाना पडेगा."
बॉस बाहर जाने लगा. जॉन छोडकर सब लोग उठकर बॉसके पिछे पिछे जाने लगे. जॉन नाउम्मीद होकर सब जानेवालोंको देखता रहा.

बॉस और बाकी पुलिस टीव्हीके सामने खडे होकर सारी अमेरीकामे किसी आगकी तरह फैले दंगे फसाद की खबरे देख रहे थे. बिच बिचमें फोन बज रहा था. उसे एक पुलिस अटेन्डंट अटॆंड कर रहा था. बॉसने दुसरा न्यूज चॅनल लगाया. वहां भी वही. सब न्यूज चॅनल्सपर वही खबरे - दंगा, फसाद, लाठीचार्ज , टीयर गॅस, सब वही खबरें थी.
इतनेमें जॉन आवेशसे अंदर आया. उसकी तरफ सॅमने सहानुभूतीपूर्वक देखा. बॉसने देखकर ना देखे ऐसा किया और बाकी सब अपने अपने काममे व्यस्तता का अभिनय कर रहे थे. बॉसका ऐसा टालना उसे अच्छा नही लगा. वह लगभग चिल्लाकरही बोला,
" सर, पाचवा कत्ल अगर हम रोक नही पाए तो यही दंगे पर उतारू लोग खुन खराबा कर सकते है...फिर उनको रोकना बडा मुश्कीलही नही नामुमकीन हो जाएगा.... किसीभी हालमें हमें यह कत्ल रोकना जरुरी है. "
बॉसने एक कटाक्ष जॉनकी तरफ डाला. फिर कुछ सोचा और सॅमकी तरफ देखकर बोला,
" सॅम मुझे लगता है जॉन सही कह रहा है. तूम और और दो लोग उसके साथ जाओ और कुछ करने लायक हो तो देखो. "
फिर बॉस जॉनकी तरफ मुडा.
" आय अॅम सॉरी जॉन लेकिन मै अब इस हालमें इतनाही कर सकता हूं "
जॉनने बॉसके बोलनेमेंका व्यंग भाप लीया था... उसने उसके सादे कपडे की तरफ देखकर ताना मारा था.
जॉन कुछ बोले इससे पहले बॉसने संभलकर कहा,
'' क्योंकी कॅनॉट प्लेसको दंगाफसाद शुरु हो चूका है... मुझे वहाभी लोग लगेंगे और औरभी जगह फसाद हो सकते है... "
जॉन बॉॅसको कुछ बोले इससे पहले बॉसके लिए और एक फोन आया.
बॉस फोन अटेंड करनेके पहले जॉन और सॅमसे बोला,
"तुम जल्दी जाओ... वक्त मत बरबाद करो "
जॉन और सॅम जल्दी जल्दी बाहरकी ओर निकले.

हिमालय के पर्बतोंकी गोदमें बहते नदी के तटपर जो गुंफा थी उसमें ध्यानमग्न अवस्थामें बैठा ऋषी, अचानक चौंककर अपने समाधी अवस्थासे बाहर आ गया. उसकी आंखे लाल थी और चेहरेपर कुछ रहस्य सुलझनेका गुढ आनंद झलक रहा था. उसके चेहरेपर एक रहस्यमय मुस्कुराहट फैल गई. धीरे धीरे अपने आप उसकी आंखे फिरसे बंद हो गई. और फिर वक्त, जगह और अपने शरीर से अनजान उनकी सुक्ष्म अस्तीत्वका विचर सब मर्यादाएं लांघकर बंधनमुक्त होकर होने लगा.
जंगलमें पर्णकुटीके पास तिन लोग आपसमे कुछ चर्चा कर रहे थे. इतनेमें वहा वह ऋषी आगया. उसकी आहट होतेही सबलोग पलटकर उसकी तरफ देखने लगे.
यह तो वही ऋषी है...
जो उनको पहले एक बार मिला था...
उनको उसके लब्ज याद आ गए-
" चिंता मत करो.. मै तुम्हे तुमारे दुविधासे बाहर निकालूंगा "
वे बडी आस से उसकी तरफ देखने लगे.
ऋषीके चेहरेपर एक गूढ मुस्कुराहट दिखने लगी.
" आप लोगोंकी पहेली सुलझीही समझो " ऋषी गूढभाव से बोला.
" क्या? ... हमारी पहेली सुलझी?" तिनोंके मुंहसे खुशीसे निकला.
ऋषीने एक संस्कृत श्लोकका जोरसे उच्चारण किया -
ॐ पूर्णं अद: पूर्णं इदं, पूर्णात् पूर्णं उदच्यते ।
पूर्णस्य पूर्णं आदाय, पूर्णं एवाव शिष्यते ॥
"अर्थात जब पूर्णका पूर्णसे संयोग होता है या पूर्णसे पूर्ण निकाला जाता है तब बाकी पूर्णही रहता है. ब्रह्म यह परिपूर्ण है... इसलिए ब्रह्ममें बह्म मिलाया जाए तो या ब्रह्मसे ब्रह्मको निकाला जाए तो आखीर बाकी ब्रह्मही रहता है.
यहां पूर्ण और ब्रह्म यानीकी अगणित हो सकता है... जैसा दिन हो तो रात आतीही है, प्रकाश के विरुध्द अंधेरा होता है... वैसे जहा पूर्ण यानी अगणित हो वहां उसका विरुद्ध रिक्तता यानी शून्य आनाही चाहिए."
सामने नदीकी तरफ इशारा करके फिर ऋषीने आगे कहा, " उस पाणीमे बुलबुले देखो कैसे बनते है और कैसे नष्ट होते है "
" ऐसी एक चिज है की वह कभी कुछभी नही और कभी कभी सबकुछ है... वह जहांसे शुरु होती है खतमभी वही होती है... वह ऐसी चिज है की जिससे यह ब्रह्मांड, आप और मै तैयार हुए है... वह ऐसी चिज है की जिसमे सबको एक दिन समा जाना है "
बोलते बोलते ऋषी उन तिनोंके इर्द गिर्द गोल गोल चल रहा था.
"ऋषीवर, हम लोग गणितपर संशोधन कर रहे है हमें हमारे पहेली का गणिती हल चाहिए ; ना की आध्यात्मिक ' उनमेंसे एकने कहा.
" हां, आप लोगोंका संशोधन आपलोगोंको जिस वजहसे अपूर्ण लग रहा है वह आपके पहेलीका हल जितना गणिती है उतनाही आध्यात्मिक है. "
फिर ऋषीने सबको उठकर एक तरफ आने के लिए कहा और गोल गोल चलकर पैरके निशानोंसे जो गोल बना था उसकी तरफ निर्देश कर कहा,
'' तुम्हे तुम्हारा संशोधन पुरा करनेके लिए जिस बात की जरुरत थी वह है शुन्य"
तिनोंके चेहरेपर खुशी झलक रही थी.
ऋषीने कहा " शून्य जहा शुरु होता है खतम भी वही होता है"
एकने बडासा गोल निकाला.
ऋषीने कहा " कभी शून्य कुछभी नही"
एकने 0 को 6 मे जोडकर 6 ही आता है ऐसे लिखा.
ऋषीने आगे कहा " कभी शून्य सबकुछ है यानी सर्वसमावेशक है"
दुसरेने 0 बार 6 करनेसे 0 आता है ऐसा लिखा.
उन तिनोंके संशोधन कार्यको अब गती मिली थी. वे तिनो अपने कार्यमें व्यस्त हो गए. जब वे व्यस्तसा से जागे तब उन्होने आजूबाजू देखा. तो ऋषी वहा नही था.
उनके चेहरेपर आश्चर्य झलक रहा था. .
कहा गया वह ऋषी?...
शायद वह शून्यमें विलीन हूवा था....
प्यास बुझाई नौकर से Running....कीमत वसूल Running....3-महाकाली ....1-- जथूराcomplete ....2-पोतेबाबाcomplete
बन्धन
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दिल से दिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
तुफानो में साहिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
यूँ तो मिल जाता है हर कोई!
मगर आप जैसे दोस्त नसीब वालों को मिलते हैं!
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