३९
"पापा.....खुदा केलिए मेरी बात सुन लीजिए. उसका फेग्राज़ज़ समंदर मे डूब कर नष्ट हो गया था
इसलिए वो वापस नहीं जा सकी."
"कॉन है.....क्या बला है.....कहाँ वापस ना जा सकी??"
"एक लड़की है.....बेचारी.....उसका नाम ही नहीं है.....पापा....स्परसिया मे नामों की जगह नंबर
होते हैं......स्परसिया आप समझते हैं ना.....वीनस वाले उसे स्परसिया कहते हैं...."
"सिम्मी......तुम पागल हो गयी है या मेरा मज़ाक उड़ा रही है.....!!"
"डॉक्टर...." इमरान ने रो देने वाली आवाज़ मे कहा. "सफ़ाया हो गया.....अब मैं तो चला."
"कहाँ...??" वो गुर्रा कर इमरान की तरफ पलटे......और इमरान छत की तरफ उंगली उठा कर
बोला...."चाँद मे.....वहाँ बरेली के सूरमे और लखनऊ की मिसी का बिज़्नेस खूब
चलेगा.....इसके अलावा अब और कोई चारा नहीं रह गया."
"क्या तुम सब मुझे गधा समझते हो...?" डॉक्टर पूरी शक्ति से चीखे.
"नहीं..." इमरान आग्याकारी की तरह सर हिला कर बोला...."मैं तो गधों को भी लॉर्ड डॉल्होज़ी समझता
हूँ.....लेकिन स्परसिया और रयामी की दास्तान मुझ से बार बार नहीं सुनी जाती. कान पक गये हैं.
और अब आप आराम करें. क्योंकि आपका भंडार खाली हो चुका होगा. क़िस्मत वालों ही के यहाँ
शुक्र ग्रह के निवासी पधारते हैं."
"ओ.....सिम्मी....तू ने ये क्या किया." डॉक्टर दाँत पीस कर बोले.
"अगर किसी मुसीबत मे फसे हुए को शरण देना गुनाह है तो मैं अभी ज़हर खा लूँगी." सिम्मी
बिफर गयी. "वो बेचारी चूँकि एक दूसरे ग्रह की है इसलिए हर एक के सामने नहीं आना चाहती."
"तुम उसे तहख़ाने मे क्यों ले गयी थी?"
"उसने कहा था कि अगर मेरे सिवा और किसी दूसरे ने भी उसे देख लिया तो वो आत्महत्या कर लेगी. पापा
मैं सच कहती हूँ.....अगर आप ने उसे तहख़ाने से निकालने की कोशिश की तो मैं दुपट्टे से अपना
गला घोंट लूँगी."
"और मैं रूमाल से....जी हां..." इमरान सर हिला कर बोला.
"तुम चुप रहो...." सिम्मी ने उसे घूँसा दिखा कर कहा....."मैं समझती हूँ.....ये सारा
बखेड़ा तुम ही ने फैलाया है."
"मेरे साथ आओ..." डॉक्टर उसका हाथ पकड़ कर स्टडी की तरफ घसीट'ते हुए बोले. "इमरान तुम यहीं
रूको."
लगभग 15 मिनट तक इमरान को वहीं खड़े रह कर डॉक्टर का इंतेज़ार करना पड़ा.
डॉक्टर डावर अकेले वापस आए. उनका चेहरा उतरा हुआ था.....और कदम लरखड़ा रहे थे. फिर भी
उन्होने आशा भरी आवाज़ मे कहा..."इमरान मेरा ख़याल है कि अभी कुच्छ नहीं बिगड़ा. क्योंकि वो
तहख़ाने मे ही है. और ये भी ज़रूरी नहीं कि वो भंडार तक पहुच ही गयी हो....."
"लेकिन वो है क्या बला...?"
डॉक्टर ने एक लंबी साँस ली. फिर बोले...."सिम्मी बहुत मूर्ख और सीधी है. और इसका भी ज़िम्मेदार मैं
खुद हूँ. मैने उसे फरिश्ता बनाने के चक्कर मे बेवकूफ़ बना दिया."
"एनीवे.....चलिए...." इमरान दरवाज़े के सामने से हट'ता हुआ बोला...."मगर सिम्मी कहाँ है?"
"मैं उसे नौकरों की निगरानी मे छोड़ आया हूँ."
"क्या उसे इस भंडार की जानकारी थी?"
"नहीं.....वो ऐसी जगह नहीं कि हरेक की निगाह उस पर पड़ सके. चलो मैं तुम्हें
दिखाऊ....मुझे विश्वास है कि अभी कुच्छ नहीं बिगड़ा...."
डॉक्टर डावर ने ताला खोल कर दरवाजे को धक्का दिया. कमरा अंधेरा था और उन्होने अंदर घुस कर
लाइट जलाई. इमरान चारों तरफ ध्यान से देख रहा था. उसकी नज़र एक खिड़की पर ठहर गयी.
"ये खिड़की भी शायद बंगले के पीछे की तरफ खुलती होगी?" इमरान ने कहा.
"आन्ं....हन..." डॉक्टर चौंक कर बोले. अब वो भी खिड़की ही को घूर रहे थे. ऐसा लग रहा था जैसे
सोचने की शक्ति ख़तम हो गयी थी. इमरान ने आगे बढ़ कर खिड़की पर हाथ रखा और वो उसे खुलती
हुई सी लगी. उसे बोल्ट नहीं किया गया था.
"ये खिड़की भी असुरक्षित है...." इमरान बडबडाया.
"मगर इसे बोल्ट क्यों नहीं किया गया....!" डॉक्टर के माथे पर बल पड़ गये थे.
"ये तभी पता चलेगा जब आप तहख़ाने मे चेलेंगे."
डॉक्टर डावर ने खिड़की बोल्ट कर दी और फिर दीवार से लगे हुए एक स्विच बोर्ड पर एक बटन दबा दिया.
हल्की सी घरघराहट सुनाई दी और कमरे के फर्श का वो हिस्सा जिस पर वो खड़े थे नीचे धसने
लगा.
इमरान उपर देखने लगा था......क्योंकि फर्श मे बना गॅप भी समाप्त हो रहा था. दीवार की जड़ से
एक दूसरा फर्श निकल कर खाली जगह को भरता जा रहा था. जैसे ही उनके पैरों के नीचे का फर्श
नुमा लिफ्ट रुका उपर का गॅप भी ख़तम हो चुका था. इमरान ने खुद को एक विशाल तहख़ाने मे पाया.
लेकिन उसे इतना समय नहीं मिल पाया कि वो उसका विस्तार से निरीक्षण करता. क्योंकि उसे एक लड़की
दिखाई दी थी जिसने अपना चेहरा दोनों हाथों से छुपा रखा था. वो उन्हें देखते ही बेड से
उच्छल पड़ी थी. डॉक्टर ने होन्ट सिकोड कर सर को धीरे से हिलाया.
"आए श्रीमती जी.." इमरान हाथ फैला कर बोला...."तुम अपना कपल टॅगेज़ तो निकालो ताकि मैं
तुम्हें क्रिसटीना रोज़ पीटी की एक पोएम सुना सकूँ...."
लड़की कुच्छ ना बोली.....वैसे ही अपना चेहरा छुपाये रही. डॉक्टर ने क्रोध भरे ढंग से आगे बढ़
कर उसके उसके चेहरे पर से हाथ हटा दिए...............और.........इमरान इस तरह उच्छल पड़ा जैसे किसी
ने अचानक सर पर डंडे से प्रहार कर दिया हो.......साथ ही उस लड़की के मूह से भी एक डरी हुई सी
चीख निकली.
प्यासा समुन्दर --कॉम्प्लीट हिन्दी नॉवल
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Re: प्यासा समुन्दर
प्यास बुझाई नौकर से Running....कीमत वसूल Running....3-महाकाली ....1-- जथूराcomplete ....2-पोतेबाबाcomplete
बन्धन
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दिल से दिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
तुफानो में साहिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
यूँ तो मिल जाता है हर कोई!
मगर आप जैसे दोस्त नसीब वालों को मिलते हैं!
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बन्धन
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Re: प्यासा समुन्दर
४०
इमरान इस तरह उच्छल पड़ा जैसे किसी ने अचानक सर पर डंडे से प्रहार कर दिया हो.......साथ ही उस लड़की के मूह से भी एक डरी हुई सी चीख निकली.
ये लड़की थी थ्रेससिया बिंबोल बी ऑफ बोहीमिया. इमरान ने मूर्खों की तरह अपनी पलकें झपकाइं. लेकिन वो सचेत था. वो जानता था कि थ्रेससिया बिजली है. ज़रा सी नज़र बहकी फिर उसका हाथ आना मुश्किल हो जाएगा.
"अब तो कपल टेगज या जो कुच्छ भी हो उसके बिना ही विचारों का आदान प्रदान हो जाएगा. क्यों?" इमरान मुस्कुराया. लेकिन थ्रेससिया चुप चाप खड़ी रही.
"आए लड़की......अपना मूह खोलो. मुझ से ये ग्रहों वाला फ्रॉड नहीं चल सकेगा." डॉक्टर ने गुर्रा कर कहा.
"डॉक्टर आप उसकी खबर लीजिए.......इसे मैं देख लूँगा."
डॉक्टर डावर कुच्छ कहे बिना एक तरफ चले गये.......और इमरान थ्रेससिया को घूरता रहा. उसने ये नहीं देखा कि डॉक्टर किधर गये हैं.
"क्या तुम अब भी गूंगी बनी रहोगी?" इमरान ने ठंडी साँस लेकर पुछा.
"नहीं......अब उसकी ज़रूरत नहीं रही." थ्रेससिया मुस्कुराइ.
"ये क्या किस्सा है?"
"कुच्छ भी नहीं......मुझे किस्से का पता नहीं.......मैं तो काफ़ी पैसे लेकर काम करती हूँ....."
"काफ़ी से भी अधिक पैसे कहो.....इस बार तुम्हें जो धन-राशि पेमेंट करूँगा वो वो सब से बड़ी होगी. तुम खुश हो जाओगी. क्योकि तुम ने शुक्राल वाली घटनाओं के बाद वादा किया था कि शराफ़त की ज़िंदगी बीताओगी."
"मैं सच मुच शराफ़त की ज़िंदगी गुज़ार रही हूँ."
अचानक इमरान दौड़ते हुए कदमों की आवाज़ सुन कर चौंक पड़ा........और फिर उसे डॉक्टर डावर दिखाई दिए जो दौड़ते हुए एक कैरिडोर से निकले थे.
"ओह्ह.....इमरान.....10000 सीसी गायब है...." उन्होने चीख कर कहा.......और फिर थ्रेससिया पर इस तरह झपटे जैसे उसे मार ही डालेंगे. लेकिन इमरान बीच मे आ गया. थ्रेससिया मुस्कुरा रही थी. उसने कहा...."ख़तरनाक वस्तु है इसलिए थोड़ी थोड़ी ले जाई जा रही है....."
"तुम कॉन हो शैतान की बच्ची...."
"बॅस शैतान की बच्ची..."
"डॉक्टर आप समय नष्ट नहीं कीजिए.....उपर जाइए और शेष बचे हुए की सुरक्षा केलिए जो कुच्छ कर सकते हैं कीजिए.......मगर नहीं.......ठहरिए...."
इमरान थ्रेससिया की तरफ मुड़ा और फिर ठंडे स्वर मे कहा "वो कॉन था जिससे तुम्हें इन तहखानों का पता चला था?"
"जो कोई भी हो उसका पता तुम्हें कभी नहीं चल पाएगा. इमरान तुम मेरे सामने अभी लर्नर किड हो......"
"अर्रे......ये तो ऐसे बात कर रही है जैसे तुम्हें पहले से जानती हो....." डॉक्टर ने हैरत से कहा.
"मुझे इस दीवाने से इश्क़ है डॉक्टर डावर!" थ्रेससिया ने हंस कर कहा.
"तुम कॉन हो बताओ......वरना मैं बहुत बुरी तरह पेश आउन्गा....." डॉक्टर ने कहा....और फिर "अरे..." कह कर उच्छल पड़े. उन्हें ऐसा महसूस हुआ था जैसे कोई कुत्ते का पिल्ला उनके पैरों के नीचे आकर चीख पड़ा हो. इमरान हँसने लगा.......और डॉक्टर मूर्खों की तरह चारों तरफ देखने लगे.
"आप कुच्छ मत सोचिए डॉक्टर...." इमरान ने कहा...."जहाँ ये औरत मौजूद हो वहाँ सब कुच्छ संभव है. वैसे क्या आप ये बताएँगे कि आपका सेक्रेटरी कितने दिनों से आपके साथ है?"
"वो आल्बर्ट......हां वो बहुत समय से मेरे साथ है.......और मैं उस पर विश्वास करता हूँ....."
"क्या ये बिल्डिंग उसके सामने बनी थी?"
"हां....आनन्न.....मगर क्यों....? नहीं तुम उस पर संदेह नहीं कर सकते.......उस से अधिक नेक फ्रांसीसी आज तक दूसरा मेरी नज़रों से नहीं गुज़रा."
"आपकी नज़रों से ना गुज़रा होगा......लेकिन मैने उस से भी अधिक नेक फ्रांसीसी(फ्रेंच) देखे हैं. इसलिए आप प्लीज़ पहले तो उसे अपने आदमियों की निगरानी मे दीजिए और उसके बाद यहाँ एक मिलिटेरी कंपनी मंगाने की कोशिश कीजिए. मुझे विश्वास है कि आप इसमे आसानी से कामयाब हो जाएँगे. लेकिन उस फ्रांसीसी पर नज़र रखिएगा......अगर वो निकल गया तो मैं भी कुच्छ ना कर सकूँगा."
डॉक्टर सर हिलाते हुए चले गये.
"हां अब तुम बताओ थ्रेससिया." इमरान बोला...."तुमने वादा किया था कि तुम अब शराफ़त से ज़िंदगी गुजारोगी...."
"मुझ से कोई कमीनपन नहीं हुआ......मैं अपने देश केलिए काम कर रही हूँ. और अगर अपने देश केलिए काम करना कमीनपन है तो तुम मुझ से भी बड़े कमिने हो......क्योंकि खुद तुम्हारी कोई पोज़िशन नहीं है......तुम तो अपने देश के एजींटो के एजेंट हो...."
"मैं इस बहस मे नहीं पड़ना चाहता." इमरान ने लापरवाही से कहा. "लेकिन मैं उस देश का नाम ज़रूर मालूम करूँगा...."
"मैं नाम भी बता दूँगी.....बिल्कुल नहीं छिपाउन्गी....लेकिन विश्वास नहीं कर सकोगे..."
"ये मुझ पर छोड़ दो..."
"उस देश का नाम 'ज़िरोलॅंड' है. अब तुम तलाश करो नक्शे मे और ना मिले तो केवल बकवास समझो."
"थ्रेससिया मैं सख्ती से भी पेश आ सकता हूँ."
"तुम मुझे मार डालो डियर....पिच्छली मुलाकात से अब तक एक पल केलिए भी मेरा दिल तुम्हारी याद से खाली नहीं रहा. मैने आज तक इतनी गहराई से किसी को भी नहीं चाहा. कभी नहीं....."
"मैं ये सोचे बिना तुम पर थर्ड डिग्री इस्तेमाल करूँगा कि तुम मुझे कितना चाहती हो...."
इमरान इस तरह उच्छल पड़ा जैसे किसी ने अचानक सर पर डंडे से प्रहार कर दिया हो.......साथ ही उस लड़की के मूह से भी एक डरी हुई सी चीख निकली.
ये लड़की थी थ्रेससिया बिंबोल बी ऑफ बोहीमिया. इमरान ने मूर्खों की तरह अपनी पलकें झपकाइं. लेकिन वो सचेत था. वो जानता था कि थ्रेससिया बिजली है. ज़रा सी नज़र बहकी फिर उसका हाथ आना मुश्किल हो जाएगा.
"अब तो कपल टेगज या जो कुच्छ भी हो उसके बिना ही विचारों का आदान प्रदान हो जाएगा. क्यों?" इमरान मुस्कुराया. लेकिन थ्रेससिया चुप चाप खड़ी रही.
"आए लड़की......अपना मूह खोलो. मुझ से ये ग्रहों वाला फ्रॉड नहीं चल सकेगा." डॉक्टर ने गुर्रा कर कहा.
"डॉक्टर आप उसकी खबर लीजिए.......इसे मैं देख लूँगा."
डॉक्टर डावर कुच्छ कहे बिना एक तरफ चले गये.......और इमरान थ्रेससिया को घूरता रहा. उसने ये नहीं देखा कि डॉक्टर किधर गये हैं.
"क्या तुम अब भी गूंगी बनी रहोगी?" इमरान ने ठंडी साँस लेकर पुछा.
"नहीं......अब उसकी ज़रूरत नहीं रही." थ्रेससिया मुस्कुराइ.
"ये क्या किस्सा है?"
"कुच्छ भी नहीं......मुझे किस्से का पता नहीं.......मैं तो काफ़ी पैसे लेकर काम करती हूँ....."
"काफ़ी से भी अधिक पैसे कहो.....इस बार तुम्हें जो धन-राशि पेमेंट करूँगा वो वो सब से बड़ी होगी. तुम खुश हो जाओगी. क्योकि तुम ने शुक्राल वाली घटनाओं के बाद वादा किया था कि शराफ़त की ज़िंदगी बीताओगी."
"मैं सच मुच शराफ़त की ज़िंदगी गुज़ार रही हूँ."
अचानक इमरान दौड़ते हुए कदमों की आवाज़ सुन कर चौंक पड़ा........और फिर उसे डॉक्टर डावर दिखाई दिए जो दौड़ते हुए एक कैरिडोर से निकले थे.
"ओह्ह.....इमरान.....10000 सीसी गायब है...." उन्होने चीख कर कहा.......और फिर थ्रेससिया पर इस तरह झपटे जैसे उसे मार ही डालेंगे. लेकिन इमरान बीच मे आ गया. थ्रेससिया मुस्कुरा रही थी. उसने कहा...."ख़तरनाक वस्तु है इसलिए थोड़ी थोड़ी ले जाई जा रही है....."
"तुम कॉन हो शैतान की बच्ची...."
"बॅस शैतान की बच्ची..."
"डॉक्टर आप समय नष्ट नहीं कीजिए.....उपर जाइए और शेष बचे हुए की सुरक्षा केलिए जो कुच्छ कर सकते हैं कीजिए.......मगर नहीं.......ठहरिए...."
इमरान थ्रेससिया की तरफ मुड़ा और फिर ठंडे स्वर मे कहा "वो कॉन था जिससे तुम्हें इन तहखानों का पता चला था?"
"जो कोई भी हो उसका पता तुम्हें कभी नहीं चल पाएगा. इमरान तुम मेरे सामने अभी लर्नर किड हो......"
"अर्रे......ये तो ऐसे बात कर रही है जैसे तुम्हें पहले से जानती हो....." डॉक्टर ने हैरत से कहा.
"मुझे इस दीवाने से इश्क़ है डॉक्टर डावर!" थ्रेससिया ने हंस कर कहा.
"तुम कॉन हो बताओ......वरना मैं बहुत बुरी तरह पेश आउन्गा....." डॉक्टर ने कहा....और फिर "अरे..." कह कर उच्छल पड़े. उन्हें ऐसा महसूस हुआ था जैसे कोई कुत्ते का पिल्ला उनके पैरों के नीचे आकर चीख पड़ा हो. इमरान हँसने लगा.......और डॉक्टर मूर्खों की तरह चारों तरफ देखने लगे.
"आप कुच्छ मत सोचिए डॉक्टर...." इमरान ने कहा...."जहाँ ये औरत मौजूद हो वहाँ सब कुच्छ संभव है. वैसे क्या आप ये बताएँगे कि आपका सेक्रेटरी कितने दिनों से आपके साथ है?"
"वो आल्बर्ट......हां वो बहुत समय से मेरे साथ है.......और मैं उस पर विश्वास करता हूँ....."
"क्या ये बिल्डिंग उसके सामने बनी थी?"
"हां....आनन्न.....मगर क्यों....? नहीं तुम उस पर संदेह नहीं कर सकते.......उस से अधिक नेक फ्रांसीसी आज तक दूसरा मेरी नज़रों से नहीं गुज़रा."
"आपकी नज़रों से ना गुज़रा होगा......लेकिन मैने उस से भी अधिक नेक फ्रांसीसी(फ्रेंच) देखे हैं. इसलिए आप प्लीज़ पहले तो उसे अपने आदमियों की निगरानी मे दीजिए और उसके बाद यहाँ एक मिलिटेरी कंपनी मंगाने की कोशिश कीजिए. मुझे विश्वास है कि आप इसमे आसानी से कामयाब हो जाएँगे. लेकिन उस फ्रांसीसी पर नज़र रखिएगा......अगर वो निकल गया तो मैं भी कुच्छ ना कर सकूँगा."
डॉक्टर सर हिलाते हुए चले गये.
"हां अब तुम बताओ थ्रेससिया." इमरान बोला...."तुमने वादा किया था कि तुम अब शराफ़त से ज़िंदगी गुजारोगी...."
"मुझ से कोई कमीनपन नहीं हुआ......मैं अपने देश केलिए काम कर रही हूँ. और अगर अपने देश केलिए काम करना कमीनपन है तो तुम मुझ से भी बड़े कमिने हो......क्योंकि खुद तुम्हारी कोई पोज़िशन नहीं है......तुम तो अपने देश के एजींटो के एजेंट हो...."
"मैं इस बहस मे नहीं पड़ना चाहता." इमरान ने लापरवाही से कहा. "लेकिन मैं उस देश का नाम ज़रूर मालूम करूँगा...."
"मैं नाम भी बता दूँगी.....बिल्कुल नहीं छिपाउन्गी....लेकिन विश्वास नहीं कर सकोगे..."
"ये मुझ पर छोड़ दो..."
"उस देश का नाम 'ज़िरोलॅंड' है. अब तुम तलाश करो नक्शे मे और ना मिले तो केवल बकवास समझो."
"थ्रेससिया मैं सख्ती से भी पेश आ सकता हूँ."
"तुम मुझे मार डालो डियर....पिच्छली मुलाकात से अब तक एक पल केलिए भी मेरा दिल तुम्हारी याद से खाली नहीं रहा. मैने आज तक इतनी गहराई से किसी को भी नहीं चाहा. कभी नहीं....."
"मैं ये सोचे बिना तुम पर थर्ड डिग्री इस्तेमाल करूँगा कि तुम मुझे कितना चाहती हो...."
प्यास बुझाई नौकर से Running....कीमत वसूल Running....3-महाकाली ....1-- जथूराcomplete ....2-पोतेबाबाcomplete
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तुफानो में साहिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
यूँ तो मिल जाता है हर कोई!
मगर आप जैसे दोस्त नसीब वालों को मिलते हैं!
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दिल से दिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
तुफानो में साहिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
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Re: प्यासा समुन्दर
41
"मैं यहीं मौजूद हूँ इमरान.....तुम्हारे समीप.....तुम्हारे सामने." थ्रेससिया ने ठंडी साँस लेकर कहा. "तुम अगर मुझे मारोगे तो ये भी एक प्रकार का आनंद ही होगा मेरे लिए...."
थ्रेससिया ने आँखें बंद कर ली.....और स्वप्निल स्वर मे बोली...."इमरान का हाथ मेरा गाल.....इमरान मारो मुझे.....जिस तीव्रता से मुझे तुम से प्यार है उतनी ही शक्ति से मारो......मारो...."
"इमरान ने ठहाका लगाया. और फिर थ्रेससिया के कंधों पर हाथ रख कर बोला...."मैं तुम्हें मारूँगा डार्लिंग......अर्रे सड जाए मेरे हाथ....कीड़े पड़े उसमें...." उसका लहज़ा ठेठ देसी बुढ़ियों के जैसा था.
"मक्कारी नहीं इमरान...." थ्रेससिया आँखें खोल कर गंभीरता से बोली. "तुम्हारा ये लहज़ा मक्कारी से भरा है....पहले तुम्हारे लहजे मे सचाई थी.....जब तुम मार पीट की धमकियाँ दे रहे थे. मगर अब...."
"मैं केवल ये जान'ना चाहता हूँ कि तुम किन लोगों केलिए काम कर रही हो? अगर तुमने ना बताया तो हफ ड्रॅक तो मेरी मुट्ठी मे है ही...."
"ओह्ह....इस हद तक आगे बढ़ चुके हो..." थ्रेससिया ने हैरत से कहा. फिर हंस कर प्यार भरे स्वर मे बोली...."मैं पहले ही जानती थी कि इमरान डियर के देश मे एक नहीं चलेगी.....ओके....अच्छा होगा कि तुम हफ ड्रॅक ही को आज़माओ. ना मैं अपने देश से गद्दारी कर सकती हूँ और ना इस दिल को नर्क मे झोंक सकती हूँ." थ्रेससिया ने सीने पर हाथ रख कर कहा.
"हफ ड्रॅक की तरफ मुझे बढ़ा रही हो ये गद्दारी नहीं हुई?"
"मैने तुम्हें हफ ड्रॅक के बारे मे भी नहीं बताया....तुम पहले से ही जानते हो. इसलिए इस बारे मे मेरी अंतरात्मा मुझे धिक्कारेगी नहीं."
"तुम अब तक यहाँ क्यों बंद रही.....निकल क्यों नहीं गयीं?'"
"जब तक उस ख़तरनाक खोज का थोड़ा सा भाग भी यहाँ शेष रहता.....मैं नहीं जा सकती थी. हम ये काम खामोशी से करना चाहते थे. पहले कोशिश की गयी थी कि इसे छेड़ा ही ना जाए बल्कि ये पता करने की कोशिश की जाए कि ये पदार्थ हासिल कैसे होता है....लेकिन उस मे सफलता नहीं मिली. ओह्ह.......इमरान.....उस मासूम लड़की के लिए मैं बहुत दुखी हूँ......मुझे उस से बहुत लगाव हो गया है. प्लीज़ उसे डॉक्टर के क्रोध से बचाना."
"तुम अपनी बताओ कि तुम्हारे साथ क्या सलूक करूँ?"
"सिर्फ़ एक बार कह दो कि तुम्हें भी मेरा ख़याल है.....उसके बाद मेरी लाश सड़कों पर घसीट'ते फिरना."
"नहीं.....मैं तुम्हारी लाश की जेल्ली बनाउन्गा और हर नाश्ते मे टोस्ट के साथ लगा कर खाउन्गा......लेकिन मुझे दुख है कि इसके लिए मुझे बहुत इंतेज़ार करना पड़ेगा. क्योंकि पहले तो तुम जैल मे रखी जाओगी.....फिर केस चलेगा......उसके बाद ना जाने क्या हो...."
"तुम मुझे हथकड़ियाँ लगाने के बाद ही कह देना कि तुम भी अपने दिल मे मेरे लिए थोड़ी सी जगह रखते हो....इमरान...! मेरा अपराध अपनी जगह पर और दिल......मैं क्या कहूँ......मैं जानती हूँ मेरे शब्द तुम पर से इसी तरह से धलक रहे हैं जैसे किसी चिकने पत्थर से शबनम की बूँदें. मैं अपने अपराध के संबंध मे तुम से किसी प्रकार की छूट नहीं माँग रही.....तुम ये समझना भी मत. मेरे साथ जो दिल चाहे वैसा बर्ताव करो......लेकिन केवल एक बार स्वीकार कर लो कि तुम भी...."
"कि मैं भी....." इमरान ने बुरा सा मूह बना कर ठंडी साँस ली. कुच्छ और भी कहना चाहा. मगर केवल उसे घूर कर रह गया.
"हां....हां.....कहो. चुप क्यों हो गये?"
"मैं अभी इस समस्या के अलावा और किसी टॉपिक पर बात नहीं कर सकता."
"हां.....मैं जानती हूँ कि तुम ऐसे ही हो." थ्रेससिया ने ठंडी साँस ली. उसके चहरे पर गहरी उदासी छा गयी थी.
"हफ ड्रॅक किस को अपनी रिपोर्ट देता है...?"
"यहाँ तुम्हारे देश मे उस से सिनियर कोई नहीं. उसे पार्टी का लीडर समझो..."
"थ्रेसस....." इमरान कुच्छ कहते कहते रुक गया. इस बार फिर उसके लहजे मे प्यार था.
"अहहाअ....." थ्रेससिया ने आँखें बंद कर लीं. ऐसा लग रहा था जैसे वो इमरान के प्यार भरे स्वर के आनंद मे डूब जाना चाहती हो.
"इमरान डार्लिंग...." वो उसी तरह आँखें बंद किए हुए रुक रुक कर बोली...."इस लहजे मे सच्चाई नहीं है.....लेकिन त्रेसस.....आज तक किसी ने भी मुझे इतने फ्री अंदाज़ मे मुझे संबोधित नहीं किया. जो मेरा लीडर हफ ड्रॅक है वो भी मुझे मेडम कह कर पुकारता है.....उफ्फ कितनी मिठास है इस अपनापन भरे अंदाज़ मे.....इमरान मैं प्यासी हूँ.....इस लहजे की प्यासी......इस संबोधन की प्यासी......लोग मुझ से डरते हैं. हफ ड्रॅक भी मुझ से बात करते समय हकलाने लगता है. ओह्ह.....थ्रेसस......" वो अपने होंठों की इस तरह गोल बना ली जैसे किस देना चाहती हो. फिर उसने आँखें खोल दी.
"तुम हालात को पेचीदा बना रही हो थ्रेसस."
"मैं यहीं हूँ इमरान. विश्वास करो....अगर तुम्हारी जगह कोई और होता तो अब तक उसकी हड्डियों का भी पता नहीं चलता. क्योंकि मेरा देश साइंटिफिक डेवेलपमेंट मे पूरी दुनिया से बहुत आगे है. मैं तुम्हें यहाँ तक बता सकती हूँ कि अभी कुच्छ दिन पहले नीला उपग्रह जो आकाश मे दिखाई दिया था.....मेरे ही देश से संबंध रखता था. और सारी दुनिया चीख उठी थी कि वो उस उपग्रह से अंजान हैं. जिन देशों ने सब से पहले अपने उपग्रह अंतरिक्ष मे भेजे थे उन्होने बड़े बोखलाए हुए ढंग से घोषणा की थी कि वो अनोखा नीला उपग्रह उन से संबंध नहीं रखता. मैं तुम्हें अब बताऊ कि वो 'ज़िरोलॅंड' का उपग्रह था. ज़िरोलॅंड जो एक दिन पूरी दुनिया पर शासन करेगा.....और तुम्हारी समझ से जो सब से अधिक डेवेलोप्पेड कंट्री है वो उसके अधीन होंगे.
मैं तो ये कह रही थी कि मैं यहाँ मौजूद हूँ. मुझे हथकड़ियाँ लगा कर पोलीस के हवाले कर दो. मैं ये कभी नही चाहूँगी कि इमरान की बदनामी हो. उस इमरान की जिसे मैं अपनी जान से अधिक प्यार करती हूँ. मगर इमरान डियर ये भी संभव नहीं कि मैं अपने देश से गद्दारी करूँ. दुनिया की कोई शक्ति मुझ से ये नहीं पुछ सकती कि ज़िरोलॅंड कहाँ है."
"मैं भी नहीं थ्रेसस डार्लिंग....?"
"नहीं......तुम्हारी बात अलग है. तुम्हारा मक़ाम अलग है. तुम्हें इसकी अनुमति दे सकती हूँ......कि तुम अपने हाथों से मेरा गला घोंट दो. लेकिन ये असंभव है कि मैं तुम्हें ज़िरोलॅंड का लोकेशन बता दूं."
"फिर बताओ.....मैं तुम्हारा क्या करूँ?"
"मैं यहीं मौजूद हूँ इमरान.....तुम्हारे समीप.....तुम्हारे सामने." थ्रेससिया ने ठंडी साँस लेकर कहा. "तुम अगर मुझे मारोगे तो ये भी एक प्रकार का आनंद ही होगा मेरे लिए...."
थ्रेससिया ने आँखें बंद कर ली.....और स्वप्निल स्वर मे बोली...."इमरान का हाथ मेरा गाल.....इमरान मारो मुझे.....जिस तीव्रता से मुझे तुम से प्यार है उतनी ही शक्ति से मारो......मारो...."
"इमरान ने ठहाका लगाया. और फिर थ्रेससिया के कंधों पर हाथ रख कर बोला...."मैं तुम्हें मारूँगा डार्लिंग......अर्रे सड जाए मेरे हाथ....कीड़े पड़े उसमें...." उसका लहज़ा ठेठ देसी बुढ़ियों के जैसा था.
"मक्कारी नहीं इमरान...." थ्रेससिया आँखें खोल कर गंभीरता से बोली. "तुम्हारा ये लहज़ा मक्कारी से भरा है....पहले तुम्हारे लहजे मे सचाई थी.....जब तुम मार पीट की धमकियाँ दे रहे थे. मगर अब...."
"मैं केवल ये जान'ना चाहता हूँ कि तुम किन लोगों केलिए काम कर रही हो? अगर तुमने ना बताया तो हफ ड्रॅक तो मेरी मुट्ठी मे है ही...."
"ओह्ह....इस हद तक आगे बढ़ चुके हो..." थ्रेससिया ने हैरत से कहा. फिर हंस कर प्यार भरे स्वर मे बोली...."मैं पहले ही जानती थी कि इमरान डियर के देश मे एक नहीं चलेगी.....ओके....अच्छा होगा कि तुम हफ ड्रॅक ही को आज़माओ. ना मैं अपने देश से गद्दारी कर सकती हूँ और ना इस दिल को नर्क मे झोंक सकती हूँ." थ्रेससिया ने सीने पर हाथ रख कर कहा.
"हफ ड्रॅक की तरफ मुझे बढ़ा रही हो ये गद्दारी नहीं हुई?"
"मैने तुम्हें हफ ड्रॅक के बारे मे भी नहीं बताया....तुम पहले से ही जानते हो. इसलिए इस बारे मे मेरी अंतरात्मा मुझे धिक्कारेगी नहीं."
"तुम अब तक यहाँ क्यों बंद रही.....निकल क्यों नहीं गयीं?'"
"जब तक उस ख़तरनाक खोज का थोड़ा सा भाग भी यहाँ शेष रहता.....मैं नहीं जा सकती थी. हम ये काम खामोशी से करना चाहते थे. पहले कोशिश की गयी थी कि इसे छेड़ा ही ना जाए बल्कि ये पता करने की कोशिश की जाए कि ये पदार्थ हासिल कैसे होता है....लेकिन उस मे सफलता नहीं मिली. ओह्ह.......इमरान.....उस मासूम लड़की के लिए मैं बहुत दुखी हूँ......मुझे उस से बहुत लगाव हो गया है. प्लीज़ उसे डॉक्टर के क्रोध से बचाना."
"तुम अपनी बताओ कि तुम्हारे साथ क्या सलूक करूँ?"
"सिर्फ़ एक बार कह दो कि तुम्हें भी मेरा ख़याल है.....उसके बाद मेरी लाश सड़कों पर घसीट'ते फिरना."
"नहीं.....मैं तुम्हारी लाश की जेल्ली बनाउन्गा और हर नाश्ते मे टोस्ट के साथ लगा कर खाउन्गा......लेकिन मुझे दुख है कि इसके लिए मुझे बहुत इंतेज़ार करना पड़ेगा. क्योंकि पहले तो तुम जैल मे रखी जाओगी.....फिर केस चलेगा......उसके बाद ना जाने क्या हो...."
"तुम मुझे हथकड़ियाँ लगाने के बाद ही कह देना कि तुम भी अपने दिल मे मेरे लिए थोड़ी सी जगह रखते हो....इमरान...! मेरा अपराध अपनी जगह पर और दिल......मैं क्या कहूँ......मैं जानती हूँ मेरे शब्द तुम पर से इसी तरह से धलक रहे हैं जैसे किसी चिकने पत्थर से शबनम की बूँदें. मैं अपने अपराध के संबंध मे तुम से किसी प्रकार की छूट नहीं माँग रही.....तुम ये समझना भी मत. मेरे साथ जो दिल चाहे वैसा बर्ताव करो......लेकिन केवल एक बार स्वीकार कर लो कि तुम भी...."
"कि मैं भी....." इमरान ने बुरा सा मूह बना कर ठंडी साँस ली. कुच्छ और भी कहना चाहा. मगर केवल उसे घूर कर रह गया.
"हां....हां.....कहो. चुप क्यों हो गये?"
"मैं अभी इस समस्या के अलावा और किसी टॉपिक पर बात नहीं कर सकता."
"हां.....मैं जानती हूँ कि तुम ऐसे ही हो." थ्रेससिया ने ठंडी साँस ली. उसके चहरे पर गहरी उदासी छा गयी थी.
"हफ ड्रॅक किस को अपनी रिपोर्ट देता है...?"
"यहाँ तुम्हारे देश मे उस से सिनियर कोई नहीं. उसे पार्टी का लीडर समझो..."
"थ्रेसस....." इमरान कुच्छ कहते कहते रुक गया. इस बार फिर उसके लहजे मे प्यार था.
"अहहाअ....." थ्रेससिया ने आँखें बंद कर लीं. ऐसा लग रहा था जैसे वो इमरान के प्यार भरे स्वर के आनंद मे डूब जाना चाहती हो.
"इमरान डार्लिंग...." वो उसी तरह आँखें बंद किए हुए रुक रुक कर बोली...."इस लहजे मे सच्चाई नहीं है.....लेकिन त्रेसस.....आज तक किसी ने भी मुझे इतने फ्री अंदाज़ मे मुझे संबोधित नहीं किया. जो मेरा लीडर हफ ड्रॅक है वो भी मुझे मेडम कह कर पुकारता है.....उफ्फ कितनी मिठास है इस अपनापन भरे अंदाज़ मे.....इमरान मैं प्यासी हूँ.....इस लहजे की प्यासी......इस संबोधन की प्यासी......लोग मुझ से डरते हैं. हफ ड्रॅक भी मुझ से बात करते समय हकलाने लगता है. ओह्ह.....थ्रेसस......" वो अपने होंठों की इस तरह गोल बना ली जैसे किस देना चाहती हो. फिर उसने आँखें खोल दी.
"तुम हालात को पेचीदा बना रही हो थ्रेसस."
"मैं यहीं हूँ इमरान. विश्वास करो....अगर तुम्हारी जगह कोई और होता तो अब तक उसकी हड्डियों का भी पता नहीं चलता. क्योंकि मेरा देश साइंटिफिक डेवेलपमेंट मे पूरी दुनिया से बहुत आगे है. मैं तुम्हें यहाँ तक बता सकती हूँ कि अभी कुच्छ दिन पहले नीला उपग्रह जो आकाश मे दिखाई दिया था.....मेरे ही देश से संबंध रखता था. और सारी दुनिया चीख उठी थी कि वो उस उपग्रह से अंजान हैं. जिन देशों ने सब से पहले अपने उपग्रह अंतरिक्ष मे भेजे थे उन्होने बड़े बोखलाए हुए ढंग से घोषणा की थी कि वो अनोखा नीला उपग्रह उन से संबंध नहीं रखता. मैं तुम्हें अब बताऊ कि वो 'ज़िरोलॅंड' का उपग्रह था. ज़िरोलॅंड जो एक दिन पूरी दुनिया पर शासन करेगा.....और तुम्हारी समझ से जो सब से अधिक डेवेलोप्पेड कंट्री है वो उसके अधीन होंगे.
मैं तो ये कह रही थी कि मैं यहाँ मौजूद हूँ. मुझे हथकड़ियाँ लगा कर पोलीस के हवाले कर दो. मैं ये कभी नही चाहूँगी कि इमरान की बदनामी हो. उस इमरान की जिसे मैं अपनी जान से अधिक प्यार करती हूँ. मगर इमरान डियर ये भी संभव नहीं कि मैं अपने देश से गद्दारी करूँ. दुनिया की कोई शक्ति मुझ से ये नहीं पुछ सकती कि ज़िरोलॅंड कहाँ है."
"मैं भी नहीं थ्रेसस डार्लिंग....?"
"नहीं......तुम्हारी बात अलग है. तुम्हारा मक़ाम अलग है. तुम्हें इसकी अनुमति दे सकती हूँ......कि तुम अपने हाथों से मेरा गला घोंट दो. लेकिन ये असंभव है कि मैं तुम्हें ज़िरोलॅंड का लोकेशन बता दूं."
"फिर बताओ.....मैं तुम्हारा क्या करूँ?"
प्यास बुझाई नौकर से Running....कीमत वसूल Running....3-महाकाली ....1-- जथूराcomplete ....2-पोतेबाबाcomplete
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दिल से दिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
तुफानो में साहिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
यूँ तो मिल जाता है हर कोई!
मगर आप जैसे दोस्त नसीब वालों को मिलते हैं!
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Re: प्यासा समुन्दर
४२
"फिर बताओ.....मैं तुम्हारा क्या करूँ? तुम्हारा आचार डालूं या सच मुच जेल्ली बना कर खा जाउ?"
"तुम्हारे लिए यही मुनासिब है कि मुझे पोलीस के हवाले कर दो. अपने हाथों से हथकड़ियाँ पहनाओ. ये मेरी सब से बड़ी इच्छा है कि एक बार तुम्हारे हाथों से हथकड़ियाँ पहन लूँ.......क्योंकि ये भी तुम्हारे नाम पर एक बड़ा काला धब्बा है कि कयि टकराव होने के बाद भी तुम मुझे गिरफ्तार नहीं कर सके."
इमरान किसी सोच मे पड़ गया. कुच्छ देर बाद उसने फिर कहा......"वो सुनहरा स्पंज क्या बला है?"
"ह्म्म.....मुझे पता है कि वही इन सारी उलझनों का कारण बना है. ना वो हमारे एक आदमी की ग़लती से डॉक्टर की लॅब मे गिर जाता......और ना हमें इन कठिनाइयों का सामना करना पड़ता. इमरान दा ग्रेट को भी कानो कान खबर ना होती......और हम अपने उद्देश्य पूरा करने मे कामयाब हो जाते. हलाकी वो एक तुच्छ सी चीज़ है. हम जनरल स्पंज की जगहगोलडेन रेशों वाले स्पंज का प्रयोग करते हैं."
"आहहा.....कितना आराम-दायक है वो स्पंज....." इमरान खुश होकर बोला..."एक दो टुकड़े मुझे भी दो. मैं ने एक रात एक तजुर्बा किया था थ्रेसस डार्लिंग."
"कैसा तजुर्बा..."
"नींद नहीं आ रही थी. रात गुज़रती जा रही थी. मैने उसी स्पंज को आइ लोशन मे डाल कर आँखों पर डाल लिया. बस ऐसी मज़े की नींद आई कि पुछो मत. मैं उसी आइ लोशन को अक्सर पी भी लेता हूँ...."
"बकवास शुरू कर दी तुम ने.....सीरियस्ली बातें करो.....मेरे लिए तुम ने क्या सोचा है?"
"आहहा......वो आइ लोशन....असीटिक आसिड और लिक्विफाइड अमोनिया से तैयार किया जाता है.....थ्रेसस डियर....."
थ्रेससिया अचानक उच्छल पड़ी. उसकी आँखें हैरत से फैल गयीं.
"ओह्ह......तुम ये भी जानते हो?" उसने धीरे से कहा.
"और इसके बाद भी तुम चाहती हो कि मैं तुम्हारी मुहब्बत पर यकीन कर लूँ?"
"ना करो...." थ्रेससिया झल्ला कर चीखी. "लेकिन मैं तुम्हें अपने देश के राज़ों के बारे मे कुच्छ नहीं बताउन्गी. चाहे तुम मुझे कुत्तों से नोचवा डालो...."
"मैं यही करूँगा....." इमरान दाँत पीस कर बोला.
थ्रेससिया कुच्छ ना बोली. वो चुप चाप अपने बेड की तरफ मूड गयी.
"ठहरो......तुम इस जगह से हिल भी नहीं सकतीं."
अचानक थ्रेससिया उसकी तरफ मूडी. उसके हाथों मे पॉइंट टू फाइव का छोटा सा पिस्टल चमक रहा था.
"क्या तुम मुझे रोक सकोगे?" उसने क्रोध भरे स्वर मे कहा. "चलो आज मैं तुम्हारा 'संग आर्ट' भी देखूँगी."
"निश्चित रूप से ऐसे अवसरों पर वही काम आता है." इमरान मुस्कुराया.
"तो ठीक है.....ये थ्रेससिया बिंबोल बी का हाथ है.........मैं देखूँगी तुम कितना फुर्तीले हो."
"फाइयर करो..."
"फाइयर....!" थ्रेससिया ने मुस्कुरा कर पिस्टल उसकी तरफ उछाल दिया जिसे इमरान ने कॅच कर लिया.
"मैं तुम पर फाइयर करूँगी.." वो ज़ोर से हँसी....."ये तो ऐसा ही है जैसे मैं अपने दिल की जगह पर पिस्टल रख कर ट्रॅगर दबा दूं....."
"फिर मैं ही तुम्हें गोली मार दूँगा. क्योंकि मुझे विश्वास है कि थ्रेससिया से कोई राज़ जान पाना बहुत ही कठिन है."
"ओके......तुम गोली ही मार दो. मैं ठंडे दिल से तुम्हारे इस फ़ैसले का स्वागत करती हूँ."
इमरान कुच्छ ना बोला.....उसकी आँखों मे मानसिक उलझन सॉफ सॉफ देखी जा सकती थी.
थ्रेससिया बेड की तरफ चली गयी. फिर इमरान ने उसे लेट'ते हुए देखा और ये भी देखा कि वो अपने उपर चादर खीच रही है. फिर उसने चहरा भी ढक लिया.
इमरान खामोश खड़ा रहा. अचानक उसने थ्रेससिया के क़हक़हे की आवाज़ सुनी. उसने एक झटके से चादर अपने चेहरे से हटा ली थी.
"तुम हार गये इमरान......हहा.....हार गये.....डार्लिंग...." उसने कहा.
उसकी आँखें अत्यधिक नशीली हो गयी थीं. और ऐसा लगने लगा था जैसे वो कुच्छ ही पलों मे सो जाएगी.
"आहहा.....तो क्या अब ये तुम्हारा बेड.....छत फाड़ कर उपर निकल जाएगा? हो सकता है.......मैने लड़की से तुम्हारे फेग्राज़ज़ की कहानी सुनी है."
"नहीं डार्लिंग....."थ्रेससिया की आवाज़ दर्द भरी थी......और होंठो पर एक हल्की सी मुस्कुराहट थी.
"क्या मतलब....?" एका-एक इमरान चौंक पड़ा.
"ये लो..." थ्रेससिया ने कोई चीज़ इमरान की तरफ उछाल दिया......इमरान ने उसे हाथ पर रोका.....और दूसरे ही पल.......
"फिर बताओ.....मैं तुम्हारा क्या करूँ? तुम्हारा आचार डालूं या सच मुच जेल्ली बना कर खा जाउ?"
"तुम्हारे लिए यही मुनासिब है कि मुझे पोलीस के हवाले कर दो. अपने हाथों से हथकड़ियाँ पहनाओ. ये मेरी सब से बड़ी इच्छा है कि एक बार तुम्हारे हाथों से हथकड़ियाँ पहन लूँ.......क्योंकि ये भी तुम्हारे नाम पर एक बड़ा काला धब्बा है कि कयि टकराव होने के बाद भी तुम मुझे गिरफ्तार नहीं कर सके."
इमरान किसी सोच मे पड़ गया. कुच्छ देर बाद उसने फिर कहा......"वो सुनहरा स्पंज क्या बला है?"
"ह्म्म.....मुझे पता है कि वही इन सारी उलझनों का कारण बना है. ना वो हमारे एक आदमी की ग़लती से डॉक्टर की लॅब मे गिर जाता......और ना हमें इन कठिनाइयों का सामना करना पड़ता. इमरान दा ग्रेट को भी कानो कान खबर ना होती......और हम अपने उद्देश्य पूरा करने मे कामयाब हो जाते. हलाकी वो एक तुच्छ सी चीज़ है. हम जनरल स्पंज की जगहगोलडेन रेशों वाले स्पंज का प्रयोग करते हैं."
"आहहा.....कितना आराम-दायक है वो स्पंज....." इमरान खुश होकर बोला..."एक दो टुकड़े मुझे भी दो. मैं ने एक रात एक तजुर्बा किया था थ्रेसस डार्लिंग."
"कैसा तजुर्बा..."
"नींद नहीं आ रही थी. रात गुज़रती जा रही थी. मैने उसी स्पंज को आइ लोशन मे डाल कर आँखों पर डाल लिया. बस ऐसी मज़े की नींद आई कि पुछो मत. मैं उसी आइ लोशन को अक्सर पी भी लेता हूँ...."
"बकवास शुरू कर दी तुम ने.....सीरियस्ली बातें करो.....मेरे लिए तुम ने क्या सोचा है?"
"आहहा......वो आइ लोशन....असीटिक आसिड और लिक्विफाइड अमोनिया से तैयार किया जाता है.....थ्रेसस डियर....."
थ्रेससिया अचानक उच्छल पड़ी. उसकी आँखें हैरत से फैल गयीं.
"ओह्ह......तुम ये भी जानते हो?" उसने धीरे से कहा.
"और इसके बाद भी तुम चाहती हो कि मैं तुम्हारी मुहब्बत पर यकीन कर लूँ?"
"ना करो...." थ्रेससिया झल्ला कर चीखी. "लेकिन मैं तुम्हें अपने देश के राज़ों के बारे मे कुच्छ नहीं बताउन्गी. चाहे तुम मुझे कुत्तों से नोचवा डालो...."
"मैं यही करूँगा....." इमरान दाँत पीस कर बोला.
थ्रेससिया कुच्छ ना बोली. वो चुप चाप अपने बेड की तरफ मूड गयी.
"ठहरो......तुम इस जगह से हिल भी नहीं सकतीं."
अचानक थ्रेससिया उसकी तरफ मूडी. उसके हाथों मे पॉइंट टू फाइव का छोटा सा पिस्टल चमक रहा था.
"क्या तुम मुझे रोक सकोगे?" उसने क्रोध भरे स्वर मे कहा. "चलो आज मैं तुम्हारा 'संग आर्ट' भी देखूँगी."
"निश्चित रूप से ऐसे अवसरों पर वही काम आता है." इमरान मुस्कुराया.
"तो ठीक है.....ये थ्रेससिया बिंबोल बी का हाथ है.........मैं देखूँगी तुम कितना फुर्तीले हो."
"फाइयर करो..."
"फाइयर....!" थ्रेससिया ने मुस्कुरा कर पिस्टल उसकी तरफ उछाल दिया जिसे इमरान ने कॅच कर लिया.
"मैं तुम पर फाइयर करूँगी.." वो ज़ोर से हँसी....."ये तो ऐसा ही है जैसे मैं अपने दिल की जगह पर पिस्टल रख कर ट्रॅगर दबा दूं....."
"फिर मैं ही तुम्हें गोली मार दूँगा. क्योंकि मुझे विश्वास है कि थ्रेससिया से कोई राज़ जान पाना बहुत ही कठिन है."
"ओके......तुम गोली ही मार दो. मैं ठंडे दिल से तुम्हारे इस फ़ैसले का स्वागत करती हूँ."
इमरान कुच्छ ना बोला.....उसकी आँखों मे मानसिक उलझन सॉफ सॉफ देखी जा सकती थी.
थ्रेससिया बेड की तरफ चली गयी. फिर इमरान ने उसे लेट'ते हुए देखा और ये भी देखा कि वो अपने उपर चादर खीच रही है. फिर उसने चहरा भी ढक लिया.
इमरान खामोश खड़ा रहा. अचानक उसने थ्रेससिया के क़हक़हे की आवाज़ सुनी. उसने एक झटके से चादर अपने चेहरे से हटा ली थी.
"तुम हार गये इमरान......हहा.....हार गये.....डार्लिंग...." उसने कहा.
उसकी आँखें अत्यधिक नशीली हो गयी थीं. और ऐसा लगने लगा था जैसे वो कुच्छ ही पलों मे सो जाएगी.
"आहहा.....तो क्या अब ये तुम्हारा बेड.....छत फाड़ कर उपर निकल जाएगा? हो सकता है.......मैने लड़की से तुम्हारे फेग्राज़ज़ की कहानी सुनी है."
"नहीं डार्लिंग....."थ्रेससिया की आवाज़ दर्द भरी थी......और होंठो पर एक हल्की सी मुस्कुराहट थी.
"क्या मतलब....?" एका-एक इमरान चौंक पड़ा.
"ये लो..." थ्रेससिया ने कोई चीज़ इमरान की तरफ उछाल दिया......इमरान ने उसे हाथ पर रोका.....और दूसरे ही पल.......
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Re: प्यासा समुन्दर
४३
दूसरे ही पल मे उसकी आँखें हैरत से फैल गयीं. ये एक छोटी सी शीशी थी जिसके पेन्दे मे रेड कलर का एक बूँद हिल रहा था और उसके लेबेल पर लिखा था "पॉइजान"
"ये तुम ने क्या किया?" इमरान शीशी फेंक कर उसकी तरफ झपटा.
थ्रेससिया हँसी.....लेकिन अंदाज़ बहुत थका थका सा था.
उसने भर्राई हुई कमज़ोर आवाज़ मे कहा "फिर मैं क्या करती. मैं जानती थी कि तुम मेरी किसी भी सजेशन को नहीं मानोगे. मेरी बातों पर शक करोगे. तुम्हें किसी भी बात का विश्वास दिला पाना बहुत ही कठिन काम है.......क्योंकि तुम ज़िद्दी हो. चलो तुम्हारा अगर एक आँसू भी मेरी लाश पर गिर सका तो मैं यही समझूंगी कि मैने ज़हर पी कर कोई ग़लती नहीं की,.....ये एक तेज़ असर वाली ज़हर है........अच्छा.......जाओ दूर हटो.....हट जाओ......मुझे मरने दो."
इमरान दो कदम पिछे हट गया. थ्रेससिया ने फिर से चेहरे पर चादर खीच ली. इमरान खामोश खड़ा पलकें झपकाता रहा. मगर अब वो यही सोच रहा था कि वो औरत थ्रेससिया बिंबोल बी ऑफ बोहीमिया है......दुनिया की सब से चालाक औरत.
अचानक थ्रेससिया का शरीर काँपने लगा. उसी तरह जैसे वो बर्फ के ढेर मे गिर कर ठंडक का शिकार हो गयी हो.फिर एक झटके के साथ उसकी गर्दन दाएँ तरफ धलक गयी......शरीर अब बिल्कुल शिथिल हो चुका था.
इमरान ने उसे आवाज़ें दी. नब्ज़ टटोली. नाक के सामने हाथ ले जाकर साँस महसूस करने की कोशिश की......लेकिन अब कुच्छ भी नहीं था.
वो हक्का बक्का खड़ा रह गया.
********
डॉक्टर डावर का फ्रांसीसी सेक्रेटरी तलाश करने के बाद भी नहीं मिल सका. उनके बंग्लो के चारों तरफ मिलिटेरी का पहरा था......और थ्रेससिया की लाश पोलीस की निगरानी मे हॉस्पिटल भिजवाई जा चुकी थी. इमरान अभी डॉक्टर के बंग्लो मे ही था. लेकिन उसके चहरे से ये नहीं प्रकट हो रहा था कि उसे थ्रेससिया के मरने पर थोड़ा सा भी दुख हो. वो तो अब सिम्मी को बहलाने की कोशिश कर रहा था.......जिसने थ्रेसससिया की लाश देख कर रोते रोते अपनी आँखें फूला ली थीं.
बड़ी मुश्किल से वो उसे उसके बेडरूम मे भिजवा सका. डॉक्टर डावर बहुत अधिक व्यस्त दिखाई दे रहे थे. अब उनके चेहरे पर भी परेशानी के लक्षण नहीं थे.
कुच्छ देर बाद दोनों फिर उसी तहख़ाने मे दिखाई दिए जहाँ से थ्रेससिया की लाश उठवाई गयी थी.
"मैं सोच भी नहीं सकता था इमरान कि मेरा सेक्रेटरी इतना बड़ा विल्लेन साबित होगा." डॉक्टर डावर ने कहा. उस से बॅस यही एक राज़ छिपा हुआ था कि मैने वो रहस्सयमयी पदार्थ किस तरह हासिल किया था और उसे कहाँ छुपाया था. और उस औरत थ्रेससिया की हरकतों से भी यही प्रकट होता है कि मेरे सेक्रेटरी को विश्वास नहीं था कि वो किस जगह पर छुपाया गया होगा. वरना थ्रेससिया इतना लंबा ड्रामा क्यों खेलती. मतलब ये कि वो लोग केवल संदेह की बुनियाद पर मेरे तहख़ाने मे देखना चाहते थे. और तहख़ाने के बारे मे केवल 3 आदमी जानते थे. मैं, वो सेक्रेटरी और सिम्मी. लेकिन उस पदार्थ या उसके भंडार का पता सेक्रेटरी या सिम्मी को भी नहीं था."
इमरान कुच्छ ना बोला. वो उन चीज़ों को उलट पलट रहा था जो थ्रेससिया से संबंध रखती थी. तभी उसने हेड-फोन के वो सेट उठाए जो सिम्मी के कहने के अनुसार कपल टॅगेज़ ही रहे होंगे.
"ओह्ह.....ये सब बकवास है." डॉक्टर डावर ने कहा. "मैं पहले ही देख चुका हूँ. इन मे कुच्छ भी विशेष नहीं है. ये ट्रॅग्युलर प्लेट नाक के नीचे आकर होन्ट को छुपा लेते हैं. इसलिए एक दूसरे के होन्ट की हरकत नहीं देखी जा सकती. वरना सिम्मी भी अंदाज़ा कर लेती कि वो लड़की उसे मूर्ख बना रही है."
"मगर वो गोता-खोरी का ड्रेस...." इमरान एक तरफ रखे उस ड्रेस की तरफ इशारा करते हुए कहा....."बहुत कुच्छ है इसमे डॉक्टर.....इस मे हेड फोन भी है और ऑक्सिजन की थैलियों के नीचे एक छोटी सी मशीन भी......शायद इसके द्वारा पानी मे भी एक दूसरे से बात कर सकते हैं. और सब से अधिक आश्चर्य-जनक चीज़ वो छोटी सी पिस्टल है जो उस ड्रेस की एक जेब से मिला है. आप ऐसे ही इसका ट्रॅगर दबाइए......कुच्छ भी नहीं होगा. केवल एक हल्की सी 'ट्रिच' की आवाज़ सुनाई देगी. इसकी नाल पानी मे डूबा कर ट्रॅगर दबाइए फिर देखिए क्या होता है."
दूसरे ही पल मे उसकी आँखें हैरत से फैल गयीं. ये एक छोटी सी शीशी थी जिसके पेन्दे मे रेड कलर का एक बूँद हिल रहा था और उसके लेबेल पर लिखा था "पॉइजान"
"ये तुम ने क्या किया?" इमरान शीशी फेंक कर उसकी तरफ झपटा.
थ्रेससिया हँसी.....लेकिन अंदाज़ बहुत थका थका सा था.
उसने भर्राई हुई कमज़ोर आवाज़ मे कहा "फिर मैं क्या करती. मैं जानती थी कि तुम मेरी किसी भी सजेशन को नहीं मानोगे. मेरी बातों पर शक करोगे. तुम्हें किसी भी बात का विश्वास दिला पाना बहुत ही कठिन काम है.......क्योंकि तुम ज़िद्दी हो. चलो तुम्हारा अगर एक आँसू भी मेरी लाश पर गिर सका तो मैं यही समझूंगी कि मैने ज़हर पी कर कोई ग़लती नहीं की,.....ये एक तेज़ असर वाली ज़हर है........अच्छा.......जाओ दूर हटो.....हट जाओ......मुझे मरने दो."
इमरान दो कदम पिछे हट गया. थ्रेससिया ने फिर से चेहरे पर चादर खीच ली. इमरान खामोश खड़ा पलकें झपकाता रहा. मगर अब वो यही सोच रहा था कि वो औरत थ्रेससिया बिंबोल बी ऑफ बोहीमिया है......दुनिया की सब से चालाक औरत.
अचानक थ्रेससिया का शरीर काँपने लगा. उसी तरह जैसे वो बर्फ के ढेर मे गिर कर ठंडक का शिकार हो गयी हो.फिर एक झटके के साथ उसकी गर्दन दाएँ तरफ धलक गयी......शरीर अब बिल्कुल शिथिल हो चुका था.
इमरान ने उसे आवाज़ें दी. नब्ज़ टटोली. नाक के सामने हाथ ले जाकर साँस महसूस करने की कोशिश की......लेकिन अब कुच्छ भी नहीं था.
वो हक्का बक्का खड़ा रह गया.
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डॉक्टर डावर का फ्रांसीसी सेक्रेटरी तलाश करने के बाद भी नहीं मिल सका. उनके बंग्लो के चारों तरफ मिलिटेरी का पहरा था......और थ्रेससिया की लाश पोलीस की निगरानी मे हॉस्पिटल भिजवाई जा चुकी थी. इमरान अभी डॉक्टर के बंग्लो मे ही था. लेकिन उसके चहरे से ये नहीं प्रकट हो रहा था कि उसे थ्रेससिया के मरने पर थोड़ा सा भी दुख हो. वो तो अब सिम्मी को बहलाने की कोशिश कर रहा था.......जिसने थ्रेसससिया की लाश देख कर रोते रोते अपनी आँखें फूला ली थीं.
बड़ी मुश्किल से वो उसे उसके बेडरूम मे भिजवा सका. डॉक्टर डावर बहुत अधिक व्यस्त दिखाई दे रहे थे. अब उनके चेहरे पर भी परेशानी के लक्षण नहीं थे.
कुच्छ देर बाद दोनों फिर उसी तहख़ाने मे दिखाई दिए जहाँ से थ्रेससिया की लाश उठवाई गयी थी.
"मैं सोच भी नहीं सकता था इमरान कि मेरा सेक्रेटरी इतना बड़ा विल्लेन साबित होगा." डॉक्टर डावर ने कहा. उस से बॅस यही एक राज़ छिपा हुआ था कि मैने वो रहस्सयमयी पदार्थ किस तरह हासिल किया था और उसे कहाँ छुपाया था. और उस औरत थ्रेससिया की हरकतों से भी यही प्रकट होता है कि मेरे सेक्रेटरी को विश्वास नहीं था कि वो किस जगह पर छुपाया गया होगा. वरना थ्रेससिया इतना लंबा ड्रामा क्यों खेलती. मतलब ये कि वो लोग केवल संदेह की बुनियाद पर मेरे तहख़ाने मे देखना चाहते थे. और तहख़ाने के बारे मे केवल 3 आदमी जानते थे. मैं, वो सेक्रेटरी और सिम्मी. लेकिन उस पदार्थ या उसके भंडार का पता सेक्रेटरी या सिम्मी को भी नहीं था."
इमरान कुच्छ ना बोला. वो उन चीज़ों को उलट पलट रहा था जो थ्रेससिया से संबंध रखती थी. तभी उसने हेड-फोन के वो सेट उठाए जो सिम्मी के कहने के अनुसार कपल टॅगेज़ ही रहे होंगे.
"ओह्ह.....ये सब बकवास है." डॉक्टर डावर ने कहा. "मैं पहले ही देख चुका हूँ. इन मे कुच्छ भी विशेष नहीं है. ये ट्रॅग्युलर प्लेट नाक के नीचे आकर होन्ट को छुपा लेते हैं. इसलिए एक दूसरे के होन्ट की हरकत नहीं देखी जा सकती. वरना सिम्मी भी अंदाज़ा कर लेती कि वो लड़की उसे मूर्ख बना रही है."
"मगर वो गोता-खोरी का ड्रेस...." इमरान एक तरफ रखे उस ड्रेस की तरफ इशारा करते हुए कहा....."बहुत कुच्छ है इसमे डॉक्टर.....इस मे हेड फोन भी है और ऑक्सिजन की थैलियों के नीचे एक छोटी सी मशीन भी......शायद इसके द्वारा पानी मे भी एक दूसरे से बात कर सकते हैं. और सब से अधिक आश्चर्य-जनक चीज़ वो छोटी सी पिस्टल है जो उस ड्रेस की एक जेब से मिला है. आप ऐसे ही इसका ट्रॅगर दबाइए......कुच्छ भी नहीं होगा. केवल एक हल्की सी 'ट्रिच' की आवाज़ सुनाई देगी. इसकी नाल पानी मे डूबा कर ट्रॅगर दबाइए फिर देखिए क्या होता है."
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तुफानो में साहिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
यूँ तो मिल जाता है हर कोई!
मगर आप जैसे दोस्त नसीब वालों को मिलते हैं!
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