प्यासा समुन्दर --कॉम्प्लीट हिन्दी नॉवल

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Jemsbond
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Re: प्यासा समुन्दर

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"मैं यहीं मौजूद हूँ इमरान.....तुम्हारे समीप.....तुम्हारे सामने." थ्रेससिया ने ठंडी साँस लेकर कहा. "तुम अगर मुझे मारोगे तो ये भी एक प्रकार का आनंद ही होगा मेरे लिए...."

थ्रेससिया ने आँखें बंद कर ली.....और स्वप्निल स्वर मे बोली...."इमरान का हाथ मेरा गाल.....इमरान मारो मुझे.....जिस तीव्रता से मुझे तुम से प्यार है उतनी ही शक्ति से मारो......मारो...."

"इमरान ने ठहाका लगाया. और फिर थ्रेससिया के कंधों पर हाथ रख कर बोला...."मैं तुम्हें मारूँगा डार्लिंग......अर्रे सड जाए मेरे हाथ....कीड़े पड़े उसमें...." उसका लहज़ा ठेठ देसी बुढ़ियों के जैसा था.

"मक्कारी नहीं इमरान...." थ्रेससिया आँखें खोल कर गंभीरता से बोली. "तुम्हारा ये लहज़ा मक्कारी से भरा है....पहले तुम्हारे लहजे मे सचाई थी.....जब तुम मार पीट की धमकियाँ दे रहे थे. मगर अब...."

"मैं केवल ये जान'ना चाहता हूँ कि तुम किन लोगों केलिए काम कर रही हो? अगर तुमने ना बताया तो हफ ड्रॅक तो मेरी मुट्ठी मे है ही...."

"ओह्ह....इस हद तक आगे बढ़ चुके हो..." थ्रेससिया ने हैरत से कहा. फिर हंस कर प्यार भरे स्वर मे बोली...."मैं पहले ही जानती थी कि इमरान डियर के देश मे एक नहीं चलेगी.....ओके....अच्छा होगा कि तुम हफ ड्रॅक ही को आज़माओ. ना मैं अपने देश से गद्दारी कर सकती हूँ और ना इस दिल को नर्क मे झोंक सकती हूँ." थ्रेससिया ने सीने पर हाथ रख कर कहा.

"हफ ड्रॅक की तरफ मुझे बढ़ा रही हो ये गद्दारी नहीं हुई?"

"मैने तुम्हें हफ ड्रॅक के बारे मे भी नहीं बताया....तुम पहले से ही जानते हो. इसलिए इस बारे मे मेरी अंतरात्मा मुझे धिक्कारेगी नहीं."

"तुम अब तक यहाँ क्यों बंद रही.....निकल क्यों नहीं गयीं?'"

"जब तक उस ख़तरनाक खोज का थोड़ा सा भाग भी यहाँ शेष रहता.....मैं नहीं जा सकती थी. हम ये काम खामोशी से करना चाहते थे. पहले कोशिश की गयी थी कि इसे छेड़ा ही ना जाए बल्कि ये पता करने की कोशिश की जाए कि ये पदार्थ हासिल कैसे होता है....लेकिन उस मे सफलता नहीं मिली. ओह्ह.......इमरान.....उस मासूम लड़की के लिए मैं बहुत दुखी हूँ......मुझे उस से बहुत लगाव हो गया है. प्लीज़ उसे डॉक्टर के क्रोध से बचाना."

"तुम अपनी बताओ कि तुम्हारे साथ क्या सलूक करूँ?"

"सिर्फ़ एक बार कह दो कि तुम्हें भी मेरा ख़याल है.....उसके बाद मेरी लाश सड़कों पर घसीट'ते फिरना."

"नहीं.....मैं तुम्हारी लाश की जेल्ली बनाउन्गा और हर नाश्ते मे टोस्ट के साथ लगा कर खाउन्गा......लेकिन मुझे दुख है कि इसके लिए मुझे बहुत इंतेज़ार करना पड़ेगा. क्योंकि पहले तो तुम जैल मे रखी जाओगी.....फिर केस चलेगा......उसके बाद ना जाने क्या हो...."

"तुम मुझे हथकड़ियाँ लगाने के बाद ही कह देना कि तुम भी अपने दिल मे मेरे लिए थोड़ी सी जगह रखते हो....इमरान...! मेरा अपराध अपनी जगह पर और दिल......मैं क्या कहूँ......मैं जानती हूँ मेरे शब्द तुम पर से इसी तरह से धलक रहे हैं जैसे किसी चिकने पत्थर से शबनम की बूँदें. मैं अपने अपराध के संबंध मे तुम से किसी प्रकार की छूट नहीं माँग रही.....तुम ये समझना भी मत. मेरे साथ जो दिल चाहे वैसा बर्ताव करो......लेकिन केवल एक बार स्वीकार कर लो कि तुम भी...."

"कि मैं भी....." इमरान ने बुरा सा मूह बना कर ठंडी साँस ली. कुच्छ और भी कहना चाहा. मगर केवल उसे घूर कर रह गया.

"हां....हां.....कहो. चुप क्यों हो गये?"

"मैं अभी इस समस्या के अलावा और किसी टॉपिक पर बात नहीं कर सकता."

"हां.....मैं जानती हूँ कि तुम ऐसे ही हो." थ्रेससिया ने ठंडी साँस ली. उसके चहरे पर गहरी उदासी छा गयी थी.

"हफ ड्रॅक किस को अपनी रिपोर्ट देता है...?"

"यहाँ तुम्हारे देश मे उस से सिनियर कोई नहीं. उसे पार्टी का लीडर समझो..."

"थ्रेसस....." इमरान कुच्छ कहते कहते रुक गया. इस बार फिर उसके लहजे मे प्यार था.

"अहहाअ....." थ्रेससिया ने आँखें बंद कर लीं. ऐसा लग रहा था जैसे वो इमरान के प्यार भरे स्वर के आनंद मे डूब जाना चाहती हो.

"इमरान डार्लिंग...." वो उसी तरह आँखें बंद किए हुए रुक रुक कर बोली...."इस लहजे मे सच्चाई नहीं है.....लेकिन त्रेसस.....आज तक किसी ने भी मुझे इतने फ्री अंदाज़ मे मुझे संबोधित नहीं किया. जो मेरा लीडर हफ ड्रॅक है वो भी मुझे मेडम कह कर पुकारता है.....उफ्फ कितनी मिठास है इस अपनापन भरे अंदाज़ मे.....इमरान मैं प्यासी हूँ.....इस लहजे की प्यासी......इस संबोधन की प्यासी......लोग मुझ से डरते हैं. हफ ड्रॅक भी मुझ से बात करते समय हकलाने लगता है. ओह्ह.....थ्रेसस......" वो अपने होंठों की इस तरह गोल बना ली जैसे किस देना चाहती हो. फिर उसने आँखें खोल दी.

"तुम हालात को पेचीदा बना रही हो थ्रेसस."

"मैं यहीं हूँ इमरान. विश्वास करो....अगर तुम्हारी जगह कोई और होता तो अब तक उसकी हड्डियों का भी पता नहीं चलता. क्योंकि मेरा देश साइंटिफिक डेवेलपमेंट मे पूरी दुनिया से बहुत आगे है. मैं तुम्हें यहाँ तक बता सकती हूँ कि अभी कुच्छ दिन पहले नीला उपग्रह जो आकाश मे दिखाई दिया था.....मेरे ही देश से संबंध रखता था. और सारी दुनिया चीख उठी थी कि वो उस उपग्रह से अंजान हैं. जिन देशों ने सब से पहले अपने उपग्रह अंतरिक्ष मे भेजे थे उन्होने बड़े बोखलाए हुए ढंग से घोषणा की थी कि वो अनोखा नीला उपग्रह उन से संबंध नहीं रखता. मैं तुम्हें अब बताऊ कि वो 'ज़िरोलॅंड' का उपग्रह था. ज़िरोलॅंड जो एक दिन पूरी दुनिया पर शासन करेगा.....और तुम्हारी समझ से जो सब से अधिक डेवेलोप्पेड कंट्री है वो उसके अधीन होंगे.

मैं तो ये कह रही थी कि मैं यहाँ मौजूद हूँ. मुझे हथकड़ियाँ लगा कर पोलीस के हवाले कर दो. मैं ये कभी नही चाहूँगी कि इमरान की बदनामी हो. उस इमरान की जिसे मैं अपनी जान से अधिक प्यार करती हूँ. मगर इमरान डियर ये भी संभव नहीं कि मैं अपने देश से गद्दारी करूँ. दुनिया की कोई शक्ति मुझ से ये नहीं पुछ सकती कि ज़िरोलॅंड कहाँ है."

"मैं भी नहीं थ्रेसस डार्लिंग....?"

"नहीं......तुम्हारी बात अलग है. तुम्हारा मक़ाम अलग है. तुम्हें इसकी अनुमति दे सकती हूँ......कि तुम अपने हाथों से मेरा गला घोंट दो. लेकिन ये असंभव है कि मैं तुम्हें ज़िरोलॅंड का लोकेशन बता दूं."

"फिर बताओ.....मैं तुम्हारा क्या करूँ?"
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Re: प्यासा समुन्दर

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४२

"फिर बताओ.....मैं तुम्हारा क्या करूँ? तुम्हारा आचार डालूं या सच मुच जेल्ली बना कर खा जाउ?"

"तुम्हारे लिए यही मुनासिब है कि मुझे पोलीस के हवाले कर दो. अपने हाथों से हथकड़ियाँ पहनाओ. ये मेरी सब से बड़ी इच्छा है कि एक बार तुम्हारे हाथों से हथकड़ियाँ पहन लूँ.......क्योंकि ये भी तुम्हारे नाम पर एक बड़ा काला धब्बा है कि कयि टकराव होने के बाद भी तुम मुझे गिरफ्तार नहीं कर सके."

इमरान किसी सोच मे पड़ गया. कुच्छ देर बाद उसने फिर कहा......"वो सुनहरा स्पंज क्या बला है?"

"ह्म्म.....मुझे पता है कि वही इन सारी उलझनों का कारण बना है. ना वो हमारे एक आदमी की ग़लती से डॉक्टर की लॅब मे गिर जाता......और ना हमें इन कठिनाइयों का सामना करना पड़ता. इमरान दा ग्रेट को भी कानो कान खबर ना होती......और हम अपने उद्देश्य पूरा करने मे कामयाब हो जाते. हलाकी वो एक तुच्छ सी चीज़ है. हम जनरल स्पंज की जगहगोलडेन रेशों वाले स्पंज का प्रयोग करते हैं."

"आहहा.....कितना आराम-दायक है वो स्पंज....." इमरान खुश होकर बोला..."एक दो टुकड़े मुझे भी दो. मैं ने एक रात एक तजुर्बा किया था थ्रेसस डार्लिंग."

"कैसा तजुर्बा..."

"नींद नहीं आ रही थी. रात गुज़रती जा रही थी. मैने उसी स्पंज को आइ लोशन मे डाल कर आँखों पर डाल लिया. बस ऐसी मज़े की नींद आई कि पुछो मत. मैं उसी आइ लोशन को अक्सर पी भी लेता हूँ...."

"बकवास शुरू कर दी तुम ने.....सीरियस्ली बातें करो.....मेरे लिए तुम ने क्या सोचा है?"

"आहहा......वो आइ लोशन....असीटिक आसिड और लिक्विफाइड अमोनिया से तैयार किया जाता है.....थ्रेसस डियर....."

थ्रेससिया अचानक उच्छल पड़ी. उसकी आँखें हैरत से फैल गयीं.

"ओह्ह......तुम ये भी जानते हो?" उसने धीरे से कहा.

"और इसके बाद भी तुम चाहती हो कि मैं तुम्हारी मुहब्बत पर यकीन कर लूँ?"

"ना करो...." थ्रेससिया झल्ला कर चीखी. "लेकिन मैं तुम्हें अपने देश के राज़ों के बारे मे कुच्छ नहीं बताउन्गी. चाहे तुम मुझे कुत्तों से नोचवा डालो...."

"मैं यही करूँगा....." इमरान दाँत पीस कर बोला.

थ्रेससिया कुच्छ ना बोली. वो चुप चाप अपने बेड की तरफ मूड गयी.

"ठहरो......तुम इस जगह से हिल भी नहीं सकतीं."

अचानक थ्रेससिया उसकी तरफ मूडी. उसके हाथों मे पॉइंट टू फाइव का छोटा सा पिस्टल चमक रहा था.

"क्या तुम मुझे रोक सकोगे?" उसने क्रोध भरे स्वर मे कहा. "चलो आज मैं तुम्हारा 'संग आर्ट' भी देखूँगी."

"निश्चित रूप से ऐसे अवसरों पर वही काम आता है." इमरान मुस्कुराया.

"तो ठीक है.....ये थ्रेससिया बिंबोल बी का हाथ है.........मैं देखूँगी तुम कितना फुर्तीले हो."

"फाइयर करो..."

"फाइयर....!" थ्रेससिया ने मुस्कुरा कर पिस्टल उसकी तरफ उछाल दिया जिसे इमरान ने कॅच कर लिया.

"मैं तुम पर फाइयर करूँगी.." वो ज़ोर से हँसी....."ये तो ऐसा ही है जैसे मैं अपने दिल की जगह पर पिस्टल रख कर ट्रॅगर दबा दूं....."

"फिर मैं ही तुम्हें गोली मार दूँगा. क्योंकि मुझे विश्वास है कि थ्रेससिया से कोई राज़ जान पाना बहुत ही कठिन है."

"ओके......तुम गोली ही मार दो. मैं ठंडे दिल से तुम्हारे इस फ़ैसले का स्वागत करती हूँ."

इमरान कुच्छ ना बोला.....उसकी आँखों मे मानसिक उलझन सॉफ सॉफ देखी जा सकती थी.

थ्रेससिया बेड की तरफ चली गयी. फिर इमरान ने उसे लेट'ते हुए देखा और ये भी देखा कि वो अपने उपर चादर खीच रही है. फिर उसने चहरा भी ढक लिया.

इमरान खामोश खड़ा रहा. अचानक उसने थ्रेससिया के क़हक़हे की आवाज़ सुनी. उसने एक झटके से चादर अपने चेहरे से हटा ली थी.

"तुम हार गये इमरान......हहा.....हार गये.....डार्लिंग...." उसने कहा.

उसकी आँखें अत्यधिक नशीली हो गयी थीं. और ऐसा लगने लगा था जैसे वो कुच्छ ही पलों मे सो जाएगी.

"आहहा.....तो क्या अब ये तुम्हारा बेड.....छत फाड़ कर उपर निकल जाएगा? हो सकता है.......मैने लड़की से तुम्हारे फेग्राज़ज़ की कहानी सुनी है."

"नहीं डार्लिंग....."थ्रेससिया की आवाज़ दर्द भरी थी......और होंठो पर एक हल्की सी मुस्कुराहट थी.

"क्या मतलब....?" एका-एक इमरान चौंक पड़ा.

"ये लो..." थ्रेससिया ने कोई चीज़ इमरान की तरफ उछाल दिया......इमरान ने उसे हाथ पर रोका.....और दूसरे ही पल.......
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४३
दूसरे ही पल मे उसकी आँखें हैरत से फैल गयीं. ये एक छोटी सी शीशी थी जिसके पेन्दे मे रेड कलर का एक बूँद हिल रहा था और उसके लेबेल पर लिखा था "पॉइजान"

"ये तुम ने क्या किया?" इमरान शीशी फेंक कर उसकी तरफ झपटा.

थ्रेससिया हँसी.....लेकिन अंदाज़ बहुत थका थका सा था.

उसने भर्राई हुई कमज़ोर आवाज़ मे कहा "फिर मैं क्या करती. मैं जानती थी कि तुम मेरी किसी भी सजेशन को नहीं मानोगे. मेरी बातों पर शक करोगे. तुम्हें किसी भी बात का विश्वास दिला पाना बहुत ही कठिन काम है.......क्योंकि तुम ज़िद्दी हो. चलो तुम्हारा अगर एक आँसू भी मेरी लाश पर गिर सका तो मैं यही समझूंगी कि मैने ज़हर पी कर कोई ग़लती नहीं की,.....ये एक तेज़ असर वाली ज़हर है........अच्छा.......जाओ दूर हटो.....हट जाओ......मुझे मरने दो."

इमरान दो कदम पिछे हट गया. थ्रेससिया ने फिर से चेहरे पर चादर खीच ली. इमरान खामोश खड़ा पलकें झपकाता रहा. मगर अब वो यही सोच रहा था कि वो औरत थ्रेससिया बिंबोल बी ऑफ बोहीमिया है......दुनिया की सब से चालाक औरत.

अचानक थ्रेससिया का शरीर काँपने लगा. उसी तरह जैसे वो बर्फ के ढेर मे गिर कर ठंडक का शिकार हो गयी हो.फिर एक झटके के साथ उसकी गर्दन दाएँ तरफ धलक गयी......शरीर अब बिल्कुल शिथिल हो चुका था.

इमरान ने उसे आवाज़ें दी. नब्ज़ टटोली. नाक के सामने हाथ ले जाकर साँस महसूस करने की कोशिश की......लेकिन अब कुच्छ भी नहीं था.

वो हक्का बक्का खड़ा रह गया.

********

डॉक्टर डावर का फ्रांसीसी सेक्रेटरी तलाश करने के बाद भी नहीं मिल सका. उनके बंग्लो के चारों तरफ मिलिटेरी का पहरा था......और थ्रेससिया की लाश पोलीस की निगरानी मे हॉस्पिटल भिजवाई जा चुकी थी. इमरान अभी डॉक्टर के बंग्लो मे ही था. लेकिन उसके चहरे से ये नहीं प्रकट हो रहा था कि उसे थ्रेससिया के मरने पर थोड़ा सा भी दुख हो. वो तो अब सिम्मी को बहलाने की कोशिश कर रहा था.......जिसने थ्रेसससिया की लाश देख कर रोते रोते अपनी आँखें फूला ली थीं.

बड़ी मुश्किल से वो उसे उसके बेडरूम मे भिजवा सका. डॉक्टर डावर बहुत अधिक व्यस्त दिखाई दे रहे थे. अब उनके चेहरे पर भी परेशानी के लक्षण नहीं थे.

कुच्छ देर बाद दोनों फिर उसी तहख़ाने मे दिखाई दिए जहाँ से थ्रेससिया की लाश उठवाई गयी थी.

"मैं सोच भी नहीं सकता था इमरान कि मेरा सेक्रेटरी इतना बड़ा विल्लेन साबित होगा." डॉक्टर डावर ने कहा. उस से बॅस यही एक राज़ छिपा हुआ था कि मैने वो रहस्सयमयी पदार्थ किस तरह हासिल किया था और उसे कहाँ छुपाया था. और उस औरत थ्रेससिया की हरकतों से भी यही प्रकट होता है कि मेरे सेक्रेटरी को विश्वास नहीं था कि वो किस जगह पर छुपाया गया होगा. वरना थ्रेससिया इतना लंबा ड्रामा क्यों खेलती. मतलब ये कि वो लोग केवल संदेह की बुनियाद पर मेरे तहख़ाने मे देखना चाहते थे. और तहख़ाने के बारे मे केवल 3 आदमी जानते थे. मैं, वो सेक्रेटरी और सिम्मी. लेकिन उस पदार्थ या उसके भंडार का पता सेक्रेटरी या सिम्मी को भी नहीं था."

इमरान कुच्छ ना बोला. वो उन चीज़ों को उलट पलट रहा था जो थ्रेससिया से संबंध रखती थी. तभी उसने हेड-फोन के वो सेट उठाए जो सिम्मी के कहने के अनुसार कपल टॅगेज़ ही रहे होंगे.

"ओह्ह.....ये सब बकवास है." डॉक्टर डावर ने कहा. "मैं पहले ही देख चुका हूँ. इन मे कुच्छ भी विशेष नहीं है. ये ट्रॅग्युलर प्लेट नाक के नीचे आकर होन्ट को छुपा लेते हैं. इसलिए एक दूसरे के होन्ट की हरकत नहीं देखी जा सकती. वरना सिम्मी भी अंदाज़ा कर लेती कि वो लड़की उसे मूर्ख बना रही है."

"मगर वो गोता-खोरी का ड्रेस...." इमरान एक तरफ रखे उस ड्रेस की तरफ इशारा करते हुए कहा....."बहुत कुच्छ है इसमे डॉक्टर.....इस मे हेड फोन भी है और ऑक्सिजन की थैलियों के नीचे एक छोटी सी मशीन भी......शायद इसके द्वारा पानी मे भी एक दूसरे से बात कर सकते हैं. और सब से अधिक आश्चर्य-जनक चीज़ वो छोटी सी पिस्टल है जो उस ड्रेस की एक जेब से मिला है. आप ऐसे ही इसका ट्रॅगर दबाइए......कुच्छ भी नहीं होगा. केवल एक हल्की सी 'ट्रिच' की आवाज़ सुनाई देगी. इसकी नाल पानी मे डूबा कर ट्रॅगर दबाइए फिर देखिए क्या होता है."
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Re: प्यासा समुन्दर

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४४

"क्या होता है?"

"सॉरी.....इसका प्रयोग मैने आपके बॅग्लो के बाहर वाले तालाब मे कुच्छ देर पहले किया था......उसकी सारी मछलियाँ टुकड़े टुकड़े हो गयीं."

"ये तुम ने क्या किया......अर्रे वो बहुत कीमती मछलियाँ थीं.....ओ माइ गॉड....मुझे मशविरा तो कर लिया होता."


"बस अब ग़लती तो हो ही गयी.....मैं आपको स्विट्ज़र्लॅंड की फिशस मंगवा दूँगा जिन की दुम पर 'मधुबाला ज़िंदाबाद' लिखा होता है."

"हाएन्न.....ये क्या बकवास है?" डॉक्टर डावर उसे हैरत से देखने लगे.

"ऐसी बातों पर इसी तरह मेरा दिमाग़ खराब हो जाता है. मैं आपको एक आश्चर्य-जनक आविष्कार के बारे मे बता रहा था और आप को अपनी मछ्लियो की चिंता होने लगी."

"दर्ज़नों आविष्कार मेरी जेब मे पड़ी रहती हैं. लेकिन अब वैसी मछलियो कभी ना मिल सकेंगी. मैं एक रेर नस्ल 'ब्लॅक-गोल्ड फिश' पर कुच्छ रिसर्च कर रहा था. तुम ने उन सब का सत्यानाश कर दिया. लाओ........देखूं वो पिस्टल...."

इमरान ने पिस्टल निकाल कर डॉक्टर डावर को दिया. ये किसी चमकदार मेटल का साधारण पिस्टल लग रहा था.

डॉक्टर डावर ने उसके मूह को उंगली से बंद कर के ट्रॅगर दबा दिया. हल्की सी 'ट्रिच' की आवाज़ सुनाई दी......और फिर डॉक्टर उसकी नाल के मूह से उंगली हटा कर नाक के समीप ले गये. अचानक इमरान ने फिर उनके चेहरे का रंग उड़ता हुआ देखा.

"इमरान....." वो निढाल सी आवाज़ मे बोले..."मैं पूरी तरह लूट चुका हूँ. खुदा उस सेक्रेटरी का सत्यानाश करे....जिसने मुझे बिल्कुल तबाह कर दिया. अर्रे मैं उसे अपने बेटे से अधिक मानता था. इस प्रकार के एक हथियार के आविष्कार की सोच मैने ही सबसे पहले की थी......जो पानी के अंदर काम कर सके. और इतना हल्का फूलका हो कि उसके इस्तेमाल मे कोई कठिनाई ना हो. मगर......फिर कयि उलझनें ऐसी आ पड़ीं कि मेरा दिमाग़ दूसरी तरफ आकर्षित हो गया. हलाकी इस पर मेरा काम लगभग पूरा ही हो चुका था. लेकिन मैने इस हथियार को कोई विशेष आकर नहीं दे पाया था. क्या पानी मे इसका ट्रॅगर दबाने से रेड कलर की चमकदार लहरें निकलती थीं?"

"जी हां...."

"बॅस...." वो ठंडी साँस लेकर बोले....."अब मुझे निश्चिंत रहना चाहिए कि केवल एक राज़ के अलावा

मेरे सभी राज़ किसी दूसरे देश के साइंटिस्ट तक पहुच चुके हैं."

"शायद आपका वो राज़ वही स्पेस ब्लॅक होल बनाने वाला पदार्थ है...."

"हां.....मगर ये आवश्यक नहीं है कि वो राज़ ही रह पाए. उसकी काफ़ी मात्रा वो लोग निकाल ले
गये हैं. हो सकता है कि उस पर उनका कोई एक्सपेरिमेंट उन्हें उसके हासिल करने की विधि की तरफ भी ले
जाए....."

"इस पिस्टल मे कॉन सी चीज़ प्रयोग होती है?"

"एक विशेष प्रकार की बॅटरी जिसे अटॉमिक एनर्जी से चार्ज किया जाता है. मेरा ख़याल है

कि.........ठहरो....मुझे देखने दो...."

डॉक्टर डावर थोड़ी देर तक उस पिस्टल को उलट पलट कर देखते रहे. उन्होने उसके दस्ते मे एक बॉक्स सा

पैदा कर लिया. शायद वो किसी बटन के दबाने के कारण प्रकट हो गया था. उन्होने उस बॉक्स से

कोई ठोस और ग्रे कलर की एक स्क्वाइर शेप्ड वस्तु निकाली और हथेली पर रख कर इस प्रकार हाथ को

हिलाने लगे जैसे उसका वज़न का अनुमान लगा रहे हों.

अंत-तह उन्होने कहा...."मेरे विचार से अगर ये 30 साल तक लगातार 24 घंटे प्रयोग मे रहे तब भी

इसे दुबारा चार्ज करने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी."

"अच्छी बात है.....इसे उसी तरह रख दीजिए......और मैं अब समंदर की सैर करूँगा...."

"क्या मतलब...?"

"एक समय मे मुझे फ्रॉग-मॅन बनने का भी शौक रह चुका है..."

"तुम सोचे समझे बिना इस प्रकार का कोई कदम मत उठाओ.....मैं तो इस समय केवल शार्ली के

बारे मे सोच रहा हूँ. कहीं ये केवल संयोग ही ना हो कि वो इस समय यहाँ नहीं है."

"ये शार्ली कॉन है?"

"वही......मेरा सेक्रेटरी....."

"आहहा.....लेकिन कुच्छ देर पहले आपने कोई दूसरा नाम बताया था...."

"मैं उसे शार्ली ही कह कर संबोधित करता था. बिल्कुल उसी तरह प्यार से जैसे अपने बच्चों को

संबोधित करते हैं. इमरान......ही ईज़ आ जीनियस.....बहुत शरीफ भी......मैं कैसे विश्वास

करूँ...."

इमरान कुच्छ ना बोला. वो थ्रेससिया की चीज़ें जमा कर रहा था. अचानक किसी तरफ लगी हुई घंटी बज

उठी.

"ओह्ह...." डॉक्टर चौंक उठा. "ये सिम्मी होगी....आओ चलें..."

इमरान ने गोता-खोरी का लिबास उठा कर हाथ मे लिया और डॉक्टर डावर के साथ तहखाना से बाहर निकल

आया.

इमारत मे सन्नाटा ही था. बाहर हथियार-बंद फ़ौजियों का एक दस्ता मौजूद था. ऐसा लग रहा

था जैसे वो सब भी किसी ख़तरे की बू सूंघ कर अचानक खामोश हो गये हों.

सिम्मी ने बताया कि फोन पर इमरान की कॉल है. इमरान सोचने लगा कि यहाँ किस ने उसे फोन किया

होगा. वो अक्सर मूर्खों की तरह सोचने भी लगता था. उसके सारे साथी इस समय इस बिल्डिंग के आस

पास ही मौजूद थे. संभव है उन्हीं मे से किसी ने फोन पर उस से बात करना चाहा हो.

उसने रिसीवर उठा कर धीरे से कहा..."हेलो."

रिप्लाइ मे उसे किसी औरत की हँसी सुनाई दी. इमरान को बिल्कुल ऐसा ही महसूस हुआ जैसे उसकी खोपड़ी

गर्दन से उखाड़ कर छत से जा टकराई हो.......क्योंकि ये आवाज़ और हँसी थ्रेससिया बिंबोल बी ऑफ

बोहीमिया के अलावा और किसी की नहीं हो सकती थी.

क्रमशः.............................

आगे का अपडेट फिर कभी
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Re: प्यासा समुन्दर

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४५



इमरान संभला और फिर उसने भी हँसना शुरू कर दिया. इसके अलावा और करता भी क्या. उसकी समझ मे ही नहीं आ रहा था कि उसे क्या कहना चाहिए.

डॉक्टर डावर समीप ही खड़े उसे इश्स तरह घूरे जा रहे थे जैसे उनके विचार से उसका दिमाग़ खराब हो गया हो.

"इमरान डार्लिंग....." दूसरी तरफ से आवाज़ आई. फिर ऐसा लगा जैसे दूसरी तरफ से एक फ्लाइयिंग किस भी दिया गया हो..

"अर्रे बाप रे...." इमरान बडबडाया.

"मैने तुम्हें एक शानदार मोका दिया था इमरान...." आवाज़ आई "लेकिन तुम शंकाओं और संदेहों का शिकार बने रहे. अब बताओ कैसी रही. कल के न्यूज़ पेपर्स मे यही तो छापेन्गे की थ्रेससिया इमरान को चकमा दे कर निकल गयी. अगर तुम ने मेरे हाथों मे हथकड़ियाँ लगा दी होतीं तो मेरे निकल जाने की ज़िम्मेदारी तुम पर नहीं आती. वैसे ना मेरे हाथ हथकड़ियों केलिए बने हैं और ना मैं खुद हवालात केलिए. बोलो......तुम से ग़लती हुई थी या नहीं?"

"नहिंन्न्न्......" अचानक इमरान ने क्रोध भरे स्वर मे कहा.

"अर्रे......खफा हो गये डियर.....सुनो तो सही.....तुम्हारे देश का यही एक आर्ट मुझे बेहद पसंद है. इसी की सहायता से मैं कयि बार बड़े बड़े ख़तरों से निकल गयी हूँ, तुम भी 'योगा और प्राणायाम' की थोड़ी प्रॅक्टीस कर लो. कभी ना कभी काम आ ही जाएँगी."

"मैं प्राण लेने का स्पेशलिस्ट हूँ.,..."

"तुम सचमुच गुस्से मे लग रहे हो....अब इसमे मेरी क्या ग़लती है. मुझे वहाँ से एक आंब्युलेन्स मे लाद कर हॉस्पिटल लाया गया. हॉस्पिटल के कॉंपाउंड मे गाड़ी रुकी. जैसे ही वो लोग मुझे स्ट्रेचर पर डालने लगे मैने सोचा एक छीन्क ही सही. बॅस मेरा छीन्कना ही कयामत हो गया. वो लोग उच्छल उच्छल कर भागे. कॉंपाउंड मे चारों तरफ भूत भूत का शोर गूंजने लगा. मुझे बहुत गुस्सा आया. तुम्ही सोचो कि ये मेरी शान और प्रतिष्ठा के खिलाफ था. बस मैं उन्हें बुरा भला कहती हुई कॉंपाउंड से बाहर निकल गयी. और अब एक चौराहे के टेलिफोन बूथ से तुम्हें कॉल कर रही हूँ."

"अच्छा अब कॉल कर चुकी हो तो मैं अब डिसकनेक्ट कर दूं.......क्योंकि बहुत काम पड़े हुए हैं." ( बर्तन धोना, झाड़ू लगाना, खाना बनाना, कपड़े धोना एट्सेटरा एट्सेटरा )

"ऐज यू विश....." थ्रेससिया के स्वर मे अप्रसन्नता थी.

इमरान ने फोन रख दिया. मेज़ के पास से अभी हटा भी नहीं था कि फिर घंटी बजी. इस बार सफदार का कॉल था और वो थ्रेससिया के ज़िंदा होने की सूचना दे रहा था. वो आंब्युलेन्स मे इस आशंका मे बैठ कर गया था कि शायद थ्रेससिया के गिरोह से मुठभेड़ हो जाए. इमरान ने सफदार की इस सूचना पर कोई कॉमेंट नहीं किया.......केवल हैरत प्रकट कर के फोन काट दिया.

थोड़ी देर तक वो सिम्मी से उस जगह के बारे मे पुच्छ ताछ करता रहा जहाँ थ्रेससिया का फेग्राज़ज़ गिरा था. लेकिन वो इस समय सिम्मी को बाहर जाने पर तैयार नहीं कर सका. हलाकी सिम्मी एक निडर लड़की थी लेकिन घटनाओं ने उसे किसी हद तक बे-हिम्मत बना दिया था. वो इमरान को किचन मे ले गयी और फिर खिड़की से वो जगह दिखाने लगी जहाँ फेग्राज़ज़ गिरा था. उसने इसके लिए बहुत अधिक शक्ति वाला टॉर्च का इस्तेमाल किया था. नीचे फ़ौजी मौजूद थे. उन्होने मूड कर देखा और फिर बडबडाते हुए समुद्रा-तट की तरफ आकर्षित हो गये.

कुच्छ देर बाद इमरान बाहर आया. इस समय कोई दूसरा समंदर मे गोता लगाने का विचार भी दिल मे नहीं लाता. लेकिन इमरान गोता-खोरी का ड्रेस पहन कर साहिल की तरफ चला जा रहा था. ये वही ड्रेस था जो थ्रेससिया छोड़ गयी थी.......और इमरान ने काफ़ी समय तक उसका निरीक्षण किया था.......और उसकी विशेषताएँ याद रखने की कोशिश किया था.

वो बहुत खामोशी से बाहर आया. जब वो साहिल पर पहुच गया तब उसे उन फ़ौजियों पर बहुत गुस्सा आया जिनकी गफलत से उसे यहाँ तक आने मे किसी प्रकार की परेशानी नहीं हुई थी.

वो धीरे से पानी मे उतर गया. लेकिन जैसे ही उसका सर पानी मे डूबा.......अचानक उसके चारों तरफ रौशनी ही रौशनी फैल गयी. इतनी तेज़ रौशनी कि पानी मे भी अपना रास्ता और दिशा तय कर सकता था.

फिर उसने किसी की आवाज़ सुनी. उसे उस हेड फोन की याद आई जो गोता खोरी के ड्रेस के इन्नर भाग मे अटॅच्ड हुआ था. आवाज़ उसी हेड फोन से आ रही थी. लेकिन बोलने वाला ऐसी भाषा मे कह रहा था जो इमरान के लिए अपरिचित था. वैसे उसने सब से पहले "मेडम थ्रेससिया.......मेडम थ्रेससिया' की पुकार सुनी थी.

उसने सोचा कहीं ये ड्रेस ही सूचना के आदान-प्रदान का कारण ना बना हो. जिस तरह पानी मे आते ही उसके एक भाग से रौशनी फूटने लगी थी.........उसी तरह कहीं उसने उसके पानी मे उतरने की सूचना किसी को ना भेज दी हो. ये ड्रेस थ्रेससिया से संबंध रखता था. और इमरान ने महसूस किया था कि किसी अग्यात जगह से अज़ बोलने वाले ने इसी तरह बार बार थ्रेससिया का नाम लिया था जैसे उसे संबोधित करना चाहता हो.

इमरान ने फ़ैसला करने मे अधिक देर नहीं लगाई. उसने सोचा कि अब यहाँ ठहरना जान बुझ कर मौत को निमंत्रण देना होगा. वो बहुत तेज़ी से पानी की सतह पर उभरा. जब तक उसका सर पानी मे डूबा रहा आवाज़ें लगातार आती रहीं. लेकिन उपर सर उभारते ही उसके चारो तरफ फैली रौशनी भी गायब हो गयी और आवाज़ों के आने का क्रम भी टूट गया. वो धीरे धीरे पानी काट'ता हुआ किनारे की तरफ बढ़ रहा था. मगर अचानक उसे ऐसा महसूस हुआ जैसे किसी ने उसकी टाँगें पकड़ कर खीच लिया हो. इमरान बेबसी से हाथ पैर हिलाता हुआ तह की गहराइयों की तरफ जाता रहा. तभी उसके कानों मे कोई अपरिचित भाषा सुनाई दी. उसने सोचा ये निश्चित कोई आदमी ही है जो उसे तह की तरफ खीच रहा है.

अचानक इमरान नारी स्वर मे हंसा......उसने थ्रेससिया की हँसी की नकल उतारने की कोशिश की थी. तुरंत उसकी टाँगें छोड़ दी गयीं. वो बराबर उसी तरह हँसे जा रहा था.......और उसके कानों मे मेडम.....मेडम के साथ ही दूसरे शब्द भी सुनाई देते रहे. शायद वो आदमी अपनी बाद-तमीज़ी पर दुख प्रकट कर रहा था.

इमरान ने पिस्टल निकाला........और दूसरे ही पल उसकी नाल से रेड कलर की लहरें निकल कर उस आदमी से टकराई......फिर पता नही वो आदमी किस तरह हज़ारों टुकड़ों मे बँट गया.

अब इमरान दुबारा उपर उठ रहा था. अगर उसने थोड़ी सी भी चूक की होती तो शायद उसी के टुकड़े गहराई से उपरी सतह की तरफ जाता दिखाई देता.

अब उसे विश्वास हो चला था कि ये लिबास खुद कम्यूनिकेशन का सोर्स है. हो सकता है हर एक की ड्रेस की पहचान भी अलग हो.

इमरान सतह पर फिर उभरा और किनारे की तरफ बढ़ने लगा. इस बार वो आसानी से किनारे तक पहुच गया. लेकिन उसे आशंका थी कि इस घटना की सूचना निश्चित रूप से उन लोगों को हो गयी होगी जिन से वो व्यक्ति जुड़ा हुआ था.

इमरान नरकुल की झाड़ियों मे आ छिपा. उसकी निगाहें पानी की सतह पर थीं. मगर 20 मिनूट तक वेट करने के बाद भी कोई नयी घटना सामने नहीं आई.

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प्यास बुझाई नौकर से Running....कीमत वसूल Running....3-महाकाली ....1-- जथूराcomplete ....2-पोतेबाबाcomplete
बन्धन
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दिल से दिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
तुफानो में साहिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
यूँ तो मिल जाता है हर कोई!
मगर आप जैसे दोस्त नसीब वालों को मिलते हैं!
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