ताकत की विजय
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Re: ताकत की विजय
जेलर ने कदम आगे बढ़ाया और झुक कर उसे बालों से पकड कर सीधा खड़ा कर दिया
सच सच बता रामभरोसे , विशाल की हत्या क्यों करना चाहता है तू ?
जेलर के तेवर देख रामभरोसे की गले की घंटी जोरो से उछली... आंखों में छाया आंतक और भी गहरा हो गया
बता... दहाडा जेलर.. वरना मैं तेरी बोटी बोटी कर डालूंगा हरामजादे
मु.. मुझे माफ कर दीजिए सर... सहसा गिड़गिड़ा उठा रामभरोसे... लालच ने मुझे अंधा कर दिया था
तो विशाल सच कह रहा था कि तूने उसे खत्म करने की धमकी दी थी
एक करारा जोर का करंट का झटका लगा रामभरोसे को... विशाल को तो उसने कुछ भी नहीं कहा था , फिर उसे पता कैसे चल गया ?
अगर यही बात जेलर पहले कह देता तो वह मरते मर जाता पर जेलर को कुछ नहीं बताता
मगर अब तो तीर कमान से निकल चुका था , वह कबूल कर चुका था
अब तो बिना सबकुछ जाने जेलर उसे हरगिज नहीं छोडने वाला
किसने दिया था तुझे लालच ? गुर्राया जेलर
एस पी राजीव सेन ने
कितना रूपया देने को कहा था उसने विशाल के कत्ल के बदले
बीस लाख
आंखे सिकुड गई जेलर की , मुंह खुला का खुला रह गया
बी-स लाख...
कुछ भी नहीं बोल पाया रामभरोसे... बस उसके होंठ कांप कर रह गये
और कौन कौन है राजीव सेन के साथ ?
निरंजन चौधरी और मजिस्ट्रेट प्रताप सिंह...
पुनीत शर्मा के यहां पहुंचने की खबर तुमने ही उन्हें दी थी ?
ज.. जी... कहते हुए रामभरोसे ने थूक निगल कर हलक को तर किया ही था कि
जेलर का एक धूंसा उसके मुंह पर पडा
रामभरोसे के होंठों से चीख निकल गई
तो पुनीत शर्मा ने गलत नहीं कहा था कि तू पुलिस की वर्दी में चौधरी का पालतू कुत्ता है
मुझे माफ कर दीजिए सर , आंइदा ऐसी कोई गलती नहीं करूंगा... आपको कभी मेरे खिलाफ कोई शिकायत नहीं मिलेगी
शिकायत तो तभी मिलेगी जब तू आजाद रहेगा... दहाडा जेलर और साथ ही मेज पर रखी बैल पर जोर से हाथ मारा
तुरंत संतरी दाखिल हुआ
ले जाओ इसे और उस सेल मे बंद कर दो जहां सिर्फ खतरनाक मुजरिमों को रखा जाता है
संतरी ने आगे बढ़कर रामभरोसे की कलाई पकड़ ली और लगभग खिंचते हुए ऑफिस से बाहर ले गया
रामभरोसे माफी माफी मांगते ही रह गया
अगली सुबह रायपुर के लिए चौंकाने वाली हुई
घर से निकल कर जो भी शख्स थोड़ा आगे बढा , उसकी नजरें शहर की दीवारों पर चिपके पोस्टरों पर चिपक कर रह गई, पैर भी वही के वही जाम हो गये
जब तक वह उस पोस्टर को पढता तब तक उसके पीछे आठ दस लोग और आ खड़े होते
उन सभी की निगाहें भी पोस्टर से चिपक कर रह गई
कई जगहों पर तो बाकायदा जमघट लगा नजर आ रहा था
खासकर राम चौक में तो काफी ज्यादा भीड़ थी ... उस चौक में चार अलग अलग स्थानों पर पोस्टर लगे हुए थे और चारों ही पोस्टरों के आगे जमघट लगा था
क्या लिखा है भाई इस पोस्टर पर... एक बुजुर्ग व्यक्ति आंखे मिचमिचाते हुए अपने करीब खडे युवक से बोला
खुद ही पढ लो ना बाबा... युवक बोला
पढना आता तो तुमसे क्यों कहता बेटा... इतनी भीड़ है , अवश्य ही कोई खास बात ही लिखी होगी... इसलिए तुमसे कह रहा हूं
सचमुच बहुत खास बात लिखी है बाबा
क्या ? जरा पढकर सुनाओ तो
युवक की नजरें पोस्टर पर चिपक गई और वह जोर जोर से बोल कर उस पोस्टर पर लिखी इबारत को पढकर सुनाने लगा.....
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निरंजन चौधरी चोर है
रायपुर वासियों....
जिस निरंजन चौधरी को आप लोग अपना नेता मानते हैं , वह नेता नहीं बल्कि एक खूनी है, स्मगलर है
कुछ रोज पहले विशाल नाम के एक युवक को अदालत ने फांसी की सजा दी थी, असल में विशाल बेकसूर था.... निरंजन चौधरी और वकील सुरेश पाटिल ने उसकी बहन की इज्जत लूट कर उसे आत्महत्या के लिए मजबूर कर दिया था
और जब विशाल ने निरंजन चौधरी के खिलाफ़ आवाज उठाई तो उसे इंसाफ मिलने की बजाय फांसी की सजा सुना दी गई... वकील सुरेश पाटिल ने अपनी दलीलों से उलटा उस बेचारे को ही खूनी साबित कर दिया... यह तो सिर्फ एक नमूना है , इसके अलावा पता नहीं और कितने घर बरबाद किये है दोनों ने, देश को पता नहीं कितना नुकसान पहुंचाया है इन्होने
प्यास बुझाई नौकर से Running....कीमत वसूल Running....3-महाकाली ....1-- जथूराcomplete ....2-पोतेबाबाcomplete
बन्धन
*****************
दिल से दिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
तुफानो में साहिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
यूँ तो मिल जाता है हर कोई!
मगर आप जैसे दोस्त नसीब वालों को मिलते हैं!
*****************
बन्धन
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दिल से दिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
तुफानो में साहिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
यूँ तो मिल जाता है हर कोई!
मगर आप जैसे दोस्त नसीब वालों को मिलते हैं!
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Re: ताकत की विजय
निरंजन चौधरी चोर है
रायपुर वासियों....
जिस निरंजन चौधरी को आप लोग अपना नेता मानते हैं , वह नेता नहीं बल्कि एक खूनी है, स्मगलर है
कुछ रोज पहले विशाल नाम के एक युवक को अदालत ने फांसी की सजा दी थी, असल में विशाल बेकसूर था.... निरंजन चौधरी और वकील सुरेश पाटिल ने उसकी बहन की इज्जत लूट कर उसे आत्महत्या के लिए मजबूर कर दिया था
और जब विशाल ने निरंजन चौधरी के खिलाफ़ आवाज उठाई तो उसे इंसाफ मिलने की बजाय फांसी की सजा सुना दी गई... वकील सुरेश पाटिल ने अपनी दलीलों से उलटा उस बेचारे को ही खूनी साबित कर दिया... यह तो सिर्फ एक नमूना है , इसके अलावा पता नहीं और कितने घर बरबाद किये है दोनों ने, देश को पता नहीं कितना नुकसान पहुंचाया है इन्होने
पुलिस ने जब भी इनके खिलाफ कुछ करना चाहा, निरंजन चौधरी ने ऊपर से दबाब डलवा कर पुलिस को हमेशा कुछ न करने के लिए मजबूर कर दिया...
परसों रात को पुलिस के जांबाज इंस्पेक्टर जोगलेकर ने सुरेश पाटिल तथा उसके साथियों को पच्चीस करोड़ के सोने के साथ गिरफ्तार करना चाहा तो इन्होनें उस पर गोलियां चलाई , जिसके कारण जोगलेकर शहीद हो गया , लेकिन मरते मरते भी उसने सुरेश पाटिल तथा अवतार सिंह नामक एक आदमी को गोली से उडा दिया
निरंजन चौधरी ऊपर से दबाब डलवा के इस आरोप से साफ बरी हो गया... मैं खुद उसे गिरफ्तार करने गया था, लेकिन उसके आवास पर मुझे सिर्फ गालियां ही सुनने को मिली... तब मजबूर होकर मुझे जनता की अदालत में आना पड़ा....
भाईयों मैं अपने मकसद से पीछे नहीं हटूंगा... चाहें इसके लिए मुझे अपनी जान ही क्यूँ ना देनी पड़े... मेरी कुर्बानी व्यर्थ न जाये, इसलिए मैं पूरे रायपुर को पहले ही सूचित कर देना चाहता हूं कि अगर निरंजन चौधरी से लडते हुए मैं मारा जांऊ तो मेरी मौत का जिम्मेदार निरंजन चौधरी को ही माना जाये, ताकि वह ऊपर से दबाब डलवा कर पाक साफ न बना रहे... और अब जो फैसला करना होगा -आपको ही करना होगा
निवेदक-
राजीव सेन
पुलिस अधीक्षक, रायपुर
य.. यह सब क्या है ? क्या हो रहा है यह ?
चौधरी गुस्से में आग उगलते हुए हाथ में पकड़ा पोस्टर राजीव सेन के सामने लहराते हुए दहाडा
सेन बिचारा खुद हैरान परेशान था
म.. मैं खुद हैरान हूं चौधरी साहब, कसम से मैंने ये पोस्टर नहीं लगवाये
पूरे शहर में जगह जगह पोस्टर चिपके हुए हैं... प्रताप सिंह गुर्राया... अब तक तो रायपुर का बच्चा बच्चा इन पोस्टरों को पढ चुका होगा
य..यह पुनीत शर्मा की कोई चाल है... वह हरामखोर हममें फूट डलवाना चाहता है ताकि हम टूटकर बिखर जाये और वह अपना काम कर जाये... तिलमिलाते हुए बोला सेन
तुम गलत सोच रहे हो सेन... प्रताप सिंह बोला
राजीव सेन और चौधरी दोनों उसकी तरफ देखने लगे
कैसे ?सेन के मुंह से स्वतह निकल गया
पाटिल के बाद अब तेरी बारी है ...प्रताप सिंह ने जैसे बम फोड़ा
ना चाहते हुए भी उछल ही पड़ा सेन... यह तुम क्या कह रहे हो ?
पोस्टर पर लिखी इबारत साफ कह रही है कि अब तेरी बारी है... पुनीत शर्मा तुम्हें मारकर तुम्हारी हत्या का इल्ज़ाम चौधरी साहब पर लगायेगा , लगायेगा क्या -लगा चुका है.. पूरा रायपुर जान चुका है कि राजीव सेन की अगर हत्या होगी तो हत्यारा निरंजन सिंह चौधरी ही होगा
सेन की रीड की हड्डी में मौत की सिहरन दोड गई
खुद को बचा सेन... चौधरी व्याकुल स्वर में बोला... अगर तू मारा गया तो रायपुर में मेरी जो इज्जत है उसका जनाजा निकल जायेगा, उसके बाद मैं नंगा होऊं या छिप जाऊं, बस दो ही रास्ते रह जायेंगे मेरे पास
ल.. लेकिन.. इसमें तुम्हारा नाम क्यों नहीं लिखा गया प्रताप ? सेन प्रताप सिंह के चेहरे पर नजरें जमाते हुए बोला... जबकि वह तुम्हें भी उतना ही जानता है जितना कि हमें
कहीं तू मुझ पर तो शक नहीं कर रहा है ? प्रताप सिंह उसे घूरते हुए गुर्राया
हालात तो इसी तरफ इशारा कर रहे है
राजीव ......
गुस्से में दहाड़ उठा प्रताप सिंह
गुर्राने की जरूरत नहीं है प्रताप... पोस्टर में तुम्हारा कहीं भी जिक्र नही है जबकि विशाल को फांसी की सजा तुमने सुनाई थी
तुम यह कहना चाहते हो कि यह पोस्टर मैने छपवाये हैं
मैं एक दलील पेश कर रहा हूँ... गंभीर स्वर में बोला सेन
कैसी दलील ?
यही कि तुम समझ गये हो कि पुनीत शर्मा को काबू में करना नामुमकिन है, सो खुद को उसके कहर से बचाने के लिए तुमने ये पोस्टर छपवाये... इससे आम जनता के सामने सिर्फ हम तीनों के ही चेहरे उभरे... और तुम एक न्याय प्रिय मजिस्ट्रेट बने रहे
से----न
बहुत जोर से दहाड़ उठा प्रताप सिंह
चिल्लाने की जरूरत नहीं प्रताप , मैंने केवल एक संभावना प्रकट की है... तुम 'ना' कहकर खुद को दोष मुक्त कर सकते हो
प्रताप सिंह ने भाले बर्छीयां बरसाती निगाहों से उसे देखा और गुर्राया...
मेरा नाम पोस्टर में न आने का कारण तो मैं बता सकता हूं... लेकिन तुम अपनी सफाई पेश नहीं कर पाओगे बशर्ते कि यही इल्जाम मैं तुम पर लगा दूं
क्या मतलब ? बोखलाया राजीव सेन
मैं एक मजिस्ट्रेट हूं, कानून का रखवाला... अगर वह पोस्टर में मेरे खिलाफ लिखता तो यह कानून की अवमानना होती, जिसके एवज में मुजरिम को सजा भी मिल सकती है
ओह....
पोस्टर में तुम तीनों का जिक्र जरूर हुआ है... प्रताप सिंह खुरदरे लहजे में बोला... लेकिन उसमें जहां चौधरी साहब और पाटिल को अपराधी ठहराया गया है - वही तुम्हें देवता, कानून का रखवाला, हीरो बनाकर पेश किया गया है.... क्या इससे यह साबित नहीं होता कि पोस्टर तुम्ही ने छपवाये है
बुरी तरह बोखला गया सेन
म.. मगर मैं भला ऐसा क्योंकर करूंगा ?
वही दलील जो तुमने पेश की थी... तुम पुनीत शर्मा से डर गये हो, पाटिल की मौत ने तुम्हें और ज्यादा डरा दिया है, सो खुद को बचाने के लिए तुमने यह पोस्टर छपवा दिये... ताकि लोगों में तुम हीरो बन जाओ...
ल.. लेकिन अभी अभी तो तुम मेरी जान को खतरा बता रहे थे ? सेन बोला
जरूर बता रहा था... मगर केवल उस सूरत में जब तुमने पोस्टर नही छपवाये, जबकि हालात तुम्हारी तरफ इशारा कर रहे है
सेन के माथे पर पसीने की बूंदे चमकने लगी
म... मैंने ऐसा कोई काम नहीं किया है... मैं अपनी बेटी की कसम खा कर कहता हूं कि...
मैं जानता हूँ ...तभी चौधरी उसकी बात काटते हुए गंभीरता से बोला... यह पोस्टर तुमने नहीं छपवाये
राजीव सेन ने राहत की लम्बी सांस ली... जैसे कोई गढ जीत लिया हो
मगर तुमने प्रताप पर इल्जाम लगाकर बेवकूफाना हरकत की है
आई एम साॅरी प्रताप... शर्मिंदा स्वर में बोला सेन... मेरा इरादा तुम पर कीचड़ उछालना नहीं था... मैं तो... मैं तो. .
अगर हम आपस में ही लडने लगे तो दुश्मन इसका पूरा फायदा उठा सकता है... चौधरी गुर्राहट भरे स्वर में बोला... इसलिए एक दूसरे पर कीचड़ उछालने की बजाय आपस में सिर जोडकर सोचो कि उसे खत्म कैसे किया जाये
उससे पहले यह सोचो कि सेन को कैसे बचाया जाये... प्रताप सिंह बोला... पुनीत शर्मा को ढूँढ कर खत्म करने में पता नहीं कितना वक्त लगे, इस बीच पता नहीं किधर से आकर वह सेन को खत्म कर दे
यह सुनकर सेन के माथे पर पुनः पसीना चमकने लगा
रायपुर वासियों....
जिस निरंजन चौधरी को आप लोग अपना नेता मानते हैं , वह नेता नहीं बल्कि एक खूनी है, स्मगलर है
कुछ रोज पहले विशाल नाम के एक युवक को अदालत ने फांसी की सजा दी थी, असल में विशाल बेकसूर था.... निरंजन चौधरी और वकील सुरेश पाटिल ने उसकी बहन की इज्जत लूट कर उसे आत्महत्या के लिए मजबूर कर दिया था
और जब विशाल ने निरंजन चौधरी के खिलाफ़ आवाज उठाई तो उसे इंसाफ मिलने की बजाय फांसी की सजा सुना दी गई... वकील सुरेश पाटिल ने अपनी दलीलों से उलटा उस बेचारे को ही खूनी साबित कर दिया... यह तो सिर्फ एक नमूना है , इसके अलावा पता नहीं और कितने घर बरबाद किये है दोनों ने, देश को पता नहीं कितना नुकसान पहुंचाया है इन्होने
पुलिस ने जब भी इनके खिलाफ कुछ करना चाहा, निरंजन चौधरी ने ऊपर से दबाब डलवा कर पुलिस को हमेशा कुछ न करने के लिए मजबूर कर दिया...
परसों रात को पुलिस के जांबाज इंस्पेक्टर जोगलेकर ने सुरेश पाटिल तथा उसके साथियों को पच्चीस करोड़ के सोने के साथ गिरफ्तार करना चाहा तो इन्होनें उस पर गोलियां चलाई , जिसके कारण जोगलेकर शहीद हो गया , लेकिन मरते मरते भी उसने सुरेश पाटिल तथा अवतार सिंह नामक एक आदमी को गोली से उडा दिया
निरंजन चौधरी ऊपर से दबाब डलवा के इस आरोप से साफ बरी हो गया... मैं खुद उसे गिरफ्तार करने गया था, लेकिन उसके आवास पर मुझे सिर्फ गालियां ही सुनने को मिली... तब मजबूर होकर मुझे जनता की अदालत में आना पड़ा....
भाईयों मैं अपने मकसद से पीछे नहीं हटूंगा... चाहें इसके लिए मुझे अपनी जान ही क्यूँ ना देनी पड़े... मेरी कुर्बानी व्यर्थ न जाये, इसलिए मैं पूरे रायपुर को पहले ही सूचित कर देना चाहता हूं कि अगर निरंजन चौधरी से लडते हुए मैं मारा जांऊ तो मेरी मौत का जिम्मेदार निरंजन चौधरी को ही माना जाये, ताकि वह ऊपर से दबाब डलवा कर पाक साफ न बना रहे... और अब जो फैसला करना होगा -आपको ही करना होगा
निवेदक-
राजीव सेन
पुलिस अधीक्षक, रायपुर
य.. यह सब क्या है ? क्या हो रहा है यह ?
चौधरी गुस्से में आग उगलते हुए हाथ में पकड़ा पोस्टर राजीव सेन के सामने लहराते हुए दहाडा
सेन बिचारा खुद हैरान परेशान था
म.. मैं खुद हैरान हूं चौधरी साहब, कसम से मैंने ये पोस्टर नहीं लगवाये
पूरे शहर में जगह जगह पोस्टर चिपके हुए हैं... प्रताप सिंह गुर्राया... अब तक तो रायपुर का बच्चा बच्चा इन पोस्टरों को पढ चुका होगा
य..यह पुनीत शर्मा की कोई चाल है... वह हरामखोर हममें फूट डलवाना चाहता है ताकि हम टूटकर बिखर जाये और वह अपना काम कर जाये... तिलमिलाते हुए बोला सेन
तुम गलत सोच रहे हो सेन... प्रताप सिंह बोला
राजीव सेन और चौधरी दोनों उसकी तरफ देखने लगे
कैसे ?सेन के मुंह से स्वतह निकल गया
पाटिल के बाद अब तेरी बारी है ...प्रताप सिंह ने जैसे बम फोड़ा
ना चाहते हुए भी उछल ही पड़ा सेन... यह तुम क्या कह रहे हो ?
पोस्टर पर लिखी इबारत साफ कह रही है कि अब तेरी बारी है... पुनीत शर्मा तुम्हें मारकर तुम्हारी हत्या का इल्ज़ाम चौधरी साहब पर लगायेगा , लगायेगा क्या -लगा चुका है.. पूरा रायपुर जान चुका है कि राजीव सेन की अगर हत्या होगी तो हत्यारा निरंजन सिंह चौधरी ही होगा
सेन की रीड की हड्डी में मौत की सिहरन दोड गई
खुद को बचा सेन... चौधरी व्याकुल स्वर में बोला... अगर तू मारा गया तो रायपुर में मेरी जो इज्जत है उसका जनाजा निकल जायेगा, उसके बाद मैं नंगा होऊं या छिप जाऊं, बस दो ही रास्ते रह जायेंगे मेरे पास
ल.. लेकिन.. इसमें तुम्हारा नाम क्यों नहीं लिखा गया प्रताप ? सेन प्रताप सिंह के चेहरे पर नजरें जमाते हुए बोला... जबकि वह तुम्हें भी उतना ही जानता है जितना कि हमें
कहीं तू मुझ पर तो शक नहीं कर रहा है ? प्रताप सिंह उसे घूरते हुए गुर्राया
हालात तो इसी तरफ इशारा कर रहे है
राजीव ......
गुस्से में दहाड़ उठा प्रताप सिंह
गुर्राने की जरूरत नहीं है प्रताप... पोस्टर में तुम्हारा कहीं भी जिक्र नही है जबकि विशाल को फांसी की सजा तुमने सुनाई थी
तुम यह कहना चाहते हो कि यह पोस्टर मैने छपवाये हैं
मैं एक दलील पेश कर रहा हूँ... गंभीर स्वर में बोला सेन
कैसी दलील ?
यही कि तुम समझ गये हो कि पुनीत शर्मा को काबू में करना नामुमकिन है, सो खुद को उसके कहर से बचाने के लिए तुमने ये पोस्टर छपवाये... इससे आम जनता के सामने सिर्फ हम तीनों के ही चेहरे उभरे... और तुम एक न्याय प्रिय मजिस्ट्रेट बने रहे
से----न
बहुत जोर से दहाड़ उठा प्रताप सिंह
चिल्लाने की जरूरत नहीं प्रताप , मैंने केवल एक संभावना प्रकट की है... तुम 'ना' कहकर खुद को दोष मुक्त कर सकते हो
प्रताप सिंह ने भाले बर्छीयां बरसाती निगाहों से उसे देखा और गुर्राया...
मेरा नाम पोस्टर में न आने का कारण तो मैं बता सकता हूं... लेकिन तुम अपनी सफाई पेश नहीं कर पाओगे बशर्ते कि यही इल्जाम मैं तुम पर लगा दूं
क्या मतलब ? बोखलाया राजीव सेन
मैं एक मजिस्ट्रेट हूं, कानून का रखवाला... अगर वह पोस्टर में मेरे खिलाफ लिखता तो यह कानून की अवमानना होती, जिसके एवज में मुजरिम को सजा भी मिल सकती है
ओह....
पोस्टर में तुम तीनों का जिक्र जरूर हुआ है... प्रताप सिंह खुरदरे लहजे में बोला... लेकिन उसमें जहां चौधरी साहब और पाटिल को अपराधी ठहराया गया है - वही तुम्हें देवता, कानून का रखवाला, हीरो बनाकर पेश किया गया है.... क्या इससे यह साबित नहीं होता कि पोस्टर तुम्ही ने छपवाये है
बुरी तरह बोखला गया सेन
म.. मगर मैं भला ऐसा क्योंकर करूंगा ?
वही दलील जो तुमने पेश की थी... तुम पुनीत शर्मा से डर गये हो, पाटिल की मौत ने तुम्हें और ज्यादा डरा दिया है, सो खुद को बचाने के लिए तुमने यह पोस्टर छपवा दिये... ताकि लोगों में तुम हीरो बन जाओ...
ल.. लेकिन अभी अभी तो तुम मेरी जान को खतरा बता रहे थे ? सेन बोला
जरूर बता रहा था... मगर केवल उस सूरत में जब तुमने पोस्टर नही छपवाये, जबकि हालात तुम्हारी तरफ इशारा कर रहे है
सेन के माथे पर पसीने की बूंदे चमकने लगी
म... मैंने ऐसा कोई काम नहीं किया है... मैं अपनी बेटी की कसम खा कर कहता हूं कि...
मैं जानता हूँ ...तभी चौधरी उसकी बात काटते हुए गंभीरता से बोला... यह पोस्टर तुमने नहीं छपवाये
राजीव सेन ने राहत की लम्बी सांस ली... जैसे कोई गढ जीत लिया हो
मगर तुमने प्रताप पर इल्जाम लगाकर बेवकूफाना हरकत की है
आई एम साॅरी प्रताप... शर्मिंदा स्वर में बोला सेन... मेरा इरादा तुम पर कीचड़ उछालना नहीं था... मैं तो... मैं तो. .
अगर हम आपस में ही लडने लगे तो दुश्मन इसका पूरा फायदा उठा सकता है... चौधरी गुर्राहट भरे स्वर में बोला... इसलिए एक दूसरे पर कीचड़ उछालने की बजाय आपस में सिर जोडकर सोचो कि उसे खत्म कैसे किया जाये
उससे पहले यह सोचो कि सेन को कैसे बचाया जाये... प्रताप सिंह बोला... पुनीत शर्मा को ढूँढ कर खत्म करने में पता नहीं कितना वक्त लगे, इस बीच पता नहीं किधर से आकर वह सेन को खत्म कर दे
यह सुनकर सेन के माथे पर पुनः पसीना चमकने लगा
प्यास बुझाई नौकर से Running....कीमत वसूल Running....3-महाकाली ....1-- जथूराcomplete ....2-पोतेबाबाcomplete
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दिल से दिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
तुफानो में साहिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
यूँ तो मिल जाता है हर कोई!
मगर आप जैसे दोस्त नसीब वालों को मिलते हैं!
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दिल से दिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
तुफानो में साहिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
यूँ तो मिल जाता है हर कोई!
मगर आप जैसे दोस्त नसीब वालों को मिलते हैं!
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Re: ताकत की विजय
घबरा मत सेन... चौधरी उसके चेहरे पर छाये खौफ को देख कर बोला... तुझे कुछ नहीं होने देंगे हम , क्योंकि तुम्हारी जिंदगी में ही हमारी ज़िन्दगी है... अगर तुझे कुछ हो गया तो रायपुर के लोग कूद कर इस नतीजे पर पहुंच जायेंगे कि मैने ही तुम्हें खत्म किया है.... इस तरह तो मेरा राजनैतिक कैरियर ही तबाह हो जायेगा... और ऐसा मैं हरगिज़ नही होने दे सकता
सेन के चेहरे पर राहत आई मगर भीतर धुकधुकी लगी रही
क्यों न सेन कुछ दिनों के लिए बाहर चला जाये... प्रताप सिंह ने सुझाव दिया
बिलकुल नहीं... गुर्राया चौधरी... सेन यही रहेगा रायपुर में... अगर यह बाहर चला गया तो मैं खुद को हारा हुआ महसूस करूंगा... एक तरह से उस शर्मा के बच्चे के सामने घुटने टेकने के बराबर होगा यह काम...
समझने की कोशिश किजिये चौधरी साहब... हालात इस वक्त पुनीत शर्मा के पक्ष में है, ऊपर से वह हमें मिल भी नहीं रहा है... अगर सेन बाहर चला जाता है तो पुनीत शर्मा यहीं समझेगा की हम उससे डर गये हैं... तब वह खुल कर हमारे सामने आयेगा, और उसका खुल कर सामने आना ही उसकी मौत का कारण बनेगा... मजिस्ट्रेट प्रताप सिंह ने समझाने वाले लहजे मे कहा
लेकिन...
दुश्मन को खत्म करने के लिए अगर उसके सामने घुटने भी टेकने पड़े तो देर नही लगानी चाहिए... हम तो सिर्फ खौफजदा होने का नाटक करेंगे
गहरी सांस छोड़ी चौधरी ने और हल्के से सिर हिला दिया
ट्रिन -ट्रिन.... तभी फोन की घंटी बज उठी
रामभरोसे का फोन होगा... रिसीवर उठाते हुए बोला चौधरी... विशाल की मौत की खबर देने के लिए फोन किया होगा
दोनों कुछ नहीं बोले, बस रिसीवर को देखने लगे जो कि चौधरी के कान से लग चुका था
हेलो... जनसेवक निरंजन चौधरी आपकी क्या सेवा कर सकता है... अपनी आवाज में जमाने भर की मिठास घोलकर बोला चौधरी
कैसा है रे चौधरी ? दूसरी तरफ से व्यंग भरी आवाज आई
चौंक उठा चौधरी.... क.. कौन हो तुम ?
मौजूदा वक्त में तुम तीनों पार्टनरों के दिलों में एक ही आदमी का खौफ बैठा हुआ है... खुशक़िस्मती से वह शख्स मैं ही हूं
प.. पु.. पुनीत शर्मा ?
आवाज क्यों कांप रही है तेरी चौधरी... कही धोती तो गीली नहीं हो गई मेरा नाम सुन कर ? हंसी के साथ आवाज आई और चौधरी के कान में पिछले हुए शीशे की तरह उतरती चली गई
क्रोध से चेहरा तमतमा उठा ,आंखों में दरींदगी नजर आने लगी
अगर खुद को इतना ही तीसमारखां समझता है तो सामने क्यों नहीं आता हरामजादे... छुप कर क्यों बैठा है ?
पुनीत शर्मा कभी छुप कर नहीं बैठता चौधरी, पुनीत शर्मा तो शेर है जो जब तक गुफा के अंदर है तो तेरे जैसे सियार जंगल में अपनी हेकड़ी दिखाते रहते है... लेकिन जब शेर बाहर निकलता है तो जंगल के तमाम जानवर पनाह मांगते नजर आते है
सिर्फ बातें बना लेने से कोई शेर नहीं बन जाता हरामखोर ,तू सामने तो आ , फिर पता चल जायेगा तुझे कि शेर कौन है और सियार कौन है
घबरा मत चौधरी , बहुत जल्द तेरी मनोकामना पूरी होगी... फिलहाल तो पहले अपने पार्टनर सुरेश पाटिल की मौत की मुबारकबाद कबूल कर... कैसी लगी मेरी स्कीम
हरामजादे... जलभुन कर चीखा निरंजन चौधरी
मतलब स्कीम पंसद आई तुझे... अब जरा पोस्टरों के बारे में भी बता दे... यह तो हो नहीं सकता कि तुझे पोस्टरों के बारे में पता ना लगा हो
तू क्या समझता है... तू इस तरह सेन को खत्म कर सकेगा ?
क्यों नहीं , मुझे पूरा विश्वास है कि सेन को खत्म कर दूंगा... वैसे दाद देनी पडेगी तेरी अक्ल की , पोस्टर देख कर ही समझ गया कि अब तेरा साथी राजीव सेन तुझसे बिछुडने वाला है
गुस्से में दांत किटकिटाये चौधरी ने
हरामजादे.... तू सेन का कुछ भी नहीं बिगाड़ पायेगा
उसका तो समझ ले बिगाड़ दिया... मैंने उसकी कोठी तथा ऑफिस के चारों ओर ऐसा जाल बिछा दिया है कि उसकी मौत महज़ वक्त की बात है
तेरा हर जाल तार तार कर डालूंगा मैं , निरंजन सिंह चौधरी है मेरा नाम... तू मुझे नहीं जानता हरामजादे कि मेरी कितनी ताकत है
एक और खुशख़बरी सुन, तभी दूसरी तरफ से पुनीत की आवाज़ आई... जेल में कार्यरत तेरा कुत्ता रामभरोसे पकड़ा जा चुका है
क्या मतलब ? चौंका निरंजन चौधरी... साथ ही उसका कलेजा धडक उठा
अब अगर तू चाहे भी तो विशाल का बाल भी बांका नहीं कर सकेगा
साले कमीने.... दहाड़ा चौधरी
धन्यवाद चौधरी... जो तूने फोन उठाया... तेरी आवाज सुनने को तरस रहा था... अब विदा लेता हूँ... और कल शाम तक राजीव सेन को ऊपर पहुंचाने का वादा भी करता हूं... उसे बचाने के लिए तेरे से जो बन पड़ता है ,कर ले
इसी के साथ दूसरी तरफ से फोन कट गया
चौधरी ने गुस्से से रिसीवर फोन पर पटक दिया और बडबडाने लगा
हरामजादा... समझता क्या है खुद को... मेरे ही शहर में मुझे चैलेंज कर रहा है... नहीं छोडूंगा... नहीं छोडूंगा हरामजादे को.... वो हाल करके रख दूंगा कि उसके पूर्वजों की आत्मायें भी न पहचान पाये
पुनीत का फोन था ? तभी प्रताप सिंह ने बेतुका सवाल किया
चौधरी ने सुर्ख आंखों से घूरकर उसे देखा
मुझे धमकी दे रहा था, कह रहा था कि कल शाम तक राजीव सेन को खत्म कर देगा
उसकी बात सुनकर सेन का कलेजा फिर हलक में आ अटका... आंखों में बदहवासी उभर आई
गुस्से में अपने होश मत खोइये चौधरी साहब, गुस्से में उठाया गया कदम हमेशा नुकसान से भरा होता है... और यही चाहता है पुनीत शर्मा कि आप कोई उल्टी सीधी हरकत करें और वो आप पर हाथ डाले... ठंडे दिमाग से काम लिजिये , सोच समझ कर किया गया काम हमेशा सिरे चढता है...
चौधरी गहरी गहरी सांसे लेते हुए खुद को नॉर्मल करने की कोशिश करने लगा
अब हमारे सामने सबसे बड़ा और अहम काम सेन को बचाना है... चौधरी के चेहरे पर आये तनाव को कम होते देख बोला प्रताप सिंह... पुनीत शर्मा ने जो चैलेंज दिया है, अगर वह पूरा नहीं होगा तो वह बौखला जायेगा.... बस एक बार उसके कोई उल्टी के हरकत करने की देर है कि हमें उसका पता चल जायेगा और तब हम आसानी से उसे मौत के घाट उतार देंगे
निरंजन चौधरी कुछ नहीं बोला बस गहरी सांस छोडते हुए मौन स्वीकृति जता दी
इसी के साथ यह मीटिंग यही समाप्त हो गई....
आपकी तबीयत तो ठीक है ना ? कोठी में प्रवेश करते ही राजीव सेन की पत्नी सुनीता उसके चेहरे को देखकर हल्का चौंकते हुए बोली
जैसे चोरी पकड़ी गई हो, हडबडाया सेन
हं.... हां..... मैं ठीक हूं
नहीं.... सुनीता के साथ खडी जवान और खूबसूरत नयना दायें बांये सिर हिलाती हुई बोली... पापा अपसेट हैं
नही बेटे.... सेन अपनी इकलौती लड़की को देखते हुए बोला.... ऐसी कोई बात नहीं
एस पी की लड़की हूं पापा, आदमी का चेहरा देखते ही पहचानने की क्षमता रखती हूं , आप जरूर अपसेट हैं.... बताइये क्या बात है ?
मैंने कहा ना कोई बात नहीं.... इस बार कुछ झुंझलाहट भरा स्वर था सेन का
नयना ने राजीव सेन का हाथ पकड़ कर अपने सिर पर रखा और सख्त स्वर में बोली.... अब कहीये , कोई बात नहीं
सेन का पूरा वजूद कांप उठा... आंखों में बेचैनी भर आई
झटके से उसने अपना हाथ उसके सिर से हटाया और माँ बेटी की तरफ पीठ करके खडा हो गया
रायपुर की दीवारों पर चिपके पोस्टर मैंने भी पढ लिये हैं पापा.... नयना उसकी पीठ को घूरती हुई बोली... और आपको यह जानकर हैरानी होगी कि आपकी असलियत से मैं नावाकिफ नहीं हूं
तेजी मुडा और उसे बाहों से पकड कर गुस्से में आगे पीछे करते हुए गुर्राया...
क्या जानती हो ? क्या जानती हो मेरे बारे में ?
लेकिन नयना के चेहरे पर जरा भी खौफ नहीं उभरा और न ही वह घबराई , बल्कि उसका चेहरा पहले से भी ज्यादा कठोर हो गया
सच्चाई बहुत कडवी होती है पापा.... शायद आप सुन ना सके
नयना..... सुनीता गुस्से में चीखी.... शर्म नहीं आती अपने पापा से इस तरह बात करते हुए
प्यास बुझाई नौकर से Running....कीमत वसूल Running....3-महाकाली ....1-- जथूराcomplete ....2-पोतेबाबाcomplete
बन्धन
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दिल से दिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
तुफानो में साहिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
यूँ तो मिल जाता है हर कोई!
मगर आप जैसे दोस्त नसीब वालों को मिलते हैं!
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Re: ताकत की विजय
शर्म तो मुझे आ रही है मम्मी...नयना भर्राये लहजे में बोली.... कि मैं एक एस पी की नहीं एक खूनी - स्मगलर - कानून के दुश्मन की बेटी हूं
तडाक......
सुनीता का भरपूर थप्पड़ नयना के गाल पर पड़ा
आंखों में आंसू उमड़ आये... नयना का गाल झनझना गया
खबरदार जो अपने पापा के बारे में ऐसी उल्टी सीधी बात की तो, तेरे पापा को मैं तेरे पैदा होने से पहले से जानती हूं , समझी, उन पर झूठा इल्जाम लगा कर तुने अपने पापा का अपमान तो किया ही है साथ में मेरा दिल भी दुखाया है
दिल तो एक दिन दुखना ही था मम्मी... नयना अपना गाल सहलाती हुई बोली... आज नहीं तो कल दुखता
बकवास बंद कर अपनी... दहाडी सुनीता
आप पापा की पत्नी है मम्मी, इनकी तरफदारी करना, इन पर आंख बंद करके विश्वास करना, जो यह कहे उसे बिना सोचे समझे सच मान लेना आपका धर्म भी है और फर्ज भी.. इसीलिए आप पापा की सुने बिना मुझे झूठा कह रही है
नयना.......
चीखने की जरूरत नहीं है मम्मी , आप तो सारा दिन घर पर रहती है, बाहर क्या हो रहा है इसका कुछ पता है आपको ? मैं कॉलेज स्टूडेंट हूं और एक जागरूक महिला भी , रायपुर क्या पूरे हिन्दुस्तान में कहा क्या हो रहा है इसका पूरा ख्याल रखती हूं मैं... अगर आपको मेरी बात पर विश्वास नहीं तो पापा से कहीये कि वो मेरी कसम उठा कर कहे कि मैं झूठ बोल रही हूं....
सुनीता फटी फटी आँखों से नयना को देखने लगी... मगर जब उसने नयना के चेहरे पर द्रढता देखी तो वह झटके से राजीव सेन की तरफ पलटी
य.. यह क्या कह रही है जी... आपकी ही बेटी आपको खूनी हत्यारा स्मगलर कह रही है और आप चुपचाप इसकी बातें सुन रहे हैं.... कह दीजिये इससे कि आप वो नहीं जो यह समझ रही है
सेन के मुंह से बोल न फूटा , होंठ थरथरा कर रह गये
यह क्या बतायेंगे आपको , मैं आपको पापा की असलियत बताती हूँ.... नयना दांत भिंचे हुए बोली... निरंजन चौधरी, प्रताप सिंह, सुरेश पाटील और पापा ... यह चारों काले धंधे में पार्टनर भी है.... कुछ वक्त पहले इन चारों ने मिलकर मेरी ही उम्र की एक लड़की के साथ बलात्कार किया और...
त..डा..क..
राजीव सेन का जोरदार तमाचा नयना के चेहरे पर पड़ा
नयना चीखती हुई पीछे जा गिरी
मुझे मारकर आप सच्चाई को नही झुठला सकते पापा... आंसू बहाती हुई नयना नीचे गिरी और गिरते ही चीखते हुए बोली... आप लोगों ने रानी के साथ बलात्कार किया और उसे आत्महत्या के लिए मजबूर कर दिया.... इतना ही नहीं, जब उसके भाई ने आप लोगों के खिलाफ आवाज उठाई तो उस पर झूठा मुकदमा चलवाकर उसे फांसी की सजा सुना दी गई
सेन ने आगे बढ़कर उसकी बांह पकडी और खडा करते हुए गुर्राया... किसने कहा यह सब तुझसे ?
नयना की आंखों में आंसू भर आये... चेहरा बिगड़ने लगा....
इस बात का पता मुझे तभी से है जब विशाल को गिरफ्तार किया गया
त.. तू विशाल को जानती है ? हैरत से बोला सेन...
हाँ... और आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि मैं विशाल को प्यार करती हूं
राजीव सेन के पैरों तले जमीन खिसक गई , आंखों में जलजला उफनने लगा
बेहया... बेगैरत... अपने बाप के सामने ऐसी बात कहते शर्म नहीं आती तुझे
यह बात मै पापा से कभी न कहती मम्मी , विशाल को सजा मिलने के बाद मैंने उसकी तरफ़ से मुंह मोड़ लिया... किस लिये ? सिर्फ इसलिए कि पापा खुद को मेरी निगाह में गिरा हुआ महसूस ना करे... बेचारा विशाल , जो यह तक नहीं जानता कि मैं उस शख्स की बेटी हूं जिसने उसकी बहन के साथ बलात्कार किया था... वह मुझे अपनी तरह मध्यम परिवार की लड़की मानता है.... मगर अब तो उसने भी मेरी तरफ से सोचना छोड दिया होगा... मुझे मतलबी स्वार्थी समझ कर अपने दिल से निकाल दिया होगा उसने... एक बार भी नहीं मिली ना मैं उससे...
राजीव सेन को काटो तो खून नहीं... फटी हुई आंखों से वह नयना को देख रहा था जो उस पर तमाचे पर तमाचे बरसाती जा रही थी
सुनीता भी स्टैच्यू बन कर रह गई थी....
विशाल को मैं पिछले एक साल से जानती हूं पापा , उसका स्वभाव, उसका ढंग, सब मालूम है मुझे... और मैं यह बात दावे से कह सकती हूं कि उसने अदालत में जो भी कहा, सच कहा.... मगर जब केस लडने वाला वकील गुनहगार हो, जज की कुर्सी पर बैठा शख्स अपराधी हो तो फिर इंसाफ मिलना नामुमकिन हो जाता है...
विशाल के साथ भी ऐसा ही हुआ... अदालत में उसे अपनी बहन का दलाल तक साबित किया गया और रवी की हत्या का आरोप लगा कर उसे फांसी की सजा सुना दी गई
फिर भी मैंने उफ तक नहीं की... पापा से वैसे ही मिलती रही जैसे पहले मिलती थी... क्या इससे यह साबित नही होता कि मैं पापा से प्यार करती हूं , पापा के लिए मैंने अपने प्यार की तरफ से मुंह मोड़ लिया.... दुनिया में शायद ही कोई बेटी अपने बाप का प्यार पाने के लिए कुर्बानी दे सके मगर मैंने वो कुर्बानी दी
लेकिन आज... आज मुझे यह सब करना पड़ा.... जानते हो क्यों पापा ? जानते हो क्यों आज मुझे आपको जलील करना पड रहा है ?
क्यों ?
अपने आप ही मशीनी अंदाज में राजीव सेन के मुंह से निकल गया
क्योंकि आज आपकी बेटी के साथ भी वही सब होने वाला था जो आप लोगों ने रानी के साथ किया था
न-य-ना.......
चीख उठा राजीव सेन... उसे लगा जैसे किसी ने उसका कलेजा मुट्ठी में दबा कर भींच डाला हो
य... यह तू क्या कह रही है बेटी... सुनीता कांपती आवाज में बोली
त.. तू ठीक तो है ना बेटी ... दर्द भरे स्वर में बोला सेन
अगर वह देवता आकर मुझे बचा ना लेता तो मैं भी अब तक रानी के पास पहुंच चुकी होती
किसकी बात कर रही हो तुम ? राजीव सेन ने पूछा
उसी की , जो दिल्ली से तुम लोगों को बेनकाब करने और विशाल को इंसाफ दिलाने के इरादे से आया है
प.. पु. पुनीत शर्मा ... हकलाहट और आश्चर्य भरा स्वर निकला राजीव सेन का
हां... पुनीत भैया ने ही मुझे बचाया उन कुत्तों से जो मेरी इज्जत को लूटने के लिए एक दूसरे से होड लगा रहे थे... ऐन वक्त पर आकर पुनीत भैया ने मेरी इज्जत को बचा लिया ... और जब उन्हें पता चला कि मैं उनके दुश्मन की बेटी हूं तो उन्होंने प्यार से मेरे सिर पर हाथ फेरते हुए कहा... मेरी दुश्मनी ना तो तुम्हारे बाप से है और ना ही चौधरी वगैरह से , मेरी दुश्मनी तो कानून के दुश्मनों से है और उन्हें खत्म करने के लिए मैंने कमर कसी है.....
मेरे प्रति तब भी उनके दिल में जरा भी मैल नहीं आया , जबकि वे चाहते तो मुझे नुकसान पहुंचा सकते थे या मुझे कैद करके आपको मजबूर कर सकते थे.... लेकिन वे ऐसी लडाई को कायरता मानते हैं , तभी तो उन्होंने मुझे पूरी इज्जत के साथ भेजा....
राजीव सेन के चेहरे पर भूकंप सा आ गया , उसका पूरा वजूद हिल गया.... आंखों में बेचैनी, विवशता, पश्चाताप के भाव उत्पन्न होने लगे
कब की बात है यह ? पूछा सेन ने
आज सुबह की.... बोली नयना... आज सुबह जब मुझसे रहा नहीं गया तो मैं अपने प्यार को सिर्फ एक नजर देखने के लिए घर से निकली थी , लेकिन रास्ते में ही गुंडो ने मुझे घेर लिया और.... कहते कहते आंसू लुढक पडे नयना की आंखों से
किस जगह हुई थी यह वारदात ? दांतो से होंठों को काटते हुए बोला सेन
क्यों ? पुनीत भैया को पकड़ने का इरादा है या उन गुंडों को ?
मैं उन गुंडों को जान से मरवा दूंगा... गुस्से में गुर्राया सेन
क्यों नहीं ... एस पी जो ठहरे आप, अदालत भी आपकी है फिर उन्हें गिरफ्तार करने की क्या जरूरत है... सीधे गोली से उडा दीजियेगा
नयना....
आप यह भूल रहे हैं कि अगर रायपुर में यह बात फैल गई कि एस पी की बेटी की इज्जत चन्द गुंडों ने लूटने की कोशिश की.. तो यह अफवाह फैलते भी देर नहीं लगेगी कि गुंडो ने सच में मेरी इज्जत लूट ली थी और उस सूरत में मेरे सामने सिवाय आत्महत्या के और कोई रास्ता नहीं रह जायेगा
न.... ही
दहल गया राजीव सेन
सुनीता का कलेजा धाड धाड बजने लगा
फिर भी आप जानना चाहते हैं तो सुनिये , उन गुंडो ने...
नही.... मत बताना मुझे बेटी... मत बताना , वर्ना मैं अपने आप पर काबू नहीं रख पाऊंगा.... सेन का गला भर्रा गया.. और मैं नहीं चाहता मेरी नयना को कुछ भी हो
पापा... नयना बेतहाशा सेन से लिपट गई
अगर बता ही सकती हो तो मुझे पुनीत शर्मा का पता बता दो
एक झटके से अलग हो गई नयना
ताकि आप उस देवता को मार सके... सेन के चेहरे पर नजरें गडाये बोली नयना
नहीं बेटी... सेन की आंखें भर आईं... तुम्हारी बातों ने उस राजीव सेन को मार डाला है जो अब तक दूसरों की बहू बेटियों से रेप करता था , हत्यायें करता था , काले धंधे करता था... काले धंधों से कमाई मेरी दौलत उस वक्त किस काम आती जब तुम्हें कुछ हो जाता ... आज मेरी आंखें खुल गईं हैं... मैं तो उस देवता से मिल कर कोई ऐसा रास्ता पूछना चाहता हूं जिस पर चल कर मैं अपने गुनाहों का प्रायश्चित कर सकूं , एक बेटी के दिल में वो जगह बना सकूं जो मैं खो चुका हूँ
नयना ने एक गहरी सांस छोडी और कहा
मैं नहीं जानती पापा कि आपके दिल में क्या है... आप सचमुच पश्चाताप की आग में जल रहे हैं या उन्हें खत्म करने के लिए मुझे बहला रहे हैं.... अगर आपके दिल में अभी भी खोट है तो भी मैं आपको उनका पता बताऊंगी , क्योंकि मैं जानती हूँ कि आप कुछ लोग तो क्या, पूरी बटालियन मिलकर भी उसे खत्म नहीं कर सकती
नही बेटी , मैं सच में पछता रहा हूँ
पुनीत भैया विशाल के घर में हैं... नयना ने बताया
बिच्छू ने डंक मार दिया हो, इस तरह चौंक के उछल पडा सेन
सचमुच उस तरफ तो कोई सोच भी नहीं सकता था कि पुनीत वहा हो सकता है
आप शाम तक उससे मिल सकते हैं पापा , उसके बाद वह खुलकर सामने आ जायेगा और जंग का बिगुल बजा देगा... गंभीर स्वर में कहा नयना ने
सेन कुछ नहीं बोला बस सुनीता के सामने सिर झुका कर खडा हो गया
सुनीता ने मुंह परे फेर लिया
तुम्हारी नाराजगी वाजिब है सुनीता... राजीव सेन रुंधे गले से बोला... मैंने तुम्हें कदम कदम पर धोखा दिया, एक पति की मर्यादाओं का उल्लंघन किया.. म..मैं तुम्हारा गुनहगार हूं... हो सके तो मुझे माफ कर देना
कहते हुए उसने सुनीता के सामने हाथ जोड़ दिये
तडप गई सुनीता और उसके दोनों हाथों को अपने हाथों में ले लिया
यह आप क्या कर रहे हो जी, पत्नी के आगे हाथ जोड़कर क्यों पाप चढा रहे हो मुझ पर
सुनीता की आंखों से गंगा जमुना बहने लगी
मै तो ऐसा पापी हूं सुनीता कि तुम्हारे पैरों में गिर कर माफी मांगने के योग्य भी नहीं हूं , कानून की वर्दी पहन कर मैंने इतने पाप किये हैं कि उसकी सजा अगर मौत भी मिले तो कम होगी
पश्चाताप का केवल एक आंसू हजारों गुनाहों को धो डालता है, वो एक आंसू गंगा से भी बड़ा होता है जो इंसान को पवित्र कर जाता है....भावुक स्वर में कहा सुनीता ने
आपने जितने भी गुनाह किये हैं उन्हें पुनीत के सामने कबूल कर लीजिये और फिर उसके कहने पर चल कर कानून की रक्षा कीजिए.... मुझे पूरा विश्वास है कि कानून आपको माफ बेशक न करे मगर रहम जरूर करेगा
सेन ने नयना की तरफ गरदन घुमाई और बोला... हो सके तो तुम भी मुझे माफ कर देना बेटी
नयना बोली कुछ नहीं बस भाव विभोर होकर अपने पापा के सीने से जा लगी
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Re: ताकत की विजय
सेन ने प्यार से उसके सिर पर हाथ फेरा और उसे स्वयं से अलग करते हुए बोला... अब तुम दोनों ऐसे तैयारियां शुरू कर दो जैसे शहर से बाहर जा रहे हैं
क्या मतलब ?
दोनों मां बेटी चौंकी
मैं नहीं चाहता कि चौधरी या प्रताप सिंह को मुझ पर जरा भी संदेह हो.... सेन ने बताया
लेकिन इसमें बाहर निकलने की तैयारी करने की क्या जरूरत है ?
वो मैं बाद में बताऊंगा , फिलहाल तुम वही करो जो मैं कह रहा हूं
इतना कहकर सेन पलटा और दरवाजे की तरफ बढ़ गया
इधर वह दरवाजे से बाहर निकला.. उधर नयना के होंठों पर रहस्यमयी मुस्कान थिरकने लगी, आंखों में एक विशेष प्रकार की चमक नाचने लगी....
विशाल के घर के सामने राजीव सेन ठिठका...
इस वक्त वह सिविल ड्रेस में था और उसने सिर पर कैप तथा आंखों पर चश्मा लगा रखा था ताकि कोई उसे पहचान न सके
फिर उसने सावधानी वश चारों तरफ देखा, पूरी तरह संतुष्ट हो जाने के बाद उसने दरवाजे पर दस्तक दी
यह क्या ? दरवाजा तो पहले से ही खुला हुआ था
दस्तक होते ही दरवाजा भीतर की ओर खिसक गया
राजीव सेन ने हाथ से दरवाजे को धकेला और धडकते दिल से भीतर दाखिल हो गया
आंगन पार करते हुए जैसे ही वह भीतरी दरवाजे के करीब पहुंचा... उसे पिछे से दरवाजा बंद होने और सिटकनी चढाये जाने की आवाज सुनाई दी
चिहुंक कर पलटा सेन तो दरवाजे के पास पुनीत शर्मा को खडा पाया
हाथ में रिवॉल्वर, होंठों पर अर्थभरी मुस्कान, आंखों में क्रूरता लिये वह उसी को घूर रहा था
तो एक बेटी ने अपने खून का रंग दिखा ही दिया.... रिवॉल्वर उसकी तरफ ताने पुनीत सेन की तरफ बढते हुए गुर्राया... मैंने उसे मना भी किया था कि इस जगह का पता किसी को भी ना बताये, लेकिन उसे अपनी इज्जत बचाने वाले से ज्यादा बाप अजीज लगा... उसका धंधा, उसके काले कारनामें अच्छे लगे... तभी तो उसने तुम्हें इस जगह का पता बता दिया ताकि यहां आकर तुम मुझे आसानी से मौत के घाट उतार सको.... लेकिन यह तेरी भूल है राजीव सेन - पुनीत शर्मा को खत्म करना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है... हां, तेरी लाश अवश्य इस घर से निकलेगी... कहते कहते पुनीत का स्वर पथरीला होता चला गया
मैं हूं ही इसी काबिल पुनीत जी... भर्राये स्वर में बोला सेन... बल्कि मेरी लाश को तो कुत्तों के सामने डाल देना चाहिए जिसने पुलिस की पवित्र वर्दी का अपमान किया है.....
वाह , मौत सामने देखी तो झट से पैंतरा बदल लिया... व्यंग भरे स्वर में बोला पुनीत
मैं पैंतरा नहीं बदल रहा पुनीत जी, बल्कि मेरी सोई हुई आत्मा जाग गई है... नयना के शब्दों ने मेरे दिलो दिमाग को झकझोर कर रख दिया है.. मैं पश्चाताप की आग में झुलस रहा हूँ
हंसा पुनीत .... वाकई शानदार एक्टिंग कर रहे हो
यह एक्टिंग नहीं हकीकत है, आप बेशक मुझे गोली से उडा दीजियेगा, लेकिन मरने से पहले मैं बस थोड़ी सी जिंदगी आपसे भीख के रूप में मांग रहा हूं ताकि मैं अपने गुनाहों का प्रायश्चित कर सकूं
कहते हुए सेन की आंखों में आंसू भर आये
पुनीत के चेहरे पर गंभीरता छा गई, आंखों में सोच के भाव उभरे
ठीक है.... आखिर सिर को हल्का सा झटका देकर कहा... आओ अंदर चलकर बात करते हैं.. मगर एक बात का ध्यान रखना, अगर तुमने जरा सी भी चालाकी दिखाई तो मैं गोली चलाने में एक पल भी नहीं लगाऊंगा
यहा मैं अकेला आया हूं... वर्दी भी नहीं पहनी - चश्मा और कैप भी इसीलिए लगा रखे हैं कि कोई मुझे पहचान ना ले - हथियार के नाम पर भी मेरे पास सूई तक नहीं... आप खुद सोचिये मैं ऐसे में कोई चालाकी दिखाने नहीं आया
भीतर चलो.. थोडा नरम लहजे में कहा पुनीत ने
सेन भीतर प्रवेश कर गया
कुछ ही देर में दोनों सोफे पर आमने सामने बैठे थे.... रिवॉल्वर पुनीत की गोद में पडा था और वह जेब से सिगरेट का पैकेट निकाल रहा था
उसने एक सिगरेट सुलगाई और लम्बा सुट्टा मारा फिर नाक से धुआं छोडते हुए कहा... अब बोलो, क्या पश्चाताप करना चाहते हो तुम ?
असली मुजरिमों को नंगा करना चाहता हूं... सेन बोला
असली मुजरिम तो तुम भी हो
सेन के गले की घंटी उछली
उन्हें नंगा करके मैं खुद भी जनता को अपनी सच्चाई बताऊंगा, फिर कानून मुझे जो भी सजा देगा मैं उसे खुशी खुशी स्वीकार कर लूंगा...
निरंजन चौधरी और प्रताप सिंह को नंगा कैसे करोगे ? गंभीर स्वर में पूछा पुनीत ने
उन कुत्तों को बालों से पकड कर घसीटते हुए बीच चौराहे पर खडा कर दूंगा और लोगों को उनकी हकीक़त बताऊंगा
तुम क्या समझते हो, जनता तुम्हारी बातों पर विश्वास कर लेगी ?
हडबडाया राजीव सेन... क्.. क्यों नहीं करेगी ?
तुम भूल रहे हो सेन , चौधरी एक नेता है और जिस तेजी से नेता रंग बदलता है उसके सामने तो गिरगिट भी पानी भरते नजर आते हैं.... पब्लिक उलटा तुम्हें ही दोषी मानेगी जबकि चौधरी कोई न कोई पैंतरा चल कर जनता की नजरों में सच्चा बन जायेगा...
आपने जो पोस्टर छपवाये है , उनके जरिये चौधरी का नाम तो बदनाम हो गया होगा और....
नही, इसे वह विपक्ष की घिनौनी चाल बताकर जनता की नजरों में पाक साफ हो जायेगा .... सेन की बात को बीच में काटकर समझाया पुनीत ने
ओह.... इतना ही बोल पाया सेन
रही बात प्रताप सिंह की, तो उसे तुम हाथ भी नहीं लगा सकते... वह मजिस्ट्रेट है कोई घसीयारा नहीं.... उसको गिरफ्तार करने से पहले तुम्हें उसी की परमिशन लेनी होगी और उसे जरा भी संदेह हो गया कि तुम्हारे ख़यालात बदल चुके हैं तो तुम सोच सकते हो वह क्या करेगा तुम्हारे साथ
ओह... एक बार फिर सेन इतना ही कह पाया...
अगर चौधरी को खत्म ही करना होता तो मैं ऐसा कब का कर चुका होता .. लेकिन जानते हो मैंने ऐसा क्यों नहीं किया ?
क्यों... बरबस ही निकल गया सेन के मुंह से
क्योंकि उसके मर जाने से वह अमर हो जाता... लोग यही समझते कि एक शैतान ने एक देवता को मार डाला है, इसलिए मैंने उसे खत्म नहीं किया...
इंसान को खत्म करना है तो उसकी इमेज की धज्जियां उड़ा दो, वह अपने आप खत्म हो जायेगा.... इसलिए मैं चाहता हूं कि पहले उसकी असलियत जनता के सामने आये... लोग उससे इतनी घ्रणा करने लगे कि वो खुद मौत की दुआ करने लगे.. और लोग उसकी लाश पर फूल चढ़ाने के बजाय थूके
राजीव सेन आंखें फाडे उसे देखने लगा... उसे आज महसूस हुआ कि जो शख्स सामने बैठा है वो वाकई एक खतरनाक शख्सियत हैं गुनहगारों के लिए
रही बात प्रताप सिंह की, तो न्याय की जिस कुर्सी को उसने अपवित्र किया है , उस कुर्सी की पवित्रता को कायम रखते हुए वह खुद को सजा सुनायेगा.... लोगों के सामने अपनी सच्चाई बयान करेगा, फिर जनता जो फैसला करना चाहेगी खुद ही कर लेगी
राजीव सेन को अपने दिल की धडकनें रूकती हुई महसूस होने लगी
जिस शख्स को वह मामूली वकील समझ रहा था वह तो बहुत बडा खिलाड़ी निकला
और तुम तो अपने गुनाह कबूल कर ही लोगे... उसे सोचते देख बोला पुनीत
अं... हा.. जी हां ... बोला सेन... मैं अपने गुनाह कबूल कर लूंगा, लेकिन आप चौधरी को पब्लिक के सामने कैसे नंगा करेंगे ? प्रताप सिंह स्वयं को सजा कैसे दे सकता है... मैं खूब जानता हूँ उसे... बहुत कुत्ती चीज है ... सेन ने परेशान स्वर में कहा
उसकी चिंता मत करो तुम और मेरा कमाल देखो... मुस्कुराया पुनीत फिर सिगरेट का कश लेने लगा
प्रताप सिंह स्वयं को सजा कैसे दे सकता है... मैं खूब जानता हूँ उसे... बहुत कुत्ती चीज है ... सेन ने परेशान स्वर में कहा
उसकी चिंता मत करो तुम और मेरा कमाल देखो... मुस्कुराया पुनीत फिर सिगरेट का कश लेने लगा
प्यास बुझाई नौकर से Running....कीमत वसूल Running....3-महाकाली ....1-- जथूराcomplete ....2-पोतेबाबाcomplete
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यूँ तो मिल जाता है हर कोई!
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