ताकत की विजय

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Jemsbond
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ताकत की विजय

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ताकत की विजय


लेखक- अजय जैन
अच्छा दोस्त... अपून की तो छुट्टी हो गई ... आज दोपहर में जेल से रिहा हो जाऊंगा ...

उस भारी मूंछों वाले ने सलाखों के पीछे गुमसुम बैठे उस नौजवान की ओर देखा ..

नौजवान ने गर्दन उठा कर उसकी तरफ देखा फिर पुन: घुटनों पर सिर रख दिया ..

बात सून .... भारी मूंछों वाला बोला, ध्यान पूर्वक उसे देखते हुए बोला ...

नौजवान ने पून: गर्दन उठाइ... उसकी तरफ देखा... दर्द भरी मुस्कान मुस्कुराया ...

तुम रो रहे हो दोस्त ... अब जाकर अपने बीवी बच्चों, माँ बाप, भाई बहन से गले मिलोगे ... एक फांसी की सजा पाए मुजरिम से मिलकर अपशगुनी मत करो ... जाओ भगवान तुम्हारी जिंदगी खुशियों से भर दे .. बस यही दुआ कर सकता हूं मैं तुम्हारे लिए ..

मैरी बात नहीं सुनोगे ? भारी मूंछों वाला गंभीरता से बोला

नौजवान ने गहरी सांस छोडी और खडा हो कर बीमारों की तरह चलता हुआ भारी मूछों वाले के करीब आ गया

अब उनके बीच सिर्फ सीखचों की दीवार थी..

जानते हो... पूरे दस साल की सजा काट कर रिहा हो रहा हूं मैं... भारी मूंछौ वाला बोला... अरे जानते हो मैंने क्या अपराध किया था, अपनी बीवी का खून किया था मैंने ... उस हरामजादी पिशाचनी को मारा था मैंने ... जो हर साल करवा चौथ का व्रत रखती थी... मैरी पूजा किये बगैर रात का भोजन नहीं करती थी... जब भी मैं काम से लौटता तो उसे दरवाजे पर अपने इंतजार में खड़े देखता

मैं तो ऐसी पत्नी पाकर खुद को धन्य महसूस करता था, लेकिन. मुझे नहीं मालूम था कि वो कितनी चालाकी से दूसरे मर्दों का बिस्तर गरम करती थी...

मैरे काम पर जाते ही वह अपने यारौ को घर में बुला लेती और खूब ऐश लूटती ...
घर को उसने चकला बनाकर रख दिया था रंडी ने...

ऐसी बातें आखिर कब तक छुपती है और एक दिन मैंने रंगे हाथों पकड़ लिया और गुस्से में आकर उसका तथा उसके यार का खून कर डाला

अदालत में भी मैंने सीना ठोक कर कहा कि मैंने वै हत्याये की है और मुझे दस साल की सजा हो गई... आज भी मुझे अपने किये पर जरा भी अफसोस नहीं हो रहा ... आज भी यहीं सोचता हूँ कि मैंने जो भी किया, अच्छा ही किया

नौजवान ने ना उसकी तारीफ में कुछ कहा और ना उसकी पत्नी की चरित्रहीनता के बारें में .. बस खामोशी से एकटक उसे देखता रहा ...

भारी मूंछौ वाले ने ध्यानपूर्वक उसके चेहरे को देखा और बोला ... दस साल जेल में गुजारने के बाद अपराधियों को पहचानने का अच्छा खासा तजुर्बा हो गया है मुझे ...

जेल में आने वाले कैदियों को देखते ही पहचान लेता हूं कि वे कितनी पहुंची हूई चीज है ...

मैंने जब तुम्हें देखा तो मैं समझ गया कि तुम बेगुनाह हो और किसी और के किये कि सजा तुम काट रहे हो...

नौजवान की आँखें भरने लगी
त. तुम ठीक कह रहे हो दोस्त... मैं... मैं सचमुच बेगुनाह हूँ ... मैंने कोई अपराध नहीं किया है ...

फिर फांसी की सजा क्यों हूई तुम्हें ... कानून....

किस कानून की बात कर रहे हो दोस्त.... वह जो रंडी की तरह अमीरों के पहलु में पडा रहता है .. पैसे वालो की ऊंगलियों पर नाचता है ... उस कानून की बात कर रहे हो तुम... कहते हुए नौजवान का चेहरा धधक उठा ... अरे मैं लानत भेजता हूँ ऐसे कानून पर... अगर भगवान मुझे सिर्फ दो दिन के लिए आजाद कर दे तो मैं अपने दुश्मनों के बजाय पहले इस चूतीये कानून से टकराऊंगा ... क्योंकि सारे फसाद की जड़ यही कानून है

इसी कानून और कानून के ठेकेदारों ने मैरे बेगुनाह साबित होने के बाद भी मुझे फांसी की सजा दे दी ...

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Re: ताकत की विजय

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क्या हुआ था दोस्त? मुझे भी बताओ.. शायद मैं तुम्हारी मदद कर सकूं ...

क्या करोगे जानकर.? कोई फायदा नहीं होगा मेरी दास्तां सुनकर... रही बात मदद करने की... तो एक बात गांठ बांध लो दोस्त... अगर तुम्हारी बाजुओं में दम है और जैब भरी हुई है तो कानून क्या , कानून का बाप भी तुम्हारा कुछ नहीं बिगाड़ सकता ... इस देश में सिर्फ पैसे और ताकत का राज चलता है ... गरीब लोगों की ना तो कानून सुनता है और ना ही कोई वकील...
यहां विजय... सिर्फ ताकत की होती है ....

यह तुम्हारी गलतफहमी है दोस्त, भारी मूंछौ वाला बोला... इस देश में कई लोग ऐसे हैं जो केवल सच्चाई का साथ देते हैं और सच के लिए झूठे मंत्रियों तक से टकरा सकते हैं ...

और एेसे लोगों के बारे में तुमने सिर्फ सुना होगा दोस्त... अरे दोस्त, ये सिर्फ जनता को भर्मीत करने की अफवाहें होती है ... असल में ऐसा कुछ नही होता... आज के युग में तो माँ भी अपने बच्चे को दूध पिलाती ही तब है जब वह रोने लगता है और यह कहने से नहीं चूकती की बडा होकर मैरा बेटा मुझे लाखों रुपये कमाकर देगा... जब अपनो का ये हाल है तो फिर एक गैर आदमी किसी गैर की मदद बिना स्वार्थ के क्योकर करेगा ?

बहुत बडी गलतफहमी में हो दोस्त... भारी मूंछौ वाला बोला ...

मैं सच्चाई बयान कर रहा हूँ दोस्त... क्या बिगाडा था मैंने किसी का जो मुझे फांसी की सजा हो गई.? दस दिन बाद मुझे फांसी पर चढ़ा दिया जाएगा और असली गुनहगार आजादी से घुमता हुआ किसी नये शिकार की तलाश में लग जायेगा .... नौजवान के स्वर में दर्द और गुस्सा दोनों ही थे

मैंने कहा ना कि तुम बहुत बडी गलतफहमी में हो, कुछ घिनौने लोगों ने तुम पर अत्याचार किए और तुम सारी दुनिया को ही बुरा समझने लगे ...

मैरी नजर में तो सारी दुनिया ही गंदी है ....

नहीं दोस्त, अभी भी बहुत से लोग ऐसे हैं जो सच्चाई के लिए अपनी जान पर खेल जाते हैं ... किसी का दर्द दूर करने के लिए अपना सबकुछ लुटा देते हैं .. ऐसे ही कुछ लोगों पर दुनिया टिकी हुई है वरना यह धरती कब की रसातल में पहुंच गई होती

नौजवान कुछ नही बोला, बस हौले से हंसकर रह गया ... जैसे उसका मजाक उड़ा रहा हो ....

और मैं ऐसे ही एक शख्स की बात कर रहा था तुमसे ... उसके मजाक का बुरा न मानते हुए भारी मूंछौ वाला बोला ... अगर उसने तुमसे मिलने की हामी भर ली, जिसका मुझे पूरा विश्वास है, और उसने तुम्हें आजाद करने का वादा कर दिया तो समझ लो कि दुनिया की कोई भी ताकत तुम्हें फांसी पर नहीं चढा सकेगी ... बल्कि वह कहर बनकर दुश्मनों पर टूट पडेगा ....

कौन है वो ... नौजवान के मुंह से शब्द अपने आप फिसल गये....

देव...

देव.???

हाँ देव, पर लोगों ने उसे डेविल के नाम से मशहूर कर दिया है , दिल्ली में उसकी बहुत बड़ी प्राइवेट डिटेक्टिव ऐजैंसी है बिग बॉस के नाम से ... उसकी ऐंजैसी में हर तरह के बंदे काम करते हैं ...
इंजीनियर, डाक्टर, वकील, रिटायर्ड फौजी, जज वगैरह...
हर वो इंसान, जो सच्चाई के लिए जान लगा दे, बिग बॉस के दरवाजे उनके लिए हमेशा खुले रहते हैं ...
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Re: ताकत की विजय

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डेविल साहब का एक भाई है जो वकालत करता है ... जितनी जुबान वो अदालत के अंदर चलाता है उससे कहीं ज्यादा वो अदालत के बाहर हाथ पैर चलाता है ... बड़े बड़े अपराधी सिर्फ उसका नाम सुनकर अपराध करना भूल जाते हैं ... अंडरवर्ल्ड में उसे शनिदेव कहकर पुकारा जाता है क्योंकि उसकी टेढ़ी नजर जिस किसी अपराधी पर पडी, समझ लो या तो वह जेल की सलाखों के पीछे गया या फिर सीधा उपर... भारी मूंछौ वाले ने उंगली आसमान की ओर उठा कर इशारा किया ...

नौजवान कुछ भी नहीं बोला ... चुपचाप बैठे सुनता रहा...

कुछ पल बाद खामोशी को तोडते हुए भारी मूंछौ वाला बोला ... मेरी सलाह मानो तो तुम उनसे मिलो.. और अपनी दास्तां सुनाओ... मुझे पूरा विश्वास है कि वे तुम्हारी मदद जरूर करेंगे ...

ल.. लेकिन, मैं उनसे कैसे मिल सकता हूं ... मैं तो ...

मेरा मतलब तुम्हारी हां से है ... तुम हां करो तो मैं खुद उनके पास जाकर प्राथना करूंगा कि वह तुमसे आकर मिले...

वह.. वह आ जायेगा ?

फौरन...

और उनकी फीस.?

गरीबों का मसीहा माना जाता है वह, फिस की तो बात ही नहीं करेगा तुमसे ...

क्या त. तुम जानते हो उसे ?

पूरा दिल्ली जानता है उसे ... मैने दिल्ली में एक साल गुजारा था, तभी मुझे उसके बारे में जानकारी मिली ...

गहरी सांस छोड़ते हुए नौजवान बोला ... हालांकि जिंदगी की आस छोड चुका हूं मैं, और यह भी जानता हूं की यह डेविल साहब का भाई भी गुनहगारों का कुछ भी नहीं बिगाड़ पायेगा ... फिर भी मैं उस से मिलूंगा ... देखना चाहता हूं कि ऐसा क्या है उसमें जो तुम उसे मसीहा बना कर पेश कर रहे हो ...

म. मैं बाहर निकलते ही दिल्ली रवाना हो जाऊंगा दोस्त, और एक बात अपने जेहन में बिठा लो ...

क्या ???

अब तुम कानून द्वारा फांसी पर नहीं चढाये जा सकते... यह वादा मैं तुमसे डेविल साहब की तरफ से कर रहा हूं ...

इतना विश्वास है तुम्हें उस पर.? हैरानी से बोला नौजवान...

वह बस मुस्कुरा कर रह गया ...

वैसे नाम क्या है डेविल साहब के इस भाई का? नौजवान ने पूछा ...

भारी मूंछौ वाला बोला ...
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पूनीत...
कहो रामभरोसे ... क्या खबर लाये हो ?

लंगोट कस लिजिये हजुर... विशाल की पीठ पर एक बहुत बड़ा हाथ पडने वाला है ...

रामभरोसे अपने सामने बैठे उन चारों आदमियों को देखते हुए बोला, जो कि चेहरे से ही पहुंची हुई हस्तियां नजर आ रहे थे ...

उसकी बात सुनकर चारों बुरी तरह से चौंके और एक दूसरे का मुंह देखने लगे ...

किस हाथ की बात कर रहे हो तुम.? उनमें से एक सोफे पर पहलु बदलते हुए बोला

पुनीत... पुनीत शर्मा का हाथ...

पुनीत शर्मा ... चारों के मुंह से एक साथ निकला

कौन पुनीत शर्मा ? उनमें से एक ने पूछा ..

दिल्ली में वकालत करता है .. दो साल तक मैंने दिल्ली की सेन्ट्रल जेल में नौकरी की है हुजूर... रामभरोसे बोला... आपको जानकर हैरानी होगी कि मेरे वक्त में लम्बी सजा काट रहे 80% कैदी पुनीत शर्मा की बदौलत जेल में पहुंचे थे ... उसके बारे में मैंने बहुत सुना था वहां... एक बार जिसके पीछे हाथ धोकर पड गया, समझ लो उसका बंटाधार हो गया और अब बहुत जल्द वो रायपुर आ रहा है ... आप लोगों के पीछे पडने के लिए...
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Re: ताकत की विजय

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चारों ने पहले एक दूसरे को देखा... मुस्कुराये ... फिर जोर जोर से हंसने लगे...

रामभरोसे आँखें फाडे उस चांडाल चोकडी को देखने लगा ...

आप लोग हंस रहे हैं हुजूर...

हां ... तुमने बात ही ऐसी की है रामभरोसे ... उनमें से एक ने कहा ...

एक मामूली वकील की भला हमारे सामने क्या औकात... यह जानते हुए भी कि मैं यहां का S.P. हूं ... तू मुझे डराने की कोशिश कर रहा है ...

और मैं यहां की अदालत का जज हूँ ... उसके साथ बैठा गंजे सिर वाला आदमी बोला ... रायपुर की अदालत में पहुंचने वाली जिंदगी मेरी कलम के नोक पर रखी होती है ...

मगर उससे पहले ही मैं अदालत में जिरह करके निर्दोष को भी अपराधी साबित कर देता हूँ, ताकि मेरे दोस्त को फैसला लेने में कोई दिक्कत न हो ... उसके साथ वाला चश्माधारी व्यक्ति बोला

और मुझे तो रायपुर का बच्चा बच्चा जानता है... निरंजन चौधरी जैसा नेता भला रायपुर को कहां से मिल सकता है.. महिला सुधार समिति का अध्यक्ष हूं मैं ... जनसेवक के नाम से जाना जाता हूं, मेरे दरवाजे पर आया कोई भी फरियादी खाली हाथ नहीं लौटता... मेरी एक आवाज पर पूरा रायपुर उस व्यक्ति की टिक्का बोटी एक कर सकता है ....

और तुम हमें एक मामूली वकील का डरावा दिखाने आये हो ...

रामभरोसे ने एक गहरी सांस छोडी और बोला ... मैं जानता हूं हुजूर, आप लोगों की ताकत को भलीभांति जानता हूँ, आप लोगों की छत्र छाया में तो मैं फल फूल रहा हूँ, मगर फिर भी यही कहूंगा कि खतरे को अपनी तरफ बढ़ने से पहले ही खत्म कर दिया जाय तो बेहतर होगा ... रामभरोसे हाथ जोड़कर बोला ....

लेकिन तुम्हें कैसे पता चला कि पुनीत शर्मा यहां आ रहा है ? जज प्रताप सिंह ने रामभरोसे को घूरते हुए पूछा ...

रामभरोसे ने प्रताप सिंह की तरफ देखा और बोला ... आज ही शेरसिंह नाम का एक कैदी सजा काट कर रिहा हुआ है, सुबह मैंने उसे विशाल से बातें करते हुए देखा तो मन में तमन्ना जाग उठी और मैंने छुप कर उनकी सारी बातें सुन ली ... शेरसिंह ने ही विशाल को पुनीत शर्मा से मिलने के लिए उकसाया था हुजूर, और फिर उसने विशाल से वादा किया कि वह जेल से बाहर निकलते ही दिल्ली के लिए रवाना हो जायेगा और डेविल साहब से आग्रह करेगा कि वो विशाल की मदद हेतु पुनीत को यहां भेजे ...

अब ये डेविल साहब कौन है ? जज बोला ..

फिर रामभरोसे ने उन्हें डेविल साहब के बारे में बताया और कहा कि आज कल वो फिल्ड में कम ही आते हैं, लेकिन वो भी कम खतरनाक नहीं है और उनकी पहुंच भी बहुत गहरे तक है...

तुम क्या समझते हो ... एस पी राजीव सेन बोला ... डेविल और वह पुनीत शेरसिंह के आग्रह पर दोडै चले आएंगे ...

दीन दुखियों के लिए उनके दिल में कितनी जगह है यह आप दिल्ली जाकर पता कर सकते हो... मुझे पूरा विश्वास है कि शेरसिंह की बात सुनते ही वह रायपुर के लिए रवाना हो जायेगा ...

दिखने में कैसा है वह? वकील सुरेश पाटिल ने पूछा

बेहद खूबसूरत और शांत नजर आने वाला है वह, हरपल एक मौहक मुस्कान उसके होठों पर थिरकती रहती है

और कोई खास पहचान.?

हां , चूईगम चबाने का भी शोक है उसे..

ठीक है रामभरोसे, वकील बोला... तुम जाओ... हम देखते है कि हम क्या कर सकते हैं ..
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Re: ताकत की विजय

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रामभरोसे ने सबके सामने सिर झुकाया और वहां से बाहर निकल गया ...

हरामी का पिल्ला... उसके जाते ही निरंजन चौधरी बड़बड़ाया... हमें डराने आया था ...

नहीं चौधरी साहब, सुरेश पाटिल उसकी तरफ देखते हुए बोला, वह हमें डराने नहीं सावधान करने आया था ...

निरंजन चौधरी ने घूर कर उसकी तरफ देखा ... तुम कहना क्या चाहते हो??

गहरी सांस लेकर वकील सुरेश पाटिल बोला... रामभरोसे के पिछले रिकॉर्ड पर नजर डालीये चौधरी साहब, उसकी अब तक लाई गई तमाम खबरें दम खम वाली ही थी ...

मगर इस बार वह कोई काम की खबर नहीं लाया... एस पी राजीव सेन बोला... हरामी जरूर पैसे के लालच में आया होगा

हो सकता है उसकी खबर काम की हो, पुनीत शर्मा नाम का वह वकील वाकई में दमखम वाला हो ... सुरेश पाटिल बोला...

तुम क्या कहने की कोशिश कर रहे हो ? जज प्रताप सिंह बोला...

रायपुर और आस पास के इलाकों में अंडरवर्ल्ड में सिर्फ हम चारों का ही सिक्का चलता है ... बेशक हम अंधेरे में रह कर अपना धंधा करते हैं , फिर भी अगर यह शर्मा कोई पहुंची हुई हस्ती हुआ और हमारे चेहरों पर से नकाब नोचकर पब्लिक के सामने हमें नंगा कर दिया तो जानते हो क्या होगा ?

कोई कुछ नहीं बोला, सब उसकी तरफ़ देख रहे...

लोग हमें जूते मार मार कर खतम कर देंगे ... उन्हें चुप देखकर अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए सुरेश पाटिल बोला.. हमारी टिक्का बोट्टी एक कर देंगे ... इसलिए रामभरोसे की बात पर अमल करो... इससे पहले कि खतरा हमारी तरफ बढ़े, हमें खतरे को ही खत्म कर देना चाहिए...

तुम्हारा मतलब पुनीत शर्मा से है ?

हां ...

पूरे रायपुर की पुलिस मेरे इशारे पर नाचने को मजबूर हैं ... एस पी राजीव सेन बोला.. मैं आज ही तमाम पुलिस फोर्स को आदेश दे देता हुं की जैसे ही पुनीत शर्मा रायपुर में दाखिल हो, उसे खत्म कर दिया जाये...

नहीं... ऐसा भूल कर भी मत करना ...

क्यों ? माथे पर बल पड़ गये राजीव सेन के..

यार, दिमाग से काम लो... अगर पुनीत शर्मा पुलिस के हाथों मारा गया तो दिल्ली पुलिस को पता चलते देर नहीं लगेगी ... अगर पुनीत शर्मा सचमुच कोई तोप हुआ तो जांच सीबीआई से भी हो सकती है और ऐसा हो गया तो फिर समझ लो हम फंसे की फंसे ...

ओह... राजीव सेन के मुंह से बस इतना ही निकला

एडवौकैट सुरेश पाटिल की बात बिल्कुल सही थी...

फिर क्या किया जाए.? तभी मजिस्ट्रेट प्रताप सिंह बोला

काम वो करो कि सांप भी मर जाये और लाठी भी ना टूटे ... सुरेश पाटिल बोला

मगर कैसे ? इस बार निरंजन चौधरी बोल पड़ा...

एक आइडिया है मेरे दिमाग में ...

बोलो क्या है आइडिया...

पूनीत शर्मा पर हमला हमारी गैंग के आदमी करेंगे ...

उससे क्या होगा ? राजीव सेन ने कहा ...

वे पुनीत शर्मा को खत्म कर देंगे और फरार हो जायेंगे, तब पुलिस कातिलों को ढूंढने के लिए भागदौड़ शुरू करेगी, लेकिन कातिल पकडे नहीं जाएंगे ...

क्या तब सीबीआई जांच नहीं करेगी ?

बेशक करेगी, लेकिन तब सीबीआई का शक हम पर नहीं जायेगा ... तब वह उन गुंडों को ढूंढेगी जिन्होंने पुनीत शर्मा को मारा होगा.. और पुलिस को वह अपना मददगार समझेगी ...

और अगर वह सचमुच दमखम वाला हुआ और उसने हमारे ही दो-तीन आदमियों को मार गिराया तो ? निरंजन चौधरी ने कहा ...

उस सूरत में भी बाजी हमारे हाथों में होगी ... धूर्त मुस्कान के साथ बोला सुरेश पाटिल... पुलिस उसे हत्या के जुर्म में गिरफ्तार कर लेगी, फिर उस पर मुकदमा चलेगा और तुम उसे फांसी की सजा दे दोंगे ... उसने जज प्रताप सिंह की ओर देखते हुए कहा ....

वाह... क्या आइडिया निकाला है ... चौधरी उसकी तारीफ करते हुए बोला ...

सुरेश पाटिल बोला कुछ नहीं, बस मुस्कुरा दिया ...


मैं अभी अवतार सिंह को फोन कर देता हूँ, वह चार पांच आदमियों को स्टेशन की तरफ रवाना कर देगा..

और तुम, सुरेश पाटिल राजीव सेन की तरफ देखते हुए बोला ... इंस्पेक्टर तावडे को आदेश दे दो ताकि बाजी पलटते ही पुलिस पुनीत शर्मा को गिरफ्तार कर ले...

इसके लिए मैं खुद तावडे से बात करूंगा, फोन पर हो सकता है कि मैं उसे ढंग से समझा ना पाऊं... राजीव सेन ने कहा ...

वह तुम्हारी सिरदर्दी है कि तुम उसे कैसे आदेश देते हो...


और इधर दिल्ली के एक पॉश इलाके में एक पांच मंजिला भव्य इमारत, जिसके शीर्ष पर बडे बडे सुनहरे अक्षरों से लिखा था ...
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