ताकत की विजय
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Re: ताकत की विजय
बुरी तरह से उछल पड़े थे निरंजन चौधरी और प्रताप सिंह... आंखें फट पडी, उन्हीं फटी फटी आँखों से वे राजीव सेन को देखने लगे, जिसने अभी अभी उनके सामने ऐसा विस्फोट किया था कि वे दोनों अभी तक उसके धमाके से उबर नहीं पाये थे
क.. क्या कहा तूने ? बडी मुश्किल से चौधरी के हलक से शब्द निकल पाये... जुबान जैसे तालु से जा लगी
पाटिल मर गया है... राजीव सेन ने भावहीन स्वर में कहा
क.. कैसे मर गया वह ? कल शाम तक तो भला चंगा था... प्रताप सिंह ने सकते की सी हालत में पूछा
सेन ने उसकी तरफ़ देखा और गम्भीरता से बोला.... मैंने उस कुत्ते को गोली से उडा दिया है
इस बार का विस्फोट पहले से भी कई गुणा तेज था
दोनों एक साथ चिंहुक उठे... आंखें फटने की कगार तक जा पहुंची
हलक का सारा पानी सूख गया चौधरी के... उसने पास ही रखा पानी का गिलास उठाया और एक ही सांस में पीता चला गया.... पानी पीकर कुछ राहत की सांस लेकर बोला चौधरी....
तू.. तू होश में तो है सेन ? जानता है तू क्या कह रहा है ?
मैं बिल्कुल होश में हूं चौधरी साहब... मगर वह हरामजादा अपने होश गंवा बैठा था, इसलिए मैंने उसे गोली मार दी
ल. लेकिन क्यों ? क्यों मार डाला तूने उसे ? प्रताप सिंह के होंठों से थर्राया स्वर निकला
क्योंकि वह हरामी मेरी बेटी पर गंदी निगाह रखे हुए था
क्या....?
दोनों के होंठों से एक साथ निकाला...
ऐसी सूरत में भला मैं कैसे बरदाश्त कर सकता था
यह तू क्या बक रहा है , नयना को तो वो अपनी बेटी मानता था...
वह कुत्ता आंखों के पीछे गंदगी समेटे हुए था... बहुत दिनों से वह नयना को पाने के ख्वाब देख रहा था... कल जब पुनीत शर्मा फरार हुआ तो उसे अपनी इच्छा पूरी करने का मौका मिल गया ...
सब कुछ बताता चला गया राजीव सेन
उसकी बातें सुनकर निरंजन चौधरी और प्रताप सिंह के पैरों तले जमीन खिसक गई
त..... तो क्या अवतार और जोगलेकर भी मारे गए ? प्रताप सिंह हडबडाये स्वर में बोला
जोगलेकर तो मेरी वफादारी निभाते हुए मरा जबकि अवतार को उसके किये की सजा मिली
बेवकूफ़
तभी चौधरी की आवाज में गुर्राहट उभर आई
क्या मतलब ? हकबका कर उसकी तरफ देखते हुए सेन के होंठों से निकला
चौधरी उसे खा जाने वाली नजरों से देखते हुए गुर्राया... समझ में नहीं आता कि तू एस पी कैसे बन गया, जबकि तू तो हवलदार बनने के लायक भी नहीं है
चौधरी साहब, आप मेरी बेइज्जती कर रहे हैं... रोष भरे स्वर में बोला सेन
बेइज्जती.... अरे मेरा तो दिल करता है कि जूता उतार कर तुझ पर पिल पडू... लगाऊं सौ और दिन एक
आपकी बातों से लगता है कि बजाय मुझसे सहानुभूति करने के आप पाटिल का पक्ष ले रहे हैं
तू ठीक समझ रहा है... भडका चौधरी... अबे अक्ल के अंधे, आयुष ने आकर तुझे बताया और तूने यकीन कर लिया... ये नही सोचा कि पाटिल से तेरे सम्बन्ध कैसे हैं और कितने पूराने है
मैंने यूं ही उसकी बातों पर विश्वास नहीं कर लिया चौधरी साहब, अवतार और जोगलेकर की लाशों को देखकर ही मैंने उसकी बात को सच माना...
और फौरन पाटील को बुलाकर उसकी मौत के परवाने पर दस्तखत कर डाले... उपहास उडाने वाले अंदाज में कहा चौधरी ने
मेरी जगह अगर आप होते तो आप भी वही करते जो मैंने किया है
मैं तुम्हारी तरह बेवकूफ़ नहीं हुं जो ऐसा करता... गुर्राहट भरी आवाज में बोला चौधरी... आंखे बंद करके मैं आयुष की बात पर विश्वास नहीं करता, बल्कि पहले पूरी जानकारी करता फिर उसके हलक में हाथ डालकर उससे सच्चाई उगलवाता, फिर अपना अगला कदम उठाता
आयुष को मैं जानता हूं, पूरे थाने में एक वही ऐसा शख्स हैं जो न रिश्वत लेता है और न ही कानून के खिलाफ जाता है... राजीव सेन बोला
क्या उसे तुम्हारे बारे में जानकारी है... तभी प्रताप सिंह ने पूछा
हो सकता है मालूम हो...
ऐसी सूरत में सोचो एक न्यायप्रिय सिपाही कानून को बचाने के लिए क्या करेगा
त.. तुम यह कहना चाहते हो कि उसने हमारे खिलाफ चाल चली है... अविश्वसनीय स्वर में बोला सेन
हाँ... और जरूर उसकी पीठ पर पुनीत शर्मा का हाथ होगा.. अब तक वह अकेला था इसलिए कुछ नहीं कर पाया , या यूं कह लो वह मजबूर था... मगर अब जब पुनीत शर्मा उसके साथ है तो वह भी खुल गया.... प्रताप सिंह ने कहा
तुम गलत सोच रहे हो पुनीत शर्मा तो उसे जानता तक नहीं
गलत हम नहीं तुम सोच रहे हो सेन... गुर्रा उठा निरंजन चौधरी
राजीव सेन मुंह फाड कर चौधरी को देखने लगा
अगर तुमने पहले ही पुनीत शर्मा के बारे में जरा भी खोजबीन की होती तो तुम्हें पता चल जाता कि वह कितनी पहुंची हुई हस्ती हैं... कल जब तुम उसकी फरारी की खबर सुनाकर गये थे तो तुम्हारे जाते ही मैंने दिल्ली में अपने दोस्त बलवंत को फोन करके पुनीत शर्मा के बारे में पूछा था , जानते हो उसने क्या कहा
क्या कहा... राजीव सेन के मुंह से शब्द अपने आप ही फिसल गये
उसने कहा कि पुनीत शर्मा जो न कर गुजरे वही कम है, वो एक ऐसा वकील है जो जितनी जुबान अदालत में चलाता है उससे ज्यादा हाथ पैर अदालत के बाहर चलते हैं... अंडरवर्ल्ड में कसाई के नाम से मशहूर है वह , जिस भी अपराधी पर उसकी टेढ़ी नजर पड गई... वह या तो ऊपर पहुंच गया या जेल में .. वन मेन आर्मी हे वो... लोमड़ी से ज्यादा चालाकी.. चीत्ते से भी ज्यादा फुर्तीला.. बस यह समझ लो कि मुजरिमों का काल है
मैं मानता हूं आपकी बात, लेकिन आयुष तक कैसे पहुंच गया...
इसके बारे में तो अब आयुष ही बताएगा... वैसे मैं तुम्हें बता दूं कि पुनीत शर्मा ने पहले कोई चाल चल कर जोगलेकर और अवतार को देवी मंदिर के पीछे बुलाया और उन्हें खत्म कर दिया... उसके पश्चात उसने आयुष को तुम्हारे पास भेजा, ऐसी स्कीम बनाकर जिसे सुनते ही तुम अपना आपा खो बैठे और पाटिल को मौत के घाट उतार दिया
यही तो चाहता है वह हरामजादा कि हम सब मर जाये... प्रताप सिंह गुस्से में बोला
राजीव सेन के चेहरे पर अब पसीने की बूँदें चमकने लगी थी... आंखों में सोचे उभर आई थी , अब उसे अपनी गलती का अहसास हो रहा था कि आयुष की बातों पर विश्वास नहीं करना चाहिए था
याद है अदालत में पुनीत शर्मा ने क्या कहा था ... तभी प्रताप सिंह बोला... उसने कहा था कि इंसाफ और सत्य की रक्षा के लिए अगर उसे कानून से टकराना भी पडा तो भी पीछे नहीं हटेगा... अवतार और जोगलेकर का खून और तुम्हारे हाथों पाटिल का खून, यह सब कानून से टकराना ही तो है.... हमें चिढा रहा है वो हरामजादा कि हम - जिनकी जुबान से निकला शब्द कानून माना जाता है, उसका कुछ नहीं बिगाड़ सकते और वह अपना काम मजे से कर रहा है
प्यास बुझाई नौकर से Running....कीमत वसूल Running....3-महाकाली ....1-- जथूराcomplete ....2-पोतेबाबाcomplete
बन्धन
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दिल से दिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
तुफानो में साहिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
यूँ तो मिल जाता है हर कोई!
मगर आप जैसे दोस्त नसीब वालों को मिलते हैं!
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बन्धन
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Re: ताकत की विजय
राजीव सेन ने जेब से रूमाल निकाल कर पसीना पोंछा और सहमे लहजे में बोला... मैं आयुष से बात करूंगा
करूंगा ? गुस्से से भडक उठा चौधरी... उसे यहां बुला, हमारे सामने, ताकि हम भी उससे पूछ सके कि किसके कहने पर उसने तुम्हारे हाथों पाटिल का फातिहा पढवाया
वो तो पुनीत शर्मा ने ही करवाया है... प्रताप सिंह कह उठा
मैं जानता हूं , मगर यही बात मैं उस कमीने के मुंह से सुनूंगा फिर अपने हाथों से साले की गरदन तोडूंगा... अभी के अभी फोन कर थाने और सब इंस्पेक्टर को बोल कि वह आयुष को लेकर फौरन यहा पहुंचे
राजीव सेन ने हाथ आगे बढाकर फोन का रिसीवर उठाया और थाने का नम्बर मिलाने लगा....
हेलो... दूसरी तरफ से आवाज आते ही वह बोला... सब इंस्पेक्टर खरे को फोन दो
कुछ ही पल बाद जब खरे लाईन पर आया तो सेन बोला.. आयुष को लेकर फौरन चौधरी साहब की हवेली पहुंचो खरे...
क्या ? अभी तक पहुंचा नही वह...
दो कांस्टेबल उसके घर भेजो... मुझे फौरन से पेश्तर आयुष चाहिए
सेन ने रिसीवर रखा और चौधरी की तरफ कुछ कहने को हुआ ही था कि चौधरी पहले ही बोल पड़ा
मैंने सुन लिया है सब... अब एक बात मेरी भी सुन लो, आयुष अपने घर पर भी नहीं मिलेगा
यह आप क्या कह रहे हैं ? हैरानी से बोला सेन
जुर्म की दुनिया में यूं ही तो हुकूमत नही कर रहा सेन , आयुष से पुनीत शर्मा को जितना काम लेना था ले लिया , अब उसे अंडरग्राऊंड कर दिया...
अगर ऐसा है तो मैं उस हरामजादे को पाताल से भी खोज निकालुंगा..
रहने दे.. रहने दे.. व्यर्थ के दावे मत कर , पुनीत शर्मा को तो अभी तक खोज नहीं पाया और दावे करने चला है
राजीव सेन ने सकपका कर सोफे पर पहलु बदला...
एक बेवकूफी तो तू कर चुका है सेन... तभी प्रताप सिंह बोला.. तेरी उसी बेवकूफी के कारण हमारा एक साथी हमसे बिछुड़ गया... भगवान के लिए अब कोई और बेवकूफी मत कर बैठना... कहीं कल को फिर पुनीत शर्मा की चाल का शिकार मत हो जाना
राजीव सेन बिचारा क्या बोलता... अपने किये पर उसे जो पछतावा हो रहा था वो तो वो ही जानता था.. सो केवल थूक गटक कर रह गया
स्कॉच निकालिये चौधरी साहब... प्रताप सिंह उदास स्वर में बोला... पाटिल की मौत का गम गलत करने का अब बस यही एक रास्ता नजर आ रहा है...
चौधरी ने गहरी सांस ली और दरवाजे की तरफ देखते हुए आवाज़ लगाई..
बहादुर...
दस सेकंड में ही बहादुर कमरे में था
स्कॉच लाओ... चौधरी आदेश भरे स्वर में बोला
बहादुर ने सिर झुकाया और बाहर निकल गया
कुछ ही देर में वे स्कॉच के पेग लगा रहे थे
तीनों के बीच एक पैनी खामोशी छाई हुई थी
Pin drop silence
उस वक्त राजीव सेन दूसरा पेग खतम करके तीसरा पेग उठा रहा था कि फोन की घंटी बजी
पुलिस स्टेशन से आया होगा... राजीव सेन बोला और फोन की तरफ हाथ बढ़ाया
हेलो... एस पी राजीव सेन स्पीकिंग
मैं एस आई खरे बोल रहा हूँ सर... दूसरी तरफ से आवाज आई
आयुष को अभी तक लाये क्यूँ नही तुम ?
वह अपने मकान में भी नहीं है सर...
व्हाट ? गर्जा राजीव सेन
उसके घर तो ताला लगा हुआ है सर
मुझे हर हाल में आयुष चाहिए खरे... ढूंढो उसे... कहीं से भी ढूंढो..
यस सर
भिन्नाते हुए राजीव सेन ने रिसीवर फोन पर पटक दिया
क्यों ... अब तो तुम्हें विश्वास हो गया ना कि पाटिल बेकसूर था... चौधरी कहे बिना नही रह पाया
मुझे और शर्मिंदा मत कीजिए चौधरी साहब... पश्चाताप भरे स्वर में बोला सेन.. अपनी गलती का अहसास हो रहा है मुझे , समझ में नहीं आ रहा कि अब मैं क्या करूं
गहरी सांस छोडी चौधरी ने
जो होना था हो गया , पाटिल की मौत तेरे ही हाथों से होनी लिखी थी... अब आगे संभल कर रहना और कोई भी बड़ा कदम उठाने से पहले हमसे सलाह ले लेना
मगर अब उनकी लाशों का क्या करेंगे हम ?
अभी तक कुछ किया नहीं तुमने ?
मैंने खरे को बस यही कहा है कि एफआईआर में पुनीत शर्मा के सिर तीनों कत्ल लिख दो
ठीक किया... बोला प्रताप सिंह... अब बस एक बार वह हमारे हत्थे चढ़ जाये, फिर हरामी को सीधा फांसी की सजा सुनाऊंगा
वो नौबत आने से पहले ही उसे गोली से उड़ा दिया जाएगा... पहली बार राजीव सेन गुर्राया... इस वक्त जितना खून मेरा जल रहा है, वो मै ही जानता हूँ
सेन ठीक कह रहा है...
ईधर आयुष दिल्ली बिग बॉस प्राइवेट डिटेक्टिव के ऑफिस में पहुंच चुका था.. और रिसेप्शनिस्ट को अपने आने का मंतव्य बताया.... मगर देव साहब इस वक्त ऑफिस में नही थे तो रिसेप्शनिस्ट ने सीधे प्रशांत को ही कॉल किया
(वैसे प्रशांत पुनीत का ही असिस्टेंट था)
सर.. रायपुर से कांस्टेबल आयुष आये हैं
इन्टरकॉम में से रिसेप्शनिस्ट की आवाज सुनकर चौंका प्रशांत , फिर फौरन बोला... उसे अंदर भेज दो
यस सर... रिसेप्शनिस्ट बोली
एक मिनट बाद आयुष झिझकता हुआ प्रशांत के शानदार ढंग से सजे ऑफिस में पहुंचा
आओ बैठो... प्रशांत गहरी नजरों से देखते हुए आदर भरे स्वर में बोला
आयुष एक विजिटिंग चेयर पर बैठ गया
म.. मुझे पुनीत शर्मा जी ने भेजा है... झिझकते हुए आयुष ने कहा
प्रशांत जानता था कि पुनीत रायपुर गया हुआ है , अवश्य ही कोई खास बात होगी...
क्या कहा उन्होंने.... प्रशांत ने पूछा
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दिल से दिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
तुफानो में साहिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
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Re: ताकत की विजय
जवाब देने के स्थान पर आयुष ने जेब से तय किया हुआ एक पर्चा निकाला और प्रशांत की तरफ बढ़ा दिया
हाथ आगे बढाकर प्रशांत ने पर्चा लिया और उसे खोलकर पढने लगा
पत्र पढते हुए उसके होठों पर अर्थ भरी मुस्कान दौड गई
हालांकि पत्र देव साहब के नाम था मगर प्रशांत सब कुछ समझ गया था
आपका भी जवाब नही सर... वह बडबडाया और पर्चा मेज पर पेपर वेट से दबाते हुए आयुष से बोला....
बताइये चाय पियेंगे या ठंडा ?
ज.. जी.. कुछ नहीं.... झिझकते हुए बोला आयुष
मुस्कुराया प्रशांत... यह देव साहब का ऑफिस है , यहा अगर शर्म करोगे तो भूखे ही रह जाओगे , क्योंकि यहां दोबारा पूछने का रिवाज नहीं है
फिर तो बहुत भूख लगी है
हंस पडा प्रशांत
आयुष भी मुस्कुरा उठा
आओ... वह खडा होते हुए बोला
आयुष को साथ लिये वह रिसेप्शनिस्ट के पास पहुंचा... रिसेप्शनिस्ट ने पहले आयुष पर निगाह डाली फिर प्रशांत की तरफ देखने लगी
सर ने भेजा है इन्हें और मुझे फौरन रायपुर के लिए बुलाया है... जाने से पहले काफी काम करने हे मुझे सो मिस्टर आयुष के खाने पीने और रहने का इंतजाम तुम्हें करना है
रिसेप्शनिस्ट ने सर हिला दिया
फिलहाल इन्हें भूख लगी है इसलिए इनके लिए खाने का प्रबंध करो
रिसेप्शनिस्ट ने पुनः सिर हिलाया
प्रशांत ने मुस्कुरा कर आयुष की तरफ देखा... आप बैठिये , मुझे अभी बहुत काम करने है और कोई भी तकलीफ हो तो आप मेडम को बता देना और जब बडे सर जी आये तो उनसे मुलाकात कर लेना.... इतना कहकर वह अपने ऑफिस की तरफ बढ़ गया
अपनी चेयर पर बैठ कर पहले देव साहब को सारी बात बताई... 5-7 मिनट देव साहब से बात करने के बाद उसने दो तीन जगह और फोन किये फिर टेबल की दराज खोलकर उसमें से वकालतनामा तथा अन्य कुछ जरूरी कागजात निकाल कर टेबल पर रखने लगा...
पता लगा उस हरामजादे का ? सोफे पर बैठते हुए बोला प्रताप सिंह
पता नहीं कहां गायब हो गया वह... राजीव सेन बोला.. हमारे गैंग के पचास आदमी उसे ढूंढने में लगे हुए हैं , पूरा पुलिस डिपार्टमंट पुनीत शर्मा की तलाश में हैं... पता नहीं उसे जमीन निगल गई या आसमान खा गया... मुझे तो लगता है वह हम लोगों के खिलाफ कोई पुख्ता जाल तैयार कर रहा है
चौधरी ने उसे घूरकर देखा... वह यहां पिकनिक मनाने के लिए नहीं आया है... हमें मारने की स्कीम नहीं बना रहा होगा तो क्या झक मार रहा होगा...
हडबडा कर राजीव सेन ने पेग उठा लिया
क्या हो गया है तेरी अक्ल को ? पहले तो ऐसा नही था तू... चौधरी रोष भरे स्वर में बोला
छोडिये चौधरी साहब... प्रताप सिंह हालात को सामान्य बनाने के उद्देश्य से बोला... अगर हम आपस में एक दूसरे की नुक्ताचीनी करते रहे तो पुनीत शर्मा इसका फायदा उठा सकता है
चौधरी ने दो तीन गहरी सांसे लेते हुए खुद को नार्मल करने की कोशिश करने लगा
इस सारे फसाद की जड़ वह हरामजादा विशाल है... प्रताप सिंह पुनः बोला... उसी के कारण पुनीत शर्मा यहां आया और हमें अपने एक पार्टनर के साथ साथ अवतार और जोगलेकर को खोना पडा... इससे अच्छा तो यही था कि उस पर मुकदमा चलाने की बजाय गोली मार देते , वह हरामी मर जाता तो आज हमें यह दिन नहीं देखना पड़ता
हमें क्या पता था कि हमारी लुटिया डुबोने के लिए वह यहा आ टपकेगा , अपनी तरफ से हमने जो किया था सही किया था... जनता में अपनी इमेज बनाये रखने के लिए यह जरूरी भी था... लेकिन अब हालात बदल गए हैं , अब हमारे खिलाफ जंग छिड़ गई है और पुनीत शर्मा ने हमें पहली मात दे दी है... अब अगर हमने उसके हमले का जवाब नहीं दिया तो हम हिजड़े कहलाये जायेंगे... चौधरी बेबसी और गुस्से से मिले जुले स्वर में बोला
मगर हम कर भी क्या सकते हैं ... सेन बोला... पुनीत का हमे कोई अता पता नहीं चल रहा है , अगर पता होता तो अब तक दुश्मनी का सिलसिला ही खतम हो चुका होता
बेशक हमें उसका ठिकाना मालुम नहीं चल पाया , मगर फिर भी हम उसे चोट पहुंचा सकते हैं
राजीव सेन और प्रताप सिंह दोनों चौंके
कैसी चोट ? प्रताप सिंह उसे घूरते हुए बोला
चौधरी के होंठों पर भयानक मुस्कान नाच उठी , आंखों में धूर्तता भरी चमक कौंधने लगी
विशाल...
उसके होंठों से विशाल का नाम ऐसे निकला जैसे वह विशाल का कलेजा चबा रहा हो
क्या मतलब ? प्रताप सिंह ने सवाल किया
चौधरी ने गरदन राजीव सेन की तरफ घुमाई तो सेन एकदम से सतर्क हो गया
विशाल की मौत पुनीत शर्मा के हौंसले को काफी हद तक तोड़ सकती है
जोर का झटका लगा राजीव सेन को...
ल.. लेकिन वह तो जेल में बंद हैं
रामभरोसे को फोन करो , उससे बोलो कि विशाल कल का सूरज ना देख पाये
मगर जेल में हत्या करना नामुमकिन है
रूपया एक ऐसी चीज है जो नामुमकिन को मुमकिन बना देता है सेन... बीस लाख की ऑफर दे देना उसे , फिर देखना जेल में हत्या कैसे होती है
बीस लाख के लिए तो वह अपने बाप का भी कत्ल करने में देर नहीं लगायेगा... प्रताप सिंह हंसा... और उसकी मौत के बाद पुनीत शर्मा जिस तरह छटपटायेगा , उसका अहसास करके ही हम कुछ हद तक संतुष्ट हो जायेंगे कि हमने अपने दोस्त की मौत का आधा बदला ले लिया है
सेन ने समझने वाले अंदाज में सिर हिलाया और हाथ बढ़ाकर रिसीवर उठा लिया
हेलो.. दूसरी तरफ से आपरेटर की आवाज़ आते ही वह माऊथपीस में बोला... मैं वार्डन रामभरोसे से बात करना चाहता हूं
बात करते हुए उसने अपनी आवाज को जितना ज्यादा हो सका , भारी बनाया , ताकि आपरेटर उसकी आवाज को पहचान ना सके
आप कौन बोल रहे हैं ? आपरेटर की आवाज़ आई
किशन, रामभरोसे मेरा ममेरा भाई हैं
होल्ड ऑन प्लीज
सेन रिसीवर पकडे इंतजार करने लगा...
हाथ आगे बढाकर प्रशांत ने पर्चा लिया और उसे खोलकर पढने लगा
पत्र पढते हुए उसके होठों पर अर्थ भरी मुस्कान दौड गई
हालांकि पत्र देव साहब के नाम था मगर प्रशांत सब कुछ समझ गया था
आपका भी जवाब नही सर... वह बडबडाया और पर्चा मेज पर पेपर वेट से दबाते हुए आयुष से बोला....
बताइये चाय पियेंगे या ठंडा ?
ज.. जी.. कुछ नहीं.... झिझकते हुए बोला आयुष
मुस्कुराया प्रशांत... यह देव साहब का ऑफिस है , यहा अगर शर्म करोगे तो भूखे ही रह जाओगे , क्योंकि यहां दोबारा पूछने का रिवाज नहीं है
फिर तो बहुत भूख लगी है
हंस पडा प्रशांत
आयुष भी मुस्कुरा उठा
आओ... वह खडा होते हुए बोला
आयुष को साथ लिये वह रिसेप्शनिस्ट के पास पहुंचा... रिसेप्शनिस्ट ने पहले आयुष पर निगाह डाली फिर प्रशांत की तरफ देखने लगी
सर ने भेजा है इन्हें और मुझे फौरन रायपुर के लिए बुलाया है... जाने से पहले काफी काम करने हे मुझे सो मिस्टर आयुष के खाने पीने और रहने का इंतजाम तुम्हें करना है
रिसेप्शनिस्ट ने सर हिला दिया
फिलहाल इन्हें भूख लगी है इसलिए इनके लिए खाने का प्रबंध करो
रिसेप्शनिस्ट ने पुनः सिर हिलाया
प्रशांत ने मुस्कुरा कर आयुष की तरफ देखा... आप बैठिये , मुझे अभी बहुत काम करने है और कोई भी तकलीफ हो तो आप मेडम को बता देना और जब बडे सर जी आये तो उनसे मुलाकात कर लेना.... इतना कहकर वह अपने ऑफिस की तरफ बढ़ गया
अपनी चेयर पर बैठ कर पहले देव साहब को सारी बात बताई... 5-7 मिनट देव साहब से बात करने के बाद उसने दो तीन जगह और फोन किये फिर टेबल की दराज खोलकर उसमें से वकालतनामा तथा अन्य कुछ जरूरी कागजात निकाल कर टेबल पर रखने लगा...
पता लगा उस हरामजादे का ? सोफे पर बैठते हुए बोला प्रताप सिंह
पता नहीं कहां गायब हो गया वह... राजीव सेन बोला.. हमारे गैंग के पचास आदमी उसे ढूंढने में लगे हुए हैं , पूरा पुलिस डिपार्टमंट पुनीत शर्मा की तलाश में हैं... पता नहीं उसे जमीन निगल गई या आसमान खा गया... मुझे तो लगता है वह हम लोगों के खिलाफ कोई पुख्ता जाल तैयार कर रहा है
चौधरी ने उसे घूरकर देखा... वह यहां पिकनिक मनाने के लिए नहीं आया है... हमें मारने की स्कीम नहीं बना रहा होगा तो क्या झक मार रहा होगा...
हडबडा कर राजीव सेन ने पेग उठा लिया
क्या हो गया है तेरी अक्ल को ? पहले तो ऐसा नही था तू... चौधरी रोष भरे स्वर में बोला
छोडिये चौधरी साहब... प्रताप सिंह हालात को सामान्य बनाने के उद्देश्य से बोला... अगर हम आपस में एक दूसरे की नुक्ताचीनी करते रहे तो पुनीत शर्मा इसका फायदा उठा सकता है
चौधरी ने दो तीन गहरी सांसे लेते हुए खुद को नार्मल करने की कोशिश करने लगा
इस सारे फसाद की जड़ वह हरामजादा विशाल है... प्रताप सिंह पुनः बोला... उसी के कारण पुनीत शर्मा यहां आया और हमें अपने एक पार्टनर के साथ साथ अवतार और जोगलेकर को खोना पडा... इससे अच्छा तो यही था कि उस पर मुकदमा चलाने की बजाय गोली मार देते , वह हरामी मर जाता तो आज हमें यह दिन नहीं देखना पड़ता
हमें क्या पता था कि हमारी लुटिया डुबोने के लिए वह यहा आ टपकेगा , अपनी तरफ से हमने जो किया था सही किया था... जनता में अपनी इमेज बनाये रखने के लिए यह जरूरी भी था... लेकिन अब हालात बदल गए हैं , अब हमारे खिलाफ जंग छिड़ गई है और पुनीत शर्मा ने हमें पहली मात दे दी है... अब अगर हमने उसके हमले का जवाब नहीं दिया तो हम हिजड़े कहलाये जायेंगे... चौधरी बेबसी और गुस्से से मिले जुले स्वर में बोला
मगर हम कर भी क्या सकते हैं ... सेन बोला... पुनीत का हमे कोई अता पता नहीं चल रहा है , अगर पता होता तो अब तक दुश्मनी का सिलसिला ही खतम हो चुका होता
बेशक हमें उसका ठिकाना मालुम नहीं चल पाया , मगर फिर भी हम उसे चोट पहुंचा सकते हैं
राजीव सेन और प्रताप सिंह दोनों चौंके
कैसी चोट ? प्रताप सिंह उसे घूरते हुए बोला
चौधरी के होंठों पर भयानक मुस्कान नाच उठी , आंखों में धूर्तता भरी चमक कौंधने लगी
विशाल...
उसके होंठों से विशाल का नाम ऐसे निकला जैसे वह विशाल का कलेजा चबा रहा हो
क्या मतलब ? प्रताप सिंह ने सवाल किया
चौधरी ने गरदन राजीव सेन की तरफ घुमाई तो सेन एकदम से सतर्क हो गया
विशाल की मौत पुनीत शर्मा के हौंसले को काफी हद तक तोड़ सकती है
जोर का झटका लगा राजीव सेन को...
ल.. लेकिन वह तो जेल में बंद हैं
रामभरोसे को फोन करो , उससे बोलो कि विशाल कल का सूरज ना देख पाये
मगर जेल में हत्या करना नामुमकिन है
रूपया एक ऐसी चीज है जो नामुमकिन को मुमकिन बना देता है सेन... बीस लाख की ऑफर दे देना उसे , फिर देखना जेल में हत्या कैसे होती है
बीस लाख के लिए तो वह अपने बाप का भी कत्ल करने में देर नहीं लगायेगा... प्रताप सिंह हंसा... और उसकी मौत के बाद पुनीत शर्मा जिस तरह छटपटायेगा , उसका अहसास करके ही हम कुछ हद तक संतुष्ट हो जायेंगे कि हमने अपने दोस्त की मौत का आधा बदला ले लिया है
सेन ने समझने वाले अंदाज में सिर हिलाया और हाथ बढ़ाकर रिसीवर उठा लिया
हेलो.. दूसरी तरफ से आपरेटर की आवाज़ आते ही वह माऊथपीस में बोला... मैं वार्डन रामभरोसे से बात करना चाहता हूं
बात करते हुए उसने अपनी आवाज को जितना ज्यादा हो सका , भारी बनाया , ताकि आपरेटर उसकी आवाज को पहचान ना सके
आप कौन बोल रहे हैं ? आपरेटर की आवाज़ आई
किशन, रामभरोसे मेरा ममेरा भाई हैं
होल्ड ऑन प्लीज
सेन रिसीवर पकडे इंतजार करने लगा...
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मगर आप जैसे दोस्त नसीब वालों को मिलते हैं!
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Re: ताकत की विजय
चौधरी और प्रताप सिंह की निगाहें सेन के चेहरे पर टिकी हुई थी
चौधरी और प्रताप सिंह की निगाहें सेन के चेहरे पर टिकी हुई थी
हेलो... दूसरी तरफ से रामभरोसे की उलझन भरी आवाज़ आई
चौंकना मत रामभरोसे , और फोन पर मुझे किशन कह कर ही पुकारना.... अपनी असली आवाज में गुर्राया सेन
ओह... तुम केशू , मैं सोचा पता नही कौन किशन आ गया... कहो कब आये रायपुर में ?
विशाल कल का सूरज न देख पाये
य.. यह तुम क्या कह रहे हो ? ऐसा कैसे हो सकता है ?
हरामजादे चौंक मत... फुंफकारा राजीव सेन
बिलकुल नहीं जाना तुझे... आज ही आये हो और आज ही वापस जा रहे हो
दूसरी तरफ से आवाज आई
जाहिर था कि रामभरोसे अपने चौंकने का कारण आपरेटर पर स्पष्ट करना चाहता था
पूरे बीस लाख मिलेंगे ... सेन ने लालच की पूडिया फेंकी
मेरा आना बहुत मुश्किल है यार...
सेन समझ गया कि वो इंकार कर रहा है
इतनी दौलत एक मुश्त हाथ नही लगती रामभरोसे... सिर्फ एक कत्ल ही तो करना है
मगर ऐसा कैसे हो सकता है... दुविधा में बोला रामभरोसे
रकम तूने कमानी है तो यह सोचना तेरा काम है, मेरा नही
ठीक है ... गहरी सांस के साथ आवाज आई... मैं कोशिश करूंगा
अगर कामयाब रहे तो कल आकर रकम ले जाना... कहकर सेन ने फोन रख दिया और दोनों को फोन पर हुई बातचीत बताने लगा
क्या वह कत्ल कर पायेगा ? उसकी बात खतम होते ही प्रताप सिंह बोला
वह कोशिश करेगा.... मुस्कुराया चौधरी.. और मुझे पूरी उम्मीद है कि वह अपनी कोशिश में सफल होगा
खट - खट - खट
दो बार लगातार खटखटा कर प्रशांत रूका फिर थोडा सा गेप डाला फिर तीसरी बार दस्तक दी
करीब आधे मिनट बाद दरवाजा खुला
सामने पुनीत खडा था
पुनीत मुस्कुराया और एक तरफ हट गया
प्रशांत चुपचाप भीतर प्रवेश कर गया , उसके दांये हाथ में एक ब्रीफकेस लटक रहा था
पुनीत ने तुरंत दरवाजा बंद किया और सिटकनी चढा दी
विशाल का मकान था यह जिसमें इस वक्त पुनीत पनाह लिए हुये था
पुलिस क्या , चौधरी और उसके पार्टनरों को सपने में भी गुमान नहीं हो सकता था कि पुनीत यहा हो सकता है...
अंदर कमरे में पहुंच कर प्रशांत ने उसे नमस्ते की
कब आये ? सोफे पर बैठते हुए पूछा पुनीत ने
स्टेशन से सीधे आपके पास ही आ रहा हूँ... प्रशांत भी सोफे पर बैठते हुए बोला
काम करवाया ?
जी हां... ब्रीफकेस अपनी गोद में रखते हुए कहा... जैसा आपने पत्र में लिखा था , बिलकुल वैसा ही है... आप चेक कर लीजिए
कहकर उसने ब्रीफकेस खोल कर पुनीत के सामने कर दिया
पुनीत ने भीतर निगाह मारी , कुछ क्षण वह देखता रहा फिर संतुष्टी से सिर हिलाते हुए कहा... ठीक है , कितने हैं ?
पांच सौ... प्रशांत बोला
आगे क्या करना है यह तो तुम्हें पता ही है , और अपना ख्याल रखना , दुश्मन की नजर भी तुम पर नहीं पडनी चाहिए
फिक्र मत कीजिए सर... आपका शार्गिद हूं , इतनी आसानी से दुश्मन की निगाह में नहीं आने वाला... हंसते हुए कहा प्रशांत ने
अब तुम जेल जाओ, वहां विशाल से वकालतनामे पर दस्तखत कराओ और दिल्ली की सैशन कोर्ट में अपील कर दो
ओके सर...
और इस बात का ध्यान रखना , अपील करने के दौरान तुम्हें अदालत पर दबाव डालना है कि रायपुर में विशाल की जान को खतरा है इसलिए अदालत विशाल को दिल्ली जेल में ट्रांसफर करने का आदेश दे
मैं पूरी कोशिश करूंगा
कोशिश नहीं , काम होना चाहिए.. एक बेगुनाह जो पुनीत की शरण में है , अगर उसे कुछ हो गया तो पुनीत शर्मा खुद को कभी भी माफ नहीं कर पायेगा
कहते हुए पुनीत की आवाज सख्त होती चली गई
जेलर ने सवालिया निगाहों से प्रशांत को देखते हुए कहा.... कहिये , किससे मिलना है आपको ?
मेरा नाम प्रशांत है , तीन रोज पहले पुनीत शर्मा जी आपसे मिले थे.. प्रशांत बोला
जी हां ...
वो मेरे सर है , उन्होंने ही मुझे यहां भेजा है... कैदी नम्बर 310 मिस्टर विशाल की तरफ से सैशन कोर्ट में अपील करनी है , उसके लिए वकालतनामे पर दस्तखत कराने है
जेलर ने समझने वाले अंदाज में सिर हिलाया और फिर बैल पर हाथ मार दिया
बाहर स्टूल पर बैठा संतरी तुरंत अंदर आया
इन्हें 310 से मिलना है.. जेलर बोला
आईये... संतरी ने अदब से कहा
कुछ ही देर में प्रशांत काल कोठरी में विशाल के सामने खड़ा था
हेलो विशाल.... वह मुस्कुराया
विशाल आंखों में असमजसता के भाव लिए उसे देखने लगा
चौधरी और प्रताप सिंह की निगाहें सेन के चेहरे पर टिकी हुई थी
हेलो... दूसरी तरफ से रामभरोसे की उलझन भरी आवाज़ आई
चौंकना मत रामभरोसे , और फोन पर मुझे किशन कह कर ही पुकारना.... अपनी असली आवाज में गुर्राया सेन
ओह... तुम केशू , मैं सोचा पता नही कौन किशन आ गया... कहो कब आये रायपुर में ?
विशाल कल का सूरज न देख पाये
य.. यह तुम क्या कह रहे हो ? ऐसा कैसे हो सकता है ?
हरामजादे चौंक मत... फुंफकारा राजीव सेन
बिलकुल नहीं जाना तुझे... आज ही आये हो और आज ही वापस जा रहे हो
दूसरी तरफ से आवाज आई
जाहिर था कि रामभरोसे अपने चौंकने का कारण आपरेटर पर स्पष्ट करना चाहता था
पूरे बीस लाख मिलेंगे ... सेन ने लालच की पूडिया फेंकी
मेरा आना बहुत मुश्किल है यार...
सेन समझ गया कि वो इंकार कर रहा है
इतनी दौलत एक मुश्त हाथ नही लगती रामभरोसे... सिर्फ एक कत्ल ही तो करना है
मगर ऐसा कैसे हो सकता है... दुविधा में बोला रामभरोसे
रकम तूने कमानी है तो यह सोचना तेरा काम है, मेरा नही
ठीक है ... गहरी सांस के साथ आवाज आई... मैं कोशिश करूंगा
अगर कामयाब रहे तो कल आकर रकम ले जाना... कहकर सेन ने फोन रख दिया और दोनों को फोन पर हुई बातचीत बताने लगा
क्या वह कत्ल कर पायेगा ? उसकी बात खतम होते ही प्रताप सिंह बोला
वह कोशिश करेगा.... मुस्कुराया चौधरी.. और मुझे पूरी उम्मीद है कि वह अपनी कोशिश में सफल होगा
खट - खट - खट
दो बार लगातार खटखटा कर प्रशांत रूका फिर थोडा सा गेप डाला फिर तीसरी बार दस्तक दी
करीब आधे मिनट बाद दरवाजा खुला
सामने पुनीत खडा था
पुनीत मुस्कुराया और एक तरफ हट गया
प्रशांत चुपचाप भीतर प्रवेश कर गया , उसके दांये हाथ में एक ब्रीफकेस लटक रहा था
पुनीत ने तुरंत दरवाजा बंद किया और सिटकनी चढा दी
विशाल का मकान था यह जिसमें इस वक्त पुनीत पनाह लिए हुये था
पुलिस क्या , चौधरी और उसके पार्टनरों को सपने में भी गुमान नहीं हो सकता था कि पुनीत यहा हो सकता है...
अंदर कमरे में पहुंच कर प्रशांत ने उसे नमस्ते की
कब आये ? सोफे पर बैठते हुए पूछा पुनीत ने
स्टेशन से सीधे आपके पास ही आ रहा हूँ... प्रशांत भी सोफे पर बैठते हुए बोला
काम करवाया ?
जी हां... ब्रीफकेस अपनी गोद में रखते हुए कहा... जैसा आपने पत्र में लिखा था , बिलकुल वैसा ही है... आप चेक कर लीजिए
कहकर उसने ब्रीफकेस खोल कर पुनीत के सामने कर दिया
पुनीत ने भीतर निगाह मारी , कुछ क्षण वह देखता रहा फिर संतुष्टी से सिर हिलाते हुए कहा... ठीक है , कितने हैं ?
पांच सौ... प्रशांत बोला
आगे क्या करना है यह तो तुम्हें पता ही है , और अपना ख्याल रखना , दुश्मन की नजर भी तुम पर नहीं पडनी चाहिए
फिक्र मत कीजिए सर... आपका शार्गिद हूं , इतनी आसानी से दुश्मन की निगाह में नहीं आने वाला... हंसते हुए कहा प्रशांत ने
अब तुम जेल जाओ, वहां विशाल से वकालतनामे पर दस्तखत कराओ और दिल्ली की सैशन कोर्ट में अपील कर दो
ओके सर...
और इस बात का ध्यान रखना , अपील करने के दौरान तुम्हें अदालत पर दबाव डालना है कि रायपुर में विशाल की जान को खतरा है इसलिए अदालत विशाल को दिल्ली जेल में ट्रांसफर करने का आदेश दे
मैं पूरी कोशिश करूंगा
कोशिश नहीं , काम होना चाहिए.. एक बेगुनाह जो पुनीत की शरण में है , अगर उसे कुछ हो गया तो पुनीत शर्मा खुद को कभी भी माफ नहीं कर पायेगा
कहते हुए पुनीत की आवाज सख्त होती चली गई
जेलर ने सवालिया निगाहों से प्रशांत को देखते हुए कहा.... कहिये , किससे मिलना है आपको ?
मेरा नाम प्रशांत है , तीन रोज पहले पुनीत शर्मा जी आपसे मिले थे.. प्रशांत बोला
जी हां ...
वो मेरे सर है , उन्होंने ही मुझे यहां भेजा है... कैदी नम्बर 310 मिस्टर विशाल की तरफ से सैशन कोर्ट में अपील करनी है , उसके लिए वकालतनामे पर दस्तखत कराने है
जेलर ने समझने वाले अंदाज में सिर हिलाया और फिर बैल पर हाथ मार दिया
बाहर स्टूल पर बैठा संतरी तुरंत अंदर आया
इन्हें 310 से मिलना है.. जेलर बोला
आईये... संतरी ने अदब से कहा
कुछ ही देर में प्रशांत काल कोठरी में विशाल के सामने खड़ा था
हेलो विशाल.... वह मुस्कुराया
विशाल आंखों में असमजसता के भाव लिए उसे देखने लगा
प्यास बुझाई नौकर से Running....कीमत वसूल Running....3-महाकाली ....1-- जथूराcomplete ....2-पोतेबाबाcomplete
बन्धन
*****************
दिल से दिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
तुफानो में साहिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
यूँ तो मिल जाता है हर कोई!
मगर आप जैसे दोस्त नसीब वालों को मिलते हैं!
*****************
बन्धन
*****************
दिल से दिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
तुफानो में साहिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
यूँ तो मिल जाता है हर कोई!
मगर आप जैसे दोस्त नसीब वालों को मिलते हैं!
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Re: ताकत की विजय
प्रशांत उसके करीब जमीन पर ही बैठ गया और बोला... मैं पुनीत जी का असिस्टेंट हूं , प्रशांत
ओह... गंभीर स्वर में बोला विशाल
तुम्हारे लिए एक खुशखबरी है
फिकी सी हंसी हंस के रह गया विशाल
सिर्फ सात दिन रह गये हैं मेरी जिंदगी के, मेरे लिए क्या खुशखबरी हो सकती है भला
प्रशांत खिसक कर उसके और करीब हो गया फिर फुसफुसाते हुए बोला... जोगलेकर , अवतार सिंह और सुरेश पाटिल अल्लाह को प्यारे हो गये हैं
जबरदस्त तरीके से चौंका विशाल , फिर उसकी आँखों में ऐसी चमक उभर आई जैसे नयी जिंदगी मिल गई हो
आप सच कह रहे हैं ?
बिलकुल सच है यह , और यह जो तुम जिंदगी के आखरी लम्हे गिन रहे हो, इन्हें गिनना छोड़ दो... सर ने मुझे तुम्हारे पास भेजा ही इसीलिए है
ये कहकर प्रशांत ने हाथ में थमी फाईल खोली और पेन निकाल कर विशाल की तरफ बढाते हुए कहा... स्वयं को बेगुनाह साबित करने के लिए तुम सैशन कोर्ट में अपील कर रहे हो , इस वकालतनामे पर दस्तखत कर दो ताकि सर तुम्हारी तरफ से अपील कर सके
विशाल ने पैन लेकर दस्तखत कर दिये , जहां जहां प्रशांत ने बताया
प्रशांत ने फाईल बंद की ओर धीमी आवाज में बोला... अब एक काम करना है तुम्हें , मेरे जाने के फौरन बाद ही करना है
विशाल सवालिया निगाहों से उसे देखने लगा
मेरे जाने के बाद जेलर साहब से मिलने की इच्छा व्यक्त करोगे , जब जेलर साहब मिलने आये तो उनसे कहना तुम्हारी जान को खतरा है
क्या मतलब ? चिहूंका विशाल
जो कह रहा हूं वही करो , मतलब जानने की कोशिश मत करो... जेलर साहब के पूछने पर तुम उनसे कहोगे कि तुम्हें रामभरोसे नाम के वार्डन से खतरा है.... रामभरोसे को जानते हो ना ?
हां, जानता हूँ
तो बस कह देना कि उसने तुमसे कहा था कि तुम एक दो दिन के मेहमान हो... क्योंकि पुनीत सर नही चाहते कि तुम्हें कुछ भी हो... दुश्मन अंगारों पर लोट रहा है सो वह कोई भी ओछी हरकत कर सकता है , इसलिए तुम्हारी सेफ्टी उनके लिए बहुत जरूरी हो गई है
लेकिन रामभरोसे...
जो कहा है वही करो, आगे हम संभाल लेंगे
ठीक है , मैं वही करूंगा जो आपने कहा है... हथियार डालने वाले अंदाज में विशाल बोला
प्रशांत के होंठों पर संतुष्टि भरी मुस्कान तैर गई...
मेरी जान को खतरा है
सुनकर बुरी तरह से चौंका जेलर
प्रशांत के जाने के पांच मिनट बाद ही विशाल ने जेलर से मिलने की इच्छा जताई... फांसी की सजा पाये कैदी की इच्छा पूरी करना जेलर का फर्ज था सो वह उससे मिलने चला आया... और आते ही विशाल ने जो कहा उसे सुनकर जेलर का चौंकना स्वाभाविक ही था
जेलर ने उसे घूरकर देखा... तुम जानते हो तुम्हें एक हफ्ते बाद फांसी पर लटका दिया जायेगा...
मुझे मालूम है... गंभीरता से बोला विशाल
फिर भला कोई क्योंकर तुम्हारी हत्या करेगा
जेलर साहब... विशाल बोला... आपकी बात अपनी जगह सही है , लेकिन कानून की बजाय मुझे कोई और वक्त से पहले ही मार डाले तो वह हत्या कहलायेगी... और उसकी सारी जिम्मेदारी आप पर आयेगी , इसलिए फांसी की सजा मिलने तक मेरी हिफाज़त करना आपका फर्ज है
मुस्कुराया जेलर... लगता है तुम्हारा वकील तुम्हें काफी कुछ सीखा पढा कर गया है
आप ठीक समझ रहे हैं , जब मेरे वकील ने मुझसे कहा कि वह मुझे बाईज्जत बरी करा देगा तो मैंने उसे रामभरोसे वाली बात बताई
चौंका जेलर... साथ ही उसके कानों में पुनीत के कहे शब्द गूंजने लगे
"रामभरोसे पर निगाह रखियेगा"
क्या कहा रामभरोसे ने ?
कल उसने मुझसे कहा था कि वह वक्त से पहले ही मुझे ऊपर पहुंचा देगा , उस वक्त मैंने यही सोचा कि जब मौत आनी है तो दो दिन पहले भी आ गई तो क्या फर्क पड जायेगा... लेकिन अपने वकील के आत्मविस्वास को देख कर मुझमें जीने की तमन्ना पैदा हो गई है... इसलिए मैंने आपसे मिलने की इच्छा जताई थी
तो रामभरोसे ने तुम्हें खत्म करने की धमकी दी थी
धमकी नहीं वादा किया था जेलर साहब... उसने मुझे खत्म कर देने का वादा किया था
कारण बताया उसने ?
नहीं ...
गहरी सांस छोडी जेलर ने और सीखचों में हाथ डालकर विशाल के कंधे को थपथपाते हुए कहा... डोंट वरी मिस्टर विशाल , यह मेरी जेल हैं , यहा कोई तुम्हारा बाल भी बांका नहीं कर सकता... तुम्हारे फांसी पर चढने तक तुम्हारी जिंदगी की गारंटी मैं लेता हूं
विशाल कुछ नहीं बोला बस सिर हिला दिया
इधर जेलर की आंखों में अंगारे भरने लगे , चेहरा कठोर होता चला गया
रामभरोसे....
जेलर के होंठों से सांप की सी फुफकार निकली
सीन चेंज
तडाक...
थप्पड़ की तेज आवाज ऑफिस में गूंज उठी
रामभरोसे चीखता हुआ दूर जा गिरा
तो विशाल की हत्या करने की साजिश रची जा रही है... जेलर खौफनाक अंदाज में गुर्राया
रामभरोसे की आंखों में आंतक के साये लहरा गये... वह यही समझा कि उसे उसकी असलियत मालुम पड चुकी है... यह अलग बात थी कि पुनीत ने केवल विशाल की सुरक्षा के लिए यह चाल चली थी
बुरी तरह से कांप उठा रामभरोसे
ओह... गंभीर स्वर में बोला विशाल
तुम्हारे लिए एक खुशखबरी है
फिकी सी हंसी हंस के रह गया विशाल
सिर्फ सात दिन रह गये हैं मेरी जिंदगी के, मेरे लिए क्या खुशखबरी हो सकती है भला
प्रशांत खिसक कर उसके और करीब हो गया फिर फुसफुसाते हुए बोला... जोगलेकर , अवतार सिंह और सुरेश पाटिल अल्लाह को प्यारे हो गये हैं
जबरदस्त तरीके से चौंका विशाल , फिर उसकी आँखों में ऐसी चमक उभर आई जैसे नयी जिंदगी मिल गई हो
आप सच कह रहे हैं ?
बिलकुल सच है यह , और यह जो तुम जिंदगी के आखरी लम्हे गिन रहे हो, इन्हें गिनना छोड़ दो... सर ने मुझे तुम्हारे पास भेजा ही इसीलिए है
ये कहकर प्रशांत ने हाथ में थमी फाईल खोली और पेन निकाल कर विशाल की तरफ बढाते हुए कहा... स्वयं को बेगुनाह साबित करने के लिए तुम सैशन कोर्ट में अपील कर रहे हो , इस वकालतनामे पर दस्तखत कर दो ताकि सर तुम्हारी तरफ से अपील कर सके
विशाल ने पैन लेकर दस्तखत कर दिये , जहां जहां प्रशांत ने बताया
प्रशांत ने फाईल बंद की ओर धीमी आवाज में बोला... अब एक काम करना है तुम्हें , मेरे जाने के फौरन बाद ही करना है
विशाल सवालिया निगाहों से उसे देखने लगा
मेरे जाने के बाद जेलर साहब से मिलने की इच्छा व्यक्त करोगे , जब जेलर साहब मिलने आये तो उनसे कहना तुम्हारी जान को खतरा है
क्या मतलब ? चिहूंका विशाल
जो कह रहा हूं वही करो , मतलब जानने की कोशिश मत करो... जेलर साहब के पूछने पर तुम उनसे कहोगे कि तुम्हें रामभरोसे नाम के वार्डन से खतरा है.... रामभरोसे को जानते हो ना ?
हां, जानता हूँ
तो बस कह देना कि उसने तुमसे कहा था कि तुम एक दो दिन के मेहमान हो... क्योंकि पुनीत सर नही चाहते कि तुम्हें कुछ भी हो... दुश्मन अंगारों पर लोट रहा है सो वह कोई भी ओछी हरकत कर सकता है , इसलिए तुम्हारी सेफ्टी उनके लिए बहुत जरूरी हो गई है
लेकिन रामभरोसे...
जो कहा है वही करो, आगे हम संभाल लेंगे
ठीक है , मैं वही करूंगा जो आपने कहा है... हथियार डालने वाले अंदाज में विशाल बोला
प्रशांत के होंठों पर संतुष्टि भरी मुस्कान तैर गई...
मेरी जान को खतरा है
सुनकर बुरी तरह से चौंका जेलर
प्रशांत के जाने के पांच मिनट बाद ही विशाल ने जेलर से मिलने की इच्छा जताई... फांसी की सजा पाये कैदी की इच्छा पूरी करना जेलर का फर्ज था सो वह उससे मिलने चला आया... और आते ही विशाल ने जो कहा उसे सुनकर जेलर का चौंकना स्वाभाविक ही था
जेलर ने उसे घूरकर देखा... तुम जानते हो तुम्हें एक हफ्ते बाद फांसी पर लटका दिया जायेगा...
मुझे मालूम है... गंभीरता से बोला विशाल
फिर भला कोई क्योंकर तुम्हारी हत्या करेगा
जेलर साहब... विशाल बोला... आपकी बात अपनी जगह सही है , लेकिन कानून की बजाय मुझे कोई और वक्त से पहले ही मार डाले तो वह हत्या कहलायेगी... और उसकी सारी जिम्मेदारी आप पर आयेगी , इसलिए फांसी की सजा मिलने तक मेरी हिफाज़त करना आपका फर्ज है
मुस्कुराया जेलर... लगता है तुम्हारा वकील तुम्हें काफी कुछ सीखा पढा कर गया है
आप ठीक समझ रहे हैं , जब मेरे वकील ने मुझसे कहा कि वह मुझे बाईज्जत बरी करा देगा तो मैंने उसे रामभरोसे वाली बात बताई
चौंका जेलर... साथ ही उसके कानों में पुनीत के कहे शब्द गूंजने लगे
"रामभरोसे पर निगाह रखियेगा"
क्या कहा रामभरोसे ने ?
कल उसने मुझसे कहा था कि वह वक्त से पहले ही मुझे ऊपर पहुंचा देगा , उस वक्त मैंने यही सोचा कि जब मौत आनी है तो दो दिन पहले भी आ गई तो क्या फर्क पड जायेगा... लेकिन अपने वकील के आत्मविस्वास को देख कर मुझमें जीने की तमन्ना पैदा हो गई है... इसलिए मैंने आपसे मिलने की इच्छा जताई थी
तो रामभरोसे ने तुम्हें खत्म करने की धमकी दी थी
धमकी नहीं वादा किया था जेलर साहब... उसने मुझे खत्म कर देने का वादा किया था
कारण बताया उसने ?
नहीं ...
गहरी सांस छोडी जेलर ने और सीखचों में हाथ डालकर विशाल के कंधे को थपथपाते हुए कहा... डोंट वरी मिस्टर विशाल , यह मेरी जेल हैं , यहा कोई तुम्हारा बाल भी बांका नहीं कर सकता... तुम्हारे फांसी पर चढने तक तुम्हारी जिंदगी की गारंटी मैं लेता हूं
विशाल कुछ नहीं बोला बस सिर हिला दिया
इधर जेलर की आंखों में अंगारे भरने लगे , चेहरा कठोर होता चला गया
रामभरोसे....
जेलर के होंठों से सांप की सी फुफकार निकली
सीन चेंज
तडाक...
थप्पड़ की तेज आवाज ऑफिस में गूंज उठी
रामभरोसे चीखता हुआ दूर जा गिरा
तो विशाल की हत्या करने की साजिश रची जा रही है... जेलर खौफनाक अंदाज में गुर्राया
रामभरोसे की आंखों में आंतक के साये लहरा गये... वह यही समझा कि उसे उसकी असलियत मालुम पड चुकी है... यह अलग बात थी कि पुनीत ने केवल विशाल की सुरक्षा के लिए यह चाल चली थी
बुरी तरह से कांप उठा रामभरोसे
प्यास बुझाई नौकर से Running....कीमत वसूल Running....3-महाकाली ....1-- जथूराcomplete ....2-पोतेबाबाcomplete
बन्धन
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दिल से दिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
तुफानो में साहिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
यूँ तो मिल जाता है हर कोई!
मगर आप जैसे दोस्त नसीब वालों को मिलते हैं!
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दिल से दिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
तुफानो में साहिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
यूँ तो मिल जाता है हर कोई!
मगर आप जैसे दोस्त नसीब वालों को मिलते हैं!
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