ताकत की विजय

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Re: ताकत की विजय

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जैसे जैसे पुनीत बताता जा रहा था ... आयुष की हैरानी बढती जा रही थी..

गेट पर खड़े गार्ड ने सवालिया निगाहों से आयुष की ओर देखा

कहो.... गार्ड बोला

सर से मिलना है मुझे...

आयुष की आवाज में घबराहट और उत्तेजना को महसूस कर चौंका गार्ड... ऊपर से रात के साढ़े बारह बजे राजीव सेन से मिलना चाह रहा था

अवश्य ही कोई गंभीर मामला है

मगर राजीव सेन इस वक्त सो रहा था और उसे सोते हुए से जगाना सांप के बिल में हाथ डालने जैसा था , सो गार्ड बोला

साहब तो अभी सो रहे है , सुबह आ जाना

समझने की कोशिश करो , मेरा उनसे मिलना बहुत जरूरी है... अगर जरूरी नहीं होता तो मैं सुबह भी आ सकता था .. व्यग्र स्वर में बोला आयुष

लेकिन ......

मैंने कहा ना मेरा उनसे मिलना बहुत जरूरी है

सॉरी.... गार्ड बोला.. तुम सर से सुबह ही बात कर सकते हो... उनको इस वक्त जगाने का रिस्क मैं नही ले सकता

ठीक है ... कंधे उचकाते हुए बोला आयुष... लेकिन कल को अगर सर ने तुम्हारी छुट्टी कर दी तो मुझे दोष मत देना... मैं तो सर से कह दुंगा कि मैंने तुमसे बहुत मिन्नत मलानत की लेकिन तुम नहीं माने

अचकचाया गार्ड... कन्फ्यूज हो गया बिचारा.. कुछ पल सोचा फिर बोला

क्या मिलना सच में बहुत जरूरी है ?

मैंने कहा न , अगर जरूरी नहीं होता तो मैं इस वक्त आता ही क्यों ?

तुम यही ठहरो... मैं सर से बात करने की कोशिश करता हूँ

आयुष ने मौन सहमति देते हुए कंधे उचका दिये...

गार्ड गेट के पहलू में बने लकड़ी के बूथ में घुस गया

क्या नाम है तुम्हारा ? बूथ में से गार्ड ने गरदन बाहर निकाल कर पूछा

आयुष... कांस्टेबल आयुष ..

गार्ड की गरदन पुन: बूथ में गायब हो गई...


किर्र.. किर्र... किर्रर

इन्टरकॉम के बजर की आवाज सुनकर राजीव सेन की नींद उचट गई

लेटे लेटे ही उसने इन्टरकॉम को कच्चा चबा जाने वाले अंदाज में घूरा... फिर रिसीवर उठा कर कान से लगाते हुए गुर्राया...

तुम जानते हो जब मैं आराम कर रहा हूँ तो मुझे डिस्टर्ब पसंद नहीं , फिर भी ऐसी गुस्ताखी कर डाली

स-सॉरी सर.. गार्ड की घबराहट भरी आवाज़ आई... मैंने वो कांस्टेबल आयुष को बहुत समझाया कि आप से सुबह मिल ले... मगर वह कह रहा है कि आपसे मिलना बहुत जरूरी है

चौंका राजीव सेन... आँखों में सोचें उभर आई और पेशानी पर बल पड़ गये

ठीक है ... कुछ सोच कर खीजते हुए बोला... भेजो उसे

यस सर... गार्ड ने राहत की सांस ली

राजीव सेन बैड पर अधलेटी अवस्था में बैठ कर गहरी सोच में डूब गया

ऐसा क्या काम आन पडा कि आयुष को उससे मिलने के लिए रात के इस वक्त आना पड़ा

आयुष को वह जानता था... एक कांस्टेबल की हैसियत से नहीं , बल्कि एक इमानदार और सच्चे सिपाही की हैसियत से ... पूरे पुलिस डिपार्टमेंट में एक अकेला आयुष ही ऐसा शख्स था जो ना कभी किसी से रिश्वत लेता था और ना ही किसी का बुरा सोचता था

शूरू शूरू में उसने आयुष पर निगाह भी रखी , मगर बहुत जल्द उसे पता चल गया कि आयुष का दिल तो करता है कि वह उसके खिलाफ आवाज उठाये.... लेकिन वह कर नही पाया , क्योंकि वह जान गया कि अकेला चना भाड नहीं फोड सकता... तो उसने भी निगाह रखना बंद कर दी और उसकी तरफ़ से लापरवाह हो गया

करीब पाँच मिनट बाद आयुष ने उसके बैडरूम में प्रवेश किया......

क्या बात है ? आयुष के भीतर प्रवेश करते ही राजीव सेन उस पर चढ गया... ऐसी कौनसी आफत आ पड़ी जो तू इस वक्त यहां आ मरा ...

हडबडाया आयुष या शायद अभिनय किया

सॉरी सर... बट

क्या बट .? भिन्नाया राजीव सेन

व..वो... इं..इंस्पेक्टर साहब...

चौकन्ना हो गया राजीव सेन साथ ही एक झटके में सीधा होकर बैठ गया

क्या हुआ जोगलेकर को ? आयुष के घबराये हुए चेहरे को देखकर कहा राजीव सेन ने

व.. वो अभी तक नहीं लौटे...

सेन की आँखें सिकुड गई... कहा गया है वो ?

पता नहीं सर...

बस इतनी सी बात बताने के लिए तू इस कदर मरा जा रहा था जो रात के इस वक्त मेरा सर खाने आ धमका.. गुर्रा उठा सेन

आयुष का दिल जोरो से धडक गया

ज..जाने से पहले इंस्पेक्टर साहब ने किसी से बात की थी.. आयुष ने सयंत होकर कहा

क्या बात ? सेन बोर होते हुए बोला

इंस्पेक्टर साहब ने दूसरी तरफ़ से बात सूनी फिर गुस्से में आ गए , फिर बोले.. तुम्हारी हिम्मत कैसे हो गई यह बात करने की.... आयुष ने होते डरते कहा

सेन को लगा कि कोई ऐसी बात जरूर है जिसे कहने में वह हिचकिचा रहा है , जिसे जुबां पर लाने में वह खौफ से मरा जा रहा है... सो उसने गहरी सांस ली और स्वर को नरम बनाते हुए बोला...

घबराओ मत आयुष, साफ साफ कहो बात क्या है ?

आयुष की आँखें भर आई

सर... वह भर्राये लहजे में बोला... नयनाश्री मेरी छोटी बहन जैसी है , मैं नहीं चाहता कि मेरी बहन का कोई अहित हो..

उछल पडा सेन जैसे गर्म तवे पर बैठा दिया हो.... आँखों में अंगारे झांकने लगे... चेहरा भट्टी के समान सुर्ख लाल हो गया

झपट कर वह आयुष के करीब आया और दोनों हाथों से उसका गिरेहबान पकड़ कर झिंझोडते हुए फुंफकारा....

तू... तू मेरी बेटी की बात कर रहा है ना आयुष ?

आयुष की आँखों से आँसू बह निकले

य-यस सर.... आँसू बहाते हुए बोला आयुष.. इसलिए मैं इस वक्त आपके पास आया हूँ

राजीव सेन का चेहरा गुस्से से तपने लगा...बता क्या बात है ? और खबरदार , जो तूने कोई भी बात छुपाई तो मुझ से बुरा कोई नहीं होगा... स्वर खूंखार हो गया सेन का

स..सर.....

घबरा मत , अगर तूने सच बताया तो कोई बाल भी बांका नहीं कर पायेगा तेरा

अ-आप बर्दाश्त नहीं कर पायेंगे सर (आयुष भी शायद मजे ले रहा था)

तू बोल... बोल आयुष ...

झिंझोड़ कर उसके गिरेहबान को छोड़ दिया राजीव सेन ने मगर उसका चेहरा बता रहा था कि जैसे उसके अंदर ज्वालामुखी दहक रहा हो

आयुष ने थूक निगलते हुए अपना गिरेहबान दुरस्त किया और फिर सहमे लहजे में कहने लगा...

दस बजे के करीब इंस्पेक्टर साहब को फोन आया था , उस समय मैं उन्हें पानी देने के लिए ऑफिस में दाखिल हुआ था कि तभी फोन की घंटी बजी ....
**********
आयुष का बताया वार्तालाप
**********

हैलो... इंस्पेक्टर जोगलेकर स्पीकिंग

अवतार सिंह बोल रहा हूँ... दूसरी तरफ से आवाज आई

ओहो... कहिये सिंह साहब आज कैसे याद किया

पुनीत शर्मा मिला कि नहीं ?

अभी कहा ? पता नहीं कौनसे बिल में छुप गया है वह हरामजादा

नोट कमाना चाहते हो ?

यह भी भला कोई पूछने की बात है... लक्ष्मी तो हर किसी को प्यारी लगती है... आँखों में चमक लाते हुए कहा जोगलेकर ने

काम बहुत मुश्किल है , उसे सिर्फ तुम ही पूरा कर सकते हो

आप काम बताये सिंह साहब फिर देखिए जोगलेकर उसे कैसे आसान बनाता है

नयनाश्री

नाम सुनते ही चौंका जोगलेकर और उलझते हुए कहा... कौन नयनाश्री

तेरे एस पी की लड़की ... और कौन

क्या हुआ उसे ... जोगलेकर बोल उठा

पाटील साहब का दिल आ गया है उस पर

जोगलेकर की आँखों में खून उतर आया....
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Re: ताकत की विजय

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अवतार सिंह.. उसके होंठों से गुर्राहट निकली... नयनाश्री मेरे ऑफिसर की बेटी है , उसके बारे में बात करने की तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई ? मैं अभी एस पी साहब को तुम्हारी शिकायत करता हूं... फिर तुम्हें और पाटील साहब को पता चल जाएगा कि नयना श्री की तरफ गंदगी भरी आंख उठाने का क्या हश्र होता है...

हा... हा... हा... तुम क्या समझते हो जोगलेकर , राजीव सेन तुम्हारी बात पर यकीन कर लेगा...

जानते हो पाटील साहब पर वह अपने से ज्यादा भरोसा करता है सो अगर तुमने हमारी शिकायत भी की तो वो सीधा तुम्हारे सीने में गोली उतार देंगे... अक्लमंद बनो, नोट कमाओ और ऐश करो

जोगलेकर की आँखों के भाव बदले...

और अगर एस पी साहब को पता चल गया तो मैं तो बेमौत मारा जाऊंगा न ?

फिक्र मत करो , तुम पर जरा भी शक नहीं जायेगा... पाटील साहब ने ऐसे ही इस वक्त नयना श्री की मांग नहीं रखी है... मौका देखकर चौका लगाने की सोची है ...

कैसा मौका ? पूछा जोगलेकर ने

पुनीत शर्मा...

क्या मतलब ?

नयना श्री के गायब होते ही राजीव सेन का शक सीधे पुनीत शर्मा पर जायेगा, शक क्या , एस पी को तो पूरा विश्वास होगा कि उसकी बेटी को पुनीत शर्मा ने ही अगवा किया है... इस तरह तुम पर या पाटील साहब पर जरा भी संदेह नहीं जायेगा और वो पुनीत शर्मा पर शक नहीं करेगा तो हम लोग तो बैठे ही है उसके कान में फूंक मारने को

लेकिन नयना बेबी को कोठी से निकाल कर लाना...

तुम ऐसा करो, मुझे मिलो... ऐसी बातें फोन पर डिस्कस नही की जा सकती.. मैं तुम्हें स्कीम बताऊंगा.. स्कीम सुनकर तुम भी हैरान रह जाओगे और वकील साहब के दिमाग की तारीफ किए बिना नहीं रह सकोंगे

कहां आना होगा मुझे ?

देवी मंदिर के पीछे आ जाओ , मैं तुम्हें वहीं मिलूंगा.. वहां से मैं तुम्हें अपने ठिकाने पर ले जाऊंगा

ठीक है .... मैं आ रहा हूँ

कह कर जोगलेकर ने रिसीवर रखा और खतरनाक स्वर में गुर्राया

हरामजादे... स्कीम तो तेरी तभी पूरी होगी जब मैं करूंगा... उससे पहले ही तुझे ऊपर पहुंचा दूंगा मैं , लेकिन उससे पहले तेरी स्कीम सुनूंगा और साथ ही ऐसा सबूत भी पैदा करूंगा जिससे एस पी साहब पर तुम लोगों की असलियत जाहिर हो सके

और फिर वह चले गए , पानी भी नहीं पिया उन्होंने... आयुष भर्राये स्वर में कहता चला गया

मैं उनका इंतजार करता रहा.. फिर ड्यूटी के पश्चात मैं अपने घर गया लेकिन घर में मेरा दिल नहीं लग रहा था.. आपके पास आकर ऐसी बात कहने की हिम्मत भी नहीं हो रही थी.. आखिर जब रहा नहीं गया तो बड़ी मुश्किल से हिम्मत जुटाकर आपके पास चला आया

बात पूरी करके आयुष राजीव सेन के चेहरे को देखने लगा

राजीव सेन की मुठ्ठीयां भिंची हुई थी, आँखों में अविश्वास तथा खूंखारता के भाव फैले हुए थे... चेहरा इस हद तक सख्त हो उठा था कि उस पर भयानकता की छाप लगी नजर आ रही थी

आयुष की बात खतम होते ही वह उसे देखते हुए बेहद खौफनाक अंदाज में फुंफकारा......

थाने में यह बात और किसे मालूम है ?

क.किसी को भी नहीं

एक बात कान खोल कर सुन ले आयुष... अंगारे निकले राजीव सेन के होंठों से... अगर तेरी बात जरा भी गलत निकली तो समझ ले मैं तेरा क्या हाल करूंगा

अ..आप इंस्पेक्टर साहब से पूछ लीजियेगा.. उन्होंने मुझे यही बात बताई थी जो मैंने आपको बताई है... घबराते हुए बोला आयुष

राजीव सेन ने उसकी बात का कोई जवाब नहीं दिया.. वह झटके से मुडा और फोन की तरफ बढ़ गया... कुछ ही देर में वह अवतार सिंह का नम्बर डायल कर रहा था

हैलो...

दूसरी तरफ से आवाज आते ही वह स्वर को सामान्य बनाने की कोशिश करते हुए बोला... अवतार को फोन दो

सिंह साहब तो यहा नहीं है सर... दूसरी तरफ से आवाज आई

किधर गया है ?

पता नहीं सर

सेन की आँखों में बेचैनी उभर आई

कब का गया हुआ है वो ? कुछ सोचकर पूछा उसने

दस बजे के करीब गये थे

कुछ कह कर गया की कहा जा रहा है ?

नहीं सर

राजीव सेन ने पलन्जर दबाया और सुरेश पाटील का नम्बर डायल करने लगा...

पहली रिंग में ही दूसरी तरफ़ से सुरेश पाटील की आवाज़ सुनाई दी... हैलो

राजीव सेन कुछ बोलने को हुआ मगर कुछ सोच कर उसने रिसीवर रख दिया...

वह वापिस पलटा और आयुष की तरफ देखते हुए कहा

तुम यही ठहरो , मैं चेंज करके आता हूं

आयुष ने खामोशी से सिर हिला कर जवाब दिया

राजीव सेन ड्रेसिंग रूम में चला गया.. जल्द ही वह वापिस लौटा तो अपनी यूनिफॉर्म में था

आओ... दरवाजे की तरफ बढते हुए बोला वह

उसके पीछे पीछे चलते हुए आयुष के होंठों पर तब पहली बार रहस्यमयी मुस्कान उभरी थी, मगर उसने उसी पल मुस्कान को दबा लिया और पुनः गंभीर नजर आने लगा

राजीव सेन के साथ चलते हुए वह उसकी एम्ब्रेसेडर के करीब पहुंच कर ठिठका...

बैठो... राजीव सेन बोला

स-सर.. आप के साथ.. मैं भला कैसे...

बाकी शब्द अधुरे ही रह गए आयुष के कि गुर्राया सेन...

बैठो

और तेजी से हडबडाते हुए वह पिछला दरवाजा खोल कर सीट पर बैठ गया.. तब तक कार का ड्राइवर वहां पहुंच चुका था

राजीव सेन भी जब पिछली सीट पर बैठ गया तो ड्राइवर ने स्टियरिंग संभाल लिया

देवी मंदिर चलो... ड्राइवर की खोपड़ी पर निगाह डालते हुए आदेश भरे स्वर में बोला राजीव सेन

ड्राइवर ने कार स्टार्ट कर के आगे बढा दी , तभी आयुष कह उठा...

लेकिन सर, देवी मंदिर जाने से क्या फायदा होगा ?

क्यों ? राजीव सेन उसकी तरफ़ देखते हुए आँखें सिकोड़ कर गुर्राया.. अवतार ने जोगलेकर को वहां नहीं बुलाया था ?

वहां तो सिर्फ मिलने के लिए कहा था , वहां से आगे वह उन्हें कहा ले जायेगा.. इसका क्या पता

फिर भी पहले हम देवी मंदिर जायेंगे.. कुछ सोचते हुए बोला सेन

आयुष ने अपने होंठ भींच लिये

ऊपर से वह बेशक गंभीर बना हुआ था लेकिन मन ही मन ठहाके लगा रहा था

अब पता लगेगा तुम्हें कुत्तों... तुम्हारा सत्यानाश करने वाला रायपुर में आ गया है, बहुत दुख दिये हैं तुमने लोगों को, अब तुम रोओंगे... खून के आंसू रोओंगे और उन आंसूओं का अंत तुम सब की बर्बादी पर होगा... हा-हा-हा...


Too be continue

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Re: ताकत की विजय

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आयुष के साथ राजीव सेन ने जैसे ही खंडहर में प्रवेश किया, उसके कदम वही थम गये

नजरे एकटक जोगलेकर और अवतार सिंह की लाशों पर टिक गई.... चॉंद की रोशनी में दोनों की लाशें साफ पहचानी जा सकती थी

आयुष हालांकि पहले से ही जानता था कि खंडहरों में उसे दोनों की लाशों के दर्शन होंगे, फिर भी लाशें देखकर उसका कलेजा उछल कर हलक में आ गया

य यह तो इंस्पेक्टर साहब की लाश है सर.... कांपते स्वर में बोला आयुष

देख रहा हूँ.... गुर्राया राजीव सेन... साथ में उस हरामजादे अवतार सिंह की लाश को भी देख रहा हूँ

आयुष थूक निगल कर रह गया

तभी राजीव सेन की निगाहें दोनों लाशों के करीब पडी रिवॉल्वरो पर पड़ी

रिवॉल्वरे देखते ही वह फौरन इस नतीजे पर पहुंचा कि अवतार सिंह के सामने आते ही जोगलेकर ने उस पर रिवॉल्वर तान दी और उससे यही पर स्कीम बताने को कहा.... ताकी वह उस स्कीम को बतौर सबूत भुना सके.... अवतार सिंह के बारे में भी वह जानता था कि बेहद फुर्तीला और खतरनाक है सो अवश्य ही अवतार सिंह खतरे को भांप गया होगा सो उसने जोगलेकर को खत्म करने के लिए बिना अपनी तरफ तनी रिवॉल्वर की परवाह किये अपनी रिवॉल्वर निकाली और जोगलेकर पर फायर कर दिया... उधर जोगलेकर ने भी स्थिति को परखते हुये फायर कर दिया

नतीजा..... दोनों एक दूसरे की गोली का शिकार हो गए

जोगलेकर की मौत राजीव सेन के दिमाग में बस एक ही बात बिठा रही थी कि आयुष ने जो कहा है, सही कहा है.. यानी उसका पार्टनर उसकी बेटी पर बुरी नजर रखता था

उस पर..... जिसे वह बेटी बेटी कहते नही थकता था

कमीने..... उसके होंठों से फुंफकार निकली

हरामजादे..... आस्तिन के सांप.... दोस्त बनकर, भाई बनकर, तूने मेरी ही पीठ में जो छुरा भोंकने की कोशिश की है.... उसकी सजा तुझे मिलेगी और जरूर मिलेगी..... मैं तुझे जिंदा नहीं छोडूंगा हरामजादे..... जमीन में गाडकर रख दूंगा तुझे...... मेरी बेटी की तरफ आंख उठाने वाले को मैं जिंदा नहीं छोड़ता

बडबडाते हुए वह झटके से आयुष की तरफ मुडा और सुर्ख आंखों से घूरते हुए फुंफकारा.... यहां कही टेलिफोन बूथ है .?

य यस सर.... तत्परता से बोला आयुष... मंदिर के बाहर एक पब्लिक बूथ है

तू यही ठहर, मैं आता हूँ

यस सर....

राजीव सेन खंडहर से बाहर निकला तो आयुष के होठों पर जहर भरी मुस्कान नाच उठी

उसने लाशों की तरफ देखा और बडबडाया.... बहुत जल्द तुम्हारा एक बाप तुम्हारे पास आने वाला है... स्वागत के लिए नर्क के दरवाजे पर खड़े हो जाना.... फिर अपनी ही बात पर होले से हंस पडा....
ट्रिन - ट्रिन...

फोन की घंटी बज उठी

सुरेश पाटिल की आंख खुल गई

अभी कुछ देर पहले घंटी बजी थी... उसने फोन उठाया... हेल्लो कहा तो फोन कट गया

इसी वजह से उसे थोडी झुंझलाहट हुई थी, मगर फिर पुन: सो गया

अब फिर घंटी बज उठी थी

उसने आंखे मिचमिचाते हुए फोन की तरफ देखा फिर लेटे लेटे ही थोडा सरककर बाहं लम्बी करके फोन उठाया और उनींदे स्वर में हेल्लो बोला

मैं बोल रहा हूँ सेन... दूसरी तरफ से आवाज आई

एकदम से चौकन्ना हो गया सुरेश पाटिल और उठ कर बैठ गया

खैरियत तो है सेन....

तुम फौरन देवी मंदिर के पीछे वाले खंडहरों में आ जाओ, मैं तुम्हारा इंतजार कर रहा हूँ... सेन बोला

लेकिन बात क्या है ? कुछ बताओगे भी या.....

यहां आओगे तो सब मालूम पड जायेगा

यार तुम तो सस्पेंस में डाल रहे हो....

चौधरी साहब और प्रताप सिंह को भी फोन कर दिया है मैंने.... तुंरत यहा पहुंचो

उसी के साथ फोन कट गया.... सुरेश पाटिल हैरान... ऐसी क्या बात हो गई जो सेन उसे देवी मंदिर के पीछे बुला रहा है और कारण भी तो नहीं बताया

जो भी था उसे जाना तो था ही, आखिर पार्टनर ने बुलाया है और फिर दूसरे पार्टनर भी तो वहां पहुंच रहे हैं

उसने फोन रखा और बैड से उतर कर वाश बेसिन के आगे आ खडा हुआ

जल्दी जल्दी उसने अपना चेहरा धोया, तौलिये से मुंह साफ किया और वार्डरोब की तरफ बढ़ गया

जल्दी जल्दी कपड़े बदले और बैडरूम से बाहर आकर ड्राइंगरूम में पहुंचा, वहां से कम्पाउंड में, कम्पाउंड से निकल कर वह पोर्च में खडी अपनी कार की तरफ बढ़ गया

ड्राइवर सीट पर बैठ कर उसने कार स्टार्ट की ओर बैक करता हुआ ड्राइव वे पर ले आया

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Re: ताकत की विजय

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गेट पर खड़े गार्ड ने जब कार की आवाज सुनी तो उसने फौरन गेट खोल दिया

सुरेश पाटील कार चलाते हुए बाहर निकल गया

मौत का सफर आरम्भ हो गया
तुम जाओ आयुष... वापिस खंडहर में प्रवेश करते ही बोला सेन....

यस सर...

और जोगलेकर ने तुमसे जो बात की थी, उसे भूल जाना

ज..जी..... हडबडाया आयुष

यह भी भूल जाना कि तुम मुझे लेकर यहां आये थे

य...यस सर

अगर तुमने किसी के आगे यह बात की और मुझे पता चल गया तो तुम्हारी नौकरी बेशक रहेगी लेकिन नौकरी करने के लिए तुम जिंदा नही रहोगे

मैं किसी को कुछ नहीं कहूंगा सर... बनावटी स्वर में आयुष बोला

शाबाश.... अब जाओ और जितनी जल्दी हो सके अपने घर पहूंचो और आराम से सो जाओ

यस सर कहकर आयुष खंडहरों से बाहर निकल आया

सेन कुछ पल लाशों को देखता रहा फिर वह भी खंडहरों से बाहर आकर खड़ा हो गया

आयुष को उसने वहां से इसलिए भेजा था कि कहीं सुरेश पाटील के मुंह से कोई ऐसी बात ना निकल जाये जो आयुष के सुनने लायक न हो.... ऐसी वैसी किसी बात का वह कल को कोई फायदा भी उठा सकता है... इसलिए उसे वहा से चलता कर दिया

तभी उसकी निगाह अपने ड्राइवर पर पड़ी, जो की कार के बाहर बोनट से टेक लगाये खडा था

इधर आओ... सेन ने उसे आवाज लगाई

ड्राइवर लपकते हुए उसके सामने अदब से आ खडा हुआ

गाडी में बैठ जाओ और शिशे चढा लो

यस सर... हैरान होता हुआ ड्राइवर बस यहीं बोल पाया

खबरदार जो बाहर निकलने की कोशिश की, चुपचाप कार में बैठे रहना...

ड्राइवर की खोपड़ी नाच गई ऐसा आदेश सुनकर

यस सर कहकर वापिस कार की तरफ मुड़ गया ड्राइवर

सेन वापिस खंडहर में घुसा और आगे बढ़कर अवतार सिंह कि लाश के करीब पहुंच गया

हरामजादे... उसने लाश को ठोकर मारी.... मेरी बेटी को अगवा करना चाहता था सूअर की औलाद

लाश करवट में लूठक गई

राजीव सेन झुका और जमीन पर पड़ी उसकी रिवॉल्वर उठा कर जेब में रख ली

लाश को वापस ठोकर मार कर उसने दिल की भड़ास निकाली और पुन: खंडहर से बाहर आ गया
अब उसे सुरेश पाटिल का इंतजार था

यह इंतजार उसे किस कदर भारी पड़ रहा था यह तो उसका दिल ही जानता था

इंतजार करने के साथ साथ उसे खतरे की भी धुकधुकी लग रही थी कि कही पाटिल चौधरी या प्रताप सिंह को फोन ना कर दे

अगर उसने ऐसा किया तो वह चौकन्ना हो जायेगा, तब हो सकता है वह यहा आये ही नहीं

करीब बीस मिनट के लम्बे इंतजार के बाद उसे देवी मंदिर की तरफ आती सड़क पर किसी वाहन की हैडलाईट नजर आई

राजीव सेन सतर्क हो गया

हैडलाईट करीब आई तो उसने पाटिल की कार को तुरंत पहचान लिया

राजीव सेन की आंखों में खुंखार भाव उभरने लगे चेहरे पर कठोरता फैल गई

पाटिल की कार उसकी कार के बगल में आकर रुकी और फिर सुरेश पाटिल उसमें से बाहर निकला

उस पर निगाह पडते ही राजीव सेन के चेहरे पर उत्तेजना फैलने लगी... यह तो वही जानता था कि वह स्वयं पर किस तरह काबू पाये हुए था

सुरेश पाटिल ने भी उसे देख लिया था सो वह सीधा उसकी तरफ बढ़ गया
क्या बात हो गई जो तुमने यहा पहुंचने के लिए अफरा तफरी मचा दी.... करीब आते हुए बोला पाटिल

आ तुझे एक चीज दिखाता हूं... राजीव सेन उसकी तरफ़ पीठ करते हुए बोला और खंडहर में प्रवेश कर गया

उसके पीछे चलते हुए जैसे ही सुरेश पाटिल खंडहर में प्रविष्ट हुआ, उसके हलक से घुटी हुई सी चीख निकल गई

ओह नो...

फटी-फटी आंखों से वह जोगलेकर और अवतार सिंह की लाशों को देखने लगा, फिर उसने राजीव सेन की तरफ देखा और पूछा
... किसने मारा इन्हें ?

सेन ने घुरकर उसे देखा... तुम बताओ, कौन मार सकता है इन्हें ?

मौजूदा वक्त में तो केवल पुनीत शर्मा ही हमारा दुश्मन है

सेन की आंखों में खून उतर आया और होंठों पर भयानक मुस्कान नाचने लगी

मैं जानता था तेरा यही जवाब होगा, क्योंकि यही जवाब तुम सोचकर जो आये हो

सुरेश पाटिल की खोपडी घूम गई सेन की टोन सुनकर, हैरानी से उसे देखते हुए पूछा... तुम कहना क्या चाहते हो ?

एक्टिंग भी अच्छी कर लेता है तू, वकील जो ठहरा... अदालत में झूठ बोलकर भी ऐसी एक्टिंग करनी पड़ती है कि जज तुझे सच्चा समझे.... लेकिन मेरे सामने तेरी कोई एक्टिंग नही चलेगी हरामी

य.. यह तू क्या बक रहा है सेन... तेरी तबीयत तो ठीक है ना?

मेरी तबीयत अब ठीक हो चुकी है हरामी, पहले मैं धोखे का शिकार था हरामजादे

कहने के साथ ही उसने जेब से रिवॉल्वर निकाल कर सुरेश पाटिल पर तान दी
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रिवॉल्वर देख कर पाटिल के चेहरे पर खौफ उमड आया, रंगत पीली पड़ गई

यह तू क्या कर रहा है सेन ? कहीं तू पागल तो नही हो गया है ?

तेरी मौत तेरे सामने खड़ी है आस्तीन के सांप... मेरी ही बेटी के साथ रेप करने के सपने देख रहा था तू

बूरी तरह से उछल पडा़ सुरेश पाटिल

य... यह क्या कह रहा है तू नयना जैसे तेरी बेटी है वैसे.....

अपनी गंदी जुबान से मेरी बेटी का नाम मत ले हरामखोर... तेरी असलियत जान चुका हूँ मैं.... अवतार को तुने अपने साथ मिला लिया और जोगलेकर को लालच भी दिया.... शुक्र है कि जोगलेकर ने मेरे प्रति वफादारी निभाई, वर्ना अब तक तो तू मेरी बेटी को लूट चुका होता....
यह तू कैसी बहकी बहकी बाते कर रहा है यार.. जरूर किसी ने तुझे मेरे खिलाफ भडकाया है

अब इसका इल्जाम भी पुनीत शर्मा पर लगा दे कि उसने मुझे तेरे खिलाफ भडकाया है

पाटिल ने जोरो से थूक निगली और धडकते दिल को किसी तरह संभालने की कोशिश करते हुए बोला.. वह बहुत चालाक है सेन, जरूर उसी ने तुझे मेरे खिलाफ भडकाया है ... म मैं कसम खाता हूं कि मैं नयनाश्री को अपनी बेटी की तरह मानता हूँ

तेरी बात का भरोसा नहीं मुझे , मेरे मातहत की लाश चीख चीख कर कह रही है कि इसका हत्यारा तू है सिर्फ तू, क्योंकि तेरे ही कारण इसकी मौत हुई है

मेरी बात समझने की कोशिश करो सेन, मैं....

तेरी बात सुनने की अवधि खत्म हो चुकी है हरामजादे... मैंने तुम्हें यहा बुलाया ही इसलिए है कि तुम्हें भी इनके पास पहुंचा दूं

न-नहीं..... थरथरा उठा सुरेश पाटिल.... देवता कूच कर गये पठ्ठे के.... मौत जो सामने खडी थी

मेरी बेटी की तरफ गंदी निगाह से देखने वाले को मैं जिंदा नहीं छोड़ता और तूने तो...

धांय....

बात करते करते उसने गोली चला दी

गोली सीधी सुरेाश पाटिल के माथे के ऐन बीचोबीच जा लगी

सुरेश पाटिल का जिस्म जोर से लहराया फिर धडाम से मुंह के बल निचे गिर पड़ा.... राजीव सेन ने नफरत भरी निगाहों से उसकी लाश को देखा फिर गुस्से से उस पर थूक दिया

फिर उसने रिवॉल्वर को जोगलेकर की लाश के करीब फैंका और खंडहर से बाहर निकल आया
क्या रहा ?

आयुष के कमरे में प्रवेश करते ही पूछा पुनीत शर्मा ने

आयुष आगे बढकर उसके सामने बैड पर बैठ गया

वही हुआ शर्मा जी जैसा आपने चाहा....

यानी राजीव सेन भडक उठा

न केवल भडक, बल्कि उसने फोन करके सुरेश पाटिल को वहा बुला भी लिया

इतनी जल्दी बुला लिया ? हैरानी दिखाई पुनीत ने... मैं तो यही सोच रहा था कि वह पहले जानकारी करेगा , फिर सुरेश पाटिल को खत्म करेगा...

अब तक तो उसने पाटिल को खत्म भी कर दिया होगा...

इसका मतलब यही निकलता है कि राजीव सेन जल्दबाज किस्म का दरिंदा है... वह सोचता बाद में कर पहले डालता है और ऐसे ही आदमी के कदम मौत की तरफ बढते हैं.... फिर आयुष के चेहरे पर निगाह टिकाई और बोला...

तुम्हारा यह काम खत्म हुआ आयुष, अब सुनो तुम्हें आगे क्या करना है...

आयुष थोडा खिसक कर पुनीत के करीब आ गया

तुम अभी दिल्ली के लिए रवाना हो जाओ... पुनीत बोला

दिल्ली ? चौंका आयुष

हा, वहा मेरे बडे भाई देव साहब से मिलना और उन्हें कहना कि हाईकोर्ट के वकील प्रशांत भूषण को फौरन रायपुर के लिए रवाना कर दे

आयुष ने सिर हिला दिया

उनसे कहना कि वकालतनाना भी साथ लेते आये

बेहतर.. मैं कह दूंगा

साथ ही उनसे ये भी कहना कि वे तुम्हारे रहने का बंदोबस्त करवा दे...

क्या मतलब ? एकबार फिर चौंक पडा आयुष

जब तक बाकी के तीनों अपराधी भी उपर नहीं पहुंच जाते, तुम दिल्ली में ही रहो

ल - लेकिन इस तरह तो राजीव सेन को पता चल जाएगा कि..

पता तो उसे सुबह होते ही चल जाएगा जब वह अपने पार्टनरों से मिलेगा.... पुनीत उसकी बात को काटते हुए बोला

फिर तो मेरी नौकरी गई

मुस्कुराया पुनीत.... फिक्र मत करो आयुष, अब जब तुम रायपुर वापिस आओगे तो तुम्हारे कंधे पर एक स्टार लगा होगा... एडिशनल सब-इंस्पेक्टर बन कर आओगे तुम यहां

आयुष पुनीत को ऐसे देखने लगा जैसे उसे लग रहा हो कि पुनीत मजाक कर रहा है

विश्वास नहीं हो रहा न ? सदाबहार मुस्कान के साथ बोला पुनीत

आपने बात ही ऐसी कह डाली कि...

पुनीत की बात कितनी सच और पुख्ता होती है इसका पता तुम्हें तब लगेगा जब तुम वापिस लोटोंगे.... कहकर पुनीत खडा हो गया

आओ मैं तुम्हें स्टेशन छोड दूं

आयुष भी फौरन खडा हो गया और बोला ... कोई पत्र भी साथ लिख देते तो साहब को मुझ पर पूरा विश्वास हो जायेगा

फिक्र मत करो, स्टेशन पहुंच कर लिख दूंगा

फिर दोनों वहा से निकल गये...
प्यास बुझाई नौकर से Running....कीमत वसूल Running....3-महाकाली ....1-- जथूराcomplete ....2-पोतेबाबाcomplete
बन्धन
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दिल से दिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
तुफानो में साहिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
यूँ तो मिल जाता है हर कोई!
मगर आप जैसे दोस्त नसीब वालों को मिलते हैं!
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