ताकत की विजय

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Jemsbond
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Re: ताकत की विजय

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गहरी सांस छोडी जेलर ने और बोला.. इसमें मैं क्या कह सकता हूं .. मेरा फर्ज यही है कि जेल में आये हर कैदी की सुरक्षा का पूरा इंतजाम करना और उसे भागने का कोई मौका न देना...

आप अपने इस फर्ज पर कायम रहीयेगा..

क्या मतलब ? चौंकते हुए कहा जेलर ने

दुश्मन जेल के अंदर भी हो सकता है जेलर साहब.. और यह बात मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि मेरे यहाँ आने कि खबर दुश्मनों को लग चुकी है..

अ.आप किन दुश्मनों की बात कर रहे हैं शर्मा जी.. जेलर ने कुछ भी न समझते हुए सवाल किया

आपकी किसी भी बात का जवाब देने से पहले मैं आपसे एक प्रश्न पूछना चाहूंगा..

पूछिये ... कुर्सी पर सीधे बैठते हुए कहा जेलर ने


मै सिगरेट पी सकता हूं ?

श्योर ...

थैंक्यू ... कहकर पुनीत ने सिगरेट का पैकेट निकाल कर एक सिगरेट निकाली और उसे लाइटर से सुलगा कर एक लम्बा कश लिया तथा धुंये को नाक की दोनाली से बाहर फेंकते हुए बोला..

आपने विशाल को तो देखा ही होगा ?

बिल्कुल देखा है ... बोला जेलर

क्या लगता है आपको ? क्या वह ऐसा मुजरिम है जिसे फांसी पर लटका दिया जाये ?

जेलर ने लम्बी सांस छोड़ते हुए कहा.. इस जेल में मैं आपको कई ऐसे चेहरे दिखा सकता हूं जो देखने में ऐसे लगते हैं जैसे उन्होंने जिंदगी में कभी मक्खी तक नहीं मारी हो, जबकि असल में वे कई कत्ल कर चुके हैं ...



मैं सिर्फ विशाल की बात कर रहा हूँ जेलर साहब

हो सकता है वह भी भीतर से कुछ और हो, और बाहर से कुछ और ही हो ...
पुनीत ने सिगरेट का एक कश लगाया और आगे बोला ... आपको यह तो मालूम ही होगा कि उसे फांसी की सजा क्यों मिली ?

जी हाँ... वह अपनी बहन से धंधा करवाता था जबकि उसकी बहन रवी नाम के किसी लड़के से प्यार करती थी ... मगर विशाल उन दोनों के प्यार के बीच दीवार बन कर खडा हो गया और...

यह तो विशाल पर लगाया गया इल्जाम है जेलर साहब , जबकि हकीकत तो वो है जो विशाल ने अदालत में बयान की थी ....

जेलर की आँखों में हैरानी भर गई... कहीं आप यह तो नहीं कहना चाहते कि चौधरी साहब, एस पी राजीव सेन, मजिस्ट्रेट प्रताप सिंह और बैरिस्टर सुरेश पाटील असली अपराधी है.

चुईगम चबाते हुए बड़े ही मोहक अदांज में मुस्कुराया पुनीत शर्मा ...

इंसान की शक्ल देख कर ही उसके भीतर झांक लेने की ताकत है मुझमें ... मैं दावे से कह सकता हूं कि असली गुनहगार वे चारों चांडाल है और विशाल उनकी घिनौनी साजिश के तहत फंसाया गया एक बेगुनाह और निर्दोष इंसान हैं ...

इस बार जेलर भी मुस्कुराया और बोला... अगर इतने ही अंतर्यामी है आप तो बतायें, मैं भीतर से कैसा हूं ?

प्रत्युत्तर में पुनीत भी मुस्कुराया... उसने सिगरेट का कश लगाया और जेलर की आँखों में झांकते हुए रहस्यमय स्वर में कहा ....

साफ साफ बता दूं ?

बेशक

बुरा तो नहीं मानेंगे

हडबडाया जेलर... बुरा क्यों मानूंगा मैं ...


पुनीत की मुस्कान अपने पूरे शबाब पर थी और उसी मुस्कान के साथ बोला

सच्चाई बहुत कडवी होती है जेलर साहब

आ. आप बताइए ना, मैं कतई बुरा नहीं मानूंगा ....

अब तो जेलर भी सस्पेंस के मारे यह जानने बेताब हो गया था ....

पुनीत ने सिगरेट का आखरी सुट्टा मारा और उसकी आँखों में झांकते हुए कहा ...

औरत के मामले में आप बेहद कमजोर शख्स हैं, आप हर रोज किसी नई औरत के साथ सोने के रसिया है... यह मैं नहीं आपका चेहरा बता रहा है

हैरत के प्रशांत महासागर में गोते लगाने लगा जेलर... आँखों में शर्म और बेचैनी भरने लगी...

जेलर अभी भी हैरत के झूले झूल ही रहा था कि पुनीत बोल पड़ा ...

लेकिन विलासप्रिय होने के बावजूद भी आपने औरत को अपनी कमजोरी नहीं बनने दिया , आपकी आँखें बता रही है कि फर्ज के मामले में आप मिस वर्ल्ड को भी ठुकराने की ताकत रखते हैं

जेलर हैरानी से आँखें फाडे पुनीत शर्मा को देखने लगा.. उसकी आँखों में हैरानी के साथ साथ अविश्वास के साये भी लहराते नजर आ रहे थे

पुनीत के होंठों पर अभी भी सदाबहार मुस्कान थी .. कहिये , मैंने जो कहा वो सच है या झूठ ?


आप ज्योतिष विद्या जानते हैं क्या ?

जी नहीं ... मैं सिर्फ आदमी को जानता हूँ, उसे पहचानता हूँ ... मैं यह नहीं बता सकता कि आप कितने ज्यादा भ्रष्ट हैं ... आपकी आंखों में लालच जरूर है , मगर इतना भी नहीं कि लालच में अंधे हो जायें आप.... अब ये लालच औरत के लिए है या पैसों के लिए , यह आपसे बातें करके ही मालूम कर सकता हूं , अन्यथा नहीं...
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Re: ताकत की विजय

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आप तो सचमुच अंतर्यामी हो शर्मा जी... इंसान की शक्ल देख कर इतना कुछ जान लेने की क्षमता लाखों करोड़ों में किसी एक के पास ही हो सकती है...

और अपनी उसी क्षमता के आधार पर मैं विशाल को निर्दोष कह रहा हूँ ....

काफी देर के बाद गहरी निश्वास ली जेलर ने, फिर बोला... हो सकता है कि वह निर्दोष हो , लेकिन मैं मजिस्ट्रेट नहीं जो उसे रिहा कर दूं ...

मेरी अपनी भी कुछ सीमायें है ........
मैं जानता हूं ... बोला पुनीत शर्मा... और मैंने यह भी कहा था कि दुश्मन को मेरे यहाँ आने की खबर लग चुकी है जबकि मैं दिल्ली से सीधा यहां आ रहा हूं

आपका मतलब चौधरी वगैरह से है ?

बिल्कुल..

मगर उन्हें कैसे पता चल गया ?


सोचिये .. कैसे पता चला? जबकि मैं रास्ते में कहीं रूका नहीं , किसी से बात भी नहीं की.. फिर भी उन्हें पता चल गया है

जेलर की आँखों में सोचे उभर आई ....

पुनीत चुईगम चबाता हुआ उसे देखने लगा....

सहसा बुरी तरह से चौंका जेलर और हैरानी से पुनीत शर्मा को देखते हुए बोला ... क कहीं आप यह तो नहीं कहना चाहते कि मेरी जेल के किसी मातहत ने उन्हें सूचित कर दिया है ...

मैं बिल्कुल यही कहना चाहता हूं जेलर साहब... वही सदाबहार मुस्कुराहट के साथ बोला पुनीत शर्मा...

नामुमकिन ... बुरा सा मुंह बनाया जेलर ने... मेरा कोई भी मातहत ऐसी बेवकूफी हरगिज नहीं कर सकता ...

मैं आपको विश्वास करने के लिए मजबूर नहीं कर रहा जेलर साहब , मैं सिर्फ यह कहना चाहता हूं कि विशाल कि सुरक्षा की जिम्मेदारी सिर्फ आप पर है , अगर उसे कुछ हो गया तो सारा इल्जाम आप पर ही आयेगा ... कहते कहते पुनीत शर्मा का स्वर सर्द हो गया ...

आप यह कहना चाहते हैं कि जेल में विशाल की हत्या हो सकती है .....

पुनीत शर्मा सिगरेट सुलगाते हुए बोला ... कुछ भी हो सकता है.. कहकर खडा हो गया और सिगरेट का जोरदार कश लगाकर कहा.. आपकी जेल में रामभरोसे नाम का वार्डन हैं ?

हां.... तो ?

उस पर नजर रखियेगा .... कहकर पुनीत शर्मा दरवाजे की ओर बढ़ गया, उसने यह देखने की कोशिश भी नहीं की कि उसकी बात से जेलर पर क्या प्रतिक्रया हुई है ....

पिछे रह गया था असमंजस में डूबा जेलर और धुंये का गुब्बार .....
होंठों पर जहर भरी मुस्कान थिरकने लगी पुनीत शर्मा के , आँखों में अजीब सी चमक नाच उठी.. स्टीयरिंग व्हील के पीछे बैठे पुनीत ने बैक मिरर में उस नीली वैन को तभी से अपने पीछे लगा देख लिया था जब वह जेल से बाहर निकला था ....

उसका इरादा किसी अच्छी होटल में कमरा लेने का था , लेकिन अब यह इरादा फिलहाल बदल गया था ...

पहले इन लोगों से निपट लूं फिर होटल जाऊंगा ... मन ही मन बड़बड़ाया

उस वक्त वह एक रोड पर चल रहा था और थोड़ा आगे चलकर चौराहा आता था

पुनीत रायपुर की सड़कों से अंजान था सो उसने उसी सडक पर नीली वैन वालों से निपटने का निश्चय कर लिया और अपनी कार की स्पीड कम कर दी

स्पीड कम करते वक्त उसने वापिस बैक मिरर में देखा.... नीली वैन उसकी कार के काफी करीब आ चुकी थी

पुनीत ने कार सड़क के किनारे खड़ी की और दरवाजा खोल कर बाहर आ गया

उसने दरवाज़ा बंद किया और कार से पीठ लगाकर एक सिगरेट सुलगा ली..

ठीक तभी वो नीली वैन उसके बराबर से गुजरी और कुछ कदम आगे जाकर खडी हो गई

पुनीत के होंठों पर फैली मुस्कान गहरी हो गई , उसने सिगरेट का लम्बा सुट्टा लगाया और होंठों को गोल करके मुंह से धुंये के छल्ले निकालने लगा....

देखने से यही लगता था कि वह अपने आप में व्यस्त हैं लेकिन उसकी बाज नजरें निरंतर वैन पर गडी हुई थी

तभी वैन का दरवाजा खुला और एक एक करके उसमें से आठ गुंडे बाहर निकले...

गुंडो के चेहरों से ही नजर आ रहा था कि वे हद से ज्यादा खतरनाक और क्रुर है ... तीन के हाथों में हॉकीया थी , दो लोहे के भारी सरीये उठाये हुए थे , दो के हाथों में तेजी धार वाले चाकू थे जबकि एक गुंडा खाली हाथ था

मगर पुनीत की नजरों से उसकी जेब का उभार छुप नहीं पाया


तो महाशय रिवाल्वर लिये हुये हैं ... मन ही मन मुस्कुराया पुनीत... मेरे स्वागत का पूरा इंतजाम कर रखा है चौधरी एंड पार्टी ने, देखते हैं ... कितने पानी में है ये ...

गुंडे उसके सामने आकर खडे हो गये और खौफनाक निगाहों से उसे घूरने लगे...

पुनीत शर्मा चेहरे पर हैरानी लाते हुए उन्हें देखने लगा

ऐ...

तभी खाली हाथ वाला गुंडा उसके सामने आकर गुर्राया

कहिये भाई साहब... पुनीत जान बूझकर थोड़ा सहमे स्वर में बोला..

पुनीत शर्मा हैं ना तू ?

हूं तो.. फिर ?

दिल्ली से यहां मरने आया है ... तभी पीछे से एक दूसरा गुंडा बोल पड़ा

उसकी बात पर सभी हंसने लगे

पुनीत अंदर ही अंदर मुस्कुराया मगर प्रत्यक्ष वह घबराये अंदाज में उन्हें देखने लगा ...

क्यूँ भाई साहब ?

अपना पता बता दें ताकि तेरे घरवालें तेरी लाश को यहां से ले जा सके ...

तब पहली बार पुनीत के होंठों पर मुस्कान उभरी

यानी मेरी मौत के बाद मेरे घर मेसेज भेजोगे ?

लगता है मौत को सामने देख कर पगला गया है , देखो तो कैसे मुस्कुरा रहा है साला ...

अपना पता बता ... खाली हाथ वाला बोला

मेरा पता जानने की जरूरत नहीं भईया मेरे , हां तुम लोगों के पते मालूम है मुझे , फोन नंबर मालूम नहीं.. वो बता दो तो तुम्हारे आका चौधरी को फोन करके मेसेज भेज दूँगा.... क्योंकि तुम लोगों को अस्पताल जाने की फौरन जरूरत होगी... चाहो तो पहले अपने बाप को फोन कर लो

सुनकर गुंडे का पारा चढ़ गया
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Re: ताकत की विजय

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जिगरा तो देखो हरामी का.. वह गुर्राया... मौत सामने देख कर भी कैसा अकड़ रहा है


अरे... मुझे तो तरस आ रहा है तुम लोगों पर, जो चौधरी ने तुम्हारे हाथ पैर तुड़वाने के लिए मेरे पास भेज दिया...

बात पूरी करते ही अचानक पलक झपकते ही पुनीत का जिस्म हवा में उछला और वह उन गुंडो के सिरों से पार होता हुआ उनके पीछे जा खडा हुआ

आठों गुंडे चमक्रत रह गये, हकबका कर पीछे मुड़े तो पुनीत को मस्ती में सिगरेट का कश लगाते हुए अपने सामने खड़े पाया... अपनी उसी सदाबहार मुस्कान के साथ

खाली हाथ वाला गुंडा अपने साथियों को दांये बायें धकेल कर पुनीत शर्मा के करीब आया और बेहद खौफनाक अंदाज में गुर्राया ... माना कि तेरे में गजब की फुर्ती हैं मगर अभी कुछ ही देर में तेरी सारी उछल कूद धरी की धरी रह जायेगी और तू लाश बनकर इस जगह पर पड़ा होगा...

वो क्या है भाई मेरे , दस लाख की कार है मेरी ... अगर टूट फूट हो गई तो तुम्हारा बाप तो आकर नुकसान की भरपाई करेगा नही... सो मैं इधर आ गया... अब ज्यादा डॉयलॉग बाजी मत करना और सभी एक साथ आ जाओ... एक एक से भिडूंगा तो व्यर्थ का टाइम बरबाद होगा...

बहुत लम्बी हो रही है हरामजादे की जुबान... वही खाली हाथ वाला गुंडा चिल्लाया.... टुकड़े टुकड़े कर दो हरामी के

सभी गुंडे हथियार संभाले खतरनाक ढंग से पुनीत शर्मा की तरफ लपके....

मगर उन बेचारों को क्या मालूम था कि पुनीत शर्मा क्या बला है .. अगर पता होता तो आठ की बजाय अस्सी आते और तब भी पुनीत शर्मा के सामने आने से घबराते ...

जैसे ही वे पुनीत के करीब पहुंचे ....

पुनीत के गले से एक खौफनाक हुंकार निकली और वह गुंडो पर कहर बनकर टूट पड़ा

बेचारों को हथियार उठाने तक का भी मौका नहीं दिया उसने

ढिशुम ढिशुम की आवाजों के साथ गुंडो की चीखें गूंजने लगी

पुनीत शर्मा बिजली से भी तेज रफ्तार से उनकी धुलाई करने लगा... उन बेचारों को वार करने का भी मौका नहीं मिल रहा था और फिर वार तो तब करे ना जब पुनीत किसी एक जगह नजर आये ... वो तो बस एक पल यहा और पलक झपकी नहीं की वहां...


इधर गुंडो की चीखें गूंज रही थी और उधर खाली हाथ वाला गुंडा जो कुछ देर पहले अवतार सिंह की वाहवाही लूटने के सपने देख रहा था... पुनीत शर्मा की गति , फुर्ती और उसकी मारक क्षमता को देखकर खुद उसके सपने लुट चुके थे

पूरी तरह बौखला गया था... वह तो सपने में भी नहीं सोच सकता था कि कोई इंसान इतना तेज तर्रार और खतरनाक भी हो सकता है

पुनीत का फौलादी घूंसा या लात जिसे भी एक बार पड जाती वह दोबारा उठने के लायक नहीं रहता ...

फकत दो मिनट लगे पुनीत शर्मा को, सातों गैंडो (गुंडो) को धूल चटाने में

दो मिनट में ही सभी गुंडे सड़क पर इधर उधर बिखरे पड़े गहरी सांसें ले रहे थे.. किसी का दांत टूट चुका था तो किसी का सर फूट गया था तो किसी की बाजू उतर चुकी थी तो कोई अपनी टूटी टांगों को लेकर कराह रहा था
पुनीत ने मस्त अंदाज में हाथ झाडे और मुस्कुरा कर खाली हाथ वाले गुंडे की तरफ देखा

तेरे ये कुत्ते तो कुछ भी नहीं कर पाये भाई मेरे , अब बोल क्या किया जाए...

गुंडा पहले तो बौखलाया मगर फिर अगले ही पल उसने जेब से रिवाल्वर निकाल कर पुनीत शर्मा पर तान दी ...

इस खिलौने का कद तो बहुत छोटा है... रिवाल्वर को हाथों में घूमाते हुए वह गुंडा बोला.. लेकिन हैं यह बहुत खतरनाक और इसके सामने तेरी कोई चुस्ती फुर्ती भी काम नहीं कर पायेगी हरामजादे.. बस धांय की आवाज होगी और तू नरक के दरवाजे खटखटा रहा होगा

लापरवाही से हंसा पुनीत.. फिर बोला ...

तेरा निशाना तो ठीक है ?

फिक्र मत कर , गोली सीधे दिल में उतरेगी

फिर क्या बात है, चला दे

उसी के साथ गुंडे ने ट्रिगर दबा दिया

धांय ....

गोली रिवाल्वर की नाल से निकल कर पुनीत शर्मा की तरफ बढ़ी ....

पुनीत की बाज नजरें बराबर रिवाल्वर पर जमी हुई थी

उसने गोली की रफ्तार को अपनी नजरों से तोला और एक पल के सोंवे हिस्से में जरा सा दांयी तरफ झुक गया... गोली सनसनाती हूई उसके शरीर से दो इंच की दूरी से निकल गई....

और पुनीत जरा भी विचलित हुए बगैर अपनी जगह पर खडा था , उसी सदाबहार मुस्कान के साथ... जो उसके व्यक्तित्व का एक अभिन्न हिस्सा बन चुकी थी ...

गुंडे की आंखें हैरत से फट पडी.. उसे अपने निशाने पर पूरा भरोसा था.. मगर फिर यह बच कैसे गया...

धांय.........

उसने दूसरा फायर किया

मगर गोली पुनीत शर्मा को छू भी नहीं पाई

तेरा निशाना तो फुस्स निकला रे भईये... पुनीत हंसा... चल एक बार और आजमा ले

बौखला कर इस बार गुंडे ने दो बार ट्रिगर दबा दिया

नतीजा फिर वही

ढाक के तीन पात

धांय........


गुंडे के हाथ से रिवाल्वर छूट कर एक तरफ जा गिरी

वह हैरानी से पुनीत शर्मा को देखने लगा जो रिवाल्वर की नाल को फूंक मार रहा था ... उसे पता तक नहीं चला कि पुनीत के हाथ में कब रिवाल्वर आई और कब गोली चली

देखा , इसे कहते हैं निशाना ... पुनीत रिवाल्वर का रूख उसकी तरफ करते हुए मुस्कुराया

रिवाल्वर का रूख अपनी तरफ होते देख गुंडे की आँखों में मौत नाच उठी ...

न-हीं... म-मुझै मत मारो.. गुंडा दोनों हाथ जोड़कर चीख उठा

पुनीत उसके करीब आ गया और रिवाल्वर उसके सीने पर रख कर सर्द लहजे में गुर्राया...

चौधरी के बारे में क्या जानता है ?

म में किसी चौधरी को नहीं जानता ... गुंडा कांपते हुए बोला

लगता है मुझे तेरे से ही शुरूआत करनी पड़ेगी.. पुनीत के होंठों से फुंफकार निकली

म म मैं सच कहता हूँ म म मैं चौधरी को न नहीं जानता

तो फिर ....

हमें तो अवतार सिंह ने भेजा है

अवतार सिंह कौन ?

ह हमारा बॉस है

और अवतार सिंह का बॉस चौधरी है.....

म. मैं इसके बारे में कुछ भी नहीं जानता साहब... हमें तो बॉस ने हुक्म दे कर भेजा था कि आपको खत्म करना है

मुझे कैसे जानते हो ?

हमें आपका हुलिया बताया गया था और यह कहा गया कि आप जेल में गये हुए हैं ...

पुनीत के होंठों पर मुस्कान नाच गई
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Re: ताकत की विजय

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कुत्तों ने दो घडी आराम भी नहीं करने दिया , आते ही शुरू हो गये.... चल भई , हम भी शुरू हो जाते हैं

इतना कहकर पुनीत ने कराटे का एक वार किया और गुंडा बेहोशी की हालत में सड़क पर लुढ़क गया ...

जोगलेकर ने ऊपर से नीचे तक पुनीत शर्मा को घूरा फिर उसके चेहरे को घूरते हुए पुलिसिया अंदाज में गुर्राया... क्या है ?

जवाब देने के बजाय पुनीत शर्मा ने जेब से सिगरेट का पैकेट निकाला और एक सिगरेट सुलगा ली...

तुम्हारा नाम ही जोगलेकर है ? वह उसे देखते हुए मुस्कुराया...

हां ... तो.. वही पुलिसिया अकड़

बहुत नाम सुना है तुम्हारा कि फर्ज के आगे तुम किसी को कुछ नहीं समझते... आज आजमाने चला आया हूं ...

जोगलेकर के माथे पर बल पड़ गये , आंखे सिकुड गई...

कौन हो तुम ? उसके स्वर में गुर्राहट थी

पुनीत शर्मा ...

बुरी तरह से उछल पडा जोगलेकर... सिकुडी आंखे फैल कर चौड़ी हो गई

पुनीत के होंठों पर फैली मुस्कान गहरी होती चली गई...

तुम्हारा इस तरह चौंकना बता रहा है कि तुम मेरे नाम से भलीभांति परिचित हो ...

जोगलेकर कुछ नहीं बोला.. बस फटी फटी आँखों से सकते कि सी हालत में पुनीत को देखता रह गया ...

बाहर एक नीली वैन खडी है... पुनीत शर्मा इस बार थोडे सख्त स्वर में बोला.. उसमें अवतार सिंह के आठ गुंडे मय हथियारों के घायल पडे है..

चौंक गया जोगलेकर...

क किसने मारा उन्हें ?

मैंने ... बोला पुनीत शर्मा और सिगरेट होंठों से लगा ली..
हां तो दोस्तो, आगे बढने से पहले जरा पुनीत शर्मा के बारे में भी जान लेते हैं ...

देव साहब का छोटा भाई है और उम्र में देव साहब से दस साल कम है... जहां देव साहब 39-40 के हैं वहीं पुनीत महज 29 साल का खूबसूरत नौजवान हैं ...

हट्टा कट्टा कसरती जिस्म , कद लगभग छह फीट , होंठों पर हमेशा मोहक मुस्कान जो हर किसी का दिल जीत ले लेकिन यही मुस्कान दुश्मनों के लिए कयामत बन जाती हैं

हंसते हंसते अपने दुश्मनों को स्वाहा करना पुनीत का पसंदीदा शगल है .... पर देखते हैं इस बार यह मुस्कान कितनी दिलफरेब होती है

और जो कुछ पुनीत शर्मा आज है , उसके पीछे पुनीत की मेहनत, लगन, कठोर परिश्रम के अलावा देव साहब का भी बहुत बड़ा योगदान है

जब पुनीत 15 साल का था तभी से देव साहब ने उसे हर तरह की ट्रेनिंग दिलवाना आरंभ करवा दिया था ...

इसलिए आज पुनीत को वन मेन आर्मी कहा जाये तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी...
जूडो कराटे , पहलवानी का हर दांवपेंच , हथियारों
और गोला बारूद की छोटी से छोटी जानकारी , सम्मोहन कला, जासूसी , घुड़सवारी , तैराकी, हर तरह की गाड़ियों को दक्षता से चलाना, सांस को 5 मिनट तक रोके रखने की कला, कमांडो ट्रेनिंग ... और भी बहुत कुछ जिनमें वो हर तरह से दक्ष था...

कानून को अपना भगवान मानता है मगर सच्चाई और इंसाफ के लिए अपने भगवान से टकराना पडे तो बेहिचक टकरा जाने को हर पल तैयार रहता है ...

सच्चाई ही मेरा कलमा
सच्चाई ही मेरा करमा
सच्चाई ही मेरा धरमा

और शायद इसीलिए भगवान ने भी उसे अपने आशीर्वाद और अनगिनत खूबियों से नवाजा है जिनका उसने कभी दुरूपयोग नहीं किया...

उसने हमेशा अपने शक्ति बल को सच्चाई और इंसाफ के लिए इस्तेमाल किया नाहक प्रदर्शन से हमेशा दूर ही रहा

एक अनूठी और बेमिसाल शख्सियत का नाम है ...पुनीत शर्मा

तो चलिये अब आगे बढते हैं और देखते हैं थाने में क्या गुल खिलाये जा रहे हैं..

जोगलेकर की आँखों में क्रूरता भर आई... अपनी बहादुरी का सबूत दे रहे हो या बदमाशी का ढिंढोरा पीट रहे हो ? गुर्राया जोगलेकर

उन्होंने मुझ पर जानलेवा हमला किया तो आत्मरक्षार्थ मुझे उन्हें जख्मी करना पड़ा

जोगलेकर के होंठों पर भयानक मुस्कान नाच उठी उसने टेबल पर पडी घंटी पर जोर से हाथ मारा

टन्न.. टन्न की आवाज के साथ ही एक हवलदार ऑफिस में दाखिल हुआ

गिरफ्तार कर लो इसे.. वह दहाडा

पुनीत शर्मा चौंका बिल्कुल नहीं बल्कि उसके होठों पर मुस्कान थिरक गई

किस जुर्म में गिरफ्तार किया जा रहा है मुझे ? पुनीत बोला ... क्या आत्मरक्षा करना कानून की नजर में अपराध है ?
साले जुबान लडाता है ... झटके से खडा हो कर दहाडा जोगलेकर

पुनीत की आँखों में लहू भरने लगा , चेहरा पत्थर की तरह खुरदरा हो गया ....

इंस्पेक्टर... उसके होंठों से गुर्राहट निकली... अगर मैं चाहूं तो अभी इसी वक्त तुम्हें तुम्हारी गुस्ताखी की सजा दे सकता हूं... मुझे विशाल समझने की भूल मत करना , मैं वो हूं जो अगर अपनी पर आ जाऊं तो वो हाल करके छोड़ दूं कि दुनिया को मुंह दिखाने के भी काबिल ना रहे और तमाम उम्र अफसोस करे कि पैदा हुआ तो क्यूँ हुआ... एक एक शब्द को चबाते बोलता गया पुनीत ...

जिस निडरता और आत्मविस्वास से पुनीत ने जो कहा, उसे सुनकर एकबारगी तो जोगलेकर भीतर ही भीतर कांप उठा, मगर तभी उसकी आँखों के आगे निरंजन चौधरी, राजीव सेन, प्रताप सिंह और सुरेश पाटील के चेहरे नाच उठे.... वे चारों रायपुर के मालिक थे , उनकी जुबान से निकला शब्द कानून था... उनके सामने भला इस मामुली वकील की क्या औकात

यही सोच कर वह पुनः चौडा हो गया

इसे हवालात में बंद कर दे.. वह हवलदार से बोला... और इस पर गुंडागर्दी करने तथा आठ निर्दोष लोगों को बुरी तरह से मारने का आरोप लगा कर मुकदमा दर्ज कर दो... बच्चू को कल अदालत में पूरे एक महीने के लिए रिंमाड पर मांगूंगा..और एक महीने बाद जब तू वापिस अदालत में हाजिर होगा तब तेरी यह कैंची की तरह चलती जुबान बोलना तक भूल चुकी होगी

जवाब देने के बजाय पुनीत मुसकुराया और कुर्सी पर पसर कर सिगरेट के कश लगाने लगा...

अब इस बेवकूफ़ जोगलेकर को कौन समझाए कि पुनीत तो अदालत की दुनिया का सबसे बड़ा खिलाड़ी था...
वे आठों गुंडे कटघरे में तथा कठघरे के बाहर खड़े थे... दो की टांग टूटी हुई थी जिन पर प्लास्टर चढा हुआ था तो उन्हें कुर्सियों पर बिठाया गया था

मुजरिमों वाले कठघरे में पुनीत खडा था

वकीलों के लिए लगी लम्बी मेज के पीछे सुरेश पाटील बैठा मजाक उड़ाने वाली मुद्रा में पुनीत शर्मा को देख रहा था

पुनीत शर्मा के पीछे जोगलेकर खडा था तथा उसके साथ ही राजीव सेन खडा था

प्रताप सिंह अभी अपने चैम्बर से नहीं निकला था

सुरेश पाटील के देखने के ढंग से पुनीत समझ गया था कि वह सुरेश पाटील ही है , फिर भी अपनी तसल्ली के लिए उसने मुस्कुरा कर सुरेश पाटील को आंख मार दी

बौखला कर सुरेश पाटील ने पहले दांये बांये देखा फिर वापिस उसकी तरफ देखने लगा
पुनीत ने पुनः उसे आंख मारी और सिर को हिलाकर उसको अपने करीब आने का इशारा किया

हडबडाया सुरेश पाटील और खडा हो कर मेज के पहलु से निकल कर पुनीत के करीब आ खडा हुआ

तुम ही सुरेश पाटील हो ना ?


हाँ... क्यों ?

तुम्हारे दुसरे पार्टनर राजीव सेन और चौधरी नहीं आये ?

क्या मतलब ? कहते हुए सुरेश पाटील की निगाह पुनीत शर्मा के पीछे चली गई
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बन्धन
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दिल से दिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
तुफानो में साहिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
यूँ तो मिल जाता है हर कोई!
मगर आप जैसे दोस्त नसीब वालों को मिलते हैं!
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Jemsbond
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Re: ताकत की विजय

Post by Jemsbond »


पुनीत ने उसकी नजर का पीछा किया... जोगलेकर के साथ एस पी की वर्दी में राजीव सेन को फौरन पहचान लिया

तो यह है राजीव सेन, प्रताप सिंह तो अभी आ ही जायेगा , बाकी रहा चौधरी... वो कहाँ है ? उसके भी दर्शन कर लेता तो मुझे बाद में मुश्किल न पडती

तुम कहना क्या चाहते हो ?

कुछ नहीं.. हौले से हंसा पुनीत.. जाओ अपनी जगह पर बैठो , जज साहब के आने का वक्त हो गया है

सुरेश पाटील पैर पटकता हुआ वापिस अपने स्थान पर जाकर बैठ गया

ठीक वक्त पर प्रताप सिंह अपने चैम्बर से निकल कर अपनी कुर्सी की तरफ बढ़ा तो अदालत में मौजूद सभी लोग उसके सम्मान में खड़े हो गए

प्रताप सिंह अपनी कुर्सी पर बैठा और भारी स्वर में बोला..

कार्यवाही शुरू की जाये....
यस मी लार्ड ... सुरेश पाटील सिर को हल्के से झुका कर बोला... फिर कठघरे में खड़े आठों गुंडो की तरफ अंगुली से इशारा करते हुए कहा.. मी लार्ड , यह लोग रायपुर के नेक और इज्जतदार शहरी हैं... और यह... पुनीत शर्मा की तरफ अंगुली को खंजर की तरह तानकर बोला... चेहरे से शरीफ नजर आने वाला एक खौफनाक बदमाश... इस बदमाश ने इन लोगों की हड्डियां सिर्फ़ इसलिए तोड दी क्योंकि इन्होंने इसे हफ्ता देने से इंकार कर दिया था... यह बदमाश दिल्ली से यहां आया और आते ही यहां ऐसा गंभीर अपराध कर डाला ... इसका यह अपराध दर्शाता है कि इसने दिल्ली में भी बड़े बड़े गुनाह किये होंगे... इसलिए मैं अदालत से दरख्वास्त करूंगा कि उन गुनाहों का पता लगाने के लिए अदालत अभियुक्त को कम से कम एक महीने के लिए पुलिस रिमांड पर भेजने का आदेश दे....

प्रताप सिंह की गर्दन पुनीत शर्मा की तरफ घूमी...

क्या आपने अपना कोई वकील किया है ? अगर नहीं तो ...


यह तो खुद एक वकील हैं मी लार्ड... सुरेश पाटील बीच में ही बोल पड़ा ... इस लिहाज से इसका गुनाह और भी संगीन हो जाता है ...

क्या ये सच है ? जज ने पूछा

यस मी लार्ड ... मुस्कुराया पुनीत

आप कुबूल करते हैं कि आपने इन्हें इस हालत में पहुंचाया है ?

पुनीत ने गुंडो की तरफ देखा, फिर बोला... इन आठों के जिस्म देखिये मी लार्ड , एक भी आदमी ऐसा नहीं जो मुझसे उन्नीस नजर आता हो... सब के सब मुझसे बाइस तेइस चौबीस ही है... ऐसे में मैं अकेला इन आठों से एक साथ भला कैसे निपट सकता हूं जज साहब ... केस आइने की तरह बिल्कुल साफ है मी लार्ड कि मुझे जानबूझ कर फंसाया जा रहा है ...

पुनीत के मुंह से झूठ निकलते देख सुरेश पाटील चीखा..

यह झूठ बोल रहा है मी लार्ड , आप इन लोगों से पूछ लिजिये

मैं तो इन्हें जानता तक नहीं .. पुनीत ने बड़े आराम से कहा

यह झूठ बोल रहा है .. वह गुंडा चीखा, जिसने पुनीत शर्मा पर गोलियां चलाईं थी.. इसी ने हमें मारा है ...

झूठ मैं नहीं , तुम बोल रहे हो.. मुझ शरीफ और नेक शहरी पर इल्जाम लगा रहे हो... पुनीत शर्मा ने कहा

तुम झूठे हो.. गुस्से में चिल्लाया वो गुंडा

अगर मैं झूठा हूं तो बताओ कहा पर मारा तुम्हें ?


महाराजा रोड पर मारा था तुमने हमें...


अच्छा - अच्छा ... पुनीत शर्मा को जैसे अब याद आया हो.. तो वो तुम लोग थे जो नीली वैन में मेरा रास्ता रोक कर खडे हो गये थे ..

देखा मई लार्ड... सुरेश पाटील चीखा.. इस बदमाश ने इनके हुलिये को इस कदर बिगाड़ दिया है कि खुद ये लोग पहचाने नहीं गये... क्या अब भी शक की कोई गुंजाइश है कि इसने इन्हें नहीं मारा ...

पुनीत शर्मा के होंठों पर मुस्कान नाच उठी.... तो तुम कबूल करते हो कि इन्होंने ही मेरा रास्ता रोका था ...

हडबडा गया सुरेश पाटील.. जबकि पुनीत शर्मा प्रताप सिंह की तरफ देखते हुए बोला..

मी लार्ड , मैं तो अपनी गाड़ी में आराम से जा रहा था मगर इन्होंने मेरा रास्ता रोक लिया और वैन से उतरकर मेरी तरफ बढे ... इन सभी के पास हॉकीयां, चाकू तथा लोहे के डंडे थे... और इसके पास तो रिवाल्वर भी थी.... इनका इरादा मुझे जान से मारने का था...
अब आप ही बताइए , अपनी रक्षा सुरक्षा के लिए इन्हें जख्मी करके क्या मैंने कोई गुनाह किया ?

य यह झूठ बोल रहा है , हमारे पास कोई हथियार नहीं था... रिवाल्वर वाला गुंडा चीखा

क्यों झूठ बोलता है यार.. पुनीत शर्मा बोला... पूरी की पूरी रिवाल्वर खाली कर डाली थी तुमने मुझ पर , मगर अफसोस कि तेरा निशाना ठीक नहीं बैठा

तैश में आ कर वो गुंडा फिर चीखा... य. यह फिर झूठ बोल रहा है जज साहब , मैंने तो सिर्फ चार गोलियां ........

बाकी के शब्द हलके में ही घुट कर रह गए उसके... अपनी गलती का अहसास हो चुका था उसे और दांतों से जीभ काटने लगा

पुनीत शर्मा धीरे से मुस्कुरा उठा
प्यास बुझाई नौकर से Running....कीमत वसूल Running....3-महाकाली ....1-- जथूराcomplete ....2-पोतेबाबाcomplete
बन्धन
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दिल से दिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
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