ताकत की विजय

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Jemsbond
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Re: ताकत की विजय

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आयुष के साथ राजीव सेन ने जैसे ही खंडहर में प्रवेश किया, उसके कदम वही थम गये

नजरे एकटक जोगलेकर और अवतार सिंह की लाशों पर टिक गई.... चॉंद की रोशनी में दोनों की लाशें साफ पहचानी जा सकती थी

आयुष हालांकि पहले से ही जानता था कि खंडहरों में उसे दोनों की लाशों के दर्शन होंगे, फिर भी लाशें देखकर उसका कलेजा उछल कर हलक में आ गया

य यह तो इंस्पेक्टर साहब की लाश है सर.... कांपते स्वर में बोला आयुष

देख रहा हूँ.... गुर्राया राजीव सेन... साथ में उस हरामजादे अवतार सिंह की लाश को भी देख रहा हूँ

आयुष थूक निगल कर रह गया

तभी राजीव सेन की निगाहें दोनों लाशों के करीब पडी रिवॉल्वरो पर पड़ी

रिवॉल्वरे देखते ही वह फौरन इस नतीजे पर पहुंचा कि अवतार सिंह के सामने आते ही जोगलेकर ने उस पर रिवॉल्वर तान दी और उससे यही पर स्कीम बताने को कहा.... ताकी वह उस स्कीम को बतौर सबूत भुना सके.... अवतार सिंह के बारे में भी वह जानता था कि बेहद फुर्तीला और खतरनाक है सो अवश्य ही अवतार सिंह खतरे को भांप गया होगा सो उसने जोगलेकर को खत्म करने के लिए बिना अपनी तरफ तनी रिवॉल्वर की परवाह किये अपनी रिवॉल्वर निकाली और जोगलेकर पर फायर कर दिया... उधर जोगलेकर ने भी स्थिति को परखते हुये फायर कर दिया

नतीजा..... दोनों एक दूसरे की गोली का शिकार हो गए

जोगलेकर की मौत राजीव सेन के दिमाग में बस एक ही बात बिठा रही थी कि आयुष ने जो कहा है, सही कहा है.. यानी उसका पार्टनर उसकी बेटी पर बुरी नजर रखता था

उस पर..... जिसे वह बेटी बेटी कहते नही थकता था

कमीने..... उसके होंठों से फुंफकार निकली

हरामजादे..... आस्तिन के सांप.... दोस्त बनकर, भाई बनकर, तूने मेरी ही पीठ में जो छुरा भोंकने की कोशिश की है.... उसकी सजा तुझे मिलेगी और जरूर मिलेगी..... मैं तुझे जिंदा नहीं छोडूंगा हरामजादे..... जमीन में गाडकर रख दूंगा तुझे...... मेरी बेटी की तरफ आंख उठाने वाले को मैं जिंदा नहीं छोड़ता

बडबडाते हुए वह झटके से आयुष की तरफ मुडा और सुर्ख आंखों से घूरते हुए फुंफकारा.... यहां कही टेलिफोन बूथ है .?

य यस सर.... तत्परता से बोला आयुष... मंदिर के बाहर एक पब्लिक बूथ है

तू यही ठहर, मैं आता हूँ

यस सर....

राजीव सेन खंडहर से बाहर निकला तो आयुष के होठों पर जहर भरी मुस्कान नाच उठी

उसने लाशों की तरफ देखा और बडबडाया.... बहुत जल्द तुम्हारा एक बाप तुम्हारे पास आने वाला है... स्वागत के लिए नर्क के दरवाजे पर खड़े हो जाना.... फिर अपनी ही बात पर होले से हंस पडा....
ट्रिन - ट्रिन...

फोन की घंटी बज उठी

सुरेश पाटिल की आंख खुल गई

अभी कुछ देर पहले घंटी बजी थी... उसने फोन उठाया... हेल्लो कहा तो फोन कट गया

इसी वजह से उसे थोडी झुंझलाहट हुई थी, मगर फिर पुन: सो गया

अब फिर घंटी बज उठी थी

उसने आंखे मिचमिचाते हुए फोन की तरफ देखा फिर लेटे लेटे ही थोडा सरककर बाहं लम्बी करके फोन उठाया और उनींदे स्वर में हेल्लो बोला

मैं बोल रहा हूँ सेन... दूसरी तरफ से आवाज आई

एकदम से चौकन्ना हो गया सुरेश पाटिल और उठ कर बैठ गया

खैरियत तो है सेन....

तुम फौरन देवी मंदिर के पीछे वाले खंडहरों में आ जाओ, मैं तुम्हारा इंतजार कर रहा हूँ... सेन बोला

लेकिन बात क्या है ? कुछ बताओगे भी या.....

यहां आओगे तो सब मालूम पड जायेगा

यार तुम तो सस्पेंस में डाल रहे हो....

चौधरी साहब और प्रताप सिंह को भी फोन कर दिया है मैंने.... तुंरत यहा पहुंचो

उसी के साथ फोन कट गया.... सुरेश पाटिल हैरान... ऐसी क्या बात हो गई जो सेन उसे देवी मंदिर के पीछे बुला रहा है और कारण भी तो नहीं बताया

जो भी था उसे जाना तो था ही, आखिर पार्टनर ने बुलाया है और फिर दूसरे पार्टनर भी तो वहां पहुंच रहे हैं

उसने फोन रखा और बैड से उतर कर वाश बेसिन के आगे आ खडा हुआ

जल्दी जल्दी उसने अपना चेहरा धोया, तौलिये से मुंह साफ किया और वार्डरोब की तरफ बढ़ गया

जल्दी जल्दी कपड़े बदले और बैडरूम से बाहर आकर ड्राइंगरूम में पहुंचा, वहां से कम्पाउंड में, कम्पाउंड से निकल कर वह पोर्च में खडी अपनी कार की तरफ बढ़ गया

ड्राइवर सीट पर बैठ कर उसने कार स्टार्ट की ओर बैक करता हुआ ड्राइव वे पर ले आया

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Re: ताकत की विजय

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गेट पर खड़े गार्ड ने जब कार की आवाज सुनी तो उसने फौरन गेट खोल दिया

सुरेश पाटील कार चलाते हुए बाहर निकल गया

मौत का सफर आरम्भ हो गया
तुम जाओ आयुष... वापिस खंडहर में प्रवेश करते ही बोला सेन....

यस सर...

और जोगलेकर ने तुमसे जो बात की थी, उसे भूल जाना

ज..जी..... हडबडाया आयुष

यह भी भूल जाना कि तुम मुझे लेकर यहां आये थे

य...यस सर

अगर तुमने किसी के आगे यह बात की और मुझे पता चल गया तो तुम्हारी नौकरी बेशक रहेगी लेकिन नौकरी करने के लिए तुम जिंदा नही रहोगे

मैं किसी को कुछ नहीं कहूंगा सर... बनावटी स्वर में आयुष बोला

शाबाश.... अब जाओ और जितनी जल्दी हो सके अपने घर पहूंचो और आराम से सो जाओ

यस सर कहकर आयुष खंडहरों से बाहर निकल आया

सेन कुछ पल लाशों को देखता रहा फिर वह भी खंडहरों से बाहर आकर खड़ा हो गया

आयुष को उसने वहां से इसलिए भेजा था कि कहीं सुरेश पाटील के मुंह से कोई ऐसी बात ना निकल जाये जो आयुष के सुनने लायक न हो.... ऐसी वैसी किसी बात का वह कल को कोई फायदा भी उठा सकता है... इसलिए उसे वहा से चलता कर दिया

तभी उसकी निगाह अपने ड्राइवर पर पड़ी, जो की कार के बाहर बोनट से टेक लगाये खडा था

इधर आओ... सेन ने उसे आवाज लगाई

ड्राइवर लपकते हुए उसके सामने अदब से आ खडा हुआ

गाडी में बैठ जाओ और शिशे चढा लो

यस सर... हैरान होता हुआ ड्राइवर बस यहीं बोल पाया

खबरदार जो बाहर निकलने की कोशिश की, चुपचाप कार में बैठे रहना...

ड्राइवर की खोपड़ी नाच गई ऐसा आदेश सुनकर

यस सर कहकर वापिस कार की तरफ मुड़ गया ड्राइवर

सेन वापिस खंडहर में घुसा और आगे बढ़कर अवतार सिंह कि लाश के करीब पहुंच गया

हरामजादे... उसने लाश को ठोकर मारी.... मेरी बेटी को अगवा करना चाहता था सूअर की औलाद

लाश करवट में लूठक गई

राजीव सेन झुका और जमीन पर पड़ी उसकी रिवॉल्वर उठा कर जेब में रख ली

लाश को वापस ठोकर मार कर उसने दिल की भड़ास निकाली और पुन: खंडहर से बाहर आ गया
अब उसे सुरेश पाटिल का इंतजार था

यह इंतजार उसे किस कदर भारी पड़ रहा था यह तो उसका दिल ही जानता था

इंतजार करने के साथ साथ उसे खतरे की भी धुकधुकी लग रही थी कि कही पाटिल चौधरी या प्रताप सिंह को फोन ना कर दे

अगर उसने ऐसा किया तो वह चौकन्ना हो जायेगा, तब हो सकता है वह यहा आये ही नहीं

करीब बीस मिनट के लम्बे इंतजार के बाद उसे देवी मंदिर की तरफ आती सड़क पर किसी वाहन की हैडलाईट नजर आई

राजीव सेन सतर्क हो गया

हैडलाईट करीब आई तो उसने पाटिल की कार को तुरंत पहचान लिया

राजीव सेन की आंखों में खुंखार भाव उभरने लगे चेहरे पर कठोरता फैल गई

पाटिल की कार उसकी कार के बगल में आकर रुकी और फिर सुरेश पाटिल उसमें से बाहर निकला

उस पर निगाह पडते ही राजीव सेन के चेहरे पर उत्तेजना फैलने लगी... यह तो वही जानता था कि वह स्वयं पर किस तरह काबू पाये हुए था

सुरेश पाटिल ने भी उसे देख लिया था सो वह सीधा उसकी तरफ बढ़ गया
क्या बात हो गई जो तुमने यहा पहुंचने के लिए अफरा तफरी मचा दी.... करीब आते हुए बोला पाटिल

आ तुझे एक चीज दिखाता हूं... राजीव सेन उसकी तरफ़ पीठ करते हुए बोला और खंडहर में प्रवेश कर गया

उसके पीछे चलते हुए जैसे ही सुरेश पाटिल खंडहर में प्रविष्ट हुआ, उसके हलक से घुटी हुई सी चीख निकल गई

ओह नो...

फटी-फटी आंखों से वह जोगलेकर और अवतार सिंह की लाशों को देखने लगा, फिर उसने राजीव सेन की तरफ देखा और पूछा
... किसने मारा इन्हें ?

सेन ने घुरकर उसे देखा... तुम बताओ, कौन मार सकता है इन्हें ?

मौजूदा वक्त में तो केवल पुनीत शर्मा ही हमारा दुश्मन है

सेन की आंखों में खून उतर आया और होंठों पर भयानक मुस्कान नाचने लगी

मैं जानता था तेरा यही जवाब होगा, क्योंकि यही जवाब तुम सोचकर जो आये हो

सुरेश पाटिल की खोपडी घूम गई सेन की टोन सुनकर, हैरानी से उसे देखते हुए पूछा... तुम कहना क्या चाहते हो ?

एक्टिंग भी अच्छी कर लेता है तू, वकील जो ठहरा... अदालत में झूठ बोलकर भी ऐसी एक्टिंग करनी पड़ती है कि जज तुझे सच्चा समझे.... लेकिन मेरे सामने तेरी कोई एक्टिंग नही चलेगी हरामी

य.. यह तू क्या बक रहा है सेन... तेरी तबीयत तो ठीक है ना?

मेरी तबीयत अब ठीक हो चुकी है हरामी, पहले मैं धोखे का शिकार था हरामजादे

कहने के साथ ही उसने जेब से रिवॉल्वर निकाल कर सुरेश पाटिल पर तान दी
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Re: ताकत की विजय

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रिवॉल्वर देख कर पाटिल के चेहरे पर खौफ उमड आया, रंगत पीली पड़ गई

यह तू क्या कर रहा है सेन ? कहीं तू पागल तो नही हो गया है ?

तेरी मौत तेरे सामने खड़ी है आस्तीन के सांप... मेरी ही बेटी के साथ रेप करने के सपने देख रहा था तू

बूरी तरह से उछल पडा़ सुरेश पाटिल

य... यह क्या कह रहा है तू नयना जैसे तेरी बेटी है वैसे.....

अपनी गंदी जुबान से मेरी बेटी का नाम मत ले हरामखोर... तेरी असलियत जान चुका हूँ मैं.... अवतार को तुने अपने साथ मिला लिया और जोगलेकर को लालच भी दिया.... शुक्र है कि जोगलेकर ने मेरे प्रति वफादारी निभाई, वर्ना अब तक तो तू मेरी बेटी को लूट चुका होता....
यह तू कैसी बहकी बहकी बाते कर रहा है यार.. जरूर किसी ने तुझे मेरे खिलाफ भडकाया है

अब इसका इल्जाम भी पुनीत शर्मा पर लगा दे कि उसने मुझे तेरे खिलाफ भडकाया है

पाटिल ने जोरो से थूक निगली और धडकते दिल को किसी तरह संभालने की कोशिश करते हुए बोला.. वह बहुत चालाक है सेन, जरूर उसी ने तुझे मेरे खिलाफ भडकाया है ... म मैं कसम खाता हूं कि मैं नयनाश्री को अपनी बेटी की तरह मानता हूँ

तेरी बात का भरोसा नहीं मुझे , मेरे मातहत की लाश चीख चीख कर कह रही है कि इसका हत्यारा तू है सिर्फ तू, क्योंकि तेरे ही कारण इसकी मौत हुई है

मेरी बात समझने की कोशिश करो सेन, मैं....

तेरी बात सुनने की अवधि खत्म हो चुकी है हरामजादे... मैंने तुम्हें यहा बुलाया ही इसलिए है कि तुम्हें भी इनके पास पहुंचा दूं

न-नहीं..... थरथरा उठा सुरेश पाटिल.... देवता कूच कर गये पठ्ठे के.... मौत जो सामने खडी थी

मेरी बेटी की तरफ गंदी निगाह से देखने वाले को मैं जिंदा नहीं छोड़ता और तूने तो...

धांय....

बात करते करते उसने गोली चला दी

गोली सीधी सुरेाश पाटिल के माथे के ऐन बीचोबीच जा लगी

सुरेश पाटिल का जिस्म जोर से लहराया फिर धडाम से मुंह के बल निचे गिर पड़ा.... राजीव सेन ने नफरत भरी निगाहों से उसकी लाश को देखा फिर गुस्से से उस पर थूक दिया

फिर उसने रिवॉल्वर को जोगलेकर की लाश के करीब फैंका और खंडहर से बाहर निकल आया
क्या रहा ?

आयुष के कमरे में प्रवेश करते ही पूछा पुनीत शर्मा ने

आयुष आगे बढकर उसके सामने बैड पर बैठ गया

वही हुआ शर्मा जी जैसा आपने चाहा....

यानी राजीव सेन भडक उठा

न केवल भडक, बल्कि उसने फोन करके सुरेश पाटिल को वहा बुला भी लिया

इतनी जल्दी बुला लिया ? हैरानी दिखाई पुनीत ने... मैं तो यही सोच रहा था कि वह पहले जानकारी करेगा , फिर सुरेश पाटिल को खत्म करेगा...

अब तक तो उसने पाटिल को खत्म भी कर दिया होगा...

इसका मतलब यही निकलता है कि राजीव सेन जल्दबाज किस्म का दरिंदा है... वह सोचता बाद में कर पहले डालता है और ऐसे ही आदमी के कदम मौत की तरफ बढते हैं.... फिर आयुष के चेहरे पर निगाह टिकाई और बोला...

तुम्हारा यह काम खत्म हुआ आयुष, अब सुनो तुम्हें आगे क्या करना है...

आयुष थोडा खिसक कर पुनीत के करीब आ गया

तुम अभी दिल्ली के लिए रवाना हो जाओ... पुनीत बोला

दिल्ली ? चौंका आयुष

हा, वहा मेरे बडे भाई देव साहब से मिलना और उन्हें कहना कि हाईकोर्ट के वकील प्रशांत भूषण को फौरन रायपुर के लिए रवाना कर दे

आयुष ने सिर हिला दिया

उनसे कहना कि वकालतनाना भी साथ लेते आये

बेहतर.. मैं कह दूंगा

साथ ही उनसे ये भी कहना कि वे तुम्हारे रहने का बंदोबस्त करवा दे...

क्या मतलब ? एकबार फिर चौंक पडा आयुष

जब तक बाकी के तीनों अपराधी भी उपर नहीं पहुंच जाते, तुम दिल्ली में ही रहो

ल - लेकिन इस तरह तो राजीव सेन को पता चल जाएगा कि..

पता तो उसे सुबह होते ही चल जाएगा जब वह अपने पार्टनरों से मिलेगा.... पुनीत उसकी बात को काटते हुए बोला

फिर तो मेरी नौकरी गई

मुस्कुराया पुनीत.... फिक्र मत करो आयुष, अब जब तुम रायपुर वापिस आओगे तो तुम्हारे कंधे पर एक स्टार लगा होगा... एडिशनल सब-इंस्पेक्टर बन कर आओगे तुम यहां

आयुष पुनीत को ऐसे देखने लगा जैसे उसे लग रहा हो कि पुनीत मजाक कर रहा है

विश्वास नहीं हो रहा न ? सदाबहार मुस्कान के साथ बोला पुनीत

आपने बात ही ऐसी कह डाली कि...

पुनीत की बात कितनी सच और पुख्ता होती है इसका पता तुम्हें तब लगेगा जब तुम वापिस लोटोंगे.... कहकर पुनीत खडा हो गया

आओ मैं तुम्हें स्टेशन छोड दूं

आयुष भी फौरन खडा हो गया और बोला ... कोई पत्र भी साथ लिख देते तो साहब को मुझ पर पूरा विश्वास हो जायेगा

फिक्र मत करो, स्टेशन पहुंच कर लिख दूंगा

फिर दोनों वहा से निकल गये...
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Re: ताकत की विजय

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बुरी तरह से उछल पड़े थे निरंजन चौधरी और प्रताप सिंह... आंखें फट पडी, उन्हीं फटी फटी आँखों से वे राजीव सेन को देखने लगे, जिसने अभी अभी उनके सामने ऐसा विस्फोट किया था कि वे दोनों अभी तक उसके धमाके से उबर नहीं पाये थे


क.. क्या कहा तूने ? बडी मुश्किल से चौधरी के हलक से शब्द निकल पाये... जुबान जैसे तालु से जा लगी

पाटिल मर गया है... राजीव सेन ने भावहीन स्वर में कहा

क.. कैसे मर गया वह ? कल शाम तक तो भला चंगा था... प्रताप सिंह ने सकते की सी हालत में पूछा

सेन ने उसकी तरफ़ देखा और गम्भीरता से बोला.... मैंने उस कुत्ते को गोली से उडा दिया है

इस बार का विस्फोट पहले से भी कई गुणा तेज था

दोनों एक साथ चिंहुक उठे... आंखें फटने की कगार तक जा पहुंची

हलक का सारा पानी सूख गया चौधरी के... उसने पास ही रखा पानी का गिलास उठाया और एक ही सांस में पीता चला गया.... पानी पीकर कुछ राहत की सांस लेकर बोला चौधरी....

तू.. तू होश में तो है सेन ? जानता है तू क्या कह रहा है ?

मैं बिल्कुल होश में हूं चौधरी साहब... मगर वह हरामजादा अपने होश गंवा बैठा था, इसलिए मैंने उसे गोली मार दी

ल. लेकिन क्यों ? क्यों मार डाला तूने उसे ? प्रताप सिंह के होंठों से थर्राया स्वर निकला

क्योंकि वह हरामी मेरी बेटी पर गंदी निगाह रखे हुए था

क्या....?

दोनों के होंठों से एक साथ निकाला...

ऐसी सूरत में भला मैं कैसे बरदाश्त कर सकता था

यह तू क्या बक रहा है , नयना को तो वो अपनी बेटी मानता था...

वह कुत्ता आंखों के पीछे गंदगी समेटे हुए था... बहुत दिनों से वह नयना को पाने के ख्वाब देख रहा था... कल जब पुनीत शर्मा फरार हुआ तो उसे अपनी इच्छा पूरी करने का मौका मिल गया ...

सब कुछ बताता चला गया राजीव सेन

उसकी बातें सुनकर निरंजन चौधरी और प्रताप सिंह के पैरों तले जमीन खिसक गई

त..... तो क्या अवतार और जोगलेकर भी मारे गए ? प्रताप सिंह हडबडाये स्वर में बोला

जोगलेकर तो मेरी वफादारी निभाते हुए मरा जबकि अवतार को उसके किये की सजा मिली

बेवकूफ़

तभी चौधरी की आवाज में गुर्राहट उभर आई

क्या मतलब ? हकबका कर उसकी तरफ देखते हुए सेन के होंठों से निकला
चौधरी उसे खा जाने वाली नजरों से देखते हुए गुर्राया... समझ में नहीं आता कि तू एस पी कैसे बन गया, जबकि तू तो हवलदार बनने के लायक भी नहीं है

चौधरी साहब, आप मेरी बेइज्जती कर रहे हैं... रोष भरे स्वर में बोला सेन

बेइज्जती.... अरे मेरा तो दिल करता है कि जूता उतार कर तुझ पर पिल पडू... लगाऊं सौ और दिन एक

आपकी बातों से लगता है कि बजाय मुझसे सहानुभूति करने के आप पाटिल का पक्ष ले रहे हैं

तू ठीक समझ रहा है... भडका चौधरी... अबे अक्ल के अंधे, आयुष ने आकर तुझे बताया और तूने यकीन कर लिया... ये नही सोचा कि पाटिल से तेरे सम्बन्ध कैसे हैं और कितने पूराने है


मैंने यूं ही उसकी बातों पर विश्वास नहीं कर लिया चौधरी साहब, अवतार और जोगलेकर की लाशों को देखकर ही मैंने उसकी बात को सच माना...

और फौरन पाटील को बुलाकर उसकी मौत के परवाने पर दस्तखत कर डाले... उपहास उडाने वाले अंदाज में कहा चौधरी ने

मेरी जगह अगर आप होते तो आप भी वही करते जो मैंने किया है

मैं तुम्हारी तरह बेवकूफ़ नहीं हुं जो ऐसा करता... गुर्राहट भरी आवाज में बोला चौधरी... आंखे बंद करके मैं आयुष की बात पर विश्वास नहीं करता, बल्कि पहले पूरी जानकारी करता फिर उसके हलक में हाथ डालकर उससे सच्चाई उगलवाता, फिर अपना अगला कदम उठाता

आयुष को मैं जानता हूं, पूरे थाने में एक वही ऐसा शख्स हैं जो न रिश्वत लेता है और न ही कानून के खिलाफ जाता है... राजीव सेन बोला

क्या उसे तुम्हारे बारे में जानकारी है... तभी प्रताप सिंह ने पूछा

हो सकता है मालूम हो...

ऐसी सूरत में सोचो एक न्यायप्रिय सिपाही कानून को बचाने के लिए क्या करेगा

त.. तुम यह कहना चाहते हो कि उसने हमारे खिलाफ चाल चली है... अविश्वसनीय स्वर में बोला सेन
हाँ... और जरूर उसकी पीठ पर पुनीत शर्मा का हाथ होगा.. अब तक वह अकेला था इसलिए कुछ नहीं कर पाया , या यूं कह लो वह मजबूर था... मगर अब जब पुनीत शर्मा उसके साथ है तो वह भी खुल गया.... प्रताप सिंह ने कहा

तुम गलत सोच रहे हो पुनीत शर्मा तो उसे जानता तक नहीं

गलत हम नहीं तुम सोच रहे हो सेन... गुर्रा उठा निरंजन चौधरी

राजीव सेन मुंह फाड कर चौधरी को देखने लगा

अगर तुमने पहले ही पुनीत शर्मा के बारे में जरा भी खोजबीन की होती तो तुम्हें पता चल जाता कि वह कितनी पहुंची हुई हस्ती हैं... कल जब तुम उसकी फरारी की खबर सुनाकर गये थे तो तुम्हारे जाते ही मैंने दिल्ली में अपने दोस्त बलवंत को फोन करके पुनीत शर्मा के बारे में पूछा था , जानते हो उसने क्या कहा

क्या कहा... राजीव सेन के मुंह से शब्द अपने आप ही फिसल गये
उसने कहा कि पुनीत शर्मा जो न कर गुजरे वही कम है, वो एक ऐसा वकील है जो जितनी जुबान अदालत में चलाता है उससे ज्यादा हाथ पैर अदालत के बाहर चलते हैं... अंडरवर्ल्ड में कसाई के नाम से मशहूर है वह , जिस भी अपराधी पर उसकी टेढ़ी नजर पड गई... वह या तो ऊपर पहुंच गया या जेल में .. वन मेन आर्मी हे वो... लोमड़ी से ज्यादा चालाकी.. चीत्ते से भी ज्यादा फुर्तीला.. बस यह समझ लो कि मुजरिमों का काल है

मैं मानता हूं आपकी बात, लेकिन आयुष तक कैसे पहुंच गया...

इसके बारे में तो अब आयुष ही बताएगा... वैसे मैं तुम्हें बता दूं कि पुनीत शर्मा ने पहले कोई चाल चल कर जोगलेकर और अवतार को देवी मंदिर के पीछे बुलाया और उन्हें खत्म कर दिया... उसके पश्चात उसने आयुष को तुम्हारे पास भेजा, ऐसी स्कीम बनाकर जिसे सुनते ही तुम अपना आपा खो बैठे और पाटिल को मौत के घाट उतार दिया

यही तो चाहता है वह हरामजादा कि हम सब मर जाये... प्रताप सिंह गुस्से में बोला

राजीव सेन के चेहरे पर अब पसीने की बूँदें चमकने लगी थी... आंखों में सोचे उभर आई थी , अब उसे अपनी गलती का अहसास हो रहा था कि आयुष की बातों पर विश्वास नहीं करना चाहिए था
याद है अदालत में पुनीत शर्मा ने क्या कहा था ... तभी प्रताप सिंह बोला... उसने कहा था कि इंसाफ और सत्य की रक्षा के लिए अगर उसे कानून से टकराना भी पडा तो भी पीछे नहीं हटेगा... अवतार और जोगलेकर का खून और तुम्हारे हाथों पाटिल का खून, यह सब कानून से टकराना ही तो है.... हमें चिढा रहा है वो हरामजादा कि हम - जिनकी जुबान से निकला शब्द कानून माना जाता है, उसका कुछ नहीं बिगाड़ सकते और वह अपना काम मजे से कर रहा है
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Re: ताकत की विजय

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राजीव सेन ने जेब से रूमाल निकाल कर पसीना पोंछा और सहमे लहजे में बोला... मैं आयुष से बात करूंगा

करूंगा ? गुस्से से भडक उठा चौधरी... उसे यहां बुला, हमारे सामने, ताकि हम भी उससे पूछ सके कि किसके कहने पर उसने तुम्हारे हाथों पाटिल का फातिहा पढवाया

वो तो पुनीत शर्मा ने ही करवाया है... प्रताप सिंह कह उठा

मैं जानता हूं , मगर यही बात मैं उस कमीने के मुंह से सुनूंगा फिर अपने हाथों से साले की गरदन तोडूंगा... अभी के अभी फोन कर थाने और सब इंस्पेक्टर को बोल कि वह आयुष को लेकर फौरन यहा पहुंचे

राजीव सेन ने हाथ आगे बढाकर फोन का रिसीवर उठाया और थाने का नम्बर मिलाने लगा....

हेलो... दूसरी तरफ से आवाज आते ही वह बोला... सब इंस्पेक्टर खरे को फोन दो

कुछ ही पल बाद जब खरे लाईन पर आया तो सेन बोला.. आयुष को लेकर फौरन चौधरी साहब की हवेली पहुंचो खरे...
क्या ? अभी तक पहुंचा नही वह...
दो कांस्टेबल उसके घर भेजो... मुझे फौरन से पेश्तर आयुष चाहिए

सेन ने रिसीवर रखा और चौधरी की तरफ कुछ कहने को हुआ ही था कि चौधरी पहले ही बोल पड़ा


मैंने सुन लिया है सब... अब एक बात मेरी भी सुन लो, आयुष अपने घर पर भी नहीं मिलेगा

यह आप क्या कह रहे हैं ? हैरानी से बोला सेन

जुर्म की दुनिया में यूं ही तो हुकूमत नही कर रहा सेन , आयुष से पुनीत शर्मा को जितना काम लेना था ले लिया , अब उसे अंडरग्राऊंड कर दिया...

अगर ऐसा है तो मैं उस हरामजादे को पाताल से भी खोज निकालुंगा..

रहने दे.. रहने दे.. व्यर्थ के दावे मत कर , पुनीत शर्मा को तो अभी तक खोज नहीं पाया और दावे करने चला है

राजीव सेन ने सकपका कर सोफे पर पहलु बदला...

एक बेवकूफी तो तू कर चुका है सेन... तभी प्रताप सिंह बोला.. तेरी उसी बेवकूफी के कारण हमारा एक साथी हमसे बिछुड़ गया... भगवान के लिए अब कोई और बेवकूफी मत कर बैठना... कहीं कल को फिर पुनीत शर्मा की चाल का शिकार मत हो जाना

राजीव सेन बिचारा क्या बोलता... अपने किये पर उसे जो पछतावा हो रहा था वो तो वो ही जानता था.. सो केवल थूक गटक कर रह गया


स्कॉच निकालिये चौधरी साहब... प्रताप सिंह उदास स्वर में बोला... पाटिल की मौत का गम गलत करने का अब बस यही एक रास्ता नजर आ रहा है...

चौधरी ने गहरी सांस ली और दरवाजे की तरफ देखते हुए आवाज़ लगाई..

बहादुर...

दस सेकंड में ही बहादुर कमरे में था

स्कॉच लाओ... चौधरी आदेश भरे स्वर में बोला

बहादुर ने सिर झुकाया और बाहर निकल गया

कुछ ही देर में वे स्कॉच के पेग लगा रहे थे

तीनों के बीच एक पैनी खामोशी छाई हुई थी

Pin drop silence


उस वक्त राजीव सेन दूसरा पेग खतम करके तीसरा पेग उठा रहा था कि फोन की घंटी बजी

पुलिस स्टेशन से आया होगा... राजीव सेन बोला और फोन की तरफ हाथ बढ़ाया

हेलो... एस पी राजीव सेन स्पीकिंग

मैं एस आई खरे बोल रहा हूँ सर... दूसरी तरफ से आवाज आई

आयुष को अभी तक लाये क्यूँ नही तुम ?

वह अपने मकान में भी नहीं है सर...

व्हाट ? गर्जा राजीव सेन

उसके घर तो ताला लगा हुआ है सर

मुझे हर हाल में आयुष चाहिए खरे... ढूंढो उसे... कहीं से भी ढूंढो..

यस सर

भिन्नाते हुए राजीव सेन ने रिसीवर फोन पर पटक दिया

क्यों ... अब तो तुम्हें विश्वास हो गया ना कि पाटिल बेकसूर था... चौधरी कहे बिना नही रह पाया

मुझे और शर्मिंदा मत कीजिए चौधरी साहब... पश्चाताप भरे स्वर में बोला सेन.. अपनी गलती का अहसास हो रहा है मुझे , समझ में नहीं आ रहा कि अब मैं क्या करूं

गहरी सांस छोडी चौधरी ने

जो होना था हो गया , पाटिल की मौत तेरे ही हाथों से होनी लिखी थी... अब आगे संभल कर रहना और कोई भी बड़ा कदम उठाने से पहले हमसे सलाह ले लेना

मगर अब उनकी लाशों का क्या करेंगे हम ?

अभी तक कुछ किया नहीं तुमने ?

मैंने खरे को बस यही कहा है कि एफआईआर में पुनीत शर्मा के सिर तीनों कत्ल लिख दो

ठीक किया... बोला प्रताप सिंह... अब बस एक बार वह हमारे हत्थे चढ़ जाये, फिर हरामी को सीधा फांसी की सजा सुनाऊंगा

वो नौबत आने से पहले ही उसे गोली से उड़ा दिया जाएगा... पहली बार राजीव सेन गुर्राया... इस वक्त जितना खून मेरा जल रहा है, वो मै ही जानता हूँ

सेन ठीक कह रहा है...
ईधर आयुष दिल्ली बिग बॉस प्राइवेट डिटेक्टिव के ऑफिस में पहुंच चुका था.. और रिसेप्शनिस्ट को अपने आने का मंतव्य बताया.... मगर देव साहब इस वक्त ऑफिस में नही थे तो रिसेप्शनिस्ट ने सीधे प्रशांत को ही कॉल किया

(वैसे प्रशांत पुनीत का ही असिस्टेंट था)

सर.. रायपुर से कांस्टेबल आयुष आये हैं

इन्टरकॉम में से रिसेप्शनिस्ट की आवाज सुनकर चौंका प्रशांत , फिर फौरन बोला... उसे अंदर भेज दो

यस सर... रिसेप्शनिस्ट बोली

एक मिनट बाद आयुष झिझकता हुआ प्रशांत के शानदार ढंग से सजे ऑफिस में पहुंचा

आओ बैठो... प्रशांत गहरी नजरों से देखते हुए आदर भरे स्वर में बोला

आयुष एक विजिटिंग चेयर पर बैठ गया

म.. मुझे पुनीत शर्मा जी ने भेजा है... झिझकते हुए आयुष ने कहा

प्रशांत जानता था कि पुनीत रायपुर गया हुआ है , अवश्य ही कोई खास बात होगी...

क्या कहा उन्होंने.... प्रशांत ने पूछा

प्यास बुझाई नौकर से Running....कीमत वसूल Running....3-महाकाली ....1-- जथूराcomplete ....2-पोतेबाबाcomplete
बन्धन
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दिल से दिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
तुफानो में साहिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
यूँ तो मिल जाता है हर कोई!
मगर आप जैसे दोस्त नसीब वालों को मिलते हैं!
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