ताकत की विजय
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Re: ताकत की विजय
सुरेश पाटील भस्म कर देने वाली नजरों से उस गुंडे को घूरने लगा... एक ही मिनट में पुनीत शर्मा ने अपने आप को निर्दोष साबित कर दिया था
पुनीत ने प्रताप सिंह की तरफ देखा और कहा ...
मी लार्ड ... मुजरिम मैं नहीं बल्कि ये लोग हैं , यह खुद ही कबूल कर चुका है कि इसने मुझ पर गोलियां चलाईं थी और वकील साहब भी कबूल कर चुके हैं कि इन लोगों ने ही मेरी कार को रूकने पर मजबूर किया था... अब आप खुद ही फैसला किजिये कि असली अपराधी कौन है... मैं या ये लोग ?
प्रताप सिंह ने एकबारगी खा जाने वाली नजरों से कठघरे में खड़े गुंडो को देखा , फिर कहने लगा ...
अभियुक्त पुनीत शर्मा जिस चालाकी से पेश आ रहा है उससे यही लगता है कि वह एक शातिर दिमाग और चालाक अपराधी है... लिहाजा अदालत पुनीत शर्मा को एक महीने के लिए पुलिस रिमांड पर भेजने का हुक्म देती है.
पुनीत शर्मा के दोनों हाथ ऊपर उठे और वह ताली बजाने लगा..
वाह प्रताप सिंह वाह... क्या जबर्दस्त फैसला किया है... साबित हो जाने के बाद भी मुझे ही अपराधी ठहराया...
जानते हो , मैं अदालत में सिर्फ यह देखने आया कि विशाल की बातों में कितनी सच्चाई है... वह तुम लोगों के जुल्मों का शिकार हुआ है.. साथ ही मैं अदालत में इसलिए आया हूँ कि तुम लोगों के चेहरे पहचान सकूं
तुम अदालत की अवमानना कर रहे हो मिस्टर पुनीत शर्मा ... गुर्राया प्रताप सिंह
अगर मुझे पहचानते होते तो कभी ऐसी बात ना कहते... पुनीत शर्मा भी गुर्रा उठा... पूरी दुनिया जानती है कि मै कानून को भगवान मानता हूँ. बड़े बड़े वकील अदालत में मेरे सामने घुटने टेकने पर मजबूर हो जाते हैं... पुनीत शर्मा आज तक सच्चाई के लिए जान की बाजी लगाता रहा है
और इस बार भी सच्चाई के लिए कफन बांध चुका हूं अपने सिर पर.. और यह कफन तुम सबको दफन कर देगा प्रताप सिंह... रायपुर में कानून को किस बेदर्दी से कुचला जा रहा है , यह मैं अपनी आंखों से देख रहा हूँ और इंसाफ को मरते हुए पुनीत शर्मा हरगिज नहीं देख सकता... चाहे इसके लिए उसे किसी से भी क्यू ना टकराना पडे.... इस बार मुझे सच्चाई और कानून की रक्षा के लिए कानून से ही टकराना पड़ेगा... उस कानून से जो तुम लोगों की जुबान से निकल कर रायपुर की जनता पर कहर बन कर टूटता है ... उस कानून से टकरायेगा पुनीत शर्मा जो तुम्हारे इशारों पर गुनहगारों को बाइज्जत बरी कर देता है और मजलूमों को फांसी के तख्ते पर पहुंचा दिया करता है
अदालत अभियुक्त पुनीत शर्मा को एक की बजाय दो महीनों के लिए पुलिस रिमांड पर भेजने का आदेश देती है ... प्रताप सिंह खुरदरे लहजे में बोला
जवाब में पुनीत के होंठों पर जहरीली मुस्कुराहट नाच उठी ...
चल बैठ जीप में
जोगलेकर पुनीत को लगभग धकेलते हुए गुर्राया
पुनीत ने अपनी सदाबहार मुस्कान के साथ उसे देखा फिर जीप की पिछली सीट पर बैठ गया
मुस्कुरा ले शर्मा जी भरकर मुस्कुरा ले... जोगलेकर खतरनाक अंदाज में बोला... थाने पहुंचते ही सारी मुस्कुराहट की हवा निकाल दूंगा
पुनीत हंस पडा
थाना तो बहुत दूर है जोगलेकर.. वहां पहुंचते पहुंचते पता नही क्या हो जाये
जोगलेकर ने घूर कर पुनीत की तरफ देखा
कहीं तू यह तो नहीं सोच रहा कि हमारी पकड़ से फरार हो जायेगा
जवाब देने के बजाय पुनीत खिलखिला कर जोर से हंस पड़ा...
अगर ऐसा कोई इरादा है तो उसे दिल से निकाल दे , क्योंकि जोगलेकर की पकड़ से सिर्फ तेरी आत्मा ही फरार हो सकती हैं
अब डॉयलॉग बाजी ही करता रहेगा या चलेगा भी... जेब से सिगरेट निकालते हुए पुनीत बोला
बडा बेताब हो रहा है मार खाने के लिए
जोगलेकर इतना कहकर जीप की अगली सीट की तरफ बढ़ गया...
पुनीत ने लाइटर निकाल कर शांत भाव से सिगरेट सुलगा ली
अगली सीट पर बैठ कर जोगलेकर ने गर्दन पीछे मोडी और पुनीत के दांये बांये तथा सामने वाली सीट पर बैठे चारों हथियारबंद सिपाहियों पर निगाहें दौड़ाते हुए गुर्राया...
इस पर कडी नजर रखना , अगर यह भागने की कोशिश भी करे तो बेहिचक इसे गोली से उड़ा देना
कहकर उसने गर्दन सीधी की ओर ड्राइवर से बोला ... चलो
जीप के पहिये घूमने लगे ...
जीप अदालत के परिसर से बाहर निकली और हाइवे पर दौड़ती हुई थाने की तरफ बढ़ने लगी...
पुनीत सिगरेट के कश लगाते हुए इस कदर निश्चिंत नजर आ रहा था मानो कोई बात ही न हो....
प्यास बुझाई नौकर से Running....कीमत वसूल Running....3-महाकाली ....1-- जथूराcomplete ....2-पोतेबाबाcomplete
बन्धन
*****************
दिल से दिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
तुफानो में साहिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
यूँ तो मिल जाता है हर कोई!
मगर आप जैसे दोस्त नसीब वालों को मिलते हैं!
*****************
बन्धन
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दिल से दिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
तुफानो में साहिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
यूँ तो मिल जाता है हर कोई!
मगर आप जैसे दोस्त नसीब वालों को मिलते हैं!
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Re: ताकत की विजय
आधी से ज्यादा सिगरेट खत्म करके पुनीत ने एक नजर सिगरेट पर डाली और अपने सामने बैठे सिपाही के पैरों में फैंक दी
ऐ... उठाकर नीचे फेंक इसे... एक सिपाही रौबीले स्वर में गुर्राया
खुद ही उठाकर फैंक दे न... पुनीत अपनी ही मस्ती में सिपाही से बोला... मैं तो अपने स्थान से हिंलूगा भी नहीं , क्या पता मेरे हिलते ही तू मुझे गोली मार दे
आगे बैठे जोगलेकर ने पीछे गर्दन मोडी और बोला ... क्या बात है मानक ?
सर... इसने सिगरेट का टोटा जीप में ही फैंक दिया है... तुरंत तत्पर स्वर में सिपाही मानक ने जवाब दिया
जोगलेकर ने घूर कर पुनीत को देखा... तेरी सारी अदायें थाने पहुंच कर खत्म करूंगा शर्मा... गुस्से में गुर्राया और फिर मानक की तरफ देखते हुए कहा... टोटे को जूते से बुझा दे , कहीं तेरे झुकते ही यह कोई चालाकी ना कर बैठे
यह सुनकर पुनीत के होंठों पर रहस्यमयी मुस्कान थिरक गई ... उसने जोरों से सांस भीतर की तरफ खींची और फिर सांस को फेंफड़ों में ही रोक ली...
तभी मानक ने पैर उठाया और जूता सिगरेट के टोटे पर रख कर जैसे ही मसला....
एक हल्का सा विस्फोट हुआ और उसी के साथ ढेर सारा गाढा धुंआ फैल गया
चारों सिपाही जो पुनीत को कवर किये बैठे थे , धुंये के नाक में घुसते ही बेहोश हो कर इधर उधर लुढक गये...
मगर जोगलेकर या ड्राइवर पर धुंये का कोई असर नहीं पड़ा था, क्योंकि वे दोनों आगे बैठे थे और जीप चल रही थी सो धुंआ हवा के साथ पीछे उड गया था... अगली सीट पर धुंये का कोई असर नहीं हुआ ...
पीछे की गड़बड़ी से बेखबर जोगलेकर सड़क पर निगाहें टिकाये अपने ही ख्यालों में गुम बैठा प्लानिंग कर रहा था कि थाने पहुंच कर किस तरह पुनीत को उल्टा लटकाना है
थोडी देर बाद जब उसने पीछे गर्दन मोडी तो उसके होठों से चीख निकलते निकलते रह गई
पुनीत अपनी जगह से गायब था और उसके चारों सिपाही बेहोश हो कर सीटों पर लुढ़के पडे थे ..
ऑ
गाड़ी रोको... एकदम से चीखा जोगलेकर
चीं... चीं... की आवाज के साथ जीप के पहिये सड़क पर घिसटते चले गये... कुछ दूर जाकर जीप रूकी तो जोगलेकर छंलाग मार कर नीचे उतरा और पीछे देखने लगा
मगर दूर दूर तक पुनीत का कोई अता पता नहीं था
जोगलेकर हैरान हो रहा था कि पुनीत शर्मा ने सिपाहियों को बेहोश कैसे कर दिया, वो भी चारों को एक साथ , और वे कराहे तक नहीं .... कोई आवाज तक नहीं हुई... अब उस बेचारे को क्या मालूम कि यह सब सिगरेट का कमाल था ... जिसमें आधी सिगरेट के बाद बेहोशी की गैस वाला मिनी बॉम्ब था और इस तरह की सिगरेटें पुनीत हर वक्त अपने साथ ही रखता था
हैरान होने के साथ साथ उसके दिल में एक अन्जाना खौफ भी चढ गया था ....
पुनीत शर्मा का खौफ.... जिसने भरी अदालत में कानून से टकराने का ऐलान किया था
पुनीत उसकी गिरफ्त से फूर्र हो चूका था और जोगलेकर अपना सर पीट कर रह गया
*************
ट्रिन... ट्रिन...
फोन की घंटी बजी तो राजीव सेन ने रिसीवर उठा कर कान से लगाया ...
हेल्लो... एस पी राजीव सेन स्पीकिंग... वह बोला
म.. मैं जोगलेकर बोल रहा हूँ सर... दूसरी तरफ से जोगलेकर की घबराई आवाज आई
चौंक पडा राजीव सेन
खैरियत तो है जोगलेकर ? तुम्हारी आवाज़ ...
पुनीत शर्मा फरार हो गया सर... मरे स्वर में बोला जोगलेकर
व्हाट.. ??? चिंहुक उठा सेन... कैसे... कब ?
प. पता नहीं सर.. चलती जीप में सिपाहियों को बेहोश करके वह कैसे फरार हो गया ... कुछ पता ही नहीं चला सर... फिर पूरी बा बताई जोगलेकर ने
राजीव सेन की आंखों में भी हैरानी भरती चली गई.. कुछ पल के लिए जड सा हो गया वो फिर खुद को संभाल कर बोला .. उस हरामी को तलाश करो जोगलेकर.. मुझे हर हालत में पुनीत शर्मा चाहिए ... जिंदा या मुर्दा
य.यस सर ... जोगलेकर से इससे ज्यादा कुछ बोलते न बना
राजीव सेन ने गुस्से से रिसीवर को फोन पर पटका और ऑफिस से निकल कर सीधा अपनी कार की तरफ बढ़ गया
कुछ ही देर में उसकी कार हवा से बातें करते हुई निरंजन चौधरी की कोठी की तरफ भागी जा रही थी
तुम तो ऐसे घबरा रहे हो जैसे पुनीत शर्मा कोई बहुत बड़ी तोप हो.. राजीव सेन की सारी बातें सुनकर चौधरी हंसते हुए बोला... वह अकेला है और इस शहर के लिए बेगाना भी.. बहुत जल्द वह पुलिस या हमारे किसी आदमी की गोली का शिकार बन जायेगा... फिक्र करने की जरूरत नहीं है सेन... लो जाम लगाओ.. चौधरी ने उसकी तरफ़ पैग बढाते हुए कहा
राजीव सेन ने पैग पकड़ा और एक ही सांस में उसे खाली करके टेबल पर रख दिया
आप समझने की कोशिश कीजिए चौधरी साहब , पुनीत शर्मा को आप बहुत हल्के में ले रहे हैं ... उसने हमारे आठ आदमियों को इतनी बुरी तरह से मारा कि अब वे महीने भर से पहले बिस्तर से नहीं उठ सकते... यह उसकी ताकत का सबूत है , जोगलेकर की मौजूदगी में चलती जीप में चार चार सिपाहियों को बेआवाज़ बेहोश कर के आराम से फरार हो गया .. यह उसके दिमाग की करामात है
गहरी सांस ली निरंजन चौधरी ने..
मैं तुम्हारी बात को हल्के तौर पर नहीं ले रहा हूं सेन... जो आदमी दिल्ली से यहां तक एक अनजान शख्स को बचाने के लिए आया है , वह कोई छोटी मोटी हस्ती तो हो नहीं सकता.... जिंदगी में पहली बार थोड़ा ही सही , पर दमखम वाला दुश्मन मिला है ... लडने का पूरा मजा आयेगा
आप स....
घबराहट से किये गये फैसले हमेशा गलत होते हैं सेन , मेरी यह बात गांठ बांध लो... इसलिए पहले पुनीत शर्मा का जो खौफ तुम्हारे दिलों दिमाग में छाया हुआ है उसे दूर करो , फिर ठंडे दिमाग से सोचो.. अरे भाई तुम्हारी कोठी की हिफाजत के लिए पुलिस हैं... सिक्युरिटी गार्ड और बढा दो..
रही बात पुनीत शर्मा की, तो वह कब तक हमसे मुकाबला कर पायेगा.. हमारी बेपनाह ताकत के सामने उसकी औकात एक चींटी से ज्यादा महत्व नहीं रखती..और फिर वह कानून की नजरों में एक फरार अपराधी है , सो देखते ही गोली मारने का आदेश दे दो ...
ऐ... उठाकर नीचे फेंक इसे... एक सिपाही रौबीले स्वर में गुर्राया
खुद ही उठाकर फैंक दे न... पुनीत अपनी ही मस्ती में सिपाही से बोला... मैं तो अपने स्थान से हिंलूगा भी नहीं , क्या पता मेरे हिलते ही तू मुझे गोली मार दे
आगे बैठे जोगलेकर ने पीछे गर्दन मोडी और बोला ... क्या बात है मानक ?
सर... इसने सिगरेट का टोटा जीप में ही फैंक दिया है... तुरंत तत्पर स्वर में सिपाही मानक ने जवाब दिया
जोगलेकर ने घूर कर पुनीत को देखा... तेरी सारी अदायें थाने पहुंच कर खत्म करूंगा शर्मा... गुस्से में गुर्राया और फिर मानक की तरफ देखते हुए कहा... टोटे को जूते से बुझा दे , कहीं तेरे झुकते ही यह कोई चालाकी ना कर बैठे
यह सुनकर पुनीत के होंठों पर रहस्यमयी मुस्कान थिरक गई ... उसने जोरों से सांस भीतर की तरफ खींची और फिर सांस को फेंफड़ों में ही रोक ली...
तभी मानक ने पैर उठाया और जूता सिगरेट के टोटे पर रख कर जैसे ही मसला....
एक हल्का सा विस्फोट हुआ और उसी के साथ ढेर सारा गाढा धुंआ फैल गया
चारों सिपाही जो पुनीत को कवर किये बैठे थे , धुंये के नाक में घुसते ही बेहोश हो कर इधर उधर लुढक गये...
मगर जोगलेकर या ड्राइवर पर धुंये का कोई असर नहीं पड़ा था, क्योंकि वे दोनों आगे बैठे थे और जीप चल रही थी सो धुंआ हवा के साथ पीछे उड गया था... अगली सीट पर धुंये का कोई असर नहीं हुआ ...
पीछे की गड़बड़ी से बेखबर जोगलेकर सड़क पर निगाहें टिकाये अपने ही ख्यालों में गुम बैठा प्लानिंग कर रहा था कि थाने पहुंच कर किस तरह पुनीत को उल्टा लटकाना है
थोडी देर बाद जब उसने पीछे गर्दन मोडी तो उसके होठों से चीख निकलते निकलते रह गई
पुनीत अपनी जगह से गायब था और उसके चारों सिपाही बेहोश हो कर सीटों पर लुढ़के पडे थे ..
ऑ
गाड़ी रोको... एकदम से चीखा जोगलेकर
चीं... चीं... की आवाज के साथ जीप के पहिये सड़क पर घिसटते चले गये... कुछ दूर जाकर जीप रूकी तो जोगलेकर छंलाग मार कर नीचे उतरा और पीछे देखने लगा
मगर दूर दूर तक पुनीत का कोई अता पता नहीं था
जोगलेकर हैरान हो रहा था कि पुनीत शर्मा ने सिपाहियों को बेहोश कैसे कर दिया, वो भी चारों को एक साथ , और वे कराहे तक नहीं .... कोई आवाज तक नहीं हुई... अब उस बेचारे को क्या मालूम कि यह सब सिगरेट का कमाल था ... जिसमें आधी सिगरेट के बाद बेहोशी की गैस वाला मिनी बॉम्ब था और इस तरह की सिगरेटें पुनीत हर वक्त अपने साथ ही रखता था
हैरान होने के साथ साथ उसके दिल में एक अन्जाना खौफ भी चढ गया था ....
पुनीत शर्मा का खौफ.... जिसने भरी अदालत में कानून से टकराने का ऐलान किया था
पुनीत उसकी गिरफ्त से फूर्र हो चूका था और जोगलेकर अपना सर पीट कर रह गया
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ट्रिन... ट्रिन...
फोन की घंटी बजी तो राजीव सेन ने रिसीवर उठा कर कान से लगाया ...
हेल्लो... एस पी राजीव सेन स्पीकिंग... वह बोला
म.. मैं जोगलेकर बोल रहा हूँ सर... दूसरी तरफ से जोगलेकर की घबराई आवाज आई
चौंक पडा राजीव सेन
खैरियत तो है जोगलेकर ? तुम्हारी आवाज़ ...
पुनीत शर्मा फरार हो गया सर... मरे स्वर में बोला जोगलेकर
व्हाट.. ??? चिंहुक उठा सेन... कैसे... कब ?
प. पता नहीं सर.. चलती जीप में सिपाहियों को बेहोश करके वह कैसे फरार हो गया ... कुछ पता ही नहीं चला सर... फिर पूरी बा बताई जोगलेकर ने
राजीव सेन की आंखों में भी हैरानी भरती चली गई.. कुछ पल के लिए जड सा हो गया वो फिर खुद को संभाल कर बोला .. उस हरामी को तलाश करो जोगलेकर.. मुझे हर हालत में पुनीत शर्मा चाहिए ... जिंदा या मुर्दा
य.यस सर ... जोगलेकर से इससे ज्यादा कुछ बोलते न बना
राजीव सेन ने गुस्से से रिसीवर को फोन पर पटका और ऑफिस से निकल कर सीधा अपनी कार की तरफ बढ़ गया
कुछ ही देर में उसकी कार हवा से बातें करते हुई निरंजन चौधरी की कोठी की तरफ भागी जा रही थी
तुम तो ऐसे घबरा रहे हो जैसे पुनीत शर्मा कोई बहुत बड़ी तोप हो.. राजीव सेन की सारी बातें सुनकर चौधरी हंसते हुए बोला... वह अकेला है और इस शहर के लिए बेगाना भी.. बहुत जल्द वह पुलिस या हमारे किसी आदमी की गोली का शिकार बन जायेगा... फिक्र करने की जरूरत नहीं है सेन... लो जाम लगाओ.. चौधरी ने उसकी तरफ़ पैग बढाते हुए कहा
राजीव सेन ने पैग पकड़ा और एक ही सांस में उसे खाली करके टेबल पर रख दिया
आप समझने की कोशिश कीजिए चौधरी साहब , पुनीत शर्मा को आप बहुत हल्के में ले रहे हैं ... उसने हमारे आठ आदमियों को इतनी बुरी तरह से मारा कि अब वे महीने भर से पहले बिस्तर से नहीं उठ सकते... यह उसकी ताकत का सबूत है , जोगलेकर की मौजूदगी में चलती जीप में चार चार सिपाहियों को बेआवाज़ बेहोश कर के आराम से फरार हो गया .. यह उसके दिमाग की करामात है
गहरी सांस ली निरंजन चौधरी ने..
मैं तुम्हारी बात को हल्के तौर पर नहीं ले रहा हूं सेन... जो आदमी दिल्ली से यहां तक एक अनजान शख्स को बचाने के लिए आया है , वह कोई छोटी मोटी हस्ती तो हो नहीं सकता.... जिंदगी में पहली बार थोड़ा ही सही , पर दमखम वाला दुश्मन मिला है ... लडने का पूरा मजा आयेगा
आप स....
घबराहट से किये गये फैसले हमेशा गलत होते हैं सेन , मेरी यह बात गांठ बांध लो... इसलिए पहले पुनीत शर्मा का जो खौफ तुम्हारे दिलों दिमाग में छाया हुआ है उसे दूर करो , फिर ठंडे दिमाग से सोचो.. अरे भाई तुम्हारी कोठी की हिफाजत के लिए पुलिस हैं... सिक्युरिटी गार्ड और बढा दो..
रही बात पुनीत शर्मा की, तो वह कब तक हमसे मुकाबला कर पायेगा.. हमारी बेपनाह ताकत के सामने उसकी औकात एक चींटी से ज्यादा महत्व नहीं रखती..और फिर वह कानून की नजरों में एक फरार अपराधी है , सो देखते ही गोली मारने का आदेश दे दो ...
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दिल से दिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
तुफानो में साहिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
यूँ तो मिल जाता है हर कोई!
मगर आप जैसे दोस्त नसीब वालों को मिलते हैं!
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Re: ताकत की विजय
चौधरी की बातें सुनकर राजीव सेन का कुछ हौसला बढ़ा
पुनीत ने रिसीवर हुक से उतारा और थाने का नम्बर डायल करने लगा
दूसरी तरफ से जैसे ही हेल्लो की आवाज सुनाई दी , उसने कॉयन बॉक्स में सिक्का डाला और अपनी आवाज बदलते हुए बोला ...
मुझे इंस्पेक्टर जोगलेकर से बात करनी है..
कहो... मैं ही इंस्पेक्टर जोगलेकर हूँ .. जोगलेकर का झल्लाहट भरा स्वर आया
पुनीत के होंठों पर वही मुस्कान नाच गई... वह जानता था कि जोगलेकर की ये झल्लाहट केवल उसी के लिए हैं .. रात के दस बज रहे थे और अभी तक वह उसे पकड़ने में नाकाम रहा था .. उसको झल्लाना तो था ही
कैसे पुलिस वाले हो तुम ? वह बदले स्वर में बोला ... सुबह अदालत ने एक अपराधी को दो महीने के पुलिस रिमांड पर भेजा था और वह अपराधी आजादी से घूम रहा है , लगता है रिश्वत कुछ तगड़ी मिली है ..
ककौन हो तुम ? जोगलेकर की सतर्क आवाज आई.. और किसकी बात कर रहे हो तुम ?
सुबह जब पुनीत शर्मा को अदा ने रिमांड पर दिया था उस वक्त मैं भी अदालत में मौजूद था.. और अब वही पुनीत शर्मा देवी मंदिर के पीछे बैठा मस्ती मार रहा है
त..तुम सच कह रहे हो ?
यही बात मैं एस पी साहब को कहने जा रहा हूं कि तुमने तगड़ी रिश्वत लेकर पुनीत शर्मा को छोड़ दिया था
नहीं.. मैंने उसे नहीं छोड़ा था बल्कि वह फरार हो गया है... सुबह से पुलिस सिर्फ़ उसी को तलाश रही है... जोगलेकर की हडबडाई घबराई हुई आवाज आई
अगर तुम सच कह रहे हो तो जाकर अभी उसे गिरफ्तार कर लो.. वरना सुबह होते ही मैं एस पी साहब को तुम्हारी शिकायत कर दूंगा ..
इतना कह कर पुनीत ने फोन काट दिया
फिर जेब से एक रूपये का सिक्का निकाल कर अवतार सिंह का नम्बर डायल करने लगा...
अवतार सिंह का नम्बर उसे उन गुंडों के लीडर से मालूम हुआ था जिन्हें पुनीत ने उस दिन अच्छी तरह से ठोका था..
अवतार सिंह ने पेग भरा और उसे हलक से नीचे उतार कर खाली गिलास टेबल पर रख दिया...
हरामी का पिल्ला.. उसने पुनीत शर्मा को गाली दी.. भागा पुलिस के चंगुल से और शामत मेरी आ गई.. अब यहीं फोन के करीब बैठ कर रात काली करनी पड़ेगी, पता नहीं कब उसकी मौत की खबर आये..
ट्रिन... ट्रिन...
तभी फोन बज गया
अवतार सिंह ने झपट कर रिसीवर उठाया
क्या खबर है ? कुछ पता लगा पुनीत के बच्चे का ...
ऐसी बात मुंह से निकालेगा तो एक दिन अवश्य ही अपने साथ हमें भी फंसायेगा
दूसरी तरफ से आती आवाज को सुनकर अवतार सिंह के माथे पर पसीने की बूँदें चमकने लगी... चेहरे पर हडबडाहट आ गई
आवाज उसके बॉस प्रताप सिंह की थी...
स-सॉरी सर , दरअसल पुनीत शर्मा को खतम करने के लिए मैं पागल सा हो उठा हूँ
और पागल आदमियों की हमारे गैंग को कोई जरूरत नहीं है
दूसरी तरफ से प्रताप सिंह की खतरनाक गुर्राहट सुनायी दी
म. मैं माफी चाहता हूं सर... कांपते हुए बोला अवतार सिंह... अ.आंइदा ऐसी गलती नहीं होगी, पुनीत शर्मा की फरारी को लेकर .......
वह फरार नहीं हुआ है अवतार
अवतार सिंह के हाथ से रिसीवर छूटते छूटते बचा...
यह आप क्या कह रहे हैं सर, पुनीत शर्मा फरार नहीं हुआ ?
नहीं... बल्कि उस हरामजादे जोगलेकर ने हमसे गद्दारी की है , पुनीत शर्मा द्वारा तगड़ी रिश्वत की पेशकश मिलने पर उसने उसे जाने दिया
ओह नो सर... अविश्वास भरे स्वर में बोला अवतार सिंह
और अब वह रिश्वत की रकम वसूल करने देवी मंदिर के पीछे गया हुआ है...
अ-आपको कैसे पता चला सर की...
अ-व-ता-र... प्रताप सिंह की दहाड़ उसके कानों में पड़ी और बाकी अलफाज उसके हलक में ही घुट कर रह गए
थर थर कांप उठा अवतार सिंह... मु. मुझे ऐसा सवाल नहीं पूछना चाहिए था सर...
अंडरवर्ल्ड के बादशाह ऐसे ही नहीं बने हुए है हम, अगर तुम्हारे ऊपर डिपेंड रहे तो दूसरे दिन ही हमारी लाशें किसी गटर में पड़ी नजर आयेंगी... हजारों आंखे है हमारी ओर सैंकडों कान
में.. मैं समझ गया सर, मेरे लिए क्या हुक्म हैं ?
गद्दार की क्या सजा है हमारे गैंग में ?
मौत... सपाट स्वर में बोला अवतार सिंह
वहीं सजा जोगलेकर को मिलनी चाहिए ...
यस सर
एक घंटे के अंदर मुझे जोगलेकर और पुनीत शर्मा की मौत की खबर मिल जानी चाहिए ... आदेश भरे स्वर में कहा प्रताप सिंह ने...
मिल जायेगी सर, मैं अभी देवी मंदिर की ओर रवाना होता हूं ...
अवतार सिंह के कहते ही दूसरी तरफ से संबंध विच्छेद कर दिया गया
अवतार सिंह ने रिसीवर पटका और उछल कर खडा हो गया
टेबल पर स्कॉच की आधी बोतल पडी थी, मगर अवतार सिंह के चेहरे से , उसकी आँखों से कही से भी प्रतीत नहीं हो रहा था कि वह शराबी हो गया है...
पुनीत ने रिसीवर हुक पर लटकाया और बूथ से बाहर आ गया ...
इस वक्त उसकी आँखों में ऐसी चमक थी जैसे कोई शेर शिकार पर निकला हो.. पुनीत के होंठों पर ऐसी मुस्कान फैली हुई थी मानो वक्त से पहले ही उसे अपनी सफलता पर पूरा विश्वास हो ...
वह आगे बढा और कुछ दूर चल कर सड़क से नीचे उतर गया
ढलान पर उतर कर झाडियों का सिलसिला शुरू हो गया... पुनीत झाडियों को इधर उधर करता आगे बढने लगा...
थोड़ा आगे बढ़ने पर ही उसे अपनी कार नजर आ गई
कार का दरवाजा खोल कर वह ड्राइविंग सीट पर बैठा और कार स्टार्ट करके झाडियों को रौंदता हुआ सड़क पर आ गया...
सडक पर आते ही कार की गती बढ गयी और कार का रूख देवी मंदिर की तरफ था ...
जीप से उतरकर जोगलेकर ने होलेस्टर से रिवॉल्वर निकाल ली और पूरी सतर्कता का प्रदर्शन करते हुए आगे बढने लगा... हल्की सी आहट होने पर वह पूरी फुर्ती से आहट की दिशा में देखने लगता, साथ ही उसकी रिवॉल्वर का रूख भी उधर हो जाता...
देवी मंदिर के पीछे दो तीन टूटे फूटे खंडहर बने मकान थे.. जोगलेकर का रूख उन्हीं खंडहरों की तरफ था.. उसके हिसाब से तथा उस अनजान फोनकर्ता के मुताबिक पुनीत शर्मा उन्हीं खंडहरों में छुपा होना चाहिए था ...
चाँद की रोशनी में जोगलेकर आगे बढता जा रहा था.. अभी वह पहले खंडहर के भीतर ही पहुंचा था कि तभी...
पुनीत शर्मा का इंतजार हो रहा है जोगलेकर ?
बुरी तरह से उछल पडा जोगलेकर , साथ ही तेजी से आवाज की दिशा में घूम गया
चांद की रोशनी में अवतार सिंह को पहचानने में उसे जरा भी गलती नहीं हुई ...
त-तुम... उसके होंठों से आश्चर्य मिश्रित चीख सी निकल गई
तभी उसकी निगाह अवतार सिंह के हाथ में थमी रिवॉल्वर पर पड़ी जो उसी की तरफ तनी हुई थी
बोखला गया जोगलेकर
प्यास बुझाई नौकर से Running....कीमत वसूल Running....3-महाकाली ....1-- जथूराcomplete ....2-पोतेबाबाcomplete
बन्धन
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दिल से दिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
तुफानो में साहिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
यूँ तो मिल जाता है हर कोई!
मगर आप जैसे दोस्त नसीब वालों को मिलते हैं!
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दिल से दिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
तुफानो में साहिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
यूँ तो मिल जाता है हर कोई!
मगर आप जैसे दोस्त नसीब वालों को मिलते हैं!
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Re: ताकत की विजय
क्यों , मुझे यहां देख कर हैरानी हो रही है ? अवतार सिंह का कहर भरा स्वर गूंज उठा
बोल कुछ भी नहीं पाया जोगलेकर.. बस आंखे फाडे उसे देखता रह गया
अवतार सिंह चलते हुए उसके करीब आ खडा हुआ
अपनी रिवॉल्वर नीचे गिराओ जोगलेकर... अवतार सिंह नाग की तरह फुंफकारा
पता नहीं अवतार सिंह की आवाज का जादू था या चौधरी एंड पार्टी के नम्बर वन ओहदेदार होने का खौफ कि रिवॉल्वर जोगलेकर के हाथों से स्वयं ही गिर पड़ी
चौधरी साहब से गद्दारी करने की सजा जानते हो ना जोगलेकर ?
त-तुम क्या कह रहे हो... मेरी तो कुछ समझ में नहीं आ रहा
बनने की कोशिश मत कर जोगलेकर... गुर्राया अवतार सिंह.. तेरी गद्दारी का पता सर को चल चुका है
उछल पडा जोगलेकर... जैसे बिजली का नंगा तार छू लिया हो
त...तुम मुझे गद्दार कह रहे हो ?
मैं नहीं, बॉस ने कहा है तुझे गद्दार और तुम्हारा यहां आना भी इस बात का सबूत है कि तुम गद्दार हो... हरामखोर, हर महीने पगार से कई गुना ज्यादा रकम मिलती है तुझे फिर भी रिश्वत लेने से बाज नहीं आया और चौधरी साहब के दुश्मन को छोड़कर यह कह दिया कि वह फरार हो गया
य...यह तुम क्या कह रहे हो ? त...तुम मुझ पर झूठा आरोप लगा रहे हो... शेर के आगे मेमने की तरह मिमिया उठा जोगलेकर
तो यहां क्या अपनी प्रेमिका से मिलने आया है तू ?
मैं.. मैं तो पुनीत शर्मा....
मैं जानता हूं, तू उसी से मिलने आया है.. रिश्वत के रूपए हासिल करने आया है... कितने में बेचा खुद को ?
यह क्या बकवास कर रहे हो... मैं यहां उसे खत्म करने आया हूं.. अभी अभी मुझे किसी ने फोन करके बताया कि पुनीत शर्मा यहां छुपा हुआ है सो मैं फौरन यहां के लिए रवाना हो गया
उसे खत्म करने को अकेले ही चले आए, ना हवलदार ना कोई सिपाही... क्या थाने में एंट्री दर्ज करके आये कि यहां जा रहे हो ?
बगले झांकने लगा जोगलेकर...
तेरा कोई भी झूठ मेरे सामने नहीं चलने वाला है जोगलेकर.. यूं भी अगर तुम सच्चे भी हो तो भी मैं तुम्हें जिन्दा नहीं छोड़ सकता क्योंकि प्रताप साहब ने तुम्हें खत्म करने का आदेश दिया है
न...हीं.. रूह कांप गई जोगलेकर की.. म..मैं बेगुनाह हूं अवतार सिंह, मैं सच कह रहा हूँ मैं गद्दार नहीं हूं... यह किसी की साजिश है .. मैं मैं..
धांय
तब तक अवतार सिंह की रिवॉल्वर से शौला निकल चुका था
बेचारा जोगलेकर अपनी बात भी पूरी नहीं कर पाया... गोली सीधे उसके माथे के ऐन बीचोंबीच लगी जो उसका भेजा फाडती हुई पीछे से निकल गई
कटे व्रक्छ की तरह जोगलेकर लहराया और मुंह के बल नीचे गिर पड़ा
अगली सांस तक नहीं ले पाया था वह
अवतार सिंह ने उसकी लाश पर नजर डाली और बड़बड़ाया... सुबह पूरे रायपुर में यह खबर फैल जायेगी कि पुनीत शर्मा ने इंस्पेक्टर जोगलेकर का खून कर दिया...
साथ में चौधरी एंड पार्टी के ओहदेदार अवतार सिंह को भी मार डाला...
इस नयी आवाज को सुन अवतार सिंह पूरी गति से आवाज़ की दिशा में पलटा
धांय
ठीक तभी एक शोला उसकी रिवॉल्वर से आकर टकराया.. उसका हाथ बुरी तरह से झन्ना गया और रिवॉल्वर उसके हाथ से छिटक कर नीचे गिर पड़ी
फटी फटी आँखों से वह पुनीत शर्मा को देखने लगा जो रिवॉल्वर की नाल को फूंक मार रहा था
कैसा लगा मेरा निशाना ? पुनीत उसकी तरफ देखते हुए मुस्कुराया
तो तू है पुनीत शर्मा
सौ फीसदी पुनीत शर्मा ही हूं अवतार सिंह... बाई द वे मेरी स्किम कैसी लगी तुझे ?
क्या मतलब ? चौंक गया अवतार सिंह ... और कैसी स्किम ?
जोगलेकर का कत्ल करवाने की
इस बार तो चकरघिन्नी ही बन गया अवतार सिंह आंखों में हैरानी कत्थक करने लगी... पुनीत के मुंह से हूबहू प्रताप सिंह की आवाज निकली थी....
त..तो क्या तु.. तुमने...
बिलकुल ठीक समझ रहा है तू... पुनीत उसकी बात काटते हुए बोला... किसी पुलिस अधिकारी को मैंने आज तक नहीं मारा, चाहे वो करप्ट हो.. फिर भी उसके बदन पर वर्दी तो कानून की है... इसलिए तुझे यहां बुलवा लिया ताकि यह काम तेरे हाथों से करा सकूं और देख लें, तूने जोगलेकर को मार डाला
इसका मतलब जोगलेकर सच्चा था
बिलकुल सच्चा था.. हंसा पुनीत.. चौधरी का एक कुत्ता तो खत्म हो गया अब दूसरे की बारी है
अवतार सिंह का चेहरा सख्त होता चला गया आंखों में वहशीपन उभर आया
अवतार सिंह को मारना इतना आसान नहीं है बच्चे, अगर मुझे मारना इतना आसान होता तो अब तक मैं सैंकड़ों बार मर चुका होता
अच्छा... वही सदाबहार मुस्कान के साथ बोला पुनीत .. क्या अमर फल चखा हुआ है तूने ?
वो तो नहीं चखा मगर आज तेरे खून का स्वाद जरूर चखूंगा
कहने के साथ ही उसने पुनीत के हाथ में थमी रिवॉल्वर की परवाह किये बिना ही उस पर छलांग लगा दी
पुनीत को उम्मीद नहीं थी कि वह इतना खतरनाक कदम भी उठा सकता है
परिणामस्वरूप वह संभल नहीं पाया और अवतार सिंह के पैर की ठोकर उसके रिवॉल्वर वाले हाथ पर पड गई
रिवॉल्वर पुनीत के हाथ से निकल कर परे जा गिरी और वह स्वयं पीठ के बल नीचे गिर गया...
अवतार सिंह फौरन खडा हुआ और रिवॉल्वर की तरफ लपका
मगर तब तक तो पुनीत शर्मा बिजली बन चुका था सो जब तक अवतार सिंह रिवॉल्वर को उठाता , पुनीत के बूट की करारी ठोकर उसकी ठुड्डी पर पड चुकी थी
चीखता हुआ अवतार सिंह पीछे उलट गया.. उसकी ठुड्डी से खून बहने लगा...
जैसे ही वह नीचे गिरा , पुनीत ने उस पर छलांग लगा दी और उसके सीने पर आ गिरा
अवतार सिंह को अपनी हड्डियां टूटती हुई महसूस होने लगी.. उसका मुंह पूरा का पूरा खुल गया और हलक से दर्दनाक चीख निकल गई
मेरे खून का स्वाद चखेगा तू, पुनीत शर्मा के खून का... दहाड़ उठा पुनीत और उसके चेहरे पर एक फौलादी घूंसा जड दिया ..
पागल भैंसे की तरह डकार उठा अवतार सिंह... उसे ऐसा लगा जैसे उसका जबडा टूट गया हो
प्यास बुझाई नौकर से Running....कीमत वसूल Running....3-महाकाली ....1-- जथूराcomplete ....2-पोतेबाबाcomplete
बन्धन
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बन्धन
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Re: ताकत की विजय
अभी तो शुरूआत हुई है अवतार सिंह , अभी से इतनी जोर से चीखेगा तो आगे क्या हश्र होगा... आगे तो तेरा गला ही फट जायेगा
पुनीत इस वक्त अपने रौद्र रूप में था... इसलिए कि किसी ने उसका खून पीने की सोचने की जुर्रत की थी ...
अवतार सिंह संभलता उससे पहले ही पुनीत ने दूसरा वार कर दिया... इस बार घूंसा नाक पर पड़ा और कडक की आवाज़ के साथ अवतार सिंह के नाक की हड्डी टूट गई ...
अवतार सिंह इस बार त्राहिमाम करने की अवस्था में पहुंच चुका था ... उसे समझते देर नहीं लगी कि उस पर सवार हुआ शख्स कोई छोटी मोटी हस्ती नहीं है...
इसी तरह एक एक करके मैं तेरी तमाम हड्डियों का कचूमर बना दूंगा अवतार सिंह , अगर तू चाहता है कि तेरी हड्डियां सलामत रहे तो मेरी बातों का जवाब दे...
क् क्या जानना चाहते हो ? कांपती कराहती आवाज में पूछा अवतार सिंह ने
तेरे चार बाप हैं ना... निरंजन चौधरी , राजीव सेन , प्रताप सिंह और सुरेश पाटील...
क्या जानना चाहते हो उनके बारे में ? मरे स्वर में बोला अवतार सिंह
पहले तो उनके पत्ते फिर फोन नम्बर , फिर उनके धंधे , उनकी फौज.. जिसका सेनापति है तू , उनके अड्डे... जो कुछ भी तू जानता है वह सब जानना चाहता हूं मैं
व-वो मुझे मार डालेंगे..
तो मैं क्या तुझे बख्श दूंगा ... पुनीत ने बहुत ही सर्द स्वर में कहा
अवतार सिंह की रीढ़ की हड्डी में सिहरन दौड गई पुनीत शर्मा के रौद्र रूप को देखकर
पुनीत शर्मा ने मुट्ठी बंद करके उसकी आँखों के सामने लहराई... अब तेरे दांये जबडे की बारी है.....
अवतार सिंह को लगा जैसे आज साक्षात मौत के दर्शन कर लिए हो... दोनों हाथों को बचाव की मुद्रा में लाते हुए टूटे जबडे से ही चीख पडा.. नही..... म में बताता हूं
जल्दी बोल मेरे पास वक्त की बहुत कमी है ...
पुनीत शर्मा की जिस्मानी ताकत से भी भलीभांति परिचित हो चुका था अवतार सिंह.. धिग्धी बंद गई थी पट्ठे की सो उसने जुबान खोलने में ही अपनी भलाई समझी
सबकुछ बताता चला गया अवतार सिंह
पुनीत उससे सवाल कर रहा था और खौफ के साये में लिपटा अवतार सिंह जवाब दिए जा रहा था...
आखिर जब पुनीत समझ गया कि अवतार सिंह से वह तमाम जानकारी हासिल कर चुका है जो वह जानता था.. तो वह अवतार सिंह के सीने पर से उठा और अपनी रिवॉल्वर उठा कर जेब में रख ली
और जेब से रूमाल निकाल कर जोगलेकर की लाश के करीब पडी हुई उसकी सर्विस रिवॉल्वर उठा ली...
उस वक्त तक अवतार सिंह जमीन पर पड़ा कराह रहा था दर्द से...
अवतार सिंह ...
तभी पुनीत की आवाज सुनकर उसने उसकी तरफ़ देखा
अपनी तरफ तनी रिवॉल्वर देख उसकी आँखों में मौत के साये गर्दिश करने लगे , कलेजा मुंह को आ गया... चोटों का तमाम दर्द पल भर में ही भूल गया ...
य..य. यह क्या है ? उसके होठों से कांपती आवाज निकलती चली गई
जोगलेकर की रिवॉल्वर है ये... पुनीत मुस्कुरा दिया , पर यह मुस्कान बडी जानलेवा थी... इस पर अंगुलियों के निशान भी उसी के ही हैं , जोगलेकर तेरी गोली से मरा और तू जोगलेकर की सर्विस रिवॉल्वर से मरेगा... पुलिस डिपार्टमेंट जोगलेकर को शहीद करार देते हुए यही कहेगा कि वह एक खतरनाक स्मगलर का सामना करते हुए शहीद हो गया
नहीं.......... नहीं... दहल उठा अवतार सिंह
लेकिन पुनीत ने उसकी बात पर ध्यान नहीं दिया और ट्रिगर दबा दिया....
धांय
गोली सीधे उसके दिल में पैवस्त हो गई
अवतार सिंह का जिस्म एक बार जोरों से तडपा फिर शांत हो गया
आज एक दंरीदा अपने अंजाम तक खुद ही पहुंच गया
पुनीत ने एक गहरी सांस छोडी और रिवॉल्वर को वापस जोगलेकर की लाश के पास रख कर रूमाल जेब में डाल लिया...
मुझे माफ करना मेरे ईश्वर.. वह आसमान की तरफ देखते हुए बुदबुदाया... इंसाफ और सच्चाई को बचाने के लिए मुझे ऐसा करना पड रहा है
एक नजर दोनों लाशों पर डाल कर पुनीत खंडहरों से बाहर आ गया
कुछ ही दूरी पर अंधेरे में उसकी कार खड़ी थी , वह कार की तरफ बढ़ गया...
आयुष ने अपने मकान का ताला खोला और अन्दर प्रवेश कर गया
रात दस बजे ड्यूटी खत्म हुई थी उसकी.. थाने से अपने घर तक पहुंचने में उसे आधा घंटा लग ही जाता था भीतर पहुंच कर उसने दरवाजा बंद किया और दरवाजे के पास हाथ से टटोल कर स्विच बोर्ड ढूंढा और बटन दबा दिया
खट की आवाज के साथ कमरा रौशनी से भर गया
बटन दबाकर जैसे ही वह पलटा..
एकदम से चौंक गया और आँखें फाडे बैड पर बैठे पुनीत शर्मा की तरफ देखने लगा ...
पुनीत शर्मा को वह कल उस समय देख चुका था जब वह चौधरी के गुर्गों को थाने लाया था... सो अब उसे पहचानने में उसे जरा भी दिक्कत नहीं हुई
तुम.. अ.. आप यहां?
हां.... मैं यहां.. पुनीत मुस्कुराते हुए बोला
लेकिन आप भीतर कैसे आ गये ? बाहर तो ताला लगा हुआ था
पुनीत शर्मा हूँ.... जहाँ भी पहुंचना होता है, कोई ना कोई रास्ता ढूंढ ही लेता हूँ
ल.. लेकिन आप यहां क्यों आये ? जानते हैं आप , बाहर कितनी सरगर्मी से तलाश हो रही है आपकी .... अगर किसी को भी भनक लग गई तो आप का पता नहीं कुछ बिगडे न बिगडे , मगर मैं जरूर मारा जाऊंगा
बैठो आयुष... तुमसे कुछ बातें करनी है.... पुनीत गंभीरता से बोला
आयुष हिचकिचाते हुए पुनीत के सामने कुर्सी पर बैठ गया
विशाल ने मुझे तुम्हारे बारे में बताया था कि चौधरी एंड कंपनी के बारे में तुम्हीं ने उसे जानकारी दी थी
हाँ .... बताया तो था .. मगर वह बेचारा अपनी बहन को बचाने के लिए कुछ भी नहीं कर पाया..... उल्टा उसे हत्या के आरोप में फांसी की सजा सुना दी गई
आयुष ने भी पूरी गंभीरता से जवाब दिया
तुम्हारी बातों से साफ जाहिर होता है कि तुम एक नेक और इमानदार सिपाही हो...
मेरे एक अकेले से कुछ नहीं होने वाला पुनीत जी.... पूरे थाने का स्टाफ ही भ्रष्ट हो गया है.... ऐसे में मैं अकेला उन्हें कह भी क्या सकता हूं
मगर दिल तो करता ही होगा कि ऐसे भ्रष्ट लोगों को गोली मार दूं
दिल बेशक करता है ... स्वीकार किया आयुष ने... मगर दिल के करने से क्या होता है... अगर मैंने कोई ऐसी वैसी हरकत कर भी डाली तो जोगलेकर मुझे जिन्दा नहीं छोड़ेगा ...
अब जोगलेकर इस लायक नहीं रहा आयुष कि वह किसी को हानी पहुंचा सके....
क्या मतलब ? चिंहुक उठा आयुष
वह मर चुका है .... पुनीत ने शान्त स्वर में कहा
जोरो से उछल पडा आयुष और आंखे फाडे पुनीत को देखने लगा....
अ... आप ने मारा उसे ?
नहीं.... अवतार सिंह ने मारा है उसे ...
एक और झटका लगा आयुष को..
अवतार सिंह ने मारा ? नहीं , मैं बिल्कुल नहीं मान सकता
मैं झूठ नहीं बोल रहा.... देवी मंदिर के पीछे खंडहरों में जोगलेकर और अवतार सिंह की लाशें पडी है
आयुष का कलेजा मुंह को आने लगा... एक के बाद एक झटके लग रहे थे उसे
अवतार सिंह भी मारा गया ?
हाँ ... बहुत ही कातिल मुस्कान थी पुनीत के गुलाबी होंठों पर
उसे किसने मारा ?
जोगलेकर की सर्विस रिवॉल्वर से मरा है वह , यह अलग बात है कि गोली मैंने चलाई थी
ल..लेकिन मर कैसे गया वह ? और देवी मंदिर के पीछे कैसे पहुँच गया....
आश्चर्य भरे स्वर में बोला आयुष..... उसके पूरे शरीर में सनसनी दौड रही थी पुनीत शर्मा की बातें सुनकर
मैंने बुलाया था दोनों को.... पुनीत ने सदाबहार अंदाज में कहा
क्या मतलब ?
पुनीत ने उसे सारी बात बताई कि कैसे क्या हुआ
आयुष हैरानी से नजरें फैलाये पुनीत को देखने लगा.. . जैसे वह किसी दूसरे ग्रह से उतरा प्राणी हो....
आप नहीं जानते पुनीत जी कि ऐसा करके आपने कितना बडा खतरा मोल ले लिया है ... चौधरी अब आपको किसी भी हालत में जिंदा नहीं छोड़ेगा.. आपकी तलाश में जमीन आसमान एक कर देगा...
हौले से हंसा पुनीत
यह तो अब वक्त ही बताएगा कि कौन मरता है और कौन बचता है..
कुछ बोल नहीं पाया आयुष, बस पुनीत को देखता रह गया
तुम बताओ... तुम क्या चाहते हो ?
मैं तो जब से रायपुर आया हूँ तब से उन दरिंदों की मौत की दुआएं मांग रहा हूँ , लेकिन मेरे चाहने से तो कुछ होने वाला नहीं ... गंभीर स्वर में कहा आयुष ने
समझ लो तुम्हारी दुआएं कबूल हो गई ... उसी गंभीरता से पुनीत ने जवाब दिया
एक बार फिर आयुष बस देखता ही रह गया
लगता है तुम्हें मेरी बात पर विश्वास नहीं हो रहा... ठीक है , कल शाम तक तुम्है विश्वास हो जायेगा ... कल शाम होने से पहले ही मैं सुरेश पाटील को अवतार सिंह के पास पहुंचा दूंगा
अगर आप कामयाब हो गए तो मुझे हार्दिक प्रसन्नता होगी
लेकिन उसके लिए तुम्हें मेरी थोड़ी मदद करनी पड़ेगी... मुस्कुराते हुए कहा पुनीत ने
कैसी मदद ? आयुष आँखें गोल करते हुए बोला
पुनीत उसे बताने लगा
प्यास बुझाई नौकर से Running....कीमत वसूल Running....3-महाकाली ....1-- जथूराcomplete ....2-पोतेबाबाcomplete
बन्धन
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दिल से दिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
तुफानो में साहिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
यूँ तो मिल जाता है हर कोई!
मगर आप जैसे दोस्त नसीब वालों को मिलते हैं!
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यूँ तो मिल जाता है हर कोई!
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