इच्छाधारी एलियन COMPLETE

Jemsbond
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Re: इच्छाधारी एलियन

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एलियेन की तलाश शुरू हो गयी थी। फादर ने इसके लिये तीन टीमें तैयार की थीं। पहली टीम में अरुण व रिया थे, दूसरी में संजय व दीपा, जबकि तीसरी टीम में फादर अकेला था। उसने उन लोगों को सख्ती के साथ समझाया था कि अपनी बातचीत से वे बिल्कुल ज़ाहिर न होने दें कि वे एलियेन की तलाश कर रहे हैं। बल्कि वे कैंपिंग के लिये आये हैं और जानवरों व नेचुरल दृश्यों के खूबसूरत फोटोग्राफ उतारना चाहते हैं, यही उनकी बातचीत से ज़ाहिर होना चाहिए।

और इस वक्त वे लोग यही काम कर रहे थे। यानि जंगल के कुदरती दृश्यों की फोटोग्राफी कर रहे थे और साथ ही अचानक दिखने वाले जानवरों को भी कैमरे में कैद कर रहे थे। फिलहाल किसी खतरनाक जानवर से उनकी मुठभेड़ अभी तक नहीं हुई थी।

‘‘इस जगह की खूबसूरती में सब कुछ भूल जाने का मन होता है। यहाँ आने का मकसद भी।’’ रिया खोये खोये लहजे में बोली।

‘‘लेकिन हमें किसी भी हाल में अपने मकसद को नहीं भूलना है। वरना हमारे अनचाहे मेहमानों का मकसद पूरा हो जायेगा।’’ अरुण ने सख्त लहजे में कहा और रिया ने उसका बाज़ू थाम लिया। पता नहीं अरुण के सख्त लहजे में उसकी वार्निंग से डरकर या फिर पास से गुज़रते चितकबरे साँप से डरकर।

अरुण ने भी उस साँप को देखा लेकिन उसमें फादर के अल्टीमेटम वाली यानि एलियेन के पहचान वाली खास चमक नहीं दिखी। यानि वह एक आम साँप था जो तेज़ी के साथ रेंगता हुआ झाड़ियों के पीछे जा रहा था।

अचानक एक नेवले ने दूसरी झाड़ी के पीछे से निकलकर उसपर छलांग लगायी और फिर दोनों एक दूसरे से गुत्थम-गुत्था हो गये। अरुण व रिया थोड़ा दूर हटकर उनकी लड़ाई देखने लगे। इसका तो सवाल ही नहीं था कि वे उस लड़ाई में हस्तक्षेप कर पाते। फिर नेवले की फुर्ती ने साँप को मात दे दी। और थोड़ी ही देर में साँप के टुकड़े टुकड़े हो चुके थे।

साँप को खत्म करने के बाद नेवले ने एक नज़र उनकी तरफ डाली और फिर उछलकर झाड़ियों के पीछे गायब हो गया। दोनों मानो सम्मोहित होकर अपनी जगह ठिठके हुए थे।

‘‘उफ् ऐसे सीन सिर्फ जंगल में ही दिखाई दे सकते हैं।’’ रिया एक झुरझुरी लेकर बोली।
‘‘इसी तरह कोई जानवर हमारे भी टुकड़े कर सकता है।’’ अरुण के जुमले पर रिया के जिस्म में सिहरन दौड़ गयी। फिर दोनों बिना कुछ बोले आगे बढ़ गये।

कुछ दूर चलने के बाद अचानक अरुण एक जगह ठिठक कर रुक गया।
‘‘क्या हुआ?’’ रिया ने हैरत से उसकी तरफ देखा।

‘‘ओह, मैंने पहले इस बात पर गौर क्यों नहीं किया?’’
‘‘कौन सी बात?’’

‘‘शायद तुमने गौर नहीं किया। उस नेवले के जिस्म की अप्राकृतिक चमक पर।’’ अरुण के इस जुमले पर रिया उछल पड़ी।

‘‘ओ माई गाॅड ... तो क्या वो एल..’’ कहते हुए रिया रुक गयी। उसे फादर जोज़फ की बात वक्त पर याद आ गयी थी।

‘‘हण्ड्रेड परसेन्ट! दुनिया का कोई नेवला इतना चमकीला नहीं होता।’’ अरुण की आवाज़ जोश से भरी हुई थी।

उसी वक्त उन्हें पीछे की तरफ सरसराहट की आवाज़ सुनाई दी और वे चैंक कर घूमे। पीछे वही नेवला मौजूद था, किसी एलईडी रोशनी जैसी चमक बिखेरता हुआ। उसकी चमकीली आँखें उन दोनों को घूर रही थीं।

अचानक अरुण ने फुर्ती के साथ कमर से लगा रिवाल्वर खींचा और नेवले पर फायर झोंक दिया। लेकिन नेवला अरुण से भी कई गुना ज़्यादा फुर्तीला था। इससे पहले कि गोली उसके जिस्म से टकराती, वह बिजली की गति से झाड़ियों में घुस चुका था।

‘‘यह बुरा हुआ। अब वह जान चुका है कि हम उसके दुश्मन हैं। वह हमें नहीं छोड़ेगा।’’ रिया घबराकर बोली।
‘‘कुछ नहीं होगा।’’ अरुण लापरवाही से बोला, ‘‘और अगर उसने कोई हरकत करने की कोशिश की तो हम इतने कमज़ोर भी नहीं हैं कि उसे सबक न सिखा सकें।’’


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Re: इच्छाधारी एलियन

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लेकिन नेवले को सबक सिखाने की अरुण की इच्छा उसके दिल में ही रह गयी। अगली सुबह जब लोग नींद से बेदार हुए तो उन्होंने अरुण को उसके बेड पर मृत पाया। उसका गला किसी जानवर ने बेदर्दी के साथ चबाया था। हालांकि आसपास के मचानों पर सोने के बावजूद उन्हें एहसास तक न हो सका कि कब वह अज्ञात जानवर अरुण को मारकर चला गया।

रिया व दीपा बुरी तरह रो रही थीं। बाकी लोग भी ग़म में डूबे हुए थे और एक डर भी सभी के चेहरों पर मौजूद था।
‘‘संजय, फौरन वापस चलो। अब हम यहाँ नहीं रहेंगे।’’ दीपा संजय का हाथ पकड़कर बोली।


‘‘हाँ, हम लोग फौरन वापस चलते हैं।’’ घबराया हुआ संजय दीपा को दिलासा देने लगा। फिर वह अपने बैग की तरफ बढ़ा और अपना सामान समेटने लगा।
उसी समय किसी ने उसके कंधे पर हाथ रख दिया। उसने घूमकर देखा, फादर जोज़फ उसके पीछे मौजूद था।

‘‘फादर...!’’

फादर ने एक नज़र संजय और दूसरी नज़र दीपा पर डाली, ‘‘संजय, दीपा तुम लोग क्या सोचते हो। यहाँ से बाहर निकलकर बच जाओगे? हमारा दुश्मन कहीं भी पहुंच सकता है। काश कि अरुण का निशाना न चूका होता। अब लड़ाई आर पार की हो गयी है। या तो हम उसे मार देंगे..या फिर वह हमें।’’ फादर की बात सुनकर दीपा व रिया दोनों के चेहरे सफेद हो गये।

‘‘एक तो उस इच्छाधारी एलियेन को पहचानना ही मुश्किल है, मारना तो दूर की बात है।’’ दीपा ने धीरे से कहा।
‘‘इस मामले में मैं अब तुम लोगों की थोड़ी और मदद कर सकता हूं। ये लो’’, फादर ने अपनी जेब से कुछ लाॅकेट निकाले और उनकी तरफ बढ़ा दिये।

‘‘ये क्या है?’’ संजय ने पूछा।

‘‘उस इच्छाधारी एलियेन के जिस्म से निकलने वाली रेज़ को पहचान कर ये काम करेगा। जैसे ही वह एलियेन किसी जानवर की शक्ल में तुम्हारे आसपास आयेगा, ये लाकेट उसकी रेज़ को पहचान कर वाइब्रेट करना शुरू कर देगा और तुम उससे अपना बचाव कर सकते हो और मौका पाकर उसे खत्म भी कर सकते हो।’’ फादर की बात सुनकर सभी की आँखों में चमक आ गयी।
-----

लेकिन ये चमक ज़्यादा देर क़ायम नहीं रह सकी।

उस समय वे सभी लोग उस विशाल तालाब के किनारे से गुज़र रहे थे जब एक भीमकाय मगरमच्छ ने अचानक पानी से मुंह निकालकर रिया पर हमला किया।

वह रिया की आखिरी चीख थी क्योंकि मगरमच्छ ने सीधे उसका सर अपने धारदार जबड़ों में जकड़ लिया था। और फिर पलक झपकते वह वापस तालाब के पानी में गुम हो चुका था और साथ में रिया का शरीर भी। और फिर उन्होंने देखा कि तालाब का पानी सुर्ख हो रहा है।

वह सभी अपने बदन में थरथरी महसूस कर रहे थे। फिर उन्हें महसूस हुआ कि उनका लाकेट भी थरथरा रहा है।
‘‘व...वो एलियेन ही है। हमारे लाॅकेट वाइब्रेट कर रहे हैं। फादर आप कुछ कीजिए।’’ दीपा चीखकर बोली।

लेकिन फिर उन्हें ये देखकर मायूसी हुई कि फादर भी उनकी तरह बेबसी से हाथ मल रहा है।

‘‘ह..हमें वापस लौट जाना चाहिए। सब कुछ खत्म हो चुका है। हम कुछ नहीं कर सकते।’’ संजय मायूसी भरी आवाज़ में बोला। इस बार फादर भी कुछ नहीं बोला। शायद वह भी मन ही मन हार मान चुका था।

वो लोग अपने ठिकाने पर वापस लौट आये थे जो कुछ मज़बूत पेड़ों की डालियों पर लकड़ियों को जोड़कर बनाया गया था। अब सभी अपनी अपनी जगह बैठे आगे की कार्रवाई के बारे में सोच विचार कर रहे थे। लेकिन उनका दिमाग उन दो मौतों के बाद जड़ हो चुका था।

फिर संजय धीरे से उठा और अपने बैग में सामान रखने लगा। उसे देखकर दीपा भी उठ खड़ी हुई और सामान समेटने लगी।

‘‘तो तुम लोगों ने वापसी का पक्का इरादा कर लिया?’’ फादर ने गंभीर आवाज़ में सवाल किया।
‘‘हाँ फादर। वह एलियेन हमारा दुश्मन बन ही चुका है। हो सकता है हमारे यहाँ से जाने के बाद वह हमारा पीछा छोड़ दे। लेकिन अगर यहाँ डटे रहे तो उससे हरगिज़ बच नहीं सकते।’’ संजय सामान समेटते हुए बोला।


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Re: इच्छाधारी एलियन

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‘‘ठीक है।’’ फादर ठंडी साँस लेकर बोला, ‘‘मैं अब तुम लोगों को नहीं रोकंूगा। भला किस आधार पर रोकूं? जबकि मैं तुम लोगों को बचाने का कोई भरोसा नहीं दे सकता।’’

जल्दी ही संजय व दीपा ने अपना सामान पैक कर लिया। और फादर ने तो शायद अपने बैग से सामान निकाला ही नहीं था। अतः वह अपना बैग उठाकर उनके साथ चलने को तैयार हो गया। अब वे तेज़ी के साथ अपनी गाड़ी की तरफ जा रहे थे जो जंगल के छोर पर मौजूद थी।

संजय और दीपा के चाल काफी तेज़ थी। वे जल्द से जल्द उस मनहूस जंगल की सीमा से निकल जाना चाहते थे। वो इतनी हड़बड़ी में थे कि उन्होंने ये भी ध्यान नहीं दिया कि फादर काफी पीछे छूट गया है। वैसे भी अपने बुढापे की वजह से वह उनका साथ नहीं दे सकता था। जल्दी ही वे अपनी गाड़ी तक पहुंच गये।

लेकिन वहां पहुंचते ही वे डर से चीख पड़े।

उनकी गाड़ी को एक विशालकाय अजगर अपने शिकंजे में जकड़े हुए था।
और उसके जिस्म से निकलती चमक उन्हें दूर से ही दिखाई दे रही थी।

‘‘स...संजय!’’ दीपा सहम कर संजय से लिपट गयी। लेकिन संजय की हालत खुद ही खराब थी। दोनों ने पलट कर वापस जंगल की तरफ दौड़ लगा दी।

अभी वह थोड़ी दूर ही गये थे कि फादर से टकरा गये जो धीरे धीरे उनकी ही दिशा में आ रहा था।
‘‘क्या बात है? तुम लोग इतने बदहवास क्यों हो?’’

‘‘फादर! व...वो एलियेन हमारी कार के पास। अजगर के रूप में।’’ बड़ी मुश्किल से दीपा के मुंह से ये शब्द निकले।’’

‘‘अगर वो अजगर के रूप में था तो तुमने कैसे पहचाना कि वो एलियेन है?’’ फादर जोज़फ का सवाल था।
‘‘फादर उसके जिस्म में चमक थी।’’ संजय ने बताया।

‘‘चमक एक पहचान हो सकती है - लेकिन कनफर्म तभी हो सकता है जब वह हमारे सामने अपने रूप को बदल दे।’’ फादर कुछ सोचते हुए बोला।

‘‘लेकिन वह हमारे सामने अपना रूप बदलेगा ही क्यों? उसे क्या ज़रूरत?’’ दीपा ने सवाल किया।

‘‘ज़रूरत तो नहीं। लेकिन वह अपनी मर्ज़ी से ऐसा कर सकता है - इस तरह।’’

दूसरे ही पल उन्होंने देखा कि फादर जोज़फ का गोरा शरीर काला पड़ गया। और अब उस जगह उन्हें एक भयानक कोबरा दिखाई दे रहा था। कुछ देर वह उस शक्ल में अपनी पतली ज़बान लपलपाता हुआ उन्हें घूरता रहा फिर उसका जिस्म एक बार फिर बदल गया। और अब वहां फादर जोज़फ दोबारा मौजूद था। होंठों पर एक कुटिल मुस्कुराहट सजाये हुए।

उनके जिस्म मानो पत्थर की तरह जाम हो गये थे। आँखों की पुतलियों ने काम करना छोड़ दिया था। हैरत व डर ने उन्हें इतना जकड़ लिया था कि उनकी ज़बान भी गुंग होकर रह गयी।

अब उन्हें एहसास हो रहा था कि उन्होंने कितनी बड़ी गलती की है। अगर उन्होंने इससे पहले गौर से फादर को देखा होता तो उन्हें वह असाधारण चमक दिख जाती जो उसे और मनुष्यों से अलग कर रही थी। भारत में रहने वाला कोई व्यक्ति इतना गोरा नहीं होता। चाहे वह अंग्रेज़ ही क्यों न हो।

जिस एलियेन को वह जंगल में ढूंढने आये थे वह तो पल पल उनके साथ था। फादर ने एलियेन की बहुत अच्छी पहचान बतायी थी, इसके बावजूद वे उसे पहचानने में गलती कर गये। और इसकी वजह यही थी कि वे सोच भी नहीं सकते थे कि खुद फादर ही एलियेन होगा।

‘‘फ...फादर - एलियेन। नहीं ये नहीं हो सकता।’’ बहुत देर के बाद संजय के मुंह से बड़बड़ाहट के रूप में बोल फूटे।

‘‘हाँ। मैं ही हूं वह एलियेन। मैंने ही जानवर की शक्ल में आकर अरुण को मारा और मैंने ही उस मगरमच्छ को अपनी सम्मोहन किरणों से वश में करके रिया के ऊपर हमला कराया।’’ फादर की आवाज़ शांत थी - किसी तालाब में ठहरे पानी की तरह।

‘‘क्यों? आपने ऐसा क्यों किया फादर?’’ दीपा चीख पड़ी, ‘‘हमारी क्या दुश्मनी थी आपसे? अगर आप एलियेन भी थे तो हमने आपका क्या बिगाड़ा था।’’

‘‘दुश्मनी तो बहुत गहरी थी। और बहुत पुरानी भी।’’ इस बार फादर की आवाज़ बर्फ से भी ज़्यादा ठंडी उन्हें महसूस हुई।
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Re: इच्छाधारी एलियन

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‘‘कैसी दुश्मनी? हमने तो हमेशा आपका सम्मान किया?’’ इस बार संजय ने सवाल उठाया।
‘‘मेरी दुश्मनी उनसे है जिन्होंने तुम लोगों को पैदा किया। मैं तुम्हारे माँ बाप का दुश्मन हूं।’’ फादर जोज़फ गुर्राकर बोला।

‘‘लेकिन क्यों?’’ दीपा की आवाज़ में उलझन भरा डर मौजूद था।

‘‘क्योंकि आज से पच्चीस साल पहले मैं अपने माँ बाप के साथ इस ग्रह पर आया था। हमारा यान इसी जंगल में उतरा था। हम लोग जानवरों का शरीर धारण करके खुशी खुशी इस नये ग्रह का आनंद ले रहे थे। लेकिन उसी समय हमारी खुशियों को ग्रहण लग गया। और इस ग्रहण को लगाने वाले थे तुम दोनों के माँ बाप। जो इस जंगल में शिकार खेलने आये थे। उन्होंने मेरे माँ बाप को अपना निशाना बना लिया। जो उस समय बाघ के रूप में थे। मैं उस समय छोटा बच्चा था। मैंने छुप कर अपनी जान बचायी लेकिन हमारी नस्ल हमेशा के लिये खत्म हो गयी। क्योंकि अब मैं अपने ग्रह वापस नहीं लौट सकता था। जिन टेक्यान किरणों को कैरियर बनाकर हम अपने ग्रह से यहाँ तक आये थे उनका सम्पर्क मेरे बाप की मौत के साथ टूट गया।’’

संजय व दीपा जड़ होकर फादर जोज़फ उर्फ एलियेन की कहानी सुन रहे थे।

फादर ने कहना जारी रखा, ‘‘फिर मैंने प्रतिशोध की ठान ली। मिस्टर मेहता और मिस्टर कपूर ने जिस तरह मुझे अकेला रहने पर मजबूर किया है, मैं भी उन्हें नस्लविहीन कर दूंगा। हमेशा के लिये अकेले रहने पर मजबूर कर दंगा। दो को मार चुका हूं इसी जंगल में जहाँ मेरे माँ बाप को मारा गया था। अब दो और बचे हैं।’’ फादर ने उन्हें घूरते हुए कहा।

उसका इरादा भांपकर संजय ने उसपर छलांग लगायी। लेकिन वह एलियेन पूरी तरह सावधान था। उसने अपने हाथ को एक झटका दिया। नतीजे में संजय उछलकर पलटा और दीपा से टकरा गया। उसके जोरदार धक्के से दीपा संभल न सकी। एक पत्थर से उसका सर टकराया और वह अचेत हो गयी।
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दीपा के होश जब दोबारा संभले तो उसे अपने ऊपर किसी का साया महसूस हुआ। जब आँखें कुछ और देखने के काबिल हुईं तो उसने पाया कि संजय उसके ऊपर झुका हुआ है और उसे होश में लाने की कोशिश कर रहा है।

‘‘स..संजय?’’

‘‘तुम ठीक तो हो दीपा?’’ संजय ने नर्म आवाज़ में पूछा।
‘‘हाँ मैं तो ठीक हूं। ल...लेकिन फादर - एलियेन?’’

‘‘उसे मैंने मार डाला। वो देखो।’’

संजय की बात सुनते ही दीपा की सारी कमज़ोरी व चोट का एहसास जाता रहा। वह झटके से उठ बैठी और संजय की बतायी दिशा की ओर देखने लगी। वहाँ पर एक चमकदार नेवला मरा हुआ पड़ा था।

‘‘य...ये तुमने इसे मारा?’’

‘‘हाँ। हमारी मदद ईश्वर ने की और मैं इसे मारने में कामयाब हो गया। एक कठिन संघर्ष के बाद। उठो दीपा अब घर चलते हैं।’’ संजय ने उसे सहारा देकर उठाया और गाड़ी की तरफ ले जाने लगा।

दीपा ने देखा कि उनकी गाड़ी सही सलामत थी। गाड़ी से लिपटा हुआ विशालकाय अजगर कहीं गायब हो चुका था। संजय ने दीपा को सहारा देकर गाड़ी में बिठा दिया।

‘‘मैं उस एलियेन की लाश को जलाकर आता हूं। फिर हम लोग रवाना हो जायेंगे।’’
‘‘हाँ। उसका भी अंतिम संस्कार ज़रूरी है।’’ दीपा ने फीकी मुस्कुराहट के साथ कहा।

संजय ने सर हिलाया और नेवले के मुरदा शरीर के पास पहुंच गया फिर उसे घसीटकर पेड़ों के एक झुरमुट की तरफ ले जाने लगा। जैसे ही उसने उस झुरमुट को पार किया, वहाँ मौजूद छोटे से मैदान में एक और लाश पड़ी दिखाई दी। ये एक मनुष्य की लाश थी। उसने उसे पलटा तो उस लाश का चेहरा सामने आ गया।

अगर उस चेहरे को दीपा देख लेती तो यकीनन उसके दिल की धड़कन रुक जाती। क्योंकि ये चेहरा संजय का था। आने वाले संजय ने नेवले के शरीर को उसके ऊपर फेंका और फिर दोनों को आग दिखा दी। दोनों मृत शरीर धड़ाधड़ जलने लगे।

उस आग की रोशनी में जिंदा संजय का चेहरा अचानक भयानक हो गया था। वह बड़बड़ा रहा था, ‘‘अब मैं अपने ग्रह की और अपने बाप की नस्ल को यहीं इसी पृथ्वी पर बढ़ाऊंगा। जिसने मेरे माँ बाप को मारा, उसी की बेटी हमारी नस्ल को आगे बढ़ायेगी। एक इच्छाधारी की नस्ल को।’’ उसके चमकते चेहरे पर एक कुटिल मुस्कुराहट उभर आयी।

संजय की लाश से फूटते शोले अब बुलन्द हो रहे थे।

--समाप्त--

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