इच्छाधारी एलियन COMPLETE

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Jemsbond
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इच्छाधारी एलियन COMPLETE

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इच्छाधारी एलियन


यह एक नाइट क्लब था, जहाँ करोड़पति अरबपति घरानों के नौजवान लड़के लड़कियां अपनी शामों को गुज़ारते थे। हालांकि यहाँ शाम कहना गलत होगा क्योंकि उनमें से अक्सर पूरी रात ही वहाँ गुज़ार देते थे, किसी हसीन या जवान साथी के साथ।
उनमें से दो जोड़े ऐसे भी थे जो इधर पूरे एक साल से उस क्लब की जान बने हुए थे। क्योंकि उन्हें हर रोज़ वहाँ न सिर्फ देखा जाता था बल्कि वे वहां के हर प्रोग्राम में बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते थे।

इस वक्त भी दोनों जोड़े क्लब के बार में मौजूद थे और मंहगी शराब की चुस्कियों के साथ हंसी मज़ाक कर रहे थे।
‘‘यार, तुम्हें अपनी लवर बनाने के लिये मेरी ही बहन मिली थी?’’ एक लड़के ने दूसरे लड़के के कंधे पर हाथ मारा।

‘‘तुमने मेरी बहन से इश्क किया और मैंने तुम्हारी बहन से। मामला बैलेंस हो गया।’’
‘‘देखो अरुण, संजय..’’ एक लड़की हाथ उठाकर बोली, ‘‘हम दोनों के फादर आपस में गहरे दोस्त हैं। अब हम उस दोस्ती को एक कदम आगे बढ़ाकर रिश्तेदारी में बदल रहे हैं। इसमें बुराई क्या है।’’

‘‘तो मैंने कब कहा कि इसमें बुराई है। क्यों रिया?’’ अरुण ने बगल में बैठी रिया को प्यार भरी नज़रों से देखा जो संजय की बहन थी और उसकी गर्लफ्रेंड।

‘‘तो यही बात तो दीपा भी कह रही है।’’ रिया की बात पर वहाँ एक ठहाका गूंजा। उसी वक्त वहाँ एक हल्का म्यूज़िक गूंजने लगा जो कि फ्लोर पर डाँस करने वालों के लिये एक बुलावा था। फिर अरुण ने रिया का हाथ थामा और संजय ने दीपा का और फिर दोनों जोड़े डाँस के लिये स्टेज की तरफ बढ़ गये।

इस बात में कोई शक नहीं था कि इन लोगों के माँ बाप आपस में गहरे दोस्त थे। और ये दोस्ती बीसियों साल पुरानी थी। संजय व रिया मशहूर इण्डस्ट्रियलिस्ट मिस्टर मेहता के लड़के थे जबकि अरुण व दीपा के बाप मिस्टर कपूर कई बड़े होटलों के मालिक थे। उन्हें भी मालूम था कि उनके बच्चे आपस में न सिर्फ गहरे दोस्त हैं बल्कि प्यार भी करते हैं और उनका खुद का ख्याल यही था कि वे उनक शादी जल्दी ही कर दें ताकि उनकी बरसों पुरानी दोस्ती रिश्तेदारी में बदल जाये।

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उस वक्त रात के बारह बज रहे थे जब वे थकान से चूर होकर क्लब से बाहर निकले। अब वे घर जाने के लिये अपनी कारों की तरफ बढ़ रहे थे जो पार्किंग में आसपास ही मौजूद थीं। वे चारों हल्के नशे में थे और एक दूसरे का हाथ इस तरह थामे हुए थे मानो हाथ छोड़ते ही डिस्बैलेंस होकर गिर जायेंगे।

जल्दी ही पार्किंग में पहुंच गये। लेकिन कार से थोड़ी ही दूरी पर उनके कदम ठिठक गये।
‘‘अरे! फादर जोज़फ। आप यहाँ क्या कर रहे हैं?’’ संजय ने सामने मौजूद व्यक्ति को देखकर पूछा जिसका वेश किसी पादरी की तरह था और जो उनकी कार से टेक लगाकर खड़ा हुआ था।

‘‘मैं तुम लोगों का इंतिज़ार कर रहा था मेरे बच्चों। एक बहुत ज़रूरी काम के लिये।’’ फादर जोज़फ की आवाज़ में काफी गंभीरता थी।

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‘‘ऐसा ज़रूरी काम क्या हो सकता है जिसके लिये आपने रात को बारह बजे यहाँ आने की तकलीफ की? हमें बुला लिया होता।’’ अरुण बोला। और सबने उसकी बात की सहमति में सर हिलाया।
फादर जोज़फ का ताल्लुक उनके घरों से कम से कम दस साल का था। और न सिर्फ चारों भाई बहन बल्कि उनके पैरेन्ट्स भी उनकी काफी इज़्ज़त करते थे। फादर का अपने चर्च के अलावा और कहीं आना जाना बहुत ही कम था। वो किसी से मिलते जुलते नहीं थे। लेकिन उन लड़कों की फैमिली से उनका मेल मिलाप और प्यार इतना ज़्यादा था कि अक्सर लोग उन्हें उन परिवारों का सदस्य ही समझ लेते थे।

‘‘बात कुछ ऐसी ही है जिसके लिये मुझे इस वक्त यहाँ आना पड़ा। लेकिन उस बात को बताने के लिये तुम लोगों को मेरे साथ चर्च तक चलना पड़ेगा। अभी।’’ फादर ज़ोज़फ की बात में न जाने क्या था कि वे लोग फौरन उसके साथ चर्च तक जाने के लिये तैयार हो गये।
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चर्च के अन्दर इस वक्त उन पाँचों के अलावा और कोई नहीं था। फादर जोज़फ के चेहरे पर इतनी ज़्यादा गंभीरता थी कि वे लोग ये सोचने पर विवश थे कि शायद उसके साथ कोई अनहोनी हो गयी है। लेकिन उस अनहोनी को बताने से उसकी ज़बान रुक रही हैं। क्योंकि वह काफी देर से अपनी कुर्सी पर बगैर कुछ बोले सिर्फ सोचे जा रहा था।

‘‘फादर! आप हमें क्या बताना चाहते हैं?’’ आखिरकार इस खामोशी से तंग आकर संजय ने अपनी ज़बान खोली।
‘‘ओह हाँ!’’ फादर अपने विचारों की दुनिया से बाहर आ गया, ‘‘कुछ बताने से पहले मैं तुम लोगों से एक सवाल पूछना चाहता हूं। क्या तुम्हें एलियेन्स पर यकीन है?’’

फादर के सवाल पर सब एक दूसरे का मुंह ताकने लगे। ये रात को बारह बजे एलियेन्स के बारे में पूछना। क्या फादर अब उन्हें बुलाकर कोई साइंस फिक्शन कहानी सुनाना चाहता है? लेकिन ये कौन सा वक्त है कहानी सुनाने का?

‘‘एलियेन्स के बारे में हमने बहुत सी साइंस फिक्शन फिल्में देखी हैं। और नावेल भी पढ़े हैं। लेकिन उनका वास्तव में अस्तित्व है इस बारे में हम तब तक यकीन नहीं कर सकते जब तक कि उन्हें अपनी आँखों से न देख लें।’’ दीपा ने अपना मंतव्य फादर के सामने रखा।
‘‘और फिलहाल साइंस एलियेन्स के बारे में कुछ पता नहीं कर पायी है।’’ रिया ने दीपा की बात से सहमति ज़ाहिर की।

‘‘लेकिन अगर मैं कहूं कि एलियेन्स का अस्तित्व है और मुझे उसके सुबूत भी मिल चुके हैं, तो क्या तुम मेरी बात पर यकीन करोगे?’’ फादर जोज़फ की बात पर वे सभी चैंक उठे थे और एक बार फिर एक दूसरे का मुंह ताकने लगे थे।

‘‘बेटे। जो लोग भी मुझे जानते हैं, वो मुझे एक पादरी के तौर पर जानते हैं। लेकिन बहुत कम लोगों को मालूम है कि मैं एक साइंटिस्ट भी हूं। और मैंने फिज़िक्स में डाक्टरेट हासिल की है।’’
फादर का ये स्टेटमेन्ट वाकई में उनके लिये एक रहस्योद्घाटन था। वो लोग खुद फादर को फादर के ही रूप में जानते थे न कि एक साइंटिस्ट के तौर पर।

फादर आगे कह रहा था, ‘‘इसी चर्च के तहखाने में मेरी एक छोटी सी लैब है जिसमें मैं एलियेन्स के बारे में अपनी कुछ मशीनों के ज़रिये रिसर्च कर रहा हूं। और कुछ सवालों के जवाब ढूंढने की कोशिश कर रहा हूं।’’

‘‘कैसे सवाल?’’ अरुण ने पूछा।
‘‘यही कि अगर दूसरे ग्रहों पर या यूनिवर्स के किसी और कोने में एलियेन्स हैं तो किस तरह के हैं? क्या वे पृथ्वी पर आते हैं? और अगर आते हैं तो हमें उनका आभास क्यों नहीं होता?’’

‘‘तो आपको अपने सवालों का जवाब मिला?’’ दीपा ने पूछा।
‘‘हाँ!’’ फादर जोज़फ का ये जवाब उनके लिये और चैंकाने वाला था।

‘‘मुझे अपने कई सवालों का जवाब मिल गया है। आओ, मैं तुम्हें अपनी लैब दिखाता हूं।’’ फादर अपनी कुर्सी से उठ गया। अब वह तहखाने के रास्ते की तरफ था। उसके पीछे पीछे बाकी चारों थे।

‘‘एलियेन्स न सिर्फ यूनिवर्स में मौजूद हैं बल्कि हमारी पृथ्वी पर आते भी हैं।’’ आगे चलते हुए फादर कह रहा था, ‘‘मैंने अपने यन्त्रों द्वारा न सिर्फ उनकी उपस्थिति दर्ज की है बल्कि उनकी बातचीत को भी सुन चुका हूं। क्योंकि मैंने उनकी भाषा को अपनी भाषा में ट्रांस्लेट करने में कामयाबी हासिल कर ली है।’’

फादर जोज़फ की ये अनोखी बातें सुनकर चारों उसे इस तरह अजीब नज़रों से देखने लगे मानो फादर खुद ही एक एलियेन हो।

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अब फादर तहखाने में मौजूद अपनी लैब के अन्दर पहुंच चुका था। चारों ने आश्चर्य से उस तहखाने को देखा। उन्हें यकीन नहीं हो रहा था कि उस पुराने तहखाने में इतनी आधुनिक साइंटिफिक लैब बनी होगी। तहखाने में उन्हें घुटन का एहसास ज़रा भी नहीं हो रहा था। और साथ ही वे ऐसी मशीनें देख रहे थे जैसी इससे पहले उन्होंने कभी नहीं देखी थीं।

‘‘यही वह जगह है जहाँ से मैंने इस धरती पर आने वाले एलियेन का पता लगाया है।’’ कहते हुए फादर जोज़फ ने कुछ मशीनों को चालू किया और वहाँ पर एक सपाट बोर्ड जैसी जगह पर एक ग्राफ व मैप जैसा बनने लगा। उस ग्राफ पर कुछ बिन्दु चमक रहे थे।
‘‘ये मैप हमारे यूनिवर्स के एक हिस्से का है।’’ फादर ने बताया, ‘‘और इसपर चमकने वाला ये बिन्दु जो तुम देख रहे हो, यह एक ग्रह की लोकेशन है जहाँ बुद्धिमान प्राणी मौजूद हैं। हम लोगों से कई गुना ज़्यादा विकसित हैं ये लोग।’’

‘‘वाऊ!’’ दीपा के मुंह से निकला।
‘‘और मज़े की बात ये है कि इस ग्रह के कुछ प्राणी लंबा सफर तय करके हमारी धरती पर पहुंच चुके हैं। ये ग्राफ जो तुम देख रहे हो, यह उनके रास्ते का है।’’ फादर ने ग्राफ के ऊपर अपना प्वाइंटर लहराया।

‘‘अगर वह हमारी धरती पर आ चुके हैं तो यहाँ के यन्त्रों ने उन्हें पकड़ा ज़रूर होगा। खास तौर से अमेरिका और रूस जैसे विकसित देशों के यन्त्रों ने।’’ अरुण ने अपना ख्याल ज़ाहिर किया।
‘‘नहीं। मेरी लैब के अलावा दुनिया के किसी भी हिस्से की लैब में इनकी उपस्थिति दर्ज नहीं है। क्योंकि ये लोग बने हैं कुछ अनोखे कणों से। वह कण जो हमारी धरती के वातावरण में होते ही नहीं।’’

‘‘क्या मतलब?’’ दीपा बोल पड़ी।

‘‘ये सन 2007 की बात है। जब हार्वर्ड कालेज के भौतिकी के प्रोफेसर होवर्ड जार्जी ने नये अनोखे कणों का आईडिया पेष किया जो कि वास्तव में कण नहीं होते हैं। इसलिए उन्होंने इन्हें एक नया नाम दिया अनपार्टिकिल यानि कि अकण। ये न तो बोसाॅन होते हैं और न ही फर्मियान।’’
‘‘पहले तो आप हमें फर्मियान व बोसाॅन के बारे में बतायें। क्योंकि हमारी साइंस इतनी अच्छी नहीं है।’’ रिया के टोकने पर संजय ने उसे घूरा। उसे डर था कि कहीं बार बार टोकने पर फादर नाराज़ न हो जाये।

लेकिन फादर इस वक्त पूरे मूड में था। उसने अपनी बात जारी रखी, ‘‘जैसा कि साइंस कहती है कि पृथ्वी पर दो तरंह के कण पाये जाते हैं, एक वह जो पदार्थ को बनाते हैं । इन्हें फर्मियान कहा जाता है। दूसरे वो जो ऊर्जा को षक्ल देते हैं, इन्हें बोसाॅन कहा जाता है। इलेक्ट्रान, प्रोटाॅन इत्यादि फर्मियान हैं जबकि प्रकाष, ऊष्मा इत्यादि के कण बोसाॅन हैं। दोनों तरंह के कणों में मूल अन्तर ये होता है कि फर्मियान में द्रव्यमान होता है और ये एक जगंह नहीं पाये जाते। यानि जिस जगंह एक फर्मियान होगा वहां दूसरा फर्मियान नहीं रह सकता। जबकि बोसाॅन का कोई स्थिर द्रव्यमान नहीं होता। और एक ही जगंह पर कई बोसाॅन रह सकते हैं।’’

चारों ने फादर की बात पर सर हिलाकर ज़ाहिर किया कि वे उसकी बात समझ रहे हैं।

फादर ने आगे कहा, ‘‘लेकिन अनपार्टिकिल या अकणों का जो आईडिया पेष किया गया है उसमें द्रव्यमान तो होता है लेकिन बाकी गुण बोसाॅन की तरंह होते हैं। अनपार्टिकिल के जुड़ने से जो चीज मिलती है जाहिर है वह ‘अपदार्थ’ कहलायेगी।’’
‘‘लेकिन अपदार्थ का एलियेन की खोज से क्या सम्बन्ध?’’ रिया की टोकने की आदत ने अभी भी उसका पीछा नहीं छोड़ा था।

‘‘बहुत बड़ा सम्बन्ध है।’’ इसबार फादर ने खासतौर से रिया की तरफ देखा, ‘‘मेरी मशीनों ने जिन एलियेन की उपस्थिति दर्ज की है वह अपदार्थ से ही बने हैं।’’
‘‘ओह!’’ चारों के मुंह से एक साथ निकला।

‘‘और इसीलिए अभी तक दुनिया में कहीं और उनकी उपस्थिति दर्ज नहीं हो पायी है। क्योंकि अपदार्थ के बने होने की वजह से वे इच्छाधारी हो गये हैं।’’

‘‘क्या मतलब!?’’ एक बार फिर चारों को चौंकना पड़ा।
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Re: इच्छाधारी एलियन

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‘‘भारत में एक मान्यता बहुत प्रचलित है - इच्छाधारी नागों की। जो अपनी इच्छा से मनचाहा स्वरूप धारण कर सकते हैं। पता नहीं इच्छाधारी नागों की कहानी में कितनी सच्चाई है। लेकिन इच्छाधारी एलियेन की खोज मैंने ज़रूर कर ली है। जो हमारी धरती पर मनचाहा स्वरूप धारण करके आ सकते हैं। दूर स्थित इस ग्रह से।’’ फादर ने उस ग्रह की लोकेशन बताने के लिये मैप पर उंगली रखी।

‘‘यानि कि मनुष्य के रूप में।’’ पता नहीं संजय के लहजे में सवाल था या फादर जोज़फ की बात का समर्थन।
‘‘हाँ। मनुष्य के रूप में भी और किसी जानवर के रूप में भी। यही वजह है कि अब तक हमारी दुनिया उनके अस्तित्व का पता लगाने में नाकाम रही है।’’

‘‘तो फिर आपने कैसे पता लगाया?’’ दीपा का सवाल था।
‘‘उनका पता संयोग से लगा। मैं दरअसल रोशनी के कणों यानि फोटाॅन पर रिसर्च कर रहा था। विशेष रूप से फोटाॅन के कुछ खास एण्टीकणों पर रिसर्च कर रहा था कि अचानक मुझे पृथ्वी के वायुमंडल में ऐसे एण्टीकणों की उपस्थिति स्वतन्त्र रूप में डिटेक्ट हुई। फोटाॅन के ये एण्टीकण वायुमंडल में जिस जगह मौजूद थे, वहां पर सूर्य से आने वाली किरणों की तीव्रता कम हो जाती थी। इससे साफ था कि ये एण्टीकण फोटाॅनों को खा रहे हैं।’’

‘‘ओह!’’ दीपा ने एक गहरी साँस ली।

‘‘फिर मैंने अपने यन्त्रों द्वारा उन एण्टीकणों पर और रिसर्च की और तब मुझपर ये राज़ खुला कि ये एण्टीकण कुछ अदृश्य प्राणियों के शरीरों से निकल रहे हैं। और फिर जल्दी ही अकणों से बने उन प्राणियों की पूरी जानकारी मुझे हासिल हो गयी। फिर मैंने उन्हें अपनी धरती के प्राणियों का रूप ग्रहण करके पृथ्वी पर उतरते हुए भी देखा और उनकी पूरी योजना भी मालूम कर ली।’’ फादर जोज़फ मैप पर बन रहे ग्राफ के उतार चढ़ाव को घूरते हुए बोला।

‘‘कैसी योजना?’’ संजय के मुंह से निकला सवाल अनायास ही था।

‘‘वह योजना निहायत खतरनाक है। चूंकि वे लोग इच्छाधारी हैं और कोई भी शक्ल धारण कर सकते हैं। अतः उन लोगों का प्लान है कि वे मनुष्य रूप धारण करके मनुष्यों के बीच दोस्त बनकर रहें और फिर उन्हें आपस में लड़वा कर पृथ्वी को एक बड़े युद्व के मुंह में धकेल दें। जिससे धीरे धीरे मनुष्य जाति खत्म हो जाये। उसके बाद पूरी पृथ्वी पर ये लोग अपनी हुकूमत कायम कर लेंगे।’’

फादर जोज़फ की बात सुनकर वे लोग काँप उठे। अब उनकी समझ में आ रहा था कि फादर ने आधी रात को उन्हें ये सब बताने के लिये क्यों कष्ट दिया है। पूरी मनुष्य जाति खतरे में थी। पहले तो बेतहाशा खून खराबा। बेगुनाहों व मासूम बच्चों की हत्याएं और फिर पृथ्वी से पूरी मनुष्य जाति का नाश। और फिर इच्छाधारी एलियेन का कब्ज़ा।
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Re: इच्छाधारी एलियन

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‘‘लेकिन हम इस साज़िश को नाकाम बना सकते हैं।’’ फादर जोज़फ की आवाज़ उनके विचारों की झील में उथल पुथल मचाकर विश्वास की नयी लहरें पैदा कर गयी।
‘‘वह किस तरह?’’ दीपा का सवाल मानो स्वयं ही उसके मुंह से निकला था। वरना उनके दिमाग इतनी बड़ी खबर सुनकर उनके काबू में कहाँ थे।

फादर फिर से मैप की तरफ मुखातिब हो गया। उसने उसके एक प्वाइंट पर उंगली रखी और बताने लगा, ‘‘ये देखो। ये लोकेशन हमारे देश में मौजूद एक घने जंगल की है। वह जंगल जो पहाड़ियों के बीच मौजूद है और अत्यन्त घना है। इस जंगल में फिलहाल अकणों से बना हुआ एक एलियेन मौजूद हैं। ये शुरूआती स्टेज है। इसे यहाँ इसलिए भेजा गया है कि ये पृथ्वी के वातावरण में अगर सुरक्षित रह गया तो वापस जाकर ये यहाँ की रिपोर्ट अपने साथियों को देगा। और फिर वे लोग आगे कदम उठायेंगे।’’

‘‘ओह।’’ अरुण ने सर हिलाया।

‘‘तो अगर हम उसे खत्म कर सके तो उस ग्रह के लोग समझ जायेंगे कि पृथ्वीवासी न केवल उन्हें पहचान चुके हैं बल्कि समाप्त करने की क्षमता भी रखते हैं। इस तरह वे आगे यहाँ कोई कार्यवाई करने की हिम्मत नहीं करेंगे।’’ कहते हुए फादर जोज़फ ने चारों की तरफ देखा।

चारों फादर का मतलब समझ गये थे। वास्तव में फादर उस एलियेन को खत्म करने में उनकी मदद चाहता था।

‘‘यह जंगल हमारे शहर से ज़्यादा दूर तो है नहीं। हम अभी अपनी कार से चलते हैं और उसे खत्म करके लौट आते हैं।’’ रिया ने पूरे जोश के साथ कहा।
‘‘हाँ दूर तो नहीं। मात्र तीन सौ किलोमीटर का फासला है।’’ अरुण ने थोड़ा व्यंग्य के साथ रिया को घूरा, ‘‘वहाँ पहुँचने में पूरा दिन लग जायेगा।’’

‘‘और शायद रात भी। क्योंकि वहाँ की सड़क शहर जैसी साफ सुथरी नहीं है।’’ दीपा ने जोड़ा।
‘‘हमें पुलिस को इन्फार्म करना चाहिए। बल्कि अगर आर्मी को वहाँ पर लगा दिया जाये तो इस मुसीबत को दूर किया जा सकता है।’’ अरुण की राय थी।

‘‘हम पुलिस या आर्मी की मदद नहीं ले सकते। क्योंकि अगर हम इसे लोगों को बतायेंगे तो कोई हमारी बात पर यकीन नहीं करेगा। दूसरी तरफ अगर ये बात फैल गयी तो एलियेन तक भी ज़रूर पहुँचेगी। और फिर वो विकसित एलियेन हमारी पूरी आर्मी को ही खत्म कर देगा। इसलिए उसे बेखबरी में ही मारना उचित है।’’ फादर की बात से वे लोग पूरी तरह सहमत थे और उन्हें समस्या की गंभीरता पूरी तरह महसूस हो रही थी।

‘‘तो फिर तय रहा कि हम उस जंगल में जायेंगे और उन्हें खत्म कर देंगे।’’ इस बार संजय के मज़बूत लहजे ने आगे की कार्रवाई फाइनल कर दी।
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‘‘लेकिन हम उसे पहचानेंगे कैसे?’’ जब वे जंगल की सीमा में दाखिल हुए तो रिया ने पहला सवाल यही जड़ा।
‘‘उसे पहचानना वाकई मुश्किल है। क्योंकि वह मनचाहा रूप धारण करने में सक्षम हैं। लेकिन कुछ तरीके हैं जिनके ज़रिये हम उन्हें पहचान सकते हैं।’’ जंगल में बनी एक प्राकृतिक पगडंडी पर आगे कदम बढ़ाते हुए फादर ने कहा। वह पूरे ग्रुप में सबसे आगे था।

‘‘वह कौन से तरीके हैं?’’ दीपा ने पूछा।

‘‘हो सकता है वह एलियेन किसी जानवर के रूप में हो। लेकिन ऐसे में वो उस जानवर की प्रजाति से थोड़ा अलग दिखेगा। मसलन अगर वह किसी नाग की शक्ल में हुआ तो उसका शरीर स्लेटी ज़रूर होगा लेकिन उस शरीर की चमक आम नागों की तुलना में बहुत ज़्यादा होगी। यहाँ तक कि वह अँधेरे में भी चमकेगा।’’

‘‘ओह!’’ रिया ने एक गहरी साँस ली।

‘‘फिर ऐसे एलियेन को कन्फर्म करने का दूसरा तरीका ये है कि तुम उनका पीछा खामोशी के साथ करो। इस तरह कि उन्हें तुम्हारी भनक भी न लगने पाये। फिर अगर वह जानवर तुम्हारे सामने अपने को परिवर्तित करके किसी और जीव के रूप में आ गया तो ये निश्चित हो जायेगा कि वह हमारे ग्रह का प्राणी नहीं है।’’

‘‘ओह! बहुत मुश्किल काम है ये तो।’’ संजय अपनी खोपड़ी सहलाते हुए बोला।

‘‘यकीनन ये काम मुश्किल है। लेकिन हमें करना होगा। पृथ्वी को बचाने के लिये।’’ फादर गम्भीर लहजे में बोला। वे सभी फादर के लहजे में छुपी हुई चिंता को देख रहे थे, अतः कोई कुछ नहीं बोला।


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