खौफनाक इमारत (इमरान सीरीज) Hindi noval complete

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Jemsbond
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खौफनाक इमारत (इमरान सीरीज) Hindi noval complete

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खौफनाक इमारत
बाइ -इबने सफ़ी



सूट पहेन लेने के बाद इमरान आईने के सामने लच्छक-लच्छक कर टाइ बाँधने की कोशिश कर रहा था !
ओह…फिर

वही…छोटी-बड़ी…मैं कहता हूँ टाइ ही ग़लत आने लगी है

वो बॅड-बड़ाता रहा

‘लाहोल विला क़ुव्वत… नही बाँधता

यह कह कर उसने झटका जो मारा तो रेशमी टीए की गाँठ फिसलती हुई ना सिर्फ़ गर्दन से जा लगी, बल्कि इतनी तंग हो गयी की उसका चेहरा सुर्ख हो गया और आँखे उबल पड़ी

बाख…बाख…खि…

उसके हलक से घुटि-घुटि सी आवाज़े निकलने लगी और वो फेफड़ो का पूरा ज़ोर लगा कर चीखा

अरे मारा… बचाओ सुलेमान

एक नौकर दौड़ता हुआ कमरे में दाखिल हुआ
पहले तो वो कुछ समझा नही कि इमरान सीधा खड़ा हुआ दोनो हाथो से अपनी टांगे पीट रहा था

क्या हुआ सरकार ? नौकर भर्राई आवाज़ में


बोला

सरकार के बच्चे मर रहा हूँ

अरे… लेकिन…मगर…?

लेकिन…मगर…अगर…

इमरान दाँत पीस कर नाचता हुआ बोला, अबे ढीली कर

क्या ढीली करूँ ? नौकर ने हैरान हो कर कहा

अपने बाप के कफ़न की डोरी… जल्दी कर…अरे मरा

तो ठीक से बताते क्यूँ नही ? नौकर भी झुन्झुला गया

अच्छा बे

तो क्या मैं ग़लत बता रहा हू ?

मैं यानी
इमरान एम.एस.सी, पी-एच.डी. क्या ग़लत बता रहा हू

आबे कम्बख़्त

इसे उर्दू में इस्ते-आरा
और

अँग्रेज़ी में मोटेफर कहते है

अगर मैं ग़लत कहे रहा हूँ तो बा-क़ायदा भेज कर मरने से पहले यही सही
नौकर ने गौर से देखा तो उसकी नज़र टाइ पर पड़ी जिसकी गाँठ गर्दन में बुरी तरह से फसी हुई थी और नसें उभरी हुई थी

दिन में केयी बार उसे इस क़िस्म की हिमाकतों का सामना करना पड़ता था

उसने इमरान के गले से टाइ खोली

अगर

मैं ग़लत कह रहा था तो यह बात तेरी समझ में कैसे आई ? इमरान गरज कर बोला

ग़लती हुई साहब

फिर वही कहता है,किससे ग़लती हुई ?

मुझसे

साबित करो कि तुमसे ग़लती हुई

इमरान एक सोफे में गिर कर उसे घूरता हुआ बोला

नौकर सर खुजाने लगा

जुएँ है क्या तुम्हारे सर में इमरान ने डाँट कर पूछा

नही तो

तो फिर क्यूँ खुजा रहा थे ?

यूही

जाहिल…गवार…काम्खा बेतुकी हरकते कर के अपनी एनर्जी बर्बाद करते हो



नौकर खामोश रहा

युंग की साइकॉलजी पढ़ी है तुमने ? इमरान ने पूछा

नौकर ने ‘नही’ में सर हिला दिया

युंग के हिज़्जे जानते हो

नही साहब नौकर उकता कर बोला

अच्छा याद कर लो…जे-यू-एन-जी…युंग
बहुत से जाहिल इसे जुंग पढ़ते है और कुछ जूंग… जिन्हे क़ाबिलियत का हैज़ा हो जाता है वो योंग पढ़ने और लिखने लगते है…फ्रांसीसी में जो ‘जे’ की आवाज़ देता है. मगर युंग फ्रांसीसी नही था

शाम को मुर्ग खाएँगे…या तीतर ? नौकर ने पूछा

आधा तीतर आधा बटेर

इमरान
झुन्झुला कर बोला हां तो मैं अभी कह रहा था…व्होन
खामोश हो कर सोचने लगा

आप कहे रहे थे कि मसाला इतना भूना जाए कि सुर्ख हो जाए नौकर ने संजीदगी से कहा

हाँ और

हमेशा नर्म आँच पर भुन इमरान बोला
कदची को इस तरह देघची में ना हिलाओ की खनक पैदा हो और पड़ोसियो की राल टपकने लगे

वैसे

क्या तुम मुझे बता सकते हो कि मैं कहाँ जाने की तैयारी कर रहा था ?

आप

नौकर कुछ सोचता हुआ बोला

आप मेरे लिए एक सलवार-कमीज़ का कपड़ा खरीदने जा रहे थे बीस हज़ार का लट्ठा और कमीज़ के लिए बॉस्कि

गुड

तुम बहुत क़ाबिल और नमक-हलाल नौकर हो
अगर तुम मुझे याद ना दिलाते रहे तो मैं सब कुछ भूल ज़ाउ

मैं टाइ बाँध दू सरकार नौकर ने बड़े प्यार से कहा

बाँध दो

नौकर टाइ बाँधते वक़्त बॅड-बड़ाता जा रहा था बीस हज़ार का लट्ठा और कमीज़ के लिए बॉस्कि कहिए तो लिख दू

बहुत ज़्यादा अच्छा रहेगा इमरान ने कहा

टाइ बाँध चूकने के बाद नौकर ने काग़ज़ के एक टुकड़े पर पेन्सिल से घसीत कर उसकी तरफ बढ़ा दिया

यूही नही

इमरान अपने सीने की तरफ इशारा कर के संजीदगी से बोला
इसे यहाँ पिन कर दो

नौकर ने एक पिन की मदद से उसके सीने पर लगा दिया

अब याद रहेगा इमरान ने कहा
और

कमरे से निकल गया...
राहदारी तय कर के वो ड्राइयिंग-रूम में पहुँचा…

यहा तीन लड़किया बैठी थी
वाह इमरान भाई इन में से एक बोली

खूब इंतेज़ार कराया कपड़े पहेन्ने में इतनी देर लगाते है

ओह तो क्या आप लोग मेरा इंतेज़ार कर रही थी ?

क्यूँ क्या आप ने एक घंटा पहले पिक्चर चलने वादा नही किया था ?
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बन्धन
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Re: खौफनाक इमारत (इमरान सीरीज) Hindi noval

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Khoufnaak Imarat
By
IBNE SAFI


Suit Pahen Lene Ke Baad IMRAN Aaine Ke Saamne Lachhak-Lachhak Kar Tie Baandhne Ki Koshish Kar Raha Tha !
Oh…Phir

Wahi…Choti-Badi…Main Kahta Hu Tie Hi Galat Aane Lagi Hai

Wo Bad-Badaata Raha

‘LAHOL VILA QUWWAT… Nahi Baandhta

Yeh Kah Kar Usne Jhatka Jo Mara To Reshmi Tie Ki Gaanth Phisalti Hui Na Sirf Gardan Se Ja Lagi, Balki Itni Tang Ho Gayi Ki Uska Chehra Surkh Ho Gaya Aur Aankhe Ubal Padi

Bakh…Bakh…Khi…

Uske Halaq Se Ghuti-Ghuti Si Awaaze Nikalne Lagi Aur Wo Fefdo Ka Pura Zor Laga Kar Chikha

Arey Mara… Bachhaao Suleman

Ek Naukar Doudata Hua Kamre Mein Dakhil Hua
Pahle To Wo Kuch Samjha Nahi Ki Imran Seedha Khada Hua Dono Haatho Se Apni Taange Peet Raha Tha

Kya Hua Sarkar ? Naukar Bharrayi Awaaz Mein


Bola

Sarkar Ke Bachhe Mar Raha Hu

Arey… Lekin…Magar…?

Lekin…Magar…Agar…

Imran Daant Pees Kar Nachta Hua Bola, Abe Dheeli Kar

Kya Dheeli Karu ? Naukar Ne Hairaan Ho Kar Kaha

Apne Baap Ke Kafan Ki Dori… Jaldi Kar…Arey Mara

To Thik Se Batate Kyun Nahi ? Naukar Bhi Jhunjhula Gaya

Achha Bey

To Kya Main Galat Bata Raha Hu ?

Main Yani
Imran M.s.c, P-h.d. Kya Galat Bata Raha Hu

Abe Kambakht

Ise Urdu Mein Iste-Ara
Aur

Angrezi Mein Motafar Kahte Hai

Agar Main Galat Kahe Raha Hu To Ba-Qaida Bhej Kar Marne Se Pahle Yehi Sahi
Naukarne Ghaur Se Dekha To Uski Nazar Tie Par Padi Jiski Gaanth Gardan Mein Buri Tarah Se Fasi Hui Thi Aur Nasen Ubhri Hui Thi

Din Mein Kayi Baar Use Is Qism Ki Himaqato Ka Saamna Karna Padta Tha

Usne Imran K Gale Se Tie Kholi

Agar

Main Galat Kahe Raha Tha To Yeh Baat Teri Samajh Mein Kaise Ayi ? Imran Garaj Kar Bola

Galtee Hui Sahab

Phir Wahi Kehta Hai,Kise Galtee Hui ?

Mujhse

Sabit Karo Ki Tumse Galtee Hui

Imran Ek Sofe Mein Gir Kar Use Ghurta Hua Bola

Naukar Sar Khujaane Laga

Juein Hai Kya Tumhare Sar Mein Imran Ne Daant Kar Pucha

Nahi To

To Phir Kyun Khuja Raha They ?

Yuhi

Jahil…Gawar…Khamkha Betuki Harkate Kar K Apni Energy Barbaad Karte Ho



Naukar Khamosh Raha

Yung Ki Psychology Padhi Hai Tumne ? Imran Ne Pucha

Naukar Ne ‘Nahi’ Mein Sar Hila Diya

Yung Ke Hijje Jaante Ho

Nahi Sahab Naukar Ukta Kar Bola

Achha Yaad Kar Lo…J-U-N-G…Yung
Bahut Se Jahil Ise Jung Padhte Hai Aur Kuch Joong… Jinhe Qabiliyath Ka Haiza Ho Jata Hai Wo Yong Padhne Aur Likhne Lagte Hai…Francisi Mein Jo ‘J’ Ki Awaaz Deta Hai. Magar Yung Francisi Nahi Tha

Shaam Ko Murg Khayenge…Ya Teetar ? Naukar Ne Pucha

Aadha Teetar Aadha Bater

Imran
Jhunjhula Kar Bola Haa To Main Abhi Kahe Raha Tha…Who
Khamosh Ho Kar Sonchne Laga

Aap Kahe Rahe They Ki Masala Itna Bhuna Jaye Ki Surkh Ho Jaye Naukar Ne Sanjhidgi Se Kaha

Haa Aur

Hamesha Narm Aanch Par Bhuno Imran Bola
Kadchi Ko Is Tarah Deghchi Mein Na Hilao Ki Khanak Paida Ho Aur Padosiyo Ki Raal Tapakne Lage

Waise

Kya Tum Mujhe Bata Sakte Ho Ki Main Kaha Jane Ki Taiyaari Kar Raha Tha ?

Aap

Naukar Kuch Sonchta Hua Bola

Aap Mere Liye Ek Salwar-Kameez Ka Kapda Khareedne Jaa Rahe They Bees Hazaar Ka Lattha Aur Kameez K Liye Boski

Good

Tum Bahut Qaabil Aur Namak-Halaal Naukar Ho
Agar Tum Mujhe Yaad Na Dilate Rahe To Main Sab Kuch Bhool Jaaun

Main Tie Baandh Du Sarkar Naukar Ne Bade Pyar Se Kaha

Baandh Do

Naukar Tie Bandhte Waqt Badh-Badhata Jaa Raha Tha Bees Hazaar Ka Lattha Aur Kameez K Liye Boski Kahiye To Likh Du

Bahut Zyada Achha Rahega Imran Ne Kaha

Tie Baandh Chukne K Baad Naukar Ne Kagaz K Ek Tukde Par Pencil Se Gaseeth Kar Uski Taraf Badha Diya

Yuhi Nahi

Imran Apne Seene Ki Taraf Ishara Kar K Sanjhidgi Se Bola
Ise Yaha Pin Kar Do

Naukar Ne Ek Pin Ki Madad Se Uske Seene Par Laga Diya

Ab Yaad Rahega Imran Ne Kaha
Aur

Kamre Se Nikal Gaya...
Raahdari Tai Kar K Wo Drying-Room Mein Pahuncha…

Yaha Teen Ladkiya Baithi Thi
Waah Imran Bhai Inn Mein Se Ek Boli

Khoob Intezar Karaya Kapde Pahenne Mein Itni Der Lagate Hai

Oh To Kya Aap Log Mera Intezar Kar Rahi Thi ?

Kyun Kya Aap Ne Ek Ghanta Pahle Picture Chalne Wada Nahi Kiya Tha ?
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Re: खौफनाक इमारत (इमरान सीरीज) Hindi noval

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पिक्चर चलने का मुझे तो याद नही…
मैं तो सुलेमान के लिए…इमरान
अपने सीने की तरफ इशारा के बोला

यह क्या ? वो लड़की क़रीब आ कर आगे की तरफ झुकती हुई बोली

बीस हज़ार का लट्ठा…और बॉस्कि यह क्या है…
इसका मतलब ?

फिर वो बेतहाशा हँसने लगी…

इमरान की बहन सुरैया ने भी उठ कर देखा

लेकिन

तीसरी बैठी रही वो शायद सुरैया की कोई नयी सहेली थी

यह क्या है ? सुरैया ने पूछा

सुलेमान के लिए सलवार-कमीज़ का कपड़ा लेने जा रहा हूँ

लेकिन हम से क्यूँ वादा किया था वो बिगड़ कर बोली

बड़ी मुसीबत है इमरान गर्दन झटक कर बोला,तुम्हे सच्चा समझू या सुलेमान को ?

उसी कमीने को सच्चा समझिए मैं कौन होती हूँ सुरैया ने कहा

फिर अपनी सहेलियो की तरफ मूड कर बोली,अकेले ही चलते है आप साथ गये भी तो शर्मिंदगी ही होगी…कर बैठेंगे कोई हिमाकत




ज़रा देखिए आप लोग इमरान रोनी सूरत बना कर दर्द-भरी आवाज़ में बोला यह मेरी छोटी बहन है, मुझे अहमक समझती है


सुरैया मैं बहुत जल्द मर ज़ाउन्गा किसी वक़्त जब भी टाइ ग़लत बँध गयी
और

बेचारे सुलेमान को कुछ ना कहो वो मेरा मोहसिन है मुझ पर एहसान करने वाला, उसने अभी-अभी मेरी जान बचाई है
क्या हुआ था ? सुरैया की सहेली जमीला ने घबराई आवाज़ में पूछा

टाइ ग़लत बँध गयी थी इमरान इंतिहाई संजीदगी से बोला

जमीला हँसने लगी
लेकिन

सुरैया जली-भूनी बैठी रही उसकी नयी सहेली हैरत से उस संजीदा अहमक को घूर रही थी

तुम कहती हो तो मैं पिक्चर चलने को तैयार हूँ इमरान ने कहा

लेकिन

वापसी पर मुझे याद दिलाना कि मेरे सीने पर एक काग़ज़ पिन किया हुआ है

तो क्या यह इसी तरह लगा रहेगा ?जमीला ने पूछा

और क्या मैं तो हरगिज़ ना ज़ाउन्गी सुरैया ने कहा

नही इमरान भाई के बाघैर मज़ा नही आएगा.! जमीला ने कहा

जियो. इमरान खुश हो कर बोला मेरा दिल चाहता है कि तुम्हे सुरैया से बदल लूँ काश, तुम मेरी बहन होती यह नकचड़ी सुरैया मुझे बिल्कुल अच्छी नही लगती

आप खुद नकचड़े आप मुझे कब अच्छे लगते है सुरैया बिगड़ कर बोली

देख रही हो यह मेरी छोटी बहन है

मैं बतौन जमीला संजीदगी से बोली
आप यह काग़ज़ निकाल कर जेब में रख ली जिए
मैं याद दिला दूँगी

और अगर भूल गयी तो…
वैसे तो कोई राहगीर ही उसे देख कर मुझे याद दिला देगा

मैं वादा करती हू

इमरान ने काग़ज़ निकाल कर जेब में रख लिया सुरैया कुछ खिंची-खिंची सी नज़र आने लगी थी

जैसे ही वो बाहर निकले एक मोटरसाइकल आ कर रुकी
जिस पर एक सालिखेदार और भारी-बार्खम आदमी बैठा हुआ था

हेलो, फायज़..! इमरान दोनो हाथ बढ़ा कर चीखा

हेलो,इमरान माइ लॉर्ड… तुम कहीं जा रहे हो ?
मोटरसाइकल सवार बोला फिर लड़कियों की तरफ देख कर कहने लगा

ओह
मुआफ़ की जिएगा…लेकिन यह काम ज़रूरी है

इमरान जल्दी करो

इमरान उछल कर कारिएर पर बैठ गया और मोटरसाइकल फ़र्राटे भरती हुई फाटक से गुज़र गयी

देखा तुमने सुरैया अपना निचला होंठ चबा कर बोली

यह कौन था…? जमीला ने पूछा

इंटेलिजेन्स डिपार्टमेंट का सुपरिटेंडेंट फायज़…

मगर

एक बात मेरी समझ में नही आ सकी कि उसे भाई जान जैसे कम्बख्ती आदमी से क्या दिलचस्पी हो सकती है अक्सर उन्हे ले जाया करता है सुरैया मूह बिगाढ़ कर बोली

मगर

मुझे तो पागल नही मालूम होते सुरैया की नयी सहेली ने कहा

और

उसने करीब-खरीब ठीक ही बात कही थी इमरान सूरत से कम्बख्ती नही लगता था खूबसूरत और दिल-कश नौ-जवान था उम्र 27 के लग-भग रही होगी सफाई पसंद था तंदुरुस्ती अच्छी और जिस्म कसरती था

अपने शहेर की यूनिवर्सिटी से एम.एस.सी कि डिग्री ले कर इंग्लेंड चला गया था और वहाँ से साइन्स में डॉक्टोवरेट ले कर वापस आया था

उसका बाप रहमान गुप्तचर विभाग में डाइरेक्टर-जनरल था

इंग्लेंड से वापसी पर उसके बाप ने कोशिश की थी कि उसे अच्छा सा ओहदा दिला दे

लेकिन

इमरान ने परवाह ना की

कभी वो कहता कि मैं साइंटिफिक इन्स्ट्रुमेंट की तिजारत (बिज्निस) करूँगा कभी कहता कि अपना इन्स्टिट्यूट क़ायम कर के साइन्स की खिदमत करूँगा….

बहेरहाल

कभी कुछ और कभी कुछ

पूरा घर उससे परेशान था

इंग्लेंड से वापसी के बाद तो अच्छा-ख़ासा अहमक हो गया था

इतना अहमक की घर के नौकर तक उसे उल्लू बनाया करते थे

उसे अच्छी तरह लूट ते उसकी जेब से दस-दस रूपीए की नोट गायब कर देते और उसे पता तक ना चलता

बाप तो उसकी सूरत देखना नही चाहता था
सिर्फ़ माँ ऐसी थी जिसकी ब-दौलत वो उस कोठी
में रहता था
वरना कभी का निकाल दिया होता….

एक लौता लड़का होने के बाब-वजूद रहमान साहब उससे परेशान आ गये थे

पागल वो उसी वक़्त नही मालूम होते जब खामोश हों सुरैया बोली दो-चार घंटे भी अगर इन हज़रात के साथ रहना पड़े तो पता चले

क्या काटने दौड़ते है…? जमीला ने मुस्कुरा कर कहा

अगर उनमे इसी तरह की दिलचस्पी लेती रही तो किसी दिन मालूम हो जाएगा सुरैया मूह सिकोड कर बोली

कॅप्टन फायज़ की मोटरसाइकल फ़र्राटे भर रही थी
और इमरान कारिएर पर बैठा बॅड-बड़ाता जा रहा था
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Picture chalne Ka Mujhe To Yaad Nahi…
Main To Suleman Ke Liye…Imran
Apne Seene Ki Taraf Ishara Ke Bola

Yeh Kya ? Wo Ladki Qareeb Aa Kar Aage Ki Taraf Jhukti Hui Boli

Bees Hazaar Ka Lattha…Aur Boski Yeh Kya Hai…
Iska Matlab ?

Phir Wo Betahasha Hasne Lagi…

Imran Ki Bahen Suraiya Ne Bhi Uth Kar Dekha

Lekin

Teesri Baithi Rahi Wo Shayad Suraiya Ki Koi Nayi Saheli Thi

Yeh Kya Hai ? Suraiya Ne Pucha

Suleman K Liye Salwar-Kameez Ka Kapda Lene Jaa Raha Hu

Lekin Hum Se Kyun Wada Kiya Tha Wo Bigadh Kar Boli

Badi Musibath Hai Imran Gardan Jhatak Kar Bola,Tumhe Sachha Samjhu Ya Suleman Ko ?

Usi Kameene Ko Sachha Samjhiye Main Kaun Hoti Hu Suraiya Ne Kaha

Phir Apni Saheliyo Ki Taraf Mudh Kar Boli,Akele Hi Chalte Hai Aap Saath Gaye Bhi To Sharmindgi Hi Hogi…Kar Baithenge Koi Himakhat




Zara Dekhiye Aap Log Imran Roni Surat Bana Kar Dard-Bhari Awaaz Mein Bola Yeh Meri Choti Bahen Hai, Mujhe Ahmaq Samajhti Hai


Suraiya Main Bahut Jald Mar Jaunga Kisi Waqt Jab Bhi Tie Galat Bandh Gayi
Aur

Bechare Suleman Ko Kuch Na Kaho Wo Mera Mohsin Hai Mujh Par Ehsaan Karne Wala, Usne Abhi-Abhi Meri Jaan Bachhayi Hai
Kya Hua Tha ? Suraiya Ki Saheli Jameela Ne Ghabrayi Awaaz Mein Pucha

Tie Galat Bandh Gayi Thi Imran Intehai Sanjhidgi Se Bola

Jameela Hasne Lagi
Lekin

Suaraiya Jali-Bhuni Baithi Rahi Uski Nayi Saheli Hairath Se Uss Sanjhida Ahmaq Ko Ghoor Rahi Thi

Tum Kahti Ho To Main Picture Chalne Ko Taiyaar Hu Imran Ne Kaha

Lekin

Wapsi Par Mujhe Yaad Dilana Ki Mere Seene Par Ek Kagaz Pin Kiya Hua Hai

To Kya Yeh Isi Tarah Laga Rahega ?Jameela Ne Pucha

Aur Kya Main To Hargiz Na Jaungi Suraiya Ne Kaha

Nahi Imran Bhai K Baghair Maza Nahi Ayega.! Jameela Ne Kaha

Jiyo. Imran Khush Ho Kar Bola Mera Dil Chahta Hai Ki Tumhe Suraiya Se Badal Lu Kaash, Tum Meri Bahen Hoti Yeh Nakchadi Suraiya Mujhe Bilkul Achi Nahi Lagti

Aap Khud Nakchade Aap Mujhe Kab Ache Lagte Hai Suraiya Bigadh Kar Boli

Dekh Rahi Ho Yeh Meri Choti Bahen Hai

Main Bataun Jameela Sanjhidgi Se Boli
Aap Yeh Kagaz Nikal Kar Jeb Mein Rakh Li Jiye
Main Yaad Dila Dungi

Aur Agar Bhool Gayi To…
Waise To Koi Raahgir Hi Use Dekh Kar Mujhe Yaad Dila Dega

Main Wada Karti Hu

Imran Ne Kagaz Nikal Kar Jeb Mein Rakh Liya Suraiya Kuch Khinchi-Khinchi Si Nazar Aane Lagi Thi

Jaise Hi Wo Bahar Nikle Ek Motorcycle Aa Kar Ruki
Jis Par Ek Salikhedar Aur Bhari-Barkham Aadmi Baitha Hua Tha

Hello, Fayaz..! Imran Dono Haath Badha Kar Chikha

Hello,Imran My Lord… Tum Kahi Jaa Rahe Ho ?
Motorcycle Sawar Bola Phir Ladkiyon Ki Taraf Dekh Kar Kahne Laga

Oh
Muaaf Ki Jiyega…Lekin Yeh Kaam Zaroori Hai

Imran Jaldi karo

Imran Uchal Kar Carier Par Baith Gaya Aur Motorcycle Farrate Bharti Hui Phaatak Se Guzar Gayi

Dekha Tumne Suraiya Apna Nichla Honth Chaba Kar Boli

Yeh Kaun Tha…? Jameela Ne Pucha

Intelligence Department Ka Supritendent Fayaz…

Magar

Ek Baat Meri Samajh Mein Nahi Aa Saki Ki Use Bhai Jaan Jaise Kambakhti Aadmi Se Kya Dilchaspi Ho Sakti Hai Aksar Unhe Le Jaya Karta Hai Suraiya Muh Bigaadh Kar Boli

Magar

Mujhe To Pagal Nahi Malum Hote Suraiya Ki Nayi Saheli Ne Kaha

Aur

Usne Khareeb-Khareeb Thik Hi Baat Kahi Thi Imran Surat Se Kambakhti Nahi Lagta Tha Khoobsurat Aur Dil-Kash Nau-Jawan Tha Umr 27 K Lag-Bhagh Rahi Hogi Safayi Pasand Tha Tandrusti Achi Aur Jism Kasrati Tha

Apne Shaher Ki Univercity Se M.s.c Ki Degree Le Kar England Chala Gaya Tha Aur Waha Se Science Mein Doctorate Le Kar Wapas Aya Tha

Uska Baap Rahman Guptchar Vibhag Mein Director-General Tha

England Se Wapsi Par Uske Baap Ne Koshish Ki Thi K Use Achha Sa Ohda Dila De

Lekin

Imran Ne Parwaah Na Ki

Kabhi Wo Kehta Ki Main Scientific Instrument Ki Tijarath (Businnes) Karunga Kabhi Kehta Ki Apna Institute Qayam Kar K Science Ki Qidmat Karunga….

Baherhaal

Kabhi Kuch Aur Kabhi Kuch

Pura Ghar Usse Pareshan Tha

England Se Wapsi K Baad To Achha-Khasa Ahmaq Ho Gaya Tha

Itna Ahmaq Ki Ghar k Naukar Tak Use Ullu Banya Karte They

Use Achi Tarah Loot Te Uski Jeb Se Das-Das Rupiye Ki Note Ghayab Kar Dete Aur Use Pata Tak Na Chalta

Baap To Uski Surat Dekhna Nahi Chahta Tha
Sirf Maa Aisi Thi Jiski Ba-Daulath Wo Uss Kothi
Mein Rehta Tha
Warna Kabhi Ka Nikal Diya Hota….

Ek Lauta Ladka Hone K Ba-Wajood Rahman Sahab Usse Pareshan Aa Gaye They

Pagal Wo Usi Waqt Nahi Malum Hote Jab Khamosh Ho Suraiya Boli Do-Chaar Ghante Bhi Agar inn Hazrat K Saath Rehna Pade To Pata Chale

Kya Kaatne Daudte Hai…? Jameela Ne Muskura Kar Kaha

Agar Unme Isi Tarah Ki Dilchaspi Leti Rahi To Kisi Din Malum Ho Jayega Suraiya Muh Sikudh Kar Boli

Captain Fayaz Ki Motorcycle Farrate Bhar Rahi Thi
Aur Imran Carier Par Baitha Badh-Badhata Jaa Raha Tha
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सलवार का लट्ठा बॉस्कि की कमीज़….
सलवार का बॉसका…ळत्थि…ळत्थि…क्या था….
लाहोल विला क़ुवत….भूल गया रूको
यार…रूको….शायद…..फायज़ ने मोटरसाइकल रोक दी

भूल गया इमरान बोला

क्या भूल गये

कुछ ग़लती हो गयी

क्या ग़लती हो गयी…? फायज़ झुन्झुला कर बोला

यार
इमरान कारिएर से उतरता हुआ बोला
जल्दी है यार फायज़ ने गर्दन झटक कर कहा

इमरान उसकी पीठ से पीठ मिलाए हुए दूसरी तरफ मुँह कर के बैठ गया

यह क्या…? फायज़ ने हैरत से कहा…

बस, चलो ठीक है

खुदा की क़सम तंग कर मारते हो फायज़ उकता कर बोला

कौन सी मुसीबत आ गयी इमरान भी झुनझूलाने लगा

मुझे भी तमाशा बनाओगे सीधे बैठो ना

तो क्या मैं सर के बल बैठा हूँ

मान जाओ प्यारे फायज़ खुश-आमद के ल़हेजे में बोला,लोग हँसेंगे हम पर

यह तो बड़ी अच्छी बात है


मुँह के बल गिरोगे सड़क पर

अगर तक़दीर में यही है तो बंदा बे-बस और लच्छार इमरान ने दरवेश के अंदाज़ में कहा

खुदा समझे तुम से फायज़ ने दाँत पीस कर मोटरसाइकल स्टार्ट कर दी

उसका मुँह पश्चिम की तरफ था
और
इमरान का पूरब की तरफ

और

इमरान इस तरह आगे की तरफ झुका हुआ था जैसे
वो खुद ही मोटरसाइकल ड्राइव कर रहा हो
राहगीर उन्हे देख-देख कर हँस रहे थे
देखा

याद आ गया ना इमरान चाहेक कर बोला
सलवार लट्ठा
और
कमीज़ की बॉस्कि….

मैं पहले ही कह रहा था कि ग़लती हो गयी है
इमरान तुम मुझे अहमक समझते हो फायज़ ने झुन्झुला कर कहा
कम-से-कम मेरे सामने तो इस कम्बख्तीपन से बाज़ आया करो

तुम खुद होंगे कम्बख्ती इमरान बुरा मुँह बना कर बोला

आख़िर इस ढोंग से क्या फ़ायदा..?

ढोंग .! अरे कमाल कर दिया
ओफ्फो.! इस लफ्ज़ ढोंग पर मुझे वो बात याद आई है जिसे अब से एक साल पहले याद आनी चाहिए था

फायज़ कुछ ना बोला मोटरसाइकल हवा से बाते करती रही

हाए ! इमरान थोड़ी देर बाद बोला
यह मोटरसाइकल पीछे की तरफ क्यूँ भाग रही है
अरे, इसका हॅंडल क्या हुआ…
फिर उसने बे-तहाशा चीखना शुरू कर दिया
हटो…बचो…मैं पीछे की तरफ नही देख सकता

फायज़ ने मोटरसाइकल रोक दी और झेन्प्ते हुए अंदाज़ में राहगीरो की तरफ देखने लगा
शुक्र है खुदा का कि खुद-बा-खुद रुक गयी
इमरान उतरता हुआ बड़बड़ाया….फिर जल्दी से बोला
लाहोल विला क़ुव्वत
इसका हॅंडल पीछे है अब मोटरसाइकल भी उल्टी बनने लगी

क्या मतलब है तुम्हारा.? क्यूँ तंग कर रहे हो.? फायज़ ने बे-बसी से कहा

तंग तुम कर रहे हो या मैं !.... उल्टी मोटरसाइकल लिए फिरते हो
अगर
कोई आक्सिडेंट हो गया तो

चलो बैठो फायज़ उसे खींचता हुआ बोला

मोटरसाइकल फिर चल पड़ी

अब तो ठीक चल रही है.! इमरान बड़बड़ाया
मोटरसाइकल शहेर से निकल कर वीरने की तरफ जेया रही थी

और

इमरान ने अभी तक फायज़ से यह भी पूछने की ज़हमत गवारा नही की थी कि वो उसे कहाँ ले जा रहा है

आज मुझे फिर तुम्हारी मदद की ज़रूरत महसूस हुई है.! फायज़ बोला

लेकिन
मैं आज-कल ग़रीब हू.! इमरान ने कहा

अच्छा

तो क्या मैं तुमसे उधार माँगने जा रहा था.?

पता नही मैं यही समझ रहा था

अरे बाप रे.. फिर भूल गया…
लठमार का…पिजामा… और कमीज़…. लाहोल विला क़ुव्वत…बॉसका…

प्लीज़ शट अप…. इमरान… यू फूल
फायज़ झुन्झुला उठा

इमरान… कॅप्टन फायज़ ने ठंडी साँस ले कर उसे मुखातिब किया

हां

तुम आख़िर दूसरो को बेवक़ूफ़ क्यूँ समझते हो.?

क्यूँ की….हां… अरे बाप रे
यह झकते… यार चिकनी ज़मीन पर चलाओ

मैं कहता हूँ कि अब सारी हिमाकते ख़त्म कर के कोई ढंग का काम करो

ढंग… लो यार… इस ढंग पर भी कोई बात याद आने की कोशिश कर रही है

जहन्नुम जाओ.! फायज़ झल्ला कर बोला

अच्छा
इमरान ने बड़ी आग्यकारिता से गर्दन हिलाई
मोटरसाइकल एक लंबी-चौड़ी इमारत के सामने रुक गयी
जिसके फाटक पर तीन-चार वर्दी-धरी कॉन्स्टेबल नज़र आ रहे थे

अब उतरो भी.! फायज़ ने कहा

मैं समझा शायद अब तुम मुझे हॅंडल पर बिठाओगे इमरान उतरता हुआ बोला

वो उस वक़्त एक देहाती इलाक़े में खड़े हुए थे जो शहेर से ज़्यादा दूर ना था
यहाँ बस यही एक इमारत इतनी बड़ी थी वरना इस बस्ती में मामूली क़िस्म के कच्चे-पक्के मकान थे इस इमारत की बनावट पुराने ढंग की थी
चारो तरफ सुर्ख रंग लखोरी ईंटो की उँची-उँची दीवारे थी
और
सामने एक बहुत बड़ा फाटक था
जो
घालिबान सदर दरवाज़े के तौर पर इस्तेमाल किया जाता रहा होगा

कॅप्टन फायज़ इमरान का हाथ पकड़े हुए इमारत में दाखिल हो गया

अभी भी इमरान ने उससे यह नही पूछा कि वो उसे कहाँ और क्यूँ लाया है

दोनो एक बड़े दालान से गुज़रते हुए एक कमरे में आए

अचानक

इमरान ने अपनी आँखों पर दोनो हाथ रख लिए
और
मुँह फेर खड़ा हो गया

उसने एक लाश देख ली थी जो फर्श पर ओंधी पड़ी
और
उसके गिर्द खून फैला हुआ था

इन्ना लिलेही वा इन्ना इलैही वा रजीउन

वो कामपति आवाज़ में बॅड-बड़ा रहा था
खुदा उसके रिश्तेदारो पर रहमत करे
और
उसे सब्र की तौफ़ीक़ आता फरमाये

मैं तुम्हे दुआ-ए-खैर करने के लिए नही लाया
फायज़ झुन्झुला कर बोला

कफ़न-दफ़न के लिए चंदा वहाँ भी माँग सकते थे आख़िर इतनी दूर क्यूँ घसीट लाए

यार इमरान
खुदा के लिए बोर ना करो मैं तुम्हे अपना एक बेहतरीन दोस्त समझता हूँ.! फायज़ ने कहा

मैं भी यही समझता हूँ

मगर
प्यारे 5 रूपीए से ज़्यादा ना दे सकूँगा
अभी मुझे…ळत्थि का बॉसका खरीदना है…
क्या
ळत्थि…लो यार फिर भूल गया
क्या मुसीबत है

फायज़ चन्द लम्हे खड़ा उसे घूरता रहा
फिर बोला यह इमारत पिछले 5 सालो से बंद रही है
क्या
ऐसी हालत में यहाँ एक लाश की मौजूदगी हैरत-अंगेज़ नही है

बिकुल नही इमरान सर हिला कर बोला
अगर
यह लाश किसी अमरढ़ के दरख़्त पर पाई जाती तो मैं उसे अजूबा मान लेता

यार
थोड़ी देर के लिए संजीदा हो जाओ

मैं
शुरू ही से रंजीदा हूँ
इमरान
ने ठंडी साँस ले कर कहा

रंजीदा नही संजीदा फायज़ झुन्झुला गया
इमरान खामोशी से लाश की तरफ देख रहा था…
वो आहिस्ता से बड़बड़ाया तीन ज़ख़्म

फायज़ उसे मूड में आते देख कर कुछ निश्चिंत सा नज़र आने लगा
पहले पूरी बात सुन लो

फायज़ ने उसे मुखातिब किया
ठहेरो
इमरान झुकता हुआ बोला वो थोड़ी देर ज़ख़्मो को गौर से देखता रहा

फिर सर उठा कर बोला

पूरी बात सुनने से पहले यह बताओ कि
इस लाश के बारे में

तुम क्या बता सकते हो.?

आज दिन में 12 बजे यह देखी गयी.! फायज़ ने कहा

उऊः.! मैं ज़्यादा आक़लमन्दि का जवाब नही चाहता इमरान नाक सिकुड कर बोला

मैं यह जानता हूँ कि किसी ने उस पर तीन वार किए है

और कुछ

इमरान उसे सवालिया नज़रो से देख रहा था

और क्या.? फायज़ बोला

मगर

शीक-चीली दोयम….
यानी
अली इमरान एम.एस.सी पी-एच.डी. का ख़याल कुछ और है

क्या.?

सुन कर मुझे उल्लू सही अहमाक़ बता दो समझने ळगोगे

अरे यार
कुछ बताओ तो सही

अच्छा सुनो

क़ातिल ने पहला वार किया…
फिरपहले ज़ख़्म से 5-5 इंच का फासला नाप कर
दूसरा और तीसरा वार किया और इस बात का ख़ास ख़याल रखा कि ज़ख़्म बिल्कुल सीध में रहे ना एक सूत इधर ना एक सूत उधर

क्या बकते हो.? फायज़ बड़बड़ाया

नाप कर देखलो
मेरी जान

अगर
ग़लत निकले तो मेरा कलम सर कर देना…

आहा…शायद

मैं ग़लत बोल गया…
मेरे कलम पे सर रख देना….इमरान ने कहा
और
इधर-उधर देखने लगा
प्यास बुझाई नौकर से Running....कीमत वसूल Running....3-महाकाली ....1-- जथूराcomplete ....2-पोतेबाबाcomplete
बन्धन
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दिल से दिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
तुफानो में साहिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
यूँ तो मिल जाता है हर कोई!
मगर आप जैसे दोस्त नसीब वालों को मिलते हैं!
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