सच्ची हॉरर कहानी:-आज तो बच गया तू
अलीगढ़ के पास एक गाँव से लौटते हुए रात को बिना किसी लाईट, खेतों से चाँद की मद्धम रोशनी में गुजरते हुए उसी गाँव के निवासी करनसिंह ने यह किस्सा बताया था. “ रवि बाबू जरा जल्दी जल्दी पाँव बढ़ा लो यह खेत से अगले दो खेत तक जरा प्रॉब्लम है” मेरे पूछने पर वह टाल गया. मैंने फिर पूछा क्या है..बार-बार पूछने पर उसने कहा कुछ साल हुए यहां से हमारे गांव का एक आदमी रात को गुजर रहा था कि अचानक वह किसी पेड़ के नीचे पेशाब करने को रुका. उसके बाद वो अभी थोड़ी दूर ही गया था कि उसे एक छोटे बच्चे के रोने की आवाज सुनाई दी. उसने सोचा खेत पर पहरेदारी के लिये सोते हुए किसान के किसी बच्चे के रोने की आवाज होगी. पर तभी उसे याद आया कि इस खेत का मालिक किसान रामसरन तो दो साल पहले फांसी लगा कर मर चुका है. वह आगे बढ़ता रहा क्यों कि ग़ाँव के बुजुर्गों से उसने सुना था कि रात को खेत से जाते हुए कोई पीछे से आवाज दे तो चाहे कुछ भी हो जाये पीछे मुड़ कर मत देखना. और कोई रास्ता पूछे या कोई पता पूछे तो भले बता देना मगर हरगिज़ हरगिज़ उसकी आंखों और पाँव की तरफ मत देखना. वो कितना भी कहे सुनो..देखो..तुम अपनी राह लेना.
यह याद कर वह अय्र तेज़ तेज़ कदम बढ़ाने लगा.. मगर बच्चे की आवाज और नज़दीक आती जा रही थी. एक बार को तो उसे लगा कि जैसे वह बच्चा उसके साथ ही चल रहा हो जैसे.
तभी अचानक उसने देखा कि पगडंडी के किनारे केले के पत्ते पर बच्चा लेटा हुआ है और जोर जोर से रो रहा है और हाथ-पाँव मार रहा है. उसने आवाज भी लगाई अरे भाई ये किसका बच्चा रो रहा है..कोई है..उसने सोचा हो सकता है कोई शौच आदि के लिये यहां आस-पास बैठा हो तो कमसेकम आवाज तो लगा ही देगा. मगर उसकी आवाज लौट कर उसी के पास आ गयी...और वो आगे बढ़ गया. मगर आवाज और भी तेज़ हो गयी. उसका मन नहीं माना और वो जैसे ही उसने रुक कर पीछे मुड़ कर देखा तो दंग रह गया जैसे बच्चा उसके साथ साथ ही आ रहा था कारण कि वह केले का पत्ता नज़दीक आ गया था. उसने सोचा रात में उसे ठीक से दिखा नहीं होगा. ऐसा कैसे हो सकता है. और उसने आव देखा न ताव और बच्चे को गोद में उठा लिय. गोद में उठाते ही बच्चा चुप हो गया और बिना बात मुस्काराने लगा. एक हाथ मैं अपना बैग और एक हाथ में बच्चे के थामे वह लम्बे-लम्बे डग भरता हुआ चलने लगा.
न जाने क्यूं उसे ऐसा लगा कि बच्चा जैसे भारी सा हो गया है. उसने सोचा उसके मन का वहम होगा. और वह अपनी रफ्तार से चलने लगा. लेकिन अभी थोड़ी दूर ही गया होगा कि ऐसी सर्दी में भी उसे पसीने आने लगे. उसने सोचा ऐसा कैसे हो सकता है. तभी उसने महसूस किया कि बच्चा और भी अधिक भारी हो गया है ... उसने बच्चे को ठीक-ठाक से अपनी गोद में ‘एड्जस्ट’ करने के लिये जैसे ही थोड़ा ऊपर को सरकाया वह दंग रह गया. बच्चा टस से मस नहीं हुआ. उसने जैसे ही नीचे देखा तो उसकी घिग्घी बंध गयी. वह देखता है कि बच्चे के पाँव लटक कर लगभग ज़मीन को छूने वाले थे. वह एक दम घबरा गया और इसी घबराहट नर्वसनैस में बच्चा उससे गिर गया या फिर उसने ही घबरा के अथवा डर के मारे बच्चे को एक दम अपनी गोद से नीचे गिरा दिया....
नीचे गिरने से पहले बच्चा जोर जोर से हँसा और उसकी हँसी एकदम बड़े आदमी की हँसी थी वो बच्चे की हँसी कतई नहीं थी. गिरते-गिरते बच्चे ने कहा “ आज तो बच गया तू.. बस अगर मेरे पाँव ज़मीन पर लग जाते तो तेरी मौत तय थी आज की रात...हा..हा..ह..हा.ह.हा....हाअ.हा
और यह कह वह गायब हो गया.
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प्यास बुझाई नौकर से Running....कीमत वसूल Running....3-महाकाली ....1-- जथूराcomplete ....2-पोतेबाबाcomplete
बन्धन
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दिल से दिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
तुफानो में साहिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
यूँ तो मिल जाता है हर कोई!
मगर आप जैसे दोस्त नसीब वालों को मिलते हैं!
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