हिन्दी नॉवल -ट्रिक ( By Ved Parkash Sharma) complete

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Jemsbond
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Re: हिन्दी नॉवल -ट्रिक ( By Ved Parkash Sharma)

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मोहम्मद इकराम उसकी तरफ देखता रह गया ।
सिर्फ देखता !

कुछ बोल नहीं सका वह । न मुह से, न आंखों से । उनमें भी वीरानी छाई हुई थी ।




बोलता भी क्या?



था ही क्या बोलने के लिए।



उसके जेहन के हर कोने को मानना पडा…-ठीक ही कह रहा है आबू सलेम नाम का यह आदमी । दुनिया में अब कहीं भी उसके लिए कोई जगह नहीं है । लोग उसे देखते ही इस तरह झिझोंड़ डालेंगे जैसे शेर हिरन को झिझोड़ा करता है और यहां…यहां कब तक रहेगा वह? कब तक रह सकता है? ये जिंदगी तो मौत से भी बदतर हुई !! उस मौत से भी बदतर जिससे डरकर वह कैमरे के सामने वह कह बैठा जिसे कभी कहना नहीं चाहता था ।"



उफ्फ! ये क्या किया उसने । क्या किया । इससे तो बेहतर था मर ही जाता ।



जेहन बार-बार एक ही बात चीखने लगा…"इससे तो वेहतर था तू मर ही जाता मोहम्मद इकराम ।



अपने अंदर मच रहे शोर से परेशान हो गया वह ।



शायद इसी कारण एक झटके से आबू सलेम के कोट की जेब में हाथ डाला ।



पलक झपकते ही उसके हाथ में रिवॉल्वर था ।



कमरे में मोजूद कोई व्यक्ति अभी कुछ समझ भी नहीं पाया था कि---


"धांय. . .धांय. . धांय ।”


आबू सलेम को निशाने पर लेकर इकराम ट्रिगर दबातां चला गया । कमरे में अफरातफरी मच गई ! नजमा सहित सभी ने खुद को किसी-न-किसी वस्तु की आड़ में छुपा लिया ।
अलू सलेम को निशाने पर लेकर इकराम ट्रिगर दबाता चला गया ।


कमरे में अफरातफरी मच गई नजमा सहित सभी ने दौड़कर खुद को किसी-न-किसी वस्तु की आड़ में छुपा लिया !


सबने यहीं कल्पना की थी कि वह पलक झपकते ही मारा गया जिसे मौत का पर्यायवाची माना जाता था ।




मगर नहीं ।



सच यह नहीं था ।



सच यह था कि वह अब भी ठीक सामने ख़ड़ा, चेहरे पर ज्वालामुखी और आंखों में अगांरे लिए इकराम को घूर रहा था ।



तीनों गोलियां उसके जिस्म से टकराकर, बगैर अपना करिश्मा दिखाए शहीद हो गई थी ।



उस दृश्य को देखकर मोहम्मद इकराम के चेहरे पर परम आश्चर्य के भाव थे ।



यूं लग रहा था उसे-जैसे सामने जिन्न खडा हो !

वे क्षण इतने थे जिनके कारण इकराम जैसे पड़े लिखे लडके के दिमाग को यह मैसेज नहीं मिल सका----आबू सलेम बुलेट प्रूफ जैकेट पहने हुए है ।



जो हुआ था, उसके लिए तो वह चमत्कार जेैसा था ।


एक चमत्कार जिसे इकराम आंखें फाडे़ देखता रह गया ।


उसने एक शख्स पर गोली चलाई थी । एक नहीं, तीन और फिर भी वह शख्स सामने खड़ा खूंखार नजरों से घूर रहा था । तीनो गोलियां उसके जिस्म से टकराकर यूं छितरा गई थी जैसे रवर की बनी थीं ।


अगर उस क्षण उसे बुलेट प्रूफ जैकेट का ख्याल आ जाता तो अगला फायर उसके चेहरे पर करता क्योंकि वहां इस किस्म का कोई आवरण नहीं हो सकता था ।



परतु तनावपूर्ण क्षणों में डरे हुए आदमी का दिमाग इतना काम कहां करता है?


वह तो वस हकवकाया सा उस चमत्कार को देखता रह गया था जबकि चमत्कारी पुरूष के हलक से गुर्राहट सी निकली----" पकड़ लो इसे ।"


उसके हुक्म के बाद किसे मरना था जो अपनी जान की परवाह करता ।


सो, एक साथ कई तरफ से शूटिंग टीम के लोग इकराम पर झपट पड़े !


मगर कामयाब न हो सके वे ।

उससे पहले ही मोहम्मद इकराम ने रिवाल्वर अपनी कनपटी पर रखा और----" धांय ।”

केवल एक गोली उसके प्राण पखेरु उड़ा ले गई ।


जहां एक पल पहले वह अपनी समस्त इंद्रियों के साथ जीता जागता बैठा था वहां निर्जीव जिस्म पड़ा रह गया ।


कनपटी से भाल्ल भल्ल करता गाढ़ा और गर्म लहू यूं वह रहा था जैसे आत्मा के अभाव में अब भी शरीर में न रहना चहता हो !


रिवाल्वर अभी-भी उसके एक तरफ़ लुढ़के हाथ में फंसा हुआ था ।




सन्नाटा छा गया था चारों तरफ ।



गहरा सन्नाटा ।


आबू सलेम सहित जो जहाँ था, वहीं का वहीँ खड़ा रह गया था ।


सबकी नजरे सिर्फ और सिर्फ खून उगलती लाश पर स्थिर थी ।


कुछ पलों के लिए मानो समय भी रुक गया था !


मगर नहीं, दो ही तो चीजे हैं जो कभी नहीं रुक सकती । समय और हवा ।


हवा आदमी को जीवन देती है और हमेशा गतिमान रहने वाला समय आदमी को बडे-से-बड़े सदमे से उबार लाता है । सबसे पहले आबू सलेम उबरा । बोला……"'समझदार था जो इज्जत की मौत मर गया ।"



कोई और अवाज कमंरे में नहीँ उभरी।


आबू सलेम खालिद मिस्त्री की तरफ़ बढा ।


कैसेट, जो इस वक्त खालिद के हाथ में थी, उसे अपने कब्जे में लेता हुआ बोला…“बेवकूफ भी था । न होता तो इस शूटिंग से पहले मरता ।"


कमरे में अभी भी सन्नाटा छाया रहा ।


"आओ डार्लिंग ।” कहने के साथ वह एक बार फिर नजमा के कंघे पर बांह रखकर दरवाजे की तरफ वढ़ गया ।
"सॉरी संगी डार्लिग । रियली-----आई एम वेरी सॉरी ।" बेडरूम में कदम रखते हुए आबू सलेम ने कहा- "अब देखो न, मैं तुम्हारा मूड दुरुस्त करने वहां ले गया और वहाँ भी.. पता नहीं क्या सूझा कम्बख्त को ।" कहने के साथ उसने कैसेट लापरवाही के साथ वेड की दराज़ के ऊपर डाल दी ।



प्रत्यक्ष में नजमा सदमा खाई संगीता का अभिनय कर रही थी मगर वास्तव में जरा भी सदमे में नहीं थी । जिस पेशे में वह थी उस पेशे के तो श्रृंगार थे ऐसे खून-खराबे।

परंतु।



मोहम्मद इकराम की मोत का अफसोस जरूर था । ऐसे अफसोस भी उसे लक्ष्य से नहीं भटका सकते थे ।



और लक्ष्य था----एक ही प्रहार मे आबू सलेम को बेबस कर देना ।


प्यास बुझाई नौकर से Running....कीमत वसूल Running....3-महाकाली ....1-- जथूराcomplete ....2-पोतेबाबाcomplete
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Jemsbond
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Re: हिन्दी नॉवल -ट्रिक ( By Ved Parkash Sharma)

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वह खुश-थी क्योंकि वह कैसेट भी यही थी जिसे भारंत की जडों में है मटृठा डालने के इरादे से बनाया गया था ।



बस एक बार आबू सलेम को बेबस करना था ।



उसके बाद ।



कितना आसान था सबकुछ ।



वह विजय-विकास को तहखाने से निकाल लेगी ।


कैसेट कव्जे में होगी ।



कैसेट ही क्यों?



आबू सलेम भी तो कब्जे में होगा ।


उसके बाद------विजय-विकास जाने, उन्हें इसके साथ क्या सुलूक करना है ।



उस वक्त तो उसे और ज्यादा खुशी हुई वल्कि यह कहा जाए तो ज्यादा उपयुक्त होगा कि उस वक्त तो खुशी से नजमा की बांछें ही खिल गई जब उसने आबू सलेम को रिमोट की मदद से दरवाजा अंदर से लॉक करते देखा ।



बेवकूफ ।


मेरे काम को और आसान बना रहा है ।


अब उसकी मदद के लिए बाहर से यहाँ कोई आ भी नहीं सकता ।


रिमोट को लापरवाही के साथ एक तरफ डालते हुए आबू ने कहा…"वेसे मेरे हेडक्वार्टर में, इतने कम समय में इतना खून--खराबा पहले कभी नहीं हुआ । साली किस्मत ही खराब थी जो तुम्हारा मूड चौपट करने वाली घटनाएं एक के बाद एक होती चली गई । पहले जैक उसके वाद मोहम्मद इकराम ।"


नजमा अब भी चुप रही ।


"खैर ।" उसने निर्णायक स्वर में कहा----"अब मूड दुरुस्त करने का एक ही तरीका है ।"



"क्या?" संगीता ने पूछा ।



बगैर किसी लाग लपेट के एक झटके से कह दिया उसने----" तुम कपडे उतार दो ।”


नजमा के दिमाग को मानो एकदम चार सौ चालीस बोल्ट का झटका लगा ।


ऐसा तो उसने सौचा भी नहीं था कि यूं--- इतनी बड़ी बात वह इतने सामान्य अंदाज में कह देगा । इतने सामान्य अंदाज में कि कहने के बाद उसने यह तक जानने की कोशिश नहीं की कि उसके वाक्य का उसके उपर असर क्या हुआ !!!!
उसने यह तक जानने की केशिश नहीं की कि उसके वाक्य का उसके ऊपर असर क्या हुआ है । बगैर उसकी तरफ देखे वह कमरे के एक कोने में रखे 'सोनी' के सबसे कीमती म्यूजिक सिस्टम की तरफ बढ़ गया था ।



नजमा को उसकी "एविटीविटीज’ से लगा…इस बात में उसे कोई संदेह ही नहीं है कि उसके हुक्म के बाद 'संगीता' वह नहीं कर देगी जो उसने कहा है । नजमा को लगा-इसका मतलब इस कमरे मे पहले भी ऐसा होता रहा है । यकीनन 'संगीता' उसके एक बार कहने मात्र से बगैर कोई ना'-नुकुर किए कपड़े उतार खड़ी हो जाती होगी । तभी तो यह बात उसने इतनी आसानी से कह दी ।



जाहिर है-उसे भी वहीं करना होगा जो संगीता करती रही है ।



और फिर, आबू सलेम का हुक्म टालने की भला हिम्मत भी किसमें हो सकती है ।



फिर वह, वह भी करेगा जो संगीता के साथ करता रहा है ।


परन्तु !


वह तो दूर , इतने खतरनाक पेशे में होने के बावजूद नजमा ने कभी किसी को अपने नाजुक अंग छेडने तक का मौका नहीं दिया था । आबू ने उसके होठ चूमे थे , उसे तो तभी से ग्लानि हो रही थी…आबू को इतना मौका ही क्यों दिया उसने?


नजमा जबरदस्त धर्मसंकट में फंस गई ।



बात उसकी अस्मत तक आ पहुंची री ।


अलू सलेम का कहा वह कर नहीं सकती थी ओर. . .न करने का मतलब था…खुद को उसके संदेह के दायरे में फंसा लेना । जो संगीता उसके कहने से पहले ही कपड़े उतार देती होगी , वह भला अब क्यों नहीं उतारेगी !



हुक्म न मानने का मतलब था-उसके कहर की शिकार होना ।



उसके कहर का अंजाम वह देख चुकी थी ।



क्या करे, क्या न करे !



अभी इसी उूहा - पोह में थी कि आबू सलेम ने म्युजिक सिस्टम आन कर दिया ।



कमरे में संगीत की लहरियाँ लहराने लगी ।


वह पलटा और 'नजमा' को ज्यों की त्यों खडी देखकर चौंक पड़ा ---"अरे! तुम अभी तक यूं ही खडी हो ?"

"" आबू प्लीज ।" वह निड़गिड़ाई--" अभी मूड नहीं है ।"



"मूड बनाने से बनेगा डार्लिंग । अपने आप थोडी वन जाएगा ।" कहने के साथ उसने बाकायदा संगीत की धुन पर थिरकना शुरू कर दिया था…"मुझे तुम्हारा सारे कपड़े उतारकर नाचना याद आ रहा है । वह ! क्या नाची थी तुम । तुम्हें मालूम है--- मेरा तो मूड ही डांस देखने के बाद बनता है और फिर, ज़रा गोर करो गाने पर । तुम्हारी ही नई फिल्प का गाना है । मैंने पर्दे पर देखा था…-क्या डांस किया है तुमने इस गाने पर । मैंने उसी समय सोच लिया था-कपड़े पहनकर तो तुम 'आडियंस' के लिए डांस कर रही हो । मेरे, लिए तो इसी गाने पर कपड़े उतारकर करोगी । वाह ! इस कल्पना से ही मरा जा रहा हूं मैं तो कि जब तुम ठुमके लगाओगी तो_क्या कयामत लगोगी ।"


"आबू प्लीज ......।"



"ओह ! समझा ।" उसकी बात पर जरा भी ध्यान दिए बगेर वह अपनी ही धून में कहता चला गया ----" पिछली बार भी तुमने बगैर 'उसके' ऐसा नहीं किया था ।" कहने के साथ वह एक अलमारी की तरफ बढा ।


उसका एक पट खोला ।


छोटा सा बार था वह ।


' संगीत की स्वर लहरियों पर थिरकते आबू सलेम ने दो पैग बनाए ।

थिरकता हुआ उसके नजदीक आया । एक पैग उसे देता बोला----"लो ।"



कांपते हाथों से नजमा को 'क्रिस्टल’ का गिलास पकडना पड़ा ।


"चलो । इस बार ये काम मैं करता हू। इसका भी अपना अलग मजा होगा ।" कहने के साथ जींस के ऊपर पहनी शर्ट में लगी चेन उसने एक झटके से खोल दी ।


शर्ट के दोनों 'पल्ले' अलग-अलग कंधों पर झूल गए ।


नजमा के दिमाग में आंधियां-सी चल रही थी । उसे लग रहा था…अंब या तो उसका भेद खुलेगा या अस्मत जाएगी । भेद खुलने का मतलब था…उसके साथ विजय-विकास तक की जान को खतरा । तभी आबू की जेब में पड़े मोबाइल ने खुदाई मददगार की तरह नजमा की मदद की !


आबू झुंझला उठा !!
जेब से मोबाइल निकालकर आँन करता भन्नाए हुए स्वर में बोला----"कौन हरामजादा है?"


"क्या बात है आबू डार्लिग । इतने गुस्से में क्यों हो? मैं स्विटज़रतैड से बोल रही दूं। संगीता ।"

"स. . .संगीता?" आबू भयंकर तरीके से चौंका, परंतु अगली - प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं कर पाया वह । हलक से चीख निकली । हाथ से मोबाइल निकलकर फर्श पर जा गिरा । वही हालं शराब के गिलास का हुआ ।



नजमा के हाथ में मोजूद शराब से भरा क्रिस्टल का गिलास थाड़ से उसके सिर पर पड़ा था ।


गिलास टूट गया । शराब बिखर गई ।




आबूकी आंखों के सामने रंग-बिरंगे तारे नाच उठे ।



किर भी उसने संभलकर पलटने की कोशिश की ।


मगर ।


जिस नजमा को यह मालूम था, अगर यह संभल गया तो सारे पासे पलट जाएंगे, वह उसे संभलने कहां दे सकती थी? पलटने की 'कोशिश अभी वह कर ही रहा था कि नजमा ने जूडो की दक्ष खिलाडी की मानिन्द एक नपी-तुली 'कराट' उसकी कनपटी पर ठीक वहां मारी जहाँ मारने के परिणाम स्वरूप आबू सलेम बेइंतहा पी गए शराबी की मानिन्द लड़खड़ाया और फिर नजमा के कदमों के नजदीक गिर गया ।


नजमा ने तब भी उसे इतना मौका नहीं दिया कि अगर उसमें कोई 'जान' हो तो उसके पैर पकड़कर खीच सके ।


इधर वह फर्श पर गिरा, उधर नजमा ने एक जोरदार ठोकर उसके जिस्म में जमाई ।


निर्जीव-सा जिस्म कई "पलटियां' खा गया


तब जाकर नजमा ने माना वह कामयाब हो गई है ।



यह मानते ही सबसे पहले उसने अपनी शर्ट की चेन बंद की । आंखों ही में नहीं, पूरे चेहरे पर घृणा के भाव लिए आबू सलेम को घूरा और उसके बाद वह मोबाइल उठाया जिससे अभी भी संगीता की आवाज निकल रही थी…"हेलो हेलो क्या हुआ ?"



“तेरा आबू डार्लिंग मर चुका है ।" नजमा के हलक से गुर्राहट -- सी निकली ।

"क.... .क्या मतलब?" लहजे से जाहिर था कि वह स्विटजरलेंड से बोलने वाली संगीता बुरी तरह से हड़बड़ा गई ----" तुम कौन हो ?"
"रूपहले पर्दे की चमक-दमक और पेसे की हवस से घिरी तुझ जैसी हरामजादी लडकियां लड़कियों के नाम पर कलंक है 1" मुकम्मल धृणा के साथ नजमा कहती चली गई…"मैं सब जान चुकी हूं कि रांउड हाउस के बेडरूम में तू आबू सलेम के साथ क्या क्या करती रही 'है !



" हो कौन तुम?” दूसरी तरफ से कहा गया---"और यह क्या कह रही हो! मेरी समझ में कुछ... ।”


"गो टू हेल !" दा'त भीचकर कहने के बाद नजमा ने संगीता के संदेह के पूरा होने के पाले मोबाइल आँफ कर दिया । गुस्से और धृना के कारण उसका चेहरा अभी भी भभक रहा था । "



खुद को सामान्य करने में उसे आधा मिनट लगा ।



सामान्य होने पर उसने मोबाइल बेड पर फेका । वह कैसेट उठाकर अपनी जेब में ठूंसी जिसमें इकराम का इंटरव्यू था । फिर ए.सी. के स्पिच की तरफ लपकी । उसे अॉन किया । एक बार फिर कमरे के वे दो पत्थर किवाडों की तरह झूल गए जिसे शायद अब नीचे बाले कमरे का दरवाजा कहना मुनासिब है । लगभग दौड़ती सी वह दरवाजे के नजदीक पहुंची । इस बीच आबू सलेम पर उसने एक नजर तक डालने की जहमत नहीं उठाई । नीचे वाले कमरे से उपर देख रहा विजय कह रहा था----" कर क्या रहे है अबू भइया, कभी पट खोलते हैं, कभी बंद कर देते है ।"



“आबू सलेम अब दुनिया का कोई पट खोलने या बंद करने की स्थिति में नहीं है ।" कहते वक्त नजमा के होंठों पर बहुत ही जीवंत मुस्कान थी--' बेहोश हुआ मेरे कदमों में पड़ा है ।”


"यानी फ़तहा" विजय चिल्लाया ।


"पूरी फ. . .त. . .ह ।" नजमा के हलक से निकलने वाले शंब्द बिगडते चले गए और अंतत एक लंबी चीख में तब्दील हो गए । उस चीख के साथ हवा में लहराता हुआ उसका जिस्म तहखाने में आ गिरा ।



विजय अगर ऐन वक्त पर मोखले के नीचे से हट न जाता तो नजमा को उसके ऊपर गिरना था । उसके हट जाने के कारण वह तहखाने के फर्श पर आ गिरी ओंर यंह सारा कमाल था…उसकी पीठ पर पडने वाली एक मात्र जोरदार ठोकर का! हड़बड़ाकर बिजय ने एक कार फिर ऊपर देखा । वहाँ आपू सलेम का चेहरा नजर आ रहा था !
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Re: हिन्दी नॉवल -ट्रिक ( By Ved Parkash Sharma)

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उम्मीद के विपरीत उसके चेहरे पर उत्तेजना का कोई भाव नहीं था । वहुत ही आकर्षक मुस्कान के साय उसने कहा----"चाल अच्छी थी । सही समय पर संगीता का फोन नहीं आता तो वाकई तुम मेरे हेडक्वार्टर में फतह के झंडे गाड़ चुके होते और इससे साबित हो गया…जैक का खात्मा करके मैंने गलती नहीं की! वह बेवकूफ़ । मेरी मौत का सामान उठाकर यहाँ ले जाया था !



"पर आबू भैया, ये सब कैसे हो गया?” विजय ने पूछा---"ये मोहतरमा तो फतह अपने खाते में बता रही थी ।"



"इसी से पूछ लो । मुझें अपनी कामयाबी की सूचना नुसरत-तुगलक को देनी है !"



"उनसे तो हमें भी मिलना है आबू भाई । कहना-- वहुत दिन हो गए । कम से कम चिटठी- पतरी लिखकर अपनी खैरियत तो देते रहा करें मगर, तुम जा कहां रहे हो आबू भैया. . .सुनो तो मियां?"



मगर आबू सलेम मोखले के सामने से गायब हो चुका था ।



कुछ देर बाद दोनों पत्थर से अपनी जगह पर फिक्स हो गए ।



"धत्त-धत्त-पत! जमाने तेरे की ।” कहते वक्त अपने माथे पर तीन बार हाथ मारने के बाद वह जहाँ खड़ा था वहीं बैठ गया । तब पहली बार उसने अपने आसपास यानी कमरे की स्थिति पर ध्यान दिया । उपर से गिरने के कारण नजमा के सिर में चोट लगी थी । जख्म से खून वह रहा था । विकास अपनी कमीज से फाड़े गए गए टुकड़े की पटटी उसके जख्म पर बांधने की कोशिश कर रहा था । नजमा का सम्पूर्ण जिस्म जैक के खून से लथपथ था क्योंकि यह जैक की लाश के नजदीक फैले उसके खून के ऊपर जाकर गिरी थी । उसके होठों से अभी तक कराहें निकल रही थी । विजय ने पूछा…“पलक झपकते ही फतह शिकस्त में कैसे बदल गई नजमा डार्लिंग?”



"मैंने समझा मैं उसे बेहोश कर चुकी हू मगर नहीं, वह मेरा धोखा था ।" नजमा ने करारों के बीच कहा!!!


"तुम्हारे धोखे के चक्कर में हम बुरी तरह फंस गयें हैं डार्लिंग । हमारी सारी उम्मीद तुम्ही पर टिकी थी ।"


"आप क्राइमर अंकल को भूल गए लगते हैं गुरु ।" पटूटी की गांठ नजमा के सिर के पिछले हिस्से में जोर से कसते हुए विकास ने कहा…"उम्मीद की एक किरण अभी बाकी है ।"



"मुझे नहीं लगता लूमड़ हमारे लिए कुछ करेगा ! इस बार तो साला हम ही से सौदा कर रहा है ।"
“ये तो विजय अंकल और विकास ने ठीक नहीं किया ।” हैरी के चेहरे पर रोष के भाव थे----“मैंने उनसे कहा था मारकेश से मुझे भी अपना हिसाब चुकता करना है । वर्ल्ड ट्रेड सेटर की तबाही को भूल नहीं सकता ।”



"समझने की कोशिश करों हैरी ।" ब्लैक व्वॉय ने कहा----" तुम्हें जख्मी होने के कारण छोड़ गए हैं । ऐसी हालत में तुम्हारा पाकिस्तान जाना ठीक नहीं था! वहां... ।"



'विकास जानता है और. . विजय अंकल को समझना चाहिए, हैरी ने ऐसे जख्मों की न पहले कभी चिंता की है, न अब करता है ।" लडके का चेहरा भभकने लगा था…"दुनिया की कोई ताकत मुझे उस शख्स के जिस्म में आग भरने से नहीं रोक सकती जो उसका खास सिपहसालार है । जिसने हजारों निर्दोष अमेरिकियों की हत्या की है ।”




“तुम समझ क्यों नहीं रहे हैरी । अभी तुम पूरी तरह स्वस्थ नहीं हो ।" ब्लेक ब्वॉय, वह ब्लेक ब्वॉय हैरी को काफी देर से समझाने की कोशिश कर रहा था जो विजय के चचेरे भाई अजय की हैसियत ने उससे मिलने आर्मी हाँस्पिटल आया था ! हैरी का ख्याल रखने ओर उसे पाकिस्तान रवाना न होने देने की जिम्मेदारी विजय उसे सौंप गया था । यही प्रयास जारी रखे अजय कहता चला गया---"विजय भैया मुझसे कह कर गए हैं, तुम्हें स्वस्थ होते ही लाहौर के लिए रवाना कर दूं। वे तुम्हें मारकेश से बदला लेने का पूरा मौका देगे ।”



"हैरी कभी किसी के रहमोकरम का मोहताज नहीं रहा । मुझे जो करना होता है खुद…....!"


सेंटेंस अधूरा रह गया ।


ब्लैक ब्वॉ़य के गले में पड़ा छोटा-सा लॉंकेट अचानक पिंग-पिंग करने लगा था । उस पिंग…पिंग ने दोनों का ध्यान अपनी तरफ खींच लिया । फिर ब्लेक ब्वॉय ने तेजी _के साथ गले से लांकेट निकाला । उसे खोला । छोटा-सा एंटीना खीचा और बोला----"यस !''




"हम बोल रहे हैं प्यारे काले लड़के'' दूसऱी तरफ़ से विजय की बहुत ही महीन, परंतु स्पष्ट आवाज उभरी ।


"मैं इस वक्त आर्मी हास्पिटल में हैरी के पास हूं विजय भैया !" उसने पहले ही वाक्य में इसलिए अपनी स्थिति स्पष्ट की कि कहीं विजय ऐसी बात ना कह दे जिससे हेरी पर उसके 'चीफ' होने का भेद खुल जाए ! बोला --" आप कहां और किस सिच्वेशन में हैं !!!!
"हमारी मत पूछो अजय मियां । धोर संकट में फंस गए है हम, इसलिए तुम्हें खटखटाने की जरूरत पडी ।" विजय कहता चला गया…"हमारी हालत वह हो गई है जो छब्बे जी बनने चले चौबे जी की होती है । दूबे जी बनकर रह गए हैं ।"




"ऐसा क्या हो गया है?"



"लाहौर में "राउंड हाउस' नाम की एक फेमस इमारत है । इसकी लोकेशन से लाहौर के लगभग सभी वाशिंदे अच्छी तरह से परिचित है । इस वक्त हम उसी इमारत के तहखाने से बोल रहे हैं ।"



"त. . .तहखाने से?"



"समझदार हो । समझ सकते हो----" इस वक्त हम यहां कैद हैं । इंडियन माफिया आबू सलेम यहां का मालिक है । वह आजक्ल नमूनों के लिए काम कर रहा है ।”



"विकास और नजमा कहाँ हैं?"


"वे भी हमारे साथ यहीं आराम फ़रमा रहें हैं ।"



"ओह !" ब्लेक ब्वॉय की पेशानी पर चिंता की लकीरें उभर आई…“आप सब एक साथ उसकी कैद में कैसे जा फंसे?”



"मोहम्मद इकराम के फेर में पडकर आए थे यहाँ । आबू सलेम के ही चार्ज में था यह । हमारे 'था' से समझ गए होगे अव वह नहीं है । आबू सलेम के हाथों मारा जा चुका है । बैसे तो उम्मीद है कि लूमड हमारे लिए कुछ करेगा. ..... ।”


"लूमड़़ ?"



"इस शब्द का अर्थ नहीं समझते क्या?" "

"आप अलफांसे की बात कर रहे है न?" .

' "हां प्यारे! उसी की बात कर रहे है ।"


"म.....मगर वह वहां क्या कर रहा था और आपको कहाँ मिल गया?"


"इस-वक्त हम तुम्हें सत्यनारायण की कथा सुनाने के मूड में नहीं हैं प्यारे ।" विजय के लहजे में थोडी झल्लाहट पैदा हो गई थी----"'


इतना समझ लो कि वह हमें जहां और जैसे भी मिला, मिल गया।


मोहम्मद इकराम के इस बिल्डिंग में होने की जानकारी हमें उसी ने दी ।


फिलहाल वह आजाद है मगर जीवन में पहली बार वह हमारे सामने - सौदेबाज बनकर पेश हुआ है , इसलिये उसकी तरफ से ज्यादा उम्मीद नहीं लगाई जा सकती !
फिलहाल वह आजाद है मगर जीवन में पहली बार वह हमारे सामने - सौदेबाज बनकर पेश हुआ है , इसलिये उसकी तरफ से ज्यादा उम्मीद नहीं लगाई जा सकती ! तुम्हारा दरवाजा खटखटाने की जहमत यह कहने के लिए उठानी पडी कि अगर पाकिस्तान में नजमा जैसा तुम्हारा कोई और दोस्त है तो उसे हमारी लोकेशन बताकर मदद की गुहार करो ! बगैर 'बाहरी' मदद के शायद हम इस कैद से नहीं निकल सकते !"


"आप चिंता न करें भैया, जैसे भी होगा मैं बाहरी मदद का इंतजाम करता हूं ।"


“अगर कभी तुम्हारे बच्चे हुए तो तुम्हारे इंतकाल के बाद मैं उन्हें अपने ही बच्चे समझकर पालूंगा !" इन शब्दों के साथ दूसरी तरफ से सम्बंध विच्छेद कर दिया गया ।



लाकेट रूपी ट्रांसमीटर को आँफ करके वापस गले में डालते वक्त ब्लेक ब्वॉय बेहद चिंतित नजर जा रहा था । हैरी उसके चेहरे पर मंडराते चिंता के बादल भी देख रहा था और उसके और विजय के बीच वाली एकाएक बात भी उसने ध्यानपुर्वक सुनी थी । अभी उसने कहने के लिए मुंह खोला ही था कि ब्लैक ब्वॉय ने कहा----" तुम समझ ही गए होंगे । दूसरी तरफ विजय भैया थे ।"



“यह भी समझ गया हूं और यह भी समझ गया हू कि इस वक्त उन्हें बाहरी मदद की जरूरत है ।"



“मैं चलता हूं । कोई न कोई इंतजाम करना होगा ।" कहने के साथ ही वह दरवाजे की तरफ बढा ।


“ठहरो अंकल ।" हैरी ने कहा ।" ब्लेक ब्वॉय ठिठका । घूमा, बोला----"तुम समझ सकते हो हैरी, इस वत्त मेरे पास टाइम नहीं है । फिर आऊंगा ।"


"मैं आपकी समस्या साल्व करने के बारे में ही कुछ कहना चाहता ।"


"क्या मतलब?"

"मैं आपके ट्रांसमीटर से लाहोर स्थित अमेरिकन सीक्रेट सर्विस के एक ऐसे जासूस से सम्पर्क स्थापित कर सकता जो विजय अंकल का बाहरी मददगार बन सकता है ।



"ओह ! " ब्लैक ब्वॉय सोचने लगा, उसे हैरी की मदद लेनी चाहिए या नहीं ।


"सोचने से टाइम जाया मत करो अंकल! पता नहीं विजय अंकल के पास कितना टाइम है !..
"सोचने में टाइम जाया मत करो अंकल! पता नहीं विजय अंकल के पास कितना टाइम है !.....जिससे मैं बात करूंगा वह लाहौर में काफी पावरफुल है । जैसी मदद की विजय अंकल को जरूरत है वेैसे काम करने में एकदम माहिर और परफेक्ट । जल्दी से दरवाजा बंद करके मेरे पास वापस आइए ।"



"दरवाजा बंद करके क्यों?”
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बन्धन
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Jemsbond
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Re: हिन्दी नॉवल -ट्रिक ( By Ved Parkash Sharma)

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"क्या ऐसी बातें दरवाजा खुला रखकर करनी चाहिए?"



"ओहा सौरी! विजय भैया के कैद में फंस जाने की खबर के कारण शायद मेरे दिमाग ने ठीक से काम करना बंद कर दिया है ।" कहने के बाद उसने दरवाजा बंद किया और लपककर वापस उसके पास जाकर कहा…“अमेरिकन सीक्रेट सर्विस का एजेंट लाहौर में कहां और किस पोजीशन में है?"


"हैरी है उसका नाम। हैरी आर्मस्ट्रांग ।"


"क., .क्या मतलब?" ब्लेक ब्वॉय चौंका ।


"भला मुझसे बेहतर बाहरी मददगार उन्हें कहाँ मिलेगा?"



"क. . .कहना क्था चाहते हो?"


"कहना नहीं अब मैं वह करना चाहता हूं अंकल जो करना चाहिए ।" कहने के साथ लड़का हैरतअंगेज अंदाज में बेड से उछला । खतरे का आभास होते ही ब्लेक ब्वॉय ने बहूत फुर्ती के साथ खुद को अपने स्थान से हटाया था । इसका उसे बहुत ज्यादा तो नहीं मगर इतना फायदा तो जरूर मिला कि हेरी के दाएं हाथ की जो कराट उसकी कनपटी पर लगनी चाहिए थी वह उसके कंधे पर लगी ।



ब्लैक ब्वॉय को लगा जैसे कंधे पर लोहे का हधौड़ा मारा गया हो ।


अगर कराट कनपटी पर लगी होती तो निश्चित रूप से वह अब तक बेहोश हो चुका होता ।


अभी वह हैरी के पहले ही वार से नहीं उबर पाया था पर जोरदार धूंसा पड़ा ।


इस बार बह मुंह से चीख निकालता हुआ फ़र्श पर जा गिरा !!! सम्भलकर उठने की कोशिश करता हुआ बोला…"हेरी, ये तुम क्या बेवकूफी कर रहे हो?"



मगर अब भला वह कुछ सुनने के मूड में कहां था?



ब्लैक ब्वॉय सम्भल भी नहीं पाया था कि हैरी का एक हाथ मुहं पर कुकर का ढक्कन बनकर चिपक गया !

दूसरे हाथ की कराट कनपटी की उस नस पर पड़ी जिसे वह हैरी के पहले वार से बचा गया था !
परिणाम वही हुआ जो उस नस पर चोट पड़ने के बाद अक्सर होता है । ब्लैक ब्यौय की आंखों के सामने दीवाली की रात जवान हो उठी। मुहं से निकलने वाली चीख होंठों पर जमे हैरी के हाथ के कारण हलक ही में घुटकर रह गई और फिर आंखों के समक्ष ऐसा अंधेरा छा गया जैसा चकाचौंध लाइटों के अचानक गुल होने पर छा जाताहै । निर्जीव-सा जिस्म हैरी की बांहों में झूलता रह गया ।



लडके ने ज़रा भी देर किए बगैर ब्लेक ब्वॉय के जिस्म को उस वेड पर लिटाया जिस पर कुछ देर पहले खुद लेता था । उसके गले से लांकेट रुपी ट्रांसमीटर निकालकर उसने अपने गले में डाला और पलटकर ठीक इस तरह, बगैर जरा भी लंगड़ाए दरवाजे की तरफ बढ गया जेसे कहीं जरा-स्री भी खरोंच न हो ।

“ओह्म" आबू सलेम के मुह से केवल यहीं एक शब्द निकल सका ।



जोकर ने उसकी डूयूटी वहीं लगाई थी ताकि किसी किस्म की गड़बड़ होने पर वह वहाँ का मोर्चा संभाल सके । कम से कम अभी तक उसे किसी किस्म के खतरे का इल्ं नहीं है । तुम्हें चाहिए-अपनी पूरी शक्ति के साथ टाटा सफारी को घेरकर उसे अपने कब्जे में लो । 'कोरम' उसकी गिरफ्ताऱी के वाद ही पूरा होगा !!"



"मैं अभी यह काम करता हू सर ।"



"इस काम को तुम सिलबटटे पर चटनी पीसने के बराबर आसान मत समझे । अंतर्राष्ठट्रीय केंचुवा बो चीज है जिसे अगर जरा भी मौका मिल गया तो अकेला ही तुम्हारा और तुम्हरि सारे गैंग का बेड ठीक उसी तरह बजा देगा जैसे रामायण के मुताबिक हनुमान ने लंका में घुसकर रावण का बजाया था ।”



"म...मैं समझ गया सर !"



"क्या समझ गए? "


"कि मुझे पूरी सावधानी के साथ उसे गिरफ्तार करना है ।"



"केवल सावधानी के साथ ही नहीं, अपनी पूरी क्षमता झोंक देनी है तुम्हें इस काम में । वह फिसल गया तो हाथ में आई पूरी की पूरी बाजी फिसल जाएगी ।"


"जी !"


"इस काम से निपट तो । उसके बाद तुम्हें हमसे बात करने की जरूरत नहीं है । अंजाम की जानकारी हमे अपने स्रोत से खुदबखुद मिल जाएगी । अगर अंजाम वही हुआ जो होना चाहिए यानी अंतर्राष्टीय केंचुवा भी तुम्हारे चंगुल में फंस गया तो हम दोनों 'भाई-बहन' खुद तुम्हारे दौलतखाने पर पथारेगे ।'"



जाने क्यों, आबू सलेम की इच्छा यह पूछने की हुई कि यदि वे पहले से विजय, विकास और नजमा के वहां आगमन के वारे में जानते थे तो उसे बताया क्यों नहीं, इस तरह तो मामला उल्टा हो सकता था, मगर यह सब कहने की उसकी हिम्मत न हुई । जब बोला तो केवल यहीं कह सका---' आपको जल्दी ही यहां आने का मोका दूंगा ।"


हमने भी को कपड़े सिंलवाने भेज दिए हैं आबू प्यारे ।" इन शब्दों के साथ सम्बंध विच्छेद कर दिया गया ।
सफारी में छुपे अलफांसे के दाएं हाथ की तर्जनी में मौजूद मोटे नग बाली अंगूठी से एक नन्हीं सी सुई उसकी उंगली में चुभने लगी ।


अगली… पिछली सीटों के बीच लेटे ही लेटे उसने एक नजर अंगूठी की तरफ देखा फिर, थोडा उचका । नजर सफारी के बंद काच के पार चारों तरफ डाली । हर तरफ खास वर्दीधारी हथियारबंद पहरेदार नजर आ रहे थे !



वे सभी अपनी डूंयूटी पर मुस्तेैद थे । बावजूद इसके व उसे नहीं देख सकते थे । इसके दो कारण थे । पहता-सफारी उनके बॉस की थी !!



उसके नजदीक जाकर अंदर झांकने की हिम्मत किसी में नहीं थी ।


झांकते तो तब जब उन्हें उसके अंदर किसी के होने का शक होता ।


दुसरा--- वे झांकते…भी तो कांच काले होने की वजह से कुछ नजर नहीं आता ।



हां , यह बेचैनी उसके मन में ज़रूर थी कि विजय-विकास और नजमा को अंदर गए इतनी देर हो गई है अभी तक कुछ हुआ क्यों नहीं?


हंगामा दोनो ही हालात में होना चहिए था ।



उनकी कामयाबी की सूरत में भी और नाकामयाबी की सूरत में भी !

दिमाग में एक ही सवाल था…इमारत के अन्दर हो क्या रहा है? जब अगुंठी की सूई ने चुभना शुरू किया तो वह समझ गया-नुसरत-तुगलक में से कोई उससे बात करना चाहता है अत: अंगूठी में मौजूद बाजरे के दाने जितना. छोटा स्विच दबाया ।


मोटा नग छोटी सी डिब्बी के ढक्कन की मानिन्द खुल गया । अब अंगूठी एक छोटे से ट्रांसमीटर में तब्दील हो चुकी थी । अलफासे ने अगूंठी को अपने मुह के नज़दीक लाकर धीमे स्वर में कहा----" मारकेश बोल रहा हू ।"


इधर तुगलक मियां हैं !" काफी महीन आवाज उभरी----" बगल में नुसरत बहन ।"


“बोलिए !"


"आबू सलेम उम्मीद से ज्यादा कामयाब आदमी निकला ! "


"यानी विजय-विकस और नजमा उसके चंगुल में फंस चुके हैँ ।" अलफांसे के मुहं से निकलने वाली आवाज पूरी तरह बदली हुई थी !!!
"करेक्ट ।'"


"इन हालत में मेरे लिए निदेश ?"


"हमने तुम लोगों के वहां प्रवेश की आबू सलेम को कोई जानकारी नहीं दी थी । सोचा था-अगर विजय-विकास वहां- कामयाब होते है तो तुम्हारे एहसानमंद होंगे जिसका भविष्य में लाभ मिलेगा मगर अब, कामयाब आबू सलेम हो गया है । यकीनन उसने एक बड़े कारनामे को अंजाम दिया है । साबित कर दिया है उसने कि - वह काम का आदमी है जो भविष्य में भी काम आाएगा । ऐसे आदमी को गंवा देना समझदारी नहीं होगी इसलिए हमने फैसला किया है…मिशन पूरा होने तक है लोग वहीं रहे । आबू सलेम की कैद में ।"



"मगर. . आपने कहा था…-वे किसी भी किस्म की कैद से भाग निकलने में सक्षम हैं ।"



"ऐसे किन्हें भी हालत से निपटने के लिए तुम उनके साथ रहोगे ।"



"मतलब ?"



"हमने आबू सलेम को निर्देश दे दिए हैं । कुछ देर बाद वह टाटा _ सफारी को घेरकर तुम्हें गिरफ्तार कर लेगा ।


मिशन पूरा होने तक तुम उनके साथी बनकर उन्हीं के साथ कैद रहोगे । अगर वे फरार होते हैं तव भी । तुम्हारे साथ रहने पर हमे उनके हर कदम की जानकारी रहेगी । इस तरह किसी भी मौके पर उन्हें दबोच लेना मुश्किल नहीं होगा ।"


"मैं समझ गया ।"


"केवल यहीं बताने के लिए कांन्टेक्ट किया था कि गिरफ्तार होते वक्त तुम्हें ज्यादा उछल-कूद नहीं मचानी है ।" कहने के बाद उसके ज़वाब की प्रतीक्षा किए वगैर दुसरी तरफ से सम्बंध विच्छेद कर दिया गया ।

अंगूठी रूपी ट्रांसमीटर आँफ़ करते वक्त उसने महसूस किया कि चारों तरफ मौजूद सशस्त्र गार्ड सफारी के नजदीक सरकने लगे है । एक खास किस्म की सतर्कता भी थी उनके चेहरों पर और उस वक्त तो उसके होंठों पर बहुत ही जानदार मुस्कान उतरी जब आबृ सलेम को राउंड हाऊस की विशाल सीढ़ियां तय करके पोर्च की तरफ आते देखा !!!
"बैलकम. वेलकम लूमड़ प्यारे । आखिर तुम भी आ ही मिले संग हमारे ।"



मारकेश ने फर्श पर फैले जैक के खून से बचने की काफी कोशिश की थी पर बच नहीं सका।


फिर भी, उसने खुद को गिरने से बचा लिया था । वर्ना जिस तरह से उसे ऊपर से धकेला गया था, सिर के बल भी गिर सकता था । खुद को संतुलित करने के साथ ऊपर देखा…उसे आबू सलेम के बेडरूम से नीचे टपकाने के वाद दरवाजा अभी-अभी बंद हुआ था ।

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Jemsbond
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Re: हिन्दी नॉवल -ट्रिक ( By Ved Parkash Sharma)

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अब उसने एक एक नजर विजय, विकास और नजमा पर डाली । अपने होठों पर अलफांसे वाली मुस्कान पैदा की और बोला-----"तुममे से किसी को इतना कमजोर तो नहीं समझता था मैं ।"


"कितना कमजोर लूमड़ मियां?"


"कि तुममें से कोई मेरे सफारी में छुपे होने का रहस्य आबू सलेम को बता दे ।"


"कसम से लूमड़ मिया । हममे से किसी ने आबू भैया को इस बारे में कुछ नहीं बताया । बताते तो तब जब किसी ने पूछा हो ! मगर अब तुम बताओ----"'यह गलतफहमी तुम्हें हो कैसे गई?"



“अगर तुममें से किसी ने नहीं बताया तो उन्हें मेरे सफारी में होने का पता कैसे लगा?"



"क्या मतलब !" विकास ने पूछा ।




" उन्होंने अचानक जिस कांफिडेंस के साथ सफारी को धेरा और जितनी तैयारी के साथ मुझे सरेंडर करने के लिए कहा उससे जाहिर है उन लोगों को मेरे सफारी में होने की पूरी जानकारी थी । हालात ही ऐसे थे कि किसी किस्म का संधर्ष अथवा विरोध तो मैं कर ही नहीं सकता था । सरेंडर करने के अलावा और कोई चारा नहीं था और फिर, उन्होंने बगैर मेरी शकल देखे मुझे अलफांसे कहकर पुकारा। कहा-----" जानते हैं मिस्टर अलफांसे तुम गाड़ी के अंदर हो । हाथ हवा में उठाए बाहर जा जाओ वरना एक ही धमाके से तुम्हारे साथ-साथ सफारी के भी परखच्चे उड़ा दिए जाएंगे ।"




“और तुम शरीफ़ बच्चे की तरह हाथ उठाकर गाडी से बाहर आ गए?
"और क्या कर सकता था?"



"'गलती की ।” विजय ने कहा ।



"क्या मतलब? "



"हम दावे के साथ कह सकते हैँ…सूखी भैरवी दे रहे थे साले । तुम्हारी जान इतनी कीमती नहीं है कि उसके फेर में सफारी की बलि दे देते और दे भी देते तो तुम्हारे साथ कम से कम एक सफारी तो पहुंचती अल्लाह मियां के दरबार में । रिकार्ड तो टूटता यह कि इस दुनिया से कोई अपने साथ कुछ नहीं ले जाता ।"



मारफेश ने अलफांसे वाले अंदाज में बुरा…सा मुंह बनाकर कहा----"मौका हो या न हो मगर तुम्हें हमेशा बकवास करते रहने के अलावा और कुछ नहीं आता ।"



" और तुमने हमेशा बकवास न करने का ठेका ले रखा है ।"



"सोचने बाली बात ये है कि वे इतने कंन्फर्म कैसे थे कि मैं सफारी कि मैं सफारी में हूं !



"इसका जवाब भी हम ही दे सकते हैं ।"



"तो दो न ।"'




"आकाशवाणी हुई होगी ।"



"उफ्फ! तुमसे बात करना एवरेस्ट पर चढने के बराबर है ।" वह अलफांसे की तरह झल्लाया । विकास की तरफ पलटकर " बोला----" तुम बताओ विकास । क्या तुम में से किसी ने अबू सलेम को मेरे सफारी में होने की जानकारी दी थी ।"



" नहीं ।"



"फिर कैसे पता लगा'उसे?"



"‘कुछ कहा नहीं जा सकता ।"



इस बार मारकेश कुछ नहीं बोला । अलफांसे के चेहरे पर ऐसे भाव उत्पन्न किए रहा जैसे कुछ सोच रहा हो । कुछ देर उसी अवस्था में रहने के वाद बोला…"तुम लोग यहीं कैसे कंस गए और.. . ।"




"और ।" एक बार फिर विजय बीच में टपका ।



"अगर तुम यहाँ फंसे हो तो उसमें जैक का योगदान जरूर होगा ।



वही जैक यहाँ इस अवस्था में कैसे पड़ा है? इसे जिसने और क्यों मार डाला? "



"आबू सलेम की तरफ़ से हम सबको यहां लाने का इनाम मिला है !"
" इनाम !"


जवाब में नजमा ने सव कुछ बता दिया । सुनने के बाद कुछ कहने के लिए मारकेश ने मुह खोला ही था कि-----

कमरे में सरसराहट की आवाज़ गूंजी ।



जाहिर है, सबकी नजरे उसी तरफ उठ गई । नजरें ही क्यों, वे पूरे के पूरे उस दिशा से घूम गए थे ।



छोटे से कमरे की पूरी एक दीवार शटरिंग वाले दरवाजे की तरह एक तरफ हटती चली जा रहीं थी ।



"शुक्र है खुदा का ।” विजय बड़बड़ा उठा- "इस काल कोठरी जैेसी जगह पर गेट नम्बर दू तो पता लगा ।



दीवार पूरी तरह हट चुकी थी मगर दीवार की जगह अब कांच नजर आ रहा था । दीवार जितना ही बडा था वह । पूरी तरह पारदर्शी ।



काच के पार अव उन्हें काफी बड़ा हाल नजर जा रहा था। हाल में अनेक किस्म की मशीन लगी थी । एक तरफ़ शानदार सोफे पड़े हुए थे और सामने की तरफ एक पर्दा था !!! ठीक मिनी थियेटर के पर्दे जैसा । उसकी लम्बाई करीब दस फुट और चौडाई आठ फुट थी ।




बेजान वस्तुओं के अलावा हाल में कुछ नहीं था ।



मगर जल्दी ही पर्दे पर चित्र उभरने लगे ।



और चित्र में नजर जाने लगे…नुसरत- तुगलक ।




वे अगल-बगल पड़ी ऊंची पुश्त वाली दो कुर्सियों पर पसरे पड़े थे ।


पैर अपने सामने पडी सेंटर टेबल पर फैला रखे वे । होठों पर मुस्कान लिए उन्ही की तरफ देखते प्रतीत हो रहे थे वे ।




"नुसरत भैया !” पर्दे पर तुगलक कहता नजर आया ।




नुसरत की आवाज वे साफ सुन रहे थे-----" हां तुगलक बहन ।'"


"केैसी रही?”



"क्या कैसी रही?”



"देख नहीं रहे, बड़े-बड़े सूरमा हमारी कैद में हैं ।"



"तो इसमें उतना खुश होने की क्या बात है जितने लोग तब होते हैं जव घर में भैया पैदा हुआ हों?"




" घर में भैया पैदा होने से भी ज्यादा खुशी की वात है मियां । वो जोकर और छटंकी नाक हैं हिन्दुस्तान की । जब नाक ही यहाँ कैद होकर,, रह गई हो तो............



.......... तो हिन्दुस्तान सूंघेंगा कैसे और वो ........ वो अंतर्राष्ट्रीय केंचुया!!!

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