कठपुतली -हिन्दी नॉवल complete
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Re: कठपुतली -हिन्दी नॉवल
गोडास्कर पर जरां भी फर्क नहीं पड़ा । उसके चेहरे पर निश्चिन्तता के ऐसे भाव थे जैसे पता ही न _हो श्वेता इस वक्त भावनाओं के कैसे …चक्रवात से गुजर रही है।
उधर ।।।
विनम्र यूं खड़ा हो गया था जैसे पहला वन डे' खेल रहे किसी खिलाडी को एम्पायर ने पहली गेद पर गलत आउट दे दिया हो । जैसे यकीन न आ रहा हो कि पलक झपकते ही उसके जीवन की सबसे बडी ट्रेजडी हो चुकी है ।
गोडास्कर ने चाकलेट में "बुड़कै' मारा । उसे "चिगलना' शुरू किया और बोला-----" बहना, गोडास्कर को गलत समझ रही हो! गोडास्कर ने जीजू को कातिल नही कहा बल्कि केबल इतना कहा है------जो सवाल जीजू ने खुद उठाया उसका जवाब जीजू को कातिल सिद्ध कर ऱहा है ।"
"अब...... अब जाकर मेरी समझ में तुम्हारी चिकनी-चुपड्री बातो का मतलब अाया है ।" उत्तेजित अवस्था में विनम्र चीखता चला गया---" ठीक कहा है किसी ने । तुम पुलिस वाले न किसी के दोस्त होते हो न रिशतेदार ।। पुलिस बाले तो सिर्फ पुलिस वाले होते है । बाहर भी और घर में भी। सुअर का बाल होता है तुम्हारी आखों में । तुमने देखा श्वेता? देखा तुमने बात किस अंदाज से शुरू की थी इसने और कहां जाकर ख़त्म की । कहता था घर में गोडास्कर इंस्पेक्टर नहीं, केवल गोडास्कर है जबकि भूमिका पूरी तरह इंस्पैक्टर की निभाई ।
ऐसा है तो ऐसा ही सही गोडास्कर, मैं भी मुकाबला करने के लिए तेयार हू। अपनी हवाई कल्पनाओं से तुम मुझे हत्पारा साबित नहीं कर सकते ।"
" बौखलाओ मत जीजू ।" गोडास्कर बड़े आराम से चॉकलेट खा रहा था'---""तर्क बितर्क करते हुए गोडास्कर के साथ जिस निष्कर्ष पर अाप खुद पहुंचे हैं, उसे अब हवाई कह देने से बात हवाई नहीं हो जाती ।"
"ये हवाई कल्पनाएं नहीं तो और क्या हैं? लाश बिज्जू की मिली है, तुम उसके कातिल को तलाश करने की जगह मुझे उसका हत्यारा _ ठहरा रहे हो जिसके बारे में अभी गारंटी से यह तक नहीं कृहा जा सकता कि उसका मर्डर हो गया है ।"
"यहां गोडास्कर आपको एक छोटी-सी-कहानी सुनाने के मूड में आ गया है जीजू"' विनम्र के व्यंग्य पर ध्यान दिए बगैर उसने चौकलेट में एक ओर वुडक मारा और जुगाली-सी करता बोला…" सुईट में किसी बात पर आपके और बिंदुकै बीच झगडा शुरू हो गया । झगड़ा … इतना बढा कि उत्तेजित होकर अापने उसकी हत्या कर दी । इस लाश को देखकर बिज्जू के होश उड़ गए । उस बिज्जू के जो अापके औऱ बिंदू के फोटो खींचने की मंशा से पहले ही सुईट में छुपा बैठा था । कल्पना क्री जा सकती है कि "सोशल सीन की उम्मीद कर रहे बिज्जू की "क्राईम सीन देखकर किस कदर धिग्धी बंधी होगी । हो सकता है पटठे की चीख ही निकल गई हो ।। जैसा भी हुआ मगर हुआ ये कि आपकी नजर उस पर' पड गई अब. . ,आपके पास उसका भी खात्मा कर देने के अलावा . क्रोई विक्रल्प नहीं था।"
"वहुत खूब.. यानी दूसरा मर्डर भी तुमने मेरे ही मत्ये मढ़ दिया?"
"कातिल कातिल होता है जीजू! अपनी गर्दन बचाने के लिए वह -दो क्या, दस मर्डर भी कर सकता है ।" गोडास्कर कहता चला गया…दोनों कल्ल करने के बाद आपको होश आया! सोचा यह आप क्या कर बैठे? मगर, जो हुआ वह हो चुका था । अब तो आपकी कातिल के तरह अपने बचाव का रास्ता सोचना था । सोचना शुरू किया तो पाया लाश अगर सुईट में बरामद हुई तो मैं सीधा-सीधा फंस जाऊंगा । लिफ्टमैन ने, वेटर ने और होटल के सारे स्टाफ ने मुझे और बिंदू को यहां अाते देखा है । नागपाल को भी इस मीटिंग के बारे मालूम है । सारे हालात पर गोर करने के बाद आपका इन सौचों पर पहुचना स्वाभाविक था कि लाशें सुईट से हटा दी जाये । ऐसा कोई 'भी बिन्ह त्त रहने दिया जाए जिससे पता लग सके यहाँ कुछ हुआ है । सुईट की बाकायदा सफाई की । मोती चुने और विज्जू-की लाश लिफ्ट के कुचे में डाल दी । इसी वजह से वह लिफ्ट की छत पर पडी मिली ।"
"अब जरा यह भी बता दो, मैंने बिंदू की लाश का क्या किया?" अंदर से घबराए हुए विनम्र ने अपनी आवाज ने "व्यंग्य" का पुट भरने की भरपूर कोशिश की । "
"बृह भी 'लुढका' दी होनी कहीं! देर-सबेर मिल जाएगी ।"
विनम्र पर कुछ कहते नहीं वन पड़ा । गोडास्कर ने ठीक कहा था-देर-सवेर बिंदू की लाश को भी मिलना तो था ही । इसका मतलब लाश… मिलते ही गोडास्कर उसके हाथो में हथक्रड्री डाल देगा । वह तो लगभग कंफर्म है कि हत्या मैंने ही की है बल्कि हत्या नहीं हत्याएं । उफ्फ! यह कैसे झमेले में फंस गया मैं? यह भी मेरे है द्वारा किया गया सिद्ध हो रहा है जो नहीं किया । किसने किया वह सब? किसने?, सुईट से लाश और मोती गायब किसने किए? किसने सफाईं की और...
बिज्जू का हत्यारा कौन है? यह सब किसी ने क्यों किया?
विनम्र की समझ में कुछ नहीँ आरहा था ।
दिमाग ऐसा लग रहा था जैसे किसी शिकंजे में ज़कड़ा गया हो ।
"क्या हुआ जीजू! आपको तो लकवा ही मार गया । डिस्कसन है बंद कर दिया । इस तरह बाते अागे कैसे बढ़ेगी ?"
"‘डिस्कसन के लिए अब बचा ही क्या है ? सारी वात तो तुम सिद्ध कर चुके हो । मैं हत्यारा हूं । तो ये रहे मेरे हाथ है'' बुरी तरह चीखते हुए विनम्र ने अपने दोनों हाथ उसके सामने फैला दिए---'हथकडी पहनाओं इनमें । बस यही कसर रह गई है । मैं तुम पुलिस वालो क्रो अच्छी तरह जानता हूं । तुम लोग इतने "टेलेन्टिड' होते होो कि चाहो तो चाहे जिस केस में प्रधानमंत्री तक को मुजरिम साबित कर दो । मगर ये हवाई बाते, कल्पना की उड़ान अदालत में नहीँ चलेगी गोडाल्कर !! बहां सुबूतों की ज़रूरत पडेगी! गवाहों की जरूरत पडेगी!
कहां से लाओगे मेरे खिलाफ सबूत और गवाह?"
"वह भी प्रस्तुत कर देता हूं । अागे डिस्कस तो करो । क्या सुबूत चाहिए आपको ?"
"अब मुजे तुमसे कोई डिस्कस नहीं करना । गिरफ्तार कस्ना चाहते हो तो कर लो ।” दडाड़ने के वाद वह श्वेता की तरफ घूमकर बोला --" तुमने देखा श्वेता! देखा तुमने-----एक इंस्पेक्टर किस तरह तुम्हारा भाई बनकर मुझे ठगने की कोशिश कर रहा है?”
"भैया! हो क्या गया है आपको ?" श्वेता मानो पागल हुई जा रहीं थी----" आपने तो विनम्र को हत्यारा सिद्ध कर दिया । अाप मेरे भाई है या दुश्मन?"
"भाई हूं बहना! पक्का भाई ।" गोडास्कर ने चॉकलेट में बुड़क मारा---" तभी तो अाने वाले खतरे से आगाह कर रहा हूं ।"
"आगाह कर रहे हो?"
"और तूं निर्बुद्धी समझ रही है-गोडास्कर जीजू को फंसाने के चक्कर में है । "
हकबकाई श्वेता गोडास्कर की तरफ देखती रह गई वह समझ न पा रही , वह क्या कह रहा है ?"
" एक बार फिर चॉक्लेट चबाता गोडास्कर कहता चला गया--"'इतनी बाते गोडास्कर की खोपडी में सुईट से मोती मिलने के साथ ही आ गई थी मगर बहाँ यह सब नहीं कहा ।। जरा सोच---क्यों नहीं कहा? उन सबके सामने कह देता तो क्या हाल होता जीजूका? अब वता-गोडास्कर तेरा भाई है या दुश्मन?"
विनम्र के मुह में तो पहले ही जुबान नहीं थी । अब श्वेता भी है बेजुबान हो गई ।"
"दिमाग तो तुम्हारे पास भी काफी अच्छा है जीजू! तुम भी सोचो---अपने ये बातें गोडास्कर ने वहां, सबके सामने क्योंं नहीं की ? ये बाते करने के लिए यही जगह क्यो चुनी ?"
गोडास्कर की इस बात ने विनम्र को सोचने पर मजबूर कर दिया । इस एक ही बात से उसे लगा वाकई गोडास्कर यहां इंस्पैक्टर नहीं, श्वेता का भाई है । मगर, विवेक ने तुरन्त एलर्ट किया ---"'गेडास्कर का यह बदला हुआ रुख उससे उगलवाने के लिए एक इंस्पेक्टर का "नया पैतरा' भी हो सकता ।' पूरी तरह सतर्क हो गया वह । गोडास्कर के किसी भी शब्द-जाल में न फंसने का, निश्चय करके बोला----" तो मुझे कातिल मानने, के बावजूद मदद करना चाहते हो ।"
"नहीं जीजू! ऐसा नहीं है ।" उसने कहा---" इतना घटिया पुलिसिया नहीं है गोडास्कर ।"
"तो ये सब बाते बहाँ ना कहकर यहां क्यों कहीं?"
"क्योंकि गोडास्कर जानता है------- जो तर्कों की कसोटी पर सही नजर आ रहा है, वह गलत है । गोडास्कर का "एक्सपीरियेंस' कहता है ऐसा अक्सर हो जाता है ।।। तर्क उस बात को सृही सिद्ध करते नज़र अाने लगते हैं जो अक्सर गलत होती है ।"
" क्या मतलब ?"
"मेरे ख्याल से अाप बेगुनाह हैं ।"
विनम्र उसे देखता रह गया ।
श्वेता की आंखों से आंसू भर अाए । मुह से निकला-"आप सच कह रहें है न भैया ?"
"बिल्कुल सच पगली । कहने के साथ गोडास्कर ने श्वेता को खीचकर अपनी विशालकाय छाती से लगा लिया था । श्वेता का तो मानो बांध टुट पड़ा । उसकी छाती ने मुखड़ा छुपाए बह -फूट फूट कर रो पडी । आंखें गोडस्कर की भी भर आई थी मगऱ उसने जल्दी से चॉकलेट मुंह में ठूंस ली और उसे चबाने के बहाने छलक पडने को तेयार आंसूओं को पी गया।
"ये सव किया है गोडास्कर ।" विनम्र ने कहा---"पल में माशा पल में तोला! कभी कहते हो मैं कातिल हूं , कभी कहते हो नहीं हूं । मेरे साथ आखिर खेल क्या खेल रहे हो तुम?"
"कोई रोल नहीं रोल रहा हूं जीजू! भला गोडास्कर उसके साथ खेल कैसे खेल सकता है जो उसकी नन्ही-सी बहन की जान है । "
गेडास्कर तो केवल यह सिद्ध कर रहा था कि अभी तकृ के हालात आपको और सिर्फ अाप ही को हत्यारा साबित कर रहे हैं मगर......
" मगर ?"
"गोडास्कर की प्रॉब्लम ये है कि पुलिस विभाग में गोडास्कर अतिम अफसर नहीँ है ।केबल इंस्पैक्टर है ।
अफसर गोडास्कर के उपर भी हैं । कल उन सबको भी इस केस की डिटेल पता लगेगी । गोडास्कर से ज्यादा ही दिमागदार हैं वे ।हालात जो कहानी गोडास्कर के दिमाग में सेट कर रहे हैं, ऐसा हो नहीं सकता यहीं कहानी उनके दिमाग से भी सेट न हो जाए ।। ऐसा हो गया तो गोडास्कर की तो बात ही दूर; ऊपर बाला भी जीजू को नहीं बचा सकता ।। होने वाले जीजू को बचाने के इल्जाम में गोडास्कर की वर्दी उतरेगी सो अलग ।"
"इसका क्या हल है? "
"हल केवल एक ही है----गोडास्कर जल्द से जल्द असली कातिल की गर्दन दबोच ले ।"
"तो भैया करो न ऐसा ।"
"उसके लिए जीजू की मदद चाहिए ।"
"भला विनम्र मदद क्यों नहीं करेगा ?" वह विनम्र की तरफ घूमी-"क्यों विनम्र?"
प्यास बुझाई नौकर से Running....कीमत वसूल Running....3-महाकाली ....1-- जथूराcomplete ....2-पोतेबाबाcomplete
बन्धन
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दिल से दिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
तुफानो में साहिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
यूँ तो मिल जाता है हर कोई!
मगर आप जैसे दोस्त नसीब वालों को मिलते हैं!
*****************
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Re: कठपुतली -हिन्दी नॉवल
विनम्र समझ नहीं पा रहा था---गोडास्कर जो कह रहा है 'दिल से' कह रहा है या कोई खेल खेल रहा है । श्वेता की बात अलग थी । बह अपने भाई के साथ भावनाओं में बह गई धी । उसके सबाल के जवाब मैं कहना तो विनम्र को बहीं पड़ा-"अजीब बात है । जब मुझे बेगुनाह साबित करने की कोशिश करेगा तो भला मैं मदद क्यों नहीं करूगा? बेगुनाह तो मुझे ही साबित होना है ? बोला---क्या मदद चाहिए मेरी?
"आप सुईट में बिदू कै साथ कितनी देर रहे ?"
विनम्र पास जवाब तैयार था-किरीब बीस मिनट ।"
"क्या उस बीच अापने बहाँ आपने और बिंदूके अलावा किसी और की मौजूदगी महसूस की?"
"नहीं ।"
सुईट से निगलते वक्त दरवाजा धीरे से बंद किया था या जोर से ?"
"इससे क्या फर्क पड़ता है?"
"गोडास्का यह जानना चाहता है जीजू आपके निकलने के बाद दरवाजा लॉक हो गया था या केवल भिड़ा रह गया था । अच्छी तरह सोचकर, याद करके ज़वाब दो ।"
"दरवाजा मैंने जोर से ही किया था, लॉक हो गया होगा ।"
"इसका मतलब ये हुआ, आपके निकलने के बाद सुईट मे बाहर से तभी दाखिल हुआ जा सकता था जब बिंदू अदर से दरवाजा खोलती ।"
"मेरी समझ में नहीं आ रहा । ये फालतू कै सवाल मुझसे क्यों पूछे जा रहे हैं? " अतत: विनम्र फट ही पड़ा आखिर कैसे इनके जवाब हासिल करके असली हत्यारे तक पहुचा जा सकता है?"
"ताव मत बनाओ जीजू! गोडास्कर यह पता लगाने की कोशिश कर रहा है…आपके बाद सुईट मे जो शख्स गया उसे बिंदू ने खुद बुलाया था या जबरन घुस गया क्योकि सम्भावना उसी के कातिल होने की है ।"
"ताव मत बनाओ जीजू! गोडास्कर यह पता लगाने की कोशिश कर रहा है…आपके बाद सुईट मे जो शख्स गया उसे बिंदू ने खुद बुलाया था या जबरन या जबरन घुस गया क्योंकि सम्भावना उसी के कातिल होने की ।"
"सिर में दर्द हो गया है मेरे! पता नहीं साले को मुझसे क्या दुश्मनी थी जो मुझे इस झमेले_मेँ फसा दिया?"
" यही ! ठीक यहीं लाईन है यह जिस पर गोडास्कर काम कर रहा वह कहता चला गया----"'किसी ने आपको फ़'साने की कोशिश की केशिश की है ।"
विनम्र के दिमाग में विस्फोट-सा हुआ ।
" हां । " विचार कौंधा--- "यही लाईन ठीक है । मुझे इसी लाईन पर काम करना चाहिए । कोई मुझें फंसाने की कोशिश कर रहा है । और बात ठीक तो है । मैंनें सुईट से लाश कब हटाईं? कब बिंदू की माला के मोती चुने ? मेनें कहाँ मारा बिज्जू को ? यह सब तो किसी और ने किंया । न किया होता तो है झमेला इतना न बढ़ता । सीधे--सीधे तरीके से विंदुकी लाश बरामद हो जाती । मैं यह कहकर चुपी साध लेता---" मेरे वापस आने तक बो जिंदा थी ! गोडास्कर हत्यारे की तलाश में हाथ-पैर मारकर रह जाता । लाश गायब न होती तो इस वक्त वे आते ही पेदा न होतीं । जिनके मुताबिक सबसे ज्यादा संदिग्ध मैं हू । गोडास्कर सही लाईन पर सोच रहा है'------लाश और मोती गायब करने वाले ने मुझे फंसाने की केशिश की है! बिज्जू की लाश भी वह मेरे ही गले में लटकानी चाहता है! पर वो है कौन है?"
"क्या सोचने लगे जीजू! " गोडास्कर की आवाज सीधी उसके जहन पर टकराई--""बीच'-बीच में अाप कहां' खो जाते है?"
"ब-बिल्कुल ठीक सोच रहे हो तुम ।" विनम्र अपनी सोचों के 'दायरे से बाहर आया'--"बिल्कुल ठीका यकीनन किसी ने मुझे फंसाने की कोशिश की है ।"
"कौन हो सकता है वह?" "इस बारे मे क्या कह सकता हूं ?"
"नहीं जीजू! इतनी जल्दी जवाब मत दो और. . .इस सवाल को इतने 'हल्केपन' में भी मत लो ।" गोडास्कर ने कहा----“केवल यही यह सबाल है जिसका जवाब आपको हत्यारे के जाल से बचा सकता है । अच्छी तरह सोचकर जवाब दो-------कौन रच सकता है आपकी फ़साने का षडृयंत्र? ऐसे षडृयंत्र केवल दो तरह के लोग रचते है । कोई वहुत वड़ा दुश्मन या वह, जिसे कोई लाम होने वाला हो । दिमाग घुमाओं--आपका इतना बड़ा दुश्मन कौन है? या आपके फंसाने से किसे लाभ हो सकता है?"
"भैया ठीक कह रहे है विनम्र !" श्वेता बोली-----"तुमने कुछ नहीं किया । फिर भी हालात ऐसे हैं जैसे दोनो हत्याएं तुम ने की हो । कौन क्रियेट कर सकता है ऐसे हालात ? कोई तो हे जो फंसाने की केशिश कर रहा है । कौन है वो ? सोची विनम्र-कौन हो सकता है?"
विनम्र को कोई नाम नहीं सुझ रहा था ।
गोडास्कर ने पूछा……"'चक्रथर चौबे के बारे में आपका क्या ख्याल है ?"
"च-चक्रधर चौबे?" विनम्र उछल पड़ा----व -वे तो मेरे मामा हैं ।"
"कंस हो या शकुनी, मामा अक्सर विलेन निकलते हैं ।'"
"पर भैया ।" श्वेता ने कहा-------" वे ऐसा क्यों चाहेंगे?"
"इस सवाल का गोडास्कर के पास सशक्त जवाब है । "
"क-क्या? '"
"विनम्र के बाद 'भारद्वाज कंस्ट्रक्शन कम्पनी ...........
"नहीं !!!!! नहीं?" उत्तेजित अवस्था में विनम्र हलक फाड़कर चीख पड़ा--------ऐसा नहीं हो सकता! श्वेता, अपने भाई से कहो-पुलसिंया उड़ानों में उड़ना बंद करे । इसे नहीं मालूम मामा मुझे कितना चाहते है । उनके बारे में ऐसा सोचना भी पाप है ।।"
"विनम्र ठीक कह रहा है भैया ।" श्वेता बोली…"' मामा इससे बहुत प्यार करते है । वे कभी विनम्र का बुरा नहीं चाह सकते ।"
गोडास्कर के होठों पर ऐसी मुस्कान उभरी जैसे उसकी समझ के मुताबिक वे 'बचकानी' बाते कर हों ।
जेब से एक खजूऱ निकालकर उसने अपने मुह में सरका लिया था ।
चक्रधर चौबे का मोबाईल बजा ।।
जबरदस्त बेचैनी के साथ स्कीन पर स्पार्क कर रहे नम्बर पर नजर डाली । नम्बर पूरी तरह अंजान था । इसके बावंजूद उसने कॉल रिसीव की । हैलो कहते ही दूसरी तरफ़ से कहा गया----"मे बोल रहा हूं ।"
"त-तुम ।। तुम हो कहां ? " चक्रधर चौबे भड़क उठा---"रिपोर्ट क्यों नहीं दी ?"
“बही देने के लिए फोन किया है ।"
"अब । सुबह के ग्यारह बजे ।" वह कुछ और भड़का-----" यह रिपोर्ट तुम्हें कल-रात देनी थी! अपना मोबाईल भी बंद कर रखा या तुमने! रात से सेक्ड़ों बार ट्राई कर चुका हू ।"
दूसरी तरफ से हंसने की आवाज़ अाई । अंदाज ऐसा था जेसे उसकी बेचैनी का मजा लूटा जा रहा हो ।।
" तुम हंस रहे हो ।" चक्रधर चौबे के सारे जिस्म में चिंगारियां सी दौड गई-----"'क्यों हंस रहे हो तुम?"
उसे सुलगा देने वाले अंदाज में कहा---"तुम्हारी बेचैनी पर हंस रहा हूं सेठ ।।"'
"क-क्या मतलब?"
"नीद आ गई थी । कुछ देर पहले ही सोकर उठा है । घडी पर नजर गई तो सोचा तुम मुझसे बात करने के लिए मरे जा रहे होंगे । इसलिए फौरन फोन मिला दिया ।। "
"अजीब आदमी हो! मैं सारी रात एक पल के लिए नहीं सो सका और तुम कहते हो…सो गए थे । इतने बेसुध होकर कि आंखे ही अब खुली । ऐसे काम के बीच भला कोई ऐसी नीद कैसे भी सकता है?”
"क्या करता सेठ? दारू कुछ ज्यादा ही पी गया था । साली खोपडी पर सवार हो गई ।"
"खैर ।...काम हो गया?"
"बो पता लग ही गया होगा तुम्हें! मैंने "आज़ तक' पर देखा है, तुम ने भी देख लिया होगा---पुलिस को सुईट नम्बर सेविन जीरो थर्टीन से कोई लाश नहीं मिली मगर लिफ्ट की छत से एक लाश मिली है । ये चक्कर क्या है सेठ, पिछली रात ओबराय में कितनी लाशे थी ? एक मैं उठा लाया । दूसरी लिफ्ट की छत से मिली है । "आज़ तक' पर लाश देखी भी है मैंने! किसी फोटोग्राफर की बताई जा रही है कहा जा रहा है-----वह कल दोपहर दो बजे से सुईट नम्बर...
"उसे छोडो ?" चक्रधर चौबे ने दूसरी तरफ़ से बोलने वाले की बात काटकर कहा----“ये बताओ-तुमने अपनी लाश का क्या किया !"'
"अपनी लाश?" हंसी पुन: उभरी----"मैं अभी जिंदा हूं सेठ ।।"
" म - मेरा मतलब । विंदु की लाश से है । उसे तो ठिकाने लगा दिया न तुमने?"
"नहीं । "
" क क्यों ? "
"अभी तो बताया-मुझे नींद आ गई थी ।"
"बडे अहमक आदमी हो! लाश को अपने साथ लिए घूम रहे हो । मगर........मगर ऐसा भला तुम कर कैसे सकते हो? लाश को साथ लेकर घूमना क्या मजाक है । उसे फौरन ठिकाने लगा दो ।"
“लगा दूंगा । मगर.......
"मगर?"
" उससे पहले मुझे तुमसे कुछ बातें करनी हैं सेठ ।"
"क्या बातें करनी हैं ? और फिर, बाते तो बाद में भी होती रहैगी ।। सबसे पहले लाश को ठिकाने लगाओ । उसके साथ पकडे गए तो सारे किए धरे पर पानी फिर जाएगा ।"
"कुछ नहीं होगा सेठ ।। लाश मेरे पास है । जब मैं नहीं डर रहा तो तुम क्यों मरे जा रहे हो?"
"क्या बाते करना चाहते हो?"
"फोन पर नहीं हो सकती । यहीं चले आओं ।"
" कहां ?"
"जब फोन रख चुकूं अपने मोबाईल पर नंम्वर देखना । इस नम्बर को डायरेवट्री में तलाश करना । जब मिल जाए तो नम्बर के सामने लिखे एड्रेस पर दौड़े चले अाना मेरा नाम लेते ही तुम्हें मेरे पास पहुचा दिया जाएगा ।" कहने के बाद दुसरी तरफ से चक्रधर चौबे को बोलने का मौका दिए बगैर रिसीवर रख दिया गया ।
चक्रधर चौबे की हालत ऐसी हे गई जैसी पतंग उड़ा रहे बच्चे की हालत अचानक डोर टूट जाने पर होती है ।
" जल्दी से स्क्रीन पर नजर अाता नम्बर पढ़ा । डायरेक्ट्री उठाई ।
नम्बर खोजा!
उसके सामने लिखा एड्रेस एक कागज पर नोट किया और लगभग भागता हुआ-सा "भारद्वाज बिला' के गैरेज में पंहुचा।। अपनी मर्संडीज़ निकाली । अगले मिनट मर्सडीज़ बिला का लोहे बाला गेट क्रास करने के बाद उस एड्रैस की तरफ दौड रही थी जो अजन्ता नामक किसी होटल का था ।
बीस मिनट बाद मर्संडीज अजन्ता होटल के बाहर रुकी ।
"आप सुईट में बिदू कै साथ कितनी देर रहे ?"
विनम्र पास जवाब तैयार था-किरीब बीस मिनट ।"
"क्या उस बीच अापने बहाँ आपने और बिंदूके अलावा किसी और की मौजूदगी महसूस की?"
"नहीं ।"
सुईट से निगलते वक्त दरवाजा धीरे से बंद किया था या जोर से ?"
"इससे क्या फर्क पड़ता है?"
"गोडास्का यह जानना चाहता है जीजू आपके निकलने के बाद दरवाजा लॉक हो गया था या केवल भिड़ा रह गया था । अच्छी तरह सोचकर, याद करके ज़वाब दो ।"
"दरवाजा मैंने जोर से ही किया था, लॉक हो गया होगा ।"
"इसका मतलब ये हुआ, आपके निकलने के बाद सुईट मे बाहर से तभी दाखिल हुआ जा सकता था जब बिंदू अदर से दरवाजा खोलती ।"
"मेरी समझ में नहीं आ रहा । ये फालतू कै सवाल मुझसे क्यों पूछे जा रहे हैं? " अतत: विनम्र फट ही पड़ा आखिर कैसे इनके जवाब हासिल करके असली हत्यारे तक पहुचा जा सकता है?"
"ताव मत बनाओ जीजू! गोडास्कर यह पता लगाने की कोशिश कर रहा है…आपके बाद सुईट मे जो शख्स गया उसे बिंदू ने खुद बुलाया था या जबरन घुस गया क्योकि सम्भावना उसी के कातिल होने की है ।"
"ताव मत बनाओ जीजू! गोडास्कर यह पता लगाने की कोशिश कर रहा है…आपके बाद सुईट मे जो शख्स गया उसे बिंदू ने खुद बुलाया था या जबरन या जबरन घुस गया क्योंकि सम्भावना उसी के कातिल होने की ।"
"सिर में दर्द हो गया है मेरे! पता नहीं साले को मुझसे क्या दुश्मनी थी जो मुझे इस झमेले_मेँ फसा दिया?"
" यही ! ठीक यहीं लाईन है यह जिस पर गोडास्कर काम कर रहा वह कहता चला गया----"'किसी ने आपको फ़'साने की कोशिश की केशिश की है ।"
विनम्र के दिमाग में विस्फोट-सा हुआ ।
" हां । " विचार कौंधा--- "यही लाईन ठीक है । मुझे इसी लाईन पर काम करना चाहिए । कोई मुझें फंसाने की कोशिश कर रहा है । और बात ठीक तो है । मैंनें सुईट से लाश कब हटाईं? कब बिंदू की माला के मोती चुने ? मेनें कहाँ मारा बिज्जू को ? यह सब तो किसी और ने किंया । न किया होता तो है झमेला इतना न बढ़ता । सीधे--सीधे तरीके से विंदुकी लाश बरामद हो जाती । मैं यह कहकर चुपी साध लेता---" मेरे वापस आने तक बो जिंदा थी ! गोडास्कर हत्यारे की तलाश में हाथ-पैर मारकर रह जाता । लाश गायब न होती तो इस वक्त वे आते ही पेदा न होतीं । जिनके मुताबिक सबसे ज्यादा संदिग्ध मैं हू । गोडास्कर सही लाईन पर सोच रहा है'------लाश और मोती गायब करने वाले ने मुझे फंसाने की केशिश की है! बिज्जू की लाश भी वह मेरे ही गले में लटकानी चाहता है! पर वो है कौन है?"
"क्या सोचने लगे जीजू! " गोडास्कर की आवाज सीधी उसके जहन पर टकराई--""बीच'-बीच में अाप कहां' खो जाते है?"
"ब-बिल्कुल ठीक सोच रहे हो तुम ।" विनम्र अपनी सोचों के 'दायरे से बाहर आया'--"बिल्कुल ठीका यकीनन किसी ने मुझे फंसाने की कोशिश की है ।"
"कौन हो सकता है वह?" "इस बारे मे क्या कह सकता हूं ?"
"नहीं जीजू! इतनी जल्दी जवाब मत दो और. . .इस सवाल को इतने 'हल्केपन' में भी मत लो ।" गोडास्कर ने कहा----“केवल यही यह सबाल है जिसका जवाब आपको हत्यारे के जाल से बचा सकता है । अच्छी तरह सोचकर जवाब दो-------कौन रच सकता है आपकी फ़साने का षडृयंत्र? ऐसे षडृयंत्र केवल दो तरह के लोग रचते है । कोई वहुत वड़ा दुश्मन या वह, जिसे कोई लाम होने वाला हो । दिमाग घुमाओं--आपका इतना बड़ा दुश्मन कौन है? या आपके फंसाने से किसे लाभ हो सकता है?"
"भैया ठीक कह रहे है विनम्र !" श्वेता बोली-----"तुमने कुछ नहीं किया । फिर भी हालात ऐसे हैं जैसे दोनो हत्याएं तुम ने की हो । कौन क्रियेट कर सकता है ऐसे हालात ? कोई तो हे जो फंसाने की केशिश कर रहा है । कौन है वो ? सोची विनम्र-कौन हो सकता है?"
विनम्र को कोई नाम नहीं सुझ रहा था ।
गोडास्कर ने पूछा……"'चक्रथर चौबे के बारे में आपका क्या ख्याल है ?"
"च-चक्रधर चौबे?" विनम्र उछल पड़ा----व -वे तो मेरे मामा हैं ।"
"कंस हो या शकुनी, मामा अक्सर विलेन निकलते हैं ।'"
"पर भैया ।" श्वेता ने कहा-------" वे ऐसा क्यों चाहेंगे?"
"इस सवाल का गोडास्कर के पास सशक्त जवाब है । "
"क-क्या? '"
"विनम्र के बाद 'भारद्वाज कंस्ट्रक्शन कम्पनी ...........
"नहीं !!!!! नहीं?" उत्तेजित अवस्था में विनम्र हलक फाड़कर चीख पड़ा--------ऐसा नहीं हो सकता! श्वेता, अपने भाई से कहो-पुलसिंया उड़ानों में उड़ना बंद करे । इसे नहीं मालूम मामा मुझे कितना चाहते है । उनके बारे में ऐसा सोचना भी पाप है ।।"
"विनम्र ठीक कह रहा है भैया ।" श्वेता बोली…"' मामा इससे बहुत प्यार करते है । वे कभी विनम्र का बुरा नहीं चाह सकते ।"
गोडास्कर के होठों पर ऐसी मुस्कान उभरी जैसे उसकी समझ के मुताबिक वे 'बचकानी' बाते कर हों ।
जेब से एक खजूऱ निकालकर उसने अपने मुह में सरका लिया था ।
चक्रधर चौबे का मोबाईल बजा ।।
जबरदस्त बेचैनी के साथ स्कीन पर स्पार्क कर रहे नम्बर पर नजर डाली । नम्बर पूरी तरह अंजान था । इसके बावंजूद उसने कॉल रिसीव की । हैलो कहते ही दूसरी तरफ़ से कहा गया----"मे बोल रहा हूं ।"
"त-तुम ।। तुम हो कहां ? " चक्रधर चौबे भड़क उठा---"रिपोर्ट क्यों नहीं दी ?"
“बही देने के लिए फोन किया है ।"
"अब । सुबह के ग्यारह बजे ।" वह कुछ और भड़का-----" यह रिपोर्ट तुम्हें कल-रात देनी थी! अपना मोबाईल भी बंद कर रखा या तुमने! रात से सेक्ड़ों बार ट्राई कर चुका हू ।"
दूसरी तरफ से हंसने की आवाज़ अाई । अंदाज ऐसा था जेसे उसकी बेचैनी का मजा लूटा जा रहा हो ।।
" तुम हंस रहे हो ।" चक्रधर चौबे के सारे जिस्म में चिंगारियां सी दौड गई-----"'क्यों हंस रहे हो तुम?"
उसे सुलगा देने वाले अंदाज में कहा---"तुम्हारी बेचैनी पर हंस रहा हूं सेठ ।।"'
"क-क्या मतलब?"
"नीद आ गई थी । कुछ देर पहले ही सोकर उठा है । घडी पर नजर गई तो सोचा तुम मुझसे बात करने के लिए मरे जा रहे होंगे । इसलिए फौरन फोन मिला दिया ।। "
"अजीब आदमी हो! मैं सारी रात एक पल के लिए नहीं सो सका और तुम कहते हो…सो गए थे । इतने बेसुध होकर कि आंखे ही अब खुली । ऐसे काम के बीच भला कोई ऐसी नीद कैसे भी सकता है?”
"क्या करता सेठ? दारू कुछ ज्यादा ही पी गया था । साली खोपडी पर सवार हो गई ।"
"खैर ।...काम हो गया?"
"बो पता लग ही गया होगा तुम्हें! मैंने "आज़ तक' पर देखा है, तुम ने भी देख लिया होगा---पुलिस को सुईट नम्बर सेविन जीरो थर्टीन से कोई लाश नहीं मिली मगर लिफ्ट की छत से एक लाश मिली है । ये चक्कर क्या है सेठ, पिछली रात ओबराय में कितनी लाशे थी ? एक मैं उठा लाया । दूसरी लिफ्ट की छत से मिली है । "आज़ तक' पर लाश देखी भी है मैंने! किसी फोटोग्राफर की बताई जा रही है कहा जा रहा है-----वह कल दोपहर दो बजे से सुईट नम्बर...
"उसे छोडो ?" चक्रधर चौबे ने दूसरी तरफ़ से बोलने वाले की बात काटकर कहा----“ये बताओ-तुमने अपनी लाश का क्या किया !"'
"अपनी लाश?" हंसी पुन: उभरी----"मैं अभी जिंदा हूं सेठ ।।"
" म - मेरा मतलब । विंदु की लाश से है । उसे तो ठिकाने लगा दिया न तुमने?"
"नहीं । "
" क क्यों ? "
"अभी तो बताया-मुझे नींद आ गई थी ।"
"बडे अहमक आदमी हो! लाश को अपने साथ लिए घूम रहे हो । मगर........मगर ऐसा भला तुम कर कैसे सकते हो? लाश को साथ लेकर घूमना क्या मजाक है । उसे फौरन ठिकाने लगा दो ।"
“लगा दूंगा । मगर.......
"मगर?"
" उससे पहले मुझे तुमसे कुछ बातें करनी हैं सेठ ।"
"क्या बातें करनी हैं ? और फिर, बाते तो बाद में भी होती रहैगी ।। सबसे पहले लाश को ठिकाने लगाओ । उसके साथ पकडे गए तो सारे किए धरे पर पानी फिर जाएगा ।"
"कुछ नहीं होगा सेठ ।। लाश मेरे पास है । जब मैं नहीं डर रहा तो तुम क्यों मरे जा रहे हो?"
"क्या बाते करना चाहते हो?"
"फोन पर नहीं हो सकती । यहीं चले आओं ।"
" कहां ?"
"जब फोन रख चुकूं अपने मोबाईल पर नंम्वर देखना । इस नम्बर को डायरेवट्री में तलाश करना । जब मिल जाए तो नम्बर के सामने लिखे एड्रेस पर दौड़े चले अाना मेरा नाम लेते ही तुम्हें मेरे पास पहुचा दिया जाएगा ।" कहने के बाद दुसरी तरफ से चक्रधर चौबे को बोलने का मौका दिए बगैर रिसीवर रख दिया गया ।
चक्रधर चौबे की हालत ऐसी हे गई जैसी पतंग उड़ा रहे बच्चे की हालत अचानक डोर टूट जाने पर होती है ।
" जल्दी से स्क्रीन पर नजर अाता नम्बर पढ़ा । डायरेक्ट्री उठाई ।
नम्बर खोजा!
उसके सामने लिखा एड्रेस एक कागज पर नोट किया और लगभग भागता हुआ-सा "भारद्वाज बिला' के गैरेज में पंहुचा।। अपनी मर्संडीज़ निकाली । अगले मिनट मर्सडीज़ बिला का लोहे बाला गेट क्रास करने के बाद उस एड्रैस की तरफ दौड रही थी जो अजन्ता नामक किसी होटल का था ।
बीस मिनट बाद मर्संडीज अजन्ता होटल के बाहर रुकी ।
प्यास बुझाई नौकर से Running....कीमत वसूल Running....3-महाकाली ....1-- जथूराcomplete ....2-पोतेबाबाcomplete
बन्धन
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दिल से दिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
तुफानो में साहिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
यूँ तो मिल जाता है हर कोई!
मगर आप जैसे दोस्त नसीब वालों को मिलते हैं!
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बन्धन
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Re: कठपुतली -हिन्दी नॉवल
यह एक औसत दर्जे का होटल था । चक्रधर रिसेप्शन पर पहुंचा । यहाँ एक भदृदी-सी औरत बैठी थी ।
चक्रधर ने जब कहा---"मुझे 'मनसब' से मिलना है ।" तो औरत ने है आवाज़ देकर करीब पन्द्रह वर्षीय लडके को बुलाया । उससे कहा…"साहब को रूम नम्बर आठ में ले जा ।"
" मैं खुद चला जाऊंगा ।" कहने कै बाद चक्रधर चौबे आगे बढ़ गया ।
अगले दो मिनट बाद वह उस बंद कमरे की कमरे की वैल वजा रहा था " जिसकी चौखट पर 'आठ' लिखा था ।
बंद दरवाजा खुला! मनसब उसके सामने था । वह, जिसका कद किसी भी तरह छ: फूट दो इंच से कम नहीं था । अपने कद के अनुपात मे काफी पतला था वह । इस कारण 'बल्ली' जैसा लगता था । चेहरे पर करीने से तराशी गई दाढी थी । बावजूद इसके दोनों गालो की उभरी हुई हडिृडयां साफ़ नजर अाती थीं । आंखें बहुत छोटी--छोंटी थी । ऐसी चमक थी उनमे जैसी सर्प की आंखों में होती है । नाक तोते जैसी थी । होठ पतले । कान बड़े-वड़े । कुल मिलाकर वह एक कूर शख्स लगता था ।
चक्रधर चौबे पर नजर पड़ते ही एक तरफ हटता बोला---"आओ सेठ । आओ-- आ जाओ ।। "
चक्रधर अदर दाखिल हुआ । एक ही नजर में उसने सारा कमरा टंटोल डाला । पूछा--'" कहां है ?"
" क्या?" मनसब ने दरवाजा बंद करके चटकनी चढा दी ।
"लाश !"
"'आराम से बैठो । तुम तो जरूरत से कुछ ज्यादा ही बेचैन नजर आरहे हो।"
"बात ही बेचैनी की है । अभी तक लाश को अपने साथ लिए घूम रहे हो । भला ये भी कोई समझदारी हुई"'
"तुम्हारे हिसाब से बेवकूफी हो सकती है सेठ मेरे हिसाब से समझदारी है ।"
"क्या मतलब?"
"बताता हू।" कहने के बाद डबलवेड के सिरहाने की तरफ बढा उसके हाथ-पेर और अंगुलियां…सब कुछ लम्बे-लम्बे थे । सिरहाने के नजदीक ग्रे कलर की एक वहुत बडी अटैंची रखी थी । मनसव उसके नजदीक बैठा और फिर एक झटके से उसका ढक्कन उठा दिया ।
चक्रधर हडवड़ा गया ।
अपने मुंह से निकलने के लिए बेताब चीख को बड़ी मुश्किल से रोका ।
भयाक्रांत आंखें अटैची पर जमी रह गई थी बल्कि यह कहा जाए तो ज्यादा मुनसिब होगा------आखें बिदू की लाश पर जमी हुई थी । वह उकडू हालत में थी । देखने मात्र से पता लगता था--लाश को घुटने और क्रोहनियां मोड़कर उसे अटैची मे जबरदस्ती ठूंसा गया है । चेहरा दोनों घुटनों के बीच ठूंसा हुआ था ।।
चक्रधर चौबे के जिस्म में झुरझुरी-सी दौड़ गई ।।
" प--प्लीज ।" बह कह उठा-“इसे बंद-कर दो ।"
"क्यों सेठ ।।" मनसब इस तरह हंसा कि चक्रधर पर खौफ हावी होगया । अटैची को बंद करने की कोई भी केशिश किए वगेर वह खड़ा होता हुआ बोला------" एक सेकण्ड पहले तक तो लाश देखने के लिए मरे जा रहे थे । अगले सेकण्ड इसे देखकर मेरे जा रहे हो । डरो मत । जिन्दा व्यक्ति दूसरे व्यक्ति का सब कुछ बिगाड़ सकता है मगर लाश,कुछ नहीं बिगाड़ सकती ।"
" मेरी समझ में नहीं आरहा, तुम अभी तक इसे लिए क्यो घूम रहे हो ?"
"क्योंकि पहले नहीं समझ सका था लाश इतनी कीमती है ।। "
" मतलब?"
"एकदम साफ है सेठ ।" कहने के साथ मनसब ने अपनी जेब से जर्दायुक्त-गुटखा निकाला ।। उसका कौना फाड़ा ।सारा मसाला एकही बार मुंह में डालने के बाद बौला-" नांवां दुगना लगेगा ।"
" दुगना ?"
" जितना तय हुआ था उसका डबल।"
"यानी चार लाख ?"
" अच्छा है ! तुम्हें तय की रकम याद है ।"
" पर मनसब ये बात उसूल के खिलाफ है ।"
"कौंनं सा उसूल? "
"तुम्हारे धंधें का उसूल । मैंने सुना है तुम लोग एक बार जौ रकम कुबूल कर लेते हो.......
'"वेसा तब होता है सेठ जब सोचने का मोका मिला हो । जर्दा चबाता मनसब उसकी बात काटकर कहता चला गया'--"रकम सोच समझकर मांगी गई हो । मुझे सोचने का तुमने मौका ही नहीं दिया ।
गलती तुम्हारी है । तुमने रात के ठीक दस बजे मेरे मोबाईल पर फोन किया । कहा---" होटल ओबराय के सुइट नम्बर सेविन जीरो थटींन में एक लाश पडी है । किसी की भी जानकारी में लाये बगैर उसे बहां से हटाना है । मैं हकवका गया । लोग कत्ल तो कराते हैं मुझसे मगर ऐसा काम पहली बार करा रहा था । यानी कि कतंल हुए व्यक्ति की लाश तो घंटनास्थल से गायब करने का काम । मेरे मुंह से "दो लाख' अाए, वही कह दिया । `तुमने वगैर हील-हुज्जत किए रकम कबूल कर ली और कहा…“यह काम अभी इसी वक्त होना चाहीए । कैसे करोगे?"
मैंने कहा-"फिलहाल केवल इतना करो, होटल की सातवीं मंजिल पर किसी फ़र्जी नाम से एक कमरा बूक करा दो । पैर रखने की जगह तो मिले । बाद में स्रोचूंगा क्या कैसे करना है ।'
तुमने कहा…"'ठीक्र है अमरसिंह नाम से कमरा बुक करा देता हूं । रूम नम्बर रिसेप्शन से मालूम कर लेना । मेने पूछा-'-""रकम कब और कैसे मिलेगी? तुमने कहा -- "तुम्हारे लिए अजनबी तो हूं नहीं । काम होने के बाद 'कंस्ट्रक्शन कम्पनी' के मेरे अाफिस मे अाकर चाहे जब ले जाना ।' मैने बात कुबूल करली । इसके वावजूद कबूल कर ली कि हम लोगों का ' उसूल आधी रकम काम से पहले लेने का है । इस उसूल की याद दिलाकर मैं तुम्हें उस आधी रकम देने के लिए मजदूर कर सकता था मगर नहीं किया । यह सोचकर नहीं किया कि. व्यर्थ ही "मेरा सेठ' मुसीबत मे पड़ जाएगा । टाईम उस वक्त वैसे ही तुम्हारे पास जहर खाने तक का नहीं था। तुम्हारी मुसीबत को मैंने अपनी मुसीबत समझा और लग गया यह सोचने मे की भरेपूरे फाईव स्टार होटल के सुईट में पडी लाश को सबकी नजरों से बचाकर कैसे निकाला जा सकता । यह काम आसान नहीं था । सेठ ! मेरे अलावा किसी और की सौपते तो शायद वह कर भी नहीं पाता! तो तरकीब ही मेरे दिमाग में ऐसी अा गई कि काम साला काम ही नहीं लगा । ये अटैची लेकर पहुंच गया ओबराय के रिसेप्शन पर । अपना नाम 'अमरसिंह' बताया । उन्होंने रूम नंबर सेबिन जीरो सेबिन्टीन मे पहुंचा दिया । वेटर के जाते ही मैंने अपना कमरा बंद किया और अटैची सम्भाले सुइट की तरफ बढ गया । गेलरी में मोजूद इंचार्ज और होटल के दूसरे स्टाफ़ की नजरों से खुद को बचाने के लिए क्या-क्या पापड बेलने पड़े, उनके बारे में विस्तार से बताने लगा तो शाम, हो जाएगी इसलिए शॉर्ट में यूं समझो-सबकी आंखो में धुल झौकता सुईट के दरवाजे पर पहुच गया ।।।।
आंख 'की-होल' से सटाई । इन मोहतरमा की लाश सामने ही पड्री थी । एक बार फिर कहूंगा सेठ-------अगर यह काम तुमने किसी मर्डर सोशलिस्ट को सौंपा होता तो किसी हालत में सम्पन्न नहीं हो सकता था । दरवाजा लॉक था । और मर्डर सोशलिस्ट भले ही आदमी को भुर्ता बना सकते हो मगर बगैर चाबी के लॉक नहीं खोल सकते । और 'लॉक' खोले बगैर यह काम नहीं हो सकता था । शुक्र मनाओ-आदमियों का क्रियाकर्म करने में माहिर बनने से पहले मनसब नाम का यह बंदा चोरियां करने का उस्ताद माना जाता था ।
अपने उसी फ़न के इस्तेमाल से मैंने लॉक खोता । सुईट में पहुचा । लाश सुटकेस में ठूंसी । गनीमत थी तव तक इस मोहतरमा को मरे ज्यादा वक्त नहीं गुजरा था अर्थात् लाश अकड्री नहीं थी । वैसा हो गया होता तो इसे सूटकेस में ठूंसना नामुमकिन हो जाता है । उसके बाद मेने लाश के चारों तरफ बिखरे मोती चुने ।"
"म-मोती'-"' चक्रधर चौबे के मुंह से यहीं एक लफ्ज निकला ।
" "हां सेठ ! मोती! इसी मोहतरमा की माला के मोती थे वे । हालाकि तुमने यह काम नहीं सौपा था । केवल लाश को सुईट से निकाल कर कहीं ठिकाने लगाने की बात कहीं थी मगर मोती मैंने खुद चुने । अपनी खोपडी से यह सोचकर चुने कि जव वे पुलिस को बरामद हो गए तो शायद तुम्हारा वहां से लाश को हटवाने का मकसद ही खत्म हो जाएगा ।"
चक्रधर चौवे को अपनी 'भूल का एहसास हुआ ।
ठीक ही कह रहा था मनसब उसने खुद भी लाश के चारों तरफ बिखरे मोती देखे थे परन्तु मनसब से लाश के साथ उन मोतियों को भी हटाने के बारे में कहना भूल गया था । यह टाईम ही ऐसा या । दिमाग पर हड़बड़ाहट हावी थी । जितना सूझ गया वह काफी था । सारे हालात पर गोर करने के वाद वह बोला----"छोटी-छोटी बाते नहीं बताई जाती मनसब| जव मैंने लाश हटाने का काम सौपा था तो जाहिर था-------मैं किसी को वहाँ हुए मर्डर की भनक नहीं लगने देना चाहता । अपने विवेक से तुमने मोती हटाने का काम करके ठीक ही किया ।"
"मेने केवल मोती ही नहीं हटाए हैं सेठ । अच्छी तरह सफाई भी की है । अब कोई माई का लाल यदि खुर्दबीन लेकर भी वहां का निरीक्षन करेगा तो ताड नहीं सकेगा तुमने वहाँ इस मोहतरमा का क्रियाकर्म किया है ।।
"म--मैंने!" हलक से निकले इस लफ्ज के साथ चक्रधर चौबे का मुंह सूख गया ।
" तुम तो यूं उछल रहे हो सेठ जैसे इसका क्रियाकर्म तुमने नहीं मेने ‘ कियाहो । मर्डर करना आसान है । मुश्किल उसके बाद कै हालात है से जूझना है । खेर, भला तुम्हें इन बातों का क्या एक्सपीरियेस हो सकता था । मेरे ख्याल से तुम्हारा यह पहला ही काम है । तभी तो अभी तक चेहरे की दोनों सुईयां बारह पर अटकी पड़ी है । मर्डर कर तो दिया तुमने लेकिन उसके बाद बूरी तरह घबरा गए । मुश्किल काम' मुझे सौप दिया । इससे तो बेहतर होता मर्डर ही मुझसे करा लेते ।"
चक्रधर ने जब कहा---"मुझे 'मनसब' से मिलना है ।" तो औरत ने है आवाज़ देकर करीब पन्द्रह वर्षीय लडके को बुलाया । उससे कहा…"साहब को रूम नम्बर आठ में ले जा ।"
" मैं खुद चला जाऊंगा ।" कहने कै बाद चक्रधर चौबे आगे बढ़ गया ।
अगले दो मिनट बाद वह उस बंद कमरे की कमरे की वैल वजा रहा था " जिसकी चौखट पर 'आठ' लिखा था ।
बंद दरवाजा खुला! मनसब उसके सामने था । वह, जिसका कद किसी भी तरह छ: फूट दो इंच से कम नहीं था । अपने कद के अनुपात मे काफी पतला था वह । इस कारण 'बल्ली' जैसा लगता था । चेहरे पर करीने से तराशी गई दाढी थी । बावजूद इसके दोनों गालो की उभरी हुई हडिृडयां साफ़ नजर अाती थीं । आंखें बहुत छोटी--छोंटी थी । ऐसी चमक थी उनमे जैसी सर्प की आंखों में होती है । नाक तोते जैसी थी । होठ पतले । कान बड़े-वड़े । कुल मिलाकर वह एक कूर शख्स लगता था ।
चक्रधर चौबे पर नजर पड़ते ही एक तरफ हटता बोला---"आओ सेठ । आओ-- आ जाओ ।। "
चक्रधर अदर दाखिल हुआ । एक ही नजर में उसने सारा कमरा टंटोल डाला । पूछा--'" कहां है ?"
" क्या?" मनसब ने दरवाजा बंद करके चटकनी चढा दी ।
"लाश !"
"'आराम से बैठो । तुम तो जरूरत से कुछ ज्यादा ही बेचैन नजर आरहे हो।"
"बात ही बेचैनी की है । अभी तक लाश को अपने साथ लिए घूम रहे हो । भला ये भी कोई समझदारी हुई"'
"तुम्हारे हिसाब से बेवकूफी हो सकती है सेठ मेरे हिसाब से समझदारी है ।"
"क्या मतलब?"
"बताता हू।" कहने के बाद डबलवेड के सिरहाने की तरफ बढा उसके हाथ-पेर और अंगुलियां…सब कुछ लम्बे-लम्बे थे । सिरहाने के नजदीक ग्रे कलर की एक वहुत बडी अटैंची रखी थी । मनसव उसके नजदीक बैठा और फिर एक झटके से उसका ढक्कन उठा दिया ।
चक्रधर हडवड़ा गया ।
अपने मुंह से निकलने के लिए बेताब चीख को बड़ी मुश्किल से रोका ।
भयाक्रांत आंखें अटैची पर जमी रह गई थी बल्कि यह कहा जाए तो ज्यादा मुनसिब होगा------आखें बिदू की लाश पर जमी हुई थी । वह उकडू हालत में थी । देखने मात्र से पता लगता था--लाश को घुटने और क्रोहनियां मोड़कर उसे अटैची मे जबरदस्ती ठूंसा गया है । चेहरा दोनों घुटनों के बीच ठूंसा हुआ था ।।
चक्रधर चौबे के जिस्म में झुरझुरी-सी दौड़ गई ।।
" प--प्लीज ।" बह कह उठा-“इसे बंद-कर दो ।"
"क्यों सेठ ।।" मनसब इस तरह हंसा कि चक्रधर पर खौफ हावी होगया । अटैची को बंद करने की कोई भी केशिश किए वगेर वह खड़ा होता हुआ बोला------" एक सेकण्ड पहले तक तो लाश देखने के लिए मरे जा रहे थे । अगले सेकण्ड इसे देखकर मेरे जा रहे हो । डरो मत । जिन्दा व्यक्ति दूसरे व्यक्ति का सब कुछ बिगाड़ सकता है मगर लाश,कुछ नहीं बिगाड़ सकती ।"
" मेरी समझ में नहीं आरहा, तुम अभी तक इसे लिए क्यो घूम रहे हो ?"
"क्योंकि पहले नहीं समझ सका था लाश इतनी कीमती है ।। "
" मतलब?"
"एकदम साफ है सेठ ।" कहने के साथ मनसब ने अपनी जेब से जर्दायुक्त-गुटखा निकाला ।। उसका कौना फाड़ा ।सारा मसाला एकही बार मुंह में डालने के बाद बौला-" नांवां दुगना लगेगा ।"
" दुगना ?"
" जितना तय हुआ था उसका डबल।"
"यानी चार लाख ?"
" अच्छा है ! तुम्हें तय की रकम याद है ।"
" पर मनसब ये बात उसूल के खिलाफ है ।"
"कौंनं सा उसूल? "
"तुम्हारे धंधें का उसूल । मैंने सुना है तुम लोग एक बार जौ रकम कुबूल कर लेते हो.......
'"वेसा तब होता है सेठ जब सोचने का मोका मिला हो । जर्दा चबाता मनसब उसकी बात काटकर कहता चला गया'--"रकम सोच समझकर मांगी गई हो । मुझे सोचने का तुमने मौका ही नहीं दिया ।
गलती तुम्हारी है । तुमने रात के ठीक दस बजे मेरे मोबाईल पर फोन किया । कहा---" होटल ओबराय के सुइट नम्बर सेविन जीरो थटींन में एक लाश पडी है । किसी की भी जानकारी में लाये बगैर उसे बहां से हटाना है । मैं हकवका गया । लोग कत्ल तो कराते हैं मुझसे मगर ऐसा काम पहली बार करा रहा था । यानी कि कतंल हुए व्यक्ति की लाश तो घंटनास्थल से गायब करने का काम । मेरे मुंह से "दो लाख' अाए, वही कह दिया । `तुमने वगैर हील-हुज्जत किए रकम कबूल कर ली और कहा…“यह काम अभी इसी वक्त होना चाहीए । कैसे करोगे?"
मैंने कहा-"फिलहाल केवल इतना करो, होटल की सातवीं मंजिल पर किसी फ़र्जी नाम से एक कमरा बूक करा दो । पैर रखने की जगह तो मिले । बाद में स्रोचूंगा क्या कैसे करना है ।'
तुमने कहा…"'ठीक्र है अमरसिंह नाम से कमरा बुक करा देता हूं । रूम नम्बर रिसेप्शन से मालूम कर लेना । मेने पूछा-'-""रकम कब और कैसे मिलेगी? तुमने कहा -- "तुम्हारे लिए अजनबी तो हूं नहीं । काम होने के बाद 'कंस्ट्रक्शन कम्पनी' के मेरे अाफिस मे अाकर चाहे जब ले जाना ।' मैने बात कुबूल करली । इसके वावजूद कबूल कर ली कि हम लोगों का ' उसूल आधी रकम काम से पहले लेने का है । इस उसूल की याद दिलाकर मैं तुम्हें उस आधी रकम देने के लिए मजदूर कर सकता था मगर नहीं किया । यह सोचकर नहीं किया कि. व्यर्थ ही "मेरा सेठ' मुसीबत मे पड़ जाएगा । टाईम उस वक्त वैसे ही तुम्हारे पास जहर खाने तक का नहीं था। तुम्हारी मुसीबत को मैंने अपनी मुसीबत समझा और लग गया यह सोचने मे की भरेपूरे फाईव स्टार होटल के सुईट में पडी लाश को सबकी नजरों से बचाकर कैसे निकाला जा सकता । यह काम आसान नहीं था । सेठ ! मेरे अलावा किसी और की सौपते तो शायद वह कर भी नहीं पाता! तो तरकीब ही मेरे दिमाग में ऐसी अा गई कि काम साला काम ही नहीं लगा । ये अटैची लेकर पहुंच गया ओबराय के रिसेप्शन पर । अपना नाम 'अमरसिंह' बताया । उन्होंने रूम नंबर सेबिन जीरो सेबिन्टीन मे पहुंचा दिया । वेटर के जाते ही मैंने अपना कमरा बंद किया और अटैची सम्भाले सुइट की तरफ बढ गया । गेलरी में मोजूद इंचार्ज और होटल के दूसरे स्टाफ़ की नजरों से खुद को बचाने के लिए क्या-क्या पापड बेलने पड़े, उनके बारे में विस्तार से बताने लगा तो शाम, हो जाएगी इसलिए शॉर्ट में यूं समझो-सबकी आंखो में धुल झौकता सुईट के दरवाजे पर पहुच गया ।।।।
आंख 'की-होल' से सटाई । इन मोहतरमा की लाश सामने ही पड्री थी । एक बार फिर कहूंगा सेठ-------अगर यह काम तुमने किसी मर्डर सोशलिस्ट को सौंपा होता तो किसी हालत में सम्पन्न नहीं हो सकता था । दरवाजा लॉक था । और मर्डर सोशलिस्ट भले ही आदमी को भुर्ता बना सकते हो मगर बगैर चाबी के लॉक नहीं खोल सकते । और 'लॉक' खोले बगैर यह काम नहीं हो सकता था । शुक्र मनाओ-आदमियों का क्रियाकर्म करने में माहिर बनने से पहले मनसब नाम का यह बंदा चोरियां करने का उस्ताद माना जाता था ।
अपने उसी फ़न के इस्तेमाल से मैंने लॉक खोता । सुईट में पहुचा । लाश सुटकेस में ठूंसी । गनीमत थी तव तक इस मोहतरमा को मरे ज्यादा वक्त नहीं गुजरा था अर्थात् लाश अकड्री नहीं थी । वैसा हो गया होता तो इसे सूटकेस में ठूंसना नामुमकिन हो जाता है । उसके बाद मेने लाश के चारों तरफ बिखरे मोती चुने ।"
"म-मोती'-"' चक्रधर चौबे के मुंह से यहीं एक लफ्ज निकला ।
" "हां सेठ ! मोती! इसी मोहतरमा की माला के मोती थे वे । हालाकि तुमने यह काम नहीं सौपा था । केवल लाश को सुईट से निकाल कर कहीं ठिकाने लगाने की बात कहीं थी मगर मोती मैंने खुद चुने । अपनी खोपडी से यह सोचकर चुने कि जव वे पुलिस को बरामद हो गए तो शायद तुम्हारा वहां से लाश को हटवाने का मकसद ही खत्म हो जाएगा ।"
चक्रधर चौवे को अपनी 'भूल का एहसास हुआ ।
ठीक ही कह रहा था मनसब उसने खुद भी लाश के चारों तरफ बिखरे मोती देखे थे परन्तु मनसब से लाश के साथ उन मोतियों को भी हटाने के बारे में कहना भूल गया था । यह टाईम ही ऐसा या । दिमाग पर हड़बड़ाहट हावी थी । जितना सूझ गया वह काफी था । सारे हालात पर गोर करने के वाद वह बोला----"छोटी-छोटी बाते नहीं बताई जाती मनसब| जव मैंने लाश हटाने का काम सौपा था तो जाहिर था-------मैं किसी को वहाँ हुए मर्डर की भनक नहीं लगने देना चाहता । अपने विवेक से तुमने मोती हटाने का काम करके ठीक ही किया ।"
"मेने केवल मोती ही नहीं हटाए हैं सेठ । अच्छी तरह सफाई भी की है । अब कोई माई का लाल यदि खुर्दबीन लेकर भी वहां का निरीक्षन करेगा तो ताड नहीं सकेगा तुमने वहाँ इस मोहतरमा का क्रियाकर्म किया है ।।
"म--मैंने!" हलक से निकले इस लफ्ज के साथ चक्रधर चौबे का मुंह सूख गया ।
" तुम तो यूं उछल रहे हो सेठ जैसे इसका क्रियाकर्म तुमने नहीं मेने ‘ कियाहो । मर्डर करना आसान है । मुश्किल उसके बाद कै हालात है से जूझना है । खेर, भला तुम्हें इन बातों का क्या एक्सपीरियेस हो सकता था । मेरे ख्याल से तुम्हारा यह पहला ही काम है । तभी तो अभी तक चेहरे की दोनों सुईयां बारह पर अटकी पड़ी है । मर्डर कर तो दिया तुमने लेकिन उसके बाद बूरी तरह घबरा गए । मुश्किल काम' मुझे सौप दिया । इससे तो बेहतर होता मर्डर ही मुझसे करा लेते ।"
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Re: कठपुतली -हिन्दी नॉवल
चक्रधर चौबे को कहने के लिए कुछ सूझा नहीं ।।।
जबकि अपनी घुन में मस्त मनसब.जर्दा चबाता एक बार फिर कहता चला गया------" ये जो सारी रामायण मैंने तुम्हें सुनाईं है, यह समझाने के लिए सुनाई है कि दो लाख लाश को वहा से हटाकर कहीं ओऱ ठिकाने लगाने के तय हुये थे ।। तुम्हें फंसने से बचाने के लिए नहीं जबकि किया मैंने यही है । मोती चुन लाया हू वहां से । सफाई कर आया हूं । चार लाख पक्के हुये के नहीं ?"
"ठीक है ।" चक्रधर ने कोई हील-हुज्जत नहीं की----" मैं तुम्हें चार लाख रुपये दूगा मगर...........
लाश कभी किसी को मिलनी नहीं चाहिए ।"
" नहीं मिलेगी सेठ । खुद खुदा भी ढूंठेगा तो नहीं मिलेगी ।" चार लाख की सम्भावित कमाई ने मनसब की छोटी--छोटी आँखों में जगमगाहट-पैदा कर दी थी…"मैं इसे पाताल में उतार दूंगा।। होलिका मेया की तरह जलाकर राख करदूगा । मगर किसी की नजरो में नहीं अाने दूंगा । चाहो तो एक सौदा ओंर हो सकते हो ।
"कैसा सौदा?"
" इतने सबके बावजुद अगर पुलिस को पता लग जाता है कि ये मोहतरमा दूनिया से गारत हो चुकी हैं और पुलिस के हाथ तुम्हारी गर्दन की तरफ़ बढने लगते हैं तो मैं अपनी गर्दन पेश कर सकता हू।"
" म-मतलब?"
"कुबूल कर सकता हूँ कि यह हत्या मैंने की है । रुपये पूरे दस लाख लगेंगे ।"
चक्रधर चौबे का चेहरा पीला पड़ गया…" क्या अब भी इस बात की सम्भावना है !"
"कोई सम्भावना नही है सेठ । वर्तमान हालात पर गौर किया जाए तो दूर -- दूर तक कोई सम्भावना नहीं है मगर. .
"फिर मगर?" चक्रधंर चौबे का दिल थाड़-धाड़ कर रहा था । "
" तुम उस शख्स को नहीँ जानते जिसका नाम गोडास्कर है । मैं . . उसकी फितरत से अच्छी तरह वाकिफ़ हूं । कईं वार पाला पड चुका है । जेम्स बांड हो या शर्लाक होम्स -----सबकी मौत के बाद पेश हुआ है वह इसलिए उसमें सभी वे गुण समाए हुए है है पटृठा वहां "फावड़ा' घूसेड़ देता है जहां सुई के घुसने तक की जगह नहीं होती । कहने का मतलब ये-भले ही इस वक्त हमे सारा मामला 'फुल प्रूफ नजर आ रहा है । मगर गोडास्कर इसमें 'छेद' करके तुम्हारी गर्दन ,तक पहुंचने का टेलेन्ट रखता है । उन्ही हालात की बात कर रहा हूं । अगर कुछ होता है तो मैं इस मोहतरमा की हत्या करनी कूबुल कर लूगा । दस लाख मेरे पास जेल में पहूंचा देना ।।।
" जब फांसी हो जाएगी तो रुपये तुम्हारे किस काम'आएंगे?"
मनसब हँसा । हंसकर बोला-"'फांसी से तुम सेठ लोग डरते हो सेठ, मनसब जैसे खेले खाए क्रिमिनल्स नहीं डरते । इसलिए नहीं . डरते क्योकि जानते हैं कानून में आटा छानने की छलनी से भी ज्यादा छेद है ।।। दमखम वाले फ्रिमिनल्स को ज्यादातर को फांसी तो क्या
छोटीमोटी सजा तक नही दे पाता । किसी न किसी से छेद से निकल कर हम कानून की पकड़ से बहुत दूर चले जाते है । खेर, ये बातें शायद तुम्हारी समझ मे नहीं अाएंगी । तुम्हारे समझने के लिए फिलहाल इतना काफी है कि तुम्हें केवल दस लाख देने होगे, जिसकी तुम्हारे लिए कोई खास अहमियत नहीं है, ऐसा आदमी मिल रहा है जो तुम्हरे द्वारा किए गए मर्डर को अपने सिर लेने को तैयार है । बोलो-सौदा मंजूर है या नहीं ?"
" मेरे ख्यालं से तो ऐसी नौबत हो नहीं अाएगी ।"
"'मैं नौबत आने के वाद की बात कर रहा हूं ।"
"ठीक है ।"' चक्रधर चौबे को कहना पडा----" यदि बैसा कुछ हुआ तो दस लाख दूंगा ।"
"ओं.के. वस इसीलिए बुलाया था तुम्हें ।" मनसब की आंखे सौ सौ के बल्बों में तब्दील हो गई थी-------" अब घर जाओ! जितनी व्हिस्की पी सकते हो पीकर चेन से सो जाओ । बैसे भी तुमने खुद बताया ----साऱी रात भी नहीं सके । भूल जाओ तुमने इसका मर्डर क्रिया है । इस लाश को भी भुल जाओ । अब मैं इसे ठिकाने लगाने के बाद तुमहारे आफिस में मिलुगा । "
"इसके पास एक मोबाईल ही था ।"
"अब मेरे पास है।"
"तुम्हारे पास?"
"'फिक्र मत करो । इतंनी अक्ल मुझमें है कि अब उसे इस्तेमाल नहीं करना है । फोन को भी लाश के साथ ठिकाने लगा दूगा ।"
" तो मैं चलूं ?"
" फिलहाल जो जेब में है बह झटको । काम को अंजाम देने में जरूरत पड़ेगी ।।।
मारिया सांस लेने के लिए रुकी थी ।
"उसके बाद?" उस शख्स ने पूछा जिसका कद किसी मी हालत मैं चार फुट से ज्यादा नहीं था ।
"में साढे अाठ बजे ओबराय पहुंची ।" सिगरेट में कश लगाने के बाद मारिया ने पुन: कहना शुरू किंया--"सेबिन्थ फ्लोर पर पहुचने के लिए लिफ्ट का इस्तेमाल नहीं किया ।"
" क्यों ?"' एक लम्बी और बेहद सुदर लड़की ने पूछा ।
"नहीं चाहती थी कोई मेरे उस फ्लोर तक पहुचने का गवाह हो । लिफ्ट का इस्तेमाल करने की सूरतृ मे लिफ्टमेन की नजरो मे अा सकती धी !
सुन्दर और लम्बी लड़की की बडी-बडी आंखों में आश्चर्य उभर ' अाया--.--'"तुम सीढियों के जरिए सेबिन्थ फ्लोर पर पहुची?”
"दूसरा चारा ही क्या था?"
"तुमने तो कमाल कर दिया दीदी ।"
" मेरे भारी शरीर को देखते हुए यह काम दुस्साहस ही था मगर करना पडा! बूरी तरह हाफ़ गई थी मैं । बीच-बीच में कई जगह सीढियों पर बैठना पड़ा ।दिल में लगन हो तो आदमी हर काम कर सकता है ।"
"मगरा" चार फुटा बोला------'"मेरी समझ में नहीं आ रहा,तुमने ऐसा किया क्यों ?"
"कैसा ?"
"जब बिज्जूने अपनी हमराज ही नहीं, पार्टनर बना लिया था । कहा था-खींचने के बाद सीधा तुम्हारे पास अाएगा ।.तो ओबराय जाने की क्या ज़रुरत थी?"
"मुझे उसके कहे पर यकीन नहीं था ।"
" "मतलब ।"
“पूरा शक था-वह "वे" बाते केवल तभी तक कह रहा है जब तक फक्कड़ है । एक बार यह इत्म हो गया कि वह सचमुच मोटा नावां पीटने के बेहद नजदीक है तो पूछेगा भी नहीं मैं कहाँ पडी हूं । भला उस हालत में वह मुझ मोटी थुलघुल को धास डालता भी क्यों? उसके लिए तो एक से एक सुन्दरी के दरवाजे खुल जाने थे ।"
चार फूटे ने साफ कहा-----" मेरे ख्याल से तुम झूठ बोल रही हो साली साहिबा ।"
""यानी?"
"हकीकत ये है, तुम ही उसे अपना पार्टनर बनाने के लिए तेयार नहीं थी ।" नाटा कहता चला गया-"तुम उसके द्वारा खींचे गए फोटो अपने कब्जे में लेकर सारा खेल अपने हाथों में समेटने का प्लान वना चुकी थी ।"
" अगर समझ ही गए तो स्वीकार करती हूं सच्चाई यहीं थी ।"
"मेरे ख्याल से ठीक भी यही था ।। बिब्लू पार्टनर बनने लायक था भी नहीं । वस एक ही टेलेन्ट था उसमें-फोटोग्राफी । बाकी सव कमियां ही कमियां थी ।।। दारु. पीकर बह दस जनों के बीच अपने कारनामों का बखान कर सकता था और इस किस्म के कामो में ऐसी मैं बेवकूफीयां जान जोखिम में डाल देती हैं ।
"मैं तुमसे सहमत हूं नाटे ।"
'" आगे तो बताओ ।" क्रिस्टी ब्रोली-तुम सेविन्थ फ्लोर पर पहुच गई । उसके बाद क्या हुआ"'
"संयोग से सेविन जीरो थर्टीन चौड़ी सीढी के सामने था । दरवाजे पर लिखे नम्बर पढते ही मे ठिठकी खडी रह गई उस पर नजर रखने के लिए वह जगह सबसे उपयुक्त लगी । पहली वात-वहाँ से सुईट के दरवाजे पर आसानी से नजर 'रखी जा सकती थी ।
दूसरी बात - जहां मैं थी वहां किसी के द्वारा देख ली जाने का खतरा नही था फ्लोर से सेबिन्थ फ्लोर तक सीढियों पर मूझे आदमी तो क्या चिडिया का बच्चा तक नहीं मिला । कस्टमर्स की तौ बात है दूर, फाईव स्टार के वेटर तक लिफट के इतने आदी हो चुके होते है कि एक फ्लोर केलिए भी सीढियों का इस्तेमाल करते उनकी नानी मरती है । मेरी समझ में नहीं जाता-----"फाइव स्टार होटलों में सीढियां वनाइ ही क्यों जाती हैं?''
"इस सवाल में मत उलझो । यह बताओं वहां छुपी रहकर तुमने क्या देखा? "
" मैं नौ बजने से एक मिनट पहले बहाँ पहुंच गई थी । नौ बजे के आसपास दरवाजा खुला । सूअर की थूथनी जैस शख्स बाहर आया ।
वह लिफ्ट नम्बर फोर की तरफ चला गया दरवाजा वापस बंद होगया था । ठीक नौ बजकर आठ मिनट पर जब एक खूबसूरत नौजवान ने सुईट की बैल बजाई तो मैं समझ गई यह विनम्र । दरवाजा विंदु ने खोला था । वह अंदर चला क्या । दरवाजा पुन: बंद हो क्या । अब _ मैं समझ सकती बी, सुईट में वही सब हो रहा होगा जिसके लिए विनम्र को बुलाया गया था । और विज्जू फोटो खीच रहा होगा वे फोटो जो मुझे मालामाल कर देने वाले थे मगर उस वक्त मेरे सारे ख्वाबो पर बिजली गिर पडी जब केवल तीस मिनट में दरवाजा खुला और विनम्र बाहर आ गया । मेरी सोचो के मुताबिक उसे इतनी जल्दी बाहर नहीं अाना चाहिए था । वह काम इतनी जल्दी खत्म नहीं हो सकता था जिसके लिए उसे बुलाया गया था । तो क्या सुईट में वह सब हुआा ही नहीं? अगर कुछ हुआ ही नहीं था तो विज्जु, फोटो क्या खीचें होगे? मुझे सारी मेहनत पर पानी फिरता नजर जा रहा था । यदि उसी वक्त बिज्जू पर नजर न पड़ जाती तो पूरी तरह निराश हो चली थी ।"
"क्या मतलब"
"मुश्किल से पांच मिनट बाद दरवाजा एक बार फिर खुला । इस बार बिज्जू बाहर आया । उसके चेहरे पर नजर पड़ते ही मेरी सारी शंकाएं हबा हो गई । थोड़ा घबराया जरूर था वह मगर चेहरे पर कामयाबी की चमक थी । माहोल ही ऐसा था कि थोडी घबराहट तो उस पर हावी होनी ही थी परन्तु चेहरे की चमक जता रही थी-----उसे जो चाहिए था, मिल गया था । इसका मतलब विनम्र और बिंदू के बीच तीस मिनट में ही वह चुका था जिसके फोटुओं की कीमत करोडों में थी ।
जबकि अपनी घुन में मस्त मनसब.जर्दा चबाता एक बार फिर कहता चला गया------" ये जो सारी रामायण मैंने तुम्हें सुनाईं है, यह समझाने के लिए सुनाई है कि दो लाख लाश को वहा से हटाकर कहीं ओऱ ठिकाने लगाने के तय हुये थे ।। तुम्हें फंसने से बचाने के लिए नहीं जबकि किया मैंने यही है । मोती चुन लाया हू वहां से । सफाई कर आया हूं । चार लाख पक्के हुये के नहीं ?"
"ठीक है ।" चक्रधर ने कोई हील-हुज्जत नहीं की----" मैं तुम्हें चार लाख रुपये दूगा मगर...........
लाश कभी किसी को मिलनी नहीं चाहिए ।"
" नहीं मिलेगी सेठ । खुद खुदा भी ढूंठेगा तो नहीं मिलेगी ।" चार लाख की सम्भावित कमाई ने मनसब की छोटी--छोटी आँखों में जगमगाहट-पैदा कर दी थी…"मैं इसे पाताल में उतार दूंगा।। होलिका मेया की तरह जलाकर राख करदूगा । मगर किसी की नजरो में नहीं अाने दूंगा । चाहो तो एक सौदा ओंर हो सकते हो ।
"कैसा सौदा?"
" इतने सबके बावजुद अगर पुलिस को पता लग जाता है कि ये मोहतरमा दूनिया से गारत हो चुकी हैं और पुलिस के हाथ तुम्हारी गर्दन की तरफ़ बढने लगते हैं तो मैं अपनी गर्दन पेश कर सकता हू।"
" म-मतलब?"
"कुबूल कर सकता हूँ कि यह हत्या मैंने की है । रुपये पूरे दस लाख लगेंगे ।"
चक्रधर चौबे का चेहरा पीला पड़ गया…" क्या अब भी इस बात की सम्भावना है !"
"कोई सम्भावना नही है सेठ । वर्तमान हालात पर गौर किया जाए तो दूर -- दूर तक कोई सम्भावना नहीं है मगर. .
"फिर मगर?" चक्रधंर चौबे का दिल थाड़-धाड़ कर रहा था । "
" तुम उस शख्स को नहीँ जानते जिसका नाम गोडास्कर है । मैं . . उसकी फितरत से अच्छी तरह वाकिफ़ हूं । कईं वार पाला पड चुका है । जेम्स बांड हो या शर्लाक होम्स -----सबकी मौत के बाद पेश हुआ है वह इसलिए उसमें सभी वे गुण समाए हुए है है पटृठा वहां "फावड़ा' घूसेड़ देता है जहां सुई के घुसने तक की जगह नहीं होती । कहने का मतलब ये-भले ही इस वक्त हमे सारा मामला 'फुल प्रूफ नजर आ रहा है । मगर गोडास्कर इसमें 'छेद' करके तुम्हारी गर्दन ,तक पहुंचने का टेलेन्ट रखता है । उन्ही हालात की बात कर रहा हूं । अगर कुछ होता है तो मैं इस मोहतरमा की हत्या करनी कूबुल कर लूगा । दस लाख मेरे पास जेल में पहूंचा देना ।।।
" जब फांसी हो जाएगी तो रुपये तुम्हारे किस काम'आएंगे?"
मनसब हँसा । हंसकर बोला-"'फांसी से तुम सेठ लोग डरते हो सेठ, मनसब जैसे खेले खाए क्रिमिनल्स नहीं डरते । इसलिए नहीं . डरते क्योकि जानते हैं कानून में आटा छानने की छलनी से भी ज्यादा छेद है ।।। दमखम वाले फ्रिमिनल्स को ज्यादातर को फांसी तो क्या
छोटीमोटी सजा तक नही दे पाता । किसी न किसी से छेद से निकल कर हम कानून की पकड़ से बहुत दूर चले जाते है । खेर, ये बातें शायद तुम्हारी समझ मे नहीं अाएंगी । तुम्हारे समझने के लिए फिलहाल इतना काफी है कि तुम्हें केवल दस लाख देने होगे, जिसकी तुम्हारे लिए कोई खास अहमियत नहीं है, ऐसा आदमी मिल रहा है जो तुम्हरे द्वारा किए गए मर्डर को अपने सिर लेने को तैयार है । बोलो-सौदा मंजूर है या नहीं ?"
" मेरे ख्यालं से तो ऐसी नौबत हो नहीं अाएगी ।"
"'मैं नौबत आने के वाद की बात कर रहा हूं ।"
"ठीक है ।"' चक्रधर चौबे को कहना पडा----" यदि बैसा कुछ हुआ तो दस लाख दूंगा ।"
"ओं.के. वस इसीलिए बुलाया था तुम्हें ।" मनसब की आंखे सौ सौ के बल्बों में तब्दील हो गई थी-------" अब घर जाओ! जितनी व्हिस्की पी सकते हो पीकर चेन से सो जाओ । बैसे भी तुमने खुद बताया ----साऱी रात भी नहीं सके । भूल जाओ तुमने इसका मर्डर क्रिया है । इस लाश को भी भुल जाओ । अब मैं इसे ठिकाने लगाने के बाद तुमहारे आफिस में मिलुगा । "
"इसके पास एक मोबाईल ही था ।"
"अब मेरे पास है।"
"तुम्हारे पास?"
"'फिक्र मत करो । इतंनी अक्ल मुझमें है कि अब उसे इस्तेमाल नहीं करना है । फोन को भी लाश के साथ ठिकाने लगा दूगा ।"
" तो मैं चलूं ?"
" फिलहाल जो जेब में है बह झटको । काम को अंजाम देने में जरूरत पड़ेगी ।।।
मारिया सांस लेने के लिए रुकी थी ।
"उसके बाद?" उस शख्स ने पूछा जिसका कद किसी मी हालत मैं चार फुट से ज्यादा नहीं था ।
"में साढे अाठ बजे ओबराय पहुंची ।" सिगरेट में कश लगाने के बाद मारिया ने पुन: कहना शुरू किंया--"सेबिन्थ फ्लोर पर पहुचने के लिए लिफ्ट का इस्तेमाल नहीं किया ।"
" क्यों ?"' एक लम्बी और बेहद सुदर लड़की ने पूछा ।
"नहीं चाहती थी कोई मेरे उस फ्लोर तक पहुचने का गवाह हो । लिफ्ट का इस्तेमाल करने की सूरतृ मे लिफ्टमेन की नजरो मे अा सकती धी !
सुन्दर और लम्बी लड़की की बडी-बडी आंखों में आश्चर्य उभर ' अाया--.--'"तुम सीढियों के जरिए सेबिन्थ फ्लोर पर पहुची?”
"दूसरा चारा ही क्या था?"
"तुमने तो कमाल कर दिया दीदी ।"
" मेरे भारी शरीर को देखते हुए यह काम दुस्साहस ही था मगर करना पडा! बूरी तरह हाफ़ गई थी मैं । बीच-बीच में कई जगह सीढियों पर बैठना पड़ा ।दिल में लगन हो तो आदमी हर काम कर सकता है ।"
"मगरा" चार फुटा बोला------'"मेरी समझ में नहीं आ रहा,तुमने ऐसा किया क्यों ?"
"कैसा ?"
"जब बिज्जूने अपनी हमराज ही नहीं, पार्टनर बना लिया था । कहा था-खींचने के बाद सीधा तुम्हारे पास अाएगा ।.तो ओबराय जाने की क्या ज़रुरत थी?"
"मुझे उसके कहे पर यकीन नहीं था ।"
" "मतलब ।"
“पूरा शक था-वह "वे" बाते केवल तभी तक कह रहा है जब तक फक्कड़ है । एक बार यह इत्म हो गया कि वह सचमुच मोटा नावां पीटने के बेहद नजदीक है तो पूछेगा भी नहीं मैं कहाँ पडी हूं । भला उस हालत में वह मुझ मोटी थुलघुल को धास डालता भी क्यों? उसके लिए तो एक से एक सुन्दरी के दरवाजे खुल जाने थे ।"
चार फूटे ने साफ कहा-----" मेरे ख्याल से तुम झूठ बोल रही हो साली साहिबा ।"
""यानी?"
"हकीकत ये है, तुम ही उसे अपना पार्टनर बनाने के लिए तेयार नहीं थी ।" नाटा कहता चला गया-"तुम उसके द्वारा खींचे गए फोटो अपने कब्जे में लेकर सारा खेल अपने हाथों में समेटने का प्लान वना चुकी थी ।"
" अगर समझ ही गए तो स्वीकार करती हूं सच्चाई यहीं थी ।"
"मेरे ख्याल से ठीक भी यही था ।। बिब्लू पार्टनर बनने लायक था भी नहीं । वस एक ही टेलेन्ट था उसमें-फोटोग्राफी । बाकी सव कमियां ही कमियां थी ।।। दारु. पीकर बह दस जनों के बीच अपने कारनामों का बखान कर सकता था और इस किस्म के कामो में ऐसी मैं बेवकूफीयां जान जोखिम में डाल देती हैं ।
"मैं तुमसे सहमत हूं नाटे ।"
'" आगे तो बताओ ।" क्रिस्टी ब्रोली-तुम सेविन्थ फ्लोर पर पहुच गई । उसके बाद क्या हुआ"'
"संयोग से सेविन जीरो थर्टीन चौड़ी सीढी के सामने था । दरवाजे पर लिखे नम्बर पढते ही मे ठिठकी खडी रह गई उस पर नजर रखने के लिए वह जगह सबसे उपयुक्त लगी । पहली वात-वहाँ से सुईट के दरवाजे पर आसानी से नजर 'रखी जा सकती थी ।
दूसरी बात - जहां मैं थी वहां किसी के द्वारा देख ली जाने का खतरा नही था फ्लोर से सेबिन्थ फ्लोर तक सीढियों पर मूझे आदमी तो क्या चिडिया का बच्चा तक नहीं मिला । कस्टमर्स की तौ बात है दूर, फाईव स्टार के वेटर तक लिफट के इतने आदी हो चुके होते है कि एक फ्लोर केलिए भी सीढियों का इस्तेमाल करते उनकी नानी मरती है । मेरी समझ में नहीं जाता-----"फाइव स्टार होटलों में सीढियां वनाइ ही क्यों जाती हैं?''
"इस सवाल में मत उलझो । यह बताओं वहां छुपी रहकर तुमने क्या देखा? "
" मैं नौ बजने से एक मिनट पहले बहाँ पहुंच गई थी । नौ बजे के आसपास दरवाजा खुला । सूअर की थूथनी जैस शख्स बाहर आया ।
वह लिफ्ट नम्बर फोर की तरफ चला गया दरवाजा वापस बंद होगया था । ठीक नौ बजकर आठ मिनट पर जब एक खूबसूरत नौजवान ने सुईट की बैल बजाई तो मैं समझ गई यह विनम्र । दरवाजा विंदु ने खोला था । वह अंदर चला क्या । दरवाजा पुन: बंद हो क्या । अब _ मैं समझ सकती बी, सुईट में वही सब हो रहा होगा जिसके लिए विनम्र को बुलाया गया था । और विज्जू फोटो खीच रहा होगा वे फोटो जो मुझे मालामाल कर देने वाले थे मगर उस वक्त मेरे सारे ख्वाबो पर बिजली गिर पडी जब केवल तीस मिनट में दरवाजा खुला और विनम्र बाहर आ गया । मेरी सोचो के मुताबिक उसे इतनी जल्दी बाहर नहीं अाना चाहिए था । वह काम इतनी जल्दी खत्म नहीं हो सकता था जिसके लिए उसे बुलाया गया था । तो क्या सुईट में वह सब हुआा ही नहीं? अगर कुछ हुआ ही नहीं था तो विज्जु, फोटो क्या खीचें होगे? मुझे सारी मेहनत पर पानी फिरता नजर जा रहा था । यदि उसी वक्त बिज्जू पर नजर न पड़ जाती तो पूरी तरह निराश हो चली थी ।"
"क्या मतलब"
"मुश्किल से पांच मिनट बाद दरवाजा एक बार फिर खुला । इस बार बिज्जू बाहर आया । उसके चेहरे पर नजर पड़ते ही मेरी सारी शंकाएं हबा हो गई । थोड़ा घबराया जरूर था वह मगर चेहरे पर कामयाबी की चमक थी । माहोल ही ऐसा था कि थोडी घबराहट तो उस पर हावी होनी ही थी परन्तु चेहरे की चमक जता रही थी-----उसे जो चाहिए था, मिल गया था । इसका मतलब विनम्र और बिंदू के बीच तीस मिनट में ही वह चुका था जिसके फोटुओं की कीमत करोडों में थी ।
प्यास बुझाई नौकर से Running....कीमत वसूल Running....3-महाकाली ....1-- जथूराcomplete ....2-पोतेबाबाcomplete
बन्धन
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दिल से दिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
तुफानो में साहिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
यूँ तो मिल जाता है हर कोई!
मगर आप जैसे दोस्त नसीब वालों को मिलते हैं!
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बन्धन
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दिल से दिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
तुफानो में साहिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
यूँ तो मिल जाता है हर कोई!
मगर आप जैसे दोस्त नसीब वालों को मिलते हैं!
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- Joined: 18 Dec 2014 12:09
Re: कठपुतली -हिन्दी नॉवल
पहले बिज्जू लिफ्ट की तरफ़ वढ़ा फिर अचानक सीढियों की तरफ बढ़ा । मुझे लगा यह भी मेरी तरह खुद को सबकी नजरों से छुपाने की मंशा के तहत संढियों का इस्तेमाल करेगा ।। मेरां हाथ जेब से पहुच गया । अपना काम करने के लिए पूरी तरह तैयार हो चुकी थी । मगर तभी मैंने देखा बिज्जू नीचे जाने की जगह सीढियों पर चढता चला गया । यह बात मेरी समझ में बिल्कुल नहीं अाई । वह ऊपर क्यों जा रहा है । काम ख़त्म करने के बाद तो नीचे जाना चाहिए था । उसके पीछे मैंने भी जल्दी-ज़ल्दी सीढियां चढ़नी शुरू कर दी।। आठवें माले पर पहुंचकर _ देखा वह लिफ्ट नम्बर पांच की तरफ़ बढ रहा था । यदि एक बार लिफ्ट में सवार हो जाता तो उसे मेरी पकड से दूर निकल जाना था । इसलिए तेज़ कदमों के साथ लपकी । लिफ्ट के नजदीक पहुंचते-पहुँचते यह मेरे कदमों की आवाज सुन चुका था । घबराकर घूमा । मुझ पर नजर पडते ही हैरान रह गया ।। मुंह से निक्ला'--“त'-तू-तू यहां?"
"काम हो गया विज्जू ?" मैं लपककर उसके नजदीक पहुंच गई ।।
"काम तो हो गया ऐसा हुआ है कि हम करोडों नहीं अरबों कमा सकते हैं ।। " खुश होने के बावजूद वह गुर्राया- तू यहां क्या कर रही है?"
"घबरा मैं भी रही थी मगर घवंराने से सारे मंसूबों पर पानी फिर सकता था ।" मारिया कहती चली गई--सोचने-समझने या सतर्क. हो जाने का मैंने उसे कोई मौका नहीं दिया । बिजली की सी गति से अपना हाथ स्कर्ट की जेब से निकाला । अगले पल रेशमं की मजबूत डोरी का फंदा बिज्जू की पतली गर्दन में था । उसके सारे चेहरे पर हैरानी के भाव थे । एक ही बात कह पाया वह…"मारिया ये तू क्या कर’रही है?" मगर मुझ पर तो जुनून सवार था । दोनो हाथों से रेशम की मज़बूत डोरी के दोनों सिरे पक्रड़े कसती चली गई विज्जू की आवाज उसके हलक में घूट गई चेहरा लाल सूर्ख हो गया । हैरत से फ़टी आखें कटोरियों से बाहर कूदने को तैयार थी । बिज्जू गर्म रेत पर पड्री मछली की मानिन्द फड़फड़ा रहा था । मगर कब तक? कब तक फड़फड़ता वह ।। जल्दी ही ढीला पड़ गया । और जव मुझे यकीन हो गया वह मर चुका है तो एक साथ अपने दोनों हाथ रेशम की डोरी से हटा लिए । विज्जू की लाश 'धुम्म' की आवाज के साथ मेरे कदमों में गिरी ।" इतना कहकर मारिया चुप हो गई लम्बी-लम्बी सांसे ले रही थी वहा ।।। यूं जेसे मीलों लम्बी रेस लगाने के बाद अभी-अभी यहां पहुची हो ।
चेहरे पर खौफ़ के भाव थे । " … वेसे ही भाव क्रिस्टी और नाटे के चेहरों पर भी है ।
मारिया के बैडरुम ने सन्नाटा छाया रहा ।
वेहद पैना सन्नाटा ।"
बिज्जू की हत्या की कल्पना मात्र ने उन्हें ज़ड़वत कर दिया था ।।
करीब एक मिनट बाद नाटा कह सका-दृ-“तो बिज्जू को तुमने मारा है ?"
"मैंने मारा है? मतलब ! यह सब बताने के बाद यह सवाल पूछने का क्या औचित्य रह गया ?"
" यह सवाल नहीं पूछ रहा, लोग पूछ रहे है । मीडिया पूछ रहा ।"
"मैं समझी नहीं ।"
" स्टार प्लस पर न्यूज देखकर आ रहा हूं नाटे ने कहा---" उस पर ओबराय के ही सोन दिखाए जा रहे थे । बिज्जू की लाश दिखाई जा रही थी । हर तरफ़ एक ही सवाल था----उसका मर्डर किसने किया है? पत्रकारों द्वारा पु्छू जा रहे इस सवाल का पुलिस के पासस कोई जवाब नहीं था है उस वक्त सोच भी नहीं सकता था । वह कारनामा तुम्हारा हो सकताहै ।"
"मगर दीदी ।" खूबसूरत लड़की ने कहा'----"हिम्मत बहुत की तुमने । किसी की हत्या करना, यह भी सार्वजनिक स्थल पर बहुत कलेजे का काम है ।"
"करना पड़ता है क्रिस्टी! सामने जब करोडों चमक रहे हो तो हिम्मत अपने आप पैदा हो जाती है । वैसे भी मुझे मालूम था पतले-दुबले बिज्जू में मेरे मुकाबले कोई दम नहीं है । एक वार उसे दबोच लूंगी तो हजार कोशिशों के बावजूद गिरफ्त से नहीं निकल सकेगा । इस हकीकत ने भी मेरा हौंसला बढाया था ।"
"इसका मतलब तुमने अचानक उसकी हत्या नहीं कर दी ।"’ नाटे ने कहा'--"'बल्कि गई ही पूरा प्लान बनाकर थी । पहले ही सोच लिया धा…उसे बहीं खत्म करके रील अपने कब्जे में कर लेनी है ।।
" कबूल कर चुकी हूं रेशम की डोरी लेकर गई थी । क्या इसके बाद भी इसमें कोई शक रह गया कि मैंने जो किया पूरी योजना बनाने के बाद किया ।"
"मगर. . .तुमने उसका खात्मा सार्वजनिक स्थल पर करने का खतरा क्यों उठाया?"
''मतलब ?"
"बाद में अर्थात् अागे चलकर किसी स्पॉट पर वह भले ही तुम्हें आखें दिखाने की कोशिश करता मगर जहां, तक मेरा ख्याल है---ओंबराय से सीधा तुम्हारे ही पास अाता । यहां । यहां! यहाँ तुम्हारे लिए उसका खात्मा करना ज्यादा आसान था इसके मुकाबले तुम्हारे द्वारा ओबराय की गैलरी चुना जाना. . . ।"
" यह तुम्हारा ख्याल है नाटे, मेरा ख्याल ऐसा नहीं था । अगर उसकी हत्या यहां, अपने बेडरूम में करती तो सोचो-मेरे सामने अगली समस्या उसकी लाश को ठिकाने लगाना होती । उसे अगर मेरे पास अाते कोई देख भी सकता था । उसके गायब होने पर इस बात को उड़ने से मैं रोक-नहीं सकती थी कि सबसे अंत मे उसे मारिया बार में देखा गया था । वह "उडती" खबर पुलिस को मुझ तक पहुचा सकती थी । जबकि अब न तो मेरे सामने उसकी लाश को ठिकाने लगाने की समस्या है । न ही पुलिस के मुझ तक पहुंचने का खौफ ।"
"वाकई! सब कुछ बहुत सफाई से हो गया है ।"
"खुद नहीं हो गया नाटे, किया है मैंने ।"
"ऐसा ही सही ।" बह हंसा जिसका चेहरा लम्बे से ज्यादा चोडा था । गाल फूले हूए । माथा छोटा । नाक गोभी के पकोड़े जैसी और कान छोटे-छोटे । आंखें सामान्य मगर भवे बेहद घनी थी । ऐसी कि चेहरे पर वे ही वे नजर अाती थीं उसके हाथ पैर बाकी शऱीर की तरह छोटे-छोटे ही थे ।
कुल मिलाकर उसे एक बदसूरत शख्स कहा जा सकता था । जबकि क्रिस्टी उसके ठीक उलट थी ।।
पांच फुच पांच इंच लम्बी । गदराए जिस्म बाली । गोरी । सुतवां नाक कमानीदार भवें । पतले होठ ।। चोडा मस्तक और खुले बाल कंधों पर फैले हुये थे ।।।
पति - पत्नी वे कहीं से नहीं लगते थे ।
मगर थे ।
भगवान ही जाने कैसे ।।
कैसे क्रिस्टी ने उसे अपना पति स्वीकार कर लिया ??
कुछ देर खामोशी के बाद नाटे ने कहा'-…-"इसका मतलब करोडों उगलने वाले फोटो अब तुम्हारे कब्जे में है ! "
"करोडों की क्या बिसात है ।" मारिया ने कहा--"होशयाऱी से काम ले तो अरबो कमा सकते हैं ।"
"ऐसा?''
" बिल्कुल ऐसा ही है ।"
" क्यों ?"
" कोई भी अरबपति शख्स खुदको बदनामी से बचाने केलिए करोडो तो खर्च कर सकता है, अरबों नहीं?"
" मारिया ने रहस्यमय मुस्कान के साथ कहा-"'फा'सी से बचने के लिए तो कर सकता है ।"
"फांसी से ?"' नाटा चौंका…"फासी की बात कहाँ से आ गई?"
"आएगी ।" उसने अपने एक-एक शब्द पर जोर दिया----" जब मैं पूरी बात बता चुकूगी तो आ जाएगी ।"
नाटे ने उसे ध्यान से देखा । कहा-----"अब तुम रहस्यमय होती जारही हो साली साहिबा।"
"यह पूछो---"मेने तुम दोनो को ही क्यों बुलाया ?" मारिया मुस्काई ।
"वाकई सवाल ऐसा है जो मेरे द्वारा काफी पहले पूछ लिया जाना चाहिए था । जब सब कुछ तुमने अकेले इतनी सफाई से निपटा लिया है । पुलिस के भी यहां पहुचने की कोई उम्मीद नहीं है । तो अरबों की होने वाली कमाई में शामिल करने के लिए हमें क्यों बुला लिया? आगे का काम भी तुम अकेली ही निपटा सकती थीं ।"
"क्रिस्टी मेरी बहन है! तुन बहनोई । प्यार करती हू तुमसे । सोचा------" मैं अमीर बनने बाली हूं तो तुम्हें भी अमीर होना चाहिए ।। एक बार फिर कहूंगी-अगर होशियारी से काम लिया तो माल इतना मिलने वाला है कि मुझ अकेली की तो बात ही-छोड़ दो । तीनों मिलकर अपने हजार-हजार हाथो से सारे जीवन लुटाते रहैं तब भी खत्म नहीं होगा । नाटे, क्रिस्टी मेरी छोटी वहन है । छोटी बहन वेटी समान होती है । एक मां की तरह मैंने भी यह सोचा---मुझे हासिल होने वाली रकम में मेरी वेटी और 'दामाद' का भी हिस्सा है । इसलिए तुम दोनो को बुलाकर सारी बातें बताई । मैंने गलत तो नहीं सोचा?"
नाटे ने बगैर भावुक हुए पूछा--" कोई और कारण?"
"हां एक दूसरा कारण भी है ।"
"वह क्या?"
मुझे लगा के-बखेड़ा ज्यादा वड़ा है । शायद मैं अकेली नहीं सम्भाल सकुंगी ।।
"मुझे तो नहीं लगता ऐसा ।। जिसमें सार्वजनिक स्थल पर मर्डर कर देने की हिम्मत है उसके करने के लिए आगे अब बचा ही क्या है?
ब्लेकमेल ही तो करना है विनम्र को! वह विंदुकै साथ अपने फोटो देखते ही मुहमांगी रकम देने को तैयार हो जाएगा ।"
"बात इतनी-सी होती तो शायद मेरे दिमाग में तुम्हें बुलाने का ख्याल नहीं अाता ।"
"क्या मतलब ?"
"बात इससे कहीं ज्यादा बडी है ।” बेहद विस्फोटक!"
"क्या पहेलियां बुझा रही हो साली साहिबा । मेरी समझ में कुछ नहीं आ रहा ।।"
"समझाती हूं । " कहने के साथ वह सोफे से उठी और हाथी की सुंड जैसी टागों के ऊपरी हिस्से पर मौजूद तरबूज जैसे 'कूल्हों' को मटकाती स्टोर की तरफ बढ़ गई ।। स्टोर का दरवाजा खुला होने के बावजूद क्रिस्टी और नाटा देख नहीं पा रहे थे वह अंदर क्या कर रही है ?"
दोनों की नजरें मिली ।
चारों अाखों में सवाल ही सवाल थे । जवाव किसी ने नहीं ।
नाटे ने पैकिट उठाकर एक सिगरेट सुलगा ली ।
पहला ही कश लिया था कि मारिया स्टोर से बाहर निकलती नजर अाई । उसके हाथो में कुछ फोटो थे । क्रिस्टी और नाटा समझ गए फोटो वही हैं जिनके लिए बिज्जू को वेकुण्ड यात्रा पर रवाना होना पड़ा ।।।
सेन्टर टेबल के नजदीक पहुंच कर मारीया ने फोटो उस पर डाल दिये!!!
सबसे ऊपर वहीँ फोटो था जिसमे विनम्र बिंदू की गर्दन दबाता नजर आ रहा था । "
"अरे । " बुरी तरह चोंकता हुआ यह एक मात्र शब्द क्रिस्टी और नाटे के मुंह से एक साथ निकला । वरवस ही दोनों के हाथ फोटो उठाने के लिए टेबल की तरफ लपके मगर कामयाब नाटा हुआ ।। वह ज़ल्दी-जल्दी एक के बाद एक फोटो देखता चला जा रहा था । क्रिस्टी उस पर झुकी हुई थी । दोनों की हालत ऐसी हो गई थी जैसे फोटोओ को देखकर मारिया की हुई थी । उस मारिया की जो अब उस सदमे उबर चुकी थी ।।।
जिस सदमे से क्रिस्टी और नाटा गुजर रहे थै । वे अभी फोटुओ में ही घुसे थे जबकि मारिया नई सिगरेट सुलगाने के बाद इत्मीनान से सामने वाले सोफे पर बैठती हुईं वोली-" इन फोटुओ को देखने के बाद मुझ पर यह भेद खुला कि विनम्र तीस मिनट बाद सुईट से क्यो निकल अाया था? तुम समझ सकते हो----दो अजनबियो के बीच केवल तीस मिनट में वह नहीं हो सकता जिसके लिए विनम्र को वहां वुलाया गया था, मगर यह हो सकता है जो हुआ, जिस की गवाही ये दे रहे हैं ।"
“फ-फोटो तो यह कह रहे हैँ…बिनम्र ने बिंदू की हत्या कर दी ।" क्रिस्टी का लहजा खौफ़ और हैरानी के बीच हिचकोले खा रह्म था।
"और फोटो झूठ नहीं बोल सकते ।" मारिया ने कहा ।
" मगर क्यों?'' नाटे ने सवाल उठाया-"विनम्र ने विंदू की हत्या क्यों की?"
"हमारे पास केवल फोटो हैं । वीडियो फिल्म नहीं । वह होती तो शायद हत्या का कारण भी बता सकती थी या बिज्जू बता सकता था । उसने इन दोनों के बीच होने वाला वार्तालाप सुना होगा मगर वह भी हमारे पास उपलब्ध नहीं है । कई बाते ऐसी होती है जिनका अर्थ हमारी समझ में तब नहीं जाता जब वे कही जाती हैं मगर बाद में समझ आ जाता है । एक ऐसी बात विज्जू ने मरने से पहले कही थी । उसने कहा था---काम तो होगया है ऐसा हो गया है कि हम करोडों नहीं अरबो कमा सकते हैं ।' उसके वाक्य का अर्थ उस वक्त मेरी समझ में नहीं अाया था मगर फोटुओं को देखते ही आ गया । विनम्र के सामने अब समस्या बदनामी से बचने की नहीं, फांसी से बचने की है ।"
"पर साली साहिबा, सवाल ये है उसने हत्या की क्यों?"
"यह सवाल जिसके लिए महत्वपूर्ण होगा होगा । हमारे लिए इसकी कोई अहमियत नहीं है । हमारे लिए इतना काफी है उसनें हत्या की है । सबूत हमारे पास हैं । उसे मुहमांगी कीमत देनी होगी ।"
"मगर ।" नाटे के मस्तिष्क में मानो अचानक अणुबम फटा और यह अणुबम ऐसा था कि जिसके प्रभाव से ग्रस्त वह मुह से 'मगर' के अागे एक भी लपज नहीं निकाल सका ।। चेहरे पर ऐसे भाव थे जैसे जहन किसी न समझ में अाने वाले चक्रवात में धिर गया हो ।
कुछ देर तक मारिया और क्रिस्टी उसके बोलने का इंतजार करती रहीं है जब काफी इंतजार के बाद भी नहीं बोला तो 'जिज्ञासा’ के जाल में फंसी मारिया को पूछना पड़ा---"क्या कहना चाहते हो?"
सुईट से पुलिस को कोई लाश नहीं मिली ।" नाटे ने कहा।
मारिया उछल पडी़ !! मुंह से हक्लाहट निकली--" क क्या बात कर रहे हो?”
" ए--ऐसा कैसे हो सकता है?" क्रिस्टी हैरान ।
"यही तो समझ में नहीं अा रहा मगर-हैं ऐसा ही ।"
"तुम कैसे कह सकते हो?" मारिया की हवा शंट थी---"मेरा मतलब तुम्हें कैसे फ्ता?"
"बताया न, तुम्हरे बुलावे से पहले स्टार टी टी.वी पर न्यूज देखी थी ।"
"क्या दिखाया जा रहा था उस पर?"
विनम्र , नागपाल, गोडास्कर और होटल स्टाफ़ के कई कर्मचारी सुईट में दाखिल होते दिखाए गए थे । सुईट के अंदर से भी खूब अच्छी तरह दिखाया गया ।"
" बिंदू की लाश नहीं थी वहां?"
"कोई ताश नहीं भी मारिया ।"
" क-कैसे?" मारिया का जहन हवा हुआ जा रहा था---"कैसे हो सकता है ऐसा?"
"रहस्य समझ में नहीं आ रहा'--अगर बहाँ कोई मर्डर नहीं हुआ तो ये फोटो कहाँ से अा गए? फोटो सच्चे हैं तो लाश कहाँ गई ? पुलिस को मिली क्यों नहीं? फोटो तो झूठे हो नहीं सकते । इसका मतलब रात ही रात में लाश गायब कर दी किसने किया होगा ऐसा? ओंर क्यो? मामला अब और ज्यादा पेचीदा होता जा रहा है मारिया । वाकई !!! तुम अकेली इसे नहीं सम्भाल सकती थी बल्कि अब तो ऐसा लगरहा तीनों मिलकर भी सम्भाल सकें तो बड़ी बात होगी । हां, याद आया-गोडास्कर को वहां से एक मोती मिला है । बिंदू की माला का मोती । बिल्कुल ऐसा ।" कहने के साथ उसने बह फटो सेन्टर टेबल पर डाल दिया । जिसमे बिंदूं की लाश के पास मोती बिखरे हुए थे । पुन: बोलना------"उसे इन्हीं में से कोई मोती मिला है ।"
"मोती के बोरे में उसका क्या कहना है?"
"उसने तो यही अंदाजा लगाया---बिंदूको किडनैप किया गया है।"
"वहुत जल्दी वह समझ जाएगा-बिंदूकी हत्या कर दी गई है ।
"क्या मतलब?"
"बहुत से सवालो के ज़वाब भले ही न मिल रहे हो मगर बात समझ में अा चुकी है । " मारिया कहती चली गई---" लाश सुईट से गायब की गई । ऐसा किसने और क्यों किया? यह रहस्य बाद में खुलेगा ।"
"कौन कह सकता है खुलेगा भी या नहीं ?? बहुत से रहस्य पुलिस फाइल में दबे रह जाते हैं ।"
"मगर यह खुलेगा ।"
" दावे की वजह ?"
" इन्वेसंटीगेटर गोडास्कर है ।"
"गोडास्कर ?"
"क्या तुम उसे नहीं जानते ?"
" उस विशालकाय इंस्पेक्टर को शहर में कौन नहीं जानता ?"
"वह विशालकाय है, इसके अलावा और क्या जानते हो?"
" मेरा उससे कोइ वास्ता नहीं पड़ा । "
"काम हो गया विज्जू ?" मैं लपककर उसके नजदीक पहुंच गई ।।
"काम तो हो गया ऐसा हुआ है कि हम करोडों नहीं अरबों कमा सकते हैं ।। " खुश होने के बावजूद वह गुर्राया- तू यहां क्या कर रही है?"
"घबरा मैं भी रही थी मगर घवंराने से सारे मंसूबों पर पानी फिर सकता था ।" मारिया कहती चली गई--सोचने-समझने या सतर्क. हो जाने का मैंने उसे कोई मौका नहीं दिया । बिजली की सी गति से अपना हाथ स्कर्ट की जेब से निकाला । अगले पल रेशमं की मजबूत डोरी का फंदा बिज्जू की पतली गर्दन में था । उसके सारे चेहरे पर हैरानी के भाव थे । एक ही बात कह पाया वह…"मारिया ये तू क्या कर’रही है?" मगर मुझ पर तो जुनून सवार था । दोनो हाथों से रेशम की मज़बूत डोरी के दोनों सिरे पक्रड़े कसती चली गई विज्जू की आवाज उसके हलक में घूट गई चेहरा लाल सूर्ख हो गया । हैरत से फ़टी आखें कटोरियों से बाहर कूदने को तैयार थी । बिज्जू गर्म रेत पर पड्री मछली की मानिन्द फड़फड़ा रहा था । मगर कब तक? कब तक फड़फड़ता वह ।। जल्दी ही ढीला पड़ गया । और जव मुझे यकीन हो गया वह मर चुका है तो एक साथ अपने दोनों हाथ रेशम की डोरी से हटा लिए । विज्जू की लाश 'धुम्म' की आवाज के साथ मेरे कदमों में गिरी ।" इतना कहकर मारिया चुप हो गई लम्बी-लम्बी सांसे ले रही थी वहा ।।। यूं जेसे मीलों लम्बी रेस लगाने के बाद अभी-अभी यहां पहुची हो ।
चेहरे पर खौफ़ के भाव थे । " … वेसे ही भाव क्रिस्टी और नाटे के चेहरों पर भी है ।
मारिया के बैडरुम ने सन्नाटा छाया रहा ।
वेहद पैना सन्नाटा ।"
बिज्जू की हत्या की कल्पना मात्र ने उन्हें ज़ड़वत कर दिया था ।।
करीब एक मिनट बाद नाटा कह सका-दृ-“तो बिज्जू को तुमने मारा है ?"
"मैंने मारा है? मतलब ! यह सब बताने के बाद यह सवाल पूछने का क्या औचित्य रह गया ?"
" यह सवाल नहीं पूछ रहा, लोग पूछ रहे है । मीडिया पूछ रहा ।"
"मैं समझी नहीं ।"
" स्टार प्लस पर न्यूज देखकर आ रहा हूं नाटे ने कहा---" उस पर ओबराय के ही सोन दिखाए जा रहे थे । बिज्जू की लाश दिखाई जा रही थी । हर तरफ़ एक ही सवाल था----उसका मर्डर किसने किया है? पत्रकारों द्वारा पु्छू जा रहे इस सवाल का पुलिस के पासस कोई जवाब नहीं था है उस वक्त सोच भी नहीं सकता था । वह कारनामा तुम्हारा हो सकताहै ।"
"मगर दीदी ।" खूबसूरत लड़की ने कहा'----"हिम्मत बहुत की तुमने । किसी की हत्या करना, यह भी सार्वजनिक स्थल पर बहुत कलेजे का काम है ।"
"करना पड़ता है क्रिस्टी! सामने जब करोडों चमक रहे हो तो हिम्मत अपने आप पैदा हो जाती है । वैसे भी मुझे मालूम था पतले-दुबले बिज्जू में मेरे मुकाबले कोई दम नहीं है । एक वार उसे दबोच लूंगी तो हजार कोशिशों के बावजूद गिरफ्त से नहीं निकल सकेगा । इस हकीकत ने भी मेरा हौंसला बढाया था ।"
"इसका मतलब तुमने अचानक उसकी हत्या नहीं कर दी ।"’ नाटे ने कहा'--"'बल्कि गई ही पूरा प्लान बनाकर थी । पहले ही सोच लिया धा…उसे बहीं खत्म करके रील अपने कब्जे में कर लेनी है ।।
" कबूल कर चुकी हूं रेशम की डोरी लेकर गई थी । क्या इसके बाद भी इसमें कोई शक रह गया कि मैंने जो किया पूरी योजना बनाने के बाद किया ।"
"मगर. . .तुमने उसका खात्मा सार्वजनिक स्थल पर करने का खतरा क्यों उठाया?"
''मतलब ?"
"बाद में अर्थात् अागे चलकर किसी स्पॉट पर वह भले ही तुम्हें आखें दिखाने की कोशिश करता मगर जहां, तक मेरा ख्याल है---ओंबराय से सीधा तुम्हारे ही पास अाता । यहां । यहां! यहाँ तुम्हारे लिए उसका खात्मा करना ज्यादा आसान था इसके मुकाबले तुम्हारे द्वारा ओबराय की गैलरी चुना जाना. . . ।"
" यह तुम्हारा ख्याल है नाटे, मेरा ख्याल ऐसा नहीं था । अगर उसकी हत्या यहां, अपने बेडरूम में करती तो सोचो-मेरे सामने अगली समस्या उसकी लाश को ठिकाने लगाना होती । उसे अगर मेरे पास अाते कोई देख भी सकता था । उसके गायब होने पर इस बात को उड़ने से मैं रोक-नहीं सकती थी कि सबसे अंत मे उसे मारिया बार में देखा गया था । वह "उडती" खबर पुलिस को मुझ तक पहुचा सकती थी । जबकि अब न तो मेरे सामने उसकी लाश को ठिकाने लगाने की समस्या है । न ही पुलिस के मुझ तक पहुंचने का खौफ ।"
"वाकई! सब कुछ बहुत सफाई से हो गया है ।"
"खुद नहीं हो गया नाटे, किया है मैंने ।"
"ऐसा ही सही ।" बह हंसा जिसका चेहरा लम्बे से ज्यादा चोडा था । गाल फूले हूए । माथा छोटा । नाक गोभी के पकोड़े जैसी और कान छोटे-छोटे । आंखें सामान्य मगर भवे बेहद घनी थी । ऐसी कि चेहरे पर वे ही वे नजर अाती थीं उसके हाथ पैर बाकी शऱीर की तरह छोटे-छोटे ही थे ।
कुल मिलाकर उसे एक बदसूरत शख्स कहा जा सकता था । जबकि क्रिस्टी उसके ठीक उलट थी ।।
पांच फुच पांच इंच लम्बी । गदराए जिस्म बाली । गोरी । सुतवां नाक कमानीदार भवें । पतले होठ ।। चोडा मस्तक और खुले बाल कंधों पर फैले हुये थे ।।।
पति - पत्नी वे कहीं से नहीं लगते थे ।
मगर थे ।
भगवान ही जाने कैसे ।।
कैसे क्रिस्टी ने उसे अपना पति स्वीकार कर लिया ??
कुछ देर खामोशी के बाद नाटे ने कहा'-…-"इसका मतलब करोडों उगलने वाले फोटो अब तुम्हारे कब्जे में है ! "
"करोडों की क्या बिसात है ।" मारिया ने कहा--"होशयाऱी से काम ले तो अरबो कमा सकते हैं ।"
"ऐसा?''
" बिल्कुल ऐसा ही है ।"
" क्यों ?"
" कोई भी अरबपति शख्स खुदको बदनामी से बचाने केलिए करोडो तो खर्च कर सकता है, अरबों नहीं?"
" मारिया ने रहस्यमय मुस्कान के साथ कहा-"'फा'सी से बचने के लिए तो कर सकता है ।"
"फांसी से ?"' नाटा चौंका…"फासी की बात कहाँ से आ गई?"
"आएगी ।" उसने अपने एक-एक शब्द पर जोर दिया----" जब मैं पूरी बात बता चुकूगी तो आ जाएगी ।"
नाटे ने उसे ध्यान से देखा । कहा-----"अब तुम रहस्यमय होती जारही हो साली साहिबा।"
"यह पूछो---"मेने तुम दोनो को ही क्यों बुलाया ?" मारिया मुस्काई ।
"वाकई सवाल ऐसा है जो मेरे द्वारा काफी पहले पूछ लिया जाना चाहिए था । जब सब कुछ तुमने अकेले इतनी सफाई से निपटा लिया है । पुलिस के भी यहां पहुचने की कोई उम्मीद नहीं है । तो अरबों की होने वाली कमाई में शामिल करने के लिए हमें क्यों बुला लिया? आगे का काम भी तुम अकेली ही निपटा सकती थीं ।"
"क्रिस्टी मेरी बहन है! तुन बहनोई । प्यार करती हू तुमसे । सोचा------" मैं अमीर बनने बाली हूं तो तुम्हें भी अमीर होना चाहिए ।। एक बार फिर कहूंगी-अगर होशियारी से काम लिया तो माल इतना मिलने वाला है कि मुझ अकेली की तो बात ही-छोड़ दो । तीनों मिलकर अपने हजार-हजार हाथो से सारे जीवन लुटाते रहैं तब भी खत्म नहीं होगा । नाटे, क्रिस्टी मेरी छोटी वहन है । छोटी बहन वेटी समान होती है । एक मां की तरह मैंने भी यह सोचा---मुझे हासिल होने वाली रकम में मेरी वेटी और 'दामाद' का भी हिस्सा है । इसलिए तुम दोनो को बुलाकर सारी बातें बताई । मैंने गलत तो नहीं सोचा?"
नाटे ने बगैर भावुक हुए पूछा--" कोई और कारण?"
"हां एक दूसरा कारण भी है ।"
"वह क्या?"
मुझे लगा के-बखेड़ा ज्यादा वड़ा है । शायद मैं अकेली नहीं सम्भाल सकुंगी ।।
"मुझे तो नहीं लगता ऐसा ।। जिसमें सार्वजनिक स्थल पर मर्डर कर देने की हिम्मत है उसके करने के लिए आगे अब बचा ही क्या है?
ब्लेकमेल ही तो करना है विनम्र को! वह विंदुकै साथ अपने फोटो देखते ही मुहमांगी रकम देने को तैयार हो जाएगा ।"
"बात इतनी-सी होती तो शायद मेरे दिमाग में तुम्हें बुलाने का ख्याल नहीं अाता ।"
"क्या मतलब ?"
"बात इससे कहीं ज्यादा बडी है ।” बेहद विस्फोटक!"
"क्या पहेलियां बुझा रही हो साली साहिबा । मेरी समझ में कुछ नहीं आ रहा ।।"
"समझाती हूं । " कहने के साथ वह सोफे से उठी और हाथी की सुंड जैसी टागों के ऊपरी हिस्से पर मौजूद तरबूज जैसे 'कूल्हों' को मटकाती स्टोर की तरफ बढ़ गई ।। स्टोर का दरवाजा खुला होने के बावजूद क्रिस्टी और नाटा देख नहीं पा रहे थे वह अंदर क्या कर रही है ?"
दोनों की नजरें मिली ।
चारों अाखों में सवाल ही सवाल थे । जवाव किसी ने नहीं ।
नाटे ने पैकिट उठाकर एक सिगरेट सुलगा ली ।
पहला ही कश लिया था कि मारिया स्टोर से बाहर निकलती नजर अाई । उसके हाथो में कुछ फोटो थे । क्रिस्टी और नाटा समझ गए फोटो वही हैं जिनके लिए बिज्जू को वेकुण्ड यात्रा पर रवाना होना पड़ा ।।।
सेन्टर टेबल के नजदीक पहुंच कर मारीया ने फोटो उस पर डाल दिये!!!
सबसे ऊपर वहीँ फोटो था जिसमे विनम्र बिंदू की गर्दन दबाता नजर आ रहा था । "
"अरे । " बुरी तरह चोंकता हुआ यह एक मात्र शब्द क्रिस्टी और नाटे के मुंह से एक साथ निकला । वरवस ही दोनों के हाथ फोटो उठाने के लिए टेबल की तरफ लपके मगर कामयाब नाटा हुआ ।। वह ज़ल्दी-जल्दी एक के बाद एक फोटो देखता चला जा रहा था । क्रिस्टी उस पर झुकी हुई थी । दोनों की हालत ऐसी हो गई थी जैसे फोटोओ को देखकर मारिया की हुई थी । उस मारिया की जो अब उस सदमे उबर चुकी थी ।।।
जिस सदमे से क्रिस्टी और नाटा गुजर रहे थै । वे अभी फोटुओ में ही घुसे थे जबकि मारिया नई सिगरेट सुलगाने के बाद इत्मीनान से सामने वाले सोफे पर बैठती हुईं वोली-" इन फोटुओ को देखने के बाद मुझ पर यह भेद खुला कि विनम्र तीस मिनट बाद सुईट से क्यो निकल अाया था? तुम समझ सकते हो----दो अजनबियो के बीच केवल तीस मिनट में वह नहीं हो सकता जिसके लिए विनम्र को वहां वुलाया गया था, मगर यह हो सकता है जो हुआ, जिस की गवाही ये दे रहे हैं ।"
“फ-फोटो तो यह कह रहे हैँ…बिनम्र ने बिंदू की हत्या कर दी ।" क्रिस्टी का लहजा खौफ़ और हैरानी के बीच हिचकोले खा रह्म था।
"और फोटो झूठ नहीं बोल सकते ।" मारिया ने कहा ।
" मगर क्यों?'' नाटे ने सवाल उठाया-"विनम्र ने विंदू की हत्या क्यों की?"
"हमारे पास केवल फोटो हैं । वीडियो फिल्म नहीं । वह होती तो शायद हत्या का कारण भी बता सकती थी या बिज्जू बता सकता था । उसने इन दोनों के बीच होने वाला वार्तालाप सुना होगा मगर वह भी हमारे पास उपलब्ध नहीं है । कई बाते ऐसी होती है जिनका अर्थ हमारी समझ में तब नहीं जाता जब वे कही जाती हैं मगर बाद में समझ आ जाता है । एक ऐसी बात विज्जू ने मरने से पहले कही थी । उसने कहा था---काम तो होगया है ऐसा हो गया है कि हम करोडों नहीं अरबो कमा सकते हैं ।' उसके वाक्य का अर्थ उस वक्त मेरी समझ में नहीं अाया था मगर फोटुओं को देखते ही आ गया । विनम्र के सामने अब समस्या बदनामी से बचने की नहीं, फांसी से बचने की है ।"
"पर साली साहिबा, सवाल ये है उसने हत्या की क्यों?"
"यह सवाल जिसके लिए महत्वपूर्ण होगा होगा । हमारे लिए इसकी कोई अहमियत नहीं है । हमारे लिए इतना काफी है उसनें हत्या की है । सबूत हमारे पास हैं । उसे मुहमांगी कीमत देनी होगी ।"
"मगर ।" नाटे के मस्तिष्क में मानो अचानक अणुबम फटा और यह अणुबम ऐसा था कि जिसके प्रभाव से ग्रस्त वह मुह से 'मगर' के अागे एक भी लपज नहीं निकाल सका ।। चेहरे पर ऐसे भाव थे जैसे जहन किसी न समझ में अाने वाले चक्रवात में धिर गया हो ।
कुछ देर तक मारिया और क्रिस्टी उसके बोलने का इंतजार करती रहीं है जब काफी इंतजार के बाद भी नहीं बोला तो 'जिज्ञासा’ के जाल में फंसी मारिया को पूछना पड़ा---"क्या कहना चाहते हो?"
सुईट से पुलिस को कोई लाश नहीं मिली ।" नाटे ने कहा।
मारिया उछल पडी़ !! मुंह से हक्लाहट निकली--" क क्या बात कर रहे हो?”
" ए--ऐसा कैसे हो सकता है?" क्रिस्टी हैरान ।
"यही तो समझ में नहीं अा रहा मगर-हैं ऐसा ही ।"
"तुम कैसे कह सकते हो?" मारिया की हवा शंट थी---"मेरा मतलब तुम्हें कैसे फ्ता?"
"बताया न, तुम्हरे बुलावे से पहले स्टार टी टी.वी पर न्यूज देखी थी ।"
"क्या दिखाया जा रहा था उस पर?"
विनम्र , नागपाल, गोडास्कर और होटल स्टाफ़ के कई कर्मचारी सुईट में दाखिल होते दिखाए गए थे । सुईट के अंदर से भी खूब अच्छी तरह दिखाया गया ।"
" बिंदू की लाश नहीं थी वहां?"
"कोई ताश नहीं भी मारिया ।"
" क-कैसे?" मारिया का जहन हवा हुआ जा रहा था---"कैसे हो सकता है ऐसा?"
"रहस्य समझ में नहीं आ रहा'--अगर बहाँ कोई मर्डर नहीं हुआ तो ये फोटो कहाँ से अा गए? फोटो सच्चे हैं तो लाश कहाँ गई ? पुलिस को मिली क्यों नहीं? फोटो तो झूठे हो नहीं सकते । इसका मतलब रात ही रात में लाश गायब कर दी किसने किया होगा ऐसा? ओंर क्यो? मामला अब और ज्यादा पेचीदा होता जा रहा है मारिया । वाकई !!! तुम अकेली इसे नहीं सम्भाल सकती थी बल्कि अब तो ऐसा लगरहा तीनों मिलकर भी सम्भाल सकें तो बड़ी बात होगी । हां, याद आया-गोडास्कर को वहां से एक मोती मिला है । बिंदू की माला का मोती । बिल्कुल ऐसा ।" कहने के साथ उसने बह फटो सेन्टर टेबल पर डाल दिया । जिसमे बिंदूं की लाश के पास मोती बिखरे हुए थे । पुन: बोलना------"उसे इन्हीं में से कोई मोती मिला है ।"
"मोती के बोरे में उसका क्या कहना है?"
"उसने तो यही अंदाजा लगाया---बिंदूको किडनैप किया गया है।"
"वहुत जल्दी वह समझ जाएगा-बिंदूकी हत्या कर दी गई है ।
"क्या मतलब?"
"बहुत से सवालो के ज़वाब भले ही न मिल रहे हो मगर बात समझ में अा चुकी है । " मारिया कहती चली गई---" लाश सुईट से गायब की गई । ऐसा किसने और क्यों किया? यह रहस्य बाद में खुलेगा ।"
"कौन कह सकता है खुलेगा भी या नहीं ?? बहुत से रहस्य पुलिस फाइल में दबे रह जाते हैं ।"
"मगर यह खुलेगा ।"
" दावे की वजह ?"
" इन्वेसंटीगेटर गोडास्कर है ।"
"गोडास्कर ?"
"क्या तुम उसे नहीं जानते ?"
" उस विशालकाय इंस्पेक्टर को शहर में कौन नहीं जानता ?"
"वह विशालकाय है, इसके अलावा और क्या जानते हो?"
" मेरा उससे कोइ वास्ता नहीं पड़ा । "
प्यास बुझाई नौकर से Running....कीमत वसूल Running....3-महाकाली ....1-- जथूराcomplete ....2-पोतेबाबाcomplete
बन्धन
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दिल से दिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
तुफानो में साहिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
यूँ तो मिल जाता है हर कोई!
मगर आप जैसे दोस्त नसीब वालों को मिलते हैं!
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बन्धन
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दिल से दिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
तुफानो में साहिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
यूँ तो मिल जाता है हर कोई!
मगर आप जैसे दोस्त नसीब वालों को मिलते हैं!
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