कठपुतली -हिन्दी नॉवल complete

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Jemsbond
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Re: कठपुतली -हिन्दी नॉवल

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जो बाते हुई थी और होते-होते जिस 'मुकाम' पर पहुंची थीं उस मुकाम ने अगर किसी की सबसे ज्यादा हालत खराब की थी वह विनम्र था । इस विचार ने उसका रोम-रोम हिला डाला था कि मरने से पहले बिज्जू ने सुईट के फोटो खींचे थे ओर रील गायब है ।
तो कया फोटो उस वक्त के है जब वह बिंदू की हत्या कर रहा था ?


हे भगवान ।। ये क्या सुन रहा हुं मैं ? क्या ऐसा हो गया है? अगर उस वक्त विज्जू सुईट में था, जैसा कि साबित हो चुका है तो उसने बिदू की हत्या के फोटो जरूर खींचे होंगे । भला क्यो नहीं खींचेगा? वे फोटो तो उन फोटोओं से भी कहीं ज्यादा खतरनाक थे जिनको खींचने की मंशा से वह में घुसा था ।


विनम्र को अपने हाथ-पैर ठंडे पड़ गए महसूस हुए ।। जैसे जान ही नहीं थी उनमे ।



"एक बात तो जाहिर है" ।" बिस्कुट चबाते गोडास्कर ने पुन कहना शुरू किया----"रीलं उसी ने गायब की है जिसने बिज्जू का क्रियाक्रम किया है । । बल्कि गोडास्कर तो यह कहेगा इस पटूठे का क्रियाक्रम किया ही रील की बजह से है ।।



लेकिन जब सुईट में बैसा कुछ हुआ ही नहीं जिसकी उम्मीद थी तो रील में होगा क्या?" नागपाल कहता चला गया----"ओंर जब रील मे कुछ था नहीं तो उसके लिए कोई बिज्जू की हत्या क्यों करेगा?"



"इसी ! इसी सबाल ने तो गोडास्कर के दिमाग की जडों में मटृठा डाल रखा है ।" कहने के साथ उसने एक विस्कुट मुंह में सरकाया और अचानक विनम्र की नरफ पलटकर बोला----"सोच लीजिए मिस्टर बिनम्र सुईट में केवल वही हुआ था जो कुछ देर पहले आपने फ़रमाया या कुछ और भी हो गया था?"


गोडास्कर के अचानक अपनी तरफ़ पलट पडने ओंर उसके सबाल ने विनम्र की रूह फना कर दी । अटक--अटक कर मुंह से केवल यही शब्द निकल सके-----"अ - और । क्या होता?"



" होने को तो वहुत कुछ हो सकता था ।गोडास्कर की राय जानना चाहते हो तो सब हो जाना चाहिए था जिसके लिए नागपाल ने बिंदू को आपके सामने परोसा था । ऐसी चीज ही नहीं है विंदु जो तुम जैसे जबान लड़के के सामने छातियां खोलकर खडी हो जाए और जवान खुद को काबू में रख सके । वह न कर डाले जिसकी कल्पना नागपाल ने की थी ।"'


"ग-गोडास्कर ।। " वह बडा मुश्कि्ल से कह सका----"क-क्या तुम्हें मुझसे--मुझसे ऐसी उर्मीद है?"



"पहले भी कह चुका मिस्टर बिनम्र फिर कहता हूं--पर्सनल रिलेशंस को बीच में मत घसीटो । गोडास्कर इस वक्त और सिर्फ पुलिस इंस्पेक्टर है । बिंदू जेसी हसीना का आफर ठुकराना आसान नहीं होता और आपका दावा है कि आपने ये मुश्किल काम कर दिया था ।
अगर ये सच है तो उस रील में कुछ था ही नहीं और जव रील मे कुछ था ही नहीं तो बिज्जू वेचारे को नर्क क्यों सिधारना पड़ा?''


बौखलाया हुआ बिनम्र केवल इतना ही कह सका-----"इस बारे में क्या कह सकता है ?"


"वाकई . . .अगर अाप इन्नोसेट हैं तो कुछ कहने की पोजीशन में नहीं है मगर ।" गोडास्कर ने जानबूझकर अपना सेन्टेस अधुरा छोड़ा । एक और बिस्कुट मुंह में धकेला । थोड़ा 'गैप' देने के बाद बोला---" गोडास्कर एक बार फिर जोर डालकर यह बात कहेगा अगर अापसे कोई "ऊक-चूक' हो गई थी तो उसे उगल दे । यह विल्कुल न सोचे वह 'ऊक-चूक' आपको अपने होने वाले "सालगराम' के सामने उगलनी -पड़ रही है । कह चुका हूं …इस "वक्त गोडास्कर किसी का होने वाला सालगराम नहीं बल्कि शुद्ध इंस्पेक्टर है और पुलिस इंस्पेक्टर को सच्चाई बताने पर कुछ फायदाही...

"कैसी ऊक-चूक की उम्मीद कर रहे हो तुम मुझसे?" विनम्र 'पकडे जाने' के भय से ग्रस्त होकर चीख पड़ा था ।


गोडास्कर ने शांत स्वर में कहा----"बैसी ही ऊक-चूक की जैसी कि आदमी अपने सालगराम के सामने खुल कहने से कतरा_ सकता है ।'


"हजार बांर कह चुका हूं वैसा कुछ नहीं हुआ या ।"


"एक बार फिर सोच लो हुजूर अगर अाप कुछ छुपा रहे है तो आने बाला समय आपके लिए काफी टेढ़ा साबित होने वाला है ।"



"क--क्या मतलब?"


"वह समय वह होगा जब आपको फोटुओं के बेस पर ब्लैकमेल किया जाएगा।"


अंदर ही अंदर कापंकर रह गया बिनम्र ! गोडास्कर ने बिल्कुल ठीक कहा था । बही कहा था जिसे सोच-सोचकर वह खुद 'आतकित' था । साफ़ नजर जा रहा था वह किसी बहुत वड़े बखेड़े में फंसने वाला है, वल्कि कंस चुका है । मुसीबतों का दौर उसी क्षण से शुरू हो चुका है जिस क्षण उसने बिंदू की हत्या की । अपना भविष्य अंधकारमय नजर आ रहा था । एक बार को तो जी चाहा------गोडास्कर के कदमों में गिर जाए । सव कुछ बता दे उसे! और कहे---मुझे बचा तो गोडास्कर । मुझसे अंजाने में बिंदू की हत्या हो गई है । हत्यारा होने के बाबजूद मैं बेकसुर हूं क्योंकि हत्या मैंने नहीं की । किसी और ने की है । मैं तो कठपुतली हूं । मगर, ऐसा कह नहीं सकता था वह ।
सव कुछ कुबूल कर लेने का मतलब था अभी, इसी वक्त हाथों में हथकड़ियां डलवा लेना! काश. . बात उतनी ही होती जितनी की कल्पना ¸ गोडास्कर कर रहा था । काश ! वह विंदू के साथ 'बहक' गया होता तों इस वक्त वह उस सबको यकीनन कुबूल कर लेता परन्तु बात उतनी थी कहां, उससे तो बहुत आगे की बात थी । बिंदू की हत्या ही कर बैठा था वह । भला यह बात कबूल कैसे की जा सकती थी?



मस्तिष्क पटल पर गोडास्कर की आवाज टकराई…“क्या सोचने लगे मिस्टर विनम्र?"


विनम्र के जबड़े कस गए । कसे हुए जबड़े इस बात के द्योतक थे कि वह खुद को अाने वाली हर परिस्थिति का मुकाबला करने के लिए तैयार कर है । इस बार उसने दुढ़ स्वर से कहा---तुम्हाऱी सारी शंकाएं निर्मुल हैं गोडास्कर ।। सुईट में मेरे और… बिंदू के बीच कुछ नहीं हुआ जिसे मुझें छूपाने की जरूरत पड़े ।।"



" पक्की बात ?" गेडास्कर ने नीली आंखे उसके चेहरे पर गड़ा दी ।


विनम्र उन अांखों में झा'कता हुआ बोला---"एकदन पक्की ।"


" तब तो वाकई समझ में नहीं अा रहा'----"बिज्जू की हत्या क्यों हुई? कोई क्यों इसके कैमरे से रील निकालकर ले गया?" गोडास्कर कहता चला गया---"क्या करेगा उस रील का?"


"'अगर अब भी मेरी बात पर यकीन न आ रहा. हो तो खुद बिंदू से पूछ सकते हो ।"



" बिंदू से?"


"मैंने उसके साथ कोई ऊक-चूक की होंगी तो वह खुद बता देगी ।" विनम्र ने पहली बार पूरे कॉन्फिड़ेंस के साथ वह बात कही जो उस शख्स को कहनी चाहिए जिसे यह नहीं मालूम था कि विदू अब इस दुनिया में है ही नहीं ।



"बाकई ! यह वात तो बिंदू से भी पूछी जा सकती है । गोडास्कर बेकार ही आपसे झक मार रहा है ।" गोडास्कर ने एक बार फिर इस तरह कहा जैसे यह छोटी-सी बात उसके जहन में नहीं अाई थी । बिस्कुट _चबाता हुआ वह ऐकाएक नागपाल की तरफ़ पलटकर बोला---"मिस्टर नागपाल, अब तुम बिंदू के साथ एक 'बिजनेस मीटिग गोडास्कर की करा दो । तभी मिस्टर विनम्र की पोल-पटृटी खुलेगी ।"


नागपाल ने कहा--"फिलहाल मेरे लिए सम्भव नहीं है ।"


" क्यों ?"
मैं रात के दो बजे से ढूंढ रहा हूं । वह नहीं मिल रही । रहस्यमय ढंग से गायब हो गई है ।"


"रहस्यमय ढंग से का क्या मतलब हुआ?"


" नागपाल सव कुछ बताता चला गया । हालाकि गोडास्कर को होटल स्टाफ़ से बिंदू के लिए नागपाल की बेचैनी का पता पहले ही लग था फिर भी, वह इस तरह सुनता रहा जैसे उसके द्वारा बिंदू की में भटकने की बाते अभी…अभी पता लग रही हो । अंत मे जब नागपाल ने यह कहा----"काश मुझे उसका एड्रैस मालूम होता ।"




तब गोडास्कर बोला---" उसअवस्थामें भी तुम कुछ नहीं कर सकते थे मियां ।"


" क्यों ?"


" क्योंकि वो धर नहीं पहुंची ।"


"आपको कैसे मालूम?"


"उसकी अम्माजान खुद उसको ढूंढती फिर रही है । रपट लिखवाने थाने अाई । उसी ने गोडास्कर को ये फोटो थमाया ।"


"तब तो उसका गायब होना और भी रहस्यमय हो उठा है ।" नागपाल के चेहरे पर चिंता की लकीरें उभर आइं---"बिदू अगर धर भी नहीं पहुची तो चली कहाँ गई ?"



उस बक्त बिज्जू की लाश का पंचनामा भरा जा रहा था जव , गोडास्कर ने पहली बार बगैर खाए कहा---"आओ भाईयों, सुईट ' नम्बर सेविन जीरो थर्टीन की सैर करके अाते है ।"



"उससे क्या होगा?" नागपाल ने पूछा ।


पहली बात सेहत की मिजाजपुर्सी होगी । तुमने सुना होगा-सैर करना सेहत के लिए फायदेमंद होता है । दूसरी बात , मुमकिन है वहां से बि'दू के बारे में कोई सुराग हाथ लग जाए । अगर उसे जबरदस्ती गायब किया गया है तो हाथापाई के निशान मिल सकते हैं । अपनी मर्जी से ' निकल ली ' होंगी तो हो सकता है---- वहां कोई नोट लिखकर छोड़ रखा हो। "


"बता चुका हूं । मैंने वेटर्स और इंचार्ज साथ सुईट चेक किया था । वंहां कुछ नहीं । "


"तुम्हारी और गोडास्कर की नजर में कुछ तो फर्क होगा मियां । इतनी बेवकूफ नहीं सरकार जो गोडास्कर को फोकट में पगार देती रहे । चले आओ ।" कहने के साथ वह लिफ्ट नम्बर की बढ़ गया था ।।।
पहली बार विनम्र की इच्छा पूरी होने वाली बात हुई थी । नागपाल कई बार ठोक-बजाकर कह चुका था सुईट में कुछ नहीं है । इसके बावजूद वह एक बार सुईट को अपनी अांखों से देखना चाहता था ।।। देखना चाहता कि जहां वह लाश छोड़कर गया था वह स्थान अब कैसा लग रहा होगा? इसलिए गोडास्कर के पीछे लपकने बाला वह सबसे पहला शख्स था ।।

उसके पीछे नागपाल हो लिया ।।


सेबिन्थ फ्लोर पर पहुचने तक उनके साथ फ्लोर का इंचार्ज ओंर एक वेटर भी था ।


"कोई भी, किसी भी वस्तु को हाथ नहीं लगाएगा ।" कहने के साथ गोडास्कर ने बिज्जू की जेब से बरामद चाबी 'की होल' में डाली । पहले ही प्रयास पर जब दरवाजा खुल गया तो गोडास्कर है मुह से निक्रला-----'"चाबी पंरकैक्ट है ।"


वे सुईट में पहुचे ।।


सचमुच वहाँ फ़र्नीचर के अलावा कुछ नहीं था । विनम्र उस स्थान को घूरता रह गया जहाँ बिंदूकी लाश होनी चाहिए थी । कुछ भी तो नहीं था वहां! ऐसा एक भी निशान नहीं जिससे पता लग सकता कि वहाँ कभी कोई लाश गिरी थी । उसे याद . _ आया--'बिंदू की माला टूट गई थी ।


सफेद मोती चारों तरफ बिखर गए थे ।


मगर ।।


इस वक्त यहाँ कोई मोती नहीं था ।

सेन्टर टेबल भी खाली थी ।

न व्हिस्की की बोतल थी । न उसका या बिंदू का गिलास ।


"बाह !फल ।" कहने के साथ गोडास्कर लम्बे-लम्बे दो ही कैदमों में डायनि'ग टेबल के नजदीक पहुचा ओर हाथ बढाकर वहां रखी टोकरी से अगूरों का गुच्छा उठा लिया ।
गोडास्कर एक अंगूर मुह में डालता हुआ इंचार्ज की तरफ घूमा! सवाल किया-------'' क्या यहां की सफाई की गई है?"


"सफाई इतनी सुबह नहीं होती सर ।" इंचार्ज ने कहा -- " उनकी टीम ग्यारह बजे आती है ।"’

"लग तो ऐसा रहा है जैसे बाकायदा सफाई की गई हो ।" कहने के साथ वह अंगूर खाता हुआ ड्राइंगरूम में टालने लगा । विनम्र ने महसूस किया उसकी नीली आंखें हर वस्तु को बहुत ध्यान से देख रही थीं ।


बिनम्र बिल्कुल नहीं चहता था उसका दिल जोर-जोर से धड़के ।। उसे काबू में रखने का वह भरपूर प्रयत्न कर रहा था मगर कामयाब न हो सका ।


अंगूर चबाता गोडास्कर अचानक नागपाल की तरफ पलटता हुआ बोला…“गोडास्कर ने कहा था न मियां, तुम्हारी और गोडास्कर की नजर में फर्क है । "


" क-क्या मतलब ?" नागपाल चौंका ।



विनम्र बोला कुछ नहीं, मगर जहन में बडी तेजी से ख्याल कौधां----"क्या इस जालिम ने कुछ पकड़ लिया है?"



"बिंदू अपनी मर्जी से गायब नहीं हुईं ।" गोडास्कर कह रहा था---"उसके साथ जबरदस्ती की गई है ।"


विनम्र का जी चाहा---"चीख पड़े । चीखकर पूछे---"कैसे ? कैसे कह सकते हो ऐसा ?"


मगर, मन में चोर होने के कारण उसने पूछा नहीं । हां, वही सबाल नागपाल ने जरूर पूछ लिया ।।


गोडास्कर उसके सबाल का जबाब देने की जगह इंचार्ज की तरफ घूमा ---" तुमने सुईट की कॉलबेल बजाती बिंदू को देखा था न ??? "


"जी ।" इंचार्ज ने इतना ही कहा ।


"उसके गले में सफेद मोतियों की माला थी ?"


इंचार्ज ने पुन: इतना ही कहा'--'"जी ।"


"जो यहीं टूट गई?"


"जी? " इस 'जी' में सवाल था ।


"ऐसा न होता तो यह मोती यहाँ न होता ।" कहने के साथ उसने एक लम्बा कदम बढ़ाकर ड्राइंगरूम और बेडरुम के बीच वाले किवाड के नीचे से एक सफेद मोती उठा लिया । मोती को देखते ही विनम्र के रोंगटे खडे हो गए । चेहरे पर पसीना उभर अाया । उधर; अंगूर चबाता गोडास्कर कह रहा था------"' बगैर हाथापाई के माला नहीं टूट सकती ।"


नागपाल ने कहा---"माला टूटी होती तो बाकी मोती भी तो यहीं होने चाहिए थे ?"


" सुर्ता था-सवको बीनकर ले गया ।"


" कौन ---- कौन बीनकर ले गया मोती? ओर क्यों? विनम्र के जेहन में शोर मचा ---" बिंदू की लाश और मोती यहां से किसने गायब कर दिये ?"
अपने बेडरूम के साथ अटेचड स्टोर को मारिया ने इस वक्त "डार्करूम' का रूप दे रखा था । वह यहीं थी । पूरे स्टोर में लाल रंग की मद्धिम रोशनी फैली हुई थी । एक ट्रै में पानी भरा हुअा था और मारिया कुछ फोटुओं के "पांजीटिब्स' को खंगाल-खंगालतर थो रही थी । उसकी आखों सामने इस वक्त फोटुओं की पीठ थी ।


फोटुओं को खंगालने के बाद उसने एक फोटो को सीधा किया ।


और ।।।


मारिया के हलक से चीख-भी निकल पड़ी ।


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Re: कठपुतली -हिन्दी नॉवल

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मुंह खुला का खुला रह गया है चेहरे पर खौफ के भाव थे । पेशानी पर ढेर सारा पसीना उभर अाया । उसे यकीन नहीं अा रहा था कि फोटो में वही है जो आंखे देख रही हैं ।

हाथ कांप रहे थे । कांपते हाथों से फोटो को आंखों के और नजदीक ले गई अंदाज ऐसा था जैसे पक्का यकीन कर लेना चाहती थी कि फोटो में वही है जो वह देख रही है ।


वही था, फोटो में वही सब था जो उसकी आंखें देख रही थी ।


विनम्र बिंदू की गर्दन दबाता नजर आ रहा था ।।।



उस के चेहरे पर क्रूर भाव थे । बिंदू की जीभ बाहर निकली हुई थी । हाथ विपरीत दिशाओं में फैले हुऐ ।।



"है भगवान ।।। क्या विनम्र ने बिंदू को मार डाला है?"


मारिया ने हड़बड्राकर जल्दी से ट्रै में मोजूद अन्य फोटो सीधे करने शुरू किए । आखें भय और आश्चर्य से फैलती चली गई । किसी में विनम्र कालीन पर पड़ी बिदुके नजदीक खड़ा नजर अा रहा था । किसी में उस पर झुका हुआ था, किसी में टॉवल से लाश की गर्दन कसता हुआ ।


लाश नजदीक मोती बिखरे पडे थे ।


सारे फोटो मिलकर एक ही कहानी सुना थे---यह कि बिनम्र ने बिंदू की हत्यी कर दी है ।।।
" इस हकीकत ने मारिया के होश उड़ाकर रख दिए ।


यह बात उसकी समझ में आकर नहीं दे रही थी कि लड़के ने ऐसा किया क्यों? ज्यादातर फोटुओं मे बिंदू की छातियां खुली पडी थी ।


जाहिर था उसने विनम्र को अपने रूप जाल में फंसाने की कोशिश की ।


यह भी जाहिर था बिनम्र उसके जाल में नहीं फंसा । नहीं फंसा तो नहीं फंसा मगर बिंदू की हत्या क्यों की इसने?


यह बात समझ से बाहर थी ।


यह फोटो भी मारिया की समझ से वाहर था जिसमे विनम्र एक सोफे पर बैठा रोता नजर आ रहा था ।।।



सबालों ने मारिया पर घबराहट इस कदर हावी कर दी कि सारे फोटो यहीं छोडकर ।


एक झटके से सटोर का दरवाजा खोला और वेडरूम में आ गई । यह बेडरूम था जहाँ उसने बिज्जू से बातें की थी ।



सोफे की तरफ बड़ते बक्त हाथी की सुंड जैसी उसकी टांगे कांप रही थीं लड़खड़ाती-सी सोफा चेयर के नज़दीक पहुची और फिर इस तरह उस पर गिर पडी जैसे किसी के द्वारा जबरदस्ती धकेल दी गई हो ।।


वह हांफ रही थी । यूं जैसे बहुत दूर है दौड लगाने के वाद यहां पहुची हो ।


हालत ऐसी थी जैसे बिंदू का कत्ल होते अपनी आंखों से देखा हो ।



कुछ देर यही हालत रहे । फिर सेन्टर टेबल से सिगरेट का पेकिट-लाईटर उठाकर एक सिगरेट सुलगाई ।। गहरे-गहरे कई कश लगाए । जब तब भी अपने हाथ कांपते महमूस किये तो उठी ।
व्हिस्की की बोतल, गिलास और सोडे साथ बापस अाई ।।


दो पेग पीने के बाद खुद को नियंत्रित पाया ।


तब तक तीसरी सिगरेट सुलगा चुकी थी । वह बराबर एक ही बात सोचती रही थी-----" अब मुझे क्या करना चाहिए? क्या मैं इस मामले को सम्भाल सकूगी? और. जाने क्या निश्चय करके मारिया उठी । फोन की तरफ बढी । अब उसकी चाल में कोई लडखड़ाहट नहीं थी । रिसीवर उठाकर एक नम्बर डायल किया । सम्बन्ध स्थापित होने पर दूसरी तरफ़ से किसी लडकी की आवाज अाई---"हैलो ।"


"मैं बोल रही हूं क्रिस्टी ।" मारिया ने केवल इतना ही कहा ।



"ओह दीदी ।" आवाज उभरी--"कैसी हो?"


"नाटा कहां है?"


" होगा किसी जुआघर में ।। मेरे पास यह टिकता कहां है । मगर आज उसे क्यों पूछ रही हो ?"


" क्रिस्टी !! जितनी जल्दी हो सके नाटे को साथ लेकर मेरे पास जा जाओं ।"


" बात क्या है दीदी ? आपकी आवाज कुछ......



मैंने एक काम में हाथ डाला था ।" उसकी बात काटकर मारिया कहती चली गई---'' मगर मामला कुछ ज्यादा ही वड़ा निकल अाया । लग रहा है--अकेली नहीं सम्भाल सकूगी । मुझें तुम दोनों की मदद ज़रूरत है । जितनी जल्दी हो सके अा जाओ ।।। कहने के बाद क्रिस्टी के जबाब की प्रतीक्षा किए बगैर मारिया ने रिसीवर क्रेडिल पर पटक दिया । दूसरे हाथ में मौजूद गिलास में भरी व्हिस्की वह एक ही झटके में पी गई ।।।।
" पर विनम्र !" श्वेता ने कहा --" जब तुमने कुछ किया ही नहीं तो डर क्यों रहे हो ?


"पता नहीं श्वेता । सोचता तो बार-बार मैं ही यहीं हूं मगर जाने, क्यों?" कहता-कहता वह खुद ही चुप हो गया । फिर अपनी सूनी आंखों से श्वेता को निहारा । एक बार निहारा तो निहारता ही चला गया । नजरों ने उसके चेहरे से हटने का नाम ही नहीं लिया ।।।


कितनी सुन्दर लग रहीं थी वह ।।


सारे जहां की लडकियों से कई कई गुना ज्यादा सुन्दर ।। मुखड़े पर कोई मेकअप नहीं था । अभी-अभी नहाकर बाथरुम से बाहर निकली थी । कंधों पर फैले उसके लम्बे बाल गीले थे । सिर पर लाल रंग का हेयर बैण्ड लगा हुआ था । गुलाबी रंग के गाऊन में वह ओस में नहाया गुलाब-सा लग.रही थी ।।।


विनम्र को अपनी तरफ 'एकटक' देखता देखकर श्वेता को बड़ा ' अजीब-सा लगा । पहले कभी उसने उसे ईस तरह देखते नहीं देखा था ।।


बिनग्र की आंखों से न उसे प्यार नजर आया, न ही खुशी, अजीब-सा खौफ था उनमें । वह पुकार उठी…"विनम्र।"


"हूं ।" विनम्र नींद में बोला ।


श्वेता को जो लगा, कह दिया…"तुम्हारी आंखों से वह ज्योति गायब है ।"


" कौन-सी ज्योति?"


"वह, जिसकी मैं हमेशा तारीफ किया करती हूं ।। वह, जो सामने बाले को अपनी तरफ़ खींचती-सी प्रतीत होती है । क्या हो गया है तुम्हें ? कहाँ खो अाए वह चमक अगर यह सव उस हादसे की वजह से है जिसके बारे में तुमने बताया तो यहीं कहूंगी-मैं सोच भी नही सकती थी तुम इतने कमजोर दिल बाले होंगे ।"

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Re: कठपुतली -हिन्दी नॉवल

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"क्या मतलब?"


"इतने नर्वस होने की आखिर वजह क्या है? आ ही क्या है?" श्वेता कहती चली गई----नागपाल ने होटल बुलाया । अपना काम निकालने के लिए लड़की पेश की । तुमने उसे ठुकरा दिया । बस ।। इतना ही किया तुमने । इससे गलत क्या ? बल्कि मैं तो कहूंगी---;तुम एक ऐसे लड़के हो जिस पर गर्व किया जाना चाहिए । उसके बाद---चाहे किसी ने बिदूू का किडनैप किया हो या बिज्जू को मार डाला हो! तुम्हें इतना परेशान होने की क्या जरुस्त है?"



"फिर भी, जानेक्यों?" विनम्र ने बात वहीं से शुरु की यहाँ छोडी थी-“मुझे लग रहा है, मैं किसी झमेले में फंसने वाला हूं ।”


"मैं भैया ,से कहूंगी---वे इस मामले को जल्दी जल्दी सुलझाए । तभी तुम खुद को उन घटनाओं से निकला महसूस करोगे ।


"वह तो या मानने को तेयार नहीं कि मैंने बिंदू को. . .


" मैं उन्हें बताऊगी तुम किसी बिंदू-विंदूके जाल में फंसने वाले नहीं हो ।"


" श्वेता तुम्हें यकीन है बिंदू मुझे बहकाने में कामयाब हुई होगी ?"


कोई और वक्त होता तो श्वेता विनम्र के उपरोक्त वाक्य पर बिल्कुल नहीं चुकती ।। जरूर 'चुहल' करती! कहती--------सारे मर्द एक जैसे होते हां । मुझें पूरा यकीन है-तुम भी "फिसल गए' होंगे ।।।.माहौल ऐसा नहीं था । श्वेता को लगा…बिनम्र पहले ही दुखी है । अगर उसने ऐसा कह दिया' तो फूट-फूटक्रर रो पडेगा । वह उसे सम्भालने के लिए थोडा अागे सरक अाई । प्रेमपूर्वक अपनी अंगुलियों से उसके बालो में कंघा करती बोली…"बिनम्र तुमने सोच कैसे लिया श्येता तुम्हारे बारे में उस ढंग से सोच सकती है जिस ढंग से एक पुलिस इंस्पेक्टर ने सोचा?"

उफ्फ!

इतना विश्वास?

श्वेता उस पर इतना विश्वास करती है?


और वह ।।


यह क्या कर रहा है ?
जरा भी तो विश्वास नही कर पा रहा । कर रहा होता तो सब कुछ सच-सच बता देता ।


अपने आपसे तीव्र घृणा हुई उसे ।



दिल श्वेता को सब बता देने के लिए बड्री "प्रचंडता' के साथ मचला मगर तभी, विवेक ने कहा---"कर मत देना ऐसी वेवकूफी ।। तेरे मुंह से लफ्ज निकले और. . फांसी के फंदे पर पहूंचा । " उसको तो खैर कुछ नहीं श्वेता की इन आंखो मे तेरे लिए नफरत ही नफरत भर जाएगी जिनमे इस वक्त केवल प्यार विश्वास नजर आ रहा है । नहीं! . . .श्वेता की अंगुलियां तेरे बालों को फिर कभी इतने प्यार से नहीं सहलाएगी ।'



'सव कुछ खो देगा तू! सब कुछ ।'


श्वेता का हाथ उसके हाथ मे था अनजाने मे वह उसे दबाता चला गया । ' मुंह से लफ्ज निकले -- 'मुझे तुम पर गर्व है श्वेता ।"


श्वेता ने उतने ही प्यार से कहा--" और मुझें तुम पर ।"


तभी वहां किसी के खकारने की आवाज आई

दोनों की तंद्रा मंग हुई । चौक कर दरबाजे की तरफ़ देखा ।।


वहां गोडास्कर खड़ा था ।

" भ-भैया !" कहती हुई श्वेता उसकी और लपकी ।।


"गोडास्कर सुन चुका है । . .सुन चुका है तुम गोडास्कर से क्या कहना चाहती हो ।" दरवाजा पार करके उसने श्वेता के बैडरुम में दाखिल होते हुए कहा-“हालकि तुम दोनों को एक-दूसरे पर उतना विश्वास होना ही चाहीए जितना है । मगर पुलिस की नौकरी किसी पर बिश्वास करना नहीं सिखाती बल्कि जब तक केस खुल न जाए सब पर शक करना सिखाती है । फिर भी मान लेता हूं विनम्र सच बोल रहा है । वाकई इसने खुद पर बिंदु का जादु नहीँ चलने दिया होगा । यह बात इसलिए मान लेता हूं अपने धर में गोडास्कर इंस्पेक्टर नहीं, " केवल और केवल गोडास्कर है । तेरा भाई, विनम्र; का होने वाला सालगराम ।" कहने के साथ उसने अपनी कैप उतार ली थी ।



"भैया ।" श्वेता ने कहा---"विनम्र उन धटनाओं के बाद से वहुत नर्वस है। अाप समझ सकते हैं यह स्वाभाविक है । एक अाम आदमी ऐसी खौफनाक घटनाओं से नर्वस नहीं होगा तो क्या लोगा इसलिए----- आपसे रिक्वेस्ट करती हूं जल्दी से जल्दी बिंदू का पता लगाने की कोशिश करो---जितनी जल्दी हो सके बिज्जू के हत्यारे को कानून के हबाले कर दो ।।। विनम्र तभी नार्मल हो पाएगा ।।
"कोशिश तो गोडास्कर यहीं कर रहा है । और उसी कोशिश के तहत आपसे कुछ पूछना चाहता हूं ।" अपने अंतिम शब्दों के साथ उसने नीली आखें विनम्र के चेहरे पर जमा दी थीं ।।। यह पहला मौका था जव वह बातें करने के साथ कुछ खा नहीं रहा था ।



वह विनम्र के मन का चोर ही था । जिसकी वजह से उसे लगा…नीली आंखें ब्लेड बनकर उसके कलेजे को चीर रही हैं । दिमाग बस में कोंधे इस सवाल ने उसका चेहरा फीका कर दिया कि… अब और क्या पूछने वाला है गोडस्कर ।


"जीजू ।" गोडास्कर न पूछा-- "आपने वकालत पड़ी हैं, न?"



. ' "धक्क धक्क' कर रहे दिल को नियंत्रित करने की कोशिश कर रहे विनम्र ने बहुत आहिस्ता से कहा…… "हुं ! तो?"



"गोडास्कर कुछ डिस्कस करना चहता है ।डिस्कस करके किसी नतीजे पर पंहुचना चाहता है उम्मीद है आप एक अच्छे बिचार कर्ता साबित होंगे !"


"कोशिश करूगा! तुम्हें जो कहना है, कहो ।" "


"सबसे पहले गोडास्कर यह स्पष्ट कर देना जरुरी समझता है । यहाँ गोडास्कर जितनी बाते करेगा इंस्पेक्टर होने के नाते नहीं बल्कि श्वेता का भाई और आपका होने बाला सालागराम होने के नाते करेगा।।।



जितनी भूमिका गोडास्कर बांध रहा था विनम्र की बैचेनी उतनी ही ज्यादा वढ़ती जा रही थी । यह शंका बार-बार उसके दिमाग पर टक्कर मार रहीं थी कि गोस्काकर कहीं उसे किसी जाल में र्फसाने की कोशिश तो नहीं कर रहा है? खुद को पूरी तरह चाक-चौबन्द करके क़हा-" ओ.के बोलो, क्या कहना चाहते हो ?"

सुईट से मिले विंदू की माला के मोती ने गोडास्कर को एक कहानी सुनाई ।"


"केसे कहानी?"


और ।


इस सवाल के जबाब मैं गोडास्कर ने जो कुछ कहा उसे सुनते ही विनम्र के दिल ने बहुत जोर से 'धक्क' की आवाज करने के बाद मानो धड़कना की बंद कर दिया । गोडास्कर की तरफ धूरता रह गया वह जेैसे आखें उस पर जमी होने के बावजूद उसे देख न रही हो । गोडास्कर ने कहा -- " गोडास्कर के ख्याल से बिदू की हत्या हो चुकी है ।"
होश फाख्ता हो गए विनम्र के । मुंह से बेसाख्ता निकला "म-मगर सुईट में तो मोती के बरामद होने पर तुमने यही कहा था-मर्जी से गायब नहीं हुई । उसे जबरदस्ती किडनैप किया गया । शायद उसी हाथापाई में माला .......


"वह सुईट था जीजू यह गोडास्कर का धर है । वंहा गोडास्कर खालिस इंस्पेक्टर था, यहां खालिसं गोडास्कर है । वहां गैर लोग भी थे यहां केवल अपने हैं । वहां एक पुलिस इंस्पेक्टर को अपने मुंह केवल उतनी बात निकलनी थी जिससे लोग यह न ताड सकें इंस्पेक्टर की सोच वास्तव में कहाँ तक पहुच चुकी है । यहां गोडास्कर वह सब कंहने में कोई हर्ज नजर नहीं अाता जो वह सोच रहा है।।। जहां तक उसकी सोच पहुच चुकी है?"



"क्या सोच रहे हो तुम?"


"मोती के वहीं बरामद होने का अाप क्या अर्थ निकालते हैं?"


विनम्र कुछ समझ नहीं सका इसलिए बोला-" क्या अर्थ निकालू ?"


" इतना अर्थ तो निकलता ही है न कि बिंदू के गले में मौजूद माला दूटी ! बगैर माला के टूटे तो मोती वहाँ गिर नहीं सकता ।"


"करेक्ट ।"


" माला के टूटने पर होती मोती तो सारे ही बिखर गए होगें ?"


" पक्की बात ।"


"मगर बाकी मोती वहां नही थे।"


" बिल्कुल नहीं थे ।"


"इसका मतलब वे चुन चुनकर उठा लिए गए ।" गौडास्कर का अन्दाज ऐसा था जेसे गणित के सवाल को हल करने की केशिश कर रहा हो ।।


" जब बांकी मोती नहीं मिले तो जाहिर है------जाहिर है चुन् ही लिए गए होगें ।"


"जो मोती गोडास्कर को मिला वह चुनने से रह गया होगा । इसलिए रह गया होगा क्योंकि यह पडा ही ऐसी 'जगह था जहां चुनने बाले की नजर नहीं पडी होगी अर्थात् गोडास्कर के हाथ उसकी निगाहों से चूका मोती लगा ।"


"मानता हूं ।"



"अब सवाल यह उठता है अगर बिंदू किडनेप हुई है तो किडनेपर को सारे मोती उठाकर ले जाने की क्या जरुरत थी?"
" क्या मतलब?"


"सोचकर" बताएं, क्या उसे ऐसा करने की ज़रूरत थी?"


"मेरे ख्याल से नहीं ।"'


"क्यों? "


"क्योकि बिंदू की माला के मोती दुनिया के किसी भी इन्वेस्टीगेटर को किडनेपर के बारे में कुछ नहीं बता सकते थे । "


"यही ! विल्कुल यही बात बार-बार गोडास्कर के दिमाग से टकरा रही है ।" उत्साहित अंदाज में यह कहता चला गया-किडनैपर घटनास्थल से उस वस्तु को हटाने की कोशिश तो करेगा जो किसी इन्वेस्टीगेटर को उस तक पहुचाने की क्षमता रखती हो, मगर उसे हटाने में अपना कीमती टाईम जाया नहीं करेगा जो उसे कोई नुक्सान नहीं पहुंचा सकती । "



"पक्की बात ।"


"बावजूद इसके सारे मोती चुन--चुनकर उठा लिए गए । इस हकीकत की रोशनी हमें क्या सोचने पर मजबूर कर रही है?”


"मेरी समझ में नहीं अा रहा, तुम कहना क्या चाहते हो?"


" हालात बता रहे हैं--विंदू का अपहरण नहीं हुआ ।"


"और क्या हुआ है?"


"वही, जिसकी सम्भावना गोडास्कर व्यक्त कर चुका है ।"


"यानी मर्डर विनम्र के चेहरे पर पसीना उभर आया----"तुम्हारे ख्याल से विंदुका मर्डर हुआ है? और लाश के साथ हत्यारा सारे मोती भी चुनकर लेगया?"


"करेवट ।"


"बात कुछ ज़मी नहीं ।"


"वजह ?"


'"जिस तरह मोती किडनैपर के बारे मैं कुछ नहीं बता सकते उसी तरह "हत्यारे" के बारे से भी कुछ नहीं बता सकते ।" विनम्र कहता चला गया----"' फिर इस फालतू के काम में अपना टाईम क्यों जाया करेगा ? नहीं गोडास्कर नहीं । पता नहीं तुमने मोती से यह नतीजा कैसे निकाल लिया कि बिंदू किडनैप नहीं हुई बल्कि कत्ल कर दी गई है? जहाँ तक मोतियों के गायब होने का सवाल है---यह काम जितना अनावश्यक किडनैपर के लिए था उतना ही हत्यारे के लिए भी था ।
" यस ।" उसने अपने एक-एक शब्द पर जोर दिया'--"गोडास्कर भी यही कहना चहता है । मोतियों को चुनकर ले जाना दोनो के लिए गैरजरूरी था मगर फिर भी यह काम हुआ तो सवाल उठता है-------क्यों , ये गैरजरुरी काम करना किसी को क्यों जरुरी लगा? गोडास्करं ने जब-इस पर सोचा तो जवाब आया…किडनेपर' को किन्हीं भी हालात में यह अनावश्यकं काम करने की जरूरत नहीं थी जबकि 'हत्यारे' को एक खास परिस्थिति मे यह काम करने की जरूरत थी ।"



"तुम्हारा इशारा कौन सी खास परिस्थिति की तरफ़ है?”


" तव जबकि बह यह चाहता हो कि-किसी को सुईट में हुई बिंदू की हत्या का पता न लगे ।"


"भला हत्यारे को ऐसा चहाने से क्या लाभ ।"'



" लाभ पर बाद में डिस्कस करेंगे जीजू। इस वक्त सवाल ये है कि---खास परिस्थिति में ही सहीं लेकिन हत्यारे को मोती चुनने की जरुरत थी जबकि किडनेपर को किसी भी परिस्थिति में ऐसा करने की जरूरत नहीं थी! यही तुलनात्मक विश्लेषण करने के बाद गोडास्कर इस नतीजे पर पहुंचा है कि बिंदुका अपहरण नहीं किया गया है बल्कि उसकी हत्या करदी गईहे।"



" ऐसा मान भी लिया जाए तो लाश कहां गई ?"


“हत्यारे ने ही गायब की होगी । जब वह चाहता ही नहीं किसी को सुईट में हुई हत्या के बारे में पता लगे तो लाश को सुईट मे कैसे छोड सकता था ?"


"सवाल फिर वही है---हत्यारा ऐसा क्यों चाहेगा? "


"केवल एक ही परिस्थिति मैं चाह सकता है----" जबकि वह यह समझता हो कि यदि लाश सुईट में बरामद हुई या किसी को यह पता लगा कि हत्या सुईट में हुई है तो सीधा सीधा वही पकड़ा जाऐगा ।"



" ऐसा शख्स कौन हो सकता है?" विनम्र ने पूछा ।



गोडास्कर ने एक ही झटके में कह दिया------" आप ।"


" म म मै ।" विनम्र बौखला उठा ।


" केबल आप ही ऐसा चाह सकते हैं ।" गौडास्कर ने एक बार फिर अपने एक्र-एक शब्द पर जोर दिया ।


"त-तुम्हारा दिमाग खराब हो गया है ।" वह चीख पड़ा---" भला मैं ऐसा क्यों चाहने लगा ?"
"क्योकिं सुईट से लाश बरामद होने पर सीधे अाप ही को फंसना था ।"


विनम्र ने प्रतिरोध करने की भरपूर कोशिश की मगर आवाज हलक से बाहर न निकल सकी ।


" भैया!'' बुरी तरह बैखलाई हुई श्वेता चीख पड़ी---" ये क्या कह रहे हैं आप?"



"अब जाकर भूख लगी है गोडास्कर को! कुछ खाना पड़ेगा । कहने के साथ उसने जेब से एक चाकलेट निकल ली । उस वक्त वह उसके सिरे से रेपर हटा रहा था जब बुरी तरह उत्तेजित और भन्नाई श्वेता ने गोडास्कर के कंधे को पकडकर उसे हिलाने की नाकाम क्रोशिश के साथ कहा------" ये क्या बकवास है भैया! आप विनम्र को हत्यारा कह रहें हैं ।"

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Re: कठपुतली -हिन्दी नॉवल

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गोडास्कर पर जरां भी फर्क नहीं पड़ा । उसके चेहरे पर निश्चिन्तता के ऐसे भाव थे जैसे पता ही न _हो श्वेता इस वक्त भावनाओं के कैसे …चक्रवात से गुजर रही है।


उधर ।।।


विनम्र यूं खड़ा हो गया था जैसे पहला वन डे' खेल रहे किसी खिलाडी को एम्पायर ने पहली गेद पर गलत आउट दे दिया हो । जैसे यकीन न आ रहा हो कि पलक झपकते ही उसके जीवन की सबसे बडी ट्रेजडी हो चुकी है ।


गोडास्कर ने चाकलेट में "बुड़कै' मारा । उसे "चिगलना' शुरू किया और बोला-----" बहना, गोडास्कर को गलत समझ रही हो! गोडास्कर ने जीजू को कातिल नही कहा बल्कि केबल इतना कहा है------जो सवाल जीजू ने खुद उठाया उसका जवाब जीजू को कातिल सिद्ध कर ऱहा है ।"


"अब...... अब जाकर मेरी समझ में तुम्हारी चिकनी-चुपड्री बातो का मतलब अाया है ।" उत्तेजित अवस्था में विनम्र चीखता चला गया---" ठीक कहा है किसी ने । तुम पुलिस वाले न किसी के दोस्त होते हो न रिशतेदार ।। पुलिस बाले तो सिर्फ पुलिस वाले होते है । बाहर भी और घर में भी। सुअर का बाल होता है तुम्हारी आखों में । तुमने देखा श्वेता? देखा तुमने बात किस अंदाज से शुरू की थी इसने और कहां जाकर ख़त्म की । कहता था घर में गोडास्कर इंस्पेक्टर नहीं, केवल गोडास्कर है जबकि भूमिका पूरी तरह इंस्पैक्टर की निभाई ।
ऐसा है तो ऐसा ही सही गोडास्कर, मैं भी मुकाबला करने के लिए तेयार हू। अपनी हवाई कल्पनाओं से तुम मुझे हत्पारा साबित नहीं कर सकते ।"


" बौखलाओ मत जीजू ।" गोडास्कर बड़े आराम से चॉकलेट खा रहा था'---""तर्क बितर्क करते हुए गोडास्कर के साथ जिस निष्कर्ष पर अाप खुद पहुंचे हैं, उसे अब हवाई कह देने से बात हवाई नहीं हो जाती ।"



"ये हवाई कल्पनाएं नहीं तो और क्या हैं? लाश बिज्जू की मिली है, तुम उसके कातिल को तलाश करने की जगह मुझे उसका हत्यारा _ ठहरा रहे हो जिसके बारे में अभी गारंटी से यह तक नहीं कृहा जा सकता कि उसका मर्डर हो गया है ।"


"यहां गोडास्कर आपको एक छोटी-सी-कहानी सुनाने के मूड में आ गया है जीजू"' विनम्र के व्यंग्य पर ध्यान दिए बगैर उसने चौकलेट में एक ओर वुडक मारा और जुगाली-सी करता बोला…" सुईट में किसी बात पर आपके और बिंदुकै बीच झगडा शुरू हो गया । झगड़ा … इतना बढा कि उत्तेजित होकर अापने उसकी हत्या कर दी । इस लाश को देखकर बिज्जू के होश उड़ गए । उस बिज्जू के जो अापके औऱ बिंदू के फोटो खींचने की मंशा से पहले ही सुईट में छुपा बैठा था । कल्पना क्री जा सकती है कि "सोशल सीन की उम्मीद कर रहे बिज्जू की "क्राईम सीन देखकर किस कदर धिग्धी बंधी होगी । हो सकता है पटठे की चीख ही निकल गई हो ।। जैसा भी हुआ मगर हुआ ये कि आपकी नजर उस पर' पड गई अब. . ,आपके पास उसका भी खात्मा कर देने के अलावा . क्रोई विक्रल्प नहीं था।"



"वहुत खूब.. यानी दूसरा मर्डर भी तुमने मेरे ही मत्ये मढ़ दिया?"


"कातिल कातिल होता है जीजू! अपनी गर्दन बचाने के लिए वह -दो क्या, दस मर्डर भी कर सकता है ।" गोडास्कर कहता चला गया…दोनों कल्ल करने के बाद आपको होश आया! सोचा यह आप क्या कर बैठे? मगर, जो हुआ वह हो चुका था । अब तो आपकी कातिल के तरह अपने बचाव का रास्ता सोचना था । सोचना शुरू किया तो पाया लाश अगर सुईट में बरामद हुई तो मैं सीधा-सीधा फंस जाऊंगा । लिफ्टमैन ने, वेटर ने और होटल के सारे स्टाफ ने मुझे और बिंदू को यहां अाते देखा है । नागपाल को भी इस मीटिंग के बारे मालूम है । सारे हालात पर गोर करने के बाद आपका इन सौचों पर पहुचना स्वाभाविक था कि लाशें सुईट से हटा दी जाये । ऐसा कोई 'भी बिन्ह त्त रहने दिया जाए जिससे पता लग सके यहाँ कुछ हुआ है । सुईट की बाकायदा सफाई की । मोती चुने और विज्जू-की लाश लिफ्ट के कुचे में डाल दी । इसी वजह से वह लिफ्ट की छत पर पडी मिली ।"


"अब जरा यह भी बता दो, मैंने बिंदू की लाश का क्या किया?" अंदर से घबराए हुए विनम्र ने अपनी आवाज ने "व्यंग्य" का पुट भरने की भरपूर कोशिश की । "


"बृह भी 'लुढका' दी होनी कहीं! देर-सबेर मिल जाएगी ।"


विनम्र पर कुछ कहते नहीं वन पड़ा । गोडास्कर ने ठीक कहा था-देर-सवेर बिंदू की लाश को भी मिलना तो था ही । इसका मतलब लाश… मिलते ही गोडास्कर उसके हाथो में हथक्रड्री डाल देगा । वह तो लगभग कंफर्म है कि हत्या मैंने ही की है बल्कि हत्या नहीं हत्याएं । उफ्फ! यह कैसे झमेले में फंस गया मैं? यह भी मेरे है द्वारा किया गया सिद्ध हो रहा है जो नहीं किया । किसने किया वह सब? किसने?, सुईट से लाश और मोती गायब किसने किए? किसने सफाईं की और...


बिज्जू का हत्यारा कौन है? यह सब किसी ने क्यों किया?


विनम्र की समझ में कुछ नहीँ आरहा था ।


दिमाग ऐसा लग रहा था जैसे किसी शिकंजे में ज़कड़ा गया हो ।


"क्या हुआ जीजू! आपको तो लकवा ही मार गया । डिस्कसन है बंद कर दिया । इस तरह बाते अागे कैसे बढ़ेगी ?"



"‘डिस्कसन के लिए अब बचा ही क्या है ? सारी वात तो तुम सिद्ध कर चुके हो । मैं हत्यारा हूं । तो ये रहे मेरे हाथ है'' बुरी तरह चीखते हुए विनम्र ने अपने दोनों हाथ उसके सामने फैला दिए---'हथकडी पहनाओं इनमें । बस यही कसर रह गई है । मैं तुम पुलिस वालो क्रो अच्छी तरह जानता हूं । तुम लोग इतने "टेलेन्टिड' होते होो कि चाहो तो चाहे जिस केस में प्रधानमंत्री तक को मुजरिम साबित कर दो । मगर ये हवाई बाते, कल्पना की उड़ान अदालत में नहीँ चलेगी गोडाल्कर !! बहां सुबूतों की ज़रूरत पडेगी! गवाहों की जरूरत पडेगी!
कहां से लाओगे मेरे खिलाफ सबूत और गवाह?"



"वह भी प्रस्तुत कर देता हूं । अागे डिस्कस तो करो । क्या सुबूत चाहिए आपको ?"
"अब मुजे तुमसे कोई डिस्कस नहीं करना । गिरफ्तार कस्ना चाहते हो तो कर लो ।” दडाड़ने के वाद वह श्वेता की तरफ घूमकर बोला --" तुमने देखा श्वेता! देखा तुमने-----एक इंस्पेक्टर किस तरह तुम्हारा भाई बनकर मुझे ठगने की कोशिश कर रहा है?”


"भैया! हो क्या गया है आपको ?" श्वेता मानो पागल हुई जा रहीं थी----" आपने तो विनम्र को हत्यारा सिद्ध कर दिया । अाप मेरे भाई है या दुश्मन?"



"भाई हूं बहना! पक्का भाई ।" गोडास्कर ने चॉकलेट में बुड़क मारा---" तभी तो अाने वाले खतरे से आगाह कर रहा हूं ।"


"आगाह कर रहे हो?"


"और तूं निर्बुद्धी समझ रही है-गोडास्कर जीजू को फंसाने के चक्कर में है । "


हकबकाई श्वेता गोडास्कर की तरफ देखती रह गई वह समझ न पा रही , वह क्या कह रहा है ?"



" एक बार फिर चॉक्लेट चबाता गोडास्कर कहता चला गया--"'इतनी बाते गोडास्कर की खोपडी में सुईट से मोती मिलने के साथ ही आ गई थी मगर बहाँ यह सब नहीं कहा ।। जरा सोच---क्यों नहीं कहा? उन सबके सामने कह देता तो क्या हाल होता जीजूका? अब वता-गोडास्कर तेरा भाई है या दुश्मन?"

विनम्र के मुह में तो पहले ही जुबान नहीं थी । अब श्वेता भी है बेजुबान हो गई ।"


"दिमाग तो तुम्हारे पास भी काफी अच्छा है जीजू! तुम भी सोचो---अपने ये बातें गोडास्कर ने वहां, सबके सामने क्योंं नहीं की ? ये बाते करने के लिए यही जगह क्यो चुनी ?"


गोडास्कर की इस बात ने विनम्र को सोचने पर मजबूर कर दिया । इस एक ही बात से उसे लगा वाकई गोडास्कर यहां इंस्पैक्टर नहीं, श्वेता का भाई है । मगर, विवेक ने तुरन्त एलर्ट किया ---"'गेडास्कर का यह बदला हुआ रुख उससे उगलवाने के लिए एक इंस्पेक्टर का "नया पैतरा' भी हो सकता ।' पूरी तरह सतर्क हो गया वह । गोडास्कर के किसी भी शब्द-जाल में न फंसने का, निश्चय करके बोला----" तो मुझे कातिल मानने, के बावजूद मदद करना चाहते हो ।"


"नहीं जीजू! ऐसा नहीं है ।" उसने कहा---" इतना घटिया पुलिसिया नहीं है गोडास्कर ।"
"तो ये सब बाते बहाँ ना कहकर यहां क्यों कहीं?"


"क्योंकि गोडास्कर जानता है------- जो तर्कों की कसोटी पर सही नजर आ रहा है, वह गलत है । गोडास्कर का "एक्सपीरियेंस' कहता है ऐसा अक्सर हो जाता है ।।। तर्क उस बात को सृही सिद्ध करते नज़र अाने लगते हैं जो अक्सर गलत होती है ।"


" क्या मतलब ?"



"मेरे ख्याल से अाप बेगुनाह हैं ।"


विनम्र उसे देखता रह गया ।


श्वेता की आंखों से आंसू भर अाए । मुह से निकला-"आप सच कह रहें है न भैया ?"


"बिल्कुल सच पगली । कहने के साथ गोडास्कर ने श्वेता को खीचकर अपनी विशालकाय छाती से लगा लिया था । श्वेता का तो मानो बांध टुट पड़ा । उसकी छाती ने मुखड़ा छुपाए बह -फूट फूट कर रो पडी । आंखें गोडस्कर की भी भर आई थी मगऱ उसने जल्दी से चॉकलेट मुंह में ठूंस ली और उसे चबाने के बहाने छलक पडने को तेयार आंसूओं को पी गया।


"ये सव किया है गोडास्कर ।" विनम्र ने कहा---"पल में माशा पल में तोला! कभी कहते हो मैं कातिल हूं , कभी कहते हो नहीं हूं । मेरे साथ आखिर खेल क्या खेल रहे हो तुम?"



"कोई रोल नहीं रोल रहा हूं जीजू! भला गोडास्कर उसके साथ खेल कैसे खेल सकता है जो उसकी नन्ही-सी बहन की जान है । "
गेडास्कर तो केवल यह सिद्ध कर रहा था कि अभी तकृ के हालात आपको और सिर्फ अाप ही को हत्यारा साबित कर रहे हैं मगर......

" मगर ?"


"गोडास्कर की प्रॉब्लम ये है कि पुलिस विभाग में गोडास्कर अतिम अफसर नहीँ है ।केबल इंस्पैक्टर है ।
अफसर गोडास्कर के उपर भी हैं । कल उन सबको भी इस केस की डिटेल पता लगेगी । गोडास्कर से ज्यादा ही दिमागदार हैं वे ।हालात जो कहानी गोडास्कर के दिमाग में सेट कर रहे हैं, ऐसा हो नहीं सकता यहीं कहानी उनके दिमाग से भी सेट न हो जाए ।। ऐसा हो गया तो गोडास्कर की तो बात ही दूर; ऊपर बाला भी जीजू को नहीं बचा सकता ।। होने वाले जीजू को बचाने के इल्जाम में गोडास्कर की वर्दी उतरेगी सो अलग ।"
"इसका क्या हल है? "

"हल केवल एक ही है----गोडास्कर जल्द से जल्द असली कातिल की गर्दन दबोच ले ।"


"तो भैया करो न ऐसा ।"


"उसके लिए जीजू की मदद चाहिए ।"


"भला विनम्र मदद क्यों नहीं करेगा ?" वह विनम्र की तरफ घूमी-"क्यों विनम्र?"


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Re: कठपुतली -हिन्दी नॉवल

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विनम्र समझ नहीं पा रहा था---गोडास्कर जो कह रहा है 'दिल से' कह रहा है या कोई खेल खेल रहा है । श्वेता की बात अलग थी । बह अपने भाई के साथ भावनाओं में बह गई धी । उसके सबाल के जवाब मैं कहना तो विनम्र को बहीं पड़ा-"अजीब बात है । जब मुझे बेगुनाह साबित करने की कोशिश करेगा तो भला मैं मदद क्यों नहीं करूगा? बेगुनाह तो मुझे ही साबित होना है ? बोला---क्या मदद चाहिए मेरी?


"आप सुईट में बिदू कै साथ कितनी देर रहे ?"

विनम्र पास जवाब तैयार था-किरीब बीस मिनट ।"


"क्या उस बीच अापने बहाँ आपने और बिंदूके अलावा किसी और की मौजूदगी महसूस की?"

"नहीं ।"


सुईट से निगलते वक्त दरवाजा धीरे से बंद किया था या जोर से ?"


"इससे क्या फर्क पड़ता है?"


"गोडास्का यह जानना चाहता है जीजू आपके निकलने के बाद दरवाजा लॉक हो गया था या केवल भिड़ा रह गया था । अच्छी तरह सोचकर, याद करके ज़वाब दो ।"


"दरवाजा मैंने जोर से ही किया था, लॉक हो गया होगा ।"



"इसका मतलब ये हुआ, आपके निकलने के बाद सुईट मे बाहर से तभी दाखिल हुआ जा सकता था जब बिंदू अदर से दरवाजा खोलती ।"


"मेरी समझ में नहीं आ रहा । ये फालतू कै सवाल मुझसे क्यों पूछे जा रहे हैं? " अतत: विनम्र फट ही पड़ा आखिर कैसे इनके जवाब हासिल करके असली हत्यारे तक पहुचा जा सकता है?"





"ताव मत बनाओ जीजू! गोडास्कर यह पता लगाने की कोशिश कर रहा है…आपके बाद सुईट मे जो शख्स गया उसे बिंदू ने खुद बुलाया था या जबरन घुस गया क्योकि सम्भावना उसी के कातिल होने की है ।"
"ताव मत बनाओ जीजू! गोडास्कर यह पता लगाने की कोशिश कर रहा है…आपके बाद सुईट मे जो शख्स गया उसे बिंदू ने खुद बुलाया था या जबरन या जबरन घुस गया क्योंकि सम्भावना उसी के कातिल होने की ।"


"सिर में दर्द हो गया है मेरे! पता नहीं साले को मुझसे क्या दुश्मनी थी जो मुझे इस झमेले_मेँ फसा दिया?"


" यही ! ठीक यहीं लाईन है यह जिस पर गोडास्कर काम कर रहा वह कहता चला गया----"'किसी ने आपको फ़'साने की कोशिश की केशिश की है ।"



विनम्र के दिमाग में विस्फोट-सा हुआ ।


" हां । " विचार कौंधा--- "यही लाईन ठीक है । मुझे इसी लाईन पर काम करना चाहिए । कोई मुझें फंसाने की कोशिश कर रहा है । और बात ठीक तो है । मैंनें सुईट से लाश कब हटाईं? कब बिंदू की माला के मोती चुने ? मेनें कहाँ मारा बिज्जू को ? यह सब तो किसी और ने किंया । न किया होता तो है झमेला इतना न बढ़ता । सीधे--सीधे तरीके से विंदुकी लाश बरामद हो जाती । मैं यह कहकर चुपी साध लेता---" मेरे वापस आने तक बो जिंदा थी ! गोडास्कर हत्यारे की तलाश में हाथ-पैर मारकर रह जाता । लाश गायब न होती तो इस वक्त वे आते ही पेदा न होतीं । जिनके मुताबिक सबसे ज्यादा संदिग्ध मैं हू । गोडास्कर सही लाईन पर सोच रहा है'------लाश और मोती गायब करने वाले ने मुझे फंसाने की केशिश की है! बिज्जू की लाश भी वह मेरे ही गले में लटकानी चाहता है! पर वो है कौन है?"


"क्या सोचने लगे जीजू! " गोडास्कर की आवाज सीधी उसके जहन पर टकराई--""बीच'-बीच में अाप कहां' खो जाते है?"


"ब-बिल्कुल ठीक सोच रहे हो तुम ।" विनम्र अपनी सोचों के 'दायरे से बाहर आया'--"बिल्कुल ठीका यकीनन किसी ने मुझे फंसाने की कोशिश की है ।"



"कौन हो सकता है वह?" "इस बारे मे क्या कह सकता हूं ?"


"नहीं जीजू! इतनी जल्दी जवाब मत दो और. . .इस सवाल को इतने 'हल्केपन' में भी मत लो ।" गोडास्कर ने कहा----“केवल यही यह सबाल है जिसका जवाब आपको हत्यारे के जाल से बचा सकता है । अच्छी तरह सोचकर जवाब दो-------कौन रच सकता है आपकी फ़साने का षडृयंत्र? ऐसे षडृयंत्र केवल दो तरह के लोग रचते है । कोई वहुत वड़ा दुश्मन या वह, जिसे कोई लाम होने वाला हो । दिमाग घुमाओं--आपका इतना बड़ा दुश्मन कौन है? या आपके फंसाने से किसे लाभ हो सकता है?"


"भैया ठीक कह रहे है विनम्र !" श्वेता बोली-----"तुमने कुछ नहीं किया । फिर भी हालात ऐसे हैं जैसे दोनो हत्याएं तुम ने की हो । कौन क्रियेट कर सकता है ऐसे हालात ? कोई तो हे जो फंसाने की केशिश कर रहा है । कौन है वो ? सोची विनम्र-कौन हो सकता है?"


विनम्र को कोई नाम नहीं सुझ रहा था ।


गोडास्कर ने पूछा……"'चक्रथर चौबे के बारे में आपका क्या ख्याल है ?"


"च-चक्रधर चौबे?" विनम्र उछल पड़ा----व -वे तो मेरे मामा हैं ।"


"कंस हो या शकुनी, मामा अक्सर विलेन निकलते हैं ।'"


"पर भैया ।" श्वेता ने कहा-------" वे ऐसा क्यों चाहेंगे?"


"इस सवाल का गोडास्कर के पास सशक्त जवाब है । "


"क-क्या? '"



"विनम्र के बाद 'भारद्वाज कंस्ट्रक्शन कम्पनी ...........


"नहीं !!!!! नहीं?" उत्तेजित अवस्था में विनम्र हलक फाड़कर चीख पड़ा--------ऐसा नहीं हो सकता! श्वेता, अपने भाई से कहो-पुलसिंया उड़ानों में उड़ना बंद करे । इसे नहीं मालूम मामा मुझे कितना चाहते है । उनके बारे में ऐसा सोचना भी पाप है ।।"


"विनम्र ठीक कह रहा है भैया ।" श्वेता बोली…"' मामा इससे बहुत प्यार करते है । वे कभी विनम्र का बुरा नहीं चाह सकते ।"



गोडास्कर के होठों पर ऐसी मुस्कान उभरी जैसे उसकी समझ के मुताबिक वे 'बचकानी' बाते कर हों ।


जेब से एक खजूऱ निकालकर उसने अपने मुह में सरका लिया था ।
चक्रधर चौबे का मोबाईल बजा ।।


जबरदस्त बेचैनी के साथ स्कीन पर स्पार्क कर रहे नम्बर पर नजर डाली । नम्बर पूरी तरह अंजान था । इसके बावंजूद उसने कॉल रिसीव की । हैलो कहते ही दूसरी तरफ़ से कहा गया----"मे बोल रहा हूं ।"



"त-तुम ।। तुम हो कहां ? " चक्रधर चौबे भड़क उठा---"रिपोर्ट क्यों नहीं दी ?"


“बही देने के लिए फोन किया है ।"


"अब । सुबह के ग्यारह बजे ।" वह कुछ और भड़का-----" यह रिपोर्ट तुम्हें कल-रात देनी थी! अपना मोबाईल भी बंद कर रखा या तुमने! रात से सेक्ड़ों बार ट्राई कर चुका हू ।"



दूसरी तरफ से हंसने की आवाज़ अाई । अंदाज ऐसा था जेसे उसकी बेचैनी का मजा लूटा जा रहा हो ।।



" तुम हंस रहे हो ।" चक्रधर चौबे के सारे जिस्म में चिंगारियां सी दौड गई-----"'क्यों हंस रहे हो तुम?"


उसे सुलगा देने वाले अंदाज में कहा---"तुम्हारी बेचैनी पर हंस रहा हूं सेठ ।।"'


"क-क्या मतलब?"


"नीद आ गई थी । कुछ देर पहले ही सोकर उठा है । घडी पर नजर गई तो सोचा तुम मुझसे बात करने के लिए मरे जा रहे होंगे । इसलिए फौरन फोन मिला दिया ।। "



"अजीब आदमी हो! मैं सारी रात एक पल के लिए नहीं सो सका और तुम कहते हो…सो गए थे । इतने बेसुध होकर कि आंखे ही अब खुली । ऐसे काम के बीच भला कोई ऐसी नीद कैसे भी सकता है?”


"क्या करता सेठ? दारू कुछ ज्यादा ही पी गया था । साली खोपडी पर सवार हो गई ।"



"खैर ।...काम हो गया?"


"बो पता लग ही गया होगा तुम्हें! मैंने "आज़ तक' पर देखा है, तुम ने भी देख लिया होगा---पुलिस को सुईट नम्बर सेविन जीरो थर्टीन से कोई लाश नहीं मिली मगर लिफ्ट की छत से एक लाश मिली है । ये चक्कर क्या है सेठ, पिछली रात ओबराय में कितनी लाशे थी ? एक मैं उठा लाया । दूसरी लिफ्ट की छत से मिली है । "आज़ तक' पर लाश देखी भी है मैंने! किसी फोटोग्राफर की बताई जा रही है कहा जा रहा है-----वह कल दोपहर दो बजे से सुईट नम्बर...



"उसे छोडो ?" चक्रधर चौबे ने दूसरी तरफ़ से बोलने वाले की बात काटकर कहा----“ये बताओ-तुमने अपनी लाश का क्या किया !"'



"अपनी लाश?" हंसी पुन: उभरी----"मैं अभी जिंदा हूं सेठ ।।"



" म - मेरा मतलब । विंदु की लाश से है । उसे तो ठिकाने लगा दिया न तुमने?"

"नहीं । "
" क क्यों ? "


"अभी तो बताया-मुझे नींद आ गई थी ।"


"बडे अहमक आदमी हो! लाश को अपने साथ लिए घूम रहे हो । मगर........मगर ऐसा भला तुम कर कैसे सकते हो? लाश को साथ लेकर घूमना क्या मजाक है । उसे फौरन ठिकाने लगा दो ।"


“लगा दूंगा । मगर.......


"मगर?"



" उससे पहले मुझे तुमसे कुछ बातें करनी हैं सेठ ।"



"क्या बातें करनी हैं ? और फिर, बाते तो बाद में भी होती रहैगी ।। सबसे पहले लाश को ठिकाने लगाओ । उसके साथ पकडे गए तो सारे किए धरे पर पानी फिर जाएगा ।"



"कुछ नहीं होगा सेठ ।। लाश मेरे पास है । जब मैं नहीं डर रहा तो तुम क्यों मरे जा रहे हो?"



"क्या बाते करना चाहते हो?"


"फोन पर नहीं हो सकती । यहीं चले आओं ।"



" कहां ?"



"जब फोन रख चुकूं अपने मोबाईल पर नंम्वर देखना । इस नम्बर को डायरेवट्री में तलाश करना । जब मिल जाए तो नम्बर के सामने लिखे एड्रेस पर दौड़े चले अाना मेरा नाम लेते ही तुम्हें मेरे पास पहुचा दिया जाएगा ।" कहने के बाद दुसरी तरफ से चक्रधर चौबे को बोलने का मौका दिए बगैर रिसीवर रख दिया गया ।


चक्रधर चौबे की हालत ऐसी हे गई जैसी पतंग उड़ा रहे बच्चे की हालत अचानक डोर टूट जाने पर होती है ।



" जल्दी से स्क्रीन पर नजर अाता नम्बर पढ़ा । डायरेक्ट्री उठाई ।

नम्बर खोजा!


उसके सामने लिखा एड्रेस एक कागज पर नोट किया और लगभग भागता हुआ-सा "भारद्वाज बिला' के गैरेज में पंहुचा।। अपनी मर्संडीज़ निकाली । अगले मिनट मर्सडीज़ बिला का लोहे बाला गेट क्रास करने के बाद उस एड्रैस की तरफ दौड रही थी जो अजन्ता नामक किसी होटल का था ।


बीस मिनट बाद मर्संडीज अजन्ता होटल के बाहर रुकी ।



प्यास बुझाई नौकर से Running....कीमत वसूल Running....3-महाकाली ....1-- जथूराcomplete ....2-पोतेबाबाcomplete
बन्धन
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दिल से दिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
तुफानो में साहिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
यूँ तो मिल जाता है हर कोई!
मगर आप जैसे दोस्त नसीब वालों को मिलते हैं!
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