12
"तुम्हें मेरी बात बकवास लग रही है ।" "सरासर बकवास लग रही हैं। मैं सच जानना
चाहता हूं।" "सच यही है ।" "फिर बकवास? जबकि सच ये है कि या तो
तुम कोई जासूस हो, या फिर राष्ट्रपति सर
एडलॉंफ की कोई कट्टर समर्थक, जो जानबूझ
कर किसी खास मकसद से आर्मी एरिया में
घुसी हो ।" " मेरे मेहरबान दोस्तों सच तो ये था कि मैं
जानबूझकर आर्मी एरिया में नहीं कूदी थी ।
मेरा एकमात्र मकसद सिर्फ चोरी-छिपे
मडलैण्ड नाम के इस मुल्क की सीमा में प्रवेश
करना…था । नक्शे के मुताबिक मुझे किसी
अन्य सुरक्षित जगह पर कूदना था । किन्तु रात के अंधेरे मे विमान की दिशा भटक जाने
से मैं इस जगह पर कूद गई थी । मुझे तो सपने
में भी गुमान नहीं था कि वो आर्मी एरिया
होगा । " तुम्हें गलतफहमी हो गई है कमाण्डर ।" मैंने
पूरी ठीठता से … . कहा…"मै न तो कोई जासूस
हू ओर न ही किसी राष्ट्रपति से मेरा कुछ
लेना-देना है । मैं तो सर एडलॉंफ का नाम भी
तुम्हारे मुंह से पहली बार सुन रही हू। मैं तो
एक साधारण युवती हूं।" " ज्यादा चालाक बनने की कोशिश मत
लड़की । तुम मुझे बेसिर-पेर की कहानी
सुनाकर बेवकूफ नहीं वना सकती । मेरा नाम
कमाण्डर बरनाड है । मैं उड़ते हुए पक्षी के पर
गिनने की कुव्वत रखता हूँ । अगर तुम अपनी
खैरियत चाहतीं हो तो सब कुछ सच सच बता दो, वरना अंजाम वहुत बुरा होगा ।" "मेरी बात का यकीन करों कमाण्डरा मैंने तुम्हें
जो कुछ बताया है, सच ही बताया है ।" मैंने
भोलेपन-से जवाब दिया । बरनाड के चेहरे पर मानो आग बरसने लगी ।
उसकी आँखे और भी ज्यादा सुर्ख हो उठी ।
होठों से गुर्राहट खारिज हुई---" क्या
समझती हो कि इतना कह देने से तुम्हारा
छुटकारा हो जायेगा । जब तक तुम सब कुछ
सच-सच नहीं बता देती, तब तक तो मैं तुम्हें मरने भी नहीं दूगा ।" मैं खामोश रहीं । क्षण भर ठहरकर बरनाड ने पुन: कहा---"' तुम
सोच रही हो कि तुम यहाँ से बचकर निकल
जाओगी तो ये तुम्हारी भूल है ।" मन हीं मन मुस्कृराई । वो बेचारा क्या जानता
था कि मेरा नाम रीमा भारती है । मैं तो सात
तालों के भीतर से भी हवा का झोका बन जाने
की हिम्मत रखती हूं ।
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Re: हिन्दी नॉवल-काली दुनिया का भगबान - रीमा भारती सीरीज
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दिल से दिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
तुफानो में साहिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
यूँ तो मिल जाता है हर कोई!
मगर आप जैसे दोस्त नसीब वालों को मिलते हैं!
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Re: हिन्दी नॉवल-काली दुनिया का भगबान - रीमा भारती सीरीज
13
वह तो आर्मी एरिया से निकलने की बाते
कह रहा था, मुझे तो बस मौका मिलना
चाहिये, फिर उनके पास हाथ मलते रह जाने
के अलावा और कोई रास्ता नहीं बचने वाला था
। "जवाब दो ।" कमाण्डर ने फिर यही राग
अलापा-"वरना तुम्हें इतनी यातनाएं दी
जायेंगी कि तुम्हारी आत्मा भी सच बोलने
पर मजबूर हो जायेगी । शायद तुम्हें नहीं
मालुम कि हम आर्मी बाले यातनाएं देने के ऐसे
भयानक तरीके जानते हैं कि हमारे सामने बेजुबान पत्थर भी गा-गाकर सब कुछ उगलं देते
हैं । तुम्हारी तो औकात क्या है?" "मैं तुम्हें कैसे समझाऊं कमाण्डर... ।“ वह मेरा वाक्य बीच में ही काटकर बोला…"मुझे
समझाओ मत । सिर्फ जवाब दो।" मैंने कंधे उचकाये। मेरी इस हरकत पर उसका पारा सातवें आसमान
पर पहुंच गया । परिणामस्वरूप उसने अपना
हाथ पुन: घुमा दिया । तड़ाक . . . इस बार उसका शक्तिशाली थप्पड़ मेरे दूसरे
गाल पर पड़ा था । मुझे ऐसा लगा मानो मेरा गाल
दहकते अंगारे में तब्दील हो गया हो । चेहरे परे
पीड़ा की असंख्य रेखाएं खिंचती चली गई,
लेकिन फिलहाल तो मुझे सब कुछ बर्दाश्त
करंना ही था । "मुझे क्यों मार रहे हो कमाण्डर?" मैं अपना
गाल सहलाती बोली ---- " क्या तुम इतना भी
नहीं जानते कि एक लडकी के साथ सलूक
किया जाता है?" "हम आर्मी वाले अपने दुश्मन कै साथ एक
जैसा ही सलूक करते हैं ।" उसके होठों से शब्द
नहीँ मानो आग बरसी । " अब मैं तुम्हारी दुश्मन हो ग़ई ।" "जो शख्स चोरी-छिपे आर्मी एरिया में घुस
आये । वो दुश्मन नहीं है तो क्या दोस्त
होगा?" मैं बेबसी से अपने दांतों से निचला होठ
कुचलकर रह गई । "ये ऐसे अपना मुंह नहीं खोलेगी । इसे टॉर्चर
बैरक में ले चलो ।" कमाण्डर सैनिकों को
सम्बोधित करके आदेश पुर्ण लहजे में
बोला-----"हमें हर कीमत पर इसकी
असलियत जाननी है ।" सैनिक मुझे रायफलों की नोक पर धकेलते हुए
टॉर्चर बैरक की तरफ़ बढे । मैं ससंझ गई कि अब मुझे यातनाओं के भयानक
दौर से गुजरना होगा । अत: मैं स्वयं को
यातनाएं सहने के लिये मानसिक रूप से तैयार
करने लगी ।
वह तो आर्मी एरिया से निकलने की बाते
कह रहा था, मुझे तो बस मौका मिलना
चाहिये, फिर उनके पास हाथ मलते रह जाने
के अलावा और कोई रास्ता नहीं बचने वाला था
। "जवाब दो ।" कमाण्डर ने फिर यही राग
अलापा-"वरना तुम्हें इतनी यातनाएं दी
जायेंगी कि तुम्हारी आत्मा भी सच बोलने
पर मजबूर हो जायेगी । शायद तुम्हें नहीं
मालुम कि हम आर्मी बाले यातनाएं देने के ऐसे
भयानक तरीके जानते हैं कि हमारे सामने बेजुबान पत्थर भी गा-गाकर सब कुछ उगलं देते
हैं । तुम्हारी तो औकात क्या है?" "मैं तुम्हें कैसे समझाऊं कमाण्डर... ।“ वह मेरा वाक्य बीच में ही काटकर बोला…"मुझे
समझाओ मत । सिर्फ जवाब दो।" मैंने कंधे उचकाये। मेरी इस हरकत पर उसका पारा सातवें आसमान
पर पहुंच गया । परिणामस्वरूप उसने अपना
हाथ पुन: घुमा दिया । तड़ाक . . . इस बार उसका शक्तिशाली थप्पड़ मेरे दूसरे
गाल पर पड़ा था । मुझे ऐसा लगा मानो मेरा गाल
दहकते अंगारे में तब्दील हो गया हो । चेहरे परे
पीड़ा की असंख्य रेखाएं खिंचती चली गई,
लेकिन फिलहाल तो मुझे सब कुछ बर्दाश्त
करंना ही था । "मुझे क्यों मार रहे हो कमाण्डर?" मैं अपना
गाल सहलाती बोली ---- " क्या तुम इतना भी
नहीं जानते कि एक लडकी के साथ सलूक
किया जाता है?" "हम आर्मी वाले अपने दुश्मन कै साथ एक
जैसा ही सलूक करते हैं ।" उसके होठों से शब्द
नहीँ मानो आग बरसी । " अब मैं तुम्हारी दुश्मन हो ग़ई ।" "जो शख्स चोरी-छिपे आर्मी एरिया में घुस
आये । वो दुश्मन नहीं है तो क्या दोस्त
होगा?" मैं बेबसी से अपने दांतों से निचला होठ
कुचलकर रह गई । "ये ऐसे अपना मुंह नहीं खोलेगी । इसे टॉर्चर
बैरक में ले चलो ।" कमाण्डर सैनिकों को
सम्बोधित करके आदेश पुर्ण लहजे में
बोला-----"हमें हर कीमत पर इसकी
असलियत जाननी है ।" सैनिक मुझे रायफलों की नोक पर धकेलते हुए
टॉर्चर बैरक की तरफ़ बढे । मैं ससंझ गई कि अब मुझे यातनाओं के भयानक
दौर से गुजरना होगा । अत: मैं स्वयं को
यातनाएं सहने के लिये मानसिक रूप से तैयार
करने लगी ।
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Re: हिन्दी नॉवल-काली दुनिया का भगबान - रीमा भारती सीरीज
15
मेरी स्थिति संकटपूर्ण थी ।
मुझे बैरक जैसे लगने वाले सीलन भरे कमरे में टॉर्चर चेयंर पर बिठाया गया था । मेरे दोनों हाथ टॉर्चर चेयर के हत्थों के साथ चमडे के मजबूत फीतों से जकड़े हुए थे और पैरों को पायों के साथ । मैं चाहकर भी अपने हाथ-पैर नहीं हिला सकती थी । बैरक में बल्ब का पीला एवं बीमार प्रकाश मुस्करा रहा था । वैरकनुमा उस कमरे की दीवार के साथ एक टेबल पडी हुई थी । उस पर विभिन्न, किस्म के टॉर्चर करने वाले यन्त्र इत्यादि रखे हुए थे ।।
फिलहाल चारों सैनिकों के अलावा कमाण्डर भी वहां मौजूद या । वह कमरे में चहलकदमी सी कर रहा था । चेहरे पर पत्थर जैसी कठोरता एवं खुरदरापन फैला हुआ था । उसके खतरनाक इरादे उसके चेहरे पर ब्लेक बोर्ड पर लिखी इबारत की तरह साफ़ नजर आ रहे थे ।
"इस समय तुम्हारी जिन्दगी मेरी मुट्ठी में है लड़की ।" वह मेरे करीब पहुंचकर ठिठकता हुआ नाग की तरह फुफंकारा--"जानती हो, मुझे हेडक्वार्टर से आदेश है कि अगर तुमने सच नहीं उगला तो तुम्हें खत्म कर दिया जाए,अगर मैं चाहू तो तुम्हें अभी गोली मारकर तुम्हारी जिन्दगी की कहानी खत्म कर सकता हूं , लेकिन मैं तुम्हें गोली नहीं मारूगा , यातनाएं दे-देकर तुम्हारी जान लूंगा ।"
मेरे पास खामोश रहने के अलावा दूसरा चारा भी तो नहीं था ।
"तुम कभी यातनाओं के दौर से गुजरी हो ।" वह पुन: पूर्ववत् लहजे में बोला--"फर्ज करों कि मैं जगह-जगह से तुम्हारे चेहरे की चमडी छीलकर उस जगह नमक छिढ़क दू । उसके बाद चेहरे पर एसिड डाल दूं तो क्या होगा? यहीं तुम्हारी हौंलनाक चीखें गूंजेंगी । तुम्हारा खूबसूरत चेहरा इतना कुरुप और डरावना हो जायेगा कि कोई तुम पर थूकना भी पसन्द नहीं करेगा !"
मन ही मन कांप उठी ! फिर पलभर कुछ सोचकर मैं बोली--" तुम ये सब मुझे सुना क्यों रहे हो कमाण्डर बेहतर होगा, अपना काम करों ।"
कमाण्डर अरश्चर्य से मुझे देखता रह गया । कदाचित् उसे मुझसे इन शब्दों की उम्मीद नहीं रही होगी । वो तो समझा होगा किं मैं उसकी इस धमकी से डर जाऊंगी । अपनी जान की भीख मांगने लगूंगी , लेकिन वह क्या जानता था कि मैं क्या चीज हू? न जाने कितनी बार यातनाओं के भयानक दौर से गुजर चुकी हूँ मैं ।
पलक झपकते ही कमाण्डर का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया । उसने अपनी कमर से बैल्ट खोल ली ।
उसके जबड़े सख्ती से कसे हुए थे । चेहरा कनपटियों तक सुर्ख पड़ चुका था और आखों से शोले फूट रहे थे ।
साक्षात् दरिन्दा नजर जा रहा था वह ।
अगले क्षण:
उसका वेल्ट वाला हाथ घूम गया ।
"भड़ाक्..!"
बेल्ट का पीतल वाला चौडा बक्कल मेरे चेहरे से टकराया था । मैं बहुत कठिनाई से अपने होठो: से निकलने वाली चीख पर काबू पा सकी ।
और फिर ।
कमाण्डर ने आव देखा न ताव ।
"भडाक् .भड़ाक्… !"
बैल्ट मेरे जिस्म पर बरसती चली गई । वह कमबख्त तो मानो हाथ रोकना भूल गया था ! बैल्ट की मार वहुत तेज थी । जिस्म पर जहां पड़ती, वहीं आग . की लकीरें सी खिचती चली जाती । मैं दांत पर दात जमाये और सख्ती से होठों को भीचे उसके इस सितम को बर्दाश्त करती रही । जब वह मुझे मारते-मारते थक गया तो उसका हाथ रुका ।
"बेवकूफ लड़की ।" मुझ पर मार का जरा भी प्रभाव न पड़ते देखकर उसने दांत पीसे----"ये तो सिर्फ नमूना था । असली खेल तो मैं अब शुरू करूगा ।"
अब मुझे उसका वो खेल भी देखना था ।
व ह एक सैनिक की तरफ घूमा ।
"यस कमाण्डर ।" सैनिक सतर्क नजर आया ।
"इसे विजली के शाक लगाओ ।"
मैं मन ही मन कांप उठी ।
आर्थर नाम का यह सैनिक लपकता हुआ टेबल के करीब पहुँचा । उसने टेबल के उपर से एक प्लग उठा लिया । उससे दो तार जुडे हुए थे । उन तारों के दोनों सिरे नंगे थे । वहां तांबे की कई नंगी तारे नजर आ रही थी ।
मेरी स्थिति संकटपूर्ण थी ।
मुझे बैरक जैसे लगने वाले सीलन भरे कमरे में टॉर्चर चेयंर पर बिठाया गया था । मेरे दोनों हाथ टॉर्चर चेयर के हत्थों के साथ चमडे के मजबूत फीतों से जकड़े हुए थे और पैरों को पायों के साथ । मैं चाहकर भी अपने हाथ-पैर नहीं हिला सकती थी । बैरक में बल्ब का पीला एवं बीमार प्रकाश मुस्करा रहा था । वैरकनुमा उस कमरे की दीवार के साथ एक टेबल पडी हुई थी । उस पर विभिन्न, किस्म के टॉर्चर करने वाले यन्त्र इत्यादि रखे हुए थे ।।
फिलहाल चारों सैनिकों के अलावा कमाण्डर भी वहां मौजूद या । वह कमरे में चहलकदमी सी कर रहा था । चेहरे पर पत्थर जैसी कठोरता एवं खुरदरापन फैला हुआ था । उसके खतरनाक इरादे उसके चेहरे पर ब्लेक बोर्ड पर लिखी इबारत की तरह साफ़ नजर आ रहे थे ।
"इस समय तुम्हारी जिन्दगी मेरी मुट्ठी में है लड़की ।" वह मेरे करीब पहुंचकर ठिठकता हुआ नाग की तरह फुफंकारा--"जानती हो, मुझे हेडक्वार्टर से आदेश है कि अगर तुमने सच नहीं उगला तो तुम्हें खत्म कर दिया जाए,अगर मैं चाहू तो तुम्हें अभी गोली मारकर तुम्हारी जिन्दगी की कहानी खत्म कर सकता हूं , लेकिन मैं तुम्हें गोली नहीं मारूगा , यातनाएं दे-देकर तुम्हारी जान लूंगा ।"
मेरे पास खामोश रहने के अलावा दूसरा चारा भी तो नहीं था ।
"तुम कभी यातनाओं के दौर से गुजरी हो ।" वह पुन: पूर्ववत् लहजे में बोला--"फर्ज करों कि मैं जगह-जगह से तुम्हारे चेहरे की चमडी छीलकर उस जगह नमक छिढ़क दू । उसके बाद चेहरे पर एसिड डाल दूं तो क्या होगा? यहीं तुम्हारी हौंलनाक चीखें गूंजेंगी । तुम्हारा खूबसूरत चेहरा इतना कुरुप और डरावना हो जायेगा कि कोई तुम पर थूकना भी पसन्द नहीं करेगा !"
मन ही मन कांप उठी ! फिर पलभर कुछ सोचकर मैं बोली--" तुम ये सब मुझे सुना क्यों रहे हो कमाण्डर बेहतर होगा, अपना काम करों ।"
कमाण्डर अरश्चर्य से मुझे देखता रह गया । कदाचित् उसे मुझसे इन शब्दों की उम्मीद नहीं रही होगी । वो तो समझा होगा किं मैं उसकी इस धमकी से डर जाऊंगी । अपनी जान की भीख मांगने लगूंगी , लेकिन वह क्या जानता था कि मैं क्या चीज हू? न जाने कितनी बार यातनाओं के भयानक दौर से गुजर चुकी हूँ मैं ।
पलक झपकते ही कमाण्डर का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया । उसने अपनी कमर से बैल्ट खोल ली ।
उसके जबड़े सख्ती से कसे हुए थे । चेहरा कनपटियों तक सुर्ख पड़ चुका था और आखों से शोले फूट रहे थे ।
साक्षात् दरिन्दा नजर जा रहा था वह ।
अगले क्षण:
उसका वेल्ट वाला हाथ घूम गया ।
"भड़ाक्..!"
बेल्ट का पीतल वाला चौडा बक्कल मेरे चेहरे से टकराया था । मैं बहुत कठिनाई से अपने होठो: से निकलने वाली चीख पर काबू पा सकी ।
और फिर ।
कमाण्डर ने आव देखा न ताव ।
"भडाक् .भड़ाक्… !"
बैल्ट मेरे जिस्म पर बरसती चली गई । वह कमबख्त तो मानो हाथ रोकना भूल गया था ! बैल्ट की मार वहुत तेज थी । जिस्म पर जहां पड़ती, वहीं आग . की लकीरें सी खिचती चली जाती । मैं दांत पर दात जमाये और सख्ती से होठों को भीचे उसके इस सितम को बर्दाश्त करती रही । जब वह मुझे मारते-मारते थक गया तो उसका हाथ रुका ।
"बेवकूफ लड़की ।" मुझ पर मार का जरा भी प्रभाव न पड़ते देखकर उसने दांत पीसे----"ये तो सिर्फ नमूना था । असली खेल तो मैं अब शुरू करूगा ।"
अब मुझे उसका वो खेल भी देखना था ।
व ह एक सैनिक की तरफ घूमा ।
"यस कमाण्डर ।" सैनिक सतर्क नजर आया ।
"इसे विजली के शाक लगाओ ।"
मैं मन ही मन कांप उठी ।
आर्थर नाम का यह सैनिक लपकता हुआ टेबल के करीब पहुँचा । उसने टेबल के उपर से एक प्लग उठा लिया । उससे दो तार जुडे हुए थे । उन तारों के दोनों सिरे नंगे थे । वहां तांबे की कई नंगी तारे नजर आ रही थी ।
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Re: हिन्दी नॉवल-काली दुनिया का भगबान - रीमा भारती सीरीज
16
आर्थर ने प्लग दीवार पर लगे स्विच बोर्ड के साकिट में फंसाया और फिर आगे बढाकर तार के दोनों सिरे कमाण्डर को थमा दिये ।
"स्विच ऑन करों ।" कमाण्डर ने हुक्म दनदनाया ।
आर्थर ने तुरन्त आदेश का पालन किया ।
जब तारों मे करण्ट प्रवाहित हो चुका था ।
मेरा कलेजा उछलकर हलक में आ फंसा ।
कमाण्डर धधकता चेहरा लिये मेरी तरफ बढा ।
मैं बेबसी भरी निगाहों से उसे देखती रही । मेरे करीब पहुंचकर _ उसने तारों के नंगे सिरे मेरे चेहरे से छुआ दिये,, फिर तुरन्त अपने हाथ पीछे खींच लिये।
. मेरे हलक से हौंलनाक चीख उबल पड्री । मेरे समूचे जिस्म में तीव्र झनझनाहट दौड़ गई थी । क्षणभर में ही साक्षात् नर्क का नजारा हो गया था मुझे ।
कमाण्डर हिंसक स्वर में बोला-"अगर तारों के ये नंगे सिरे चन्द सैकंडों तक तुम्हारे चेहरे से सटे रहे तो तुम्हारी मौत निश्चित है । अभी भी वक्त है , अपना मुह खोल दो । क्यों बेमौत मरना चाहती हो ।"
. … किन्तु मेरे होंठ तक नहीं हिले । कमाण्डर ने तारें पुन: मेरे चेहरे से छुआ दीं ।
मेरे हलक से हौंलनाक चीख उबल पडी । मुझे अपना समूचा चेहरा सुन्न होता हुआ सा लगा था । मैंने महसूस किया, अगर कुछ देर तक ये सिलसिला इसी तरह से चलता रहा तो मैं निश्चित रूप से मौत की बाहों में समा जाऊंगी । उसकी यातनाओं से बचने का मेरे सामने एक ही रास्ता था कि मैं बेहोशी कर नाटक कर लूं। और मैंने यहीं किया ।
मैंने अपना चेहरा सीने पर ढलका दिया ।
"स्विच आँफ करों आर्थर ।" मेरे कानों से कमाण्डर का स्वर टकराया।
दूसरे क्षण ।
खट् ।
मेरे कानों से हल्की सी आवाज टकराई । मैँ समझ गई कि आर्थर ने स्विच आँफ कर दिया था ।
"इसे देखो । मर गई या जिन्दा हैं?" स्वर कमाण्डर का था ।
शीघ्र ही मैंने अपने चेहरे पर सांसों का स्पर्श महसूस किया था । जाहिर था कि आर्थर मेरे चेहरे पर झुका हुआ था ।
"ये सिर्फ बेहोश हुई है सर ।"
"जव इसे होश आ जाये तो इसे बैरक में बन्द कर देना ।"
17
कमाण्डर का आदेश भरा स्वर मुझे सुनाईं दिया था-"सुबह इसे -हैडक्वार्टर भेज दिया जायेगा ।"
"ओ० के० सर ।"
फिर मुझे भारी बूटों की आबाज दूर होती सुनाई दी थी ।
मैंने दायी आँख में झिर्री बनाकर देखा, कमाण्डर वापस लोट रहा था । मैंने राहत की सांस ली ।
मेरे मेहरबान दोस्त सोच रहे होगे कि इस बार मैं किस खतरनाक मिशन पर हूँ और कहां हू?
मैं मडलैण्ड की धरती पर पैराशूट से कूदी थीं और ज़मीन पर पांव रखते ही फंस गई ।
मेरे चाहने वाले ये भी अच्छी तरह से जानते हैं वि, मेरा भारी भरकम चीफ खुराना मुझे एक से एक खतरनाक मिशन सौंपता है । ऐसे मिशन जो इंटरनेशनल लेवल के होते हैं । जिनमें हर वक्त जान जाने का पूरा खतरा वना रहता है ।
उस रोज भी मैं एक खतरनाक मिशन से ही वापस लौटी थी, जिसका सम्बन्ध सीधा देश की आन्तरिक सुरक्षा से था ।
शाम का वक्त था ।
. मैं काफी देर तक अपनी गुलाबी मांसल देह क्रो शावर की रोमांचित कर देने वाली बौछार से भिगोती रही थी ।
मेरी थकान गायब हो चुकी थी, फिर मैं रोयेंदार तौलिये से अपनी देह से पानी की अन्तिम बूद को सुखाकर बाथरूम से बाहर निकली और आदमकद आइने की तरफ बढ गई ।
चूंकि मैं बीस दिन बाद मिशन से वापस लौटी थी । इसलिये जाकर मनोरंजन करने क मूड में थी । उस शाम तो मेरा मूड हंगामाई था । वो शाम मैं एक शानदार क्लब में गुजारना चाहती थी ।
मैं.. अपके सपनों की रानी रीमा.. .रीमा भारती । भारत की सबसे महत्वपूर्ण जासूसी संस्था आई०एस०सी० यानि इण्डियन सीक्रेट कोर की नम्बर बन एजेन्ट दोस्तों की दोस्त । देशप्रेमियों की कद्रदान देशद्रोहियो तथा दुश्मनों के लिए: साक्षात् मौत ।
वो बला, जिससे मौत भी पनाह मागे ।
मैं आइने के सामने पहुंचकर ठिठकी । तदुपरांत मैंने दोनों साथ ऊपर उठाकर एक मादक अगड़ाई ली तो मेरा अंग-अंग मुखर हो उठा ।
18
मेरर गोरा भरा हुआ सुडौल जिस्म । सुडौल चिकने कधें ।। गोरी मखमली बांहें । गिरिवर की चोटियों की मानिन्द सिर उठाये गुलाबी
उन्नत वक्ष । जिन्हें देखकर कोई भी बालिग मर्द नन्हा-सा बच्चा बनने पर मजबूर हो जाये । ..
सुराहीदार गर्दन । पतली खमदार कमर । वक्षस्थल का आकर्षण और ज्यादा बढ़ गया था । आंखों में गजब का आकर्षण था, जिन्हें देखकर कोई भी मेरी तरफ खिंचा चला आ सकता है । समतल गोरा पेट, उस पर प्यारा-सा नाभिकूप और ढलान से नीचे प्यार-सा त्रिकोण, जिसे देखकर कोई भी पागल हुए विना नहीं रह सकता ।
आदमकद आइने में अपना प्रतिबिम्ब देखकर मैं गुदगुदा उठी थी ।
मैंने अपनी कोमल हथेली से अपने वक्षों को सहलाया तो मेरे समूचे जिस्म में सिरहन सी दौढ़ती चली गई ।
पहले मैंने अपने मखमली जिस्म पर खुशबूदार पाउडर छिढ़का । हालाकि मैं आदतन ब्रेजरी नहीं पहनती, लेकिन उस दिन ब्रेजरीं पहनी, जिसके मुलायम पेडों का स्पर्श अपनी मुलायम त्वचा पर पाकर मैं रोमांचित हो उठी थी ।
उसी क्षण फोन की घण्टी ने अपना बेसुरा राग अलापा। इस वक्त फोन का आना बेहद नागवार गुजरा था । मैं झुंझला उठी ।। किन्तु . . . फोन पर मेरी झुंझलाहट का क्या प्रभाव पड़ने वाला था? उसकी घण्टी बराबर बजे जा रही थी । मैंने आगे बढकर रिसीवर उठाया और कान से लगाकर माउथपीस में बोली-हैलो ।"
"रीमा !"
मेरे होठों से गहरी सांस निकल गई । लाइन पर खुराना था ।
"गुड ईवनिंग सर ।"
वह मेरे अभिवादन का ज़वाब देकर बोला-""क्या कर रहीं हो ?"
"मैं क्लब जाने के लिये तैयार हो रही थी सर ।"
"क्लव जाने का प्रोग्राम कैन्सिल करों और तुरन्त आफिस पहुचो ।
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Re: हिन्दी नॉवल-काली दुनिया का भगबान - रीमा भारती सीरीज
19
"ल....लेकिन सर.. " किन्तु मेरी बात पूरी होने से पहले ही दूसरी तरफ से सम्वन्ध-विच्छेद हो गया था ।
"खुराना ने मेरे मूड का सत्यानाश करके रख दिया था । मैं जानती थी कि खुराना का मुझे आफिस में तलब करना अकारण नहीं हो सकता था । वह मुझे तभी तलब किया करता था, जब कोई महत्वपूर्ण बात हुआ करती थी ।
चुकि मेरे चीफ का आदेश था । इसलिये मुझे आदेश तो मानना ही था । मैंने रिसीवर बापस रखा और क्लब जाने का प्रोग्राम रद्द करके आफिस जाने के लिये तैयार होने लगी । उस वक्त मेरे दिमाग में एक ही बात थी । सिर्फ एक कहीं किसी नये मिशन के लिये मेरा लदान तो होने वाला नहीं है ?
दसवें मिनट मैं तैयार होकर अपनी कार में सवार आफिस को तरफ़ जा रहीं थी ।
चालीसवें मिनट मैं अपने चीफ के केबिन का डोर क्लोजर युक्त दरवाजा धकेलकर भीतर दाखिल हो रही थी ।
लम्बी-चीनी आफिस मेज़ तो पीछे रिवाल्विंग चेयर पर खुराना बैठा था ।
"आओ रीमा?" खुराना का प्रभावशाली स्वर-"बैठो ।"
मैंने आगे वढ़कर उसके सामने कुर्सी सम्भाल ली । साथ ही मेरी सवालिया निगाहें खुराना के चेहरे पर स्थिर होकर रह गई, जिस -पर सदैव की भांति जमाने भर की गम्भीरता कुण्डली मारे थी और जिस चेहरे पर कुछ भी पढ पाना असम्भव था । खुराना के बायें हाथ की दो उगलियों के बीच में सिगार दबा था।
'रीमा ! "
"यस सर !"
"मैं जानता हू आज सुबह की एक खतरनाक मिशन से पूरे बीस दिन बाद स्वदेश वापस लौटी हो । उसूलन इस समय तुम्हें कुछ दिन रैस्ट चाहिए ...... !" कहकर वह रूका और सिगार का गहरा कश लिया ।
20
मैं अन्दर-हीं-अन्दर झुझंलाइं हुई थी ।
मैं बडी ही नागवार नजरों से उसका चेहरा देख रही थी, क्योकिं उसकी इस भूमिका ने साबित कर दिया था कि वह अब फौरन ही मुझे कोई नया केस सौंपने वाला है ।
किन्तु मैंने अपने चेहरे पर ऐसा कोई भाव उत्पन्न नहीं होने दिया था, जिसे खुराना अपनी शान में गुस्ताखी समझता । मैं गम्भीरता की प्रतिमूर्ति वनी उसका एक-एक शब्द गौर से सुन रही यी ।
सिगार का एक गहरा कश लेकर ढेर सारा धुआं उगलने के बाद वह पुन: बोला---" इस समय हमारी संस्था एक ऐसी उलझन से गुजर रही है, जिसमें मैं तुम्हारी शिरकत जरूरी समझता हूँ क्योंकि तुम इस महत्वपूर्ण संस्था की नम्बर वन एजेन्ट हो ।"
" आखिर बात क्या सर?" संस्था की उलझन की बात सुनकर मुझसे खामोश नहीं रहा गया ।
"तुमने मडलैण्ड का नाम सुना है?"
"जी हां । वो हमारा एक मित्र राष्ट्र है ।"
"और क्या जानती हो उसके बारे में?"
"मडलेण्ड के राष्ट्रपति से हमारे मुल्क के दोस्ताना सम्बन्ध हैं ।" वह वक्त वक्त पर अंतर्राष्ट्रीय मंच पर हमारी काफी मदद करते रहे हैं । यहीं नहीं सर एडलॉफ एक ऐसी शख्यियत है, जिसने सबसे पहले आतंकवाद के खिलाफ आवाज उठाई थी और खालीस्तान को जमकर कोसा था और उसे आतंकवाद बन्द करने की चेतावनी तक दे डाली थी । सिर्फ इतना ही नहीं, उन्होंने इस मामले में हमारे मुल्क का साथ दिया था और मित्र राष्ट्रो से एकजुट होकर आतंकवाद से निबटने की अपील'की थी ।"
"राइट ।"
"ल. . .लेकिन आप मुझसे ये सब क्यों पूछ रहे हैं सर?"
"बताता हूं।" खुराना ने सिगार का लम्बा कश लेकर उसे ऐश-ट्रे के हवाले करते हुए कहा---" अब से कुछ देर पहले मडलेण्ड की राजधानी विंगस्टेन मे मौजूद हमारे स्थानीय एजेन्ट डगलस ने किसी के जरिये कोडवर्ड में एक फैक्स भिजवाया है । उस फैक्स में कहा गया है कि पश्चिम के एक देश, जो कि राष्ट्रपति सर एडलॉफ को एक तानाशाह मानता रहा है, ने वहां की सरकार का तख्ता पलट दिया है और वहां की सत्ता अपने कब्जे में लेकर गद्दी पर अपना एक कठपुतला राष्ट्रपति बिठा दिया है । वो कठपुतला तो नाममात्र को राष्ट्रपति है । अप्रत्यक्ष रूप में वहां की सत्ता की बागडोर उसी राष्ट्र के हाथों में है । वो राष्ट्र यहाँ के राष्ट्रपति को वंदी बनाना चाहता था ।
"ल....लेकिन सर.. " किन्तु मेरी बात पूरी होने से पहले ही दूसरी तरफ से सम्वन्ध-विच्छेद हो गया था ।
"खुराना ने मेरे मूड का सत्यानाश करके रख दिया था । मैं जानती थी कि खुराना का मुझे आफिस में तलब करना अकारण नहीं हो सकता था । वह मुझे तभी तलब किया करता था, जब कोई महत्वपूर्ण बात हुआ करती थी ।
चुकि मेरे चीफ का आदेश था । इसलिये मुझे आदेश तो मानना ही था । मैंने रिसीवर बापस रखा और क्लब जाने का प्रोग्राम रद्द करके आफिस जाने के लिये तैयार होने लगी । उस वक्त मेरे दिमाग में एक ही बात थी । सिर्फ एक कहीं किसी नये मिशन के लिये मेरा लदान तो होने वाला नहीं है ?
दसवें मिनट मैं तैयार होकर अपनी कार में सवार आफिस को तरफ़ जा रहीं थी ।
चालीसवें मिनट मैं अपने चीफ के केबिन का डोर क्लोजर युक्त दरवाजा धकेलकर भीतर दाखिल हो रही थी ।
लम्बी-चीनी आफिस मेज़ तो पीछे रिवाल्विंग चेयर पर खुराना बैठा था ।
"आओ रीमा?" खुराना का प्रभावशाली स्वर-"बैठो ।"
मैंने आगे वढ़कर उसके सामने कुर्सी सम्भाल ली । साथ ही मेरी सवालिया निगाहें खुराना के चेहरे पर स्थिर होकर रह गई, जिस -पर सदैव की भांति जमाने भर की गम्भीरता कुण्डली मारे थी और जिस चेहरे पर कुछ भी पढ पाना असम्भव था । खुराना के बायें हाथ की दो उगलियों के बीच में सिगार दबा था।
'रीमा ! "
"यस सर !"
"मैं जानता हू आज सुबह की एक खतरनाक मिशन से पूरे बीस दिन बाद स्वदेश वापस लौटी हो । उसूलन इस समय तुम्हें कुछ दिन रैस्ट चाहिए ...... !" कहकर वह रूका और सिगार का गहरा कश लिया ।
20
मैं अन्दर-हीं-अन्दर झुझंलाइं हुई थी ।
मैं बडी ही नागवार नजरों से उसका चेहरा देख रही थी, क्योकिं उसकी इस भूमिका ने साबित कर दिया था कि वह अब फौरन ही मुझे कोई नया केस सौंपने वाला है ।
किन्तु मैंने अपने चेहरे पर ऐसा कोई भाव उत्पन्न नहीं होने दिया था, जिसे खुराना अपनी शान में गुस्ताखी समझता । मैं गम्भीरता की प्रतिमूर्ति वनी उसका एक-एक शब्द गौर से सुन रही यी ।
सिगार का एक गहरा कश लेकर ढेर सारा धुआं उगलने के बाद वह पुन: बोला---" इस समय हमारी संस्था एक ऐसी उलझन से गुजर रही है, जिसमें मैं तुम्हारी शिरकत जरूरी समझता हूँ क्योंकि तुम इस महत्वपूर्ण संस्था की नम्बर वन एजेन्ट हो ।"
" आखिर बात क्या सर?" संस्था की उलझन की बात सुनकर मुझसे खामोश नहीं रहा गया ।
"तुमने मडलैण्ड का नाम सुना है?"
"जी हां । वो हमारा एक मित्र राष्ट्र है ।"
"और क्या जानती हो उसके बारे में?"
"मडलेण्ड के राष्ट्रपति से हमारे मुल्क के दोस्ताना सम्बन्ध हैं ।" वह वक्त वक्त पर अंतर्राष्ट्रीय मंच पर हमारी काफी मदद करते रहे हैं । यहीं नहीं सर एडलॉफ एक ऐसी शख्यियत है, जिसने सबसे पहले आतंकवाद के खिलाफ आवाज उठाई थी और खालीस्तान को जमकर कोसा था और उसे आतंकवाद बन्द करने की चेतावनी तक दे डाली थी । सिर्फ इतना ही नहीं, उन्होंने इस मामले में हमारे मुल्क का साथ दिया था और मित्र राष्ट्रो से एकजुट होकर आतंकवाद से निबटने की अपील'की थी ।"
"राइट ।"
"ल. . .लेकिन आप मुझसे ये सब क्यों पूछ रहे हैं सर?"
"बताता हूं।" खुराना ने सिगार का लम्बा कश लेकर उसे ऐश-ट्रे के हवाले करते हुए कहा---" अब से कुछ देर पहले मडलेण्ड की राजधानी विंगस्टेन मे मौजूद हमारे स्थानीय एजेन्ट डगलस ने किसी के जरिये कोडवर्ड में एक फैक्स भिजवाया है । उस फैक्स में कहा गया है कि पश्चिम के एक देश, जो कि राष्ट्रपति सर एडलॉफ को एक तानाशाह मानता रहा है, ने वहां की सरकार का तख्ता पलट दिया है और वहां की सत्ता अपने कब्जे में लेकर गद्दी पर अपना एक कठपुतला राष्ट्रपति बिठा दिया है । वो कठपुतला तो नाममात्र को राष्ट्रपति है । अप्रत्यक्ष रूप में वहां की सत्ता की बागडोर उसी राष्ट्र के हाथों में है । वो राष्ट्र यहाँ के राष्ट्रपति को वंदी बनाना चाहता था ।
प्यास बुझाई नौकर से Running....कीमत वसूल Running....3-महाकाली ....1-- जथूराcomplete ....2-पोतेबाबाcomplete
बन्धन
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दिल से दिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
तुफानो में साहिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
यूँ तो मिल जाता है हर कोई!
मगर आप जैसे दोस्त नसीब वालों को मिलते हैं!
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बन्धन
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दिल से दिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
तुफानो में साहिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
यूँ तो मिल जाता है हर कोई!
मगर आप जैसे दोस्त नसीब वालों को मिलते हैं!
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