हिन्दी नॉवल-काली दुनिया का भगबान - complete

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Jemsbond
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Re: हिन्दी नॉवल-काली दुनिया का भगबान - रीमा भारती सीरीज

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वहां वही शख्स मौजूद था, जिसे वे लोग चीफ अथवा बॉस कहते थे ।

"आइए रीमा जी ।" वह मुझे देखकर स्वागत भरे अंदाज में बोला----"बैठिये !"

उसके मुंह से अपना वास्तविक 'नाम' सुनकर मेरी खोपडी फिरकनी की मानिन्द नाच उठी थी । पलक झपकते ही मेरे चेहरे पर समूचे संसार का आश्चर्य कत्थक का उठा ।

"आप क्या सोचने लगी रीमा जी !" वह कुर्सी की तरफ संकेत करता हुआ बोला-"बैठिये न ।"

"कौन रीमा?" मैंने अपने आपको सम्भालकर अपनी सवालिया निगाहें उसके चेहरे पर टिका दी ।

"आप और कौन?"

"आपको जरूर क्रोई गलतफहमी हो गई है । मैं रीमा नहीं हूं। मेरा नाम मैगी है ।" मैंने उत्तर दिया ।

"नाम बदल लेने से आप मैगी तो नहीं बन जायेंगी । आप रहेंगी तो रीमा भारती ही । भारत की जांबाज रीमा भारती ।।"

मेरा आश्चर्य से बुरा हाल था ।

मैं समझ नहीं पा रही थी कि उसे मेरा असली नाम कैसे मालूम हुआ और जो शख्स अब से पहले मेरी जान कां दुश्मन वना हुआ था । अचानक उसमें इतना परिवर्तन कैसे आ गया?

वह मुझसे इतने सभ्य तरीके से क्यों पेश आ रहा था?

" इस वक्त अपने दिमाग में एक ही बात होगी कि मैं आपका नाम कैसे जान गया?" वह पुन: बोल. उठा…"मैं न सिर्फ आपका नाम जान गया हूं बल्कि मुझे आपके बारे में सब कुछ मालूम हो चुका है ।"

मैं खामोशी से उसका चेहरा देखती रही ।

" आप भारत की सबसे महत्वपूर्ण जासूसी संस्था आई०एस०सी० की सबसे तेज-तंरार एजेन्ट हैं । सुनने में आयां है कि आप दोस्तों की दोस्त हैं और दुश्मनों के लिये साक्षात् मौत हैं । आप वो बला है जिसने दुनिया के खतरनाक मुजरिमों की नीद उड़ाकर रख दी ।"

"एक बात बताओ ।" मैं बोली ।

"पूछो ।"

"तुम्हें मेरे बारे में इतना सब कहां से मालूम हुआ ?"

"यानि आप कबूल करती हैं कि आप रीमा मारती हैं?"

अब उससे छिपाने से कुछ फायदा नहीं था । क्योंकि वह मेरे बारे में सब कुछ जान चुका था ।

अत: मैंने कहा---" कबूल करती हूं । "

उसने अपनी जेब से एक छोटा-सा ट्रांसमीटर निकालकर मुझें दिखाया, फिर बोला---" ट्रांसमीटर से मैं अपने बारे में जान सका ' । ये जाप ही का ट्रांसमीटर है । जब आप बेहोश हो गई थी, तो मेरे दिमाग में एक बात आई कि अगर आपकी तलाशी ली जाये तो हो सकता है कि आपके पास कोई ऐसी चीज मिल जाये, जिससे आपकी असलियत मालूम हो सके । अत: मैंने आपकी तलशी ली और आपके बाये पैर के बूट की ऐडी से ये ट्रांसमीटर बरामद हुआ । मैंने ट्रांसमीटर पर सम्पर्क स्थापित करने की कोशिश की । ट्रांसमीटर पर आपके चीफ खुराना से बाते हुई । उन्होंने मुझें आपके बारे में सब कुछ बताया !"

अब मामला आइने की तरफ साफ था ।

मैं ये भी समझ गई थी कि अचानक वे लोग मेरे ऊपर इतने मेहरबान क्यों हो गये थे? एकाएक उनृमेँ इतना बदलाव कैसे आ गया था?

"फिर भी अभी मेरी समझ में एक बात नहीं आ रही है ।" मैंने कहा ।

" वो क्या?"

"मेरे चीफ ने इतनी आसानी से तुम्हें मेरे बारे में कैसे बता दिया?"

"जब मैंने आपके चीफ़ को अपना परिचय दिया तो उन्होंने मुझे अपने बारे में बताना ही मुनासिब समझा ।"

अब ये बात भी साफ हो गई थी कि मेरे सामने खड़ा वो शख्स मेरा दुश्मन नहीं हो सकता था । वो शख्स अवश्य ही कोई महत्वपूर्ण व्यक्ति होगा । खुराना किसी ऐरे-गेरे को तो मेरे बारे में बताने वाला नहीं था । उसके बारे में जानने के लिये मैं उत्सुक हो उठी ।

"कौन हो तुम?" मैंने पूछा ।

"मैं आपको अपने बारे में सब कुछ बता दूंगा ।" वह बोला--"पहले आप आराम से बैठ जाइये रीमा जी । आप मुझे अपना दोस्त समझिये ।"

मैं एक खाली कुर्सी पर बैठ गई ।

उसने मेरे सामने दूसरी कुर्सी सम्भाल ली'।

इस पल मेरी सवालिया निगाहें उसके चेहरे पर ही टिकी हुई थीं ।

"मेरा नाम क्लाइव है रीमा जी । मैं राष्ट्रपति सर एडलॉफ़ का एक अदना-सा समर्थक हू । ये मेरे आदमी हैं ।" उसने वताया-" इस मुल्क में हम जैसे न जाने कितने लोग सर एडलॉफ़ के समर्थक हैं ।"

मेरा चेहरा चमक उठा । वे लोग मेरे लिये काम के साबित हो सकते थे ।

एक पल ठहरकर क्लाइव मुझे वो सब कुछ बताता चला गया जो मुझे खुराना ने अपने आफिस तलब करके मडलैण्ड के हालातों के बारे में वताया था । अन्त में वह बोला---"लोगों ने उस तानाशाह के खिलाफ बगावत का बिगुल बजा दिया है और अब हम उस तानाशाह का तख्ता पलटना चहते हैं, जो विदेशी ताकत का कठपुतला बनकर मडलैण्ड को गद्दी पर आसीन हुआ है । किन्तु सर एडलॉफ़ के गायब हो जाने से हमारी चिंता बढ गई है ।

हमें मालूम नहीं है कि वो कहां है ? सुरक्षित भी हैं अथवा नहीं । हम लोग सर एडलॉंफ के बारे में जानने के लिये प्रयास करने लगे । हमें मालूम था कि डगलस नाम का एक शख्स राष्ट्रपति का दायां हाथ है ।हो सकता है कि डगलस को सर एडलॉंफ के बारे. में मालूम हो, लेकिन एक गुप्तचर ने हमें खबर दी कि सेना ने डगलस को गिरफ्तार कर लिया है और उसे किसी गुप्त जेल में नजरबंद कर दिया है । इम लोगों की प्राब्लम और ज्यादा बढ गई । इस बारे में जानना बहुत मुश्किल हो रहा था कि डगलस को किस जेल में नजरबंद करके रखा गया है?" कहते-काते क्लाइव सांस लेने के लिये रुका । .

मैं उसका कहा गया एक-एक शब्द गोर से सुन रही थी ।

"इस बीच हम लोगों को एक महत्वपूर्ण जानकारी हासिल हुई कि डगलस की तोशिमा नाम की एक प्रेमिका है, जो इस शहर के लार्डस कैम्पस इलाके में रहती है । शायद उसे मालूम हो कि डगलस को किस जेल में रखा गया है?"

वह अपनी बात आगे बढाता हुआ बोला-"मैंने इस बारे में जानकारी हासिल करने के लिये अपने पांच आदमियों को तोशिमा के पास भेजा । जब वे पांचों तोशिमा की कोठी पर पहुचे तो तब तक तोशिमा का खेल खत्म हो चुका था और वहां आप उनके हत्थे चढ़ गई । बहरहाल आपके साथ जो कुछ भी हुआ, वो अंजाने में हुआ रीमा जी, क्योंकि तब हमें आपकी असलियत मालूम नहीं थी ।"

"अगर तुम लोगों की जगह मैं होती तो मैं भी वहीँ करती, जो तुम लोगों ने मेरे साथ किया है । तुम्हें अफसोस करने की कोई जरूरत नहीं है ।" मैंने कहा---" रही बात मेरे पूरी कहानी गढ़कर सुनाने की तो मैं एक जासूस हू । आसानी से अपनी परछाई पर भी विश्वास नहीं करती । मेरे को दुश्मनों की कमी नहीं है मिस्टर क्लाइव । मैंने तुम लोगों को अपनी असलियत इसलिये नहीं बताई कि तुम मेरे दुश्मन भी हो सकते थे।"

"लेकिन आपको आर्मी की वर्दी पहनने की क्या जरूरत आ पडी थी?" क्लाइव ने सवाल किया ।

मैंने क्लाइव को पैराशूट से कूदने से लेकर बैरक में वन्द होने तक सब कुछ बता दिया । अन्त में बोली---" सैना के चंगुल में फंस चुकी थी । अत: मैंने एक सेनिक को बेहोश किया और वहां से निकल भागी । रास्ते में सैनिकों ने मेरा पीछा किया । हैलीकाॅप्टर से मुझें तलाशने की कोशिश की, किन्तु मैं सुरक्षित तोशिमा की क्रोठी में जा पहुंची है जव मैं ड्राइंग रुम में दाखिल हुई तो तोशिमा निर्वस्त्र कारपेट पर पड़ी हुई थी ।

उसकी सांसें रुक-रुककर चल रही थीं । ऐसा लग रहा था, किसी भी क्षण उसकी सांसों की डोर टूट जायेगी । उसके चेहरे तथा बक्ष-स्थल की खरोंर्चे तथा खून से रंगी जांघे देखकर मैंने अंदाजा लगा लिया कि उसके साथ बलत्कार-क्रिया गया है । तोशिमा से बातों के दौरान इस बात की पुष्टि भी हो गई कि उसके साथ वाकई बलात्कार किया गया था । बलात्कार करने वाले सेनिक थे । कुछ देर बाद तोशिमा ने दम तोड़ दिया । मैं तोशिमा की हत्या के जुर्म में फंस सकती थी । मैंने बहां से निकलना चाहा, तभी तुम्हारे पांच अलसी धड़घड़ाते हुए ड्राइंग रूम में दाखिल हुए । उन्होंने तोशिमा की लाश देखी तो उन्होंने मुझे दबोच लिया । मुझे मारा-पीटा और मुझे तोशिमा की हत्यारी समझकर यहा ले जाये ।"

" आपका तोशिमा के पास पहुंचने का मकसद क्या था ?"

"मेरा भी बही मकसद था, जो तुम लोगों का था ।"

"अ. . .आपर्के कहने का मतलब कि आप भी तोशिमा के पास ये जानकारी हासिल करने गई थीं कि डगलस किस जेल में नजरबंद है?" क्लाइव के होठों से निकला ।

"यस ।"

""ल...लेकिन आपको डगलस को तलाश करने में क्या दिलचस्पी है?" उसने पूछा ।

"डगलस आई०एस०सी० का स्थानीय एजेन्ट है मिस्टर क्लाइव ।"

ये जानकारी उसके लिये किसी विस्फोट से कम नहीं थी । वह आश्चर्य और अविश्वास भरी निगाहों से मुझे देखता रह गया ।

"य. . . ये आप क्या कह रही हैं?" उसके होठों से कठिनाई से निकल सका ।

" वही , जो सच है ।"

"विश्वास नहीं होता रीमा जी ।“

"अगर ये बात किसी और के सामने कहीँ जाती तो वो भी मेरी बात पर विश्वास नहीं करता । क्योंकि कोई सपने में भी नहीं सोच सकता कि डगलस आई०एस०सी० का स्थानीय एजेन्ट भी हो सकता है !"

क्लाइव अवाक-सा मुझे देखता रहा था ।

"चूंकि डगलस जानता है कि आज की तारीख में सर एडलॉफ कहां छिपा हुआ है ,इसलिये उसे गिरफ्तार करके किसी अज्ञात जेल में नजरबंद कर दिया गया । ताकि उसका कोई हिमायती उस तक न पहुच सके ।" मैं बोली---" स्थिति ये है कि डगलस को टॉर्चर करके सर एडलॉफ के बारे में जानकारी हासिल करने की कोशिश की जा रही होगी, लेकिन इतनी आसानी से वह अपना मुंह खोलने वाला नहीं है । अगर डगलस को जेल से नहीं निकाला गया तो वे दरिन्दे उसे टाँर्चर करके मार डालेंगे । चूंकि डगलस आई-एस०सी० का एजेन्ट है । अत: उसे सुरक्षित जेल से निकालना मेरा कर्तव्य बनता है और यहीं मिशन लेकर मैं भारत से मडलैण्ड आई हूं।"

"अब सारी कहानी मेरी समझ में आ गई रीमा जी, लेकिन अगर डगलस ने अपना मुंह खोल दिया तो सर एडलॉंफ की जिन्दगी खतरे में पड़ जायेगी ।"

"डगलस आई०एस०सी०का एजेन्ट है । मुझे पूरा यकीन है, यमबह मरते मर जायेगा, लेकिन अपना मुंह नहीं खोलेगा और फिर तुम ये क्यों भूल रहे हो कि डगलस सर एडलॉंफ का दायां हाथ भी रह चूका है । मैंने कहा---- "मेरी संस्था ने मुझे डगलस को जेल से सुरक्षित निकालने के अलावा सर एडलॉंफ़ को भी सुरक्षित बचाने का काम सौंपा है । क्योंकि मडलैण्ड भारत का एक मित्र राष्ट्र है और सर एडलॉंफ हमारे सबसे बड़े हमदर्द रहे हैं । ऐसे संकट के समय में अपने मित्रों की मदद करना भारत अपना फर्ज समझता है ।"

क्लाइव का चेहरा चमक उठा ।

"आपका मिशन जानकर मुझे वेहद खुशी हुई रीमा जी ।" उसने कहा-"आपका मिशन भी यही है, जो सर एडलॉफ के समर्थकों का है, मगर आप शेर की मांद में आ गई हैं । फिलहाल में नहीं जानता कि आपके मिशन का परिणाम क्या होगा? वैसे हम लोग आपकी हर सम्भव मदद करेंगे ।"

"में तुम्हें एक बात बता देना चाहती हूँ मिस्टर क्लाइव ।"

" वो क्या ?"

"मैंने हमेशा शेर के जवड़े में हाथ डाला है और परिणाम भी हमेशा मेरे पक्ष में रहा है । क्योंकि जो लोग सच्चाई की राह पर होते है, कुदरत भी उन्हीं का साथ देती है, इसलिये आपको चिंता करने की जरूरत नहीं है ।"

"आपकी बात सुनकर मेरा हौसला दोगुना हो गया है रीमा जी, जब आप हमारे साथ हैं तो हमें चिंता करने की कोई जरुरत नहीं है । आप आदेश दीजिये कि मुझे क्या करना हैं?"

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" हम लोगों का पहला लक्ष्य डगलस है । सबसे पहले मुझे उस तक पहुंचना होगा ।" मैंने बैचेनी मेरे अंदाज में पहलू बदला--"और ये तभी मुमकिन हो सकता है जब हमेँ मालूम हो कि उसे किस जैल में रखा गया है । उस तक पहुंचने का एक ही रास्ता था और वो रास्ता

रास्ता तोशिमा थी, लेकिन अफ़सोस कि अब वो रास्ता बन्द हो चुका है ।"

"एक बात पूलूं रीमा जी?"

"ज़रूर पूछो।"

"जब आपने तोशिमा से बाते की थी, तो आपने इस बारे में तोशिमा से नहीं पूछा ?"

"क्यों नहीं पूछा था?" मैंने उत्तर दिया--" तोशिमा भी मुझे बताना ही चहाती थी, लेकिन मौत ने उसे इसकी इज्जात नहीँ दी थी ।"

"ओह ।"

"सबसे पहले हमें अपनी प्रॉब्लम को साल्व करना होगा । तभी हम लोग अपना अगला कदम उठा सकते हैं ।"

"लेकिन इस बारे में जानकारी हासिल करना करीब-करीब असम्भव है ।" क्लाइव ने लम्बी सांस ली ।

"मेरे शब्दकोष में असम्भव नाम का कोई शब्द नहीं है मिस्टर क्लाइव कोई काम असम्भव नहीं होता । इन्सान में हिम्मत, हौंसला और कर गुजरने का जज्बा हो तो असम्भव काम भी सम्भव हो जाते है ।" मैंने चट्टानी स्वर में कहा-----" तुम तो सर एडलॉफ के समर्थकों के लीडर हो क्लाइव है जब तुम्हें कोई गुप्तचर इस बात की जानकारी दे सकता है कि तोशिमा इस बारे में जानकारी दे सकती है कि डगलस को किस जेल में रखा गया है, तो वो गुप्तचर कोई दूसरा रास्ता भी बता सकता है । अगर ये सम्भव नहीं है तो तुम इस बारे में सोचो । अपने दिमाग पर जोर डालो कि ऐसा कौन शख्स हो सकता है, जो तुम्हें इस बारे में जानकारी दे सके ।"

प्रत्युत्तर में क्लगइव के चेहरे पर सोच के भाव उभरे । मेरी निगाहें उसके चेहरे पर ही चिपकी हुई थीं ।।

.वहा खामोशी छा गईं थी ।

सस्पेस भरी खामोशी ।
प्यास बुझाई नौकर से Running....कीमत वसूल Running....3-महाकाली ....1-- जथूराcomplete ....2-पोतेबाबाcomplete
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Re: हिन्दी नॉवल-काली दुनिया का भगबान - रीमा भारती सीरीज

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कई पल यूंही गुजर गये ।

" याद आया रीमा जी ।" एकएक क्लाइव की आंखें चमक उठी…"इस बारे में हमें एक आदमी बता सकता है ।"

"वो कौन है? मेरा लहजा उत्सुकता से भर उठा ।

" हिलकाक !"

' "ये हिलकाक कौन है?"

"वो सेना का एक कैप्टन है ।" 'ये' बात तुम दावे से कह रहे हो कि उसे मालूम होगा ?"

"वित्कूल दावे से कह रहा हूं।”

" 'फिर तो हमारी प्रॉब्लम सॉल्व हो गई, लेकिन ये हिलकाक साहब पाये कहां जाते हैं?"

"सुनने में आया है कि हिलकाक की हर शाम रोबिन स्टार नाईट क्लब में गुजरती है ।" वह एक जाहिल मिजाज फौजी है । औरत हिलकाक की सबसे बडी कमजोरी है, अगर किसी औरत पर उसका दिल आजाये तो वह उसे हासिल करके रहता हैं।"

मैं मन-हीं-मन मुस्कुराई ।

मेरा काम वन गया था । मैं आसानी से हिलकाक को अपने कब्जे में कर सकती थी । मेरे पास खूबसूरती का वो हथियार था, जिससे आज तक कोई नहीं वच सका, फिर वो पट्ठा.क्या बचता ?

"अब मुझे हिलकाक का मुंह खुलवाना होगा क्लाइव ।" एकाएक मेरा लहजा कठोर हो उठा ।

"मगर उस हरामजादे का मुंह खुलबाना आसान नहीं होगा मैडम । मैंने ये भी सुना है कि वह बड़ा ही खतरनाक और चालाक किस्म का इन्सान है ।"

"भले ही वह कितना भी चालाक और खतरनाक किस्म का इन्सान क्यों न हो । उसका मुंह खुलवाने की जिम्मेदारी मेरी रही । अब तक मैं ऐसे न जाने कितने लोगों के मुँह खुलवा चुकी हूं। मुझे ये बताओ कि तुमने कभी हिलकाक को देखा है?"

"नहीं ।" उसने जवाब दिया…"मैँने सिर्फ उसका नाम सुना है, लेकिन आप मुझसे ये क्यों पूछ रही हैं?"

"इसलिये पूछ रही हूं कि मैं उसे पहचानूगी कैसे? उसका हुलिया तो मुझे मालूम होना ही चाहिये ।"

"इस समस्या का समाधान तो आप ही को निकालना होगा ।"

"खेर । मैं ही क्रोई-न कोई समाधान निकालूंगी ।"

"अब आपका क्या प्रोग्राम है?" .

"मैं आज शाम ही क्लब में पहुंचकर हिलकाक से मिलकर डगलस के बारे में जानकारी हासिल करूंगी ।"

"आज आपको आराम करना चाहिये । मेरे ख्याल से आप कल शाम क्लब जाये तो बेहतर होगा ।"

"ऐसे कामों में देरी नहीं करनी चाहिये । इस वक्त डगलस की जिन्दगी का सवाल है, अगर मैंने देर की तो उसकी जिन्दगी खतरे में पड़ सकती है ।"

"ठीक है, लेकिन मैं आपको अकेली नहीं जाने दूंगा । मैं आपके साथ चलूँगा ।"

"अगर तुम मेरे साथ चलोगे तो सारा खेल बिगड जायेगा । तुम्हारा मेरे साथ चलना जरूरी नहीं है । वैसे तुम्हारी नॉलिज के लिये एक बात बता दूं कि मैं अपने मिशन में किसी दूसरे की दखलअंदाजी पसन्द नहीं करती । मैं अपने मिशन पर अकेली ही काम करती हूँ । मैंने बड़े-बड़े माफिया डॉन, अण्डरवर्ल्ड किंग, जुर्म की दुनिया के महन्त, खतरनाक कहे जाने वाले दादों को शिकस्त ही है । वो आर्मी आफिसर तो किस खेत की मूली है?"

"लेकिन आपको हद से ज्यादा सावधान रहना होगा । क्योंकि आप सेना के चंगुल से निकलकर भागी हैं । मुझे उम्मीद है कि सैनिक अभी भी अपको शिकारी कुतों की तरह तलाश करते घूम रहे होगे, अगर आप कहें तो मैं आपको शहर के हालातों की जानकारी हासिल

करके दे सकता हू।"

मुझे क्लाइव ठीक कहता लगा ।

कम-से-कम मुझे इस बारे में जानकारी तो होनी ही चाहिये कि सेना मेरे खिलाफ़ क्या कर रही हे?

" ठीक है । तुम शहर के हालातों के बारे में मालूम करवाओ ।"

"मेलेट !" क्लाइव करीब खड़े अपने दोनों आदमियों में से एक को सम्बोधित करके बोला ।

"यस सर ।" मैलेट सतर्क नजर आया ।

"शहर के हालात की मुकम्मल जानकारी लेकर आओं ।" क्लाइव ने आदेश दिया-" और मुझे शाम से पहले रिपोर्ट चाहिये ।"

" यस सर ।" कहने के साथ ही मैलेट दरवाजे की तरफ घूम गया ।

"एक बात बताओ क्लाइव ।" मैंने कहा ।

"कहिये ।"

"तुम्हारी इस जगह पर मैं सुरक्षित तो हूं।"

"आप यहां एकदम सुरक्षित रीमा जी । इसे जगह के बारे में चन्द लोगै के अलावा और किसी को मालूम नहीं है और जिनको मालूम है । वे सभी मेरे विश्वासपात्र-भी हैं । दुश्मनों को तो सपने में भी गुमान नहीं होगा कि ये जगह सर एडलॉफ के समर्थकों की है । मेरी निगाह में तो इससे सुरक्षित जगह दूसरी हो ही नहीं सकती ।"

"एक बात और ।"

"कहिये ?"

"बाई-द-वे अगर कोई खतरा आ जाये तो उससे निबटने के तुमने यहां कुछ इन्तजाम किये हुए हैं?"

"मैंने आने वाले किसी भी खतरे से निबटने के लिये मुकम्मल इंतजाम किए हुए है ।" वह बोला ---"आपको फिक्र करने की जरूरत नही !"

"फिक्र करनी पड़ती है मिस्टर क्लाइव । तुम लोगों ने मडलैण्ड की गद्दी पर आसीन उस कठपुतले राष्ट्रपति का तख्ता पलटने का बीडा उठाया है । एक तरह से बगावत का बिगुल बजा दिया है और ये जंग तुम्हारे चन्द आदमियों और रिवाल्चरों के बल पर तो नहीं जीती जा सकतीं ।"

"मैं आपकी बात कबूल करता हू रीमा जी । लेकिन मैं आपको बता चुका हू कि मैंने इस जंग को लड़ने का पूरा इन्तजाम किया हुआ ।"

"लेकिन मुझे तो यहां कोई इन्तजाम नजर नहीं आ रहां है ।"

"_मैं आपको दिखाता हू।" वह कुर्सी छोड़ता हुआ बोला ।

कहने के साथ ही उसने अपनी जेब से रिमोट निकालकर एक बटन दबा दिया ।

अगले क्षण ।

सामने वाली दीवार सरसराती हुई एक तरफ़ हट गई । वहां काफी बहा रिक्त स्थान नजर आने लगा था ।

"आप मेरे साथ आइये।" वह उस रित्त स्थान की तरफ बड़ता हुआ बोला--"आपको यहाँ के इन्तजाम दिखाता हू।"

मैं कुर्सी छोड़कर क्लाइव के पीछे चल पडी ।

हम स्थान के करीब पहुंचे । वहा हल्का उजाला फैला हुआ था और उस उजाले में सीढियां नजर आ रही थी, जो नीचे तक चली गई थीं ।

हम सीढियां उतरकर नीचे पहुंचे ।

नीचे कदम रखते ही मैं ठिठक-सी गई ।

वो एक लम्बा चौड़ा तहखाना था । उसमें आधे दर्जन के आसपास टूयूबलाईटें जगमगा रही थीं । उसकी दायी तरफ वाली दीवार में हवा जाने के लिये लोहे की जाली वाले रोशनदान लगे हुए थे । तहखाने की दायी दीवार के नीचे फर्श पर आधुनिक हथियारों का ढेर लगा हुआ था । एक जगह गत्ते को काटने का ढेर लगा हुआ था । उसे देखकर मैंने अनुमान लगा लिया कि उनमें हैण्ड ग्रेनेड इत्यादि हो सकते हैं । एक कोने में बच्चों के खिलौनों की तरह रिवाल्बरों का ढेर पड़ा था । इस वक्त तहखाने में तकरीबन तीन सौ के आसपास आदमी मौजूद थे, जो अजीब निगाहों से मुझे देख रहे थे ।

वे आदमी सर एडलॉफ के समर्थकों के अलावा और कोई नहीं हो सकते थे ।

" बाकई तुमने जंग लडने का मुकम्मल बन्दोबस्त किया हुआ है क्लाइव ।" मैंने कहा ।

"शहर में इसके अलावा हमारे ऐसै कई गुप्त टिकाने और भी हैं ।" बोला क्लाइव-""जहा इससे भी ज्यादा असलाह मौजूद है । हम लोगों ने जंग लड़ने की पूरी तैयारी की हुई है? बस हमें मुनासिब वक्त का इन्तजार है ।"

" वो मुनसिब वक्त जल्दी ही आयेगा ।"

"ये सभी लोग मेरे साथी हैं ।" क्लाइव ने वहा मौजूद उन आदमियों की तरफ संकेत क्रिया-"ये सभी जांबाज और हथियार चलाने मे निपुण हैं । ये सर एडलॉफ के लिये अपनी जान भी दे सकते है !"

"इस जंग में ऐसे ही आदर्मियों की जरूरत है ।"

"अब चलें?"

"चलो ।"

क्लाइव पलटकर सीढियों की तरफ बढ गया ।

हम सीढियां चढ़कर वापस उसी कमरे में पहुचे । …

क्लाइव ने उसी रिमोट कन्ट्रोलर का एक अन्य बटन दबाया ।

दूसरे क्षण दीवार सरसराती हुई अपनी जगह आ लगी । अब रिक्त स्थान बन्द हो चुका था । तभी मैलेट ने भीतर कदम रखा ।

"शहर के क्या हालात हैं मैलेट?" क्लाइव ने गोली की तरह सवाल दागा ।

"शहर के हालात तो खराब हैं ।" उसने बताया' । "इस वक्त पूरे शहर में सेना की जीपें दोड़ रही हैं । सैनिक सड़कों पर गश्त लगा रहे हैं । सैनिकों को इन्हीं मैडम की तलाश है । हर वाहन की तलाशी ली जा रही है । हर खूबसूरत युवती को रोककर उससे उसके बारे में जानकारी हासिल की जा रही है और सबसे बुरी खबर तो ये है कि सर एडलॉंफ के एक-एक समर्थक को चुन-चुन कर जेल में बंद . किया जा रहा है । "

"आपने सुना रीमा जी ।" क्लाइव सर्द सांस लेकर मुझसे मुखातिब हुआ !

" मैंने सुन लिया ।"

"इन हालातों में आपका खुले में घूमना खतरनाक हो सकता ।"

" मुझे डगलंस के बारे में जानकारी हासिल करने के लिये बाहर तो निकलना ही पडेगा ।"

"लेकिन बाहर कदम कदम पर खतरा आपका स्वागत करेगा ।"

"मैं खतरों से डरने वालीं नहीं हूं। मैं बचपन से लेकर आज तक खतरों से ही खेलती आई हूं । मेरा और खतरों का तो चोली-दामन का साथ है क्लाइव । मैं आज शाम हर-हालत में क्लब पहुंचकर हिलकाक से जानकारी हासिल करूगी ।"

"क्या आपको मुझसे किसी मदद की दरकार है?"

"हां ।"

"हुक्म कीजिये ।"

"मुझे मेकअप का सामान चाहिये ।"

"क्या-क्या सामान चाहिये आपको?"

मैंने क्लाइव को सामान बता दिया ।

"सामान कब चाहिये?"

"एक घन्टे तक मिल जाना चाहिये !"

"मिल जायेगा ।"क्लाइव ने अपनी जेब से कुछ नोट निकाले और मैलेट की तरफ बढाता हुजा बोला---" मैडम ने जो सामान वताया है, उसे लेकर आओ मैलेट ।"

मैलेट ने हाथ बढाकर नोट थाम लिये और पलटकर दरवाजे की तरफ लपका ।

"और कोई हुक्म?"

"मुझें मडलेण्ड की कुछ करेंसी भी चाहिये ।"

"आप जितनी करेंसी चाहेंगी, मिल जायेंगी ।"

"मुझे एक ऐसा पता बताओ, अगर कहीं सैनिक मुझसे मेरे निवास स्थान का पता पूछने लगे तो मैं उन्हें वही बता दू ।"

क्लाइव ने मुझे एक पता भी बता दिया ।

"और कुछ?"

"वस और कुछ नहीं । क्लब से वापस लौटने के बाद मैं अपने अगले कदम के बारे में बता सकूगी ।"

"ओ के० । वेस्ट आँफ लक ।"

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Re: हिन्दी नॉवल-काली दुनिया का भगबान - रीमा भारती सीरीज

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टैक्सी सेवन स्टार नाईट क्लव की तरफ भागी जा रही थी । मै पैसेंजर सीट-पर बैठी हुई थी ।
मेरे चाहने वाले जानते हैं कि आदतन मैं वेजरी नहीं पहनती, लेकिन आज़ मैंने ब्रेजरी पहनी थी । स्वीटेपल नामक ब्रेजरी के स्ट्रेप साधारण ब्रा की तरह पीछे नहीं बांधे जाते, बल्कि गर्दन पर स्टिकिंग किये जाते थे और पीठ पूर्णतया निर्वस्त्र रह जाती थी । ब्रेजरी के कप इस तरह से बनाये गये थे कि यदि दूर से देखा जाये तो पता नहीं चलता था कि उरोजों पर कोई अनावरण भी है । ये लगता था कि वे निर्वस्त्र हैं ।

मैंने ऊपर लांग टूयूनिक पहनी हुई थी ।

टूयूनिक ने मेरे जिस्म में एक अपील ला दी थी ।

सेक्स अपील ।

मेरी गोरी-गोरी भरी बांहें उस काले टूयूनिक की कन्धो की पट्टी कै कारण और निखर आई थीं और उसके भराव में एक ऐसा आकर्षण था कि खुले गले की टूयूनिक से मेरे उन्नत, सुडौल तथा आकर्षक एवं वृत्ताकार उरोजों के उभार स्पष्ट नुमायां हो रहे थे और आधी मांसल जंघा तक ढकने वाली टूवूनिक का छोर मेरी कोमल त्वचा वाली जंघाओं की सुन्दरता में चार चांद लगा रहा था ।

मैंने अपने बॉबकट स्याह बालों को पीछे की तरफ करके स्याह स्कार्फ से बांधा हुआ था । मेरे पैरों में ऊंची एडी वाले सैण्डिल थे । मेरे कंधे पर वैनेटी बैग लटका हुआ था ।

इस पल मैं सिर से पांव तक कयामत नजर जा रही थी । चलती-फिरती कयामत ।

मेहरबान दोस्तों को बताने की जरूरत नहीं कि इस वक्त मैं मेकअप में थी, चेहरे से लापरवाह नजर जा रही थी, क्रिन्तु मन ही मन बेहद सतर्क थी ।

सड़क पर सेना की जीपे इधर-उधर दौढ़ रही थी । सैनिक कंधों पर रायफल लटकाये सड़क पर गश्त लगा रहे थे ।

सहसा ।

मैं चौकी ।

सामने सडक पर आधा दर्जन के आसपास आर्मी वाले खड़े नजर जा रहे थे । उनमें से एक सेना का आफिसर था और बाकी सैनिक थे । सड़क के एक किनारे पर एक दर्जन के आसपास वाहन लाइन लगाए खड़े थे और दो सैनिक उन वाहनों को चैक करते दिखाई दे रहे थे ।

टैक्सी वाहनों के करीब पहुंचती जा रही थी । कुछ पलों बाद जब टैक्सी उन वाहनों के करीब पहुची तो एक सैनिक हाथ उठाकर टैक्सी को पंक्ति के पीछे रुकने का संकेत किया ।

टेक्सी चालक ने टैक्सी वाहनों की पंक्ति के पीछे रोक दी । जिस बाहन की तलाशी हो चुकी होती थी, बह आगे बढ जाता था । कुछ पलों बाद मेरी टैक्सी का नम्बर आया । दोनों सैनिक टैक्सी की पिछली खिडकी के करीब पहुंचे । उनमें एक ने अपनी दोनों हथेलियाँ खिड़की पर टिकाईं, फिर उसने झुककर अपनी ब्लेड की धार जैसी पैनी निगाहें मेरे चेहरे पर टिका दी

"क्या नाम है तुम्हारा?" सैनिक ने पुछा ।

"डिलेला ।" मेरे गुलाब की पंखडियों जैसे होठ खुले ।

"कहां रहती हो?"

"हिलमैन स्कबायर !"

"पता बोलो ।"

मैंने उसे वहीं पता बता दिया, जो क्लाइव ने मुझे बताया था ।

सैनिक संतुष्ट नजर आने लगा ।

"क्या बात है ?" मैंने पूछा-"तुम इतनी पूछताछ किसलिये कर रहे हो?"

" "हम लोगों को एक लड़की की तलाश है । वह दुश्मन की जासूस है ।" सैनिक ने बताया-"कल रात यह एक बैरक में बंद थी, एक सैनिक को बेहोश करके उसकी वर्दी पहनकर भाग निकली, लेकिन जायेगी कहां? जल्दी ही हम लोग उसे तलाश का लेंगे ।"

सब कुछ साफ़ था । सैनिक मेरी ही तलाश में थे ।

इस समय मैं एक नये मेकअप में थी । मुझे उस मेकअप में पहचान लेना कठिन ही नहीं असम्भव भी था । उस सैनिक की निगाहें मेरे चेहरे से फिसलती हुई टूयूनिक के गले से झांकती मेरी गुलाबी छातियों पर स्थिर होकर रह गई । वह भाड़-सा मुह फाडे छातियों को देखता रह गया । उसके चेहरे के भाव बता रहे थे कि आज़ से पहले उसने ऐसी छातियां नहीं देखी थीं ।

"तुम्हें और कुछ पुछना है ।" एकाएक मैं बोल उठी ।

सैनिक का सम्मोहन टूटा । उसने हडबड़ाकर अपनी निगाहें मेरी छातियों से हटा लीं । मेरी हंसी छूटते छूटते बची ।

" चलो ड्राइवर ।" इससे पहले कि सैनिक कुछ कह पाता, मैं बौल उठी ।

चालक ने तुरन्त टैक्सी आगे बढा दी ।

------------------
सैनिक पीछे खड्री कार की तरफ बढ गया ।

तभी ।

मेरे होंठ र्भिचते चले गये ।

सड़क के किनारे दो आर्मी के आफिसर खडे थे । उनमें से एक वह कमाण्डर भी था, जिसने मुझे आर्मी एरिया में बिजली के शॉक लगाये थे और फिर मुझे बैरक में बन्द करवा दिया था ।

जाहिर है कि मेरी तलाश जोर-शोर से शुरू हो रही थी । कमाण्डर ने मेरी तरफ देखा, मगर उस बेचारे के फरिश्तों तक को भी पता नहीं चल पाया था कि मैं टैक्सी में बैठी उसकी आंखों के सामने से निकल गई थी ।

अब मैं पहले से कहीं ज्यादा सावधान हो गई थी ।

=====

=====

मैं क्लब का सनग्लास वाला दरवाजा धकेलकर अन्दर दाखिल हुई तो उस समय वहां आरकेस्ट्रा पर मधुर धुन गुंज रही थी ।

डासिग फ्लोर पर अनगिनत जोड़े एक दूसरे से चिपके हुए डांस करने में व्यस्त थे । बीच-बीच में किसी की मादक हंसी हाल में गूंज उठती थी ।

हर कोई अपनी मस्ती में खोया हुआ था । कौन आया और कौन गया? इस तरफ किसी की भी तवज्जो नहीं थी । रंगीनियों अपने पूरे यौवन पर थीं । मैंने चारों तरफ निगाहे घुमाई और फिर लोगों पर बिजलियाँ गिराती हुई मस्त चाल से एक खाली मेज की तरफ बढ गई । मुझे देखकर कई मनचले युवकों के होठों से आह निकल गई थी । किन्तु मैंने किसी की तरफ भी देखना गंवारा नहीं क्रिया था । मैं सहीं-सलामत क्लब पहुच गई थी । रास्ते में मुझे किसी भी किस्म की दिक्कत पेश नहीं आई थी । मैं लापरवाही भरे अंदाज में चलती हुई उस खाली मेज पर जाकर बैठ गई ।

तभी: एक वेट्रेस वहाँ आ धमकी । वह गजब की खूबसूरत थी । वह सिर्फ पैन्टी और ब्रेजरी पहने थी । दोनों का रंग स्याह था ।

"यस मेडम ।" वेट्रेस बोली ।

" शैम्पेन !"

वेट्रेस आँर्डर लेकर चली गई ।

मैं अपने अगले कदम के बारे में सोचने लगी । अब मुझें हिलकाक के बारे मे पता करना था ।

वेट्रेस शैम्पन ले जाई ।

"सुनो !" वेट्रेस मुढ़कर जाने लगी तो मैं बोल उठी ।

"यस मैडम ।" वह मेरी तरफ घूमी ।

"क्या नाम है तुम्हारा ?"

" लिली !"

"तुम तो बहुत खूबसूरत हो लिली ।"

"आपसे ज्यादा खूबसूरत नहीं हू मैडम ।" वह मुस्कुराई ।

"ये लो ।" मैंने वैनेटी बैग-में से एक बड़ा नोट निकालकर लिली की तरफ बढाते हुए कहा ।

लिली की आँखे चमक उठी । उसने मेरे हाथ से नोट झपटकर अपनी ब्रेजरी में ठूंसते हुए अदब से कहा…"इस नोट के बदले में मुझे क्या करना होगा?"

"ये जरूरी तो नहीं कि नोट के बदले कोई काम ही करवाया जाये ।"

" कोई-न-कोई काम तो होगा मैडम, वरना भला कौन किसी को मुफ्त में इतने पैसे देगा?"

मुझे दो वेट्रेस खेली-खाई लगी थी ।

" कहिये, मुझे क्या करना है?" वह पुन: बोल उठी ।

" तुम हिलकाक को जानती हो?" इस बार मेरा स्वर धीमा था ।

"हिलकाक को इस क्लब में हर कोई जानता है ।" उसने बताया-"वह आर्मी का कैप्टन है? हर शाम इस क्लब में आता ।"

"अभी तक बो नहीं आया?"

"नहीं, लेकिन बात क्या है मैडम?"

" मुझे हिलकाक से मिलना है ।"

" तो मिल लेना मैडम । उससे मिलने के लिये आपको किसी से इजाजत लेने की जरूरत नहीं है ।"

"लेकिन मैं उसे नहीं जानती ।" मैंने वैनेटी बैग से एक और नोट निकालकर लिली की तरफ बढा दिया ।

"इस नोट की एवज में मुझे क्या करना होगा?"

"तुम मुझे इशारे से उसे दिखाओगी और उसे पता नहीं चलना चाहिये कि मैं तुमसे उसके बारे में पूछ रही थी ।"

"लिली इस क्लब में इसी तरह के काम करती है और किसी को कानों-कान खबर नहीं होने देती ।" वह नोट लेकर अपनी ब्रेज़री मे रखती बोली " आप फिक्र न करें । जैसै ही हिलकाक आयेगा, वैसे ही हैं; इशारा करके आपको बता दूगी ।"

"तुम वहुत समझदार हो लिली ।"

"और हुक्म ?" वह मुस्कुराई ।

"फिलहाल इतना ही काफी है ।"

"मैं आपको एक बात बता देना चाहती हूं मैडम ।" वह मेज पर झुककर बोली -"हिलकाक खूबसूरत औरतों का दीवाना है । आप तो आसमान से उतरी अप्सरा लगती हैं । उससे बचकर रहना ।"

मैं मुस्कुराकर रह गई ।

क्लाइव ने मुझे हिलकरक के बारे में जो कुछ बताया था, बो सहीं साबित हो रहा था ।

"हिलकाक कब आयेगा?"

"लो, वो आ गया । अब आप जाने और आपका काम ।" वह दरवाजे की तरफ देखती हुई बोली----"जो शख्स हाल में दाखिल हुआ है, वही हिलकाक है । अब मैं चलती हू ।"

कहने के साथ ही वेट्रेस चली गई ।

तब तक मेरी निगाहें दरवाजे को तरफ घूम चुकी थीं ।

हिलकाक एक छ फुट लम्बा गोरा-चिट्ठा आर्मी आफिसर था । उसकी उम्र तीस-पैंतीस साल के आसपास रही होगी । आँखों में ब्लैड की धार जैसा पैनापन था । वह क्रीम कलर का शानदार सूट पहने था । देखने मात्र से ही वह चीते जैसा फुर्तीला और सतर्क रहने वाला इन्सान लगता था ।।

हिलकाक ने चारों तरफ निगाहें घुमाई, फिर वह मेरी मेज की तरफ बढता चला गया ।

मैं मन-ही-मन मुस्कुराई ।

कदाचित् उस पर मेरे रूप का जादू चल गया था । कसूर उसका नही था । मैं खूबसूरती की बो चुम्बक हूं अगर एक बार मुझे कोई देख भर ले तो बरबस ही मेरी तरफ खिंचा चला आता है।

मैंने तुरन्त अपनी निगाहें उसकी तरफ़ से हटा लीं और गिलरसं उठाकर डासिंग फ्लोर पर नृत्य करते जोडों की तरफ देखने लगी ।

"एक्सक्यूज मी ।" कानों से टकराया।

मैं समझ गई कि वो हिलकाक ही था ।

"यस ।" मैंने गर्दन घुमाकर देखा ।

"' क्या मैं यहां बैठ सकता हूं?"

" श्योर ।" मैं अदा से मुस्कुराई।

मानो उस पर कडकंड़ाकर बिजली गिरी ।
वह मेरे सामने कुर्सी पर बैठ गया ।

"लगता है कि तुम अकेली हो ।" वह पट्ठा-फौरन शुरु हो गया--" मैं भी अकेला हूं।"

"फिर ?" मेरी सवालिया निगाहें उसके चेहरे पर जम गई ।

मैं उसके शब्दों का अभिप्राय अच्छी तरह समझ गई थी । फिर भी मैंने जानबूझ कर उससे पूछ ही लिया था ।

" क्या तुम मेरी दोस्त बनना पसन्द करोगी?" वह अपना हाथ मेरी तरफ वढाते हुआ बोला ।

"क्यों नहीं?" मैंने तपाक से कहा-"मैं अकेली हूं। तुम्हारे साथ मेरा वक्त गुजर जायेगा ।"

हिलकाक की आँखों में किसी चालाक शिकारी जैसी चमक कौंध कर गायब हो गई । मैंने उसके बढ़े हुए हाथ पर अपना हाथ रख दिया ।

"तो दोस्ती पक्की ।" यह मुस्कराया ।

"पक्की ।" में भी मुस्कुराई।

तभी! हिलकाक ने झुककर मेरा हाथ चूम लिया था ।

"अब दोस्ती की शुरुआत हुई है ।" मेरी मुस्कान गहरी हो उठी ।

"मैं तुम्हारा नाम जान सकता हूं।" उसने पूछा ।

"डिलेला ।" मैंने उसे यहीं नाम बताया, जो उस सैनिक को बताया था ।

"स्वीट नेम ।"

"ओर मैं तुंम्हें किस नाम से पुकारू?" .

"हिलकाक ।" उसने बताया, फिर एक पल ठहाकर बोला-"मैं हर शाम इसी क्लब में गुजारता हूं लेकिन तुम्हें पहली वार देख रहा हूं।"

"आज मैं पहली बार इस क्लब में आई हूं।" अब आपसे मुनाकात हो गई है तो आना-जाना लगा ही रहेगा ।"

… "मैं भी यहीँ चाहता हूं।"

"क्यों ?"

"तुम जैसी दोस्त से मुलाकात होती रहेगी । क्लब में वक्त अच्छा कटेगा ।" वह बोला-"मैंने जिन्दगी में न जाने कितनी युवतियां देखी हैं, लेकिन तुम जैसी खूबसूरत युवती आज तक नहीं देखी !"

"शुक्रिया !*

फिर मैँने देखा ।
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Re: हिन्दी नॉवल-काली दुनिया का भगबान - रीमा भारती सीरीज

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हिलकाक की निगाहें मेरे खूबसूरत चेहरे से फिसलती हुई कहीं और ही भटक गई थीं । दरअसल आगे की तरफं झुकने की वजह से मेरे ताबीज काफी फैल गये थे और मेरी दूधिया चट्टानों की गहराई तक बिल्कुल साफ नजर आ रही थी । इस वक्त उसकी निगाहें वहीं जमी हुई थी। मानो मंत्रन्मुग्ध सा होकर रह गया था वह ।

"तुम कहां खो गये हिलकाक ?" मैंने धीरे से मुस्कुराकर पूछा ।

वह हढ़बड़ाकर रह गया ।

उसने तुरन्त अपनी निगाहें वहां से हटा ली थीं ।

फिर उसने पूछा-"तुम क्या लेना पसन्द करोगी?"

"कुछ नहीं ।" मैंने जवाब दिया- "क्योकि मैं आलरेडी शेम्पन ले ही रही हूं।"

"शैम्मेन भी कोई पीने कीं चीज है ।" वह गिलास मेरे हाथ से लेकर एक तरफ रखता हुआ बोला-"मैं स्काॅच मंगाता हूं।"

मैंने उसकी बात का जरा भी विरोध नहीं क्रिया ।

कहकर उसने वेट्रेस को संकेत किया । वेट्रेस लपकती हुई करीब पहुची ।

वह लिली ही थी ।

लिली मुझे देखकर मुस्कराई ।

मैंने उसकी तरफ होले से आंख दवा ही ।

"यस सर ।" यह हिलकाक से मुखातिब हुई ।

हिलकाक ने उसे दो डबल स्काॅच का आंर्डर थमा दिया ।

वह चली गई ।

कुछ देर बाद वह आँर्डर सर्व कर गई ।

हमने जाम उठाकर आपस में टकराये और फिर गिलास होठों से लगा लिये । मैंने एक लम्बा घूंट भरा । किन्तु हिलकाक तो यहा पियक्यड निकला । उसने एक ही सांस में गिलास खाली करके मेज पर रख दिया ।

"डिलेला ।" यह मेरी नग्न बांह सहलाता हुआ बोला-"तुम स्कॉच से भी ज्यादा नशीली हो ।“

"तुम मेरी कितनी बार तारीफ करोगे?"

"बार-बार करूँगा ।" वह बोला-"जब तक तुम मेरे सामने रहोगी, करता ही रहूंगा । तुम सिर से पांव तक कयामत हो । पता नहीं, ऊपर वाले ने तुम्हें फुर्सत में बनाया होगा?"

मैं खिलखिलाकर हंस पडी ।

हिलकाक पर मेरे रूप का जादू पूरी तरह हावी हो चुका था ।

"अपना पैग खाली करो ।" उसने कहा-"एक ही पैग से चिपकी बैठी रहोगी ।"

मैंने गिलास होठों से लगाकर खाली का दिया । फिर पीने का सिलसिला उस वक्त रूका, जब तीन तीन पैग हमारे हलक से नीचे उतर चुक थे ।

सहसा!

हिलकाक ने मेरे टूयूनिक के खुले गले में हाथ डालकर मेरे वक्षों को पेस क्रिया तो मेरे होठों से धीमी-सी सिसकारी निकल गई ।

मैंने उसकी आँखों में झांका ।

उनमें वासना के सुर्ख डोरे तेर रहे थे । सांसें भारी थीं । वह मुझमें समाने के लिये बेताब था । उसी क्षण सहसा हॉल की सारी तेज रोशनियों बुझ गई थीं और एक तरफ वने डायस पर पडा रेशम का परदा धीरे-धीरे सरकने लगा था ।

फिर ।

डायस पर रंगीन प्रकाश का वृत चमक उठा । और डायस पर एक लचीले जिम वाली नर्तकी नजर आई । लम्बे कद, गोरे रंग और तीखे नाक-नक्श बाती नर्तकी के मखमली जिस्म पर बेजरी और ब्रीफ थी । अर्धचन्द्राकार कप वाली नीली ब्रेजरी और पतली-सी ब्रीफ में उसका यौवन शोले की तरह धधक रहा था । उस ब्रेजरी में उसके यक्ष-स्थल का उभारयुत्त वृत्ताकार सौन्दर्य और भी खिल उठा था । उसके उदर के नीचे कमर के इर्द-गिर्द कसी नीले रंग की ही ब्रीफ ने उसकी सुडौल जंघाओं का आकर्षण और भी बढा दिया था । अब आरफेस्ट्रा के बीच में ड्रग्स के स्वर उभरने लगे थे । जिप्सी की लय पर उसके कदम थिरक उठे ।

देखते-हीं-देखते नर्तकी के कदमों की गति तेज होती चली गई । जिस्म उत्तेजक ढंग से झटके खाने लगा ।

बीचम्बीच में उसके होठों से उत्तेजक सिसकारियां भी फूट निकलती थीं । उसका नृत्य बड़ा ही उत्तेजक रुख अख्तियार करता जा रहा था ।

नृत्य अपनी चरम-सीमा की तरफ अग्रसर था ।

वातावरण में उत्तेजना बढती जा रही थी ।

एकाएक नर्त्तकी नीचे उतर जाई । उसके साथ रंग बदलता रोशनी का दायरा भी घूम गया ।

जिसकी रोशनी में मैंने अधंचन्द्राकार कपों को बक्ष-स्थल से फिसलकर समतल उदर तक जाते देखा ।

जब उसके वक्ष आवरणहीन थे ।

उस हॉल में मौजूद हर शख्स अपनी पलकें झपकाना तक भूल गया था ।

उसके बक्ष में गजब का आकर्षण था । उदर तथा जंघाजों की सुडोंलता ने उसे अपीलिग बना दिया था ।

हाल में घूमते हुए वह मेरे सामने आई, तब उस पर फोकस की गहरी सुर्ख रोशनी डाली जा रहीँ थी । जिसमें मैंने उसके चेहरे पर मस्ती नशा देखा । उसकी घनेरी पलकें झुकी हुई थीं और गुलाब की पंखुडियों जैसे अधरों पर दिलकश मुस्कान फैली हुई थी ।

मैंने अपने कधें पर हिलकाक की उगलियों का दबाव महसूस किय.. .साथ ही मेरे घुटने पर उसने घुटने का स्पर्श क्रिया ।

किन्तु मैंने उसकी हरक्त का जरा भी नोटिस नहीं लिया ।

मेरी नजरें नर्तकी पर थीं ।

मैं उसकी खूबसूरती की कायल होकर रह गई थी ।

नर्तकी आगे बढ़ गई ।

नं जाने कब हिलकाक ने मेरी टूयूनिक उपर तक सरका दी और मेरे बाये कधें पर से उसकी सट्रेप भी बांह पर फिसल आई ।

मैं चौकी!

मैंने हिलकाक की तरफ देखा, उसकी आंखें नशे और वासना की अधिकता से यूं सूर्ख नजर आ रहीं थी, मानो जिसूम का सारा खून उनमें आकर सिमट गया हो ।

उधर नर्तकी डायस पर पहुच चुकी थी और उसका उत्तेजक नृत्य अपनी चरम-सीमा पर था ।

इधर हिलकाक ने अपना चेहरा आगे बढ़ाकर मेरे होठों पर चुम्बन जड़ दिया । चुम्बन विस्फोटक था ।

मेरा रोम-योम उन्माद से भरें उठा था । अब मैं यहां के माहौल में रंग चुकी थी और अपना मकसद भूल गई थी । मेरी पलकें बोझिल हो उठी थीं । सहसा उसने मेरी कान की ली को अपने दांतों के बीच दबा लिया । उसी क्षण मैं चिहुंक उठी । न जाने कब हिलकाक का हाथ मेरी जांघों पर घुसपैठ कर गया था ।

"ऐ ।" मैं अपना चेहरा पीछे खिचती हुई बनावटी गुस्से में बोल उठी…"ये क्या कर रहे हो?" पलक झपकते ही उसने अपना हाथ पीछे खींच लिया ।

"शरारती ।" मैं उसके गाल पर हल्की-सी चपत लगाती हुई बोली । "

"डिलेला ।"

"हू ।"

वह मेज पर अपनी दोनों कुहनियां टिकाकर मेरी तरफ झुकता हुआ फुसफुसाया--"आओ चलें ।"

"अब कहाँ चलोगे?"

"करीब ही मेरा आवास है । वहाँ चलते हैं ।"

"क्यों ?"

"यहां वहुत ज्यादा शोर-शराबा है । यहीं इत्मीनान से बैठकर बाते करेगे । इस बहाने तुम मेरा गरीबखाना भी देख लोगी ताकि भविष्य में जब तुम्हारा मन आया करे, वहीं चली आया करना । "

मैं समझ गई थी कि यह मुझे अपने आवास पर क्यों ले जाना चाहता है । मैं भी यही चाहती थी कि एकान्त में उससे अपने मतलब की बात उगलवा सकू । किन्तु मैंने एकदम से हा नहीं की थी । उसे मुझ पर शक हो सकता था ।

हिलकाक मुझे अपने जाल में फसा रहा था, ताकि अपनी हवस पूरी देर सके, लेकिन वो क्या जानता था कि मेंने उसे अपने रूप-जाल में फसाया था । काश उसे मालूम होता कि वह अपने साथ एक नागिन को ले जा रहा है, जो उसे हर-हालत में उसे डसने बाली थी ।

" चलो जानेमन !" मुझे खामोश देखकर वह पुन: बोल उठा ।

"रहने दो ।"

"क्यों?"

" तुम्हें जो बाते करनी हैं । यहीं क्यों नहीं कर लेते?"

"चलो न ।" वह मेरी कलाई थामकर अनुरोध भरे स्वर में बोला--"देखो न, यहां कितना शोर हे?"

"कहीं मुझें ज्यादा देर तो नहीं कर दोगे?"

" नहीं ।" उसने उत्तर दिया' "जब कहोगी मैं तुम्हें अपनी कार में तुम्हारे घर पर छोड़ जाऊंगा ।"

"ठीक है ।" मैं कुर्सी छोड़ती हुई बोली---"चलो ।"

वह भी खुशी से झूमता हुआ उठ खड़ा हुआ । जाहिर है, उसे तो ऐसा लग रहा होगा मानो बैठे बिठाए उसकी लॉटरी खुल गई हो ।

हिलकाक मुझे लेकर क्लब के पार्किग में पहुचा । यहां उसकी कार खडी थी, वह मुझे कार में बिठाकर अपने आवास की तरफ रवाना हौं गया

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Re: हिन्दी नॉवल-काली दुनिया का भगबान - रीमा भारती सीरीज

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सफर लम्बा नहीं था ।
तकरीबन बीस मिनट बाद मैं हिलकाक के आवास पर थी ।
रास्ते में मुझे किसी तरह की दिक्कत पेश नहीं आई थी । सडकों पर सैनिकों की गश्त जारी थी । किसी भी सैनिक ने कार नहीं रोकी थी । जाहिर है कि वो लोग हिलकाक की कार को पहचानते होगे । आखिर वो आर्मी का एक आफिसर था ।
"ये मेरा आवास है ।" यह बोला ।
"सुन्दर है ।" मैंने चारों तरफ निगाहें घुमाकर कहा ।
आवास छोटा था, मगर वहां सारे आधुनिक विलासिता के साधन उपलब्ध थे । कीमती सोफा, फ्रिज, रंगीन टेलीविजन, स्टीरियो टेप इत्यादि सभी सामान था ।
वो ड्राइंग रूम था ।
उसके चारों कोनों में आदमकद आइने लगे हुए थे । फर्श पर सुर्ख रंग का कालीन बिछा हुआ था । दीवारों पर खूबसूरत पेंटिंग्स लगी थी ।
मैं धम्म से सोफे पर बैठ गई । वेनेटी बैग सामने मेज पर रखा और एक पैर दूसरे पैर पर रख लिया ।
मैंने देखा ।
हिलकाक ने फ्रिज से व्हिस्की की बोतल निकाली और उसे अनसील्ड करता हुआ बोला--" पानी या सोडा ।"
"मेरा पीने का मूड नहीं है ।"
"तुम पहली बार मेरे घर आई हो । भला ऐसा कैसे हो सकता है कि मैं तुम्हे ऐसे ही यहां से चली जाने दूंगा? मुझे खातिरदारी का मौका तो मिलना ही चाहिये ।" यह शिकायत पूर्ण लहजे में बोला ।
"फिर तो पीनी ही पडेगी । मैं अपने इस नये दोस्त को नाराज नहीं करूंगी ।"
हिलकाक ने दो पैग तैयार किये और मुझे एक गिलास थमाकर स्टीरियो का स्विच आँन कर दिया, फिर मेरी बगल में सोफे पर जा बैठा । तदुपरान्त उसने अपनी बांह मेरे सुडौल कंधे पर रख दी ।
हाल रुम मैं सगीत की मधुर पन गूंज उठी । संगीत के प्रभाव में मैंने उसके कधें से अपना सिर टिका दिया, फिर मेने जाम खाली करके मेज पर रख दिया । वह भी अपना जाम खत्म कर चुका था ।

अब उसका हाथ मेरी जंघा पर फिसल रहा था । एक तो नशा । उस पर मन लुभाने वाला संगीत और फिर प्यार के रोमांस भरे पल । सबने सोने पर सुहागे जैसा काम क्रिया था । संगीत ने तो माहोल में नशा-सा गोल दिया था ।
"आओ जानेमन ।" हिलकाक बोल उठा---" तुम्हे अपना बेडरूम दिखाता हू।"
"चलो ।" मैं उठती हुई बोली ।
वह भी उठ खड़ा हुआ ।
मैं उसके साथ चल पडी ।
मुझे हिलकाक के आवास पर किसी अन्य इन्सान के दर्शन नहीं हुए थे । इस बारे में मैंने उससे पूछने की जरूरत नहीं समझी थी । यहां किसी का न होना मेरे हक में अच्छा ही था, मैं आसानी से अपने शिकार पर काबू कर सकती थी ।
वह मुझे लेकर बेडरूम में पहुचा ।
वेडरूम सजा-संगी था ।
"बैठो ।" वह बेड की तरफ संकेत करता हुआ बोला ।
मैं वेड पर बैठ गई । मैं जानती थी कि वह मुझे बेडरूम में क्यों लाया था?
"बेडरूम कैसा लगा ।"
"खूबसूरत है, मगर क्या तुम सिर्फ इसलिये मुझे ड्राइंग रूम से यहाँ लाये हो?"
उसके होठों पर अर्थपूर्ण मुस्कान नाच उठी ।
"आराम से बैठ जाओं ।" वह बोला--! तुम्हें देखकर तो ऐसा लग रहा है जैसे अभी उठकर भागने का इरादा रखती हो ।"
मैं खिलखिलाकर हंस पडी । मेंने सैण्डिले उतारी और पांव ऊपर करके वेड पर पालथी मारकर बैठ गई । वह तो जेसे इसी इन्तजार में था । उसने अपने बूट उतारे और बेड पर चढकर मेरी बगल में आ बैठा ।
अब संगीत की आबाज आनी बन्द हो गई थी । जाहिर है कि कैसेट खत्म हो गई थी ।
हिलकाक मेरा टूयूनिक उतारने का प्रयास किया ।
"अरे. .अरे!" मैंने हड़वड़ाने का अभिनय किया---' ये क्या करते हो ?"
"दोस्ती की शुरुआत तो प्यार सै ही होती है न जानेमन !"
वह ट्यूनिक उतारता हुआ मुस्कराया ।
" शरारती कही के।"

कुछ पलों बाद मेरे जिस्म पर सूत का एक तार भी नहीं बचा था है मेरे सारे कपड़े लावारिसों की तरह वेड पर एक तरफ पडे थे ।
मेरे मेहरबान दोस्त जानते हैं कि मेरे मखमली जिस्म में एक आकर्षित कर देने बालीगंज सुडौलता है । बक्ष-स्थल में अपार सौन्दर्य है । मेरे अंग-अंग से यौवन फूटता है । मेरे जिस्म से उठ रहीं जूही के फूलों जैसी खुशबू हिचकाक को मदहोश कस्ने लगी । उसकी निगाहे मेरे जिस्म पर एक जगह टिक ही नहीं पा रही थीं ।
अब मुझे उसे शीशे में उतारना था ।
""त. . .तुम तो वाकई में कयामत हो ।" बह मेरे वक्षों को सहलाता हुआ कांपते स्वर में बोला ।
मैंने अपने अधर उसके होठों की तरफ बढा दिये । उसके होठों ने मेरे अधरों का एक कोर से दूसरे कोर तक स्पर्श क्रिया ।
मेरे जिस्म में सनसनाहट दौड़ गई ।
हिलकाक ने अपना चेहरा पीछे खींच लिया, फिर वह मेरे गुलाबी वक्षों को देखने लगा । एक पल बाद उसकी नजरें उससे नीचे, वहुत नीचे फिसलती चली गई थीं ।
यह पट्ठा तो जैसे पलकें झपकाना तक भूल गया था ।
जव मेरा कयामत बरपा देने वाला जिस्म अपनी जन्मजात अवस्था में किसी बलिष्ठ मर्दं के सामने हो तो वह अपने जिस्म पर कपडों का वजन कैसे सहन कर सकता है?
यही उसके साथ भी हुआ ।
वह जल्दी-जल्दी अपने जिस्म के कपडों का बोझ हल्का करने लगा । शीघ्र ही वह मेरी तरह एकदम बेलिवास था ।
मैंने दोनों हाथ उठाकर मादक अंगडाई ली ।
उसपर तो मानो कड़कड़ाकर विजली गिरी थी ।
और फिर !
वह पागल-सा हो गया था ।
हिलकाक अपना चेहरा झुकाकर मेरे गुलाबी जिस्म को चूमता चला गया ।
उभार और घाटियां कुछ भी तो उसके होठों से अछूती नहीं वची थीं ।
आनन्द की अधिकता से मेरी पलकें मुंदने लगी थीं । कुछ पलों तक यहीं स्थिति रही फिर उसके होठ सरके और पेट पर पहुंच गये । अगले क्षण उसने अपने दोनों हाथ मेरी खमदार कमर पर रखकर पीछे की तरफ झुकने पर मजबूर का दिया था, फिर उसके होठ फिसलते ढलान पर आकर ठहर गये थे ।
प्यास बुझाई नौकर से Running....कीमत वसूल Running....3-महाकाली ....1-- जथूराcomplete ....2-पोतेबाबाcomplete
बन्धन
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दिल से दिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
तुफानो में साहिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
यूँ तो मिल जाता है हर कोई!
मगर आप जैसे दोस्त नसीब वालों को मिलते हैं!
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