हिन्दी नॉवल-काली दुनिया का भगबान - complete

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Jemsbond
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Re: हिन्दी नॉवल-काली दुनिया का भगबान - रीमा भारती सीरीज

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अब तो रास्ता एक सुरंग का रूप ले चुका था। सुरंग में हल्का-सा प्रकाश फैला हुआ था, जो सामने की तरफ से आ रहा था ।

जैसे-जैसे हम आगे बढ रहे थे बैसे-ड़ेसे प्रकाश तीव्र होता जा रहा था ।

वो सब मुझे बड़ा ही रहस्यमय-सा लगा था । उस सुरंग का अंत एक कमरे में हुआ ।

मै आश्चर्यचकित रह गई ।

वो आठ गुणा आठ का एक कमरा था । उसे जमीन को भीतर से काटकर बनाया गया था ।

मेरी निगाहें उस कमरे में चकराती चली गई ।

कमरे की सामने वाली दीवार से पीठ सटाये एक शख्स बैठा हुआ था । उसके जिस्म पर मैंले-कुचेले कपड़े थे । सिर के घने बाल गन्दे और धूल से अटे पड़े थे ।

उसकी धनी दाढी उसके सीने तक लटकी हुई थी । उसके चेहरे पर-गम्भीरता फैली हुई थी और आंखों मे वीरानी स्पष्ट दिखाई दे रही थी ।

उस शख्स की बगल में गनं रखी थी ।

मैंने उस शख्स को तुरन्त पहचान था । वह राष्ट्रपति सर एडलाफ था ।

हालांकि आज से पहले मैने उसे कभी नहीं देखा था । परन्तु कई बार उसकी अखबारों में तस्वीर देखी थी । इसलिये मुझे उसे पहचानने में कोई दिक्कत पेश नहीं आई थी ।

कमरे के एक कोने में खाने-पीने का सामान इत्यादि रखा हुआ वा । दायीं तरफ लम्बी दीवार में एग्जॉस्ट फेन लगा हुआ था । जिसके चलने की धीमी-धीमी आवाज वातावरण को बेहद रहस्यमय बना रही र्थी ।

एग्जॉस्ट फेन के नीचे कच्ची ज़मीन पर बैट्री और कई उपकरण रखे हुए थे । बैट्री की मदद से ही फेन चल रहा था और वो प्रकाश भी बैट्री से उत्पन्न हो रहा था ।

वो सब कुछ भांपने में मुझे चन्द सैकिण्ड. का वक्त लगा था ।

हमें देखकर उछल पड़ा सर एडलॉफ़ । वह आश्चर्य और अविश्वास अरी निगाहों से क्लाइव को देखता रह, गया ।
कद्दाचित् उसे इस बात की उम्मीद नहीं रही होगी कि क्लाइवं यहीं पहुच जायेगा ।

ये भी साफ था कि वह क्लाइव से परिचित था ।

"क क्लाइव तुम ?"

"तो आपने मुझे पहचान लिया सर ।" क्लाइव बोला ।

"भला मैं सबसे बड़े समर्थक और देश के सपूत को कैसे नहीं पहचानूंगा?"

"मुझे यहां देखकर आपको आश्चर्य हो रहा होगा?"

"जाहिर है ।" एड्रलाफ मुस्कराया-सा बोला--"ल. .लेक्रिन तुम यहां तक पहुचे कैसे? तुम्हें यहां का रास्ता किसने बताया?"

"मुझे इस जगह का पता डगलस ने बताया था ।" उसने उत्तर दिया-"क्योंकि वहीँ एक इकलौता शख्स था, जो ये जानता था कि , आप यहां छिपे हुए हैं ।"

"थ. .था से तुम्हारा मतलब क्या है क्लाइव !" एडलॉंफ के होठों से कांपता-सा स्वर निकला ।

प्रत्युत्तर में क्लाइव ने चुप्पी साध ली ।

कदाचित् यह डगलस की मौत की खबर सुनाने का हौंसला नहीं जुटा पा रहा था ।

"जवाब दो क्लाइव । तुम मखामोश क्यों हो?"

""व. .वो अब इस दुनिया में नहीं है सर ।"

" व......व्हाॅट !"

"ये सच है सर ।"

. सर एडलॉंफ अविश्वास भरी निगाहों से क्लाइव को देखता रह गया । उन दोनों के बीच वार्तालाप ही ऐसा चल रहा था कि एडलॉंफ क्लाइव से मेरे बारे में पूछना ही भूल गया था ।

मैंने सर एडलॉंफ के चेहरे पर पीडा की असंख्य रेखाएं कांपती देखों । आँखों में दर्द की परछाइयां नृत्य कर उठी थीं । जाहिर है, डगलस की मौत ने जैसे उसे गहरा आघात पहुंचाया था ।

" क्र.. कैसे मर गया डगलस !" कई पलो बाद सर एंडलाँफ़ के होठों से कामता-सा स्वर निकला ।

"पहले आप हमें बैठने की इजाजत दीजिये सर ।" क्लाइव ने लम्बी सर्द सांस छोडी… उसके बाद मैं आपको सब कुछ बताता हू ।"

" ओह. बैठो !"

हम सर एडलॉंफ के सामने बैठ गये ।

सर एडलाॅफ की सवालिया निगाहें क्लगइव के चेहरे पर जमी हुई थी ।
"सैनिक आपको गिरफ्तार करना चाहते थे, लेकिन आप भागकर इस सुरक्षित जगह में आकर छिप गये । इस समय भी आपकों तलाश करने के लिये सैनिक एड्री चोटी का पसीना एक कर रहे हैं । सेना के आफिसरों की नींदें उडी हुई हैं । आपको देश के चप्पे-चप्पे पर तलाश किया जा रहा है, लेकिन वे आपको तलाश करने में कामयाब नहीं हो पा रहे हैं । न जाने कैसे सेना के प्रमुख मार्शल को पता चल गया कि आपका पता-टिकाना सिर्फ डगलस जानता है ।' अत: उसे गिरफ्तार करके जेल में डाल दिया गया और उसका मुंह खुलवाने के लिये यातनायेँ दी जाने लगी, लेकिन उसने अपना मुंह नहीं खोला ।" क्लाइव बताता चला गया-"हम लोगों को आपकी चिंता सताये जा रहीँ थी । हम नहीं जानते थे कि आप कहां छिपे हुए हैं । इतना हमें जरूर मालूम था कि आपके बारे में सिर्फ डगलस जानता है । हमेँ.न सिर्फ डगलस के बारे में जानना था कि उसे किस जेल में रखा गया हे,बल्कि उसे जेल से छूडाना भी था । फिर उससे आपके बारे में जानकारी हासिल करके आप तक पहुंचना था । आखिर उसे जेल से छुडा लिया गया । उसी समय सेना प्रमुख

मार्शल को हमने अपने कब्जे में करलिया था ।"

और फिर क्लाइव एड़लॉफ को आगे की पूरी दास्तान सुनाता चला गया । . .

क्लाइव जैसे ही खामोश हुआ, एडलॉफ कह उठा-"डगलस जैसे इंसान की मौत का मुझे हमेशा दुख रहेगा क्लाइव ।"

. "डगलस जैसे लोगों की मौत पर गम नहीं क्रिया जाता सर ।" एकाएक मैं बोल उठी------ "ऐसे लोग कभी नहीं मरते । वो हमेशा जिन्दा रहते हैं । डगलस भी इस देश के लोगों के दिलों में हमेशा जिन्दा रहगा ।"

सर एडलॉंफ ने मेरी तरफ देखा ।

"ये एक अटल सच है सर !" मैं पुन: बोल उठी-' " मुझे डगलस जैसे लोगों पर हमेशा गर्व होता है, जिसने अपने मुल्क और आपकी खातिर अपना बलिदान दे दिया । उस पर यातनाओं के पहाड़ तोड़े गये, लेकिन उसने अपना मुंह नहीं खोला । ऐसे शहीदों की मौत पर अफसोस नहीँ क्रिया जाता ।"

अव सर एइलॉफ का ध्यान मेरी तरफ गया---"'कौन हो तुम !"

"मेरा यहां तक पहुंचना इनकी वजह से ही सम्भव हो सका है सर ।" मेरे जवाब देने से पहले ही क्लाइव बोल उठा-"हमारे हौंसले तो पस्त हो चुके थे । कुछ सूज ही नहीं-रहा था ।

॥॥॥॥॥॥
आपके समर्थकों को या तो गिरफ्तार करके जेल की सलाखों के पीछे पहुंचाया जा रहा था अथवा उन्हें चुन-चुनकर बेरहमी से मौत बांटी जा रही थी । इनकी वजह से ही डगलस को जेल से छुडाना सम्भव हो सका और इन्होंने ही हमें एक बहुत बडी कामयाबी दिलवाई है ।"

"क. . .कोंन'-सी कामयाबी ?"

"इन्होंने उस विशाल पेड़ की ज़ड़े काट दी जो हमारे लिए खतरा पैदा कर रहा था । जब पेड़ की जडें काट दी जाती हैं तो पेड़ गिर जाता है सर !" क्लाइव ने जवाब दिया--' "मेरा तात्पर्य मार्शल की मौत से है ।"

" लेकिन मुझे ये तो बताओ कि हमारी ये हमदर्द है कौन?

" सर एडलॉंफ ने सवाल क्रिया ।

"ये मिस रीमा भारती हैं ।"

"कौन रीमा भारती?"

"भारत की सबसे महत्वपूर्ण जासूसी संस्था आई एस सी की नम्बर वन एजेन्ट रीमा भारती ।"

सर एडलॉफ को मानो करण्ट लगा ।

वह अपलक मुझे देखता रह गया ।

" त. , ,तुम वहीं रीमा भारती हो जिसे मां भारती की शरारती ,उंद्दण्ड किन्तु लाडली बेटी कहा जाता है ।"

"जी हा" । मैँ वहीँ रीमा भारती हूँ सर एडलॉफ!" मैं तनिक सर नवाकर बोली ।

"मैंने तुम्हारा वहुत नाम सुना है वेटी । अन्तर्राप्टीय अखबारों में अक्सर तुम्हारे कारनामों के बारे में पढता रहा हूँ । देशद्रोहियों, गद्दारों और मुजरिमों के लिये साक्षात् मौत हो। तुमने हेमेशा जुल्म के खिलाफ जेहाद की है और जुल्म को खत्म के लिये अपनी जान की बाजी भी लगा देती हो । आज़ तुम्हें अपने सामने देखकर मुझे इतनी खुशी हो रही है कि मैं बयान नहीं कर सकता, लेकिन मेरे लिये हैरानी की बात है कि तुम मडलैण्ड में कैसे ?"

"मेरे विभाग ने मुझे एक मिशन के तहत मडलैण्ड भेजा था । ओर मेरा मिशन था डगलस को सही-सलामत जेल से बाहर निकालना और आपकी हर सम्भावित मदद करना । आपको किसी ऐसी जगह पहुचाना,जहां आप पूरी तरह से सुरक्षित रह सकें ।" मैंने बताया----"और इस मामले में मेरे विभाग को इसलिंये हस्तक्षेप करना पडा, क्योंकि डगलस आई एस सी का स्थानीय एजेन्ट था

और आप हमेशा भारत को अपना 'सच्चा दोस्त मानते रहे हैं और आप समय-समय पर हमारे मुल्क की किसी ना -किसी रूप.में मदद

करते रहे है ।-सर एडलाॅफ । बहरहाल ये बतांइये किं मुझे आपको कहां पहुंचाना है ? वैसे वो सुरक्षित जगह कौन-सी हो सकती है, इस बात का फैसला आपको या फिर क्लाइव को करना है ।"

इससे पहले कि सर एडलॉंफ कुछ'कह पाता क्लाइव बोल उठा----"' 'वो सुरक्षित जगह मेरी निगाहों में है सर । मैं आपको वहीं लेकर चलूगा, लेकिन उससे पहले मुझे एक शख्स से सम्पर्क करना होगा ।"

"उससे भी समपर्क कर लेना, लेकिन ये तो बताओं वो सुरक्षित जगह कौन-सी है?" सर एडलॉंफ ने पूछा ।

"शायद आप हमारे पडोसी देश को भूल गये हैं, जो आपका बहुत बड़ा मित्र है और आपको राजनेतिक शरण देने में सक्षम है । तथा कोई उसकी तरफ टेढी नजरों से देख भी नहीं सकेगा ।"

सर एड़लाॅफ का चेहरा चमक उठा ।

फिर उसने क्लाइव से पूछा----"मुल्क के हालात कैसे हैं?"

"हालात तो ठीक नहीं हैं सर ! जनता पर अत्याचार हो रहा है । निर्दोष लोगों की सरेआम हत्या की जा रही है । आपके समर्थकों से जेले भर चुकी हैं ।" क्लाइव ने बताया----" हां मार्शल की हत्या के बाद हालात तेजी से बदल सकते हैं । मार्शंलं की मौत की खबर सैना और सेना के आफिसरों को हिलाकर रख देगी । मुझे उम्मीद है कि अब जल्दी ही सेना के पैर उखड जायेंगे ।"

"जल्दी ही आपके मुल्क में अमन-चेन लौट आयेगा एडलॉंफ " मैं बीच में ही बोल उठी…" इतिहास गवाह है कि सत्य की जीत होती है और वो वक्त दूर नहीं ज़ब आप वापस गरीमा हांसिल कर लेंगे ।"

"और अगर ऐसा हुआ तो उसका सारा श्रेय तुम्हें दिया जाएगा रीमा ।" सर एडलॉफ बोले ।

मैं खामोश रही ।

"अब आपका अगला कदम क्या है रीमा ।" क्लाइव ने पूछा ।

"तुम जानते हो क्लाइव कि सैनिक हमारी जान के पीछे हाथ धोकर पडे हुए हैं । अगर उन्हें इस बारे में भनक लग गई कि हम यहीं मौजूद है , तीनों में से कोई भी जिन्दा नहीं बचेगा। अगर हमें यहां घेर लिया गया तो हमारी हालत चूहेदानी में फंसे चूहे जैसी होकर रह जायेगी । इसलिये हमें तुरन्त यहां से निकल जाना चाहिये । कहीं ऐसा न हो कि हमारी... ।"

' धडाम् धड़ाम् . . ।'
अभी मेरा वाक्य पुरा भी नहीं हुआ था कि बाहर धमाकों की आवाज गूंजने लगी ।

धमाके इतने जबरदस्त थे कि हमें अपने कानों के परदे फटते हुए…से महसूस होने लगे थे ।

धरती मानो कांप उठी थे ।

हम अवाक् से एक-दूसरे की तरफ देखते रह गये ।

कुछ क्षणों के लिये हमारे मध्य तनावपूर्ण सन्नाटे ने पांव पसार दिये थे ।

फिर उस सन्नाटे को भंग कंरने का श्रेय. सर एडलॉंफ को हासिल हुआ-"य. . .ये धमाके कैसे हैं रीमा?"

"लगता है कि हम लोग धिर गये हैं ।" मैंने कहा ।

सर एडलॉंफ को जोरों का झटका लगा ।

"ल-लेकिन सेनिक यहां कैसे पहुंच गये?" एक पल बाद क्लाइव किसी तरह से कहने में कामयाब हुआ-"'हम लोगों ने तो यहां तक पहुंचने में पूरी सावधानी बरती थी । एक क्षण के लिये भी हम असावधान नहीं हुए थे ।"

मैं क्या जवाब देती?

"तुम लोगों को चारों तरफ से घेर लिया गया है । हमें मालूम है कि तुम कहां छिपे हुए हो?" एकाएक वातावरण में चेतावनी भरा स्वर गूंजा-"अगर तुम लोग अपनी सलामती चाहते हो तो बाहर . निकल आओ । वरना इसी जगह तुम्हारी कब्र बना दी जायेगी ।"

"तुमने ठीक कहा था रीमा बेटी ।" सर एडलॉंफ बोला--"आखिर खतरा आ ही गया । यहां से भाग निकलने का दूसरा कोई रास्ता भी तो नहीँ है । मेरे साथ-साथ तुम लोगों को भी गिरफ्तार का लिया जायेगा । उसके बाद मेरा क्या अंजाम होगा ? मुझे बताने की ज़रूरत नहीं ।"

" घबराने की जरुरत-नहीं है सर एडलॉंफ ।" मैंने कहा--" मेरे होते हुए अपने कोई गिरफ्तार नहीं कर सकता ।"

इधर मेरा वाक्य पूरा हुआ । उधर वातावरण में पुन: वही स्वर गूंजा-"मैं तुम्हे आखिरी बार कह. रहा हू रीमा की क्लाइव और सर एडलॉंफ को लेकर बाहर आ जाओ, वरना सैनिक इस बंकर पर बम बरसाने शुरु कर देगें ।

मैं चौंकी । मैं समझ नहीं पाई मुझे मेरे नाम से पुकारने बाला कौन महानुभाव है?

अब वहां से निकलना जरूरी हो गया था ।

सबसे बडी बात तो ये थी कि मुझे सर एडलॉंफ को सुरक्षित बाहर निकालना था ।

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Re: हिन्दी नॉवल-काली दुनिया का भगबान - रीमा भारती सीरीज

Post by Jemsbond »

"अब क्या करें?" क्लाइव ने पूछा ।

"हमारे सामने बाहर निकलने के अलावा दूसरा कोई रास्ता नहीं है । अगर हमने बाहर निकलने में देरी की तो सैनिक बम बरसाने शुरु कर देगे ।" मैंने गन उठाई और एक झटके से उठ खडी हुई--"आगे-आगे मैं चलती हूँ । तुम सर एडलाफ़ को लेकर मेरे पीछे आओ । बाहर के हालातों को देखने के बाद ही हम अपना अगला कदम निर्धारित करेंगे ।।

" ओ०के० ।"

"मेरे पास कुछ विस्फोटक सामग्री है ।" बोला सर एडलाॅफ ने - " अगर तुम कहो तो मैं तुम्हारे हवाले कर दूं । वक्त पडने . पर हथगोले तो हमारे काम आ ही सकते हैं ।"

"ठीक है ।"

"धड़ाम.. .धड़ाम्... . . . !"

तभी बाहर धमाके गूजने लगे ।

" आओ ।" मैंने आगे बढते हुए कहा अब हम लोगों का यहां ज्यादा देर रुकना खतरे से खाली नहीं से ।"

क्लाइव और सर एडलॉंफ मेरे पीछे हो लिये ।

=====

=====

हम बाहर निकले ।

बाहर का दृश्य कलेजा लरजां देने बाला था ।

उस खुली जगह में चारों तरफ सशस्त्र सैनिक फैले नजर आ रहे थे । उनमें कई सेना के आफिसर भी थे ।

सेना के कई ट्रक और जीपों के अलावा एक विशाल टैंक भी शान से सिर उठाये खडा था ।

सेना पूरी तैयारी के साथ यहां पहुची लगती थी ।

मेरी घूमती हुई निगाहें सामने खड़े आर्मी के एक आफिसर पर स्थिर होकर रह गई । हुलिये के आधार पर मैंने उसे तुरन्त पहचान लिया था । वह विल्सन था । उसका हुलिया मुझे कैप्टन हिलकाक ने बताया था ।

"हाल्ट ।" विल्सन कठोर स्वर में बोला ।

मेरे पेरों में तुरन्त ब्रेक लग गये ।

मैंने गर्दन मोड़कर पीछे देखा, क्लाइव और सर एडलाँक मेरे पीछे थोड़े फासले पर ठिठक चुके थे ।
" गन फेंक दो रीमा?" वह पुन पूर्ववत् लहजे में बोल उठा-" और हाथ ऊपर उठा लो ।" मैंने तुरन्त गन एक ओर फैककर बिना किसी हीँल हुज्जत के हाथ ऊपर उठा दिये, फिर में मुस्कुराकर बोली--" एकं लड़की को अपने कब्जे में करने के लिये इतना लाव-लश्कर लाने की क्या जरूरत थी मिस्टर विल्सन ।"

वह चौका । कदाचित् उसने तो सोचा भी नहीं होगा कि मैं उसके नाम से वाकिफ हूंगी ।

"मेरी 'तुमसे पहली हैं मुलाकात है ।" वह चकराया सा बोला-"इसकं बावजूद तुम मेरा नाम कैसे जानती हो?"

"कैप्टन हिलकाक ने मुझे तुम्हारा हुलिया बताया था । उस हुलिये-कै आधार पर ही मैंने तुम्हें पहचाना है ।"

"मेरे नाम के अलावा मेरे बारे में और काया जानती हो?"

"कुछ नहीं, अगर तुममें कोई खास बात हो तो खुद ही बता दो ।"

"रीमा भारती ! मैँ वो शिकारी हूं अगर एक बार शिकार मेरे आमने आ जाये तो मेरे हाथों से बच नहीं सकता । माना कि तुम एक दिमागदार और खतरनाक किस्म की लड़की हो । तुमने बड़े-बड़े अपराधियों के छक्के छूड़ाकर रख दिये ।। मगर एक बात का ध्यान रखो कि इस समय तुम्हारा पाला एक ऐसे शख्स से पड़ा है, जो अपने दुश्मन को सिर्फ मौत बांटता है ।"

"अच्छा " मैं व्यंग से मुस्कुराई ।

"हां ।" वह मुझे अंगारे बरसाती आँखों से घूरता हुआ गुर्राया---- "एक बात सुनो । तुमने मार्शल साहब की हत्या करके अपनी जिन्दगी की आखिरी गलती की है । तुम्हें ऐसी मौत मिलने बाली है, जिसे सुनने के बाद तुम्हारी रूह तक कांप उठेगी ।"

"मैं तुमसे ये नहीं पूछूगी कि वो मोत कैसी होगी?" मैंने इत्मीनान से कहा…" हां, इतना जरूर बता दो कि तुम यहां कैसे नजर आ रहे हो?"

"जरूर बताऊंगा ।, सुनो, क्लाइव इत्यादि के साथ जेल से फरार होने से लेकर जोंगे को खाई में ढकेलने ओर इस सुरंग में दाखिल होने तक तुम हर पल मेरी निगाहों में रही हो, अगर मैं चाहता तो किसी भी क्षण तुम दोनों को खत्म कर सकता था, लेकिन मैंने ऐसा नहीं किया, क्योंकि मैं जानता था कि तुम सर एडलॉंफ तक जरूर पहुंचोगी और मेरा मकसद भी सर एडलाॅफ तक पहुंचना था । तुम मेरे सैनिकों की लाशें बिछाती रहीं । उन्हें बेरहमी की मोतं मारती, रही और मैं खामोशी के साथ सब कुछ देखता रहा । अब जबकि सर एदृलॉफ मेरे सामने हैं, मेरा मकसद पूरा हो गया है ।"

मैं अपनी आदत के विपरीत खामोश खड्री रहीं ।

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"तुमने मेरी एक बहुत बडी प्रॉब्लम सॉल्व कर दी है रीमा । तुम्हारी वजह से ही में सर एडलॉफ तक पहुचने में कामयाब हो सका हू। तुम जो कर सकती थी, वो कर चुकी हो , लेकिन अब तुम कुछ नहीं कर सकोगी, क्योंकि कुछ देर बाद तुम इस दुनिया को अलविदा

कर जाओगी । इसे मैं तुम्हारी बदनसीबी ही कहूंगा, जो तुम अपने मुल्क से दूर मरोगी । तुम्हें अपनी धरती की मिट्टी भी नसीब नहीं ।"

"अगर तुम्हारा यही फैसला है तो सैनिकों से कहो कि मुझे गोलियों से भून डालें ।" मैं निर्भीक स्वर में बोली ।

" वो मौत तो तुम्हारे लिये आसान मौत होगी रीमा । मैं तो तुम्हें एक ऐसी दर्दनाक मौत मारना चाहता हूँ कि आइन्दा तुम जैसा कोई भी जासूस इस धरती पर कदम रखते हुए थर्राये। तुम क्या समझ रही थी कि सर एडलॉंफ़ को यहां से निकाल ले जाने में कामयाब हो जाओगी ।"

"तुम कह चुके विल्सन ।" अब मैं अपने असली रूप में आई--" अगर और कुछ कहना हो तो कह सकते हो ।"

"मुझे जो कहना था, मैं कह चुका ।"

"अब तुम मेरी भी एक बात सुन लो । मैंने जो इरादा, लेकर . इस देश की धरती पर कदम रखा है, उसे पूरा करने से मुझे कोई नहीं रोक सकता । तुम भी नहीं विल्सन. . .तुम भी नहीं ।"

"तुम ख्वाब अच्छे देख लेती हो ।"

"रीमा भारती अभी ऐसे ख्वाब नहीं देखती । जिन्हें वो पूरा न कर सकती हो । वो जो कहती है, करके दिखाती है । अपने हर मिशन के पीछे मेरा एक ही मकसद होता है कामयाबी ।"

"लेकिन इस वार तुम्हें कामयाबी नहीं मिलेगी रीमा ।" वह बोला-" तुम देख ही चुकी हो कि तुम्हारे चारों तरफ मौत खडी है । तुम्हारी एक गलत हरकत तुम्हें और सर एडलॉफ को-मौत के मुंह में पहुंचा सकती है । अगर तुम्हारे दिमाग में कोई खुराफात हो तो बेहतर यही होगा कि उसे वक्त रहते उपने दिमाग से निकाल देना ।"

मैंने खामोश रहकर विल्सन के दायें-बायें खडे सशस्त्र सैनिकों को क्षण भर के लिये देखा । फिर मैंने अपनी निगाहे विल्सन के चेहरे पर स्थिर कर दीं । मैं निर्णय ले चुकी थी कि मुझे क्या करना है !"

"तुम लोग देख क्या रहे हो क्या विल्सन सैनिकों को सम्बोधित करता हुआ बोला-"सर एडलॉफ और क्लाइव को गिरफ्तार कर लो ।"
कई सेनिक उनकी तरफ झपटे । तभी मैं हरकत कर गई । वहाँ बिजली सी कोंधी ।

मैंने चील की तरह झपट्टा मारकर विल्सन के दायीं तरफ खड़े सैनिक के हाथ से गन झपटकर उसकी नाल विल्सन की कनपटी से सटा दीं ।

क्षण भर में सब कुछ हो गया था । वहां मौजूद सेनिक और आफिसर सन्नाटे में रह गये ।

"रुक जाओ ।" मेरे होठों से मादा भेडिये जैसी गुराहट निकली--"' तुममें से क्रिसी ने भी एक कदम भी आगे बढाया तो मैं तुम्हारे इस आफिसर का भेजा उड़ाकर रख दूगी ।'”

सर एडलाफ की तरफ बढ रहे सैनिक फ्रिज होकर रह गये ।

अब बाजी मेरे हाथ मे थी

॥॥॥॥

॥॥॥॥

"अगर तुम समझती हो कि मुझे गन से कवर करके तुम सर एडलाफ को निकाल ले जाने में कामयाब हो जाओगी तो गलत समझ रही हो ।" विल्सन दांत पीसता हुआ बोला---" 'तुम्हारे' लिये ये पूरा इलाका मौत का पिंजरा बन चुका है । अगर मैं यहां न पहुंचता तो मुमकिन था कि तुम अपने इरादे में कामयाब हो जाती, मगर अब ये संम्वभ नहीं है । अब तुम न केवल सर एडलॉफ क्रो मरे हवाले करोगी, बल्कि मुझसे अपनी, जिन्दगी की भीख भी मांगोगी ।”

"तुम क्या समझ रहे हो कि मैं तुम्हारी गीदढ़ भभकी से डर जाऊंगी । मैं न सिर्फ सर एडलाफ को अपने साथ लेकर जाऊंगी, , बल्कि यादगार के तौर पर कुछ लाशें भी छोड़ जाऊंगी, जिनमें एक ताश तुम्हारी भी हो सकती है विल्सन ।" . .

"तुम लोग मेरी जान की परवाह मत करो ।" विल्सन सैनिकों से सम्बोधित होकर आदेश भरे स्वर में बोला----"उन दोनों को गिरफ्तार कर लो ।" कई सेनिक उनकी तरफ़ झपटे ।

"तड़.. .तड़.. रेट.. ....रेट !"

गोलियों कीं तढ़तड़ाहट के बीच सैनिकों की दर्दनाक चीखें उभरीं । साथ ही वे जमीन पर ढेर होते चले गये । विल्सन सन्नाटे में रह गया । सैनिकों के चेहरों के रंग उड़ गये । अभी विल्सन सन्नाटे से उभरा भी नहीं था कि मैंने एक हथगोला हवा में तैरता हुआ ट्रक की तरफ बढता देखा ।
अगले क्षण ।

धड़ाम !

वातावरण में जबरदस्त धमाका हुआ ।

और फिर विस्फोट पर विस्फोट लगे । हथगोला ट्रक में गिरकर फटा था

निश्चित रूप से उस में विस्फोटक पदार्थ भरा हुआ था । ट्रक के आसपास खड़े सैनिकों के जिस्म के चीथड़े उड़ गये । वातावरण में हौलनरक चीखें गूंज रहीं थीं ।

विल्सन के होश उड़ गये ।

मैं जानती थी कि हथगोला फेकने वाला सर एडलाॅफ था ।

" तुम लोग अपने साथियों का अंजाम देख चुकें हो ।" मैंने चेतावनी भरे स्वर में चीखकर कहा---"अगर तुममें से किसी ने भी गलत हरकत की तो अपनी मौत के खुद जिम्मेदार होगे !"

सैनिकों को मानो काट मार गया ।

धड़ाम् ।

मेरे करीब ही एक और विस्फोट हुआ था । अगले क्षण वातावरण में धुआं… …ही… …धुआं फैल गया । ये विस्फोट भी सर एडलाफ -ने ही क्रिया था ।

मुझे मौका मिल गया था । मैं फुर्ती से पलटी ओर सर एडलाफ का हाथ थामकर करीब ही खड़े टैंक की तरफ़ भागती हुई चीखी… "मेरे साथ जाओं क्लाइव ।"

क्लाइव हमारे पीछे भागा ।

"वे भाग रहे हैं ।"' चीखा विल्सन-"तीनों को" छलनी कर दो !"

वरतरवरण बेशुमार गोलियों की तढ़तड़ाहट से गूंज उठा । किंतु हमारा भाग्य ही अच्छा था कि गोलियों हमें छू तक नहीं पाई थीं । इससे पहले कि धुआं छटता, मैं टैंक को अपने कब्जे में कर चुकी थी । साथ ही मैंने वहां पर मौजूद सैनिकों का नाम शहीदों की लिस्ट में दर्ज करां दिया था ।

"तुम सर एडलाफ के साथ टैंक में जाओ क्लाइव ।"' मैंने धीमे स्वर में कहा--""सर एडलॉफ को सम्भालने का काम तुम्हारा है ।"

धुआं धीरे-धीरे छटने लगा था ।

क्लाइव टेंक के उपर पहुच चुका था और यह सर एडलाफ के साथ उसके भीतर चला गया था । इधर मैंने टैंक का तोप वाला सेक्सन सम्भाल लिया था ।

धुआ छंटा और उसी क्षण गोलियों की बाढ़ टैंक की तरफ़ झपटी, लेकिन भला मामूली गोलियां इस्पात के उस हाथी का क्या बिगाढ़ सकती थी?
तभी मैने अपना काम शुरु कर दिया 1 टैंक पर लगी गन से गोला निकलकर सैनिको के करीब जाकर फटा जो टैंक की तरफ बढ़ रहे थे ।

धड़ाम् ।
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Jemsbond
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Re: हिन्दी नॉवल-काली दुनिया का भगबान - रीमा भारती सीरीज

Post by Jemsbond »

दूसरे क्षण वातावरण में आग का बवण्डर-सा उठा । उनके बीच मैंने दर्जन भर सैनिकों के चीश्वड़े उड़ते देखै ।

अव धुआं पुरी… तरह से छंट चुका था ।

सामने की तरफ सैनिकों का जमाव बढता जा रहा था ।

मैंने न सिर्फ टेक स्टार्ट करके उस तरफ़ बढा दिया, बल्कि तोप का लीवर भी खींच दिया । टैंक की गन से एक और गोला निकलकर .सैनिकों की तरफ झपटा ।

सैनिकों ने गोले को अपनी तरफ आते देख लिया था । वे अपनी जान बनाने के लिये इधर-उधर भागे, मगर बहुत देर हो चुकीं थी ।

गोला सैनिकों के करीब गिरकर भयानक विस्फोट के साथ फटा ।

उनमें से अधिकांश सैनिकों के शरीर के चिथड़े उड़ गये ।

उस घडी मै तो मानो कहर बन चुकी थी । इस बार मेरे पीछे से गोलियों की बौछार आई ।

'तड़.. .तड़.. ...रेट .रेट... हालाकि उन लोगों के पास टैंक का कोई विकल्प नहीं था, मगर फिर भी वे पागलों की तरह गोलियों बरसा रहे थे ।

उसी क्षण ।

धड़ाम् ।

मैंने गर्दन को मोड़कर पीछे देखा, पीछे सैनिकों के जिस्मो के चिथड़े उड़ते दिखाई दिये।"

मुझे समझते देर नहीं लगी कि ये कारनामा , क्लाइव अथवा सर एडलाफ के अलावा और किसी का नहीं है ! अचानक मैं चौंकी ।

मेरे दायी तरफ़ से एक टैंक मस्त हाथी की तरह इधर ही बढा आ रहा था । उस टेक पर गन सम्भाले विल्सन सवार था । एक क्षण गंवाये बगैर मैंने अपने टेंक का रुख उस टेंक की तरफ कर दिया ।

वे क्षण बड़े ही खतरनाक थे ।

सामने से आ रहा वो टैंक मेरे टैंक से टकरा सकता था ।

अतः एक क्षण का सौवां हिस्सा भी व्यर्थ किये बगैर मैंने तोप का लीवर खींच दिया । इससे पहले कि सामने वाला टैंक अपने बचाव में कुछ कर पाता, तोप से निकला गोला टेंक पर गिरकर फटा ।
'धड़ाम्. . . !'

गगनभेदी धमाका हुआ और टैंक आग के शोलों के बीच धिर गया । शोलों के बीच मैंने विल्सन को जलते देखा, उसके होठों से हौंलनाक चीखे निकलकर वातावरण को दहलाने लगी थीं ।

टैंक धू-धूकरके जल उठा था।

में इकलौती सैनिकों पर भारी पढ़ रही थी ।

सैनिकों के पांव .उखंड़ गये थे । बचे हुए सेनिक अपनी जान बचाने के लिये इधर-उधर भागने लगे, लेकिन किसी को भी भाग निकलने का मौका नहीं मिला था । . कुछ ही देर में एक भी सैनिक जिन्दा नहीं बचा था ।

वहां सैनिकों की लाशें और मांस के लोधड़े दूर-दूर तक फैले नजर आ रहे थे ।

वहां मरघट जैसा दृश्य उत्पन्न हो गया था । वातावरण में मांस जलने की चिढ़ांध फैली हुई थी ।

मैं जानती थी कि और सैनिक कभी भी यहाँ टपक सकते थे ।

इसलिये हमारा यहां एक पल रूकना-खतरनाक-साबित हो सकता था ।

"अब हमें वक्त बरबाद नहीं करना से सर एडलॉंफ’ । यहाँ हुए धमाकों की आवाजें दूर दूर तक सुनी जा चुकी होगी । सैनिक किसी भी वक्त यहाँ पहुंच सकते हैं । यहां से भागो ।" मैंने कहा ।

अगले क्षण हम धड़ाधढ़ टेंक से नीचे कूद गये ।

"आप मेरे साथ आओ मैडम ।" क्लाइव, सर एडलॉफ़ का हाथ थामकर सामने की तरफ़ भागा ।

मैं उनके पीछे भाग खडी हुई । रास्ते में क्लाइव ने एक मृत सैनिक का जमीन पर पड़ा वायरलेस उठा लिया था और भागते-भागते हीँ उस पर किसी से सम्पर्क स्थापित करने लगा था । मुझे समझते देर नहीं लगी थी कि यह अपने किसी मददगार से मदद मांग रहा है ।

॥॥॥॥

॥॥॥॥

तकरीबन डेढ घंटे -बाद हम समुद्र के किनारे पर पहुंच कर रुके ।

यहां पहले से ही एक मोटरबोट खडी थी । उसकी ड्रायविंग सीट पर एक तीस वत्तीस वर्षीय शख्स मौजूद था ।

लगातार डेढ घंटे तक भागते रहने के कारण हमारे जिस्म पसीने से भीग चुके थे । सीना लुहार की धौंकनी बना हुआ-था ।
"मैं तुम्हारा मैसेज मिलने के फौरन बाद मोटरबोट लेकर यहां के लिये रवाना हो गया था क्लाइव ।" बोट की ड्रायविंग' सीट पर बैठा शख्स बोल उठा-" मुझे पहुंचने में देर तो नहीं हुई ।"

"नहीं । तुम ठीक वक्त पर पहुँचे हो ।" कहने के बाद क्लाइव ने मुझे बताया कि वो बोट सर .एडलॉफ को सुरक्षित नेवरात ले जाने आई थी ।

"अब देर मत करो क्लाइव ।" मैंने कहा- " बोट में बैठो । अब सर एडलॉफ़ की सुरक्षा की जिम्मेदारी तुम्हारी है ।"

"तुम भी हमारे साथ चलो रीमा ।" सर एडलाॅफ ने बोला ।

"आप और क्लाइव ही इस बोट में जायेंगे, क्योंकि मेरे चीफ ने जो खाम मुझे सौंपा था, वो मैंने पूरा कर दिया । मेरा आपके साथ जाने का कोई अर्थ ही नहीं है । अब मैं अपने प्यारे वतन बापस लौटूगी ।"

"तुमने मेरी जो मदद की है । उसके लिये मैं जिन्दगी भर में तुम्हारा अहसानमंद रहूंगा । मडलैण्ड देश में अगर दोबारा अमन'चेन कायम हुआ तो उसका श्रेय तुम्हें ही जायेगा । इस मुल्क की जनता तुम्हारी कृतज्ञ रहेगी बेटी ।" सर एडलॉफ़ बोला-" ये बूढा सर एडलॉंफ़ भारत मां की लाडली वेटी को सलाम करता है !"

सर एडलॉफ़ ने मेरा माथा चूमा और फिर पलटकर क्लाइव के साथ बोट में सवार हो गये ।

अगले क्षण बोट का इंजन जाग उठा और फिर समुद्र को सीना चीरती हुई तेजी से आगे बढती चली गई ।

अब मेरे यहां रुकने का कोई काम नहीं रह गया था । अत्त: मैंने एक तरफ कदम बढ़ा दिये । मुझे मालूम था कि मुझ अकेली को उस देश से निकलने में कोई दिक्कत पेश नहीं आने वाली थी । और यही हुआ, तीसरे दिन मैं वापस मुम्बई में थी ।

॥॥॥॥

॥॥॥॥

एक महीना तेजी से गुजर गया ।

इस बीच मैं एक और खतरनाक मिशन पर काम कर चुकी थी !

कल ही विदेश से बापस लौटी थी ।

आज सुबह का अखबार मेरे सामने था ।

मैं अपने फ्लैट के ड्राइंग रूम में सोफे में धंसी कॉफी के घूट भर रही थी । कॉफी का अन्तिम घूंट भरने के बाद मेरी दुष्टि अखबार की सुर्खियों पर चकराने लगी है ।

अचानक मेरी दृष्टि अखबार में प्रकाशित एक खबर की सुखों पर टिक गई थी ।।
मडलैण्ड के राष्ट्रपति सर एडलॉफ ने पुन: सत्ता सम्भाली ।

नीचे विस्तृत' रूप से खबर छपी थी । . . .

मेरी निगाहें खबर पर चकराती चली गई ।

संक्षेप में समाचार इस प्रकार था कि मडलैण्ड में जिस बुरी तरह मानवाधिकार का हनन हो रहा था और निर्दोष लोगों का खून बहाया जा रहा था । उसके मद्देनजर यु एन ओ को वहां दखल देना पड़ा था और अन्तत यूनाइटेडनेशन सयूक्त फौजो ने मडलैण्ड पहुंचकर वहां पर जबरन घुस आई विदेशी सेना को खदेड दिया था न सिर्फ यहां के तानाशाह बने कठपुतले राष्ट्रपति को पद से बेदखल कर दिया था बल्कि पूर्व राष्ट्रपति एडलाफ को बापस वुलाकंर सत्ता उन्हें सोंप दी गई थी ।

अब मडलैण्ड में पूर्ण अमन चैन कायम हो चुका था ।

समाचार पढकर मेरे होठों पर संतोष भरी मुस्कान बिखरती चली गई थी ।

सही मायने मैं मेरा मिशन तो अब पूरा हुआ था ।


।। समाप्त ।।
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