हिन्दी नॉवल-काली दुनिया का भगबान - रीमा भारती सीरीज
धप्प ।
कच्ची जमीन और मेरे कदमों के संगम से हल्की-सी आवाज उत्पन्न हुई थी और फिर पैराशूट से बंधी में दूर तक धिसटती चली गई थी ।
बो वायुसेना का टूसीटर विमान था, जिससे मैंने अभी अभी नीचे जम्प लगाई थी ।
अचानक ।
वातावरण में एक जबरदस्त धमाका गूंजा । में समझ गई से, एक बार फिर विमान को गिराने की चेष्टा की गई थी । जब मैं विमान, में सवार थी तब भी उसे गिराने का भरपूर प्रयास किया गया था ।
किन्तु विमान के पायलेट बाला सुन्दरम ने बडी दक्षता का परिचय देते हुए विमान को बचा लिया था ।
मैं जानती थी कि बाला सुन्दरम ने जिस तेजी से बिमान नीचे किया था, लगभग उसी तेजी ने उपर उठाया होगा और फिर जैसा कि पहले से ही तय था, वो वहां से रफूचक्कर हो गया होगा ।
इस बात का अंदाज मैँने इस बात से लगाया कि मेरे जमीन पर गिरने तक उसके इंजन की आवाज गायब हो चुकी थी ।
मैंने उठकर पैराशूट से मुक्ति पाई ।
उसी क्षण मानो मेरे ऊपर मुसीबत टूट पडी ।
एकाएक कई जोडी हाथों ने मजबूती के साथ मुझे दबोच लिया ।
हड़बड़ाकर रह गई मैं ।
मुझे दबोचंने बाले वे लोग तो जैसे मेरे उठने और पैराशूट से मुक्ति पाने का इन्तजार कर रहे थे ।
कौन थे वे ?
।।
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तुफानो में साहिल बड़ी मुश्किल से मिलते हैं!
यूँ तो मिल जाता है हर कोई!
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Re: हिन्दी नॉवल-काली दुनिया का भगबान - रीमा भारती सीरीज
page 8
उस बियाबान में क्या कर रहे थे ?
पलक झपकते ही ऐसे कईं सवाल मेरे जेहन में कौंध गये थे ।
वहां सन्नाटा था । मौत जैसा सन्नाटा । सन्नाटे के साथ चारों तरफ पूर्ण अंधकार था । काजल-सा स्याह अंधकार, जिसे मानो उंगली से ही छुआ जा सके । ऐसे में कुछ भी कर पाना सम्भव नहीं था । अत: मैं उन लोगो के चेहरे तक नहीं देख पा रही थी । किन्तु उन लोगों के बारे में जानना मेरे लिये जरूरी हो गया था । दूसरे उनसे पीछा भी छुड़ाऩा था । फिलहाल मेरे लिये ऐसा कर पाना मुश्किल लग रहा था ।
"कौन हो तुम?" मैं उनकी गिरफ्त से निकलने का प्रयास करती हुई बोली…" और तुम लोगों की इस हरकत का मतलब क्या हैं ?"
"मतलब भी समझा देगे ।" पीछे से एक गुर्राहट पूर्ण स्वर मेरे कानों से टकराया----"पहले शराफत से हमारे साथ चलो ।"
मैं खामोश हो गई । फिलहाल उनका हुक्म बजा लाने के अलावा मेरे पास और कोई चारा भी नहीं था ।
वे लोग मुझे करीब-करीब घसीटते हुए एक तरफ बढे ।
मैं समझ गई कि उन लोगों का इरादा मुझे लूटने अथवा मेरे साथ कोई गलत हरकत करने का नहीं था ।
"इसे कहां ले चलना है?" उनमें से एक ने पूछा ।
"कमाण्डर के पास ले चलो ।" दूसरे ने उत्तर दिया ।
अब सब कुछ आइने की तरह साफ था । मुझे अंदाजा लगाने में एक क्षण से ज्यादा नहीं लगा था कि इस वक्त आर्मी के एरिया में थी और वे लोग सेनिक थे । उन्होंने मुझे विमान से पैराशूट की मदद से नीचे कूदते देख लिया था । संयोग से वे उसी जगह के आस-पास कही मौजूद थे, जहां मैं गिरी थी । इसलिये मैं फोरन उनके हत्थे चढ़ गई थी ।
"कोई गलत हरकत करने की कोशिश मत करना ।" उनमें से एक के होठों से भेड्रिये जैसी गुर्राहट निकली---"वरना अंजाम बहुत बुरा होगा ।"
मैं चुप रही ।
मेरा गलत हरकत करने का इरादा कत्तई नहीं था । मैं जानती थी कि इस वक्त मेरी कोई भी गलत हरकत उल्टा मेरे लिये खतरनाक साबित हो सकती थी ।
मैं खामोशी के साथ चलती रही ।
उस बियाबान में क्या कर रहे थे ?
पलक झपकते ही ऐसे कईं सवाल मेरे जेहन में कौंध गये थे ।
वहां सन्नाटा था । मौत जैसा सन्नाटा । सन्नाटे के साथ चारों तरफ पूर्ण अंधकार था । काजल-सा स्याह अंधकार, जिसे मानो उंगली से ही छुआ जा सके । ऐसे में कुछ भी कर पाना सम्भव नहीं था । अत: मैं उन लोगो के चेहरे तक नहीं देख पा रही थी । किन्तु उन लोगों के बारे में जानना मेरे लिये जरूरी हो गया था । दूसरे उनसे पीछा भी छुड़ाऩा था । फिलहाल मेरे लिये ऐसा कर पाना मुश्किल लग रहा था ।
"कौन हो तुम?" मैं उनकी गिरफ्त से निकलने का प्रयास करती हुई बोली…" और तुम लोगों की इस हरकत का मतलब क्या हैं ?"
"मतलब भी समझा देगे ।" पीछे से एक गुर्राहट पूर्ण स्वर मेरे कानों से टकराया----"पहले शराफत से हमारे साथ चलो ।"
मैं खामोश हो गई । फिलहाल उनका हुक्म बजा लाने के अलावा मेरे पास और कोई चारा भी नहीं था ।
वे लोग मुझे करीब-करीब घसीटते हुए एक तरफ बढे ।
मैं समझ गई कि उन लोगों का इरादा मुझे लूटने अथवा मेरे साथ कोई गलत हरकत करने का नहीं था ।
"इसे कहां ले चलना है?" उनमें से एक ने पूछा ।
"कमाण्डर के पास ले चलो ।" दूसरे ने उत्तर दिया ।
अब सब कुछ आइने की तरह साफ था । मुझे अंदाजा लगाने में एक क्षण से ज्यादा नहीं लगा था कि इस वक्त आर्मी के एरिया में थी और वे लोग सेनिक थे । उन्होंने मुझे विमान से पैराशूट की मदद से नीचे कूदते देख लिया था । संयोग से वे उसी जगह के आस-पास कही मौजूद थे, जहां मैं गिरी थी । इसलिये मैं फोरन उनके हत्थे चढ़ गई थी ।
"कोई गलत हरकत करने की कोशिश मत करना ।" उनमें से एक के होठों से भेड्रिये जैसी गुर्राहट निकली---"वरना अंजाम बहुत बुरा होगा ।"
मैं चुप रही ।
मेरा गलत हरकत करने का इरादा कत्तई नहीं था । मैं जानती थी कि इस वक्त मेरी कोई भी गलत हरकत उल्टा मेरे लिये खतरनाक साबित हो सकती थी ।
मैं खामोशी के साथ चलती रही ।
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Re: हिन्दी नॉवल-काली दुनिया का भगबान - रीमा भारती सीरीज
Page 9
कुछं देर बाद वे सैनिक मुझे जिस जगह लेकर पहुचे, वहां पर्याप्त उजाला था । वहां एक जोंगा, खड़ा था ।
वे संख्या में चार थे ।
चारों के कन्धों पर रायफलें लटकी हुई थी । चारों के चेहरे इस बात की चुगली खा रहे थे, अगर मैंने कोई भी हरकत की तो पलक झपकते ही उनकी रायफल कंधों से उतरकर उनके हाथों में आ सकती थी और वे मुझे शूट करने में जरा भी हिचकिचाने वाले नही थे ।
"इसे जोंगे में बिंठाओ !" उनमें से एक अपने साथियों को सम्बोधित करके आदेश पूर्ण स्वर में बोला ।
"चलो ।" पीछे से एक मेरे नितम्बों पर बूट की ठोकर जडता हुआ गुरोंया ।
ठोकर इतनी जबरदस्त थी कि मैं बिलबिला उठी ।
मुझे उस सेनिक की इस हरकत पर गुस्सा तो वहुत आया, किन्तु फिलहाल दांत पीसकर रह जाने के अलावा और कुछ भी नहीं कर सकी थी ।
मैँ आगे बढकर जोंगे के करीब पहुंची ।
तभी ।
उनमें से एक सेनिक ने मेरे हाथ पीठ पीछे करके रेशम की मजबूत डोरी से जकढ़ दिये, फिर मुझे जोगे में बिठा दिया गया ।
उसमें पहले से ही दो सेनिक मौजूद थे।
वे चारों भी जोगे में बैठ गये ।
जोंगा चल पड़ा ।
मेरी स्थिति अजीब थी । मेरे हाथ पीठ पीछे मंजबूती से बधे हुए थे । दो सैनिकों की रायफलों की नाले मेरे जिस्म से चिपकी हुई थीं । मैं चाहकर भी कोई हरकत नहीं कर सकती थी । जोंगे का वो हिस्सा चारों तरफ से बन्द था । इसलिये मुझे बाहर का कुछ भी दिखाई नहीं पड़ रहा था ।
"तुम लोग मुझे कहां ले जा रहे हो?" एकाएक में बोल उठी ।
"सवाल नहीं ।" मेरे दायीं तरफ बैठा सैनिक गुर्राया ।
"क्यों?"
"खामोश ।" इस बार दूसरा सैनिक दहाड़ा । मैंने होंठ भींच लिये ।
मैंने ये सोचकर सब्र कर लिया- शीघ्र ही सब कुछ मेरे सामने आ जायेगा । इसलिये सैनिकों से सिर मारना बेकार है । वे तो पहले ही मुझसे जैसे खार खाये बैठे थे ।
मैंने सीट को पुश्त से पीठ सटाकर आँखे बन्द कर ली ।
मै फस चुकी थी । आगे पता नही मुझ पर क्या गुजरने वाली थी ? मेरे वर्तमान मिशन की शुरुआत ही खराब हुई थी ।।
कुछं देर बाद वे सैनिक मुझे जिस जगह लेकर पहुचे, वहां पर्याप्त उजाला था । वहां एक जोंगा, खड़ा था ।
वे संख्या में चार थे ।
चारों के कन्धों पर रायफलें लटकी हुई थी । चारों के चेहरे इस बात की चुगली खा रहे थे, अगर मैंने कोई भी हरकत की तो पलक झपकते ही उनकी रायफल कंधों से उतरकर उनके हाथों में आ सकती थी और वे मुझे शूट करने में जरा भी हिचकिचाने वाले नही थे ।
"इसे जोंगे में बिंठाओ !" उनमें से एक अपने साथियों को सम्बोधित करके आदेश पूर्ण स्वर में बोला ।
"चलो ।" पीछे से एक मेरे नितम्बों पर बूट की ठोकर जडता हुआ गुरोंया ।
ठोकर इतनी जबरदस्त थी कि मैं बिलबिला उठी ।
मुझे उस सेनिक की इस हरकत पर गुस्सा तो वहुत आया, किन्तु फिलहाल दांत पीसकर रह जाने के अलावा और कुछ भी नहीं कर सकी थी ।
मैँ आगे बढकर जोंगे के करीब पहुंची ।
तभी ।
उनमें से एक सेनिक ने मेरे हाथ पीठ पीछे करके रेशम की मजबूत डोरी से जकढ़ दिये, फिर मुझे जोगे में बिठा दिया गया ।
उसमें पहले से ही दो सेनिक मौजूद थे।
वे चारों भी जोगे में बैठ गये ।
जोंगा चल पड़ा ।
मेरी स्थिति अजीब थी । मेरे हाथ पीठ पीछे मंजबूती से बधे हुए थे । दो सैनिकों की रायफलों की नाले मेरे जिस्म से चिपकी हुई थीं । मैं चाहकर भी कोई हरकत नहीं कर सकती थी । जोंगे का वो हिस्सा चारों तरफ से बन्द था । इसलिये मुझे बाहर का कुछ भी दिखाई नहीं पड़ रहा था ।
"तुम लोग मुझे कहां ले जा रहे हो?" एकाएक में बोल उठी ।
"सवाल नहीं ।" मेरे दायीं तरफ बैठा सैनिक गुर्राया ।
"क्यों?"
"खामोश ।" इस बार दूसरा सैनिक दहाड़ा । मैंने होंठ भींच लिये ।
मैंने ये सोचकर सब्र कर लिया- शीघ्र ही सब कुछ मेरे सामने आ जायेगा । इसलिये सैनिकों से सिर मारना बेकार है । वे तो पहले ही मुझसे जैसे खार खाये बैठे थे ।
मैंने सीट को पुश्त से पीठ सटाकर आँखे बन्द कर ली ।
मै फस चुकी थी । आगे पता नही मुझ पर क्या गुजरने वाली थी ? मेरे वर्तमान मिशन की शुरुआत ही खराब हुई थी ।।
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Re: हिन्दी नॉवल-काली दुनिया का भगबान - रीमा भारती सीरीज
10
मेरे जिस्म को एक तेज झटका लगा था । मैंने
पहले आंखें खोल दीं और एक झटके से सीधी
होकर बैठ गई । जोगा रुक चुका था । जोगे का पिछला दरवाजा खुला । अगले क्षण
उसमें से एक एक करके सैनिक नीचे कूदने लगे
। जब सारे सैनिक नीचे उतर चुके तो उनमें से
एक मुझे घूरता हुआ कर्कश स्वर में
बोला-"नीचे उतरो ।" मैँ शराफत के साथ नीचे को उतर गई । फिर वे मुझे घेरकर आगे बढे । मैंने धुमाकर चारों तरफ का मुआयना किया ।
वह काफी लंम्बी-चौडी खुली जगह थी ।
उसमें जगह-जगह कैम्प लगे हुए थे । एक तरफ
ऊची ऊंची पहाडियों का सिलसिला दूंर
तक चला गया था । दूसरी तरफ बैरक्स बनी हुई
थीं । वहां एक दर्जन के आसपास फौजी जीपें खडी नजर जा रहीं थीं । हैलीपेड पर कई
हैलीकॉप्टर शान से सिर ऊंचा किये खड्रे थे,
जगह-जगह सिक्योरिटी का तगड़ा प्रबन्ध्र
था । चारों तरफ पर्याप्त प्रकाश फैला हुआ था । वे मुझे लेकर अपने कमाण्डर के पास पहुचे। यह एक छ फुट से भी ऊपर निकलते कद और
मज़बूत जिस्म वाला शख्स था । उम्र
पैतालिस साल के आसपास रही होगी । रंग
कश्मीरी सेब जैसा था । बडी-बडी मूंछें । चेहरे
पर पत्थर जैसी कठोरता और आँखे यूं सुर्ख
नजर आ रहीँ थीं, मानो वहां दो अंगारे सुलग रहे हीं । "ये लड़की कौन है?" कमाण्डर ने सैनिकों से
सबाल किया । " इसके बारे में हम कुछ नहीं जानते सर ।" एक
सेनिक ने जवाब दिया----"ये कुछ देर पहले
एक विमान से पैराशूट द्वारा नीचे कूदी थी ।
हम इसे पकडकर आपके पास ले आये ।" कमाण्डर के चेहरे के भाव तेजी से बदले, फिर
बह मुझे उपर से नीचे तक घूरता हुआ
गुर्राया----" कौन हो तुम?" इस परिस्थिति में भी मैं अपनी आदत से
बाज नहीं आई--: "एक लडकी हूं" |
मेरे जिस्म को एक तेज झटका लगा था । मैंने
पहले आंखें खोल दीं और एक झटके से सीधी
होकर बैठ गई । जोगा रुक चुका था । जोगे का पिछला दरवाजा खुला । अगले क्षण
उसमें से एक एक करके सैनिक नीचे कूदने लगे
। जब सारे सैनिक नीचे उतर चुके तो उनमें से
एक मुझे घूरता हुआ कर्कश स्वर में
बोला-"नीचे उतरो ।" मैँ शराफत के साथ नीचे को उतर गई । फिर वे मुझे घेरकर आगे बढे । मैंने धुमाकर चारों तरफ का मुआयना किया ।
वह काफी लंम्बी-चौडी खुली जगह थी ।
उसमें जगह-जगह कैम्प लगे हुए थे । एक तरफ
ऊची ऊंची पहाडियों का सिलसिला दूंर
तक चला गया था । दूसरी तरफ बैरक्स बनी हुई
थीं । वहां एक दर्जन के आसपास फौजी जीपें खडी नजर जा रहीं थीं । हैलीपेड पर कई
हैलीकॉप्टर शान से सिर ऊंचा किये खड्रे थे,
जगह-जगह सिक्योरिटी का तगड़ा प्रबन्ध्र
था । चारों तरफ पर्याप्त प्रकाश फैला हुआ था । वे मुझे लेकर अपने कमाण्डर के पास पहुचे। यह एक छ फुट से भी ऊपर निकलते कद और
मज़बूत जिस्म वाला शख्स था । उम्र
पैतालिस साल के आसपास रही होगी । रंग
कश्मीरी सेब जैसा था । बडी-बडी मूंछें । चेहरे
पर पत्थर जैसी कठोरता और आँखे यूं सुर्ख
नजर आ रहीँ थीं, मानो वहां दो अंगारे सुलग रहे हीं । "ये लड़की कौन है?" कमाण्डर ने सैनिकों से
सबाल किया । " इसके बारे में हम कुछ नहीं जानते सर ।" एक
सेनिक ने जवाब दिया----"ये कुछ देर पहले
एक विमान से पैराशूट द्वारा नीचे कूदी थी ।
हम इसे पकडकर आपके पास ले आये ।" कमाण्डर के चेहरे के भाव तेजी से बदले, फिर
बह मुझे उपर से नीचे तक घूरता हुआ
गुर्राया----" कौन हो तुम?" इस परिस्थिति में भी मैं अपनी आदत से
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Re: हिन्दी नॉवल-काली दुनिया का भगबान - रीमा भारती सीरीज
11
"वो तो मैं देख सा हू। मैंने तुम्हारा नाम पूछा है
।" "डियाना ।" "इस तरह आर्मी एरिया में विमान से कूदने
का तुम्हारा क्या मकसद है?" उसने सवाल
किया । "भला एक लड़की का इतनी रात में आर्मी
एरिया में कूदने का क्या मकसद हो सकता है?"
मैं पूरी दिठाई से बोली । "सवाल मैंने क्रिया है । जवाब दो ।" "बात दरअसल ये है कमाण्डर कि मैं विमान
से पैराशूट से जमीन पर कूदने का प्रशिक्षण
ले रहीँ हूं । मेरा विमान भटककर इस तरफ आ
गया और मुझे नहीं मालूम था कि मैं जिस
जगह कूद रही हू । बो आर्मी का एरिया है,
वरना मुझसे ये गलती कभी नहीं होती ।" मैंने पहले से गढ़कर तैयार की गई कहानी कमाण्डर
को सुना दी । इस वक्त मैं मेकअप में थी और
एक विदेशी बाला नजर आ रही थी । कमाण्डर की ब्लेड की धार जैसी पैनी
निगाहें मेरे सुखे-श्वेत चेहरे पर फिक्स होकर
रह गई । उसके देखने का अंदाज बता रहा था
कि मानो वह मेरे चेहरे से सच जानने का
प्रयास का रहा हो । किन्तु मैं शर्त लगाकर कह सकती हूं कि उसे
मेरे चेहरे पर ऐसा कोई भाव नजर नहीं आया
होगा । " तुम कहानी तो अच्छी गढ लेती हो लड़की
।" एकाएक उसके होठों पर जहरीली मुस्कान
नाच उठी । " ये कहानी नहीं है कमाण्डर, बल्कि
हकीकत है ।" मैंने एकएक शब्द पर जोर देते हुए
कहा । मेरे होठों से निकला ही था कि
कमाण्डर का भारी-भरकम हाथ तेजी से हवा में
घूमा और उसकी चौडी हथेली झन्नाटेदार
थप्पड़ की शक्ल मैं मेरे कोमल गाल से टकराई । "तड़ाक… !" थप्पड़ इतना ताकतवर था कि मेरा समूचा
चेहरा झनझना उठा और मेरा सिर फिरकनी
की मानिन्द गर्दन पर घूम गया । आंखों से
आँसू उबल पड़े । यकीनन मैं बेहोश होते-हीते बची थी । "कमाण्डर ।" मेरे होठों से निकला । "खामोश." वो दहाड़ा । मैंने अपने होंठ र्मीच लिये । चारों सैनिक अजीब निगाहों से मुझे देख रहे
थे । "तुम क्या समझती हो कि मैं तुम्हारी इस
बकवास पर यकीन कर लूंगा !" उसने गुस्से से
दांत पीसे ।
"वो तो मैं देख सा हू। मैंने तुम्हारा नाम पूछा है
।" "डियाना ।" "इस तरह आर्मी एरिया में विमान से कूदने
का तुम्हारा क्या मकसद है?" उसने सवाल
किया । "भला एक लड़की का इतनी रात में आर्मी
एरिया में कूदने का क्या मकसद हो सकता है?"
मैं पूरी दिठाई से बोली । "सवाल मैंने क्रिया है । जवाब दो ।" "बात दरअसल ये है कमाण्डर कि मैं विमान
से पैराशूट से जमीन पर कूदने का प्रशिक्षण
ले रहीँ हूं । मेरा विमान भटककर इस तरफ आ
गया और मुझे नहीं मालूम था कि मैं जिस
जगह कूद रही हू । बो आर्मी का एरिया है,
वरना मुझसे ये गलती कभी नहीं होती ।" मैंने पहले से गढ़कर तैयार की गई कहानी कमाण्डर
को सुना दी । इस वक्त मैं मेकअप में थी और
एक विदेशी बाला नजर आ रही थी । कमाण्डर की ब्लेड की धार जैसी पैनी
निगाहें मेरे सुखे-श्वेत चेहरे पर फिक्स होकर
रह गई । उसके देखने का अंदाज बता रहा था
कि मानो वह मेरे चेहरे से सच जानने का
प्रयास का रहा हो । किन्तु मैं शर्त लगाकर कह सकती हूं कि उसे
मेरे चेहरे पर ऐसा कोई भाव नजर नहीं आया
होगा । " तुम कहानी तो अच्छी गढ लेती हो लड़की
।" एकाएक उसके होठों पर जहरीली मुस्कान
नाच उठी । " ये कहानी नहीं है कमाण्डर, बल्कि
हकीकत है ।" मैंने एकएक शब्द पर जोर देते हुए
कहा । मेरे होठों से निकला ही था कि
कमाण्डर का भारी-भरकम हाथ तेजी से हवा में
घूमा और उसकी चौडी हथेली झन्नाटेदार
थप्पड़ की शक्ल मैं मेरे कोमल गाल से टकराई । "तड़ाक… !" थप्पड़ इतना ताकतवर था कि मेरा समूचा
चेहरा झनझना उठा और मेरा सिर फिरकनी
की मानिन्द गर्दन पर घूम गया । आंखों से
आँसू उबल पड़े । यकीनन मैं बेहोश होते-हीते बची थी । "कमाण्डर ।" मेरे होठों से निकला । "खामोश." वो दहाड़ा । मैंने अपने होंठ र्मीच लिये । चारों सैनिक अजीब निगाहों से मुझे देख रहे
थे । "तुम क्या समझती हो कि मैं तुम्हारी इस
बकवास पर यकीन कर लूंगा !" उसने गुस्से से
दांत पीसे ।
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