चीते का दुश्मन complete

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007
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Re: चीते का दुश्मन

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" वैरी गुड प्यारे I” विजय बोला…""अब तुम और हमारी कारगुजारी सुनो । जिस समय तुम टुम्बकटू को गिरफ्तार कर रहे थे उस समय बांड और माईक ने वहां सभी सैनिकों के स्थान पर अपने किराए के आदमी लगा दिए । हमने भी ठीक बैसी ही चाल चली…यानी कि छ: किराए के आदमी लिए और माईक, बांड के आदमियों को बेहोश कर दिया । उधर मैं एक नकाबपोश बना और बांड और माईक के पास पहुच गया । ये घटना मैंने ठीक उस समय की जब तुम टुम्बकटू को गिरफ्तार कर रहे थे । मेरा इस घटना का उद्देश्य केवल यह था कि मैं उन्हें वहां उलझाए रखूं ताकि तुम्हारे रास्ते में किसी प्रकार की बाधा न डाल सकें । उनको उसी कमरे में बंद करके मैँ अपने कमरे मेँ पहुचा और मैं और अलफांसे खुद ही अपना मुंह काला करके माईक और बांड के पास पहुच गए और कहा कि एक रहस्यमय काला नकाबपोश हमारा ये हाल कर गया है । हमारे सामने ही बांड के आदमी हैबिन ने उसे ट्रांसमिटर पर सूचना दी कि तुमने टुम्बकटू को गिरफ्तार कर लिया है. . .बस. . .ये सूचना पाकर हम संतुष्ट हो गए कि हम अपने उद्देश्य में सफल हो गए हैं । हमारा उद्देश्य यही था कि तुम टुम्बकटू को गिरफ्तार कर लो और बांड अथवा माईक तुम्हारे मार्ग मेँ किसी प्रकार की बाधा उत्पन्न न कर सकें ।"



"इसका मतलब यह है कि आप जगह-जगह मेरी सहायता करते रहे हैं I”



"बेशक ।"
"तो आपने मुझे यहां क्यो भेजा था , गुरू ?" विकास का लहजा गम्भीर हो गया I



"तुम्हारी बुद्धि फिर उलटती जा रही है प्यारे !" विजय ने कहा…""अबे, तुम्हें दुनिया का सबसे बडा जासूस जो बनाना है !"



"मतलब ये है कि मैं अपनी प्रतिभा से सबसे बड़ा जासूस नहीं बनूंगा ।" विकास का लहजा गम्भीर होता चला गया ।।



"तुम कहना क्या चाहते हो?”



"कहना ये चाहता हू गुरु कि आप मेरे अंदर हीन भावना को जन्म दे रहे हैं l” दृढता के साथ बोला विकास-"क्या विकास के अंदर इतनी प्रतिभा नहीं हैं कि वह माईक और बांड जैसे दुश्मनों से अपनी सुरक्षा कर सकै । गुरु, क्या तुम्हें , अपने चेले पर इतना भी बिश्वास नहीँ है कि वह अपने दुश्मनों से मुकाबला कर सकता है? इससे जाहिर होता है कि तुम्हे मेरी शक्ति पर विश्वास नहीं है! अगर विश्वास नहीं है गुरु तो क्यों मुझे मास्को भेजा? क्यों अपनी जगह मुझे अंतर्राष्ट्रीय सीक्रेट सर्विस में भेजा? जब आप मुझमें प्रतिभा नहीं समझते तो क्यों मुझें सबसे बड़ा जासूस बनाना चाहते हैं? नहीं गुरु. . .नही. . .मुझे नहीं बनना सबसे बडा जासूस ' जब मेरे अंदर प्रतिभा नहीं है तो क्यों मुझे आप कुछ बनाना चाहते हैं . . .ये गलत है गुरु . . बिल्कुल गलत I”




"यह तुम क्या कर रहे हो प्यारे दिलजले?"


“ठीक है गुरु I” विकास भड़क गया…"मेरे अंदर प्रतिभा नहीं है तो मैं स्रीक्रेट सर्विस का चीफ नहीं बनूँगा !"


"तुम तो प्यारे उस्री कहावत पर चल रहे हो कि ' गधे को दिया नून और गधा कहे मेरी आंख फोडे ' !" विजय बोला किं-“एक तो हमने तुम्हारी मदद की और उसके बदले में तुम हमारा शुक्रिया करने से तो गए उल्टे हम पर राशन-पानी लेकर चढ़ रहे हो l”




“मुझे ऐसी मदद नहीं चाहिए, गुरु ।" विकास पूरी तरह भडक गया…"ये माना कि मैं आज जो भी हूं आपकी बदौलत हूं । जगह-जगह आपने मेरी मदद की ।। मेरी जान बचाई ।। मेरे साथ रहे हैं, ये भी ठीक है गुरु कि अगर आप साथ न होते तो विकास कभी का खत्म हो चुका होता, मेरे जिस्म का जर्रा-जर्रा आपकी अमानत है, गुरु I चाहो तो जान ले सकते हो, लेकिन मेरे अंदर हीन भावना पैदा मत करो । मेरा और आपका रिश्ता एक बाप और बेटे जैसा है । बाप पाल-पोसकर बेटे को बड़ा करता है, उसे दुनिया दिखाता है । दुनिया का ऊच-नीच सिखाता है । उसे बड़ा करता है मगर जब बेटा सब कुछ समझने लगता है तो वह उसे दुनिया से टकराने के लिए छोड़ देता है । इसके बाद. . .बेटा ही बाप की लाठी बनता है ।"



"लेकिन बेटे, बेटा चाहे कुछ भी हो जाए, बाप के लिए बेटा बेटा ही रहता है I बाप को हमेशा उसकी चिंता रहती है ।"



"जिस बेटे के ऊपर बुढापे तक बाप का हाथ रहे वो बेटा कभी लायक नहीं बन सकता ।" विकास ने कहा-“तुमने इतिहास पढा होगा गुरु, अधिकांश महान पुरुष जो बने हैं, छोटी उम्र में ही जिनके ऊपर से बाप का हाथ उठ गया है , वे अकेले ही अपनी प्रतिभा से महान बने हैं । जिन बेटों के सिर पर जवानी तक किसी बड़े का हाथ रहता है वे अपनी प्रतिभा का प्रयोग नही करते और निकम्मे बन जाते हैं ।"


"मेरी समझ में नहीं आता गुरु कि आप कब तक मेरी सहायता करेंगे?"



“जब तक कर सकेंगे ।”



"गलत है गुरु, एकदम गलत I” विकास गुर्रा उठा-" मुझे पसंद नहीं है कि आप अब भी मेरी मदद करें I आपकी मदद से मैँ सबसे बड़ा जासूस भी नहीं बनना चाहता। अब या तो आप भारत लौट जाओ अन्यथा मैं जा रहा हू।”


सुनकर बिजय के दिमाग में एक विस्फोट-सा हुआ । आने वाले खतरे का ज्ञान उसे हो गया । वह समझ गया कि बिकास के दिमाग में यह बात जम चुकी है और अब किसी भी प्रकाऱ उसे समझाया नहीं जा सकता I फिर भी वह बात को सम्भालने का प्रयास करता हुआ बोला-'" तुम बात को समझने का प्रयास करो, विकास ।"



"बात को समझने की बुद्धि मुझमें नहीं है, गुरु l” बिकास दृढ़ता के साथ बोला…“मैं केवल यह जानता हूं कि मैं अकेला अपने रास्ते पर बढ सकता हू I कम-से-कम इस केस में मै आपकी मदद नहीं ले सकता I मैं जो करूंगा, अपनी प्रतिम से करूगा I”



विजय समझ गया था कि अब विकास की समझ में उसकी एक बात भी नही आएगी, बोला…“अच्छा प्यारे दिलजले, मैं तुम्हारी बात मान लेता हू । मैं तुम्हारी इस केस में कोई मदद नहीं करूंगा I जो करोगे तुम करोगे । मैं केवल तुम्हारे साथ रहूंगा I"



"साथ क्यों रहेंगे?"



“केवल इसलिए कि मैं भी टुम्बकटू के रहस्यों को जानना चाहता हू I”

"तो वादा करो गुरु कि आप इस केस में कहीँ भी मेरी कोई मदद नहीं करोगे?” विकास ने कहा ।



विजय ने वादा किया और तब कहीं जाकर विकास माना ।



उसके मानते ही विजय के दिमाग से एक भार-सा हल्का हो गया, बोला-"'तुम मान गए प्यारे दिलजले, इसी खुशी में एक-एक झकझकी पेशे खिदमत है I"



इससे पूर्व कि विकास कुछ कहे, विजय ने झकझकी शुरू कर दी



'क्वारे रहोगे तो सुख से रहोगे लाला,
शादी कर नाक में नकेल मत डलवाओ जी,
रोके न कोऊ और टोके न क्रोऊ तुम्हें,
जाड़ेन में चाहे महीना मत नहाओ जी,
नाचो जी, गाओ जी, चाहे जहां जाओ जी,
रात को सिनेमा से डेढ बजे आओ I'


" ये काका हाथरसी की रचना सुनाकर हमेँ बोर कर रहे हो गुरु I” विकास मुस्कराता हुआ बोला…“मैं तुम्हें दिलजली सुनाता हू गुरु, सुनो खुद मेरी बनाई हुई है । हाँ तो पेश है ।"



बिजय कानों मेँ उंगली ठूंसकर बैठ गया ।
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Re: चीते का दुश्मन

Post by 007 »

टुम्बकटू के मुह से हल्की-सी कराह निकली ।


धीरे-धीरे उसकी चेतना वापस आ रही थी ।

उसे नहीं पता था कि वह कितनी देर बेहोश रहा?

उसकी अचेतना के बीच क्या-क्या हो गया?

धीरे-धीरे उसके मस्तिष्क ने भी कार्य करना शुरू कर दिया ।


उसे याद आया…अपने चैलेंज के मुताबिक वह विकास को यह अवसर देने के लिए विकास के पास गया था कि उसे गिरफ्तार कर सकता है तो कर ले ।

वह एक पाइप के अंदर से होता हुआ विकास के कमरे की और बढ रहा था कि अचानक पूरा पाइप मधुमक्खियों और ततेयों से भर गया । इसके बाद वह अपने किसी शब्द का प्रयोग नहीं कर सका और उसकी हालत खराब हो गई । इसके पश्चात वह बेहोश हो गया ।।


वह धटना याद आते ही उसे अपने जिस्म में होने वाली भयंकर पीडा का भी अनुभव हुआ । उसका सारा जिस्म किसी पके हुए फोड़े की भांति दुख रहा था। सबसे अधिक पीड़ा उसे अपनी जांघ मे महसूस हुई । वह आंख खोलने का प्रयास कर रहा था परंतु उसे सफलता नही मिल पा रही थी ।



उसी क्षण ढेर सारा पानी उसके चेहरे से टकराया।



उसकी एक ही झटके में उसकी आंखे खुल गई । पहले उसे अपने सामने का दृश्य धुंधला-सा नजर आया, उसके बाद दृश्य साफ होता चला गया । उसने देखा उसके सामने एक आदमी खंडा था I उसके हाथ में एक खाली जग था ।


टुम्बकटू समझ गया कि उसके ऊपर फेका गया पानी इसी जग से गिराया गया है । उसके सामने खड़े इंसान की दाई पिंडली में पट्टी बंधी हुई थी । टुम्बकटू ने देखा-इस समय वह खुद भी रस्सियों से जकडा हुआ था ।। उसने हिलने का प्रयास किया किंतु सफल न हो सका ।। खुर्द को मुक्त कराने के विचार को स्थगित कर बोला ।



"तुम शायद युगोस्लाविंया के जासूस बरगेन शाॅ हो !"



"तुमने ठीक पहचाना ।"

वारगेन शाॅ बोला----" तुम्हें इसीलिए होश में लाया गया है ताकि तुम मुझे बताओ कि उस फिल्म में क्या था?"



“क्या मतलब? ” चौंककर टुम्बकटू ने अपनी जांघ की ओर देखा । जांघ मेँ जहां फिल्म थी वहां इस समय घाव हो रहा था…“फिल्म कहां है?"



"आपरेशन करके तुम्हारी फिल्म मैंने निकल ली ।"



"तुमने!" एक गुर्राहट-सी टुम्बकदू के मुह से निकली-“कहां है फिल्म? फिल्म मुझे वापस कर दो l"



"फिल्म मेरे पास नही है I" बरगेन शों बोला…“अगर मेरे पास होती तो मैं व्यर्थ में तुम्हें होश में लाकर फिल्म के बारे मेँ क्यों पूछता?"



"किसके पास है?” बुरी तरह गुर्रा उटा टुम्बकटू।



" बको मत I” बरगेन शॉ ने खूंखार स्वर मेँ कहा…“तुम्हरि प्रश्नों का जवाब देने के लिए मैं तुम्हें होश में नहीं लाया हू। चुपचाप मेरे सवालों का जवाब दो वरना इसी समय गोली मारकर तुम्हारा खेल हमेशा के लिए खत्म कर दूगा ।”




मन-ही-मन टुम्बकटू ने सोचा, तेरी शामत आई है जासूस की दुम । इसलिए तू मुझे होश में लाया है परंतु प्रत्यक्ष मेँ टुम्बकटू बोला-“डाट क्यों रहे हो भाई साहब मैं तुम्हारे सब सवालों का जवाब टेपरिकॉर्डर की तरह दूंगा । लेकिन जरा टेप में वैटरी तो डालो l”


“क्या मतलब? "


"एक गिलास पानी I"


बरगेन शॉ ने टुम्बकटू को खा जाने वाली नजरों से घूरा और फिर एक गिलास पानी लेने चला गया ।

बस, यही तो टुम्बकटू चाहता था ।


यह पता लगते ही कि उसकी फिल्म निकाल ली गई है, उसके दिमाग का वैलेस बिगड गया था । वह अब जल्दी-से-जल्दी कुछ करना चाहता था ।


हालांकि उसका जिस्म बुरी तरह सूजा हुआ था । हर भाग में भयानक पीडा हो रही थी किंतु इतना सबके बावजूद भी बरगेन शॉ के कमरे से निकलते ही टुम्बकटू ने अपनी सम्पूर्ण शक्ति को समेटा और अपने जिस्म को फुलाना शुरू कर दिया ।



रस्सी उसके घावों मेँ सिमटने लगी । भयानक पीड़ा से अंदर…ही-अंदर वह कराह उठा र्किंतु इस दर्द क्रो सहन करके भी वह अपने जिस्म क्रो किसी गुब्बारे की भांति फुलाता चला गया ।


एक मिनट बाद ही रस्सी एक झटके के साथ टूट गई ।



उधर बाथरूम से पानी का गिलास लेकर बरगेन शॉ चला ही था फि अचानक उसके सिर पर एक जोरदार चपत पडी ।


उसकी खोपडी भन्ना गई । आंखों के आगे लाल-पीले तारे नाच उठे । गिलास उसके हाथ से छूटकर फ़र्श पर गिर गया ।



"क्या कर रहे हो?" टुम्बकटू की ऐसी आवाज उसके कान मे पड्री मानो फुलपावर पर चलता हुआ रेडियो एकाएक खराब हो गया हो…“इतना कीमती गिलास फोड़ते हुए तुम्हें ज़रा भी शर्म नहीं आईं, इसीलिए तुम धरती निवासियों का बेड़ा गर्क होता है ।"



बरगेन शॉ ने चौंककर देखा।



उसके ठीक सामने खडा हुआ टुम्बकटू किसी गन्ने की भांति लहरा रहा था ।
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Re: चीते का दुश्मन

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बरगेन शॉ की आंखों के सामने जैसे दुनिया का सबसे बडा आश्चर्य खडा था । हैरत से उसकी आंखें फैल गई । मुह से केवल यही निकला-“तुम ?"

“जी ।" बडे सभ्य ढंग से टुम्बकटू झुककर बोला…“हुजूर की सेवा में ये नाचीज ही उपस्थित हुआ है ।”



"लेकिन...लेकिन !” बरगेन शॉ बुरी तरह बोखला गया था-""तुम खुल कैसे गए?"



“क्या ?" उसी प्रकार के मूड में फिर बोला टुम्बकटू-“क्या मैंने खुलकर महाराज की शान में कोई गुस्ताखी कर दी? अगर आपको गुलाम की आजादी नागवार गुजरी हो तो मैं फिर उन्हीं रस्सियों में बंध जाऊं I"



बरगेन शॉ अपनी आंखों के सामने जो देख रहा था उस पर विश्वास नहीं कर पा रहा था । वह समझ नहीं पा रहा था कि बीसवीं सदी का ये कार्टून इतनी जल्दी इतने सख्त बंधनों से आजाद कैसे हो गया । दूसरे, वह टुम्बकटू की बात करने की स्टाइल पर चमत्कृत था ।



“अगर इजाजत हो तो गुलाम आपकी सेवा मेँ चंद शब्द प्रस्तुत करे I” कहते-कहते अदब के साथ टुम्बकटू ने अपने दोनों हाथ जोड़ दिए ।



बरगेन शॉ को अपनी खोपडी अंतरिक्ष में तैरती-स्री महसूस हो रही थी । खुद वह संयम पाने का प्रयास करता हुआ बोला-“क्या कहना चाहते हो?"



"मालिक से केवल इतनी-सी दरख्वास्त है कि वे गुलाम क्रो ये बताने की कृपा करें कि गुलाम की फिल्म कहा है?”



जवाब के स्थान पर बरगेन शॉ ने रिवॉल्वर निकाला और उसकी ओर तानकर बोला…“अगर हिले तो गोली मार दूगा I"

"अरे अजीब किस्म के अहमक आदमी हो जनाब I” टुम्बकटू बोला-"शराफत की भाषा को रद्दी की टोकरी में डाल रखा है ।"


किंतु बरगेन शॉ ने फायर कर दिया ।


टुम्बकटू वहां कहां था? चपत तो बरगेन शॉ के पीछे से लगी साथ ही दुम्बकटू की आवाज-“मुझ जैसे आज्ञाकारी गुलाम पर फूल बरसाकर हुजूरे आला अपना ही नुकसान कर रहे हैं I” कहते समय टुम्बकटू ने उसके सिर पर चपत इतनी जोर की मारी थी कि बरगेन शों का सम्पूर्ण जिस्म झन्ना उठा l रिवॉल्वर तो उसके हाथ से गिरा ही, साथ ही खुद भी गिर गया । उसकी आंखों के सामने अंधेरा-सा छा गया था I



"ये क्या कर रहे हो मालिक?" अपनी सलाई-सी बाहों का सहारा देकर टुम्बकटू बरगेन शॉ को उठाता हुआ बोला-" भला ऐसे भी कहीं गिरना चाहिए ।"



बरगेन शॉ क्रो लगा कि वह बुरा र्फसा है । इस चपत से उसे भली प्रकार टुम्बकटू की शक्ति का अनुमान हो गया । यह भी वह समझ गया कि अब टुम्बकटू को सम्भालना उसके बस का रोग नहीं है । बरगेन शॉ को लग रहा था कि उसे होश में लाकर उसने जीवन की सबसे बडी भूल की है । अभी उसका दिमाग हवा मेँ ही उड रहा था कि उसने महसूस किया ।

उसका सम्पूर्ण जिस्म किन्हीं दो लोहे की रॉडों में कसकर उठा लिया गया है । ये लोहे की रॉर्डे अन्य कुछ नहीं टुम्बकटू की बांहें थीं ।



इसके बाद उसने महसूस किया कि टुम्बकटू उसे लेकर चल दिया । हवा में चकराते हुए उसके मस्तिष्क को एक झटका-सा लगा ।



उसने महसूस किया कि उसे एक सोफे पर फेंक दिया गया है ।



"मैं हुजूर से एक बार पुन: हाथ जोडकर बिनती करता हूं मुझे बता दें कि फिल्म किस महापुरुष के पास है?"



“मुझसे जेम्सबांड छीनकर ले गया है l" बरगेन शाॅ ने बता देने में अपनी भलाई समझी ।



“मेरे बेहोश रहने पर क्या हुआ?”


अपनी जान बचाने के लिए बरगेन शॉ ने उसे यह सब कुछ बता दिया जो वह जानता था ।



"धन्यवाद ।" कहने के साथ ही टुम्बकटू ने एक चपत उसके गाल पर जड़ दिया । बिना किसी चू पटाक के बरगेन शॉ सोफे पर गिर गया ।


टुम्बकटू एक झटके के साथ उठता हुआ बोला…“क्षमा करना मालिक, केवल बेहोश किया है ।”

जेम्सबांड शीशे के सामने खडे होकर अपनी टाई की नॉट ठीक कर ही रहा था कि-एक जोरदार चपत उसके सिर पर पडी । इस एक ही चपत में बांड की आंखों के सामने लाल…पीले तारे नाच उठे । फिर भी वह खुद क्रो संभालकर अपनी तरफ़ से पूरी फुर्ती के साथ पलटा, मगर पीछे कोई नहीं था । उसी समय एक चपत उसकी कमर पर पडी । उसे महसूस हुआ जैसे लोहे की कोई पत्ती जोर से उसकी कमर में मारी गई हो | वह पुन: अपनी एडी पर घूम गया ।


“वहां नहीं जनाब जेम्सबांड, खादिम यहां आराम फरमा रहा है I”



बिजली की…सी गति से बांड पलटा। देखा, सामने गन्ने जैसा टुम्बकटू सोफे पर लेटा हुआ था । एक क्षण को बांड की आंखों में हैरत कै…से भाव उभर आए । उसकी समझ में नहीं आया था कि गन्ने जैसे इस बीसवीं सदी के विचित्र कार्टून में बला की फुर्ती और शक्ति कहां छिपी हुई है! टुम्बकटू का सारा जिस्म सूजा हुआ था किंतु फिर भी उसकी शक्ति और फुर्ती में किसी प्रकार की शिथिलता नहीं थी l



न जाने क्यों अब तो टुम्बकटू को देखने मात्र से बांड के दिल में भय…सा समा जाता था । उसकी समझ मेँ नहीं आता था कि इस छलावे से किस प्रकार टकराया जा सकता है?



टुम्बकटू को देखकर उसके जिस्म मेँ झुरझुरी-सी दोड़ गई र्कितु फिर भी वह खुद पर संयम पाने की चेष्टा करता हुआ बोला…“टुम्बकटू।”



"जी मालिक I" बड़े अदब के साथ बोला टुम्बकटू-“खदिम को इस्री नाम से पुकारा जाता है I”



"तुम यहां क्यों आए ही?” बांड ने प्रश्न किया I



"बातचीत में हमेशा शिष्ट भाषा का प्रयोग करना चाहिए मेरे मालिक ।" टुम्बकटू ने कहा…“ये कहिए कि गुलाम स्वामी की सेवा में क्या प्रार्थना लेकर उपस्थित हुआ है । इसका जवाब ये है हुजूर कि आपके गुलाम की फिल्म किसी ने निकाल ली है और नाचीज को पता लगा है कि वह आपकी सेवा में है !"



"तुम क्या चाहते हो?”

"हुजूरे आला ने एक बार फिर अशिष्ट भाषा का प्रयोग किया है ।" इस बार दुम्बकटू खडा हो गया…“कहना ये चाहिए था कि ये तुच्छ बालक आपके सामने किस बिनती को लेकर उपस्थित हुआ है और इसका उत्तर ये है स्वामी जी, बच्चा आपसे प्रार्थना करता है कि वह फिल्म हमें सौंपने की कृपा करें । मैं आपका कृतज्ञ रहूगा I”



जेम्सबांड का दिमाग काफी तेजी से काम कर रहा था । वह यह सोचने का प्रयास कर रहा था कि उस कार्टून से पीछा कैसे छुड़ाया जाए? मगर फिलहाल उसे कोई तरकीब सुझाई नहीं दे रही थी l उसकी जेब में रिवॉल्वर पड़ा था किंतु इस बात को वह भली…भांति समझ चुका था कि टुम्बकटू के सामने रिबॉंल्बर निकालना एकदम व्यर्थ सिद्ध होगा । इस समय उसके सामने खड़ा हुआ टुम्बकटू उसके जीवन का सबसे बड़ा सरदर्द था । उसके जीवन मेँ टुम्बकटू जैसा दूसरा जंतु नही आया था । वह समझ नहीं पा रहा था कि इस पर काबू कैसे किया जा सकता है? किंतु अपनी कमजोरी जाहिर न करके वह बोला…"अगर मैं तुम्हें वह फिल्म देने से इंकार कर दू. . .?" हालांकि कहते समय अंदर तक कांप गया था बांड ।



"तो मैं हुजूर की सेवा अपने ढंग से करने के लिए बाध्य हो जाऊंगा ।” टुम्बकटू गन्ने की भांति लहराता हुआ बोला-“वेसे मैँ गुलाम हूं इसलिए स्वामी की शान में कोई गुस्ताखी करना मुझे शोभा नहीं देता मगर मेरी त्रुटि को मालिक क्षमा कर देगे मुझे आशा है ।"



"अगर मेरे पास फिल्म ही न हो?"

"वैसे तो आप जैसे महान स्वामी को मिथ्या वचन शोभा नहीं देते किंतु अगर ये सत्य है तो मेरी आपसे विनती है किं मुझे बताने का कष्ट करे । फिल्म किस महान पुरुष पर है? ताकि मैं उन्ही की सेवा में पहुंचकर उनके चरणों मे आनंद की प्राप्ति कर सकू ।"



"मैँ सच कह रहा हू फिल्म अलफांसे के पास है ।"


"जासूसों के बीच ये अपराधी जानवर कहां से पैदा हो गया?"



“तुम मेरा यकीन करो, फिल्म वास्तव मेँ अलफांसे के पास है I” जेम्सबांड ने न जाने क्या सोचकर सच बोल दिया…"वह एक करोड़ डॉलर्स मेँ मुझे बेच रहा है । इस समय मैं उसी के पास जाने की तैयारी कर रहा था ।"



"एक करोड र्डोंलसं की झलक दिखाने का सौभाग्य प्रदान कीजीये?”



बांड ने अपने समीप रखा सूटकेस खोलकर दिखा दिया । टुम्बकटू ने उचटती-सी नजर से सूटकेस को देखा और बोला…“क्षमा करना स्वामी, गुलाम धोखे मे नहीं आया । मुझे तो ये डॉलर नहीं लगते हैं I”



"हैं ही नकली !" बांड ने छोटा-सा उत्तर दिया !



"मैं बंदापरवर का मतलब नहीं समझा I” टुम्बकटू बराबर किसी गुलाम की भांति बात कर रहा था…“क्या मालिक अलफांसे को धोखा देना चाहते हैं?”



"धोखा नहीं बल्कि अलफांसे द्वारा दिए गए धोखे का बदला लेना चाहता हूं l”



"मूर्ख बच्चे की बुद्धिमानी का दरवाजा जरा छोटा है सरकार ।" टुम्बकटू पुन: बोला-"अर्थात् हुजूर से बिनती है कि जो कहें गीता पर हाथ रखकर सच-सच कहे ।”

“असल बात ये है कि अलफांसे ने उस फिल्म का सौदा केवल मुझसे ही नहीं किया है, बल्कि लगभग हर जासूस से किया है I” बांड ने कहना शुरू किया'-""मुझसे पहले वह जासूसों से पांच करोड डॉलर कमा चुका है । किया उसने ये है कि वह हर जासूस से अलग-अलग मिला और फिल्म का सौदा किया । हर जासूस को मुझसे पहले का टाइम दे रखा था व हर जासूस क्योंकि सबसे बडा जासूस बनने के लिए अकेला ही वह फिल्म हथियाना चाहता था इसलिए किसी भी जासूस ने एक…दूसरे से जिक्र नहीं किया और इस चक्कर में पांच जासूस ठग लिए गए । सबको उल्टी-सीधी फिल्मेँ दे दी गई हैं । अचानक ये पांच जासूस मिल गए और उनके बीच में रहस्य खुल गया कि अलफांसे जासूसों को ठग रहा है । इसकी भनक लगते ही इन पांचों जासूसों ने हम सभी जासूसों की एक मीटिंग बुला ली । इस मीटिंग में ये स्पष्ट हो गया कि लगभग हर जासूस से अलफांसे का सौदा हो चुका है । इस मीटिंग में भारतीय जासूस विकास, पाकिस्तानी चंगेज खां और यूगोस्लाविया का बरगेन शॉ उपस्थित नहीं थे । मगर उपस्थित जासूस इस नतीजे पर पहुच गए कि अलफांसे हम सबको एक ही ढंग से ठग रहा है । वह असली फिल्म किसी को नहीं देगा । छठा नम्बर मेरा है । हम सब जासूसों ने मिलकर एक योजना बनाई डै और वह यह कि इस बार मैं उसे नकली डॉलर दूं I"



"क्या मैं जान सक्ता हूं महान स्वामी, कि इससे लाभ क्या होगा? "



"उसने ग्यारह बजे मुझसे मिलने का समय रखा है ।"

जेम्स बांड बोला-" हम सब जासूसों ने उसे एक साथ घेरने की योजना बनाई है ।"



टुम्बकटू ने उससे ये भी पूछ लिया कि मिलने का टाईम कहां का तय हुआ है ।



बस इतनी-सी बात करके टुम्बकटू एक रोशनदान कै जरिए छलावे की भांति वहां से निकल गया l
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Re: चीते का दुश्मन

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उसके जाते ही बांड ने खुद को हत्का-सा महसूस किया । एक मिनट तक वह अपने स्थान पर उसी तऱह खडा हुआ सोचता रहा, फिर एकदम कमरे से बाहर निकल गया ।



अगले पंद्रह मिनट पश्चात ।


सब जासूस एक ही स्थान पर एकत्रित थे ।


"क्यों बे अंग्रेज की दुम ।" बागारोफ़ कह रहा था-“अब क्या सोचकर ये मजमा लगाया है?"



“मेरे पास टुम्बकटू आया था, चचा! "


“तो फिर कौन-सी तोप आई थी हरामी के पिल्ले?" बागारोफ़ अपनी आदत के मुताबिक बोला…"हम इसमें क्या हथेली लगा सकते हैं?”



"वो मुझसे सब कुछ पूछ गया I”


"अबे क्या सब कुछ?”


“अलफांसे को घेरने की प्लानिंग I”


“और , हरामजादे, तूने बता दिया ।" भडक कर बोला बागारोफ--" अबे क्या सोचकर बता दिया?”



“अगर वो आपके सामने आता चचा, तो तुम्हारा पेशाब निकल जाता ।"

“बोलती पर ढवकन लगा ले वरना सिर का तबला बना दूगा ।” बागारोफ गुर्राया-“टुम्बकटू ना हो गया साला कुम्भकरण हो गया ।"



"बांड सही कहता है, चचा ।" समर्थन बारगेन शा ने किया…“वास्तव में टुम्बकटू बहुत खतरनाक है I"



“लगता है हरामखोर कि तेरा पेशाब निकल चुका है ।” बागारोफ बोला ।



"चचा . . ! " माईक ने बोलना चाहा ।



"तमीज से बोल भूतनी के ।" माईक की बात बीच मे ही काटकर बागारोफ बोला…"वरना मिट्टी का तेल छिड़ककर सारे अमरीका में आग लगा दूंगा । जल्दी खडा हो और बोल कि क्या तीर मारना चाहता है I"



"मैं ये कहना चाहता हू चचा, कि इस समय नौ बजे हैं I"



“अबे तो फिर कौन…सी तेरी अम्मा के मरने का टाइम है?” बीच में भड़का बागारोफ-"बजे हैं तो बजने दे I"



"माईक शायद ये कहना चाहता है कि हम अपनी योजना बदल सकते हैं I” त्यांगली बोला ।



"तुम बिल्कुल सही समझे हो, त्वांगली I” माईक ने कहा-“अलफांसे से तो टुम्बकटू खुद निबट लेगा । वे बात करते हैं तो गुप्त रूप से हमेँ उनकी बातें सुननी हैं और टुम्बकटू पर नजर रखनी है । एक बात ध्यान देने योग्य ये भी हे कि विकास और चंगेज खां आश्चर्यजनक रूप से हम लोगों के बीच से गायब हैं । हमेँ ये भी पता लगाना है कि वे कहां हैँ और किस चक्कर में हैं?"



उनकी ये वार्ता मात्र बीस मिनट तक चली ।

अचानक अलफांसे के कान पर एक जोरदार चपत पडी ।



अलफांसे को ऐसा लगा जैसे उसके चारों ओर अजीब सा सन्नाटा छा गया है । वह अपनी तरफ़ से पूरी फुर्ती फे साथ पलटा किंतु वह कुछ देख न सका । उसके चारों ओर गहन अंधेरा था । कठिनता से तीन गज दूर का व्यक्ति साये के रूप मेँ दिखाई दे सकता था मगर उसे कुछ भी दिखाई नहीं दिया ।



इस समय वह यहां जेम्सबांड की प्रतीक्षा कर रहा था l



"क्राइमर भाई, यहां क्या मटर भुना रहे हो?” मात्र आवाज से ही अलफांसे समझ गया कि ये हरकत दुम्बकटू की है l यह एहसास होते ही वह एकदम सतर्क हो गया और पहले से भी कही अधिक फुर्ती का प्रदर्शन करके आवाज की दिशा में घूम गया । उसे लगा उसके सामने काफी समीप कोई गन्ना हवा के झोंकों के साथ धीरे-धीरे हिल रहा है l उसके मुह से मात्र एक शब्द निकला…“टुम्बकटू?”



“जीं हां, क्राइमर मियां…खादिम को इसी लेबिल से पुकारा जाता है I" गन्ने से आवाज निकली ।



एक क्षण के लिए अलफांसे पर जो बौखलाहट हावी हुई थी उस पर उसने शीघ्र ही काबू पा लिया, बोला-"तुम इस समय यहां?"



"क्यों, क्या गुलाम क्री हाजिरी आपको पसंद नहीं आई?" टुम्बकटू अपनी आदत के मुताबिक आदरात्मक स्वर मेँ बोला I



"तुम यहां क्यों आए हो?" अलफांसे ने सख्त लहजे में प्रश्न किया ।

"मुझें कहते हुए शर्म आती है क्राइमर भाईं कि आपको भी बात करने का ढंग नहीं आता ।” टुम्बकटू शिष्ट स्वर मेँ बोला…"हम तो जनाब किबला की शान से दुबले हुए जा रहे हैं और जनाबे किबला हैं कि हम पर राशन-पानी लेकर चढ़ रहे हैं । क्राइमर मियां, सच बात तो ये है कि हमें तुमसे लगता है डर इसलिए यही इल्लजा है कि कृपा करके हमसे शिष्ट भाषा में बात करें, वरना व्यर्थ ही आपकी एकाध हड्डी आपका साथ छोढ़ देगी I”



"बेटे कार्टून? गुर्राया अलफांसे-“मेरा नाम अलफांसे है । होश मेँ बात करो । इस समय यहां क्या कर रहे हो?”



"महान क्राइमर की सेवा में हाजिर हू ।”


"क्या चाहते हो?"


“अगर खादिम की फिल्म लौटा दें तो खादिम खुश हो जाएगा I” टुम्बकटू बोला…“लेक्रिन उससे पहले एक बात ये भी है क्राइमर भाई कि मुझे वो फिल्म नहीं चाहिए जो आप पहले मी पांच जासूसों को दे चुके हैं और अब यहां बांड को देने के चक्कर में खड़े हो l”



"इसका मतलब तुम सब कुछ जानते हो?" अलफांसे सतर्क लहजे में बोला ।



"हमने बड़े भाई की शान में कोई गुस्ताखी तो नहीं की ?"



"तुमसे बाद में बातें होंगी । फिलहाल या तो तुम चुपचाप एक तरफ़ छुप जाओ अथवा यहां से चले जाओ, अन्यथा मुझे अपने रास्ते से तुम्हें हटाने के लिए दूसरे रास्ते अख्यियार करने पड़ेगे l” अलफांसे के स्वर में कही भी ऐसा लोच नहीं था जो ये प्रदर्शित करता कि वह टुम्बकटू से लेशमात्र भी प्रभावित है I

"हुजूर, आपका हुक्म सर-आंखों पर I” टुम्बकटू बोला…“लेकिन क्या आप हमारी एक बात पर और गौर फरमाने की कृपा करेगे?”



" क्या ?"



"हम आपको ये बताना चाहते हैं कि आपका यहां उपस्थित रहना न केवल व्यर्थ है बल्कि खतरनाक भी है । अब आप प्रश्न कोंगे कि क्यों? तो इसका सींधा-सा जवाब ये है हजरते हमाम, कि जेम्सबांड आपकी चाल को समझ चुका है I अर्थात् वह जानता है कि आप पहले पांच जासूसों की भांति उसे भी असती फिल्म नहीं देंगे । इसका जवाब आपको देने के लिए न केवल उसके पास नकली डॉलर है बल्कि सब जासूस आपको घेरने की योजना भी बना रहे हैं I”



“क्या मतलब?" अलफांसे हल्के-से चौंका ।
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Re: चीते का दुश्मन

Post by 007 »

मतलब बताते-बताते टुम्बकटू ने उसे सारी बात स्पष्ट बता दी । पूरी बात सुनने के बाद अलफांसे मुस्कराया और बोला…“इसका मतलब ये हुआ कि पांच करोड़ की कमाई के बाद इनकम का रास्ता बंद हो चुका है । खैर, अब तुमसे बातों मेँ कुछ मजा आएगा । बोलो, क्या कहना चाहते थे?”




"मेरा ख्याल ये था जनाब कि हम एकांत मेँ कहीं बातें करते ।"



"चलो ।" अलफांसे ने लापरवाही से कहा…“आओ मेरे साथ I”



और वे दोनों घनिष्ठ दोस्तों की भांति एक साथ उस पहाडी का चक्कर काटकर नीचे उतरने लगे । बीस मिनट बाद ही वे एक कार के समीप पहुंच गए थे ।

ये कार अलफ़ांसे ने किराए पर ले रखी थी ।

अलफांसे ड्राइविंग सीट पर जम गया ।

टुम्बकटू उसके बराबर मेँ ही बैठा था ।

अलफांसे ने आराम से कार स्टार्ट करके आगे बढा दी । कुछ ही देर बाद कार सडक पर आ गई । इस बीच टुम्बकटू एक मिनट भी शांत नहीं रहा था ।



जब कार को गति मेँ आए तीस मिनट गुजर गए तो एकाएक टुम्बकटू मतलब की बात पर आता हुआ बोला…"बात करने के लिए इससे बेहतर जगह और क्या होगी, क्राइमर भाई?"



"प्यारे कार्टून, अगर असली अपराधी हो तो आगे-पीछे देखकर चला करो ।"



“क्या मतलब? " टुम्बकटू बोला ।



“मेरे मतलब को तो मेरे पास ही रहने दो I” अलफांसे एक बार बैक मिरर पर दृष्टि डालकर बोला…"तुम जरा अपना चक्कर बताओ । धरती पर तुम खुद से बडा तीसमारखां किसी को समझते ही नहीं थे । जासूसों के दल में घूमकर चेलेंज दिया था कि कोई तुम्हारी फिल्म निकाल ले, लेकिन ये भूल गए कार्टून प्यारे, कि उन जासूसों में हमारा चेला भी था । बना ना चमगादड़ अब तो तुम्हारी अकड ढीली हो गई । अब क्या चाहिए? "




“हुजूर मुझे वो फिल्म दे दें तो गुलाम पर बडी कृपा होगी ।" टुम्बकटू ने कहा ।



“एक बात बताऊं तुम्हें!" अजीब-सी मुस्कान के साथ बोला अलफांसे ।



“एक नही बंदा परवर हजार बातें बताओ I"



“एक कटोरा लेकर भीख मांगने लगो ।"
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