गद्दार देशभक्त complete

Post Reply
User avatar
kunal
Pro Member
Posts: 2708
Joined: 10 Oct 2014 21:53

Re: गद्दार देशभक्त

Post by kunal »

इंटेलीजेंस ब्यूरो का जोनल चीफ बीरेश गोतम दिल्ली स्थित गृहमंत्रालय पहुंचा और गृहमंत्री बादल नारंग के भव्य आफिस में पहुंचकर उनसे मिला ।



वह गोपनीय मीटिंग पूर्व निर्धारित और निहायत ही अहम थी ।


एजेंडा था…हाफिस लुईस ।



हाफिस लुईस पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद का एक आतंकी चेहरा था । वह जमात उल फिजा नामक एक आतंकी संगठन का प्रमुख था । उसके आतंक का साम्राज्य ईराक, अफगानिस्तान, भारत और अमेरिका तक फैला हुआ था !



भारत में उन्नीस सौ तिरानवे के मुम्बई बम कांड सहित मुम्बई हमले का वह मास्टर माइंड था ।


पाकिस्तानी हुकूमत का हाफिज लुईस को खुला और निर्लज्जता भरा समर्थन व संरक्षण प्राप्त था । इसी वजह से हाफिज पाकिस्तान की जमीन पर आजाद घूम रहा था !

----


“कैसे हैं गोतम साहब !" प्रभावशाली चेहरे तथा आवाज़ वाले गृहमंत्री बादल नारंग ने बीरेश गोतम से औपचारिक सवाल किया ।



“अगर आपका सवाल मेरे फील्ड को लेकर है तो गुस्ताखी माफ होम मिनिस्टर साहब ।" गोतम अदब से बोला था…“इस फ्रंट पर हालात जरा भी अच्छे नहीं हैं ।"



“बो तो इसी से जाहिर है कि आईबी का जोनल चीफ खुद मुम्बई से दिल्ली आया है ।" नारंग बोला----"लेकिन बात क्या है ? क्या आईबी को कोई अहम सुराग हाथ लगे हैं?"



"ऐसा ही है जनाब । वे सुराग बेहद अहम और फिक में डालने वाले हैं ।उुन्हें आपकी जानकारी में लाया जाना बेहद जरूरी है ।"



" लाओ !"




"आप जानते ही हैं कि मेरे अाने की वजह हाफिज लुइस है ।"


"अब क्या किया उसने? "



"अभी किया नहीं है । करने वाला है ।"



“क . . .क्या?"



"आईबी ने जो जानकारियां जुटाई है, उसके मुताबिक हाफिज लुईस ने एक निहायत ही खतरनाक मास्टर प्लान तेयार किया है ।”



"कैसा मास्टर प्लान? मुम्बई हमले जैसा?"



"उससे कई-कई गुना ज्यादा खतरनाक ।"


“अरे ?"



“हमें मिली इन्फारमेशन के मुताबिक इस बार हाफिज ने अपने ओंपरेशन को औरंगजेब का नाम दिया हैं--------आंपरेशन औरंगजेब ।"



''आपरेशन औरंगजेब ।" नारंग ने व्यग्र भाव से दोहराया । फिर पूछा…"उसकै इस आंपरेशन का मकसद क्या हैं?”


"वैसे तो सर, हर पाकिस्तानी दहशतगर्द का केवल एक है मकसद हे…-हमारे मुत्क की जमीन पर तबाही फैलाना-बेगुनाहों के खून की नदियां बहाना, ताकि यह हमारी हुकूमत पर अपनी मांगों को मानने का दबाव वना सके । वह अपने इन शैतानी मंसूबों में कितना कामयाब हुआ है, यह अलग मसला है । मगर आंपरेशन औरंगजेब आज तक के सभी बड़े आतंकी मिशनों से इस मामले में अलग है, क्योंकि शायद पहली वार ऐसा हुआ है कि जबकि अपनी दहशतगर्दी के लिए पाकिस्तान ने इस मुल्क में एक साथ तीन…तीन मोर्चे खोलने का मिशन प्लान किया है ।"'



"एक साथ तीन-तीन मोर्चे? वह कैसे?"



"हाफिज का पहला और अहम मिशन भारत की जेलों में बंद अपने उन आंतकी साथियों को रिहा कराना है, जिन्हें कोर्ट द्वारा फांसी की सजा दी जा चुकी है ।"



"इसमे नया क्या ? यह तो दशहतगर्दों का वहुत पुराना मिशन है । अपने साथियों को जेल से रिहा कराने के तो वे हमेशा से ख्वाहिशमंद रहे है और कितनी ही बार उसमें कामयाब भी हुए हैं । लेकिन फांसी की सजा पाए अब ऐसे दहशतगर्द बचे ही कितने हैं! उनमें से कुछ तो फांसी पर लटक चुके हैं । जो बचे हैं, उनकी सजा टाइम लिमिट की वजह से सुप्रीम कोर्ट माफ कर चुकी है ।"'



"अभी ऐसा एक खूंखार दहशतगर्द वाकी है, जो सुप्रीम कोर्ट की टाइम लिमिट में नहीं आता और जिसे अगले हफ्ते फांसी देना निश्चित हुआ है । यह दिल्ली हाईकोर्ट के सीरियल ब्लास्ट का आरोपी है, जिसमें बीस से ज्यादा लोग मारे गए थे । यह सीरियल ब्लास्ट भी हाफिज ने कराया था और उसके इशारे पर उसे हाफिज के ही एक कमांडर ने अंजाम दिया वा, जो बाद में पकड़ा गया था ।"



“तुम शायद मुस्तफा की बात कर रहे हो, जो पिछले तीन साल से तिहाड़ जेल में बंद है?”



"आप ठीक समझे । मैं उसी की बात कर रहा हूं । अॉर्परेशन औरंगजेब का पहला मोर्चा मुस्तफा की रिहाई को लेकर है । सूचना के मुताबिक हाफिज का प्लान मुकम्मल हो चुका है ।"
User avatar
kunal
Pro Member
Posts: 2708
Joined: 10 Oct 2014 21:53

Re: गद्दार देशभक्त

Post by kunal »

"प्लान मुकम्मल भी हो चुका है?" नारंग चौंककर बोला----“यह तुम क्या कह रहे हो गोतम?"



" यह सच है सर ।"


"क्या कोई प्लेन हाईजैक या वेसा ही कुछ और?”



“अभी इस बारे में सुराग नहीं मिला । हाफिज वहुत शातिर दहशतगर्द है । वह अपना हर कदम फूक--फूंककर रख रहा है ।"



“ओहो! और उसका दूसरा मोर्चा क्या ?"



"दूसरे मोर्चे पर भी वह काफी कामयाबी हासिल कर चुका है । मुझे यह पवकी इंफारमेशन मिली है कि हाफिज की प्लानिंग के मुताबिक जमात उल फिजा के पांच तालिबानी दहशतगर्द कमांडर भारत की सरहद में दाखिल हो चुके हैं और अपना नाम तथा पहचान बदलकर उन्होंने एक लम्बे अरसे से इस मुल्क में पनाह हासिल कर रखी है----मजबूत पनाह ।"


"कितने लम्बे अरसे से?"


"कुछ भी कहना मुश्कि्ल है । वह टाइम एक साल भी हो सकता है, दो साल भी हो सकता है…उससे ज्यादा भी ।”



"क्या आईबी ने उन पांचों के नाम पता कर लिए हैं?”



"अखलाक, मोहसिन, शमशाद, इस्माइल और..



"और क्या?”



"उनके साथ एक लेडी कमांडर भी है, जिसका नाम सुरजाना है । कहते है कि वह वेहद जवान है और ऐसी गजब की खूबसूरत है, जो अपने ऊपर किसी को भी लटूटू कर सकती है । लेकिन साथ ही वह ऐसी पत्थरदिल महिला है जिसके कारनामे जल्लाद को भी मात दे सकते हैं ।"



“उन्हें भारत में भेजने का क्या मकसद हे?”



"सबसे पहला मकसद तो सरकार और खुफिया एजेसियों की तबज्जो आपरेशन औरंगजेब के पहले मोर्चे से हटाना है, ताकि मुस्तफा को जेल से आजाद कराने के लिए हाफिज की एक विंग जो कर रही है, उसमें ज्यादा अड़चने न आएं । वेसे उन पांचों दहशतगर्द कमांडरों ने अलग-अलग कामों का प्रशिक्षण ले रखा है, और उनमें से हर कोई अपने-अपने फील्ड का महारथी है, या फिर युं कह लीजिए कि सोशलिस्ट है ।"



"पहले दहशतगर्द कमांडर का तुमने क्या नाम बताया था?"


"अखलाक ।"

"हां । वह किस चीज का स्पेशलिस्ट है?”

"अखलाक विस्फोट करने का स्पेशलिस्ट है । आम इस्तेमाल में अाने वाली साधारण चीजों से भी विस्फोटक बनाने में उसे महारत हासिल है । अॉपरेशन औरंगजेब के तहत उसे असम, पश्चिम बंगाल, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के रेल मार्ग और हाइवे पर वने फ्लाई ओवर्स को सीरियल विस्फोट करके उडा़ना है ।"


"मोहसिन को क्या करना है?"



“मजहब के नाम पर सारे हिंदुस्तान के मुस्लिम बाहुल्य इलाके के मुसलमानों में नफरत का जहर भरना, कश्मीर से कन्याकुमारी तक मुल्क के हर मुस्लिम बाहुल्य इलाके में के भी दंगे भड़काना ।"


"हुम्म. . . ! तीसरे का क्या नाम बताया था तुमने, हां......शमशाद । उसका क्या काम है?"


"शमशाद पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के एक मदरसे में काम करता था और यहीं पढ़ने वाले बच्चे के कच्चे दिमाग में मजहब के नाम पर नफरत का बीज बोता था । हमारे मुल्क में भी बेशुमार मदरसे संचालित हैं, जिनमें कच्ची उम्र के हजारों-लाखों मुस्लिम बच्चे पढ़ते हैं । शमशाद का मिशन उन बच्चों का ब्रेनवाश करके उन्हें बागी बनाना है और भविष्य के पाकिस्तान एजेंट तैयार करना है । झारखंड और छत्तीसगढ़ के नक्सलियों के बगावती तेवरों को उकसाने और उन्हें ठंडा न पड़ने देने की जिम्मेदारी भी शमशाद की है । जरूरत पड़ने पर उन्हें हथियार तथा आर्थिक जरूरतों को पूरा करने की जिम्मेदारी भी शमशाद पर ही डाली गई है । बताने की जरूरत नहीं है सर कि आज पाकिस्तान हमारे ही घर में बैठे नक्सलियों और माओवादियों को वहुत उम्मीद भरी नजरों से देख रहा है । ये ऐसे लोग हैं जिनका वह हमारे खिलाफ भरपूर उपयोग करना चाहता है ।"



“मैं जानता हू । इस्माइल के वारे में कुछ बताओ ।”



“इस्माइल अाई.एस.आई की आईटी ब्रांच में काम करता था । सुना है कि उसने इंटरनेट और सोशल साइटस के जरिए मजहबी नफरत फैलाने की पुख्ता ट्रेनिंग हासिल की हैं । तीन-साल पहले सोशल मीडिया के जरिए असम में जो मजहबी हिंसा फैलाई गई थी,

उसके पीछे इसी आदमी का दिमाग था । तब उसने पाकिस्तान में बैठकर वह सब किया था । वाद में किसी वजह से उसे आईएसआई ने बाहर का रास्ता दिखा दिया तो यह हाफिस की "जमात उल फिजा' का सदस्य वन गया ।"



"तो उसका काम सोशल साइट्स के जरिए भारत में मजहबी नफरत फैलाना और पाकिस्तान के पक्ष में माहोल तैयार करना है?"



" यस सर । और दवे चले कुचले तथा भुखमरी की कगार पर खड़े विद्रोही मुस्लिम अपराधियों दूंढ़कर उन्हें सरपरस्ती मुहैया कराना है । साफ कहू तो हिंंदुस्तान के अंदर ही कट्टर मजहबी सोच वाले पाकिस्तानी एजेंट्स तैयार करना उसका काम है । इसके अलावा एक अन्य अहम जिम्मेदारी भी उसके उपर डाली गई है ।"



"वह क्या?"



"उन लोगों का चुन…चुनकर खात्मा करना, जो चरमपंथियों के जेहाद के रास्ते का रोड़ा हैं-उनके रास्ते की दीवार हैं ।"



"वे कौन लोग हैं?”



“वे सभी बुद्धिजीवी, जो प्रेस मीडिया के जरिए पाकिस्तानी आतंकवाद को लेकर अपनी निष्पक्ष तथा सशक्त बात देश के सामने रखते हैं और दहशतगर्दी के खिलाफ़ मुल्क में माहोल तैयार करते हैं । दहशतगर्दों के खिलाफ़ सरकार का क्या रुख होना चाहिए, इसका उसे एहसास कराते हैं । यह गौरतलब बात है सर कि हाफिज ने कलम की ताकत को अनदेखा नहीं किया है । उसे इस बात का बखूबी एहसास है कि कलम की धार तोपों का रुख भी मोड़ सकती है । इसीलिए यह कलम के धनी ऐसे बुद्धिजीवियों से खौफ खाता है और उन्हें नेस्तनाबूद कर देना चाहता है ।"




" ऐसा नहीं होना चाहिए गोतम----ऐसा नहीं होना चाहिए ।" नारंग तीव्र स्वर में बोला । वह काफी व्यग्र हो उठा था-""हमारे मुल्क के ऐसे कलम के क्रांतिकारियों पर हमें नाज है । फिर ऐसे कलम सिपाही आज बचे ही कितने हैं, जो निस्वार्थ भावना से अपने दूरदर्शी विचार मुल्क के आवाम के सामने रखते है । वह जितने भी हैं, इस मुत्क के रत्न हैं । उन्हें कुछ नहीं होना चाहिए ।"

“मैं आपके जज्बार्तों को समझता हूं जनाब, लेकिन यह तभी सम्भव है जब ऐसे बुद्धिजीवियों को पिनप्याइंट किया जा सके । उनकी पहचान की जा सके ।"
User avatar
kunal
Pro Member
Posts: 2708
Joined: 10 Oct 2014 21:53

Re: गद्दार देशभक्त

Post by kunal »

"इस काम को विशेष प्रायरटीं पर अंजाम दो । अपने तंत्र को और मजबूत करों । ऐसे बुद्धीजीवी और वतनपरस्त बडी़ मुश्किल से पैदा होते हैं, जो दुश्मनों का हौंसला तोड़ते हैं । इसीलिए वह हर दोर में अतिवादियों निशाने पर रहते हैं । मैं उनमें से किसी की भी मोत नहीं देख सकता । तुम्हें जो भी मदद चाहिए, मुझे बताओ ।"



"वक्त जाने पर बता दूंगा सर ।"


“और वह पांचवी आतंकी कमांडर जो एक लेडी है, उसे क्या काम सौंपा गया है?"



"सुरजाना । उसका अहम काम पाकिस्तानी युवा आतंकियों की मुल्क में आमद को आसान बनाना है, उन्हें मुल्क के हर शहर, कस्बे और गांवों में नई पहचान के साथ घुसपैठ कराना है । यहां रहने वाली मुस्लिम तथा हिंदू लड़कियों से उनका विवाह कराकर उन्हें भारत की नागरिकता दिलाना है, ताकि उनके उच्च सरकारी अथवा गेर सरकारी पदों पर पहुंचने का रास्ता आसान हो सके ।"



"तुम किसी तीसरे फ्रंट की भी बात कर रहे थे ना"



“उसका तीसरा मोर्चा वेहद विस्फोटक है…हद से ज्यादा और वहुत अविश्वसनीय । वह उसमें कामयाब हो गया तो मेरी रिपोर्ट कहती है कि यह आजादी के बाद से पाकिस्तान द्वारा हम पर किया गया अब तक का सबसे बड़ा हमला होगा-कारगिल से भी कहीं ज्यादा बड़ा हमला । जो शायद हमारे मुल्क की कमर तोड़ देगा ।"



" ऐसा यह क्या करने वाला है?"


"मुझे अफसोस है कि इस मामले में हम अभी तक कोई पुख्ता जानकारी नहीं निकाल पाए हैं ।”



“फिर ऐसा कैसे कह सकते हो कि वह अब तक का सबसे बड़ा हमला करने की तैयारी कर रहा है? आखिर कुछ तो ऐसा होगा जिसके कारण तुम्हें ऐसा एहसास हुआ !"



"जी सर । कुछ तो है ऐसा ! मुझे मिली इंफारमेशन के मुताबिक आपरेशन औरंगजेब के उस और आखिरी फ्रंट को अंजाम देने के लिए हाफिज को एक निहायत ही गैरमामूली रकम की जरूरत है ! जब तक वह गैेरमामूली रकम हाफिज के हाथ नहीं लग जाती, वह हमारे खिलाफ़ यह आखिरी मोर्चा नहीं खोल सकता ।"


"कितनी रकम की जरूरत है हाफिज को?”


"आप यकीन नहीं करेंगे ।"


"बताओ ।"


"अगर भारतीय करेंसी में बात करे तो वह रकम लगभग बीस हजार करोड़ रुपए बैठती है ।"


"क्या?” मारे आश्चर्य के नारंग का बुरा हाल हो गया । उसकी आंखें अविश्वास से फैल गई थीं…"बीस हजार करोड़!"



“इसीलिए कहा सर कि यकीन नहीं करेगे । इतनी गेरमामूली रकम तो बंटवारे के बाद से पाकिस्तान ने आज तक हमारे मुल्क के खिलाफ अपनी जेहाद पर भी खर्च नहीं की होगी ।"



“फिर तो हाफिज के दिमाग में कोई शैतानी इरादा धधक रहा है । आखिर क्या करना चाहता है वह? इतनी गेैरमामूली रकम का क्या इस्तेमाल है उस हैवान के दिलोदिमाग में ?”



"इस रकम के कारण ही मैंने यह अंदाजा लगाया है कि शायद वह अब तक का सबसे बड़ा हमला करने वाला है ।"



"यह रकम उसे कहाँ से हासिल होने वाली है?”


"हमारे अपने मुल्क से?”



""क्या?" नारंग उछल पड़ा----'"यह तुम क्या कह रहे हो गौतम? हमारे मुल्क से उसे यह रकम कौन मुहैया करा सकता है?"



"यही तो वह रहस्य है जिस तक हम पहुचने की कोशिश कर रहे हैं मगर अभी तक कामयाबी नहीं सिली है ।"



"उसे रोको गोतम…उसे रोको । यह कभी नहीं होना चाहिए । हमारे मुल्क के दुश्मनों के हाथ यह रकम किसी भी हाल में नहीं लगनी चाहिए । इस सिलसिले में मैं फिर कहता हुं ! तुम्हें सरकार से जिस किस्म की भी मदद चाहिए-फौरन उपलब्ध होगी ।"



"मैं पूरी कोशिश करूंगा सर, बल्कि कर रहा हूं ।"


"और कुछ?"


“है तो सही सर ।"


“कहो ।"

" दुश्मन का अॉपरेशन औरंगजेब बहुत ही व्यापक व भयावह मिशन है इस महामिशन को कामयाबी से अंजाम देने के लिए उसे एक मास्टर माइंड की जरूरत होगी-एक ऐसे मास्टर माइंड की, जो इस मुत्क में पहले से मौजूद हो । मेरी इन्फारमेशन कहती है कि इस ने वह मास्टर माइंड दूंढ़ लिया है ।"



“ कौन है वो?"



“शायद मुस्तफा ।"



"म....मुस्तफा !” नारंग एक बार फिर चिहुंका------"जिसे जेल से छुड़ाने का प्लान तुम कहते हो कि हाफिस तैयार कर चुका है!"


“आपने ठीक समझा सर । मुस्तफा एक दरिया है । वह आजाद हो गया तो मुझे यह कहने में कोई हिचक नहीं है कि उसमें हाफिस के मास्टर प्लान को कामयाबी से अंजाम देने की सारी क्षमताएं हैं !"


"और कुछ?”


"नो सर । मेरी रिपोर्ट मुकम्मल हुई ।"


"शुक्रिया गोतम । सरकार को अलर्ट करने के लिए शुक्रिया ।"


"वेलकम सर ।" गोतम एकाएक उठकर खड़ा हो गया-'"अब मुझे इजाजत दीजिए ।"


"एक मिनट अॉफिसर---एक मिनट । "

गौतम ने ठिठककर सवालिया नजरों से नारंग को देखा ।
User avatar
kunal
Pro Member
Posts: 2708
Joined: 10 Oct 2014 21:53

Re: गद्दार देशभक्त

Post by kunal »

"पिछले दो महीने के दरम्यान, मुम्बई शहर में तीन-तीन विदेशियों की रहस्यमय मौत हुई है, अभी तक मरने वालों की शिनाख्त तक नहीं हो सकी है । इस मामले में तुम्हारी आईबी का दखल है । तुमसे मेरा सवाल यह है क्या इन विदेशियों की रहस्यमय मौत का कोई सम्बंध हाफिज के ओंपरेशन औरंगजेब से हो सकता है ?"



"फिलहाल इस बारे में कुछ भी कहना मुषिक्ल है । अगर मैं अपने निजी खयाल की बात करूं तो मुझे नहीं लगता कि इन दोनों मामलों का आपस में कोई सम्बंध है । उस केस को हमारा एक होनहार आफिसर कल्याण होलकर देख रहा है ।"



“आलराइट ।"

बीरेश गौतम ने सिर झुकाकर नारंग का अभिवादन किया, फिर वह वहाँ से चला गया । तभी मेज पर रखे कई फोनों में से एक की बेल बजी ।



नारंग ने देखा---एक हाटलाइन का नम्बर था, जिस पर केवल कुछ चुनिदा मंत्रालय से जुडे़ लोग ही बात कर सकते थे, वह भी तभी जबकि क्रोई निहायत ही महत्वपूर्ण बात होती थी ।



उसके माथे पर बल पड़ गए ।


रिसीवर उठाकर कान से लगाया और माउथपीस में बोला…'"हैलो ! ।"



"आई एम सॉरी सर !" दूसरी तरफ से उभरती अपने होम सेकेटरी की आवाज उसने पहचानी, आवाज वाकी घबराई हुई थी-----"एक बुरी खबर है ।"



“क्या हुआ?" नारंग का स्वर आशंका से भर गया ।



“चांदनी सिह को किडनैप कर लिया गया है ।"



"कौन चांदनी सिंह?"



दूसरी तरफ़ से जो बताया गया, उसे सुनकर नारंग का चेहरा ही नहीं, सारा जिस्म पसीने से नहा गया । लगा…उस सिलसिले की शुरूआत हो गई है, जिसके बारे में आईबी का जोनल चीफ़ अभी-अभी उसे आगाह करके गया था । नारंग ने रिसीवर क्रेडिल पर पटका और एक झटके से उछलकर खड़ा हो गया ।

आईबी के सुप्रीम चीफ का नाम बलवंत राव था ।


अट्ठावन साल का एक गोरा, थुलथुल व्यक्ति ।


पूरी तरह गंजा !



इस वक्त वह काफी बेचैन तथा कशमकश से भरा था ।



उसकी उस हालत की वजह मुल्क के हालात थे ।


पिछले दो महीने से देश के दुश्मनों की कारगुजारियों से सम्बंध रखने वाली जो सूचनाएं मिल रही थी, देश की सबसे बड़ी खुफिया एजेंसी का प्रमुख होने के नाते उसकी नींद उड़ा रखी थी ।



कुछ देर पहले चांदनी सिंह के किडनैप की जो वारदात पेश अाई थी, उस संदर्भ में पिछले एक घंटे के अंदर ही उसे केद्रीय गृहमंत्री से लेकर पीएमओ आफिस तक से फोन आ चुके थे ।



महाराष्ट्र के गृह-राज्य मंत्री ने तो सीधे तलब ही कर लिया था और इस बात को लेकर अच्छी खासी झाड़ पिलाई थी कि इतनी बड्री वारदात की खबर समय रहते आईबी को क्यों नहीं लग सकी थी? उसने समय रहते शासन को सतर्क क्यों नहीं किया था, ताकि वारदात को रोका जा सकता !



उस वारदात को, जिसके बारे में अब पूरी तरह से स्थापित हो चुका था कि वह एक आतंकी वारदात थी ।



चांदनी सिंह के किडनैप में पाकिस्तानी आतंकी गुट का हाथ था । यानी इस वक्त चान्दनी सिंह आतंकियों के कब्जे में थी ।



वह अपने इंटेलीजेंस ब्यूरो के मुम्बई स्थित मुख्यालय में पहुंचा तो वहां एक और मुसीबत पहले से अपना इंतजार करती मिली ।



वह मुसीबत एक स्याह ओवरकोटधारी शख्स था, जिसने अपने सिर पर स्याह रंग का गोल फेल्ट हैट लगा रखा था । उसे उसने चेहरे पर इस तरह झुका रखा था कि चेहरा न पहचाना जा सके ।


आखों पर काला गोगत्स ।


पैरों में काले लेदर के फोजियों जैसे भारी तथा लम्बे जूते ।


जितना आधा…अघूरा चेहरा नजर आ रहा था, उस पर चट्टानी कठोरता स्थाई रूप से विद्यमान थी । कुल मिलाकर उसकी शख्सीयत बेहद रहस्यमय थी । उसे देखते ही बलवंत राव चिंहुक उठा ।



"तुम !" मुंह से चौंका हुआ स्वर निकला---" तुम यहां ?"



“क्यों ?" ओवरकोट वाले के होंठ मुस्कराने मुद्रा में फैल गए----"क्या मैं यहां नहीं आ साकता !"



"सवाल ये है कि हुम यहां क्यों आए हो ?"



"' तुमने मजबूर कर दिया ।"



" मैंने क्या किया?”



"आराम से बैठ जाओ और दिमाग पर जोर डालकर याद करने की कोशिश करो कि तुमने क्या किया है ।"

"देखों !" बलवंत राव के मस्तक पर वल पढ़ गए----"मैं इस वक्त बहुत परेशान हूं और परेशान मत करो ! फिलहाल यहां है जाओ ।"




"मुझे हुक्म दे रहे हो?”



"आईबी ने कभी तुम्हारे काम में दखल नहीं दिया, फिर भी पूछ रहा हूं, मैंने तुम्हें यहां आने के लिए कैसे मजबूर किया ?''



" मेरा एक लेटर आया था ।" उसने सपाट स्वर में कहा----"मेरा पर्सनल लेटर, सीकेट सेल के पते पर !"



“कहां से ?"



"पाकिस्तान से----लाहौंर के कोट लखपत जेल से !"



"ओह !" उसके मस्तक पर पडे़ बल हट गए । वह अपनी रिबाल्विंग चेयर पर ढेर होता हुआ बोला-----" हां ! आया था ।"



"फिर !"


" सीक्रेट सेल भंग की जा चुकी है ।" बलवंत का लहजा शुष्क हो गया था-------"उसका नाम लेने वाला भी अब कोई नहीं बचा ।"



“यह बात लेटर लिखने वाले को नहीं पता । बहरहाल, हालात कोई भी हों, तुम्हें उस लेटर को मुझ तक पहुंचाना चाहिए था ।"



"केसे पहुंचाता? तुम थोड़ी देर बाद कहां होगे, क्या इस बारे में खुद तुम्हें भी कुछ मालूम होता है?"



" तुम्हें पता करना चाहिए था, बहरहाल आईबी के प्रमुख हो ।"




" मैं करता । लेकिन आजकल हालात कुछ ऐसे हैं कि वक्त नहीं मिल पाया । मुल्क के हालात बहुत गम्भीर है !"



" लेटर निकालकर मेरे हवाले करों ।"



बलवंत राव ने कोई निहायत ही सखा प्रतिक्रिया देने के लिए अपना मुंह खोला, लेकिन फिर होठ भींच लिए । मेज की दराज से एक लिफाफा निकालकर उसकी तरफ सरका दिया ।


ओवरकोटधारी ने देखा----लिफाफा सीलबंद नहीं था ।


"इसे तुमने खोला ?" उसने तमककर बलवंत राव को देखा ।


"हां ।" बलवंत राव पूरी ढिठाई से बोला------"अब यह सवाल मत करना मैंने क्यों खोला ।"



ओवरकोट वाले ने वह सवाल नहीं किया ।
Post Reply