दूध ना बख्शूंगी/ complete

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Re: दूध ना बख्शूंगी/Vedprakas sharma

Post by 007 »

“इसका मतलब यहीं हुआ था-विजय अंकल को मेरे अड्डे पर हमला बोलने के लिए अपने-साथियों की जरूरत, थी, इसीलिए विकास से टकराकर भी ये उन्हें निकालकर लाए----------जब

आप रेहाना के कमरे में अकेली थी, तब आपने किसी ट्रात्समीटर आदि के जरिए यहाँ का पता उन्हें बता दिया होगा ।"



"मैं अभी ऐसा नहीं कर पाई थी ।"


"यदि कर भी दिया होगा, तब भी अब कोई बहुत बडा तीर चलने वाला नहीं है-------------------विकास को विजय अकल की किसी योजना की भनक तक नहीं थी , इसलिए फ्ता लगते ही वह गुस्से में भरा गुलफाम के होटल . पहुंच गया------------------जिस वक्त उसने उन पर रिवॉल्वर खाली किया, उस वक्त विजय अंकल अपने साथियों को या तो इस अड्डे पर हमला करने की स्कीम समझा रहे थे या आपके सन्देश की प्रतीक्षा कर रहे थे-----------------भारत में ऐसी सिर्फ दो हस्तियां थी, जो हैरी का कुछ बिगाड सकती थीं----+----एक हमेशा के लिए खत्म हो गई---एक बेहोश पडी है---हा होश में आने और हकीकत का पता लगने पर विकास ज्वालामुखी जरूर वन सकता है, किन्तु तब तक हैरी अपना प्रतिशोध लेकर, हिन्दुस्तान की धरती छोड़ चुका होगा----ये मुमकिन है कि आप झूठ बोल रही हो यानी इस इमारत का पता आप विजय अंकल को बता चुकी हों और मरने से पहले वे यही पता अपने साथियों को बता चुके हों-----------उस हालत में मुझे गुलफाम और उसके साथियों से खतरा है-----मगर हैरी के लिए यह केई विशेष खतरा नहीं है-----इस किस्म के छुटभइयों से निपटना मैं खूब जानता हू।"





फिर'-उसने अपने कई आदमियों को इमारत की सुरक्षा हेतु निदेश दिए।

जैकी के ठीक सामने पहुंचकर बोला---------------आपने ठीक ही कहा था डैडी----------इसमे शक नही कि विजय अंकल मेरी चाल में बिल्कुल नहीं फंसे थे, बल्कि उल्टा मैं ही उनके झांसे में आ गया था----------इसमे भी शक नहीं कि अपके कहे मुताबिक वे कुछ ही
देर बाद यहा पहुचने बाले थे, लेकिन---. ।" कहकर एक पल तक चुप रहा हेरी फिर बोला-------"विकास ने सब कुछ खत्म कर दिया----. ।"



“मुझे यकीन नहीं कि तुम्हारे पास आई यह रिपोर्ट 'सच है ।”


"आपके शब्दों में दृढता नहीं है, यानी आप खुद मानते है कि यह रिपोर्ट सही है…लाॅकहीड ने आज तक गलत रिपोर्ट नहीं दी-----------------फिर रिपोई की सच्चाई तो इसी से जाहिर है कि लाकॅहीड ने तबस्सुम का उनके पास होने और विजय को मेरा नाम आदि सब कुछ पता होने का उल्लेख किया ।"


जैकी के पास कोई ज़वाब नहीं था।



हंसता हुआ हैरी उनके सामने से हटा, बोला--------“बड़े-बड़े . धुरन्धरों की जुबान को ताले लग गए हैँ-हा-हा-हा किसी पास कहने के लिए कुछ नहीं बचा है--विजय अंकल मर चुके हैं डैडी…............आपके सबसे ज्यादा होनहार शिष्य इस दुनिया नहीं रहे-----हा-हा-हा ।



हैरी पागलों की तरह हंसता रहा।

"सम्भालो अंकल…सम्भालो-----! कहने के साथ ही हैरी ने झपटकर सुपर रघुनाथ पर खुखरी का वार किया------रघुनाथ ने फुर्ती से पैंतरा बदला---अपने दाएं हाथ में दबी खुखरी चलाई,.......किन्तु हैरी ने उसे अपनी खुखरी पर रोक लिया ।



सारे हाॅल में खुखरिर्यो के आपस में टकराने की आबाज गूंज उठी ।।।



जैकी-जूलिया और रैना के दिल. धंड़क रहे थे-रेना का चेहरा तो विल्कुल सफेद ही पड चुका था…हाल के बीचोबीच पिछले पांच मिनट से रघुनाथ और हैरी के बीच खुखरियों का यह युद्ध चल रहा था।



हेरी ने रघुनाथ के बंधन काटकर उसे भी एक खुखरी दिला दी थी-----अभी तक रघुनाथ खुद को बचाए हुए था----मगर सभी यही सोच रहे थे कि रघुनाथ इस तरह खुद को कव तक बचा सकेगा ?

अचानक हाँल में बदहवास-से एक बलिष्ठ अमेरिकी प्रविष्ट हुआ…हाँल में चल रहे युद्ध को देखकर वह एक पल के लिए ठिठका----------------मगर फिर जल्दी से बोला-------------"ग...गज़ब हो गया बाॅस !"




रघुनाथ से लडते हैरी ने पूछा---------------“क्या बात लाॅकहीड ?"



" लगता है कि गुलफाम आदि को इस अड्डे का पता मालूम है !'


"केसे?"




"मैं अपने कानों से सुनकंर आया हू-वै लोग यहाँ हमला बोलने की योजना वना रहे हैं ।"



रघुनाथ से लड़ते हुए हैरी ने कहा…"मेरा
अनुमान ठीक ही निकला------रैना मां ट्रांसमीटर पर विजय अकंल को यहां का पता बता चुकी थी….......खैर, तुम परवाह मत करो लाँकहीड------ज़व तक रैना मां यहां है, तब तक वे इस इमारत को एकदम नहीं उडा सकते--------सिर्फ पांच मिनट का खेल और रह गया है-मेरा प्रतिशोध पूरा होने बाला है----------जब वे यहाँ पहुंचेंगे, तब उन्हें मलंबे के सुलगते-हुए एक बहुत बड़े ढेर के अलावा कुछ नहीं मिलेगा ।"



"लेकिन बाॅस---!'




"घबराओ नहीं लॉकहीड-आराम से खडे होकर खेल देखो------देखो कि मेरा प्रतिशोध कितने रोमांचकारी ढंग से… पूरा होता है।"



बलिष्ठ अमेरिकी कुछ कहता-कहता रुक गया ।



खुखरियों के आपस में टकराने की आवाज गूंज रही थी-----'खन-खन-खन ।




जैकी ने अमेरिकी की तरफ़ देखा-एकाएक ही जैकी के होंठों पर मुस्कान दौड गई-----उसी मुस्कान के साथ लाॅकहीड नामक ने भी जैकी को आंख-मारी !



अभी सिर्फ दो ही मिनट गुजरे थे कि इमारत के बाहर कहीं फायर की एक आवाज गूंजी------इस आबाज को सुनकर सभी चौके, किन्तु अभी ठीक से चोंक भी नहीं पाए थे कि लॉकहीड का रिवॉल्वर गरजा ।




गोली हैरी के हाथ में दबी खुखरी पर लगी'।



उसके हाथ से निकलकर खुखरी झनझनाती’हुई एक दीवार से जा टकराई-हैरी ने चौंककर लॉकहीड की तरफ़ देखा ही था कि रघुनाथ की खुखरी उसकी पीठ पर एक लम्बा चीरा लगा गई !!!!!




.हेरी के कंठ से एक चीख उबली-----जिस वक्त उसने रधुनापके चेहरे पर अपने बूट की ठोकर मारी थ्री,उसी वक्त बिजली-की सी तेजी से लॉकहीड फ़र्श पर लेटा---रिवॉल्वर हाथ में लिए वह अजीब-से ढंग से लुढकता ही चला गया----साथ ही फायर भी करता जा रहां था ।



एक के बाद एक लगातार उसके रिवॉल्वर ने चार शोले उगले ।




जैकी और जूलिया के हाथो में बंधी जंजीरे खनखनाकर टूट गई…जोश में भरी रैना ने तेज झटका दिया तो उसे पकड़े हक्के-बक्के से खड़े चारों व्यक्ति झिटक गए ।




रघुनाथ दूर जा गिरा।



दीवारों के सहारे खड़े सशस्त्र व्यक्तियों ने विजय पर फायर किए, तब तक विजय अपना काम करने के बाद तेजी से लुढकता जा रहा था…गोलियां उसके इर्दं-गिर्द फर्श धंस गई-----------कुछ उसे लगीं भी, किन्तु कोई लाभ नहीं-----क्रदाचित् उसने बुलेट प्रूफ लिबास पहन रखा था ।



हालातों को भांपते ही हैरी चीख पड़ा-"लाइट आँफ कर दो ।"




एक झमाके के साथ हाल में अन्मेरा छा गया---------घुप्प अंधेरा-कोई किसी को नहीं चमक रहा था----- हाॅल में गहरी खामोशी छा गई, परन्तु इमारत के बाहर से लगातार फायरिंग की आवाज आ रही थी।



जैसे छोटी-मोटी सेनाएं भिड गई हों ।

सच्चाई थी भी यही-----यानी इमारत के बाहर संचमुच दो सेनाएं भिंड गई थी---------एक सेना हरी -वर्दी में थी…दूसरी खाकी वर्दी मे-------हरी वर्दी बाली सेना का नेतृत्व भारत में स्थित अमेरिकी जासूसों का सीनियर कर रहा था और खाकी वर्दी वालो का नेतृत्व ठाकुर साहब ।




लडाई छेड़ने से पहँले ठाकूर साहब ने इमारत के चारों तरफ एक जबरदस्त मोर्चा जमा लिया था-उनकी सेना की संख्या भी हरी वर्दी वालों से बहुत ज्यादा थी-----अत: हरी वर्दी बाले कमजोर पड रहे थे !!!!!


ठाकुर साहब की सेना चारों तरफ़ से इमारत के नजदीक जा रही थी।"




खाकी ववर्दी वाली इस सेना की मदद गुलफाम-उसके गुर्गे तथा अशरफ, विक्रम नाहर, परवेज और आशा भी कर रहे थे-------------जंग का ऐलान करने के लिए वह सबसे पहला फाॅयर

अशरफ ने ही किया था, जिसकी आवाज सुनने के बाद लाॅकहीड के रूप मे विजय ने कार्यबाही शुरू की।



सारी इमारत. अंधेरे में डूब चुकी थी…लान में अंधेरा छा गया, था और-----ठाकुर साहब के जवान आगे बढने के लिए टार्चो का प्रयोग कर रहे थे !!!

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Re: दूध ना बख्शूंगी/Vedprakas sharma

Post by 007 »

हैरी मूर्ख नंहीं था----समझ सकता था कि खेल बिगड़े चुका है !!!



लाॅकहीड की चुस्ती--फुर्ती ने हीँ उसे बता दिया था कि वह विजय है और उसी ने लाॅकहीड की आवाज में ट्रांसमीटर पर अपनी मृत्यु की सूचना भी दी थी-------हैरी को खुद पर झुंझलाहट भी आई-------यह सोचकर उसे स्वयं पूर गुस्सा आया कि वह लाॅकहीड की हकीकत तब समझा, जब खेल बिगड चुका था ।।।।



जैकी----जूलिया----रघुनाथ--रैना भी इस वक्त आजाद है------वह समझ सकता था कि इन पांच व्यक्तियों की मोजूदगी इस हाॅल मे कहर ढाने के लिए काफी है !!!!




फिलहाल अंधेरा था और अंधेरा अभी हुआ था, यानी किसी को कुछ दिखाई नहीं दे रहा था, मगर कुछ ही देर बाद हाल में मौजूद लोगों की आंखें अंधेरे की अभ्यस्त हो जाएंगी और तब हर कोई खुद से करीब एक ग़ज की दुरी तक किसी भी वस्तु को साए के रूप में देख सकेगा ।।।।।



हाथ में रिवॉल्वर लिए इस वक्त हैरी एक थम्ब से चिपका खडा था…वाहर से लगातार गूंजने बांली फायरिंग की आवाज ने उसे बता दिया कि कुछ देर बाद इस इमारत पर दुश्मन का कब्जा हो जाएगा---वह यह सब सोच ही रहा था कि एक टॉर्च-चमकी ।



"धांय! "


कांच के टूटकर बिखर जाने की ध्वनि।



इस फाॅयर अंधेरे हाल में एक अजीब-सा कोलाहल मचा दिया-------भगदड़ मच गई-------------कदाचित् हरी वर्दी बाले अपना धैर्य खो बेठे थे----वहां निरन्तर फाॅयर और चीखें गूंजने लगी ।



हैरी अपने स्थान तो हटा…रिवॉल्बर सम्भाले छोटे-छोटे कदमों के साथ अनूमान से ही उस तरफ़ बढा, जिस तरफ लम्बी-चौड्री मेज थी…अचात्तक कोई उससे टकराया ।।


अभी वह ट्रिगर दबाने ही बाला, था कि जैकी की आबाज -----"'कौन'हे?"



"पांव लागूं गुरुदेव !" उसने फुसफुसाकर विजय के से स्वर मे कहा ।



"औह !!" जैकी विजय--तुम हो-----हैरी को . तलाश करो----वह निकलने न पाए ।"



जवाब देने के लिए हैरी ने मुंह खोला, लेकिन फिर विना कुछ कहे ही वन्द कर लिया, अंधेरे में सरसराता हुआ जैकी उसका उत्तर सुने विना ही एक तरफ़ को चला गया था------- हैरी अपनी-मंजिल की तरफ़ बढा ।




मेज के किसी कोने से टकराया-----मेज को ही टटोलता-टटोलता वह कुर्सी तक भी पंहुच गया-----कूर्सी पर बैठकर उसने बाएं हत्थे पर कुछ टट्रोला-एक बटन पर उंगली पाते ही उसने बटन दवा दिया ।।।



हल्की सी सरसराहट के कुर्सी फर्श मे समा गई !



॥॥॥॥॥
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Re: दूध ना बख्शूंगी/Vedprakas sharma

Post by 007 »

करीब पन्द्रह मिनट तक जंग जारी रही ।

जंग के दौरान पुलिस माइक पर लगातार दुश्मनों को लडाई बन्द करके आत्मसमर्पण करने की चेतावनी और सलाह विभिन्न शब्दों मे दी जाती रहीँ…पुलिस को अंधेरे के कारण इमारत पर कब्जा करने में काफी दिक्कत और परेशानी हुई--समय भी लगा ॥



बहुत से हरी वर्दीधारी मारे गए…कुछ गिरफ्तार हो गए ।



जब इमारत पर पूरी तरह पुलिस का कब्जा हो गया-तब टार्चो की मदद से मेन स्विच की तलाश की गई ।।


उसे ऑन किया गया---रोशनी होने पर अंधेरे में इधर-उधर छुपे हरी वर्दीधारियों ने संधर्ष किया, किन्तु अधिक्रांश मारे गए-शेष गिरफ्तार ॥



अंतत: इमारत पर पुलिस का‘ कब्जा ॥॥



ठाकुर साहव ने रघुनाथ को लिपटा लिया ।



किन्तु सारी इमारत छान मारने पर भी हैरी का कहीं कुछ पता नहीं लगा-मेज के पीछे रिवाल्विंम चेयर अपने स्थान पर मौजूद थी--------अंत में जाने क्या सोचकर जैकी उस तरफ बढा---शीघ्र ही वह कुर्सी के बाएं हत्थे पर मौजूद बटन की और संकेत करके बोला-"शायद हैरी इसी बटन की मदद से गायब हो गया है विजय !"



विजय कुर्ती पर बैठकर बटन दवा चुका था !




कुर्सी फ़र्श में समाती चली रई----देखने वाले उसे हैरत से देखते रह गए, जबकि कुर्सी पर बैठा विजय भी फर्श में समाता चला गया-------करीब आठ गज नीचे जाकर कुर्सी स्वयं ही रुक गई------बिज़य ने देखा-उसके सामने दूर तक चली गई एक छोटी-सी गेलरी थी------------गैलऱी की छत मे एक-दूसरे से काफी दुर-दुर लगे बल्ब टिमटिमा रहे थे-सारी गैलरी में उनका धूंधला-सा प्रकाश मौजूद था ॥॥



विजय कुर्सी से उठ खडा हुआ।




उसके हटते ही सरसराती हई कुर्सी ऊपर जाने लगी--------कुर्सी के निचले भाग से लोहें की एक मोटी रांड सम्बद्ध थी , जो कि गैलरी के फर्श से निकलकर ..लम्बी होती जा रही थी----------रांड के उपरोक्त सिरे पर कुर्सी फिक्स थी----अगले ही पल, गैलरी की छत के पारं जाकर फिक्स हो गई।





छत से फर्श तक लोहे की रांड तनी हुई-थी ।



विजय समझ गया कि इस वक्त कुर्सी हाॅल में मेज के पीछे मौजूद होगी-----कुछ ही देर बाद धंसती हुई कुर्सी पुन: नीचे आई-लोहे की राठ फर्श में समाती चली गई…इस बार कुर्सी पर बैठकर जैकी नीचे आया था ।



बे ही वे'दोनों गैलरी में बढ गए ।




कई मोड' पार करने के बाद वे एक ऐसे स्थान पर पहुचे जहां हलकी सी गड़गड़ाहट के साथ छोटा-सा जनेरेटर चल रहा था ।



उसे देखकर जैकी कह उटा--"ओह !-तो ये चक्कर था ?"


"क्या चक्कर था ?" विजय ने पूछा !




"मैं यह सोच-सोचकर परेशान था कि जब मेनं स्विच ही आँफ था तो बटन के दबने से कुर्सी कैसे हरकत में आई---बह इमारत की लाइट से नहीं, इस जनरेटर से सम्बद्ध थी !"



"यह बात तो हम बचपन से समझे बैठे हैं गुरूदेब !"



जैकी उसकी तरफ देखकर धीमे से मुस्करा दिया !!!!!

जव विकास और मोन्टो को होश आया तो उन्होंने स्वयं को अपने घर यानी रघुनाथ की कोठी में पाया ॥॥॥



बे दोनों एक्र के ही बिस्तर पर मौजूद थे----------सबसे पहले उनकी नजर ठाकुर साहब पर पडी, देखते ही वे उछल पड़े---------- --------फिर रैना पर नजर पडते ही उनके होश उड़ गए…रैना पूरे श्रृंगार में थी-------" पूरा मेकअप--------मांग में सिन्दूर और गौरी गोल कलाइयों मैं चूडियां ।




वे चकित रह गए ।



जबकि विजय ने कहा-----"कही प्यारे !"
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Re: दूध ना बख्शूंगी/Vedprakas sharma

Post by 007 »

चौंककर दोनों ऩे विजय की तरक देखा------------उनकी अवस्था पर देर सारे स्त्री-पुरुषों का संयुक्त ढ़हाका गुंज उठा......!



कमरे में सभी सोजूद थे ॥॥॥


ठाकुर साहब, रघुनाथ, रैना,. विजय, गुलफाम, जैकी, अशरफ, विक्रम नाहर, परवेज, आशा और अजय और विजय के अलाबा कोई नहीं जानता था कि अजय ही भारतीय सीक्रेट सर्विस का चीफ है ॥॥॥




सबको ठहाका-लगाकर हंसते देखकर वे भोचक्के रह गए ।




जैकी और जूलिया को यहाँ देखकर तो उन्होंने बहुत ही ज्यादा आश्चर्य व्यक्त किया ।




रघुनाथ को जीवित देरब, उनकी खोपडी झनझना गई थी ॥॥॥



आश्चर्य में डूबे विकास ने पूछा---------“ये सब क्या चक्कर है?"




"खेल खत्म हो गया है प्यारे और पैसा हजम !"



" क्या मतलब?"




"मतलब ये प्यारे दिलजले कि खुद को हीरो समझने वाले यानी तुम और मोन्टो बेहोश ही रहे,जबकि हमने और बापूजान ने मिलकर न सिर्फ उस मुजरिम का तबला वजा दिया, जो यह सब कर रहा था, बल्कि गुरुदेव--------------गुरूवानी और तुताराशि को उसकी कैद से भी मुक्त करा लिया ।"




"क...कैद से-----मगर वह था कौन…क्या चाहता था…जैकी और जूलिया आंटी उसकी कैद में क्यों थे------यदि डैडी जिंदा हैं तो वहाँ चौराहे पर कौन मरा था ?"



"इन सब सवालों के जवाब में हमें पूरी रामायण सुनानी पडेगी प्यारे !"



" मै सुनने के लिए बेताब हूं अंकल !"



" सबसे पहले मुजरिम का नाम ही सुनो प्यारे!"



"कहिए ।"



"हेरी यानी इस केस का मुजरिम हैरी आर्मस्ट्रांग था ।"



विकास एकदम उछल पड़ा------" ह.....हैरी ?"




"न-न-उछलो मत प्यारे----आराम से बैठो ।" उसे पुचकारते हुए विजय ने कहा----"अभी तो पहला ही धमाका किया है-------हमारी रामायण में ऐसे तो जाने कितने धमाके होंगे---------तुम इसी तरह उछलते रहे तो निश्चित रूप से अपना सिर कमरे के छत से टकराकर फोड़ लोगे !"

“म...मगर-----हैरी ने यह सब क्यों किया?"




"अपने गुरुदेव के कटे हुए इस हाथ की वजह से !"




"कटा हुआ हाथ----"मगर--!”



"सुनो प्यारे-----कान लगाकर ध्यान से सुनो--- गुरुदेव आदि से बात करने के बाद जो मलूदा निकलकर सामने आया है, उसे संक्षेप में हम यूं कह सकते हैं--- ।" विजय रूका और एक लम्बी सांस लेने के बाद किसी टेपरिकार्डर के समान शुरू हो गया------------"अमेरिका में अपने साइकल चेन (माइक) से हैरी को यह पता लगा कि गुरुदेव का हाथ तुमने काटा है….....हैरी तुम्हारी तरह पायजामे से बाहर हो गया-------सब्रसे पहले वह से बदला लेने के लिए भारत जाने की इजाजत लेने अपने चीफ के पास गया......…चीफ ने सिर्फ इजाजत ही नहीं दी,, बल्कि हैरी को हमारे विरुद्ध और ज्यादा भड़काकर भारत में स्थित अपने जासूसों के पते भी दिए--------यानी पूरी मदद की….........यही बात जब घर पहुचने पर हैऱी ने इन दोनों से कही तो इन्होंने विरोध किया-------इन्होंने समझाना चाहा कि यह हाथ धर्मयुद्ध में कटा है, अत: किसी भी रूप में इसका बदला लेने की बात सोचना भी युक्ति संगत नहीं है---------मगर गर्म खोपडी हैरी को न मानना था न माना….......उधर हैरी के चीफ़ ने कहा कि जब वह भारत जा ही रहा है तो ऐसा कोई काम क्यों न करे जो हममें और तुममें ठन जाए.......…हैरी ऐसा करने के लिए तेयार हो गया…दोनों ने मिलकर हमें आपस में भिड़ा देने की स्कीम बनाई !"



“वह स्कीम क्या थी?"



"सबसे पहले लॉकहीड नामक राजनगर में स्थित अमेरिकी जासूस के जरिए गुप्त ढंग से अपने तुलाराशि की एलबम से वह फोटों गायब कराई गई, जिसमें लाराशि तेरह वर्ष की आयु का अपने माता-पिता के साथ था----हैरी ने मालूम कर लिया था कि अपने तुलाराशि का इंससे पहला कोई फोटो उपलब्द नहीं…उस फोटो से निगेटिव बनाए गए…फोटो बापस एलबम में लगवा दी गई---------

हैरी ने मालूम कर लिया था कि अपने तुलाराशि का इंससे पहला कोई फोटो उपलब्द नहीं…उस फोटो से निगेटिव बनाए गए…फोटो बापस एलबम में लगवा दी गई----------अमेरिकी जासूसों के हाथ से गुजरते हुए निगेटिव न्यूयार्क पहुंचे------निगेटिव में से अपने तुलाराशी का फोटो अलग कर लिया गया-----" अच्छे आर्टिस्ट से फोटो में हल्का सा चेंज कराके ट्रिक फोटोग्राफी से उसे ऐसा बना दिया गया, जैसे अलग पोज़ में हो…............फिर मिस्र की हिस्ट्री के मुताबिक इस फोटो का सम्बन्ध मिस्र के छोटे से कस्बे दोघट से जोड़ा गया ।"




"क्या मतलब ?"



"आज से इकत्तीस साल पहले 'दोघट' में सचमुच एक ऐसा जलजला आया आया था, जैसे जलजले का जिक्र अहमद ने किया था ।"




"यानी यदि वह हिस्ट्री उठाकर देखते, तब भी उनका बयान ही सच होता?"



" हां, सारी योजना खूब सोच-समझकर बनाई गई थी…कल्पनिक करैक्टरों का सम्बन्थ वास्तविक स्थानों और घटनाओं से जोड़ा गया था--------बड्री मेहनत से कागजों पर तीस साल पुराने से लेकर आज तक की लरीखों के देश-विदेश के विभिन्न अखबार छपवाए गए---------तारीफ की बात यह थी कि प्रत्येक अखबार मे तात्कालीन घटनाओं का ही जिक्र था, जो सचमुच तात्कालिक अखबारों से मारी गई थी-----------गर्ज यह कि तुलाराशी को इकबाल साबित करने के लिए एक लम्बी-चौडी जबरदस्त योजना पर काम जारी हो गया----------अहमद और तबस्सुम (रेहाना) दरअसल एक पाकिस्तानी नाटक कम्पनी के दो आर्टिस्ट थे, जो पिछले छह महीने से न्यूयार्क में शो दिखा रहे थे….........संयोग से हैरी का इश्क रेहाना से चल रहा था….......उसी इश्क के जाल में फंसाकर उसने रेहाना को और पैसे के वूते पर अहमद को इस स्कीम पर काम करने के लिए तैयार कर लिया------योजना के मुताबिक इन्हें सब कुछ समझाकर मिस्र और मिस से भारत मेजा गया.....…राजनगर जाकर ये दिलबहार होटल में रुके------------------उधर हैरी पहले ही यहाँ पहुंचकर विदेशी जासूसों की मदद से डेरा डाल चुका था ।"



"तुम बीच में कुछ भूल गए हो विजय! " जैकी ने टोका ।
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Re: दूध ना बख्शूंगी/Vedprakas sharma

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"हां गुरुदेव-साला चक्कर ही ऐसा घुमावदार है कि एक तरफ के फ्लो में दूसरी तरफ का तारतम्य 'फ्यूज' हो गया---------हां-तो कहना यह था कि जब हैरी भारत के लिए,चलने लगा है तो इन्होंने उसका तगडा विरोध किया---हैरी को लगा कि यदि इन्हें खुला छोड़ दिया गया तो ये उसके नेक इरादों की खबर हमें पहुचा देंगे और वैसी हालत में हैरी का सारा प्लान चौफ्ट होने वाला था-अतः उसने इन्हें कैद कर लिया-उसे यकीन नहीं था कि किसी अन्य की देखरेख में ये अन्तिम समय तक कैद रहेंगे, अत: अपनी देख-रेख में रखने के लिए ही इन्है भी भारत ले आया--------- ---------फिर यहां अखबार में पहले से ही खूब अच्छी तरह सोचा-समझा विज्ञापन दे दिया गया------उस विज्ञापन के निकलते ही जो कुछ हुआ वह सबको मालूम ही है !"




रघुनाथ ने पूछा…" ये मास्टर का क्या चक्कर था?"




" लो ----- अपने तुलाराशि की समझ में अभी तक मास्टर का चक्कर ही नहीं आया है।"





सभी ठहाका लगाकर हैंस पड़े।




"क्या मतलब?" उलझे रघुनाथ ने पूछा ॥॥



"मतलब ये प्यारे कि तोताराम हत्याकांड के सम्बन्ध में ही हमने तुम्हें जो अलंकार सुनाए थे, उसके ज़ले-भुने तुम इस केस को खुद हल करने निकेल पड़े--दिलबहार होटल कमरे
में फोन पर अहमद और रेहाना की बात सुनकर ही तुमने निश्चय कर लिया कि तुम इकबाल बनकर-------मास्टर तक पहुचोगे----- -------तुम अपने को तीसमारखां समझ रहे थे, जबकि वह फोन और उस पर होने बाली बाते तुम्हें सुनाई ही इसलिए गई थीं कि तुम्हारे दिमाग में यह विचार आए-----हैरी सफ़ल रहा, यानी तुम खुद ही उसकी लाइन पर चल पड़े!"


"कमाल है!"


"आगे सुनो प्यारे…हैरी ने तो धोती को फाड़कर रूमाल भी वना दिया था ।"




विकास ने पूछा------"ज्ञान भारती के रजिस्टरों मैं डैडी का नाम क्यों नहीं था?"

विकास ने पूछा------"ज्ञान भारती के रजिस्टरों मैं डैडी का नाम क्यों नहीं था?"



"क्योंकि अमेरिकी जासूस ज्ञान भारती की प्रिसिंपल को एक बहुत मोटा रजिस्टर दे चुके थे जिसका हर पृष्ठ सिर्फ डॉलरों से ही बना था ।"



"ओह !"




"अपना तुलाराशि मास्टर तक पहुचने के लिए ड्रामा करता रहा, जबकि दरअसल यह कर वही सब कुछ रहा था, जो हैरी चाहता था---------शिकारगाह के खण्डहर में हैरी तब पहुंचा, जव तुलाराशि और अहमद भी सो रहे थे-------उसने रेहाना को विश्वास मे लेकर अहमद की हत्या कर दी-------------अहमद की लाश देखने के बाद तुलाराशि ने जो नाटक किया, उसी की हैरी को उम्मीद थी ,
और उससे बही सबकुछ कराने के लिए हैरी ने यह हत्या की थी----------हैरी जानता था कि रघुनाथ कथित मास्टर तक पहुंचने के लिए एक से एक ऊटपटांग हरकत करेगा------- --------उसने की-----अंत में जब वह मोन्टो का कत्ल करके भागा तो रेहाना सचमुच ही घबरा गई------------उसने सोचा कि अब पुलिस 'उन्हें पकड़ लेगी-------उधर हैरी को लॉकहीड द्वारा घटना की सूचना मिल गई थी-----------रेहाना सारी प्लानिंग जानने के बावजूद यह नहीं जानती थी कि हैरी का अड्डा कहाँ है------इसलिए घबरा गई----- -------उधर हैरी समझ गया कि क्लाइमेक्स आ गया है, अत: उसने बेहोश करके उन्हें अड्डे पर बुला लिया--------------रेहाना से बाते की--------जब वह रेहाना को समझा रहा था, तभी उसके आदेश पर हॉल में रघुनाथ को बदल दिया गया, यानी स्वयं रेहाना को भी-पता नहीं लगने दिया गया कि रघुनाथ बदल गया है-----------जिसे रघुनाथ बनाया गया था,,उसे यह नही बताया गया था कि उसे मरने के लिए भेजा जा रहा है---------उसे यह आदेश दिया गया था कि रेहाना सहित वह किसी की भी शक न होने दे कि वह रघुनाथ नहीं है और किसी भी ऐसे अवसर पर, जहाँ रैना और विजय मोजूद हों, रैना को गोली मार दे------------हैरी जानता था कि हमारी मौजूदगी ये सच्चे दिल से कोशिश करने के बावजूद भी वह कामयाब न हो सकेगा---- --------- मेरी गोली से मारा जाएगा-- ------यही हैरी चाहता था !"



"और यही हुआ ।"


" हुआ नहीं प्यारे, बल्कि यूं कहो कि हमने किया ।"



"क्या मतलब?”



"इसमे शक नहीं कि हमारा दिमाग शुरू से ही चकरघिन्नी बना हुआ था…यानी हम भी न ताड़ सके थे कि अपना तुलाराशी साला इकबाल बना नहीं है, बल्कि नाटक कर रहा है------मोन्टो की लाश देखकर हम सचमुच उत्तेजित हो गए….......तुलाराशि को मार-मारकर भूत वना और उसे पुलिस के हवाले कर देने का निश्चय करके वहां से निकल पड़े--------चौराहे पर उससे भिड़ने तक मैं गुस्से में ही था….....मगर लडाई के दौरान मैं यह भांपकर मन ही मन चोंक पड़ा कि वह अपना तुलाराशि नहीं है------ ----लड़ता हुआ मैं यह बराबर सोचता रहा कि मैं है नकली रघुनाथ से ये हरकते कराकर आखिर मुजरिम चाहता क्या है------ ----- जब वह रैना को ही मारने लगा तो मैं समझ गया कि मुजरिम क्या चाहता है--------- -----मुजरिम की योजना मेरे रिवॉल्वर से रघुनाथ की हत्या करा देने की थी----- ------यदि मैं वहां यह न ताड़ता कि रघुनाथ नकली है तो मैं निश्चय ही रघुनाथ के पैर में गोली मारता, किन्तु यह ताड़ने और यह समझने के बाद कि मुजरिम क्या चाहता है, मैंने मुजरिम तक पहुंचने के लिए वही कर दिया, जो वह चाहता था ------ --------------रघुनाथ की मृत्यु की जो प्रतिक्रिया रैना और विकास पर होनी स्वाभाविक थी, वह हुई----मै समझ सकता था कि विकास को और मुझे भिड़ने के लिए ही मुजरिम ने यह सब कुछ किया है----- मैं ऐसा नाटक करता चला गया, जैसे मैं खुद को भी खुद रघुनाथ का हत्यारा ही समझ रहा हूं..... …तब तक की घटना से मैं अन्दाजा लगा चुका था कि मुजरिम को एक-एक घटना की जानकारी मिल रही है, अत: मैंने हर जगह खुद को रघुनाथ का हत्यारा ही दर्शाया--------यहां तक कि गुलफाम सामने-------फोन पर अजय और विकास के सामने भी------बहाँ भी जहाँ विकास ने अशरफ आदि को कैद कर रखा था------फिर भी, मुझे मुजरिम तक ,तो पहुंचना ही था-मुजरिम तक पहुंचने के लिए तबस्सुम के रूप में एकमात्र 'क्लू' नजर आया-------गुप्त रूप से पूरी सावधानी के साथ मैंने पुलिस लाकअप से तबस्सुम को उड़ा लिया--------

गुलफाम के होटल
में लाकर मुझे उसे टार्चर करना पड़ा--- ----वह ज्यादा टार्चर न सह सकी और सब कुछ बताती चली गई-----ऊपर मैंने जो कुछ कहा है, यह सब मुझे तबस्सुम ने ही बताया था….... .....यह भी कि उसका असली नाम रेहाना है-----इतना सब कुछ जानते हुए भी वह हैरी का पता नहीं जानती थी---- ----- इसी तरह यह की ज्ञात नहीं था कि जो रघुनाथ मरा है, वह नकली था… ..... मैं समझ गया कि हैरी उसे भी सिर्फ उतनी ही बाते बताता था, जितनी आवश्यक होती थीं… .....मुझें रेहाना की इस बात से आशा बंधी कि हैरी ने उसे पुलिस की गिरफ्त से निकालने का वचन दिया है------मैंने सोचा कि हैरी तक मैं तभी पहुच सकता के जबकि हैरी रेहाना के भ्रम में पुलिस लॉकअप से निकाल कर किसी और को ले जाए------मगर किसे…? यहीं मेरे सामने सबसे बड़ा सवाल था… ऐसे काम के लिए मेरे पास सिर्फ एक ही लड़की थी… .....अपनी गोगिया पाशा, मगर बह विकास की कैद में थी और मैं नहीं जानता था कि बह कहाँ कैद है----- -----विकास को हकीकत मैं बता नहीं सकता था--------अन्त में मेरे दिमाग में रैना बहन का ख्याल आया---- मै मजबूर था… .......उसी रात जाकर रैना को यह विश्वास दिला सका कि असली तुलाराशी को नहीं मारा है--------रैना को रेहाना मैंने खुद बनाया जिस तरह से गुपचुप रेहाना को लॉकअप से लाया था, रैना को पहुचा दिया----- रैना को मैंने वे सभी बाते कंठस्थ करा दी थी , जो टार्चर के बाद रेहाना ने बताई थी ।"




"उसके बाद क्या हुआ? "



"वह सभी जानते है…अश्रु और लाॅर्फिग गेस के मिश्रित बमो का प्रयोग करके हैरी रैना को रेहाना समझकर पुलिस लाकअप से निकाल ले गया..... …रैना को मैंने पहले ही शुगर क्यूब की शक्ल का एक ऐसा ट्रांसमीटर दे दिया था, जिसके, सम्बन्थ एक विराम घड्री से था.
. …क्योंकि हैरी रैना को पुलिस लाकअप से ले जाते वक्त विकास के मेकअप मे था इसलिए बापूजान दलवल के साथ दिलजले पर टूट पड़े-दिलजला घबराकर भागा--------यह घटना मेरे लिए वरदान-हीं साबित हुई, क्योंकि मैं वहाँ पहुच गया, जहाँ यह सब कैद थे------- ---------- के बाद मैंने विकास चौर मोन्टो को बेहोश कर दिया और इन्हें कैद से निकाल लिया ।"

" तुमने बिकास-गुलफाम या किसी और को यह हकीकत क्यों नहीं बता दी कि तुमने असली रघुनाथ को नहीं मारा है? यदि तुम ऐसा करते इतनी मुसीबत न उठानी पडती ।”




"मै समझ चुका था कि हैरी की चाल हम दोनों को उलझाए ऱखने की है---मैंने निश्चय किया कि उसे इस भूल में रखकर ही काम किया जाए कि हम उलझ गए-----यदि विकास को हकीकत बता देता तो वह इतना सब बखेडा न करता, जो है इसने किया और उसके विना हैरी को यकीन नहीं होता कि हम उसकी चाल के शिकार हो गए हैं----मै यह भी समझ चुका था कि किसी माध्यम से हैरी तक हमारी पल-पल की रिपोर्ट पहुंच रही है, इसलिए हर जगह मैंने यही दर्शाया कि मैं खुद को सचमुच रघुनाथ का हत्यारा समझता हू।"


"खैर-फिर क्या हुआ?"




"अशरफ आदि को लेकर मैं गुलफाम के होटल पहुचा ,किन्तु रास्ते में ही यह भांप चुका था एक बलिष्ट अमेरिकी मेरा पीछा कर रहा हे…मौका लगते ही गुलफाम के होटल के पास हमने उसे दबोच लिया…टार्चर के बाद उसने अपना नाम लॉकहीड बताया और कहा किं उसके और विकास के सम्बन्थ में हैरी को सारी रिपोर्ट वही पहुंचाता है--------उसके पास एक ट्रांसमीटर भी था-बिराम घड़ी की मदद से मैं यह जान ही चुका था कि हैरी का अड्डा कहां है--------फिर लॉकहीड की आवाज ट्रांसमीटर पर मैंने सच की चाशनी में लपेटकर हैरी को एक गलत खबर दी-----मकसद सिर्फ हैरी को अपनी तरफ से लापरवाह कर देना था-मैंने लॉकहीड का मेकअप किया… .........अशरफ को अपने बापूजान के पास सब कुछ बता देने के बाद पुलिस मदद के लिए भेजा-----उससे बाद खेल ख़त्म…पैसा हजम ।"





भभकते-से स्वर में विकास ने पूछा---------;-----" तो यह सब हैरी ने किया था?"



"लो !" विजय बोला-----" सारी रामायण खत्म हो रई, लेकिन जनाब पूछ रहे है कि रावण कौन था !"


भभकते-से स्वर में विकास ने पूछा-----------------" तो यह सब हैरी ने किया था?"



"लो !" विजय बोला-----" सारी रामायण खत्म हो रई, लेकिन जनाब पूछ रहे है कि रावण कौन था !"


विकास, ने उसी स्वर मे पूछा-----रिहाना और लॉकहीड कहां है ?"



"पुलिस की गिरफ्त में प्यारे !" विजय ,बोला-------"अमेरिका के ज्यादातर एजेण्ट मारे गए-जो शेष थे, वे गिरफ्तार हो गए---- उस इमारत पर भी इस वक्त पुलिस का कब्जा है ।"



"और हैरी का क्या हुआ?"



"बस प्यारे-यही चूक गए ।"



गुर्राता हुआ-सा स्वर…"क्या मतलब?"



"आखिह समय में वह एक गुप्त सुरंग के रास्ते से फरार होने में कामयाब हो गया----उस इमारत से शुरु होने बाली सुरंग का अन्तिम सिरा एक नाले के पुल के नीचे है, बह उसी रास्ते से..!"





विकास एक झटके के साथ खड़ा हो क्या ।


सभी ने उसे आश्चर्य के साथ देखा ॥


विजय ने पूछा----"क्या हुआ प्यारे ?"


"यह केस खत्म कहाँ हो गया गुरू ?"





"खत्म होने के लिए अब शेप रह ही क्या गया है प्यारे-------- हैरी का सारा षड्यंत्र बिखर चुका है-उसफी ताकत खत्म हो चुकी है , तुम्हारा यू कलफ़ लगे पायजामे की तरह खड़े
रहना समझ' में नहीं आया ।"



" उसकी ताकत इस तरह खत्म 'नहीं होगी गुरू------उसका नाम हैरी है-----बात अभी तक वही लटकी हुई है, जहाँ शुरू मे, थी ; यानी उसे कटे हाथ का बदला लेना है----------- ----अपनी ताकत हैरी खुद है---- ---बह फिर कभी-न-कभी इस मिशन लेकर निकल पडेगा।"

" तुम क्यों दुबले हुए जा रहे हो प्यारे-----तब की तभी देखेंगे ।"
कांटा....शीतल का समर्पण....खूनी सुन्दरी

(¨`·.·´¨) Always

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(¨`·.·´¨)¸.·´ Keep Smiling !

`·.¸.·´
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